Hindi PPT For Class 11

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अभिस्वीकृ ति
मैं अपनी अध्यापिका का सहृदय धन्यवाद करना चाहती हूँ कि उन्होंने मुझे इतनी कला एकीकरण गतिविधि बनाने का यह
अवसर प्रदान किया। इस परियोजना के बारे में बहुत कु छ सीखने को मिला। मैं अपने माता -पिता का भी हार्दिक धन्यवाद
करना चाहूँगा क्योंकि उनकी सहायता के बिना यह परियोजना बनाना सफल नही हो पाता। मैं भविष्य में भी ऐसी शिक्षाप्रद
परियोजना बनाने की आशा करती हूँ।

 नाम:ओजस्वी गुप्ता
प्र माण पत्र

यह प्रमाणित किया जाता है कि ओजस्वी गुप्ता कक्षा दसवी की छात्रा है | जिन्होंने हिंदी कला एकीकरण
परियोजना को बहुत सफलतापूर्वक बनाया है| इस परियोजना के दौरान इन्होंने बहुत अच्छी मौलिकता और
रचनात्मक प्रतिभा दिखाई | और सिक्किम के बारे मे बहुत अच्छे से समझाया गया है |

अध्यापक हस्ताक्षर
सि क्कि म

सिक्किम, प्राकृ तिक सौन्दर्य से परिपूर्ण इस राज्य का प्रत्येक स्थल मनोहारी है। सिक्किम की रक्षा देवी के नाम से प्रसिद्ध दुनियाँ की तीसरी सबसे बड़ी चोटी
कं चनजंघा इसके सौन्दर्य को और निखारती है।
सिक्किम भारत के पूर्वोत्तर भाग में स्थित एक पर्वतीय राज्य है। अंगूठे के आकार का यह राज्य पश्चिम में नेपाल, उत्तर तथा पूर्व में चीनी तिब्बत स्वायत्त
क्षेत्र तथा दक्षिण-पूर्व में भूटान से लगा हुआ है। भारत का पश्चिम बंगाल(बङ्गाल) राज्य इसके दक्षिण में है। अंग्रेजी, गोर्खा खस भाषा, लेप्चा, भूटिया,
लिम्बू तथा हिंदी आधिकारिक भाषाएँ हैं। हिन्दू तथा बज्रयान बौद्ध धर्म सिक्किम के प्रमुख धर्म हैं। गंगटोक(गङ्गटोक) राजधानी तथा सबसे बड़ा शहर है।
सिक्किम नाम ग्याल राजतन्त्र द्वारा शासित एक स्वतंत्र(स्वतन्त्र) राज्य था, परंतु(परन्तु) प्रशासनिक समस्यायों के चलते तथा भारत में विलय और जनमत
के कारण 1975 में एक जनमत-संग्रह(सङ्ग्रह) के साथ भारत में इसका विलय हो गया। उसी जनमत संग्रह(सङ्ग्रह) के पश्चात राजतंत्र(राजतन्त्र) का
अंत(अन्त) तथा भारतीय संविधान की नियम-प्रणाली के ढाँचें में प्रजातन्त्र(प्रजातंत्र) का उदय हुआ।
गंगटोक

• गंगटोक या स्थानीय नाम गान्तोक भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य सिक्किम की राजधानी है। एक बहुत आकर्षक शहर है जो रानीपूल नदी के पश्चिम ओर
बसा है। कं चनजंघा शिखर की संपूर्ण शृंखला की सुंदर दृश्यावली यहां से दिखाई देती है। गंगटोक के प्राचीन मंदिर, महल और मठ आपको सपनों की
दुनिया की सैर कराएंगे।
• यहां देखने लायक कई स्‍थान हैं जैसे, गणेश टोक, हनुमान टोक तथा ताशि व्‍यू प्‍वांइट। अगर आप गंगटोक घूमने का पूरा लुफ्त उठाना चाहते हैं तो
इस शहर को पैदल घूमें। यहां से कं चनजंघा नजारा बहुत ही आकर्षक प्रतीत होता है। इसे देखने पर ऐसा लगता है मानो यह पर्वत आकाश से सटा
हुआ है तथा हर पल अपना रंग बदल रहा है।अगर आपकी बौद्ध धर्म में रुचि है तो आपको इंस्‍टीट्यूट ऑफ तिब्‍बतोलॉजी जरुर घूमना चाहिए। यहां
बौद्ध धर्म से संबंधित अमूल्‍य प्राचीन अवशेष तथा धर्मग्रन्‍थ रखे हुए हैं। यहां अलग से तिब्‍बती भाषा, संस्‍कृ ति, दर्शन तथा साहित्‍य की शिक्षा दी
जाती है। इन सबके अलावा आप प्राचीन कलाकृ तियों के लिए पुराने बाजार, लाल बाजार या नया बाजार भी घूम सकते हैं।
इतिहास

