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Geography Notes by Lokesh Sir
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भारत का भूगोल
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दे श का नाम
विश्ि में स्थान
क्षेत्रफल के अनुसार जनसंख्या के अनस
ु ार
तत
ृ ीय चीन यू० एस० ए०
चति
ु ध यू० एस० ए० इंडोनेशशया
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▪ छत्तीसगढ़
▪ झारखण्ड
▪ बबहार
▪ गुजरात
▪ महाराष्र
▪ गोवा
▪ कनाधिक
▪ केरला
▪ तशमलनाडु
▪ आन्ध्र प्रदे श
▪ उडीसा
▪ पस्श्चम बंगाल
▪ केन्र शाशसत प्रदे श
▪ लक्द्वीप
▪ अण्डमान तनकोबार
▪ दमन और दीव
▪ पुदच्
ु चेरी (पांडडचेरी)
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▪ मणणपरु
▪ शमजोरम
▪ बत्रपुरा
▪ मेघालय
▪ असम
▪ पस्श्चम बंगाल
▪ केन्र शाशसत प्रदे श
▪ जम्मू कश्मीर
▪ लेह
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▪ तेलग
ं ाना
▪ भारतीय राज्यों में गुजरात की ति रे खा सवाधधर्क लंबी है। इसके बाद आंध्र
प्रदे श की ति रे खा है ।
▪ बत्रपुरा तीन तरफ से बांग्लादे श से तघरा राज्य है ।
▪ भारत के 7 पडोसी दे श भारत की िल सीमा को थपशध करते हैं –
▪ पाककथतान
▪ चीन
▪ नेपाल
▪ बांग्लादे श
▪ भूिान
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▪ म्यांमार
▪ अफगातनथतान
▪ मालद्वीप
▪ पाककथतान के साि भारत के 3 राज्य एवं 2 केन्र शाशसत प्रदे श सीमा साझा
करते हैं –
▪ राज्य
▪ पंजाब
▪ राजथिान
▪ गुजरात
▪ केन्र शाशसत प्रदे श
▪ जम्मू कश्मीर
▪ लेह
▪ चीन के साि भारत के 4 राज्य एवं 2 केन्र शाशसत प्रदे श सीमा साझा करते हैं
–
▪ राज्य
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▪ हहमाचल प्रदे श
▪ उत्तराखण्ड
▪ शसस्ककम
▪ अरुणाचल प्रदे श
▪ केन्र शाशसत प्रदे श
▪ लेह
▪ बबहार
▪ शसस्ककम
▪ पस्श्चम बंगाल
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▪ लद्दाख
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▪ यमन
ु ोत्री हहमनद से गंगा नदी की सबसे बडी सहायक नदी यमन
ु ा तनकलती है ।
जोकक इलाहाबाद में प्रयाग में जाकर गंगा में शमलती है ।
गंगा भारत की सबसे लम्बी नदी है ।
▪ कानपरु , बनारस, पिना तिा हररद्वार गंगा नदी के ककनारे बसे हैं ।
▪ गंगा नदी सबसे पहले हररद्वार में मैदानी क्ेत्र में आती है ।
▪ पस्श्चम बंगाल में गंगा नदी 2 भागों में बि जाती है । एक भाग को हुगली नदी
के नाम से जाना जाता है । हुगली नदी आगे बढ़ कर बंगाल की खाडी में धगर
जाती है । इसी नदी के ककनारे कलकत्ता शहर बसा है ।
▪ दस
ु रा भाग बांग्लादे श में प्रवेश कर जाता है और वहां इसे पद्मा के नाम से
जाना जाता है ।
▪ वहीं दस
ू री तरफ से ब्रह्मपुत्र नदी भी बांग्लादे श में प्रवेश करती है और यहां इसे
जमन
ु ा नाम से जाना जाता है ।
▪ ये दोनों बडी नहदयां पद्मा(गंगा) एवं जमन
ु ा(ब्रह्मपत्र
ु का बांग्लादे श में नाम)
बांग्लादे श में शमल जाती है और शमलने के बाद इसे पद्मा नदी ही कहा जाता
है ।
▪ बांग्लादे श में ही मेघना नदी पद्मा नदी में चांदपरु स्जला(बांग्लादे श) में शमलती
है और इसके आगे इस नदी को मेघना नदी के नाम से जाना जाता है ।
अंततः ये बंगाल की खाडी में धगर जाती है । यहीं पर ये ववश्व का सबसे बडा
नदी डेल्िा बनाती है स्जसे सद
ंु रवन डेल्िा कहा जाता है ।
▪ गंगा नदी भारत में 5 राज्यों से होकर गुजरती है –
▪ उत्तराखण्ड (उद्गम थिल)
▪ उत्तर प्रदे श (सबसे अधर्क लम्बाई)
▪ बबहार
▪ झारखण्ड (सबसे कम लम्बाई)
▪ पस्श्चम बंगाल
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▪ यमुना, चम्बल, बेतवा, केन, िोंस एवं सोन नदी गंगा की दांयी ओर से शमलने
वाली सहायक नहदयााँ हैं ।
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▪ रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी तिा महानन्दा सभी गंगा में बांयी ओर से
शमलने वाली सहायक नहदयां हैं ।
▪ गोमती नदी – लखनऊ (उत्तर प्रदे श) गोमती नदी के ककनारे बसा हुआ है ।
जौनपुर (उत्तर प्रदे श) भी गोमती नदी के ककनारे बसा है । बनारस के आगे गंगा
में शमल जाती है ।
▪ महानन्दा नदी- ये सबसे पव
ू ी सहायक नदी है । दास्जधशलंग की पहाडडयों से
होकर आती है ।
▪ नेपाल से आने वाली नहदयााँ ।
▪ घाघरा नदी- पिना से िोडा पहले गंगा में शमल जाती है ।
▪ गंडक नदी- उद्गम नेपाल में होता है । ये नदी बत्रशल
ू गंगा तिा काली
गंडक के शमलन से बनती है । इसे नेपाल के पहाडी क्ेत्र में शाशलग्राम
कहते है और जब ये नेपाल के मैदानी क्ेत्र में आ जाती है तब इसे
नारायणी नदी कहा जाता है ।
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ब्रह्मपत्र
ु नदी तंत्र
▪ भारत का नदी तंत्र 2 भागों में बााँिा गया है –
▪ हहमालयन नदी तंत्र
▪ प्रायद्वीप नदी तंत्र
▪ ब्रह्मपत्र
ु हहमालयन नदी तंत्र का भाग है ।
▪ ब्रह्मपत्र
ु का उद्गम ततब्बत से होता है । मानसरोवर झील के पास चेमायुंग दं ग
ु
ग्लेशशयर से तनकलती है ।
▪ ब्रह्मपत्र
ु की कुल लम्बाई 2900 कक० मी०है । इस नदी का अधर्कांश भाग चीन
में प्रवाहहत होता है ।
▪ चीन में इसका नाम यालंग सांगपो (यालंग त्संग्पो) है ।
▪ भारत में ये अरूणांचल प्रदे श में प्रवेश करती है ।
▪ नमचा बरवा नामक पहाडी चोिी के कारण इसको यू-िनध या घम
ू कर
आना पडता है ।
▪ अरूणांचल प्रदे श में इसे हदहांग नाम से जाना जाता है ।
▪ दीबांग और लेहहद नदी इसकी सहायक नहदयााँ अरूणांचल प्रदे श में
शमलती है।
▪ यहीं पर माजल
ु ी द्वीप बनाता है , ववश्व का सबसे बडा नदी द्वीप है ।
▪ आगे चलकर ये नदी असम में प्रवेश करती है और यहां इसे ब्रह्मपुत्र नाम से
जाना जाता है।
▪ गोवाहािी, तेजपरु और डडब्रग
ू ढ़, ब्रह्मपत्र
ु नदी के ति पर है ।
▪ सुबनशसरी नदी असम में इसमें शमलती है ।
▪ मानस नदी भी इसमें असम में ही शमलती है।
▪ ब्रह्मपत्र
ु नदी के अलग-अलग राज्य के नाम अग्रशलणखत हैं-
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भारत के प्रमख
ु दरे
दराध’ ककसे कहते हैं?
पहाडों के बीच की जगह को दराध (Pass) कहा जाता है । या कहें कक पवधतों एवं पहाडों
के मध्य पाए जाने वाले आवागमन के प्राकृततक मागों को दराध कहा जाता है । ये वे
प्राकृततक मागध हैं स्जनसे होकर पहाडों को पार ककया जाता है ।
▪ मख्
ु यतः भारत के 7 राज्यों और 1 केंर शाशसत प्रदे श में स्थित दरों का वववरण
तनम्नवत है –
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▪ हिमालय के पिवतीय राज्यों एिं केंद्र शाससत प्रदे श में पाये जाने िाले दरे –
▪ केंर शाशसत प्रदे श – जम्मू कश्मीर
▪ राज्य – हहमाचल प्रदे श, उत्तराखण्ड, शसस्ककम, अरुणाचल प्रदे श, मणणपुर।
▪ प्रायद्िीप भारत के राज्यों में पाये जाने िाले दरे –
▪ राज्य – महाराष्र, केरल।
जम्मू कश्मीर
काराकोरम दराध
जोस्जला दराध
▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 3528 मी० है ।
▪ कश्मीर घािी को लेह से जोडता है ।
▪ जासकर (जाथकर) पवधत श्ेणी में आता है ।
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▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 3490 मी० है ।
▪ पीरपंजाल पवधत श्ेणी में आता है ।
▪ पुलगााँव से कोठी जाने का राथता इसी पर है।
बतनहाल दराध
▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 2832 मी० है ।
▪ पीरपंजाल पवधत श्ेणी में आता है ।
▪ जम्मू और श्ीनगर को जोडता है ।
▪ जवाहर सरु ं ग इसी दरे में बनी है ।
▪ जम्मू से श्ीनगर जाने वाला NH-1A है ।
बुस्जधला दराध
▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 4100 मी० है ।
▪ श्ीनगर को धगलधगत से जोडता है ।
हहमाचल प्रदे श
▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 4843 मी० है।
▪ जासकर पवधत श्ेणी में स्थित है ।
▪ मंडी और लेह को जोडता है ।
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▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 4300 मी० है।
▪ जासकर श्ेणी में स्थित है ।
▪ शशमला को ततब्बत से जोडता है ।
▪ सतलुज नदी भारत में इसी के पास से प्रवेश करती है ।
रोहतांग दराध
उत्तराखण्ड
शलपल
ु ेख दराध
▪ उत्तराखण्ड के अंततम गााँव माना (माणा) में स्थित ये दराध 5545 मी० की ऊंचाई
पर स्थित है ।
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नीतत दराध
शसस्ककम
▪ ये दराध शसस्ककम राज्य में डोगेकया श्ेणणयों में 4310 मी० की ऊंचाई पर स्थित
है ।
▪ ये दराध शसस्ककम को चुम्भी घािी से जोडता है ।
▪ भारत-चीन की सीमा पर होने के कारण इसका सामररक महत्व अधर्क है ।
▪ 1962 के भारत-चीन यद्
ु र् के बाद इसे बन्द कर हदया गया िा। वषध 2006 में
इसे व्यापार के शलए पन
ु ः खोल हदया गया। भारत चीन
▪ व्यापार का कुल 80% व्यापार इसी दरे से ककया जाता है ।
जेलेप ला (दराध)
▪ ये शसस्ककम और भि
ू ान को आपस में जोडता है ।
▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 4270 मी० है ।
▪ इसका तनमाधण तीसता (तीथता) नदी द्वारा ककया गया है ।
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अरुणाचल प्रदे श
बोमडडला दराध
▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 2217 मी० है ।
▪ अरुणाचल प्रदे श के तवांग और ततब्बत को जोडता है ।
▪ तवांग में एक प्रशसद्र् बौद्र् मठ स्थित है ।
यांग्याप दराध
दीफू दराध
मणीपुर
तज
ु ू दराध
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केरल
▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 300 मी० है ।
▪ कोणझकोड (केरल) व कोयंबिूर (तशमलनाडु) को आपस में जोडता है ।
▪ अन्नामलाई व नीलधगरी की पहाडडयों के बीच में है।
शेनकोट्िा
महाराष्र
▪ ये समर
ु तल से 548 मी० की ऊंचाई पर स्थित है ।
▪ ये मम्
ु बई को पण
ु ें तिा चेन्नई से जोडता है ।
▪ NH48 मम्
ु बई-चेन्नई इसी दरे से होकर जाता है ।
I. रांस हहमालय
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II. वह
ृ द हहमालय
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▪ माउं ि एवरे थि को अलग अलग दे शों में अलग अलग थिानीय नामों से भी
जाना जाता है ।
▪ नेपाल में सागर मािा कहा जाता है ।
▪ म्यांमार में अराकान योमा कहा जाता है ।
▪ ततब्बत में चोमोलुंगमा कहा जाता है । अिध पवधतों की रानी ।
