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दिल्ली के करीबी इन 5 हिल स्टे शन्स पर जाकर दें गर्मियों को मात

राजधानी दिल्ली सिर्फ राजनीति के चलते ही चर्चा में नहीं रहती है , बल्कि यहाँ का मौसम भी
इस जगह को बेहद ख़ास बनाता है । यहाँ सर्दी भी कायदे से पड़ती है , और गर्मी भी। गर्मियों में
दिल्ली वाले हिल स्टे शस
ं की ओर भागते हैं। अगर आपकी भी कुछ ऐसी योजना है , और आप
कुछ गिने-चन
ु े हिल स्टे शंस पर बार-बार जाकर बोर हो गए हैं, तो घबराए नहीं।

हम आपको कुछ ऐसे हिल स्टे शनों के बारे में जो आपको गर्मी से राहत तो दे गें ही साथ ही आप
वहाँ काफी रिलेक्स भी फील करें गे। वैसे ये जगहें थोड़ी कम पॉपल
ु र हैं, लेकिन बेहद खब
ू सरू त
पहाड़ी, खूबसूरत नजारों और सुकून भरे इन पलों को छोड़ना थोड़ा मश्कि
ु ल हो सकता है ।

सबसे बड़ी बात यह है कि ये जगह दिल्ली के पास होने की वजह से यहाँ तक आना आपके
लिए आसान रहे गा।

शोघी एक हिल स्टे शन है जो चारों तरफ से सुंदर- सुंदर ओक के वक्ष


ृ ों से घिरा हुआ है ।

शोघी हिमाचल प्रदे श की राजधानी शिमला से 13 कि.मी. दरू है । शोघी एक हिल स्टे शन है जो
चारों तरफ से सुंदर- सुंदर ओक के वक्ष
ृ ों से घिरा हुआ है । यहाँ फलों की पैदावारी ही मुख्य
व्यवसाय है जिनसे जैम, जैली और जस
ू बनाकर व्यापार किया जाता है ।

अगर आप चिलचिलाती गर्मी के साथ-साथ प्रकृति की गोद में कुछ दिनों के लिए समा जाना
चाहते हैं और जी भर कर प्रकृति की सुंदरता के मज़े लेना चाहते हैं तो इस जगह को अपने
हिमाचल प्रदे श की अगली यात्रा में शामिल करना ना भूलें। कई मंदिरों के साथ यह जगह ट्रे किंग
और कैं म्पिंग के लिए भी आदर्श जगह है । दिल्ली से लगभग 370 किलोमीटर की दरू ी पर स्थित
शोघी, आप अपनी निजी गाड़ी से भी जा सकते हैं।

कसौली में आपको दे खने और करने के लिए काफी कुछ है जैसे- मन मोह लेने वाले खूबसूरत
पहाड़, रोमांटिक रास्ते, हरे -भरे बाग-बगीचे और पथरीले रास्ते। कसौली में आपको दे खने और
करने के लिए काफी कुछ है जैसे- मन मोह लेने वाले खूबसूरत पहाड़, रोमांटिक रास्ते, हरे -भरे
बाग-बगीचे और पथरीले रास्ते।

हिमाचल प्रदे श के मंत्रमग्ु ध कर दे ने वाले शहर कसौली में जो चारों तरफ से शाहबलत
ू , चीड़ और
दे वदार के ऊंचे-ऊंचे पेड़ों से घिरा हुआ है । कसौली, चंडीगढ़ और शिमला के बीच में है और यहाँ
के अनोखे कॉटे ज और अंग्रेजों के जमाने के चर्च किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकते
हैं।

कसौली में आपको दे खने और करने के लिए काफी कुछ है जैसे- मन मोह लेने वाले खूबसूरत
पहाड़, रोमांटिक रास्ते, हरे -भरे बाग-बगीचे और पथरीले रास्ते। अकेलेपन की तलाश कर रहे लोग
कसौली के सनसेट पॉइंट और लवर्स लेन जाना न भूलें। यह जगह इतनी शांत है कि यहाँ
आपको चिड़िया और हवा की आवाज के अलावा औऱ कुछ सन
ु ाई नहीं दे गा।

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में 6075 फुट से ज्यादा की ऊंचाई पर बसा है खूबसूरत हिल स्टे शन
कौसानी। दिलकश नज़ारों के चलते ही इस जगह को भारत का स्विट्जरलैंड कहा जाता है । कहीं-
कहीं इसे कुमाऊं का स्वर्ग भी कहते हैं।

