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प्रेस विज्ञप्ति
हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से जड़ ु े दल, 19 विपक्षी दलों द्वारा, नये संसद भवन के
उद्घाटन के विरोध के फैसले की घोर निंदा करते हैं. सर्वविदित है कि 28 मई 2023 (रविवार) को नये
संसद भवन का उद्घाटन होना तय हुआ है . यह महज अपमानजनक फैसला नहीं है , बल्कि इस महान
दे श के लोकतांत्रिक मल्
ू यों और संवध
ै ानिक मान्यताओं पर हमला है .
लोकतंत्र में , संसद, एक पवित्र संस्था है . लोकतंत्र के दिल की जीवंत धड़कन. यहीं दे श की उन नीतियों पर
फैसले होते हैं, जिनसे लोगों के जीवन में बदलाव आता है . मल् ु क की नियति बदलती है . ऐसी महान संस्था
के प्रति विपक्षी दलों द्वारा यह अनादर और अपमान, महज बौद्धिक दिवालियापन नहीं है , बल्कि
लोकतंत्र की मल ू आत्मा और मर्यादा पर कुठाराघात है .
अफसोस की बात है कि तिरस्कार और बहिष्कार की यह पहली घटना नहीं है . पिछले नौ सालों में दे खें, तो
इन विपक्षी दलों ने बार-बार संसदीय प्रक्रियाओं-नियमों की अवमानना की है . सत्रों को बाधित किया है .
महत्वपर्ण
ू विधायी कामों के दौरान सदन का बहिष्कार किया है . संसदीय फर्ज की अवहे लना की है .
बहिष्कार का यह फैसला, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की खल
ु ेआम धज्जी उड़ाने की इसी कड़ी में आत्मघाती
फैसला है .
विपक्ष का संसदीय व्यवस्था, मर्यादा और लोकतांत्रिक शचि ु ता, के प्रति यह तिरस्कार पर्ण
ू रवैया लगातार
बढ़ रहा है . नकारात्मक फैसला और कदमों की इस स्थिति में , विपक्ष की संसदीय मर्यादा और संवध ै ानिक
मल्
ू यों के प्रति उपदे शात्मक भमि ू का, हास्यास्पद और पाखंड है . यह लोक स्मति ृ में दर्ज है कि इन विपक्षी
दलों ने जीएसटी के विशेष सत्र का बहिष्कार किया था, जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन महामहिम
राष्ट्रपति श्री प्रणब मख
ु र्जी ने की थी. उन्हें भारत रत्न दिये जाने के समारोह का भी बहिष्कार इन्हीं तत्वों
ने किया. श्री रामनाथ कोविंद जी के राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर सामान्य शिष्टाचार और औपचारिकता
निभाने में भी, इन दलों को विलंब हुआ.
हम यह नहीं भल ू सकते कि संसदीय लोकतंत्र के प्रति विपक्ष के इस व्यवहार- तिरस्कार की जड़ें इतिहास
में गहरी हैं. इन्हीं पार्टियों ने आपातकाल लागू किया. भारत के इतिहास की वह भयावह अवधि, जब
नागरिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को निलंबित कर दिया गया. अनच् ु छे द 356 का लगातार
आदतन दरु ु पयोग, संवध ै ानिक सिद्धांतों के प्रति विपक्ष की घोर अवहे लना व अवमानना को उजागर व
प्रमाणित करता है .
यह अत्यंत दखु द सार्वजनिक तथ्य है कि विपक्ष संसद से भागता है . कारण, यह उन परु ानी और स्वार्थी
लोक इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करता है , जिन्हें जनता ने बार-बार खारिज कर दिया है . विपक्ष का अर्ध
राजशाही सरकार के प्रति झकु ाव और परिवारों द्वारा संचालित दलों के लिए प्राथमिकता, जीवंत लोकतंत्र
और दे श के लोकाचार के खिलाफ है . जीवंत लोकतंत्र के प्रति इनके घण
ृ ा के भाव को दर्शाता है .
इनकी एकता, राष्ट्रीय विकास के लिए एक साझा दृष्टि नहीं, बल्कि वोट बैंक की राजनीति के लिए साझा
अभ्यास है और भ्रष्टाचार के प्रति स्पष्ट रूझान व झुकाव है . ऐसी पार्टियां कभी भी भारतीय लोगों की
आकांक्षाओं को परू ा नहीं कर सकती हैं.
ये विपक्षी पार्टियां जो कर रही हैं, वह महात्मा गांधी, डॉ बाबा साहब आंबेडकर, सरदार पटे ल और दे श की
ईमानदारी से सेवा करनेवाले ऐसे अनगिनत अन्य लोगों के आदर्शों का अपमान है , जिन्होंने
समर्पण-प्रतिबद्धता से दे श निर्माण में जीवन लगा दिया. विपक्षी दलों के ये काम उन महान नेताओं के
मल्
ू यों-योगदान को कलंकित करते हैं, जिन्होंने हमारे लोकतंत्र को स्थापित करने के लिए अथक परिश्रम
किया.
हम आजादी का अमत ृ महोत्सव मना रहे हैं. यह वक्त हमें बांटने का नहीं, बल्कि एकता और हमारे लोगों
के कल्याण के लिए एक साझा प्रतिबद्धता दिखाने का अवसर है . हम विपक्षी दलों से अपने निर्णय पर
पनु र्विचार करने का अनरु ोध करते हैं. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो भारत के 140 करोड़ लोग, भारतीय
लोकतंत्र और उनके चन ु े हुए प्रतिनिधियों के प्रति विपक्ष के इस घोर अपमान को नहीं भल
ू ेंगे.
विपक्ष का यह फैसला और कदम, इतिहास के पन्नों में गंज ू ेंगे. उनकी विरासत पर लंबी काली छाया
रहे गी. हम उनसे दे श के बारे में सोचने का आग्रह करते हैं, न कि निजी राजनीतिक लाभ के बारे में .
● ं े - मख्
श्री एकनाथ शिद ं े गट)
ु यमंत्री, महाराष्ट्र (शिवसेना, शिद
● श्री पशप
ु ति कुमार पारस - केंद्रीय मंत्री (राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी)
● श्रीमती अनप्रि
ु या पटे ल – केंद्रीय राज्यमंत्री (अपना दल)
● श्री रामदास आठवले – केंद्रीय राज्यमंत्री (रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया)
● श्री सद
ु े श महतो - अध्यक्ष, आजसू पार्टी (झारखंड)