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आजादी के बाद का भारत
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 +91-7007-931-912 
अध्याय पाठ् यक्रम पेज न.

अध्याय 1 ➢ निभाजि और इसके पररणार्


राष्ट्र निर्ाा ण के कार्ा और चिु ौनिर्ाां ➢ ररर्ासिों का एकीकरण 3
➢ निरासि-औपनििेनिक और राष्ट्रीर् आांदोलि
➢ िासकीर् भाषा का र्द्दु ा
➢ भाषाई आधार पर राज्र्ों का गठि
➢ जिजानिर्ों का एकीकरण
➢ क्षेत्रीर् आकाांक्षाएँ
➢ न ांदू कोड निल
अध्याय 2 ➢ चिु ािी राजिीनि का उभार
कालोिी से लोकिांत्र िक ➢ लोकिाांनत्रक राजिीनि की स्थापिा 49
➢ प्रिासनिक निर्ांत्रण
➢ सार्ानजक िदलाि
➢ निक्षा
➢ पांचार्िी राज
➢ काांग्रेस का िचा स्ि
➢ दलों के निरोध का उभरिा
➢ गठिांधि काल

अध्याय 3 ➢ िे रू के अधीि निदेि िीनि 65


विदेश नीवि ➢ पानकस्िाि के साथ सांिांध
➢ चीि के साथ सांिांध
➢ भारि की परर्ाणु िीनि
➢ भारि-श्रीलांका सांकट (1987)
अध्याय 4 ➢ भारिीर् अथा व्र्िस्था (65-1947)
आवथिक विकास ➢ भारिीर् अथा व्र्िस्था (1965-1991) 87
➢ 1991 से आनथा क सधु ार
➢ र् त्िूणा आनथा क निकास

अध्याय 5 ➢ भारि र्ें आपािकाल (77-1975)


स्ििंत्रिा के बाद के इविहास में ➢ िक्सली आांदोलि 108
महत्िपूर्ि मुद्दे ➢ भारि र्ें साांप्रदानर्किा की घटिाएँ
➢ भोपाल गैस काण्ड
➢ िा िािो के स
➢ िोफोसा घोटाला
➢ निक्षा पर राष्ट्रीर् िीनि, 1986

अध्याय 6 ➢ जम्र्ू और कश्र्ीर र्द्दु ा


क्षेत्रीय असंिोष ➢ पांजाि र्द्दु ा 127
➢ असर् सर्झौिा

➢ भूनर् सधु ार
अध्याय 7 ➢ कृ नष निकास और ररि क्ाांनि 138
भारि में लोकविय आंदोलन / ➢ आजादी के िाद से कृ नष सांघषा
कायिक्रम
➢ स काररिा
➢ र्न ला आांदोलि
➢ दनलि आांदोलि
➢ पर्ाा िरण आांदोलि
➢ ICT का र्गु
अध्याय - 1 राष्ट्र वनमाि र् िवक्रया और इसकी चुनौवियां
क्र. स. वबंदु

1 स्ििांत्र भारि र्ें चिु ौनिर्ाां


2 निभाजि और पररणार्
3 ररर्ासिों का एकीकरण
4 निरासि-औपनििेनिक और राष्ट्रीर् आांदोलि
5 िासकीर् भाषा का र्द्दु ा
6 भाषा के आधार पर राज्र्ों का पिु गा ठि
7 अल्पसांख्र्क भाषा और उिसे सांिांनधि र्द्दु े
8 जिजानिर्ों का एकीकरण
9 क्षेत्रीर् आकाांक्षाएां
10 न ांदू कोड निल

3
स्िंत्रि भारि में चनु ौिी

Integration of
Princely States

Social, Politcal
Stability &
and Economic
Security of India
Equality

Rehabilitation of
Refugess &
Communal Riots

Establishment of
Representatve
Economic
Democracy &
Development
Civil Libertarian
Political Order

Restoration of
Law & Order after
partition

भारि की स्ििंत्रिा के बाद नेहरू के महत्िपूर्ि कथन:


➢ िे रू िे अपिे 14 अगस्ि के भाषण र्ें घोषणा की' ,आज र् जो उपलनधध र्िािे ैं ि अनधक से अनधक निजर् और उपलनधधर्ों
के नलए अिसर का एक कदर् ै। । र्े भनिष्ट्र् आसाि और आरार् करिे का ि ीं ै ,लेनकि लगािार प्रर्ास करिे का ै िानक र्
उि िादों को परू ा कर सकें जो र्िे अक्सर नकए ैं।
➢ 1947 में नेहरू ने घोषर्ा की, 'पहली चीजें पहले आनी चावहए और पहली चीज भारि की सुरक्षा और वस्थरिा है।
➢ " र्ारी इस िदलिी दनु िर्ा र्ें कला की कोई कर्ी ि ीं ै और भारि र्ें भी, र् एक अलौनकक र्गु र्ें र िे ैं। र्ैंिे र्ेिा इस पीढी के
लोगों को भारि के लांिे इनि ास के इस दौर र्ें र िे के नलए एक र् ाि नििेषानधकार र्ािा ै। .. .र्ैंिे र्ािा ै नक भारि र्ें कार् करिे
की िलु िा र्ें आज व्र्ापक दनु िर्ा र्ें कुछ भी अनधक अलौनकक ि ीं ै।

विभाजन और उसके पररर्ाम:


पररचय –
• आजाद भारि का प ला नदि , 15 अगस्ि 1947 ,को र्िार्ा गर्ा था। देिभक्तों की पीनढर्ों के िनलदाि और अिनगिि ि ीदों के
रक्त िे इस पररणार् को जन्र् नदर्ा था|
• स्ििांत्र भारि के प्रारांनभक कुछ िषा भारि की राष्ट्रीर् एकिा और क्षेत्रीर् अखांडिा के िारे र्ें चिु ौिीपूणा चिु ौनिर्ों और नचांिाओां से भरे
थे। स्ििांत्रिा, निभाजि के साथ आई ,नजसके पररणार्स्िरूप िडे पैर्ािे पर साांप्रदानर्क न ांसा, निस्थापि और अभूिपूिा न ांसा िे एक
धर्ा निरपेक्ष भारि के निचार को चिु ौिी थी।
• खाद्य और अन्र् उपभोक्ता िस्िुओ ां की कर्ी थी ,और प्रिासि के भांग ोिे का डर था।
• स्ििांत्रिा के साथ अिेक सर्स्र्ार्ें जैसे ,सनदर्ों से नपछडापि ,पिू ाा ग्र ,असर्ाििा ,और अज्ञाििा अभी भी जर्ीिी स्िर पर र्जिूि
थी ।

4
स्ििंत्रिा के समय , भारि के समक्ष चनु ौवियााँ विवभन्न रूप में पहचानी गई हैं:

Challenges facing India at


the time of independence

Immediate problems Medium term problems Long term problems

िात्कावलक समस्याएं
• ररयासिों का क्षेत्रीय और िशासवनक एकीकरर्।
• विभाजन के साथ हुए सांिदावयक दंगे।
• शरर्ावथियों का पुनिािस जो पावकस्िान से चले गए थे।
• सांिदावयक समूहों द्वारा मुसलमानों की सुरक्षा को खिरा।
• पावकस्िान के साथ युद्ध से बचने की जरूरि थी।
• कम्यवु नस्ट उग्रिाद।
• कानून और व्यिस्था की बहाली।
• विभाजन के कारर् राजनीविक वस्थरिा और िशासवनक व्यिस्था को खिरा था।
मध्यमिगीय समस्याएं:
• सांनिधाि िैर्ार करिा।
• प्रनिनिनधक लोकिाांनत्रक और िागररक स्ििांत्रिािादी राजिीनिक व्र्िस्था का निर्ाा ण।
• प्रनिनिनधक और नजम्र्ेदार सरकार की व्र्िस्था को लागू करिे के नलए चिु ाि का आर्ोजि।
• भूनर् सधु ार के र्ाध्र्र् से अधा -सार्ांिी कृ नष सांिांधी आदेि को सर्ाप्त करिा।
दीघिकावलक समस्याएं:
• राष्ट्रीर् एकीकरण को िढािा देिा।
• राष्ट्र निर्ाा ण की प्रनक्र्ा को िढािा देिा।
• िेजी से आनथा क निकास की सनु िधा।
• स्थानिक गरीिी को दूर करिा।
• र्ोजिा प्रनक्र्ा िरू ु करिा।
• स्ििांत्रिा सांग्रार् और उिकी जरूरिों से उत्पन्ि जि अपेक्षाओां के िीच की खाई को पाटिा।
• सनदर्ों से चली आ र ी सार्ानजक अन्र्ार् ,असर्ाििा और उत्पीडि से छुटकारा।
• एक ऐसी निदेि िीनि निकनसि करें ,जो भारिीर् स्ििांत्रिा की रक्षा करे और िीिर्द्ध ु से नघरी दनु िर्ा र्ें िाांनि को िढािा दे।
• राष्ट्रीर् आांदोलि िे निनभन्ि क्षेत्रों ,सर्ाज के िगों और िैचाररक धाराओां को एक सर्ाि राजिीनिक एजेंडे के आसपास ला नदर्ा।
• राष्ट्रीर् िेिा, िेजी से सार्ानजक और आनथा क पररििा ि और र् ासागरों और राजिीनि के लोकिांत्रीकरण और राष्ट्रीर् आांदोलि
द्वारा प्रदाि नकए गए र्ूल्र्ों के लक्ष्र्ों के नलए प्रनििद्ध थे।

5
• िेिा लोकिांत्र ,िागररक स्ििांत्रिा ,धर्ा निरपेक्षिा ,स्ििांत्र आनथा क निकास ,साम्राज्र्िाद-निरोधी और सार्ानजक सधु ारों के र्ूल्र्ों के
प्रनि िचििद्ध थे और इिकी ओर भनिष्ट्र्ोन्र्ख ु ी थे।
• िेिृत्ि की इस नस्थनि को इस िथ्र् से र्जिूि नकर्ा गर्ा नक उन् ोंिे लगभग र िगा के लोगों के िीच अत्र्ांि लोकनप्रर्िा और प्रनिष्ठा
पाई ै।
अन्य मुख्य समस्याएं:
• शरर्ावथियों पनु िािस और सांिदावयक दंगों - स्ििांत्रिा के िाद सिसे र् त्िपणू ा कार्ा र्ें पानकस्िाि से आए िरणानथा र्ों (6 नर्नलर्ि)
को पिु िाा स करिािा िथा साांप्रदानर्क दांगों का उनचि िरीके से निपटाि करिा िानर्ल था।

• भारि की वस्थरिा और सुरक्षा -िे रू िे 1947 र्ें घोषणा की' ,प ली चीजें प ले आिी चान ए और प ली िाि भारि की सरु क्षा
और नस्थरिा ै । स्ििांत्रिा के िाद ,भारिीर् िेिाओां को ि के िल निभाजि के िाद साांप्रदानर्क सर्स्र्ा का सार्िा करिा पडा ,
िनल्क उन् ें र्ख्ु र् रूप से पानकस्िाि द्वारा उत्पन्ि िा री खिरे से भारिीर् क्षेत्र की रक्षा करिे की भी आिश्र्किा थी। र् िीि र्द्ध

का र्गु था और USSR और USA के प्रभाि से अपिी सांप्रभिु ा की रक्षा करिा भारिीर्ों के नलए भी एक िडी चिु ौिी थी।

• िविवनविक लोकिंत्र और नागररक स्ििंत्रिा के राजनीविक आदेश की स्थापना- भारिीर् िेिाओां के प्रर्ख ु कार्ों र्ें लोकिाांनत्रक
गणराज्र् िाले भारि की स्थापिा करिा था, नजसर्ें िागररकों को अांनिर् अनधकार नदए गए ो।
• विभाजन के बाद कानून और व्यिस्था - निभाजि के िाद, भारि एक साांप्रदानर्क नििाि की ओर अग्रसर था। सांिेदि ीि साांप्रदानर्क
कत्लेआर् और आांिररक र्द्ध ु चल र े थे । कािूि और व्र्िस्था को ि ाल करिा और भारि को आांिररक रूप से िाांनिपूणा राज्र्
ििािा भी आजादी के सर्र् एक िडी चिु ौिी थी।
• आवथिक विकास - स्ििांत्रिा के दौराि ,भारिीर् आनथा क निकास एक िकारात्र्क नस्थनि र्ें था। पर्ाा प्त रोजगार के साथ एक र्जिूि
भारिीर् अथा व्र्िस्था का निर्ाा ण और निकास करिा ,स्ििांत्रिा के दौराि भारिीर् िेिाओां के नलए एक दूरगार्ी चिु ौिी थी।
• सामावजक ,राजनीविक और आवथिक समानिा -स्ििांत्रिा के िाद सिसे र् त्िपूणा कार्ा सभी भारिीर्ों को राजिीनिक ,आनथा क
और सार्ानजक सर्ाििा प्रदाि करिा था।
भारि का विभाजन और उसके पररर्ाम
• 14-15 अगस्ि 1947 को, निनटि भारि की स्ििांत्रा के साथ दो राष्ट्र राज्र् अनस्ित्ि र्ें आए: भारि और पानकस्िाि ।नजिका
निर्ाा ण र्नु स्लर् लीग द्वारा उन्िि "दो राष्ट्र नसद्धाांि" के अिस
ु ार ुआ था िथा इस नसद्धाांि के अिस ु ार निनटि भारि र्ें दो प्रकार
के 'लोग' न ांदू और र्नु स्लर् िानर्ल थे।
• एक ि ुि ी र् त्िपणू ा कार्ा ,सीर्ाओां का सीर्ाांकि था। र्ाउांटिेटि की 3 जिू की र्ोजिा के िाद ,एक निनटि न्र्ार्निद् रैडनक्लफ
को इस सर्स्र्ा का सर्ाधाि करिे के नलए िथा िांगाल और पांजाि के नलए सीर्ा आर्ोग ििािे के नलए आर्ांनत्रि नकर्ा गर्ा था।
चार अन्र् सदस्र् भी आर्ोग र्ें थे लेनकि काांग्रेस और र्नु स्लर् लीग के िीच गनिरोध था। 17 अगस्ि 1947 ,को उन् ोंिे अपिे आदेि
की घोषणा की।
• घोषणा के अिस ु ार ,धानर्ा क प्रर्ख
ु िाओां के नसद्धाांि का पालि करिे का निणा र् नलर्ा गर्ा ,नजसका अथा ै नक नजि क्षेत्रों र्ें र्ुसलर्ाि
ि ुर्ि र्ें थे ,िे पानकस्िाि का क्षेत्र ििाएांगे। िेष को भारि के साथ र िा था।
• इसिे भारि से पानकस्िाि और पानकस्िाि से भारि र्ें प्रिास की प्रनक्र्ा िरू ु की |
सांिदावयक िलय-
• भारि एक साांप्रदानर्क नििाि की ओर अग्रसर था। सांिेदि ीि साांप्रदानर्क कत्लेआर् ो र ा था। भारि और पानकस्िाि दोिों र्ें
अल्पसांख्र्कों पर अकथिीर् अत्र्ाचार नकए गए थे।

6
• कुछ र् ीिों के दौराि ,लगभग 500,000 लोग र्ारे गए और जारों-
लाखों रुपर्े की सांपनि लूटी गई और िष्ट कर दी गई। साांप्रदानर्क न ांसा
िे सर्ानजक-सांस्कृ नि को खिरे र्ें डाल नदर्ा।
• सेिा और पनु लस आनद का उपर्ोग करके दांगों के दर्ि जैसे निणाा र्क
राजिीनिक और प्रिासनिक उपार्ों के र्ाध्र्र् से कुछ र् ीिों के भीिर
नस्थनि को निर्ांत्रण र्ें लार्ा गर्ा।
• िे रू िे सािा जनिक भाषणों ,रेनडर्ो प्रसारण ,सांसद र्ें भाषणों ,निजी
पत्रों और र्ख्ु र्र्ांनत्रर्ों के भाषणों के र्ाध्र्र् से अल्पसांख्र्कों र्ें सरु क्षा
की भाििा पैदा करिे के नलए साांप्रदानर्किा के नखलाफ िडे पैर्ािे पर अनभर्ाि चलार्ा।
• गाांधीजी की ि ादि के साथ साांप्रदानर्क िाकिों को िडा झटका लगा।
• ालाँनक ,साांप्रदानर्किा को सर्ान ि नकर्ा गर्ा था और कर्जोर नकर्ा गर्ा था लेनकि इसे सर्ाप्त ि ीं नकर्ा गर्ा था ,क्र्ोंनक इसके
निकास के नलए अभी भी पररनस्थनिर्ाां अिक ु ू ल थीं।
साांप्रदानर्किा पर िे रू का भाषण
• र्नद खल ु ी छूट की अिर्ु नि दी जािी ै ,िो साांप्रदानर्किा,” भारि को िोड देगी।“1951
• 'साांप्रदानर्किा को फासीिाद के भारिीर् सांस्करण’ के रूप र्ें नचनत्रि करिे ुए ,उन् ोंिे अक्टूिर 1947 र्ें क ा :भारि को अि
इस ल र र्ा फासीिाद से घृणा ो र ी ै ,ि गैर-र्स ु लर्ािों के नलए िफरि का प्रत्र्क्ष पररणार् ै जो र्नु स्लर् लीग िे अपिे
अिर्ु ानर्र्ों के िीच िषों िक प्रचार नकर्ा ै।लीग िे जर्ा िी के िाऩिर्ों से फासीिाद की निचारधारा को स्िीकार नकर्ा था फासीिादी
सांगठि के निचार और िरीके अि न ांदओ ु ां र्ें भी लोकनप्रर्िा ानसल कर र े ैं और न ांदू राज्र् की स्थापिा की र्ाांग इसकी स्पष्ट
अनभव्र्नक्त ै।'
• 1951 र्ें गाांधीजी के जन्र्नदि पर, उन् ोंिे नदल्ली के श्रोिा से क ा-“र्नद कोई भी व्र्नक्त धर्ा के आधार पर दस ू रे पर प्र ार करिे के
नलए ाथ उठािा ,ै िो र्ैं उससे अपिे जीिि की अांनिर् साांस िक लडांगा, सरकार के र्नु खर्ा और आर् िागररक ोिे के अनधकार
से”।
• नदसांिर 1948 र्ें काांग्रेस के जर्परु अनधिेिि र्ें काांग्रेस और सरकार िे' भारि को िास्िि र्ें धर्ा निरपेक्ष राज्र् ििािे के नलए दृढ
सांकल्प नलर्ा था।'
• 'फरिरी 1949 र्ें उन् ों ' न ांदू राज 'की िाि को' पागल निचार 'के रूप र्ें िनणा ि नकर्ा। और उन् ोंिे 1950 र्ें अपिे दिा कों से
क ा' : र्ारा धर्ा निरपेक्ष राज्र् ै ... र् ाँ र र्स ु लर्ाि को र् र् सस ू करिा चान ए नक ि एक भारिीर् िागररक ै और एक
भारिीर् िागररक के सर्ाि अनधकार रखिा ै। अगर र् उसे ऐसा र् सूस ि ीं करा सकिे ैं ,िो र् अपिी निरासि और अपिे
देि के नलए उनचि सानिि ि ीं ोंगे।'

7
शरर्ावथियों का पनु िािस-
• स्ििांत्रिा के िाद सरकार के सर्क्ष सिसे र् त्िपूणा कार्ा र्ें
पानकस्िाि से आए िरणानथा र्ों (6 नर्नलर्ि) को पिु िाा स करिािा
और उिके जीनिका पर ध्र्ाि कें निि करिा िानर्ल था नजससे की
ि पिु ः अपिे जीिि को पटरी पर ला सके ।
• 1951 िक, पनिर्ी पानकस्िाि से िरणानथा र्ों के पिु िाा स की सर्स्र्ा
को पूरी िर से निपटा नलर्ा गर्ा था।
• पूिी िांगाल से िरणानथा र्ों के पिु िाा स का कार् इसनलए अनधक
कनठि था क्र्ोनक नक पूिी िांगाल से न ांदओ ु ां का पलार्ि िषों िक
जारी र ा। जिनक पनिर्ी पानकस्िाि के लगभग सभी न ांदू और नसख
1947 र्ें ी पलार्ि कर गए थे।
• िांगाल के निपरीि ,पनिर्ी पांजाि के अनधकाांि िरणाथी र्नु स्लर् प्रिानसर्ों द्वारा पांजाि र्े छोडी गई िडी भूनर् और सांपनि पर कधजा
कर सकिे थे, जो पांजाि, र्ू.पी .और राजस्थाि र्ें थी इसनलए इि जग पर दोिारा िसार्ा जा सकिा ै।
• पनिर् िांगाल र्ें ऐसा ि ीं था। भाषाई आत्र्ीर्िा के कारण ,पांजािी और नसांधी िरणानथा र्ों के नलए न र्ाचल प्रदेि और ररर्ाणा
और पनिर्ी र्ूपी ,राजस्थाि और नदल्ली र्ें िसिा आसाि था।
• पिू ी िांगाल के िरणानथा र्ों का पिु िाा स के िल िांगाल र्ें ो सकिा ै और कुछ द िक असर् और नत्रपरु ा र्ें भी ो सकिा ै।
पररणार्स्िरूप' ,ि ुि िडी सांख्र्ा र्ें लोग जो अपिे निस्थापि से प ले कृ नष व्र्िसार्ों र्ें लगे ुए थे ,उन् ें अधा -ि री और ि री क्षेत्रों
र्ें निम्ि श्रेणी के रूप र्ें जीनिि र िे के नलए र्जिूर थे ',और इसिे पनिर् िांगाल र्ें निधा ििा को िढािा नदर्ा
नोट -भारिीय वसविल सेिा के सरदार िारलोक वसंह पुनिािस के महावनदेशक थे।
सांिदावयकिा का बढ़ना:
• निभाजि और दांगों िे साांप्रदानर्क प्रिृनिर्ों को र्जिूि नकर्ा
• ालाांनक ,िडे पैर्ािे पर अनभर्ाि और उपार्ों से साांप्रदानर्किा को कर्जोर नकर्ा गर्ा था ,लेनकि इसे सर्ाप्त ि ीं नकर्ा जा सका ।

आवथिक पररर्ाम:
• निभाजि से क्षेत्र का असर्ाि नििरण ुआ और भारि को भूनर् के न स्से के अिपु ाि र्ें जिसांख्र्ा का अनधक िोझ साझा करिा पडा।
• निभाजि के कारण प्रिासि र्ें िानर्ल पररिारों के नलए र् आनथा क- ानि का एक निकराल स्िरुप था।
• फलिा-फूलिा जटू उद्योग निकृ ि ो गर्ा था - पिू ी िांगाल से पनिर् िांगाल को अलग करिे िाली सीर्ाओां िे पिू ी पानकस्िाि र्ें जटू
के िढिे क्षेत्रों को पनिर् िांगाल र्ें जूट नर्लों से अलग कर नदर्ा।
• भारि को िडी सांख्र्ा र्ें िरणानथा र्ों के पिु िाा स का खचा भी ि ि करिा पडा।

भारि-पावकस्िान संबंिों पर िभाि:


• निभाजि से क्षेत्र र्ें दरू गार्ी प्रभाि ुए।
• भारि-पानकस्िाि प्रनिद्वांनद्विा सार्िे आई।
• कश्र्ीर सांघषा ििाि के एक निरांिर स्रोि के रूप र्ें उभरा ,नजसके पररणार्स्िरूप कई सीर्ा सांघषा ुए।
• निरांिर ििाि का एक अन्र् स्रोि पूिी िांगाल र्ें न ांदओ
ु ां के िीच असरु क्षा की प्रिल भाििा थी जो पानकस्िाि की राजिीनिक प्रणाली
के साांप्रदानर्क चररत्र के पररणार्स्िरूप उभरा।

8
आजादी के िुरिं बाद कम्युवनस्टों द्वारा उत्पन्न चुनौवियााँ:
स्ििांत्रिा के िाद के नदिों र्ें भारि र्ें कम्र्नु िस्ट सरकार के नलए एक िडी चिु ौिी ििकर उभरे।
• आजादी के िाद ,भारि के कम्र्नु िस्टों िे र् निचार रखा नक देि को आजाद ोिा िाकी ै।
• भारिीर् कम्र्नु िस्ट पाटी(CPI) िे 1948 र्ें भारि र्ें एक सार्ान्र् क्ाांनि की िरुु आि की ,िे रू सरकार को साम्राज्र्िादी और
अधा -सार्ांिी िाकिों का प्रनिनिनध घोनषि नकर्ा।
• कम्र्नु िस्टों िे क ा नक देि को राष्ट्रिादी पूांजीपनि िगा की पकड से र्क्त ु करिे का एकर्ात्र िरीका उिके नखलाफ र्द्ध
ु छे डिा और
सिा पर कधजा करिा था।
• 1948 में कलकत्ता में आयोवजि CPI के दूसरे सम्मेलन में, भारि में कम्युवनस्ट गविविवियों के भविष्ट्य के पाठ् यक्रम पर चचाि
की गई और कृवष और औद्योवगक दोनों क्षेत्रों में भारि में क्रांवि का फैसला वकया गया।
• CPI के कार्ा क्र् के अिस ु ार, कारखािों, रेलिे, ग्रार्ीण क्षेत्रों र्ें अिाांनि, पनु लस और सेिा र्ें नििो ुआ।इस नििो र्ें छापार्ार र्द्ध

के िरीके का प्रर्ोग नकर्ा गर्ा था|
• पनिर् िांगाल ,र्िास ,असर् ,नि ार ,नत्रपरु ा , ैदरािाद और र्नणपरु राज्र् कम्र्नु िस्ट न ांसक गनिनिनधर्ों के कें ि थे।
• ैदरािाद का िेलांगािा कम्र्नु िस्टों के र्ले से सिसे अनधक प्रभानिि क्षेत्र था। िेलांगािा निजार् के भ्रष्ट िासि से प ले से ी गरीि
नकसाि पीनडि थे।
• कम्र्नु िस्टों िे भारि के अन्र् नकसाि सांघषों र्ें भी र् त्िपूणा भूनर्का निभाई ,जैसे पनटर्ाला र्ें पनटर्ाला र्ज ु ारा आांदोलि ,पनिर्
िांगाल र्ें िक्सलिाडी आांदोलि और आांध्र प्रदेि र्ें श्रीकाकुलर् आनद |
• उन् ोंिे ि री और औद्योनगक अिाांनि के सभी रूपों को उिेनजि करिे और उिका फार्दा उठािे के नलए सभी प्रर्ास नकए।

कम्यवु नस्टो पर नेहरू की पहल:


• िे रू CPI की िीनि और गनिनिनधर्ों के अत्र्नधक आलोचक थे।
• िे रू िे नप्रिेंिि नडटेंिि एक्ट लार्ा ,नजसके पररणार्स्िरूप
उिके िेिाओां सन ि िडी सांख्र्ा र्ें कम्र्नु िस्टों को नगरफ्िार
और न रासि र्ें नलर्ा गर्ा।
• ालाांनक ,उन् ोंिे सीपीआई पर प्रनििांध लगािे का निरोध
नकर्ा जि िक उन् ें लगा नक इसकी न ांसक गनिनिनधर्ों का
पर्ाा प्त सिूि ि ीं ै। उन् ोंिे के िल पनिर् िांगाल और र्िास र्ें
CPI पर प्रनििांध लगािे की अिुर्नि दी ज ाां र् सिसे अनधक
सनक्र् था।
• िे रू कम्र्नु िस्टों के िनु िर्ादी सार्ानजक-आनथा क उद्देश्र्ों के
साथ थे और उिका र्ाििा था नक उिकी राजिीनि और न ांसक गनिनिनधर्ों का र्क ु ािला करिे का सिसे अच्छा िरीका आनथा क
और अन्र् सधु ारिादी उपार्ों के र्ाध्र्र् से लोगों के असांिोष को दरू करिा था।
• CPI द्वारा सिस्त्र सांघषा छोडिे का निणा र् लेिे के िाद ,िे रू िे सनु िनिि नकर्ा नक CPI को र जग िैध ििार्ा जाए और उसके
िेिाओां और कै डरों को रर ा नकर्ा गर्ा।

ररयासिों का एकीकरर्-

9
• आजादी के दौराि ,भारि के भीिर ररर्ासिों का एकीकरण सांभििः राजिीनिक िेित्ृ ि द्वारा सार्िा नकर्ा गर्ा सिसे र् त्िपणू ा कार्ा
था। औपनििेनिक भारि र्ें ,लगभग %40 क्षेत्र पर उि 565 छोटे और िडे राज्र्ों का कधजा था ,नजि पर राजे-रजिाडे का िासि
था ,नजन् ोंिे निनटि राज प्रणाली के ि ि स्िार्ििा की उपलनधध प्राप्त की थी।
• अांग्रेजों के चले जािे के िाद 565 ,ररर्ासिों र्ें से कई
िे स्ििांत्रिा के सपिे देखिा िरू ु कर नदर्ा। उन् ोंिे
दािा नकर्ा था नक भारि और पानकस्िाि के िए राज्र्ों
र्ें सिोपरर को स्थािाांिररि ि ीं नकर्ा जा सकिा ै।
• 20 फरिरी, 1947 को ित्कालीि निनटि PM क्लेर्ेंट
एटली की घोषणा से इिकी र् त्िाकाांक्षाओां को िल
नर्ला था नक "र् ार्न र् सरकार निनटि भारि की
नकसी भी सरकार के नलए अपिी िनक्तर्ों और दानर्त्िों
को सौंपिे का इरादा ि ीं रखिी ै"।
• M.A. नजन्िा ,नजन् ोंिे सािा जनिक रूप से 18 जूि
1947को घोषणा नक' राज्र् सिोपरर की सर्ानप्त पर
स्ििांत्र सांप्रभु राज्र् ोंगे 'और' र्नद िे चा ें िो स्ििांत्र
र िे के नलए आजाद ै ।'
• ालाँनक ,निनटिों िे अपिे कथि को कुछ द िक
िदल नदर्ा था ,और इांनडपेंडेंस ऑफ इांनडर्ा निल पर
अपिे भाषण र्ें ,एटली िे क ा" ,र् र् ार्न र् की
सरकार की आिा ै नक सभी राज्र्ों को एक र्ा दूसरे
र्ा निनटि राष्ट्रर्ांडल के भीिर उनचि स्थाि नर्लेगा।“
• भारिीर् राष्ट्रिादी िार्द ी ऐसी नस्थनि को स्िीकार कर सकिे ैं ज ाँ आजाद भारि र्े सैकडों िडे र्ा छोटे स्ििांत्र र्ा स्िार्ि
राज्र्ों से इसकी सांप्रभिु ा ख़िरे र्ें ो।
• इसके अलािा ,राज्र्ों के लोगों िे उन्िीसिीं सदी के अांि से राष्ट्र-निर्ाा ण की प्रनक्र्ा र्ें भाग नलर्ा था और भारिीर् राष्ट्रिाद की
र्जिूि भाििाओां को निकनसि नकर्ा था।
• स्िाभानिक रूप से ,निनटि भारि और राज्र्ों र्ें राष्ट्रिादी िेिाओां िे नकसी भी राज्र् के स्ििांत्रिा को ििाए रखिे के दािे को खाररज
कर नदर्ा और िार-िार र् घोनषि नकर्ा नक एक ररर्ासि के नलए स्ििांत्रिा कोई निकल्प ि ीं था - एकर्ात्र निकल्प र् ोिा चान ए
नक ि राज्र् भारि र्ा पानकस्िाि को स्िीकार करेगा जो उिके अपिे क्षेत्र की आकनस्र्किा और अपिे लोगों की इच्छाओां पर
आधाररि ोगा ।
• िास्िि र्ें ,राष्ट्रीर् आांदोलि के दौराि िक र् र्ािा गया था नक राजिीनिक िनक्त एक राज्र् के लोगों से सांिांनधि थी ि नक उसके
िासक के नलए और र् राज्र्ों के लोग भारिीर् राष्ट्र का अनभन्ि अांग थे।
• इसके साथ ी, स्टेट्स पीपल्ु स काांफ्रेंस(States’ peoples’ conference) के िेित्ृ ि र्ें राज्र्ों के लोग प ले के निपरीि इस िार
चरर्पांथी थे, और िे भारि के साथ एक लोकिाांनत्रक राजिीनिक व्र्िस्था और एकीकरण की र्ाांग कर र े थे।
भारि में ररयासिों का ििेश-

• 27 जूि, 1947 को, सरदार पटेल िे िि निनर्ा ि राज्र् निभाग का अनिररक्त प्रभार सांभाला िथा िीपी र्ेिि को इसका सनचि ििार्ा।

10
• पटेल, राज्र्ों के िासकों की सांभानिि घस ु पैठ से भारिीर् एकिा को ोिे िाले
खिरे से पूरी िर अिगि थे। उन् ोंिे उस सर्र् र्ेिि से क ा नक 'नस्थनि काफी
खिरिाक ै और र्नद र् इसे िुरिां और प्रभािी रूप से ि ीं सांभालिे, िो
िार्द र्ारी र्े िि से अनजा ि स्ििांत्रिा राज्र्ों के द्वारा छीि ली जाएगी ।
• सरकार का दृविकोर् िीन विचारों द्वारा वनदेवशि था -
➢ अनधकाांि ररर्ासिों के लोग स्पष्ट रूप से भारिीर् सांघ का न स्सा िििा
चा िे थे।
➢ कुछ क्षेत्रों र्ें स्िार्ििा देिे के नलए, सरकार सर्झौिा करिे के नलए िैर्ार थी। उिका निचार था की ि ुलिा को सर्ार्ोनजि
नकर्ा जार्े और क्षेत्रों की र्ाांगों से निपटिे के नलए एक लचीले दृनष्टकोण को अपिार्ा जार्े।
➢ निभाजि की पृष्ठभूनर् र्ें, राष्ट्र की क्षेत्रीर् सीर्ाओां के एकीकरण और सर्ेकि िे सिोच्च र् त्ि ग्र ण नकर्ा था।
भारि में ररयासिों के एकीकरर् की िवक्रया-
सरदार पटेल की भवू मका-
• पटेल िे ि ुि सारी,दाििों का आर्ोजि ज ाां उन् ोंिे राजघरािे के र्े र्ािों से अिरु ोध नकर्ा नक िे भारि के िए सांनिधाि ििािे र्ें
काांग्रेस की र्दद करें।
• पटेल का प ला कदर् उि ररर्ासिों से अपील करिा था नजिके क्षेत्र
भारिीर् क्षेत्रो के अांदर आिे ैं, नजससे उिके िीि निषर्ों अथाा ि्
निदेिी सांिांधों, रक्षा और सांचार को भारिीर् सांघ र्ें सनम्र्नलि नकर्ा
जा सके , क्र्ोंनक इिसे देि के सर्ान्र् न ि प्रभानिि ोिे ैं ।
• उन् ोंिे, 15 अगस्ि, 1947 , के िाद व्र्ाकुल और अधीर लोगों को,
उिके द्वारा िा रोक पािे के खिरे की आिांका भी जिार्ी। राज्र्ों को
अराजकिा और अव्र्िस्था के निन ि खिरों के निषर् र्ें एक अपील
जारी की गई थी ।
• र् ाि कौिल और कुिल कूटिीनि के साथ अििु र् और दिाि दोिों का उपर्ोग करिे ुए, सरदार पटेल िे सैकडों ररर्ासिों को
एकीकृ ि करिे र्ें सफलिा ानसल की। कुछ ररर्ासिें सांनिधाि सभा र्ें देिभनक्त, ज्ञाि और र्थाथा िाद, के साथ िानर्ल ुई ां, लेनकि
कुछ ररर्ासिें अभी भी इसर्ें िानर्ल ोिे के पक्ष ि ीं थीं।
• पटेल का अगला कदर् र्ाउांटिेटि को इस कार् के नलए राजी करिा था। र्ाउांटिेटि के चैंिर ऑफ नप्रांसेस के 25 जल ु ाई के भाषण र्ें
आनखरकार ररर्ासिों को र्िा नलर्ा।
• इस भाषण को भारि र्ें र्ाउांटिेटि के सिसे र् त्िपणू ा कृ त्र् के रूप र्ें स्थाि नदर्ा गर्ा। इसके िाद , िीि ररर्ासि को छोडकर लगभग
सभी राज्र्ों िे “निलर् के प्रारूप” (इांस्रर्ेंट ऑफ एक्सेिि) पर स्िाक्षर नकए।

कुछ को छोड़कर सभी त्रावणकोर, भोपाल और


सरदार पटे ल द्वारा चैंबर ऑफ प्रिंसेस में
राज्यों ने प्वलय के रारूप जोधपरु भारतीय सिंघ में
ररयासतों का अनस
ु रण माउिं टबेटन भाषण
पर हस्ताक्षर ककए शाममल हो गए

भारत में जन
ू ागढ़,
हैदराबाद, मणणपरु और भारत में गोवा का पररग्रहण
कश्मीर का प्वलय

11
1947 से पहले महत्िपर्
ू ि राज्यों का विलय-
• त्रािर्कोर→त्रािणकोर, र् ाराजा नचनथरा नथरुिल के अधीि था, लेनकि इसके िास्िनिक िासक दीिाि सीपी रार्ास्िार्ी अय्र्र
थे। सीपी अय्र्र पर र्ला ुआ, और उसके िाद त्रािणकोर के र् ाराजा िे सरकार को िोला नक िे निलर् के नलए िैर्ार ैं।

• जोिपरु →एक र्िु ा न दां ू ििांि नसां ि ाां के राजा थे। सीर्ा से निकटिा ोिे के कारण इसका पररग्र ण एक गांभीर र्द्दु ा था।
नजन्िा िे भी उन् ें र्िा नलर्ा था, लेनकि पटेल के अत्र्नधक दिाि के कारण आनखरकार उन् ोंिे निलर् के प्रारूप पर स्िाक्षर कर
नदए।

भोपाल→ मुख्यरूप से न ांदू आिादी िाला राज्र् लेनकि िासक िीिल्ु ला खाि को नजन्िा द्वारा सर्था ि प्राप्त था। भोपाल के िासक
के नखलाफ नििो ुआ, उन् ोंिे पटेल और साम्र्िादी आिादी के दिाि का सार्िा नकर्ा और आनखरकार “निलर् के प्रारूप” पर स्िाक्षर
कर नदए।

12
1947 के बाद शेष भारिीय राज्यों का ििेश-

1) जूनागढ़
• जिू ागढ, सौराष्ट्र के िट पर भारिीर् क्षेत्र से नघरा ुआ एक छोटा सा राज्र् था,
इसनलए इसका पानकस्िाि के साथ नकसी भी प्रकार से भौगोनलक सानन्िध्र् ि ीं
था। नफर भी, इसके ििाि िे 15 अगस्ि 1947 को अपिे राज्र् को पानकस्िाि र्ें
निलर् करिे की घोषणा की, ालाांनक राज्र् के अनधकिर लोग न ांदू ोिे के कारण
भारि र्ें िानर्ल ोिे के इच्छुक थे।
• इस दृनष्टकोण के निरुद्ध जाकर पानकस्िाि िे जूिागढ के निलर् को स्िीकार कर
नलर्ा। दसू री ओर, राज्र् के लोगों िे िासक के इस फै सले को स्िीकार ि ीं नकर्ा।
• उन् ोंिे एक लोकनप्रर् आांदोलि का आर्ोजि नकर्ा, ििाि को भागिे के नलए र्जिूर
नकर्ा और एक अल्पकालीि सरकार की स्थापिा की। जूिागढ के दीिाि, िा
ििाज भट्टु ो (जनु ल्फकार अली भट्टु ो के नपिा) िे अि स्िक्षेप करिे के नलए भारि सरकार को आर्ांनत्रि करिे का फै सला नकर्ा।
• फरिरी 1948 र्ें राज्र् र्ें एक जिर्ि सांग्र ुआ जो भारि र्ें िानर्ल ोिे के भारी पक्ष र्ें था।

2) जम्मू और कश्मीर
• कश्र्ीर राज्र् की सीर्ा भारि और पानकस्िाि दोिों र्ें ै। इसके िासक रर नसां
एक न ांदू थे, जिनक लगभग 75 प्रनििि आिादी र्नु स्लर् थी। रर नसां िे भी
भारि र्ा पानकस्िाि नकसी र्ें प्रिेि ि ीं नकर्ा।
• भारि र्ें लोकिांत्र और पानकस्िाि र्ें साांप्रदानर्किा के डर से उन् ोंिे दोिों देिों
से िा र र िे और एक स्ििांत्र िासक के रूप र्ें सिा को जारी रखिे की आिा
व्र्क्त की।
• ालाांनक, िेििल कॉन्फ्रेंस और उसके िेिा िेख अधदल्ु ला के िेिृत्ि िाली
लोकनप्रर् राजिीनिक िाकिें भारि र्ें िानर्ल ोिा चा िी थीं।
• भारिीर् राजिीनिक िेिाओां िे कश्र्ीर के पररग्र ण को प्राप्त करिे के नलए कोई कदर् ि ीं उठार्ा और अपिे सार्ान्र् दृनष्टकोण के
अिरू ु प िे चा िे थे नक कश्र्ीर के लोग र् िर् करें नक िे भारि र्ा पानकस्िाि र्ें से नकसके के साथ अपिे भाग्र् को जोडिा चा िे
ैं ।

13
• लेनकि पानकस्िाि िे पररग्र ण का निणा र् लेिे के नलए जिर्ि-सांग्र के नसद्धाांि को अस्िीकारा और साथ ी जम्र्ू और कश्र्ीर पर
एक आक्ार्क र्ला नकर्ा।
कश्मीर पर पावकस्िान का हमला-
o 22 अक्टू बर को सनदा र्ों की िरुु आि के सर्र्, पानकस्िािी सेिा के
अनधकाररर्ों िे कई पठाि आनदिानसर्ों का अिौपचाररक रूप से िेिृत्ि
नकर्ा, इि पठाि आनदिानसर्ों िे कश्र्ीर पर आक्र्ण नकर्ा और िेजी
से कश्र्ीर की राजधािी श्रीिगर की ओर िढे।
o र् ाराजा की कर् प्रनिनक्षि सेिा र्लािर सेिाओां का सार्िा करिे र्ें
सक्षर् ि ीं थी, अिः घिरा ट के कारण, 24 अक्टूिर को, र् ाराजा िे
भारि से सैन्र् स ार्िा के नलए अपील की।
भारि सरकार की िविवक्रया-
• नेहरू , इस अिस्था र्ें भी, लोगों की इच्छा का पिा लगाए नििा पररग्र ण करिे के पक्ष र्ें ि ीं थे। लेनकि गििा र-जिरल, र्ाउांटिेटि
िे ििार्ा नक अांिराा ष्ट्रीर् कािूि के ि ि, भारि र्ें राज्र् के औपचाररक रूप से पररग्र ण के िाद ी भारि अपिे सैनिकों को कश्र्ीर
भेज सकिा ै।
• शेख अब्दुल्ला और सरदार पटेल िे भी पररग्र ण पर जोर नदर्ा। इसनलए, 26 अक्टूिर को, र् ाराजा िे भारि र्ें निलर् नकर्ा और
अधदल्ु ला को राज्र् के प्रिासि के प्रर्ख ु के रूप र्ें स्थानपि करिे के नलए भी स र्ि ुए।
• भले ी िेििल कॉन्फ्रेंस और र् ाराजा दोिों, भारि र्ें दृढ और स्थार्ी रूप से प्रिेि चा िे थे, लेनकि अपिी लोकिाांनत्रक प्रनििद्धिा
और र्ाउांटिेटि की सला के अिरू ु प भारि िे घोषणा की नक, घाटी र्ें िाांनि और कािूि एिां व्र्िस्था के स्थानपि ोिे के िाद, ि
पररग्र ण के निणा र् पर एक जिर्ि सांग्र आर्ोनजि करेगा।
• इसनलए, 27 अक्टूिर को लगभग 100 निर्ािों िे र्लािरों के नखलाफ लडाई र्ें िानर्ल ोिे के नलए श्रीिगर र्ें सेिा और नथर्ारों
को एर्रनलफ्ट नकर्ा। प ले श्रीिगर को कधजे र्ें नलर्ा गर्ा और नफर र्लािरों को धीरे-धीरे घाटी से िा र निकाल नदर्ा गर्ा था,
ालाांनक उन् ोंिे राज्र् के कुछ न स्सों पर निर्ांत्रण ििाए रखा और र् ीिों िक सिस्त्र सांघषा जारी र ा।
वनष्ट्कषि-
• भारि और पानकस्िाि के िीच पूणा र्द्ध ु के खिरों से भर्भीि, भारि सरकार िे 30 नदसांिर 1947 को र्ाउांटिेटि के सझ ु ाि पर,
कश्र्ीर सर्स्र्ा को, सांर्क्त
ु राष्ट्र की सरु क्षा पररषद र्ें भेजिे का निणा र् नलर्ा,िथा पानकस्िाि से आक्ार्किा खत्र् करिे की र्ाँग
की।
• िे रू को िाद र्ें इस फै सले पर पछिािा करिा पडा, क्र्ोंनक पानकस्िाि
द्वारा आक्ार्किा पर ध्र्ाि देिे के िजार्, निटेि और सांर्क्त ु राज्र्
अर्ेररका द्वारा निदेनिि सरु क्षा पररषद िे पानकस्िाि का साथ नदर्ा। भारि
की निकार्ि को अिदेखा करिे ुए, इसिे 'कश्र्ीर सर्स्र्ा' को 'भारि-
पानकस्िाि नििाद' से प्रनिस्थानपि कर नदर्ा।
• इसिे कई प्रस्िािों को पाररि नकर्ा, लेनकि पररणार् र् था नक भारि
और पानकस्िाि दोिों िे, अपिे एक सांकल्प के अिस ु ार, 3 नदसांिर 1948
को र्द्ध
ु निरार् स्िीकार कर नलर्ा था जो अि भी कार्र् ै और राज्र्
प्रभािी रूप से “र्द्ध
ु निरार् रेखा” के द्वारा निभानजि था।

14
• 1951 र्ें, UN िे एक प्रस्िाि पाररि नकर्ा नक र्नद पानकस्िाि अपिे द्वारा निर्ांनत्रि कश्र्ीर के न स्से से अपिे सैनिकों को टा ले
िो उसके िाद, UN अपिी निगरािी र्ें एक जिर्ि सांग्र करिाएगा।
• र् प्रस्िाि िि से निष्ट्फल ििा ुआ ै जि पानकस्िाि िे अपिी सेिा को आजाद कश्र्ीर से िापस लेिे से इिकार कर नदर्ा। िि
से कश्र्ीर, भारि और पानकस्िाि के िीच र्ैत्रीपूणा सांिांधों की रा र्ें र्ख्ु र् िाधा ििा ुआ ै।

नटप्पणी - िे रू, को सांर्क्त


ु राष्ट्र से न्र्ार् नर्लिे की उम्र्ीद थी, उन् ोंिे फरिरी 1948 र्ें निजर्लक्ष्र्ी पांनडि को नलखे एक पत्र र्ें अपिी
निरािा व्र्क्त की नक, "र्ैं सोच भी ि ीं सकिा था नक सरु क्षा पररषद सांभििः ऐसा िुच्छ और पक्षपािपूणा व्र्ि ार कर सकिी ै, जैसा
इसिे नकर्ा। इि लोगों को दनु िर्ा को एक क्र् र्ें रखिा चान ए। र् आिर्ा की िाि ि ीं ै नक दनु िर्ा टुकडों िांटी र्ें जा र ी ै। सांर्क्त ु
राज्र् अर्ेररका और निटेि िे एक गांदी भूनर्का निभाई ै, पदे के पीछे का र्ख्ु र् अनभिेिा िार्द निटेि ी ै। ”
3) हैदराबाद
• दै रािाद भारि का सिसे िडा राज्र् था और परू ी िर से भारिीर् क्षेत्र
से नघरा ुआ था। ैदरािाद का नि़िार् िीसरा भारिीर् िासक था,
नजसिे 15 अगस्ि से प ले भारि र्ें प्रिेि ि ीं नकर्ा था।
• परु ािे ैदरािाद राज्र् के कुछ न स्से आज र् ाराष्ट्र, किाा टक और
आांध्रप्रदेि के न स्से ैं। इसके िासक को "नि़िार्" क ा जािा था और
िे अपिे सर्र् के सिसे अर्ीर आदर्ी थे।
• नि़िार् का निर्र् अन्र्ार्पूणा और अत्र्ाचारी था और उसके पास
र्जनलस-ए-इिे ाद-उल र्नु स्लर्ीि र्ा MIM(र्नु स्लर्ों की र्ूनिर्ि की
पररषद) थी, जो भारि र्ें र्स ु लर्ािों के न िों की रक्षा के नलए एक
र्नु स्लर् राजिीनिक पाटी थी। MIM िे भारि के साथ एकीकरण करिे
के िजार् र्नु स्लर् प्रभत्ु ि की स्थापिा करिे की िकालि की।
• निजार् र्ीर उस्र्ाि अली दै रािाद को एक स्ििांत्र राज्र् का दजाा नदलािा चा िे थे।

वनजाम मीर उस्मान अली


• लेनकि पटेल िे र् स्पष्ट नकर्ा नक भारि 'एक अलग स्थाि' को
िदाा श्ि ि ीं करेगा क्र्ोंनक र् र्ारे कनठि पररश्रर् द्वारा ििाए गए
सांघ को िष्ट कर देगा।
• ििांिर 1947 र्ें, भारि सरकार िे नि़िार् के साथ एक स्टैंड-नस्टल
(ठ राि) सर्झौिे पर स्िाक्षर इस उम्र्ीद के साथ नकर्े नक िािाा
आगे िढिे के िाद राज्र् र्ें प्रनिनिनध सरकार का पररचर् ोगा,
नजससे निलर् का कार् आसाि ो जाएगा। लेनकि नि़िार् की अन्र्
र्ोजिाएँ थीं।

15
• उन् ोंिे अपिी ओर से भारि सरकार के साथ िािचीि करिे के नलए प्रर्ख ु निनटि िकील सर िाल्टर र्ोिके टि, (र्ाउांटिेटि के एक
दोस्ि) की सेिाओां का स ारा नलर्ा।
• नि़िार् को िािाा को लम्िा खींचिे की उम्र्ीद थी िानक इस िीच ि अपिी सैन्र् िनक्त का निर्ाा ण कर सके और भारि को अपिी
सांप्रभिु ा स्िीकार करिे के नलए र्जिूर कर सके ; र्ा, कश्र्ीर को लेकर भारि और पानकस्िाि के िीच ििाि को देखिे ुए, ि
िैकनल्पक रूप से पानकस्िाि र्ें िानर्ल ो सके ।
• इस िीच, राज्र् के भीिर अन्र् िीि राजिीनिक घटिाक्र् ुए। उग्रिादी र्नु स्लर् साांप्रदानर्क सांगठि की िासकीर् र्दद से राज्र् र्ें
िेजी से निकास ुआ। ।
रजाकार
• नफर, 7 अगस्ि 1947 को ैदरािाद राज्र् काांग्रेस द्वारा निजार् पर
लोकिांत्रीकरण करिे के दिाि को ििािे के नलए एक सत्र्ाग्र आांदोलि
िरूु नकर्ा गर्ा। लगभग 20,000 सत्र्ाग्रन र्ों को जेल र्ें डाल नदर्ा
गर्ा। राज्र् के अनधकाररर्ों और रजाकारों द्वारा नकए गए र्लों और
दर्ि के पररणार्स्िरूप, जारों लोग राज्र् से भाग गए और भारि के
अस्थार्ी निनिरों र्ें िरण ली। राज्र् काांग्रेस के िेिृत्ि िाले आांदोलि िे
अि नथर्ार उठा नलर्े।
• 1946 के अांनिर् र् ीिों से अि िक, राज्र् के िेलांगािा क्षेत्र र्ें एक
िनक्तिाली कम्र्नु िस्ट िेित्ृ ि िाले नकसाि सांघषा का निकास ो चक ु ा
था। 1946 के अांि िक राज्र् के गांभीर दर्ि के कारण क्षीण ुए इस
आांदोलि िे अपिे जोि को पिु जाा गिृ करके , नकसाि दलर् (झडांु ) द्वारा
रजाकारों के र्लों के नखलाफ, लोगों की सरु क्षा का आर्ोजि नकर्ा गर्ा

• जिू 1948 िक, नि़िार् के साथ िािचीि काफी लम्िी नखांचिे के कारण
सरदार पटेल ि ुि व्र्ग्र ो र े थे। उन् ोंिे दे रादूि से िे रू को एक पत्र
नलखा नजसर्ें उन् ोंिे ैदरािाद को भारि र्ें निलर् करिे के नलए सैन्र्
कारा िाई की सला दी।
• अांि र्ें, 13 नसिांिर 1948 को, भारि सरकार िे ऑपरेशन पोलो (नजसे ैदरािाद पनु लस एक्िि भी क ा जािा ै) िरू ु नकर्ा और
भारिीर् सेिा को ैदरािाद भेजा गर्ा । निजार् िे िीि नदिों के िाद आत्र्सर्पा ण कर नदर्ा और ििांिर र्ें भारिीर् सांघ र्ें िानर्ल ो
गर्ा।
• भारि सरकार िे उदार र िे और नि़िार् को स़िा िा देिे का फै सला नलर्ा। सरकार िे उसे राज्र् के पूिा औपचाररक िासक र्ा
राजप्रर्ख ु के रूप र्ें ििाए रखा, उसे पाँच नर्नलर्ि रुपर्े का एक निजी अिदु ाि नदर्ा गर्ा और अपिी अनधकाांि धि सांपनि रखिे
की अिर्ु नि भी दी गर्ी।
• ैदरािाद के प्रिेि के साथ, भारिीर् सांघ र्ें ररर्ासिों का निलर् का कार्ा परू ा ो गर्ा, और सांपणू ा भारि भारि सरकार के अांिगा ि
आ गर्ा|
• ैदरािाद प्रकरण िे भारिीर् धर्ा निरपेक्षिा की एक और निजर् को नचनिि नकर्ा। ि के िल ैदरािाद र्ें िडी सांख्र्ा र्ें र्नु स्लर्, नि़िार्
निरोधी सांघषा र्ें िानर्ल ुए िनल्क देि के िाकी न स्सों के र्ुसलर्ािों िे भी पानकस्िाि के िेिाओां और नि़िार् के निघटि के नलए,
सरकार की िीनि और कारा िाई का सर्था ि नकर्ा था।
• 28 नसिांिर को पटेल िे सु रािदी को खिु ी-खिु ी नलखा था नक, भारिीर् सांघ के र्स ु लर्ािों का ैदरािाद के निषर् र्ें, खल ु े र्ें आकर
र्ारी ओर से लडिा निनिि रूप से देि र्ें एक अच्छी छाप छोडिा ै।

16
4) मवर्परु
• र्नणपरु के र् ाराजा िोधचांि नसां िे, भारि सरकार के साथ र्नणपरु की
आांिररक स्िार्ििा ििाए रखिे के आश्वासि से “निलर् के प्रारूप” पर
स्िाक्षर नकए।
• जििा की रार् के दिाि के कारण, र् ाराजा िे जूि 1948 र्ें र्नणपरु र्ें
चिु ाि कराए और इस प्रकार राज्र् एक सांिैधानिक राजिांत्र िि गर्ा।
• र्नणपरु “सािा भौनर्क िर्स्क र्िानधकार” के आधार पर चिु ाि करािे
िाला भारि का प ला राज्र् था। भारि के साथ र्नणपरु के निलर् को
लेकर कुछ र्िभेद थे।
• राज्र् काांग्रेस इसके पक्ष र्ें थी, लेनकि अन्र् राजिीनिक दलों िे इस
दृनष्टकोण का निरोध नकर्ा।
• भारि सरकार िे नसिांिर 1949 र्ें र्नणपरु की लोकनप्रर् निधाि सभा से परार्िा नकर्े नििा ी, निलर् सर्झौिे पर स्िाक्षर करािे
के नलए र् ाराजा पर दिाि ििािे र्ें सफलिा ाांनसल की। इससे र्नणपरु र्ें ि ुि गस्ु सा और आक्ोि पैदा ुआ, नजसके पररणार् अभी
भी र् सूस नकए जा र े ैं।
एकीकरर् के बाद -
िए भारिीर् राष्ट्र र्ें, ररर्ासिों के पणू ा एकीकरण का दस
ू रा और अनधक कनठि चरण,
नदसांिर 1947 र्ें िरू ु ुआ।
• सरदार पटेल एक िार नफर िेजी के साथ आगे िढ और इस प्रनक्र्ा को साल
के भीिर पूरा कर नलर्ा गर्ा।
• छोटे राज्यों को र्ा िो पडोसी राज्र्ों र्ें निलर् कर नदर्ा गर्ा र्ा एक साथ
निलनर्ि करके कें ि प्रिानसि क्षेत्र ििा नदए गए।
• अनधकिर को, पाांच िए सांघों- र्ध्र् भारि, राजस्थाि, पनटर्ाला और पिू ी पांजाि
राज्र्ों के सांघ (PEPSU), सौराष्ट्र और त्रािणकोर-कोचीि, र्ें सर्ेनकि नकर्ा
गर्ा; र्ैसूर, ैदरािाद और जम्र्ू और कश्र्ीर अपिे र्ूल स्िरूप को ििार्े रखिे
ुए सांघ के अलग-अलग राज्र् ििे।
• प्रर्ख ु राज्र्ों के िासकों को अपिी सभी िनक्त और अनधकार के आत्र्सर्पा ण
के िदले र्ें, सदा के नलए सभी करों से र्क्त ु “वििी पसि” (एक भगु िाि, जो िा ी पररिारों को भारि के साथ निलर् पत्र पर स्िाक्षर
करिे पर नदर्ा जािा था) नदए गए थे।
• नप्रिी पसा 1949 र्ें 4.66 करोड रुपर्े की थी और िाद र्ें सांनिधाि द्वारा इसकी पुनष्ट की गई थी।
• िासकों को गद्दी के उिरानधकार की अिर्ु नि दी गई थी और कुछ नििेषानधकारों को ििाए रखिे नदर्ा गर्ा था जैसे नक उपिार्ों कों
को रखिा, व्र्नक्तगि झांडों को फ रािा और औपचाररक अिसरों पर िांदक ू की सलार्ी देिा आनद ।
• उस सर्र् और िाद र्ें भी, प्रधािों को दी गर्ी इि ररर्ार्िों की आलोचिा की गई थी। लेनकि, स्ििांत्रिा और निभाजि के ठीक िाद
के कनठि सर्र् को ध्र्ाि र्ें रखिे ुए ररर्ासिों की िनक्त निलप्तु करिे और देि के िाकी राज्र्ों के साथ िरुु आिी और आसाि क्षेत्रीर्
और राजिीनिक एकीकरण के नलए भगु िाि की गर्ी िार्द र् एक छोटी सी कीर्ि थी।
• निस्सांदे , राज्र्ों के एकीकरण िे, र्ारे उि क्षेत्रों के िक
ु साि की भरपाई की जो र्ारी जर्ीि और जििा द्वारा पानकस्िाि का गठि
करिे ैं।
• र् आांनिक रूप से निनिि ी 'निभाजि के घािों' को ठीक करिे का कार्ा करिा ै।

17
फ्रेंच द्वारा अविकृि भारिीय क्षेत्रों पररग्रहर्

फ्रांस
• पनु डचेरी, कराईकल, कोरोर्ांडल िट पर र्िर्(आांध्र प्रदेि), र्ालािार िट पर र्ा े िथा िांगाल र्ें चांििगर, फ्रेंच के अनधकार क्षेत्रों र्ें थे

• फ्राांसीसी अनधकारी अनधक िकासांगि थे,उन् ोंिे 1954 र्ें लांिे सर्र् िक िािाा के िाद पनु डचेरी और अन्र् फ्राांसीसी सांपनिर्ों को
भारि को सौंप नदर्ा ।
पिु िगाली (1961)
• पिु ा गाल के अनधकार क्षेत्रों र्ें, गोिा एक राजधािी के रूप र्ें, दर्ि और दीि
िथा दादरा और िगर िेली िानर्ल थे ।
• पिु ा गानलर्ों िे पिु ा गाल के िाटो स र्ोनगर्ों के रूप र्ें र िे का निधाा रण नकर्ा।
निटेि और अर्रीका, इस नििो ी रिैर्े का सर्था ि करिे के नलए िैर्ार थे।
• भारि सरकार, िाांनिपूणा िरीकों से राष्ट्रों के िीच के नििादों को सल ु झािे की
िीनि से प्रनििद्ध ोिे के कारण, गोिा और अन्र् पिु ा गाली उपनििेिों को र्क्त ु
करिे के नलए सैन्र् कदर् उठािे को िैर्ार ि ीं थी।
• गोिा के लोगों िे र्ार्लों को अपिे ाथों र्ें ले नलर्ा और पिु ा गानलर्ों से
आजादी की र्ाांग करिे के नलए एक आांदोलि िरू ु नकर्ा, लेनकि इस
आन्दोलि को िथा भारि से गोिा र्ें गए अन ांसक सत्र्ाग्रन र्ों के प्रर्ासों को क्ूरिापूिाक दिा नदर्ा गर्ा । अांि र्ें, पिु ा गाल पर दिाि
ििािे के नलए, अांिरराष्ट्रीर् सम्र्नि का धैर्ापूिाक इांिजार करिे के िाद,िे रू िे, भारिीर् सैनिकों को 17 नदसांिर 1961 की राि
“ऑपरेिि निजर्” के ि ि गोिा र्ें र्ाचा करिे का आदेि नदर्ा।
• गोिा के गििा र-जिरल िे नििा नकसी लडाई के
िरु िां आत्र्सर्पा ण कर नदर्ा और भारि का
क्षेत्रीर् और राजिीनिक एकीकरण पूरा ो गर्ा,
भले ी ऐसा करिे र्ें चौद साल लग गए ों।

18
औपवनिेवशक विरासि और राष्ट्रीय आंदोलन

औपवनिेवशक विरासि-
• भारि के औपनििेनिक अिीि िे 1947 के िाद भी भारि के निकास र्ें अत्र्नधक स र्ोग नदर्ा ै। भारि के आनथा क क्षेत्रों को , निनटि
िासि के दौराि काफी िदल नदर्ा था। लेनकि जो पररििा ि ुए, िे के िल ए.गौंडर फ्रैंक (A.Gunder Frank ) द्वारा “अल्पनिकनसि
का निकास”(“Develpoment of underdeveloped”) र्ें िनणा ि नकए गए ैं।
• कृ नष, उद्योग, पररि ि और सांचार, निि, प्रिासि, निक्षा, और आनद र्ें नकर्े गए र्े पररििा ि स्िर्ां र्ें सकारात्र्क थे जैसे, उदा रण
के नलए रेलिे का निकास।
• लेनकि औपनििेनिक ढाांचे के न स्से के रूप र्ें कार् करिे ुए, िे अनिकनसििा की प्रनक्र्ा से अनिभाज्र् ो गए।
• इसके अलािा, उन् ोंिे औपनििेनिक आनथा क ढाांचे को उभारिे का िेिृत्ि नकर्ा, नजसिे गरीिी, निटेि पर निभा रिा और अधीििा
उत्पन्ि की।
बुवनयादी विशेषिाएं - भारि र्ें औपनििेनिक सांरचिा की चार िनु िर्ादी नििेषिाएां थीं।

1. विश्व के साथ भारिीय अथिव्यिस्था का एकीकरर्:

ववश्व के साथ
भारतीय
अथथव्यवस्था का
एकीकरण

औपनिवेशिक उत्पादि और श्रम


औपनिवेशिक राज्य
ववरासत की के ववभाजि की
की भूशमका
मूल वविेषताएं अिोखी संरचिा

आर्थथक वपछडापि

• उपनििेििाद िे, निश्व पज ूँ ीिादी व्र्िस्था के साथ भारि की अथा व्र्िस्था का, एक उपिगरीर् नस्थनि के रूप र्ें, पूणा लेनकि जनटल
एकीकरण का िेित्ृ ि नकर्ा।
• 1750 के दिक के िाद से, भारि के आनथा क न िों को निटेि के अधीि नकर्ा गर्ा। इसका एक र् त्िपूणा प लू र् ै नक, ऐसा करिा
निश्व अथा व्र्िस्था के साथ एकीकरण के नलए अपरर ार्ा था और स्ििांत्र अथा व्र्िस्थाओां की नििेषिा भी थी।

2. उत्पादन और श्रम के विभाजन की असािारर् संरचना (Peculiar Structure of Production & Division of Labour)

19
• भारि र्ें उत्पादि और श्रर् के अांिरराष्ट्रीर् निभाजि की असाधारण सांरचिा निनटि उद्योगों के िजा पर ी निकनसि ुई थी । इसर्ें
जूट और कपास से ििे कच्चे र्ाल, निस्कुट और निल ि जैसे खाद्य पदाथों िथा उत्पानदि खनिजों का निर्ाा ि नकर्ा जािा था इसके
साथ ी जूिों से लेकर र्िीिरी , कारों से लेकर रेलिे इांजि िक का आर्ाि नकर्ा जािा था ।
• भारि र्ें जटू और सिू ी िस्त्र जैसे कुछ श्रर्-ग ि उद्योगों के निकनसि ोिे के पिाि भी उपनििेििाद अत्र्नधक प्रभािी र ा l अांिराा ष्ट्रीर्
असाधारण श्रर् निभाजि के कारण ी भारि के ठीक निपरीि, निटेि र्ें उच्च प्रौद्योनगकी ,उच्च उत्पादकिा और पूांजीगि िस्िओ ु ां का
उत्पादि नकर्ा जा र ा था ।
• भारि के निदेि व्र्ापार का पैटिा औपनििेनिक अथा व्र्िस्था का सांकेि था । 1935-39 के अांि िक, खाद्य, पेर्, िांिाकू और कच्चे
र्ाल का 68.5 प्रनििि निर्ाा ि नकर्ा जािे लगा था l

3. आवथिक वपछडापन-
• आनथा क निकास का िास्िनिक अथा अथा व्र्िस्था र्ें नििेि िथा उत्पन्ि आनथा क अनधिेष र्ा िचि का उपर्ोग करके अथा व्र्िस्था
का निस्िार करिा ै ।
• कुल बचि - 1914 से 1946 िक भारिीर् अथा व्र्िस्था र्ें कुल िचि सकल राष्ट्रीर् उत्पाद (GNP) (अथाा ि राष्ट्रीर् आर्) का के िल
2.75 प्रनििि थी । 1971 से 75 के िीच 12% GNP का गठि नकर्ा गर्ा उसी दौराि अथा व्र्िस्था का निस्िार नकर्ा जा सकिा
था।
• कुल पूंजी वनमािर्- 1914 - 46 के दौराि कुल पूांजी निर्ाा ण GNP का 6.14 %, जिनक 1971-75 के दौराि कुल पूांजी निर्ाा ण
िढकर GNP का 20.14 %, ो गर्ा था।
• उद्योगों की भूवमका - निम्ि पज ूां ी निर्ाा ण के कारण उद्योगों की प्रनििि भागीदारी का स्िर लगािार नगरिे लगा िथा 1914-46 के
दौराि GNP का के िल 1.78% ी िचा नजसर्ें र्ख्ु र् भागीदारी र्िीिरी फानर्िंग उद्योगों की थी (1971-75 के दौराि 6.53% था)।
• इसके अनिररक्त भारि के सार्ानजक अनधिेष अथिा िचि का एक िडा भाग औपनििेनिक राज्र् और प्रकोष्ठ (colonial state and
misspent) द्वारा निर्ोनजि नकर्ा जािा था ।
• इस अनधिेष का एक ि ुि िडा भाग स्िदेिी जर्ीदारों और सा ूकारों द्वारा निर्ोनजि नकर्ा जािा था l इस िडे अनधक अनधिेष का
ि ुि छोटा न स्सा ी कृ नष निकास र्ें लगार्ा जािा था ।
• निटेि, भारि के साथ एक िरफा स्िाांिरण करिा था, नजसर्ें भारि को नकसी भी रूप र्ें इसके नलए आनथा क ,िानणनज्र्क र्ा
भौनिक प्रनिफल ि ीं प्राप्त ोिा था ।
• एक अिर्ु ाि के अिस ु ार भारि की कुल राष्ट्रीर् आर् का 5 से 10% ,एकिरफा स्िाांिरण के र्ाध्र्र् से निर्ाा ि नकर्ा जािा था ।

4. औपवनिेवशक राज्य की भूवमका-


• औपनििेनिक सांरचिा के अन्र् प लओ ु ां के निर्ाा ण, निधाा रण और रखरखाि र्ें राज्र् र् त्िपूणा भूनर्का निभािा था र् भारिीर्
उपनििेििाद की चौथी नििेषिा थी । भारि की िीनिर्ाां, निनटि अथा व्र्िस्था और निनटि पांज ू ीिाद िगा न िों के अांिगा ि निधाा ररि की
जािी थी ।
• उद्योग और कृ नष को राज्र् के सर्था ि से िांनचि करिे के कारण भारि का निकास ि ीं ुआ । जिनक निटेि सन ि लगभग अन्र् सभी
पूांजीिादी देिों र्ें निकास के प्रारांनभक दौर र्ें राज्र् का पूणा सर्था ि प्राप्त ोिा था ।
• औपनििेनिक राज्र्ों िे भारि र्ें र्क्त ु व्र्ापार लागू नकर्ा िथा भारिीर् उद्योगों को टैररफ सांरक्षण देिे से इिकार कर नदर्ा । 1918 के
िाद, राष्ट्रीर् आांदोलि के दिाि र्ें, भारि सरकार के कुछ उद्योगों को टैररफ सांरक्षण देिे के नलए नििि ोिा पडा।
• 1880 के िाद से ी निनटि उद्योग का सर्था ि करिे ेिु सरकार द्वारा र्िु ा िीनिर्ों र्ें ेरफे र नकर्ा जा र ा था जो भारिीर् उद्योगों के
नलए ानिकारक नसद्ध ुआ ।

20
• औपनििेनिक राज्र् िे भारि के निकास को दरनकिार करिे ुए अपिी पूरी आर् निनटि भारिीर् प्रिासि की जरूरिों को पूरा करिे
, निटेि को प्रत्र्क्ष और अप्रत्र्क्ष रूप से स ार्िा देिे िथा निनटि व्र्ापार और उद्योगों की जरूरिों को पूरा करिे र्ें खचा कर दी ।
• इसके अनिररक्त, भारिीर् कर सांरचिा अत्र्नधक निषर् थी। अनधकाांि नकसािों को भारी भू-राजस्ि िथा गरीिों को िर्क ेिु कर
चकु ािा पडिा था जिनक उच्च आर् िाले िौकरिा ों जर्ीदारों और व्र्ापाररर्ों पर लगिे िाला प्रत्र्क्ष कर अत्र्नधक निम्ि था ।
विऔद्योगीकरर्
• कारीगरों और स्िनिनल्पर्ों का नििाि - र्िीिों द्वारा ििे सस्िे र्ूरोपी सार्ािों िे भारिीर् िाजारों र्ें कधजा कर नलर्ा नजसके कारण
भारिीर् सार्ािों को र्ूरोप के िाजारों र्ें प ुांचिा और अनधक कनठि ो गर्ा था ।
• औद्योनगकीकरण की प्रनक्र्ा िे आजीनिका के पारांपररक साधिों को ि ुि अनधक िक ु साि प ुांचार्ा l इससे पूिा र्ूरोप ,एनिर्ा और
अफ्रीका र्ें भारिीर् थकरघा और कपडे का ि ुि िडा िाजार था इांग्लैंड र्ें औद्योनगकीकरण के आिे के पिाि ि ाां के कपडा उद्योगों
िे िाजारों र्ें अच्छी पकड ििा ली नजसके कारण अि निटेि से भारि र्ें कपडा आर्ाि नकर्ा जािे लगा ।
• अांग्रेजी कारखािों से भारिीर् िाजारों र्ें र्िीिों से ििे कपडों का िडे पैर्ािे पर आर्ाि ुआ । अांग्रेज अपिे सार्ािों को भारि र्ें सस्िे
दार्ों र्ें भेजिे थे साथ ी िे निदेिों से अपिे सार्ािों को नििा नकसी िल्ु क के आर्ाि करिे थे ।
• दूसरी ओर भारिीर् स्िनिल्प के निर्ाा ि र्ें भारी कर लगार्ा गर्ा । अपिे उद्योगपनिर्ों के दिाि र्ें, निनटि सरकार िे प्रार्ः भारिीर्
िस्त्रों पर सरु क्षात्र्क िल्ु क लगार्ा।
• नजसके पररणार्स्िरूप कुछ ी िषों के भीिर भारि कपडे के िडे निर्ाा िक से कपास के कच्चे र्ाल का निर्ाा िक िि गर्ा िथा निनटि
कपडों का सिसे िडा आर्ािक िि गर्ा । इस फे रिदल िे भारिीर् थकरघा ििु ाई उद्योग पर अत्र्नधक प्रभाि डाला और इसके
पिि का भी कारण ििा नजसके पिाि ििु करों का एक िडा सर्दु ार् िेरोजगार ो गर्ा ।
• नजसर्ें से अिेक , ग्रार्ीण इलाकों र्ें खेनि र र्जदूरों की भाांनि कार्ा करिे ेिु पलार्ि कर गए नजसके पररणार् स्िरूप ग्रार्ीण
अथा व्र्िस्था और आजीनिका पर दिाि िढ गर्ा ।
• िाजार र्ें अक्षर्िा के कारण भारिीर् थकरघा उद्योग धीरे-धीरे निलप्तु ोिे लगा पररणार्स्िरूप भारिीर् राष्ट्रिादी िेिाओां िे नि-
औद्योगीकरण का सर्था ि नकर्ा ।
भारि का ग्रामीकरर् (RURALISATION OF INDIA)
• विऔद्योगीकरर् के कारण अिेक ि रों का पिि ुआ पररणार् स्िरूप ि ुि से कारीगर भारि के गाांिों र्ें िापस लौट आए ।
• 1921 की जिगणिा के अिस ु ार, के िल 11% आिादी ि री क्षेत्र र्ें र र ी थी, िथा 1891 र्ें लगभग 61% आिादी भारिीर् कृ नष
पर निभा र थी जो 1921 र्ें िढकर 73% ो गई ।
कृवष क्षेत्र में अविक दबाि िथा छोटे वकसानों में दररद्रिा की िृवद्ध (OVERBURDENING OF AGRICULTURE AND
IMPOVERISHMENT OF PEASANTRY )
• खेिी करिे िाले नकसािों के पास कृ नष र्ें नििेि ेिु धि और प्रोत्सा ि दोिों ी ि ीं था ।
• गाांि र्ें जर्ीदारों का िचा स्ि खत्र् ो गर्ा था िथा सरकार िे भी कृ नष िकिीक अथिा सार्ून क निक्षा पर ि ुि अनधक ध्र्ाि ि ीं
नदर्ा ।
• भूनर् के निखांडि िथा भू स्िानर्त्ि के िांटिारे िे कृ नष र्ें आधनु िक िकिीक को लािा और अनधक कनठि ो गर्ा नजसके पररणार्स्िरुप
उत्पादकिा र्ें कर्ी ुई ।
• जर्ीदारों और सा ूकारों र्ें प ले से ी साांठगाांठ थी अिः पीनडि नकसािों के ग्रार्ीकरण और निखांडि के कारण भूनर् पर आनश्रि लोगों
र्ें िृनद्ध ुई ।
• इससे पिू ा कृ नष के िल आजीनिका का साधि था परांिु अि र् पणू ा रूप से िानणज्र् पर आधाररि था ।
• कुछ नििेष फसलों को उपभोग के नलए ि ीं िनल्क उद्योग के नलए, राष्ट्रीर् और अांिरराष्ट्रीर् िाजारों र्ें कच्चे र्ाल के रूप र्ें िेचिे
ेिु उगार्ा जािे लगा ।