• बौद्ध भिक्षु गुरु रिन्पोचे (पद्मसंभव) का ८वीं सदी में सिक्किम दौरा यहाँ से सम्बन्धित सबसे प्राचीन विवरण है। अभिलेखित है कि उन्होंने बौद्ध धर्म
का प्रचार किया, सिक्किम को आशीष दिया तथा कु छ सदियों पश्चात आने वाले राज्य की भविष्यवाणी की। मान्यता के अनुसार १४वीं सदी में ख्ये
बुम्सा, पूर्वी तिब्बत में खाम के मिन्यक महल के एक राजकु मार को एक रात दैवीय दृष्टि के अनुसार दक्षिण की ओर जाने का आदेश मिला। इनके ही
वंशजों ने सिक्किम में राजतन्त्र की स्थापना की। १६४२ ईस्वी में ख्ये के पाँचवें वंशज फु न्त्सोंग नामग्याल को तीन बौद्ध भिक्षु, जो उत्तर, पूर्व तथा
दक्षिण से आये थे, द्वारा युक्सोम में सिक्किम का प्रथम चोग्याल (राजा) घोषित किया गया। इस प्रकार सिक्किम में राजतन्त्र का आरम्भ हुआ।फु न्त्सोंग
नामग्याल के पुत्र, तेन्सुंग नामग्याल ने उनके पश्चात १६७० में कार्य-भार संभाला। तेन्सुंग ने राजधानी को युक्सोम से रबदेन्त्से स्थानान्तरित कर
दिया। सन १७०० में भूटान में चोग्याल की अर्ध-बहन, जिसे राज-गद्दी से वंचित कर दिया गया था, द्वारा सिक्किम पर आक्रमण हुआ। तिब्बतियों की
सहयता से चोग्याल को राज-गद्दी पुनः सौंप दी गयी। १७१७ तथा १७३३ के बीच सिक्किम को नेपाल तथा भूटान के अनेक आक्रमणों का सामना
करना पड़ा जिसके कारण रबदेन्त्से का अन्तत:पतन हो गया।
संस्कृ ति

• सिक्किम के नागरिक भारत के सभी मुख्य हिन्दू त्योहारों जैसे दीपावली और दशहरा, मनाते हैं। बौद्ध धर्म के ल्होसार, लूसोंग, सागा दावा, ल्हाबाब
ड्युचेन, ड्रु पका टेशी और भूमचू वे त्योहार हैं जो मनाये जाते हैं। लोसर - तिब्बती नव वर्ष लोसर, जो कि मध्य दिसंबर में आता है, के दौरान
अधिकतर सरकारी कार्यालय एवं पर्यटक के न्द्र हफ़्ते भर के लिये बंद रहते हैं। गैर-मौसमी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये हाल ही में बड़ा दिन।
बड़े दिन को गंगटोक में प्रसारित किया जा रहा है। पाश्चात्य रॉक संगीत यहाँ प्रायः घरों एवं भोजनालयों में, गैर-शहरी इलाक़ों में भी सुनाई दे जाता
है। हिन्दी संगीत ने भी लोगों में अपनी जगह बनाई है। विशुद्ध नेपाली रॉक संगीत, तथा पाश्चात्य संगीत पर नेपाली काव्य भी अत्यंत प्रचलित हैं।
फु टबॉल एवं क्रिके ट यहाँ के सबसे लोकप्रिय खेल हैं।
मौ सम

