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पाठ योजना 4

छात्रा अध्यापिका का नाम: शिखा कु मारी


क्रमांक: 68
विद्यालय का नाम :टाटा वर्क र्स यूनियन उच्च विद्यालय
कक्षा :8
समय अवधि :40 मिनट
प्रकरण: संविधान
उप-प्रकरण: धर्मनिरपेक्षता
सामान्य उद्देश्य

• छात्रों को नागरिक कर्तव्यों से अवगत कराना।


• छात्रों को नागरिक शास्त्र की दैनिक जीवन में उपयोगिता बताना।
• छात्रों में सहयोग की भावना का विकास करना।
• छात्रों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास करना।
विशिष्ट उद्देश्य

इस कक्षा के उपरांत छात्र इस योग्य हो पाएंगे कि वे:-


• धर्म निरपेक्षता से संबंधित तथ्यों का प्रत्यास्मरण करेंगे
• भारत में उपस्थित धर्मनिरपेक्षता के समक्ष विभिन्न चुनौतियों को अपने शब्दों में वर्णन करेंगे
शिक्षण सहायक सामग्री
पीपीटी ,चार्ट पेपर, चौक, चौक पट्ट, डस्टर ,प्वाइंटर, चित्र

शिक्षण विधि
• व्याख्यान विधि
• प्रश्नोत्तर विधि
पूर्व ज्ञान
• वाद विवाद विधि छात्र धर्मनिरपेक्षता के बारे में सामान्य जानकारी रखते हैं।
प्रस्तावना

छात्रा अध्यापिका क्रियाएं छात्र संभावित क्रियाएं

छात्र अध्यापिका छात्रों से कु छ प्रश्न पूछेंगे।


1. भारत में मुख्य रूप से कौन कौन से धर्म के लोग रहते हैं?
हिंदू ,मुस्लिम, सिख, इसाई
2. हम जानते है कि भारत में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते
हैं और हमारे देश में सभी को अपने धर्म और उसके तौर तरीकों
को अपनाने की आजादी है।
3. हमारे देश के संविधान में भारत को धार्मिक आधार पर क्या सा धर्मनिरपेक्ष
देश कहा गया है?
4. धर्मनिरपेक्ष शब्द से आप क्या समझते हैं? धर्म के प्रति निरपेक्ष भाव का होना
शिक्षण बिंदु

धर्म निरपेक्षता का अर्थ


• धर्म का मतलब होता है, मान्यता । वह मान्यता जो लोगों द्वारा मानी जाती है और निरपेक्षता का मतलब होता है किसी भी चीज का पक्ष ना लेना यानी कि यदि कोई
राज्य अगर किसी धर्म का पक्ष नहीं लेता है, तो वह धर्मनिरपेक्ष राज्य कहलाता है ।
• भारतीय संविधान के प्रस्तावना में घोषणा के अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है ।धर्मनिरपेक्ष शब्द प्रस्तावना में बयालीसवाँ संशोधन (1976) द्वारा डाला गया
था यह सभी धर्मों और धार्मिक सहिष्णुता और सम्मान की समानता का अर्थ है।
धर्मनिरपेक्षता के समक्ष चुनौतियां

भारत में धर्मनिरपेक्षता एक जटिल समस्या है।


भारत में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता
• भारत में धर्मनिरपेक्षता बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि परिणामी तनाव के कारण धर्म के नाम पर देश का विभाजन हुआ। यह भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समानता के
सिद्धांत पर राज्य और विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच संबंधों को नियंत्रित करता है कि राज्य किसी भी धर्म के साथ भेदभाव नहीं करेगा।
• धर्मनिरपेक्षता समाज में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा तर्क वाद को प्रोत्साहित करता है और एक आधुनिक धर्मनिरपेक्ष राज्य का आधार बनाता है।
• एक धर्मनिरपेक्ष राज्य धार्मिक दायित्वों से स्वतंत्र होता है सभी धर्मों के प्रति एक सहिष्णु रवैया अपनाता है।
• व्यक्ति अपनी धार्मिक पहचान के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होता है इसलिए वह किसी व्यक्ति या व्यक्ति समूह के हिंसापूर्ण व्यवहार के िखलाफ सुरक्षा प्राप्त करना
चाहेगा। यह सुरक्षा सिर्फ धर्मनिरपेक्ष राज्य ही प्रदान कर सकता है।
• धर्मनिरपेक्ष राज्य नास्तिकों के भी जीवन और संपत्ति की रक्षा करता है साथ ही उन्हें अपने तरीके की जीवन शैली और जीवन जीने का अधिकार भी प्रदान करता
है।
• धर्मनिरपेक्ष राज्य राजनैतिक दृष्टि से भी ज्यादा स्थायी होता है।
• इस प्रकार धर्मनिरपेक्षता एक सकारात्मक, क्रांतिकारी और व्यापक अवधारणा है जो विविधता को मजबूती प्रदान करता है।
पुनरावृति
छात्रा अध्यापिका कक्षा मैं पढ़ाई गए पाठ का सारांशित करेंगे।

मूल्यांकन
1. धर्म निरपेक्षता शब्द का क्या अर्थ है?
2. भारत में धर्मनिरपेक्षता के समक्ष क्या क्या चुनौतियां हैं?
3. भारतजैसे विविधता पूर्ण देश में धर्मनिरपेक्षता की आवश्यकता क्यों है?
4. भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्षता शब्द क्यों जोड़ा गया है?
गृह कार्य
भारत में धर्मनिरपेक्षता से जुड़े कु छ महत्वपूर्ण घटनाओं को अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखें?

धन्यवाद

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