▪ इसके अन्तगधत दो ग्लेशशयर आते है ।
▪ गंगोत्री ग्लेशशयर
▪ यमुनोत्री ग्लेशशयर
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▪ मंसरू ी- उत्तराखण्ड
▪ महाभारत श्ेणी- नेपाल
▪ नागहिब्बा श्ेणी- नेपाल
▪ सहदधयों में बफध से ढ़का रहता है और गशमधयों में बफध वपघल जाती है और
गशमधयों में घास उग जाती है ।इन्हीं घास के मैदानों को मगध या बग्ु याल या
प्याल कहा जाता है ।
▪ गल
ु मगध, सोनमगध आहद
▪ मध्य हहमालय और वहृ द हहमालय के बीच की जगह को घािी कहा जाता है ।
▪ श्ीनगर एक घािी है जो वह
ृ द हहमालय और मध्य हहमालय के बीच में
है । वल
ू र झील और डल झील इन्ही घाहियों में है ।
▪ चुम्भी घािी शसस्ककम में है ।
▪ कुल्लू कांगडा घािी हहमाचल प्रदे श में है ।
▪ मध्य हहमालय में कई पयधिक थिल स्थित है –
▪ हहमाचल प्रदे श- शशमला, मनाली, डलहौजी
▪ उत्तराखण्ड- मसरू ी, रानीखेत, नैनीताल ववंडसर
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2) पस्श्चम से पव
ू ध की ओर ववभाजन
▪ पस्श्चम से पव
ू ध की ओर ववभाजन में हहमालय को 4 भागों में बािा गया है –
▪ पंजाब या कश्मीर हहमालय
▪ कुमाऊाँ हहमालय
▪ नेपाल हहमालय
▪ असम हहमालय
▪ शसंर्ु नदी व सतलुज नदी के बीच का भाग पंजाब या कश्मीर हहमालय कहा
जाता है ।
▪ इसकी लम्बाई 560 कक0मी0 है ।
▪ पंजाब, हहमाचल एवं कश्मीर का भाग इसके अन्तगधत आते है ।
▪ मानसरोवर का राकसताल(जहां से सतलुज नदी नीकलती है ) इसी के अन्तगधत
आते है ।
▪ दे वदार, ब्लू पाइन, थप्रेस, शसलवर जूतनपर आहद वनथपततयां पाई जाती है ।
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भारत के पवधत
▪ इसकी सीमा गुजरात से शुरू होकर राजथिान, हररयाणा होकर हदल्ली तक जाती
है ।
▪ भारत की नहीं पूरे ववश्व की प्राचीनतम पवधत श्ंख
ृ लाओं में से एक है ।
▪ अरावली पवधत श्ख
ं ृ ला की लम्बाई 692 कक0मी0 है ।
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ववंध्याचल पहाडडयां
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सतपुडा पहाडडयां
▪ सतपड
ु ा पहाडडयों के उत्तर में नरमदा नदी बहती है, तिा दक्षक्ण में तापती नदी
बहती है । दोनों ही भ्रंश घाहियों में बहती है ।
▪ सतपुडा की पहाडडयों को तीन भागों में बााँिा जाता है ।
▪ राज पीपला पहाडडयां ।
▪ महादे व की पहाडडयां ।
▪ सतपुडा की पहाडडयों का सबसे उच्चतम बबंद ू र्ूपगढ़ इसी का
हहथसा है ।
▪ र्ूपगढ़ की चोिी पंचमडी नगर के पास स्थित है ।
▪ तापती नदी का स्रोत भी महादे व की पहाडडयां ही हैं ।
▪ मैकाल की पहाडडयां।
▪ अमरकंिक जहां से नमधदा एवं सोन नाम की दो नहदयां तनकलती है , इसी
मैकाल की पहाडडयों की हहथसा है ।
▪ अमरकंिक ही मैकाल की पहाडडयों का उच्चतम बबंद ू भी है इसकी ऊंचाई
1036 मी0 है ।
पव
ू ोत्तर की पहाडडयां
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1. गुजरात के पहाड
2. पस्श्चमी घाि की पहाडडयां
3. पूवी घाि की पहडडयां
1. गुजरात की पहाडडयां
▪ गज
ु रात की सभी पहाडडयां दो प्रमख
ु क्ेत्र में फैली हुयी है ।
▪ कच्छ के रण में ।
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▪ कच्छ की पहाडडयां
▪ कच्छ के रण के पास है ।
▪ यहां पर राजथिान से आ रही लूनी नदी (लवण नदी) सूख जाती है ।
▪ सबसे उच्चतम बबन्द ु को कालो डंगर कहा जाता है । इसकी ऊाँचाई 462
मी0 है ।
▪ ये गज
ु रात के सौराष्र वाले हहथसे में है ।
▪ जामनगर क्ेत्र में पडती है ।
▪ बडा वन्यजीव भंडार भी है ।
▪ पोरबंदर बंदरगाह से 15 कक0मी0 दरू है ।
▪ इस पहाडी की सबसे ऊाँची चोिी “आभपरा” है ।
▪ धगरनार पहाडडयां
▪ ये गज
ु रात के सौराष्र वाले हहथसे में है ।
▪ इनको रोवात्त पहाडी भी कहा जाता है ।
▪ जूनागड के पास है ।
▪ इसकी औसत ऊाँचाई 3500 कफि है ।
▪ उच्चतम बबन्द ु गोरखनाि है ।
▪ सम्राि अशोक के 14 र्मधलेख यहीं पर है ।
▪ धगर पहाडडयां
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▪ माण्डव पहाडडयां
▪ ये गुजरात में है ।
▪ यहां की सबसे ऊाँची चोिी है ।
▪ सातमाला श्ेणी
▪ अजन्ता पहाडडयां
▪ हररश्चन्र श्ेणी
▪ महाराष्र में है ।
▪ इसकी औसत ऊाँचाई 600 मी0 है ।
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▪ बालाघाि श्ेणी
▪ महाराष्र में है ।
▪ इसकी औसत ऊाँचाई 550 मी0 से 825 मी0 है ।
▪ हररश्चन्र एंव बालाघाि पवधत श्ेणणयां दो नहदयों गोदावरी एंव भीमा नदी
के मध्य में है । उत्तर में गोदावरी तिा दक्षक्ण में भीमा नदी । अतः ये
दोनों पहाडडयां गोदावरी एंव भीमा नदी को अलग अलग करती है ।
▪ कालसुबाई चोिी
▪ महाबलेश्वर चोिी
▪ महाराष्र में है ।
▪ कृष्णा नदी यहीं से तनकलती है ।
▪ ब्रह्मधगरी पहाडी
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▪ नीलधगरी पहाडी
▪ पालनी पहाडडयां
▪ इलाईची पहाडडया
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3. पव
ू ी घाि की पहाडडयां
▪ ओडडशा की पहाडडयां
▪ गडजात की पहाडडयां
▪ अथसीया पहाडडयां भूवनेश्वर के पास
▪ हिकरपारा पवधत श्ेणी
▪ न्यागढ़ पहाडडयां
▪ एरामाला पहाडडयां
▪ आन्र प्रदे श के कुरनल
ू स्जले में है ।
▪ इसके पव
ू ध में तग
ंु भरा नदी जोकक कृष्णा नदी की सहायक नदी है
उसमें शमलती है ।
▪ शेषचलम पहाडडयां
▪ नल्लामलाई पहाडडयां
▪ वेलीकोंडा पहाडडयां
▪ पालकोण्डा पहाडडयां
▪ नागरी पहाडडयां
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▪ तशमलनाडु की पहाडडया
▪ जावादी पहाडी
▪ शशवराय पहाडी
▪ पचाईमलाई पहाडी
▪ शसरूमलाई पहाडडयां
▪ मध्य प्रदे श
▪ राजथिान
▪ तनमाधण ग्रेनाइि से हुआ है ।
▪ काली शमट्िी से ढका हुआ है।
▪ ऊाँचाई 500-610 मी0 है ।
▪ इसे लावा तनशमधत पठार भी कहा जाता है ।
▪ इसमें कुछ लावा द्वारा बनी पहाडडयांंं भी है।
▪ यमन
ु ा की सहायक चंबल नदी ने इसके मध्य भाग को प्रभाववत ककया है ।
▪ पस्श्चमी भाग को माही नदी ने प्रभाववत ककया है । माही नदी अरब सागर में
जाकर धगरती है ।
▪ पव
ू ी भाग को बेतवा नदी ने प्रभाववत ककया है ।
▪ मालवा का पठार अरावली पवधत व ववन्र्यांचल पवधत के बीच में है ।
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शशलांग का पठार
दककन का पठार
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भारत के मैदान
1. पव
ू ी घाि के मैदान
▪ आकार में ये उत्तर भारत के मैदान से छोिा तिा पस्श्चमी घाि के मैदान से
बडा है ।
▪ गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी नदी के पास मैदानों की चौडाई अधर्क है ।
▪ इसके चौडाई उत्तर से दक्षक्ण की तरफ बढ़ती है । औसत चौडाई 100 कक०मी० से
130 कक०मी० तक है।
▪ पस्श्चम बंगाल की हुगली नदी से लेकर तशमलनाडु तक फैला हुआ है ।
▪ उडीसा से आन्ध्र प्रदे श की तरफ का मैदान उत्कल ति कहलाता है।
▪ आन्ध्र प्रदे श का ति कशलंग ति कहलाता है। इसी ति को उत्तरी सरकार ति के
नाम से भी जाना जाता है ।
▪ आन्ध्र प्रदे श से लेकर तशमलनाडु तक के मैदान को कोरामण्डल ति कहा जाता
है ।
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▪ भारत की कई प्रमख
ु नहदयों के डेल्िा इसी मैदान में बनते है । इन नहदयों में
मख्
ु य नहदयां अग्रशलणखत हैं –
▪ महानदी
▪ गोदावरी
▪ कृष्णा
▪ कावेरी
▪ भारत के सभी मैदानों में से ये सबसे ववशाल है । इसकी औसत चौडाई 240
कक०मी० से 320 कक०मी० है ।
▪ इस मैदान की समर
ु तल से ऊाँचाई कम होने के कारण यहां पर नहदयों की
गतत काफी र्ीमी हो जाती है । अतः नहदयां अपने साि लाये हुए
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▪ भाबर प्रदे श
▪ तराई प्रदे श
▪ बांगर प्रदे श
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▪ खादर प्रदे श
▪ नदी के पास वाला क्ेत्र जहां पर बाड आती रहती है , खादर क्ेत्र
कहलाता है ।
लगभग हर वषध बाड आने के कारण यहां की मद
ृ ा का नवीकरण
होता रहता है । इसी कारण ये प्रदे श उपजाऊ बना रहता है ।
▪ इसकी ऊाँचाई बांगर प्रदे श से कम होती है ।
▪ इसका तनमाधण नई जलोढ़ मद
ृ ा से हुआ है ।
▪ हुगली नदी
▪ दामोदर नदी
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▪ थवणध रे खा नदी
▪ वैतरणी नदी
▪ ब्राह्मणी नदी
▪ महानदी
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▪ गोदावरी नदी
▪ कृष्णा नदी
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▪ पेन्नार नदी
▪ कनाधिक से आती है और आंध्र प्रदे श में बंगाल की खाडी में धगर जाती
है ।
▪ कनाधिक के कोलार स्जले से आती है ।
▪ पालर नदी
▪ कनाधिक से तनकलती है ।
▪ कनाधिक से आंध्र प्रदे श से अंततः तशमलनाडु में प्रवेश करती है ।
▪ कावेरी नदी
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▪ हे मवती
▪ अमरावती
▪ काबबनी
▪ भवानी
▪ लक्ष्मण तीिध
▪ लोकपावनी
▪ तशमलनाडु का बत्रचरापल्ली शहर कावेरी नदी के ककनारे बसा है ।
▪ वैगई नदी
▪ ताम्रपाणी नदी
▪ तशमलनाडु से तनकलती है ।
▪ तशमलनाडु में ही मन्नार की खाडी में धगर जाती है ।
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▪ लूनी नदी
▪ साबरमती नदी
▪ माही नदी
▪ नमधदा नदी
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▪ ताप्ती नदी
▪ माण्डवी नदी
▪ जुवारी नदी
▪ गोवा से तनकलती है एवं गोवा में ही अरब सागर में शमल जाती है ।
▪ शरावती नदी
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▪ गंगावेली नदी
▪ पेररयार नदी
भारत की प्रमख
ु झीलें
भारत की प्रमख
ु झीलों का राज्यवार वववरण
भारत की प्रमख
ु झीलों का राज्यवार वववरण तनम्नवत है –
जम्मू कश्मीर
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▪ अनंतनाग झील
▪ नाधगन झील
हहमाचल प्रदे श
उत्तराखण्ड
शसस्ककम
▪ चोलामू झील (त्सो ल्हामो झील)- भारत की सबसे ऊाँची झील है । ऊाँचाई 5330
मी० है ।
▪ सोंगमा झील
मणीपुर
▪ लोकिक झील- पवू ोत्तर की सबसे बडी झील है । यहां पर तैरता हुआ राष्र
उद्यान केयबल
ु लामजाओं यहीं पर स्थित है ।
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उडीसा
▪ धचल्का झील- यह एक खारे पानी झील है साि ही भारत की सबसे बडी झील
भी है । यह एक लैगन
ू झील है ।
आंध्र प्रदे श
▪ कोलेरू झील- ताजे पानी की । गोदावरी व कृष्णा नदी के बीच में बनती है ।
▪ पशु लकि झील- इस झील का कुछ हहथसा तशमलनाडु में भी पडता है । यह झील
सतीश र्वन अंतररक् केन्र के पास स्थित है।
तशमलनाडु
