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CBSE

क ा 12 िहंदी (ऐ छक)
सृजना मक लेखन

‘कैसे बनती है किवता’

मु य िब द-ु

किवता इंसान के मन को अिभ य करने वाली सबसे पुरानी कला है। मौ खक युग म किवता के ारा इंसान ने अपने भाव
को दस
ू रे तक पहँचाया होगा। इससे प होता है िक किवता मन म उमड़ने-घुमड़ने वाले भाव और िवचार को अिभ य
करने का का या मक मा यम है।
वािचक परंपरा म ज म किवता आज ल खत प म मौजूद है। पारंप रक किवता के वर मुख रत होते ह। किवता को
आज तक िकसी एक प रभाषा म बाँध पाना स भव नह हो पाया है। अनेक ाचीन का यशा ीय और प चमी िव ान ने
किवता क अनेक प रभाषाएँ दी ह। जैसे श द और अथ का संयोग, रसयु वा य, संगीतमय िवचार आिद।
किवता लेखन के संबध
ं म दो मत िमलते ह। एक का मानना है िक अ य कलाओं के समान किवता लेखन क कला क
िश ण ारा नह सखाया जा सकता य िक इसका संबध
ं मानवीय भाव से है जबिक दस
ू रा मत कहता है िक अ य
कलाओं क भांित िश ण के ारा किवता लेखन को भी सरल बनाया जा सकता है।
किवता का पहला उपकरण श द है। किव ड यू एच ऑडन ने कहा िक ‘ ले िवद द वडस’ अथात् किवता लेखन म सबसे
पहले श द से खेलना सीख, उनके अथ क परत को खोल य िक श द ही भावनाओं और संवेदनाओं को आकार देते
ह।
िबंब और छं द (आं त रक लय) किवता को इंि य से पकड़ने म सहायक होते ह। बा संवेदनाएँ मन के तर पर िबंब के
प म प रवितत हो जाती है। छं द के अनुशासन क जानकारी के िबना आं त रक लय का िनवाह असंभव है। किवता क
भाषा, िबंद, छं द, संरचना सभी प रवेश के इद-िगद घूमते ह। इस लए इनके अनुसर ही भाषा, िबंद और छं द का चयन िकया
जाता है।
किवता को मु य घटक (त व)
1. भाषा का स यक ान
2. श द िव यास
3. छं द िवषयक बुिनयादी जानकारी
4. अनुभव और क पना का सामंज य
5. सहज सम ेषण शि
6. भाव एवं िवचार क अनुभूित
नवीन ि कोण और तुतीकरण क कला न हो तो किवता लेखन संभव ही नह है। ितभा को िकसी िनयम या स ांत
ारा पैदा नह िकया जा सकता, िक तु प र म और अ यास से िवक सत िकया जा सकता है। किवत लेखन के ये घटक
किवता लेखन भले ही न सखाएँ पर किवता क सराहना एवं किवता िवषयक ान देने म सहायक है।

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