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है। इस जगह को भगवान श्री कृष्ण एवं राधा का निवास स्थान भी माना जाता है। यह अनेकों आश्रमों और
अनगिनत श्रद्धालुओं से घिरा गाँव है। पवित्र स्थल होने के कारण यहाँ हमेशा एक सकारात्मक ऊर्जा महसूस
की जा सकती है। वृन्दावन में हर व्यक्ति के मुख मण्डल पर राधा का नाम विराजमान होता है। यहाँ आपको
हर कदम पर मंदिर मिल जाएंगे, मंदिर जो कि आम नहीं हैं बल्कि बहतरीन कारीगरी का परिचय दे ते हैं। यह
पूरा क्षेत्र कृष्ण भक्तिप्रिय लोगों से आबाद है अतः यहाँ का इतिहास हर ज़ुबान पर मिल जाएगा। यही नहीं
वृन्दावन में भारत दे श से ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया से आये विदे शी भी मंदिरों में भक्ति में लीन मिल जाते हैं।
वृन्दावन में घूमने के लिए ई-रिक्शा और अन्य तरह के परिवाहन हमेशा उपलब्ध होते हैं । तीर्थ स्थल होने के
कारण यहाँ लगभग सारे भोजनालयों में शुद्ध शाकाहारी भोजन की व्यवस्था होती है। यहीं नहीं वृन्दावन में
बहुत न्यूनतम राशि में आपको ठहरने के लिए आश्रम मिल जाते हैं, बड़े होटल से लेके, सस्ते आश्रम सब
मौजूद हैं। वृन्दावन घूमने के लिए वैसे तो हर मौसम ही अनुकूल है पर होली के महीने में वृन्दावन का रंग दे खने
लायक होता है। वृन्दावन की होली विश्व भर में मशहूर है। वृन्दावन का सबसे प्रसिद्ध व्य
ं जन है यहाँ पर बनाया
जाने वाला पेड़ा, जो हर मंदिर के परिसर या बाज़ार में आसानी से मिल जाता है।
निधिवन - निधिवन वृन्दावन में स्थित एक वन है,जहाँ अनेक श्रद्धालुओं की भीड़ हर दिन लगती है। कहा
जाता है यहाँ हर रात स्वयं श्री कृष्ण-राधा एवं अन्य गोपियाँ रास करने आती हैं, यही कारण है कि यह स्थान
अत्य
ं त प्रसिद्ध है।
पागल बाबा मंदिर - ग्यारह मंज़िलो का यह भव्य मंदिर बहुत सुंदर है तथा, इसमें हर मंज़िल पर अलग अलग
दे वी-दे वताओं के मंदिर हैं। वृद्ध श्रद्धालु भी आखरी मंज़िल तक दर्शन करने जाते हैं।
बाँके बिहारी मंदिर - वृन्दावन के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक बाँके बिहारी मंदिर है, जहाँ भक्त बड़ी
जनसंख्या में आते हैं और बाँके बिहारी जी के दर्शन करते हैं। माना जाता है यहाँ प्रेम से माँगी हर मनोकामना
प्रेम मंदिर - प्रेम मंदिर मार्बल से बना एक भव्य मंदिर है, जो कि रात के समय अनेकों अलग-अलग रगों की
लाइट्स की मदद से सुसज्जित किया जाता है, तथा यहाँ जाने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है।
कैसे जाए
ँ ?
वृन्दावन जाने के लिए ट्रेन और बस जैसी सुविधाएं बारहों महीने उपलब्ध होती हैं। यह मथुरा से लगभग 15
किलोमीटर की दूरी पर है और यहाँ घूमने के लिए अनेकों सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था है।
कब जाए
ँ ?
वृन्दावन जाने के लिए सबसे अनुकूल महीना जनवरी से मार्च के बीच और अक्टू बर से दिसम्बर के बीच माना
कहाँ ठहरे?
वृन्दावन में कम बजट वाले आश्रम से लेकर हाई बजट होटल और रिसोर्ट उपलब्ध हैं, यात्री अपने बजट के