21
• भारि र्ें निनटि िीनिर्ों का सिा प्रथर् आनथा क प्रभाि चार्, कॉफी, इांनडगो, अफीर्, कपास, जूट, गन्िा और निल ि जैसी िडी
व्र्ािसानर्क फसलों पर पडा ।
पररिहन और संचार का विकास (DEVELOPMENT OF TRANSPORT AND COMMUNICATION)
• 1940 के दिक र्ें भारि र्ें 65000 र्ील की पक्की सडकें िथा लगभग 42000 र्ील का रेलिे रैक निछा ुआ था ।
• सडकों और रेलिे िे देि को एकजटु नकर्ा और िस्िओ ु ां और व्र्नक्तर्ों का िेजी से आिागर्ि (transit ) सांभि ििार्ा।
• र्द्यनप औद्योनगक क्ाांनि र्ें लोगों की अिपु नस्थनि िे के िल िानणनज्र्क क्ाांनि पर ी िल नदर्ा | नजसिे भारिीर् अथा व्र्िस्था को और
अनधक उपनििेनिि नकर्ा।
• इसके अनिररक्त रेलिे लाइिों को र्ख्ु र् रूप से निर्ाा ि िांदरगा ों िथा कच्चे र्ाल के उत्पादक क्षेत्रों को आपस र्ें जोडिे िथा आर्ानिि
िस्िुओ ां को भारि के आांिररक क्षेत्रों िक प ुांचािे ेिु उपर्ोग नकर्ा जा र ा था ।
• निटेि और सांर्क्त ु राज्र् अर्ेररका के निपरीि, रेलिे िे भारि र्ें इस्पाि और र्िीिीकरण उद्योगों को िढािा देिे के िजार् स्टील और
र्िीि उद्योगों र्ें ी रेलिे का उपर्ोग नकर्ा जा र ा था ।
भारिीय पूंजीपवियों का उदय (RISE OF INDIAN BOURGEOISIE)
• भारिीर् व्र्ापाररर्ों सा ूकारों और िैंकरों िे भारि र्ें निनटि पूांजीपनिर्ों के कनिष्ठ साझेदारों के रूप र्ें धि कर्ार्ा।
• इससे भारिीर् कृ नष को ऋण स ार्िा प्राप्त ुई िथा निनटि राजस्ि सांग्र र्ें भी िृनद्ध ुई ।
• स्ििांत्र आनथा क और नििीर् आधार िे भारि र्ें र्जिूि स्िदेिी पज ूां ीिाद िगा का उदर् ुआ ।
• भारिीर् पज ूँ ीपनि निदेिी पज ूँ ी से स्ििांत्र थे।
• नद्विीर् निश्व र्द्ध ु के अांि िक भारिीर् पूजीपनिर्ों िे 60% से अनधक िडी औद्योनगक इकाइर्ों पर निर्ांत्रण प्राप्त कर नलर्ा ।
• प्रत्र्ेक क्षेत्र र्ें छोटे उद्योगों का राष्ट्रीर् आर् र्ें र्ोगदाि िडें उद्योगों की िुलिा र्ें अनधक था।
• 1947 िक भारिीर् पूांजी िे िैंनकां ग और जीिि िीर्ा जैसे क्षेत्रों र्ें काफी िढि ििा ली थी ।
• भारिीर् सांर्क्त ु स्टॉक िैंकों (joint-stock banks) के पास सभी िैंक किाा ओ ां के लगभग 64 सर्ू थे, और भारिीर् स्िानर्त्ि जीिि
िीर्ा कां पिी िे सांपूणा देि र्ें जीिि िीर्ा कारोिार के क्षेत्र र्ें लगभग 75% निर्ांत्रण प्राप्त कर नलर्ा ।
• आांिररक और निदेिी थोक व्र्ापार का ि ुि िडा भाग अभी भी भारि के निर्ांत्रण र्ें था ।
• भारिीर् उद्योग और पूांजीिाद का निकास अभी भी अांग्रेजों से अपेक्षाकृ ि कर् था|
आवथिक वनकास ( ECONOMIC DRAIN)
• आवथिक-वनकास ' का िास्िनिक अथा भारिीर् राष्ट्रीर् उत्पाद के िडे भाग को अपिे उपभोग के िजाए निटेि र्ें निर्ाा ि करिे से ैं ।
• ड्रेि नसद्धाांि को सिा प्रथर् दादाभाई िरोजी िे अपिी पस्ु िक “Poverty and Un-British Rule in India” के माध्यम से बिाया

• इस ड्रेि के प्रर्खु घटक नसनिल और सैन्र् अनधकाररर्ों के िेिि और पेंिि, भारि सरकार द्वारा निदेिों से नलए गए ऋण पर धर्ाज,
भारि र्ें निदेिी नििेि पर लाभ, िागररक और सैन्र् निभागों के नलए निटेि र्ें खरीदे गए स्टोर, निनपांग से प्राप्त भगु िाि, िैंनकां ग और
िीर्ा सेिाएां थी नजन् ोंिे भारिीर् उद्योगों के निकास र्ें सिसे अनधक अिरोध उत्पन्ि नकर्ा ।
• इसी कारण भारि र्ें धि की कर्ी िथा पूांजी निर्ाा ण र्ें अिरोध उत्पन्ि ो र ा था जिनक इसके निपरीि इसी धि के एक िडे न स्से
िे निनटि अथा व्र्िस्था के निकास र्ें गनि प्रदाि की ।
• निनटि अथा व्र्िस्था के अनधिेष िे भारि को निि पूांजी र्ें सक्षर् ििार्ा परांिु र् आनथा क ड्रेि के र्ाध्र्र् से पिु ः निटेि भेजी जािे
लगी ।
• 19 िीं ििाधदी र्ें निश्व GDP र्ें भारि की न स्सेदारी 23% थी जो स्ििांत्रिा के सर्र् घटकर 4% ो गई, िथा भारि िे निश्व निर्ाा ि
र्ें 27% का र्ोगदाि नदर्ा जो स्ििांत्रिा के सर्र् नगरकर 2% र गर्ा ।

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वशक्षा स्िास््य और बुवनयादी सेिाएं:
• अनधकाांि भारिीर् िागररकों की निक्षा िक प ुांच ी ि ीं थी इसके कारण 1951 र्ें लगभग 84% जििा निरक्षर थे और नजसर्ें 92%
र्न लाएां थी।
• इसका र्ख्ु र् कारण -सांसाधिों और अिसरों की कर्ी थी।
• छात्रों के िकासांगि, िानकाक, निश्लेषणात्र्क और र् त्िपूणा सांकार् अनिकनसि र े।
• औपनििेनिक निक्षा प्रणाली की सिसे िडी कर्ी सार्ून क निक्षा की उपेक्षा थी ।
• स्िास्थ्र् सेिाएां अत्र्ांि निरािाजिक थीं। 1993 र्ें के िल 10 र्ेनडकल कॉलेज थे नजससे 700 स्िािक प्रनििषा निकलिे थे, नजसर्ें
7000 र्ें से के िल 27 र्ेनडकल स्कूलों को ी लाइसेंस प्राप्त था ।
• 1951 र्ें, लगभग 18,000 स्िािक डॉक्टर थे, नजसर्ें से अनधकाांि ि रों र्ें र िे थे ।
• अनधकाांि ि रों र्ें आधनु िक स्िच्छिा ि ीं थी।
• गाांि र्ें आधनु िक जलप्रणाली ि ीं थी िथा अनधकाांि कस्िों र्ें जलापूनिा की कर्ी थी ।
• अनधकाांि ि रों र्ें निजली ि ीं थी िथा ग्रार्ीण क्षेत्रों र्ें निजली अल्पकालीि ी आिी थी ।
• चेचक, प्लेग और ैजा की र् ार्ाररर्ों िथा पेनचि, दस्ि, र्लेररर्ा और अन्र् िख ु ार जैसी िीर्ाररर्ों िे प्रनििषा अिेक लोगों की जािे
ली l नजसर्ें अके ले र्लेररर्ा िे ी एक चौथाई आिादी को प्रभानिि नकर्ा|
काननू ी िर्ाली
• औपनििेनिक राज्र् का चररत्र र्ूल रूप से सिािादी और निरांकुि था, नजसके अांिगा ि कुछ उदार ित्ि भी सनम्र्नलि ैं जैसे कािूिी
िासि िथा अपेक्षाकृ ि स्ििांत्र न्र्ार्पानलका ।
• प्रिासि प्रार्ः न्र्ार्ालर् द्वारा नदए गए आदेिों का पालि करिा था । नजससे निरांकुि और र्िर्ािे प्रिासि पर आांनिक रूप से निर्ांत्रण
प्राप्त ुआ िथा निनिि सीर्ा िक िौकरिा ी के र्िर्ािे कार्ों के नखलाफ िागररकों के अनधकारों की रक्षा ुई ।
• र्द्यनप कािूि प्रार्ः दर्िकारी ोिे थे l नसनिल सेिकों और पनु लस के अांिगा ि र्िर्ािे अनधकार निस्िृि कर नदए गए थे नजसर्ें
लोकिाांनत्रक िरीके से भारिीर् िागररकों का उत्पीडि नकर्ा जािा था l
• प्रिासनिक और न्र्ानर्क िनक्तर्ों का पृथक्करण ि ीं था। एक नसनिल सेिक को कलेक्टर िथा नजला र्नजस्रेट दोिों का कार्ा भार
सौंपा जािा था।
• औपनििेनिक कािूिी प्रणाली नकसी व्र्नक्त की जानि, धर्ा , िगा र्ा नस्थनि के िािजूद कािूि की सर्ाििा पर आधाररि थी, लेनकि
नफर भी इसिे सर्ाििा को िढािा ि ीं नदर्ा।
• अदालिों िे र्ूरोपीर् कार्ाा न्िर्ि निनध के आधार पर न्र्ार् नकर्ा परांिु पक्षपाि को भी िढािा नदर्ा।
• इसके अनिररक्त न्र्ार्ालर् का खचा काफी र् ांगा था नजसके पररणार्स्िरुप कािूिी स ार्िा गरीिों की प ुांच से िा र थी।
• अांग्रेजी िासकों िे सार्ान्र् सर्र् र्ें प्रेस , भाषण और सांघ की स्ििांत्रिा को िढािा नदर्ा परांिु िडे पैर्ािे र्ें सांघषा के दौराि दर्िकारी
िीनिर्ाां भी अपिाई।
• परांिु 1897 के िाद स्ििांत्रिा र्ें िेजी से पररििा ि ुए िथा सार्ान्र् नस्थनि र्ें भी अांग्रेजी सरकार िे लोगों का उत्पीडि नकर्ा ।
• औपनििेनिक राज्र्ों का एक निरोधाभास र् भी था की 1858 के िाद इन् ोंिे निर्नर्ि रूप से सांिैधानिक और आनथा क ररर्ासिों की
पेिकि िो की परांिु सिा की िागडोर को अपिे ाथों र्ें ी रखा ।
• प्रारांभ र्ें निनटि राजिेिाओां और प्रिासि िे प्रनिनिनध िासि को स्थानपि ोिे का दृढिा से निरोध नकर्ा और र् िका नदर्ा की
‘लोकिांत्र’ भारि के अिक ु ू ल ि ीं ै ।
• उन् ोंिे क ा नक भारि साांस्कृ निक और ऐनि ानसक निरासि का देि ै नजसर्ें 'उदार निरांकुििा' की व्र्िस्था ी सिसे उनचि ै ।
सशस्त्र बल

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• अांग्रेज अपिे पीछे भारि र्ें एक ि ुि िडा सिस्त्र िल छोड गए थे नजसिे स्ििांत्र भारि र्ें र्जिूि िासि स्थानपि करिे र्ें र् त्िपूणा
भूनर्का निभाई ।
• अांग्रेजों िे सिस्त्र िलों को राष्ट्रीर् आांदोलिों िथा उिके निचारों से दूर रखिे ेिु र सांभि प्रर्ास नकर्ा था।
• सेिा के निनिि रूप से राजिीनिक निचारों से प्रभानिि ोिे की सांभाििा थी इसनलए अांग्रज े ों िे इन् ें राजिीनिक अनधकाररर्ों जैसे
नसनिल सेिक के अधीिस्थ कर नदर्ा ।
• उपनििेििाद की राजिीनिक और आनथा क निरासि की निषर्िाओां के निपरीि सिस्त्र िल भारि के नलए लाभकारी र े और स्ििांत्र
भारि र्ें ि ुि लांिे सर्र् िक कार्ाा नन्िि भी र े l
राष्ट्रीय आंदोलन और इसकी विरासि की मूल विशेषिाएं:
Character of
National
Movement

Political Economic
Norms Underpiniings

Foreingn
Secularism
Policy

Nation in the
Untouchability
Making

Gender Pro-poor
Sensitisation: orientation

Communalism

• 1945 के िाद भारि के स्ििांत्रिा र्ें सनम्र्नलि निनिष्ट घटिाक्र्ों र्ें 100 िषा परु ािे स्ििांत्रिा सांग्रार् का अनभन्ि र्ोगदाि र ा था ।
• जिनक भारि िे अपिी आनथा क और प्रिासनिक सांरचिाओां को अपिी औपनििेनिक काल की निरासि के र्ूल्र्ों और आदिों के
आधार पर निधाा ररि नकर्ा था।

1. राष्ट्रीय आंदोलन की विशेषिा-


• स्ििांत्रिा सांग्रार् निश्व इनि ास का सिसे िडा जि आांदोलि था। 1919 के िाद,
इस आांदोलि की र्ूल धारणा िे लोगों को राष्ट्रीर् राजिीनिक स्ििांत्रिा ेिु
सनक्र् भूनर्का निभािे र्ें प्रेरणा दी । गाांधीजी जैसे िेिाओां िे लाखों लोगों को
राजिीनि र्ें प्रिेि करार्ा िथा उिसे परू े देि र्ें र् निचार प्रसाररि नकर्ा की
अांग्रेजों से स्ििांत्रिा प्राप्त करिे के पिाि भी िास्िनिक स्ििांत्रिा ेिु सार्ानजक
पररििा ि आिश्र्क ै ।
• सत्र्ाग्र सांघषा र्ें अिेक लोगों की भागीदारी र ी और नजि 21 नर्नलर्ि लोगों
की भागीदारी ि ीं थी उिसे स ािभु ूनि और सर्था ि प्राप्त ुआ ।

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• र् र्ािा जािा ै नक इस नििाल राजिीनिक सर्था ि का र्ख्ु र् कारण भारिीर् गणिांत्र के सांस्थापक थे नजन् ोंिे स्ििांत्रिा सांग्रार् के
अांनिर् चरण का िेिृत्ि नकर्ा िथा लोगों की राजिीनिक क्षर्िाओां को निकनसि
नकर्ा । इि िेिाओां िे व्र्ापक गरीिी और अनिक्षा के िािजूद भी िर्स्क
र्िानधकार से लोगों का पररचर् करार्ा।
• भारिीर् राष्ट्रीर् आांदोलि र्ें इस प्रकार के प्रनिनिनधत्ि का र्ख्ु र् कारण
लोकिाांनत्रक प्रनिनिनधत्ि की राजिीनिक श्रृांखला पर लगा प्रनििांध था । प्रारांभ से
ी इि आांदोलिों िे लोकिाांनत्रक निचारों और इससे जडु े सांस्थािों का खूि प्रचार
नकर्ा िथा चिु ाि के आधार पर सांसद र्ें प्रनिनिनधत्ि के नलए सांघषा नकर्ा ।
• 1885 र्ें भारिीर् राष्ट्रीर् काांग्रेस की स्थापिा से इसकी िींि रखी गई थी िथा
राष्ट्रीर् आांदोलिों का र्ख्ु र् राजिीनिक अांग ,लोकिाांनत्रक निचारों पर आधाररि ै । र् अपिी राजिीनिक िीनिर्ों के गठि िथा
राजिीनिक चचाा ओ ां ेिु सांस्था के सभी स्िरों पर सर्ाि रूप से निभा र थी।
• इसकी िीनिर्ों और प्रस्िािों को सािा जनिक चचाा , ि स , ित्पिाि र्िदाि के र्ाध्र्र् से निधाा ररि नकर्ा जािा था । इससे सांिांनधि
कुछ र् त्िपूणा निणा र् सािा जनिक ि स िथा र्िदाि के िाद नलए गए ैं l
• आांदोलि के प्रर्ख ु िेिा पणू ा स्ििांत्रिा की र्ाांग कर र े थे, नजन् ें आज भी र्ाद नकर्ा जािा ै । उदा रण के नलए लोकर्ान्र् निलक िे
घोषणा की “प्रेस और भाषण की स्ििांत्रिा एक राष्ट्र को जन्र् देिे ैं िथा इसको निकनसि करिे ैं” ।
• गाांधीजी िे 1922 र्ें नलखा की “ र्ें सिा प्रथर् भाषण और सांघ की स्ििांत्रिा का अनधकार र्ाांगिा चान ए जो र्ें अपिे जीिि की
प्राथनर्क अनधकारों को प्राप्त करिे र्ें स ार्िा प्रदाि करेगा” ।
• 1939 र्ें गाांधीजी िे पिु : “स्ििांत्रिा एिां स्िराज ेिु अन ांसा का पालि करिे ुए आांदोलि प्रारांभ नकर्ा उन् ोंिे क ा नक र् राजिीनिक
और सार्ानजक जीिि का र्ूल ै , र् स्ििांत्रिा की िीि ै नजसर्ें सर्झौिे के नलए कोई स्थाि ि ीं । र् जल के सर्ाि ै अथाा ि
जल की साांििा र्ें कभी पररििा ि ि ीं ोिा ै । "
• लोकिांत्र और िागररक स्ििांत्रिा की निचारधारा सांस्कृ नि असांिोष, अनभव्र्नक्त की स्ििांत्रिा, ि ुसांख्र्क नसद्धाांि और अनस्ित्ि के
निकास ेिु अल्पसांख्र्क अनधकार पर आधाररि थी ।
• िागररक स्ििांत्रिा के निस्िार िे ु 1937 र्ें काांग्रेस र्ांत्रालर् का गठि नकर्ा गर्ा | काांग्रेस िे आांिररक रूप से सभी को एकर्ि ोिे का
सझ ु ाि नदर्ा । नजसिे असांिोष को िढािा नदर्ा ित्पिाि कुछ अल्पसांख्र्क िेिाओां िे इसका निरोध नकर्ा िथा स्ििांत्र रूप से अपिे
निचारों को व्र्क्त करिे के नलए भी प्रोत्सान ि नकर्ा ।
• 1931 र्ें कराची काांग्रेस द्वारा प्रस्िानिि र्ौनलक अनधकारों के प्रस्िाि के साथ भाषण ,प्रेस अथिा और सांस्थािों को स्ििांत्रिा की
अनभव्र्नक्त के अनधकार प्रदाि करिे का निणा र् नलर्ा गर्ा।

2. राष्ट्रीय आंदोलन के आवथिक विद्रोह -


• इि आांदोलिों िे भारि के आनथा क नपछडेपि िथा अल्पनिकास को दरू करिे ेिु निनभन्ि आनथा क िीनिर्ाां िैर्ार की । र् ी स्ििांत्रिा
के पिाि भारिीर् निचारधारा का आधार ििा था।
• र् आत्र्निभा र स्ििांत्र अथा व्र्िस्था का दृनष्टकोण अत्र्नधक प्रचनलि ुआ था । इसर्ें आत्र्निभा रिा को आत्र् कें निि रूप से ि ीं
िनल्क निश्व अथा व्र्िस्था र्ें एक अधीिस्थ नस्थनि के रूप र्ें पररभानषि नकर्ा गर्ा था ।
• भारिीर् िेिाओां िे उद्योग और कृ नष के िीच घनिष्ठ सांिांध पर भी जोर नदर्ा। ग्रार्ीण निकास के नलए औद्योनगक निकास का ोिा
आिश्र्क ै ।
• औद्योनगकीकरण के अांिगा ि, इसर्ें स्िदेिी भारी र्िीिों से िििे िाली पूांजीगि िस्िुओ ां के निर्ाा ण पर जोर नदर्ा गर्ा नजसकी
अिपु नस्थनि के कारण ी देि आनथा क रूप से निभा र िथा अल्पनिकनसि था । इसके साथ ी आिश्र्क उपभोग िस्िुएां ेिु राष्ट्रिानदर्ों
िे र्ध्र्र् िथा छोटे पैर्ािे पर कुटीर उद्योगों की स्थापिा करिे को क ा । लघु िथा कुटीर उद्योग र्ें रोजगार िढािे ेिु निकास रणिीनि
को प्रोत्सान ि िथा सांरनक्षि नकर्ा गर्ा ।

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• राष्ट्रिानदर्ों िे आनथा क निकास के र्ाध्र्र् से राज्र् के नलए
सनक्र् और कें िीर् भूनर्का की पररकल्पिा की थी ।
• भारि सरकार िे िीस के दिक र्ें निर्ोजि और सािा जनिक
क्षेत्र के व्र्ापक निकास का सर्था ि नकर्ा था। 1931 र्ें
भारिीर् राष्ट्रीर् काांग्रेस के कराची अनधिेिि र्ें र्ौनलक
अनधकार और आनथा क कार्ा क्र् की घोषणा करिे ुए र्
क ा नक स्ििांत्र भारि र्ें राज्र् प्रर्ख ु उद्योगों ,सेिाओां,
खनिज सांसाधिों, रेलिे, जलर्ागा , निनपांग, सािा जनिक
पररि ि के अन्र् साधिों का स्िानर्त्ि और निर्ांत्रण करेगा।
। (सत्र की अध्र्क्षिा सरदार पटेल िे की थी, सांकल्प
जिा रलाल िे रू िे िैर्ार नकर्ा था जिनक गाांधीजी िे खल ु े
सत्र र्ें इसकी घोषणा की थी)।
• 1938 र्ें राष्ट्रीर् र्ोजिा सनर्नि द्वारा प्रार्ोनजि एकीकृ ि और व्र्ापक निकास र्ोजिा को िढािा देिे ेिु भारिीर् पूांजीपनिर्ों िे
1944 र्ें र्ांिु ई र्ोजिा िैर्ार की थी ।
• राष्ट्रिादी आांदोलिों र्ें कुटीर और लघु उद्योगों के गाांधीिादी दृनष्टकोण का सर्था ि नकर्ा गर्ा । र् पररपेक्ष नद्विीर् पांचिषीर् र्ोजिा र्ें
िे रू िादी निचारधारा को निस्िार करिे के नलए ििार्ा गर्ा ।
• राष्ट्रीर् आांदोलिों िे स्ििांत्रिा के पिाि आनथा क निकास की िास्िनिक रूपरेखा िैर्ार की ।

3. िमिवनरपेक्षिा-
• प्रारांभ से ी राष्ट्रीर् आांदोलि धर्ा निरपेक्षिा का सर्था ि करिा था ।
• नजसर्ें धर्ा निरपेक्षिा को व्र्ापक रूप से पररभानषि नकर्ा गर्ा अथाा ि धर्ा को, राजिीनि और राज्र् से अलग कर नदर्ा गर्ा, व्र्नक्तगि
र्ार्लों र्ें धानर्ा क उपचार, सभी धर्ों के प्रनि राज्र् की िटस्थिा र्ा अलग-अलग धर्ों के अिर्ु ानर्र्ों के िीच भेदभाि का अभाि ,
और सांप्रदानर्किा का सनक्र् निरोध आनद िानर्ल नकर्ा गर्ा ै ।
• 1931 र्ें काांग्रेस के कराची सम्र्ेलि र्ें र् घोषणा की गई नक “स्ििांत्रिा के पिाि प्रत्र्ेक िागररक को अपिे धर्ा के प्रचार और आचरण
” ेिु स्ििांत्रिा का अनधकार प्राप्त ोगा ।
• प्रारांभ र्ें गाांधीजी एक धानर्ा क व्र्नक्त थे नजन् ोंिे िाद र्ें धर्ा और राजिीनि के िीच सांिांध का सर्था ि नकर्ा ।
• इसका र्ख्ु र् कारण र् था नक गाांधीजी र् र्ाििे थे नक राजिीनि को िैनिकिा पर आधाररि ोिा चान ए िथा उिके अिस ु ार धानर्ा क
िैनिकिा सभी धर्ों का प्रर्ख ु स्रोि ै, िे भारिीर् धर्ों र्ें ििाई गई धानर्ा क िैनिकिा का सर्था ि करिे थे ।
• जिा रलाल िे रू िे भािक ु िा और सांप्रदानर्किा का सर्था ि नकर्ा िथा उससे सांिांनधि लेख भी नलखा । ि प ले व्र्नक्त थे नजन् ोंिे
भारिीर् सांप्रदानर्किा को फासीिाद के रूप र्ें देखा ।
• राष्ट्रीर् आांदोलिों के िेिाओां िे कभी भी धानर्ा क आधार पर सर्था ि की र्ाांग ि ीं की और र् िका भी ि ीं नदर्ा नक निनटि िासकों
का धर्ा ईसाई ै । राजिीनिक िेिाओां िे निनटि िासि की आलोचिा आनथा क, राजिीनिक ,सार्ानजक और साांस्कृ निक आधार पर
ी की थी ।
• र् िास्िनिकिा ै नक राष्ट्रीर् आांदोलि भी पर्ाा प्त रूप से सांप्रदानर्किा की िनक्तर्ों र्क ु ािला करिे र्ें सक्षर् ि ीं थे परांिु र् राष्ट्रीर्
आांदोलिों की र्जिूि धर्ा निरपेक्षिा िथा प्रनििद्धिा के कारण ी सांभि ो पार्ा था, क्र्ोंनक इििी भर्ाि घटिाओां के िािजूद भी
स्ििांत्र भारि िे अपिे राज्र् और सर्ाज ेिु धर्ा निरपेक्षिा को सांनिधाि का र्ूल अनधकार ििार्ा ।

4. राष्ट्र वनमािर् -
• राष्ट्रीर् आांदोलिों िे राष्ट्र निर्ाा ण की प्रनक्र्ा का सर्था ि नकर्ा । दूसरे िधदों र्ें भारि का राष्ट्रीर् निर्ाा ण अभी िाकी था ।

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• इसका र्ख्ु र् उद्देश्र् उपनििेििाद के निरोध र्ें आर् सांघषों के र्ाध्र्र् से राष्ट्र निर्ाा ण की प्रनक्र्ा को िढािा देिा था । इस सांिांध र्ें
भारि को आनथा क िथा प्रिासनिक रूप से एकजटु करिे ेिु उपनििेििाद का सर्था ि नकर्ा गर्ा, िथा राजिीनिक निभाजिकारी
प्रिृनिर्ों की आलोचिा की ।
• राष्ट्रीर् आांदोलिों का उद्देश्र् अि राष्ट्रीर् एकीकरण िथा निनिधिा के दो रे उद्देश्र्ों की पनू िा थी ।

5. विदेश नीवि-
• स्ििांत्र भारि की निदेि िीनि 1870 के दिक र्ें निकनसि ुए नसद्धाांिों और िीनिर्ों पर आधाररि थी ।
• आगे चलकर भारिीर् िेिाओां िे उपनििेििाद और उदारिा का निरोध करके ,व्र्नक्तगि स्ििांत्रिा के नलए लडिे िाले लोगों के आधार
पर व्र्ापक अांिरराष्ट्रीर् दृनष्टकोण निकनसि नकर्ा था ।
• िीसिें और चालीसिें दिक र्ें, राष्ट्रीर् आांदोलि िे फासीिाद-निरोधी रुख अपिार्ा। र् गाांधी जी द्वारा व्र्ापक रूप से सिके सार्िे
रखा गर्ा था। उन् ोंिे 1938 र्ें र् ूनदर्ों के िरसां ार के नलए न टलर, िथा सांिांनधि न ांसा की भी निांदा की: “र्नद जर्ा िी के नखलाफ
र्ािििा के िार् पर र्द्धु न्र्ार्ोनचि ो सकिा ै िो पूरी जानि के उत्पीडि के निरोध र्ें र्द्ध
ु पूणा रूप से न्र्ार्सांगि ोगा”।

6. राजनीविक मानदंड-
• जि सांघषों र्ें निचारधारा और उसके प्रभाि र् त्िपणू ा भूनर्का निभािे ैं नफर भी एक जि आांदोलि र्ें लाखों लोगों को जटु ािे िे ु
निनभन्ि राजिीनिक और िैचाररक निचारधारा का ोिा आिश्र्क ै। इसके अनिररक्त अििु ानसि िथा सांगठिात्र्क रूप से एकजटु
ोिा भी आिश्र्क ै क्र्ोंनक र् लोग अखांड अथिा सिािादी ोिे का जोनखर् ि ीं उठा सकिे ।
• काांग्रेस िे राष्ट्रिादी निरोध सांघषा का िेिृत्ि नकर्ा था नजसर्ें, उन् ोंिे िैचाररक और सांगठिात्र्क एकजटु िा के साथ अत्र्नधक िैचाररक
और अििु ानसि ोिे का भी उदा रण प्रस्िुि नकर्ा l
• काांग्रसे लोकिाांनत्रक िरीकों से इि कार्ों को करिे र्ें सक्षर् थी। व्र्नक्तर्ों और सर्ू ों के िीच ि स और नििाद लगािार ोिे र े परांिु
निणा र् ि ुर्ि र्िदाि के आधार पर ी नदर्ा जािा था ।
• निनभन्ि आांदोलिों द्वारा राजिीनिक व्र्ि ार के उच्च र्ापदांड स्थानपि नकए गए थे। इसके प्रर्ख ु िेिा, दादाभाई िौरोजी, गोपाल कृ ष्ट्ण
गोखले, लोकर्ान्र् निलक, गाांधीजी, भगि नसां आनद थे ।
• र् आांदोलि सर्कालीि निश्व के निचारों ,प्रनक्र्ाओां और आांदोलिों से प्रभानिि थे िथा र्ूल निकास , ििीिीकरण और पररििा ि की
क्षर्िा निकनसि करिे र्ें सक्षर् थे ।
7. वलंग समानिािावदिा-
• एक सर्िािादी सर्ाज के निर्ाा ण के नलए राष्ट्रीर् आांदोलिों के र्ाध्र्र् से नलांग और जानि के आधार पर सभी प्रकार की असर्ाििा
,भेदभाि और उत्पीडि का निरोध करिा चान ए ।
• नलांग असर्ाििा िे र्न लाओां और निचली जानि के लोगों को सार्ानजक र्ुनक्त के नलए खदु को आांदोलिों और सांगठिों र्ें एकजटु ोिे
के नलए प्रेररि नकर्ा ।
• इसका प्रर्ख ु उद्देश्र् निक्षा िथा सार्ाि राजिीनिक अनधकारों सन ि सार्ानजक नस्थनि र्ें सधु ार लािा था ।

8. अस्पृश्यिा-

• 1920 के िाद जािी सर्ाििा और उत्पीडि के अनिररक्त अस्पृश्र्िा का उन्र्ूलि ,सांघषा र्ें प्रर्ख
ु राजिीनिक प्राथनर्किा िि गई ।
• र्द्यनप र् आांदोलि जानि निरोधी निचारधारा को फै लािे र्ें निफल र ा, नफर भी गाांधी जी िे 1940 के दिक र्ें जानि व्र्िस्था के
उन्र्ूलि की नसफाररि की ।

27
• र् असर्ाििा निरोधी राष्ट्रीर् आांदोलिों के निरोध का प्रभाि ी था नजसके कारण सांनिधाि सभा र्ें अिस ु ूनचि जिजानि और
अिसु ूनचि जानि के आरक्षण का निरोध ि ीं नकर्ा गर्ा ।
• 1950 के दिक र्ें राष्ट्रीर् आांदोलिों के प्रर्ासों से “न ांदू कोड निल” िे र्न लाओां को सार्ानजक र्नु क्त प्रदाि की ।
• 1931 र्ें काांग्रेस के कराची प्रस्िाि र्ें र् घोषणा की गई नक स्ििांत्र भारि र्ें जानि ,पांथ र्ा नलांग के आधार पर भेदभाि ि ीं ोगा िथा
जानि नलांग अथिा पांथ के कारण नकसी भी िागररक को नकसी भी अिसर से िांनचि ि ीं नकर्ा जाएगा । साथ ी ' सािा जनिक रोजगार
,सिा ,कार्ाा लर् और नकसी भी व्र्ापार र्ें सर्ाि अिसर प्राप्त ोंगे '।
9. सम्िदायिाद:

• जिा रलाल िे रू िे साांप्रदानर्किा पर ग री सर्झ नदखािे ुए उत्सा पूिाक नलखा और िोला था। िार्द ि प ले भारिीर् थे
नजन् ोंिे साांप्रदानर्किा को फासीिाद के भारिीर् रूप के रूप र्ें देखा था।
• नदलचस्प िाि र् ै नक राष्ट्रीर् आांदोलि के िेिाओां िे कभी भी धानर्ा क आधार पर र्ा निनटि िासकों के धर्ा ििार् ईसाई धर्ा पर
लोगों से कभी अपील ि ीं की|
• र् सच ै नक राष्ट्रीर् आांदोलि ,साम्प्रदानर्क िाकिों का पर्ाा प्त रूप से र्क ु ािला करिे र्ा उिके नखलाफ प्रभािी रणिीनि िैर्ार
करिे र्ें सक्षर् ि ीं था।
• इसी कारण 1946-47 का निभाजि और साांप्रदानर्क िरसां ार ुआ।
• लेनकि राष्ट्रीर् आांदोलि की दृढ धर्ा -निरपेक्ष प्रनििद्धिाओां के कारण, इि ददा िाक घटिाओां के िािजदू , स्ििांत्र भारि िे धर्ा -निरपेक्षिा
को अपिे राज्र् और सर्ाज के साथ सांनिधाि का र्ूल आधार ििार्ा।
बॉम्बेप्लान (1943)
• िॉम्िे प्लाि भारि की स्ििांत्रिा के िाद की अथा व्र्िस्था के निकास के नलए िॉम्िे के प्रभाििाली व्र्ापाररक िेिाओां के
एक छोटे सर्ू के प्रस्िाि का एक सर्च्ु चर् था।
उद्देश्य -
• र्ोजिा का र्ख्ु र् उद्देश्र् एक सांिुनलि अथा व्र्िस्था प्राप्त करिा और र्ोजिा के सांचालि र्ें 15 िषा की अिनध के भीिर
ििा र्ाि प्रनि-व्र्नक्त आर् को दोगिु ा कर के लोगों के जीिि स्िर को िेजी से िढािा था।
• िॉम्िे प्लाि प्राथनर्क, र्ाध्र्नर्क और व्र्ािसानर्क और निश्वनिद्यालर् निक्षा सन ि निक्षा का एक व्र्ापक दृनष्टकोण प्रदाि
करिी ै।
• इसिे प्रौढ निक्षा और िैज्ञानिक प्रनिक्षण और अिस ु ांधाि का भी प्रािधाि नकर्ा|
• र्ोजिा िनु िर्ादी उद्योगों के र् त्ि पर जोर देिी ै, लेनकि र्ोजिा के िरुु आिी िषों र्ें खपि र्ाल उद्योगों के निकास पर
भी िल देिी थी।
• इस र्ोजिा की पररकल्पिा ै नक अथा व्र्िस्था सरकार के स्िक्षेप और निनिर्र्ि के नििा निकनसि ि ीं ो सकिी ै।
दूसरे िधदों र्ें, भनिष्ट्र् की सरकार स्थािीर् िाजारों र्ें निदेिी प्रनिस्पधाा के नखलाफ स्िदेिी उद्योगों की रक्षा करिी ै।
जे.आर.डी.टाटा, श्री जी.डी.वबरला, पी.ठाकुरदास, कस्िरू बा लाल भाई, सर श्री राम, अदेवशर दलाल, श्री ए.डी.
श्रॉफ और जॉन मथाई इसके सदस्र्ों र्ें िानर्ल थे|

आविकाररक भाषा का मुद्दा

पष्ठृ भवू म-

28
• स्ििांत्र भारि के िरुु आिी 20 िषों िक भाषा की
सर्स्र्ा सिसे निभाजिकारी र्द्दु ा ििा र ा।
स्ििांत्रिा के िाद प ले 20 िषों के दौराि भाषाई
प चाि सभी सर्ाजों र्ें एक र्जिूि िाकि िि
चकु ी थी।
• भाषाई निनिधिा द्वारा राष्ट्रीर् सर्ेकि के नलए
उत्पन्ि सर्स्र्ा के दो प्रर्ख ु रूप ैं:-
o सांघ की आनधकाररक भाषा से सांिांनधि
नििाद|
o राज्र्ों का भाषाई पिु गा ठि|
o भाषा के र्ुद्दे पर नििाद सिसे अनधक िि
िेज ो गर्ा, जि इसके ि ि न ांदी-भाषा का
निरोध नकर्ा गर्ा और देि के न ांदी-भाषी और
गैर-न ांदी भाषी क्षेत्रों के िीच टकराि पैदा करिे
की कोनिि की गई।
o नििाद राष्ट्रभाषा के र्द्दु े पर ि ीं थी, िनल्क
र् एक ऐसी भाषा से सांिनां धि थी जो कुछ
सर्र् िाद सभी भारिीर्ों द्वारा अपिाई जािी (क्र्ोंनक एक राष्ट्रीर् भाषा भारिीर् राष्ट्रीर् प चाि के नलए आिश्र्क थी) और
नजसे धर्ा निरपेक्ष िा ुल्र् राष्ट्रीर् िेिृत्ि द्वारा ठुकरा नदर्ा गर्ा था।
o भारि एक ि ुभाषी देि था और उसे ऐसा ी र िा था। भारिीर् राष्ट्रीर् आांदोलि िे निनभन्ि भारिीर् क्षेत्रीर् भाषाओां के र्ाध्र्र्
से अपिे िैचाररक और राजिीनिक कार्ा को आगे िढार्ा।
o िि इसकी र्ाांग प्रत्र्ेक भाषाई क्षेत्र र्ें अदालिों, प्रिासि और उच्च निक्षा के र्ाध्र्र् के नलए र्ािृभाषा द्वारा अांग्रेजी के प्रनिस्थापि
की थी।
राजभाषा का क्रम-
• जि सांनिधाि निर्ाा िाओां िे सभी प्रर्ख ु भाषाओां को 'भारि की भाषा' र्ा भारि की राष्ट्रीर् भाषाओां के रूप र्ें स्िीकार कर नलर्ा ,िो
राष्ट्रीर् भाषा का र्द्दु ा ल ो गर्ा।
• एक निदेिी भाषा ोिे के िािे, गाांधी िे इस निचार का निरोध नकर्ा नक अांग्रेजी र्क्त ु भारि र्ें अनखल भारिीर् सांचार का र्ाध्र्र् ोगा।
• लेनकि र्ार्ला र् ीं खत्र् ि ीं ुआ, क्र्ोंनक देि की आनधकाररक कार्ा इििे सारे भाषाओां र्ें ि ीं नकर्ा जा सकिा था। एक आर्
भाषा की जरूरि थी नजसर्ें कें ि सरकार अपिे कार् को आगे िढािीऔर राज्र् सरकारों के साथ सांपका ििाए रखिी। इसनलए, िीव्र
र्िभेद प्रारांनभक ि स का रूप ििा, क्र्ोंनक आनधकाररक भाषा की सर्स्र्ा िरुु आि से ी अत्र्नधक राजिीनिक र ी।
• अांि र्ें, न ांदी को न ांदस्ु िािी [देििागरी र्ा उदा ू नलनप र्ें नलखा गर्ा] के िजार् भारि की आनधकाररक भाषा के रूप र्ें चिु ा गर्ा, लेनकि
इसे राष्ट्रभाषा ि ीं चिु ा गर्ा।
• अांग्रेजी से न ांदी र्ें स्थािान्िरण के नलए सर्र्-सीर्ा के र्द्दु े िे न ांदी और गैर-न ांदी क्षेत्रों के िीच एक निभाजि पैदा कर नदर्ा। न ांदी के
सर्था कों को ित्काल िदलाि चान ए था, जिनक गैर-न दां ी क्षेत्रों िे अनिनिि काल के नलए ि स ी, लेनकि लांिे सर्र् िक के नलए अांग्रज े ी
की अिधारण की िकालि की।
• िे रू के निचार- िे रू न ांदी को आनधकाररक भाषा ििािे के पक्ष र्ें थे, लेनकि उन् ोंिे अांग्रेजी को एक अनिररक्त आनधकाररक भाषा के
रूप र्ें जारी रखिे का भी सर्था ि नकर्ा।

29
संवििान की भूवमका-
• सांनिधाि के अिस ु र, अांिरराष्ट्रीर् अांकों के साथ न ांदी, देििागरी नलनप र्ें भारि की
आनधकाररक भाषा ोगी।
• अांग्रेजी को 1965 िक सभी आनधकाररक उद्देश्र्ों र्ें उपर्ोग के नलए जारी रखिा था,
जि इसे न ांदी द्वारा प्रनिस्थानपि नकर्ा जाएगा, िो र् चरणिद्ध िरीके से ोगा।
• 1965 के िाद, र् एकर्ात्र आनधकाररक भाषा िि जाएगी। ालाँनक, सांसद के पास
1965 के िाद भी निनदा ष्ट उद्देश्र्ों के नलए अांग्रेजी के उपर्ोग का निणा र् लेिे की िनक्त
ोगी।
• न ांदी के प्रसार और निकास के उद्देश्र् से सांनिधाि िे सरकार के नलए किा व्र् निधाा ररि
नकर्ा, और इस सांिांध र्ें प्रगनि की सर्ीक्षा के नलए एक आर्ोग और सांसद की एक
सांर्क्त
ु सनर्नि की निर्नु क्त का भी प्रािधाि नकर्ा।
• राज्र् निधािसभाओां को राज्र् स्िर पर आनधकाररक भाषा का र्ार्ला िर् करिा था,
ालाांनक सांघ की आनधकाररक भाषा राज्र्ों और कें ि के िीच और एक -दूसरे राज्र्
के िीच सांचार की भाषा के रूप र्ें कार् करेगी।
राजभाषा आयोग -
• 1956 र्ें, सांिैधानिक प्रािधाि के सांिांध र्ें राजभाषा आर्ोग (1955 र्ें स्थानपि) की ररपोटा र्ें नसफाररि की गई थी, नक न ांदी का कें ि
सरकार के निनभन्ि कार्ों र्ें (1965 र्ें प्रभािी िदलाि के साथ) अांग्रेजी की जग
उिरोिर िरीके से प्रर्ोग िरू ु करिा चान ए।
• आर्ोग के दो सदस्र्ों (एक पनिर् िांगाल से और एक िनर्लिाडु से) िे अन्र् सदस्र्ों
पर न दां ी सर्था क ोिे का आरोप लगािे ुए इसके नखलाफ अस र्नि जिाई। सांर्क्त ु
सांसदीर् सनर्नि िे नसफाररिों को लागू करिे के नलए ररपोटा की सर्ीक्षा की।
• राष्ट्रपनि िे अप्रैल 1960 र्ें एक आदेि जारी नकर्ा, नजसर्ें क ा गर्ा था नक 1965
के िाद न ांदी प्रधाि राजभाषा ोगी, लेनकि स र्ोगी आनधकाररक भाषा के रूप र्ें
अांग्रेजी नििा नकसी प्रनििांध के जारी र ेगी।
• राष्ट्रपनि के निदेि के अिस ु ार, कें ि सरकार िे न ांदी को िढािा देिे के नलए कई कदर् उठाए। इिर्ें कें िीर् न ांदी निदेिालर् की स्थापिा,
न ांदी र्ें र्ािक कार्ों का प्रकािि र्ा निनभन्ि क्षेत्रों र्ें न ांदी अिुिाद, कें ि सरकार के कर्ा चाररर्ों का न ांदी र्ें अनििार्ा प्रनिक्षण और
कािूि के प्रर्ख ु निषर्ों का न ांदी र्ें अििु ाद और अदालिों द्वारा उिके उपर्ोग को िढािा देिा िानर्ल ै।
राजभाषा अविवनयम, 1963
• गैर-न ांदी भानषर्ों के भर् को दरू करिे के नलए, 1959 र्ें सांसद र्ें िे रू िे उन् ें आश्वासि नदर्ा नक जि िक लोगों को इसकी आिश्र्किा
ोगी, िि िक अांग्रेजी िैकनल्पक भाषा के रूप र्ें जारी र ेगी। 1963 र्ें, राजभाषा अनधनिर्र् पाररि नकर्ा गर्ा था। अनधनिर्र् का
उद्देश्र्, प्रनििांध को टािा था, नजसे सांनिधाि द्वारा एक निनिि निनथ (1965) के िाद अांग्रेजी के उपर्ोग पर रखा गर्ा था।
आलोचना:
• राजभाषा अनधनिर्र् र्ें अस्पष्टिा के कारण, " ोगा" के िजार् " ो सकिा ै" िधद के कारण, उन् ोंिे इसकी आलोचिा की।
• अि, निरोध र्ें कई गैर-न ांदी िेिाओां िे आनधकाररक भाषा की सर्स्र्ा के िारे र्ें अपिा दृनष्टकोण िदल नदर्ा, जिनक िरू
ु र्ें, िे अांग्रेजी
के धीर्ी गनि से प्रनिस्थापि की र्ाांग कर र े थे, अि उन् ोंिे अपिी र्ाांग को स्थािाांिररि कर नदर्ा (नक प्रनिस्थापि के नलए कोई
सर्र् सीर्ा िर् ि ीं ोिी चान ए)।

30
• िनर्लिाडु र्ें इसका भारी निरोध ुआ। कुछ छात्रों िे खदु को जला नलर्ा,
कें िीर् र्ांनत्रर्ांडल र्ें दो िनर्ल र्ांनत्रर्ों (सी. सिु र्ण्र्र् और अलगेसि) िे
इस्िीफा दे नदर्ा, आांदोलि के दौराि पनु लस की गोलीिारी के कारण 60
लोगों की र्ौि ो गई।
• िाद र्ें जि 1966 र्ें इांनदरा गाांधी प्रधािर्ांत्री ििीं, िो उन् ोंिे 1967 र्ें
आनधकाररक भाषा अनधनिर्र्,1963 र्ें सांिोधि नकर्ा।

राजभाषा संशोिन अविवनयम, 1967-


• अनधनिर्र् 1959 िे रू के आश्वासि के िारे र्ें सभी अस्पष्टिाओां को स्पष्ट करिा ै। इसके ि ि कें ि र्ें औपचाररक कार्काज के नलए
न ांदी के अलािा अांग्रेजी को स ार्क भाषा के रूप र्ें प्रर्ोग करिे का निणा र् नलर्ा गर्ा, इसके अलािा कें ि और गैर-न ांदी भाषी राज्र्ों
के िीच सांचार के नलए भी अांग्रेजी भाषा के प्रर्ोग का निणा र् नलर्ा गर्ा (गैर-न ांदी भाषी राज्र्ों के स्िेच्छा के आधार पर)।
• नद्वभाषािाद की अनिनििकालीि िीनि अपिाई गई।
• राज्र्ों को नत्रभाषा सूत्र अपिािा था, जो नक एक आधनु िक भारिीर् भाषा का अधय्र्ि था, (न ांदी भाषी क्षेत्रों र्ें न ांदी और अांग्रेजी के
अलािा अनधर्ाििः एक दनक्षण भाषा और गैर-न दां ी भाषी क्षेत्रों र्ें स्थािीर् भाषा और अांग्रज े ी के अलािा न ांदी भाषा का अधय्र्ि)
• सांसद िे र् क िे ुए िीनिगि सांकल्प अपिार्ा नक लोक सेिा परीक्षाएां न ांदी और अांग्रेजी और सभी क्षेत्रीर् भाषाओां (इस प्रािधाि के
साथ नक उम्र्ीदिारों को न ांदी र्ा अांग्रेजी का अनिररक्त ज्ञाि ोिा चान ए) र्ें आर्ोनजि की जािी चान ए।
वशक्षा आयोग की ररपोटि , 1966-
भारि सरकार िे जल ु ाई 1967 र्ें भाषा से सांिांनधि एक और र् त्िपूणा कदर् उठार्ा। 1966 र्ें निक्षा आर्ोग की ररपोटा के आधार पर र्
घोनषि नकर्ा नक भारिीर् भाषा निश्वनिद्यालर् स्िर पर सभी निषर्ों र्ें निक्षा का र्ाध्र्र् ोगी, ालाांनक सर्र् से िदलाि के नलए प्रत्र्ेक
निश्वनिद्यालर् द्वारा अपिी सनु िधा के अिस ु ार निणा र् नलर्ा जाएगा।
राज्य का भाषाई पुनगिठन

भाषाई राज्यों का गठन-


• भारि कई भाषाओां का देि ै, प्रत्र्ेक की अलग नलनप, व्र्ाकरण, िधदािली
और सान नत्र्क परांपरा ै। 1917 र्ें, काांग्रेस पाटी िे स्ििांत्र भारि र्ें भाषाई
प्राांिों के निर्ाा ण के नलए प्रनििद्धिा नदखाई।
• 1920 र्ें काांग्रस े के िागपरु अनधिेिि के िाद, इस नसद्धाांि को भाषाई क्षेत्रों
द्वारा प्राांिीर् काांग्रेस सनर्नि के गठि के साथ निस्िाररि और औपचाररक
रूप नदर्ा गर्ा। र् ात्र्ा गाांधी िे काांग्रेस के भाषाई पिु गा ठि को सर्था ि नदर्ा

• धर्ा के आधार पर निभाजि के िाद ित्कालीि प्रधािर्ांत्री िे रू भाषा के
आधार पर आगे देि के निभानजि ोिे को लेकर आिांनकि थे। उस दौराि
कुछ र्राठी भाषी काांग्रेस सदस्र्ों िे अलग र् ाराष्ट्र राज्र् के नलए आिाज
उठाई। इस र्ाांग के िाद, अन्र् भाषा िोलिे िाले लोगों िे भी खदु के नलए
एक अलग राज्र् की र्ाांग की।

31
न्यायमूविि एस के िर आयोग (1948)
• इस र्ाांग के िाद, अन्र् भाषा िोलिे िाले लोगों िे भी खदु के नलए एक
अलग राज्र् की र्ाांग की। इसनलए, 1948 र्ें सांनिधाि सभा िे न्र्ार्र्ूनिा
एस.के . धर की अध्र्क्षिा र्ें भाषाई प्राांि आर्ोग की निर्नु क्त की, इस
िारे र्ें आर्ोग िे जाांच की।
• आर्ोग िे नदसांिर 1948 को अपिी ररपोटा सौंपी, और भाषाई आधार के
िजार् प्रिासनिक सनु िधा के आधार पर राज्र्ों के पिु गा ठि की
नसफाररि की।
• धर आर्ोग की नसफाररि के कारण िाराजगी पैदा ुई और नदसांिर,
1948 र्ें काांग्रेस द्वारा एक और भाषाई प्राांि सनर्नि (Linguistic Provinces Committee) की निर्नु क्त की गई, नजसिे इसकी िए
नसरे से जाांच की।
JVP आयोग (1949)-
• इसर्ें िे रू, सरदार पटेल और पट्टानभ सीिारर्ैर्ा िानर्ल थे।
• इसिे अप्रैल 1949 र्ें अपिी ररपोटा प्रस्िुि की और भाषा को राज्र्ों के पिु गा ठि के आधार के रूप र्ें औपचाररक रूप से खाररज कर
नदर्ा|
आंध्र िदेश- भाषाई पुनगिठन के आिार पर पहला राज्य: -
• भाषा के आधार पर राज्र्ों के गठि से जडु ा आंदोलन देश भर में फैल गया। ालाांनक, िेलगु ू क्षेत्रों र्ें र् आांदोलि अपिे चरर् पर प ुांच
गर्ा।
• आजादी के िाद िेलुगु भाषी में लोगों िे काांग्रेस से भाषाई राज्र्ों के पक्ष र्ें
अपिे परु ािे प्रस्िाि के कार्ाा न्िर्ि का आग्र नकर्ा। अपिी िाि र्ििािे के
नलए उन् ोंिे निनभन्ि िरीकों का प्रर्ोग नकर्ा जैसे- र्ानचकाएँ, अभ्र्ािेदि,
सडक र्ाचा आनद |
• इसके सर्था ि र्ें र्िास के पूिा मुख्यमंत्री टी. िकाशम िे 1950 र्ें काांग्रेस
पाटी से इस्िीफा दे नदर्ा। एक अन्र् राजिेिा स्िामी सीिाराम भूख
डिाल पर चले गए। िाद र्ें उन् ोंिे गाांधीिादी िेिा विनोबा भािे के क िे
पर डिाल को िापस ले नलर्ा।
• 19 अक्टूिर 1952 र्ें एक प्रनसद्ध स्ििांत्रिा सेिािी पोट्टी श्री रामलू एक
अलग राज्र्, आांध्रप्रदेि की र्ाांग के कारण आर्रण अििि पर चले गए और
52 नदिों के िाद उिकी र्ृत्र्ु भी ो गर्ी। उिकी र्ृत्र्ु के िाद लोगों िे
आांदोलि करिा िरू ु कर नदर्ा, और देखिे ी देखिे र् दांगा, डिाल और
न ांसा र्ें िदल गर्ा।
• नििालधरा आांदोलि (अलग आंध्र के वलए आंदोलन) एक न ांसक आांदोलि र्ें िदल गर्ा, और उस िक्त के प्रधािर्ांत्री िे रू को
नदसांिर 1952 र्ें एक अलग आांध्र राज्र् के गठि का निणा र् लेिा पडा।
• भारि सरकार िे भाषा के आधार पर पहले राज्य, आंध्र राज्य (िेलुगु भाषी क्षेत्रों को अलग कर) को मद्रास राज्य से अलग गठन
करना पडा।

32
फजल अली आयोग (1953)-
• आांध्र प्रदेि के गठि िे देि के अन्र् न स्सों र्ें भाषा के आधार पर राज्र्ों के गठि से सांिांनधि सांघषा को
और िेज कर नदर्ा। इसनलए िे रू िे अगस्ि 1953 को राज्र् पिु गा ठि आर्ोग का गठि नकर्ा नजसकी
अध्र्क्षिा न्र्ार्र्ूनिा फजल अली कर र े थे, और के .एर्. पनणक्कर और हृदर्िाथ कांु जरू इसके अन्र्
सदस्र् थे। आर्ोग का उद्देश्र् था, सांघ के राज्र्ों के पिु गा ठि से जडु े र्द्दु ों की निष्ट्पक्ष जाांच करिा।
• आर्ोग िे भाषा को राज्र्ों के पिु गा ठि का आधार र्ाििे ुए, नसिांिर 1955 र्ें अपिी ररपोटा सौंपी।
• लेनकि इसिे एक भाषा-एक राज्र् के नसद्धाांि को खाररज कर नदर्ा|
• आर्ोग के र्िु ानिक, देि के नकसी भी इकाई के गठि के िक्त भारि की एकिा को प्राथनर्किा दी जािी
चान ए।
राज्य पुनगिठन अविवनयम, 1956-
• अांििः सांसद द्वारा ििांिर 1956 र्ें राज्र् पिु गा ठि अनधनिर्र् पाररि नकर्ा गर्ा ,नजसके ि ि 14 राज्र्ों और 6 कें ि-िानसि क्षेत्रों का
प्रािधाि नकर्ा गर्ा।
• ििा र्ाि र्ें भारि र्ें 28 राज्र् एिां 8 कें ि िानसि प्रदेि- कुल 36 इकाइर्ाां ैं।
• ाल ी र्ें जम्र्ू और कश्र्ीर का पिु गा ठि कर जम्र्ू और कश्र्ीर एिां लद्दाख कें ि िानसि प्रदेिों का गठि नकर्ा गर्ा। 31 अक्टूिर
2019 को दोिों कें ि-िानसि प्रदेि घोनषि नकए गए।
• जिनक, दादरा और िगर िेली और दर्ि दीि को नर्लाकर एक कें ि िानसि प्रदेि दादरा िगर िेली और दर्ि और दीि का गठि
(26 जििरी 2020) नकर्ा गर्ा।
SRC और राज्य पुनगिठन अविवनयम, 1956 के पररर्ाम:
• SRC की ररपोटा और राज्र् पिु गा ठि अनधनिर्र् के नखलाफ सिसे कडी प्रनिनक्र्ा र् ाराष्ट्र से आई, ज ाां 1956 र्ें व्र्ापक दांगे भडक
उठे।
• दिाि र्ें, सरकार िे जूि 1956 र्ें िॉम्िे राज्र् को र् ाराष्ट्र और गज ु राि को भाषा के आधार पर निभानजि करिे का फै सला नकर्ा,
नजसर्ें िॉम्िे ि र एक अलग कें ि-िानसि राज्र् ििार्ा गर्ा।
• इस कदर् का र् ाराष्ट्रीर्ों िे कडा निरोध नकर्ा।
• सरकार िे जल ु ाई र्ें अपिे फै सले को पलट नदर्ा, और नद्वभाषी 'ग्रेटर िॉम्िे' का गठि नकर्ा।
• ालाँनक, इस कदर् का र् ाराष्ट्र और गज ु राि दोिों के लोगों द्वारा निरोध नकर्ा गर्ा था।
• गजु राि को लगा नक िे िए राज्र् र्ें अल्पसांख्र्क ोंगे। िे भी िांिई ि र को र् ाराष्ट्र को देिे के नलए स र्ि ि ीं ोंगे।
• न ांसा और आगजिी अ र्दािाद और गज ु राि के अन्र् न स्सों र्ें फै ल गई।
• िॉम्िे ि र पर अस र्नि के र्द्देिजर, सरकार अपिे फै सले पर अडी र ी और ििांिर 1956 र्ें राज्र् पिु गा ठि अनधनिर्र् पाररि
नकर्ा।
• करीि पाांच साल िक आांदोलि जारी र ा।
• र्ई 1960 र्ें सरकार िे अांििः िॉम्िे राज्र् को र् ाराष्ट्र और गुजराि र्ें निभानजि करिे पर स र्नि व्र्क्त की, नजसर्ें िॉम्िे ि र को
र् ाराष्ट्र र्ें िानर्ल नकर्ा गर्ा, और अ र्दािाद को गज ु राि की राजधािी ििार्ा गर्ा।
पंजाब:
• अन्र् राज्र् ज ाां भाषाई नसद्धाांि से सांिांनधि एक अपिाद था- पंजाब।

33
• 1956 र्ें, PEPSU के राज्यों का पंजाब के साथ विलय कर वदया गया , जो ालाांनक, एक वत्रभाषी राज्य ीं र ा, नजसर्ें िीि भाषा
(पंजाबी, वहंदी और पहाडी) िोलिे िाले लोग थे।
• राज्र् के पांजािी भाषी न स्से र्ें, एक अलग पांजािी सूिा (पांजािी भाषी राज्र्) स्थानपि करिे की जोरदार र्ाांग उठी।
• र्द्दु ा सांिदावयक िनाि र्ें िदल गर्ा।
• अांि र्ें, 1966 र्ें, इांनदरा गाांधी दो राज्र्ों (पंजाबी और वहंदी भाषी राज्य पंजाब और हररयार्ा) र्ें पांजाि के निभाजि के नलए स र्ि
ो गई। इसके अलािा, काांगडा का प ाडी भाषी नजला और ोनिर्ारपरु नजले का एक न स्सा न र्ाचल प्रदेि र्ें नर्ला नदर्ा गर्ा।
• चंडीगढ़ ििनिनर्ा ि ि र और सांर्क्त ु पांजाि की राजधािी थी, नजसे कें द्र-शावसि प्रदेि ििार्ा गर्ा और पांजाि और ररर्ाणा की
सांर्क्तु राजधािी के रूप र्ें भी स्थानपि नकर्ा गर्ा।
• अिः, दस साल से अनधक के लांिे सांघषा के िाद, भारि का भाषाई पिु गा ठि काफी द िक परू ा ो गर्ा, नजससे लोगों की अनधक
राजिीनिक भागीदारी सनु िनिि ुई।
• राज्र्ों के पिु गा ठि के भाषाई आधार पर र्ूल्र्ाांकि|
• 1956 से, निनभन्ि घटिाएां राष्ट्र के प्रनि िफादारी के पूरक के िजार् एक भाषा के प्रनि िफादारी को स्पष्ट रूप से नदखािी ै।
• भाषाई िजा पर राज्र्ों को पिु गा नठि करके , राष्ट्रीर् िेित्ृ ि िे एक िडी र्नश्कल को दूर नकर्ा, नजसके कारण पृथकिािादी प्रिृनि िढ
सकिी थी।
• राज्र्ों के भाषाई पिु गा ठि िे नकसी भी िर से सांघ के सांघीर् ढाांचे को प्रनिकूल रूप से प्रभानिि र्ा कें ि को कर्जोर ि ीं नकर्ा ै।
• िेिृत्ि के पूिा आरक्षण के िािजदू , पिु गा ठि िे भारि के राजिीनिक र्ािनचत्र को िकासांगि रूप (इसकी एकिा को ज्र्ादा कर्जोर नकए
नििा) प्रदाि नकर्ा।
• इसिे कल के प्रर्ख ु स्रोि को खत्र् कर नदर्ा।
• इसिे सर्रूप राजिीनिक इकाइर्ाँ ििाई ां, नजन् ें एक र्ाध्र्र् से प्रिानसि नकर्ा जा सकिा था, नजसे ि ुसांख्र्क आिादी सर्झिी थी।
• र् निभाजिकारी िल ोिे के िजार् एक एकीकृ ि िल सानिि ुआ ै।
अल्पसंख्यक भाषाएाँ और संबंविि मुद्दे:
• िडी सांख्र्ा र्ें भाषाई अल्पसांख्र्क, जो राज्र् की र्ख्ु र् र्ा आनधकाररक भाषा के अलािा अन्र् भाषा िोलिे ैं, भाषाई रूप से र्ेिा
से पिु गा नठि राज्र्ों र्ें र े ।
• कुल नर्लाकर, भारि की लगभग 18 िविशि आबादी, ज ाां िे र िे ,ैं अपिी र्ािृभाषा के रूप र्ें राज्र्ों की आनधकाररक भाषा ि ीं
िोलिे ै।
• इि राज्र्ों र्ें इि अल्पसांख्र्कों की नस्थनि और अनधकारों से सांिांनधि निणा र् लेिा एक र् त्िपूणा कार्ा था।
• दूसरी ओर, र् अिनु चि व्र्ि ार के नखलाफ उिके सांरक्षण की िाि थी।
• दूसरी ओर, राज्र् के प्रर्ख ु भाषा सर्ू के साथ उिके एकीकरण को िढािा देिे की आिश्र्किा थी।
• एक भाषाई अल्पसांख्र्क को र् निश्वास नदर्ा जािा चान ए नक उिके साथ भेदभाि ि ीं नकर्ा जाएगा और इसकी भाषा और सांस्कृ नि
की रक्षा और निकास नकर्ा जाएगा।
• साथ ी, ि ुसांख्र्कों को र् आश्वासि देिा पडा नक भाषाई अल्पसांख्र्क की जरूरिों को पूरा करिे से अलगाििादी भाििाएँ उत्पन्ि
ि ीं ोंगी।
समािान
• इस सर्स्र्ा का सर्ाधाि करिे के नलए सांनिधाि के ि ि कुछ मौवलक अविकारों को भाषाई अल्पसांख्र्कों को प्रदाि नकर्ा गर्ा था।

34
• उदा रण के नलए, अनच्ु छेद 30 र्ें र् क ा गर्ा ै नक ' धर्ा र्ा भाषा के आधार पर सभी अल्पसांख्र्को को, अपिी पसांद के िैनक्षक
सांस्थािों की स्थापिा और प्रिासि का अनधकार ोगा' और इससे भी र् त्िपूणा र् ै नक राज्र् धर्ा र्ा भाषा के आधार पर
अल्पसांख्र्को को अिदु ाि देिे र्ें भेदभाि ि ीं करेगा’।
• अनच्ु छेद 347 र् क िा ै, नक नकसी राज्र् की जिसांख्र्ा का पर्ाा प्त भाग अगर र् चा िा ै नक उसके द्वारा िोली जािे िाली भाषा
को राज्र् द्वारा र्ान्र्िा दी जाए िो राष्ट्रपनि निदेि दे सकिा ै, नक ऐसी भाषा को भी उस राज्र् र्ें सिा त्र र्ा उसके नकसी भाग र्ें ऐसे
प्रर्ोजि के नलए, जो ि निनिनदा ष्ट करे, िासकीर् र्ान्र्िा दी जाए।
• 1956 र्ें सांनिधाि सांिोधि के ि ि ििाई गई आनधकाररक िीनि के अिस ु ार प्राथनर्क एिां र्ाध्र्नर्क िगों के निद्यानथा र्ों को र्ािृभाषा
र्ें निदेि नदर्ा जाएगा, अगर निद्यानथा र्ों की सांख्र्ा पर्ाा प्त ो।
• सांिोधि इि सरु क्षा उपार्ों के कार्ाा न्िर्ि पर निर्नर्ि रूप से जाांच और ररपोटा करिे के नलए भाषाई अल्पसांख्र्कों के नलए एक
आर्क्त ु की निर्नु क्त का भी प्रािधाि करिा ै।
• कुल नर्लाकर, कें ि सरकार अल्पसांख्र्कों के अनधकारों की सरु क्षा र्ें ि ुि ीं सकारात्र्क भूनर्का निभािी ै, लेनकि अल्पसांख्र्क
सांिांनधि सरु क्षा उपार्ों को लागू करिे िाले राज्र् सरकारों के दार्रे र्ें आिा ै और इसनलए र् राज्र् के अिस ु ार िदलिा र िा ै।
• सार्ान्र् िौर पर, कई राज्र्ों र्ें कुछ प्रगनि के िािजूद, उिर्ें से ज्र्ादािर र्ें भाषाई अल्पसांख्र्कों की नस्थनि सांिोषजिक ि ीं र ी
ै।
भारि में जनजािीय एकीकरर्
• आनदिासी देि के निनभन्ि न स्सों र्ें आनदिासी भाषा िोलिे और अलग-अलग सांस्कृ निर्ाँ रखिे िाले निनभन्ि पररनस्थनिर्ों र्ें र िे
ैं।
• उिकी आिादी मध्य िदेश, वबहार, उडीसा, उत्तर-पूिी भारि, पविम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजराि और राजस्थान र्ें सिसे अनधक
ै।
• पिू ोिर को छोडकर, अपिे गृ राज्र्ों र्ें िे अल्पसंख्यक ै। औपनििेनिक भारि र्ें, िे सापेक्ष अलगाि र्ें र िे थे (ििा र्ाि सर्र् की
िुलिा र्ें)। उिकी परांपराएां और सांस्कृ निर्ाां उिके गैर-आनदिासी पडोनसर्ों से स्पष्ट रूप से नभन्ि थीं।
• ज्र्ादािर पहाडी और िन क्षेत्रों र्ें र िे ुए, औपनििेनिक भारि र्ें िे सापेक्ष अलगाि र्ें र िे थे और उिकी परंपरा, आदिें,
संस्कृवियााँ और जीिन जीने के िरीके उिके गैर-आनदिासी पडोनसर्ों के साथ असाधारण रूप से नभन्ि थे।
• भूनर् अविग्रहर्, ऋर्ग्रस्ििा, वबचौवलयों द्वारा शोषर्, जंगलों और िन उत्पादों िक उनकी पहुचं को बाविि करना,
पवु लसकवमियों, िन अविकाररयों और अन्य सरकारी अविकाररयों द्वारा उत्पीडि और जिरि िसल ू ी, िे उन्िीसिीं और िीसिीं
ििाधदी र्ें आनदिासी नििो ों की एक श्रृांखला का कारण ििा, जैसे संथाल और मुंडा विद्रोह।
• औपनििेनिक सिा के साथ र्ौनलक पररििा ि और िाजार की पैठ िे अलग-थलग जिजािीर् लोगों को एकीकृ ि नकर्ा।
• िडी सांख्र्ा र्ें ऋर्दािाओं, व्यापाररयों, राजस्ि वकसानों, अन्य वबचौवलयों और अविकाररयों िे आनदिासी क्षेत्रों पर आक्र्ण
नकर्ा और आनदिानसर्ों के पारांपररक जीिि-िैली को िानधि नकर्ा।
• ििों के सांरक्षण और उिके व्र्ािसानर्क िोषण को सनु िधाजिक ििािे के नलए, औपनििेनिक अनधकाररर्ों द्वारा िि कािूिों के ि ि
िडी िि भूनर् को लार्ा गर्ा, नजसिे 'झूम कृवष' से र्िा कर नदर्ा और आनदिानसर्ों के जांगल के उपर्ोग और िि उत्पादों िक उिकी
प ुांच पर गांभीर प्रनििांध लगा नदए।
भारि में जनजािीय एकीकरर् की समस्या-
जनजािीय एकिा के िवि दृविकोर्

35
1. अलगाि की नीवि- अलगाि की िीनि का उद्देश्र् उि आनदिासी लोगों को
अके ला छोड देिा ै, जो अपिी दनु िर्ा से िा र चल र े आधनु िक प्रभािों से
अप्रभानिि ैं।
Approcahes for
2. समािेशन की नीवि- उन् ें भारिीर् सर्ाज र्ें परू ी िर से और जल्द से Tribal Integration
जल्द आत्र्साि करिा था। जिजािीर् जीिि का अांि उिके 'उत्थाि' को
प्रदनिा ि करेगा। To solve problem
of Tribal
3. एकीकरर् की नीवि- इि दो दृनष्टकोणों के िजार्, िे रू िे निनिष्ट प चाि Integration

और सांस्कृ नि को ििाए रखिे ुए भी भारिीर् सर्ाज के साथ आनदिासी


Policy of Policy of
लोगों को एकीकृ ि करिे की िीनि का सर्था ि नकर्ा। िे रूिादी दृनष्टकोण के Policy of Isolation
Asssimilation Integration
दो िनु िर्ादी र्ािदांड थे- 'आनदिासी क्षेत्रों की प्रगनि' और 'उिके िरीके के
अिस ु ार प्रगनि '|
एकीकरर् की नीवि –
• सर्स्र्ा र् थी, नक इि दो निरोधाभासी दृनष्टकोणों का एकीकरण
कै से नकर्ा जाए।
• िे रू ि ुपक्षीर् िरीकों से आनदिासीर्ों के आनथा क और सार्ानजक
निकास के पक्ष र्ें थे, खासकर सांचार, आधनु िक नचनकत्सा
सनु िधाओां, कृ नष और निक्षा के क्षेत्र र्ें।
इस सांिांध र्ें, उन् ोंिे सरकार की िीनि के नलए कुछ व्र्ापक नदिा-निदेि
नदए। र्े ‘आनदिासी पांचिील’ के रूप र्ें जािे जािे ैं-
• सिसे प ले, आनदिासीर्ों को अपिी प्रनिभा के अिस ु ार निकनसि
करिा चान ए; और कोई िा री र्जिूरी ि ीं ोिी चान ए।
• दूसरा, भूनर् और जांगलों से सांिांनधि जिजािीर् अनधकारों का सम्र्ाि नकर्ा जािा चान ए और कोई िा री व्र्नक्त आनदिासी भूनर् पर
कधजा करिे र्ें सक्षर् ि ीं ोिा चान ए।
• िीसरा, आनदिासी भाषाओां को प्रोत्सान ि करिा आिश्र्क ै, और इन् ें र सांभि सर्था ि नदर्ा जािा चान ए और इिके निकास के
नलए अिक ु ू ल पररनस्थनिर्ाां चान ए ’।
• चौथा, प्रिासि स्िर्ां आनदिासीर्ों के ाथों र्ें नदर्ा जािा चान ए, और प्रिासकों को उिके िीच से चिु ा जािा और प्रनिनक्षि नकर्ा
जािा चान ए।
• पांचिां, उिके अपिे सार्ानजक और साांस्कृ निक सांस्थािों के र्ाध्र्र् से आनदिानसर्ों के प्रिासि और निकास का प्रर्ास ोिा
चान ए।
सरकार की नीवियां
• इसकी िरुु आि सिसे प ले सांनिधाि र्ें ी की गई थी, अिच्ु छे द 46 र्ें एक नििेष प्रािधाि नकर्ा गर्ा था नजसके अिस ु ार राज्र्
लोगों का सार्ानजक अन्र्ार् एिां सभी प्रकार के िोषण से सरु क्षा करेगा ।
• जिजािीर् क्षेत्रों के राज्र्पालों को उिके न िों की रक्षा करिे का नििेष उिरदानर्त्ि सौपा गर्ा था नजसर्ें उन् ें जिजािीर् क्षेत्रों र्ें
अपिे आिेदि र्ें कें िीर् और राज्र् कािूिों को सांिोनधि करिे की िनक्त िथा भूनर् पर जिजािीर्ों के अनधकारों की रक्षा एिां सा ूकारों
से उिकी सरु क्षा का प्रािधाि नकर्ा गर्ा ।ै इस उद्देश्र् के नलए र्ौनलक अनधकारों र्ें सांिोधि भी नकर्े गर्े।
• सांनिधाि िे आनदिासी लोगों को पूणा राजिीनिक अनधकार भी नदए ैं।

36
• इसके अलािा इसर्ें अिस ु ूनचि जिजानिर्ों के नलए निधािसभाओां र्ें सीटों के आरक्षण िथा प्रिासनिक सेिाओां र्ें पदों के प्रािधाि
भी नकर्े गर्े थे।
• सांनिधाि र्ें जिजािीर् क्षेत्रों िाले सभी राज्र्ों र्ें जिजािीर् सला कार पररषदों की स्थापिा की गई िानक आनदिानसर्ों के कल्र्ाण
सांिांधी र्ार्लों पर सला दी जा सके ।
• राष्ट्रपनि द्वारा अिसु ूनचि जानिर्ों िथा जिजानिर्ों के नलए एक आर्क्त ु की निर्नु क्त की गई िानक र् जाांच की जा सके नक उिके
नलए उपलधध कराए गए सरु क्षा उपार्ों का पालि नकर्ा जा र ा ै र्ा ि ीं ।
• राज्र् सरकारों द्वारा गैर-जिजािीर् लोगों को जिजािीर् भूनर् के िक ु साि को रोकिे िथा सा ूकारों द्वारा आनदिानसर्ों के िोषण को
रोकिे के नलए निधार्ी और कार्ा कारी कार्ा िा ी की गई ।
• जिजािीर् क्षेत्रों िथा जिजािीर् लोगों के कल्र्ाण एिां निकास के नलए कें ि िथा राज्र् सरकारों द्वारा नििेष सनु िधाएां एिां कार्ा क्र्ों
का आर्ोजि नकर्ा गर्ा ैं नजसर्ें कुटीर एिां ग्रार्ोद्योगों को िढािा देिे के साथ-साथ रोजगार उपलधध करािा भी िानर्ल ै।
• सांिैधानिक सरु क्षा उपार्ों िथा कें ि एिां राज्र् सरकारों के प्रर्ासों के िािजूद आनदिानसर्ों की प्रगनि और कल्र्ाण ि ुि धीर्ा और
निरािाजिक र ा ै । पूिोिर को छोडकर आनदिासी गरीि ,कजा दार ,भूनर् ीि और िेरोजगार ििे ुए ैं।
जनजािीय नीवियों के वनराशाजनक िदशिन के कारर्-
o अक्सर जिजािीर् कल्र्ाण के नलए आिांनटि निनधर्ों को खचा ि ीं नकर्ा जािा र्ा नििा नकसी अिक ु ू ल पररणार् के खचा नकर्ा जािा
ै िथा कभी-कभी निनधर्ों का दरू ु पर्ोग भी नकर्ा जािा ै । जिजािीर् न िों के सजग प्रेक्षक िथा जिजािीर् सला कार पररषद िे
भी प्रभािी ढांग से कार्ा ि ीं नकर्ा ै।
o प्रिासनिक कर्ा चाररर्ों को र्ा िो आनदिानसर्ों के सांदभा र्ें उनचि िरीके से प्रनिनक्षि ि ीं नकर्ा गर्ा ै र्ा िे आनदिानसर्ों से पक्षपाि
करिे ैं।
o अक्सर कािूिों और कािूिी प्रणाली से अिनभज्ञ ोिे के कारण उन् ें न्र्ार् से िांनचि ोिा पडिा ै ।
o आनदिानसर्ों के नलए भूनर् स्िाांिरण के सख्ि कािूिों का उल्लांघि ,नजससे आनदिानसर्ों का भूनर् से अलगाि और िेदखली ोिी
ै।
o खािों िथा उद्योगों का िीव्र निस्िार ोिे के कारण कई क्षेत्रों र्ें उिकी नस्थनि िदिर ो गई ै ।
o र्द्यनप ििों की कटाई से आर् िढ जािी ै ,परन्िु इससे आनदिानसर्ों के जांगल और उिके उत्पादों िक प ुांच के पारांपररक अनधकारों
र्ें लगािार कटौिी की जा र ी ै ।
o जिजािीर् लोगों र्ें निक्षा की प्रगनि निरािाजिक र ी ै ।
o िि अनधकाररर्ों द्वारा उिका िोषण करिा िथा उिके प्रनि सांकीणा रिैर्ा अपिािा।
o िन्र् कािूिों और निर्र्ों का प्रर्ोग आनदिासी लोगों को परेिाि करिे िथा उिका िोषण करिे के नलए नकर्ा जािा ै।
सकारात्मक विकास--
• आनदिानसर्ों के अनधकारों एिां न िों की रक्षा के नलए क़ािूि।
• आनदिासी कल्र्ाण निभागों की गनिनिनधर्ाँ।
• पांचार्िी राज व्र्िस्था।
• साक्षरिा एिां निक्षा का प्रसार।
• सरकारी सेिाओां एिां उच्च निक्षण सांस्थािों र्ें आरक्षण।
• िार-िार ोिे िाले चिु ािों से आनदिासी लोगों र्ें निश्वास िढा ै िथा उिकी
राजिीनिक भागीदारी र्ें भी िढोिरी ुई ।ै
• िे राष्ट्र के आनथा क निकास र्ें और अनधक न स्सेदारी की र्ाांग कर र े ।ैं

37
• निकास एिां कल्र्ाणकारी कार्ों की कर्ी के चलिे िाि ुए आनदिानसर्ों के निरोध प्रदिा ि िरू ु ो गए ैं। नजसके काफी सकारात्र्क
पररणार् भी देखिे को नर्ले ैं। लेनकि कुछ निरोध प्रदिा िों र्ें न ांसा ोिे के कारण उिके निरुद्ध कठोर कािूिी कार्ा िा ी की गई।
ालाांनक उन् ोंिे िाटकीर् रूप से जिजािीर् नस्थनि पर सरकार का ध्र्ाि आकनषा ि नकर्ा ै नफर भी उन् ें ि ुि ी कर् िरजी नर्ल
पाई ै।
पूिोत्तर में आवदिासी जनजावि-