▪ वीरानम झील
▪ पशु लकि झील (पशु लकात लेक)
▪ चेम्बारकाकम झील
केरल
तेलंगाना
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महाराष्र
मध्य प्रदे श
गज
ु रात
▪ नल सरोवर झील
राजथिान
▪ सांभर झील- खारे पानी की झील है , यह भारत में नमक की आपूततध में सहायक
है ।
▪ पुष्कर झील
▪ नककी झील
▪ राजसमंद झील
▪ दे बर झील (ढे बर लेक) – यह मानव तनशमधत झील है स्जसे 17वीं शताब्दी में
उदयपुर के राजा ने बनवाया िा।
▪ पंचभरा झील – खारे पानी की झील है
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राजथिान
▪ चुशलया जलप्रपात
▪ चंबल नदी पर है ।
▪ कोिा राजथिान में।
▪ 18 मी० की ऊाँचाई है ।
मेघालय
▪ नोहकशलकाई जलप्रपात
झारखंड
▪ हुंडरू जलप्रपात
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उडीसा
मध्यप्रदे श
▪ र्आ
ु र्
ाँ ार जलप्रपात
महाराष्र
▪ वजराई जलप्रपात
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तशमलनाडु
▪ होगेनककल जलप्रपात
केरल
▪ पालारूवी जलप्रपात
कनाधिक
▪ जोग जलप्रपात
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▪ कावेरी नदी पर है ।
▪ भारत का द्ववतीय सबसे ऊंचा जलप्रपात है ।
▪ इसकी ऊाँचाई 98 मी० है ।
▪ दर्
ू सागर जलप्रपात
▪ कंु धचकल जलप्रपात (कंु चीकल र्बर्बा जलप्रपात) भारत का सबसे ऊाँचा
जल प्रपात है ।
▪ इसकी ऊाँचाई 455 मी० है।
▪ वराही नदी पर बनता है ।
▪ गोकक जलप्रपात
▪ कावेरी नदी पर है ।
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▪ भारत का अधर्कतम सडक घनत्व वाला राज्य केरल हैं- 517 कक०मी० / 100
वगध कक०मी०
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तत
ृ ीय राजथिान- 7985 कक०मी० कनाधिक- 20758 कक०मी०
चति
ु ध मध्य प्रदे श- 7854 कक०मी० गुजरात- 19,761 कक०मी०
▪ अन्य मागों की तल
ु ना में राष्िीय राजमागध(National Highway) मात्र 2% ही
है । परन्तु इन पर यातायात का कुल 40% हहथसा तनभधर करता है।
▪ राष्िीय राजमागध (National Highway) का वगीकरण –
▪ Single Lane National Highway- 22%
▪ Double Lane National Highway- 54%
▪ Multilane National Highway(4lane, 6 lane & 8 lane)- 24%
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स्िर्णवम चतभ
ु ज
ुव पररय़ोजना
थवणणधम चतभ
ु ज
ुध पररयोजना (Golden Quadrilateral Project) : थवणणधम चतभ
ु ज
ुध
योजना वषध 1999 में शुरू हुई िी लेककन तनमाधण कायध आधर्काररक तौर पर 2001 में
शुरू हुआ िा। तत्कालीन प्रर्ानमंत्री थवगीय श्ी अिल बबहारी वाजपेयी ने सबसे बडे
राजमागध की महत्वाकांक्ी पररयोजना ‘थवणणधम चतुभज
ुध पररयोजना’ की शुरुआत की
िी।
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थवणणधम चतुभज
ुध पररयोजना
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थवणणधम चतुभज
ुध योजना (Golden Quadrilateral)
▪ थवणणधम चतभ
ु ज
ुध पररयोजना दे श के चार महानगरों को राष्रीय राजमागध
(National Highway) से जोडने वाली पररयोजना है ।
हदल्ली-मम्
ु बई-चेन्नई-कोलकाता इसकी कुल लम्बाई 5846 कक०मी० है।
▪ थवणणधम चतभ
ु ज
ुध (Golden Quadrilateral) कुल 13 राज्यों से होकर गज
ु राता
है ।
राष्ट्रीय राजमागव
मिानगरों कुल
(National राष्ट्रीय राजमागव के मध्य में पडने िाले प्रमख
ु शिर
के नाम लम्बाई
Highway) का नाम
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उत्तर-दक्षक्ण तिा पव
ू -ध पस्श्चम गशलयारा (North-South and East-West Corridor
(NS-EW)) : उत्तर-दक्षक्ण तिा पूव-ध पस्श्चम गशलयारा, जम्मू और कश्मीर के ‘श्ीनगर’
को तशमलनाडु के ‘कन्याकुमारी’ से जोडने वाला ‘उत्तर-दक्षक्ण गशलयारा’ तिा असम के
‘शसलचर’ को गज
ु रात के ‘पोरबन्दर’ से जोडने वाला पव
ू -ध पस्श्चम गशलयारा है । उत्तर-
दक्षक्ण तिा पूव-ध पस्श्चम गशलयारे का संगम उत्तर प्रदे श के झााँसी में होगा। झााँसी को
इन दोनों गशलयारों का केन्र बबन्द ु माना गया है ।
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बुर् बह
ृ थपतत
शुि शतन
पथ्
ृ वी अरुण
मंगल वरुण
सय
ू व से दरू ी के िम में आकार के अनस
ु ार
स्थान
ग्रि का नाम ग्रि का नाम
पहला बुर् बह
ृ थपतत
दस
ू रा शि
ु शतन
तीसरा पथ्
ृ वी अरूण
पांचवा बह
ृ थपतत पथ्
ृ वी
छठा शतन शि
ु
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▪ पथ्
ृ वी के सबसे नजदीक शुि गह
ृ है।
▪ सय
ू ध अपनी र्ुरी पर पस्श्चम से पूवध की तरफ घडी की ववपरीत हदशा में घूणन
ध
करता है । पथ्
ृ वी और अन्य ग्रह सरू ज की पररिमा करते हैं उसी प्रकार सूरज
भी आकाश गंगा के केन्र की पररिमा करता है ।
▪ शुि और अरुण को छोडकर बाकी सारे ग्रह भी सय
ू ध की ही भांतत पस्श्चम से
पूवध की तरफ घडी की उलिी हदशा में ही घम
ू ते हैं। केवल शुि और अरुण ग्रह
ही पव
ू ध से पस्श्चम की तरफ घडी की हदशा में घम
ू ते हैं।
सौरमंडल में ग्रहों का िम (सूयध के नजदीक स्थित ग्रह से दरू स्थित ग्रह तक)
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सय
ू ध और सभी 8 ग्रहों का वववरण तनम्नशलणखत है -
सूयध (Sun)
▪ सय
ू ध की रोशनी को पथ्
ृ वी पर पहुंचने के शलए 8 शमनि और 20 सेकंड का समय
लगता है ।
▪ सय
ू ध के बाहरी हहथसे को प्रकाश मंडल तिा अंदर वाले को िोमोथफीयर कहते
है ।
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▪ बर्
ु ग्रह को सय
ू ध की परू ी एक पररिमा करने में 88 हदन लगते हैं।
▪ बुर् को अपनी र्ुरी पर घूणन
ध करने में 59 हदन लगते है ।
▪ बुर् ग्रह का कोई उपग्रह नहीं है ।
▪ शि
ु का आकार एवं बनावि लगभग पथ्
ृ वी के बराबर है । इसशलए शि
ु को
पथ्
ृ वी की बहन भी कहा जाता है ।
▪ शुि सभी ग्रहों में सबसे अधर्क गरम ग्रह है। शुि का वायम
ु ण्डल CO2 से भरा
हुआ है जोकक लगभग 97% है ।
▪ शिु ग्रह को सूयध की पूरी एक पररिमा करने में इसे 255 हदन लग जाते हैं।
▪ शुि अपने अक् पर एक चककर घम
ू ने में इसे 243 हदन लगते है । शुि अपनी
र्रु ी पर पव
ू ध से पस्श्चम की तरफ घडी की हदशा में घम
ू ता है ।
▪ शुि सबसे चमकीला ग्रह है । इसशलए इसे सुन्दरता की दे वी तिा भोर का तारा
भी कहा जाता है ।
पथ्
ृ वी ग्रह (Earth)
▪ पथ्
ृ वी को सय
ू ध की एक पररिमा करने में 365 हदन 6 घंिे 48 शमनि और
45.51 सेकेंड लगते हैं।
▪ पथ्
ृ वी को अपने अक् पर घम
ु ने के शलए 23.56 घण्िे लगते है ।
▪ पथ्
ृ वी अपनी अक् पर 23.5 डडग्री झुकी हुई है। इसी झुकाव के कारण ही ऋतु
पररवतधन होता है ।
▪ पथ्
ृ वी को नीला ग्रह भी कहा जाता है । 71% पानी होने के कारण अंतररक् से
इसका रं ग नीला हदखाई दे ता है।
▪ पथ्
ृ वी का केवल एक उपग्रह चंरमा है जोकक पथ्ृ वी से करीब 4 लाख कक०मी०
(3,84,400 कक०मी०) दरू स्थित है ।
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▪ मंगल में Iron Oxide अधर्क होने के कारण इसका रं ग लाल हदखाई दे ता है ।
अतः मंगल को लाल ग्रह भी बोला जाता है ।
▪ मंगल को अपने अक् पर घम
ु ने के शलए 24.6 घण्िे लगते हैं।
▪ मंगल को सय
ू ध की पूरी एक पररिमा करने में 687 हदन लगते हैं।
▪ मंगल के 2 उपग्रह फोबोस एवं डडमोस हैं।
▪ मंगल ग्रह का आकार पथ्
ृ वी से छोिा है ।
▪ मंगल ग्रह पर तनकस ओलस्म्पया (Nix Olympia) नामक एक पवधत है जोकक
आकार में माउं ि एवरे थि से तीन गन
ु ा अधर्क ऊंचा है ।
बह
ृ थपतत ग्रह (Jupiter)
▪ बह
ृ थपतत सभी ग्रहों में सबसे बडा ग्रह है ।
▪ बह
ृ थपतत अपने अक् पर घम
ु ने के शलए केवल 10 घण्िे का समय लेता है । सभी
ग्रहों में सबसे तेज।
▪ बह
ृ थपतत ग्रह का तापमान 130 डडग्री सेस्ल्सयस है ।
▪ बह
ृ थपतत ग्रह के सबसे अधर्क 79 उपग्रह हैं। इन उपग्रहों में से गैतनमीड सबसे
बडा उपग्रह है । गैतनमीड ही परू े सौरमंडल का सबसे बडा उपग्रह भी है तिा
आकार में यह बद्
ु र् ग्रह से भी बडा है ।
▪ सय
ू ध की परू ी एक पररिमा करने में बह
ृ थपतत को 12 वषों का समय लगता है ।
▪ बह
ृ थपतत वजन की तल
ु ना में सारे ग्रहों के वजन से 2.5 गुना अधर्क भारी है ।
▪ सय
ू ध से दरू ी के अनस
ु ार शतन छठे थिान पर है ।
▪ शतन ग्रह के आकार के अनस
ु ार ये दस
ू रे थिान पर है ।
▪ शतन चारों और से वलय से तघरा हुआ है ।
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▪ सय
ू ध से दरू ी के अनस
ु ार अरुण सातवां तिा आकार में तीसरा ग्रह है ।
▪ अरुण को हरा ग्रह भी कहा जाता है । इसका हरा रं ग वायम
ु ंडल में शमिेन गैस
होने के कारण है ।
▪ अरुण ग्रह के कुल 27 उपग्रह हैं।
▪ अरुण ग्रह को अपने अक् में पूवध से पस्श्चम की तरफ घडी की हदशा में घूमता
है ।
▪ वरूण ग्रह सय
ू ध से दरू ी के अनस
ु ार आठवां तिा आकार में चौिा ग्रह है।
▪ वरूण ग्रह के कुल 14 उपग्रह हैं।
▪ सय
ू ध से सबसे अधर्क दरू होने के कारण वरूण ग्रह सबसे ठं डा ग्रह है ।
▪ सय
ू ध का परू ा एक चककर लगाने में वरूण ग्रह को कुल 165 साल का समय लग
जाता है ।
▪ सौर मंडल में ककतने ग्रह हैं – सौर मंडल में आठ ग्रह हैं – बर्
ु , शि
ु , पथ्ृ वी,
मंगल, बहृ थपतत, शतन, यूरेनस (अरुण ग्रह) और नेप्च्यन
ू (वरुण ग्रह)।
▪ सबसे बडा ग्रह – बह
ृ थपतत
▪ सबसे छोिा ग्रह- बर्
ु
▪ सय
ू ध के सबसे पास ग्रह- बर्
ु
▪ सय
ू ध से सबसे दरू ग्रह- वरूण
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▪ पथ्
ृ वी के सबसे पास ग्रह- शि
ु
▪ चमकीला ग्रह- शुि
▪ सबसे गरम ग्रह- शुि
▪ सबसे ठं डा ग्रह- वरूण
▪ लाल ग्रह- मंगल (Iron Oxide के कारण)
▪ लाल र्ब्बा प्रतीत होने वाला ग्रह- शुि
▪ नीला ग्रह- पथ्
ृ वी (71% पानी होने के कारण)
▪ हरा ग्रह- अरुण/वरूण (शमिेन गैस होने के कारण)
▪ भोर का तारा- शुि
▪ शाम का तारा- शि
ु
▪ सबसे अधर्क उपग्रह वाला ग्रह- बह
ृ थपतत(कुल-79)
▪ सबसे बडा उपग्रह- गैतनमीड (बह
ृ थपतत)
▪ सबसे छोिा उपग्रह- डीमोस (मंगल)
▪ सौरमंडल के सबसे नजदीक का तारा- प्रॉस्कसमा सॅन्िौरी (पथ्
ृ वी से 4.24 प्रकाश-
वषध की दरू ी पर)
▪ सबसे चमकीला तारा- साइरस
▪ अपनी र्रु ी पर सबसे तेज घुमने वाला ग्रह- बह
ृ थपतत(10 घण्िे )
▪ अपनी र्रु ी पर सबसे र्ीरे घम
ु ने वाला ग्रह- शुि(243 हदन)
▪ सरू ज की सबसे तेज पररिमा करने वाला ग्रह- बर्
ु (88 हदन)
▪ सूरज की सबसे र्ीरे पररिमा करने वाला ग्रह- वरूण(165 साल)
पथ्
र िी का िायम
ु ण्डल (Atmosphere of
Earth)
वायम
ु ण्डल की परतों का ववथतत
ृ वववरण तनम्नशलणखत है -
