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भारत के भूगोल का पररचय

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बिहार 7th फे ज वाले सभी छात्रों के बलए मैंने (लोके श सर )


ये नोट्स िहुत चुन चुन कर तैयार बकये हैं
सभी से मेरी उम्मीद रहेगी आप सभी इन नोट्स को बरिंट करा
कर पढोगे !
धन्यवाद

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भारत का भूगोल

▪ भारत की स्थितत उत्तरी गोलार्ध एवं पव


ू ी दे शांतर में है ।
▪ भारत की आकृतत चतष्ु कोणीय है ।

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▪ भारत का अक्ांशीय ववथतार 8°4′ से 37°6′ उत्तरी गोलार्ध में है ।


▪ दे शांतरीय ववथतार 68°7′ से 97°25′ पव
ू ी दे शांतर में है ।
▪ भारत का ववश्व में क्ेत्रफल की दृस्ष्ि से सातवां एवं जनसंख्या की दृस्ष्ि से
दस
ू रा थिान है ।

दे श का नाम
विश्ि में स्थान
क्षेत्रफल के अनुसार जनसंख्या के अनस
ु ार

प्रिम रूस चीन

द्ववतीय कनाडा भारत

तत
ृ ीय चीन यू० एस० ए०

चति
ु ध यू० एस० ए० इंडोनेशशया

पंचम ब्राजील ब्राजील

षष्ठ ऑथरे शलया पाककथतान

सप्तम भारत नाईजीररया

अष्िम अरजनिीना बांग्लादे श

▪ भारत का कुल क्ेत्रफल 32,87,263 वगध कक०मी० है , जोकक ववश्व के कुल


क्ेत्रफल का 2.42% है।
▪ भारत में ववश्व की कुल जनसंख्या का 17.5% हहथसा तनवास करता है ।
▪ उत्तर से दक्षक्ण ववथतार 3214 कक०मी० है और पूवध से पस्श्चम में ववथतार
2933 कक०मी० है ।
▪ भारत का सबसे पूवी बबंद ु अरुणाचल प्रदे श में वलांगु (ककबबिू) है ।

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▪ सबसे पस्श्चमी बबंद ु गज


ु रात में सकिय (कच्छ स्जला) में है ।
▪ सबसे उत्तरी बबन्द ु इस्न्दरा कॉल है , जो कक केन्र शाशसत प्रदे श लेह में स्थित है

▪ सबसे दक्षक्णतम बबन्द ु इस्न्दरा पाइंि है, इंहदरा पॉइंि को पहले वपग्मेशलयन
पॉइंि और पासधन्स पॉइंि के नाम से जाना जाता िा। इस्न्दरा पाइंि तनकोबार
द्वीप समूह में स्थित है । इसकी भूमध्य रे खा से दरू ी 876 कक०मी० है ।
▪ प्रायद्वीपीय भारत का सबसे दक्षक्णी भाग तशमलनाडु में “केप कोमोररन”
(कन्याकुमारी) में स्थित है ।
▪ भारत की थिल सीमा की लम्बाई 15200 कक०मी० है ।
▪ तिीय भाग की लम्बाई है 7516 कक०मी० (द्वीप समह
ू शमलाकर)। केवल
भारतीय प्रायद्वीप की तिीय सीमा 6100 कक०मी० है ।
▪ भारतीय मानक समय रे खा 82°30′ पूवी दे शांतर पर है । मानक समय रे खा 5
राज्यों से होकर गज
ु रती है ।
▪ उत्तर प्रदे श (शमजाधपुर)
▪ छत्तीसगढ़
▪ मध्य प्रदे श
▪ आंध्र प्रदे श
▪ ओडडशा
▪ भारतीय मानक समय और ग्रीनववच समय के बीच अंतर 5.30 घण्िे का है ।
भारतीय समय ग्रीनववच समय से आगे चलता है ।
▪ सवाधधर्क राज्यों की सीमा को छूने वाला भारतीय राज्य उत्तर प्रदे श है । उत्तर
प्रदे श कुल 9 राज्यों से सीमा बनाता है ।
▪ उत्तराखण्ड
▪ हररयाणा
▪ हदल्ली
▪ हहमाचल प्रदे श
▪ राजथिान
▪ मध्य प्रदे श

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▪ छत्तीसगढ़
▪ झारखण्ड
▪ बबहार

▪ भारत के कुल 9 राज्य एवं 4 केन्र शाशसत प्रदे श समर


ु ी ति से लगे हुए हैं।
▪ राज्य

▪ गुजरात
▪ महाराष्र
▪ गोवा
▪ कनाधिक
▪ केरला
▪ तशमलनाडु
▪ आन्ध्र प्रदे श
▪ उडीसा
▪ पस्श्चम बंगाल
▪ केन्र शाशसत प्रदे श
▪ लक्द्वीप
▪ अण्डमान तनकोबार
▪ दमन और दीव
▪ पुदच्
ु चेरी (पांडडचेरी)

