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भारत में प्राचीन काल से चिकित्सा के क्षेत्र में वैज्ञानिकों की अग्रणी भूमिका रही है। यहाँ

पर शल्य चिकित्सा वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर की जाती थी। भारत के चिकित्सा


वैज्ञानिकों ने शारीरिक इलाज के साथ मस्तिष्क इलाज की तकनीकी विकसित की थी।
बिना मस्तिष्क इलाज के शारीरिक इलाज पूरी तरह से सम्भव नहीं हो सकता है। पेल्टो
ने कहा था ‘ डॉक्टर सबसे बड़ी गलती यह करते हैं कि वे मस्तिष्क का इलाज किये बगैर
सिर्फ शरीर का इलाज करने की कोशिश करते हैं, जबकि मस्तिष्क और शरीर आपस में
जुड़े हुये हैं और उनका अलग-अलग इलाज नहीं किया जाना चाहिए।‘ आज दुनिया के
कई देश साइकोसोमैटिक (मनोदैहिक) चिकित्सा का विकास कर रहे हैं जबकि भारत में
इस तरह के चिकित्सा का विकास प्राचीन काल में हो गया था। भारत ने मानव
चिकित्सा के साथ पशु चिकित्सा पर ध्यान दिया है। भारत में गम्भीर से गम्भीर
बीमारियों के इलाज सम्भव हैं। हमने चेचक, हैजा, येलो फीवर, कैं सर और पोलियों
जैसी गम्भीर बीमारी को जड़ से खत्म कर दिया है। कोरोना के समय में वैश्विक स्तर
पर भारत के चिकित्सा वैज्ञानिकों ने दुनिया को राह दिखाने का काम किया है। भारत
का मेडिकल टू रिज्म सेक्टर 18 फीसद की वार्षिक वृद्धि कर रहा है। अन्य देशों की
अपेक्षा भारत में इलाज 65 से 90 फीसद सस्ता और क्वालिटी ट्रीटमेंट दिया जाता है।

समय सभी के लिए अमूल्य है ; सभी के लिए समय नि: शुल्क है ,


हालांकि, कोई भी इसे खरीद या बेच नहीं सकता है।

किसी भी समय इसे बर्बाद या उपयोग कर सकते हैं, हालांकि, यह सच


है कि जो समय को तोड़ता है , वह निश्चित रूप से समय से नष्ट हो
जाता है और जो इसका उपयोग करता है , निश्चित रूप से, समय के
माध्यम से आशीर्वाद प्राप्त होता है। जो व्यक्ति समय खो देता है वह
कभी वापस नहीं मिल सकता।
अगर हम समय पर भोजन नहीं लेते हैं या अपनी दवाएं समय पर
नहीं लेते हैं, तो समय हमारे स्वास्थ्य को नष्ट कर सकता है। समय
एक नदी चल रही है , जो लगातार आगे बढ़ती है और कभी वापस नहीं
आती है।

हमें समय के अनुसार समयबद्ध होना चाहिए और समय के साथ सभी


काम करना चाहिए। हमें सही समय पर उठना चाहिए, सुबह उठकर
पानी पीना, सुबह-सुबह उठना, ब्रश करना, सुबह उठना, स्कू ल जाना,
स्कू ल जाना, वर्किं ग क्लास, लंच, घर आना, घर का काम करना, रात में
पढ़ना, रात का खाना खाना सही समय पर खाना चाहिए, अगर हम
सही समय पर अपनी दिनचर्या नहीं करते हैं, तो हम जीवन में दूसरों
से पीछे रहेंगे।

यदि हम जीवन में कु छ बेहतर करना चाहते हैं तो उचित प्रतिबद्धता,


समर्पण और समय का पूरा उपयोग करना आवश्यक है।

विश्व गुरु भारत, एक ऐसी सोच है जो हमें अपनी सांस्कृ तिक और


आध्यात्मिक धरोहर के महत्व को समझाती है। भारत ने अपने
अद्वितीय संस्कृ ति, साहित्य और धार्मिकता के माध्यम से विश्व को
बहुत कु छ सिखाया है। यहां की सांस्कृ तिक धरोहर और आध्यात्मिक
ज्ञान के बारे में जानकर विश्व के लोग अचरज में पड़ जाते हैं।
भारत के महान ऋषि-मुनियों ने वेद, उपनिषद और पुराण जैसे ग्रंथों
के माध्यम से विश्व को ज्ञान की अमूल्य धरोहर प्रदान की है। इसके
अलावा, आध्यात्मिक गुरुओं जैसे कि स्वामी विवेकानंद, महर्षि आरबिंदो
और ओशो ने भी विश्व को आध्यात्मिक ज्ञान का उपहार दिया।

भारत के विज्ञानी जैसे कि आर्यभट्ट, भास्कराचार्य और चरक ने भी


विश्व के लिए अपने योगदान दिए हैं। इन्होंने गणित, ज्योतिष, और
आयुर्वेद जैसे विज्ञानों में अपने अद्वितीय योगदान के साथ विश्व को
प्रेरित किया है।

विश्व गुरु भारत के रूप में, हमें अपने सांस्कृ तिक और आध्यात्मिक
मूल्यों को संजीवनी बनाने की आवश्यकता है। हमें अपने ज्ञान का
सही उपयोग करके विश्व को एक बेहतर और समृद्ध जगह बनाने में
मदद करनी चाहिए। इससे हम वास्तव में विश्व गुरु बन सकते हैं।

विश्व गुरु भारत का संकल्प हमें यह दिखाता है कि भारत के पास


विश्व के सामने रखने के लिए अनमोल ज्ञान और संस्कृ ति है। हमें
अपने ज्ञान और संस्कृ ति के प्रचार प्रसार में सहायक बनने के लिए
प्रेरित करता है। इसके साथ ही, हमें अपने देश के प्रति अपनी
जिम्मेदारी को भी समझाता है।

विश्व गुरु भारत के रूप में, हमें अपने देश के लिए और विश्व के लिए
अधिक से अधिक योगदान करने की जरूरत है। हमें अपने ज्ञान और
संस्कृ ति के प्रचार प्रसार में सहायक बनना चाहिए और इसे विश्व के
सामने रखना चाहिए। इससे हम अपने देश को विश्व मंच पर एक
मजबूत स्थान दे सकते हैं।
विश्व गुरु बनने के लिए हमें अपने ज्ञान और संस्कृ ति को सशक्त
बनाने के लिए अधिक से अधिक काम करना होगा। हमें अपने देश के
लिए और विश्व के लिए योगदान करने के लिए अपनी पूरी क्षमता
का उपयोग करना होगा। इससे हम अपने देश को विश्व मंच पर एक
मजबूत स्थान दे सकते हैं।

इसलिए, विश्व गुरु भारत का संकल्प हमें अपने देश के प्रति अपनी
जिम्मेदारी को समझाता है। हमें अपने ज्ञान और संस्कृ ति के प्रचार
प्रसार में सहायक बनने के लिए प्रेरित करता है। इससे हम अपने देश
को विश्व मंच पर एक मजबूत स्थान दे सकते हैं।

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