पृष्ठभूवम-
• उिर-पिू ी भारि की जिजािीर्ों, नजिर्ें सौ से अनधक
सर्दु ार् िानर्ल ैं ,जो निनभन्ि प्रकार की भाषाएां िोलिे ैं
िथा असर् के प ाडी इलाकों र्ें र िे ैं, िे देि के िाकी
न स्सों र्ें आनदिासी लोगों की कई नििेषिाओां और
सर्स्र्ाओां को साझा नकर्ा ै।
• लेनकि उिकी नस्थनि कई र्ार्िों र्ें अलग थी। ,उन् ोंिे उि
अनधकाांि क्षेत्रों र्ें र िे िाली आिादी को ि ुर्ि से सांगनठि
नकर्ा।
• ,गैर-आनदिानसर्ों िे इि क्षेत्रों र्ें नकसी भी र् त्िपूणा क्षेत्र र्ें
प्रिेि ि ीं नकर्ा ।
• अांग्रेजों द्वारा अनधकृ ि आनदिासी इलाकों को असर् प्राांि का न स्सा ििार्ा गर्ा परन्िु उन् ें एक अलग प्रिासनिक दजाा नदर्ा गर्ा
था।
• जिजािीर् क्षेत्रों र्ें नकसी गैर-आनदिासी को भूनर् अनधग्र ण की अिर्ु नि ि ीं दी गई नजसके कारण आनदिानसर्ों को भूनर् का कुछ
िक ु साि ुआ ।
• इसके साथ ी ,निनटि सरकार िे ईसाई नर्ििररर्ों को स्कूलों ,अस्पिालों िथा चचों को स्थानपि करिे िथा अपिे धर्ा का प्रचार
करिे की अिर्ु नि दी और र् ाां िक नक कुछ आनदिासी र्िु ाओां के िीच पररििा ि और आधनु िक निचारों को भी प्रस्िुि नकर्ा ।
• इसके िदले र्ें नर्ििररर्ों िे औपनििेनिक अनधकाररर्ों के साथ स र्ोग नकर्ा िथा राष्ट्रिादी प्रभाि को आनदिासी इलाकों से िा र
रखिे र्ें स ार्िा की ।
• िास्िि र्ें ,स्ििांत्रिा के िरु िां िाद ,कुछ नर्ििररर्ों िथा अन्र् निदेनिर्ों िे भी उिर-पूिी भारि र्ें पृथक एिां स्ििांत्र राज्र्ों की भाििा
को िढािा नदर्ा।
• पूिोिर र्ें आनदिानसर्ों के नकसी भी राजिीनिक र्ा साांस्कृ निक सांपका का
िेष भारि के राजिीनिक जीिि के साथ आभासी अभाि भी एक असाधारण
र्िभेद था।
• एक राष्ट्र के रूप र्ें भारिीर् लोगों के एकीकरण र्ें साम्राज्र्िाद-निरोधी सांघषा
के दौराि सम्िन्ध एक र् त्िपूणा कारक था।
• लेनकि इस सांघषा का पूिोिर के आनदिानसर्ों पर ि ुि कर् प्रभाि था। भारि
सरकार की आनदिासी िीनि जो जिा रलाल िे रू से प्रेररि थी ,पूिोिर के
आनदिासी लोगों के नलए और भी अनधक प्रासांनगक थी।
• इस िीनि का एक प्रनिनिांि सांनिधाि की छठी अिस ु ूची र्ें था जो के िल असर्
के आनदिासी क्षेत्रों पर लागू ोिा था।

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• छठी अिस ु ूची िे स्िार्ि नजलों और नजला एिां क्षेत्रीर् पररषदों के निर्ाा ण के नलए आनदिासी लोगों को स्ि-िासि का एक उनचि
स्थाि प्रस्िुि नकर्ा ,जो असर् सरकार िथा सांसद के सर्ग्र अनधकार क्षेत्र के भीिर कुछ निधार्ी और न्र्ानर्क कार्ों को करेगी।
असम में समस्याएं/स्िायत्तिा के वलए मांग-असम (1950)

• सर्स्र्ाएां इसनलए पैदा ुई ां क्र्ोंनक असर् की प ाडी जिजानिर्ों का असर् और िांगाली नििानसर्ों के साथ कोई साांस्कृ निक सांिांध
ि ीं था।
• आनदिासी अपिी प चाि खोिे से डरिे थे ।
• उिके िीच कार् करिे िाले गैर-आनदिानसर्ों जैसे निक्षकों, डॉक्टरों, सरकारी अनधकाररर्ों, व्र्ापाररर्ों द्वारा उिके प्रनि अरुनच िथा
घृणा का दृनष्टकोण अपिार्ा गर्ा।
• िीघ्र ी ,असर् सरकार के नखलाफ आक्ोि िढिे लगा और 1950 के दिक के र्ध्र् र्ें आनदिासी लोगों के कुछ िगों के िीच एक
अलग प ाडी राज्र् की र्ाँग उठिे लगी।
• 1960 र्ें जि असर् के िेिा असनर्र्ा को राज्र् की एकर्ात्र आनधकाररक भाषा ििािे की नदिा र्ें आगे िढे िो इस र्ाांग को और िल
नर्ला।
• 1960 र्ें, प ाडी क्षेत्रों के निनभन्ि राजिीनिक दलों िे ऑल-पाटी न ल लीडसा कॉन्फ्रेंस (APHLC) र्ें निलर् कर नलर्ा िथा नफर से
भारिीर् सांघ के भीिर एक अलग राज्र् की र्ाांग की।
• असर् राजभाषा अनधनिर्र् के पाररि ोिे से असनर्र्ा को राज्र् की आनधकाररक भाषा ििा नदर्ा गर्ा ,नजससे जिजािीर् नजलों र्ें
िीव्र और कडी प्रनिनक्र्ा ुई।
• 1962 के चिु ाि र्ें आनदिासी क्षेत्रों से निधािसभा सीटों पर पृथक राज्र्
की िकालि करिे िालों िे भारी ि ुर्ि ानसल की थी, नजन् ोंिे राज्र्
निधािसभा का िन ष्ट्कार करिे का फै सला नकर्ा था।
• लांिे सर्र् िक चचाा िथा िािचीि के िाद कई ांआर्ोगों और सनर्निर्ों
िे इस र्ार्ले की जाांच की।
• अांि र्ें 1969 ,र्ें एक सांिैधानिक सांिोधि के र्ाध्र्र् से र्ेघालर् को
असर् से' एक राज्र् के भीिर एक राज्र् 'के रूप र्ें अलग नकर्ा गर्ा।
• पिू ोिर के पिु गा ठि के एक भाग के रूप र्ें, र्ेघालर् 1972 र्ें एक अलग
राज्र् ििा ,नजसर्ें गारो ,खासी और जैंनिर्ा जिजानिर्ों को िानर्ल
नकर्ा गर्ा।

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• कें ि िानसि प्रदेिों, र्नणपरु और नत्रपरु ा को राज्र् का दजाा नदर्ा गर्ा।
• र्ेघालर् ,र्नणपरु ,नत्रपरु ा और अरुणाचल प्रदेि का राज्र् के रूप र्ें पररििा ि काफी स ज था।
• िागालैंड और नर्जोरर् के र्ार्ले र्ें परेिािी ुई ज ाां अलगाििादी और नििो ी आांदोलि ुए।
• इि र्ाांगों को िोडोस ,कािी और नडर्ासा जैसी जिजानिर्ाां अपिे आनदिासी सर्दु ार्ों के नलए एक अलग राज्र् की र् त्त्िाकाांक्षा करिे
से ि ीं रोक सकी ।
• उन् ोंिे अपिी स्िार्ििा की र्ाांग की ओर कें ि का ध्र्ाि आकनषा ि नकर्ा। उन् ोंिे लोकनप्रर् आांदोलिों और उग्रिाद के र्ाध्र्र् से
जििा की रार् को सांगनठि नकर्ा।
• कें ि के नलए सभी क्षेत्रीर् आकाांक्षाओां को पूरा करिा िथा छोटे राज्र् ििािा सांभि ि ीं था। इसनलए ,कें ि िे इस र्ाांग को पूरा करिे के
नलए जिजानिर्ों के नलए स्िार्ि नजले प्रदाि करिे जैसे कुछ अन्र् उपार् नकए।
नॉथि-ईस्ट फ्रंवटयर एजेंसी-
• िे रू और िेररर्र एनल्िि की िीनिर्ाां उिर-पूिी फ्रांनटर्र एजेंसी
र्ा NEFA र्ें सिोिर् िरीके से लागू की गई ां ,जो 1948 र्ें असर्
के सीर्ाििी क्षेत्रों र्ें ििाई गई थीं।
• NEFA को असर् के अनधकार क्षेत्र से िा र एक कें ि िानसि प्रदेि
के रूप र्ें स्थानपि नकर्ा गर्ा िथा एक नििेष प्रिासि के अांिगा ि
रखा गर्ा था।
• िरू
ु से ी प्रिासि की ओर से अनधकाररर्ों के नििेष कै डर की
िैिािी की गई ,नजन् ें लोगों के जीिि के सार्ानजक और साांस्कृ निक
स्िरूप र्ें छे डछाड नकए नििा नििेष रूप से िैर्ार की गई
निकासात्र्क िीनिर्ों को लागू करिे के नलए क ा गर्ा।
• NEFA को अरुणाचल प्रदेि का िार् नदर्ा गर्ा िथा 1987 र्ें एक
अलग राज्र् का दजाा नदर्ा गर्ा।
झारखंड-
• छोटा िागपरु और सांथाल परगिा सन ि नि ार के आनदिासी क्षेत्र झारखांड र्ें
दिकों से राज्र् की स्िार्ििा के नलए आांदोलि चल र े ैं।
• आनथा क निभेद को कृ नष श्रनर्कों िथा खिि एिां औद्योनगक श्रनर्कों की िढिी
सांख्र्ा के आधार पर निधाा ररि नकर्ा गर्ा ै।
• आनदिानसर्ों के िीच भू-जोि प्रनिरूप गैर-आनदिानसर्ों की िर असर्ाि और
निषर् ै।
• उिके िीच सा ूकारों का एक िडा िगा भी निकनसि ुआ ै।
• झारखांड र्ें आनदिासी सर्ाज एक िगा -निभानजि सर्ाज िि गर्ा। अनधकाांि आनदिासी दो
औपचाररक धर्ों का पालि करिे ैं -न ांदू धर्ा और ईसाई धर्ा ।
• ालाँनक ,झारखांड की जिजानिर्ाँ अन्र् भारिीर् जिजानिर्ों के साथ कुछ नििेषिाएां साझा करिी
ैं।
• उन् ोंिे आर्िौर पर िा री लोगों को अपिी अनधकाांि भूनर् दी िथा ऋणग्रस्ििा ,रोजगार की कर्ी
और कर् कृ नष उत्पादकिा से िरु ी िर प्रभानिि ुए।

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• 1971 र्ें झारखांड की लगभग दो-नि ाई आिादी गैर-आनदिासी थी।
• आनदिासी और गैर-आनदिासी दोिों का सर्ाि रूप से िोषण नकर्ा गर्ा।
• पाटी िे 1950 के दिक के दौराि नि ार की चिु ािी राजिीनि र्ें उल्लेखिीर् सफलिा ानसल
की। झारखांड की जिसांख्र्ा सांरचिा ऐसी थी नक अलग राज्र् का दजाा नर्लिे के िाद भी
आनदिासी अभी भी ि ाँ अल्पसांख्र्क ििे ुए ैं।
• इस सर्स्र्ा को दूर करिे के नलए पाटी िे गैर आनदिानसर्ों को सदस्र्िा देकर अपिी र्ाांग को
क्षेत्रीर् स्िरूप देिे की कोनिि की।
• ालाांनक 1955 के राज्र् पिु गा ठि आर्ोग िे अलग झारखांड राज्र् की र्ाांग को इस आधार पर खाररज कर नदर्ा नक उस क्षेत्र की कोई
साझी भाषा ि ीं थी।
• 1963 र्ें जर्पाल नसां के िेिृत्ि र्ें पाटी का एक िडा न स्सा काांग्रेस र्ें िानर्ल ो गर्ा। 1967 के िाद झारखांड र्ें कई आनदिासी
आांदोलि ुए नजिर्ें सिसे प्रर्ख ु झारखांड र्नु क्त र्ोचाा (JMM) ैं, नजसे 1972 के अांि र्ें गनठि नकर्ा गर्ा था।
• झारखांड र्नु क्त र्ोचाा िे झारखांड राज्र् की र्ाांग को पिु जीनिि नकर्ा िथा झारखांड क्षेत्र के सभी परु ािे(older) नििानसर्ों को दृढिा
पूिाक अपिी िाि रखी।
• आनथा क र्द्दु ों पर ध्र्ाि कें निि करिे ुए इसिे गैर-आनदिासी गरीिों का सर्था ि भी ानसल कर
नलर्ा । झारखांड र्नु क्त र्ोचाा िे एक कट्टरपांथी र्ोजिा और निचारधारा की ओर रुख नकर्ा।
र्ाक्सा िादी सर्न्िर् कें ि जैसे िार्पांथी सर्ू ों से जडु कर इसिे कई उग्रिादी आांदोलि नकए ।
• नििू सोरेि 1970 के दिक के िरू ु र्ें झारखांड र्नु क्त र्ोचाा के अद्भुि िेिा के रूप र्ें उभरे । ाँलानक
इसके सांिांध, ि िो िार्पांनथर्ों के साथ और ि ी आनदिासी गैर-आनदिासी गठिांधि के साथ |
• झारखांड राज्र् के नलए आांदोलि लगािार उिार-चढाि से गज ु रिा र ा और िए सर्ू ों के साथ
नपछले कुछ िषों र्ें अलग ो गर्ा। झारखांड को सभी उिर पिू ी राज्र्ों के िाद रखा जा सकिा ै।
वशबू सोरेन
• झारखांड के िेिाओां के िीच प्रर्ख ु र्िभेद अनखल भारिीर् स्िर के दलों के साथ स र्ोग र्ा गठिांधि के सिाल से सांिांनधि थे।
• इस आांदोलि को भी आनदिासी आन्दोलि से िगा आधाररि क्षेत्रीर् राजिीनि र्ें स्थािाांिररि करिा र्नु श्कल ो गर्ा ,क्र्ोंनक र् र्ूल
रूप से आनदिासी प चाि के साथ ििार्ा गर्ा था और आनदिासी सर्ाज भी सजािीर् ि ीं था ;इसर्ें जर्ींदार ,अर्ीर नकसाि ,
व्र्ापारी और सा ूकार िानर्ल थे।
• ालाँनक ,निनभन्ि कारणों से ,आनखरकार सि् 2000र्ें अटल जी के एिडीए सरकार के दौराि झारखांड एक राज्र् के रूप र्ें अनस्ित्ि
र्ें आर्ा।
• अलगाििादी आांदोलि-स्िार्ििा की र्ाांगों को सांिैधानिक प्रािधािों के साथ पूरा नकर्ा जा सकिा ै ,लेनकि जि कोई सांप्रभु देि से
अलग देि की र्ाांग करिा ै ,िो र्द्दु ा जनटल ो जािा ै।

वमजोरम-
• 1959 के अकाल के दौराि असर् सरकार के रा ि उपार्ों से िाखिु िथा 1961 के
अनधनिर्र् से असनर्र्ा को राज्र् की आनधकाररक भाषा ििािे से नऱ्िो िेििल फ्रांट
(MNF) के गठि का र्ागा प्रिस्ि ुआ, नजसके अध्र्क्ष नलगेंगा थे।
• MNF िे एक सैन्र् निांग ििार्ा ,नजसिे पिू ी पानकस्िाि और चीि से नथर्ार िथा गोला-
िारूद और सैन्र् प्रनिक्षण प्राप्त नकर्ा।

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• र्ाचा 1966 र्ें MNF ,िे भारि से स्ििांत्रिा की घोषणा की ,एक सैन्र् नििो की घोषणा की िथा सैन्र् और िागररक नठकािों पर
र्ला नकर्ा।
• भारि सरकार िे सेिा द्वारा ित्काल िडे पैर्ािे पर आिांकिाद रोधी उपार्ों का जिाि नदर्ा।
• कुछ ी फ्िों र्ें नििो को कुचल नदर्ा गर्ा िथा सरकारी निर्ांत्रण ि ाल कर नदर्ा गर्ा , ालाांनक
छापार्ार गनिनिनध जारी र ी।
• अनधकाांि प्रर्ख ु नर्जो िेिा पूिी पानकस्िाि चले गए।
• 1973 र्ें, चरर्पांथी नऱ्िो िेिाओां िे नऱ्िोरर् के अलग राज्र् की र्ाांग को िांद कर नदर्ा था।
• असर् के नऱ्िो नजले को असर् से अलग कर नदर्ा गर्ा िथा नऱ्िोरर् को कें ििानसि प्रदेि का दजाा
नदर्ा गर्ा।
• 1970 के दिक के अांि र्ें नऱ्िो नििो िे अपिी िनक्त का पिु गा ठि नकर्ा लेनकि नफर से भारिीर् सिस्त्र
िलों द्वारा प्रभािी रूप से निपटा गर्ा।
• अलगाििादी नििोन र्ों को कर् करिे के िाद ,भारि सरकार अि नििो ी िाकिों को र्ाफी की ििों िथा िाांनि के नलए िािचीि की
पेिकि पर निचार करिे लगी।
• अांििः 1986 र्ें एक सर्झौिा ुआ। लालडेंगा और MNF भूनर्गि न ांसक गनिनिनधर्ों को छोडिे ,आत्र्सर्पा ण करिे िथा सांिैधानिक
राजिीनिक धारा र्ें पिु ः प्रिेि करिे के नलए स र्ि ुए।
• भारि सरकार िे नऱ्िोरर् को पूणा राज्र् का दजाा देिे, सांस्कृ नि, परांपरा, भूनर् कािूि इत्र्ानद के सांिांध र्ें स्िार्ििा की गारांटी पर
स र्नि जिाई।
वमजो-भारि शांवि समझौिा
• सर्झौिे के रूप र्ें ,फरिरी 1987 र्ें र्ख्ु र्र्ांत्री लालडेंगा के साथ िए राज्र् नर्जोरर् र्ें सरकार का गठि नकर्ा गर्ा था।
नागालैंड-
• िागा, असर्-िर्ाा सीर्ा पर पूिोिर सीर्ा के साथ िागा प ानडर्ों के नििासी थे।
• अांग्रज
े ों िे िागाओां को देि के िाकी न स्सों से अलग कर नदर्ा था िथा उिके र्ार्लों र्ें ज्र्ादा स्िक्षेप ि ीं नकर्ा , ालाांनक ईसाई
नर्ििरी गनिनिनध की अिर्ु नि दी गई थी ,नजसके कारण एक छोटे से निनक्षि ििके का निकास ुआ ।
• स्ििांत्रिा के िुरिां िाद ,भारि सरकार िे िागा क्षेत्रों को असर् और भारि के साथ सर्ग्र रूप से एकीकृ ि करिे की िीनि का अिस ु रण
नकर्ा।
• ालाांनक ,िागा िेिृत्ि के एक िगा िे इस िर के एकीकरण का निरोध नकर्ा और ए-
़िेड -ऩि़िो के िेिृत्ि र्ें भारि से अलग ोिे िथा पूणा स्ििांत्रिा की र्ाांग के नलए
नििो ुआ।
• उन् ें कुछ निनटि अनधकाररर्ों और नर्ििररर्ों द्वारा इस कदर् के नलए प्रोत्सान ि
नकर्ा गर्ा।
• 1955 र्ें, इि अलगाििादी िागाओां िे एक स्ििांत्र सरकार के गठि और न ांसक नििो
करिे की घोषणा की।
• भारि सरकार िे दो-टूक िीनि के साथ जिाि नदर्ा।
• एक िरफ ,भारि सरकार िे र् स्पष्ट नकर्ा नक ि िागा क्षेत्रों की स्ििांत्रिा के नलए अलगाििादी र्ाांग का दृढिा से निरोध करेगी िथा
न ांसा की पिु रािृनि को िदाा श्ि ि ीं करेगी।

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• जि िक उन् ोंिे स्ििांत्रिा र्ा सिस्त्र नििो की अपिी र्ाांग ि ीं छोडी ,िि िक फीजो र्ा उिके सर्था कों के साथ िािचीि करिे से
इिकार करिे ुए उन् ोंिे अनधक उदारिादी ,अन ांसक और गैर-अलगाििादी िागा िेिाओां के साथ लांिी िािचीि की।
• 1957 के र्ध्र् िक सिस्त्र नििो के िाद, डॉ इर्कॉन्गलीिा एओ के िेित्ृ ि र्ें अनधक
उदार िागा िेिा सार्िे आए।
• उन् ोंिे भारिीर् सांघ के भीिर िागालैंड राज्र् के निर्ाा ण के नलए िािचीि की।
• भारि सरकार िे र्ध्र्ििी चरणों की एक श्रृांखला के र्ाध्र्र् से उिकी र्ाांग को स्िीकार
कर नलर्ा िथा 1963 र्ें िागालैंड राज्र् अनस्ित्ि र्ें आर्ा।
• भारिीर् राष्ट्र के एकीकरण र्ें एक और कदर् िढार्ा गर्ा।
बाहरी लोगों के विरुद्ध आंदोलन-
o अपिे सर्ृद्ध सांसाधिों के नलए उिर-पूिा क्षेत्र के दूसरे न स्से के लोगों के प्रिास िे
ि ुि सर्स्र्ा पैदा की िथा 'स्थािीर्' और' िा री 'लोगों के िीच ििाि को िढा नदर्ा।
o प्रिासी लोगों को अनिक्र्णकाररर्ों के रूप र्ें देखा गर्ा ,जो उिके दल ु ा भ सांसाधिों
जैसे भूनर् ,रोजगार के अिसर और राजिीनिक िनक्त को छीि लेंगे और स्थािीर्
लोगों को उिकी िैधिा के नििा प्रदाि करेंगे।
o िा री लोगों को इस क्षेत्र से दूर भगािे के नलए 1975 से 1985 िक एक असर्
आांदोलि ुआ था। उिका र्ख्ु र् लक्ष्र् िाांग्लादेि के िांगाली र्ुनस्लर् नििासी थे।
o 1979 र्ें छात्रों का एक सर्ू ,ऑल असर् स्टूडेंट र्ूनिर्ि (AASU) जो नकसी भी
राजिीनिक दल से सांिनां धि ि ीं था, िे एक िा री-निरोधी आांदोलि का िेित्ृ ि नकर्ा।
o उिका ध्र्ाि लाखों प्रिानसर्ों के गलि र्िदािा के रूप र्ें पांजीकरण के िजार् अिैध प्रिासि ,िांगाली और अन्र् िा री लोगों पर
िचा स्ि पर कें निि था।AASU के सदस्र्ों िे अन ांसक और न ांसक दोिों िरीकों का इस्िेर्ाल नकर्ा।
o उिके न ांसक आांदोलि िे ि ुि से लोगों की जाि ली और ि ुि सारी सांपनिर्ों को िक ु साि प ुांचार्ा। 6 साल की न ांसक उथल-पथु ल
के िाद ित्कालीि पीएर् ,राजीि गाांधी िे AASU िेिाओां के साथ िािचीि की। दोिों पक्षों (सांघ सरकार और AASU) िे 1985 र्ें
सर्झौिे पर स्िाक्षर नकए।
o इस सर्झौिे के अिस ु ार ,िाांग्लादेि र्द्ध
ु के दौराि िथा िाद र्ें असर् र्ें प्रिास करिे िाले निदेनिर्ों की प चाि और नििाा सि नकर्ा
जािा था।
o इस सर्झौिे पर स्िाक्षर करिे के साथ ,AASU और असर् गण सांग्रार् पररषद िे साथ नर्लकर अपिी राजिीनिक पाटी ििाई ,
असर् गण पररषद िे 1985 र्ें निधािसभा र्ें िा री राष्ट्रीर् सर्स्र्ा को ल करिे के िादे के साथ चिु ाि जीिा और असर् को
"स्िनणा र् असर् "ििा नदर्ा। । ालाँनक ,आप्रिास की सर्स्र्ा अभी िक ल ि ीं ुई ै ,लेनकि इससे कुछ द िक िाांनि नर्ली।
क्षेत्रीय आकांक्षाएं
नकसी क्षेत्र र्ा राज्र् को देि के निरुद्ध र्ा नकसी अन्र् क्षेत्र र्ा राज्र् के निरुद्ध ित्रिु ापूणा िरीके से िथा सांघषा को कनथि न िों के आधार
पर िढािा नदर्ा जािा ै िो इसे क्षेत्रीर्िा का िार् नदर्ा जा सकिा ै।

क्षेत्रिाद क्या नहीं है?


• नकसी क्षेत्र र्ा स्थािीर्िा र्ा राज्र् िथा उसकी भाषा और सांस्कृ नि के प्रनि निष्ठा क्षेत्रीर्िा का निर्ाा ण ि ीं करिी ै।
• िे राष्ट्रभनक्त और राष्ट्र के प्रनि निष्ठा के साथ काफी सस ु ांगि ैं।
• एक व्र्नक्त एक भारिीर् ोिे के िािे गौरििाली ोिे ुए र्ा अन्र् क्षेत्र के लोगों का ित्रु ुए नििा अपिे िनर्ल र्ा पांजािी ,िांगाली र्ा
गजु रािी ोिे के िािे - अपिी निनिष्ट क्षेत्रीर् प चाि के प्रनि सचेि ो सकिा ै ।
• नकसी राज्र् र्ा क्षेत्र को निकनसि करिे र्ा गरीिी को दूर करिे िथा ि ाां सार्ानजक न्र्ार् को लागू करिे के नलए नििेष प्रर्ास करिे

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की आकाांक्षा करिा ,क्षेत्रीर्िा की प चाि ि ीं ोिा ै।
• िास्िि र्ें ,इस िर के सकारात्र्क लक्ष्र्ों की उपलनधध के आसपास एक निनिि अांिर-क्षेत्रीर् प्रनिद्वांनद्विा काफी स्िस्थ ोगी -और
िास्िि र्ें र् र्ारे पास ि ुि कर् ै।
• स्थािीर् देिभनक्त से लोगों को जानि र्ा धानर्ा क सर्दु ार्ों के नलए निभाजिकारी निष्ठा पर कर् करिे र्ें र्दद नर्ल सकिी ै।
• सांनिधाि की सांघीर् नििेषिाओां का िचाि भी क्षेत्रीर्िा के रूप र्ें ि ीं देखा जािा चान ए।
• भारिीर् सांघ के भीिर एक अलग राज्र् की र्ाांग र्ा र्ौजूदा राज्र् के भीिर एक स्िार्ि क्षेत्र के नलए ,र्ा राज्र् स्िर से िीचे की िनक्त
के निचलि के नलए ,कई व्र्ाि ाररक आधारों पर आपनि की जा सकिी ै ,लेनकि एक राज्र् की िाकी आिादी के नलए ित्रिु ा की
भाििा को आगे रख कर क्षेत्रिादी के रूप र्ें ि ीं।

क्षेत्रिाद क्या है?


• र्नद नकसी क्षेत्र र्ा राज्र् के न िों को पूरे देि के निरुद्ध र्ा नकसी अन्र् क्षेत्र र्ा राज्र् के निरुद्ध ित्रिु ापूणा िरीके से र्ख
ु र नकर्ा जािा
ै िथा ऐसे कनथि न िों के आधार पर सांघषा को िढािा नदर्ा जािा ै िो इसे क्षेत्रिाद का िार् नदर्ा जा सकिा ै।
• इस नल ाज से भारि र्ें 1947 के िाद से ि ुि कर् अांिर-क्षेत्रीर् सांघषा ुए ैं 1950 ,और 1960 के दिक की िरुु आि र्ें अपिाद
स्िरूप िनर्लिाडु र्ें डीएर्के िे भी िषों िक अपिे क्षेत्रिादी दृनष्टकोण को िढािा नदर्ा था। ।

भारि ने िषों िक क्षेत्रिाद को कै से वनयंवत्रि वकया?


• भारि र्ें क्षेत्रिाद िि पिप सकिा था जि नकसी क्षेत्र र्ा राज्र् को लगिा था नक उसे साांस्कृ निक रूप से दिार्ा जा र ा ै र्ा उसके
साथ भेदभाि नकर्ा जा र ा ै।
• ालाँनक ,भारि साांस्कृ निक निनिधिा को सर्ार्ोनजि करिे र्ें काफी सफल सानिि ुआ ै।
• भारि के निनभन्ि क्षेत्रों को पूणा साांस्कृ निक स्िार्ििा ै िथा िे अपिी िकासांगि आकाांक्षाओां को परू ा करिे र्ें सक्षर् ैं।
• भारि के भाषाई पिु गा ठि और राजभाषा नििाद के सर्ाधाि िे साांस्कृ निक िक ु साि र्ा साांस्कृ निक िचा स्ि की भाििा िथा अांिर-
क्षेत्रीर् सांघषा के प्रर्ख
ु कारण को सर्ाप्त करके ि ुि र् त्िपूणा भूनर्का निभाई ै।
• कई अन्र् क्षेत्रीर् नििाद र्ौजूद ैं िथा उिर्ें ित्रिु ा को िा देिे की क्षर्िा ै ;िदी जल के िांटिारे को लेकर निनभन्ि राज्र्ों के िीच
ििाििी र ी ै :उदा रण के नलए ,िनर्लिाडु और किाा टक ,किाा टक और आांध्र के िीच, िथा पांजाि।सीर्ा नििाद भाषाई राज्र्ों के
गठि से उत्पन्ि ुए ैं जैसा नक िेलगार् और चांडीगढ के र्ार्ले र्ें देखा जा सकिा ै।
• नसांचाई और निद्यिु िाांधों के निर्ाा ण िे इस िर के सांघषा पैदा नकए ैं।
• र्े नििाद लांिे सर्र् िक ििे र िे ैं और कभी-कभी आक्ोि उत्पन्ि कर देिे ैं , परन्िु अि िे सांकीणा ,स्िीकार्ा सीर्ाओां के भीिर
र गए ैं।
• कें ि सरकार अक्सर एक र्ध्र्स्थ की भूनर्का निभािे र्ें सफल र ी ै , ालाांनक कभी-कभी नििादों की िारा़िगी भी झेलिी ै। लेनकि
इस प्रकार िेज अांिरनिरोधी सांघषों को रोकिी ै।

आवथिक असंिुलन और क्षेत्रिाद-


निनभन्ि राज्र्ों और क्षेत्रों र्ें आनथा क असर्ाििा सर्स्र्ा का एक सांभानिि कारण ो सकिी ै। ालाँनक ,असांिोष पैदा करिे और
राजिीनिक व्र्िस्था पर दिाि डालिे के िािजूद ,इस सर्स्र्ा िे अि िक क्षेत्रीर्िा र्ा नकसी क्षेत्र के साथ भेदभाि नकए जािे की भाििा
को जन्र् ि ीं नदर्ा ै। इसनलए िरू ु से ी ,कें िीर् सरकार िे क्षेत्रीर् निकास के असांिल
ु ि को दूर करिे का उिरदानर्त्ि र् सस
ू नकर्ा ै।
गरीि राज्र्ों और क्षेत्रों र्ें निकास की दर को प्रभानिि करिे और अर्ीर राज्र्ों से उिके आनथा क अांिराल को कर् करिे के नलए ,कें ि
सरकार िे िीनिर्ों की एक पूरी श्रृांखला को अपिार्ा ै-

44
o गरीि राज्र् र्ें निकास के नलए सरकार के पास एक प्रर्खु साधि नििीर् सांसाधिों का स्िाांिरण था ,जो निि आर्ोग ,एक सांिैधानिक
निकार् द्वारा सझ ु ार्ा गर्ा था।
o क्षेत्रीर् असर्ाििा को दूर करिे के नलए र्ोजिा(planning) को भी एक िनक्तिाली साधि के रूप र्ें प्रर्ोग नकर्ा गर्ा था।र्ोजिा
आर्ोग िे नपछडे राज्र्ों को अनधक से अनधक र्ोजिा स ार्िा(plan assistance) आिांनटि की। र् स ार्िा अिुदाि और ऋण
दोिों रुपों र्ें दी गई थी।
o भारि सरकार के 1956 के औद्योनगक िीनि के प्रस्िाि र्ें क ा गर्ा ै नक' प्रत्र्ेक क्षेत्र र्ें औद्योनगक और कृ नष अथा व्र्िस्था के सांिुनलि
और सर्नन्िि निकास से ी पूरे देि र्ें उच्च जीिि स्िर प्राप्त ो सकिा |ै '
o 'िीसरी र्ोजिा र्ें स्पष्ट रूप से क ा नक ,देि के निनभन्ि भागों का सांिुनलि निकास ,कर् निकनसि क्षेत्रों र्ें आनथा क प्रगनि के लाभों
का निस्िार और उद्योगों का व्र्ापक प्रसार र्ोजिािद्ध निकास के प्रर्ख
ु उद्देश्र्ों र्ें से ैं’ ।
योजना आयोग (नीवि आयोग)
• कें ि सरकार द्वारा इस्पाि ,उिा रक ,िेल िोधि ,पेरो रसार्ि ,भारी रसार्ि ,िथा निद्यिु
और नसांचाई पररर्ोजिाओां जैसे प्रर्ख ु उद्योगों र्ें सािा जनिक नििेि क्षेत्रीर् असर्ाििा
को कर् करिे का एक उपकरण र ा ै ।
• निजी क्षेत्रों को सनधसडी ,कर ररर्ार्िें िथा ररर्ार्िी िैंनकां ग और सांस्थागि ऋण के
र्ाध्र्र् से नपछडे क्षेत्रों र्ें नििेि करिे के नलए सरकारी प्रोत्सा ि नदर्ा गर्ा ै।
• 1956 से 1991 िक निजी औद्योनगक उद्यर्ों के लाइसेंस की व्र्िस्था का उपर्ोग
सरकार िे नपछडे क्षेत्रों र्ें उद्योगों के नस्थनि का र्ागा दिा ि करिे के नलए भी नकर्ा था।
• 1969 र्ें िैंकों के राष्ट्रीर्करण के िाद उिकी िाखाओां के निस्िार का उपर्ोग नपछडे क्षेत्रों के न िों र्ें नकर्ा गर्ा।
o जिसांख्र्ा की आनथा क गनििीलिा के र्ाध्र्र् से नपछडे क्षेत्रों के अकुिल श्रनर्कों का पलार्ि िथा उिके नलए कुिल श्रर् क्षेत्रीर्
असर्ाििा को कर् करिे र्ें र्ोगदाि दे सकिी ै ।
संस ऑफ स्िाइल वसद्धांि(Sons of Soil Doctrine)
• इस नसद्धाांि र्ें उि निनिष्ट राज्र्ों का उल्लेख नकर्ा गर्ा ै, ज ाां ि ुि अनधक सांख्र्ा र्ें लोग क्षेत्रीर् भाषा का उपर्ोग करिे ैं और
उसे सांरनक्षि करिे ैं र्ा क्षेत्रीर् भाषा िोलिे िालों के नलए एक नििेष र्ािृभूनर् का गठि करिे ैं।
• र् नसद्धाांि र्ख्ु र्ि: ि रों र्ें लोकनप्रर् ै। आनथा क सांसाधिों और आनथा क अिसरों के निनिर्ोजि के नलए सांघषा के दौराि, अक्सर
साांप्रदानर्किा, जानििाद और भाई भिीजािाद का स ारा नलर्ा
जािा था।
• इि आांदोलिों र्ें निम्ि र्ध्र् िगा र्ा श्रनर्क िगा के साथ-साथ
अर्ीर और र्ध्र्र् िगा के नकसाि भी सनक्र् थे जो अपिी
ित्कालीि नस्थनि से सांिुष्ट ि ीं थे और अपिी भािी पीढीर्ों के
नलए र्ध्र्र्िगा और िे िर नस्थनि की आकाांक्षा को रखिे थे।इसी
प्रकार भाषा के प्रनि निष्ठा और क्षेत्रिाद भी िा री लोगों को
व्र्िनस्थि रूप से िांत्र से िा र करिे ेिु उपर्ोग र्ें लार्ा जािा
था।
• कुछ अन्र् िगा राजिीनिक िनक्त प्राप्त करिे ेिु सांस ऑ़ि सॉइल
(धरिीपत्रु ) की भाििा का उपर्ोग करिे थे।
• इस नसद्धाांि का उपर्ोग र्ांिु ई (र्राठी), िेंगलरुु (कन्िड)
कोलकािा (िांगाली) आनद, जैसे र् ािगरों र्ें व्र्ापकिा के साथ नकर्ा गर्ा।

45
• सांस ऑ़ि सॉइल नसद्धाांि का उदर् स्थािीर् स्िर पर निनक्षि और र्ध्र्िगीर् र्िु ाओां के िीच िौकरी और िास्िनिक र्ा सांभानिि
प्रनिर्ोनगिा के दौराि ुआ।
• सांस ऑफ सॉइल नसद्धाांि के उपर्ोग का सिसे िकारात्र्क उदा रण नििसेिा के िेिृत्ि र्ें चलार्ा गर्ा आांदोलि था नजसर्ें क्षेत्रीर्
रूनढिाद की अपील की गई और काल्पनिक फासीिाद को अपिार्ा गर्ा।
• ालाांनक न्र्ार्ालर् िे नििास के आधार पर आरक्षण को र्ांजरू ी दे दी परांिु लोगों के प्रदिा ि के अनधकार और आांदोलिों के सांिांध र्ें
उिके र्ौनलक अनधकारो को ििाए रखा।
• िा री लोगों की सांख्र्ा ग्रार्ीण क्षेत्रों र्ें अनधक ोिे और कोई र्ध्र्िगीर् िौकरी ि ोिे के कारण र् ाां धरिीपत्रु की भाििा अिपु नस्थि
थी।
• ग्रार्ीण क्षेत्रों र्ें रोजगार ेिु स्थािीर् ग्रार्ीण सर्दु ार् द्वारा िा री लोगों के साथ नकसी प्रकार की प्रनिस्पधाा ि ीं की गई। पररणार्स्िरूप
नि ार और उिर प्रदेि से, पांजाि और ररर्ाणा र्ा र्ांिु ई जैसे िडे ि रों र्ें प्रिानसर्ों के प्रिास के दौराि स्थािीर् लोगों से उिका
सीनर्ि सांघषा ुआ।
• इस प्रकार के पलार्ि से स्थािीर् सर्दु ार्ों के नलए नकसी प्रकार का खिरा उत्पन्ि िा ोिे के कारण र् ाां का र्ख्ु र् लाभाथी र्ध्र्र्िगा
(स्थािीर् श्रनर्क िगा ) र ा।
• ’प्रिासी सर्दु ार् के अनधकारों के सांिांध र्ें भारिीर् सांनिधाि कुछ द िक अस्पष्ट ै। भारिीर् सांनिधाि का अिच्ु छे द 15 धर्ा , िांिज,
जानि, नलांग और जन्र् स्थाि के आधार पर नकसी भी प्रकार के भेदभाि का प्रनिषेध करिा ै। जिनक सांनिधाि का अिच्ु छे द 16 िांि,
जन्र् स्थाि र्ा नििास के आधार पर राज्र् की निर्नु क्तर्ों र्ें नकसी भी प्रकार के भेदभाि पर रोक लगािा ै।
• ालाांनक नकसी राज्र् नििेष के अांिगा ि िीनिर्ों के नलए सांसद द्वारा राज्र् के भीिर नििास की आिश्र्किा की प्रनिपूनिा करिे िाला
कािूि पाररि नकर्ा जा सकिा ै।
• राजिीनिक दिाि और सांनिधाि की अस्पष्टिा का लाभ उठािे ुए कई राज्र् सरकारों द्वारा िौकरी र्ें र्ा राज्र् और स्थािीर् सरकार
के अांिगा ि रोजगार और निक्षण सांस्थाओां र्ें प्रिेि ेिु स्थािीर् नििानसर्ों को आरक्षण प्रदाि नकर्ा गर्ा ै।
• ालाांनक सांनिधाि द्वारा प ले ी राज्र् की िौकररर्ों र्ें नििास के आधार पर आरक्षण र्ा प्राथनर्किा दी गई ै, ि नक भाषाई आधार
पर।इसके िािजदू भी कुछ राज्र् सरकारों द्वारा राज्र् भाषा (र्ािृभाषा) ै के आधार पर भी प्राथनर्किा दी गई ै।
• अिः र् भेदभाि दीघा कालीि प्रिानसर्ों और उिकी भािी पीनढर्ों और र् ाां िक नक जो नििासी र्ािृभाषा िोल सकिे ैं, के निरुद्ध
ै। र् पूणा रूप से सांनिधाि का उल्लांघि ै।
“सन ऑफ सॉइल” राष्ट्रीयिा के वलए खिर है :-
• ालाांनक, 1960 के दिक के पिाि से सरु क्षात्र्क और िरजी ी निर्र् व्र्ापक ो गए ैं, इसके िािजूद भी ाल के िषों र्ें प्रिानसर्ों
के निरुद्ध निरोध ,दश्ु र्िी और न ांसा की घटिाओां र्ें िृनद्ध ुई ै।
• अपिी चरर् अिस्था के दौराि भी इससे के िल कुछ ी ि र और राज्र् प्रभानिि ुए थे। और इस स्िर पर इसर्ें देि की एकिा और
राष्ट्र निर्ाा ण की प्रनक्र्ा के नलए कोई खिरा उत्पन्ि ि ीं नकर्ा।
• देि की अथा व्र्िस्था पर इसके प्रभाि िगण्र् र े ैं: देि के भीिर प्रिासि की जाांच ि ीं की गई और अांिरराज्र्ीर् गनििीलिा र्ें िृनद्ध
ुई।
• परांिु र्ख्ु र्िः र्ध्र्र् िगा और स्थािीर् असर्ाििा के िीच, सर्स्र्ा िि िक सीनर्ि ै जि िक आनथा क निकास प्रभािी रूप से
िेरोजगारी से निपटिे र्ें सक्षर् ै ।
वहंदू कोड वबल (HINDU CODE BILL), 1956

46
• न ांदू कोड निल के ि ि 1950 र्ें अिेक कािूिों को पाररि नकर्ा गर्ा नजसका उद्देश्र् भारि र्ें न ांदू पसा िल लॉ को सांन िािद्ध करिा
था। 1947 र्ें, भारि की स्ििांत्रिा के पिाि-निनटि राज र्ें िरू ु ुई इस सांन िािद्ध और सधु ार की
प्रनक्र्ा को भारिीर् काांग्रेस पाटी के िेिा प्रधािर्ांत्री जिा रलाल िे रू के द्वारा पूणा नकर्ा गर्ा।
• िे रू प्रिासि िे पार्ा नक न ांदू सर्दु ार् की एकिा के नलए र् सांन िािद्धीकरण आिश्र्क ै, जो
आदिा रूप से राष्ट्रीर् एकीकरण की नदिा र्ें प ला कदर् था।
• आगे चलकर िे 1955-56 में सफलिापूििक चार वहंदू कोड वबल पाररि करने में सफल रहे, -वहंदू
वििाह अविवनयम (Hindu Marriage Act), वहंदू उत्तराविकार अविवनयम (Hindu
Succession Act), वहंदू अल्पसंख्यक और संरक्षकिा अविवनयम (Hindu Minority and
Guardianship Act), और वहंदू दत्तकग्रहर् और रखरखाि अविवनयम (Hindu Adoptions and
Maintenance Act)।
• 1941 र्ें बी.एन. राि (भविष्ट्य के संिैिावनक सलाहकार) की अध्र्क्षिा र्ें निनटि सरकार द्वारा एक
कर्ेटी गनठि की गई। इस कर्ेटी िे भारि दौरा नकर्ा और अांििः 1946 में वहंदू पसिनल कोड के ड्राफ्ट
के साथ अपिी ररपोटा सौंपी।
• 1948 में डॉक्टर भीमराि अंबेडकर की अध्र्क्षिा र्ें गनठि कर्ेटी द्वारा न ांदू कोड निल का प्रारूप
प्रस्िुि नकर्ा गर्ा नजसर्ें न ांदू कोड निल िार् के िािजूद इसे नसख, िौद्ध और जैि के साथ-साथ न ांदू धर्ा की सभी जानिर्ों और
सर्दु ार्ों पर लागू नकर्ा गर्ा।
अविवनयम के िाििान:
• न ांदू कोड निल र्ें सांपनि का अनधकार ,सांपनि के उिरानधकार का क्र् ,रखरखाि ,नििा ,िलाक लेिे, दिकग्र ण ,अल्पसांख्र्क
और सांरक्षकिा िानर्ल ैं।
• अनधनिर्र् िे र्न लाओां को सांपनि र्ें िरािर का अनधकार नदर्ा।
• नकसी र्न ला द्वारा चल और अचल सांपनि दोिों पर अनधकार ग्र ण नकर्ा जा सकिा ै।
• नकसी र्न ला द्वारा नििा के पूिा और नििा के पिाि् िथा इसके साथ ी निधिा र्ा अिाथ ोिे के दौराि भी सांपनि का अनधग्र ण
नकर्ा जा सकिा ।ै
• प्रत्र्ेक अनििान ि िेटी की सांपनि का न स्सा प्रत्र्ेक िेटे का आधा ोगा और प्रत्र्ेक नििान ि िेटी का न स्सा प्रत्र्ेक िेटे का एक-
चौथाई (one quarter) ोगा।
• न ांदू पसा िल लॉ िे नििा को पनित्र और िलाक को निन्दा के रूप र्ें र्ािा। सांन िा िे परुु ष और र्न ला दोिों को िलाक का अनधकार
नदर्ा ै र्नद नििा र्ें आपसी स र्नि ि ीं ो िो ै।
• निधिाओां और िलाकिदु ा व्र्नक्त को पिु निा िा का अनधकार नदर्ा गर्ा।
• अांिरजािीर् नििा को अिर्ु नि दी गई और साथ ी साथ न ांदूओ ां के िीच जडु ाि निस्थानपि करिे ेिु इसे प्रोत्सान ि नकर्ा गर्ा।
• एक नििा प्रथा को अनििार्ा ििार्ा गर्ा।
• नकसी भी जानि के िच्चे को गोद लेिे की अिर्ु नि दी गई।
• साथ ी ,इि कािूिों के ि ि िलाक के र्ार्ले र्ें िच्चे की सांरक्षकिा से सांिांनधि फै सले का भी उल्लेख नकर्ा गर्ा था।
आलोचना
• र् ासभा र्ें न ांदू कोड निल पर ि स के दौराि ,न ांदू आिादी के िडे क्षेत्रों िे निरोध प्रदिा ि नकर्ा और न ांदू कोड निल नखलाफ रैनलर्ों
का आर्ोजि नकर्ा। निल को पाररि ोिे से रोकिे के नलए अिेक सांगठि ििाए गए और िृ द न ांदू आिादी र्ें अत्र्नधक सांख्र्ा र्ें पत्र-
पनत्रकाएां नििररि नकर्ा गर्ा।

47
• डॉ राजेंि प्रसाद, िल्लभ भाई पटेल, एस र्ख ु जी आनद िे इस निल का परु जोर निरोध नकर्ा।
• िेिाओां द्वारा इस निल के निरोध का र्ख्ु र् कारण सरकार द्वारा ि के िल न ांदू कोड निल िनल्क सर्ाि िागररक सांन िा (Uniform
Civil Code) को भी लािा था|

48
अध्याय - 2 उपवनिेशिाद से स्ििंत्रिा की ओर

Sr. विषय-सूची
1 चिु ािी राजिीनि का उद्भि
2 लोकिाांनत्रक सांस्थािों की स्थापिा
3 प्रिासनिक निर्ांत्रण
4 सार्ानजक िदलाि
5 निक्षा
6 पांचार्िी राज
7 काांग्रेस का िचा स्ि
8 पक्ष-निपक्ष का उद्भि
9 गठिांधि काल

49
चुनािी राजनीवि का उद्भि -
पृष्ठभूवम -
• भारि की नििाल निरक्षर आिादी, निनिधिाओां, खराि आनथा क नस्थनि के िािजूद , भारि को र्जिूि करिे और लोकिाांनत्रक
सांस्थािों को अपिािे के सन्दभा र्ें िडे स्िर पर राष्ट्रीर् िेिृत्त्ि का अभाि था|

• इस िर की गांभीर चिु ौनिर्ों का सार्िा करिे ुए, निनभन्ि देिों के िेिाओां िे लोकिांत्र के िासि का निरोध नकर्ा, उपनििेििाद से
स्ििांत्र ोिे िाले निनभन्ि देिों के िेिाओां के अिस
ु ार, उिकी प्राथनर्किा राष्ट्रीर् एकिा थी, जो लोकिांत्र के साथ कार्र् ि ीं ोगी
क्र्ोंनक र् र्िभेद और टकराि लाएगा। इसनलए, र्िे ि ुि से िए स्ििांत्र देिों र्ें गैर-लोकिाांनत्रक िासि देखे ैं।
• िविस्पिाि और शवि राजनीवि के सन्दभि में दो सबसे अविक वदखाई देने िाली चीजें हैं, जबवक राजनीविक गविविवि का लक्ष्य
साििजवनक वहि का वनर्िय करना और उसको पूरा करना होना चावहए। यही िह मागि है वजसे हमारे नेिाओं ने आगे अनुसरर्
करने का फैसला वकया।

भारि- लोकिांवत्रक और गर्िंत्र राष्ट्र-


26 जििरी 1950 को सांनिधाि के अपिािे के िाद, देि की प ली प्राथनर्किा
लोकिाांनत्रक रूप से चिु ी ुई सरकार को स्थानपि करिा था। भारि का चिु ाि आर्ोग
स्ििांत्र और निष्ट्पक्ष चिु ाि करािे के नलए सांिैधानिक प्रािधाि के साथ जििरी 1950 र्ें
स्थानपि नकर्ा गर्ा था। स-ु कुर्ार सेि प ले र्ख्ु र् चिु ाि आर्क्त
ु निर्क्त
ु नकए गर्े|
• भारि िे लोकिांत्र के सािा भौनर्क िर्स्क र्िानधकार र्ॉडल को अपिार्ा ,ै ज ाां
कोई व्र्नक्त उम्र की निधाा ररि ििा के अिस
ु ार नकसी भी प्रकार के भेदभाि के नििा
र्िदाि कर सकिा ै|
• चिु ाि आर्ोग को जल्द ी र्े आभास ो गर्ा नक भारि जैसे नििाल देि र्ें स्ििांत्र और निष्ट्पक्ष चिु ाि करािा एक र्नु श्कल कार् ै।

50
• प ले आर् चिु ाि की िैर्ारी व्र्ापक स्िर पर ुए थी। इससे प ले दनु िर्ा र्ें इििे िडे पैर्ािे पर कोई भी चिु ाि ि ीं करिार्ा गर्ा था।
• उस सर्र् 17 करोड पात्र र्िदािा थे, नजन् ें लोकसभा के लगभग 489
साांसदों और राज्र् निधािसभाओां के 3200 निधार्कों का चिु ाि करिा
था।
• इि र्ोग्र् र्िदािाओां र्ें से के िल 15% लोग साक्षर थे । इसनलए चिु ाि
आर्ोग िे र्िदाि की कुछ नििेष निनध की र्ाांग की थी, जैसे उम्र्ीदिारों
को प्रिीक नचन् ों द्वारा प चािा करिा था, नजसे प्रत्र्ेक प्रर्खु पाटी
और स्ििांत्र उम्र्ीदिारों को प्रदाि नकर्ा गर्ा था, एक नििेष उम्र्ीदिार
को सौंपे गए िॉक्स के र्िपत्रों पर नचनत्रि नकर्ा गर्ा था और चिु ाि गप्तु
र्िदाि प्रणाली द्वारा ुए थे।
• चनु ाि आयोग ने वनष्ट्पक्ष चनु ाि का संचालन करने के वलए 3 लाख
से अविक अविकाररयों और मिदान कमिचाररयों को िवशवक्षि वकया।
लोकिंत्र ने पहले चुनािों के साथ अपना एक महत्तपूर्ि कदम आगे
बढ़ाया, जो विश्व के वकसी भी देश में लोकिंत्र के क्षेत्र सबसे बडा ियोग था। भारि जैसे विविििापूर्ि देश में जहा अनेक जावियां,
अनेक िमि, अनपढ़ समाज और वपछडा िगि मौजूद था, िहा लोकिांवत्रक चुनािों को लेकर लोगों में कई संदेह थे ।
चिु ाि 25 अक्टूिर, 1951 से 21 फरिरी, 1952 िक लगभग चार र् ीिे र्ें सांपन्ि ुआ । चिु ाि निष्ट्पक्ष, स्ििांत्र, और क्र्िद्ध िरीके
से ि ुि कर् न ांसा के साथ सांपन्ि ुआ

राजनीविक आदेश एिं चुनाि पर लोगो की िविवक्रया -


• राजिीनिक व्र्िस्था के प्रनि लोगों की प्रनिनक्र्ा ि ुि िीव्र थी। उन् ोंिे इस जागरूकिा के साथ र्िदाि र्ें भाग नलर्ा नक उिका िोट
अर्ूल्र् था।
• कुछ स्थािों पर, लोगों िे र्िदाि को उत्सि के रूप र्ें र्िार्ा, लोगो िे उत्सि के कपडे प िे र्न लाओां िे अपिे ग िे प िे।
• गरीिी और अनिक्षा के उच्च प्रनििि के िािजूद, अर्ान्र् िोटों की सांख्र्ा 0.3% से 0.4% से भी कर् थी
• इस चिु ाि की एक उल्लेखिीर् नििेषिा र् थी की र्न लाओां िे इसर्ें व्र्ापक स्िर पर भागीदारी की कर् से कर् 40% र्न लाओां
िे िोट नदर्ा। इस प्रकार, लोगों र्ें िेिृत्ि का निश्वास पूरी िर से उनचि था। जि चिु ाि पररणार् घोनषि नकए गए, िो आकलि नकर्ा
गर्ा नक लगभग 46% र्ोग्र् र्िदािाओां िे िोट डाला।
स्ििंत्र भारि के पहले चनु ाि में भाग लेने िाले राजनीविक दल -
• इंवडयन नेशनल कांग्रेस टू सोशवलस्ट पाटी
• वकसान मजदूर िजा पाटी
• साम्यिादी और सहयोगी
• जन वसंह
• वहंदू महासभा
• आरआरपी [राम राज्य पररषद]
• अन्य स्थानीय दल
• वनदिलीय

51
पररर्ाम-
• लोकसभा के वलए कुल मिदान के 45% िोटों के साथ 364 सीटें जीिकर कांग्रेस सबसे बडी पाटी के रूप में उभरी थी।
• कें ि और सभी राज्र्ों र्ें काांग्रेस की सरकार ििी। लेनकि इसे चार राज्र्ों-र्िास,
त्रािणकोर,कोचीि, उडीसा, र्ें ि ुर्ि ि ीं नर्ला, लेनकि निदा लीर् और छोटे
स्थािीर् दलों की र्दद से ि ाां भी सरकारें ििाई ां, नजिका निलर् इसके साथ ो
गर्ा।
• साम्र्िादी दल का प्रदिा ि आिर्ा जिक था और र् लोकसभा र्ें दूसरे सिसे
िडे दल के रूप र्ें उभरा । ररर्ासिों और िडे जर्ींदारों िे अभी भी देि के कुछ
न स्सों र्ें काफी प्रभाि डाला ।.
• उिकी पाटी गर्िंत्र पररषद िे उडीसा निधािसभा र्ें 31 सीटें जीिीं। काांग्रेस के
सांख्र्ात्र्क रूप से प्रभािी ोिे के िािजदू सांसद र्ें निपक्ष काफी प्रभािी था।
• र्ध्र्र् िगा के नलए, र्जदूर सांघ, नकसाि सभा, डिाल, उत्पीडि, िैंड और
प्रदिा ि जैसे राजिीनिक भागीदारी के अन्र् रूप उपलधध थे, सांगनठि र्जदूर िगा
और अर्ीर और र्ध्र्र् िगा के नकसाि िगा । चिु ाि ग्रार्ीण और ि री गरीिों के नििाल जिसर्ू के नलए प्रत्र्क्ष राजिीनिक भागीदारी
का र्ख्ु र् रूप थे।
• 1952 के िाद, िे रू िषों के दौराि, 1957 और 1962 र्ें लोकसभा और राज्र् निधािसभाओां के नलए दो अन्र् आर् चिु ाि ुए।
र्िदािा का र्िदाि 1957 र्ें 47% और 1962 से 54% ो गर्ा। दोिों चिु ािों र्ें, काांग्रस
े नफर से एक सिसे िडी पाटी के रूप र्ें
उभरी और कें ि और राज्र्ों स्िर पर सरकार ििाई।
• हालााँवक, 1957 में, कम्युवनस्ट के रल में सरकार बनाने में सक्षम रही , यह कम्युवनस्ट सरकार के वलए विश्व के वकसी भी
लोकिावन्त्रक देश में पहली जीि थी|
वनष्ट्कषि -
• चनु ािों का वनष्ट्पक्ष और शांविपर् ू ि आचरर् इस बाि का संकेि था
वक लोकिांवत्रक व्यिस्था और संस्थाओं के साथ ,राष्ट्रीय आंदोलन
की विरासि की जडे मजबूि होने लगी ैं।
• चिु ािों का सफल आर्ोजि, भारि और िे रू निदेिों र्ें, नििेष रूप से,
पूिा-औपनििेनिक देिों के नलए एक नर्साल िििी जा र ी थी।
• राजिीनिक िेित्ृ ि िे राष्ट्रीर् एकीकरण को िढािा देिे और एकीकरण
की अपिी िीनिर्ों को िैध ििािे के नलए चिु ािों का उपर्ोग नकर्ा।
अिोक र्े िा िे क ा, "सांसद िे राष्ट्र के एकीकरण र्ें र् त्िपूणा र्ोगदाि
नदर्ा"।

List of Government and Prime Ministers (1947-2020)-

S.N. िार् जन्र्-र्ृत्र्ु कार्ा काल उनक्त


1. Jawahar Lal Nehru (1889–1964) 5 अगस्ि 1947 से 27 र्ई 1964 भारि के प्रथर्, सिसे लांिे कार्ा काल
जिा र लाल िे रू 16 िषा , 286 नदि और ऐसे प ले प्रधािर्ांत्री थे नजिकी
र्ृत्र्ु कार्ा काल के दौराि ुई।

52
2. Gulzarilal Nanda (1898–1998) 27 र्ई,1964 से 9 जूि 1964, भारि के प ले कार्ा कारी प्रधािर्ांत्री।
गल
ु जारी लाल िांदा 13 नदि
3. Lal Bahadur Shastri (1904–1966) 9 जूि, 1964 से 11 जििरी 1966 1965 र्ें इांनडर्ा पानकस्िाि र्द्ध ु के
लाल ि ादरु िास्त्री 1 िषा , 216 नदि दौराि इन् ोंिे “जर् जिाि जर्
नकसाि” का िारा नदर्ा
4. Indira Gandhi (1917–1984) 24 जििरी 1966 से 24 र्ाचा भारि की प ली र्न ला प्रधािर्ांत्री|
इांनदरा गाांधी 1977
11 िषा , 59 नदि
5. Morarji Desai (1896–1995) 24 र्ाचा 1977 – 28 जलु ाई 1979 81 िषा के सिसे अनधक उम्र के
र्ोरारजी देसाई 2 िषा ,116 नदि प्रधािर्ांत्री और सिसे प ले
प्रधािर्ांत्री जी थे नजन् ोंिे इस्िीफा
नदर्ा
6. Charan Singh (1902–1987) 28 जल ु ाई, 1979 से 14 जििरी एकर्ात्र प्रधािर्ांत्री जो सांसद र्ें कभी
चरण नसां 1980 ि ीं गर्ें
170 नदि
7. Indira Gandhi (1917–1984) 14 जििरी 1980 से 31 अक्टूिर प ली र्न ला ,जो दूसरी िार
इांनदरा गाांधी 1984 प्रधािर्ांत्री ििी
4 िषा , 291 नदि
8. Rajiv Gandhi (1944–1991) 31 अक्टूिर 1984 से 2 नदसांिर सिसे कर् उम्र ,र्ात्र 40 िषा र्ें
राजीि गाांधी 1989 प्रधािर्ांत्री ििे।
5 िषा , 32 नदि
9. V. P. Singh (1931–2008) 2 नदसांिर 1989 से 10 ििांिर अनिश्वास प्रस्िाि के िाद पद छोडिे
िी पी नसां 1990 िाले प ले प्रधािर्ांत्री|
343 नदि
10. Chandra Shekhar (1927–2007) 10 ििांिर 1990 से 21 जूि 1991 र् सर्ाजिादी जििा पाटी से
चांििेखर 223 नदि सांिांनधि थे।
11. P. V. Narasimha (1921–2004) 21 जूि 1991 से 16 र्ई 1996 भारि के प ले प्रधािर्ांत्री जो दनक्षण
Rao 4 िषा , 330 नदि भारि से सांिांनधि थे।
पी िी िरनसम् ा राि
12. Atal Bihari Vajpayee (born 1924) 16 र्ई 1996 से 1 जूि 1996
अटल नि ारी िाजपेई ,16 नदि सिसे कर् कार्ा काल के प्रधािर्ांत्री।
13. H. D. Deve Gowda (born 1933) 1 जूि 1996 से 21 अप्रैल 1997 र्े जििा दल से सांिांनधि ैं
एच डी देिगौडा 324 नदि
14. Inder Kumar Gujral (1919–2012) 21 अप्रैल 1997 to 19 र्ाचा ------
इांदर कुर्ार गज
ु राल 1998, 332 नदि
15. Atal Bihari (born 1924) 19 र्ाचा 1998 से 22 र्ई 2004 प ले ऐसे गैर काांग्रेसी प्रधािर्ांत्री
Vajpayee 6 िषा , 64 नदि नजन् ोंिे अपिा कार्ा काल सांपूणा
अटल नि ारी िाजपेई नकर्ा।

53
16. Manmohan Singh (born 1932) 22 र्ई 2004 से 26 र्ई 2014 प ले नसख प्रधािर्ांत्री
र्िर्ो ि नसां 10 िषा , 4 र् ीिा, 2 नदि
17. Narendra Modi (born 1950) 26 र्ई 2014, कार्ा रि लगािार दो िार प्रधािर्ांत्री िििे िाले
िरेंि र्ोदी भारि के चौथे प्रधािर्ांत्री ैं।

लोकिांवत्रक संगठनों की स्थापना:

• इस अिनध र्ें न्र्ार्ालर्ों की स्ििांत्रिा का निकास ुआ।


• सांसद का सम्म्र्ाि नकर्ा गर्ा और इसकी गररर्ा, प्रनिष्ठा और िनक्त को ििाए रखिे का प्रर्ास नकर्ा गर्ा था।
• सांसदीर् सनर्नि जैसे प्राक्कलि सनर्नि आनद िे सर्ीक्षक और प्र री के रूप र्ें र् त्िपणू ा भूनर्का निभाई।
• िे रू के िेित्ृ ि र्ें, कै नििेट प्रणाली एक उन्िि िरीके से निकनसि ुई और प्रभािी रूप से कार्ा की।
• इि िषों र्ें सांनिधाि र्ें प्रदि सांघिाद, नजसर्े राज्र्ों को िनक्तर्ा स्िाांिररि की गर्ी थी, भारिीर् राजव्र्िस्था को एक दृढ नििेषिा
के रूप र्ें स्थानपि नकर्ा गर्ा
• सिस्त्र िलों पर नसनिल गोििा र्ेंट के िचा स्ि की परांपरा पूरी िर से लागू थी।
िसाशवनक वनयंत्रर्
• प्रिासनिक सांरचिा का आधार स्िम्भ भारिीर् नसनिल सेिा था ।
• सरदार पटेल को र् सूस ुआ नक प्रिासनिक निकाई की धारणा आिश्र्क ै । ि प्रिासि र्ें अचािक से ुए असांिोष और िन्ू र् के
पक्ष र्ें ि ीं थे, नििेष रूप से आईसीएस के नलए ।
• कुिल पूणा प्रनिनक्षि, ि ुर्ख ु ी और अिभु िी िागररक सेिाएां भारि के नलए एक अलग सांपनि और लाभ था।
• िे रू र्गु की एक सिसे िडी उपलनधध िैज्ञानिक अिस ु ांधाि और िकिीकी निक्षा का क्षेत्र था।
• निज्ञाि और िैज्ञानिक अिस ु ांधाि के र् त्ि पर जोर देिे के नलए, िे रू िे खदु िैज्ञानिक और औद्योनगक अिस ु ांधाि पररषद की अध्र्क्षिा
की, नजसिे राष्ट्रीर् प्रर्ोगिालाओां और अन्र् िैज्ञानिक सांस्थािों का र्ागा दिा ि और निि पोषण नकर्ा।
• आईआईटी का गठि नकर्ा गर्ा। िैज्ञानिक अिस ु ांधाि को िढािा नदर्ा गर्ा।
• िाद के िषों र्ें, िैज्ञानिक अिस ु धां ािों को िक
ु साि ोिे लगा क्र्ोंनक िैज्ञानिक सांस्थािों का सांगठि और प्रिांधि सांरचिा अत्र्नधक
िौकरिा ी और श्रेणीिद्ध था।
• परर्ाणु ऊजाा को र् त्ि नदर्ा गर्ा। िे रू आश्वस्ि थे नक परर्ाणु ऊजाा (िाांनिपणू ा उद्देश्र्ों के नलए) सार्ानजक, आनथा क और राजिीनिक
क्षेत्रों र्ें क्ाांनि ला सकिी ै। परर्ाणु ऊजाा आर्ोग की स्थापिा 1948 र्ें की गई थी।
• रक्षा उपकरणों के उत्पादि र्ें भारि की क्षर्िा िढािे के नलए कदर् उठाए गए, िानक भारि अपिी रक्षा जरूरिों के र्ार्ले र्ें
आत्र्निभा र ो सके ।

सामावजक पररिििन

• सार्ानजक सधु ारों के कुछ र् त्िपूणा उपार् थे- भूनर् सुधार, निर्ोनजि आनथा क निकास की िरुु आि, सािा जनिक क्षेत्र का िेजी से
निस्िार, रेड र्ूनिर्िों के गठि का अनधकार और डिाल पर जािा, रोजगार की सरु क्षा और स्िास्थ्र् िीर्ा का प्रािधाि।
• आर्कर और उत्पाद कर की प्रगनििील िीनिर्ों के र्ाध्र्र् से धि के अनधक न्र्ार्सांगि नििरण के नलए कदर् उठाए गए थे|

54
• सरकार िे 1955 र्ें अस्पृश्र्िा निरोधी कािूि को सांज्ञेर् अपराध ििाकर एांटी-अस्पृश्र्िा काििू पाररि नकर्ा। ालाँनक, एससी और
एसटी नपछडे ुए थे और जानिगि उत्पीडि अभी भी व्र्ापक रूप से प्रचनलि था, खासकर ग्रार्ीण भारि र्ें|
• न ांदू कोड निल सांसद र्ें पाररि नकर्ा गर्ा था। इसिे परुु षों और र्न लाओां दोिों के नलए एकरसिा और िलाक के अनधकार को पेि
नकर्ा, स र्नि और नििा की उम्र को िढार्ा, और र्न लाओां को पाररिाररक सांपनि के रखरखाि और निरासि का अनधकार नदर्ा।
इस सांिांध र्ें एक र् त्िपूणा कर्ी र् थी नक सभी धर्ों के अिर्ु ानर्र्ों को किर करिे िाला एक सर्ाि िागररक सांन िा लागू ि ीं नकर्ा
गर्ा था|
वशक्षा
• िे िर और व्र्ापक निक्षा सार्ानजक और आनथा क प्रगनि का एक र् त्िपूणा साधि था।
• सरकार िे प्राथनर्क, र्ाध्र्नर्क, उच्च और िकिीकी निक्षा के निकास के नलए िडी रकर् प्रदाि की। चूांनक निक्षा र्ख्ु र् रूप से एक
राज्र् का निषर् था, इसनलए िे रू िे राज्र् सरकारों से प्राथनर्क निक्षा पर खचा को कर् ि करिे का आग्र नकर्ा।
• िे रू के काल र्ें, नििेष रूप से लडनकर्ों के र्ार्ले र्ें निक्षा का िेजी से निस्िार ुआ ।
• निश्वनिद्यालर्ों और कॉलेजों की सांख्र्ा र्ें भारी िृनद्ध ुई थी। ालाांनक, प्राथनर्क निक्षा र्ें ुई प्रगनि, नििेष रूप से ग्रार्ीण भारि र्ें,
जरूरिों के अिरू ु प ि ीं थी।
• ग्रार्ीण उत्थाि और गाांिों र्ें कल्र्ाणकारी राज्र् की िींि रखिे के दो प्रर्ख ु कार्ा क्र् थे- सार्दु ानर्क निकास कार्ा क्र् और पांचार्िी
राज। र्द्यनप इसको कृ नष निकास के नलए नड़िाइि नकर्ा गर्ा था, परन्िु इिका उद्देश्र् कल्र्ाणकारी था। उिका र्ूल उद्देश्र् ग्रार्ीण
भारि के स्िरुप को िदलिा था।
• कार्ा क्र् र्ें ग्रार्ीण जीिि के सभी प लओ ु ां कृ नष निनधर्ों र्ें सधु ार से लेकर सांचार, स्िास्थ्र् और निक्षा र्ें सधु ार िक को िानर्ल नकर्ा
गर्ा।
• कार्ा क्र् का प्रभाि: लोगों द्वारा आत्र्निभा रिा और स्िर्ां स ार्िा, लोकनप्रर् भागीदारी और नजम्र्ेदारी और नपछडे सर्दु ार्ों का
उत्थाि आनद के रूप र्ें देखा जा सकिा ै।
• कार्ा क्र् के पररणार्: कार्ा क्र् के पररणार्स्िरूप िे िर िीज, उिा रक, कृ नष निकास, खाद्य उत्पादि, सडकों, टैंकों और कुओां का
निर्ाा ण, स्कूल और प्राथनर्क स्िास्थ्र् कें ि, और िैनक्षक और स्िास्थ्र् सनु िधाओां का निस्िार ुआ ।
• परन्िु , र् कार्ा क्र् अपिे उद्देश्र् को प्राप्त करिे र्ें निफल र ा। र् लोगों को निकास गनिनिनधर्ों र्ें पूणा भागीदार के रूप र्ें िानर्ल
करिे र्ें निफल र ा, साथ ी कार्ा क्र् का िौकरिा ीकरण ोिे से भी लोकनप्रर् भागीदारी र्ें कर्ी देखी गई।
• सार्दु ानर्क निकास कार्ा क्र् की कर्जोररर्ों का पिा िि चला जि िलिांि रार् र्े िा सनर्नि िे इसके िौकरिा ीकरण और लोकनप्रर्
भागीदारी की कर्ी की कडी आलोचिा की।
• सनर्नि िे ग्रार्ीण और नजला निकास प्रिासि के लोकिाांनत्रक निकें िीकरण की नसफाररि की।
• सनर्नि की नसफाररि पर, ग्रार् पांचार्ि के साथ अपिे आधार पर लोकिाांनत्रक स्ििासि की एक अनभन्ि प्रणाली िरू ु करिे का निणा र्
नलर्ा गर्ा।
• िई प्रणाली, नजसे पांचार्िी राज को पाररि नकर्ा गर्ा िथा इसे निनभन्ि राज्र्ों र्ें लागू नकर्ा गर्ा।
पंचायिी राज
• इसर्ें नत्र-स्िरीर् सांरचिा, सीधे नििाा नचि ग्रार् र्ा ग्रार् पांचार्िें, और अप्रत्र्क्ष रूप से नििाा नचि धलॉक-स्िरीर् पांचार्ि सनर्निर्ाँ
और नजला-स्िरीर् नजला पररषद िानर्ल थीं।

55
• पांचार्िी राज का उद्देश्र् सार्दु ानर्क निकास कार्ा क्र् की कनर्र्ों को िीि स्िरीर् सनर्नि के र्ागा दिा ि र्ें कार् करिे िाले अनधकाररर्ों
के साथ निकास प्रनक्र्ा के निणा र् लेिे और कार्ाा न्िर्ि र्ें लोकनप्रर् भागीदारी प्रदाि करिा था।
• कनर्र्ाां: राज्र् सरकारों िे कर् उत्सा नदखार्ा, पांचार्िी सनर्निर्ों पर कोई िास्िनिक िनक्त ि ीं ििाई, अपिी िनक्तर्ों और कार्ों
पर अांकुि लगार्ा और उन् ें धि नदर्ा। राजिीनिकरण और िौकरिा ी के र्द्दु े भी इसर्ें निद्यर्ाि थे।
इस प्रकार, पांचार्िी राज िलिांि रार् र्े िा सनर्नि, जिा रलाल िे रू द्वारा सौंपी गई भूनर्का ि ीं निभा सकीं। सार्दु ानर्क निकास
कार्ा क्र्, पांचार्िी राज और स कारी आांदोलि की र्ूल कर्जोरी र् थी नक उन् ोंिे ग्रार्ीण सर्ाज के िगा निभाजि को िजरअांदाज कर
नदर्ा, ज ाां लगभग आधी आिादी भूनर् ीि थी र्ा नजिके पास सीर्ाांि भूनर् थी, और इस िर िे काफी िनक्त ीि थे। गाँि के सार्ानजक
और आनथा क जीिि स्िर पर र्ख्ु र् रूप से पज ूँ ीिादी नकसािों/अर्ीर और र्ध्र्र् नकसािों का प्रभत्ु ि था। ि िो ग्रार्ीण िगों का प्रभत्ु ि था
और ि ी िौकरिा सार्ानजक एजेंट िि सकिे थे|
कांग्रेस का िभुत्ि (1947-1977)
पष्ठृ भवू म –

• जैसा नक र्िे चिु ािी राजिीनि के उद्भि के िारे र्ें चचाा की ै, काांग्रेस पाटी िे देि के प ले आर् चिु ािों र्ें िडी सफलिा ानसल की।
• िरुु आिी िीि आर् चिु ािों र्ें, काांग्रेस को भारी ि ुर्ि प्राप्त ुआ। काांग्रेस िे र चार सीटों र्ें से Symbol of Indian
NationalCongress (1971)
िीि पर जीि ानसल की लेनकि उसिे कुल र्िदाि र्ें आधे िोट भी प्राप्त ि ीं नकर्ा।
• भारि की स्ििांत्रिा के िाद, प ले 30 िषों के नलए, काांग्रेस सरकार लोकसभा र्ें एकर्ात्र सिसे िडी
पाटी थी।
• भारिीर् राजिीनि र्ें काांग्रेस का िचा स्ि था जो 1977 के आर् चिु ाि िक नििा रुके चला।

56
• भारि के िल एकर्ात्र ऐसा अपिाद ि ीं ै, नजसिे एक पाटी के प्रभत्ु ि का अिभु ि नकर्ा ो, र् दनु िर्ा के अन्र् न स्सों र्ें भी 'एक
पाटी के प्रभत्ु ि' का उदा रण देख सकिे ैं.
• अन्र् देिों र्ें, र्िे देखा ै नक लोकिाांनत्रक र्ूल्र्ों और र्ािदांडों के साथ सर्झौिा ुआ ,ै जिनक भारि
िे उि र्ूल्र्ों और र्ािदांडों को िरकरार रखा।
• चीन, क्यूबा और सीररया जैसे कुछ देशों में संवििान के िल एक पाटी को देश पर शासन करने की
अनमु वि देिा ै।
• कुछ अन्र् जैसे म्र्ाांर्ार, िेलारूस, नर्स्र और इररनरर्ा कािूिी और सैन्र् उपार् के कारण प्रभािी रूप से एक-पक्षीर् राज्र् थे|
कांग्रेस के िभुत्ि की िकृवि -
• स्ििंत्रिा के बाद के आम चुनािों को सुवनविि करने के वलए कांग्रेस अपने स्ििंत्रिा संग्राम
आंदोलन के पररश्रम के फल िक पहुचं गई थी। इसे भारिीय राष्ट्रीय कांग्रेस आंदोलनों की
“विरासि” विरासि में वमली थी।
• पूरे देि र्ें स्ििांत्रिा आांदोलि के अपिे र्जिूि सांगठिात्र्क िेटिका के कारण, र् िरु िां जििा
िक प ुांच गर्ा और जििा के साथ अच्छी िर से जडु ा।
• इिने कम समय में खुद को संगवठि करना और जनिा का विश्वास हावसल करना अन्य
राजनीविक दलों के वलए संभि नहीं था। स्ििंत्रिा संग्राम आंदोलन के दौरान, INC ने समािेशी
दृविकोर् अपनाया और समाज के सभी स्िरों की सदस्यिा स्िीकार की।
• स्ििांत्रिा के िाद, काांग्रेस िे सर्ाि नििेषिाओां को ििाए रखा। काांग्रेस भी निनिध और नभन्ि िगा ,
अिभु ागीर् और क्षेत्रीर् न िों के सार्ांजस्र्, आिास और सर्ार्ोजि के नलए र्ाध्र्र् के रूप र्ें
सांिेदििील कार्ा करिी र ी।
• काांग्रेस एक िैचाररक गठिांधि था। इसिे क्ाांनिकारी और िाांनििादी, रूनढिादी और कट्टरपांथी,
उग्रिादी और उदारिादी और कें ि के दाएां, िाएां सभी रांगों को सर्ार्ोनजि नकर्ा|
• काांग्रेस पाटी की गठिांधि प्रकृ नि िे निनभन्ि गटु ों को स ि नकर्ा और प्रोत्सान ि नकर्ा और एक
कर्जोरी ोिे के िािजूद , आांिररक गटु िाजी काांग्रेस की िाकि िि गई।
• गटु ों की प्रणाली सिाधारी पाटी के भीिर सांिल ु ि िांत्र के रूप र्ें कार्ा करिी ै। चिु ािी प्रनिर्ोनगिा
के प ले दिक र्ें, काांग्रेस िे सिा पक्ष के साथ-साथ निपक्ष के रूप र्ें भी कार् नकर्ा।
• इसनलए, प्रनसद्ध राजिीनिक िैज्ञानिक, श्री रजिी कोठारी िे भारिीर् राजिीनि के इस दौर को "काांग्रेस प्रणाली" क ा।

वनष्ट्कषि -
• 1980 र्ें इांनदरा गाांधी और राजीि गाांधी (1984) के िेिृत्ि र्ें काांग्रेस िे नफर से सिा ानसल की।
• 1980-89 की अिनध भारिीर् लोकिांत्र के इनि ास र्ें काांग्रेस के प्रभत्ु ि की िापसी का दौर ै।
• 1989 के आर् चिु ाि र्ें ारिे के िाद, काांग्रेस िे ि ुर्ि र्ें कभी सरकार ि ीं ििाई।
• 10 िीं लोकसभा के सदस्यों का चनु ाि करने के वलए 1991 में भारि में आम चनु ाि ुए।
• चिु ाि का पररणार् र् था नक नकसी भी पाटी को ि ुर्ि ि ीं नर्ल सकिा था, इसनलए एक अल्पसांख्र्क सरकार (िार् दलों की र्दद
से भारिीर् राष्ट्रीर् काांग्रेस) का गठि नकर्ा गर्ा था, नजसके पररणार्स्िरूप अगले 5 िषों के नलए नये ििान मंत्री पी.िी. नरवसम्हा
राि बने।

57
विपक्षी दलों का उद्भि

पृष्ठभूवम
• काांग्रेस पाटी के िािदार प्रदिा ि के कारण, सभी निपक्षी दलों िे "काांग्रेस प्रणाली" अिनध के दौराि लोकसभा और राज्र् निधािसभाओां
र्ें के िल एक टोकि प्रनिनिनधत्ि प्राप्त नकर्ा। नफर भी इि निरोधों िे व्र्िस्था के लोकिाांनत्रक चररत्र को ििाए रखिे र्ें र् त्िपूणा भूनर्का
निभाई।
• निपक्षी दलों िे काांग्रेस की प्रथाओां और िीनिर्ों की निरांिर और सैद्धाांनिक आलोचिा की। लोकिाांनत्रक राजिीनिक निकल्प को जीनिि
रखिे ुए, निपक्षी दलों िे व्र्िस्था के साथ आक्ोि को लोकिांत्र निरोधी र्ें िदलिे से रोका।
• स ी अथों र्ें भारि के लोकिांत्र की िरुु आि र्ें निपक्ष और काांग्रस
े के िीच अच्छे सांिांध थे।

• स्ििांत्रिा से प ले अांिररर् सरकार र्ें निपक्षी िेिाओां का सर्ािेि था और स्ििांत्रिा के िाद की सरकार र्ें भी निपक्षी िेिाओां जैसे
डॉ.िी.आर. अम्िेडकर, श्र्ार्ा प्रसाद र्ख ु जी (जि जाभा) िे रू के र्ांनत्रर्ांडल र्ें थे।
• 1977 र्ें- प ली िार गैर-काांग्रेसी सरकार का गठि र्ोरारजी देसाई के िेिृत्ि र्ें जििा सरकार िे नकर्ा था। ालाांनक जििा सरकार
2 साल से ज्र्ादा ि ीं नटक सकी लेनकि इसिे काांग्रेस के प्रभत्ु ि को सफलिापूिाक िोड नदर्ा।
• भारिीर् जििा पाटी के उद्भि िे काांग्रेस सरकार के प्रभत्ु ि को सांिुनलि करिे र्ें र् त्िपूणा भूनर्का निभाई|
विपक्षी दलों का उद्भि -

समाजिादी पाटी
• स्वतंत्रता से पहले समाजवादी पार्टी की नींव तब पडी जब कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं ने अधिक कट्टरपंथी और समतावादी
कांग्रेस की मांग की। इसधलए, उन्होंने 1934 में कांग्रेस सोशधलस्र्ट पार्टी (CSP) का गठन धकया।
• स्ििांत्रिा के िाद, काांग्रेस पाटी िे दो री सदस्र्िा के सांिांध र्ें निर्र् को िदल नदर्ा था और C.S.P के सदस्र्ों को काांग्रेस की
सदस्र्िा से रोक नदर्ा था। इस नस्थनि िे सीएसपी िेिाओां को 1948 र्ें अलग सोिनलस्ट पाटी ििािे के नलए र्जिूर नकर्ा।
• समाजिादी लोकिांवत्रक समाजिाद की विचारिारा में विश्वास करिे थे जो उन्हें कांग्रेस और कम्युवनस्टों से अलग करिा था।
• समाजिादी पाटी के नेिाओं ने कांग्रेस पाटी आलोचना करिे हुए यह िकि वदया वक कांग्रेस पाटी
पूजीपवि िगि और जमींदार िगि के वहि में काम करिी है, जबवक अन्य िगि जैसे वकसान और मजदुर
िगि की अपेक्षाका करिी है।
• सर्ाजिादी पाटी िि िडी दनु िधा र्ें थी जि 1955 र्ें काांग्रेस पाटी िे अपिे लक्ष्र् को सर्ाज का
सर्ाजिादी स्िरूप घोनषि नकर्ा। ऐसे पररदृश्र् र्ें, उिके िेिा अिोक र्े िा िे काांग्रेस के साथ सीनर्ि
स र्ोग की पेिकि की।
• समाजिादी पाटी के विभाजन और संघ से कई गुट उभरे। वकसान मजदूर िजा पाटी, िजा समाजिादी पाटी, संयुिा सोशवलस्ट
पाटी ।
• जयिकाश नारायर्, राममनोहर लोवहया, अच्यिु पटिििन, अशोक मेहिा, आचायि नरेंद्र देि, एस.एम. जोशी समाजिादी पाटी
के वदग्गज नेिा थे।
• सर्कालीि सर्र् के कई पाटी जैसे, सर्ाजिादी पाटी, राष्ट्रीर् जििा दल (राजद), जििा दल (र्ूिाइटेड), जििा दल (सेकुलर) की
उत्पनि सर्ाजिादी पाटी से ुई ै।

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भारिीय जनसंघ (BJS)
• BJS का गठि 1951 र्ें श्र्ार्ा प्रसाद र्ख ु जी द्वारा नकर्ा गर्ा था और इसकी जडें आर.एस.एस. (राष्ट्रीर् स्िर्ांसेिक नसां ) और
आजादी से प ले के न ांदू र् ासभा से जडु ी ुई थीं।
• BJS के िेिा थे श्र्ार्ा प्रसाद र्ुखजी, दीि दर्ाल उपाध्र्ार् (उन् ोंिे एकात्र् र्ािििाद की अिधारणा की िरुु आि की), और िलराज
र्धोक.