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1. क्ोभण्डल (Troposphere)
▪ क्ोभण्डल वायम
ु ण्डल की सबसे तनचली परत पर है ।
▪ क्ोभण्डल की ऊाँचाई 8-18 कक०मी० तक होती है ।
▪ र्ुवों पर क्ोभण्डल की ऊाँचाई 8 कक०मी० तिा ववषव
ु त रे खा पर 18 कक०मी०
होती है ।
▪ सारी मौसमी गततववधर्यााँ क्ोभण्डल में ही होती हैं जैसे बबजली का कडकना,
बादल का बनना, इंरर्नुष आहद।
▪ मौसम ववभाग के गुब्बारों को भी क्ोभण्डल पर ही उडाया जाता है।
▪ तापमान ऊपर की ओर चढ़ने पर 6.4 डडग्री/कक०मी० की दर से घिता है ।
▪ वायम
ु ण्डल का 75% भार यहीं पर पाया जाता है ।
2. समतापमण्डल (Stratosphere)
3. मध्यमण्डल (Mesosphere)
▪ मध्यमण्डल वायम
ु ण्डल की तीसरी परत है तिा वायम
ु ण्डल के बीच में स्थित
है ।
▪ मध्यमण्डल की र्रती से ऊाँचाई 85 कक०मी० है ।
▪ मध्यमण्डल, समतापमण्डल से 60 कक०मी० ऊपर तक फैला होता है ।
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4. आयनमण्डल (Ionosphere)
5. बाह्यमण्डल (Exosphere)
▪ बाह्यमण्डल वायम
ु ण्डल की सबसे ऊपरी सतह है ।
▪ बाह्यमण्डल की कोई ऊपरी सीमा नहीं है यह अंततः अंतररक् में जाकर शमल
जाती है ।
▪ बाह्यमण्डल में Hydrogen तिा Helium गैसों की अधर्कता पायी जाती है ।
▪ बाह्यमण्डल में ही कृबत्रम उपग्रह थिावपत ककये जाते हैं।
▪ बाह्यमण्डल र्रती से 500 से 1000 कक०मी० तक पाया जाता है ।
चट्टानों के प्रकार
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इन तीनों का ववथतत
ृ वववरण तनम्नवत है-
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▪ ताप, दाब एवं रासायतनक कियाओं के कारण आग्नेय एवं अवसादी चट्िानों का
रूप बदल जाता है । स्जसे रूपांतररत या कायान्तररत चट्िान कहा जाता है ।
▪ ये दो प्रकार की होती हैं –
▪ अवसादी से कायान्तररत
▪ बलआ
ु पत्िर (आग्नेय) से कवािध जाइि (कायान्तररत)
▪ चन
ू ा पत्िर (आग्नेय) से संगमरमर (कायान्तररत)
▪ कायान्तररत चट्टान के उदािरण या रूपांतररत चट्टान के उदािरण
– ग्रेनाइि (आग्नेय) – नीस (कायान्तररत),
बेसाल्ि (आग्नेय) – शसथि (कायान्तररत), बलआ
ु पत्िर (आग्नेय) –
कवािध जाइि (कायान्तररत),चन
ू ा पत्िर (आग्नेय) – संगमरमर (कायान्तररत) आहद
इसके प्रमुख उदाहरण है ।
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1. आककधयन िम की चट्िानें
▪ ये चट्िानों पथ्ृ वी के ठं डा होने के बाद सबसे पहले बनी तिा ये सबसे परु ानी
चट्िानें हैं।
▪ प्रायद्वीप भारत के 2/3 भाग में पायी जाती है । मख्
ु यतः कनाधिक, आंध्र प्रदे श,
तशमलनाडु, बबहार।
▪ आककधयन चट्िानें रवेदार होती है ।
▪ इन चट्िानों में जीवाश्म का अभाव होता है ।
▪ नीस, ग्रेनाइि, माबधल, कवािध ज, डोलोमाइि आहद आककधयन िम की चट्िानों के
प्रमख
ु उदाहरण हैं।
▪ आककधयन िम की चट्िानें का इतना रुपांतरण हुआ है कक वतधमान समय में ये
अपना वाथतववक रूप खो चुकी है ।
2. र्ारवाड िम की चट्िानें
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3. कुडप्पा िम की चट्िानें
4. ववंध्यन िम की चट्िानें
▪ प्रमख
ु रूप से ववंध्याचल पवधत के क्ेत्र में पायी जाती है ।
▪ ये परतदार चट्िानें हैं तिा इनका तनमाधण कुडप्पा की चट्िानों के बाद हुआ है ।
▪ भवन तनमाधण सामग्री के शलए प्रशसद्र् है जैसे चन
ू ा पत्िर, बलआ
ु पत्िर,
संगमरमर आहद।
▪ हीरे के शलए प्रशसद्र् मध्य प्रदे श की पन्ना की खान तिा आंध्र प्रदे श की
गोलकंु डा की खान इसी िम की चट्िानों का भाग है ।
5. गोंडवाना िम की चट्िानें
▪ इस िम की चट्िानें प्रमख
ु रूप से नदी घाहियों में पायी जाती है ।
▪ इसका प्रमुख ववथतार दामोदर, महानदी तिा गोदावरी की घाहियों में है ।
▪ भारत में पाया जाने वाला 98% कोयला, गोंडवाना िम की चट्िानों में ही पाया
जाता है ।
▪ गोंडवाना िम की चट्िानों में मुख्यतः बबिुमेनी कोयला पाया जाता है ।
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6. दककन रै प
▪ प्रायद्वीपीय भारत गोण्डवाना लैंड का भाग है । प्राचीन काल में स्जस समय ये
भाग अफ्रीका महाद्वीप से अलग हुआ उस समय र्रती के अंदर से लावा
तनकलकर पठार के रूप में फैल गया।
▪ इस लावा के कारण बेसाल्ि की चट्िानों का तनमाधण हुआ।
▪ दककन रै प मख्
ु य रूप से महाराष्र में फैला हुआ है , तिा इसका कुछ भाग
मध्य प्रदे श तिा गुजरात में भी आता है ।
▪ दककन रै प के अपरदन से काली शमट्िी का तनमाधण होता है। काली शमट्िी को
रे गर शमट्िी अिवा कपासी शमट्िी भी कहा जाता है ।
1. आककधयन िम की चट्िानें
▪ ये चट्िानों पथ्ृ वी के ठं डा होने के बाद सबसे पहले बनी तिा ये सबसे परु ानी
चट्िानें हैं।
▪ प्रायद्वीप भारत के 2/3 भाग में पायी जाती है । मख्
ु यतः कनाधिक, आंध्र प्रदे श,
तशमलनाडु, बबहार।
▪ आककधयन चट्िानें रवेदार होती है ।
▪ इन चट्िानों में जीवाश्म का अभाव होता है ।
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2. र्ारवाड िम की चट्िानें
3. कुडप्पा िम की चट्िानें
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4. ववंध्यन िम की चट्िानें
▪ प्रमख
ु रूप से ववंध्याचल पवधत के क्ेत्र में पायी जाती है ।
▪ ये परतदार चट्िानें हैं तिा इनका तनमाधण कुडप्पा की चट्िानों के बाद हुआ है ।
▪ भवन तनमाधण सामग्री के शलए प्रशसद्र् है जैसे चन
ू ा पत्िर, बलआ
ु पत्िर,
संगमरमर आहद।
▪ हीरे के शलए प्रशसद्र् मध्य प्रदे श की पन्ना की खान तिा आंध्र प्रदे श की
गोलकंु डा की खान इसी िम की चट्िानों का भाग है ।
5. गोंडवाना िम की चट्िानें
▪ इस िम की चट्िानें प्रमख
ु रूप से नदी घाहियों में पायी जाती है ।
▪ इसका प्रमुख ववथतार दामोदर, महानदी तिा गोदावरी की घाहियों में है ।
▪ भारत में पाया जाने वाला 98% कोयला, गोंडवाना िम की चट्िानों में ही पाया
जाता है ।
▪ गोंडवाना िम की चट्िानों में मुख्यतः बबिुमेनी कोयला पाया जाता है ।
6. दककन रै प
▪ प्रायद्वीपीय भारत गोण्डवाना लैंड का भाग है । प्राचीन काल में स्जस समय ये
भाग अफ्रीका महाद्वीप से अलग हुआ उस समय र्रती के अंदर से लावा
तनकलकर पठार के रूप में फैल गया।
▪ इस लावा के कारण बेसाल्ि की चट्िानों का तनमाधण हुआ।
▪ दककन रै प मख्
ु य रूप से महाराष्र में फैला हुआ है, तिा इसका कुछ भाग
मध्य प्रदे श तिा गुजरात में भी आता है ।
▪ दककन रै प के अपरदन से काली शमट्िी का तनमाधण होता है। काली शमट्िी को
रे गर शमट्िी अिवा कपासी शमट्िी भी कहा जाता है ।
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भारत के मित्िपण
ू व स्टील पलांट
भारत के प्रमख
ु थिील प्लांि
दग
ु ाधपरु थिील प्लांि
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केंदझ
ु ार ओडडशा मैंगनीज
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मस
ु ाबनी झारखंड तांबा
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कोरापि
ु ओडडशा बाकसाइि
बाबाबद
ू न कनाधिक लोहा
नोआमड
ुं ी झारखंड लोहा
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कंु रे मख
ु कनाधिक मैग्नेिाइि लोहा
जादग
ू ोडा झारखंड यूरेतनयम
कुरनल
ू स्जला आंध्र प्रदे श हीरा
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हनम
ु ानगढ़ राजथिान स्जप्सम
भारतीय जलिायु
भारत की जलवायु
1. उष्णकहिबंर्ीय जलवायु
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2. मानसूनी जलवायु
▪ मानसन
ू एक अरबी शब्द है , तिा इसका अिध है मौसम पररवतधन के साि
हवाओं की हदशा में ववपरीत पररवतधन ।
▪ भारत में मख्
ु यतः दो प्रकार की मानसन
ू ी हवाएाँंाँ प्रवाहहत होती हैं –
▪ उत्तर-पूवी मानसून
▪ जो हवाएाँ शीत ऋतु में उत्तर-पूवध से बहकर भारत में प्रवाहहत होती
हैं उन्हें उत्तर पव
ू ी हवाएाँ कहा जाता है ।
▪ उत्तर-पव
ू ी मानसन
ू भारत में केवल शीत ऋतु में ही प्रवाहहत होता
है ।
▪ मख्
ु य रूप से ये मानसन
ू थिलखण्ड के ऊपर से प्रवाहहत होकर
भारत में प्रवेश करता है , स्जस कारण ये अधर्कांश भारत में वषाध
करने में सक्म नहीं है। परन्तु अपवाद थवरूप इस मानसन
ू का
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▪ दक्षक्ण-पस्श्चम मानसून
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भारत में प्रवाहहत होने वाली पछुआ जेि र्ारा की दक्षक्णी शाखा कमजोर पडने लगती
है तिा अब वो हहमालय के उत्तर में चीन तिा ततब्बत से होकर प्रवाहहत होने लगती
है ।
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▪ जून का मौसम
▪ हालांकक सय
ू ध की लम्बवत ककरणें ककध रे खा पर 21 जन
ू को पहुाँचती है
परन्तु कयोंकक थिलखण्ड, महासागरों की तल
ु ना में जल्दी गरम हो जाता
है अतः ITCZ 21 जून से पहले ही 1 जन
ू तक पव
ू ोत्तर भारत में थवयं को
थिावपत कर लेता है । इस तनम्न दबाव के क्ेत्र को भरने के शलए उत्तर
भारत में तेज, गरम और शष्ु क हवाएं चल पडती है स्जन्हें लू कहा जाता
है । ये हवाएं मई के अंत या जन
ू की शरू
ु आत में चलती है ।
▪ 1 जन
ू के आस-पास पस्श्चमोत्तर भारत में उत्पन्न ITCZ काफी
शस्कतशाली हो जाता है । अब ये इतना शस्कतशाली हो जाता है कक ये
हहंद महासागर की आरध हवाओं को आकवषधत कर लेता है । ये हवाएं
भारत में दक्षक्ण-पस्श्चम हदशा से प्रवेश करती है अतः इसे दक्षक्ण-
पस्श्चमी मानसन
ू भी कहा जाता है । सबसे पहले ये भारत में प्रवेश करते
ही पस्श्चमी घाि से िकराकर केरल के मालाबार ति पर 1 जन
ू को वषाध
करता है । इसके बाद ये उत्तर में हहमालय तक तिा पस्श्चम में हदल्ली
तक वषाध करता है ।
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▪ जन
ू के पहले सप्ताह तक पस्श्चमोत्तर भारत में ववकशसत ITCZ जब अत्यधर्क
शस्कतशाली होता है तब ये दक्षक्णी गोलार्ध में से दक्षक्ण-पव
ू ी व्यापाररक पवनों
को भी अपनी ओर आकवषधत कर लेता है ।
▪ फेरल के तनयमानस
ु ार जब ये व्यापाररक पवनें उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश करती है
तब अपने दाईं तरफ मुड जाती है । तिा भारत में दक्षक्ण-पस्श्चम हदशा से प्रवेश
करती है ।
▪ सबसे पहले दक्षक्ण पस्श्चमी मानसन
ू 1 जन
ू को केरल के मालाबार ति पर वषाध
करता है । तिा 15 जल
ु ाई तक पूरा भारतीय उपमहाद्वीप इसके प्रभाव में आ
जाता है । 15 शसतंबर तक ये वषाध इसी प्रकार चलती रहती है ।
▪ दक्षक्ण पस्श्चमी मानसन
ू भारत में 2 शाखाओं में प्रवेश करता है –
1.
