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Culture:

दक्षिण भारत में क्षथित राज्य तेलंगाना की संथकृ तत परं परा और आधुतनकता का अनूठा
तमश्रण है । यह िेत्र और इसके लोगों की समृद्ध विरासत को दर्ााता है । तेलंगाना की संथकृ तत
के सबसे प्रमुख पहलुओं में से एक इसके त्योहार और मेले हैं । यह राज्य बोनालू, बिुकम्मा
और उगादी जैसे त्योहारों के अपने भव्य उत्सि के तलए जाना जाता है । बोनालू एक ऐसा
त्यौहार है जो र्वि की दे िी, महाकाली को मनाता है , और है दराबाद और तसकंदराबाद के
जुड़िां र्हरों में बड़े उत्साह के साि मनाया जाता है । बिुकम्मा महहलाओं द्वारा मनाया जाने
िाला एक पुष्प उत्सि है , जहााँ िे फूलों का ढे र तैयार करती हैं और इसे दे िी को अवपात करती
हैं । उगादी हहं द ू नि िर्ा की र्ुरुआत का प्रतीक है और इसे पारं पररक रीतत-ररिाजों और
अनुष्ठानों के साि मनाया जाता है । तेलंगाना की संथकृ तत का एक अन्य महत्िपूणा पहलू
इसका संगीत और नृत्य है । यह राज्य अपने पारं पररक नृत्य रूपों जैसे कोंडापल्ली बोम्मालू,
धीम्सा और पेररनी तर्ितांडिम के तलए जाना जाता है । ये नृत्य रूप िेत्र की समृद्ध
सांथकृ ततक विरासत का प्रततवबंब हैं और त्योहारों और विर्ेर् अिसरों के दौरान हकए जाते हैं ।
तेलंगाना का संगीत भी इसकी संथकृ तत का एक महत्िपूणा हहथसा है और अपने पारं पररक
रूपों जैसे कोइल, ग़ज़ल और कव्िाली के तलए जाना जाता है । यह राज्य अपने समृद्ध साहहत्य
और कविता के तलए भी जाना जाता है , तेलंगाना के कई प्रतसद्ध कवियों और लेखकों के साि।
तेलंगाना का साहहत्य िेत्र की संथकृ तत, इततहास और सामाक्षजक मुद्दों को दर्ााता है ।

Food:
तेलंगाना में सबसे लोकवप्रय व्यंजनों में से एक प्रतसद्ध "है दराबादी वबरयानी" है । यह व्यंजन
मांस (आमतौर पर तिकन या मटन) और मसालों के तमश्रण के साि पकाए गए लंबे दाने
िाले बासमती िािल का संयोजन है । वबरयानी तेलंगाना में एक प्रमुख भोजन है और इसे
अक्सर र्ाहदयों और विर्ेर् अिसरों पर परोसा जाता है । तेलंगाना में एक और लोकवप्रय
व्यंजन "पुतलहोरा" है , जो एक तीखा और मसालेदार इमली िािल का व्यंजन है । यह व्यंजन
आम तौर पर इमली के पेथट, तमिा, मूंगफली और मसालों के तमश्रण से तैयार हकया जाता है ।
यह दोपहर के भोजन या रात के खाने के तलए एक आदर्ा व्यंजन है , और इसे अक्सर दही
या अिार के साि परोसा जाता है । "कोडी कुरा" एक पारं पररक तेलंगाना व्यंजन है क्षजसे
तिकन के साि बनाया जाता है , मसालों के तमश्रण के साि थिाद हदया जाता है , और तमट्टी
के बतान में पकाया जाता है । यह मांसाहाररयों के बीि एक लोकवप्रय व्यंजन है । "िड़ा"
तेलंगाना का एक और लोकवप्रय व्यंजन है , यह दाल और मसालों से बना एक गहरे तले हुए
डोनट के आकार का थनैक है । इसे आमतौर पर िटनी या सांबर के साि परोसा जाता है ।
तेलंगाना की खाद्य संथकृ तत में कई प्रकार के र्ाकाहारी व्यंजन भी र्ातमल हैं । कुछ लोकवप्रय
र्ाकाहारी व्यंजनों में "बगरा बैंगन," "दोंडाकाया फ्राई" और "पलकूरा" र्ातमल हैं , जो क्रमर्ः
बैंगन, आइिी लौकी और पालक के साि तैयार हकए जाते हैं ।

