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सिक्किम की राजधानी

गं गटोक या स्थानीय नाम गान्तोक (अंग्रेजी: Gangtok) भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य सिक्किम की राजधानी है। एक
बहुत आकर्ष क शहर है जो रानीपूल नदी के पसिम ओर बिा है । कंचनजं घा सशखर की िंपूर्ष शं खला की िंदर
दृश्यार्वली यहां िे सदखाई दे ती है । गंगटोक के प्राचीन मं सदर, महल और मठ आपको िपनों की दसनया की िैर
कराएं गे।

स्मारक एर्वं दशषनीय स्थल


यहां दे खने लायक कई ि्थान हैं जै िे, गर्ेश टोक, हनमान टोक तथा तासश र्व्यू प्र्वां इट। अगर आप गं गटोक घू मने
का पूरा लफ्त उठाना चाहते हैं तो इि शहर को पैदल घू में। यहां िे कंचनजं घा नजारा बहुत ही आकर्षक प्रतीत होता
है । इिे दे खने पर ऐिा लगता है मानो यह पर्वषत आकाश िे िटा हुआ है तथा हर पल अपना रं ग बदल रहा है ।
अगर आपकी बौद्ध धमष में रुसच है तो आपको इं ि्टीट्यू ट ऑफ सतब्बतोलॉजी जरुर घू मना चासहए। यहां बौद्ध धमष िे
िंबंसधत अमूल्य प्राचीन अर्वशेर् तथा धमषग्रन्थ रखे हुए हैं । यहां अलग िे सतब्बती भार्ा, िंि्कृसत, दशष न तथा
िासहत्य की सशक्षा दी जाती है । इन िबके अलार्वा आप प्राचीन कलाकृसतयों के सलए पराने बाजार, लाल बाजार या
नया बाजार भी घू म िकते हैं।

िोमगो झील

कंचनजंघा चोटी
गं गटोक िे 40 सकलोमीटर की दू री पर यह झील क्कस्थत है । यह झील चारों ओर िे बफीली पहासियों िे सघरा हुआ है ।
झील एक सकलोमीटर लं बा तथा 50 फीट गहरा है । यह अप्रैल महीने में पूरी तरह बफष में तब्दील हो जाता है । िरक्षा
कारर्ों िे इि झील को एक घंटे िे असधक दे र तक नहीं घू मा जा िकता है । जाडे के िमय में इि झील में प्रर्वाि के
सलए बहुत िे सर्वदे शी पक्षी आते हैं । इि झील िे आगे केर्वल एक िडक जाती है । यही िडक आगे नाथूला दरे तक
जाती है । यह िडक आम लोगों के सलए खला नहीं है । ले सकन िेना की अनमसत ले कर यहां तक जाया जा िकता है ।

लाम्पोखरी (झील) आररटार

आररटार झील, ररनाक


पू र्वष सिक्किम

लाम्पोखरी, गं गटोक िे लगभग 70 सकलोमीटर की दू री पर क्कस्थत एक झील है । गं गटोक िे यहााँ पाक्ोंग अथर्वा रम्फू
होते हुए टै क्सी िे पहुं चा जा िकता है । झील चारों ओर िे पहासडयों िे सघरी हुई है । झील एक सकलोमीटर लं बी तथा
50 फट तक गहरी है । यहााँ पर अनेक दशष नीय स्थल हैं ।

रुमटे क मठ

रूमटे क मठ

रुमटे क घू मे सबना गं गटोक का िफर अधू रा माना जाता है । यह मठ गं गटोक िे 24 सकलोमीटर की दू री पर क्कस्थत है ।
यह मठ 300 र्वर्ष पराना है । रुमटे क सिक्किम का िबिे पराना मठ है । 1960 के दशक में इि मठ का पनसनमाष र्
सकया गया था। इि मठ में एक सर्वद्यालय तथा ध्यान िाधना के सलए एक अलग खर््ि है । इि मठ में बहुमूल्य थंगा
पेंसटग तथा बौद्ध धमष के कग् यूपा िंप्रदाय िे िंबंसधत र्वि्तएं िरसक्षत अर्वि्था में है । इि मठ में िबह में बौद्ध सभक्षओं
द्वारा की जाने र्वाली प्राथषना बहुत कर्षसप्रय होती है ।

दो द्रूल चोटे न
यह गं गटोक के प्रमख आकर्षर्ों में एक है । इिे सिक्किम का िबिे महत्र्वपूर्ष ि्तूप माना जाता है । इिकी ि्थापना
त्रलिी ररमपोचे ने 1945 ई. में की थी। त्रलिी सतब्बसतयन बौद्ध धमष के सनयं गमा िम्प्रदाय के प्रमख थे। इि मठ का
सशखर िोने का बना हुआ है । इि मठ में 108 प्राथषना चक्र है । इि मठ में गरु ररमपोचे की दो प्रसतमाएं ि्थासपत है।
इनहेंची मठ
इनहें ची का शाक्किक अथष होता है सनजष न। सजि िमय इि मठ का सनमाष र् हो रहा था। उि िमय इि पूरे क्षेत्र में सिफष
यही एक भर्वन था। इि मठ का मख्य आकर्षर् जनर्वरी महीने में यहां होने र्वाला सर्वशे र् नृत्य है । इि नृत्य को चाम
कहा जाता है । मूल रूप िे इि मठ की ि्थापना 200 र्वर्ष पहले हुई थी। र्वतष मान में जो मठ है र्वह 1909 ई. में बना
था। यह मठ द्रपटोब कारपो को िमसपषत है । कारपो को जादई शक्स त के सलए याद सकया जाता है।

ऑसकिड अभयारण्य
इि अभ्यारर््य में ऑसकषि का िंदर िंग्रह है । यहां सिक्किम में पाए जाने र्वाले 454 सकि्म के ऑसकषिों को रखा
गया है । प्राकृसतक िंदरता को पिंद करने र्वाले व्यक्कियों को यह अर्वश्य दे खना चासहए।

टासिसलं ग
ताशी सलं ग मख्य शहर िे 6 सकलोमीटर की दू री पर क्कस्थत है । यहां िे कंचनजंघा श्रेर्ी बहुत िंदर सदखती है । यह मठ
मख्य रूप िे एक पसर्वत्र बत्तष न बू मचू' के सलए प्रसिद्ध है । कहा जाता है सक इि बत्तष न में पसर्वत्र जल रखा हुआ है । यह
जल 300 र्वर्ों िे इिमें रखा हुआ है और अभी तक नहीं िखा है ।

सटिु क ला खंग
यहां बौद्ध धमष िे िंबंसधत प्राचीन ग्रं थों का िंदर िंग्रह है । यहां का भर्वन भी काफी िंदर है । इि भर्वन की दीर्वारों पर
बद्ध तथा िंबंसधत अन्य महत् र्वपूर्ष घटनाओं का प्रशं िनीय सचत्र है । यह भर्वन आम लोगों और पयष टकों के सलए
'लोिार पर्वष' के दौरान खोला जाता है । लोिार एक प्रमख नृत्य त् योहार है ।

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