Shyama Prasad Mukerjee


• BJS िे लगभग सभी लोकसभा चिु ािों र्ें ि ुि अच्छा प्रदिा ि नकर्ा।
• सर्कालीि सर्र् र्ें, भारिीर् जििा पाटी (िीजेपी) िे अपिी जडें िी.जे.एस. के साथ जोड नलर्ा।
• BJS िे एक देि, एक सांस्कृ नि और एक राष्ट्र के निचार पर जोर नदर्ा और र्ािा नक भारिीर् सांस्कृ नि और परांपराओां के आधार पर
देि आधनु िक, प्रगनििील और र्जिूि िि सकिा ै।
RSS के साथ सम्बन्ि:
• र् राष्ट्रीर् स्िर्ांसेिक सांघ का निर्ाा ण था, और अपिी िींि के िाद, अपिे कनठि निचारधारा और सांगठिात्र्किा को निर्ांत्रण र्ें
रखा।
• आरएसएस पर लगाए गए प्रनििांध को टािे के नलए िथा सरकार को राजी करिे की इच्छा से उत्सक ु आरएसएस कार्ा किाा ओ ां और
िेिाओां के द्वारा सरकार के साथ सांिाद र्ें इसिे र् त्िपणू ा भूनर्का निभाई थी ।
अििारर्ा
• इसिे नर्नश्रि अथा व्र्िस्था, िडे पैर्ािे के उद्योगों के निनिर्र्ि, प्रर्ख
ु औद्योनगक राष्ट्रीर्करण, ग्रार्ीण क्षेत्र र्ें सेिा स कारी सनर्निर्ों
आनद का सर्था ि नकर्ा, लेनकि र्े नसफा औपचाररक पद थे।
• अपिे प्रारांनभक िषों र्ें, जिसांघ िे अखण्ड भारि के अपिे कें िीर् उद्देश्र् की खोज र्ें भारि और पानकस्िाि के पिु नर्ा लि के नलए िका
नदर्ा।
• एक देि, एक सांस्कृ नि, एक राष्ट्र ’के िारा को िल ु दां नकर्ा|
• प्रारांभ र्ें र् सांस्कृ निकरण और न ांदी भाषा के पक्ष र्ें था और भारि की एक आनधकाररक भाषा के रूप र्ें अांग्रेजी की अिधारण के
नखलाफ था परन्िु िाद र्ें इसिे न ांदी के साथ-साथ अांग्रेजी को भी र्ान्र्िा दी| (जि िक नक गैर-न ांदी राज्र्ों द्वारा न ांदी को आधाररक
भाषा घोनषि ि ीं नकर्ा जािा )।
• इसिे ़ििरदस्ि न ांदू कोड निल का निरोध नकर्ा और इसके पाररि ोिे के िाद इस कािूि को निरस्ि करिे का िचि नदर्ा।
• इसिे गो त्र्ा पर प्रनििांध के अलािा नकसी अन्र् धानर्ा क र्द्दु े को ि ीं उठार्ा।
• जिसांघ िे लगािार धर्ा निरपेक्ष दलों पर र्स ु लर्ािों के िुनष्टकरण का आरोप लगार्ा।

59
संिदायिाद:
• पाटी के सभी लोकनप्रर् िारों साांप्रदानर्क निचारधारा की अिधारणा से प्रेररि थी।
• र्स
ु लर्ािों को पाटी र्ें िानर्ल करिा भी उिके िेिाओां और कै डरों द्वारा एक औपचाररकिा के रूप र्ें र्ािा जािा था।
• 1967 र्ें िीजेपी के अनस्ित्ि र्ें आिे से प ले जिसांघ पाटी 35 सीटें के साथ एक र् त्िपूणा पाटी के रूप र्ें उभरी, परन्िु अि भी
इसिे दनक्षण भारि र्ें खराि प्रदिा ि नकर्ा साथ ी श्र्ार्ा प्रसाद र्ख
ु जी की र्ृत्र्ु के िाद इसिे पनिर् िांगाल र्ें िो अपिी राजिीनिक
पकड खो दी।
भारिीय कम्युवनस्ट पाटी -
• रूस र्ें िोल्िेनिक क्ाांनि से प्रेरणा लेिे ुए, ि ाँ कई कम्र्नु िस्ट सर्ू ों का उदर् ुआ, जो सर्ाजिाद की
िकालि करिे ुए 1920 की धारणा को प्रभानिि करिे िाली सर्स्र्ाओां का ल ै।
• कम्र्नु िस्टों िे र्ख्ु र् रूप से काांग्रेस के भीिर कार् नकर्ा, लेनकि जि उन् ोंिे नद्विीर् निश्व र्द्ध
ु र्ें अांग्रेजों
का सर्था ि नकर्ा, िो उन् ोंिे खदु को काांग्रेस से अलग कर नलर्ा।
• इसिे राजिीनिक पाटी को चलािे के नलए सर्नपा ि कै डर और र्ोग्र् कनर्ा र्ों को िानर्ल नकर्ा था।
• कम्र्नु िस्ट न ांसक नििो र्ें निश्वास करिे थे, क्र्ोंनक उन् ें लगिा था नक सिा का स्िाांिरण िास्िनिक ि ीं था। ि ुि कर् लोगों को
उिकी निचारधारा पर निश्वास था और िे सिस्त्र िल से कुचल नदए गए। िाद र्ें उन् ोंिे न ांसक साधिों को छोड नदर्ा और आर् चिु ािों
र्ें भाग नलर्ा और दूसरे सिसे िडे निपक्षी दल के रूप र्ें उभर कर सार्िे आर्ें।
• पाटी का सर्था ि आांध्र प्रदेि, पनिर् िांगाल, नि ार और के रल र्ें अनधक कें निि था।
• उिके निष्ठािाि िेिाओां र्ें ए.के . गोपालि, एस ए डाांगे, ई.एर्.एस. िांिूनदरी पैड, पी.सी. जोिी, अजर् घोष और पी. सुंदरचायि आवद
शावमल थी|
• 1964 र्ें CPI का निभाजि ुआ और चीि सर्था क गटु िे CPI (र्ाक्सा िादी) का गठि नकर्ा।
• नजसके पररणार्स्िरूप भारिीर् राज्र्ों इिकी पकड कर्जोर ुए और उिकी उपनस्थनि देि के ि ुि कर् राज्र्ों िक ी कें निि ै|
स्ििंत्र पाटी
• स्वतंत्र पार्टी का गठन अगस्त 1959 में नागपरु कांग्रेस के संकल्प के बाद हुआ था, धजसमें
सीमान्त भूधम, राज्य द्वारा खाद्यान्न व्यापार का अधिग्रहण, सहकारी गठन को अपनाना आधद
शाधमल था। वे इस संकल्प को नहीं मानते थे।
• पाटी का र्ाििा था नक अथा व्र्िस्था र्ें सरकार की कर् भागीदारी ै। इसिे अथा व्र्िस्था, कें िीर्
र्ोजिा, राष्ट्रीर्करण, सािा जनिक क्षेत्र र्ें राज्र् के स्िक्षेप की निकास रणिीनि का निरोध नकर्ा।
उन् ोंिे प्रगनििील कर व्र्िस्था का निरोध नकर्ा और लाइसेंस राज को खत्र् करिे की र्ाांग की।
• इसिे गटु निरपेक्ष िीनि आलोचिा की और सोनिर्ि सांघ के साथ-साथ भारि के अर्ेररका के साथ
घनिष्ठ सांिांधों की िकालि की।
• उद्योगपवि और बडे जमींदारों ने इस पाटी का समथिन वकया था।
• इस पाटी का एक ि ुि ी सीनर्ि प्रभाि ै, सर्नपा ि कै डर की कर्ी ै, इसनलए र् अच्छा प्रदिा ि
ि ीं कर पार्ी।
• पाटी के अध्र्क्ष सी. राजगोपालाचारी, के .एर्. र्ांिु ी, एि.जी. रांगा और र्ीिू र्सािी।

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भारिीय जनिा पाटी (BJP)-
• भाजपा का उद्भव श्यामा प्रसाद मुखजी द्वारा 1951 में गधठत भारतीय जनसंघ में हुआ|
• 1977 र्ें, जििा पाटी ििािे के नलए जिसांघ का कई अन्र् दलों के साथ निलर् ो गर्ा|
• 1977 के आर् चिु ािों र्ें इसिे काांग्रेस पाटी को रार्ा। िीि साल सिा र्ें र िे के िाद, जििा पाटी
1980 र्ें भांग ो गई और ित्कालीि जिसांघ के सदस्र्ों के साथ नर्लकर भाजपा का गठि नकर्ा।
• िीजेपी की स्थापिा 1980 र्ें ुई थी और इसके िाद र् भारि की राष्ट्रीर् राजिीनि र्ें प्रभािी ो
गई।
• भाजपा िे 1996 र्ें अपिी प ली सरकार ििाई नजसर्ें पाटी िे 161 लोकसभा सीटें ानसल कीं,
नजससे ि सांसद र्ें सिसे िडी पाटी िि गई। िाजपेर्ी िे प्रधाि र्ांत्री के रूप र्ें िपथ ली, परन्िु
लोकसभा र्ें ि ुर्ि प्राप्त करिे र्ें असर्था र े, नजसके पररणार्स्िरूप सरकार को 13 नदिों के िाद
इस्िीफा देिा पडा।
• 1996 र्ें क्षेत्रीर् दलों के गठिांधि िे सरकार ििाई, लेनकि र् सर्ू अल्पकानलक था, और 1998
र्ें र्ध्र्ािनध चिु ाि ुए।
• भाजपा िे राष्ट्रीर् जििाांनत्रक गठिांधि (NDA) िार्क गठिांधि का िेिृत्ि करिे ुए चिु ाि लडा,
नजसर्ें सर्िा पाटी( Samata Party) निरोर्नण अकाली दल, नििसेिा के अलािा ऑल इांनडर्ा
अन्िा िनिड र्नु िि कषगर् (AIADMK) और उसके स र्ोगी दल िानर्ल थे।
• इि क्षेत्रीर् दलों र्ें, नििसेिा एकर्ात्र ऐसी थी नजसकी भाजपा के सर्ाि निचारधारा थी।
• NDA के पास िेलगु ु देिर् पाटी (TDP) के िा री सर्था ि के साथ ि ुर्ि था और िाजपेर्ी
प्रधािर्ांत्री के रूप र्ें लौटे। ालाांनक, र्ई 1999 र्ें गठिांधि टूट गर्ा जि AIADMK की िेिा
जर्लनलिा िे अपिा सर्था ि िापस ले नलर्ा, और नफर से िए चिु ाि ुए|
• 13 अक्टूिर 1999 को, NDA, AIADMK के नििा, सांसद र्ें 303 सीटें जीिी और इस िर पूणा ि ुर्ि ानसल कर नलर्ा।
• र् भाजपा की अि िक की सिसे िडी जीि (183) थी। िाजपेर्ी जी िीसरी िार प्रधािर्ांत्री ििे िथा आडिाणी जी उपप्रधािर्ांत्री
और गृ र्ांत्री ििे|
• एिडीए सरकार िे अपिा पाांच साल का कार्ा काल पूरा नकर्ा। इसके िीनिगि एजेंडे र्ें रक्षा और आिांक के साथ-साथ िि-उदारिादी
आनथा क िीनिर्ों पर अनधक आक्ार्क रुख िानर्ल था।
• ालाांनक, 2004 के आर् चिु ािों र्ें, भाजपा के िेिृत्ि िाली एिडीए सरकार को ार नर्ली।
• 2014 र्ें, लोकसभा र्ें ि ुर्ि िाली सीटों के साथ िरेंि र्ोदी के िेित्ृ ि र्ें भाजपा की निजर्ी ुई।
• IMP िेिा- अटल नि ारी िाजपेर्ी, लाल कृ ष्ट्ण आडिाणी, जसिांि नसां , प्रर्ोद र् ाजि, िरेंि र्ोदी|

गठबंिन का युग/गठबंिन की राजनीवि

पष्ठृ भवू म -
• िरुु आिी िषों र्ें, काांग्रेस पाटी िे भारी ि ुर्ि प्राप्त नकर्ा।
• काांग्रेस पाटी िे लोगों की लोकनप्रर्िा और सम्र्ाि पर धर्ाि कें निि नकर्ा। पाटी भारि र्ें जििा से सीधे जडु े ुई थीं। र् 1947 से
1967 िक कें ि के साथ-साथ राज्र्ों र्ें भी सिा र्ें र ा और र् इसकी एक अखांड और अद्भुि नििेषिा थी।

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• ालाांनक, र्जिूि क्षेत्रीर् दलों का उदर्, निनभन्ि सार्ानजक सर्ू ों का राजिीनिकरण और सिा र्ें न स्सेदारी के नलए उिके सांघषा िे
राजिीनिक भारि र्ें राजिीनिक पररििा ि और र्ांथि नकर्ा और इसिे सांघीर् स्िर पर गठिांधि सरकार को अपरर ार्ा ििा नदर्ा|
भारि में गठबंिन राजनीवि की शुरुआि
• लोकसभा और राज्र् निधािसभाओां के चौथे आर् चिु ािों के दौराि,
िे रू और िास्त्री के निधि के िाद, काांग्रेस पाटी िे अपिे जिादेि को
सर्ाप्त कर नदर्ा और सार्ानजक और सांस्थागि पररििा ि की पाटी के
रूप र्ें अपिा चररत्र और प्रेरणा खो नदर्ा|
• लोग, भ्रष्टाचार और पाटी सदस्र्ों की भागदौड भरी जीिििैली से िाखिु
थे। स्ििांत्र पत्रकार और प्रसारणकिाा ़िीरर र्सािी के अिस ु ार, पाटी के
अििु ासि के भीिर निरांिर िनक्त के सांघषा और िेजी से क्षरण के कारण,
1967 के चिु ािों के दौराि काांग्रस
े निरोधीर्ों का निश्वास और िढा ुआ
था।
• 1967 के चिु ािों की एक र् त्िपूणा नििेषिा निपक्षी दलों का एक साथ
आिा था। 1967 के चिु ािों िे अल्पकानलक गठिांधि सरकारों और
दलिदल की राजिीनि के दो रे र्गु की िरुु आि की।
• िनर्लिाडु को छोडकर सभी निपक्षी िानसि राज्र्ों र्ें गठिांधि सरकारें ििीं। काांग्रेस िे भी कुछ राज्र्ों र्ें गठिांधि सरकारें ििाई ां।
• 1967 के चिु ािों र्ें गठिांधि की राजिीनि की भी िरुु आि ुई। ररर्ाणा र्ें ज ाां दलिदल की घटिा प ली िार िरू ु ुई थी, और िए
िधद "अर्ा रार् गर्ा रार्" गढा गर्ा था, र्े उि िेिाओां के नलए था जो अक्सर अपिी पाटी िदलिे र िे थे।
• 1967 से 1970 के दौराि लगभग 800 निधािसभा सदस्र्ों िे सांसद र्ें गए और उिर्ें से 155 िे र्ांत्री पद ग्र ण नकर्ा।
• 1967 के चिु ािों िे िाटकीर् रूप से काांग्रेस पाटी के भीिर सिा के सांिुलि को िदल नदर्ा।

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1977 के चनु ाि –
• आपािकाल (1975-77) और जे पी आांदोलि के कारण 1977 के आर् चिु ाि र्ें कें ि र्ें काांग्रेस सरकार का पिि ुआ।
• अनधकाांि निपक्षी दलों िे एक साथ आकर जििा पाटी का गठि नकर्ा और 1977 के चिु ाि ि ुर्ि ानसल नकर्ा|
Formation of Government-
No. Constituent Group No. of MP’s No. of Ministers
1 जनसंघ (Jana Sangh ) 94 11
2 भारिीय लोक दल( Bhartiya Lok Dal) 71 12
3 कांग्रेस (Congress (O)) 50 10
4 सोशवलस्ट पाटीSocialist Party 28 4
5 कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी (CFD:- Congress for 28 3
Democracy)
6 Ex-Congressmen (चंद्रशेखर समहू ) 5 2
7 Others [Like Akali Dal etc.] 25 2

• जलु ाई 1979 र्ें सिा और नस्थनि की आकाांक्षा के कारण जििा गठिांधि िाि के पिों की िर ढ गर्ा।
ढ िे के अन्र् कारण थे, दलिदल के द्वार खल ु े ुए थे और अकाली और अन्र् क्षेत्रीर् सर्ू ों िे अपिा
सर्था ि िापस ले नलर्ा था।
• एल.के . आडिाणी के अिस ु ार जििा पाटी 1979 की ार से कष्ट र्ें थी, आांनिक रूप से एक पाटी के
अििु ासि और उिकी र्ूल अिधारणा के कारण गैर-प्रिासि अि िासि व्र्िस्था का अिरोध िि गर्ा
|
• गठिांधि के भीिर सिा के नलए एक दूसरे से सांघषा , टकराि का कारण ििा।
• जििा सरकार के पिि के िाद, भारि र्ें चरण नसां के िेित्ृ ि र्ें एक और गठिांधि सरकार ििीं लेनकि
र् सरकार ि ुि कर् सर्र् के नलए र ी ।
• िाद र्ें लगभग एक दिक िक भारि र्ें काांग्रेस के िेिृत्ि र्ें कें ि र्ें एक नस्थर पाटी की सरकार थी, लोग
प ले की दो गठिांधि सरकारों से िाखिु थे|
लगािार गठबंिन सरकार का काल –
• काांग्रेस द्वारा एक दिक परु ािी नस्थर सरकार के िाद, गठिांधि की राजिीनि की िापसी ुई। 1989 र्ें चिु ाि काांग्रेस पाटी की ार का
कारण ििे लेनकि नकसी अन्र् पाटी को भी ि ुर्ि ि ीं नर्ला था।
• काांग्रेस पाटी की 1989 की इस ार िे इांनडर्ा पाटी नसस्टर् पर काांग्रेस के प्रभत्ु ि के अांि को नचनिि नकर्ा। इसनलए ि ुदलीर् व्र्िस्था
का र्गु िरू ु ुआ।
• ि ुदलीर् व्र्िस्था र्ें इस िए निकास का र्िलि था नक नकसी भी पाटी िे 1989 के िाद से नकसी भी लोकसभा चिु ाि र्ें स्पष्ट ि ुर्ि
ानसल ि ीं नकर्ा, जि िक नक िीजेपी िे 2014 र्ें ि ुर्ि ानसल ि ीं कर नलर्ा।
• िधिे के दिक र्ें दनलि और नपछडी जानिर्ों का प्रनिनिनधत्ि करिे िाले िनक्तिाली दलों और आांदोलिों का उदर् भी ुआ। 1989
के चिु ािों के साथ, भारि र्ें गठिांधि की राजिीनि का एक लांिा दौर िरू ु ुआ।

63
• कें ि र्ें िौ सरकारें र ी ैं, उिर्ें से ज्र्ादािर र्ा िो गठिांधि सरकारें
थी र्ा नफर अल्पसांख्र्क सरकार। इस चरण र्ें, नकसी भी सरकार को
कई क्षेत्रीर् दलों की भागीदारी र्ा सर्था ि के साथ ी ििार्ा जा सकिा
था ।
• इसे 1989 र्ें राष्ट्रीर् र्ोचाा , 1996 और 1997 र्ें सांर्क्त
ु र्ोचाा , 1997
र्ें एिडीए, 1998 र्ें िीजेपी के िेिृत्ि र्ें गठिांधि, 1999 र्ें एिडीए
और 2004 और 2009 र्ें र्ूपीए र्ें देखा जा सकिा ै।

64
अध्याय - 3 भारि की विदेश नीवि

Sr. Topic
1 भारि की निदेि िीनि का पररचर्
2 िे रू के अधीि निदेि िीनि
3 पानकस्िाि के साथ सांिांध
4 चीि के साथ सांिांध
5 इांनडर्ा-श्रीलांका सांकट का सर्र् (1987)
6 भारि की परर्ाणु िीनि

65
भारिीय विदेश नीवि का पररचय
• िैनश्वक स्िर पर, सार्ान्र्िः दनु िर्ाभर र्ें नस्थनि ि ुि गांभीर थी। पूरा निश्व ाल ी र्ें ुए नद्विीर् निश्व र्द्ध
ु का साक्षी था, िाांनि की
स्थापिा के नलए िए अांिरराष्ट्रीर् निकार् ििािे के प्रर्ास नकए जा र े थे, उपनििेििाद के
पिि के फलस्िरूप िए देिों का उद्धार ो र ा था। िए देिों के सार्िे लोकिांत्र कार्र् करिे
और कल्र्ाणकारी राज्र् की स्थापिा की दो री चिु ौिी थी।
• भारिीर् सांदभा र्ें, निनटि सरकार, निभाजि के रूप र्ें नििादों की एक परू ी निरासि छोडी
थी। स्ििांत्र निदेि िीनि को आगे िढािे के नलए भारि के प्रर्ास 1947 के िाद की राजिीनि
का र्ख्ु र् आकषा ण थे।
• िे रू िे निश्व की िाांनि और जििा की आत्र्निभा रिा, आत्र्निश्वास और गौरि को निकनसि
करिे के नलए िथा भारि की स्ििांत्रिा को ििार्े रखिे एिां उसे अनधक र्जिूि ििािे ेिु उपनििेििाद के कारणों का निरोध करिे
ुए और अपिे राष्ट्रीर् न िों की रक्षा करिे के नलए निदेि िीनि का इस्िेर्ाल नकर्ा।
• भारि िे अपिी निदेि िीनि र्ें अन्र् सभी देिों की सांप्रभिु ा का सम्र्ाि करिे और िाांनि कार्र् करके अपिी सरु क्षा सनु िनिि करिे
का लक्ष्र् सार्िे रखा।
• र् उद्देश्र् सांनिधाि के अिच्ु छे द 51 र्ें राज्र् के िीनि निदेिक नसद्धाांिों के सर्ािेिि को दिाा िा ै| नजसर्ें "अांिराा ष्ट्रीर् िाांनि और
सरु क्षा को िढािा देिे” पर िल नदर्ा गर्ा ै।
राज्यों द्वारा वकए जाने िाले ियास:-
• अांिराा ष्ट्रीर् िाांनि और सरु क्षा को िढािा देिा|
• राष्ट्रों के िीच न्र्ार्पूणा और सम्र्ाि पूिाक सांिांधों को ििाए रखिे का प्रर्ास ।
• राज्र् एक दूसरे को परस्पर स र्ोग करेगे एिां अांिराा ष्ट्रीर् कािूिों िथा सांनधर्ों का सम्र्ाि करेगे।
• राज्र् अांिराा ष्ट्रीर् झगडों को र्ध्र्स्थिा द्वारा निपटािे की रीनि को िढािा देगे।
पंचशील:
िे रू िे राष्ट्रों के र्ध्र् िाांनिपणू ा स -अनस्ित्ि के सांचालि के नलए पाांच नसद्धाांि निनिि नकए नजन् ें पंचशील वसद्धांि क ा जािा ै। र्े
नसद्धाांि निम्िनलनखि ैं-
• एक दूसरे की प्रादेनिक अखांडिा और सिोच्च सिा के नलए पारस्पररक सम्र्ाि की भाििा
• अिाक्र्ण की िीनि
• एक दूसरे के आांिररक र्ार्ले र्ें स्िक्षेप िा करिा
• सर्ाििा एिां पारस्पररक स र्ोग पर िल
• िाांनिपूणा स अनस्ित्ि
नेहरू के काल में भारि की विदेशी नीवि
नेहरू की विदेशी नीवि के आिारभूि मानक

66
स्वतंत्र बिदे ि
िीनत

गट
ु निरपेक्ष
भारत की सरु क्षा
आन्दोलि

औपनिवेशिक और
भारत की आर्थथक
पूव-थ औपनिवेशिक
हहत की सुरक्षा
दे िों को समथथि

पडोसी और अन्य दे िों के


साथ िांनतपूणथ सह-
अस्स्तत्व

नेहरू की विदेशी नीवि का अिलोकन


अंिरािष्ट्रीय भवू मका-
कोररयाई युद्ध (1950-53)-

• नद्विीर् निश्व र्द्ध


ु की सर्ानप्त के िाद कोररर्ा, उिर कोररर्ा(कम्र्नु िस्ट सर्था क)और दनक्षण कोररर्ा (पनिर्ी सर्था क) र्ें िट गर्ा था|
• 1950 र्ें उिर कोररर्ा िे दनक्षण कोररर्ा पर र्ला नकर्ा िो भारि िे सांर्क्त ु राष्ट्र सरु क्षा पररषद र्ें अर्ेररका का सर्था ि नकर्ा और
उिर कोररर्ा को र्लािर ििार्ा|
• लेनकि भारि की र्ख्ु र् नचांिा िाह्य िनक्तर्ों को टकराि र्ें प्रिेि करिे से रोकिे की थी||
• कोररर्ाई र्द्ध ु िे भारि की गटु निरपेक्षिा और िाांनि के प्रनि प्रनििद्धिा के निश्वास का परीक्षण भी नकर्ा|
• भारि िे चीि को सरु क्षा पररषद र्ें िानर्ल करिे के नलए सांर्क्त ु राष्ट्र पर दिाि जारी रखा|

67
• भारि िे चीि और सोनिर्ि सांघ के निरोध का सार्िा नकर्ा क्र्ोंनक उसिे उिर कोररर्ा को प्रारांनभक र्लािर घोनषि नकर्ा था|
• भारि को र्द्ध
ु र्ें पनिर्ी स्िक्षेप का साथ देिे से इिकार करिे, और चीि को र्लािर ि ीं र्ाििे के नलए अर्ेररकी ित्रिु ा का भी
सार्िा करिा पडा|
भारि - चीन
• भारि िे चीि के साथ सांघषा को अांिरराष्ट्रीर्करण ोिे से रोकिे की कोनिि की|
• भारि िे चीि से लाओस िथा कां िोनडर्ा के सांदभा र्ें निष्ट्पक्षिा की गारांटी ानसल की|
• भारि को ग्रेट निटेि िथा फ्राांस से भी आश्वासि नर्ला नक िे अर्ेररका को लाओस िथा कां िोनडर्ा र्ें अड् डा ि ीं ििािे देंगे|
• भारि को अांिरराष्ट्रीर् कां रोल कर्ीिि का अध्र्क्ष निर्क्त
ु नकर्ा गर्ा िथा कां िोनडर्ा और निर्ििार् र्ें निदेिी नथर्ारों के आर्ाि
पर िजर रखिा इसके कार्ा र्ें िानर्ल था|
स्िेज नहर-
• अमेररका िथा विटेन ने नील नदी पर आसिन डैम बनाने के वलए की गई
वित्तीय सहायिा को िापस ले वलया|
• ित्पिाि नर्श्र िे स्िेज ि र का राष्ट्रीर्करण नकर्ा|
• स्िेज ि र के उपर्ोगकिाा ओ(ां निटेि और फ्राांस) िे इस पर अांिरराष्ट्रीर्
निर्ांत्रण की र्ाांग की|
• भारि स्िेज ि र का एक प्रर्ख ु उपर्ोगकिाा ोिे के साथ-साथ र् भी र्ाििा
था नक स्िेज ि र नर्स्र की अनभन्ि अांग थी|
• भारि िेनर्स्र पर फ्राांस और निटेि के र्ले की निांदा की|
• अांि र्ें सांर्क्त
ु राष्ट्र की देखरेख र्ें सैनिकों की िापसी ुई भारिीर् फौजों िे िडी सांख्र्ा र्ें िाांनि-सेिाओां के रूप र्ें कार् नकर्ा।
हंगरी -
• 1956 र्ें ांगरी र्ें सोनिर्ि सांघ से िा र निकलिे के उद्देश्र् से एक नििो प्रारांभ ुआ परन्िु सोनिर्ि सांघ द्वारा इसका दर्ि कर नदर्ा
गर्ा| सांर्क्त
ु राष्ट्र द्वारा इस कार्ा िा ी की कडी निांदा की गई िथा इसे िापस लेिे की र्ाांग की गई|
• इस औपचाररक आलोचिा से भारि दूर र ा और पनिर् से भी काफी आलोचिा झेलिी पडी|
• िे रू िे स्िर्ां सोनिर्ि कारा िाई की आलोचिा की और िा खिु ी दिाा िे के नलए अगले 2 िषों िक िडु ापेस्ट र्ें राजदूि ि ीं भेजा,
जिाि र्ें जि कश्र्ीर का र्सला अगली िार सांर्क्त ु राष्ट्र सांघ की सरु क्षा पररषद र्ें आर्ा िि सोनिर्ि सांघ िे निष्ट्पक्ष रुख अपिार्ा|
• उसके िाद िे परु ािी नस्थनि पर िापस आ गए और जि भी भारिीर् न िों के नखलाफ प्रस्िाि आिे िो िे िीटो का प्रर्ोग कर देिे|
• भारि िे दोिों पक्षों से काफी दिाि का सार्िा नकर्ा परन्िु नकसी के पक्ष र्ें सर्था ि ि ीं नदर्ा|
कांगो -
• भारि की निदेि िीनि की एक िडी उपलनधध काांगो की आजादी और अखांडिा की रक्षा थी। काांगो िे 1960 र्ें िेनल्जर्र् से अपिी
आजादी ानसल की थी, परन्िु इसका िाांिा सर्ृद्ध क्षेत्र ‘कटांगा’ िे भी िेनल्जर्र् का सर्था ि प्राप्त करके काांगो से अपिी आजादी की
घोषणा कर दी ।
• िे रू िे सर्ांक्त
ु राष्ट्र से अपील नकर्ा नक ि इस क्षेत्र र्ें स्िक्षेप करे और गृ -र्द्ध
ु िांद करिार्े, निदेिी सेिा को िा र निकले िथा
िर्े सरकार का गठि करिाए और साथ ी र् भी आश्वासि नदर्ा नक भारि इस कार्ा र्ें र सांभि र्दद करेगा|

68
• सरु क्षा पररषद र्ें 1961 को र् प्रस्िाि पास नकर्ा गर्ा, िथा भारिीर् सेिा
िे सफलिापूिाक ग्र र्द्ध ु को सर्ाप्त करिार्ा और कटांगा प्रदेि के पूरे क्षेत्र
पर कें िीर् सरकार की सिा नफर से स्थानपि करिाई।
• र् भारि की गटु निरपेक्षिा की िीनि के उत्कृ ष्ट क्षणों र्ें से एक था। इसिे
सांर्क्त
ु राष्ट्र के ि ुपक्षीर् निकार्ों की भूनर्का को र्जिूि करिे र्ेंभी र्दद
की।

अमेररका -
• भारि को टेक्िोलॉजी के निकास के नलए, भोजि और राष्ट्र निर्ाा ण प्रथा जििाांनत्रक प्रर्ासों के नलए अर्ेररका से र्दद की जरूरि
थी|
• लेनकि कश्र्ीर सांिांधी अर्ेररकी िीनि िे नर्त्रिा की आिा सर्ाप्त कर दी थी।
• सांर्क्त
ु राष्ट्र द्वारा कश्र्ीर र्ें पानकस्िािी सैनिकों की उपनस्थनि की सूचिा के िाद भी, सांर्क्त
ु राष्ट्र सरु क्षा पररषद( नजसर्ें अर्ेररका
और उसके स र्ोनगर्ों का िचा स्ि था) िे पानकस्िािी आक्र्ण के भारिीर् आरोप को टाल नदर्ा।
• अर्ेररका िे भारि द्वारा कम्र्नु िस्ट चीि को र्ान्र्िा नदर्ा जािा पसांद ि ीं नकर्ा|
• पानकस्िाि को CENTO, SEATO इत्र्ानद र्ें िानर्ल कर िीि र्द्ध ु को उप र् ाद्वीप र्ें लािे की कोनििों पर िे रू िे िाराजगी
जान र की।
• नफर भी भारि और अर्ेररका के िीच आनथा क सांिांधों का निकास ुआ, क्र्ोंनक अर्ेररका प्रौद्योनगकी और र्िीिों के क्षेत्र र्ें अग्रणीर्
था।
सोवियि संघ -
• भारिीर् स्ििांत्रिा सांग्रार् के दौराि ी कम्र्नु िस्ट निचारधारा के प्रनि िे रू-सरकारके झक ु ाि को देखा जा सकिा ै।
• सोनिर्ि सांघ िे भारि र्ें अकाल के उस सर्र् अिाज की स ार्िा भेजिा िरू ु नकर्ा, नजस सर्र् अर्ेररका भारि की र्दद ि ीं कर
र ा था।
• िषा 1955 से सोनिर्ि सांघ िे कश्र्ीर के प्रश्न पर भारि को पूरा सर्था ि नदर्ा और िषा 1956 से ी उसिे सरु क्षा पररषद र्ें कश्र्ीर-
र्द्दु ा पर भारि के प्रनिकूल प्रस्िािों का सर्था ि करिे ुए भारि के पक्ष र्ें ी िीटो का प्रर्ोग करिा आरांभ नकर्ा।
• दोिों देिों िे उपनििेििाद के नखलाफ एक ी रणिीनि अपिाई।
• सांर्क्त ु राष्ट्र सांघ र्ें सोनिर्ि सांघ िे गोिा के प्रश्न पर अर्ेररका के नखलाफ भारि का सर्था ि नकर्ा।
• औद्योनगकरण के क्षेत्र र्ें भारि की िेिृत्िकारी भूनर्का और र्ोजिा के आधार िे इसे सोनिर्ि सांघ के और िजदीक ला नदर्ा।
• िषा 1962 र्ें भारि िे नर्ग एर्रक्ाफ्ट के उत्पादि करिे के नलए सोनिर्ि सांघ के साथ सर्झौिा नकर्ा |
• अक्टूिर 1962 र्ें भारि पर चीिी र्ले के दौराि सोनिर्ि सांघ िे निष्ट्पक्ष रुख अपिार्ा।
• इसके अलािा,भारि सोनिर्ि सांघके नलए अफ्रीकी-एनिर्ाई के िि स्ििांत्र राष्ट्रों र्ें प्रिेि काएक र् त्िपूणा र्ागा था, र् देि अर्ेररकी
स र्ोगी की जग सोनिर्ि सांघ को अनधक प्राथनर्किा देिे थे औरनजससे सोनिर्ि सांघ को िीि र्द्ध ु र्ें भी स ार्िा नर्ली।

69
गुटवनरपेक्ष आंदोलन

गठन के कारर्
• नद्विीर् निश्व र्द्ध
ु के िाद निश्व दो ध्रिु ों र्ें निभानजि ो गर्ा। पनिर्ी िनक्तर्ों के साथ एक का
िेित्ृ ि अमेररका कर र ा था और दस ू रे का सोवियि संघ।
• िे रू िे सोचा र्नद एनिर्ा और अफ्रीका के गरीि देि ऐसे सैन्र् िलों र्ें िानर्ल ो जािे ैं
जो नसफा स्िर्ां के न िों की पूनिा पर िल देिे ै िो िे कुछ भी ानसल ि ीं कर सकें गे िनल्क
सि कुछ खो देंगे।

70
• िैर्(NAM) “शत्रिु ा”के िजार् "शांवि" के निस्िार का प्रिल सर्था क ै। इसनलए भारि, नर्स्र और इांडोिेनिर्ा जैसे देिों िे बगदाद
संवि, मनीला संवि,SEATO और CENTO र्ें िानर्ल ोिे को र्ांजूरी ि ीं दी, जो नक सैन्र् िल के सर्था क थे।
• गटु निरपेक्ष आांदोलि , भारि और अन्र् िए स्ििांत्र राष्ट्र जो उपनििेििाद और
साम्राज्र्िाद से अपिी स्ििांत्रिा को ििाए रखिे और र्जिूि करिा चा िे थे, सांघषा
के प्रिीक का रूप था।
• अांिराा ष्ट्रीर् िाांनि के सपिे को परू ा करिे के नलए भारि िे िीि र्द्ध ु के ििाि को
कर् करिे एिां सांर्क्त ु राष्ट्र के िाांनि अनभर्ािों र्ें र्ािि सांसाधिों का र्ोगदाि करके
गटु निरपेक्ष िीनि का सर्था ि नकर्ा।
• गटु निरपेक्ष िीनि की स्िीकृ नि के कारण, निश्व के कई राष्ट्रों को िर्े सांगठि,जैसे सांर्क्त ु राष्ट्र आनद र्े प चाि नर्ला।
• एक देि, एक िोट प्रणाली गटु निरपेक्ष सर्ू को पनिर्ी गटु के िचा स्ि की जाांच करिे र्ें सक्षर् ििािी ै। इस प्रकार, गटु निरपेक्ष आांदोलि
िे अांिराा ष्ट्रीर् सांिांधों के लोकिांत्रीकरण की प्रनक्र्ा को आगे िढार्ा।

पृष्ठभूवम
• भारिीर् राष्ट्रीर् आांदोलि उपनििेििाद और साम्राज्र्िाद के नखलाफ, दनु िर्ा भर र्ें ो र े सांघषा का एक न स्सा था। भारि के सांघषा
िे कई एनिर्ाई और अफ्रीकी देिों के आजादी के आांदोलि को प्रभानिि नकर्ा।
• र् उि राष्ट्रों के िीच एक सांचार था जो उपनििेििाद और साम्राज्र्िाद के
नखलाफ के सांघषा र्ें उन् ें एकजटु नकर्ा था।
• भारि के नििाल आकार, अिनस्थनि और िनक्त-सांभाििा को भाांपकर , िे रू िे
निश्व र्ार्लों र्ें, खासकर एनिर्ाई र्ार्लों र्ें भारि के नलए एक प्रर्ख
ु भूनर्का
निभािे का स्िप्ि देखा था।
• सि् 1940-1950 के दिक र्ें िे रू एनिर्ाई एकिा के प्रिल सर्था क
र े।इसनलए उिके िेित्ृ ि र्ें भारि िे र्ाचा , 1947 र्ें िई नदल्ली र्ें एनिर्ाई
सम्पका सम्र्ेलि की िैठक की।
एवशयाई संबंि सम्मेलन
• िाद र्ें भारि िे 1949 र्ें एक अांिराा ष्ट्रीर् सम्र्ेलि िल
ु ाकर डच औपनििेनिक िासि से स्ििांत्रिा के नलए इांडोिेनिर्ाई सांघषा का
सर्था ि नकर्ा।
• भारि औपनििेिीकरण प्रनक्र्ा का प्रिल सर्था क था और उसिे परू ी दृढिा से िस्लिाद का निरोध नकर्ा खासकर दनक्षण अफ्रीका
र्ें जारी रांगभेद का निरोध नकर्ा|
गुटवनरपेक्ष आंदोलन की स्थापना :
• 1961 र्ें स्थानपि, िेलग्रेड, र्ूगोस्लानिर्ा (अि सनिा र्ा)
• र्ख्ु र्ालर्- र्ध्र् जकािाा , इांडोिेनिर्ा
• गटु निरपेक्ष आांदोलि (एिएएर्) दनु िर्ा के 120 निकासिील देिों का एक र्ांच ै, जो नक औपचाररक रूप से नकसी र् ािनक्त के पक्ष र्ा
निरोध र्ें िा ोकर निष्ट्पक्ष र िा ै। सांर्क्त
ु राष्ट्र के िाद, र् दनु िर्ा भर के निकासिील देिों का सिसे िडा सर्ू ।ै

71
• इसर्ें अप्रैल 2018 िक 120 सदस्र् िानर्ल ो गए ैं, नजसर्ें
अफ्रीका के 53 देि, एनिर्ा के 39, लैनटि अर्ेररका और कै रेनिर्ाई
के 26 और र्ूरोप (िेलारूस, अजर िैजाि) के 2 सदस्र् देि िानर्ल
ैं। इसर्ें 17 देि और 10 अांिरराष्ट्रीर् सांगठि ैं नजसे गटु निरपेक्ष
आांदोलि र्ें पर्ा िेक्षक का दजाा प्राप्त ै।
• गटु निरपेक्ष आांदोलि के नलए र्ल ू अिधारणा की उत्पनि 1955 र्ें
इांडोिेनिर्ा र्ें आर्ोनजि एनिर्ा-अफ्रीका िाांडुांग सम्र्ेलि र्ें ुई
चचाा ओ ां के दौराि, ुई थी।

बांडुंगसम्मेलन
• गटु निरपेक्ष आांदोलि का प ला सम्र्लेि 1961 के नसिम्िर र्ें बेलग्रेड
(र्गु ोस्लानिर्ा) र्ें ुआ| गटु निरपेक्ष आांदोलि की स्थापिा और प ला सम्र्ेलि
(िेलग्रेड सम्र्ेलि) र्गु ोस्लानिर्ा के जोसेफ िोज वटटो,नर्स्र के गमाल
अब्दल ु नावसर, भारि के जिाहर लाल नेहरू,घािा के िामे एनक्रुमा और
इांडोिेनिर्ा के सुकनो के िेिृत्ि र्ें ुआ था।

पहला गुटवनरपेक्ष वशखर सम्मेलन:


• इस सांगठि के उद्देश्र् को साम्राज्र्िाद, उपनििेििाद, िि-उपनििेििाद, िस्लिाद और निदेिी अधीििा के सभी रूपों के नखलाफ
उिके सांघषा र्ें "राष्ट्रीर् स्ििांत्रिा,सांप्रभिु ा,क्षेत्रीर् अखांडिा और गटु -निरपेक्ष देिों की सरु क्षा" सनु िनिि करिे के नलए 1979 के हिाना
घोषर्ा र्ें िानर्ल नकर्ा गर्ा था।

72
• िीि र्द्ध
ु के दौर र्ें गटु निरपेक्ष आांदोलि िे निश्व व्र्िस्था को नस्थर करिे और िाांनि और सरु क्षा को ििाए रखिे र्ें र् त्िपणू ा भूनर्का
निभाई थी।
• गटु निरपेक्षिा का अथा िैनश्वक र्ुद्दों पर राज्र् की िटस्थिा ी ि ीं ै,िनल्क र्े र्ेिा से निश्व राजिीनि र्ें एक िाांनिपूणा स्िक्षेप था।
NAM के वसद्धांि:

संयुक्त राष्ट्र के चाटथ र और अंतराथष्ट्रीय कािूि में निहहत शसद्ांतों का सम्माि करिा

सभी राज्यों की संप्रभुता, संप्रभु समािता और क्षेत्रीय अखंडतता का सम्माि करिा

दे िों और लोगों की राजिीनतक, आर्थथक, सामास्जक और सांस्कृनतक वववव्ता का सम्माि करिा

आपसी हहतों और अर््कारों की पारस्पररक समािता के आ्ार पर साझा हहतों, न्याय और सहयोग की रक्षा
एवं प्रोत्साहि, राज्यों की राजिीनतक, आर्थथक और सामास्जक प्रणाशलयों में मौजूद मतभेदों की परवाह ककए
बििा करिा

संयुक्त राष्ट्र के चाटथ र के अिुसार, व्यस्क्तगत या सामूहहक आत्मरक्षा के निहहत अर््कार का सम्माि
करिा।

िहुपक्षीयता और िहुपक्षीय संगठिों का संव्थि और िचाव उपयुक्त मािदं डत के आ्ार पर करिे के


साथ िातचीत और सहयोग के माध्यम से मािव जानत को प्रभाववत करिे वाली समस्याओं को हल
करिा।

सयुंक्त राष्ट्र के चाटथ र के अिुरूप , सभी अंतराष्ट्रीय संघषों का िांनतपूणथ समा्ाि

राज्य के आंतररक मामले में अहस्तक्षेप की िीनत का पालि करिा

NAM के उद्देश्य

प्वश्व की राजनीतत में एक स्वतिंत्र रास्ता अपनाना जजसका मतलब यह नह िं है की रमख


ु शजततयों के बीच
सिंघषष में ये सदस्य दे श तटस्थ रहें गे।

स्वतिंत्र तनणषय का अधधकार, साम्राज्यवाद और नव-उपतनवेशवाद के णखलाफ सिंघषष, और इन तीन बुतनयाद तत्वों के
साथ सभी बड़ी शजततयों के साथ सिंबिंधों में सिंयम रखना जो इसके दृजटटकोण को रभाप्वत करते हो।

अिंतराषटर य आधथषक व्यवस्था के पुनतनमाषण को सरल बनाना।

शीि यद्ध
ु काल में नैम -

73
• रंगभेद के वखलाफ: दनक्षण अफ्रीका जैसे अफ्रीकी देिों र्ें रांगभेद की िरु ाई िडे पैर्ािे पर व्र्ाप्त थी।र् िैर् के प्रथर् सम्र्ेलि के एजेंडे
र्ें िानर्ल था। कान रा र्ें दूसरे िैर् सम्र्ेलि के दौराि दनक्षण अफ्रीका की सरकार िे रांगभेद की भेद भािपूणा प्रथाओां के नखलाफ
चेिाििी दी थी।
• वनरस्त्रीकरर्:गटु निरपेक्ष आांदोलि र्ेिा िाांनि की स्थापिा करिे, नथर्ारों की ोड सर्ाप्त करिे, एिां सभी देिों र्ें िाांनि पूणा
स अनस्ित्त्ि स्थानपि करिे के नलर्े प्रर्त्ििील र ा ै। र् ासभा र्ें, भारि िे एक र्सौदा प्रस्िाि पेि करिे ुए घोषणा की नक परर्ाणु
नथर्ारों का उपर्ोग सांर्क्त
ु राष्ट्र के चाटा र के नखलाफ ोगा और र्ािििा के नखलाफ अपराध ोगा और इसनलए इसे निनषद्ध नकर्ा
जािा चान ए।
• UNSC सुिार: अपिी स्थापिा के सर्र् से ी NAM UNSC सधु ारों के पक्ष र्ें था, र् US और USSR के िचा स्ि के नखलाफ था।
र् UNSC को अनधक लोकिाांनत्रक ििािे के नलए िीसरी दनु िर्ा के देिों का प्रनिनिनधत्ि चा िा था। िेिेजएु ला र्ें 17 िें िैर् सम्र्ेलि
के दौराि इसी र्ाांग के साथ सदस्र्ों िे प्रनिध्िनि नकर्ा|
• क्षेत्रीय िनािों को हल करने में विफल: िीि र्द्ध ु के र्गु र्ें भारि-चीि और भारि-पानकस्िाि के िीच क्षेत्रीर् सांघषा के कारण दनक्षण
एनिर्ा र्ें ििाि िढ गर्ा। िैर् क्षेत्रीर् ििािों को दूर करिे र्ें निफल र ा, नजसिे क्षेत्र र्ें परर्ाणु िनक्तर्ों के प्रसार को प्रोत्सान ि नकर्ा|
गुटवनरपेक्ष आंदोलन की िासंवगकिा
• विश्वशांवि:गटु निरपेक्ष आांदोलि िे निश्व िाांनि की स्थापिा करिे र्ें सनक्र्
भूनर्का निभाई ै र् अभी भी अपिे स्थापिा के सर्र् की भाांनि ििा र्ाि र्ें
भी अपिे नसद्धाांिों, निचारों और उद्देश्र्ों के साथ नस्थि ै, अथाा ि िाांनिपूणा
और सर्ृद्ध दनु िर्ा की स्थापिा के नलए। इसिे नकसी भी देि पर आक्र्ण
को प्रनििांनधि नकर्ा,निरस्त्रीकरण को िढािा नदर्ा और एक सांप्रभु निश्व
व्र्िस्था को प्रोत्सान ि नकर्ा।
• राष्ट्रीय अखंडिा और संिभुिा: गटु निरपेक्ष आांदोलि इस नसद्धाांि का
सर्था ि करिे के साथ र राष्ट्र की स्ििांत्रिा के सांरक्षण के नसद्धाांि के साथ
इसिे अपिी प्रासांनगकिा सानिि की ै।
• िीसरी दुवनया के देश- िीसरी दनु िर्ा के देिों िे सार्ानजक-आनथा क सर्स्र्ाओां के नखलाफ सांघषा नकर्ा ै, क्र्ोंनक उिका लांिे सर्र्
से अन्र् निकनसि देिों द्वारा िोषण नकर्ा गर्ा ैं, िैर् िे पनिर्ी आनधपत्र् के नखलाफ इि छोटे देिों के सांरक्षक के रूप र्ें कार् नकर्ा।
• संयुि राष्ट्र का समथिन: NAM की कुल सांख्र्ा र्ें 118 निकासिील देि िानर्ल ैं, और उिर्ें से अनधकाांि सांर्क्त ु राष्ट्र र् ासभा
के सदस्र् ैं। र् आर्सभा के दो नि ाई सदस्र्ों का प्रनिनिनधत्ि करिी ै, इसनलए िैर् के सदस्र् सांर्क्त ु राष्ट्र र्ें र् त्िपूणा िोट
अिरोधक सर्ू के रूप र्ें कार्ा करिे ैं|
• समान विश्व व्यिस्था: NAM सर्ाि निश्व व्र्िस्था को िढािा देिा ै। र् अांिराा ष्ट्रीर् िािािरण र्ें निद्यर्ाि राजिीनिक और िैचाररक
र्िभेदों के र्ध्र् एक सेिु का कार् करिा ै।
• विकासशील देशों के वहि: र्नद सम्िद्ध निषर् के नकसी भी निांदु पर निकनसि और निकासिील राष्ट्रों के िीच नििाद उत्पन्ि ोिे ,ैं
उदा रण के नलए WTO, िो िैर् एक र्ांच के रूप र्ें कार्ा करिा ै, जो प्रत्र्ेक सदस्र् राष्ट्र के नलए अिक ु ू ल निणा र्ों को िाांनिपूिाक
निपटािे के नलए िािचीि और निष्ट्कषा निकालिा ै।
• सांस्कृविक विविििा और मानिाविकार : र्ाििअनधकारों के उल्लांघि के र्ार्लों र्ें, इस िर के र्द्दु ों को उठािे और अपिे नसद्धाांिों
के र्ाध्र्र् से इसका सर्ाधाि करिे के नलए एक र्ांच प्रदाि करिा ै।
• सिि विकास- NAM िे सिि निकास की अिधारणा का सर्था ि करिा ै िथा र् दनु िर्ा को सांधारणीर्िा की ओर ले जा सकिा
ै। इस का उपर्ोग जलिार्ु पररििा ि, प्रिासि और िैनश्वक आिांकिाद जैसे िैनश्वक ज्िलांि र्द्दु ों पर सार्ांजस्र् ििािे के नलए िडे र्ांच
के रूप र्ें नकर्ा जा सकिा ै।

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• आवथिक विकास- िैर् के सदस्र् देिों र्ें अिक
ु ू ल जिसाांनख्र्की, र्ाांग और अिक
ु ू ल अिनस्थनि जैसी प्राकृ निक सम्पदा ै। उिका
स र्ोग करके उन् ें उच्च और सिि आनथा क निकास के नलए प्रेररि नकर्ा जा सकिा ै। र् TPP और RECP जैसे क्षेत्रीर् सर्ू ों
का निकल्प ो सकिा ै।
भारि पावकस्िान संबंि

भारि - पावकस्िान
• अपिे पडोनसर्ों के साथ भारि के सांिांध उसके नलए र्ख्ु र् नचांिा का निषर् थे। भारि िे िेपाल के साथ 1950 र्ें िाांनि और नर्त्रिा
के सर्झौिे पर स्िाक्षर नकए, नजसिे भारि के र्ाध्र्र् से िेपाल िक िानणनज्र्क पारगर्ि को अिक ु ू ल ििार्ा और अपिी सांप्रभिु ा
ानसल की और दोिों देिों िे एक-दूसरे की सरु क्षा सनु िनिि करिे की नजम्र्ेदारी उठाई।
• िर्ाा [अि म्र्ाांर्ार] के साथ भारििानसर्ों की सर्स्र्ा थी, जो िाांनि से ल ो गई।
• भले ी िनर्ल अनधिानसर्ों के र्द्दु े को लेकर श्रीलांका के साथ कुछ ििाि था, लेनकि र् सांिांधों र्ें िाधा ि ीं िि पार्ा।
• ालाँनक, भारि के चीि और पानकस्िाि दोिों के साथ कटु सांिांध थे।
पिृ भूवम
• निभाजि के दौराि साांप्रदानर्क दांगों और आिादी के स्िाांिरण िे
ििािपूणा सांिांधों को जन्र् नदर्ा। अक्टूिर 1947 र्ें कश्र्ीर पर
पानकस्िािी आक्र्ण िे सांिांधों को और खराि कर नदर्ा।
• कश्र्ीर के र् ाराजा िे निलर् के दस्िािेजों पर स्िाक्षर नकए, और
कश्र्ीर भारि का न स्सा िि गर्ा|
• भारि िे सांर्क्तु राष्ट्र र्ें पानकस्िािी आक्ार्किा के नखलाफ निकार्ि
दजा की थी।
• अगस्ि 1948 के सांर्क्त ु राष्ट्र के प्रस्िाि िे जिर्ि सांग्र करािे के नलए
दो ििा रखी।
• सिसे प ले, पानकस्िाि को जम्र्ू और कश्र्ीर से अपिी सेिा िापस
लेिी चान ए।
• दूसरा, श्रीिगर प्रिासि के अनधकार को पूरे राज्र् र्ें ि ाल नकर्ा
जािा चान ए।
• 1951 र्ें, UN िे सांर्क्त ु राष्ट्र की निगरािी र्ें जिर्ि सांग्र के नलए एक
प्रस्िाि पाररि नकर्ा, नजसके िाद पानकस्िाि िे कश्र्ीर से अपिे
सैनिकों को टा नलर्ा था।
• र् प्रस्िाि िि से िेकार पडा ुआ ै जि से पानकस्िाि िे अपिी
सेिा को आजाद कश्र्ीर से िापस लेिे से इिकार कर नदर्ा था। िि से
कश्र्ीर भारि और पानकस्िाि के र्ैत्रीपूणा सांिांधों की रा र्ें र्ुख्र् िाधा ििा ुआ ै।
• नििेष रूप से, कश्र्ीर र्द्दु े का इस्िेर्ाल भारि की परेिािी िढािे के नलए नकर्ा जािा ै, क्र्ोंनक पानकस्िाि अर्ेररका के िेित्ृ ि िाले
पनिर्ी सांगठिों जैसे -CENTO, SEATO, िगदाद सांनध और अर्ेररका के साथ सैन्र् सांनध के र्ाध्र्र् से और अनधक एकीकृ ि ो
गर्ा।
• कश्र्ीर के सिाल पर ुए सांघषा के िािजूद भारि और पानकस्िाि की सरकारों के िीच स र्ोग सांिांध कार्र् ुए। दोिों सरकारों िे
नर्लजल ु कर प्रर्ास नकर्ा नक िांटिारे के सर्र् जो र्न लाएां अपहृि ुई थी,उन् ें अपिे पररिार के पास िापस लौटार्ा जा सके । निश्व

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िैंक की र्ध्र्स्थिा से िदी जल र्ें न स्सेदारी को लेकर चला आ र ा एक लांिा नििाद सल ु झा नलर्ा गर्ा। िे रू और जिरल अर्िू
खाि िे नसांधु िदी जल सांनध पर िषा 1960 र्ें स्िाक्षर नकए|
• ालाँनक, र्े सभी िरुु आिी प्रर्ास अस्थार्ी और अल्पकानलक थे। 1960 के िाद, भारि और पानकस्िाि के र्ध्र् 3 र्द्ध ु ुए, नजसर्ें
भारि निजर्ी ुआ।
• 1980 के िाद पानकस्िाि िे भारि र्ें राज्र् प्रार्ोनजि आिांकिाद का सर्था ि करिा िरू
ु कर नदर्ा जो अभी भी भारि के सार्िे एक
र्ख्ु र् सरु क्षा चिु ौिी के रूप र्ें र्ौजदू ै।
• ालाांनक आजादी के िाद से भारि िे र्ेिा पानकस्िाि के साथ र्ैत्रीपूणा और सौ ादा पूणा सांिांध ििाए रखिे की कोनिि की, लेनकि
पानकस्िाि िे र्ेिा भारि को आनथा क, राजिीनिक रूप से िथा रक्षा और सरु क्षा के दृनष्टकोण से अनस्थर करिे का प्रर्ास नकर्ा।

1965 1971 1999 कारधगल

भारि-पाक युद्ध(1965) -
कश्र्ीर के र्सले को लेकर पानकस्िाि के साथ िांटिारे के िरु िां िाद ी सांघषा
नछड गर्ा था। पानकस्िाि िे 1965 र्ें गज ु राि के कच्छ के रण र्ें सैनिक
र्ला नकर्ा, उसके िाद जम्र्ू-कश्र्ीर र्ें उसिे िडे पैर्ािे पर र्ला नकर्ा।
पानकस्िाि के िेिाओां को उम्र्ीद थी नक जम्र्ू-कश्र्ीर की जििा उिका
सर्था ि करेगी लेनकि ऐसा ि ीं ुआ और पानकस्िाि को स्थािीर् सर्था ि
ि ीं नर्ल सका।
• इसी िीच कश्र्ीर के र्ोचे पर पानकस्िािी सेिा की िढि को रोकिे के
नलए प्रधािर्ांत्री लाल ि ादरु िास्त्री िे जिािी र्ला करिे के आदेि
नदए।
• र् र्द्ध
ु नफर से भारि के पक्ष र्ें र ा, और सांर्क्त
ु राष्ट्र सांघ के स्िक्षेप
से इस लडाई का अांि ुआ।
• सोनिर्ि सांघ की र्ध्र्स्थिा र्ें दोिों देिों के िीच ( भारि से िास्त्री
और पानकस्िाि से अर्ूि खाि) जििरी 1966 र्ें िािकां द सर्झौिे पर
स्िाक्षर ुए।
िाशकं द समझौिे के कुछ महत्िपूर्ि िाििान वनम्नवलवखि थे:
• कश्र्ीर के ाजी पीर दराा और अन्र् रणिीनिक लाभ जैसे र् त्िपूणा
जग ों से टिे के नलए भारि के कश्र्ीर नििाद का अांिराा ष्ट्रीर्
र्ध्र्स्थिा द्वारा पानकस्िाि को टार्ा जािा ।
• र्द्ध
ु से प ले की नस्थनि के नलए दोिों पक्षों द्वारा िलों की िापसी।
• र्द्ध
ु के कै नदर्ों का क्र्िद्ध स्थािाांिरण|
• राजिनर्क सांिांधों की ि ाली|
• ालाँनक भारि िे र्द्ध ु जीि नलर्ा, लेनकि इस र्द्धु से भारि की कनठि आनथा क नस्थनि पर और ज्र्ादा िोझ पडा।

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• इस र्द्ध
ु के दौराि, देि र्ें खाद्यान्ि की कर्ी थी। इसनलए, प्रधाि र्ांत्री लाल ि ादरु िास्त्री िे लोकनप्रर् िारा नदर्ा- जय जिान, जय
वकसान नजसका अथा ै नक र्ारे जिाि (सैनिक) सीर्ाओां की रक्षा करेंगे और र्ारे नकसाि (जिाि) खाद्यान्ि उत्पादि र्ें भारि को
आत्र्निभा र ििाएांगे।
भारि-पाकयुद्ध(1971)-
• िषि 1970 में पावकस्िान के सामने एक गहरा अंदरूनी संकट आ
खडा हुआ पावकस्िान के पहले आम चुनाि में खंवडि जनादेश
आया।
• ़िनु ल़्िकार भट्टु ो की सिारूढ पाटी पनिर् पानकस्िाि र्ें निजेिा के
रूप र्ें उभरी जिनक उिके पूिी न स्से र्ें िेख र्ज ु ीि-उर र र्ाि की
अििी लीग िे िडे अांिर से सीटें जीिीं।
• ालाांनक, र्जिूि और िनक्तिाली पनिर्ी प्रनिष्ठाि िे लोकिाांनत्रक
फै सले की अिदेखी की और सांघ की र्ाांग को स्िीकार ि ीं नकर्ा।
• पाक सेिा िे उिकी र्ाांगों और फै सले का सकारात्र्क जिाि देिे के
िजार् र र्ाि को नगरफ्िार कर नलर्ा और क्ूर आिांकी गनिनिनधर्ों
को अांजार् नदर्ा और उिकी आिाज को िेर र्ी से दिा नदर्ा।
• इस खिरे को स्थार्ी रूप से सर्ाप्त करिे के नलए, पूिी पाक के
लोगों िे पानकस्िाि से िाांग्लादेि के र्नु क्त सांघषा की िरुु आि की।
• पूिी पाक के िरणानथा र्ों के भारी सांख्र्ा र्ें आिे के कारण, भारि
िे गांभीर निचार-निर्िा नकर्ा और लोगों के र्क्त ु सांग्रार् को िैनिक
रूप से सर्था ि नकर्ा, नजस कारण पनिर्ी पानकस्िाि िे आरोप
लगार्ा नक भारि उसे िोडिे की सानजि कर र ा ै|
• लोगों को र्नु क्त आांदोलि को रोकिे के नलए सांर्क्त ु राज्र् अर्ेररका
और चीि से पनिर्ी पानकस्िाि को सर्था ि नर्ला था।
• अर्ेररकी और चीिी सर्नथा ि पाक के र्लों से अपिी सरु क्षा
सनु िनिि करिे के नलए, भारि िे सोनिर्ि सांघ के साथ 20 साल
की िाांनि और नर्त्रिा की सांनध पर स्िाक्षर नकए।
• ि ुि कूटिीनिक निचार – निर्िा के िाद भी ठोस पररणार् ानसल ि ीं नकर्ा जा सका और नदसांिर 1971 र्ें पनिर्ी और पिू ी दोिों
र्ोचे पर पणू ा व्र्ापी र्द्ध
ु नछड गर्ा।
• भारि की िा री खनु फर्ा एजेंसी R&AW िे इस र्द्ध ु र्ें निणाा र्क
भूनर्का निभाई। इसिे र्नु क्तिान िी का गठि कर इसे सांगनठि
नकर्ा(इसर्ें पानकस्िाि की अत्र्ाचार से पीनडि िाांग्लादेि की
स्थािीर् आिादी और िाांग्लादेि से सांिांनधि पानकस्िािी सेिा के
पिू ा सैनिक िानर्ल )ैं ।
• "मुवि बावहनी" के रूप र्ें स्थािीर् आिादी के सर्था ि से भारिीर्
सेिा िेजी से आगे िढी और पानकस्िािी सैनिकों को 10 नदिों के अांदर आत्र्सर्पा ण करिा पडा।
• इस जीि को 'विजय वदिस' के रूप र्ें र्िार्ा जािा ै। इस सांकट के सर्र् इांनदरा गाांधी िे ि ुि सा स और सािधािी के साथ कार्
नकर्ा। र् इांनदरा गाँधी और भारि के नलर्े सि से गौिाा नन्िि क्षण था।

77
• िाांग्लादेि के स्ििांत्र देि के रूप र्ें उदर् के साथ, भारि िे एकिरफा र्द्ध ु निरार् घोनषि कर नदर्ा।
• िाद र्ें 3 जलु ाई, 1972 को इांनदरा गाांधी और जनु ल्फकार भट्टु ो के िीच निर्ला सर्झौिे पर स्िाक्षर ुए,नजससे राष्ट्रों के िीच अर्ि
एिां िाांनि की ि ाली ुई|
• इसका उद्देश्र् दो राष्ट्रों के र्ध्र् स्थाई िाांनि, नर्त्रिा और स र्ोग स्थानपि करिा था। इस सर्झौिे के ि ि दोिों देिों िे सांघषा और
नििाद को पूरी िर से सर्ाप्त करिे का प्रर्ास करेंग,े नजसे दोिों देिों िे अिीि र्ें अिभु ि नकर्ा था। इस सर्झौिे र्ें र्ागा दिा क नसद्धाांिों
का एक सर्च्ु चर् ,ै जो दोिों देिों के पारस्पररक स र्ोग पर आधाररि थे|
िाििान-
• एक दूसरे की क्षेत्रीर् अखांडिा और सांप्रभिु ा का सम्र्ाि|
• एक-दूसरे के आांिररक र्ार्लों र्ें स्िक्षेप ि करिा|
• राजिीनिक स्ििांत्रिा|
• सांप्रभिु ा और सर्ाििा|
• नद्वपक्षीर् दृनष्टकोण के र्ाध्र्र् से िाांनिपणू ा सर्ाधाि|
• लोगों के परस्पर सांपकों पर नििेष ध्र्ाि देिे के साथ एक स कारी सांिांध की िींि ििािा।
• जम्र्ू-कश्र्ीर र्ें निर्ांत्रण रेखा को ििाए रखिा, जो स्थाई िाांनि का प्रर्ख
ु उपार् ै।
कारवगल युद्ध (1999)-
1971 के र्द्धु के िाद, पानकस्िािी सेिा िे कभी भी भारिीर् सेिा से प्रत्र्क्ष
रूप से र्द्ध
ु ि ीं नकर्ा िनल्क अपिी गप्तु एजेंनसर्ो द्वारा प्रनिनक्षि नकए गए
आिांकिानदर्ों को भेज कर जम्र्ू कश्र्ीर और भारि र्ें आिांक फै लाकर
द िि का िािािरण उत्पन्ि करिे के नलए अप्रत्र्क्ष र्द्ध ु प्रारांभ नकर्ा ।
• 1999 र्ें, पानकस्िािी सेिा के साथ र्ज ु ान द्दीिों िे भारिीर् सीर्ा के
कई जग ों पर िस्िुिः र्िको , िास, काकसर और िटानलक पर
कधजा कर नलर्ा।
• इस प्रकार की गनिनिनधर्ों र्ें पानकस्िाि के िानर्ल ोिे का सांदे करिे
ुए, भारिीर् सेिा िे ित्काल र्द्ध ु प्रारांभ कर नदर्ा, नजसे कारनगल सांघषा के रूप र्ें जािा जािा ै।
• दोिों देि परर्ाणु क्षर्िाओां से र्क्तु ोिे के कारण, 1998 के इस सांघषा िे दनु िर्ा भर का ध्र्ाि अपिी ओर खींचा। दोिों पक्षों र्ें से
नकसी के भी द्वारा परर्ाणु का उपर्ोग नकर्ा जा सकिा था, ालाांनक इसका इस्िेर्ाल ि ीं नकर्ा गर्ा, इसके नििा ी भारिीर् सैनिकों
िे अपिे सा स,िीरिाऔर पारांपररक र्द्ध ु की रणिीनि के र्ाध्र्र् से अपिा लक्ष्र् ानसल नकर्ा।
• भारि िे इस र्द्धु र्ें निजर् प्राप्त की।
• इस कारनगल सांघषा को लेकर भारी नििाद ुआ था क्र्ोंनक ित्कालीि पानकस्िािी प्रधािर्ांत्री को इस िर की गनिनिनध के िारे र्ें
कोई जािकारी ि ीं थी।
• िाद र्ें ित्कालीि पानकस्िािी सेिा प्रर्ख ु जिरल परिेज र्िु राफ िे पानकस्िािी राष्ट्रपनि के रूप र्ें पदभार सांभाला।

भारि चीन संबंि

पृष्ठभूवम

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• भारि िे र्ेिा से ी चीि के प्रनि र्ैत्री िीनि का पालि नकर्ा ै|
• 1950 र्ें पीपल्स ररपनधलक ऑफ चाइिा को र्ान्र्िा देिे िाला
भारि प ला देि था|
• िे रू की ि ुि आिाएां थी नक औपनििेनिक िाकिों के ाथों
उत्पीडि का सार्ाि अिभु ि रखिे िाले िथा गरीिी एिां निम्ि
निकास के सर्ाि सर्स्र्ाओां िाले र् दोिों देि नर्लजल ु कर
अपिा निकास करेंग,े िे रू िे सरु क्षा पररषद र्ें कम्र्नु िस्ट चीि
को उनचि स्थाि नदलिािे पर भी जोर नदर्ा था|
• 1954 र्ें भारि और चीि िे एक सांनध पर स्िाक्षर नकए, नजसके ि ि
भारििे निधिि पर चीि के अनधकार को स्िीकार नकर्ा, दोिों देिों िे पांचिील के आधार पर आपसी सांिांध निर्नर्ि करिा िर् नकर्ा।
• 1959 र्ें, निधिि र्ें एक नििो उत्पन्ि ुआ और दलाई लार्ा ि ाां से भाग गए। उन् ें भारि र्ें िरण ली गई नकां िु नििाा सि र्ें सरकार
ििािे की इजाजि ि ीं दी गई और िा ी राजिीनिक गनिनिनधर्ों की इजाजि दी गई। चीि इससे नफर भी िाखिु था।
पंचशील संवि
• र् िाांनिपूणा स अनस्ित्ि के नलए पांचिील सांनध के रूप र्ें 5 नसद्धाांि
एक सर्च्ु चर् ै|
• एक दस ू रे के आांिररक र्ार्लों र्ें स्िक्षेप िा करिा, और एक दस ू रे
की क्षेत्रीर् एकिा अखांडिा और सांप्रभिु ा का सम्र्ाि करिा( सांस्कृ ि
के िधद पांच का अथा 5, िील र्िलि गणु ) 5 नसद्धाांिों का एक
सर्च्ु चर् ै, नजसका उद्देश्र् राज्र्ों के र्ध्र् िासि को सनु िनिि करिा
ै|
• 1954 र्ें भारि और चीि के र्ध्र् एक सर्झौिे के रूप र्ें पांचिील नसद्धाांिों का प्रथर् औपचाररक सांन िाकरण नकर्ा गर्ा।
• इसे चीि और भारि के निधिि क्षेत्र के र्ध्र् “व्र्ापार और पारस्पररक व्र्ि ार के सर्झौिे” (िोटों के आदाि-प्रदाि के साथ) की
प्रस्िाििा र्ें िानर्ि नकर्ा गर्ा, नजसे 28 अप्रैल 1958 को “पीवकं ग”(चीन) र्ें स्िाक्षररि नकर्ा गर्ा था|

अिाक्रमण

दोिों दे ि एक-
एक-दस
ू रे के
दस
ू रे की क्षेत्रीय
िांनतपूणथ सह- आंतररक मामले
अखंडतता और
अस्स्तत्व में हस्तक्षेप िहीं
संप्रभत
ु ा का
करें गे
सम्माि करें गे

समािता
और
पारस्पररक
लाभ

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पंचशील के पांच वसद्धांि
• पांचिील के पाांच नसद्धाांि पर ित्कालीि प्रधािर्ांत्री जिा रलाल िे रू और चीि के प ले प्रधािर्ांत्री चाउ एि लाई द्वारा स्िाक्षर नकए
गए थे|
वनवहिाथि
• ऐसा आरोप लगार्ा गर्ा नक पांचिील सांनध भारि द्वारा की गई एक र् ाि कूटिीनिक भूल थी, नजसका प्रभाि ििा र्ाि र्ें भी निद्यर्ाि
ै|
• निधिि के कुछ क्षेत्रों पर भारि द्वारा अपिे अनधकार को छोड देिा
िे चीि की निस्िारिादी िीनि को और प्रोत्सा ि नदर्ा|
• चीि िे आक्ार्क िीनिर्ों के र्ाध्र्र् से पूरे निधिि पर कधजा करिे
और अांििः नसनक्कर् और अरुणाचल प्रदेि के नलए अपिे
निस्िारिादी िीनि के दृनष्टकोण को नदखािे के नलए इसी िीनि का
इस्िेर्ाल नकर्ा था|
• निधिि के न स्सों को छोड देिे से, भारि िे उपर् ाद्वीप र्ें चीि की
गनिनिनधर्ों को रोकिे िाले प ाडी दराा पर निर्ांत्रण रखिे का एक
र् त्िपूणा सैन्र् अिसर खो नदर्ा|
• भारि िे एक िफर राज्र् भी गांिार्ा ,ै जो नक चीिी सीर्ा नििादों के नखलाफ एक नििारक के रूप र्ें कार्ा कर र ा ोिा,और ििा र्ाि
र्ें भारि को डोकलार् जैसे र्द्दु ों सार्िा ि ीं करिा पडिा |ैं
1962 का भारि-चीन युद्ध
• 1962 र्ें चीिी फौज िे िेफा( नजसे िाद र्ें अरुणाचल प्रदेि क ा गर्ा)
के पूिी सेक्टर र्ें भारिीर् चौनकर्ों पर िडे पैर्ािे पर र्ला नकर्ा गर्ा।
• पनिर्ी सेक्टर र्ें चीनिर्ों िे गलिाि घाटी र्ें 13 सीर्ाििी चौनकर्ों पर
कधजा कर नलर्ा और नजससे चिु ू ल िाई पट्टी पर खिरा िढ गर्ा|
• ऐसा लगिे लगा था नक चीिी र्ैदािी इलाकों पर आक्र्ण करके असर्
और अन्र् क्षेत्रों पर कधजा करिे िाले ैं|
• िे रू िे अर्ेररका और निटेि से र्दद र्ाांगी|
• चीि िे जल्द ी एकिरफा िापसी की घोषणा कर दी|