1. दक्षक्ण पस्श्चम मानसन
ू की अरब सागर शाखा।
2. दक्षक्ण पस्श्चम मानसन
ू की बंगाल की खाडी शाखा।
1. दक्षक्ण-पस्श्चम मानसन
ू की अरब सागर शाखा
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▪ अरब सागर शाखा से होने वाली वषाध दक्षक्ण से उत्तर की ओर घिती चली जाती
है , कयोकक दक्षक्ण की तरफ चोहियां अधर्क ऊंची है । अतः पस्श्चमी घाि के
दक्षक्णी भाग में अधर्क वषाध होती है ।
▪ इसके पश्चात अरब सागर शाखा नमधदा एवं तापी नदी की घािी से प्रवाहहत
होते हुए अमरकंिक में वषाध करती है।
▪ इसके बाद ये गुजरात में सैराष्र वाले क्ेत्र में धगर और माण्डव पहाडडयों से
िकराकर वषाध करती है स्जसके कारण गज
ु रात का बाकी हहथसा वस्ृ ष्ि छाया क्ेत्र
या वषाध छाया क्ेत्र में आ जाता है , अतः अधर्कतर भाग सूखा रह जाता है ।
▪ इसके पश्चात ये राजथिान में प्रवेश करती है तिा अरवाली श्ेणी की सबसे
ऊाँची चोिी गरू
ु शशखर से िकराकर माउण्ि आबू में पयाधप्त वषाध करती है । पर ये
पूरे अरावली श्ेणी पर वषाध नहीं कर पाती कयोंकक अरावली श्ेणी का ववथतार
इन पवनों की हदशा के समानांतर है । स्जस कारण इन पवनों का इससे िकराव
नहीं हो पाता।
2. दक्षक्ण-पस्श्चम मानसन
ू की बंगाल की खाडी शाखा
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मैदान में प्रवेश करती है तिा पिना, इलाहाबाद, कानपरु होते हुए हदल्ली तक
जाती है । ये शाखा से होने वाली वषाध की मात्रा पव
ू ध से पस्श्चम की तरफ यानी
कोलकाता से हदल्ली की तरफ घिती है । हदल्ली से और पस्श्चम की तरफ में ये
शाखा वषाध नहीं कर पाती ।
▪ जब इस द0प0 मानसन
ू की शाखा की पवनें राजथिान में प्रवेश करती है तब
इन्हें अरावली पवधत से िकराकर वषाध करनी चाहहए परन्तु वषाध नहीं हो पाती है ।
इसके दो प्रमख
ु कारण हैं-
▪ यहां तक पहुाँचते-पहुाँचते पवनों में नमी की मात्रा काफी कम हो जाती है ।
▪ राजथिान ITCZ का क्ेत्र है स्जस कारण यहां की भूशम काफी गरम होती
है अतः जब पहने यहां पहुाँचती है तब उनमे सापेक्षक्क आरता बढ़ जाती
है । स्जस कारण उनके जल ग्रहण करने की क्मता में वद् ृ धर् हो जाती है ।
▪ दक्षक्ण-पस्श्चम मानसन
ू की बंगाल की खाडी शाखा की पवनें जब कोलकाता से
उत्तर भारत के मैदान में जब प्रवेश करती है तब फेरल के तनयम के अनस
ु ार
कोररयाशलस बल के कारण ये पवनें अपने मागध से दाहहनी ओर मड
ु जाती है
यानी हहमालय की शशवाशलक श्ेणणयों की तरफ । स्जस कारण शशवाशलक
श्ेणणयों की दक्षक्णी ढ़ालों पर अच्छी-खासी वषाध प्राप्त होती है । इसी कारण से
प्रायद्वीप भारत के पठार के उत्तरी भाग पर वषाध प्राप्त नहीं हो पाती । इसी
कारण से उत्तर प्रदे श तिा मध्य प्रदे श में फैला हुआ बुंदेलखण्ड का क्ेत्र सूखा
ग्रथत क्ेत्र के अंतगधत आता है ।
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भारत में शीत ऋतु में होने वाली वषाध 20 हदसंबर से लेकर माचध तक होती है । शीत
ऋतु में मानसन
ू के दो क्ेत्र है पहला पस्श्चमोत्तर भारत के पहाडी एवं मैदानी भाग
तिा तशमलनाडु का कोरोमण्डल ति।
1. पस्श्चमी ववक्ोभ
2. उत्तर-पव
ू ी मानसन
ू
1. पस्श्चमी ववक्ोभ
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▪ ववषव
ु त रे खा पर सालभर सय
ू ध की ककरणें लम्बवत पडती है । स्जस कारण यहां
पर तनम्न वायुदाब बना रहता है ।
▪ इस तनम्न वायद
ु ाब के क्ेत्र को ववषव
ु तरे खीय तनम्न दाब का क्ेत्र भी कहा जाता
है । इस तनम्न वायुदाब के क्ेत्र को भरने के शलए 35° उत्तरी तिा 35° दक्षक्णी
अक्ांश से व्यापाररक पवनें प्रवाहहत होने लगती है ।
▪ ये व्यापाररक पवनें सीर्े ववषव
ु त रे खा की तरफ न प्रवाहहत होकर कुछ पस्श्चम
में प्रवाहहत होती है । ऐसा फेरल के तनयम के अनस
ु ार कोररयाशलस बल के
कारण होता है । स्जस कारण उत्तरी गोलार्ध में पवनें अपने दाई ओर तिा
दक्षक्णी गोलार्ध में अपने बाई ओर ववचशलत हो जाती है ।
▪ इस कारण उत्तरी गोलार्ध में इन व्यापाररक पवनों की हदशा उत्तर-पवध से दक्षक्ण-
पस्श्चम हो जाती है तिा दक्षक्णी गोलार्ध में दक्षक्ण-पव
ू ध से उत्तर-पस्श्चम हो
जाती है ।
▪ शीत ऋतु में जब सय
ू ध दक्षक्णायन होता है तब ITCZ भी मकर रे खा की तरफ
ववथिावपत हो जाता है तिा इस कारण से भारत परू ी तरह से उत्तर-पव
ू ी
व्यापाररक पवनों के अर्ीन हो जाता है ।
▪ उत्तर-पव
ू ी व्यापाररक पवनें थिल खण्डो के ऊपर से प्रवाहहत होकर आती है ।
स्जस कारण इनमें नमी का अभाव होता है और ये परू े भारत-वषध में वषाध नहीं
कर पाती है । परन्तु इन व्यापाररक पवनों का वह भाग जो बंगाल की खाडी के
ऊपर से प्रवाहहत होता है वहां से पयाधप्त आरता ग्रहण कर लेता है तिा
तशमलनाडु में पस्श्चमी घाि से िकराकर कोरामण्डल ति पर पयाधप्त वषाध करता
है ।
मानसन
ू का ननितवन (लौटता मानसन
ू )
21 जून को सय
ू ध की ककरणें ककध रे खा पर लम्बवत पडती हैं। 22 जून से सय
ू ध
दक्षक्णायन होना प्रारम्भ कर दे ता है । 23 शसतंबर को सय
ू ध वापस ववषव
ु त रे खा के ठीक
ऊपर चमकता है । तिा 22 हदसंबर को सय
ू ध की लम्बवत ककरणें मकर रे खा के ऊपर
पडती हैं।
इसके पररणाम थवरूप पस्श्चमोत्तर भारत में बना ITCZ का क्ेत्र भी ववषुवत रे खा की
तरफ णखसकने लगता है । स्जसके कारण मानसून भी दक्षक्ण की तरफ णखसकने
लगता है । यह प्रकिया मानसन
ू का तनवतधन(लौिना) कहलाती है । ये प्रकिया 1 शसतंबर
से प्रारम्भ होकर 15 अकिूबर तक चलती है तिा दक्षक्ण-पस्श्चमी मानसन
ू भारतीय
उपमहाद्वीप से बाहर हो जाता है । सबसे पहले मानसून का तनवतधन राजथिान से शरू
ु
होता है ।
मानसन
ू के तनवतधन काल में सबसे अधर्क वषाध पव
ू ी तिीय मैदान में होती है । इसका
समय काल 15 अकतब
ू र से 15 नवम्बर तक होता है । वापस लौिते मानसन
ू से होने
वाली वषाध के दो प्रमुख कारण हैं।
जब आरध पवने पहाडी से िकराकर ऊपर उठने लगती है तब उसके तापमान में कमी
आने लगती है स्जसे एडडयाबेहिक ताप ह्रास कहा जाता है स्जससे आरध हवाएं संघतनत
होकर जल बद
ूं ों के रूप में धगरने लगती है । इसके ववपरीत जब पहले पहाडी की दस
ू री
तरफ से ढाल के साि नीचे उतरती है तब इन पवनों से वषाध नहीं होती है स्जसके दो
प्रमख
ु कारण हैं-
ववषुवत रे खा पर साल भर तापमान अधर्क रहता है स्जस कारण यहां पर पवनें गमध
होकर ऊपर उठती है स्जससे ववषव
ु त रे खा पर एक तनम्न दाब का क्ेत्र बन जाता है ।
इस तनम्न दाब के क्ेत्र को भरने के शलए उत्तरी तिा दक्षक्णी गोलार्ध से व्यापाररक
पवनें यहां पर आती है तिा िकराकर ऊपर उठ जाती है। अतः ववषुवत रे खा के पास
स्थित इस उच्च ताप की पेिी/क्ेत्र या तनम्न वायु दाब की पेिी/क्ेत्र को ITCZ (अंतः
उष्णकहिबंर्ीय अशभसरण क्ेत्र) कहा जाता है। ये क्ेत्र (ITCZ) ककध तिा मकर रे खा
के मध्य सय
ू ध की स्थितत के अनस
ु ार ववचरण करता रहता है । ग्रीष्म ऋतु में ITCZ
उत्तरी गोलार्ध में ककध रे खा के पास तिा शीत ऋतु में जब सूयध दक्षक्णायन होता है
तब ITCZ भी मकर रे खा की तरफ ववथिावपत हो जाता है । ITCZ 35° उत्तरी अक्ांश
से 35° दक्षक्णी अक्ांश तक ववचलन करता हैं।
▪ ये वन कम वषाध वाले क्ेत्रों में जहां वावषधक वषाध 70cm से कम होती है पाये
जाते हैं।
▪ प्रमख
ु रूप से दो क्ेत्र में पाये जाते है -
▪ पस्श्चमी भारत में - राजथिान, पंजाब, गुजरात, पस्श्चमी उत्तर प्रदे श
▪ वस्ृ ष्ि छाया प्रदे श- मध्य प्रदे श के इंदौर से आंध्र प्रदे श के कनल
ूध स्जले
तक एक अर्ध चंराकार पेिी में पाये जाते है ।
▪ पत्तों की जगह कािों ने ले ली है , स्जसके दो प्रमुख कारण हैं।
▪ वाष्पीकरण कम करने पानी की बचत करने में सहायक।
▪ जानवरों से सुरक्ा।
▪ प्रमख
ु वक्
ृ - बबल
ू , खजरू , नागफनी, खेजडा, बेल।
4. पवधतीय वन
5. ज्वारीय वन या मैंग्रोव वन
▪ भारत में तिीय क्ेत्रों में जहां नहदयों ने अपना डेल्िा बनाया है वहां ये वक्
ृ पाये
जाते है ।
▪ क्ेत्र- गंगा नदी का डेल्िा, महानदी का डेल्िा, ब्रह्मपत्र
ु नदी का डेल्िा, गोदावरी
का डेल्िा, कृष्णा का डेल्िा, कावेरी का डेल्िा तिा गुजरात में कुछ भाग में पाये
जाते हैं।
▪ कयोककं गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्िा का अधर्कांश भाग बांग्लादे श के अर्ीन आता है
अतः भारत में मैग्रोंव वनों की सबसे अधर्क मात्रा गुजरात में पायी जाती है ।
उसके बाद आंध्र प्रदे श में गोदावरी तिा कृष्णा नदी के डेल्िा में ।
▪ अधर्कतर पव
ू ी ति पर पाये जाते है । कुछ मैंग्रोव वन गुजरात में भी पाये जाते
है परन्तु यहां ये नदी डेल्िा पर नहीं बस्ल्क ज्वारीय क्ेत्र में पाये जाते है अतः
यहां इन्हें ज्वारीय वन कहा जाता है ।
▪ इन वनों की प्रमुख ववशेषताएाँ तनम्नवत हैं-
▪ ये वन समर
ु के खारे पानी में डूबे रहते है।
▪ इन वनों की जडे पानी के बाहर हदखाई दे ती है ।
▪ लकडी कठोर होती है तिा छाल क्ारीय होती है ।
▪ वनथपतत- मैंग्रोवा, सुंदरी, कैसरू ीना, फॉतनकस
▪ गंगा-ब्रह्मपत्र
ु के डेल्िा में सद
ंु री नामक वक्
ृ पाया जाता है । इसी वन में बंगाल
िाइगर पाया जाता है ।
▪ मैंग्रोव वनों का महत्व
▪ मैंग्रोव वन सन
ु ामी और चिवात से तिों की सरु क्ा करता है ।
मद
र ा की संरचना
▪ मद
ृ ा पर प्रभाव डालने वाले पांच कारक होते हैं –
▪ पैतक
ृ शैल- मद
ृ ा को आर्ारभूत खतनज एवं पोषक तत्व उपलब्र् कराते
हैं।
▪ जलवायु- मद
ृ ा में होने वाले रासायतनक एवं सूक्ष्म जैववक किया को
तनयंबत्रत करती है ।
▪ वनथपतत- मद
ृ ा में ह्यम
ू स की मात्रा को तनयंबत्रत करती है।
▪ भूशमगत जल- मद
ृ ा को नमी प्रदान करता है।
▪ सक्ष्
ू म जीव- मद
ृ ा में वनथपततयों एवं जीवों के अवशेषों को सडा-गला कर
खतनज एवं जैववक पदािध को अलग करते हैं तिा ह्यम
ू स का तनमाधण
करते हैं।
▪ मद
ृ ा के तनमाधण में सबसे महत्वपूणध कारक जलवायु है । आइये इसे ववथतार में
कुछ उदाहरणों से समझते हैं-
▪ अगर ककसी क्ेत्र में वषाध अधर्क होती है तो वहां मद
ृ ा का तनक्ालन हो
जाता है । अिाधत मद
ृ ा के पोषक तत्व पानी के साि ररस कर तनचले थतर
पर चले जाते हैं। इस कारण ऊपरी सतह अनुपजाऊ हो जाती है ।
उदाहरण के शलए पस्श्चमी घाि में मद
ृ ा में से शसशलका पदािध तनक्ाशलत
हो चकु ा है । स्जस कारण यहां लेिराइि मद ृ ा का तनमाधण हुआ है जो
खाद्यानों की खेती के शलए अनप ु युकत है ।
▪ राजथिान जैसे उच्च ताप एवं शुष्क प्रदे श वाले क्ेत्र में मद
ृ ा में कोशशका
किया प्रारम्भ हो जाती है । कोशशका किया के कारण मद
ृ ा में उपलब्र्
पानी तिा चुना पदािध ऊपरी सतह पर आ जाते हैं, जल तो वाष्पीकृत हो
जाता है परन्तु चन
ु ा सतह पर ही रह जाता है जो मद
ृ ा को अनप
ु जाऊ
बनाता है ।
▪ मद
ृ ा संगठन- तनमाधण पांच तत्वों से होता है -
▪ खतनज पदािध- 40-45%
▪ ह्यम
ू स- 5-10%
▪ मद
ृ ा जल- 25%
▪ मद
ृ ा वायु- 25%
▪ सूक्ष्म जीव- कवक और जीवाणु
▪ मद
ृ ा पररच्छे हदका में चार संथतर होते है , इसमें सबसे ऊपरी संथतर सबसे अधर्क
उपजाऊ होती है । इसी संथतर में पौर्ें फैलाते हैं।
▪ पथ्
ृ वी की सबसे ऊपरी परत को िथि कहा जाता है । िथि में पाये जाने वाले
चार महत्वपण
ू ध पदािध – Oxygen, Silica, Aluminium, Iron.