• यहाँ का मौसम जहाँ दक्षिण में शीतोष्ण कटिबंधी है तो वहीं टुंड्रा प्रदेश के मौसम की तरह है। यद्यपि सिक्किम के अधिकांश आवासित क्षेत्र में, मौसम
समशीतोष्ण (टैंपरेट) रहता है और तापमान कम ही 28 °सै (82 °फै ) से ऊपर यां 0 °सै (32 °फै ) से नीचे जाता है। सिक्किम में पांच ऋतुएं
आती हैं: सर्दी, गर्मी, बसंत और पतझड़ और वर्षा, जो जून और सितंबर के बीच आती है। अधिकतर सिक्किम में औसत तापमान लगभग 18 °सै
(64 °फै ) रह्ता है। सिक्किम भारत के उन कु छ ही राज्यों में से एक है जिनमे यथाक्रम वर्षा होती है। हिम रेखा लगभग ६००० मीटर (१९६००
फीट) है।
• मानसून के महीनों में प्रदेश में भारी वर्षा होती है जिससे काफी संख्या में भूस्खलन होता है। प्रदेश में लगातार बारिश होने का कीर्तिमान ११ दिन का
है। प्रदेश के उत्तरी क्षेत्र में शीत ऋतु में तापमान -40 ° से भी कम हो जाता है। शीत ऋतु एवं वर्षा ऋतु में कोहरा भी जन जीवन को प्रभावित
करता है जिससे परिवहन काफी कठिन हो जाता है।
व्यंजन

• सिक्किम भ्रमण के दौरान आप यहां के पारंपरिक व्यंजनों को जरूर ट्राई करें। सेल रोटी एक पारंपरिक नेपाली डिश है, जो गोल आकार की होती है,
जिसका स्वाद मिठा होता है। यह रोटी आम खाई जानी वाली रोटियों से आफी भिन्न है। सेल रोटी आम तौर पर राज्य के महत्वपूर्ण त्योहारों और
उत्सवों के दौरान बनाई जाती है, जिसे प्यार के प्रतीक के रूप में एक दूसरे के बीच बांटा जाता है। आप इसे राज्य के किसी भी छोटे-बड़े रेस्तरां में
खा सकते हैं। यह थोड़ी फु ली हुई होती है, जिसका स्वाद थोड़ा कु रकु रा होता है।
• थेंकु क राज्य के किसी भी रेस्तरां में आसानी से मिल जाने वाला स्ट्रीट फू ड है। दरअसल यह एक तिब्बती डिश है जो अब सिक्किम के लोगों की
पसंदीदा बन चुकी है। यह एक प्रकार का नूडल सूप है जो सब्जियों, गेहूं, मटन या चिकन से बनाया जाता है। कु छ मिर्च फ्ले क्स जोड़ने के बाद इस
सूप को थोड़ा स्पाइसी कर दिया जाता है। अगर आप सिक्किम आएं तो इस खास सूप को जरूर ट्राई करें।
सिक्कि म के त्यौहार

• सिक्किम के लोगों के लिए मुख्य धर्म हिंदू धर्म है हालांकि एक बड़ी आबादी बौद्ध धर्म का भी पालन करती है। तिब्बती और
सिक्किम के लोग, एवं भूटान के लोग बौद्ध धर्म का पालन करते हैं। यहां हिंदू त्यौहारो के साथ-साथ नेपाली त्यौहारों का भी
अनुसरण किया जाता है। सिक्किम के प्रमुख त्यौहार द्रुकप्रेसी, पांग लुबसोल, सागा दावा, लॉसोंग और दासैन का व्यापक
रूप से मनाया जाता है यहां हिंदू त्यौहारों में मुख्य रुप से दुर्गा पूजा, दशहरा और दिवाली के त्यौहार मनाए जाते हैं।सिक्किम
के त्यौहारों की सूचीनववर्षलोसर उत्सवहोलीराम नवमीदुर्गा पूजादशहरादिवालीक्रिसमस डे
नृत्य