युद्ध के बाद की वस्थवि


• अपिे स्िानभर्ाि को लगे इस झटके से उिरिे के नलए भारि को काफी सर्र् लगा|
• िार्द िाांग्लादेि र्द्ध
ु र्ें पानकस्िाि निजर् िे ी(नजसर्ें चीि और अर्ेररका पानकस्िाि का सर्था ि कर र े थे) भारि को अपिा आत्र्
सम्र्ाि िापस ानसल करिे र्ें र्दद की|
यद्ध
ु में विफलिा के कारर्
• भारि राजिीनिक और सैन्र् िेिृत्ि र्ले के स्िरूप को जाििे र्ें निफल र ा|
• िेफा र्ें िैिाि भारिीर् सेिा के कर्ाांडर िे, चीि के र्ला करिे के िाद नििा नकसी प्रनिरोध के उन् ें जािे नदर्ा|

80
• भारि िे चीि की सीर्ा नििाद ल करिे िाली ििों को र्ाििे से
इिकार कर नदर्ा। इसके निपरीि उन् ोंिे 1959 से एक ऐसी आक्ार्क
िीनि अपिाई नजसिे चीनिर्ों को अपिी आत्र्रक्षा र्ें र्ला करिे पर
र्जिूर कर नदर्ा|
• निधिि र्ें नििो ोिे, दलाई लार्ा के भारि आगर्ि एिां सीर्ा सांघषा
के िाद भी भारि खिरों को भाप ि ीं सका। िे रू िे सोचा भी ि ीं था
की कम्र्नु िस्ट चीि भारिीर् राज्र् के प्रनि आक्र्क ो सकिा ै|
• िे रू िे र्ले का स्िरूप सर्झिे र्ें भारी गलिी की, िा की निदेिी
िीनि र्ें।
• सेिा की कर्ाि िे र्ा िो सीर्ा पर झडपों र्ा आसार् के र्ैदािों र्ें िडे
पैर्ािे पर र्द्ध
ु के िारे र्ें सोचा, नकां िु िे कभी भी सीनर्ि घस
ु पैठ और
िुरिां िापसी की कल्पिा ि ीं कर सके ।
• र् पराजर् उच्चिर रक्षा कर्ाि एिां प्रिांधि की उनचि प्रणाली िथा
प्रनिरक्षा र्ोजिा की कर्ी के कारण ुई। साथ ी िागररक सैनिक सांिांध
भी त्रनु टपूणा थे
• र् निफलिा खनु फर्ा कार्ा , खनु फर्ा सांदेिों के निश्लेषण, सिस्त्र िलों
के निनभन्ि अांगों के िीच सर्न्िर् से जडु ी थी
• एक और गलिी घिरा ट र्ें अर्ेररका और निटेि से स ार्िा की अपील थी, जिनक अगले ी नदि चीिी िापस लौट गए|
• र्द्ध
ु िे िे रू की निदेिी िीनि पर भी सांदे जिार्ा|
• भारि को अपर्ानिि करके चीि र् दिा िा चा िा था की िाांनि और गटु निरपेक्षिा की भारि की िीनि अव्र्ाि ाररक थी|
िभाि
• िीसरी पांचिषीर् र्ोजिा एिां आनथा क निकास के सांसाधिों को रक्षा के नलए उपर्ोग कर नलर्ा गर्ा, नजससे भारि को ि ुि र्नु श्कल
नस्थनि का सार्िा करिा पडा।
• अगस्ि 1963 र्ें िे रू को अपिे जीिि र्ें प ली िार अनिश्वास प्रस्िाि का सार्िा करिा पडा|
• र् राष्ट्रीर् अपर्ाि की भाििा को पैदा करिा ै और देि और निदेि र्ें भारि की छनि को धूनर्ल करिा ै|
• सैन्र् िैर्ाररर्ों र्ें कर्ी और चीिी इरादों की कर् र्ूल्र्ाांकि के नलए िे रू की कडी निांदा की गई थी|
• दोिों देिों के र्ध्र् सांिांध 1976 िक उदासीि र े और ित्कालीि निदेि र्ांत्री अटल नि ारी िाजपेर्ी प ले ऐसे िीषा िेिा थे नजन् ोंिे
1979 र्ें चीि का दौरा नकर्ा।
भारि और श्रीलंका का संकट काल ( 1987)

पृष्ठभूवम
• 1948 र्ें स्ििांत्रिा के िाद से, िौद्ध ि ुसांख्र्क, श्रीलांका िे देि र्ें क्र्िः िनर्ल अल्पसांख्र्कों के अनधिजा ि की िीनि अपिाई।
• सर्र् के साथ-साथ िनर्ल अल्पसांख्र्कों की असांिुष्टिा और अनधक िढिी गई क्र्ोंनक ि लगभग सभी प्रकार के अनधकारों
राजिीनिक, आनथा क और सार्ानजक से िांनचि थे ।

81
• नजसके पररणार्स्िरूप श्रीलांकाई क्षेत्र र्ें िनर्ल अल्पसांख्र्कों के कारण,
निरोध के नलए अिेक सर्ू का उद्भि ुआ, नजसर्ें LTTE की प्रर्ख ु भूनर्का
थी।
• नलिरेिि टाइगसा ऑफ िनर्ल ईलर् (LTTE)), प्रभाकरण के िेिृत्ि र्ें,
जा़ििा प्राांि को आजाद करिे के नलए एक सिस्त्र न ांसक िगा था।
• 1980 के दिक र्ें श्रीलांका िे इस गृ र्द्धु र्ें न स्सा नलर्ा और श्रीलांकाई
सेिा िे जाफिा र्ें कई निदोष िनर्ल िागररकों का दर्ि करिा िरू ु नकर्ा,
नजससे श्रीलांका से भारि की ओर प्रिास िरू ु ुआ।
• इसिे भारि सरकार की नचांिा को िढार्ा, क्र्ोंनक र् र्द्दु ा भारि से सीधे
सांिांनधि था इसनलए राजीि गाांधी के िासिकाल र्ें भारि िे इसर्ें स्िक्षेप नकर्ा।
• स्िक्षेप का एक उद्देश्र् र् भी था नक श्रीलांका और LTTE के र्ध्र् नििादों को िाांनिपूणा िरीके से निपटार्ा जाए, और श्रीलांका र्ें
िनर्लों के र्ाििानधकारों की रक्षा की जाए।
िवमल समूह को भारि सरकार द्वारा िदान वकया गया समथिन
• राष्ट्रपवि जे.आर. जयिििने का भारिीर् ििानमंत्री इंवदरा गांिी के साथ उििा अच्छा सांिांध ि ीं था, नजििा नक उिके नपिा
प्रधािर्ांत्री जिा रलाल िे रू के साथ था।
• इस प्रकार ब्लैक जुलाई दल के जािीर् दांगों के िढिे प्रकोप के साथ, भारि सरकार िे 1983 के र्ध्र् से उिरी श्रीलांका र्ें सांचानलि
नििो ी सर्ू ों का सर्था ि करिे का निणा र् नलर्ा, इांनदरा गाांधी के निदेिि र्ें, भारिीर् खनु फर्ा एजेंसी िे कई िनर्ल नििो ी सर्ू ों को
निि पोषण, नथर्ार ििािा और प्रनिक्षण देिा िरू ु नकर्ा।
.
ऑपरेशन पूलमलाई
• भारि 1980 के दिक के उिराधा र्ें, अनधक सनक्र् रूप से िानर्ल ो
गर्ा और 5 जिू 1987 को भारिीर् िार्ु सेिा िे खाद्य सार्ग्री जाफिा
र्ें नगरार्ा,जि र् श्रीलांकाई सेिाओां के पूणा निर्ांत्रण र्ें था|
• एक सर्र् पर जि श्रीलांकाई सरकार िे क ा,िे LTTE को रािे िाले ैं,
िो भारि िे नििोन र्ों के सर्था ि र्ें LTTE के कधजे िाले क्षेत्रों र्ें पैरािूट
द्वारा 25 टि भोजि और दिा की आपूनिा की गई थी। जि नक श्रीलांका
सरकार िे आरोप लगार्ा नक LTTE को ि के िल खाद्य और नचनकत्सा
की आपूनिा िनल्क नथर्ारों की भी आपूनिा की जा र ी ै।

भारि श्रीलंका शांवि समझौिा( 29 जुलाई, 1987)


• भारिीर् ििानमंत्री राजीि गांिी और श्रीलांका के राष्ट्रपवि जी.आर.जयिििने के िीच 29 जल ु ाई, 1987 को भारि श्रीलांका िाांनि
सर्झौिे पर कोलंबो र्ें स्िाक्षर नकर्ा गर्ा|
• इस सर्झौिे के अांिगा ि श्रीलांका की सरकार िे कई ररर्ार्िें प्रदाि की,नजसर्ें प्राांिों को िनक्त प्रदाि करिा, निलर् के िाद उिरी और
पूिी प्राांिों र्ें जिर्ि सांग्र , और आनधकाररक नस्थनि िानर्ल थी।( इसे श्रीलांका के सांनिधाि र्ें 13िें सांिोधि के रूप र्ें लागू नकर्ा
गर्ा)

82
• भारिीर् िाांनि सेिा िल के र्ाध्र्र् से उिर और पिू ा र्ें आदेि स्थानपि करिे
और िनर्लों की र्दद करिे के नलए, स र्नि व्र्क्त की।
• ालाांनक िरुु आि र्ें LTTE सन ि अन्र् र्द्ध ु िाले सर्ू इसके निरोधी थे,
नकां िु न चनकचा ट के साथ अपिे नथर्ारों को भारिीर् िाांनि सेिा को सौंपिे
के नलए स र्ि ुए, जो प ले एक सांघषा निरार् और उग्रिादी सर्ू के र्ार्ूली
नििस्त्रीकरण का निरीक्षण करिा था।
• र्द्यनप अनधकाांि िनर्ल उग्रिादी सर्ू ों िे अपिे नथर्ार डाल नदए और सांघषा
के िाांनिपूणा िरीके के नलए स र्ि ुए, नकां िु LTTE िे इससे इिकार कर नदर्ा।
• ित्पिाि सर्झौिे की सफलिा सनु िनिि करिे ेिु भारिीर् िाांनि सेिा िे
िलपूिाक LTTE को सर्ाप्त करिे की कोनिि की, और इसकी सर्ानप्त र्द्ध ु से
ुई।

ऑपरेशन पिन
• ऑपरेिि पिि इांडो श्रीलांकाई सर्झौिे के एक भाग के रूप र्ें LTTE को नििस्त्र करिे 1987 के उिराधा र्ें LTTE से जाफिा को
अपिे निर्ांत्रण र्ें लेिे के नलए भारिीर् सरु क्षा िल को सौंपा गर्ा कोड िार् था।
• लगभग 3 सप्ता िक चलिे िाले भर्ािक र्द्ध ु र्ें भारिीर् िाांनि सेिा िे LTTE के िासि के जाफिा प्रार्द्वीप पर निर्ांत्रण नकर्ा,नजसे
श्रीलांका की सेिा िे कई िषों िक ानसल करिे की कोनिि की और निफल र ी थी। भारिीर् सेिा के टैंक, ेलीकॉप्टर, गि, निप
औरभारी िोपखािे द्वारा IPKF द्वारा LTTE को जीि नलर्ा।
जाफना यूवनिवसिटी हेली ड्रॉप
• जाफिा र्नू ििनसा टी ेली ड्राप भारिीर् िाांनि सेिा द्वारा िरू
ु नकर्ा गर्ा
प ला ऑपरेिि था, नजसका उद्देश्र् िनर्ल टाइगसा को िलपूिाक
सर्ाप्त करिा एिां ऑपरेिि पिि के िरुु आिी चरणों र्ें श्रीलांका के
जािरा ि र को सरु नक्षि करिा िथा श्रीलांका के गृ र्द्ध ु र्ें सनक्र्
भारिीर् स्िक्षेप को सनु िनिि करिा था|
• 12 अक्टूिर,1987 की र्ध्र् रानत्र को िरू ु नकर्ा गर्ा,ऑपरेिि को
11 र्ले के रूप र्ें र्ोजिािद्ध रूप से नकर्ा गर्ा था नजसर्ें िांिर 109
H.U.के Mi-8s दसिीं पैरा कर्ाांडो और 13िे नसख LI की एक टुकडी
िानर्ल थी|
• ऑपरेिि का उद्देश्र् जाफिा निश्वनिद्यालर् के भिि र्ें LTTE के िेिृत्ि पर कधजा करिा था, जोनक LTTE के सार्ररक र्ख्ु र्ालर् के
रूप र्ें कार्ा करिा था|
• नजसे जाफिा के र्द्धु र्ें ऑपरेिि पिि द्वारा सर्ाप्त करिे की कोनिि की गई थी।
• ालाांनक ऑपरेिि भर्ािक रूप से सर्ाप्त ुआ था नकां िु अपिे उद्देश्र् को प्राप्त करिे और खनु फर्ा र्ोजिाओां को निफल करिे र्ें
असफल र ा था|

83
• ल
े ीड्राफ्ट िलों को कई र् त्िपणू ा कनठिाइर्ों का सार्िा करिा पडा था, लगभग नसख LI टुकडी र्ें 29 सैनिक िानर्ल थे, जो
निश्वनिद्यालर् के चार दीिारी के अांदर नगर गए और अांनिर् साांस िक लडिे र े, इसके साथ ी 6 पैरा कर्ाांडो भी र्द्ध
ु र्ें र्ारे गए।

भारिीय भागीदारी की समावि


• राष्ट्रिादी भाििा के कारण नसांघनलर्ों के द्वारा भारिीर्ों की उपनस्थनि का निरोध
नकर्ा गर्ा| नजसके कारण श्रीलांका सरकार के द्वारा भारि की फौज को िापस जािे
के नलए क ा िथा िाांनि स्थानपि करिे के नलए एक गप्तु सर्झौिा नकर्ा गर्ा लेनकि
लेनकि एलटीटीई और आईपीके एफ के िीच ित्रिु ा ििी र ी|
• अप्रैल 1989 र्ें राणा नसां प्रेर्दासा की सरकार िे श्रीलांकाई सेिा और आईपीके एफ
को िनर्ल राष्ट्रीर् छापार्ार और एलटीटीई से नथर्ार रखिे के नलए क ा|
• श्रीलांकाई सांघषा र्ें आईपीके एफ के िा िों की सांख्र्ा िढ गई और श्रीलांका से
आईपीके एफ के िापस जािे का दिाि िढ लेनकि राजीि गाांधी के द्वारा आईपीके एफ
को श्रीलांका से टािे के नलए इांकार कर नदर्ा|
• आईपीके एफ और उसके आवखरी जहाज को श्रीलंका से 24 माचि 1990 से
रिाना वकया गया|
• श्रीलांका र्ें IPKF की 32 र् ीिे की उपनस्थनि र्ें 1200 भारिीर् सैनिकों और 5000
से अनधक श्रीलांकाई सैनिको की र्ृत्र्ु ुई । भारि सरकार के अिर्ु ाि के अिस ु ार 10.3 नर्नलर्ि डॉलर का खचा ुआ|

राजीि गााँिी की हत्त्या (1991)


• LTTE के सर्था ि से 1991 र्ें भारि के पूिा प्रधािर्ांत्री श्री राजीि
गाांधी की त्र्ा आत्र्घािी र्न ला र्लािर थेिर्ोझी राजरत्िर्
द्वारा की गई|
• भारिीर् प्रेस िे िाद र्ें ििार्ा नक प्रभाकरि िे गाांधी को खत्र् करिे
का फै सला नकर्ा क्र्ोंनक उन् ोंिे पूिा प्रधािर्ांत्री को िनर्ल र्नु क्त
सांघषा के नखलाफ र्ािा था और उन् ें डर था नक ि अगर 1991
का भारिीर् आर् चिु ाि जीिे िो आईपीके एफ को नफर से िानर्ल
कर सकिे ,ैं नजसे प्रभाकरि िे "िैिािी िाकि" करार नदर्ा|
• इस त्र्ा के िाद भारि नसफा एक िा री पर्ा िेक्षक देि ििा र ा|

भारि की परमार्ु नीवि

पष्ठृ भवू म
• िे रू िे आधनु िक भारि के निर्ाा ण के नलए निज्ञाि और प्रौद्योनगकी र्ें निश्वास ििाए रखा। उिकी औद्योगीकरण र्ोजिाओां का र् त्िपूणा
घटक 1940 के दिक के अांि र्ें होमी जे.भाभा के िेिृत्ि र्ें िरू ु नकर्ा गर्ा परर्ाणु कार्ा क्र् था।

84
• भारि िाांनिपणू ा उद्देश्र्ों की पूनिा के नलए परर्ाणु ऊजाा उत्पन्ि करिा चा िा था। िे रू र्ेिा परर्ाणु
नथर्ारों के इस्िेर्ाल के नखलाफ थे, इसनलए उन् ोंिे सभी परर्ाणु िनक्त सम्पन्ि देिों से पूणा परर्ाणु
निसस्त्रीकरण की गु ार लगाई।

1974 का परमार्ु परीक्षर् (पोखरर्)


• 1974 र्ें, इांनदरा गाांधी के िेिृत्ि र्ें भारि िे अपिा प ला परर्ाणु परीक्षण नकर्ा। भारि िे इसे
िाांनिपूणा निस्फोट क ा और िका नदर्ा नक र् के िल िाांनिपूणा उद्देश्र्ों के नलए परर्ाणु ऊजाा
का उपर्ोग करिे की िीनि के नलए प्रनििद् ै।
• इस ऑपरेिि का कोड िार् स्माइवलंग बुद्धा था।
• इससे प ले र्एू िएससी के पाांच स्थार्ी सदस्र् अर्ेररका, USSR,फ्राांस, र्.ू के . चीि िे परर्ाणु
नथर्ार प्राप्त कर नलए थे और िेष दनु िर्ा पर 1968 र्ें एिपीटी [परर्ाणु अप्रसार सांनध] लगािे
की कोनिि की।
• भारि िे इस िर के कदर् को भेदभािपूणा र्ािा और इसका पालि करिे से इिकार कर नदर्ा। भारि िे िरू ु से र् िाि रखी नक
एिपीटी जैसी सांनधर्ाँ गैर-परर्ाणु देि के नलए चनु िांदा रूप से लागू की गई नजससे परर्ाणु िनक्त सम्पन्ि देि का परर्ाणु नथर्ार पर
एकानधकार ििा र े।

1998 का परमार्ु परीक्षर्


• प्रधािर्ांत्री ए िी िाजपेर्ी के िेिृत्ि र्ें पोखरण-2 परीक्षण र्ई 1998 भारिीर् सेिा के पोखरण
टेस्ट रेंज र्ें भारि द्वारा नकए गए पाांच परर्ाणु िर् परीक्षण निस्फोटों की एक श्रृांखला थी।
• र् परीक्षण 11 र्ई 1998 को एक निनिि कोड िार् ऑपरेशन शवि के ि ि, एक सांलर्ि
और दो उत्सजा ि िर्ों के निस्फोट के साथ िरू ु नकर्ा गर्ा था।
• डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और डॉक्टर आर वचदंबरम के िेित्ृ ि र्ें पोखरण परीक्षण कें ि र्ें
नर्िि िनक्त का िेिृत्ि नकर्ा गर्ा|
• र् परीक्षण कई िार्ों से नकर्ा गर्ा नजसे सार्ून क रूप से वमशन शवि-98 क ा गर्ा और इस
परीक्षण र्ें 5 परर्ाणु िर्ों का प्रर्ोग नकर्ा गर्ा नजसे नर्िि िनक्त 1 के रुप र्ैं िानर्ि नकर्ा गर्ा|
• र् भारि के सैन्र् उद्देश्र्ों के नलए परर्ाणु और ऊजाा का उपर्ोग करिे की क्षर्िा को प्रस्ििु
नकर्ा|
• कुछ सर्र् पिाि पानकस्िाि िे भी इसी िर का परर्ाणु परीक्षण नकर्ा नजसके कारण र् क्षेत्र
परर्ाणु परीक्षण के प्रनि सांिेदििील ो गर्ा|
• भारि और पानकस्िाि के इस पररक्षण से अांिराा ष्ट्रीर् सर्दु ार् को द्वारा कठोर प्रनििांध लगाएगए| नजन् ें िाद र्ें र्ाफ कर नदर्ा गर्ा,
भारि िे परर्ाणु नथर्ार के प ले उपर्ोग का आश्वासि ि ीं नदर्ा और परर्ाणु ऊजाा के िाांनिपणू ा उपर्ोग के अपिे रुख को ििाए
रखा और एक परर्ाणु नथर्ार र्क्त ु दनु िर्ा के नलए अग्रणी िैनश्वक सत्र्ापि र्ोग्र् और गैर-भेदभािपूणा परर्ाणु निसस्त्रीकरण के नलए
अपिी प्रनििद्धिा दो राई।

85
86
अध्याय 4- आवथि क विकास

विषय
क्र.स.
1 स्ििांत्रिा की पूिा सांध्र्ा पर भारिीर् अथा व्र्िस्था
2 भारिीर् अथा व्र्िस्था (1947-65)
3 भारिीर् अथा व्र्िस्था(1965-1991)
4 1991 से आनथा क सधु ार
5 र् त्िपूणा आनथा क निकास

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भारतीय अथथव्यवस्था

स्वतंत्रता की पूवथ संध्या भारतीय अथथव्यवस्था (1947- भारतीय अथथव्यवस्था भारतीय अथथव्यवस्था
पर भारतीय अथथव्यवस्था 65) (1965-91) (1991)

स्ििंत्रिा की पिू ि संध्या पर भारिीय अथिव्यिस्था

जि भारि को स्ििांत्रिा नर्ली ,भारिीर् अथा व्र्िस्था नपछडी और अल्पनिकनसि थी। स्ििांत्रिा के सर्र् भारिीर् अथा व्र्िस्था को लेकर
निम्िनलनखि सर्स्र्ाएां थी:-
• गरीबी और अवशक्षा -आजादी के सर्र् ,भारिीर् जिसांख्र्ा के अनधकाांि लोग निरक्षर और गरीि थे। अत्र्नधक गरीिी और अनिक्षा
के अलािा ,अनिकनसि कृ नष और उद्योग िे िेरो़िगारी को और िढा नदर्ा, नजससे भारि र्ें गरीिी की नस्थनि और िढ गई ।
• आवथिक विकास- अांग्रेजों द्वारा अपनाये गए िन के वनकासी वसद्धांि िे भारिीर् खजािे को लगभग खाली ी कर नदर्ा था| व्र्ापार
सांिुलि भी अांग्रेजो के ी पक्ष र्ें था ।
• संसािनों की कमी- निनटि काल र्ें भारि के पास सीनर्ि नििीर् सांसाधि थे। उद्योगों र्ें नििेि करिे के नलए भारि का नििीर्
आधार काफी कर्जोर था ।
• अथिव्यिस्था में संरचनात्मक विकृवि -भारिीर् अथा व्र्िस्था और सर्ाज र्ें उपनििेििाद द्वारा लाई गई सांरचिात्र्क सर्स्र्ाओां िे,
आत्र्निभा र निकास (भनिष्ट्र् र्ें) के नलए अिरोध के रूप र्ें कार्ा नकर्ा ।
• भारिीर् िेिृत्ि के नलए कल्र्ाण और आनथा क निकास , एक र् त्िपूणा चिु ौिी थी और इि लक्ष्र्ों को लेकर आगे िढिे के नलए, उिके
पास आनथा क निकास के दो र्ॉडल थे, िथम- उदारिादी - पज ूँ ीिादी र्ॉडल नजसका U.S.A और र्ूरोप र्ें अिसु रण नकर्ा गर्ा,
वद्विीय- समाजिादी र्ॉडल था नजसका अिस ु रण U.S.R.R र्ें नकर्ा गर्ा ।
• आनथा क निकास के र्ॉडल की ि स के दौराि, लगभग सभी इस िाि से स र्ि थे नक भारि के निकास का अथा ै - आनथा क और
सार्ानजक निकास एिां आनथा क न्र्ार् ।
• इसनलए ि ुि कर् लोगों िे पूांजीिादी निकास (अर्ेररकी िैली) का सर्था ि नकर्ा। कई ऐसे थे जो सोनिर्ि र्ॉडल से प्रभानिि ुए ।
• भारि को के िल व्र्ािसानर्क लाभ िाली औपनििेनिक कार्ा िैली को छोडिा पडा। गरीिी उन्र्ूलि और सार्ानजक-आनथा क
पिु निा िरण के नलए प्रर्ास करिा ित्कालीि सरकार की प्राथनर्क नजम्र्ेदारी थी ।
• इसनलए, भारि िे आनथा क निकास के नर्नश्रि र्ॉडल को अपिार्ा, नजसर्ें पांज ू ीिादी और सर्ाजिादी दोिों र्ॉडल ैं।
नदसांिर 1954 र्ें भारिीर् सांसद िे सार्ानजक और आनथा क िीनि के उद्देश्र् के रूप र्ें' सर्ाज के सर्ाजिादी पैटिा 'को स्िीकार नकर्ा।
िास्िि र्ें ,अिर्ु ानिि र्ॉडल एक" नर्नश्रि अथा व्र्िस्था "का था ,ज ाां सािा जनिक और निजी क्षेत्र ि के िल स -अनस्ित्ि र्ें थे ,िनल्क
एक-दस ू रे के परू क भी थे और निजी क्षेत्र को उििी ी स्ििांत्रिा के साथ िढिे के नलए प्रोत्सान ि नकर्ा जािा था, नजििा राष्ट्रीर्
निर्ोजि के व्र्ापक उद्देश्र्ों के भीिर सांभि था ।

भारिीय अथिव्यिस्था(1947-65)

88
वमवश्रि अथिव्यिस्था मॉडल-

• इस र्ॉडल र्ें ,सरकारी और निजी क्षेत्र अथा व्र्िस्था र्ें एक साथ र्ौजूद ोंगे ।
• नर्नश्रि आनथा क प्रणाली एक ऐसी प्रणाली ै जो पांज ू ीिाद और सर्ाजिाद दोिों के प लओ
ु ां को जोडिी ै।
• एक वमवश्रि आवथिक िर्ाली वनजी संपवत्त की रक्षा करिी है और पूंजी के उपयोग में आवथिक स्ििंत्रिा की अनुमवि देिी है ,
लेवकन सामावजक उद्देश्यों को िाि करने के वलए सरकारों को आवथिक गविविवियों में हस्िक्षेप करने की भी अनुमवि देिी है।
• वदसंबर 1954 में भारिीय संसद ने सामावजक और आवथिक नीवि के उद्देश्य के रूप में ' समाजिादी पैटनि' को स्िीकार वकया ।
िास्िि र्ें ,अिर्ु ानिि र्ॉडल एक" नर्नश्रि अथा व्र्िस्था "का था ,ज ाां सािा जनिक और निजी क्षेत्र ि के िल स -अनस्ित्ि र्ें थे ,िनल्क िे
एक-दूसरे के परू क भी थे और निजी क्षेत्र को उििी ी स्ििांत्रिा के साथ िढिे के नलए प्रोत्सान ि नकर्ा जािा था नजििा नक राष्ट्रीर्
र्ोजिा के व्र्ापक उद्देश्र्ों के भीिर सांभि था ।

आजादी के बाद सरकार ने वमवश्रि अथिव्यिस्था का विकल्प क्यों चनु ा?


• स्ििांत्रिा के िाद ,ििगनठि सरकार के पास ि िो पर्ाा प्त सांसाधि थे और ि ी सांभानिि सांसाधिों का अिर्ु ाि था। पज ूँ ीिादी लाभ
के नलए अनधक कुिलिा की जरूरि ोिी ै।
• लेनकि दूसरी ओर, आिादी का एक िडा न स्सा दनलि , नपछडा और िांनचि था। र् स्पष्ट था नक सर्ाििा अथाा ि आनथा क सर्ृनद्ध
का सर्ाि नििरण सर्ग्र रूप से देि के निकास के नलए ि ुि आिश्र्क था। सर्ाजिादी अथा व्र्िस्था सर्ाििा की िकालि करिी
ै|
• जैसा नक र्िे ऊपर अध्र्र्ि नकर्ा, नक USSR और USA के िीच िीि र्द्ध ु की िरुु आि उिकी आनथा क व्र्िस्था के िचा स्ि को
स्थानपि करिे के नलए ुई थी, भारि के नलए के िल एक निचारधारा का स ारा लेिा कनठि ोगा। लेनकि र्ारे िेिाओां िे एक अच्छा
कार् नकर्ा, उन् ोंिे र्ारे देि की नस्थनि के आधार पर दोिों (साम्र्िाद और पूांजीिाद) की व्र्ि ार्ा िा को अपिार्ा ।
• पूाँजीिाद -पज ूँ ीिाद का अथा अनधक िनक्त के साथ कर् लागि से अनधक लाभ ोिा । इसका सीधा र्िलि र् ै नक कुछ लोगों के
पास िाजार को प्रभानिि करिे की िनक्त ोिे के साथ ी साथ आर् आदर्ी को भी प्रभानिि करिे की भी िनक्त ोिी ै। र् ाां िक

89
नक सरकार र्ा जििा के न ि के नखलाफ जािे की एक छोटी सी सांभाििा क्षेत्रीर् ििाि को और भी िढा सकिी ै। इस िर की
अथा व्र्िस्था का अथा ै सािा जनिक सनधसडी से दूर ोिा ।
• सर्ाजिादी / साम्र्िादी अथा व्र्िस्था- साम्र्िादी अथा व्र्िस्था को चिु िे का निणा र् , राजिा ी र्ुग से चले आ र े व्र्ापारी िगा को
िोत्सान ि कर सकिा था । सरकार को आनथा क निकास के साधिों और सांभाििाओां का पिा लगािे के नलए उिकी नििेषज्ञिा,
पूांजी और सनक्र् भागीदारी की आिश्र्किा थी। इसके अलािा, लोग निनटि सरकार के आनधकाररक और असभ्र् िासि से अभी
िा र ी आए थे। साम्र्िाद के एक सख्ि प्रर्ोग से िडे पैर्ािे पर प्रनिरोध ो सकिा था।
• उपरोक्त दो अांिदृा नष्ट िे र् स्पष्ट नकर्ा नक नर्नश्रि अथा व्र्िस्था उत्पादकिा िढािे के साथ-साथ असर्ाििा को कर् करिे के उद्देश्र्
से एक इष्टिर् निकल्प था ।
• निनभन्ि पांचिषीर् र्ोजिाओां र्ें साम्र्िाद और पूांजीिाद पर सरकार िे अलग-अलग िरीके अपिाएां ।
• प ली पांचिषीर् र्ोजिा र्ें, साम्र्िाद का सार , जर्ीदारी प्रथा के उन्र्ूलि र्ें देखा जा सकिा ै । निधानर्का को अांनिर् अनधकार
देिे के नलए सांनिधाि र्ें सांिोधि नकर्ा गर्ा था । इसके निपरीि, दस ू री और िीसरी र्ोजिाओां का उद्देश्र् िेजी से औद्योनगकीकरण,
खाद्यान्िों की पर्ाा प्तिा और निजी क्षेत्र के नलए िढी ुई िजट र्ोजिा के साथ सांिनधा ि र्ािि िनक्त का उपर्ोग करिा था ।

औद्योगीकरर् और नेहरूिादी सहमवि के वलए रर्नीवि-

औद्योवगक नीवियों का विकास-

• इसिे औद्योनगक निकास र्ें एक उद्यर्ी और प्रानधकरण दोिों के रूप र्ें राज्र् की भूनर्का को
नचनत्रि नकर्ा ।
• इससे स्पष्ट ो गर्ा नक भारि एक नर्नश्रि आनथा क र्ॉडल िििे जा र ा ै।
• औद्योनगक िीनि 1948 िे आनथा क निकास र्ें कुटीर और लघु उद्योगों की भूनर्का पर जोर नदर्ा।
इसिे भारि के औद्योनगक निकास कार्ा क्र्ों र्ें इि उद्योगों को प्रोत्सा ि प्रदाि करिे की र्ाांग
की क्र्ोंनक र्े उद्योग स्थािीर् सांसाधिों का उपर्ोग करिे ैं और रोजगार के िडे अिसर प्रदाि
करिे ैं।
• इसिे उद्योगों को चार व्र्ापक क्षेत्रों र्ें िगीकृ ि नकर्ा:
औद्योवगक नीवि 1948 o सामररक उद्योग( साििजवनक क्षेत्र): इसर्ें िीि उद्योग िानर्ल थे नजिर्ें कें ि सरकार
का एकानधकार था। इिर्ें नथर्ार और गोला-िारूद ,परर्ाणु ऊजाा और रेल पररि ि
िानर्ल थे।
o आिारभूि बुवनयादी उद्योग(पवब्लक-कम-िाइिेट सेक्टर): 6 उद्योग। कोर्ला, लो ा
और इस्पाि, निर्ाि निर्ाा ण, ज ाज निर्ाा ण, टेलीफोि का निर्ाा ण, टेलीग्राफ और
िार्रलेस उपकरण, और खनिज िेल को "प्रर्ख ु उद्योग" र्ा "िनु िर्ादी उद्योग" के रूप
र्ें िानर्ि नकर्ा गर्ा था। र्े उद्योग कें ि सरकार द्वारा स्थानपि नकए जािे थे। ालाांनक,
निजी क्षेत्र के र्ौजूदा उद्यर्ों को जारी रखिे की अिर्ु नि दी गई थी ।
o महत्िपूर्ि उद्योग (वनयंवत्रि वनजी क्षेत्र): इसर्ें 18 उद्योग िानर्ल थे नजिर्ें भारी
रसार्ि ,चीिी ,सिू ी कपडा और ऊिी उद्योग ,सीर्ेंट ,कागज ,िर्क ,र्िीि उपकरण ,
उिा रक ,रिर ,िार्ु और सर्िु ी पररि ि ,र्ोटर ,रैक्टर ,निजली आनद िानर्ल ैं। उद्योग
निजी क्षेत्र के अधीि ििे र िे थे ,लेनकि राज्र् सरकार के परार्िा से कें ि सरकार का
उि पर सार्ान्र् निर्ांत्रण था ।

90
o अन्य उद्योग (वनजी और सहकारी क्षेत्र): अन्र् सभी उद्योग जो उपरोक्त िीि श्रेनणर्ों
र्ें िानर्ल ि ीं थे, उन् ें निजी क्षेत्र के नलए खल
ु ा छोड नदर्ा गर्ा था ।

• सरकार िे 1956 की औद्योनगक िीनि के र्ाध्र्र् से अपिी प ली औद्योनगक िीनि) अथाा ि


1948की िीनि को सांिोनधि नकर्ा।
• इसे "भारि का आवथिक संवििान" र्ा "राज्य पूंजीिाद की बाइवबल" के रूप र्ें र्ािा जािा
था।
• 1956 की िीनि िे सािा जनिक क्षेत्र का निस्िार करिे, एक िडे और िढिे स कारी क्षेत्र का
निर्ाा ण करिे और निजी उद्योगों र्ें स्िानर्त्ि और प्रिांधि के अलगाि को प्रोत्सान ि करिे और
सभी से ऊपर, निजी एकानधकार के उदर् को रोकिे की आिश्र्किा पर जोर नदर्ा ।
• इसिे जूि 1991 िक उद्योगों के सांिांध र्ें सरकार की िीनि के नलए िनु िर्ादी ढाांचा प्रदाि नकर्ा

IPR, 1956 ने िीन श्रेवर्यों में उद्योगों को िगीकृि वकया:


औद्योवगक नीवियां 1956 • अनुसूची A- 17उद्योगों पर राज्र् की नििेष नजम्र्ेदारी थी। इि 17 उद्योगों र्ें से ,चार उद्योगों ,
नथर्ार और गोला-िारूद ,परर्ाणु ऊजाा ,रेलिे और िाई पररि ि र्ें कें ि सरकार का
एकानधकार था ,िेष उद्योगों र्ें राज्र् सरकारें द्वारा िई इकाइर्ाँ निकनसि की गई ां।
• अनुसूची B- 12 उद्योगों से नर्लकर ििी ै, जो निजी और सािा जनिक दोिों क्षेत्रों के नलए खल ु ा
था; ालाँनक, ऐसे उद्योग उिरोिर राज्र् के स्िानर्त्ि िाले थे ।
• अनुसूची C- इि दो अिस ु ूनचर्ों र्ें िानर्ल ि ीं नकए गए सभी अन्र् उद्योग िीसरी श्रेणी का
गठि करिे ैं, नजसे निजी क्षेत्र के नलए खल ु ा छोड नदर्ा गर्ा था। ालाांनक, राज्र् िे नकसी भी
प्रकार के औद्योनगक उत्पादि का अनधकार सरु नक्षि रखा था।
• IPR 1956 र्ें, रोजगार के अिसरों के निस्िार के नलए और आनथा क िनक्त और गनिनिनध के
व्र्ापक निकें िीकरण के नलए कुटीर और लघु उद्योग के र् त्ि पर िल नदर्ा गर्ा|
• इस सांकल्प िे औद्योनगक िाांनि ििाए रखिे के प्रर्ासों का भी आह्वाि नकर्ा; उत्पादि की
आर् का एक उनचि न स्सा लोकिाांनत्रक सर्ाजिाद के निन ि उद्देश्र्ों को ध्र्ाि र्ें रखिे ुए
र्े ििकि जििा को नदर्ा जािा था।
• नदसांिर 1977 र्ें ,जििा सरकार िे सांसद र्ें एक िर्ाि के र्ाध्र्र् से अपिी िई औद्योनगक
िीनि की घोषणा की।
• इस िीनि का र्ुख्र् जोर कुटीर और छोटे उद्योगों का प्रभािी प्रचार था जो ग्रार्ीण क्षेत्रों और
छोटे ि रों र्ें व्र्ापक रूप से फै ला ुआ था।
औद्योवगक नीवियां 1977
• इस िीनि र्ें छोटे क्षेत्र को िीि सर्ू ों र्ें िगीकृ ि नकर्ा गर्ा था- कुटीर और घरेलू क्षेत्र, लघु
क्षेत्र िथा लघु उद्योग ।
• 1977 की औद्योनगक िीनि र्ें िडे पैर्ािे पर औद्योनगक क्षेत्र के नलए अलग-अलग क्षेत्र निधाा ररि
नकए गए- िनु िर्ादी उद्योग, पूांजीगि िस्िु उद्योग, उच्च प्रौद्योनगकी उद्योग और अन्र् उद्योग जो
छोटे स्िर के क्षेत्र के नलए आरनक्षि िस्िुओ ां की सूची से िा र ैं ।

91
• 1977 की औद्योनगक िीनि िे िडे व्र्ापाररक घरािों के दार्रे को सीनर्ि कर नदर्ा िानक एक
ी व्र्िसार् सर्ू की कोई भी इकाई , िाजार र्ें प्रभािी और एकानधकार की नस्थनि ानसल ि
कर पार्े ।
• इसिे श्रनर्क अिाांनि की घटिा को कर् करिे पर जोर नदर्ा। सरकार िे निचले स्िर से उच्च
स्िर िक प्रिांधि र्ें कार्ा किाा की भागीदारी को प्रोत्सान ि नकर्ा ।
• 1980 की औद्योवगक नीवि ने आवथिक संघ की अििारर्ा को बढ़ािा देने, साििजवनक क्षेत्र
औद्योवगक नीवि 1980 की दक्षिा बढ़ाने और वपछले िीन िषों के औद्योवगक उत्पादन की ििृवत्त को बदलने के
वलए और एकाविकार और िविबंिात्मक व्यापार िथा (MRTP) अविवनयम िथा विदेशी
मुद्रा विवनयमन अविवनयम (FERA) में अपने विश्वास की पुवि की ।
औद्योवगक नीवि1991 • LPG िीनि ( 1991)के सधु ारों के निषर् र्ें इस निषर् पर चचाा की गई |
एक कनठि और जनटल कार्ा को अांजार् देिे ुए ,भारि ,
कई अन्र् औपनििेनिक सर्ाजों के निपरीि, अच्छी नस्थनि र्ें था।
• सिसे प ले, एक छोटा लेनकि स्ििांत्र (भारिीर् स्िानर्त्ि और निर्ांनत्रि)
औद्योनगक आधार भारि र्ें 1914 और 1947 के िीच उभरा था।
• 1947 र्ें जि भारि को राजिीनिक स्ििांत्रिा नर्ली, िि िक भारिीर्
उद्यनर्र्ों िे भारि र्ें र्ूरोपीर् उद्यर् के साथ सफलिापूिाक प्रनिस्पधाा की।
• भारि सौभाग्र्िाली था नक आजादी के िाद के निकास और निकास के र्ागा
पर व्र्ापक सार्ानजक स र्नि ििी।
र् निम्िनलनखि कायि-सूची पर आधाररि था:
• आत्र्निभा रिा के आधार पर आनथा क निकास की ि ुस्िरीर् रणिीनि|
• पज ूां ीगि िस्िुओ ां के उद्योगों सन ि आर्ाि-प्रनिस्थापि पर आधाररि िीव्र
औद्योनगकीकरण|
• साम्राज्र्िादी र्ा निदेिी पूांजी िचा स्ि की रोकथार्|
• भूनर् सधु ार र्ें नकरार्ेदारी सुधार िानर्ल ैं|
• जर्ींदारी उन्र्ूलि|
• स कारी सनर्निर्ों, नििेष रूप से सेिा स कारी सनर्निर्ों को लािा|
• निपणि ,ऋण ,निकास के नलए प्रर्ास नकर्ा जािा चान ए ,अथाा ि् ,निकास र्ॉडल को कल्र्ाणकारी ,गरीिोन्र्ख ु ी के साथ सधु ारिादी
ोिा था।
• एक अिनध के नलए, सकारात्र्क भेदभाि र्ा आरक्षण, भारिीर् सर्ाज, अिस ु ूनचि जानि और जिजानि र्ें सिसे अनधक उत्पीनडि
िगा के पक्ष र्ें थे।
• उत्पादि प्रनक्र्ा र्ें राज्र् की प्रत्र्क्ष भागीदारी, अथाा ि्, सािा जनिक क्षेत्र के र्ाध्र्र् से, आनथा क निकास को िढािा देिे र्ें कें िीर्
भूनर्का निभािे के नलए राज्र् का र्ोगदाि।
• इस िाि पर स र्नि थी नक भारि को लोकिाांनत्रक और िागररक स्ििांत्रिा ढाांचे के भीिर र्ोजिािद्ध िरीके से िीव्र औद्योनगकीकरण
के नलए र् अिूठा प्रर्ास करिा था।

92
• इस धारणा के आसपास एक व्र्ापक स र्नि िि र ी थी नक राज्र् की भूनर्का र्ें ि के िल राजकोषीर् ,र्ौनिक और आनथा क िीनि
के अन्र् साधिों और निकास प्रनक्र्ा पर राज्र् निर्ांत्रण और पर्ा िेक्षण का उनचि उपर्ोग िानर्ल ोगा ,िनल्क सािा जनिक क्षेत्र के
र्ाध्र्र् से उत्पादि प्रनक्र्ा र्े प्रत्र्क्ष भागीदारी को भी िानर्ल करिा ोगा। ।
• र् र् सूस नकर्ा गर्ा था नक पूांजीगि िस्िु उद्योगों और अन्र् िनु िर्ादी और भारी उद्योगों के निकास र्ें, नजन् ें भारी निि की
आिश्र्किा थी, सािा जनिक क्षेत्र को एक र् त्िपूणा भूनर्का निभािी ोगी।
• दस ू री र्ोजिा र्ें भारी और पांज ू ीगि उद्योगों पर ि ुि जोर देिे से सािा जनिक क्षेत्र की ओर एक िडी प ल ुई।
• रणिीनि का एक र्ूल ित्ि भारि र्ें भारी और पूांजीगि उद्योगों का िेजी से निकास था।
• भारी उद्योग के पक्ष र्ें िदलाि को उपभोक्ता िस्िुओ ां के उत्पादि के नलए श्रर्-ग ि लघु और कुटीर उद्योगों को िढािा देिे के साथ
जोडा जािा था।
• एक और र् त्िपूणा रणिीनि िे निकास पर जोर नदर्ा। इसनलए, उद्योग और कृ नष र्ें एकाग्रिा और नििरण के र्द्दु े पर ि ुि ध्र्ाि नदर्ा
गर्ा ।
• निकास का राज्र् द्वारा पर्ा िेक्षण, सािा जनिक और निजी क्षेत्रों के िीच गनिनिनध को निर्ोनजि िरीके से निभानजि करिा, एकाग्रिा
और एकानधकार के उदर् को रोकिा, लघु उद्योग की रक्षा करिा, क्षेत्रीर् सांिुलि सनु िनिि करिा, निर्ोनजि प्राथनर्किाओां और लक्ष्र्ों
के अिस ु ार सांसाधिों को रद्द करिा - र् सि एक निस्िृि प्रनक्र्ा की स्थापिा र्ें िानर्ल था जो निर्ांत्रण और औद्योनगक लाइसेंस की
जनटल प्रणाली, 1951 के उद्योग निकास और निनिर्र्ि अनधनिर्र् (IDRA) के र्ाध्र्र् से की गई थी।

IRDA (औद्योवगक विकास विवनयमन अविवनयम), 1951


• इसे 1948 के औद्योनगक िीनि प्रस्िाि को लागू करिे के नलए 1951 र्ें पाररि नकर्ा गर्ा था।
- इस अनधनिर्र् िे सरकार को सिक्त ििार्ा
- र्ौजूदा उद्योगों के पांजीकरण के नलए निर्र् ििािा
- सभी िए उपक्र्ों को लाइसेंस देिा
- अिस ु चू ी र्ें उद्योगों के उत्पादि और निकास को निनिर्नर्ि करिे के नलए निर्र्।
- इि र्ार्लों पर राज्र् सरकार के साथ परार्िा ।
• इस अनधनिर्र् को कें िीर् सला कार पररषद और निकास िोडा के गठि के नलए िनक्त प्रदाि नकर्ा गर्ा।औपनििेनिक काल की िलु िा
र्ें सर्ग्र अथा व्र्िस्था िे प्रभाििाली प्रदिा ि नकर्ा।
• इस अिनध र्ें एक र् त्िपूणा उपलनधध िचि और नििेि दरों र्ें िृनद्ध थी।
• कृ नष के र्ोचे पर, स्ििांत्रिा के िुरिां िाद व्र्ापक भूनर् सधु ार के उपार् िरू
ु नकए गए थे।
• ग्रार्ीण स्िर पर कृ नष निस्िार और सार्दु ानर्क निकास कार्ों के नलए एक िडे िेटिका की स्थापिा, नसांचाई, निजली और कृ नष
अिस ु ांधाि र्ें िडे िनु िर्ादी ढाांचे के नििेि िे इस अिनध र्ें कृ नष निकास
के नलए िई पररनस्थनिर्ाां पैदा की थीं।
• प ली िीि र्ोजिाओां के दौराि, 1951 और 1965 के िीच 7.1 %
प्रनििषा की चक्िृनद्ध दर से कृ नष की िुलिा र्ें उद्योग अनधक िेजी से
िढा।
• नद्विीर् र्ोजिा के िाद से औद्योनगक निकास िेजी से आर्ाि
प्रनिस्थापि पर आधाररि था, िरू ु र्ें, उपभोक्ता िस्िुओ ां और नििेष
रूप से, पूांजीगि िस्िुओ ां और र्ध्र्ििी िस्िुओ ां का प्रनिस्थापि।

93
• बवु नयादी िस्िओ
ु ं और पंजू ीगि उपकरर्ों के वलए उन्नि देशों पर भारि की कुल-वनभिरिा को कम करने के वलए विकास का
एक लंबा रास्िा िय वकया गया ,जो वनिेश या नई क्षमिा के वनमािर् के वलए आिश्यक था।
• 1970 के दशक के मध्य िक, भारि अपने वनिेश की दर को बनाए रखने के वलए स्िदेशी रूप से 90 िविशि से अविक उपकरर्
आिश्यकिाओं को पूरा कर सकिा था।
• यह एक बडी उपलवब्ि थी, और इसने पूंजी संचय की अपनी दर वनिािररि करने में भारि की स्िायत्तिा में काफी िृवद्ध की।
• समग्र अथिव्यिस्था में साििजवनक क्षेत्र का योगदान िेजी से बढ़ा।
• उद्योग और कृवष के अलािा, शुरुआिी योजनाकारों ने वशक्षा, स्िास््य, विज्ञान और िौद्योवगकी सवहि बुवनयादी ढांचे के
विकास को अत्यविक िाथवमकिा दी।
भारी उद्योग िह उद्योग है वजसमें कच्चे माल का उत्पादन करने या बडी िस्िओ ु ं को बनाने के वलए बडी मशीनों का उपयोग वकया
जािा है। भारी उद्योग के उदाहरर् -जहाज वनमािर् ,अंिररक्ष ,पररिहन ,वनमािर् खनन सामग्री ,रसायन ,ऊजाि ,भारी उपकरर् आवद
|
आवथिक वनयोजन –
आवथिक वनयोजन िमुख आवथिक वनर्ियों का वनिािरर् है – वजसे वनिािररि िाविकरर् के वनर्िय द्वारा, वकसी देश के मौजूदा और
संभाविि संसािनों के व्यापक सिेक्षर् और लोगों की आिश्यकिाओं के साििानीपिू िक अध्ययन के आिार पर वकया जािा है

आधथषक तनयोजन

आजाद से पहले आधथषक तनयोजन आजाद के बाद आधथषक तनयोजन

आजादी से पहले वनयोजन


• भारि में आवथिक वनयोजन के युग की शुरुआि विश्वेश्वरैया की दस िषीय
योजना से हुई।
• 1934, में सर एम् निश्वेश्वरैर्ा िे "भारि र्ें निर्ोनजि अथा व्र्िस्था" िार्क एक
विश्वेश्वरैया योजना
पस्ु िक प्रकानिि की थी, नजसर्ें उन् ोंिे अगले दस िषों र्ें भारि के निकास का
एक रचिात्र्क प्रारूप प्रस्ििु नकर्ा।
• उिका र्ूल निचार श्रवमकों को कृ नष से उद्योगों में स्थािाांिररि करना और दस
िषों र्ें राष्ट्रीर् आर् को दोगिु ा करिे की र्ोजिा थी। र् र्ोजिा ििािे की नदिा र्ें प ला ठोस कार्ा
था।
भारिीय राष्ट्रीय कांग्रेस • भारि के स्ििांत्रिा आांदोलि का आनथा क पररप्रेक्ष्र् 1931 र्ें भारिीर् राष्ट्रीर् काांग्रेस के कराची
(INC) अनधिेिि (सरदार पटेल द्वारा प्रस्िुि) और 1936 र्ें भारि राष्ट्रीर् काांग्रेस के फै जपरु अनधिेिि के
दौराि िैर्ार नकर्ा गर्ा था (अध्र्क्षिा जिा रलाल िे रू)|
• िोट- ़िै ़िपरु अनधिेिि INC का प ला ग्रार्ीण सम्र्ेलि था।
• भारि के वलए एक राष्ट्रीय योजना विकवसि करने का पहला ियास 1938 में शुरू हुआ।
राष्ट्रीय योजना सवमवि
(NPC)

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• उस िषि में, कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चंद्र बोस ने जिाहरलाल नेहरू के साथ एक राष्ट्रीय योजना
सवमवि की स्थापना की थी।
• हालांवक, सवमवि की ररपोटि िैयार नहीं की जा सकी और के िल 1948 -49 में पहली बार कुछ
कागजाि सामने आए।
• 1944 र्ें िॉम्िे के आठ उद्योगपनि श्री जेआरडी टाटा, जीडी निडला, परुु षोिर्दास ठाकुरदास, लाला
श्रीरार्, कस्िूरिा लालभाई, A D श्रॉफ, अदेिी दलाल, और जॉि र्थाई िे भारि के नलए आनथा क
निकास की एक सांनक्षप्त रूपरेखा िैर्ार करिे के नलए नर्लकर कार् नकर्ा।
बॉम्बे योजना
• इसे "िॉम्िे प्लाि" के रूप र्ें जािा जािा ै। इस र्ोजिा िे 15 िषों र्ें प्रनि व्र्नक्त आर् को दोगिु ा
करिे और इस अिनध के दौराि राष्ट्रीर् आर् को िीि गिु ा करिे की पररकल्पिा की। िे रू िे र्ोजिा
को आनधकाररक रूप से स्िीकार ि ीं नकर्ा था, नफर भी र्ोजिा के कई निचारों को अन्र् र्ोजिाओां
र्ें िानर्ल नकर्ा गर्ा था जो िाद र्ें आए थे।
• जन योजना M N राय द्वारा िैयार की गई थी।
• यह योजना दस साल की अिवि के वलए थी और इसने कृवष को सबसे अविक िाथवमकिा वदया।
जन योजना
• सभी कृवष और उत्पादन का राष्ट्रीयकरर् इस योजना की मुख्य विशेषिा थी।
• यह योजना माक्सििादी समाजिाद पर आिाररि थी और लाहौर के भारिीय महासंघ की ओर
से M N रॉय द्वारा िैयार की गई थी।
• र् र्ोजिा िधाा कर्निा र्ल कॉलेज के नप्रांनसपल श्रीर्ि िार्रि के द्वारा िैर्ार की गई थी।
गांिीिादी योजना
• इसिे कुटीर उद्योगों को निकनसि करके ग्रार्ीण निकास की प्रधाििा के साथ आनथा क निकें िीकरण
पर जोर नदर्ा।
• सिोदय योजना (1950) का िारूप जयिकाश नारायर् द्वारा िैयार वकया गया था। यह योजना
स्ियं गांिीिादी योजना और विनोबा भािे के सिोदय विचार से िेररि थी।
सिोदय योजना
• इस योजना में कृवष िथा लघु और कुटीर उद्योगों पर जोर वदया गया। इसने विदेशी िौद्योवगकी
से स्ििंत्रिा का सुझाि भी वदया और भूवम सुिार और विकें द्रीकृि भागीदारी योजना पर जोर
वदया।
योजना एिं विकास • अगस्ि 1944 र्ें ,निनटि भारि सरकार िे अदेनिर दलाल के िेिृत्ि र्ें" र्ोजिा और निकास निभाग "
विभाग की स्थापिा की। लेनकि 1946 र्ें इस निभाग को सर्ाप्त कर नदर्ा गर्ा।
योजना सलाहकार बोडि • अक्टूिर 1946 र्ें ,अांिररर् सरकार द्वारा र्ोजिाओां और भनिष्ट्र् की पररर्ोजिाओां की सर्ीक्षा करिे
और उि पर नसफाररिें करिे के नलए एक र्ोजिा सला कार िोडा की स्थापिा की गई थी।

आजादी के बाद वनयोजन:

योजना आयोग–
• आजादी के िाद, र्ाचा 1950 र्ें र्ोजिा आर्ोग की स्थापिा की गई थी, जो गैर-सांिैधानिक, गैर-िैधानिक निकार् ै नजसे भारि सरकार
के एक साधारण कार्ा कारी सांकल्प द्वारा गनठि नकर्ा गर्ा था|

• र्ोजिा आर्ोग का गठि करिे िाले प्रस्िाि का दार्रा :


o प्रत्र्ेक व्र्नक्त को जीिि नििा ि ेिु आिश्र्क सांसाधिों का अनधकार ोिा चान ए।

95
o सार्दु ानर्क सांसाधिों का निर्ांत्रण एिां रखरखाि इस प्रकार ोिा चान ए जो सभी के न ि र्ें ो।
o आनथा क प्रनक्र्ा र्ें उत्पादि के साधिों एिां सांपनि पर नकसी निनिष्ट
सर्दु ार् का निर्ांत्रण िा ोकर इसर्ें सभी की भागीदारी सर्ाि ोिी
चान ए।
• ित्कालीि U.S.S.R [सांर्क्त ु सोनिर्ि सर्ाजिादी गणराज्र्] की िर ,
भारि के र्ोजिा आर्ोग िे पांचिषीर् र्ोजिा का निकल्प चिु ा।
• भारि सरकार द्वारा आिे िाले 5 िषों के नलए अपिे सभी खचो एिां आर्
से सांिांनधि दस्िािेज िैर्ार नकर्ा जािा ै।
• इसके अिस ु ार कें ि एिां राज्र् सरकारों के िजट को निम्िनलनखि भागों र्ें
निभानजि नकर्ा जािा :ै
o गैर योजनागि बजट (Non 'Planned' Budget) – इसे िावषिक आिार पर रूटीन मदो में खचि वकया जािा है।
o योजनागि बजट (Planned Budget) –इसे योजना के अंिगिि वनिािररि मदों में पंचिषीय आिार पर खचि वकया जािा
है।
• पांचिषीर् र्ोजिा के र्ाध्र्र् से सरकार, अथा व्र्िस्था र्ें दीघा कानलक स्िर पर ध्र्ाि एिां स्िक्षेप कर पािी ै। (निस्िार से पांचिषीर्
र्ोजिा को अथा व्र्िस्था र्ें किर नकर्ा गर्ा )ै
उद्देश्य
• देि के प्राकृ निक एिां र्ािि सांसाधिों की गणिा के र्ाध्र्र् से देि की उन्िनि एिां आिश्र्किा के अिस ु ार इि सांसाधिों का िे िर
उपर्ोग सनु िनिि करिा।
• देि के सांसाधिों के प्रभािी एिां सांिुनलि उपर्ोग ेिु र्ोजिा िैर्ार करिा ।
• र्ोजिा र्ें स्िीकार नकए जािे िाले कार्ा क्र्ों एिां पररर्ोजिाओां की प्राथनर्किा का निधाा रण करिा ।
• आनथा क निकास के नलए आिश्र्क कारको का निधाा रण करिा और र्ोजिा की सफलिा ेिु आिश्र्क दिाओां का निधाा रण करिा ।
• र्ोजिा के सफल नक्र्ान्िर्ि ेिु र्िीिरी की प्रकृ नि का निधाा रण करिा।
• सर्र्-सर्र् पर र्ोजिा के निकास की निगरािी करिा और इसकी सफलिा ेिु आिश्र्क निदेि प्रदाि करिा ।
• अपिे किा व्र्ों के नििा ि की सनु िधा के नलए नसफाररिें देिा र्ा र्ौजूदा आनथा क नस्थनिर्ों, ििा र्ाि िीनिर्ों, उपार्ों और निकास
कार्ा क्र्ों पर निचार करिा; र्ा कें ि र्ा राज्र् सरकार द्वारा इसे भेजे गए र्द्दु े पर नदिा निदेि प्रदाि करिा ।
राष्ट्रीय विकास पररषद -
• इसे अगस्ि 1952 र्ें स्थानपि नकर्ा गर्ा था ।
• इसकी अध्र्क्षिा प्रधािर्ांत्री द्वारा की जािी ै।
• र् भारि र्ें निकासात्र्क निषर्ों पर निणा र् लेिे िाला िीषा निकार् ै।
• र् भारि र्ें पांचिषीर् र्ोजिा को अांनिर् अिर्ु नि प्रदाि करिी ै।
कुछ महत्िपूर्ि पंचिषीय योजनाएं:

िथम योजना (1951-56) • र्ख्ु र् िल: कृ नष, र्ूल्र् नस्थरिा एिां अिसांरचिा।
• र् ैरोड डोर्र र्ॉडल पर आधाररि थी (अथा व्र्िस्था की निकास दर, सकारात्र्क िरीके
से पूांजी की उत्पादकिा दर और नििेि पर निभा र करिी ै)।

96
वद्विीय योजना (1956-61) • र्ख्ु र् िल: िीव्र औद्योनगकरण, इसे र् ालिोनिस र्ोजिा के रूप र्ें भी जािा जािा ै (कृ नष
से उद्योगों की िरफ र्ोजिागि िदलाि की िकालि)
• इसर्ें िडे और िनु िर्ादी उद्योगों पर जोर नदर्ा गर्ा। आर्ाि प्रनिस्थापि की भी िकालि
की गई।
िीसरी योजना (1961-1966) • र्ख्ु र् िल: भारी एिां आधारभूि उद्योग को उस सर्र् कृ नष र्ें स्थािाांिररि कर नदर्ा गर्ा
था।
• दो र्द्धु ों के कारण- 1962 र्ें चीि के साथ र्द्ध
ु ,और 1965 पानकस्िाि के साथ र्द्ध ु िथा
1965-66 का भीषण सूखा; इत्र्ानद के कारण र् असफल र ी।
योजना अिकाश • 1966-67, 1967-68 और 1968-69 र्ें िानषा क र्ोजिा िैर्ार की गई थी। िीि लगािार
िषों िक पांचिषीर् र्ोजिा का िैर्ार िा ोिा,नजसे र्ोजिा अिकाि के रूप र्ें सांदनभा ि
नकर्ा जािा ै।
• उस सर्र् निद्यर्ाि खाद्य सांकट की सर्स्र्ा के कारण िानषा क र्ोजिा का र्ख्ु र् िल कृ नष
पर था।
• इि र्ोजिाओां के दौराि ररि क्ाांनि की भी िरुु आि ुई नजसर्ें उच्च उत्पादकिा िाले
िीजों, रासार्निक उिा रकों, ग ि नसांचाई के उपर्ोग पर िल नदर्ा गर्ा।
चिुथि योजना (1969-74) • र्ख्ु र् िल: खाद्य पदाथों र्ें आत्र्निभा रिा प्राप्त करिा ।
• घरेलू खाद्य उत्पादि र्ें सधु ार करिा ।
• निदेिी स ार्िा पर निभा र िा र िा ।
• 1973 के पहले िेल के संकट से विदेशी मुद्रा भंडार का एक बडा भाग िेवषि हो गया ।
पांचिी योजना (1974-79) • र्ख्ु र् िल: गरीिी को सर्ाप्त करिा एिां आत्र्निभा रिा प्राप्त करिा ।
• इसका र्सौदा D.D.धर द्वारा िैर्ार और लॉन्च नकर्ा गर्ा था ।
• इस र्ोजिा को िषा 1978 र्ें सर्ाप्त कर नदर्ा गर्ा था। िषा 1978, 1979 और 1979-
1980 के नलए रोनलांग र्ोजिाएँ ििाई गई थीं ।
छठी योजना (1980-85) • र्ख्ु र् िल: गरीिी दूर करिा और उत्पादकिा िढािा ।
• िकिीकी का आधनु िकीकरण करिा ।
• इस सर्र् र् त्िकाांक्षी गरीिी नििारण कार्ा क्र्ों को अपिाकर प ली िार प्रत्र्क्ष रूप से
गरीिी की सर्स्र्ा पर प्र ार नकर्ा गर्ा था ।
साििीं योजना (1985-90) • र्ख्ु र् िल: उत्पादकिा एिां कार्ा अथाा ि् रोजगार सृजि। प ली िार सरकारी क्षेत्र की िुलिा
र्ें निजी क्षेत्र को प्राथनर्किा प्राप्त ुई।
• िीषा स्िर पर राजिीनिक अनस्थरिा के कारण 1990-1991 और 1991-1992 र्ें दो
िानषा क र्ोजिाएां िैर्ार की गई थी।
आठिीं योजना (1992-97) • र्ख्ु र् िल: र्ािि सांसाधिों के निकास को िढािा देिा ।
• इस र्ोजिा के दौराि, िई आनथा क िीनि को एलपीजी (उदारीकरण, निजीकरण और
िैश्वीकरण) के साथ िरू ु नकर्ा गर्ा था ।

97
• इस सर्र् र्ािि पूांजी एिां निजी क्षेत्र को प्राथनर्किा दी जािे लगी ।
निी योजना • र्ख्ु र् िल: न्र्ार् एिां सर्ाििा के साथ निकास ।
(1997-2002)
• इसिे चार आर्ार्ों पर जोर नदर्ा: जीिि की गणु ििा; उत्पादक रोजगार का सृजि; क्षेत्रीर्
सांिल ु ि और आत्र्निभा रिा ।
10िीं योजना (2002-07) • इसका उद्देश्र् अगले 10 िषों र्ें भारि की प्रनि व्र्नक्त आर् को दोगिु ा करिा और गरीिी
अिपु ाि को 2012 िक 15% िक कर् करिा था ।
11िीं योजना (2007-12) • र्ख्ु र् िल: िीव्र एिं अविक समािेशी समृवद्ध ।
12िीं योजना (2012-2017) • र्ख्ु र् िल: िीव्र, अनधक सर्ािेिी एिां सिि सर्ृनद्ध ।
• 2015 र्ें स्थानपि,NITI आर्ोग भारि सरकार का पॉनलसी नथांक टैंक ै।

• इसिे र्ोजिा आर्ोग को स्थािाांिररि नकर्ा।


नीवि आयोग (2017-2032)
• इसके सिि् निकास लक्ष्र्ों को प्राप्त करिा और िीचे से ऊपर ('bottom to top)
दृनष्टकोण के साथ स कारी सांघिाद को िढािा देिे जैसे दो रे उद्देश्र् ै ।
• इसकी प ल र्ें िानर्ल ैं:
(a) एक्शन प्लान - 3 सालों का
(b) रर्नीविक योजना - 7 सालों का
(c) विजन प्लान - 15 सालों का

भारिीय अथिव्यिस्था (1965-1999)

THE MID-1960S: संकट एिं िविवक्रया (CRISIS AND RESPONSE)

• 1965 एिां 1966 र्ें र्ािसूि की असफलिा के कारण िा के िल


कृ नष पर िोझ िढा िनल्क कृ नष उत्पादि र्ें भी नगरािट आई ।
• र् ांगाई की दर र्ें िीव्र िृनद्ध ुई ।
• र् ांगाई के नलए, सूखा एिां 1962 र्ें चीि के साथ एिां 1965 र्ें
पानकस्िाि के साथ ोिे िाले र्द्ध ु उिरदाई थे ।
• 1956 से 57 और आगे भगु िाि सांिुलि की नस्थनि भी खराि ो
गई ।
• खाद्य पदाथों की कर्ी एिां भगु िाि सांिल ु ि के कर्जोर ोिे के
कारण निदेिी स ार्िा पर निभा रिा र्ें िीव्र िृनद्ध ुई ।
• USA, निश्व िैंक एिां IMF भारि से अपेक्षा करिे थे नक:
o िह औिोवगक वनयंत्रर् एिं व्यापार का उदारीकरर् करे
o रुपए का अिमूल्यन करे
o नई कृवष रर्नीवि को अपनाए

98
• इस निनध को इसनलए अपिार्ा गर्ा था नक कर स्िर को िढािे के िजार् भगु िाि सांिल ु ि सांकट एिां सरकार के खचा र्ें कर्ी लाकर
राजकोषीर् घाटा को कर् नकर्ा जा सके ।
• िरुु आिी स्िर पर निम्िनलनखि पर ध्र्ाि नदर्ा गर्ा:-
o भारि की भुगिान संिुलन वस्थवि को सुदृढ़ करना
o पयािि विदेशी विवनमय भंडार बनाना
o कृवष उत्पादन को बढ़ाकर एिं खाद्य भंडारों के सज ृ न के माध्यम से खाद्य आयाि पर वनभिरिा को समाि करना
• भारि र्ें प्रर्ख
ु िानणनज्र्क िैंकों को 1969 र्ें राष्ट्रीर्कृ ि नकर्ा गर्ा था ।
• इसी िषा िडे व्र्ािसानर्क घरािों की गनिनिनधर्ों को प्रनििांनधि करिे िाले एकानधकार और प्रनििांधात्र्क व्र्ापार व्र्ि ार (MRTP)
अनधनिर्र् पाररि नकर्ा गर्ा था ।
• 1972 र्ें िीर्ा का राष्ट्रीर्करण नकर्ा गर्ा था ।
कं पनी का नाम स्थापना िषि मुख्यालय
LIC(भारिीय जीिन बीमा वनगम ) 1956 र्ांिु ई
नेशनल इंश्योरेंस कं पनी(National 1972 कोलकािा
Insurance Company)
ओररएंटल इंश्योरेंस(Oriental 1972 िर्ी नदल्ली
Insurance)
न्यू इंवडया इंश्योरेंस(New India 1972 िई नदल्ली
Insurance)
यूनाइटेड इंवडया इंश्योरेंस(United 1972 चेन्िई
India Insurance)
एम्प्लाई स्टेट इंश्योरेंस 1948 िई नदल्ली
कॉरपोरेशन(Employee State
Insurance Corporation)
वडपावजट इंश्योरेंस 1962 िई नदल्ली
कारपोरेशन(Deposit Insurance
Corporation)
न्यू वदल्ली एक्सपोटि ररक्स इंश्योरेंस 1957 िई नदल्ली
कॉरपोरेशन (New Delhi Export
Risk Insurance Corporation)

• कोर्ला उद्योग को 1973 र्ें राष्ट्रीर्कृ ि नकर्ा गर्ा था ।


• निदेिी र्िु ा निनिर्र्ि अनधनिर्र् (फे रा) 1973 र्ें पाररि नकर्ा गर्ा था, नजसिे निदेिी नििेि और भारि र्ें निदेिी कां पनिर्ों के
कार्काज पर कई प्रनििांध लगा नदए, नजससे भारि दनु िर्ा र्ें निदेिी पांज
ू ी के नलए सिसे जनटल स्थलों र्ें से एक िि गर्ा ।
FERA ACT
• र् जििरी 1974 से प्रभाि र्ें आर्ा ।
• र् निदेिी र्िु ा और प्रनिभूनिर्ों( निदेिी र्िु ा र्ें लेि-देि), आर्ाि और निर्ाा ि पर अप्रत्र्क्ष प्रभाि पडिा ै , से सांिांनधि ै ।
• इसे 1999 र्ें अटल नि ारी िाजपेर्ी की सरकार िे निरस्ि कर नदर्ा था ।

99
• इसे निदेिी निनिर्र् प्रिांधि अनधनिर्र् िे स्थािाांिररि नकर्ा नजसिे निदेिी निनिर्र् निर्ांत्रण और निदेिी नििेि पर प्रनििांधों को
उदार ििार्ा ।
• भगु िाि सांिुलि र्ें सधु ार, खाद्य सरु क्षा को सनु िनिि करिे, गरीिी-निरोधी उपार्ों को लागू करिे और िेल जैसे र् त्िपूणा आदािों के
नलए आर्ाि पर निभा रिा को कर् करिे के नलए 1960 के र्ध्र् के िाद एक रणिीनिक र्ोजिा ििाई गई थी ।
• हररि क्रांवि रर्नीवि द्वारा उत्पादकिा िाले बीजों और उििरकों एिं अन्य आगिों के उपयोग होने से खाद्य सुरक्षा सुवनविि होने
के साथ-साथ गरीबी में कमी आई ।
• सरप्लस खाद्य पदाथों का उपर्ोग करिे ुए सरकारी कार्ा क्र्ों द्वारा ग्रार्ीण रोजगार एिां आर् सनु िनिि करिे के र्ाध्र्र् से इि सांकट
िाले िषों र्ें ग्रार्ीण गरीिी सूचकाांक र्ें नगरािट आई ।
• खाद्य पदाथों र्ें आत्र्निभा रिा के साथ-साथ भारिीर् अथा व्र्िस्था की स्िार्ििा एिां आत्र्निभा रिा की नदिा र्ें निनभन्ि कदर् िढाए
गए ।
• 1980 के दिक की एक िई नििेषिा र् थी नक िए िेर्र िाजार के र्द्दु ों र्ें अभूिपिू ा िृनद्ध आई और इस सर्र् उद्योगों के नलए फां ड
के स्रोि के रूप र्ें स्टॉक र्ाके ट प्रर्ख
ु िा से उभरा ।

लंबी अिवि के पररर्ाम: सुिार की आिश्यकिा

• सांरचिात्र्क सनु िधाओां के उद्भि से सांिांनधि सर्स्र्ाओां का प ला र्द्दु ा अदक्षिा का कारण


ििा ।
• आर्ाि प्रनिस्थापि औद्योगीकरण रणिीनि घरेलू उद्योगों के सांरक्षण पर आधाररि थी नजससे
भारिीर् औद्योनगक क्षेत्र का निस्िार ुआ और िस्िुओ ां र्ें दूसरे देिों पर निभा रिा र्ें कर्ी आई।
• ालाांनक आर्ाि प्रनििांधों द्वारा घरेलू उद्योगों को अनधक सांरक्षण देिे से अदक्षिा एिां िकिीकी
नपछडेपि को िढािा नर्ला ।
• इसे लाइसेंस कोटा राज क ा गर्ा जो निर्र्, निनिर्र् एिां प्रनििांधों का र्द्दु ा था
नजससे भारिीर् उद्यनर्िा एिां ििाचार को िक ु साि ुआ ।
• कुछ उद्योगों को लघु उद्योगों र्ें आरनक्षि कर, इसर्ें अिस ु ांधाि एिां निकास के
अिसरों र्ें कर्ी आई ।
• नजससे भारि अांिराा ष्ट्रीर् स्िर पर इि उद्योगों र्ें प्रनिस्पधाा करिे र्ें सक्षर् ि ीं
ो पार्ा ।
• भारिीर् अथा व्र्िस्था र्ें प्रर्ख
ु स्थाि रखिे िाला सािा जनिक क्षेत्र अदक्षिा के
प्रर्ख
ु स्त्रोि के रूप र्ें उभरा ।
• सर्र् के साथ सािा जनिक क्षेत्र के उपक्र्ों पर राजिीनिक एिां प्रिासनिक दिाि
Picture of R K Lakshman depicting License raj
िढिे के कारण इिर्ें से अनधकाांि घाटे की नस्थनि र्ें र े । pre 1990’s
• लाइसेंनसांग, MRTP अनधनिर्र्, छोटे पैर्ािे पर आरक्षण आनद के कारण
व्र्िसार् करिा जनटल ो गर्ा ।
िषि कृवष और संबद्ध कारखाने सेिाएं
1950-51 55.9 14.9 29.2
1970-71 45.2 21.7 33.1
1980-81 38.1 25.9 36.0

100
1990-91 33.2 25.2 41.6
2006-07 20.5 24.7 54.8
2007-08 19.4 24.9 55.7
2019-2020 16.5% 29.6%. 55.3%

• 1970 के र्ध्र् दिक िक घाटे र्ें चल र ी कां पनिर्ाां सरकारी अिर्ु नि के नििा अपिा व्र्िसार् िांद ि ीं कर सकिी थी ।
• इसके कारण भारि र्ें नििेि दक्षिा र्ें कर्ी आई और कै नपटल आउटपटु अिपु ाि र्ें िृनद्ध ुई ।
• भारि प ली िीि र्ोजिाओां र्ें निन ि निर्ाा ि नस्थनि र्ें िदलाि करिे र्ें निफल र ा ।
• 1960 के र्ध्र् दिक िक भारि िे र्थोनचि प्रदिा ि नकर्ा, खदु को आिक-उन्र्ख ु , आर्ाि प्रनिस्थापि आधाररि रणिीनि पर
आधाररि नकर्ा ।
• ालाांनक भारि पूिी एनिर्ा के अिभु िों की र्ौजूदगी के िािजूद निश्व र्ें उत्पन्ि ोिे िाले िए अिसरों से लाभ प्राप्त करिे र्ें असफल
र ा।
• िए िगों के उदर् िे राज्र् के सांसाधिों पर र्जिूि, स्पष्ट र्ाांग उत्पन्ि की ।
• ालाांनक सरकार इि र्ाांगो को पूरा करिे र्ें असफल र ी। इसके पररणार्स्िरूप 1970 के दिक के र्ध्र् से राजकोषीर् उदारिा नस्थनि
धीरे-धीरे सर्ाप्त ो गर्ा ।
• सनधसडी और अिदु ािों, दक्षिा र्ा आउटपटु को देखे नििा िेिि-िृनद्ध, अनधक कानर्ा क रखिा ,ऋण छूट जैसे लोकलभु ािि उपार्ों
द्वारा सरकारी खचा र्ें ोिे िाली िृनद्ध र्ें राजकोषीर् नििेक ीििा पररलनक्षि ोिी ै ।

• सरकार के िचि एिां नििेि के िीच र्ें िढिे िाले अांिर और राजकोषीर् घाटा के कारण भगु िाि सांिुलि एिां ऋण की नस्थनि पर
िकारात्र्क प्रभाि पडा ।
• प्रत्र्क्ष निदेिी नििेि (एफडीआई) के नखलाफ पूिाा ग्र , निदेिी इनक्िटी पूांजी के िजार् निदेिी ऋण पर अत्र्नधक निभा रिा का कारण
ििा नजससे ऋण िोझ र्ें िृनद्ध ुई ।
• भारि का निदेिी र्िु ा भांडार 1980-81 के 5.85 निनलर्ि डॉलर से घटकर 1989-90 र्ें $ 4.1 निनलर्ि ो गर्ा, और अगले साल
(1990-91) र्ें लगभग आधे से अनधक नगरकर 2.24 निनलर्ि डॉलर िक आ गर्ा जो के िल एक र् ीिे के आर्ाि के नलए पर्ाा प्त था