अम्लीय और क्ारीय मद
ृ ा
▪ pH मान के अनस
ु ार मद
ृ ा को अम्लीय और क्ारीय कहा जा सकता है -
▪ उदासीन मद
ृ ा- pH मान 7
▪ अम्लीय मद
ृ ा- pH मान 7 से कम
▪ क्ारीय मद
ृ ा- pH मान 7 से अधर्क
▪ अम्लीय मद
ृ ा में Hydrogen आयनों की मात्रा अधर्क।
▪ क्ारीय मद
ृ ा- Potassium(K) और Sodium(Na) ऋणायनों की मात्रा अधर्क।
▪ पौर्ों की वद्
ृ धर् के शलए लाभदायक pH मान 6 से 7.5 तक माना जाता है ।
▪ अम्लीय मद
ृ ा के सर्
ु ार के शलए चन
ू े का प्रयोग ककया जाता है ।
▪ क्ारीय मद
ृ ा के सर्
ु ार के शलए स्जप्सम का प्रयोग ककया जाता है ।
▪ सवाधधर्क क्ारीय मद
ृ ा क्ेत्र उत्तर प्रदे श में है ।
▪ सवाधधर्क लवणीय मद
ृ ा क्ेत्र गुजरात में है।
▪ अम्लीय मद
ृ ा चाय बागानों के शलए उपयुकत होती है ।
भारत की सभी शमट्हियों में प्रमुखतः तीन तत्वों की कमी पायी जाती है –
1. ह्यम
ू स
2. नाइरोजन
3. फॉथफोरस
भारत में सबसे ज्यादा क्ेत्रफल पर पायी जाने वाली चार शमट्हियां हैं-
1. जलोढ़ मद
ृ ा(43%)
2. लाल मद
ृ ा(18%)
3. काली मद
ृ ा(15%)
4. लैिेराइन मद
ृ ा(3.7%)
1. जलोढ़ मद
ृ ा
2. लाल मद
ृ ा
▪ भारत का दस
ू रा सबसे बडा मद
ृ ा वगध। कुल 18% क्ेत्र में पायी जाती है ।
▪ Iron Oxide के कारण रं ग लाल होता है ।
▪ क्ेत्र-
▪ दक्षक्ण भारत- पठारी भाग में पूवी तरफ पायी जाती है ।
▪ ववथतार- तशमलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदे श, छत्तीसगढ़, ओडडशा, पूवी मध्य
प्रदे श, झारखण्ड में है ।
▪ पूवोत्तर भारत में भी पायी जाती है।
▪ सवाधधर्क क्ेत्रफल तशमलनाडु में।
▪ लाल मद
ृ ा प्रायद्वीपीय भारत के कम वषाध वाले क्ेत्र में पायी जाती है ।
3. काली मद
ृ ा
▪ कपासी मद
ृ ा या रे गुर मद
ृ ा या लावा मद
ृ ा के नाम से भी जाना जाता है ।
▪ क्ेत्र-
▪ उत्तरी कनाधिक
▪ महाराष्र
▪ मध्य प्रदे श
▪ गुजरात
▪ उत्तर प्रदे श में झांसी तिा लशलतपरु में भी पायी जाती है तिा वहां इसे करे ल
मद
ृ ा कहा जाता है ।
▪ अंतराधष्रीय थतर पर इसे चेरनोजम कहा जाता है । काला सागर के उत्तर में
युिेन तिा य0
ू एस0ए0 में ग्रेि लेकस के पस्श्चम में पायी जाती है।
▪ काली मद
ृ ा लावा चट्िानों के िूिने से बनी मद
ृ ा है ।
▪ दककन पढ़ार तिा मालवा पठार की प्रमुख शमट्िी है ।
▪ सबसे अधर्क महाराष्र में पायी जाती है ।
▪ इस मद
ृ ा में जल र्ारण करने की क्मता अधर्क होती है । शष्ु क कृवष(जल बच
वाली शसंचाई पर आर्ाररत) के शलए उपयुकत।
4. लैिेराइि मद
ृ ा
▪ इस मद
ृ ा के तनमाधण हेतु 2 प्रमख
ु पररस्थिततयां हैं-
▪ 200सी0मी0 से अधर्क वावषधक वषाध
▪ अधर्क गमी
▪ उपरोकत पररस्थिततयां भारत में 3 जगह पायी जाती है-
▪ पस्श्चमी ति पर
▪ ओडडशा ति पर
▪ शशलांग पठार पर
5. मरुथिलीय मद
ृ ा
▪ ववथतार भारत के पस्श्चमी भाग वाले शष्ु क क्ेत्र में। दक्षक्णी पंजाब, दक्षक्णी
हररयाणा, राजथिान, गज
ु रात का कच्छ क्ेत्र।
▪ खाद्यान उगाना संभव नहीं अतः ज्वार, बाजरा, मोिे अनाज एवं सरसों की खेती
की जाती है ।
6. पवधतीय मद
ृ ा
▪ पीि मद
ृ ा केरल एवं तशमलनाडु के तिों पर जल जमाव के कारण पायी जाती
है ।
▪ पीि मद ृ ा का ववकास धगली भूशम पर वनथपततयों के सडने से हुआ है । अतः
इसमें ह्यमू स की मात्रा अधर्क पायी जाती है।
▪ दलदली शमट्िी में सबसे अधर्क ह्यम
ू पाया जाता है सद
ंु र वन वाले क्ेत्र में
पायी जाती है ।
▪ दलदली शमट्िी ज्वार वाले क्ेत्र में पायी जाती है ।
कोसी पररयोजना
चंबल पररयोजना
▪ ये पररयोजना चंबल नदी पर है । चंबल नदी का उद्गम मध्य प्रदे श में मालवा
के पठार से होता है तिा अंत में ये यमुना से इिावा में शमल जाती है ।
हीराकुण्ड बााँर्
भाखडा-नांगल पररयोजना
▪ सतलुज नदी पर भाखडा तिा नांगल नामक दो बांर्ों का तनमाधण ककया गया
है , स्जन्हें संयुकत रूप से भाखडा-नांगल पररयोजना भी कहा जाता है ।
▪ भाखडा बांर् हहमाचल प्रदे श में स्थित है तिा नांगल बांर् पंजाब में स्थित है ।
▪ उत्तराखण्ड राज्य में भागीरिी तिा शभलंगना नहदयों के संगम पर स्थित है।
▪ यह बांर् भूकम्प जोन V के अंतगधत आता है।
▪ पूरा हहमालय क्ेत्र भी इसी जोन V के अंतगधत आता है अिाधत यहां पर
ररकिर थकेल पर 8 से अधर्क माप वाले भक
ू ं प आने की संभावना बनी
रहती है ।
▪ हिहरी बांर् भारत का सबसे ऊंचा बांर् है । ऊंचाई 261 मी० है ।
भारत की प्रमख
ु बांध पररय़ोजनाएँ
भारत की प्रमख
ु बांर् पररयोजना
ि०
बांध का नाम नदी का नाम राज्य का नाम/ UT
सं०
2 दल
ु हथती बांर् पररयोजना धचनाब नदी जम्मू कश्मीर
5 तल
ु बल
ु बांर् पररयोजना झेलम नदी जम्मू कश्मीर
नागाजन
ुध सागर बांर्
49 कृष्णा नदी आन्ध्र प्रदे श
पररयोजना
जलवायु के आर्ार पर योजना आयोग ने भारत को कुल 15 कृवष जलवायु क्ेत्र में
ववभास्जत ककया है -
▪ गेहू एक शीतोष्ण कहिबंर्ीय पौर्ा है । अतः इसे जाडे की ऋतु में ही उगाया
जाता है ।
▪ र्ान एक उष्ण कहिबंर्ीय पौर्ा है । अतः गमी में मानसन
ू के समय उगाया
जाता है ।
हहंदथ
ु तान पेरोशलयम कॉपोरे शन
15 मुंबई तेल ररफाइनरी मुंबई महाराष्र
शलशमिे ड
17 बीना तेल ररफाइनरी बीना मध्य प्रदे श भारत ओमान ररफईनरीज ् शलशमिे ड
पस्श्चम
19 हस्ल्दया तेल ररफाइनरी हस्ल्दया इस्ण्डयन ऑयल कॉपोरे शन शलशमिे ड
बंगाल
20 गरु
ु गोबबंद शसंह ररफाइनरी भहिंडा पंजाब एचपीसीएल-शमत्तल एनजी शलशमिे ड
मनाली
21 मनाली तेल ररफाइनरी तशमलनाडु चेन्नई पेरोशलयम कॉपोरे शन शलशमिे ड
(चेन्नई)
नागपट्िनम तेल
22 नागपट्िनम तशमलनाडु चेन्नई पेरोशलयम कॉपोरे शन शलशमिे ड
ररफाइनरी
23 मिुरा तेल ररफाइनरी मिुरा उत्तर प्रदे श इस्ण्डयन ऑयल कॉपोरे शन शलशमिे ड
▪ परमाणु ववद्यत
ु गह
ृ ों के सरु क्षक्त संचालन एवं भारत सरकार की योजनाओं और
कायधिमों के अनस
ु रण में बबजली उत्पादन के शलए परमाणु ऊजाध पररयोजनाओं
को लागू करना हे तु वषध 1987 में “न्यूस्कलयर पावर कॉपोरे शन ऑफ
इंडडया”(NPCIL) की थिापना की गयी।
▪ भारत में कुल 8 परमाणु ववद्युत गह
ृ है । इन 8 ववद्यत
ु गह
ृ ों में 22 परमाणु
ररएकिर सिीय है ।
▪ भारत के आठों परमाणु ववद्यत
ु गह
ृ ों का संचालन “न्यस्ू कलयर पॉवर कॉपोरे शन
ऑफ इंडडया”(NPCIL) द्वारा ककया जाता है । इनका वववरण तनम्नवत है –
परमाणु विद्यत
ु गि
र का स्जला का राज्य का ककस राष्ट्र की
ि0सं0 िर्व कुल क्षमता
नाम नाम नाम सिायता
1 तारापरु पालघर महाराष्र 1969 USA 1400MW
2 रावतभािा धचतौडगढ़ राजथिान 1973 कनाडा 1180MW
3 काकरपारा सूरत गुजरात 1993 440MW
4 जैतपुरा रतनाधगरी महाराष्र 1972 9900MW
5 नरौरा बल
ु द
ं शहर उत्तर प्रदे श 1989 440MW
6 कलपककम कांचीपुरम तशमलनाडु 1989 थवदे शी 440MW
7 कैगा उत्तर कन्नड कनाधिक 2000 फ्रांस 840MW
8 कुडानकुल ततरूनेवल्
े ली तशमलनाडु 2017 रूस 2000M
भारतीय रे लिे एसशया की सबसे बडी एिं विश्ि की तीसरा सबसे बडी रे ल प्रणाली िै –
1.
1. यू०एस०ए०
2. रूस
3. भारत
1.