कौसानी पहुँचकर आपको हिमालय की चोटियों का 350 किलोमीटर फैला नज़ारा एक ही जगह से
दे खने का मौका मिलता है । पहाड़ों से नीचे झांके तो कटौरी घाटी और गोमती नदी मन मोह
लेती हैं। इन खूबसूरत नजारों से रूबरू होने के लिए ही दे श-दनि
ु या से टूरिस्ट कौसानी खींचे चले
आते हैं। रुद्रधारी फॉल्स, लक्ष्मी आश्रम, गांधी आश्रम और टी एस्टे ट यहाँ के पसंदीदा टूरिस्ट
पॉइंट्स हैं।

हर तरफ फैली हरियाली आपको एक अलग दनि


ु या का एहसास कराती है । दरअसल, इस जगह
को अंग्रेजों ने पहाड़ों को काटकर बसाया था। हर तरफ फैली हरियाली आपको एक अलग दनि
ु या
का एहसास कराती है । दरअसल, इस जगह को अंग्रेजों ने पहाड़ों को काटकर बसाया था।

लैंसडौन
उत्तराखंड पौढ़ी गढ़वाल में बादलों के बीच बसे इस हिल स्टे शन की सुंदरता दे ख आप खुद को
यहाँ आने से नहीं रोक पाएंगे। दे वभूमि उत्तराखंड के इस हिल स्टे शन की प्राकृतिक सुंदरता यहाँ
आने वाले पर्यटकों को सम्मोहित कर लेती है ।

लैंसडाउन उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में बसा एक छावनी शहर है जो बेहद खूबसूरत हिल
स्टे शन है । हर तरफ फैली हरियाली आपको एक अलग दनि
ु या का एहसास कराती है । दरअसल,
इस जगह को अंग्रेजों ने पहाड़ों को काटकर बसाया था।

यहाँ पहुँचकर पर्यटकों को थोड़ी दे र के लिए ऐसा लगता है मानो भीड़-भाड़ की दनि
ु या से कहीं
दरू , प्रकृति की गोद में हैं। यहाँ पहुँचकर पर्यटकों को थोड़ी दे र के लिए ऐसा लगता है मानो भीड़-
भाड़ की दनि
ु या से कहीं दरू , प्रकृति की गोद में हैं।

मोरनी हिल्स

हरियाणा का इकलौता पर्वतीय पर्यटन स्थल मोरनी अनायास सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित
करता है । सिटी ब्यूटीफुल यानि चंडीगढ़ से करीब 35 किलोमीटर की दरू ी पर स्थित मोरनी
शिवालिक की पहाड़ियों के बीच है ।

सैलानियों के लिए बोटिंग, ट्रै किंग, कैं पिंग की सवि


ु धा है । बच्चों के मनोरं जन के लिए एडवें चर थीम
पार्क भी बना हुआ है । मोरनी के टिक्कर तालों में लगाया गया 162 फुट ऊंचा फाऊंटे न ताल की
खूबसूरती में चार चांद लगा दे ता है ।

यहाँ पहुँचकर पर्यटकों को थोड़ी दे र के लिए ऐसा लगता है मानो भीड़-भाड़ की दनि
ु या से कहीं
दरू , प्रकृति की गोद में हैं।

इतिहास में झाकना हैं तो जाए दिल्ली के महरौली गावं में

एक समय ऐसा भी था जब महरौली को दिल्ली का हिस्सा भी नहीं माना जाता था। शुरुआत में
दिल्ली ही महरौली थी। पर आज के समय में यह दिल्ली का अभिन्न अंग है । आज भी इस
गाँव के लोग वैसे ही रहते हैं जैसे की किसी शहर के पास वाले गाँव में रहते हैं। जब आप यहाँ
जाएंगे तो आपको ऐसा लगेगा जैसे सच में किसी गाँव में आ गये हों। शहर के कुछ बेहतरीन
रे स्तरां और बुटीक को छोड़ दे तो यहा पर आज भी ज्यादा कुछ नहीं बदला।

महरौली एक ऐतिहासिक गाँव है । जो अपने में इतिहास को समेटे हुए है । जब भी आप दिल्ली