• भारि की अांिराा ष्ट्रीर् क्े नडट रेनटांग र्ें िीव्र नगरािट आई नजससे उसे निदेिों से उधार लेिा र्नु श्कल ो गर्ा ।
• इस सांकट िे भारि को आनथा क सधु ार एिां सांरचिात्र्क िदलाि ेिु प्रेररि नकर्ा ।

101
1991 से आवथिक सिु ार

पृष्ठभूनर्

• आनथा क सांकट को 1980 के दिक र्ें भारिीर् अथा व्र्िस्था र्ें खराि प्रिांधि से र्ािा जा सकिा ै। 1980 के अांनिर् दिक र्ें सरकार
का खचा उसके राजस्ि की िल ु िा र्ें अनधक ो गर्ा।
• मुद्रास्फीवि बढ़ रही थ।, वनयािि से अविक आयाि हो गया एिं विदेशी मुद्रा भंडार इस हद िक वगर गया था वक यह के िल 2
सिाह के आयाि के वलए ही पयािि था ।
• इसके साथ-साथ अांिरराष्ट्रीर् स्िर पर उधार नलए गए ऋण ेिु धर्ाज देिे के नलए अपर्ाा प्त निदेिी भांडार था ।
• अथा व्र्िस्था की इस नस्थनि को दूर करिे के नलए भारि िे निश्व िैंक और IMF से सांपका नकर्ा और सांकट को प्रिांनधि करिे के नलए
ऋण के रूप र्ें $ 7 निनलर्ि प्राप्त नकए। िदले र्ें र्े सांस्थाि चा िे थे नक भारि कई क्षेत्रों के प्रनििांधों को टाकर अथा व्र्िस्था को
खोले और कई क्षेत्रों र्ें सरकार की भूनर्का को कर् करे और व्र्ापार प्रनििांधों को टा दे ।
• भारि के पास कोई निकल्प ि ीं िचा था और उसिे इि नस्थनिर्ों को स्िीकार करिे ुए िई आनथा क िीनि की घोषणा की ।
• इस िीनि का प्रर्खु उद्देश्र् निजी उद्योगों की स्थापिा पर लगे ुए प्रनििांधों को टािा और अथा व्र्िस्था को अनधक प्रनिस्पधी ििािा
था ।
• इि सधु ारों को दो भागों र्ें निभानजि नकर्ा जा सकिा ै:

आधथषक सुधार

जस्थर करण उपाय सिंरचनात्मक सुधार उपाय

• सरकार िे उदारीकरण, निजीकरण और िैश्वीकरण के अांिगा ि निनभन्ि िीनिर्ों को िरू


ु नकर्ा। प ली दो रणिीनिक िीनिर्ाां ैं और
अांनिर् इि िीनिर्ों का पररणार् ै।

नई आवथिक नीवि 1991-

नई आधथषक नीतत

उदार करण वैश्वीकरण तनजीकरण

102
उदारीकरण िैश्वीकरर् निजीकरण
➢ कुछ उत्पाद श्रेवर्यों – शराब, वसगरेट, ➢ सरकार िे निनभन्ि सरकारी स्िानर्त्ि ➢ िैश्वीकरण, उदारीकरण एिां
खिरनाक रसायन उद्योगों, महंगे िाले उद्यर्ों के स्िानर्त्ि और प्रिांधि निजीकरण जैसी िीनिर्ों का
इलेक्रॉवनक्स, एयरोस्पेस दिाओं और को कर् कर नदर्ा/ िेच नदर्ा था | पररणार् ै ।
फामािस्यूवटकल्स को छोडकर लगभग .
सभी के वलए औद्योवगक लाइसेंस समाि
कर वदया गया था ।
➢ सािा जनिक क्षेत्र के नलए आरनक्षि उद्योगों र्ें
के िल रक्षा उपकरण, परर्ाणु ऊजाा
उत्पादि और रेलिे पररि ि र गए। कई
उद्योगों र्ें, िाजार को कीर्िें निधाा ररि करिे
की अिर्ु नि दी गई ै ।
➢ वित्तीय क्षेत्र में सुिार ➢ सरकार िे PSU's के िेर्रों को ➢ िैश्वीकरण अांिरनिभा रिा एिां
o नििीर् क्षेत्र र्ें सधु ार का र्ख्ु र् उद्देश्र् िेचकर निनििेि िरू ु नकर्ा । सर्न्िर्िा को िढािा देिा ै ।
आरिीआई को रेगल ु ेटर से ➢ इसका उद्देश्र् नििीर् अििु ासि र्ें ➢ र् आनथा क, सार्ानजक एिां
फै नसनलटेटर ििािा था। सधु ार करिा एिां आधनु िकीकरण को भौगोनलक सीर्ाओां को कर् करिे
o इस नदिा र्ें आरिीआई से सला िढािा देिा था । के नलए िेटिका िैर्ार करिा ै।
नलए नििा नििीर् क्षेत्र को निणा र् लेिे ➢ सरकार िे PSUs को प्रिांधकीर् इसका प्रर्ख
ु उदा रण
का अनधकार नदर्ा जा सकिा था। निणा र् लेिे र्ें स्िार्ििा देिे के र्ाध्र्र् आउटसोनसिंग ै। जैसे BPOs
o इि सधु ारों के कारण निजी क्षेत्र के से इिकी दक्षिा र्ें सधु ार का प्रर्ास
िैंकों की स्थापिा ुई, FII पर कुछ नकर्ा ।
ििों के साथ निदेिी िैंकों का प्रिेि,
जैसे नक व्र्ापारी िैंकर, म्र्ूचअ ु ल फां ड
और पेंिि फां ड को भारिीर् नििीर्
िाजारों र्ें नििेि करिे की अिर्ु नि
ि ीं थी।
• कर सुिार – • िैश्वीकरण निनभन्ि पररणार्ों का
o 1991 के िाद से, व्र्नक्तगि आर् पर नर्नश्रि िैग ै। एक िरफ र्
करों र्ें लगािार कर्ी आई ै। िैनश्वक िाजार एिां िकिीकीर्ों िक
o निगर् कर की दर घटा दी गई; प ुांच प्रदाि करिा ै ।
आर्कर का भगु िाि करिे के नलए • दसू री िरफ निकनसि देि, अन्र्
प्रनक्र्ाओां का सरलीकरण भी िरू ु देिों र्ें अपिे िाजार का निस्िार
नकर्ा गर्ा था। कर सकिे ैं ।
• र् ध्र्ाि रखिे र्ोग्र् िाि ै नक
िाजार सांचानलि िैश्वीकरण, राष्ट्रों
एिां लोगों के िीच आनथा क
असर्ाििा को िढािा देिा ै ।
• विदेशी विवनमय सुिार -

103
o प्रारांभ र्ें निदेिी र्िु ाओां के र्क
ु ािले
रुपर्े का अिर्ूल्र्ि नकर्ा गर्ा था।
o इससे निदेिी र्िु ा के प्रिा र्ें िृनद्ध
ुई।
o अि सार्ान्र्िा र्ाांग एिां आपनू िा के
आधार पर निनिर्र् दरों का निधाा रण
ोिे लगा।
• व्यापार एिं वनिेश नीवि सुिार:
o स्थािीर् उद्योगों की दक्षिा को िढािा
देिे , आधनु िक प्रौद्योनगकी को
अपिािे, औद्योनगक प्रनिस्पधाा को
िढािा देिे के नलए, अथा व्र्िस्था र्ें
निदेिी नििेि को िढािा नदर्ा गर्ा।
o खिरिाक और पर्ाा िरण के प्रनि
सांिेदििील उद्योगों को छोडकर
आर्ाि लाइसेंस को सर्ाप्त कर नदर्ा
गर्ा।

राजकोषीय सुिारों की िवक्रया और पररर्ाम -

104
“ त्िररि राजकोषीय सिु ार” के रूप में, सिु ारों की िवक्रया 1991 में शरू
ु हुई -
• विवनमय दर को बाजार से जोडकर और भी अविक िावकि क बनाना ।
• व्यापार और औद्योवगक वनयंत्रर् का उदारीकरर्, जैसे- आर्ाि िक
र्क्त
ु प ुांच ।
• औद्योवगक लाइसेंवसंग िर्ाली और MRTP अविवनयम का उन्मूलन
विचारर्ीय है।
• सािा जनिक क्षेत्र र्ें सधु ार नजसर्ें क्नर्क निजीकरण भी िानर्ल ै ।
• पूंजी बाजारों और वित्तीय क्षेत्र र्ें सधु ार ।
• िविभूवि बाजार के विवनयमन हेिु 1992 में सेबी (SEBI) की स्थापना
की गई ।
• बहुराष्ट्रीय कॉपोरेशनों और विदेशी वनिेश से ि ुि सारे प्रनििांधों को टा
कर उिका स्िागि नकर्ा गर्ा, नििेषिः निदेिी प्रत्र्क्ष नििेि का ।
• भारि की GDP दर जो सांकट के िषा 1991–92 में 0.8 % िक वगर गई
थी, उसमें िुरिं सुिार के पिाि् 1992–93 िक िह 5.3% हो गई। और
इसमें पुनः िृवद्ध के पिाि् 1993– 94 िक यह 6.2% िक पहुचं गई ।
• पूांजीगि िस्िु क्षेत्र, नजसर्ें िीिे कुछ िषों से िकारात्र्क िृनद्ध देखी जा र ी
थी, पनु ः िवृ द्ध के पिाि् 1994–95 में लगभग 25% िक की िवृ द्ध दर देखी गई ।
• कें ि सरकार का राजकोषीर् घाटा जो िषा 1990–91 में GDP का 8.3% पहुचं गया
था, िह 1992-97 के बीच घटकर लगभशग 6% िक पहुचं गया ।
• इसके साथ ी िा री क्षेत्र र्ें भी सधु ार देखिे को नर्ला। वनयािि, वजसमें 1991-92 के
दौरान 1.5% (डॉलर में) की वगरािट दजि की गई, उसमें जल्द ही सुिार वदखा और
1993-96 के बीच इसमें लगभग 20% की िवृ द्ध दर बनी रही ।
• कुल निदेिी ऋण जो 1991–92 में GDP के शीषि 41% था, वगरकर 1995–96 में
28.7 % ो गर्ा।
• गरीबी के अनेक संकेिकों के आिार पर गर्ना करने से पिा चलिा है, वक
के िल 1992–93 में गरीबी, (मुख्य रूप से ग्रामीर् गरीबी) में अत्यविक उछाल
देखा गया। इसका कारर् मख्ु य रूप से सख ू ा और 1991–92 में खाद्यान्न
उत्पादन में होने िाली वगरािट थीं । अंििः खाद्यान्न की कीमिों में हुई िृवद्ध
और कमजोर वस्थरीकरर् ने कायिक्रम को नकारात्मक रूप से िभाविि वकया ।
• ालाांनक, गरीिी के सभी सांकेिक दिाा िे ैं नक 1993–94 िक गरीिी की नस्थनि र्ें
अत्र्नधक सधु ार ुआ ।
• 1993–94 िक सरकार द्वारा समग्र सामावजक सेिा और ग्रामीर् विकास व्यय
में िृवद्ध की गई वजससे गरीबी की वस्थवि में सुिार हुआ ।
• िानषा क र् ांगाई दर जो अगस्ि 1991 र्ें अपिे उच्चिर् स्िर 17% िक प ुांच गई
थी 1996 र्ें घटकर 5% से कर् र गई ।
महत्िपूर्ि आवथिक विकास

105
PL-480 कायिक्रम-
• यह पवब्लक लॉ 480 से सांिांनधि ै, इसे फूड फॉर पीस के िार् से भी जािा जािा ै। र् निदेिी स ार्िा के द्वारा खाद्यान्ि उपलधध
करािे ेिु अर्ेररका द्वारा निि पोनषि कार्ा क्र् था। इस कार्ा क्र् पर राष्ट्रपवि वडिाइट डीआइजनहािर (Dwight D.
Eisenhower) द्वारा स्िाक्षर नकए गए नजसे सार्ान्र्िः पी एल के िार् से भी जािा जािा ै।
• इसके अांिगा ि गरीि देि अपिी र्िु ा र्ें अर्ेररका को भगु िाि कर सकिे थे। इस कार्ा क्र् से भारि निदेिी खाद्यान्ि आपनू िा पर
अत्र्नधक निभा र ो गर्ा, नजसिे अांिि: खाद्य सरु क्षा की आिश्र्किा उत्पन्ि ुई ।
• अिर्ूल्र्ि और ’निप टू र्ाउथ‘(खाद्यान्ि की कर्ी के कारण, ज ाजों द्वारा लाए गए भोजि को सीधे भूखे लोगों िक प ुांचािा) को
स्िीकार करिे का र्द्दु ा भी अलोकनप्रर् र ा और इसके कारण श्रीर्िी गाांधी की अत्र्नधक आलोचिा ुई ।
• इस प्रकार की प्रत्र्ेक घटिा िे घाटे र्ें िृनद्ध की और र्िु ास्फीनि र्ें प ले से ी ुई िृनद्ध को और भी अनधक िढार्ा, इसके अनिररक्त
निश्व िैंक िे भी भारि को दी जािे िाली प्रस्िानिि स ार्िा र्ें कटौिी कर दी ।
• भारि सरकार द्वारा िढिी र्िु ास्फीनि से निपटिे ेिु कदर् उठाए गए परांिु र् नस्थनि अत्र्नधक अलोकनप्रर् ुई और नजसिे सरकार
और लोगों के िीच अनिश्वास की नस्थनि पैदा की ।
• भारि िे अपिी PL- 480 की गलनिर्ों से जल्द ी सीख ली ।
• इसके पररणार्स्िरूप भारि िे र्ेनक्सको से 18,000 HYV िीज आर्ाि नकए और इस नदिा र्ें एक िई िरुु आि की िींि रखी नजसे
“ ररि क्ाांनि “िार् नदर्ा गर्ा ।
• ििा र्ाि र्ें भारि ि के िल कृ नष उत्पादि र्ें आत्र्निभा र ै िनल्क र् कृ नष उत्पादि का िद्ध ु निर्ाा िक भी ै।
साििजवनक वििरर् िर्ाली(PDS)-
• PDS एक खाद्य सरु क्षा िंत्र है, वजसे भारि में जनू 1947 में लॉन्च वकया गया। इसे उपभोिा मामलों, खािे और साििजवनक
वििरर् मंत्रालय के अंिगिि स्थावपि वकया गया, िथा साथ ही इसे राज्य सरकारों द्वारा संयुि रूप से िबंविि वकया जािा है।
इस योजना के अंिगिि सवब्सडी दरों पर खाद्यान्न और गैर- खाद्य िस्िुओ ं का वििरर् वकया जािा है ।
• सवब्सडी िाले खाद्यान्न िस्िुओ ं का वििरर् उवचि मूल्य िाली दुकानों/राशन की दुकानों के माध्यम से वकया जािा है।
• ज ाां खाद्यान्ि िस्िुओ ां र्ें गे ूां, चािल, चीिी िानर्ल ैं, ि ी गैर खाद्य िस्िुओ ां र्ें नर्ट्टी का िेल (kerosene) िानर्ल ै।
• PDS का रखरखाि फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंवडया (FCI) द्वारा वकया जािा है ।
• जूि 1992 र्ें, इसे संशोविि PDS (Revamped PDS- RPDS) के रूप र्ें पररिनिा ि कर देि के 1775 धलॉकों र्ें लॉन्च नकर्ा
गर्ा ।

106
• इसके 5 िषा पिाि् प्रर्ोजि PDS (Targeted PDS- TPDS) को लाांच नकर्ा गर्ा। PDS, खाद्यान्ि कीर्िों और खाद्यान्ि की
उपलधधिा को नस्थर करिे र्ें स ार्क नसद्ध ुआ ।
• परांिु ि ीं दूसरी ओर िांत्र र्ें दक्षिा का अभाि, निपरीि र्ौसर् सांिांधी पररनस्थनिर्ाां और अनिर्नर्ि निगरािी के कारण खाद्यान्ि खराि
ो जािा ै ।
• ििा र्ाि पररदृश्र् र्ें PDS को भोजन का अविकार अविवनयम, 2013 (Right to Food Act, 2013) के अांिगा ि िानर्ल नकर्ा
गर्ा ै। अथाा ि ििा र्ाि र्ें र् एक कानूनी अविकार ै ।
वििी पसि का उन्मूलन (Abolition of Privy Purse) –
• राज्र्ों के एकीकरण के सर्र् इस कदर् की थोडी ि ुि आलोचिा भी ुई, क्र्ोंनक र्ख्ु र् उद्देश्र् समेकन और एकीकरर् की िवक्रया
था ।
• िासकों को नदए गए नििेषानधकार, िास्िनिक रूप र्ें, भारि के सांनिधाि र्ें
नदए गए सर्ाििा और आनथा क और सार्ानजक न्र्ार् के नसद्धाांिों के निरुद्ध
थे ।
• आगे चलकर िषा 1971 र्ें इांनदरा गाांधी िे देि र्ें वििी पसि के उन्मल
ू न का
िस्िाि रखा ।
• सांिैधानिक (26 िाां सांिोधि) अनधनिर्र्, 1971 (Constitutional
(Twenty Sixth Amendment) Act, 1971) के सफलिापूिाक पाररि
ोिे के साथ ी वििी पसि का उन्मूलन हुआ ।
• उन्मल ू न के पीछे िकि , सरकार का राजस्ि घाटे में कमी लाने की
आिश्यकिा थी ।
गरीबी हटाओ-
• 1971 के चिु ाि के दौराि इंवदरा गांिी द्वारा “गरीबी हटाओ देश बचाओ” का िारा नदर्ा गर्ा ।
• इस िारे को समाज के गरीब और हावशए पर वस्थि िगि, विशेषिः िंवचि िगों िक सीधी प ुांच स्थानपि करिे ेिु नदर्ा गर्ा था ।
• यह पंचिषीय योजना का वहस्सा था ।
• इांनदरा गाांधी के राजिीनिक निरोनधर्ों द्वारा ‘इंवदरा हटाओ’ अनभर्ाि चलार्ा गर्ा, जिनक इांनदरा गाांधी िे इसे ’गरीबी हटाओ' िारे के
साथ दो रार्ा ।
• इस िारे का भारि की जििा पर अत्र्नधक प्रभाि पडा और अि इांनदरा गाांधी को भारि के उद्धारक के रूप र्ें देखा जािे लगा ।

107
अध्याय -5 स्ििंत्रिा के बाद के इविहास में महत्िपर्
ू ि मद्दु े
शास्त्री युग
िस्िािना:
• िे रू की र्ृत्र्ु िे भारिीर् राजिीनिक व्र्िस्था के सार्िे एक चिु ौिी खडी कर दी थी। उिरानधकार के र्द्दु े पर भारिीर् राजिीनिक
व्र्िस्था और काांग्रेस र्ें उथल-पथु ल के अंतर्विरोध की भनिष्ट्र्िाणी को पररपक्ि िरीके से सल ु झािा भारिीर् लोकिांत्र की िाकि को
दिाा िा ै|
• काांग्रेस िेिाओां का एक सर्ू नजसे नसांनडके ट के िार् से जािा जािा था, के र्दशा र्िदेशि में उत्तरार्धकार संबंधी समस्याओं का
समाधाि र्कया गया ।
• 1963 में गर्ित इस समूह में कांग्रेस के अध्यक्ष और क्षेत्रीर् पाटी के िेिा के . कामराज, बंगाल के अतुल्य घोष, िॉम्िे के एस. के . पार्िल,
आंध्र प्रदेश के एि. संजीव रेड्डी और मैसरू (किाि िक) के एस. र्िजर्लंगप्पा िानर्ल थे।
• जि उन् ें िास्त्री और र्ोरारजी देसाई के िीच चिु ाि करिा था, िो उन् ोंिे िास्त्री को अनधक सर्था ि नदर्ा, क्र्ोंनक अन्र् गणु ों के
अलािा, पाटी र्ें उिकी व्र्ापक स्िीकार्ा िा थी जो पाटी को एकजटु रखिे र्ें र्दद करिी।
• पाटी साांसदों द्वारा सांसदीर् िेिा के रूप र्ें निनिा रोध चिु े गए िास्त्री जी िे 2 जूि, 1964 को प्रधािर्ांत्री के रूप र्ें िपथ ली।
ििानमंत्री के रूप में शास्त्री जी:
• इांनदरा गाांधी को सचू िा और प्रसारण र्ांत्री के िौर पर र्ांनत्रर्ांडल र्ें िानर्ल करिे के अलािा िास्त्री जी िे िे रू र्ांनत्रर्ांडल र्ें कोई िडा
िदलाि ि ीं नकर्ा।
• उिके अधीि कै नििेट र्ांनत्रर्ों िे अनधक स्िार्ििा से कार् नकर्ा। उन् ोंिे पाटी के र्ार्लों र्ें र्ा राज्र् सरकारों के कार्काज र्ें भी
कभी स्िक्षेप ि ीं नकर्ा।
शास्त्री के ििानमंवत्रत्ि काल में भारि के सामने आने िाली समस्याएं :
• 1965 र्ें न ांदी ििार् अांग्रेजी की आनधकाररक भाषा की सर्स्र्ा जोरो से उठी।
• पांजािी सूिा (राज्र्) और र् ाराष्ट्र के साथ गोिा के निलर् की र्ाांग को भी जोर नर्ला।
• आवथिक समस्याएं:
o भारिीर् अथा व्र्िस्था नपछले कुछ िषों से नस्थर ििी ुई थी।
o औद्योनगक निकास दर र्ें र्ांदी आई िथा भगु िाि सांिुलि की समस्या िदिर ो गई।
o सिसे गांभीर सर्स्र्ा अन्ि की कर्ी थी। कृ नष उत्पादि कर् ो गर्ा था, 1965 र्ें कई राज्र्ों र्ें भर्ांकर सूखा पडा िथा िफर
खाद्य भांडार जोनखर्पणू ा स्िर िक कर् ो गए थे।
• आलोचकों िे क ा नक सरकार िे उि सर्स्र्ाओां पर सोच समझकर काम ि ीं नकर्ा, उन् ोंिे इसके िजार् ि ाि की िीनि(drift
theory) का पालि नकर्ा ।
• स्पष्ट रूप से, उस नस्थनि से निपटिे के नलए दीघा कानलक उपार्ों की आिश्र्किा थी लेनकि उन् ोंिे ऐसा िहीं र्कया, नििेष रूप से
खाद्य अिाज-अनधिेष रखिे िाले राज्र्ों के र्ख्ु र्र्ांनत्रर्ों िे स र्ोग करिे से इिकार कर नदर्ा।
• भारि-पाक र्द्ध ु के कारण अर्ेररका िे सभी खाद्य अिदु ािों को निलांनिि कर नदर्ा था। सरकार को िैधानिक रािि देिे के नलए िाध्र्
नकर्ा गर्ा लेनकि इसर्ें के िल साि प्रर्खु ि रों को ी िानर्ल नकर्ा गर्ा।
• सरकार िे जििरी 1965 र्ें राज्र् खाद्य व्र्ापार निगर् की भी स्थापिा की, लेनकि र् पर्ाा प्त र्ात्रा र्ें खाद्यान्ि उपलधध करािे र्ें
सफल ि ीं ो पार्ी।

108
• ालाांनक, एक सकारात्र्क उपलनधध यह थी र्क कृ नष उत्पादि िढािे िथा दीघा काल िक खाद्यान्ि र्ें आत्र्निभा रिा ानसल करिे के
उद्देश्र् से ररि क्ाांनि की िरुु आि की गई थी।
शास्त्री जी की अवभिृवत्त तथा सत्ता में पररिििन:
• िरू
ु आि र्ें आलोचकों द्वारा िास्त्री पर निणा र् ि लेिे तथा सरकारी िीनिर्ों को नदिा देिे र्ें निफल र िे र्ा अपिे कै नििेट स र्ोनगर्ों
का िेिृत्ि करिे और निर्ांनत्रि करिे र्ें निफल र िे का आरोप लगार्ा गर्ा था।
• ालाांनक, सर्र् िीििे के साथ, िास्त्री िे स्िर्ां को अनधक स्िािलांिी नदखािा िथा र्ख ु र करिा िरू
ु कर नदर्ा था।
• उिरी निर्ििार् पर अर्ेररकी िर्िारी की आलोचिा करिे िालों र्ें सिसे प ले भारि की सरकार थी।
• िास्त्री जी िे भी र्ांत्रालर्ों से स्ििांत्र, िीनिगि र्ार्लों पर प्रधािर्ांत्री को सूचिा और सला देिे के स्रोि के रूप र्ें अपिे प्रधाि र्ांत्री
सनचिालर् की स्थापिा की, नजसके प्रर्ख ु एल.के . झा थे।
• सनचिालर्, नजसे प्रधािर्ांत्री कार्ाा लर् (पीएर्ओ) के रूप र्ें जािा जािा ै, िे सरकारी िीनिर्ाां ििािे िथा उिके नक्र्ान्िर्ि र्ें ि ुि
अनधक प्रभाि और िनक्त प्राप्त करिा िरू ु कर नदर्ा।
भारि के एकीकरण में शास्त्री जी की भूममका:
• उिके सैन्र् कौिल का प्रदिा ि, कश्र्ीर पर पानकस्िाि के र्ले से निपटिे र्ें स्पष्ट नदखाई देता था।
• िास्त्री िे िरू ु से ी भारि की रेड लाइि (red lines) को स्पष्ट करिे के र्लए सांसद र्ें भाषणों के र्ाध्र्र्
से सीर्ा पर पानकस्िािी र्ांसूिा का जिाि नदर्ा।
सुरक्षा • ि राष्ट्रपनि खाि को र् सर्झािे के नलए दृढ सांकल्प थे नक "भारि को पानकस्िािी क्षेत्र का एक िगा इांच
भी ानसल करिे की कोई इच्छा ि ीं ै, लेनकि कश्र्ीर र्ें पानकस्िाि द्वारा नकसी भी िर के स्िक्षेप की
अिर्ु नि भी ि ीं दी जाएगी।
• 1965 के यद्ध ु के उिके सफल संचालि िे भारत को एक उर्चत सैन्य ढांचा र्दया िथा 1962 की तुलिा
में भारत की सैन्य खर्ु फया क्षमता को और अर्धक सक्षम बिाया।
• उन् ोंिे स्िक्षेप के नलए र्एू िएससी से सांपका ि ीं नकर्ा, उन् ोंिे दनु िर्ा के सामिे दो रार्ा नक कश्र्ीर एक
अंिरािष्ट्रीय नद्वपक्षीर् र्द्दु ा ै िथा इसर्ें िैनश्वक िनक्तर्ों की भागीदारी की आिश्र्किा ि ीं थी। इसिे िैनश्वक राजिीनि
र्ें भारि के दृढ और असमझौतावादी कूटिीनिक रिैर्े का र्ांच िैर्ार नकर्ा।
• देि को एकजिु करिे का उिका "जय जवाि जय र्कसाि" का आह्वाि देश के सच्चे उद्धारकताि ओ,ं र्कसािों
और सैर्िकों को एकजिु करिे में बहुत मददगार था िथा उसिे भारत के सभी िागररकों से उिका समथि ि
कृवष करिे का आह्वाि र्कया।
• प्रधाि र्ांत्री िे र् सूस नकर्ा नक निरांिर सूखे के िाद भारि की खाद्य सरु क्षा जरूरिों को प्राथनर्किा नदर्ा
जािा आिश्र्क ै। इसनलए, उन् ोंिे ररि क्ाांनि को िढािा नदर्ा िथा राष्ट्र को खाद्यान्ि र्ें आत्र्-नििाा
के पथ पर रखा।
• िरुु आिी झटकों के िािजदू , उन् ोंिे दनक्षणी राज्र्ों र्ें भाषार्ी सर्स्र्ाओां को ल करिे र्ें र्दद की िथा
यह सर्ु िर्ित र्कया नक सरकार अांग्रेजी को भाषा के रूप र्ें इस्िेर्ाल करिा जारी रखे िथा उि पर न ांदी ि
राजनीविक थोपी जाए।
• गृ र्ांत्री के रूप र्ें अपिे कार्ा काल के दौराि, उन् ोंिे असर् और पांजाि राज्र् र्ें सभी िगों के लोगों की
स्िीकार्ा िा के आधार पर प्रनसद्ध "िास्त्री फॉर्ा ूला" ििार्ा।

109
• लाल ि ादरु िास्त्री िे रेल र्ांत्री के रूप र्ें अपिे कार्ा काल र्ें रेलिे के उन्िर्ि और निद्यिु ीकरण की
आवथिक पररर्ोजिाओां की िरुु आि की। र् भारि र्ें रेलिे के आधनु िकीकरण की नदिा र्ें उठार्ा गर्ा प ला कदर्
था।

आलोचना:
• पानकस्िाि से निपटिे के र्लए नकए गए िािकां द सर्झौिे से िा र आिे र्ें असर्था िा।
• िरू
ु आि र्ें आलोचकों द्वारा िास्त्रीजी पर निणा र् ि लेिे िथा सरकारी िीनिर्ों को नदिा देिे र्ें निफल र िे र्ा अपिे कै नििेट स र्ोनगर्ों
का िेिृत्ि करिे और निर्ांनत्रि करिे र्ें निफल र िे का आरोप लगार्ा गर्ा था।
• ालाांनक, सर्र् िीििे के साथ, िास्त्रीजी िे स्िर्ां को अनधक स्िािलांिी नदखािा िथा र्ख ु र करिा िरू ु कर नदर्ा था।
शास्त्री जी द्वारा जय जवान जय मकसान का नारा:
• प्रधाि र्ांत्री लाल ि ादरु िास्त्री िे 1965 र्ें एक सािा जनिक रैली के दौराि र् िारा नदर्ा था| इस िारे िे उस भारि को ि ुि प्रभार्वत
र्कया जो एक तरफ सीर्ा पर पानकस्िाि (जर् जिाि) से लड र ा था िथा दूसरी तरफ घर (जर् नकसाि) पर अन्ि की भारी कर्ी से
जूझ र ा था।
इस नारे का महत्व:
• सरकार िे नकसािों और सैनिकों के र् त्ि को प चािा िथा स्िर्ां एक निणाा र्क भूनर्का निभाकर उन् ें प्रोत्सान ि नकर्ा।
• इसका उद्देश्र् सीर्ा पर लडिे िाले सैनिकों का र्िोिल िढािा िथा नकसािों के श्रर् को स्िीकार करिा था।
• इस िारे िे र्कसािों तथा सैर्िकों को एक बडा मिोवैज्ञार्िक प्रोत्सा ि र्दया।
• श्वेि क्ाांनि पर कें ि सरकार के द्वारा AMUL का गठि नकर्ा गर्ा। राष्ट्रीर् डेर्री निकास िोडा (NDDB) की स्िार्ििा राष्ट्रीर् ििाचार
सांस्थाि सन ि कई अन्र् सांगठिों के नलए एक सांस्थागि सांस्थाि िि गई ै। उस अथा र्ें, िास्त्री जी एक र् ाि सांस्थाि निर्ाा िा थे।
• र् िास्त्री जी का निणाा र्क िेिृत्ि था नजसिे भारि की र्स्थर्त को मजबूत करिे र्ें र्दद की। उन् ोिें पनिर्ी पानकस्िाि पर आक्र्ण
करिे का सा नसक कदर् उठािे का आदेि नदर्ा।
• जि खाद्यान्ि उत्पादि र्ें 1/5 की कर्ी आई, िो खाद्य स ार्िा िे भारि को िडे पैर्ािे पर भुखर्री से िचार्ा। इस कर्ी को दूर करिे
के नलए, िास्त्री िे नििेषज्ञों से दीघा कानलक रणिीनि िैर्ार करिे के नलए क ा। उन् ोंिे ररि क्ाांनि िथा श्वेि क्ाांनि दोिों का र्ागा दिा ि
देिे र्ें र् त्िपूणा भूनर्का निभाई।
• उन् ोंिे भारिीर् कृ नष अिस ु ांधाि पररषद की स्थापिा र्ें र्दद की िथा फसल उत्पादकिा िढािे के नलए सांकर िीजों का प्रर्ोग नकर्ा।
• िाद र्ें पीएर् अटल नि ारी िाजपेर्ी द्वारा इस िारे को बदल र्दया गया तथा निज्ञाि एवं प्रौद्योर्गकी के महत्व को रेखांर्कत करिे के
र्लए "जय जिान जय वकसान जय विज्ञान"का िारा नदर्ा।
इंवदरा गांिी का काल:

पररचय:
िास्त्री जी की र्ृत्र्ु के पिाि् उिरानधकारी का पद ररक्त ो गर्ा था, लेनकि पिु ः नसांनडके ट िे इांनदरा गाांधी का सर्था ि नकर्ा िथा ररक्त पद
को पूरा कर र्दया।
भारि की ित्कालीन समस्याएं :
• पांजाि र्ें अिनु चि गनिनिनधर्ाां जोरों पर थी िथा िागा एिां नर्जो के क्षेत्रों र्ें भी नििो आरम्भ ो गर्ा था।

110
• प्रिासि के प्रनि जििा र्ें अनिश्वास िढ र ा था।
राजनीविक:
• गो त्र्ा पर पूणा प्रनििांध जैसी र्ाांगों को लेकर साांप्रदानर्क िाकिें अपिे चरर् पर थीं।
• सांसद र्ें लगािार अिाांनि और अििु ासि ीििा के साथ कुछ निपक्षी सदस्र्ों िे सांसदीर् र्र्ाा दा की पूणा
अि ेलिा की।
• अथा व्र्िस्था को र्ांदी िथा निर्ाा ि और औद्योनगक उत्पादि र्ें नगरािट का सार्िा करिा पडा।
• भर्ांकर सूखे के कारण र्िु ास्फीनि और भोजि की गांभीर कर्ी ो गई।
आवथिक:
• िजट घाटा िढ र ा था, जो चौथी पांचिषीर् र्ोजिा को सांकट र्ें डाल र ा था।
• 1962 और 1965 के यद्ध ु ों िथा पार्कस्ताि-चीि धरु ी के कारण सैन्य खचों और संसाधिों के र्वभाजि में
िीव्र वृर्द्ध हुई।
• निकास का पांज ू ीिादी स्िरूप आनथा क निषर्िा िढा र ा था।
• पीएल-480 स ार्िा कार्ा क्र् के ि ि अर्ेररका से गे ूां के आर्ाि पर भारि अपिी खाद्य सरु क्षा के नलए
विदेशी मामले: काफी निभा र था।
• निश्व िैंक िथा अांिराा ष्ट्रीर् र्िु ा कोष द्वारा आनथा क स ार्िा की ित्काल आिश्र्किा थी।

इंवदरा गांिी सरकार की िविवक्रयायें:


1. राजनीविक:
• उन् ोंिे पांजािी सिू े की र्ाांग को प्रभािी ढांग से निपटार्ा िथा िागा और नर्जो नििोन र्ों से िािचीि करिे की इच्छा नदखाई एिां
िागा नििोन र्ों की स्िार्ििा की र्ाांग को स्िीकार नकर्ा।
• गो त्र्ा पर प्रनििांध की र्ाांग के निरुद्ध अनडग र ीं।
2. आवथिक:
• प्रारम्भ र्ें उिके प्रिासनिक व्र्र् कर् ि ीं ो पाए जोनक नििीर् नस्थनि के नलए काफी आिश्र्क था, लेनकि ि सूखे और
अकाल की सर्स्र्ा से निपटिे र्ें सफल र ी।
• रूपये का अिमूल्यन: अंिरािष्ट्रीय दबाि के चलिे भारि सरकार ने रुपये का अिमूल्यन वकया। लेवकन वनयािि बढ़ाने और
विदेशी पूंजी को आकवषिि करने के अपने घोवषि उद्देश्यों में अिमूल्यन विफल रहा।
3. विदेशी मामले:
• ित्कालीि पररनस्थनिर्ों र्ें अर्ेररकी गे ूां, नििीर् स ार्िा और पूांजीगि नििेि की अत्र्नधक आिश्र्किा थी, इसनलए उन् ोंिे
प्रारम्भ र्ें सांर्क्त
ु राज्र् अर्ेररका के साथ पल
ु ििािे की कोनिि की। अर्ेररका िे PL-480 के साथ भारि से सर्झौिा नकर्ा िथा
900 नर्नलर्ि डॉलर की नििीर् स ार्िा प्रदाि की। लेनकि भारि के नलए िास्िनिक प्रेषण अनिर्नर्ि थे।
• अर्ेररका की ििों के साथ, भारि िे अपिी कृ नष िीनि और निर्ििार् पर अपिी नस्थनि को िदल नदर्ा। भारि िे इस कर्जोर
नस्थनि से िा र निकलिे का फै सला नकर्ा।
• उन् ोंिे निर्ििार् र्ें अर्ेररकी कार्ा िा ी के निषर् र्ें सोनिर्ि सांघ के साथ एक सांर्क्त
ु ज्ञापि पर स्िाक्षर नकए।
• भारि िे पीएल-480 रुपर्े के फां ड से निि पोनषि करिे के नलए भारि-अर्ेररकी एजक ु े ििल फाउांडेिि के अर्ेररकी प्रस्िाि पर
स र्नि जिाई, लेनकि निनभन्ि र्ोचों से आलोचिा के िाद इस प्रस्िाि को छोड नदर्ा गर्ा।
4. दस ू रे देशों के साथ संबंि:
a. अर्ेररका और पनिर् र्रू ोपीर् देिों से निकलिे िाले िि-उपनििेििाद के खिरे का र्क
ु ािला करिे के नलए गटु निरपेक्षिा का
सर्था ि नकर्ा ।

111
b. उन् ोंिे चीि के साथ िािचीि करिे की इच्छा भी व्र्क्त की।

लोकसभा और राज्य वििानसभाओं के चौथे आम चुनाि:

• 61% मतदाि के साथ लोगों में असाधारण राजिीर्तक जागृर्त ुई।


• गटु िाजी िे कें ि और राज्र्ों को घेरिा िरू ु कर नदर्ा।
• अि कें िीर् िेिृत्ि, कें ि र्ें अपिी नस्थनि सरु नक्षि करिे के नलए राज्र्ों र्ें प्रभािी सर्ू ों का सर्था ि करिे लगे।
• कुछ राज्र्ों र्ें काांग्रेस-निरोधी र्ोचों के गठि के पिाि् निपक्षी दल एक साथ आ गए।

चुनाि के निीजे:
• र्द्यनप काांग्रेस िे सांसद र्ें अपिा ि ुर्ि ानसल कर नलर्ा, लेनकि उसिे आठ राज्र्ों की निधािसभाओां र्ें अपिा ि ुर्ि खो भी नदर्ा।
• काांग्रस
े के पिि से साांप्रदानर्क, सार्ांिी, दनक्षणपांथी और क्षेत्रीर् दलों को लाभ नर्ला।
दीघिकावलक पररर्ाम:
• 1967 के चिु ावों िे भारतीय राजिीर्त में अमीर और मध्यम र्कसािों को अर्धक महत्व देिे की शरुु आत की।
• उस दौर की गठिांधि सरकारों की दूसरी र् त्िपूणा नििेषिा दलिदल की राजिीनि की िरुु आि थी।
गठबंिन सरकारें:
• राज्र्ों र्ें काांग्रेस को पानटा र्ों, सर्ू ों और निदा लीर् लोगों की ि ुलिा के चलिे टा नदर्ा गर्ा था र् ाां तक र्क कई राज्र्ों में कांग्रेस िे
स्िर्ां गठिांधि की सरकार ििाई।
• विफलिा:
o िनर्लिाडु र्ें DMK सरकार और उडीसा र्ें निदा लीर् सरकार को छोडकर अन्र् सभी राज्र्ों र्ें गठिांधि सरकारें िे द अनस्थर
सानिि ुई ांऔर पानटा र्ों के र्ध्र् सांघषा िथा निधार्कों की निष्ठा र्ें कर्ी के कारण लांिे सर्र् िक सिा र्ें ि ीं र सकीं।
o छोटे और निदा लीर् दलों िे भी र् त्िपूणा भूनर्का निभाई।
o काांग्रेस को र् स्पष्ट ो गर्ा था नक उसे स्िर्ां का ििीिीकरण करिा चान ए, क्र्ोंनक िे रू काल के दौराि स्ििांत्रिा सांग्रार् र्ें
उसकी भूनर्का र्ा उपलनधधर्ों के आधार पर उसे सर्था ि ि ीं नर्ल सकिा।
o इि चिु ािों िे काांग्रेस के अांदर िनक्त सांिल ु ि िदल नदर्ा था।
o इसके कई ांिेिाओां के चिु ाि ार जािे से नसांनडके ट का प्रभत्ु ि सर्ाप्त ो गर्ा।
o इांनदरा गाांधी की भूनर्का र्जिूि ुई।
1971 के आम चुनावों के दौरान
• जि सप्रु ीर् कोटा िे सरकार को िासकों के नप्रिी पसा को खत्र् करिे से इिकार कर नदर्ा िो लोकसभा भांग कर दी गई िथा 1971 र्ें
चिु ाि सर्र् से एक साल प ले कराए गए।
• गैर-कम्र्नु िस्ट निपक्षी दलों {काांग्रेस (ओ), जिसांघ, स्ििांत्र और सांर्क्त
ु सोिनलस्ट पाटी (एसएसपी)} िे र् ागठिांधि ििार्ा।
• इस दौराि 'गरीिी टाओ' का िारा भी नदर्ा गर्ा।
• 1971 के चिु ावों के ितीजे िडी निजर् के रूप में सामिे आए।
• र्िदाि की प्रकृ नि:

112
o जिसर्ू का राजिीनिकरण नकर्ा गर्ा। धानर्ा क, जानिगि और क्षेत्रीर् िाधाओां के आधार पर लोगों के िोटों को िाांट नदर्ा गर्ा।
o चिु ािों से र् भी पिा चला नक एक िार राष्ट्रीर् र्द्दु े उठाए जािे के िाद, िोट िैंक और सांरक्षण की राजिीनि अपेक्षाकृ ि अप्रासांनगक
ो गई थी।
• ालाँनक, िाांग्लादेि सांकट के कारण 1971 के जिादेि की पूनिा ि ीं ो पाई (निदेि िीनि अिुभाग र्ें िाांग्लादेि र्द्ध ु को किर र्कया
गया है)।
भारि में आपािकाल (1975-77)
पररचय:

• 26 जिू , 1975 को, राष्ट्रपर्त फखरुद्दीि अली अहमद िे संर्वधाि के


अिच्ु छे द 352 को आंतररक आपातकाल की र्स्थर्त घोर्षत करिे के
नलए प्रर्ोग र्कया।
• राष्ट्रपनि िे अपिी घोषणा र्ें क ा, "आांिररक अिाांनि से भारि की सरु क्षा
को खिरा ै"।
• 26 जूि, 1975 और 21 माचि , 1977 से आपातकाल लागू था ।
आपािकाल के वलए उत्तरदायी घटनाएाँ -
1967 के िाद इांनदरा गांधी एक अनद्विीर् िेिा के रूप र्ें उभरीं। लेनकि इस अिनध र्ें भी
पाटी के सदस्र्ों के िीच र्िभेद के साथ-साथ िढिे भ्रष्टाचार, आनथा क िथा खाद्य सांकट के
रूप र्ें कई िा री ििाि भी नदखाई नदए गए ।
आवथिक मद्दु े-

• र्ांदी, िढिी िेरोजगारी अनिर्ांनत्रि र् ांगाई िथा खाद्यान्िों की कर्ी के सनम्र्लि िे एक


गांभीर आनथा क सांकट पैदा कर नदर्ा।
• िाांग्लादेि की र्ुनक्त के नलए भारि का सर्था ि, में भारि के निदेिी र्िु ा भांडार पर गांभीर प्रभाि पडा और र् खाली ो गर्ा िथा अनधक
से अर्धक सांसाधिों को रक्षा र्ें लगा नदर्ा गर्ा।
• 1972 और 73 में र्ािसूि की लगािार नगरािट िे भारत र्ें खाद्यान्ि की उपलब्धता और ई ंधि की कीमतों को प्रभार्वत र्कया।
• मई 1974 में देश के मवमभन्न महस्सों में बडे पैमाने पर बेरोजगारी िथा आवथिक मंदी के कारर् औद्योवगक अशांवि और हडिालों
की शुरुआि हो गई थी जो अवखल भारिीय रेलिे में अपने चरमोत्कषि पर थी।
राजनीविक मुद्दें-
➢ एक राजिीनिक सांगठि के रूप र्ें काांग्रेस के पिि की िरू ु आि ो गई।
➢ राजिीनिक सांकट से निपटिे की सरकार की क्षर्िा भ्रष्टाचार से प्रभानिि थी।
➢ एक और पररणार् र् था नक काांग्रेस के 3 प्रर्ख ु सार्ानजक सर्ू ों से उसकी दूरी िढिी जा रही थी|
➢ मूल्य वृद्धि और भ्रष्टाचार के कारण मध्यम वर्ग काांग्रेस के द्धिलाफ हो र्या।
➢ धनी द्धकसानों ने भूद्धम सुधारों के ितरे के कारण काांग्रेस का द्धवरोध करना शुरू कर द्धिया।
➢ समाजवाि, बैंकों के राष्ट्रीयकरण तथा कोयला, िनन और एकाद्धधकार द्धवरोधी उपायों के कारण पूांजीवािी काांग्रेस के द्धिलाफ हो र्ए।

113
➢ इस चरण र्ें र्ाक्सा िादी गनिनिनधर्ों का उदर् भी देखा गर्ा क्र्ोंनक िे सांसदीर् राजिीनि र्ें निश्वास ि ीं करिे थे। उन् ोंिे सरकार को
उखाड फें किे के नलए न ांसक िरीकों का स ारा नलर्ा।
न्यायपावलका के साथ द्वंद –

• इांनदरा गाांधी के िेिृत्ि िाली कें ि सरकार िे सांसद र्ें सांनिधाि सांिोधि नकर्ा नक र् डीपीएसपी(DPSPs) को प्रभािी करिे ुए
र्ौनलक अनधकारों का िि कर सकिा ै।
• िाद र्ें, के सिािांद भारिी र्ार्ले र्ें, सिोच्च न्र्ार्ालर् िे फै सला नदर्ा नक सांनिधाि की
कुछ र्ूलभूि नििेषिाएां ैं, नजिर्ें सांिोधि ि ीं नकर्ा जा सकिा ै।
• प्रनिनक्र्ास्िरूप, कें ि सरकार िे र्ख्ु र् न्र्ार्ाधीि के रूप र्ें सप्रु ीर् कोिि र्ें िररष्ठिर्
न्र्ार्ाधीि की निर्नु क्त की दीघा कानलक नस्थनि को िदल नदर्ा। 1973 र्ें, सरकार िे
िीि न्र्ार्ाधीिों की िररष्ठिा को नकिारे कर न्र्ार्र्ूनिा ए.एि. रे को भारि का र्ख्ु र्
न्र्ार्ाधीि निर्नु क्त नकर्ा गर्ा।

राज नारायर् के स–

• राज नारायर् एक समाजिादी थे वजन्हें यूपी के रायबरेली संसदीय


क्षेत्र में श्रीमिी गांिी ने हराया था।
• स्िेि ऑफ उत्तर प्रदेश बिाम राज िारायण मामले र्ें उन्होंिे इस आधार
पर इंर्दरा गांधी के चिु ाव को चिु ौती देिे ुए यार्चका दायर की र्क
उन्होंिे अपिे चिु ाव अर्भयाि में अिर्ु चत लाभ प्राप्त करिे के र्लए
सरकारी मशीिरी और संसाधिों का दरुु पयोग र्कया।
• 12 जूि 1975 को, न्यायमूर्ति जगमोहि लाई र्सन्हा िे उन्हें चिु ाव प्रचार
के र्लए सरकारी मशीिरी के दरुु पयोग का दोषी पाया। अदालत िे उिके चिु ाव को शून्य घोर्षत कर र्दया िथा 6 साल िक उिके
र्कसी भी चिु ाव लड़िे पर रोक लगा दी गई।
• चूांनक, ि साांसद ि ीं थीं, इसनलए ि प्रधािर्ांत्री का पद भी िरकरार ि ीं रख सकीं। अदालि िे उन् ें प्रधाि र्ांत्री पद के उिरानधकारी
को ढूांढिे के नलए कुछ और सर्र् देिे की अिर्ु नि दी।
• लेनकि सप्रु ीर् कोटा िे इस आदेि पर आांनिक रोक लगािे का आदेि नदर्ा िथा निपक्ष िे उिके इस्िीफे के नलए दिाि डाला।

गुजराि और मिहार में अशांवि–

• जििरी 1974 र्ें, गज ु राि र्ें छात्रों िे िढिी कीर्िों, िेरोजगारी िथा भ्रष्टाचार के नखलाफ निरोध-प्रदशि ि नकए।
• जूि 1975 र्ें गज ु राि र्ें निधािसभा चिु ाि ुए िथा उसर्ें काांग्रेस की ार ुई।
• र्ाचा 1974 र्ें नि ार र्ें छात्रों द्वारा इसी िर का आांदोलि िरू ु नकर्ा गर्ा था।
• कुछ सर्र् के िाद जर्प्रकाि िारार्ण (जेपी) िे आांदोलि का िेिृत्ि नकर्ा िथा सांपूणा क्ाांनि ’का आह्वाि नकर्ा।
• इस प्रकार, छात्रों के आांदोलि िे एक राजिीनिक स्िरूप ग्र ण कर र्लया।

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जय िकाश (जेपी) आंदोलन / संपर्
ू ि क्रांवि-
• जेपी आांदोलि स्ििांत्रिा के पिाि भारि के राजिीनिक जीिि के र् त्िपूणा आांदोलिों र्ें से एक था।
• जर्प्रकाि िारार्ण िे देि र्ें व्र्ाप्त व्र्ापक असांिोष को एक आांदोलि के रूप में पररिनिा ि नकर्ा।
• जेपी र्ा 'लोकिार्क' के िार् से प्रनसद्ध जर् प्रकाि िारार्ण भारि के स्ििांत्रिा आांदोलि के एक प्रनिनष्ठि व्र्नक्त थे।
• जेपी ने वबहार आंदोलन की शुरुआि की जो 1974 में
वबहार में छात्रों द्वारा शुरू वकया गया जहााँ पर
जयिकाश नारायण ने इन छात्रों को सही नेिृत्ि
िदान वकया।
• र् आांदोलि गज ु राि र्ें छात्रों के निरोध से प्रेररि था।
( र्िे उपरोक्त निांदओ ु ां पर गज ु राि और नि ार आांदोलि
िाले चैप्टर र्ें चचाा की ै)
• 5 जून, 1974 को पटना के गाांधी मैदान में 5 लाख
लोगों की एक मवशाल सभा को सांिोमधत करते हुए,
उन्होंने व्यापक भ्रष्टाचार, आमथिक सांकट और मंहगाई
के विरोि में सांपण ू ि क्ाांमत (सम्पणू ि क्ाांमत) नामक
क्ाांमतकारी कायिक्म की शुरुआि की।
• जेपी आांदोलि के दौराि, लोगों िे परू े राज्र् र्ें सर्ािाांिर सरकारें स्थानपि कीं िथा करों का भगु िाि ि ीं नकर्ा। जेपी आांदोलि को
छात्रों, र्ध्र्र् िगा , व्र्ापाररर्ों और िनु द्धजीनिर्ों के एक िगा से व्र्ापक सर्था ि प्राप्त ुआ। जेपी आांदोलि को लगभग सभी गैर-िार्
राजिीनिक दलों का सर्था ि प्राप्त हुआ।
• जेपी आांदोलि िेजी से देि के अन्र् न स्से र्ें फै ल गर्ा - इसका र्ख्ु र् कारण र् था नक इसिे लोगों को र् र् सूस करार्ा नक सिा
र्ें पररििा ि िथा भारि के राजिीनिक जीिि की िई िरुु आि ी भारि के लोकिांत्र को िचा सकिी ै।

115
संपर्
ू ि क्रांवि(Total Revolution)-

•Establishing equality and brotherhood in the society.


सामाजजक क्ािंतत -

•Decentralization of economy and making efforts to bring about


आधथषक क्ािंतत economic equality by taking village as the unit of development.

•Ending political corruption, decentralization of politics and


राजनीततक क्ािंतत making public partner by giving them more rights.

•Defending Indian culture and regeneration of cultural values in


सािंस्क्ततक क्ािंतत common man.

•Revolution in the way of thinking.


Thought Revolution-

•Developing moral and spiritual values, and turning materialism


आध्याजत्मक क्ािंतत towards spirituality.

•Making education occupation based and changing of education


शैक्षक्षक क्ािंतत system.

आंदोलन की िमख
ु खावमयां(Major Flaws of Movement)-
• आांदोलि के उद्देश्र् अस्पष्ट, अव्र्ाि ाररक थे ।
• सार्ानजक-आनथा क, राजिीनिक निषर्-िस्िु और आांदोलि के कार्ा क्र् िथा िीनिर्ों को ठीक से पररभानषि ि ीं नकर्ा गर्ा ।
• जेपी आांदोलि द्वारा अपिाए गए आांदोलि के िरीके , कुछ जगहों पर असांिैधानिक और अलोकिाांनत्रक थे।
• यह आंदोलन अपने आप में बहुि सारे विषम समहू ों का गठबंिन था-आरएसएस, जनसंघ, आनंद मागि, नक्सल समहू आवद ।
• JP आंदोलन ने संसािनों के समीकरर् जैसे कट्टरपंथी पररिििनों की अििारर्ा करने की कोवशश नहीं की; निीजिन, इसका
सामावजक आिार वकसान और श्रवमक िगि (को नहीं छू ने िक सीवमि) से अछू िा रहा।
• ालाांनक, 1974 के अांि िक आांदोलि की सांगठिात्र्क सांरचिाओां के अभाि के कारण JP आांदोलि सर्ाप्त ो गर्ा।
आपािकाल का आरोप (Imposition of Emergency) –

• इन सभी कारकों ने विशेष रूप से राज नारायर् के स और जे पी आंदोलन ने 26 जून, 1975 को आंिररक गडबडी के खिरे के
आिार पर आपािकाल की वस्थवि को लागू करने में वनर्ाियक भूवमका वनभाई, संवििान का अनुच्छेद 352 लागू वकया।
• एक िार आपािकाल की घोषणा ो जािे के िाद िनक्तर्ों का सांघीर् नििरण निलांनिि र िा ै और सभी िनक्तर्ाां कें ि सरकार र्ें कें निि
ो जािी ैं । र् ाां िक नक ऐसी अिनध के दौराि र्ौनलक अनधकारों र्ें भी कटौिी ो जािी ै ।

116
• कें द्र सरकार ने सभी शवियों का दरु
ु पयोग वकया, समाचार पत्रों के दफ्िरों की वबजली काट दी गई, विपक्षी दलों के नेिाओं को
वगरफ्िार कर वलया गया।
आपािकाल का िभाि-(Impact of Emergency)

• सरकार िे "प्रेस सेंसरनिप" के र्ाध्र्र् से प्रेस की स्ििांत्रिा पर अांकुि लगार्ा और इसे


प्रकानिि करिे से प ले इसकी स्िीकृ नि प्राप्त करिा अनििार्ा कर नदर्ा।
• निरोध, डिाल और सािा जनिक आांदोलि की अिर्ु नि ि ीं थी।
• संिैिावनक उपचार का मौवलक अविकार वनलंवबि कर वदया गया ।
• सार्ानजक और साांप्रदानर्क सद्भाि र्ें गडिडी की आिांका पर आर.एस.एस., जर्ाि-
ए-इस्लार्ी जैसे धानर्ा क और साांस्कृ निक सांगठि पर प्रनििांध लगा नदर्ा गर्ा था।
• सरकार िे नििारक निरोध( preventive detention) प्रािधाि का दरुु पर्ोग नकर्ा,
निपक्षी दलों के राजिीनिक कार्ा किाा ओ ां को नगरफ्िार नकर्ा ।
• वनिारक वनरोि के िहि वगरफ्िार व्यवि इस िरह के कदम को चुनौिी नहीं दे
सकिे क्योंवक संिैिावनक उपचार का अविकार वनलंवबि हो जािा है।
• आपािकालीि िासि के दौराि ऐसी कठोर पररनस्थनिर्ों के कारण, नजि लोगों को पद्म
श्री और अन्र् परु स्कारों से सम्र्ानिि नकर्ा गर्ा, उन् ोंिे लोकिांत्र के निलांिि के निरोध
र्ें इि सम्र्ािों को िापस कर नदर्ा।
• र्ाििा और न रासि र्ें ोिे िाली र्ौिें, गरीि लोगों का र्िर्ािा स्थािाांिरण, आपाि नस्थनि के दौराि जिसांख्र्ा को निर्ांनत्रि करिे
के नलए अनििार्ा िसिांदी लागू करिा ।
• नििा सरकारी पद के लोगों िे प्रिासि की िनक्तर्ों का दरुु पर्ोग नकर्ा और सरकार के कार्काज र्ें दखल नदर्ा।
जबरन नसबंदी(Forced Sterilisation)
o आपािकाल के दौरान, नागररक स्ििंत्रिा को वनलंवबि कर वदया गया था। इंवदरा
गांिी के पुत्र संजय गांिी ने एक पााँच सूत्री कायिक्रम िैयार वकया था वजसमें
पररिार वनयोजन, िनीकरर्, दहेज उन्मूलन, झुग्गी-झोपडी की सफाई और
अवशक्षा को दूर करना शावमल था।
o इसके बाद नसबंदी िथाकवथि "बाध्यकारी" (मजबूरी और अनुनय के संयोजन)
कर दी गई ।
o जल्दिाजी और निपरीि पररनस्थनिर्ों र्ें िसिांदी कराई गई, िाद र्ें सांक्र्ण से कई
परुु षों और र्न लाओां की र्ौि ो गई ।
o इस िकार, वनदोष भारिीय जनिा को अभद्रिा, क्रूरिा और वनदियिा के रूप में वचविि इस अपमानजनक कृत्यो का वशकार
होना पडा ।
o जल्द ी जिरि िसिांदी िकिीक पर सािा जनिक गस्ु सा पूरे देि र्ें दांगों का कारण ििा। इांनदरा गाांधी िे 1977 र्ें इस अनभर्ाि पर
रोक लगा नदर्ा।
o यह 1977 के आम चुनािों में ििानमंत्री के पद से उनके हार के िमुख कारर्ों में से एक माना जा सकिा है।
आपातकाल के दौरान 20 सूत्री कायिक्म-

117
जल
ु ाई 1975 र्ें इांनदरा गाांधी िे 20 सत्रू ी कार्ा क्र् की घोषणा की थी |
• भूनर् ीि र्जदूरों, छोटे नकसािों और ग्रार्ीण कारीगरों के र्ौजूदा ऋणों
का पररसर्ापि करिा ।
• भूनर् ीि र्जदूरों, छोटे नकसािों और ग्रार्ीण कारीगरों के नलए
िैकनल्पक ऋण का निस्िार करिा।
• बंिुआ मजदूरी समाि करना।
• मौजूदा कृवष भूवम सीमा कानूनों को लागू करना।
• भूवमहीन मजदूरों और कमजोर िगों को घर ,स्थल िदान करना
• कृ नष श्रनर्कों की न्र्ूििर् र्जदूरी र्ें सांिोधि करिा।
• कीर्िों र्ें कर्ी लाकर थकरघा उद्योग को नििेष स ार्िा प्रदाि
करिा|
• कर चोरी और िस्करी को रोकना।
• उत्पादि िढाएां और आिश्र्क िस्िुओ ां के नििरण को सव्ु र्िनस्थि करिा।
• आयकर छू ट की सीमा ,8000 रुपये िक िढाना।
• वनिेश िवक्रयाओं को उदार बनाना ।
आपािकाल के दौरान संिैिावनक संशोिन:
आपािकाल के दौराि 38 िें से 42 िें सांिोधि पाररि नकए गए थे।
38 वाां सांशोधन(38th • 38 वें संशोधि में आपातकाल की घोषणाओं की समीक्षा, अर्तव्यापी घोषणाओं की न्यार्यक समीक्षा,
Amendment) राष्ट्रपर्त या राज्यपालों द्वारा प्रख्यार्पत अध्यादेशों और मौर्लक अर्धकारों का उल्लंघि करिे वाले कािूिों
पर रोक लगा दी गई ।
39 वााँ सांशोधन(39th • 39वां संशोधि- इंर्दरा गांधी मामले में इलाहाबाद हाईकोिि के फै सले की पृष्ठभूर्म के संशोधि में घोषणा
Amendment) की गई र्क प्रधािमंत्री, राष्ट्रपर्त और उपराष्ट्रपर्त के चिु ाव को अदालत में चिु ौती िहीं दी जा सकती। इस
संशोधि को न्यार्यक समीक्षा से परे िौवीं अिस ु ूची में रखा गया था ।
41 वाां सांशोधन(41st • 41 वें संशोधि में कहा गया है र्क र्कसी भी राष्ट्रपर्त, प्रधािमंत्री या राज्यपाल के र्खलाफ उिके पद की
Amendment) शतों से पहले या उसके दौराि कोई आपरार्धक कायि वाही िहीं हो सकती ।
42 वााँ सांशोधन(42nd • 42 वां संशोधि:
Amendment)
• सांसद को सांनिधाि िदलिे के नलए असांर्ि िनक्तर्ाां दी |
• के ििािांद भारिी र्ार्ले र्ें सिोच्च न्र्ार्ालर् के इस फै सले को अर्ान्र् कर नदर्ा गर्ा नक
सरकार सांनिधाि के र्ूल ढाांचे को ि ीं िदल सकिी ै।
• भारि को एक सर्ाजिादी, धर्ा निरपेक्ष, गणराज्र् राष्ट्र घोनषि र्कया गया और िागररकों के
र्ौनलक किा व्र्ों को निधाा ररि नकर्ा।

118
• देि र्ें निधानर्का की अिनध 5 से िढाकर 6 िषा कर दी गई थी, इसके अलािा, आपाि नस्थनि
के दौराि; चिु ाि एक साल िक स्थनगि नकए जा सकिे ैं।

• प्रारांभ र्ें, अनधकाांि लोगों िे आपािकाल को स्िीकार कर नलर्ा। लोगों की स्िीकार्ा िा र्ें एक प्रर्ख
ु कारक इसका सांिैधानिक, कािूिी
और लौनकक चररत्र था ।
• 1976 की शरुु आत से, आपातकाल अलोकर्प्रय होिे लगा ।
• िनु द्धजीनिर्ों का र्ाििा ै नक 42 िाां सांिोधि लोकिांत्र को कर्जोर करिे का प्रर्ास था-आपािकाल िे अपिी िैधिा खोिी िरू ु कर
दी ।
• आपािकाल की िढिी अलोकनप्रर्िा का एक िडा कारण सिा के अनिररक्त सांिैधानिक कें ि का निकास था-सांजर् गाांधी की राजिीनिक
िनक्त र्ें िृनद्ध ।
आपािकाल का अंि(End of Emergency) –

• एक जििरी 1977 को इांनदरा गाांधी िे घोषणा की थी नक लोकसभा के


चिु ाि र्ाचा र्ें कराए जाएांगे ।
• राजिीनिक कै नदर्ों को रर ा करिे का फै सला नलर्ा गर्ा ।
• 16 माचि 1977 को चुनाव हुए - काांग्रेस परामजत हुई ।
• 21 माचि 1977 को आपातकाल समाप्त हो गया ।

आपािकाल लगाने का सरकारी औवचत्य-(Government Justification for imposing Emergency)


➢ भारि की नस्थरिा, सरु क्षा, अखांडिा और लोकिांत्र,JP आांदोलि के निघटिकारी चररत्र से खिरे र्ें थी ।
➢ गरीिों और िांनचिों के न िों र्ें िीव्र आनथा क निकास के कार्ा क्र् को लागू करिे की जरूरि थी।
➢ भारि को कर्जोर और अनस्थर करिे के उद्देश्र् से निदेिों से स्िक्षेप नकर्ा गर्ा ।
आपािकाल की आलोचनाएाँ-(Criticisms of Emergency)
• पररिार को आरोप की अनधसचू िा नदए नििा ी पनु लस द्वारा लोगों को न रासि र्ें लेिा ।
• िांनदर्ों और राजिीनिक िांनदर्ों के साथ दव्ु र्ा ि ार और प्रिाडिा ।
• सरकारी प्रचार के नलए सािा जनिक और निजी र्ीनडर्ा सांस्थािों का उपर्ोग ।
• जबरन नसबंदी |
• परु ािी नदल्ली के िक
ु ा र्ेि गेट और जार्ा र्नस्जद क्षेत्र र्ें झग्ु गी और कर् आर् िाले आिास का निध्िांस ।
• कानून का बडे पैमाने पर अविवनयमन ।

119
आपािकाल का विश्लेषर्(Analysis of Emergency)

• इांनदरा गाांधी िे आपािकाल की उद्घोषणा से पूरे देि और दनु िर्ा को दांग कर नदर्ा। इससे लाखों नजांदनगर्ाां प्रभानिि ुई ांऔर पूरा देि
िूफाि का कें ि िि गर्ा था नजसिे परू ी दनु िर्ा का ध्र्ाि अपिी ओर खींचा । एक झटके के
साथ ी धरिी पर सिसे िडा लोकिांत्र िािािा ी के स्िर िक िीचे आ गर्ा ।
• आपािकाल 21 र् ीिे (1975-1977) िक चला और र् भारिीर् लोकिांत्र का सिसे काला
दौर र ा ।
• साथ ी अिच्ु छे द 21 के ि ि जीिि का अनधकार निलांनिि कर नदर्ा गर्ा ।
• र् न्र्ार्पानलका का सिसे काला दौर भी था नजसिे भारिीर् न्र्ार्पानलका र्ें अनिश्वास को
जन्र् नदर्ा ।
• आपािकाल के दौरान उल्लंघन वकए जाने िाले िमुख अविकारों में से एक बंदी ित्यक्षीकरर्(Habeas Corpus) भी था।
• मई 1977 में, न्यायमूविि जे पी शाह (सुिीम कोटि के सेिावनित्त ृ न्यायािीश) की अध्यक्षिा में, जनिा सरकार द्वारा आपािकाल
के मद्देनजर वकए गए अविकार के दुरुपयोग, कदाचार और कारििाई के आरोप के कई पहलुओ ं की जांच के वलए एक जांच आयोग
की वनयुवि की गई थी ।
• िा आर्ोग िे गिा ों की गिा ी के आधार पर िीि ररपोटा दी।
• ररपोर्ग को सरकार ने स्वीकार कर द्धलया।
• इसके िाद सांिैधानिक (44 िाां सांिोधि) अनधनिर्र्, 1978 आर्ा नजसिे राष्ट्रीर् आपािकाल के दौराि नकए गए अनधकाांि िदलािों
को उलट नदर्ा ।
o लेनकि आपािकाल की दभु ाा ग्र्पूणा घटिा के इस अांधेरे चरण के कारण भारिीर् अपिे अनधकारों के िारे र्ें जागरूक ो गए और
कुिलिापूिाक र्िदाि करिे के अपिे अनधकार का उपर्ोग करिे लगे ।
o साथ ी गठिांधि सरकार का र्गु भी कुछ िषों िाद िरू ु ुआ। गठिांधि सरकारों के कुछ फार्दे भी ,ैं र् निरांकुि िासि और एक
पाटी के एकानधकार को दिा देिा ै ।
नक्सली-आंदोलन

पृष्ठभूवम(Background)-

o CPM मल ू रूप से क्रांविकारी राजनीवि और सुिारिादी संसदीय राजनीवि के मिभेदों के आिार पर 1964 में संयुि CPI से
अलग हो गई थी।
o व्र्ाि ाररक रूप से, सीपीएर् िे 1967 के चिु ािों के िाद, सिस्त्र सांघषा को स्थनगि करिे ुए, सांसदीर् राजिीनि र्ें सनक्र् रूप से
भाग नलर्ा और पनिर् िांगाल र्ें एक गठिांधि सरकार ििाई।
o ालाांनक पाटी के र्िु ा कार्ा किाा पूरे देि के नलए एक क्ाांनिकारी सिस्त्र सांघषा चा िे थे । इसनलए CPM के इि नििो ी िेिाओां िे
उिरी पनिर् िांगाल के छोटे िक्सलिाडी इलाके र्ें नकसाि नििो िरू ु नकर्ा।
o CPM िेित्ृ ि िे िागी िेिाओां को ित्काल निष्ट्कानसि कर िक्सलिाडी नििो को दिा नदर्ा।
o CPM से अलग हुए नेिाओं को नक्सली कहा जाने लगा।
CPI-ML और नक्सली आंदोलन का गठन-

120
o 1969 में चारू मजूमदार और कािू सान्याल के िेतृत्व में कम्यर्ु िस्ि पािी मार्कसि वादी-लेर्ििवादी{Communist Party Marxist-
Leninist (ML)} का गिि र्कया गया ।
o यह कुछ ग्रामीर् क्षेत्रों में सशस्त्र वकसानो को संगवठि
करने और शासक िगों के कायिकिाि (एजेंट) के रूप में
पुवलसकवमियों और िविद्वंद्वी कम्युवनस्टों पर हमला करने में
सफल रहा ।
o नक्सली आंदोलन का एक उद्देश्य वहंसा के माध्यम से
लोकिांवत्रक वनिािवचि सरकार को उखाड फें कना और
भारि में कम्युवनस्ट सरकार की स्थापना करना था ।
o भले ी ित्कालीि सरकार और उसके िाद की सरकारें
िक्सली खिरे को निर्ांनत्रि करिे के नलए प्रर्ासरि र ीं,
लेनकि र् सफल ि ीं ुई िनल्क र् देि के कई अन्र्
न स्सों र्ें फै ल गई ।
o अभी भी लगभग िौ राज्र्ों के 75 से अनधक नजले िक्सल
आांदोलि से प्रभानिि ैं।

भारि में सांिदावयकिा की घटनाएं(COMMUNALISM


EVENTS IN INDIA)
पृष्ठभूवम(Background)-

• साांप्रदानर्किा की सर्स्र्ा िि िरूु ोिी ै जि नकसी धर्ा को राष्ट्रीर् एकिा और अनस्र्िा के आधार के रूप र्ें देखा जािा ै।
• साांप्रदानर्क राजिीनि इस निचार पर आधाररि ै नक धर्ा सार्ानजक सर्दु ार् का प्रर्ख ु आधार ै।
• साांप्रदानर्किा र्ारे देि र्ें लोकिांत्र के नलए िडी चिु ौनिर्ों र्ें से एक थी और ििी ुई ै । राष्ट्रों के संस्थापक िमिवनरपेक्ष भारि
चाहिे थे, इसवलए उन्होंने कडाई से भारि के आविकाररक िमि की घोषर्ा करने से परहेज वकया और विवभन्न िमों के सभी
अनुयावययों को समान स्ििंत्रिा िदान की ।
• र् ाां र् साांप्रदानर्क राजिीनि की कुछ प्रर्ख ु घटिाओां पर चचाा करेंगे।

भारत में साम्प्रदायिक घटनाए

मुजफ्फरनगर
अयोध्या वििाद विख विरोधी दगं े गजु रात दगं े 2002 वदल्ली दगं े 2019
दिं गे 2013

1990 के दशक में अयोध्या मववाद(Ayodhya Dispute 1990s)

121
• अर्ोध्र्ा र्ें िािरी र्नस्जद के िार् से जािी जािे िाली र्नस्जद को लेकर कई दिकों से नििाद चल र ा था, नजसे र्ग़ु ल िादिा िािर
के सेिापनि र्ीर िाक़ी ििकां डी िे िििार्ा था।
• कुछ न ांदओ ु ां का र्ाििा ै नक इसे भगिाि रार् के एक र्ांनदर को ध्िस्ि करिे के िाद ििार्ा गर्ा था नजसे उिकी जन्र्स्थली र्ािा
जािा ै।
• नििाद अदालि िक प ुचां गर्ा और 1940 के दिक र्ें र्नस्जद को िांद कर नदर्ा गर्ा क्र्ोंनक र्ार्ला अदालि के पास था । फरिरी
1986 र्ें फै जािाद नजला अदालि िे आदेि नदर्ा नक िािरी र्नस्जद पररसर को खल ु ा रखा जाए िानक न ांदू लोग उस प्रनिर्ा की पूजा
कर सकें नजसे िे र्ांनदर र्ाििे थे।
• दरिाजे का िाला खोलिे के साथ ी दोिों िरफ साांप्रदानर्क आधार पर लार्िांदी िरू ु ो गई । धीरे-धीरे स्थािीर् र्द्दु ा राष्ट्रीर् र्द्दु ा
िि गर्ा और साांप्रदानर्क ििाि िढ गर्ा ।
• नदसांिर, 1992 र्ें न ांदू दनक्षणपांथी गटु जैसे निन प, िजरांग दल आनद करसेिक रार् र्ांनदर ििािे के नलए भक्तों द्वारा स्िैनच्छक सेिा के
िार् पर अर्ोध्र्ा प ुांचे।
• इस िीच सिोच्च न्र्ार्ालर् िे आदेि नदर्ा नक राज्र् सरकार को र् सनु िनिि करिा ोगा नक नििानदि स्थल खिरे र्ें ि पडे।
ालाांनक, जारों लोग ि ाां प ुांचे और 06 नदसांिर, 1992 को िािरी र्नस्जद को ध्िस्ि कर नदर्ा और इसके िाद िडे पैर्ािे पर देि र्ें
साांप्रदानर्क दांगे ुए, नजसर्ें ि ुि से लोग र्ारे गए।
• िि कें ि सरकार िे राज्र् सरकार को िखाा स्ि कर नदर्ा था और र्नस्जद को नगरािे के नलए पररनस्थनिर्ों की जाांच ेिु नलिे ाि आर्ोग
निर्क्तु नकर्ा था ।
• िब से यह मुद्दा शीषि अदालि में लंवबि था और अंि में सुिीम कोटि ने 9 निंबर, 2019 को अपना फैसला सुनाया।
• र्ख्ु र् न्र्ार्ाधीि रांजि गोगोई के िेित्ृ ि िाली पाांच न्र्ार्ाधीिों की सप्रु ीर् कोटा की पीठ िे सिा सम्र्नि से फै सला सिु ािे ुए रार्
जन्र्भूनर् के पक्ष र्ें फै सला सिु ार्ा और क ा नक नििानदि स्थल पर रार् र्ांनदर ोगा और र्स ु लर्ािों को उिकी र्नस्जद के नलए 5
एकड जर्ीि दी जाएगी।
गुजराि दंगे, (Gujarat Riots) 2002

• फरिरी और र्ाचा 2002 के र् ीिों र्ें, गज


ु राि र्ें इनि ास के सिसे िडे साांप्रदानर्क दांगों ुए। दांगों की िरुआि गोधरा स्टेिि से ुआ
, ज ाां कारसेिकों के साथ अर्ोध्र्ा से लौट र ी रेि की एक िोगी र्ें आग लगा दी गई थी ।
• नजसके फलस्िरूप न ांदू और र्नु स्लर् सर्दु ार् के िीच गजु राि के कई न स्सों र्ें िडे पैर्ािे पर न ांसा फै लाई गई।
Note: वसख विरोिी दंग,े 1984 - (हम आगामी अध्याय,' पंजाब मुद्दे ' में इस मुद्दे को शावमल करेंगे)

असम वहंसा (Assam violence (2012)):


• आजीनिका, जर्ीि और राजिीनिक िनक्त पर प्रनिस्पधाा िढिे के कारण िोडो और िांगाली भाषी
र्स
ु लर्ािों के िीच अक्सर टकराि(झडपें) ोिा था ।
• 2012, र्ें कोकराझार र्ें दांगा ो गर्ा था, जि अज्ञाि िदर्ािों िे जोर्परु र्ें चार िोडो र्िु कों
की त्र्ा कर दी थी ।
• इसके िाद स्थािीर् र्नु स्लर्ों पर जिािी र्ले ुए नजसर्ें दो की र्ौि ो गई और उिर्ें से कई
घार्ल ो गए । लगभग 80 लोग र्ारे गए, नजिर्ें से ज्र्ादािर िांगाली र्सु लर्ाि और कुछ िोडो
थे । लगभग, 400,000 लोगों को अस्थार्ी निनिरों र्ें निस्थानपि नकर्ा गर्ा ।

122
मुजफ्फरनगर दंगे(Muzzafarnagar Riots) (2013):
• उिर प्रदेि के र्ज ु फ्फरिगर र्ें न ांदू जाटों और र्नु स्लर् सर्दु ार्ों के िीच झडपों र्ें कर् से कर् 62 लोगों की र्ौि ो गई, 93 लोग
घार्ल ो गए और 50,000 से अनधक निस्थानपि ो गए।
• नपछले 20 िषों र्ें प ली िार राज्र् र्ें सेिा िैिाि नकए जािे के साथ ी दांगे को "उिर प्रदेि के ाल के इनि ास र्ें सिसे “भर्ािक
न ांसा" के रूप र्ें िनणा ि नकर्ा गर्ा ै।

वदल्ली दंगे(Delhi Riots) 2019


• 2019 र्ें िई नदल्ली (राष्ट्रीर् राजधािी) के इनि ास र्ें सिसे िडी साांप्रदानर्क न ांसा देखी गई ।
• नई वदल्ली 2020 के दंगों का आिार नागररकिा (संशोिन) अविवनयम और राष्ट्रीय नागररक रवजस्टर (एनआरसी) की पृष्ठभूवम
में भ्रम उत्पन्न करना और सांिदावयक सद्भाि को अवस्थर करने पर आिाररि है।

