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एक स्वतन्त्र और निष्पक्ष चनु ाव को राजनीतिक वैज्ञानिक Robert dahl ने एक ऐसे चनु ाव के रूप से

परिभाषित किया हैं जिसमें जबरदस्ती तल ु नात्मक रूप से असामन्य हैं।


आज मैं आपके सामने आई हूँ एक बेहद महत्वपर्णू मद्दु े के साथ - हमारे देश भारत में स्वतन्त्र और निष्पक्ष
चनु ाव का महत्व।
संविधान हमारे सामाजिक और राजनीतिक जीवन के आधारपत्र हैं, जो समानता और स्वतंत्रता के भावना
को सरं क्षित करते हैं। यह वाक्य भीमराव आबं ेडकर द्वारा कहा गया हैं जो हमारे भारतीय सवि
ं धान के प्रमख

लेखक हैं।
हमारे संविधान सस्ं थापकों ने एक ऐसा लोकतान्त्रिक व्यवस्था की कल्पना की थी जहा हर एक नागरिक की
आवाज सनु ी जाती हैं और लोकतंत्र की वास्तविक्त रूप से पालन किया जाता हैं। लेकिन मौजदू ा चुनाव
प्रणाली को कई चनु ौतियों का सामना करना पद रहा हैं जो इसके स्वतन्त्र और निष्पक्ष प्रकृति के बारे में सदं ेह
उत्पन्न करती हैं।
स्वतन्त्र और निष्पक्ष चनु ाव सुनिरीक्षित करने के लिए हमें कुछ उपाए अपनाने पड़ेगे। सबसे पहला और
सबसे महत्वपर्णू , चुनाव आयोग को अत्तंनिर्भर और स्वतन्त्र बनाना पड़ेगा। इस पण्ु यस्थल को राजनीतिक
दबाव से बचाना पड़ेगा और उसके निर्णयों का पालन करना पड़ेगा।
दसू रा, हमें आदर्श आचार संहिता का पालन करना चाहिए। आदर्श आचार संहिता का पालन करने के किए
हमें कठोर और त्वरित कार्यवाही का प्रोत्साहन करना चाहिए ताकि हम चनु ाव में अनैतिक अमलों के
प्रभाव को कम कर सके और चनु ाव के सारे उम्मीदवारों को एक समान भमि
ू दे सके ।
तीसरा, ई-वोटिंग और डिजिटल प्रगति चनु ावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ा सकते हैं। ई-
वोटिंग के प्रोत्साहन से, हम इसं ानी हस्तक्षेप के स्तर को कम कर सकते हैं और सनि
ु श्चित कर सकते हैं कि
हर मत को सही तरह से गिना जाए।
संक्षेप में, हमारे लोकतंत्र के पवित्र आयाम की संरक्षण के लिए, हमें एकजटु होकर समस्त चनु ौतियों का
सामना करना होगा। हमें स्वतंत्र और निष्पक्ष चनु ाव के सिद्धांतों को पकड़ते हुए, याद रखना चाहिए कि
लोकतंत्र की सच्ची शक्ति लोगों के हाथ में है। साथ मिलकर हमें नई पीढ़ियों के लिए सहभागी, सगु म, और
समावेशी" चनु ाव सनि
ु श्चित करने के लिये कदम उठाने चाहिये |

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