जाएँ इस गाँव में जरुर जाएँ।

आज हम आपको लेकर चलते है दिल्ली के सबसे परु ाने गाँव की ओर जिसका नाम है महरौली।
इस गाँव के बारे में कहा जाता है की इसको किसी एक व्यक्ति ने नहीं बसाया बल्कि आज से
करीब 2 हजार साल पहले जब मुस्लिम शासकों द्वारा दिल्ली को राजधानी बनाया गया था उस
समय ही यहाँ पर लोग आकर बस गए थे। लेकिन जब हमारा दे श आजाद हुआ उसके बाद जब
पकिस्तान अलग हुआ उस समय यह यह गाँव बिल्कुल खाली हो गया। ज्यादातर लोग अपने घर
को छोड़ पाकिस्तान चले गए थे। वहीं पाकिस्तान से बेघर आए लोगों को सरकार की ओर से
यहाँ जमीन और घर दिए गए। इस दौरान दिल्ली और आस-पास के काफी लोग यहाँ जमीन
लेकर बस गए।

आज इस गाँव में सभी धर्म के लोग रहते हैं। आज इस गाँव में ३५ हजार से ज्यादा वोटर हैं।
महरौली एक ऐतिहासिक गाँव है । जो अपने में इतिहास को समेटे हुए है । जब भी आप दिल्ली
जाएँ इस गाँव में जरुर जाएँ। यहाँ पर आप इतिहास के कई स्मारक,मंदिर,मस्जिद आदि चीजों
को दे ख सकते हैं।

महरौली में दे खने लायक जगह-

यह गाँव पर्यटन के हिसाब से भी बहुत अच्छा है । यहाँ पर आप घूमने के लिए भी आ सकते है ।


यहाँ की सन्
ु दरता को दे खकर आप कह सकते हैं की सल्तनत काल में महरौली सर्वाधिक संद
ु र
और संपन्न राजधानी वाला शहर रहा होगा।
यहाँ स्थित कुतुबुद्दीन बख्तियार की दरगाह बहुत प्रसिद्ध है । महरौली गाँव दे श ही नहीं पूरी
दनि
ु या में कुतुबुद्दीन बख्तियार की दरगाह (ख्वाजा साहब) के लिए जाना जाता है । इस दरगाह पर
रोज गाँव में हजारों की संख्या में लोग पहुँचते हैं।

आज भी इस गाँव के लोग वैसे ही रहते हैं जैसे की किसी शहर के पास वाले गाँव में रहते हैं।-
इसी गाँव में दे श के अंतिम मुगल शासक बहादरु शाह जफर का महल भी है , जिसे जफर महल के
नाम से जाना जाता है । अब इस ऐतिहासिक महल को आर्कि योलॉजी विभाग ने अपने कब्जे में
ले रखा है ।

- मेहरौली गाँव के बाहरी क्षेत्र में एक रिज़र्वायर बना है जिसे शम्शी तालाब और जहाज़ महल के
नाम से जाना जाता है , जो पैरों के एक धुंधले निशान पर बना है , कहा जाता है कि ये निशान
पैगंबर के हैं।

- 1230 ई. में निर्मित जहाज़ महल सुरमई और लाल पत्थरों से निर्मित एक सुंदर स्मारक है ।

- यहाँ पर अदम खान का मकबरा भी है । जिसे उनकी माँ के द्वारा बनवाया गया था। यह गाँव
में अब तक की सबसे बड़ी संरचना है । गुंबद के साथ इसके ऊपरी गलियारे भल
ु भुल्यायन के
नाम से भी जाने जाते हैं। लेकिन अब यह आगंतक
ु ों के लिए बंद है ।ऐसा माना जाता है की यहाँ
से आगरा के लिए सीधी एक सरु ं ग भी जाती है ।

- हिजड़ों का खनवाह यह महरौली में सबसे दिलचस्प स्थानों में से एक है , कई निवासियों को खुद
इस बारे में पता नहीं है । एक कब्रिस्तान है । यह महरौली बाजार के बीच में है यहाँ लगभग 50
सफ़ेद कब्रें हैं। यहाँ की कुछ कब्रों पर 15 वीं शताब्दी के लोदी काल की तारीख भी अंकित है .

- गंधक की बावली के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण इल्तत
ु मिश के शासनकाल में
हुआ था। पाँच मंजिला जितनी गहरी है । इसे इसका नाम सल्फर की तेज गंध की वजह से दिया
गया था। लेकिन अफसोस की बात है कि यह है की अब यह सूख गया है ।

- यहाँ पर हर वर्ष फूल वालों की सैर का वार्षिक पर्व मनाया जाता है ।

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