भोपाल गैस त्रासदी(BHOPAL GAS TRAGEDY)1984

• 1970 में यूर्ियि काबाि इड इंर्डया र्लर्मिेड (UCIL), यूर्ियि काबाि इड


और काबि ि कॉपोरेशि ( अमेररकी बहुराष्ट्रीय ) की सहायक कं पिी िे
भोपाल में एक कीििाशक संयंत्र की स्थापिा की।
• सांर्ांत्र िे नर्थाइल आइसोसाइिेट (MIC) का उपर्ोग करके एक
कीटिािक सेनिि (कािेररल) का उत्पादि नकर्ा। 1976 के िाद से इसर्ें
कई र्ार्ूली लीक (leaks)की सूचिा नर्ली थी लेनकि प्रिासि िे उिकी
अिदेखी की ।
• 2-3 र्दसंबर, 1984 की रात को तीि िैंकों में संग्रर्हत 45 िि खतरिाक
गैस र्मथाइल आइसोसाइिेि (MIC), भोपाल प्लांि के चारों ओर घिी आबादी वाले इलाकों में ररसाि ोिे लगी, र्जससे हजारों लोगों
की तुरतं मौत हो गई िथा नस्थनि काफी भर्ािक ो गई नजसके फलस्िरूप10000 से अनधक लोगों िे भोपाल से निकल जािे का
प्रर्ास नकर्ा।
• उस दौराि राजीि गाांधी प्रधािर्ांत्री थे और अजा िु नसां र्ध्र् प्रदेि के र्ख्ु र्र्ांत्री थे।
• र् रासार्निक त्रासदी भारि के इनि ास र्ें देखी गई सिसे खराि औद्योनगक आपदा थी और िार्द उस सर्र् दनु िर्ा की सिसे
खराि औद्योनगक आपदा थी ।
• आनधकाररक अिर्ु ािों के अिस ु ार, इसिे 2259 लोगों की र्ृत्र्ु , 5.6 लाख लोग घार्ल ुए िथा कई स्थार्ी रूप से अक्षर् ो गए।
• हालांवक, अनौपचाररक रूप से ऐसा माना गया है वक इसमें लगभग 20,000 लोगों की मौि हुई ।
• लगभग आधा नर्नलर्ि लोगों को श्वसि सर्स्र्ाओां, आांखों र्ें जलि र्ा अांधापि, और निषाक्त गैस के सांपका र्ें आिे के कारण अन्र्
निकृ निर्ों का सार्िा करिा पडा।
• 2004 में दूवषि भूजल के कारर्, भारतीय सुप्रीम कोटि ने राज्य को आदेश मदया मक ,भोपाल के मनवामसयों को स्वच्छ पेयजल
की आपूमति की जाए।
• 2010 में, यूमनयन कािािइड की भारत सहायक कां पनी के कई पूवि अमधकाररयों को भोपाल की एक अदालत ने आपदा के दौरान
लापरवाही का दोषी ठहराया।

123
शाह बानो के स(SHAH BANO CASE)

पृष्ठभूवम(Background)-

• इांदौर की र िे िाली 62 िषीर् एक मर्ु स्लम मर्हला 'शाहबािो' जो 5 बच्चों की मां थी को उिके पर्त िे 1978 में तलाक दे र्दया। उसिे
सप्रु ीर् कोटा र्ें एक र्कु दर्ा दार्र कर अपिे पनि से र्आु िजे की र्ाांग की।
• सप्रु ीर् कोटा िे दांड प्रनक्र्ा सांन िा की धारा 125 को लागू नकर्ा, जो सभी को अपिी
जानि, िगा , पांथ र्ा धर्ा की परिा नकए नििा लागू ोिी ै, और िा िािो के पक्ष र्ें
फै सला सिु ार्ा, र् आदेि नदर्ा नक उन् ें गज ु ारा भिा की िर सांरक्षण रानि( धि )
नदर्ा जाए।
• इस मामले को मील का पत्थर माना गया क्योंवक यह व्यविगि कानून की व्याख्या
के आिार पर मामलों का वनर्िय लेने की सामान्य पररपाटी से एक कदम आगे था और समान नागररक संवहिा को लागू करने
की आिश्यकिा पर भी ध्यान देिा था । इसमें विवभन्न व्यविगि कानूनों और िावमिक वसद्धांिों के मामलों में लैंवगक समानिा
और दृढ़िा के मुद्दे को पहचानने और उनका समािान करने की जरूरि पर भी ध्यान वदया गया ।
• यह फैसला बहुि वििादास्पद हो गया और मुवस्लमों के विवभन्न िगों द्वारा कई विरोि िदशिन हुए ।
• मुसलमानों ने महसूस वकया वक यह फैसला उनके िमि पर हमला था, और उनके पास अपने िावमिक व्यविगि कानून होने का
अविकार था। इन विरोि िदशिनों में सबसे आगे ऑल इंवडया मुवस्लम पसिनल लॉ बोडि था।
मवु स्लम मवहला (िलाक पर अविकारों का संरक्षर्) अविवनयम,(The Muslim Women (Protection of Rights on Divorce)
Act,) 1986

• र्स
ु लर्ािों के दिाि र्ें राजीि गाांधी के िेित्ृ ि िाली सरकार िे एक ऐसा कािूि पेि नकर्ा नजसिे सप्रु ीर् कोटा का फै सला सरु नक्षि
रखा।
• सांसद िे र्नु स्लर् र्न ला (िलाक पर अनधकार सांरक्षण) अनधनिर्र्, 1986 पाररि नकर्ा नजसिे उच्चिर् न्र्ार्ालर् के फै सले को
निरस्ि कर नदर्ा।
• इस अनधनिर्र् िे इस्लार्ी कािूि के प्रािधािों के अिस ु ार िलाक (iddat) के िाद के िल 90 नदिों की अिनध के नलए एक िलाकिदु ा
र्न ला को रखरखाि {सांरक्षण रानि( धि )}की अिर्ु नि दी ।
• इसवलए पवि द्वारा भरर्-पोषर् का भुगिान करने की वजम्मेदारी के िल इद्दि(iddat) की अिवि िक ही सीवमि थी।
• इस अनधनिर्र् की कई नििेषज्ञों िे भारी आलोचिा की क्र्ोंनक र् र्न लाओां के अनधकारों के नलए लडिे का एक िडा अिसर था,
लेनकि कािूि िे र्नु स्लर् र्न लाओां के सार्िे असर्ाििा और िोषण का सर्था ि नकर्ा ।
• कोटा के निदेि के र्िु ानिक सर्ाि िागररक सांन िा के नक्र्ान्िर्ि पर कार् करिे के िजार् सरकार सप्रु ीर् कोटा के फै सले को पलटिे
के नलए सांिोधि lनकर्ा ।
• विपक्षी दलों ने अविवनयम की आलोचना की और इसे मुवस्लम िुिीकरर् और िोट बैंक की राजनीवि के उद्देश्य से वकया गया
फैसला, घोवषि वकया।

बोफोसि घोटाला(BOFORS SCAM )

124
• राजीि गांिी के शासन के दौरान एक और बडी घटना रक्षा सौदों से संबंविि एक राजनीविक घोटाला था।
• 1980 और 1990 के दशक के दौराि, स्वीडि र्स्थत एक कं पिी बोफोसि
िे भारत को 410 होर्वत्जर की आपर्ू ति करिे के र्लए सर्झोिा नकर्ा ।
यह स्वीडि में अब तक का सबसे बड़ा हर्थयार सौदा था, इसर्लए
र्वकास पररयोजिाओं के र्लए लनक्षि धि को ,इस अिबु ंध र्ें लगा नदर्ा
गया था ।
• ित्कालीि प्रधाि र्ांत्री राजीि गाांधी सन ि भारिीर् राष्ट्रीर् काांग्रेस के
कई राजिेिाओां पर आरोप लगार्ा गर्ा था नक उन् ोंिे िोफोसा से अिैध
रूप से ररश्वि प्राप्त नकर्ा ।
• निपक्ष द्वारा जल्द ी ,घोटाले का इस्िेर्ाल राजीि गाांधी पर र्ला करिे
के नलए नकर्ा गर्ा।
• 1987 में कांग्रेस से इस्िीफा देने के बाद िीपी वसंह, वजन्होंने पहले वित्त मंत्री और वफर राजीि गांिी मंवत्रमंडल में रक्षा मंत्री के
रूप में कायि वकया था, ने घोटाले और भ्रष्टाचार को 1989 में चुनाव के मलए अपने राजनीमतक अमभयान का एक प्रमुख मुद्दा िना
मदया।
• 1989 के चिु ाव में बोफोसि और भ्रष्टाचार का र्ुद्दा नफर से उठार्ा गर्ा। ालाांनक, सांर्क्त
ु सांसदीर् सनर्नि की ररपोटा िे राजीि गाांधी को
लगभग क्लीि नचट दे दी थी, लेनकि निर्ांत्रक और र् ालेखा परीक्षक की ररपोटा िे िोफोसा के अनधग्र ण की प्रनक्र्ा पर सांदे जिार्ा

• इि निष्ट्कषों के र्द्देिजर निपक्ष िे राजीि गाांधी के इस्िीफे की र्ाांग की। 1989 के चिु ाि र्ें काांग्रेस ि ुर्ि ानसल करिे र्ें निफल र ी
और िीपी नसां िे िार् दलों और BJP के िा री सर्था ि से गठिांधि की सरकार ििाई।
वशक्षा पर राष्ट्रीय नीवि,(NATIONAL POLICY ON EDUCATION) 1986

125
पष्ठृ भवू म(Background):

• र्ई 1986 र्ें, प्रधाि र्ांत्री राजीि गाांधी द्वारा िई राष्ट्रीर् निक्षा िीनि (NPE) िरू
ु की गई थी।
• इसे "असमानिाओं को दरू करने और वशक्षा के अिसर को समान करने पर विशेष जोर" के रूप में नावमि वकया गया था।
उद्देश्य- इस नीवि का मुख्य उद्देश्य मवहला, अनुसूवचि जनजावि और अनुसूवचि जावि समुदायों सवहि सभी को अध्ययन करने के
वलए समिल्ु य अिसर िदान करना था।
NPE( 1986 ) की मख्ु य मवशेषताएां:

• छात्रिृनि का निस्िार और प्रौढ निक्षा को िढािा देिा।


• अनुसूधित जाधत और अनुसूधित जनजाधत समुदाय के अधिक धशक्षकों को रोजगार।
• गरीि पररिारों को निर्नर्ि रूप से अपिे िच्चों को स्कूल भेजिे के नलए प्रोत्सा ि।
• प्राथनर्क निक्षा के नलए, एिपीई को "िाल कें निि दृनष्टकोण"(“child centric approach”) क ा जािा ै, नफर राष्ट्रव्र्ापी प्राथनर्क
स्कूलों का निस्िार करिे के नलए "ऑपरेिि धलैकिोडा "(“Operation Blackboard”) िरू ु नकर्ा गर्ा था ।
• इस िीनि के ि ि इांनदरा गाांधी राष्ट्रीर् र्क्त
ु निश्वनिद्यालर् के साथ र्क्त
ु निश्वनिद्यालर् प्रणाली का निस्िार नकर्ा गर्ा था, नजसे 1985
र्ें ििार्ा गर्ा था।
• ग्रार्ीण भारि र्ें जर्ीिी स्िर पर आनथा क और सार्ानजक निकास को प्रोत्सान ि करिे के नलए र् ात्र्ा गाांधी के दिा ि पर आधाररि
इस िीनि को "ग्रार्ीण निश्वनिद्यालर्" र्ॉडल की र्ान्र्िा दी गई थी ।

126
अध्याय- 6 क्षेत्रीय असंिोष

क्र. सं. विषय


1 जम्मू और कश्मीर का मद्दु ा
2 पंजाब का मद्दु ा
3 उिर पूिा र्ें समस्याएं

127
जम्मू और कश्मीर का मद्दु ा

• जैसा नक र्िे अध्र्र्ि नकर्ा ै नक 1951 र्ें, सांर्क्त


ु राष्ट्र िे अपिी निगरािी र्ें जिर्ि सांग्र के नलए एक प्रस्िाि पाररि नकर्ा था,
नजसके बाद पानकस्िाि िे कश्र्ीर के न स्से से अपिे सैनिकों को टा
नलर्ा था।
• र् प्रस्िाि िि से नििािकारी ििा ुआ था जि से पानकस्िाि िे अपिी
सेिा को आजाद कश्र्ीर से िापस लेिे से इिकार कर नदर्ा था।
• िि से कश्र्ीर भारि और पानकस्िाि के िीच र्ैत्रीपूणा सांिांधों की रा र्ें
र्ख्ु र् िाधा ै।
• साथ ी, सांनिधाि का अिच्ु छे द 370, जो देि के अन्र् राज्र्ों की िुलिा
र्ें इसे अनधक स्िार्ििा देिा ै।
• भारिीर् सांनिधाि के सभी प्रािधाि राज्र् पर लागू ि ीं ोिे ैं। सांसद
द्वारा पाररि कािूि जम्र्ू-कश्र्ीर पर िभी लागू ोिे ैं र्नद राज्र् स र्ि
ोिा ै। J & K का अपिा सांनिधाि भी ै।
• जम्र्ू और कश्र्ीर के िा र लोगों और पानटा र्ों का एक िगा ै जो र्ाििा ै नक राज्र् की नििेष नस्थनि भारि के साथ राज्र् के पणू ा
एकीकरण की अिर्ु नि ि ीं देिी ै। इसनलए, इसे रद्द कर नदर्ा जािा चान ए।
• 1989 तक, जम्मू-कश्मीर राज्य एक अलग कश्मीरी क्षेत्र के कारण एक उग्रवादी आंदोलि की चपेि में आ गया था।

128
• नििोन र्ों को पानकस्िाि से िैनिक, भौनिक और सैन्र् सर्था ि नर्लिा
ै और अलगाििादी राजिीनि िे अलग-अलग रूप धारण नकए ैं और
कई िर की गडिडी की ै।
• 1990 के बाद से, पार्कस्ताि िे भारत में र्वशेष रूप से कश्मीर में राज्य
प्रायोर्जत आतंकवाद का समथि ि करिा शरू ु कर र्दया, जो भारत के
सामिे एक मख्ु य सरु क्षा चिु ौती के रूप में मौजूद है|
• अगस्ि, 2019 में बीजेपी की अगुिाई िाली NDA सरकार ने िारा 370
को रद्द कर वदया था और राज्य को दो कें द्र शावसि िदेशों – जम्म-ू
कश्मीर और लद्दाख में विभावजि कर वदया, इस िकार इसने भारि में
जम्मू - कश्मीर और लद्दाख का पूर्ि रूप से एकीकरर् वकया।
• साथ ी, NDA सरकार द्वारा अलगाििानदर्ों को र्ेिा के नलए अलग कर
नदर्ा गर्ा।
भारि और जम्मू कश्मीर के िीच सांिांध:

• अिच्ु छे द 370 के प्रािधािों का अिसु रण करिे के नलए राष्ट्रपनि िे एक आदेि जारी नकर्ा, नजसे सांनिधाि (जम्र्ू और कश्र्ीर के
नलए आिेदि) आदेि, 1950 क ा जािा ै, इसर्ें राज्र् पर सांघ के अनधकार क्षेत्र को निनदा ष्ट करिे के नलए क ा गर्ा।
• 1952 में, भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर राज्य िे अपिे भर्वष्ट्य के संबंधों को लेकर र्दल्ली में एक समझौता र्कया था। 1954 में,
जम्मू-कश्मीर की संर्वधाि सभा िे भारत के साथ-साथ र्दल्ली समझौते के र्लए राज्य के पररग्रहण को मंजूरी दी।
• नफर, राष्ट्रपनि िे उसी िीषा क के साथ एक और आदेि जारी नकर्ा - सांनिधाि (जम्र्ू और कश्र्ीर के नलए आिेदि) आदेि, 1954,
इस आदेि िे 1950 के प ले के आदेि को सर्ाप्त कर नदर्ा और राज्र् पर सांघ के अनधकार क्षेत्र को िढा नदर्ा। र् र्ूल आदेि ै,
जो सर्र्-सर्र् पर सांिोनधि ोिा ै, राज्र् की सांिैधानिक नस्थनि और सांघ के साथ इसके सांिांध को निर्ांनत्रि करिा ै।
अनुच्छेद 370

• भारि के सांनिधाि र्ें अिच्ु छे द 370 को िानर्ल नकर्ा गर्ा था जो स्पष्ट रूप से र् क िा ै नक जम्र्ू-कश्र्ीर राज्र् के सांिांध र्ें
प्रािधाि के िल अस्थार्ी ,ैं स्थार्ी ि ीं।
• र् निम्िनलनखि प्रािधािों के साथ 17 ििांिर 1952 को लागू र्कया गर्ा |
o अिच्ु छे द 238 (भाग B राज्र्ों के प्रिासि से निपटिे) के प्रािधाि जम्र्ू-कश्र्ीर राज्र् पर लागू ोिे ैं। जम्र्ू और कश्र्ीर राज्र्
को र्ूल सांनिधाि (1950) र्ें भाग B राज्र्ों की श्रेणी र्ें निनदा ष्ट नकर्ा गर्ा था। भाग VII र्ें र् अिच्ु छे द, 7 िें सांिैधानिक सांिोधि
अनधनिर्र् (1956) द्वारा राज्र्ों के पिु गा ठि के र्द्देिजर सांनिधाि से टा नदर्ा गर्ा था।
o राज्र् के नलए कािूि ििािे ेिु सांसद की िनक्त सीनर्ि ै:
• सांघ सूची और सर्ििी सूची र्ें िे र्ार्ले जो राज्र्ों र्ें निनदा ष्ट र्ार्लों के अिरू ु प ैं। इि र्ार्लों को राष्ट्रपनि द्वारा राज्र्
सरकार के परार्िा से घोनषि नकर्ा जािा ै। एक्सेस ऑफ इांस्रर्ेंट के अांिगा ि चार स्िांभ िानर्ल ै- िा री र्ार्लों, रक्षा,
सांचार और अधीिस्थ र्ार्लों के ि ि िगीकृ ि र्ार्ले ैं।
• सांघ सचू ी और सर्ििी सूची के ऐसे अन्र् र्ार्ले जो राष्ट्रपनि द्वारा राज्र् सरकार की स र्नि के नलए निनदा ष्ट नकए गए ैं।
इसका अथा ै नक जम्र्ू-कश्र्ीर राज्र् की स र्नि से ी इि र्ार्लों पर कािूि ििाए जा सकिे ैं।

129
o अिच्ु छे द-1 के प्रािधाि (भारि को राज्र्ों और उसके क्षेत्र के सांघ के रूप र्ें घोनषि) अिच्ु छे द-370 अथाा ि जम्र्ू-कश्र्ीर राज्र्
पर लागू ोिे ैं।
o उपरोक्त के अलािा, सांनिधाि के अन्र् प्रािधािों को राज्र् सरकार के परार्िा से र्ा राज्र् सरकार की स र्नि से निनदा ष्ट अपिादों
और सांिोधिों के साथ राज्र् र्ें लागू नकर्ा जा सकिा ै।
बाह्य और आंिररक वििाद:
िाह्य मववाद:
िा री िौर पर, पानकस्िाि िे र्ेिा दािा नकर्ा ै नक कश्र्ीर घाटी पानकस्िाि का न स्सा ोिा चान ए। पानकस्िाि िे 1947 र्ें राज्र् के
एक आनदिासी आक्र्ण को प्रार्ोनजि नकर्ा, नजसके पररणार्स्िरूप राज्र् का एक न स्सा पानकस्िािी निर्ांत्रण र्ें आ गर्ा। भारि का
दािा ै नक र् क्षेत्र अिैध कधजे के ि ि ै। पानकस्िाि इस क्षेत्र को 'आ़िाद कश्र्ीर' के रूप र्ें िनणा ि करिा ै। 1947 के िाद से, कश्र्ीर
भारि और पानकस्िाि के िीच सांघषा का एक प्रर्ख ु र्द्दु ा ििा ुआ ै।
आंिररक मववाद:
आांिररक रूप से, भारिीर् सांघ के भीिर कश्र्ीर की नस्थनि के िारे र्ें नििाद ै। र्ारे सांनिधाि र्ें कश्र्ीर को अिच्ु छे द 370 द्वारा एक
नििेष दजाा नदर्ा गर्ा था। अिच्ु छे द 370 भारि के अन्र् राज्र्ों की िल
ु िा र्ें जम्र्ू-कश्र्ीर को अनधक स्िार्ििा देिा ै। राज्र् का
अपिा सांनिधाि ै। भारिीर् सांनिधाि के सभी प्रािधाि राज्र् पर लागू ि ीं ोिे ैं। सांसद द्वारा पाररि कािूि जम्र्ू-कश्र्ीर पर िभी
लागू ोिे ैं,जि राज्र् स र्ि ोिा ै।
पंजाब का मुद्दा
पृष्ठभूवम-

• निभाजि के िाद, नसख पांजाि राज्र् र्ें ि ुर्ि र्ें थे। इस कारण से,1970 के दिक के दौराि अकानलर्ों के एक िगा िे इस क्षेत्र र्ें
राजिीनिक स्िार्ििा की र्ाांग करिा िरू ु कर नदर्ा था|
• उन् ोंिे 1973 र्ें आिांदपरु सान ि सम्र्ेलि र्ें इस सांिांध र्ें एक प्रस्िाि पाररि नकर्ा। इस सांकल्प िे क्षेत्रीर् स्िार्ििा पर जोर नदर्ा
और देि र्ें कें ि-राज्र् सांिांधों को नफर से पररभानषि करिा चा ा।
• उन्होंने वसखों के िभुत्ि या आविपत्य को िाि करने का अपना लक्ष्य घोवषि वकया। हालााँवक, इसका मिलब भारि से अलग
होना नहीं था।
• कुछ अवििादी तत्वों ने भारत से अलगाव की वकालत शरू ु की और मभांडरावाले के नेतृत्व में "खामलस्तान" की माांग की।
1947 के िाद सांिदावयकिा की जडें:
दो प्रर्ख
ु र्द्दु े, जो अपिे आप र्ें धर्ा निरपेक्ष थे, लेनकि नसख और न दां ू साांप्रदानर्कों द्वारा साांप्रदानर्क रूप से, 1966 िक पांजाि की
राजिीनि पर ािी थे:-
पहला मद्दु ा राज्य भाषा:

• नद्वभाषी पांजाि र्ें प्रिासि और निद्यालर् निक्षा की भाषा क्र्ा ोिी चान ए र् एक र्ख्ु र् र्द्दु ा था। न ांदू साांप्रदानर्किािादी न ांदी और
नसख साांप्रदानर्कों गरुु र्ख
ु ी नलनप र्ें पांजािी के नलए र् दजाा देिा चा िे थे।

130
• सरकार िे पंजाब को पंजाबी और र्हंदी-भाषाई क्षेत्रों में र्वभार्जत करके समस्या को हल करिे की कोर्शश की। लेर्कि र्हंदू
साम्प्रदार्यकतावार्दयों िे पंजाबी का अध्ययि करिे के फै सलों का र्वरोध र्कया, साथ ही र्हंदी, सभी निद्यालर् में अर्िवायि कर दी
और पंजाबी को पंजाबी भाषाई क्षेत्र में र्जला प्रशासि के र्लए एकमात्र आर्धकाररक भाषा बिाया गया।
• इससे भी अनधक नििादास्पद पांजािी के नलए नलनप की सर्स्र्ा थी। परांपरागि रूप से, सनदर्ों से, पांजािी उदा ू, गरुु र्ख
ु ी और देििागरी
(न ांदी) नलनपर्ों र्ें नलखी गई थी।
• हालााँर्क, पंजाबी को उसकी सामान्य सांस्कृ र्तक पृष्ठभूर्म से अलग करते हुए, अकार्लयों िे मांग की र्क अके ले गरु मख ु ी को पंजाबी
की र्लर्प के रूप में इस्तेमाल र्कया जािा चार्हए।
• इस मद्दु े को र्सख और र्हंदू, दोिों िे एक मजबूत सांप्रदार्यक रंग दे र्दया था।
दूसरा मुद्दा - पंजाबी सूबा

• 1950 और 1960 के दिक र्ें, भारि र्ें भाषाई र्द्दु ों िे िागररक अव्र्िस्था पैदा की जि कें ि सरकार िे न ांदी को भारि की र्ख्ु र्
आनधकाररक भाषा घोनषि नकर्ा।
• पंजाबी को पंजाब की आर्धकाररक भाषा बिािे की मांग के र्लए 1955 में उिके शांर्तपूणि प्रदशि िों के र्लए कुल 12000 र्सखों को
र्गरफ्तार र्कया गया था, र्जसमें कई अकाली िेता भी शार्मल थे।
• भाषाई समूहों के राष्ट्रव्यापी आंदोलि के पररणामस्वरूप 1956 में भाषाई आधार पर राज्यों का पिु गि िि हुआ।
• उस सर्र्, भारिीर् पांजाि की राजधािी निर्ला र्ें थी, र्द्यनप पांजाि र्ें अनधकाांि नसख र िे थे, नफर भी उिको ि ुर्ि ि ीं प्राप्त
ु आ।
• लेर्कि र्नद हररयाणा और र्हमाचल को अलग र्कया जाए तो र्सखों के पास पंजाब हो सकता है, र्जसमें वे 40 फीसदी र्हंदओ ु ं के
र्खलाफ 60 फीसदी बहुमत हार्सल कर सकते हैं। नसख राजिीनिक पाटी अकाली दल र्ख्ु र् रूप से पांजाि र्ें सनक्र् थी, जो एक
पंजाबी सूबा बिािे के र्लए िैर्ार थे। यह मामला 1953 में स्थार्पत राज्य पिु गि िि आयोग के सार्िे प्रस्तुत र्कया गया था।
हररि क्रांवि के आवथिक पररर्ाम
पांजाि र्ें ररि क्ाांनि के कई सकारात्र्क प्रभाि थे | र्िीिीकृ ि कृ नष िकिीकों की िरू
ु आि िे िेरोजगारी को जन्र् नदर्ा। िेरोजगार र्िु ाओां
को औद्योनगक निकास द्वारा अििोनषि नकर्ा जा सकिा था, लेनकि भारि सरकार पानकस्िाि के साथ उच्च जोनखर् िाले सीर्ाििी क्षेत्र
र्ें नस्थनि के कारण पांजाि र्ें भारी उद्योग स्थानपि करिे के नलए अनिच्छुक थी। पररणार्स्िरूप िेरोजगार ग्रार्ीण नसख र्िु ाओां को
आिांकिादी सर्ू ों के नलए िैर्ार नकर्ा गर्ा जो उग्रिाद की रीढ ििा।
पावकस्िान का हस्तक्षेप:

• वसख आिंकिावदयों को िवशक्षर् देने, मागिदशिन करने और उन्हें आगे बढ़ाने में पावकस्िान का हमेशा से संबंि रहा है। िाििा
वसंह, चीफ बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI), लखबीर वसंह रोडे, चीफ, इंटरनेशनल वसख यूथ फे डरेशन (ISYF), और रर्जीि
वसंह नीिा, चीफ, खावलस्िान वजंदाबाद फोसि (KZF) पावकस्िान में स्थायी रूप से उग्रिादी गविविवियों का समन्िय कर रहे
थे। पंजाब में और भारि के अन्य जगहों पर पाक ISI के मागिदशिन में उनके संगठनों द्वारा मवद्रोमहयों का सहयोग मकया जाता
रहा है।
• भारत में मगरफ्तार मकए गए मसख आतांकवामदयों की पूछताछ में यह सामने आया है वक , मसख युवाओां को पावकस्िान में ISI
के देखरेख में प्रमशक्षण मदया गया है|
ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984)

131
• अकाली दल का िेित्ृ ि उदारिादी से उग्रिादी र्ें िदल गर्ा था,
और उन् ोंिे खानलस्िाि पािे के नलए सिस्त्र नििो का रास्िा
अपिार्ा।
• उन्होंिे अमृतसर में स्वणि मंर्दर को अपिा मख्ु यालय बिाया और
इसे एक सशस्त्र र्कले में बदल र्दया।
• जूि 1984 में, भारत सरकार िे उग्रवार्दयों को बाहर र्िकालिे के
र्लए "ऑपरेशि ब्लू स्िार" िार्क एक सैन्र् कारि वाई की। इसे
भारतीय सेिा के जवािों िे सफलतापूविक सांचानलि र्कया।
• इस िीच कारा िाई के दौराि, पनित्र स्थाि क्षनिग्रस्ि ो गर्ा और लोगों की भाििाएां आ ि ुई ां और इससे उग्रिादी और चरर्पांथी
सर्ू ों को गनि नर्ली।
• बाद में, र्सखों की भाविाओं का बदला लेिे के र्लए प्रधािर्ांत्री इांनदरा गाांधी के अांगरक्षकों िे गोली मार कर उिकी त्र्ा दी, र्जसके
फलस्िरूप र्सख र्वरोधी दंगों में निष्ठुरिा आई।
वसख विरोिी दंगे (1984)

• इांनदरा गाांधी की त्र्ा िे देि भर र्ें नसख निरोधी दांगों को जन्र् नदर्ा,
नििेषकर नदल्ली और पांजाि र्ें।
• र् दंगे बहुत र्हंसक थे, और लोगों का िरसंहार भी नकर्ा था ।
• राजीि गाांधी िे नसख दांगों की स्ििांत्र न्र्ानर्क जाांच के आदेि नदए
और पांजाि सर्झौिे पर स्िाक्षर भी नकए।
• 2000 में, राष्ट्रीय जितांर्त्रक गिबंधि (NDA) िे दंगों के दौराि
र्िदोष र्सखों की हत्या की जांच के र्लए न्यायमूर्ति िािावती को
र्ियक्त
ु र्कया।
• आर्ोग िे फरिरी 2005 र्ें अपिी ररपोटा प्रस्ििु की। इस ररपोटा
की भारी आलोचिा की गई क्र्ोंनक इसर्ें 1984 के नसख निरोधी दांगों र्ें जगदीि टाइटलर जैसे काांग्रेस पाटी के सदस्र्ों की भूनर्का
का स्पष्ट उल्लेख ि ीं नकर्ा गर्ा था।
• ररपोिि के बाद व्यापक रूप से र्वरोध प्रदशि ि हुए, र्जसके कारण िाइिलर िे कें द्रीय मंर्त्रमंडल से इस्तीफा दे र्दया ।
• ररपोिि के बाद, तत्कालीि प्रधाि मंत्री मिमोहि र्संह िे ऑपरेशि ब्लू स्िार और उसके बाद हुए दंगों के र्लए र्सख समदु ाय से माफी
मांगी।
पंजाब समझौिे (1985)

• राजीि गाांधी िे पांजाि की सर्स्र्ा का स्थार्ी सर्ाधाि प्रदाि करिे के नलए अकाली िेिाओां के साथ िािचीि िरू
ु की। अगस्ि 1985
र्ें, राजीि गाांधी और लोंगोिाल िे पांजाि सर्झौिे पर स्िाक्षर नकए। सर्झौिे के प्रर्ख
ु प्रािधाि थे:
o रंगिाथ र्मश्रा आयोग को 1984 के दंगों की पूछताछ करिी थी।
o 1 अगस्त 1982 के िाद मारे गए मनदोष व्यमियों के पररवारों को उमचत मआ ु वजा मदया जाएगा, और मकसी भी सांपमि के
नुकसान के मलए भी मुआवजा मदया जाएगा।

132
o शाह आयोग की मसफाररश को रद्द करके चांडीगढ को पांजाि को मदया जाना
था, मजसने सुझाव मदया था मक यह हररयाणा को मदया जाए।
o कें द्र-राज्य सांिांधों से सांिांमधत आनांदपुर सामहि सांकल्प का एक महस्सा
सरकाररया आयोग को भेजा जाना था।
o राजस्थान, पांजाि, हररयाणा के िीच अमधकरण के माध्यम से जल का
िाँटवारा|
o पांजाि से AFSPA का निरसि।
• इस सर्झौिे िे ित्काल िाांनि ि ीं दी। उग्रिाद और आतंकवाद की न ांसा जारी
र ी नजसके कारण र्ािि अनधकारों का उल्लांघि ुआ।
• अकाली दल का र्वखंडि भी शरू ु ो गर्ा। सामान्य राजिीर्तक प्रर्िया स्थर्गत
कर दी गई और राष्ट्रपर्त शासि लगा र्दया गया ।
• धीरे-धीरे सरु क्षा बलों द्वारा उग्रवाद को र्मिा र्दया गया ।
• 1990 के मध्य तक पंजाब में शांर्त लौि आई। भाजपा और र्शरोमर्ण अकाली
दल गिबंधि की र्वजयी ुई और राज्य में लोकतांर्त्रक प्रर्िया को वापस लाया
गर्ा|
पंजाब समझौिे के पिाि और उग्रिाद का अंि:

• पांजाि राज्र् निधािसभा और राष्ट्रीय सांसद के नलए चिु ाि नसिांिर 1985


र्ें निधाा ररि नकए गए थे। लोंगोिाल की त्र्ा नसख उग्रिानदर्ों द्वारा की गई
थी जो इस सर्झौिे के निरोधी थे।
• इसके बावजूद, 66% के मतदाि के साथ, समय पर चिु ाव हुए। अकाली
दल िे अपिे इर्तहास में पहली बार राज्य र्वधािसभा में पणू ि बहुमत
हार्सल र्कया।
• सरु जीत र्संह बरिाला मख्ु यमंत्री बिे। अकाली सरकार को गिु बाजी और
उग्रवादी गिु ों से छुिकारा र्मल गया, र्जन्होंिे जल्द ही राज्य सरकार की
िीर्तयों का लाभ उिाया।
• सर्र् के साथ आिांकिादी गनिनिनधर्ों का पिु रुत्थाि ुआ,परांिु राज्र्
सरकार उिसे निपटिे र्ें सक्षर् ि ीं थी।
• कें द्र सरकार िे सरकार को बखाि स्त कर र्दया और मई 1987 में राष्ट्रपर्त शासि लागु नकर्ा गर्ा | इसके बावजूद भी, पार्कस्ताि के
समथि ि से आतंकवाद बढ़ता चला गया।
• वीपी र्संह और चंद्रशेखर की अगवु ाई वाली सरकारों िे बातचीत के जररए आतंकवार्दयों और चरमपंर्थयों के तुर्ष्टकरण के साथ पंजाब
की समस्या को हल करिे की कोर्शश की।
• 1988 में, राज्य िे ऑपरेशि ब्लैक थंडर शरू ु र्कया, जो पंजाब पर्ु लस और अधि सैर्िक बलों द्वारा चलाया गया था। यह आतंकवार्दयों
को बाहर र्िकालिे में सफल रहा।
• 1991 के मध्य से, िरर्सम्हा राव सरकार िे आतंकवाद के प्रर्त किोर िीर्त का पालि र्कया। पर्ु लस तेजी से प्रभावी हुई और 1993
तक, पंजाब वस्तुतः आतंकवाद से मक्त ु हो गया।

133
उत्तर पिू ि की समस्याएाँ:

उत्तर पूिि भारि में समस्या के कारर्:


ऐमतहामसक सांिांध:
• पूिोिर र्ें पारांपररक जिजानिर्ों के िीच ऐनि ानसक सांिांध िडे पैर्ािे पर दनक्षण एनिर्ा की िुलिा र्ें दनक्षण पूिा एनिर्ा के करीि र े ैं।
• र् भारि के अन्र् राज्र्ों से जािीर्, भाषाई और साांस्कृ निक रूप से अलग ै।
• र्द्यनप साांस्कृ निक और जािीर् निनिधिा सांघषा का कारण ि ीं ै, लेनकि क्षेत्रों की प्रर्ख
ु सर्स्र्ा र्ें से एक ै | 1950 के दिक र्ें
पररसीर्ि की प्रनक्र्ा के दौराि जािीर् और साांस्कृ निक निनिष्टिाओां की अिदेखी की गई थी, र्जसिे असांिोष को जन्र् र्दया।
प्रिानसर्ों का अन्ििाा :
इस क्षेत्र के अनधकाांि राज्र्ों र्ें पडोसी राज्र्ों और देिों के प्रिानसर्ों के अांििाा के कारण िडे जिसाांनख्र्कीर् पररििा ि ुए।
िेष भारि की िल
ु िा र्ें नपछडापि:
इस क्षेत्र के अलगाि, इसके जनटल सार्ानजक प चाि और देि के अन्र् न स्सों की िुलिा र्ें इसके नपछडेपि के कारण, पूिोिर के निनभन्ि
राज्र्ों से निनभन्ि जनटल र्ाांगे उत्पन्ि ुई|
अांिराा ष्ट्रीर् सीर्ा:
उिर-पिू ा और िेष भारि के िीच नििाल अांिरराष्ट्रीर् सीर्ा और कर्जोर सांचार िे ि ाँ की राजिीनि की िाजक ु प्रकृ नि को और िढािा
नदर्ा ै। उिर-पिू ा की राजिीनि र्ें िीि र्द्दु े र्ख्ु र् रूप से प्रभािी ैं: स्िार्ििा, अलगाि के नलए आांदोलि और िा री लोगों के निरोध ’की
र्ाांग।
सशस्त्र बल र्वशेष शर्क्त अर्धर्ियम(AFSPA) -इस अर्धर्ियम का प्रर्ोग राजिीर्तक उपायों के साथ संघषि को हल करिे में सरकार की
अक्षमता और अर्िच्छा को दशाि ता है। िागा प ाडी में एक सशस्त्र अलगाववादी आंदोलि का मक ु ाबला करिे के र्लए िथा छोटी अिनध
के नलए सेिा की तैिाती की अिुमर्त देिे के र्लए, AFSPA को 18 अगस्ि 1958 को पाररि नकर्ा गर्ा था, जो नपछले पाँच दिक से इस
क्षेत्र र्ें लागु ै और 1972 र्ें इसे सभी सात राज्यों में र्वस्ताररत र्कया गया ै (र्मजोरम को छोड़कर)।
असम संकट:
कारर्:
आवथिक:
• असर् की गांभीर नपछडापि कें ि सरकार द्वारा उसके साथ नकए जा र े अिनु चि व्र्ि ार के कारण थी, नजसिे ि के िल इसके निकास
की उपेक्षा की, िनल्क कें िीर् धि के आिांटि, उद्योग और अन्र् आनथा क उद्यर्ों के स्थाि आिांटि र्ें भी इसके नखलाफ भेदभाि नकर्ा
गर्ा था।
• आनथा क रूप से नपछडेपि को इसके अथा व्र्िस्था और सांसाधिों पर निर्ांत्रण करिे का कारण ििार्ा गर्ा, नििेष रूप से िा री लोगों
ज्र्ादािर र्ारिाडी और िांगानलर्ों के द्वारा इसके चार्, प्लाईिडु और अन्र् िस्िओ ु ां का उत्पादि और निक्ी की गई | चार्, प्लाईिडु
और अन्र् उद्योगों र्ें श्रर् िनक्त भी ज्र्ादािर गैर-असनर्र्ा थी।
• चार् और प्लाईिडु उद्योगों से प्राप्त राजस्ि र्ें असर् के नलए अनधक न स्सेदारी की र्ाांग, कच्चे िेल के नलए एक उच्च रॉर्ल्टी, कें िीर्
नििीर् अिदु ाि और र्ोजिा आिांटि, असर् र्ें िेल ररफाइिररर्ों का निर्ाा ण , िह्मपत्रु िदी पर अनधक पल ु ों का निर्ाा ण, असर् और
िेष भारि के िीच रेलिे नलांक का उन्िर्ि, राज्र् और कें ि सरकारों द्वारा राज्र् के औद्योनगकीकरण र्ें अनधक से अनधक प्रर्ास, और
कें ि सरकार की सेिाओां और सािा जनिक क्षेत्र के उद्यर्ों र्ें असनर्र्ों का अनधक से अनधक रोजगार आर्द की र्ाांग की गई |

134
बंगाली :
• औपनििेनिक काल के दौराि और स्ििांत्रिा के िाद कई िषों िक, िांगानलर्ो का स्थार्ी रूप से असम र्ें िसिा साथ ी उन् ोंिे
सरकारी सेवाओं में, र्शक्षण और अन्य आधर्ु िक व्यवसायों में और सावि जर्िक और र्िजी क्षेत्रों में उच्च पदों पर कब्जा कर र्लया।
• िौकरी र्ें अवसरों की कमी, असम के उद्योग और व्यापार में ’बाहरी लोगों’ की महत्वपूणि भूर्मका, और सांस्कृ र्तक रूप से हावी होिे
के डर िे मध्यवगीय असर्मयों के मि में अभाव की भाविा पैदा की।
• उन् ोंिे 1950 के दिक र्ें राज्र् सरकार की सेिाओां की भिी र्ें असनर्र्ा िोलिे िालों को प्राथनर्किा देिे और स्कूलों और
कॉलेजों र्ें असनर्र्ा को एकर्ात्र आनधकाररक भाषा और निक्षा का र्ाध्र्र् ििािे के नलए आांदोलि िरू ु नकर्ा।
• आर्धकाररक भाषा में बदलाव के र्लए आंदोलि के कारण बंगाली और असर्मया बोलिे वालों के र्ध्र् ित्रिु ा िर्मक रूप से
प्रारम्भ ुई | जल
ु ाई 1960 में, यह भाषाई दंगों के रूप में भड़क उिी।
• 1960 में ही, राज्य र्वधािसभा िे बंगाली भार्षयों और कई आर्दवासी समूहों की इच्छा के र्खलाफ एक कािूि पाररत र्कया,
र्जससे असर्मया एकमात्र आर्धकाररक भाषा बि गई| हालांर्क बंगाली, कछार में अर्तररक्त आर्धकाररक भाषा बिी रही।
• 1972 में, असर्मया गवु ाहािी र्वश्वर्वद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में भी र्शक्षा का एकमात्र माध्यम बिा।
• असर्मया भाषा को थोपिे का यह प्रयास असर्मया पहचाि के र्वकास की प्रर्िया में बाधा उत्पन्ि करिे वाले कारकों में से एक
बि गया, और इस कारण से कई पहाड़ी जिजार्तयों िे असम से अलग ोिे की मांग की।

अिैि ििासी:
• 1979 में बड़े पैमािे पर र्वदेश र्वरोधी आंदोलि का र्ख्ु र् कारण बांग्लादेश और िेपाल से आए प्रिानसर्ों थे |
• र्िर्िश प्रशासि िे उिके द्वारा शरू ु की गई वृक्षारोपण प्रणाली पर काम करिे ेिु हजारों नि ारी प्रिानसर्ो को प्रोत्सार्हत र्कया था।
• 1939 और 1947 के बीच मर्ु स्लम साम्प्रदार्यकतावार्दयों िे भारत के र्वभाजि के मामले में एक बेहतर सौदेबाजी की र्स्थर्त पैदा
करिे के र्लए बंगाली मर्ु स्लम प्रवासि को प्रोत्सार्हत र्कया।
• र्वभाजि के कारण पर्िम बंगाल, र्त्रपरु ा के अलावा असम में भी पार्कस्तािी से बड़े पैमािे पर शरणाथी आए।
• इस जिसांर्ख्यकीय पररवति ि िे भाषाई, सांस्कृ र्तक और राजिीर्तक असरु क्षा की भाविा उत्पन्ि की र्जसिे असर्मयों को अर्भभूत
कर र्दया और 1980 के दशक में अवैध प्रवार्सयों के र्खलाफ उिके आंदोलि के र्लए एक मजबूत भाविात्मक सामग्री प्रदाि की।

राज्य का विभाजन
असर् के कई नििानसर्ों को ऐसा लगा नक कें ि सरकार द्वारा असर् के कई आनदिासी क्षेत्रों को छोटे राज्र् जैसे र्ेघालर् ,िागालैंड
,नर्जोरर् और अरुणाचल प्रदेि र्ें निभानजि करके , आसार्ी आनदिानसर्ों की प चाि को व्र्ापक रूप देिे से रोका जा र ा ै।
अिैि ििावसयों के कारर् संघषि:
• 1979 में अवैध प्रवासी, एक प्रमख ु मद्दु ा िि बि गया जब यह स्पष्ट हो गया र्क बांग्लादेश से बड़ी संख्या में आए अवैध अप्रवासी
राज्य में मतदाता बि गए हैं।
• क्षेत्रीय राजिीर्तक, सार्हर्त्यक और सांस्कृ र्तक संघ के गिबंधि ऑल असम स्िूडेंि्स यर्ू ियि (AASU) और असम पीपल्ु स
स्रगल काउंर्सल िे बड़े पैमािे पर गैर-कािूिी प्रवासि के निरोध र्ें आंदोलि शरूु र्कया।

मांगों:
• उन् ोंिे कें ि सरकार से क ा नक प्रिानसर्ों के अनधक अांििाा को रोकिे के नलए असर् की सीर्ाओां को िांद कर नदर्ा जाए, सभी
अिैध प्रिासी की प चाि की जाए और उिका िार् र्िदािा सचू ी से टा नदर्ा जाए और ऐसा ोिे िक चिु ाि स्थनगि कर नदर्ा
जाए, और उि सभी को भारि के अन्र् न स्सों र्ें भेज नदर्ा जाए, नजन् ोंिे 1961 के िाद राज्र् र्ें प्रिेि नकर्ा था।

135
• 1979 से 1985 तक के वषों में राज्य में राजिीर्तक अर्स्थरता देखी गई, राज्य सरकारों का पति, राष्ट्रपर्त शासि लागू करिा,
र्िरंतर र्हंसक आंदोलि, डिाल, सर्विय अवज्ञा अर्भयाि आनद िे सामान्य जि जीवि को अस्ि-व्र्स्ि कर नदर्ा|

असम समझौता (1985)

पृष्ठभूवम-

• असर् र्ें प्रिास करिे िाले िा री लोगों के र्द्दु ा का एक लांिा इनि ास


र ा ै, जो निनटि काल से िरू ु ुआ था, नजसर्ें चार्-िागाि श्रनर्कों
के प्रिास को प्रोत्सान ि नकर्ा गर्ा था।
• 1971 में, पूवी बंगाल में पार्कस्तािी हमले के बाद, दस लाख से
अर्धक शरणार्थियों िे असम में शरण ली। उिमें से अर्धकांश बांग्लादेश
के र्िमाि ण के बाद वापस चले गए, लेर्कि लगभग 100,000 प्रिासी
बिे रहे।
• 1971 के बाद, बांग्लादेश से असम और आस-पास के उत्तर-पूवी
राज्यों में बड़े पैमािे पर अवैध अप्रिासी थे।
• इससे असर् र्ें जिसाांनख्र्कीर् पररििा ि ुआ नजसके कारण कई
असनर्र्ों के र्ि र्ें आिांका पैदा की
• उन्होंिे महसूस र्कया र्क असर्मया अपिी ही भूर्म में अल्पसंख्यक हो
र े है और पररणामस्वरूप उिकी भाषा संस्कृ र्त, अथि व्यवस्था और
राजिीर्त पर र्ियंत्रण का सांकट िथा उिकी पहचाि और व्यर्क्तत्व
का सांकट उत्पन्ि हो रहा है।
• पररणामस्वरूप, 1979 र्ें, ऑल असम स्िूडेंि्स यूर्ियि (AASU)
और असम गण संग्राम पररषद (असम पीपल्ु स स्रगल काउंर्सल) िे बड़े
पैमािे पर गैर-कािूिी प्रवासि के निरोध र्ें आंदोलि शरू ु र्कया।
• उन् ोंिे र्ाांग की नक कें ि सरकार प्रिानसर्ों के अनधक अांििाा को रोकिे के नलए असर् की सीर्ाओां को सील करे, साथ ी सभी अिैध
प्रिासी की प चाि करे और उिका िार् र्िदािा सूची से टाए।
• कािूि-व्यवस्था का पूरी तरह से र्वघिि हुआ और भाषाई और सांप्रदार्यक पहचाि के आधार पर दंगे प्रारम्भ ो गए।
असम समझौिा(15 अगस्ि, 1985) -

• राजीि गाांधी के सिा र्ें आिे के िाद, उन् ोंिे 15 अगस्ि, 1985 को असर् सर्झौिे पर स्िाक्षर नकर्ा।
• समझौते के अनुसार:
o 1951 और 1961 के िीच असम में प्रवेश करने वाले सभी मवदेमशयों को मतदान के अमधकार समहत पूणि नागररकता दी
जानी थी
o 1961 और 1971 के िीच प्रवेश करने िाले ििावसयों को 10 वषों के मलए मतदान के अमधकारों से वांमचत मकया जाना
था, लेमकन 1971 के िाद आए ििासी सभी नागररक अमधकारों का लाभ ले सकते थे|

136
o राज्य के आमथिक मवकास को सुमनमित करने के मलए एक दूसरी
तेल ररफाइनरी, एक पेपर ममल और प्रौद्योमगकी सांस्थान की
स्थापना का भी वादा मकया गया था।
o कें द्र सरकार ने असममया लोगों की साांस्कृमतक, सामामजक और
भाषाई पहचान और मवरासत की रक्षा के मलए मवधायी और
प्रशासमनक सुरक्षा प्रदान करने का वादा मकया|
• सर्झौिे के िाद, नदसांिर 1985 र्ें िए नसरे से चिु ाि ुए। निदेिी-निरोधी
आांदोलि के िेिाओां द्वारा एक िई पाटी, असर् गण पररषद (AJP) का गठि
नकर्ा गर्ा, नजसे जििा द्वारा सिा प्रदाि नकर्ा गर्ा।

137
अध्याय - 7 भारि में लोकविय आंदोलन / कायिक्रम
Sr. विषय सूची
1 भूनर् सधु ार
2 कृ नष निकास और ररि क्ाांनि
3 आजादी के िाद से कृ नष सांघषा
4 स काररिा
5 र्न ला आांदोलि
6 दनलि आांदोलि
7 पर्ाा िरण आांदोलि
8 िागररक लोकिाांनत्रक आांदोलि
9 ICT का र्गु

138
भूशम स्
ु ार

पररचय-

• आजादी

संस्थागि सुिार का िकनीकी सुिार का


चरर्/ िथम चरर् चरर्/ वद्विीय चरर्

1947-1960 1960 के बाद

वबचौवलयों का हररि क्रांवि.


उन्मल
ू न

काश्िकारी सुिार

भूवम सीमांकन

स कारी और
सार्दु ानर्क निकास
कार्ा क्र्
के िाद भारि र्ें भूनर् सधु ार प्रनक्र्ाओां को दो चरर्ों र्ें िगीकृ ि नकर्ा जा सकिा ै -

िथम चरर् - संस्थागि सिु ार का चरर्


कुमारप्पा सवमवि - आजादी के सर्र्, ि के िल जमींदार और िालुकदार जैसे निचौनलर्े देि र्ें कृ नष पर ािी थे, िनल्क प्रिासी
जमींदारों के विवभन्न रूप भी मौजूद थे।

139
• भूनर् र्ें वनिेश की कमी के कारण कृ नष उत्पादि प्रभानिि ुआ , जो निम्ि
कारकों का पररणार् था: जमींदारों द्वारा अनुवचि काश्िकारी अनुबंि, बेगार,
जमींदारों द्वारा अिैि िसल ू ी और वकसानों
से अविशय लगान।
• कुमारप्पा सवमवि िे प ली िार देश में
विद्यमान कृवष-संबंिों का विस्िृि रूप से
सिेक्षर् वकया और भूनर् सधु ारों के सभी र्द्दु ों
से सांिांनधि व्र्ापक नसफाररिें दीं-

J C KUMARAPPA
• उन् ोंिे क ा नक राज्य और कृषक के बीच के सभी वबचौवलयों को समाि वकया जाना चावहए और भूनर् िास्िनिक कृ षक की ोिी
चान ए।
• ककराए पर ज़मीि दे िा रततबिंधधत
ककया जाना चाहहए (प्वधवाओिं,
नाबामलगों और अन्य हदव्यािंग
व्यजततयों के मामले को छोड़कर)। वे
व्यजतत जो न्यूनतम शार ररक श्रम
करते हैं परिं तु वास्तप्वक कृप्ष
गततप्वधधयों में भाग लेते हैं, उन्हें
व्यजततगत रूप से खेती करनी चाहहए,
आहद।
• भूनर् (नजस पर नकसािों द्वारा खेिी की
जािी ै) के आकार पर एक सीमा होनी
चावहए।
• इसके ि ि पिु जीनिि की गई बंजर-भूवम के विकास के वलए सामूवहक खेिी पर निचार नकर्ा गर्ा, नजस पर भूनर् ीि र्जदूरों को
कार् पर लगार्ा जा सकिा था।
• र् र्ािा गर्ा नक कृ षक खेिी(िो नकसाि जो खेिी करिे के वलए स्ििंत्र होिे है ) सिसे उपर्क्त
ु ोगा।
जमींदारी उन्मल
ू न–
• जि सांनिधाि सभा भारि के संवििान को बनाने की िवक्रया में थी, कई प्राांिों, जैसे नक उिर प्रदेि, र्ध्र् प्रदेि, नि ार, र्िास, असर्
और िॉम्िे िे निचौनलर्ों को टािे के नलए जमींदारी उन्मलू न वििेयक पेि नकर्ा।
• 1951 में पहला संशोिन और 1955 में चौथे संशोिन िे, जर्ींदारी उन्र्ूलि को लागू करिे के नलए राज्र् निधािसभाओां को और
र्जिूि नकर्ा, नजसिे अदालिों र्ें नकसी भी र्ौनलक अनधकार के उल्लांघि के सिाल को अस्िीकार्ा घोनषि नकर्ा।
• जर्ींदारी उन्र्ूलि कािूि को लागू करिे र्ें एक और िडी िाधा पयािि भूवम ररकॉडि की अनुपवस्थवि थी।

140
• इि सभी के िीच, देि र्ें भूनर् सधु ार की प्रनक्र्ा 1950 के दिक के
अांि िक पूरी ो गई।
• जर्ींदारी प्रथा के उन्र्ूलि के िाद, लगभग 20 वमवलयन
काश्िकार भूस्िामी बन गए। इसके ि ि उन् ें ि के िल भूनर् का
र्ानलकािा क प्राप्त ुआ, िनल्क िे र्ौजूदा जर्ीि र्ानलकों के चांगुल
से भी र्क्त
ु ु ए।
• काश्िकारों की जिसांख्र्ा के आधार पर, भू-स्िानर्र्ों को नदए गए
र्आ
ु िजे, ित्येक राज्य में अलग-अलग थे।
वबचौवलयों का उन्मूलन
• आजादी के दौराि भारि र्ें िालुकदार, जागीर और इमाम जैसे
निचौनलर्ों का कृ नष क्षेत्र पर िचा स्ि था।
• आजादी के िुरिां िाद, देि के निनभन्ि न स्सों र्ें जमींदारी िथा के
उन्मल
ू न के उपार् नकए गए।
• निचौनलर्ों को खत्र् करिे का प ला अनधनिर्र् 1948 में मद्रास में पाररि नकर्ा गर्ा था।
• पररणार्स्िरूप, लगभग एक करोड काश्िकारों को भवू म का स्िावमत्ि वमला।
रुकािटें-

• जमींदारों की अवनच्छा -
o कािूि पाररि ोिे के िाद, ़िर्ींदारों िे उच्च न्यायालयों और उच्चिम न्यायालय में मक़ ु दमा दायर वकया। इस िर के र्क
ु दर्ों
िे इन वििानों की िभािशीलिा को बहुि कम कर वदया।
o अांि र्ें कािूि लागू ोिे के िाद, जर्ींदारों िे राजस्ि अनधकाररर्ों के साथ सहयोग करने से इनकार कर वदया।
o ग्रार् और ि सील स्िर पर छोटे राजस्ि अनधकाररर्ों िे ररश्वि के वलए जमींदारों का सवक्रय रूप से समथिन वकया।
• कानून में त्रुवटयां-
o जर्ींदारों िे काश्िकारों को बेदखल करिे और कािूिी प्रनक्र्ा के र्ाध्र्र् से अनधकाांि जर्ीि को अपिे पास रखिे के नलए
कािूि र्ें इस खार्ी का दरुु पर्ोग नकर्ा।
o उन् ोंिे उत्पादकिा िढािे के नलए क्षेत्र र्ें पंज
ू ीिादी खेिी िरू
ु कर दी।
• नए वबचौवलए -
o जर्ींदारी उन्र्ूलि के र्ख्ु र् लाभाथी बडे (superior) काश्िकार थे।
o इि िए भूस्िानर्र्ों िे उसी भूनर् को छोटे (inferior) बटाईदारों को पट्टे पर दे नदर्ा, जो नक र्ौनखक और अिैनिक सर्झौिों
पर आधाररि था।
o र्े छोटे नकरार्ेदार िए ़िर्ींदारों की इच्छा के अनुसार हटाए जा सकिे थे।
काश्िकारी सुिार-

• काश्िकारी सधु ार कािूि र्ें काश्िकारों के पंजीकरर् का िाििान था, इसके िहि पूिि काश्िकारों को सीिे राज्य के िहि लाने
के वलए उन्हें मावलकाना हक वदया गया था।

141
• ालाँनक, भारि के निनभन्ि न स्सों र्ें राजिीनिक और आनथा क पररनस्थनिर्ाँ इििी नभन्ि थीं नक विवभन्न राज्यों द्वारा पाररि
काश्िकारी कानून की िकृवि और उनके कायािन्ियन के िरीके भी वभन्न थे।

• कई राज्र्ों िे कािूि ििार्ा, और काश्िकारों को पट्टेदारी (tenure of land) की सुरक्षा िदान की। लेनकि िे सभी जग ों पर समान
नहीं हैं। कुछ राज्र्ों र्ें जमींदार द्वारा भूवम पर वफर से स्ि-खेिी शुरू वकया गया, वजसके उपरांि काश्िकारों को एक न्र्ूििर् जर्ीि
देिे की आिश्र्किा ोिी ै।

राजनीविक
इच्छाशवि

बहुि सी भूवम
का बंजर और गरीबी वनिारर्
कृवष योग्य न िर्ाली
होना

भूवम सुिार विफलिा


के कारर्

कानूनों और
बेनामी लेन देन वनयमों में
कवमयां

बडे वकसानों
के साथ
सहयोग

वकराए का वनयमन:
• नकराए को विवनयवमि करने िाले कानूनों के अविवनयमन से पहले, काश्िकारों द्वारा जमींदारों को उपज का 50 से लेकर 80
िविशि िक अत्यविक वकराए का भुगिान वकया जािा था। इसे निनिर्नर्ि करिे के नलए कािूि पाररि नकए गए।
• अि नकराए की अनधकिर् दरें िर् की गई ां(जो आंध्र िदेश, हररयार्ा और पंजाब को छोडकर सभी राज्यों में सकल उपज का
1/4 से अविक नहीं हो सकिा था)।
स्िावमत्ि का अविकार:
• कुछ राज्र्ों र्ें, सरकारों िे मआ ु िजा देने के बाद, र्ानलकों से ़िर्ीि ले ली और नफर उसी ़िर्ीि को राज्र्ों िे क़ीर्ि (नकस्िों र्ें)
के िदले काश्िकारों को हस्िांिररि कर वदया।
• दस ू रे जग ों र्ें, काश्िकारों को सीिे मावलकों को एक वनविि मआ ु िजा (वकस्िों में) देिे के नलए क ा गर्ा ।
संिैिावनक सुरक्षा:

• कृवष सिु ारों के वखलाफ कई अदालिी मामले दायर वकए जाने लगे और सांनिधाि र्ें प ला सांिोधि आिश्र्क ो गर्ा।

142
• इस सांिोधि से सांनिधाि र्ें िए अनच्ु छेद 31 A और 31 B और िौिीं अिस ु चू ी को जोडा गर्ा। इस प्रकार इसिे ़िर्ींदारी उन्र्ूलि
कर कािूिों की सांिैधानिक िैधिा को सनु िनिि नकर्ा (र् निनदा ष्ट करिे ुए नक उन् ें इस आधार पर चिु ौिी ि ीं दी जा सकिी ै नक
उन् ोंिे र्ौनलक अनधकारों का उल्लांघि नकर्ा ै)।

जुलाई, 2013 में , ग्रामीण प्वकास मिंत्रालय ने एक नई राटर य भूमम सुधार नीतत का मसौदा तैयार ककया। इसके पााँच मूल
लक्ष्य हैं-
• सभी ग्रामीण भूममह न गर बों में भूमम प्वतरण
• दमलतों और आहदवामसयों जैसे कमजोर समुदायों से अन्यायपूणष तर के से ल गई भूमम को पुनस्थाषप्पत करना
• दमलतों और आहदवामसयों की भूमम की रक्षा करना
• पट्टे (Leasing) दे ने के कानूनों को उदार बनाना
• महहलाओिं के अधधकारों में सध
ु ार

भवू म सीमांकन/लैंड सीवलंग -


• लैंड सीनलांग का अथा ै वकसी एक व्यवि या पररिार के पास जमीन की अविकिम सीमा को िय करना|
• इसका उद्देश्र् भूनर् नििरण र्ें सर्ाििा लािा था।
• िर् की गई सीर्ा से ऊपर की भूनर् को अनधिेष भूनर् क ा जािा था।
• सरकार अविशेष भूवम के साथ क्या करिी थी- र्नद नकसी व्र्नक्त र्ा पररिार के पास िर् सीर्ा से अनधक भूनर् ोिी थी, िो अनधिेष
भूनर् को असली र्ानलक को र्आ ु िजा देकर र्ा नििा र्आ ु िजा नदए, ले नलर्ा जािा था और उस भूनर् को लघु वकसान, भूवमहीनों या
ग्राम पंचायि या सहकारी कृषकों को नििररि कर नदर्ा जािा था।
• इसनलए, भूनर् की अनधकिर् सीर्ा को िर् करिा सामावजक न्याय की ओर एक र् त्िपूणा कदर् था।
• कवमयााँ- अनधकाांि राज्र्ों र्ें सीवलंग काननू ों के अिस ु ार कुछ िडी कनर्र्ाँ थीं।
• राज्र्ों द्वारा मौजूदा भूवम पर िर् की गई सीर्ा ि ुि अनधक थी। के िल कुछ राज्र्ों, जैसे, जम्मू और कश्मीर, पविम बंगाल, वहमाचल
िदेश और पंजाब में, ज ाां कुछ द िक र् िर् सीर्ा से अनधक था, ि ाां पररिार के आकार से सांिांनधि कोई भिा ि ीं नदर्ा गर्ा।
• नद्विीर् र्ोजिा की अििु ांसा के िाद अनधकाांि राज्र्ों द्वारा सीनलांग सीर्ा र्ें िडी सांख्र्ा र्ें छूट की अिर्ु नि दी गई थी।
• सीनलांग काननू में विलंब के कारर् इसका उद्देश्र् प्रभानिि ुआ।
• इसके अलािा, ़िर्ींदारों िे भी काश्िकारों को बडे पैमाने पर बेदखल कर वदया, और अपिे जर्ीि को कर् से कर् सीनलांग सीर्ा
िक पिु ः प्राप्त कर नलर्ा, और िे अक्सर अपिी प्रत्र्क्ष देखरेख र्ें अपिी खेिी को प्रगनििील खेिी र्ें स्थािाांिररि ोिे का झूठा दािा
करिे थे।
• इस प्रकार, जि िक सीनलांग कािूि पाररि ि ीं कर नदर्ा गर्ा, िि िक िर् सीर्ा के ऊपर िर्ुनश्कल कोई भूनर् िची थी और फलस्िरूप
पिु निा िरण के नलए ि ुि कम अविशेष भूवम बची थी।
• इसे कांग्रेस नेिृत्ि िे र्ान्र्िा दी और िीसरी योजना में भी इसे स्िीकार वकया गया।
भू-दान आंदोलन-

143
• कृ नष र्ें सांस्थागि पररििा ि के नलए, भूदाि भूनर् सधु ार की िरफ एक कदर् था,जैसे भूनर् का
पिु निा िरण|
• नेिृत्ि–प्रनसद्ध गाांधीिादी आचायि विनोबा भािे
• उद्देश्य-
o सांिुनलि आनथा क नििरण के द्वारा सामावजक व्यिस्था स्थानपि करिा,जो समान
अिसर पर आधाररि ो।
o आवथिक शवियों का विकें द्रीकरर्
o नििोिा भािे िे भूदाि आांदोलि के निम्िनलनखि उद्देश्र् को ििार्ा ै, “असल र्ें
इसके िीि उद्देश्र् ै”
1. ित्येक ग्राम में शवियों का विकें द्रीकरर् होना चावहए|
2. ित्येक के पास भूवम एिं संपवत्त का अविकार होना चावहए|
3. िेिन के मामले में वकसी िकार का वििरर् नहीं होना चावहए|
• विनोबा भािे नई सामावजक व्यिस्था स्थावपि करना चाहिे थे।
• आचायि विनोबा भािे िे 1950 के दिक की िरुु आि र्ें इस आांदोलि को िरू ु करिे के
नलए रचनात्मक कायों और रस्टीवशप जैसी गाांधीिादी िकिीकों और निचारों का इस्िेर्ाल नकर्ा।
• उन् ोंिे सिोदय समाज िार् के रचिात्र्क कार्ा किाा ओ ां का एक अनखल
भारिीर् सांघ का आर्ोजि नकर्ा, नजसिे देि र्ें एक अवहंसक
सामावजक पररिििन का कायि वकया।
• उन् ोंिे और उिके अिर्ु ानर्र्ों िे भूनर् ीि लोगों के िीच नििरण के नलए
भ-ू दान या भूवम-उपहार’ के रूप र्ें अपिे जर्ीि का कम से कम 1/6
भाग दाि करिे के नलए िडे भूस्िानर्र्ों को राजी करिे के नलए पदयात्रा
(गांि-गांि पैदल यात्रा) की।
• भूदाि 1951 र्ें िरू ु नकर्ा गर्ा था। भवू महीन हररजनों की सर्स्र्ाओां
को िेलंगाना के पोचमपल्ली में विनोबा भािे के सामने रखा गया।
• नििोिा भािे द्वारा की गई अपील के प्रनिउिर र्ें कुछ लोगों ने स्िेच्छा से भदू ान करने का वनर्िय वलया|
• इससे भूदान आंदोलन का जन्र् ुआ। कें ि और राज्र् सरकारों िे
नििोिा भािे को इसके नलए आिश्र्क स ार्िा प्रदाि की थी।
• आांदोलि, ालाांनक सरकार से स्ििांत्र था, लेनकि इसे कांग्रेस का भी
समथिन प्राप्त था, AICC िे काांग्रने सर्ों से इसर्ें सनक्र् रूप से भाग लेिे
का आग्र नकर्ा।
• एक प्रनसद्ध पूिा काांग्रेसी और प्रजा सोिनलस्ट पाटी के प्रर्ख ु िेिा
जयिकाश नारायर्, 1953 र्ें भूदाि आांदोलि र्ें िानर्ल ोिे के नलए सनक्र् राजिीनि से सांर्ास ले नलर्ा।
• इस िीच, 1955 के अांि र्ें, आांदोलि िे एक िर्ा रूप ले नलर्ा, ग्रामदान या ‘गााँि का दान’
• ग्रार्दाि आांदोलि का उद्देश्र् प्रत्र्ेक गाांि र्ें भूवम मावलकों और पट्टािारकों (leaseholders) को उिके भूनर् अनधकारों को त्र्ागिे
के नलए राजी करिा था और सभी भूनर् समिािादी पुनविििरर् और संयुि खेिी के वलए एक ग्राम संघ की संपवत्त बन जािी।

144
• एक गाँि को ग्रामदान के रूप में घोवषि वकया जािा है, जब 51 िविशि
भूवम के साथ उसके कम से कम 75 िविशि वनिावसयों ने ग्रामदान
के वलए वलवखि रूप में अपनी स्िीकृवि दी हो।
• ग्रामदान के ि ि आिे िाला प ला गाँि, मैग्रोथ, हररपुर, उत्तर िदेश
था। दूसरा और िीसरा 1955 में उडीसा र्ें था।
• इस आांदोलि को व्र्ापक राजनीविक समथिन प्राप्त ुआ|
• कई राज्य सरकारों िे ग्रार्दाि और भूदाि से सांिांनधि कई कािूि पाररि
नकए|
वनष्ट्कषि-
• 1969 के आसपास र् आांदोलि अपिे चरर् पर प ुांच गर्ा। 1969 के िाद, एक स्िैवच्छक आंदोलन से सरकार द्वारा समवथिि
कायिक्रम में स्थानांिररि होने के कारर्, ग्रार्दाि और भूदाि िे अपिा र् त्ि खो नदर्ा।
• 1967 र्ें, नििोिा भािे के आांदोलि से टिे के िाद, इसिे अपिा जनािार खो नदर्ा। िाद की अिनध र्ें, जर्ींदारों िे ज्र्ादािर उि
जर्ीिों को दाि कर नदर्ा, जो या िो वििाद के अिीन थीं या खेिी के वलए अयोग्य थीं।
• र्ौजूदा सांस्थागि साधिों के साथ सांर्ोजि के िजार् पूरे आांदोलि को निकास की सार्ान्र् र्ोजिा से अलग रखा गर्ा।
• मख्ु यिारा की योजना से इस अलगाि िे एक िीनि के रूप र्ें इसकी निरांिरिा को गांभीर रूप से प्रभानिि नकर्ा।
सहकारी सवमवि और समुदाय विकास कायिक्रम

पररचय-

• महात्मा गांिी, जिाहरलाल नेहरू, समाजिावदयों और कम्युवनस्टों सन ि


राष्ट्रीर् आांदोलि के कई िेिा इस िाि पर स र्ि थे नक सहकारीकरर् से
भारिीय कृवष र्ें िडा सुधार ोगा और नििेष रूप से गरीिों को लाभ ोगा।
• इस प्रकार, भूनर् सधु ार के र्ाध्र्र् से प्राप्त नकए जािे िाले सांस्थागि पररििा िों
के नलए, सहकारीकरर् को एक महत्िपूर्ि ित्ि के रूप में देखा गया।
• आजादी के सर्र् काांग्रस े िे अस्थार्ी प्रस्िाि ििार्े - जैसे राज्य सरकारों
द्वारा पायलट कायिक्रम के िहि लघु वकसानों के बीच गैर-सरकारी मगर
खेिी योग्य भूवम पर सहकारी खेिी का ियास।
• इसके अलािा, र् स्पष्ट नकर्ा गर्ा नक सहकाररिा की वदशा में वकसी भी कदम को वकसानों के बीच सद्भाि और समझौिे से वलया
जाना चावहए।
भारि में सहकारी संस्थाओं का विकास

145
democrati
c member
control

Common element
economic of service
goal and profit

need of
cooperatives

eliminatin
g
self help
intermedi
aries
open
members
hip

कुमारप्पा सशमनत 1949 की शसफाररिें-


• प्वमभन्न रकार की खेती के मलए ववशभन्ि प्रकार के सहयोग के प्रयोगों को लागू करिे के शलए राज्य को सिक्त ििािा
चाहहए।
• इस रकार, जि पररवाररक ककसािों को ववपणि, ऋण, और अन्य मामलों के शलए िहुउददे िीय सहकारी सशमनत का
उपयोग करिा होगा,ति सीमांत ककसाि (यािी, लघु अिार्थथक खेतों वाले ककसाि) को ऐसे अन्य ककसािों के साथ संयक्
ु त
रूप से खेती करिी होगी।

िथम योजना-
• इसिे इस र्द्दु े को अनधक वििेकपर्
ू ि िरीके से देखा और वसफाररश की,छोटे और मध्यम वकसानों को विशेष रूप से सहकारी कृवष
सवमवियों में समूह बनाने के वलए िोत्सावहि वकया जाना चावहए।

• िरुु आिी र्ोजिाकारों िे उम्र्ीद की थी नक, ग्रार् पांचार्ि


(सनक्र् पाटी कार्ा किाा और अक्टूिर 1952 र्ें िरूु नकए गए िए सामुदावयक विकास कायिक्रम के प्रनिनक्षि कार्ा किाा ओ ां द्वारा

146
स ार्िा प्राप्त ) ि के िल ग्रार्ीण निकास पररर्ोजिाओां को लागू करिे र्ें र्दद करेगी, िनल्क भारिीर् कृवष में महत्िपर्
ू ि संस्थागि
पररिििन लािे र्ें र्दद भी नर्लेगी।
वद्विीय पंचिषीय योजना -
• नद्विीर् पांचिषीर् र्ोजिा के दौराि इस िर के कदर् उठािा की
आिश्यकिा थी, नजसके र्ाध्र्र् से स कारी खेिी के निकास के
नलए र्जिूि िींि रखी जा सके | नजसके पररणार्स्िरूप दस साल
र्ा उससे अनधक की अिनध र्ें, कृ नष र्ोग्र् भूनर् पर पर्ाा प्त रूप से
स कारी पद्धनिर्ों द्वारा खेिी की जा सके ।
• 1956 र्ें दो भारिीर् प्रनिनिनधर्ांडलों (एक र्ोजिा आर्ोग से िथा
दूसरा खाद्य और कृ नष र्ांत्रालर् से) को र् अध्र्र्ि करिे के नलए
चीि भेजा गर्ा नक उन् ोंिे अपिी स कारी सनर्निर्ों को कै से
सांगनठि नकर्ा िथा कृ नष उत्पादि र्ें इििी िेजी से िृनद्ध कै से ानसल की।
• इस प्रनिनिनधर्ांडल िे भारि र्ें स कारी खेिी को िढािे के नलए एक कार्ा क्र् की नसफाररि की।
• राष्ट्रीर् निकास पररषद और AICC िे, दूसरी र्ोजिा के पररकनल्पि लक्ष्र्ों की िुलिा र्ें, अि अनधक लक्ष्र् निधाा ररि नकए, नजिर्ें
र् प्रस्िानिि नकर्ा गर्ा नक अगले पाांच िषों र्ें कृ नष उत्पादि र्ें , र्ख्ु र् रूप से कृ नष-क्षेत्र र्ें प्रर्ख
ु सांस्थागि पररििा ि लाकर, कर्
से कर् 25 से 35 % की िृनद्ध नकर्ा जा सकिा ै। जैसे-स कारीकरण ।
• ालाँनक, राज्र्ों िे स कारीकरण के नलए िडे पैर्ािे पर र्ोजिा का निरोध नकर्ा, िे स कारी खेिी र्ें के िल प्रर्ोगों के नलए स र्ि
ुए और ि भी िि, जि िे िास्िि र्ें स्िैनच्छक ों।
कांग्रेस का नागपुर संकल्प, 1959-
• इसर्ें स्पष्ट रूप से क ा गर्ा ै नक 'गाांि का सांगठि ग्रार् पांचार्िों और ग्रार् स कारी सनर्निर्ों पर आधाररि ोिा चान ए, िथा दोिों
के पास पर्ाा प्त िनक्तर्ाां और सांसाधि ोिे चान ए’।
• भनिष्ट्र् का कृ नष स्िरूप स कारी सांर्क्त ु खेिी पर आधाररि ोगा, नजसर्ें भूनर् को सांर्क्तु खेिी के नलए रखा जाएगा, नकसाि अपिी
सांपनि के अनधकारों को ििाए रखेंगें िथा अपिी भूनर् के अिपु ाि र्ें, िद्ध ु उपज का न स्सा प्राप्त करेंगें।
• इसके अलािा, जो लोग िास्िि र्ें जर्ीि पर कार् करिे ैं, चा े िे जर्ीि के र्ानलक ों र्ा ि ीं, उन् ें सांर्क्त ु खेि पर उिके द्वारा नकर्े
गए कार् के अिपु ाि र्ें न स्सा नर्लेगा।
• प्रथर् कदर् के रूप र्ें, सांर्क्तु खेिी के प्रनिष्ठापि से प ले, िीि साल की अिनध र्ें पूरे देि र्ें स कारी सनर्निर्ों का आर्ोजि नकर्ा
जार्ेगा। इस अिनध के भीिर भी के िल ि ी ँ ज ाँ सांभि ो िथा आर् िौर पर नकसािों द्वारा स र्नि दी गर्ी ो।

सहकार सममतत

क्ेडिट सहकार सममतत गैर क्ेडिट सहकार सममतत

कृप्ष गैर-कृप्ष कृप्ष गैर-कृप्ष

147
िीसरी योजना-
• िीसरी योजना िे ि ुि ी व्र्ाि ाररक रुख अपिार्ा गर्ा।
• जैसा नक स कारी खेिी के सांिांध र्ें इसिे, प्रनि नजले दस प्रारांनभक पररर्ोजिाओां की स्थापिा के एक लक्ष्र् को स्िीकार नकर्ा।
• इसी सर्र्, र् घोषणा की गई नक 'स कारी खेिी को, सार्ुदानर्क निकास आांदोलि, ऋण, निपणि, नििरण िथा प्रसांस्करण र्ें
स र्ोग की िृनद्ध, ग्रार्ीण उद्योगों की िृनद्ध िथा भूनर् सधु ार के उद्देश्र्ों की पूनिा , के र्ाध्र्र् से सार्ान्र् कृ नष प्रर्ासों को सफलिा से
आगे िढािा ै।
• र् कायियोजना के िजार् एक क्नर्क प्रनक्र्ा की िर लग र ा था।
सहकारी सवमवियों के िकार-