• लामा नृत्य अर्थात मुखौटा नृत्य बौद्ध भिक्षुओं द्वारा उनकी धार्मिक परंपराओं के रूप में किया जाता है। बौद्ध धर्म के “महायान” मत के महान संत
गुरु पद्मशंभव की शिक्षा के अनुसार, ये परंपराएँ सिक्किम की धार्मिक पुस्तकों में संहिताबद्ध हैं। इनके आधार पर, लामा सिक्किम राज्य और बौद्ध धर्म
के हित में प्रार्थनाएँ करते हैं। अधिकतर लामा नृत्य मठ के अंदर की जानेवाली प्रार्थनाओं का जनता के लिए सुलभ बनाए हुए बाह्य वर्णन होते हैं।
बुराई पर विजय पाकर भूमि और उसके धर्म की रक्षा ही इन प्रार्थनाओं का मूल विषय है। पर, हर-एक प्रार्थना और उससे जुड़ा हुआ नृत्य अन्य
प्रार्थनाओं से अलग होता है क्यूँकि वे जनम-मरण के चक्र में फँ से मनुष्यों की भिन्न-भिन्न समस्याओं के हल स्वरूप, अलग-अलग ग्रंथों से ली गयी
होती हैं। मूल तिब्बती बौद्ध नृत्य के विपरीत, माउंट कं चनजंगा किसी भी सिक्किमी बौध नृत्य का कें द्र है। लामा नृत्यों में, शास्त्रों के अनुसार बनाई
गयीं भव्य पोशाकों और रंग बिरंगे मुखौटों का प्रयोग होता है, साथ ही इसमें संहिताबद्ध धार्मिक संगीत और जाप को प्रस्तुत करते हुए पारंपरिक वाद्य
यंत्र जैसे कि झांझ और बड़े सींग भी बजाए जाते हैं।
सिक्कि म की वेषभूषा
सिक्किम की पुरुष वेशभूषालेप्चा
पुरुषों की पारंपरिक वेशभूषा थोकोरो-दम है जिसमें एक सफे द पाजामा येन्हत्से, एक लेपचा शर्ट और शंबो, टोपी शामिल है। पुरुष पोशाक की बनावट
खुरदरी और लंबे समय तक चलने वाली होती है, जो खेत और जंगल के लिए उपयुक्त है। भूटिया नर की पारंपरिक वेशभूषा में खो भी शामिल है, जिसे
बाखू के नाम से भी जाना जाता है। सिक्किम के एक अन्य प्रमुख समूह नेपाली ने अपनी वेशभूषा में अपनी संस्कृ ति को बनाए रखा है। नेपाली पुरुष
चूड़ीदार पायजामा, एक शर्ट, जो कि दउरा के नाम से जाना जाता है, के ऊपर शूरवल पहनते हैं। यह आसकोट, कलाई कोट और उनकी बेल्ट से जुड़ा
है, जिसे पटुकी कहा जाता है।
सिक्किम की महिला पोशाकलेप्चा
महिलाओं की वंशानुगत पोशाक डमवम या डु मिडम है। लेप्चा महिलाओं द्वारा प्रदर्शित शानदार गहने, प्रवेश, बालियां, नामचोक, लयक एक हार, ग्यार,
एक कं गन, और इतने पर। भूटिया समुदाय, जो तिब्बत से है, वर्षों से सिक्किम की संस्कृ ति और सामाजिक मानदंडों में निहित है। भूटिया महिला की
सामान्य वेशभूषा में खो या बाखू, हंजु, एक रेशमी फु ल-स्लीव्स वाला ब्लाउज, कु शेन, एक जैके ट, टोपी का एक अलग पैटर्न, शंबो और शबचू शामिल
हैं। पैंगडन, धारीदार एप्रन, वैवाहिक भूटिया महिलाओं का प्रतीक है। भूटिया महिलाओं की सुंदरता बढ़ाने वाले आभूषण येनचो, बाली, खाओ, हार,
फीरु, मोती आभूषण, दीव, सोने की चूड़ी, और जोको, अंगूठी हैं। भूटिया लोग सोने के शुद्ध रूप से प्रभावित होते हैं और उनके अधिकांश आभूषण
शुद्ध सोने से निर्मित होते हैं।
सिक्कि म के खुबसूरत पर्य टक स्थल
• भारत के उत्तर पूर्वी हिस्से में सिक्किम हिमालये के गोद में बसा है, सिक्किम घुमने के लिहाज से एक खुबसूरत पर्यटक स्थल है, क्योंकि यहाँ हिमालयी
वातावरण, गुरलिंग धाराएँ, बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ, इसकी संस्कृ ति, मठों, हरी भरी वादिय जो आपको अछू ते प्रकृ ति सौंदर्य का आनंद प्रदान करते
हैं। यहा महकती सुबह और सूर्यास्त का अलग ही नजारा होता है।
• सिक्किम पूर्वी हिमालय के सतह में बसा है और प्रकृ ति ने इस राज्य को अद्भुत सुंदरता उपहार में दिया है। सिक्किम में आप को अधिक से अधिक
वनस्पतियों और निर्विवाद घाटियों, मधुर आवाज में पहाड़ो से बहते झरने , साफसुथरा स्वच्छ व् शांतिपूर्ण वातावरण देखने को मिलता है। यहाँ के
लोग मेहमाननवाज और विनम्र स्वभाव के है। सिक्किम के पर्वतमालाओ में कं चनजंगा दुनिया का तीसरा सबसे ऊं चा पर्वत है। सिक्किम भारत का सबसे
कम आबादी वाला राज्य भी है। गंगटोक, सिक्किम की राजधानी है। जो समुद्र तल से पाँच हज़ार फीट की ऊँ चाई पर स्थित है।
धन्यवाद

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