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प्रस्तुतकर्ता : प्राप्तकर्ता :

वैभव गर्ग अध्यापिका श्रीमती प्रीति


लॉ विभाग
2520319
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भारत मे मानवाधिकार
मानवाधिकार एक ऐसा विषय है जो सभी सामाजिक विषयों में सबसे गंभीर है।
भूमिका
• मानवाधिकार अधिकारों का एक समूह है जो हर मनुष्य को उसके
लिंग, जाति, पंथ, धर्म, राष्ट्र , स्थान या आर्थिक स्थिति की परवाह
किए बिना दिया जाता है। कानून द्वारा संरक्षित, ये अधिकार हर जगह
और हर समय लागू होते हैं।
मानवाधिकार कानून
• भारत में 28 सितम्बर 1993 से मानवाधिकार कानून लागू किया गया और
12 अक्टू बर 1993 में सरकार ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन
किया। ... मानव अधिकारों एवं मूल अधिकारों के मध्य शरीर और आत्मा का
सम्बन्ध है। भारतीय संविधान में न सिर्फ  मानवाधिकारों की गारंटी दी गयी है
बल्कि इसका उल्लंघन करने पर सजा का भी प्रावधान किया गया है।
मानवाधिकार की श्रेणी
मानव अधिकारों को दो व्यापक श्रेणियों में विभाजित किया गया है :
• ये नागरिक और राजनीतिक अधिकार हैं
• ये सामाजिक अधिकार जिनमें आर्थिक और सांस्कृ तिक अधिकार भी शामिल हैं।
नागरिको के मानवाधिकार :
• जीवन का अधिकार:
धरती पर हर इंसान को जीने का अधिकार है। प्रत्येक व्यक्ति को किसी के द्वारा नहीं
मारे जाने का अधिकार है और यह अधिकार कानून द्वारा संरक्षित है। परंतु यह अधिकार
मृत्युदंड, आत्मरक्षा जैसे किस्सो में लागू नही होता।
• बोलने की स्वतंत्रता:
प्रत्येक मनुष्य को स्वतंत्र रूप से बोलने और सार्वजनिक रूप से अपनी राय देने का
अधिकार है। परंतु इस अधिकार का प्रयोग हम अश्लीलता एवं अपराध जैसे शब्दों को
बोलने के लिए नही कर सकते।
• विचार की स्वतंत्रता, विवेक और धर्म:
प्रत्येक राज्य अपने नागरिकों को स्वतंत्र रूप से सोचने का अधिकार देता है। एक व्यक्ति
को यह भी अधिकार है कि वह अपनी पसंद के किसी भी धर्म का पालन कर सकता है
और किसी भी समय अपनी इच्छा के अनुसार इसे बदल सकता है।
• आवागमन की स्वतंत्रता:
इसका मतलब यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को उस राज्य के किसी भी हिस्से में यात्रा
करने, रहने, काम करने या अध्ययन करने का अधिकार है, जिसमें वह रहता है।
• फे यर ट्रायल का अधिकार:
इस अधिकार के तहत प्रत्येक व्यक्ति को अदालत द्वारा निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार है,
उचित समय के भीतर सुनवाई का अधिकार, वकील का अधिकार और सार्वजनिक
सुनवाई का अधिकार है।
नागरिको के अन्य मानवाधिकार :
• भेदभाव से मुक्ति
• गुलामी से मुक्ति
• यातना से मुक्ति
• शिक्षा का अधिकार
• खुद की संपत्ति का अधिकार
• सामाजिक सुरक्षा का अधिकार
• इत्यादी ।
निष्कर्ष :
मानवाधिकार, व्यक्तियों को उनके मानव होने के आधार पर दिए गए मूल अधिकार, लगभग सभी जगह
समान हैं। प्रत्येक देश किसी व्यक्ति की जाति, पंथ, रंग, लिंग, संस्कृ ति और आर्थिक या सामाजिक
स्थिति के बावजूद इन अधिकारों को प्राप्त करता है। हालाँकि, कई बार इनका उल्लंघन व्यक्तियों, समूहों
या राज्य द्वारा किया जाता है। इसलिए, लोगों को मानव अधिकारों के किसी भी उल्लंघन के खिलाफ
अपनी आवाज उठाने की आवश्यकता होती है।

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