• सांर्क्त
ु खेिी के नलए, दो प्रकार की स कारी सनर्निर्ाां देखी गई ां।
• प ली िे जो निनिि ी, भूनर् सुधारों से िचिे के नलए िथा राज्र्ों द्वारा प्रस्िानिि प्रलोभिों िक प ुांचिे के नलए ििार्ीं गर्ीं थीं।
आर्िौर पर, इि स कारी सनर्निर्ों का गठि सांपन्ि ि प्रभाििाली पररिारों द्वारा नकर्ा गर्ा था, नजन् ोंिे फजी सदस्र्ों के रूप र्ें
कई कृ नष श्रनर्कों र्ा पूिा-नकरार्ेदारों को रखा ुआ था।
• दूसरी, प्रारांनभक पररर्ोजिाओां के रूप र्ें राज्र्-प्रार्ोनजि स कारी खेि, जो आर्िौर पर िेकार थे िथा प ले से िा जोिी ुर्ी
जर्ीि, भूनर् ीि, ररजिों, निस्थानपिों िथा िांनचि सर्ू ों को उपलधध करार्ी गर्ी।
दग्ु ि सहकारी सवमवि -
• आजादी के िाद, कृ नष को िे िर ििािे िथा गरीिों को लाभ प ुांचािे
के साधि के रूप र्ें, स कारी सनर्निर्ों पर जोर नदर्ा गर्ा।
• कृ नष र्ें, नििेष रूप से भूनर्-सधु ारों र्ें, र् निनभन्ि कारणों की िज
से िाांनछि पररणार् प्राप्त ि ीं कर सका। दग्ु ध स कारी सनर्निर्ाां,
स कारी सनर्निर्ों र्ें सिसे सफल प्रर्ोग थीं।
श्वेि क्रांवि-
• गज ु राि के खेडा नजले के नकसािों की नस्थनि (1997 र्ें खेडा को निभानजि करके िर्ा आिांद नजला ििार्ा गर्ा था), आजादी के
िाद देि के िाकी न स्सों के नकसािों की नस्थनि, के सर्ाि थी।
• 1945 र्ें िॉम्िे सरकार द्वारा िरूु की गर्ी, बॉम्बे दुग्ि योजना (बॉम्बे वमल्क स्कीम) से दधू ठेकेदारों को ि ुि फार्दा ुआ, िे र्िु ाफे
का िडा न स्सा प्राप्त करिे थे ।

148
बॉम्बे धमल्क स्कीम
• नकसािों र्ें असांिोष िढा। िे सरदार िल्लभभाई पटेल की सला लेिे के नलए उिके पास प ुचँ े। उन् ोंिे नकसाि स कारी सनर्नि के
गठि के नलए, र्ोरारजी देसाई को खेडा भेजा।
• िॉम्िे सरकार के साथ कुछ सांघषा के िाद, 1946 र्ें खेडा वजला सहकारी दुग्ि उत्पादक संघ की स्थापिा की गई।

डॉ.िगीस कुररयन- श्वेि क्रांवि के जनक


• खेडा सांघ का उद्देश्र्, नजले के दग्ु ध उत्पादकों के नलए उनचि निपणि सनु िधाएां प्रदाि करिा था।
• इसिे िॉम्िे नर्ल्क स्कीर् के ि ि दग्ु ध प्रदाि करिा िरू ु नकर्ा।
• डॉ.िगीस कुररयन 1950-73 िक सांघ के र्ख्ु र् कार्ा कारी थे।
• 1955 र्ें, खेडा सांघ िे अपिे उत्पादों की निक्ी के नलए 'अर्ूल' (आिांद नर्ल्क र्ूनिर्ि नलनर्टेड) िार् प्रस्िानिि नकर्ा।
• इस िए उद्यर् िे, भैंस के दधू से दग्ु ध उत्पादों का उत्पादि (जो दनु िर्ा र्ें प ली िार ुआ था) करके एक िडी सफलिा ानसल की।
• सनदा र्ों र्ें दूध की अनधक पैदािार ोिा िथा उसके नलए पर्ाा प्त िाजार ि नर्लिे की सर्स्र्ा से निपटिे के नलए, 1955 र्ें, इसिे दूध
पाउडर और र्क्खि के निर्ाा ण के नलए एक कारखािे की स्थापिा की ।
• र साल 600 टि पिीर और 2,500 टि िच्चों का भोजि (िेिी फूड) ििािे के नलए, िैर्ार नकर्ा गर्ा, एक िर्ा कारखािा 1960 र्ें
जोडा गर्ा - भैंस के दधू का उपर्ोग करके िडे पैर्ािे पर इि उत्पादों का निर्ाा ण करिे िाला र् निश्व का प ला कारखािा था।
• 1960 र्ें, पिीर और िच्चो के भोजि के निर्ाा ण के नलए एक िर्ा कारखािा स्थानपि नकर्ा गर्ा था।
• 1964 र्ें, पिु चारा ििािे के नलए, एक आधनु िक सांर्ांत्र िरू ु नकर्ा गर्ा।
• ग्रार् सर्ाज कार्ा किाा ओ ां के र्ाध्र्र् से एक कुिल कृ नत्रर् गभाा धाि सेिा िरू
ु की गई नजससे उत्पादक अपिे पिधु ि की गुणििा र्ें
सधु ार कर सकें ।
• उि र्न ला नकसािों को निनक्षि करिे के नलए एक नििेष प्रर्ास नकर्ा गर्ा, जो नकसाि पररिारों र्ें जाििरों की देखभाल नकर्ा
करिी थीं।

149
• ग्रार्ीण निकास पररर्ोजिाओां के नलए, पेिेिर प्रिांधकों को प्रनिक्षण देिे के नलए ,आिांद र्ें एक ग्रार्ीण प्रिांधि सांस्थाि (IRMA) की
स्थापिा की गई, नजसर्ें AMUL कॉम्प्लेक्स और खेडा स कारी का उपर्ोग एक जीनिि प्रर्ोगिाला के रूप र्ें नकर्ा जािा था।

IRMA
• ित्पिाि्, पिु आ ार ििािे के नलए एक आधनु िक सांर्ांत्र िरू ु नकर्ा गर्ा। र् पिु
का चारा और उिके पोषण र्ें नििेनिि कीर्िों का लागि-लाभ (coastbenefit)
निश्लेषण करिे के नलए कां प्र्टू र प्रौद्योनगकी का उपर्ोग करिा था।
• 1974 र्ें 'आिांद' के प्रसार के साथ, गज ु राि स कारी दग्ु ध निपणि सांघ नलनर्टेड
(Gujarat cooperative milk marketing federation ltd.) का गठि नजले र्ें
सांघों के एक िीषा सांगठि के रूप र्ें नकर्ा गर्ा, नजससे निपणि की ओर ध्र्ाि
नदर्ा जा सके ।

150
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोडि (NDDB)
• 1964 र्ें भारि के ित्कालीि प्रधािर्ांत्री लाल ि ादरु िास्त्री िे खेडा का
दौरा नकर्ा।
• डॉ.कुररर्ि के साथ उिकी चचाा के िाद, ि सर्ाज के सर्ाजिादी
स्िरूप को प्राप्त करिे के नलए, स काररिा के इस सफल प्रनिरूप को,
भारि के अन्र् न स्सों र्ें भी प्रनिरूनपि करिा चा िे थे।
• पीएर् की उत्सक ु िा के फलस्िरूप 1965 र्ें राष्ट्रीर् डेर्री निकास िोडा
(NDDB) का गठि ुआ। इसका र्ख्ु र्ालर् आिांद र्ें था। डॉ.कुररर्ि
इसके प ले अध्र्क्ष थे, नजन् ोंिे 1998 िक इसका िेित्ृ ि नकर्ा।
• इसका उद्देश्र् नकसाि स कारी सनर्निर्ों को र्जिूि करिा था। उिका लक्ष्र् था नक, डेर्री के रूपाांिरण का उपर्ोग, ग्रार्ीण
भारि के निकास के नलए, एक साधि के रूप र्ें नकर्ा जाए ।
• NDDB िे खदु को के िल दूध स कारी सनर्निर्ों िक ी सीनर्ि ि ीं रखा। NDDB की प ल पर, फल और सधजी उत्पादकों,
निल ि की खेिी करिे िाले, छोटे पैर्ािे पर िर्क ििािे िाले और पेड उगािे िालों के नलए स कारी सनर्निर्ाँ ििािे की िरुु आि
की गर्ी। उदा रण के नलए, 'धारा'(‘Dhara’) एक ििस्पनि िेल िाांड, NDDB के प्रर्ासों का पररणार् ै।

सफलिा के कारर् -

151
• दरू दशी नेित्ृ ि – डॉ. कुररर्ि द्वारा प्रदाि नकर्ा गर्ा दरू दिी िेित्ृ ि। उन् ोंिे ग्रार् स्िरीर् स कारी सनर्निर्ों के र्ाध्र्र् से दग्ु ध
निपणि की र् त्िपूणा सर्स्र्ा का ल निकाला।
• पशु वचवकत्सा सेिाएं - उत्पादकों को पिु नचनकत्सा सेिाएां उपलधध कराई गई ांनजसर्ें पिु की गणु ििा र्ें सधु ार के नलए कृ नत्रर्
गभाा धाि सेिा भी िानर्ल थी ।
• उच्च गर्ु ित्ता - उच्च गणु ििा िाले चारे के िीज, टीके आनद भी दधू उत्पादि र्ें स ार्िा करिे ।ैं र् पिु प्रजिि, पिु पोषण िथा
पिु स्िास्थ्र् और स्िच्छिा, पिधु ि निपणि और िैज्ञानिक िरीकों से निस्िार, के एक व्र्ापक कार्ा क्र् की पररकल्पिा भी करिा
ै।
• वित्तीय सुरक्षा- उत्पादकों को िीर्ा किर उपलधध करिार्ा गर्ा िथा नकसािों को पिपु ालि के निकास के िारे र्ें निनक्षि नकर्ा
गर्ा। आर्िौर पर जाििरों की देखभाल करिे िाली र्न लाओां को भी दग्ु ध उत्पादि र्ें िैज्ञानिक प्रथाओां को अपिािे के नलए निनक्षि
नकर्ा गर्ा।
• कामकाज का लोकिांवत्रक मॉडल -र् स कारी सनर्निर्ों के कार्काज का लोकिाांनत्रक र्ॉडल था नजसिे सभी र्ें स्िानर्त्ि की
भाििा पैदा की।
ऑपरेशन फ्लड -
पररचय
• 1969 र्ें NDDB िे, एक व्र्ि ार्ा , स्ि-स ार्क राष्ट्रीर् डेर्री उद्योग, की िींि रखिे
के नलए एक डेर्री निकास कार्ा क्र् िैर्ार नकर्ा।
• इसिे स कारी सनर्निर्ों के र्ाध्र्र् से, ग्रार्ीण दधू उत्पादि को ि री दधू निपणि
से जोडिे का प्रर्ास नकर्ा।
• 1970 र्ें, सांर्क्त
ु राष्ट्र निकास कार्ा क्र् (UNDP) िथा खाद्य और कृ नष सांगठि
(FAO) की िकिीकी स ार्िा के द्वारा 'ऑपरेिि फ्लड’ कार्ा क्र् को आर्ोनजि नकर्ा गर्ा।
• नििेषज्ञिा आनद के नलए र् खेडा सांघ से ि ुि अनधक आकनषा ि ुआ। इसका लक्ष्र् देि के अन्र् दग्ु ध-क्षेत्रों र्ें 'आिांद पैटिा ' को
दो रािे का था।

ऑपरेशन फ्लड के उद्देश्य-

द्
ू का उत्पादि
िढािा

बिचौशलयों को खत्म
भारत को द्
ू उत्पादि
करके निमाथता और
में आत्मनिभथर ििािा
उपभोक्ता को करीि लािा

उपभोक्ताओं के ग्रामीण आय में


शलए उर्चत मूल्य वद
ृ र््

152
िभाि
• ‘ऑपरेिि फ्लड’ के लॉन्च से प ले, राष्ट्रीर् दूध उत्पादि 0.7% िढा, कार्ा क्र्
की िरुु िाि से र् 4% से अनधक िढ गर्ा।
• डेर्री नििेष रूप से छोटे नकसािों और भूनर् ीि लोगों के नलए आर् का एक
र् त्िपूणा स्रोि िि गर्ा। लगभग 60% लाभाथी छोटे नकसाि और भूनर् ीि लोग
थे। इसिे एक र् त्िपूणा गरीिी उन्र्ूलि उपार् के रूप र्ें कार्ा नकर्ा।
• पोषण, स्िास्थ्र् सन ि सर्ग्र पिु सेिाओां र्ें सधु ार नकर्ा गर्ा िथा र् िांनचि िगों िक प ुांचिे र्ें भी सफल र ा।
• ‘ऑपरेिि फ्लड’ िे ‘गैर-सरकारी सांगठिों’(NGOs),जैसे-स्िर्ां-निर्ोनजि र्न ला
सांघ(SEWA) के साथ नर्लकर लगभग 6000 र्न ला डेर्री स कारी सनर्निर्ों
की स्थापिा की, जो के िल र्न लाओां द्वारा सांचानलि की जािी थीं। इन् ें उिके
परुु ष सर्कक्षों की िुलिा र्ें अनधक कुिलिा से चलार्ा गर्ा। इसिे उन् ें निनभन्ि
र्ांचों र्ें निणा र् लेिे र्ें सक्षर् ििार्ा।
• आर् र्ें िृनद्ध के साथ, िच्चों के नलए निक्षा की प ुांच िढी और ड्रॉपआउट(निक्षा
िीच र्ें छोड देिे िाले िच्चे) की दरों र्ें नगरािट आई।
• िानलकाओां पर कार् का िोझ कर् ुआ नजससे उिकी स्कूल र्ें उपनस्थनि िढ गई।
इसके अलािा, आर् र्ें िृनद्ध िे िाल-श्रर् को रोकिे र्ें र्दद की।
• इस कार्ा क्र् से, स्िदेिी डेर्री उपकरण निर्ाा ण उद्योग के नलए एक प्रेरणा
नर्ली। इससे इस क्षेत्र के सर्ग्र आधनु िकीकरण र्ें र्दद नर्ली।

आजादी के बाद के कृवष संघषि -

श्रीकाकुलम वकसान विद्रोह -


• श्रीकाकुलर् नकसाि नििो 1967-1970 के र्ध्र्, भारिीर् राज्र्
आन्ध्र प्रदेि के श्रीकाकुलर् नजले के क्षेत्रों र्ें घवटि ुआ था। यह विद्रोह
िक्सली नििो से प्रेररि था।
• 31 अक्टूिर, 1967 को, लेिीडी गाँि के जर्ींदारों िे, कम्र्नु िस्टों से
जडु े दो व्र्नक्तर्ों, कोरािा और र्ांगन्िा की त्र्ा कर दी, जि िे दोिों
नगररजि सर्ागर् सम्र्ेलि र्ें भाग लेिे जा र े थे।
• प्रनििोध र्ें, नगररजिों िे भूनर्, सांपनि और खाद्यान्ि की जधिी के द्वारा
िदला लेिा िरू ु कर नदर्ा।
• आनदिानसर्ों को अविय सर्स्र्ा का सार्िा करिा पडा। िेिृत्ि िे नकसाि छापार्ार दल को और अनधक व्र्िनस्थि प्रनिरोध संगठन
र्ें पररिनिा ि करके , जि आांदोलि को सांगनठि आांदोलि र्ें व्र्िनस्थि करिा िरू
ु कर नदर्ा।
• 1969 िक नकसाि दस्िों की गनिनिनधर्ाँ उिके िढिे कार्ों के साथ-साथ िढिी गई ां।
• सरकार िे नििो से निपटिे के नलए 12,000 CRPF के जिाि भेजे । 6 र् ीिे िक गांभीर र्द्ध ु जारी र ा।
• जििरी 1970 िक, 120 CRPF के जिाि र्ारे गए। लेनकि जल्द ी नििो र्ें िेजी से नगरािट देखी गई ।

153
नए वकसान आंदोलन-
• 1980 र्ें,िरद जोिी के िेिकरी सांगठि( Shetkari Sangathan ) के िेिृत्ि र्ें, िानसक र् ाराष्ट्र र्ें सडक और रेल रोको आांदोलि
के साथ नकसािों का आांदोलि, राष्ट्रीर् राजिीनिक र्ांच पर आ गर्ा।
लगभग 200,000 नकसािों िे 10 ििांिर को िॉम्िे-कलकिा और िॉम्िे-
नदल्ली र्ागा पर सडक और रेल र्ािार्ाि को रोक नदर्ा िथा प्र्ाज
और गन्िे के उच्च र्ूल्र्ों की र्ाांग की।
• जारों और लाखों नकसािों िे राजर्ागों और रेल र्ागों पर र्ािार्ाि
रोक नदर्ा, ि रों र्ें आपूनिा रोक दी, िथा स्थािीर् और क्षेत्रीर् कें िों के
सरकारी कार्ाा लर्ों र्ें अनिनििकालीि धरिे पर िैठ गए िथा
राजिीनिक िेिाओां और अनधकाररर्ों को गाांिों र्ें प्रिेि करिे से रोका,
खासकर चिु ाि के सर्र् र्ें, जि िक की िे उिकी र्ाांगों का सर्था ि ि
स र्ोग िा करें।
• आंदोलन क्यों आरंभ हुआ - र्ूल सर्झ, नजस पर आांदोलि आधाररि था, ि र् ै नक ि री क्षेत्रों र्ें सस्िे भोजि और कच्चे र्ाल
उपलधध करािे के नलए सरकार कृ नत्रर् रूप से कृ नष कीर्िों को निम्ि ििाए रखिी थी और इसके पररणार्स्िरूप कीर्िों र्ें असर्ाििा
के कारण नकसािों को उिकी उपज के नलए उच्च कीर्िों का भगु िाि करिे पर कर् प्रनिफल प्राप्त ोिा था।
• इि 'िए नकसािों’ के आन्दोलिों िे, जो नििेष रूप से 1980 के दिक र्ें ि ुि अनधक र्ीनडर्ा और राजिीनिक ध्र्ाि आकनषा ि करिे
थे, र्ख्ु र् रूप से, कृ नष उपज के नलए पाररश्रनर्क र्ूल्र् की र्ाांग िथा और सरकारी िकार्ों जैसे-ि र के पािी के िल्ु क, निजली िल्ु क,
धर्ाज दरों और र्ूलधि ऋण आनद को कर् र्ा सर्ाप्त करिे के नलए थे।
• इि सांगठिों िे भूनर् ीि ग्रार्ीण, गरीि र्ा ग्रार्ीण र्न लाओां के निषर् र्ें अल्प नचांिा जान र की। ालाांनक, र् सच ै नक, र्े के िल
ऊपरी िगों िक ी सीनर्ि िा ोकर, नकसाि िगा के िीच भी व्र्ापक था।
• र्द्यनप िेिाओां द्वारा गाांधीजी की रा पर चलिे के कई दािों के िािजूद भी, उिके द्वारा नसखाए गए पाठ के साक्ष्र् ि ुि कर् ी देखिों
को नर्ला खासकर िेिृत्ि की नजम्र्ेदारी के निषर् र्ें।
• इि आांदोलिों को अक्सर 'िए' रूप र्ें सांदनभा ि नकर्ा जािा ै, िथा र् सझ ु ाि नदर्ा जािा ै नक िे 'िए' गैर-िगा र्ा उच्च दजे के
सार्ानजक आांदोलिों के निश्वव्र्ापी रुझाि का न स्सा ैं, जो औपचाररक राजिीनिक सांरचिाओां के िा र ैं, उदा रण के नलए,
र्न लाओां और पर्ाा िरणीर् आांदोलिों का ोिा ।
• दस ू रा आधार नजस पर 'िर्ापि' का दािा नकर्ा जािा ै र् ै नक र्े आांदोलि राजिीनिक दलों से ि ीं जडु े। ालाांनक, र् सच ै नक
कोई भी सांगठि राजिीनिक दलों द्वारा िरू ु ि ीं नकर्े गए िनल्क िे सर्र् के साथ राजिीनि से जडु गए।

कृवष विकास िथा हररि क्रांवि


पृष्ठभूवम-
• स्ििांत्रिा के दौराि, भारिीर् कृ नष की नस्थनि अनिकनसि अिस्था र्ें थी।
• 1949 से 1965 िक, 3% िानषा क कृ नष निकास दर के िािजदू , भारि को भोजि की भारी कर्ी का सार्िा करिा पड र ा था।
• भारि खाद्य उत्पादि र्ें आत्र्निभा र ि ीं था, इसनलए भारि को िडी र्ात्रा र्ें भोजि आर्ाि करिे की आिश्र्किा थी।
• 1962 और 1965 के दो र्द्ध ु ों िथा 1965-66 र्ें लगािार सखू े की िज से कृ नष उत्पादि र्ें भारी कर्ी आई।
• बडे पैमाने पर जनसंख्या िृवद्ध के कारण भोजि की र्ाांग र्ें िृनद्ध ुई।

154
• 1960 के दिक र्ें, भारि अपिी जिसांख्र्ा को नखलािे के नलए, भारी र्ात्रा र्ें अिाज का आर्ाि कर र ा था।
• इसिे अनधकाांि न स्सों र्ें अकाल की नस्थनि का सार्िा नकर्ा।
• इसके अलािा, र्िे प ले अध्र्र्ि नकर्ा ै नक सांर्क्त
ु राज्र् अर्ेररका िे भारि को PL-480 र्ोजिाओां के ि ि खाद्यान्ि की आपनू िा
की। र् सर्झौिा भारि के नलए अपर्ािजिक था और इस नस्थनि र्ें, अर्ेररका िे भारि को खाद्य निर्ाा ि िांद करिे की धर्की दी
थी।
• इसनलए, भारिीर् िेिाओां िे भारि को खाद्यान्ि र्ें आत्र्निभा र ििािे का फै सला नकर्ा।
हररि क्रांवि-

• ररि क्ाांनि एक ऐसी घटिा ै नजसकी प चाि, भारि को भोजि के नलए आर्ाि पर निभा र देि से आत्र्निभा र देि िििे के नलए की
जािी ै। र् 1960 के दिक के र्ध्र् से भारिीर् कृ नष क्षेत्र र्ें नकए गए प्रर्ख
ु िकिीकी सधु ारों से सांिांनधि ै।
• इस पररर्ोजिा का िेिृत्ि एक भारिीर् आििु ाांनिकीनिद् िथा जीिनिज्ञािी, डॉ. एर्एस स्िार्ीिाथि द्वारा नकर्ा गर्ा था।

डॉ.एमएस स्िामीनाथन
• ित्कालीि प्रधािर्ांत्री, लाल ि ादरु िास्त्री िे इांनदरा गाांधी के साथ नर्लकर िई कृ नष रणिीनि को पूरा सर्था ि नदर्ा। इसके ि ि निम्ि
पर िल नदर्ा गर्ा था:
o उच्च उपज नकस्र् के िीज ( ाई र्ील्ड िैरार्टी ,HYV), रासार्निक उिा रक और कीटिािक के उपर्ोग पर िल
o कृ नष र्ांत्र पर िल नजसर्ें रैक्टर, पांप-सेट और र्ृदा-परीक्षण सनु िधाएां आनद िानर्ल थीं।

155
o सांस्थागि साख उि क्षेत्रों पर ध्र्ाि कें निि करिे ुए, नजन् ोंिे कृ नष के िनु िर्ादी ढाँचे को सर्था ि देिे के साथ-साथ नसांचाई
सनु िधाओां का आश्वासि नदर्ा था।
o कृ नष र्ें सरकारी नििेि की काफी िृनद्ध ुई ।
o र् सनु िनिि करिे के प्रर्ास नकए गए नक, नकसािों को पाररश्रनर्क कीर्िों पर िाजार का आश्वासि प्राप्त ो।
o 1965 र्ें , गे ूां और चािल जैसे कृ नष उपज की कीर्िों की सला के नलए, कृवष मूल्य आयोग की स्थापिा की गर्ी।
o सरकार द्वारा की गई इि सभी प लों से, कृ नष से सकल पूांजी निर्ाा ण र्ें भी िृनद्ध ुई।
हररि क्रांवि का पररर्ाम-
• 1967-68 और 1970-71 के दौराि खाद्य उत्पादि र्ें 35% की िृनद्ध ुर्ी। नजससे खाद्यान्ि उपलधधिा र्ें िृनद्ध ुई और साथ ी
खाद्यान्िों के निपणि र्ोग्र् अनधिेष र्ें भी िृनद्ध ुई।
• 1970 र्ें खाद्य आर्ाि, 1966 र्ें 10.3 नर्नलर्ि टि से घटकर 3.6 नर्नलर्ि टि ो गर्ा और इससे भारि र्ें ि के िल खाद्यान्ि का
िफर ो गर्ा, िनल्क खाद्यान्ि का निर्ाा ि भी िरू ु कर नदर्ा गर्ा। इि सि से नकसािों का निकास ुआ।
• इसके अनिररक्त, कृ नष-उद्योगों, कृ नष उपज के नलए भांडारगृ , पररि ि,
उिा रकों, कृ नष उपकरणों के निनिर्ाा ण आनद के पररणार्स्िरूप देि के
सर्ग्र रोजगार र्ें भी िृनद्ध ुई ।
• इसके अनिररक्त, ररि क्ाांनि के ि ि उत्पन्ि अनधिेष िे सरकार को
रोजगार सृजि के नलए र्ोजिाएां िरू ु करिे र्ें स ार्िा प्रदाि की। इसका
गरीिी उन्र्ूलि पर व्र्ापक प्रभाि पडा।
• कृ नष उपकरणों की आिश्र्किा िे औद्योनगक निकास र्ें र्ोगदाि नदर्ा
और कृ नष के प्रनि नकसािों का दृनष्टकोण पररिनिा ि कर नदर्ा। नकसािों िे
कृ नष र्ें नििेि करिा प्रारांभ नकर्ा, नजससे पूांजीिादी कृ नष र्ें पररििा ि
आर्ा।
हररि क्रांवि की आलोचना-
• पांजाि, ररर्ाणा और पनिर्ी उिर प्रदेि जैसे क्षेत्रों र्ें सांसाधिों के कें िीकरण
के नलए ररि क्ाांनि की आलोचिा की गई |
• इससे क्षेत्रीर् असर्ाििाओां र्ें िृनद्ध ुई।
• ररि क्ाांनि का लाभ लघु नकसािों और पट्टेदारों की कीर्ि पर, िडे नकसािों
द्वारा नलर्ा गर्ा।
• इसिे असर्ाििा की िृनद्ध र्ें र्ोगदाि नदर्ा और कृ नष के र्िीिीकरण िे
ग्रार्ीण िेरोजगारी को जन्र् नदर्ा।
• रासार्निक उिा रकों के अत्र्नधक उपर्ोग से पर्ाा िरण और भूजल स्िर र्ें कर्ी आर्ी , नििेष रूप से पांजाि र्ें, इसकी असांधारणीर्िा
के नलए आलोचिा की गई।
भारिीय खाद्य वनगम (FCI) -
• भारिीर् खाद्य निगर् अनधनिर्र् 1964 के ि ि, भारिीर् खाद्य निगर् (FCI) की स्थापिा 1965 र्ें की गई थी।

156
• इसे खाद्यान्िों िथा अन्र् खाद्य पदाथों की खरीद, निक्ी,भांडारण, पररि ि, नििरण के नलए स्थानपि नकर्ा गर्ा था। इसे खाद्य िीनि
के निम्िनलनखि उद्देश्र्ों को पूरा करिे के नलए स्थानपि नकर्ा गर्ा था:
o िभािी मूल्य समथिन - नकसािों के न िों की रक्षा के नलए सांचानलि।
o सािा जनिक नििरण प्रणाली (पीडीएस) के ि ि सांपूणा देि र्ें खाद्यान्ि का नििरण नकर्ा जािा ै|
o राष्ट्रीर् खाद्य सरु क्षा सनु िनिि करिे के नलए खाद्यान्ि के पररचालि और िफर स्टॉक का सांिोषजिक स्िर ििाए रखिा।

पयाििरर्ीय आंदोलन
वचपको आंदोलन: -
पररचय-
• नचपको आांदोलि, भारि र्ें एक िि संरक्षर् आंदोलन था ।
• र् 1970 के दिक र्ें उिराखांड र्ें प्रारांभ ुआ था, िि र् उिर प्रदेि
(न र्ालर् की िल टी र्ें) का एक न स्सा था और निश्व भर र्ें भािी
पर्ाा िरणीर् आांदोलिों के नलए एक िीथा स्थल िि गर्ा। इसिे भारि र्ें एक
अन ांसक निरोध आांदोलि का उदा रण प्रस्िुि नकर्ा।
• र् एक ऐसा आांदोलि था नजसिे सत्र्ाग्र का प्रर्ोग नकर्ा |
• इसे जर्प्रकाि िारार्ण और सिोदय आंदोलन से िेरर्ा िाि हुई थी।
आंदोलन का स्िरूप -
• र् आांदोलि उिराखांड र्ें प्रारांभ ुआ, जि िि निभाग िे ग्रार्ीणों को कृ नष उपकरण ििािे के नलए ऐि िृक्ष (ash tree ) को काटिे
से र्िा कर नदर्ा और व्र्ािसानर्क उपर्ोग के नलए खेल सार्ग्री निर्ाा िाओ को उसी भूनर् का एक भाग आिांनटि कर नदर्ा।
• ग्रार्ीणों िे र्ाांग की नक िाह्य लोगों को कोई भी िि दो ि अििु ांध ि ीं नदर्ा जािा चान ए और स्थािीर् सर्दु ार्ों का भूनर्, जल और
जांगल जैसे प्राकृ निक सांसाधिों पर प्रभािी निर्ांत्रण ोिा चान ए।
• मवहलाओं की सवक्रय भागीदारी नचपको आांदोलि र्ें आांदोलि का एक ि ुि ी ििीि प लू था।
• प्रार्ः ग्रार्ीणों, और नििेष रूप से र्न लाओां िे िृक्षों से नलपटकर व्र्िसानर्क
कार्ों के नलए िृक्षों को काटिे से रोक नदर्ा, इसी प्रथा से इसका िार् नचपको
आांदोलि पडा |
• आांदोलि को िि सफलिा प्राप्त ुई, जि न र्ालर् क्षेत्रों र्ें पांि िषों िक
िृक्षों की कटाई पर प्रनििांध लगा नदर्ा गर्ा , जि िक नक ररि आिरण पूरी
िर से ि ाल ि ीं ो जािा ।
मुख्य उपलवब्ि -
• गौरा देिी, गाँि की एक र्ध्र्र् आर्ु िगा की निधिा र्न ला इस आांदोलि की प्रर्ख ु िेिा थी।
• इस आांदोलि के िाद, नचपको आांदोलि िे कई पर्ाा िरणीर् आांदोलिों को प्रेररि नकर्ा और गाांधीिानदर्ों और िार्पांनथर्ों के िेिृत्ि र्ें
न र्ालर् की िल टी र्ें िृक्षों की िानणनज्र्क कटाई के निरुद्ध आांदोलिों की श्रृांखला को जन्र् नदर्ा।

157
• 1987 र्ें, नचपको आांदोलि को भारि के प्राकृ निक सांसाधिों के सांरक्षण, पिु स्थाा पिा और पाररनस्थनिकी के सांरक्षण र्ें र्ोगदाि के
नलए “ right livelihood award” से सम्र्ानिि नकर्ा गर्ा।

नमिदा बचाओ आंदोलन-

पररचय-
• 60 के दिक की िरुु आि र्ें र्ध्र् भारि की िर्ा दा घाटी र्ें एक र् त्िाकाांक्षी निकासात्र्क
पररर्ोजिा िरू ु की गई थी।
• िाांध की आधारनिला 5 अप्रैल, 1961 को देि के प ले प्रधािर्ांत्री जिा रलाल िे रू िे
रखी थी।
• इस पररर्ोजिा र्ें िर्ा दा और इसकी स ार्क िनदर्ों पर िििे िाले 30 िडे िाांध, 135
र्ध्र्र् आकार के िथा लगभग 3000 छोटे िाांध िानर्ल थे, जो िीि राज्र्ों, र्ध्र्प्रदेि, गज ु राि और र् ाराष्ट्र र्ें प्रिान ि ोिी ैं।
• इस पररयोजना के िहि सरदार सरोिर पररयोजना (गज ु राि) िथा र्ध्र्प्रदेि िर्ा दा
सागर पररर्ोजिा (र्ध्र्प्रदेि) ि ुउद्देिीर् िाांध पररर्ोजिा िानर्ल थीं।
• उपर्ा क्त
ु पररर्ोजिाओां का उद्देश्र् पीिे र्ोग्र् जल की उपलधधिा सनु िनिि करिा ,नसांचाई,
निद्यिु उत्पादि और कृ नष उत्पादि र्ें िृनद्ध करिा था।
• िेित्ृ िकिाा - मेिा पाटकर िथा बाबा आमटे।
आंदोलन का स्िरूप-
• इस पररर्ोजिा के नलए लगभग ढाई लाख लोगों के पिु िाा स की आिश्र्किा थी और
245 गाँिों के जलर्ग्ि ोिे की आिांका थी। प्रारांभ र्ें स्थािीर् लोगों िे उनचि पिु िाा स
की र्ाांग की।
• 80 के दिक के उिराधा र्ें िर्ा दा िचाओ आांदोलि के िैिर िले इस र्द्दु े का निरोध
ुआ, जो स्थािीर् स्िैनच्छक लोगों का एक सार्ून क सर्ू था।
• िर्ा दा िचाओ आांदोलि िे देि र्ें अि िक पूरी की गई प्रर्ख ु निकासात्र्क पररर्ोजिाओां
की उनचि लागि- लाभ निश्लेषण की र्ाांग की। इसिे र् भी र्ाांग की, नक ऐसी
पररर्ोजिाओ के सांिांध र्ें सार्ानजक लागि (social cost ) की गणिा भी की जािी
चान ए।
• सार्ानजक लागि का िात्पर्ा था पररर्ोजिा से प्रभानिि लोगों का जिरि पिु िाा स,
आजीनिका और सांस्कृ नि के साधिों की गांभीर क्षनि, पाररनस्थनिक सांसाधिों की क्षनि
आनद ैं।
• निरांिर सांघषा के कारण, सरकार और न्र्ार्पानलका द्वारा पिु िाा स के अनधकार को
र्ान्र्िा दी गई ।
• 2003 र्ें सरकार द्वारा गनठि एक व्र्ापक राष्ट्रीर् पिु िाा स िीनि को िर्ा दा िचाओ आांदोलि(NBA ) जैसे आांदोलिों की उपलनधध
र्ािा जा सकिा ै।

158
• िर्ा दा िचाओ आांदोलि के अनभर्ाि र्ें निनभन्ि कार्ा िा ी जैसे,-अदालिी कार्ा िा ी,भख
ू हडिाल, रैवलयां और वफल्म िथा कला
से संबद्ध हवस्ियों से समथिन जुटाना शावमल था |
• आांदोलि िे अपिी र्ाांगों को आगे िढािे के नलए र उपलधध लोकिाांनत्रक रणिीनि का इस्िेर्ाल नकर्ा, जैसे नक प्रदिा ि, धरिा,
घेराि, रास्िा रोको, जेल भरो आन्दोलि, भूख डिाल आनद।
• मेिा पाटकर आांदोलि र्ें सिसे आगे थीं । उन् ोंिे कई उपिास और सत्र्ाग्र आर्ोनजि नकर्े , और इस कारण से उन् ें कई िार
जेल भी जािा पडा।

मेिा पाटकर
• एक और लोकनप्रर् िनख्सर्ि थी, बाबा आमटे, नजन् ें कुष्ठ रोग के निरुद्ध उिके द्वारा नकए गए कार्ों के नलए जािा जािा ै । उन् ोंिे
1989 र्ें " cry o beloved Narmada" िार्क एक पनु स्िका प्रकानिि की,
िानक िाांध के निर्ाा ण का निरोध नकर्ा जा सके ।

बाबा आमटे
• िर्ा दा िचाओ आांदोलि के नलए नजि प्रर्ख ु नस्िर्ों िे अपिा सर्था ि नदखार्ा, उिर्ें से एक िक
ु र परु स्कार निजेिा अरुांधनि रॉर्
और आवमर खान थे ।
• Band Indian Ocean र्ें सांगीिकार और नगटारिादक रा ुल रार् द्वारा भी इसका सर्था ि नकर्ा गर्ा था, जो 1990 से 1995
िक आांदोलि र्ें सनक्र् रूप से िानर्ल थे।
• 1994 र्ें नफल्र् निर्ाा िा अली कऩिर्ी द्वारा " Narmada: A Valley Rises" लॉन्च नकर्ा गर्ा था। र् 1991 की पाांच सप्ता की
सांघषा र्ात्रा का दस्िािेज ै।
• नफल्र् िे कई परु स्कार जीिे और इस नफल्र् को इस र्द्दु े पर एक क्लानसक र्ािा। 1996 र्ें, अिभु िी डॉक्र्र्ू ेंरी नफल्र्
निर्ाा िा,आनंद पटिििन ने एक परु स्कार निजेिा डॉक्र्ूर्ेंरी: A Narmada diary ििार्ी ।आलोक अग्रिाल जो ििा र्ाि र्ें आर्
आदर्ी पाटी के सदस्र् ैं, आांदोलि र्ें एक सनक्र् भागीदार थे।
मुख्य उपलवब्ि -
• अदालि िे आांदोलि पर फै सला सिु ार्ा, नजससे िाांध पर कार् को ित्काल रोक नदर्ा और पिु िाा स और प्रनिस्थापि की प्रनक्र्ा को
पूरा करिे के नलए सांिांनधि राज्र्ों को निदेि नदर्ा गर्ा।
• इसिे इस र्द्दु े पर कई िषों िक निचार-निर्िा नकर्ा िथा अांि र्ें अपिा निणा र् नदर्ा और 2000 र्ें ििों के अधीि निर्ाा ण कार्ा को
आगे िढािे की अिर्ु नि प्रदाि की।

159
• अांि र्ें, नसिांिर, 2017 र्ें प्रधाि र्ांत्री िरेंि र्ोदी िे िर्ा दा िदी पर सरदार सरोिर िाांध का उद्घाटि नकर्ा।
साइलेंट िैली आंदोलन / सेि साइलेंट िैली -

पररचय-
✓ सेि साइलेंट िैली, के रल के पलक्कड नजले र्ें नस्थि एक सदाि ार उष्ट्णकनटिांधीर् िि साइलेंट िैली, के सांरक्षण के उद्देश्र् से एक
सार्ानजक आांदोलि था।
✓ इसे 1973 र्ें एक गैर - सरकारी सांगठि िे निक्षकों और के रल िास्त्र सान त्र् पररषद (K. S. S. P) के िेिृत्ि र्ें र् आांदोलि िरूु
नकर्ा गर्ा था, िानक साइलेंट िैली को पिनिजली पररर्ोजिा की िाढ से िचार्ा जा सके ।
आंदोलन का स्िरूप-
• कुन्िीपझ ु ा िदी पर जलनिद्यिु िाांध निर्ाा ण की घोषणा के िाद “सेि साइलेंट िैली”
आांदोलि 1973 र्ें आरांभ नकर्ा गर्ा और के रल िास्त्र सान त्र् पररषद (K. S. S.
P) िे प्रभािी ढांग से साइलेंट िैली को िचािे के नलए जििा के सर्क्ष निचारों को
प्रस्िुि नकर्ा|
• किनर्त्री सगु ाथाकुर्ारी िे साइलेंट िैली निरोध र्ें र् त्िपूणा भूनर्का निभाई और
उिकी कनििा "Marathinu Stuthi " ("ode to a tree :) सर्दु ार् के निरोध का
प्रिीक िि गई और" Save The Silent Valley " अनभर्ाि के िैठकों का र् उद्घाटि गीि / प्राथा िा िि गई।

सगु ाथाकुमारी
• डॉ सलीम अली, बॉम्बे नेचुरल वहस्री सोसाइटी के प्रख्र्ाि पक्षी िैज्ञानिक, िे घाटी का दौरा नकर्ा और पिनिजली पररर्ोजिा को
रद्द करिे की अपील की।

डॉ सलीम अली
• जििरी 1980 र्ें के रल के उच्च न्र्ार्ालर् िे कटाई पर प्रनििांध टा नदर्ा, लेनकि िि भारि के प्रधाि र्ांत्री िे के रल सरकार से
पररर्ोजिा क्षेत्र र्ें आगे के कार्ों को रोकिे के नलए अिरु ोध नकर्ा जि िक नक सभी प लओ ु ां पर पूरी िर से चचाा ि ीं ो जािी।
• नदसांिर र्ें, के रल सरकार िे पिनिजली पररर्ोजिा क्षेत्र को छोडकर, साइलेंट िैली को राष्ट्रीर् उद्याि घोनषि कर नदर्ा।

160
• 1982 र्ें, एक ि ु-निषर्क सनर्नि नजसके अध्र्क्ष प्रो. एम.जी.के . मेनन , िथा मािि गाडवगल,वदलीप के . विश्वास और अन्य
इसके सदस्य थे | इस सनर्नि का कार्ा र् िर् करिा था नक क्र्ा जलनिद्यिु पररर्ोजिा नििा नकसी र् त्िपूणा पाररनस्थनिक क्षनि
के सांभि ै।

Pto. M. K. G. Menon
• 1983 के प्रारांभ र्ें, प्रो र्ेिि की सनर्नि िे अपिी ररपोटा प्रस्िुि की। र्ेिि ररपोटा का सािधािीपूिाक अध्र्र्ि के िाद, भारि के
प्रधाि र्ांत्री िे पररर्ोजिा को िापस लेिे का फै सला नकर्ा।
मख्ु य उपलवब्ि -
• अांि र्ें, प्रदिा िकारी 1985 र्ें सफल र े, जि ित्कालीि पीएर् राजीि गाांधी िे
साइलेंट िैली राष्ट्रीर् उद्याि का उद्घाटि नकर्ा और पाका को िीलनगरी िार्ोस्फीर्र
ररजिा के र्ख्ु र् क्षेत्र के रूप र्ें िानर्ि नकर्ा ।
• साइलेंट िैली लप्तु प्रार् िेर-पूांछ िाले र्ैकाक के नलए भी प्रनसद्ध ै।

मछु आरों का आंदोलन: -


• र्ारे देि के पूिी और पनिर् िटीर् क्षेत्र र्ें स्िदेिी र्छुआरे सर्दु ार् से सांिांनधि
सैकडों जारों पररिार र्त्स्र् पालि व्र्िसार् र्ें लगे ुए ैं।
• इि र्छुआरों की आजीनिका को खिरा पैदा ो गर्ा था, जि सरकार िे भारिीर्
सर्िु ों र्ें र्छनलर्ों को िडे पैर्ािे पर पकडिे के नलए र्िीिीकृ ि रॉलर( र्छली
पकडिे के ज ाज) और प्रौद्योनगनकर्ों के प्रिेि की अिर्ु नि दी।
• अपिे न िों और आजीनिका की रक्षा के नलए, र्छुआरे राष्ट्रीर् स्िर पर एक राष्ट्रीर्
र्छली र्जदरू र्ांच( National fish workers forum,NFF) के रूप र्ें साथ आए।
• NFF िे ग रे सर्िु र्ें ि ुराष्ट्रीर् कां पनिर्ों सन ि िानणनज्र्क ज ाजों के प्रिेि को
खोलिे के भारि सरकार के फै सले के निरुद्ध अपिी प ली सफलिा प्राप्त की।
• जल ु ाई 2002 र्ें, NFF िे देिव्र्ापी डिाल का आह्वाि नकर्ा और साथ ी निदेिी रॉलरों को लाइसेंस जारी करिे के सरकार के
फै सले का निरोध नकर्ा।

161
मवहलाओं के आंदोलन

स्ििांत्रिा पूिा-
इसे दो चरर्ों में विभावजि वकया जा सकिा है:

रारयम्प्भक सध
ु ार स्वयिं के मलए लड़ाईयािं

उन्होने सामाजजक बुराइयों जैसे पदाष


इस चरण में साधारण महहलाओ ने
रथा,सतीरथा,कन्या-भ्रूण हत्या,बालप्ववाह
स्वयिं के मलए लड़ाईयािं लड़ना
आहद की तनिंदा की तथा सुधारवाद
रारम्भ कर हदया
आन्दोलन आरम्भ ककया

स्ििंत्रिा पिाि-
• भारि की स्ििांत्रिा के पिाि , र्न लाओां से सांिांनधि प्रश्न सािा जनिक क्षेत्र से
20 िषा के नलए गार्ि ो गए जिनक सांनिधाि का अिच्ु छे द 14 और 16 जानि,
पांथ र्ा नलांग के आधार पर सभी िागररकों को सर्ाििा का अनधकार देिा ै।
• ालाँनक, 1960 के दिक के र्ध्र् से, निकासात्र्क िीनिर्ों से र्ो भांग और
र्न लाओां की नस्थनिर्ों र्ें कोई सकारात्र्क पररििा ि ि ीं आिे के कारण
आांदोलिों के स्िरूपों र्ें पररििा ि देखा गर्ा:
o भूधम अधिकार और समानता
o रोजगार और मजदूरी की सुरक्षा
o जनसंख्या संबंविि नीधतयां
o मवहलाओं पर अत्याचार (बलात्कार और शराब से संबंविि घरेलू वहंसा सवहि)।

162
o 1970 के दिक से, निनभन्ि आांदोलिों की िरुु आि ुई, कभी-कभी इिका स्िरूप स्थािीर् था और कभी-कभी इि र्द्दु ों की
एक िडी स्थानिक प ुांच, इि सि कारणों से इि र्द्दु ों से सांिांनधि सािा जनिक जागरूकिा िढ गर्ी ।

भारिीय राष्ट्रीय मवहला संघ

• इसकी स्थापिा 1954 र्ें र्न ला आत्र् रक्षा सनर्नि से सांिांनधि कई िेिाओां
द्वारा की गई थी| िांगाल र्ें नजसका सांिांध भारिीर् कम्र्नु िस्ट पाटी से था ।
• र् प्रथर् र्न ला जि सांगठि था, नजसिे र्न लाओां को जीिि के सभी क्षेत्रों
र्ें सांगनठि नकर्ा और उिके सिक्तीकरण, र्नु क्त और लैंनगक सर्ाििा पर
आधाररि सर्ाज और देि के निर्ाा ण के नलए कार्ा नकर्ा।
• इसिे र्न लाओां से सांिनां धि सभी र्द्दु ों और निकास पर जागरूकिा के नलए
अनभर्ाि आर्ोनजि नकए और र्न लाओां के जीिि को प्रभानिि करिे िाली
सकारात्र्क गनिनिनधर्ों जैसे िर्स्क साक्षरिा कें ि, जरूरिर्ांद र्न लाओां के नलए उत्पादि इकाइर्ाां, रोजगार के नलए प्रनिक्षण, न ांसा
से पीनडिों के नलए र्फ्ु ि कािूिी स ार्िा और सार्ानजक उत्पीडि के नलए कार्ा नकर्ा ।
• इसिे न ांदू कोड निल 1956, द ेज प्रनिषेध अनधनिर्र् 1961, र्ािृत्ि अनधकार अनधनिर्र्, घरेलू न ांसा रोकथार् अनधनिर्र्, जैसे
नलांग सांिेदििील कािूिों को लािे के नलए अलग-अलग सर्र् र्ें कें ि सरकार पर दिाि ििािे र्ें र् त्िपूणा भूनर्का निभाई|
• अरुणा आसफ अली, पष्ट्ु पर्ोई िोस, रेिू चक्ििी, जारा िेगर्, गीिा र्ख ु जी, अिस ु ूर्ा ज्ञािचांद, निर्ला डाांग, निर्ला फारूकी जैसे
कई प्रख्र्ाि व्र्नक्तत्ि और प्रनसद्ध स्ििांत्रिा सेिािी भारिीर् राष्ट्रीर् र्न ला सांघ(NFIW )के साथ जडु े थे।
स्िरोजगार मवहला संघ (SEWA)
• स्िरोजगार र्न ला सांघ (SEWA) का जन्र् 1972 र्ें इला भट्ट की प ल पर स्िरोजगार र्न लाओां के व्र्ापार सांघ के रूप र्ें ुआ था।
• निनभन्ि व्र्िसार्ों र्ें सनम्र्नलि र्न लाओां को उिके सर्ाि अिभु िों द्वारा एक साथ सांगनठि नकर्ा गर्ा जो कर् आर्, घर पर
उत्पीडि, ठेकेदारों और पनु लस द्वारा उत्पीडि , निम्ि कार्ा - नस्थनि, अपिे श्रर् की गैर-प चाि आनद सर्स्र्ाओां से पीनडि थी ।
• र् सांस्था, भारि के सिसे परु ािे और सिसे िडे टेक्सटाइल िकासा र्नू िर्ि के रूप
र्ें निकनसि ुई, नजसकी स्थापिा 1920 र्ें एक र्न ला अिसूर्ा साराभाई िे की
थी, जो 1917 र्ें अ र्दािाद टेक्सटाइल प्रदिा ि र्ें र् ात्र्ा गाांधी की भागीदारी से
प्रेररि थी।
• SEWA का उद्देश्र् र्न लाओां की कार्ा नस्थनिर्ों र्ें सधु ार करिा ै:
o प्रधशक्षण की प्रधिया
o तकनीकी सहायता, कानूनी साक्षरता
o SEWA के सदस्यों को ईमानदारी, गररमा और सादगी, (गांिीवादी लक्ष्यों) के मूल्यों को धसखाना
• इसके र्ख्ु र् लक्ष्र् र्न ला श्रनर्कों को सांगनठि करिा ै:
o पूर्ि रोजगार: र्न लाओां को कार्ा सरु क्षा, आर् सरु क्षा, खाद्य सरु क्षा और सार्ानजक सरु क्षा का प्रर्ोजि करिा |
o आत्मवनभिरिा: र्न लाओां को आनथा क और निणा र् लेिे की क्षर्िा के सांदभा र्ें स्िार्ि और आत्र्निभा र ििािे का लक्ष्र् रखिा
ै।
मूल्य िृवद्ध के विरोि में आंदोलन-

163
• 1973 र्ें, सख ू ा और अकाल की नस्थनि के पररणार्स्िरूप र्न लाओां को र् ांगाई के
नखलाफ लार्िांद करिे के नलए ‘सांर्क्त ु र्न ला र्ूल्र् िृनद्ध निरोधी र्ोचाा ’ का गठि
नकर्ा गर्ा, नजसिे 1970 के दिक की िरुु आि र्ें ग्रार्ीण र् ाराष्ट्र को प्रभानिि
नकर्ा।
• इसिे उपभोक्ता सांरक्षण के नलए िडे पैर्ािे पर र्न लाओां के आांदोलि को आकार नदर्ा
और सरकार से न्र्िू िर् र्ूल्र् िर् करिे और आिश्र्क िस्िओ ु ां को नििररि करिे
की र्ाांग की।
• 10,000 से 20,000 के िीच र्न लाओां के िडे सर्ू ों िे, सरकारी कार्ाा लर्ों, सांसद
सदस्र्ों और व्र्ापाररर्ों के घरों पर प्रदिा ि नकर्े ।
• जो लोग अपिे घरों से िा र ि ीं निकल सकिे थे , उन् ोंिे थानलर्ों (धािु की प्लेटों) को डांडो र्ा िेलिों (रोनलांग नपि) से पीटकर
अपिा सर्था ि व्र्क्त नकर्ा ।
• र्ूल्र् िृनद्ध के निरुद्ध आांदोलि पडोसी राज्र् गज ु राि र्ें फै ल गर्ा, ज ाां इसे िि निर्ाा ण आांदोलि क ा गर्ा। इस आांदोलि को स्ििांत्रिा
के पिाि भारि र्ें एकर्ात्र ऐसा आांदोलि ोिे का गौरि प्राप्त ै नजसके कारण राज्र् की नििाा नचि सरकार भांग ो गई।
• र् एक छात्र आांदोलि के रूप र्ें िरू ु ुआ और िाद र्ें एक र्ध्र्र्-िगा आांदोलि र्ें निकनसि ुआ नजसर्ें जारों र्न लाओां िे
भागीदारी की।
• राज्र् र्ें व्र्ापक स्िर पर नस्थि र्ूल्र्-िृनद्ध, भ्रष्टाचार और कालािाजारी िे इस आांदोलि को िल प्रदाि नकर्ा।
• प्रदिा िकारी र्न लाओां और छात्रों द्वारा प्रर्ोग की जािे िाली निनधर्ाँ :
o कृ नत्रर् अदालिें स्थानपि करिा,ज ाां भ्रष्ट राज्र् अनधकाररर्ों और राजिेिाओां पर निणा र् पाररि नकए गए ।
o कृ नत्रर् अांनिर् सांस्कार का जल ु ूस।
o एक िए र्गु की िभु कार्िाओां के नलए जल ु ूस।
शराब विरोिी आंदोलन-
• भारि र्ें िराि निरोधी आांदोलिों का आजादी के िाद अपिा इनि ास र ा ै और िे सर्र् के साथ-
साथ देि के निनभन्ि भागों र्ें आर्ोनजि ुए।
नजसर्ें दो प्रर्ख
ु आांदोलिों थे:

1. उत्तराखंड:
• 1963 र्ें, निर्ला और सांदु रलाल ि ुगणु ा िे, सिोदर् आांदोलि के सदस्र्ों द्वारा स्थानपि आश्रर्
के िजदीक एक गाँि र्ें िराि िेचिे के नलए ठेके देिे के नखलाफ उिराखांड के कुर्ाऊँ क्षेत्र र्ें
एक आांदोलि िरू ु नकर्ा। नजससे प्रभानिि ोकर सरकार अििु ांध रद्द करिे पर स र्ि ो गई।
• िाद र्ें, इस आांदोलि िे र्न लाओां को आकनषा ि नकर्ा, नजन् ोंिे िराि की दक ु ािों , िराि की
निक्ी पर प्रनििांध लगािे की र्ाांग की और अांििः उन् ें िांद करिे के नलए र्जिूर नकर्ा।
• िराि की दक ु ािों के निरोध और पथराि के नलए, कई र्न लाओां को जेल भी जािा पडा परांिु िाद के िषों र्ें भी निरोध प्रदिा ि जारी
र ा।
• आनखरकार, 1972 र्ें सरकार िे उिराखांड र्ें िराििांदी लागू करिे पर स र्नि व्र्क्त की।

164
2. आंध्र िदेश:
• आांध्र प्रदेि के िेल्लोर नजले के डिगांटु ा के अांदरूिी इलाके के एक गाँि र्ें र्न लाओां िे 1990 के दिक की िरुु आि र्ें िडे पैर्ािे पर
िर्स्क साक्षरिा अनभर्ाि र्ें पांजीकरण करार्ा था।
• इस दौराि र्न लाओां िे अपिे पररिार र्ें परुु षों द्वारा स्थािीर् रूप से िडे पैर्ािे पर िराि पीिे की निकार्ि की
• निम्िनलनखि कारणों से क्षेत्र की र्न लाओां र्ें असांिोष पिप र ा था:
o उनके पररिारों में पुरुषों द्वारा स्थानीय रूप से िैयार शराब की खपि में िृवद्ध ।
o िराि की आदि, जो गाँि के लोगों के िीच ग री जडें जर्ा चक ु ी थी, परुु षों के िारीररक और र्ािनसक स्िास्थ्र् को ििाा द कर
र ी थी।
o ऋणग्रस्ििा िढिे से इसिे क्षेत्र की ग्रार्ीण अथा व्र्िस्था को प्रभानिि नकर्ा।
o िराि के ठेकेदार िाडी व्र्ापार पर अपिा एकानधकार ानसल करिे के नलए अपराध को िढािा दे र े थे।
o र्न लाएां सिसे ज्र्ादा पीनडि थीं क्र्ोंनक इससे पररिार की अथा व्र्िस्था ध्िस्ि ो गई और उन् ें परुु ष पररिार के सदस्र्ों,
नििेषकर पनि से न ांसा का खानर्र्ाजा भगु ििा पडा।
आंदोलन का िसार:

• िेल्लोर र्ें र्न लाएां एक साथ स्थािीर् रूप से स्थािीर् प ल र्ें आई ां,
नजन् ोंिे िाडी-व्र्पार के निरोध र्ें और िराि की दक ु ाि को जिरि िांद
करिार्ा।
• कुछ र्न लाओां िे खदु को लाठी, नर्चा पाउडर और झाड से भी लैस
कर नलर्ा और आस-पास की दक ु ािों को िांद करिे के नलए र्जिूर कर
नदर्ा।
• र् खिर िेजी से फै ली और लगभग 5000 गाँिों की र्न लाएँ प्रेररि
ुई ांऔर एक साथ िैठकें करिे लगीं, निषेधाज्ञा लागू करिे के नलए
प्रस्िाि पाररि नकए गए और उन् ें नजला कलेक्टर को भेजा गर्ा।
• िेल्लोर नजले र्ें र् आांदोलि धीरे-धीरे पूरे राज्र् र्ें फै ल गर्ा।
• इस आांदोलि िे अांििः 1995 र्ें सरकार को पूरे राज्र् र्ें र्ादक पेर् पर प्रनििांध लगािे के नलए र्जिूर नकर्ा | लेनकि िाद र्ें इसे
आांनिक रूप से 1997 र्ें ि ाल कर नदर्ा गर्ा।
मवहला आंदोलन का महत्िपूर्ि विश्लेषर्-
• आजादी के िाद,प ली िार निनभन्ि जानिर्ों, िगों और सर्दु ार्ों की र्न लाओां िे आांदोलि र्ें भाग नलर्ा, साथ ी कई िर की
राजिीनिक प्रिृनिर्ों, दलों और सर्ू ों से प्राप्त गनिनिनधर्ों र्ें निनभन्ि निचारधाराओां से जडु े लोगों िे आांदोलि को निषर् ििार्ा।
• इि अनभर्ािों िे र्न लाओां के सिालों के िारे र्ें सर्ग्र सार्ानजक जागरूकिा िढािे र्ें ि ुि र्ोगदाि नदर्ा। सार्ानजक टकरािों को
खोलिे के नलए र्न ला आांदोलि का फोकस धीरे-धीरे कािूिी सधु ारों से ट गर्ा।
• स्ििांत्रिा-पिू ा चरण र्ें, र्न लाओां के के िल कुछ िगा िानर्ल थे, जिनक स्ििांत्रिा-िाद के चरण र्ें, र्न लाओां के निनभन्ि िगों की
भागीदारी देखी गर्ी और र् नकसी नििेष िगा िक सीनर्ि ि ीं र ी।
• िा िािो जैसे र्ार्लों को लैंनगक सर्ाििा के आधार पर राजिीनिक रूप से देखा गर्ा।

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• श्रर् निभाजि को अभी भी िारीिानदर्ों द्वारा नलांग के आधारपर देखा गर्ा और इसर्ें र्न लाओां की जर्ीिी नस्थनि पर ि ुि अनधक
पररििा ि ि ीं ुआ।
दवलि आंदोलन-

पररचय-
• दनलि िधद का प्रथर् िार प्रर्ोग 19िीं सदी र्ें ज्र्ोनििा फुले द्वारा
न ांदओ
ु ां के िीच अछू ि जानिर्ों के उत्पीडि के सांदभा र्ें नकर्ा गर्ा।
• यह देश में अछू िों, मुख्यिः वहंदुओ ं के बीच, की सामावजक आवथिक
वस्थवि को दशाििा है।
• ििा र्ाि र्ें दनलि िधद का प्रर्ोग, इसके प्रारांनभक अथा , ‘अछू ि िगि
द्वारा सामना वकए जाने िाले उत्पीडन’ के इिर एक नई राजनीविक
पहचान के रूप र्ें नकर्ा जािा ै।
• भारि र्ें दनलिों िे सांगनठि ोकर देि के निनभन्ि न स्सों र्ें न्र्ार् और सर्ाििा के अनधकारों के नलए अिेक आांदोलि चलाए।
वहंदू विरोिी आंदोलन-
• भवि का पनु :उद्भि- यह एक समानिािादी िमि था, मख्ु यिः अछू िों के वलए वजन्होंने िावमिक आंदोलन को विकवसि वकया और
िकि वदया वक भवि, भारि के मूल वनिावसयों और शासकों, आवद वहंदुओ,ं वजन्होंने अछू िों का िंशज होने का दािा वकया था,
का िमि है।
• अछू िों की साक्षरिा- अछूिों की िई पीढी जो साक्षर थी, िे आांदोलि का िेिृत्ि नकर्ा और िका नदर्ा नक जानि की नस्थनि पर
आधाररि श्रर् का सार्ानजक निभाजि भारिीर् सर्ाज पर आर्ा निजेिाओां द्वारा जिरि थोपा गर्ा, नजन् ोंिे आनद-न ांदू िासकों को
अपिे अधीि कर उन् ें दास ििा नदर्ा।
• वनम्न जावि की वस्थवि को अलग करके देखना - इस विचारिारा ने वनम्न जावि की वस्थवि को अलग करने का ियास वकया
िथा सामाज में अशुद्ध माने जाने िाले व्यिसाय और ऐसी वनम्न सामावजक भूवमका, कायि और व्यिसाय को चुनौिी दी गई।
• अछू िों की संख्या को आकवषिि करना- न ांदू निरोधी निचारधारा िे अछूिों को िडी सांख्र्ा र्ें आकनषा ि नकर्ा और अछूिों की गरीिी
और िांनचि अिस्था के नलए ऐनि ानसक नििरण प्रस्िुि नकर्ा और पूिा र्ें खो चक
ु ी उिकी िनक्त एिां अनधकारों को पिु ः प्राप्त करिे के
नलए आिा जागृि की ।
गांिी और दवलि आंदोलन-
• 1920 में, महात्मा गांिी ने पहली बार “अस्पश्ृ यिा” की िथा को राष्ट्रीय आंदोलन में शावमल वकया और कांग्रेस के नागपरु
िस्िाि में वहंदूओ को संकट से उबारने हेिु अपील कर इसे साििजवनक वचंिा का विषय बिाया।
• उन्होंने “अछू िों” के कल्यार् के वलए एक अवभयान शरू ु वकया, जो वहंदू जावि से अविक समथिन जटु ाने में विफल रहा।
• आगे चलकर उन् ोंिे अस्पृश्र्िा को सांदनभा ि करिे के नलए हररजन शब्द का ियोग वकया वजसका अथि हरर या ईश्वर है।
• उन्होंने पृथक वनिािचक मंडल के विचार का भी विरोि वकया है, वजसे 1932 के कम्युनल एकॉडि द्वारा िदान वकया गया था,
क्योंवक उनका मानना था वक एक बार िंवचि िगों को शेष वहंदुओ ं से पृथक कर वदया गया िो उनके िवि वहंदू समाज के दृविकोर्
को पररिवििि करने के वलए कोई आिार नहीं बचेगा।

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संिैिावनक िाििान-
o इसर्ें पूिािी दनलिों और कुछ अन्र् जानिर्ों को उिके सार्ानजक और आनथा क नपछडेपि के आधार पर अिस ु ूनचिों र्ें िानर्ल नकर्ा
गर्ा था। इसके पिाि सांनिधाि र्ें प्रर्क्त
ु िधद के आधार पर दनलि िगों के नलए अनसु वू चि जावियों या SCs का प्रर्ोग नकर्ा गर्ा।
o इसिे भारि के सभी िागररकों को, जानि, धर्ा , नलांग, रांग और जन्र्-स्थाि िथा सार्ानजक, आनथा क और राजिीनिक न्र्ार् के इिर
अिसर की सर्ाििा और कािूि की सर्ाििा की गारांटी प्रदाि की।
दवलि पैंथसि
• 1970 के दशक की शुरुआि में,स्ियं को दवलि पैंथर से कहने िाले एक संगठन
का गठन जावि आिाररि दवलि राजनीवि की स्थापना की योजना के साथ वकया
गया था।
• अप्रैल 1972 को र्ांिु ई र्ें नामदेि िासल (Namdev Dhasal) द्वारा दनलि पैंथसा
की स्थापिा एक सार्ानजक सांगठि के रूप र्ें की गई।
• र् कट्टरपांथी राजिीनि की देिव्र्ापी ल र का एक न स्सा था नजसिे दवलिों की
दुदिशा को सर्ाज के सर्क्ष लािे के नलए रचिात्र्क सान त्र् का उपर्ोग नकर्ा।
• र्द्यनप इस आांदोलि की िरुु आि िांिई की र्नलि िनस्िर्ों र्ें ुई,परांिु देखिे ी देखिे र् नििो देि के सभी ि रों और गाांिों र्ें फै ल
गर्ा।
• पैंथसा िे अांिेडकर के आांदोलि के अांिगा ि दनलि राजिेिाओां की एकिा के नलए आिा ि
नकर्ा िथा इसके साथ ी उन् ोंिे गाांि र्ें अछूिों के निरुद्ध ो र ी न ांसा का र्क
ु ािला करिे
का भी प्रर्ास नकर्ा।
• उन् ोंिे उभरिे ुए दवलि सावहत्य िथा िांनचि िगों के सान त्र् के र्ाध्र्र् से जििा का
ध्र्ाि आकनषा ि नकर्ा।
• देखिे ी देखिे दनलि पैंथर िेजी से लोकनप्रर् ो गए और उन् ोंिे दनलि र्िु ाओां और छात्रों
को एकजटु नकर्ा िथा िल देकर क ा नक, िे दनलि िधद का प्रर्ोग आत्र्-िणा ि के नलए
नकसी भी अन्र् उपलधध िधद के निरुद्ध करिे ैं। निनिि ी दनलि पैंथसा एक र् त्िपूणा राजिीनिक िनक्त ििकर उभरा, नििेषिः
ि रों र्ें ।
• ालाांनक र्ा आांिररक निभाजि के द्वांद से िचिे के नलए ि ीं था, नजसिे अन्र् दनलि सांगठिों को िकारात्र्क रूप से प्रभानिि नकर्ा।
• आपािकाल के पिाि, गरीि गैर-दनलिों और गैर-िौद्ध दनलिों को िानर्ल करिे के निषर् पर सांगठि के भीिर गांभीर र्िभेद उभरिे
लगे।
बहुजन समाज पाटी (BSP)

Kanshi Ram

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• 1980 र्ें, कांशी राम (Kanshi Ram) ( और इसके पिाि् मायाििी जो आगे चलकर उिर प्रदेि की र्ख्ु र्र्ांत्री ििी) के िेित्ृ ि र्ें
उिर भारि र्ें ि ुजि समाज पाटी (BSP) का उदर् ुआ।
• िसपा िे चनु ािी शवि को अपिी र्ूल रणिीनि और उद्देश्र् के रूप र्ें घोनषि नकर्ा, नजसे इसके राजिीनिक इनि ास र्ें देखा जा
सकिा ै। ििा र्ाि र्ें,र् अपिी राजिीनिक िनक्त को आगे िढािे के नलए नकसी भी र्ख्ु र्धारा की राजिीनिक पाटी के साथ स र्ोग
करिे के नलए िैर्ार ै।
• र् उिर प्रदेि, र्ध्र् प्रदेि और पांजाि जैसे उिरी राज्र्ों र्ें पर्ाा प्त राजिीनिक आधार ानसल करिे र्ें सफल र ी नजसिे गठिांधि
की राजिीनि र्ें अपिे र् त्ि को िढार्ा ैं।
दवलि पूंजीिाद-
• 2002 में भोपाल में हुए सम्मेलन में, दवलि बुवद्धजीवियों ने यह िका नदर्ा नक िैश्वीकरण के दौर र्ें राज्र् का पीछे टिा, के िल
आरक्षण पर निभा र र िे से कर् ोगा।
• इसके पिाि दवलि बुवद्धजीवियों ने जावियों को िोडने के वलए आिुवनक अथिव्यिस्था में पूंजीिाद को आिश्यक माना।
• उत्पादन के सािनों पर वनयंत्रर्,नजसे र्ोटे िौर पर दनलि पूांजीिाद के िार् से जािा जािा ,ै को सार्ानजक भेदभाि के चांगल ु से
दनलि र्नु क्त के साधि के रूप र्ें भी प्रस्िानिि नकर्ा गर्ा ै।
• र् इस िका पर आधाररि ै नक सार्ानजक भेदभाि से िचिे के नलए आवथिक वपछडेपन से मुवि आिश्र्क ै।
• ाल के िषों र्ें, दनलिों के िीच उद्यर्ी िििे का र् प्रर्ास िेजी से आगे िढ र ा ै।
• इस नदिा र्ें सरकार द्वारा अिेक कदर् उठाए गए ैं, जैसे-लघु उद्योग को स्थानपि करिे ेिु र्िु ा र्ोजिा के अांिगा ि 10 लाख रुपए
िक की धिरानि प्रदाि की जािी ै, स्टैंड अप इांनडर्ा के अांिगा ि 10 लाख और अिस ु नू चि जानि और जिजानि के नलए 1 करोड
रुपए िक का लोि प्रदाि नकर्ा जािा ै|
दवलि आंदोलन के िभाि और विश्लेषर्-
• वहंदू रीवि-ररिाजों का अभ्यास- र् देखा जािा ै नक गाांि र्ें िौद्ध धर्ाा न्िररि लोगों िे अपिे परु ािे देिी देििाओां र्ें अपिी आस्था
को अभी भी ि ीं छोडा ,ै और िे अभी भी अपिे त्र्ो ारों को उसी िर र्िािे ैं जैसा ि प ले र्िािे आए ैं। इस प्रकार, रूपाांिरण
के िािजूद भी,र् स्पष्ट ै नक दनलि सर्ाििा िभी र् सूस करिे ैं जि िे उि धानर्ा क सांस्कारों का अभ्र्ास करिे र्ें स्िर्ां को सक्षर्
पािे ै जो उिके नलए प ले अस्िीकार्ा थे।
• दवलिों की दुदिशा के विरुद्ध संघषि- दनलि ददु ा िा के निरुद्ध सांघषा के निषर् र्ें गाांधीजी की सर्झ, नजसिे र्ांनदर र्ें प्रिेि के र्ाध्र्र् से
धानर्ा क सर्ाििा प्राप्त करिे और जानि व्र्िस्था को सधु ारिे पर िल नदर्ा, कुछ द िक स्िीकार्ा ै।
• आरक्षर्- र् अिस ु ूनचि जानिर्ों के भीिर भी समानिा में िृवद्ध लािे र्ें स ार्क ै।
• सामावजक-आवथिक पररिििन की िवक्रया-सार्ानजक आनथा क पररििा ि की प्रनक्र्ा, औद्योगीकरण, िैश्वीकरण, ग्रार्ीण रोजगार गारांटी
र्ोजिा, निक्षा का अनधकार, र्ध्र्ान् भोजि व्र्िस्था, प्राथनर्क स्िास्थ्र् और निक्षा कें िों का निस्िार आनद सार्ानजक अनभर्ाि
सर्ाज र्ें दनलिों की सर्ग्र नस्थनि को सदृु ढ करिे के साथ-साथ िाल श्रर् के उन्र्ूलि र्ें भी र् त्िपणू ा भूनर्का निभा र े ैं।
• हाउस साइटों के वलए िाििान- गाांि र्ें घरों ेिु ाउस साइटों के नलए प्रािधाि िे उच्च जानि द्वारा उन् ें सजा के रूप र्ें गाांि से िा र
निकाले जािे के जोनखर् के साथ-साथ उिकी सांिदे ििीलिा को भी कर् नकर्ा ै, इसके साथ ी भूनर् पिु निा िरण िाले क्षेत्रों र्ें भी
भूनर् ीििा से जडु े ुए कलांक र्ें कर्ी आई ै।

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• जावि व्यिस्था का विलोपन- परांपरागि व्र्िसार् से जडु ी जानि व्र्िस्था का पररसीर्ि भी र् त्िपणू ा र ा ै। इस प्रकार की कई
प लों के पररणार्स्िरूप, ि री क्षेत्रों र्ें अस्पृश्र्िा लगभग सर्ाप्त ो गई ै और नििेष रूप से उि ग्रार्ीण क्षेत्रों र्ें अस्पृश्र्िा र्ें नगरािट
आई ै ज ाां रोजगार के अिसरों र्ें िृनद्ध की गई ै।
• सकारात्मक सामावजक उपाय-र् देखा जािा ै नक जानि और साक्षरिा के िीच ि ुि र्जिूि सांिांध ोिा ै, नजसे निचली जानि,
नििेष रूप से र्न लाओां की साक्षरिा दर र्ें देखा जा सकिा ै। इस असर्ाििा को के िल सकारात्र्क सार्ानजक उपार्ों, जैसे-
अनििार्ा प्राथनर्क निक्षा और र् ाां िक नक र्ाध्र्नर्क निक्षा और रोजगार गारांटी र्ोजिाओां के र्ाध्र्र् से कर् करिा सांभि ै।

ICT का युग ( सूचना और संचार िकनीक ) -


• प्रौद्योनगकी र्ें नकसी भी ििाचार के पीछे र्ख्ु र् उद्देश्र् र् सनु िनिि करिा ै नक र् अपिे नागररकों को कायि की अनुकूल दशािए
और अिकाश, उत्पादकिा और जीिन की बेहिर गुर्ित्ता के साथ-साथ अनुकूल िािािरर् भी प्रदाि करे।
• भारि र्ें, नििेष रुप से ICT से जडु े प्रौद्योनगकी प्रेररि निकास की नदिा र्ें,
राजीि गाांधी सरकार द्वारा 1984 र्ें अत्र्नधक िल नदर्ा गर्ा।
• उन् ोंिे कां प्र्टू रीकरण के व्र्ापक कार्ा क्र् के साथ-साथ निकास के नलए
एक प्रभािी र्ागा को भी अपिार्ा, साथ ी इसे सािा जनिक क्षेत्रकों के साथ-
साथ िानणनज्र्क और सािा जनिक क्षेत्रक के उपक्र्ों और प्रिासनिक
निभागों र्ें भी लॉन्च नकर्ा।
• 1985 िक, िडे क्षेत्रकों िे कां प्र्टू रीकरण र्ोजिाओां की घोषणा कर दी थी,
नजसर्ें रेलिे, िैंनकां ग पररचालि आनद िानर्ल थे।
• 1998 में, सूचना िौद्योवगकी और सॉफ्टिेयर के विकास पर नेशनल
टास्क फोसि िे सभी सरकारी और गैर-सरकारी स्िर पर सिक्त कार्ा िल के एक निस्िृि िेटिका की स्थापिा कर, IT को राष्ट्रीर्
आांदोलि के रूप र्ें अपिािे ेिु एक धलू नप्रांट िैर्ार नकर्ा।
• 1999 र्ें, सूचना िौद्योवगकी मंत्रालय की स्थापिा सांचार के प्रसार के द्वारा प्रदाि नकए गए रोजगार के अिसरों के उपर्ोग के नलए IT
के निनभन्ि आर्ार्ों र्ें िानर्ल सरकारी एजेंनसर्ों को एक साथ लािे और इलेक्रॉनिक िासि के उपर्ोग र्ें IT के उपर्ोग को
सनु िधाजिक ििािे के नलए की गई थी।
• ICT, ग्रार्ीण गरीिी, असर्ाििा और पर्ाा िरणीर् पररनस्थनिर्ों र्ें ोिे िाली नगरािट से सांिांनधि सर्स्र्ाओां को दूर करिे के नलए िई
सांभाििाएां उत्पन्ि करिा ै। भारि र्ें नपछले दो दिकों र्ें सूचिा प्रौद्योनगकी और सांचार की िृनद्ध अत्र्नधक र् त्िपूणा र ी ै।
• भारि के , IT उद्योग र्ें, सॉफ्टिेयर उद्योग और सूचना िौद्योवगकी सक्षम
सेिाएं (ITES) िानर्ल ैं, नजसर्ें िीपीओ(BPO) उद्योग भी िानर्ल ै।
• भारि को सॉफ्टिेयर विकास में अग्रर्ी और IT-सक्षम सेिाओं (ITES) के
नलए एक पसांदीदा गांिव्र् र्ािा जािा ै।
• अिेक देि भारि को िैनश्वक आउटसोनसिंग के नलए एक र्ॉडल के रूप र्ें देखिे
ैं िथा इसका अिस ु रण करिे की कोनिि करिे ैं।
• भारि सरकार और अन्य राज्य सरकारें; नागररकों (G2C), व्यिसाय
(G2B), कमिचाररयों (G2E) और सरकारों (G2G) को सरकारी सचू िाओां
को प्रदाि करिे के नलए आईसीटी का उपर्ोग करिी ैं।

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• भारि सरकार िे 1990 के दिक के अांि र्ें ई गििा र्ेंट कार्ा क्र् प ल की िरुु आि करिे ुए, सचू िा एिां प्रौद्योनगकी अनधनिर्र्, 2000
को अपिार्ा।
• इस अनधनिर्र् का र्ख्ु र् उद्देश्र् इलेक्रॉनिक अििु ांधों की प चाि करिा, कां प्र्टू र अपरानधर्ों को रोकिा और इलेक्रॉनिक फाइनलांग
को सांभि ििािा ै। इसके पिाि 2006 र्ें, सरकार िे भारि र्ें, ई गििा र्ेंट प ल को िढािे के नलए राष्ट्रीर् ई-गििेंस (NeGP) र्ोजिा
को र्ांजूरी दी।
• लगभग सभी राज्र् सरकारों और सांघ िानसि प्रदेिों िे भी अपिे िागररकों और व्र्िसार्ों को िे िर सेिाएां उपलधध करािे ेिु स्िर्ां
की ई-सरकारी सेिाओां को लागू नकर्ा। कुछ सबसे िमख ु सेिाओं में कनािटक की “भूवम”, मध्य िदेश की “ज्ञानदूि”, आंध्र िदेश
की “स्माटि गिनिमेंट”, िवमलनाडु की “SARI” शावमल हैं।
विगि िषों के िश्न-
1. आचार्ा नििोिा भािे और उिके उिरानधकाररर्ों द्वारा िरू
ु नकए गए ‘भूदाि' और ‘ग्रार्दाि' आांदोलिों के उद्देश्र्ों की आलोचिात्र्क
चचाा कीनजए (Critically discuss)। (2013)
2. “जर् जिाि जर् नकसाि” के िारे के निकास और र् त्ि पर आलोचिात्र्क नटप्पणी (critical note) कीनजए। (201

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