1. यू०एस०ए०
2. चीन
3. रूस
4. भारत
भारतीय रे लवे के सफल संचालन हेतु इसे 17 रे ल जोनों में बााँिा गया है । स्जनका
वववरण तनम्नवत है -
5 उत्तर पव
ू ी सीमा प्रांत रे लवे मालेगांव (गव
ु ाहािी)
6 पव
ू ी रे लवे कोलकाता
12 दक्षक्णी पव
ू ी रे लवे कोलकाता
13 दक्षक्णी पव
ू ी मध्य रे लवे बबलासपुर (छत्तीसगढ़)
▪ मुम्बई वीिी भारत का पहला रे ल जोन है जो कक वषध 1951 में थिावपत ककया
गया िा।
भारत की प्रमख
ु पयधिक रे नें
भारत की प्रमख
ु पयधिक रे नें तनम्नवत हैं-
5 ओररएण्ि एकसप्रेस गज
ु रात
भारत के बंदरगाि
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GS NOTES BY LOKESH SIR WHATSAPP :- 8076623513
▪ बंदरगाह दे श के व्यापार की नीव होते हैं। यहीं से दे श में आयात तिा तनयाधत
ककया जाता है ।
▪ भारत में 13 बडे एवं 200 छोिे बंदरगाह है ।
▪ प्राचीन काल में सातवाहन एवं चोलों के समय समर
ु ी व्यापार चरम पर िा।
▪ आर्ुतनक काल में 1856 में “बब्रहिश इस्ण्डया थिीम कम्पनी” की थिापना के
साि भारत में जहाजरानी पररवहन की शरु ु आत हुयी।
▪ 13 बडे बंदरगाहों में से सवाधधर्क 3 तशमलनाडु में है ।
▪ 200 छोिे बंदरगाहों में से सवाधधर्क 53 महाराष्र में है ।
▪ भारत दे श की कुल ति रे खा 7516 कक०मी० लम्बी है । यह ति रे खा दे श के 13
राज्यों और केन्र शाशसत प्रदे शों को थपशध करती है । स्जनका वववरण तनम्नवत
है -
गुजरात, मिाराष्ट्र, ग़ोिा, कनावटक, केरल, तसमलनाडु, आन्र प्रदे श, ओडडशा, पस्श्चम
बंगाल, दमन दीि, पोंडीचेरी, लक्ष्यद्िीप, अण्डमान ननक़ोबार।
भारत दे श के 13 प्रमख
ु बंदरगाह
3. यहां प्रमख
ु आयात सामग्री है -
पेरोशलयम एवं उवधरक।
1. जव
ु ारी नदी के मह
ु ाने पर स्थित
है ।
4 ममग
ुध ाव पस्श्चमी ति गोवा प्राकृततक 2. गोवा से प्राप्त होने वाला लौह
अयथक यहीं से ईरान को तनयाधत
ककया जाता है ।
8 चेन्नई पव
ू ी ति तशमलनाडु कृबत्रम 1. दे श का सबसे परु ाना बंदरगाह है ।
बंगाल की अण्डमान
13 पोिध ब्लेयर प्राकृततक
खाडी तनकोबार
1 माण्वी गुजरात
2 ओखा गुजरात
3 द्वारका गुजरात
4 पोरबंदर गुजरात
5 भावनगर गुजरात
6 रत्नाधगरी महाराष्र
7 कारवार कनाधिक
8 कासरगोड केरल
9 कनानूर केरल
10 कोझीगोड केरल
11 स्कवलोन केरल
12 एलेप्पी केरल
13 िोण्डी तशमलनाडु
14 नागपट्िनम तशमलनाडु
15 कराइकल तशमलनाडु
18 गोपालपुर ओडडशा
1.
1. गोण्ड
2. भील
3. संिाल
▪ पशप
ु ालक जनजानतयां
1.
1. िोडा जनजातत तशमलनाडु के नीलधगरी पहाडी पर तनवास करती है तिा
भैंस पालन करती है ।
2. गद्दी एवं बकरवाल जनजातत हहमाचल प्रदे श में तनवास करती है तिा
भेड-बकरी पालन करती है ।
▪ चकमा जनजातत के लोग बांग्लादे श के मूल तनवासी है तिा ये पूवोत्तर भारत में
प्रमख
ु तः बत्रपुरा में शरणािी के रूप में प्रवेश कर गए है ।
भारत की प्रमख
ु जनजाततयााँ
िारू, बक
ु सा, भोहिया, िारू जनजातत के लोग दीपावली को शोक पवध के रूप में
उत्तराखण्ड
जौनसारी मनाते हैं।
मीणा, गरशसया,
राजथिान कालबेशलया एक सपेरा जनजाती सुमादाय है।
कालबेशलया
ओडडशा जुआग
ं , जिायु, उरांव
शसस्ककम लेप्चा
मणीपुर कूकी
दादर और
ढ़ोहढया
नगर हवेली
ऩोट : यहााँ नेशनल लेवल एग्जाम में पूछे जाने वाले प्रश्नों के आर्ार पर जनजाततयों
का वणधन ककया गया है स्जनमें राज्य के थतर से कई राज्यों की महत्वपण
ू ध
जनजाततयों का वणधन नहीं ककया गया है कयोंकक कई जनजाततयां उस राज्य के राज्य
एसशया का भग
ू ़ोल
▪ एशशया का भूगोल :- एशशया महाद्वीप को सभ्यताओं का पालना भी कहा जाता
है । क्ेत्रफल के आर्ार पर ववश्व के तीन बडे दे श इसी महाद्वीप में है । एशशया
महाद्वीप की प्रमख
ु जानकाररयााँ तनम्नवत हैं-ववषव
ु त रे खा केवल 3 महाद्वीपों से
होकर गुजरती है –
1.
i. एशशया
ii. अफ्रीका
iii. दक्षक्ण अमेररका
1.
i. मालद्वीप
ii. इण्डोनेशशया
1.
i. शसंगापरु
1.
i. सम
ु ात्रा
▪ क्ेत्रफल के आर्ार पर ववश्व के 7 सबसे बडे दे शों में से 3 दे श एशशया में हैं-
1.
i. रूस
ii. चीन
iii. भारत
▪ आबादी के अनस
ु ार दतु नया के 4 सबसे बडे दे शों में से 3 एशशया में है –
1.
i. चीन
ii. भारत
iii. इण्डोनेशशया
▪ एशशया का सबसे
1.
i. पूवी दे श- इण्डोनेशशया
ii. पस्श्चमी दे श- िकी
iii. दक्षक्णी- इण्डोनेशशया
iv. उत्तरी दे श- रूस
1.
i. कैस्थपयन सागर दतु नया की सबसे बडी खारे पानी की झील है ।
ii. अरल सागर से केवल 2 दे श सीमा बनाता है –
1.
i. कजाककथतान
ii. मंगोशलया(चीन के अधर्कार में)
1.
i. होकाडो- सबसे उत्तरी द्वीप है ।
ii. होन्शू जापान का सबसे बडा द्वीप है , राजर्ानी िोकयो यही है।
iii. शीकोकू- हहरोशशमा यहीं पर है ।
iv. कयश
ू -ू नागासाकी यहीं पर है ।
▪ चीन के पव
ू ध में पीला सागर एवं दक्षक्ण में दक्षक्णी चीन सागर है । ये दोनों ही
सागर प्रशान्त महासागर का ही भाग है ।
▪ पीला सागर में ही कफशलपीन्स द्वीप समह
ू है। स्जसकी राजर्ानी मनीला है ।
कफशलपीन्स भी कई द्वीपों से शमलकर बना है इसके 3 प्रमुख द्वीपों का वववरण
तनम्नवत है -
1.
i. लुजोन- मनीला राजर्ानी यहीं है ।
ii. शमंडानाओ
iii. समर
▪ कफशलपीनन्स के पूवध में कैरोलाइन द्वीप (कैरोशलन द्वीप) है । इसी में प्रशान्त
महासागर की सबसे गहरी गतध है माररयाना गतध स्थित है ।
▪ लाल सागर एवं भम
ू ध्य संगर है बीच में शमथत्र दे श है । थवेज नहर लाल सागर
तिा भम
ू ध्य सागर के बीच में शमथत्र दे श में ही 1869 में बनायी गयी िी। वषध
1956 में इसका राष्रीकरण कर हदया गया। इस नहर की कुल लम्बाई 162
कक0मी0 है ।
▪ अरब प्रायद्वीप दतु नया का सबसे बडा प्रायद्वीप
1.
i. दक्षक्ण- अदन की खाडी
ii. पव
ू -ध अरब सागर, ओमान की खाडी
iii. पस्श्चम- लाल सागर
1.
i. सबसे र्नी दे श(अरब प्रायद्वीप)- UAE
▪ रूस का पव
ू ी हहथसा जो उं गली के आकार में नीचे की तरफ लिका है , वाथतव
में एक प्रायद्वीप है । इस कमचातका प्रायद्वीप के नाम से जाना जाता है ।
1.
i. कमचातका प्रायद्वीप से छोिे -2 द्वीपों की शख
ंृ ला दक्षक्ण में जापान तक
तनकली हुई है । स्जसे कुरील द्वीप समह
ू कहते है । कुरील द्वीप समह
ू
रूस के कब्जे में है ।
ii. कुररल द्वीप समह
ू एवं रूस(मख्
ु य भूशम) के मध्य सागर को ओखोथिक
सागर कहते है ।
1.
i. हहन्दक
ु ु श- पाककथतान की तरफ
ii. काराकोरम पवधत- लद्दाख की तरफ
iii. कुनलुन पवधत- ततब्बत की तरफ
iv. ततयन शान- चाइना की तरफ
▪ यन
ु ान का पठार का चाइना में स्थित है ।
1.
1. कनाडा
2. संयुकत राज्य अमेररका(य0
ू एस0ए0)
3. मैस्कसको
1.
1. 49° अक्ांश रे खा
2. ग्रेि लेकस
3. सेंि लॉरें स नदी
1.
1. सुपीररयर झील- ताजे पानी की सबसे बडी झील
2. ह्यरू ॉन झील
3. शमशशगन झील- पूरी तरह से अमेररका में है।
4. एरी झील
5. ओंिाररयो झील
▪ ग्रेि लेकस के पास काफी सारे औद्योधगक नगर बसे हुए है । 4 प्रमख
ु
औद्योधगक नगर तनम्नवत है -
1.
1. सुपीररयर-दल
ु ुि
2. शमशशगन- गैरी, शशकागो
3. एरी- डेरायि(ऑिोमोबाइल उद्योग)
1.
1. ग्रेि बबयर झील
2. ग्रेि थलेव झील
3. अिावाथका झील
4. ववतनपेग झील
▪ कनाडा के उत्तर में हडसन की खाडी है जोकक तीनों तरफ से र्रती से तघरा हुआ
है ।
▪ संयुकत राज्य अमेररका में कुल 50 राज्य है-
1.
▪ मैस्कसको के पव
ू ध में द्वीप समह
ू है स्जसे वेथि इण्डीस कहते है । वेथि इण्डीस
द्वीप समूह को कैरीबबयन सागर के तनकि होने के कारण कैरीबबयन द्वीप भी
कहा जाता है ।
1.
1. कयब
ू ा- राजर्ानी हवाना(ककध रे खा के सबसे नजदीक राजर्ानी)
2. बहामास
3. जमैका
4. है ती
5. पुतो ररको
1.
1. पीडमान्ि का पठार- पव
ू ी यू0एस0ए0
2. ओजाकध का पठार- पव
ू ी य0
ू एस0ए0
अफ़्रीका का भग
ू ़ोल
▪ अफ़्रीका का भग
ू ोल :- अफ़्रीका, क्ेत्रफल और जनसंख्या के आर्ार पर ववश्व का
दस
ू रा सबसे बडा महाद्वीप है । अफ़्रीका ही एक ऐसा महाद्वीप है जहां से तीनों
प्रमख
ु रे खाएाँ ककध रे खा, ववषव
ु त रे खा एवं मकर रे खा होकर गज
ु रती हैं।अफ्रीका
में कुल 55 दे श हैं –
1.
1. 49 दे श मख्
ु य भशू म पर हैं।
2. 6 द्वीपीय दे श हैं।
▪ क्ेत्रफल में सबसे बडा दे श अल्जीररया एवं जनसंख्या में सबसे बडा दे श
नाइजीररया है ।
▪ नाइजीररया की 2 प्रमख
ु जनजातत है –
1.
1. हाउसा- ये प्रमुख रूप से कृषक होते हैं।
2. फुलानी- ये प्रमख
ु रूप से पशप
ु ालक होते हैं।
1.
1. सोमाशलया
2. इधियोवपया
3. स्जबूती
1.
1. गैबोन
2. कंगो
3. कांगो प्रजातांबत्रक गणराज्य (जायरे )
4. युगांडा
5. केन्या
6. सोमाशलया
1.
1. बोत्सवाना- सबसे अधर्क हहथसा यहीं पर है ।
2. नामीबबया
3. दक्षक्ण अफ़्रीका
▪ तंजातनया के पव
ू ध में हहंद महासागर में पेम्बा एवं जंजीबार नामक 2 द्वीपों पर
तंजातनया का अधर्कार। इन दोनों द्वीपों में लैंग और इलायची की खेती की
जाती है तिा ववश्व की 90% लैंग इन्ही 2 द्वीपों पर उगायी जाती है ।
1.
1. नाशसर झील- शमथत्र में नील नदी पर आथवान बांर् हे तु बनायी गयी
मानव तनशमधत झील।
2. ववकिोररया झील- ववषव
ु त रे खा पर स्थित है । इस झील से श्वेत-नील
नदी तनकलती है तिा उत्तर की तरफ प्रवाहहत होती है भम
ू ध्य सागर में
शमल जाती है । ववकिोररया झील तीन दे श तंजातनया, यग
ु ांडा एवं कीतनया
से सीमा बनाती है
3. तांगान्यीका झील- ववकिोररया झील के दक्षक्ण में स्थित है है । कुल 4
दे शों तंजातनया, बुरूण्डी, कांगो, जास्म्बया से सीमा बनाती हैं।
4. मलावी झील- िं गस्न्यका के दक्षक्ण में स्थित है । कुल 3 दे शों तंजातनया
मलावी एवं मोजास्म्बक से सीमा बनाती है ।
5. तुकाधन झील- केन्या में स्थित है ।
6. ताना झील- इधियोवपया में स्थित है ।
▪ मख्
ु य नील नदी दो नहदयों नीला-नील नदी एवं श्वेत-नील नदी के शमलन से
बनती है । एवं नील नदी 4 दे शों से प्रवाहहत होती है -
1.