Clothing:
पुरुर्ों के तलए, तेलंगाना की पारं पररक पोर्ाक "धोती" और "कुताा" है । धोती कपड़े का एक लंबा
टु कड़ा होता है क्षजसे कमर और पैरों के िारों ओर लपेटा जाता है और कुते के साि पहना
जाता है , जो एक लंबी, ढीली-ढाली कमीज होती है । इस पोर्ाक को पारं पररक माना जाता है
और अभी भी तेलंगाना में कई पुरुर्ों द्वारा पहना जाता है , खासकर त्योहारों और विर्ेर्
अिसरों के दौरान। महहलाओं के तलए, तेलंगाना की पारं पररक पोर्ाक "साड़ी" है । साड़ी कपड़े का
एक लंबा टु कड़ा होता है क्षजसे कमर के िारों ओर लपेटा जाता है और ब्लाउज और पेटीकोट
के साि पहना जाता है । साड़ी को एक पारं पररक और सुरुतिपूणा पोर्ाक माना जाता है और
अभी भी तेलंगाना में कई महहलाओं द्वारा पहना जाता है । तेलग
ं ाना की सबसे लोकवप्रय
साहड़यााँ पोिमपल्ली, गडिाल और मंगलतगरी साहड़यााँ हैं । ये साहड़यां अपने जहटल हडजाइन
और पारं पररक रूपांकनों के तलए जानी जाती हैं , जो इस िेत्र की समृद्ध सांथकृ ततक विरासत
को दर्ााती हैं । पारं पररक पोर्ाक के अलािा, तेलंगाना के आधुतनक कपड़े भी पक्षिमी र्ैतलयों से
काफी प्रभावित हैं । तेलंगाना में बहुत से लोग, खासकर युिा पीढी, जींस, टी-र्टा और थकटा जैसे
आधुतनक पक्षिमी कपड़े पहने दे खे जा सकते हैं ।

Language:
तेलुगु तेलंगाना की आतधकाररक भार्ा है , जो अतधकांर् आबादी द्वारा बोली जाती है । तेलुगु को
भारत की सबसे पुरानी भार्ाओं में से एक माना जाता है और इसकी एक समृद्ध साहहक्षत्यक
परं परा है । इसका एक जहटल व्याकरण और एक बड़ी र्ब्दािली है , जो इसे एक बहुमुखी भार्ा
बनाती है । भार्ा िर्ों में विकतसत हुई है , और तेलग
ं ाना में बोली जाने िाली बोली आंध्र प्रदे र्
के अन्य हहथसों में बोली जाने िाली बोली से िोड़ी अलग है । तेलंगाना बोली को अतधक
बोलिाल की भार्ा माना जाता है और इसका एक अलग उच्िारण है । तेलुगु के अलािा,
तेलंगाना में उदा ू भी व्यापक रूप से बोली जाती है , खासकर है दराबाद र्हर में। उदा ू तेलंगाना
में एक आतधकाररक भार्ा है और इसका उपयोग तर्िा, मीहडया और आतधकाररक संिार में
हकया जाता है । तेलंगाना में बोली जाने िाली उदा ू भारत के अन्य हहथसों में बोली जाने िाली
मानक उदा ू से अलग है , और इसका एक अलग उच्िारण और र्ब्दािली है ।

Music:
तेलंगाना में सबसे लोकवप्रय पारं पररक संगीत रूपों में से एक "डप्पू" है , जो एक टक्कर-
आधाररत संगीत है क्षजसे अक्सर त्योहारों और समारोहों में बजाया जाता है । डप्पू एक बड़ा
ड्रम है क्षजसे डं डों से बजाया जाता है , और इसके साि कई अन्य ताल िाद्य यंत्र भी होते हैं ।
संगीत जीिंत और उत्साहहत है , और अक्सर गायन और नृत्य के साि होता है । एक अन्य
पारं पररक संगीत रूप जो तेलंगाना में लोकवप्रय है , िह है "लंबाडी", जो एक लोक संगीत है जो
आमतौर पर तेलंगाना के एक आहदिासी समुदाय लम्बाडी द्वारा हकया जाता है । लम्बाडी
संगीत अपने तेज़-तराार लय और आकर्ाक धुनों के तलए जाना जाता है । यह अक्सर "दप्पू" के
साि होता है और यह र्ाहदयों और अन्य समारोहों के तलए एक लोकवप्रय विकल्प है । हाल के
िर्ों में तेलंगाना में आधुतनक संगीत भी लोकवप्रय हुआ है । इसमें हफल्म संगीत और पॉप
संगीत र्ातमल हैं , जो पक्षिमी र्ैतलयों से काफी प्रभावित हैं । कई तेलंगाना संगीतकारों ने भी
अपनी आधुतनक रिनाओं में पारं पररक संगीत के तत्िों को र्ातमल करना र्ुरू कर हदया है ,
क्षजससे र्ैतलयों का एक अनूठा तमश्रण तैयार हुआ है ।

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