1. युगांडा
2. दक्षक्ण सूडान
3. सड
ू ान
4. शमथत्र
1.
1. वप्रिोररया- प्रशासतनक
2. केपिाउन- वैर्ातनक राजर्ानी
▪ ववषव
ु त वत
ृ पर सदाबहार वक्
ृ पाये जाते है । िोडा सा उत्तर या दक्षक्ण में बढ़ने
पर सवाना जलवायु पायी जाती है । उत्तर वाली सवाना जलवायु को सड
ू ान तुल्य
जलवायु की कहते है । मोिी किीली और किोर घास इस जलवायु की ववशेषता
है ।
▪ सवाना जलवायु के और उत्तर और दक्षक्ण में बढ़ने पर मरुथिलीय जलवायु
पायी जाती है –
1.
1. उत्तरी मरुथिल – सहारा मरूथिल-ऊठ
2. दक्षक्णी मरुथिल -कालाहारी – शतुरमग
ु ध
▪ दक्षक्ण अफ़्रीका में शीतोष्ण जलवायु पायी जाती है । इसे प्रेयरी जलवायु भी कहा
जाता है । थिानीय भाषा में “वैल्ड” कहते है । लम्बी और मल
ु ायम घास इस
जलवायु की ववशेषता है । मकके की अच्छी फसल उगायी जाती है स्जस कारण
इसे मकका बत्रभुज कहा जाता है ये क्ेत्र रेकेन्सबगध पवधत से तघरा है । औरें ज एवं
शलंपोपो नहदयों की सहायक नहदयां इस क्ेत्र को सींचती हैं।
▪ अफ़्रीका प्रमख
ु रूप से पठारी है इसशलए यहां पर ज्यादा पवधत नहीं पाये जाते।
अफ्रीका की दो मख्
ु य पवधत श्ंख
ृ लाओ का वववरण तनम्नवत हैं-
1.
1. रेकेन्सबगध पवधत- दक्षक्ण अफ़्रीका में है ।
2. एिलस पवधत- अल्जीररया एवं मोरकको में है ।
▪ एिलस पवधत की सबसे ऊंची चोिी माउं ि िूबकल अल्जीररया में स्थित है।
परन्तु परू े अफ्रीका की सबसे ऊंची चोिी “माउं ि ककलमंजारो” जोकक तंजातनया में
स्थित एक ज्वालामुखी पवधत है ।
▪ माउं ि कैमरून अफ़्रीका का एक सिीय ज्वालामुखी है जोकक पस्श्चमी अफ्रीका के
दे श कैमरून में स्थित है ।
1.
1. अबीसीतनया का पठार- हानध ऑफ अफ्रीका में है । तीन दे श आते है ।
इसके सोमाशलया, इधियोवपया, स्जबत
ू ी।
2. कतांगा का पठार- कांगो गणराज्य में है , यहां से कांगो नदी तनकलती है ,
इसी पठार में हीरे का सबसे अधर्क अनम
ु ातनत भंडार है । तांबे का भंडार
भी है ।
3. मालागासी का पठार- मैडागाथकर द्वीप पर हहंद महासागर का सबसे
बडा द्वीप है ।
ऑस्रे सलया का भग
ू ़ोल
▪ ऑथरे शलया का भूगोल :- ऑथरे शलया को द्वीपीय महाद्वीप भी कहा जाता
है । ऑथरे शलया के पूवी ति पर ग्रेि डडवाइडडंग पवधत फैला है । इस पवधत माला
को ऑथरे शलयाई आल्प्स भी कहा जाता है ये ववश्व में चौिी सबसे बडी पवधत
श्ेणी है।इस पवधत श्ेणी से 2 नहदयां “मरे ” एवं “डाशलंग” तनकलती हैं। आगे
चलकर ये दोनों नहदयााँ शमल जाती है और संयुकत रूप से “मरे डाशलंग” नदी
कहलाती है और आगे जाकर एडडलेड के पास दक्षक्णी महासागर में धगर जाती
है ।
▪ “मरे डाशलंग” नदी की उपजाऊ घािी को रे वरे रना नाम से जाना जाता है । यहां
पर गेहूं की खेती की जाती है ।
▪ ऑथरे शलया के पूवी ति पर ही सभी प्रमुख शहर बसे है ।
▪ ऑथरे शलया की राजर्ानी कैनबरा मख्
ु य भूशम पर स्थित है ।
▪ ऑथरे शलया महाद्वीप का पस्श्चमी हहथसा काफी सूखा है । स्जस कारण से यहां
कई मरुथिल पाये जाते है । मख्
ु य मरुथिलों का वववरण तनम्नवत है -
1.
▪ ग्रेि डडवाइडडंग रें ज एवं ग्रेि ववकिोररया डैथिध के बीच का भाग नीचे बैठा हुआ है
ये मध्यवती बेशसन नाम से जाना जाता है । यहां पर कुआं खोद कर खेती की
जाती है । तिा इस प्रकार के कुओं को “उत्स्रुत कूप” कहा जाता है । भूशम के
नीचे होने के कारण यहां पानी अपने आप तनकल आता है ।
▪ आयरे झील मध्यवती बेशसन में ऑथरे शलया का सबसे गहरा भाग है । इसके
आस पास के क्ेत्र को डाउन्स लैंड कहा जाता है । यहां पर शीतोष्ण घास के
मैदान भी पाया जाते है । स्जन्हे डाउन्स कहा जाता है ।
▪ ऑथरे शलया में किसमस पवध के समय गमी का मौसम होता है ।
▪ ऑथरे शलया के पूवी भाग को तीन प्रमख
ु राज्यों में बााँिा गया है -
1.
1. कवीन्सलैण्ड राज्य (उत्तरी)
2. न्यू साउि वेल्स (मध्य)
3. ववकिोररया (दक्षक्ण)
▪ न्यू साउि वेल्स राज्य में शीतोष्ण जल वायु पायी जाती है । शीतोष्ण जलवायु
को प्रेयरी जलवायु भी कहा जाता है । ऑथरे शलया में इसे डाउन्स कहा जाता है ।
▪ ग्रेि ववकिोररया रे धगथतान के दक्षक्णी क्ेत्र में सोने की 2 खाने है -
1.
1. कालगल
ु ी की खान
2. कूलगाडी की खान
पिध→कूलगाडी→कालगल
ु ी→ब्रोकन हहल→शसडनी।
1.
1. आनेहेम लैण्ड का पठार
2. ककम्बरले का पठार -इस नाम का एक पठार एवं खान दक्षक्ण अफ्रीका में
भी है ।
विश्ि की प्रमख
ु नहदयाँ
1. जमधनी
▪ जमधनी में 3 प्रमुख नहदयााँ उत्तर की ओर प्रवाहहत होती है । तीनों ही उत्तरी सागर
में धगरती हैं –
i. राइन नदी
▪ जमधनी के ब्लैक फॉरे थि पवधत से तनकलती है । ब्लैक फॉरे थि पवधत एवं वासजेस
पवधत के बीच से बहती है । कफर नीदरलैंड में प्रवेश करके उत्तरी सागर में धगर
जाती है । जहां पर ये नदी नीदरलैंड में उत्तरी सागर में प्रवेश करती वहीं पर
रॉिडधम बंदरगाह है जोकक पूरे यूरोप का सबसे बडा एवं व्यथत बंदरगाह है । यही
से राइन नदी पर आंतररक जल पररवहन भी होता है ।
▪ राइन नदी को कोयला नदी भी कहते है ।
▪ राइन नदी की सहायक रूर नदी, को बेशसन में कोयले का बडा भण्डार है । रूर
बेशसन या रूर प्रदे श को “जमधनी का काला प्रदे श” और “यरू ोप का औद्योधगक
हृदय” नामों से भी जाना जाता है ।
2. फ्रांस
▪ सीन नदी – फ्रांस की राजर्ानी पेररस इसी नदी के ककनारे है । ये नदी इंस्ग्लश
चैनल में धगरती है ।
3. इिली
▪ प़ो नदी – ऐल्प्स पवधत से तनकलती है तिा इिली के पवध में एडरयाहिक सागर
में धगरती है । पो नदी की घािी मैदानी क्ेत्र है तिा इसे लोम्बाडी का मैदान
कहा जाता है । लोम्बाडी का मैदान पूरे यरू ोप में सबसे अधर्क चावल उत्पादन
वाला क्ेत्र है ।
▪ टाइबर नदी – इिली की राजर्ानी रोम िाइबर नदी के ककनारे बसा है ।
4. रूस
1.
1. ि़ोल्गा नदी – यरू ोप की सबसे लम्बी नदी। वोल्गाई पवधत से तनकलती है
तिा अंततः कैस्थपयन सागर में धगरती है । वोल्गोग्राद नामक एक प्रमुख
शहर इसके ककनारे बसा है । इस नदी घािी में तेल पाया जाता है तिा
वोल्गोग्राद शहर में तेल शोर्न होता है ।
2. यूराल नदी – ये नदी यरू ाल पवधत से तनकलती है तिा कैस्थपयन सागर में
धगरती है ।
3. डॉन नदी – ये नदी रूस से तनकलकर काला सागर में धगर जाती है ।
5. इराक
6. मंगोशलया
▪ आमूर नदी – आमरू नदी मंगोशलया से तनकलती है तिा रूस चीन का बाडधर
बनाते हुए आगे बढ़ती है ।
7. चीन की नहदयााँ
▪ ह्िांगि़ो नदी – ततब्बत के पठार से तनकलकर “बो हाई की खाडी” में धगरती है ।
इसे पीली नदी भी कहा जाता है कयोंकक ये लोयस के मैदान से होकर गज
ु रती
है तिा यहां पर पीली शमट्िी पाया जाता है ।
▪ यांग्त्सी नदी – ततब्बत के पठार से तनकलकर चीन के पव
ू ध में पीला सागर में
धगर जाती है । यांग्त्सी नदी एशशया की सबसे लम्बी नदी है ।
▪ समकांग नदी – ततब्बत के पठार से तनकलती है तिा दक्षक्ण-पव
ू ध एशशया के पांच
दे श म्यांमार, िाईलैंड, लाओस, कम्बोडडया, ववयतनाम से होकर बहती है । इस
नदी को दक्षक्ण पव
ू ी एशशया की गंगा भी कहा जाता है । अंततः दक्षक्ण चीन
सागर में धगरती है ।
8. म्यांमार की नदी
▪ इरािदी नदी – म्यांमार में हहमालय पवधत को अराकानयोमा पवधत कहा जाता है ।
यहीं से इरावदी नदी तनकलती है तिा मतधबान की खाडी में धगर जाती है । इसे
म्यांमार की जीवन रे खा भी कहा जाता है ।
9. श्ीलंका
मिासागरीय जलधाराएं
▪ महासागरीय जलर्ाराएं, महासागरों में नहदयों के समान होते हैं तिा एक
तनस्श्चत हदशा में गतत करती है । जलर्ाराएं महासागर में अपनी स्थितत के
अनस
ु ार गमध अिवा ठं डी हो सकती है ।
▪ ये जलर्ाराएं अपने साि एक बडी मात्रा में जल प्रवाह करती हैं। स्जससे इनके
तनकि पडने वाले थिानों के वातावरण पर प्रभाव पढ़ता है ।
▪ महासागरीय जलर्ाराओं के बनने के तीन प्रमख
ु कारण है -
1.
1. पथ्
र िी का घूणन
व - पथ्
ृ वी पस्श्चम से पूवध की ओर गतत करती है स्जससे
महासागरीय जल इसके ववपरीत हदशा में यातन पूवध से पस्श्चम हदशा में
बल महसस
ू करता है । इस बल के कारण ववषव
ु तीय र्ाराएं(वे जल र्ाराएं
जो ववषव
ु त रे खा से 10° उत्तर या 10° दक्षक्ण में बनती हैं) का जन्म
होता है । ये जल र्ाराएं कोररयाशलस बल के कारण उत्तरी गोलार्ध में
अपने दाएं और दक्षक्णी गोलार्ध में बाएं की ओर मुड जाती है ।
2. समद्र
ु ी ििाओं के कारण- समर
ु ी सतह पर चलने वाली हवाएं अपने साि
ऊपरी सतह के जल को भी गतत दे ते हुए चलती हैं।
3. तापमान में सभन्नता के कारण- ववषव
ु त रे खा पर वषध भर सय
ू ध की सीर्ी
ककरणें पढ़ती है स्जस कारण यहां महासागरीय जल गरम होकर ध्रव
ु ों की
तरफ बहने लगता है और इसकी जगह लेने के शलए ध्रव
ु ों से ठं डा
महासागरीय जल आ जाता है । इसी के पररणामथवरूप जलर्ाराएं गतत
करने लगती है ।
1.
1. गमध जल र्ारा- ये जलर्ाराएं ववषव
ु त रे खीय क्ेत्रों से ध्रव
ु ों की तरफ
चलती हैं, इन जलर्ाराओं का पानी गरम होता है । अतः ये जलर्ाराएं
अपने पास पडने वाले क्ेत्रों का तापमान बढ़ा दे ती है ।
2. ठं डी जल र्ारा- जो जलर्ाराएं ध्रव
ु ीय क्ेत्रों से ववषव
ु त रे खीय क्ेत्रों की
तरफ चलती हैं तिा इनका पानी ठं डा होता है । अतः ये जलर्ाराएं अपने
पास पडने वाले क्ेत्रों का तापमान घिा दे ती है ।
▪ प्रमख
ु जलधाराओं का वििरण ननम्नित िैं-
1 उत्तरी ववषव
ु त जलर्ारा प्रशांत महासागर गमध
11 उत्तरी ववषव
ु त जलर्ारा अिलांहिक महासागर गमध
19 बेंगए
ु ला जलर्ारा अिलांहिक महासागर ठं डी