▪ हहमालय को छूने वाले 11 राज्य व 2 केन्र शाशसत प्रदे श हैं।


▪ राज्य
▪ हहमाचल प्रदे श
▪ उत्तराखण्ड
▪ शसस्ककम
▪ अरुणाचल प्रदे श
▪ नागालैंड

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▪ मणणपरु
▪ शमजोरम
▪ बत्रपुरा
▪ मेघालय
▪ असम
▪ पस्श्चम बंगाल
▪ केन्र शाशसत प्रदे श
▪ जम्मू कश्मीर
▪ लेह

▪ भारत के 8 राज्यों से होकर ककध रे खा गुजरती है ।


▪ गज
ु रात
▪ राजथिान
▪ मध्य प्रदे श
▪ छत्तीसगढ़
▪ झारखण्ड
▪ पस्श्चम बंगाल
▪ बत्रपरु ा
▪ शमजोरम

▪ भारत का सवाधधर्क नगरीकृत राज्य गोवा है।


▪ भारत का सबसे कम नगरीकृत राज्य हहमाचल प्रदे श है ।
▪ भारत का मध्य प्रदे श सबसे अधर्क वन वाला राज्य है ।
▪ भारत का हररयाणा सबसे कम वन वाला राज्य है ।
▪ भारत का मौशसनराम (मेघालय) में सबसे अधर्क वषाध होती है ।
▪ भारत के केन्र शाशसत प्रदे श लेह में सबसे कम वषाध होती है ।
▪ अरावली पवधत सबसे प्राचीन पवधत श्ंख
ृ ला है।
▪ हहमालय पवधत सबसे नवीन पवधत श्ंख
ृ ला है ।

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भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं एिं


पड़ोसी दे श
▪ भारत की कुल 15200 कक०मी० सीमा रे खा 92 स्जलों और 17 राज्यों से होकर
गुजरती है ।
▪ भारत की तिीय सीमा 7516 कक०मी० है जोकक 9 राज्यों और 4 केन्र शाशसत
प्रदे शों को थपशध करती है । केवल प्रायद्वीप भारत की तिीय सीमा रे खा 6100
कक०मी० है ।
▪ भारत के मात्र 5 राज्य ऐसे है जो ककसी भी अंतराधष्रीय सीमा रे खा और ति
रे खा को थपशध नहीं करते हैं –
▪ हररयाणा
▪ मध्य प्रदे श
▪ झारखण्ड
▪ छत्तीसगढ़

▪ तेलग
ं ाना

▪ भारतीय राज्यों में गुजरात की ति रे खा सवाधधर्क लंबी है। इसके बाद आंध्र
प्रदे श की ति रे खा है ।
▪ बत्रपुरा तीन तरफ से बांग्लादे श से तघरा राज्य है ।
▪ भारत के 7 पडोसी दे श भारत की िल सीमा को थपशध करते हैं –
▪ पाककथतान
▪ चीन
▪ नेपाल
▪ बांग्लादे श
▪ भूिान

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▪ म्यांमार
▪ अफगातनथतान

▪ भारत की सबसे लंबी अंतराधष्रीय सीमा बांग्लादे श के साि लगती है ।


▪ भारत सबसे छोिी अंतराधष्रीय सीमा रे खा अफगातनथतान के साि साझा करता
है जोकक केवल 106 कक०मी० है ।
▪ भारत के 2 पडोसी दे श जो भारत की तिीय सीमा के साि जड
ु े हुए है ।
▪ श्ीलंका

▪ मालद्वीप

▪ ऐसे दे श जो िल एवं जल दोनों सीमा बनाते है ।


▪ पाककथतान
▪ बांग्लादे श
▪ म्यांमार

▪ पाककथतान के साि भारत के 3 राज्य एवं 2 केन्र शाशसत प्रदे श सीमा साझा
करते हैं –
▪ राज्य
▪ पंजाब
▪ राजथिान
▪ गुजरात
▪ केन्र शाशसत प्रदे श
▪ जम्मू कश्मीर

▪ लेह

▪ चीन के साि भारत के 4 राज्य एवं 2 केन्र शाशसत प्रदे श सीमा साझा करते हैं

▪ राज्य

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▪ हहमाचल प्रदे श
▪ उत्तराखण्ड
▪ शसस्ककम
▪ अरुणाचल प्रदे श
▪ केन्र शाशसत प्रदे श
▪ लेह

▪ नेपाल के साि भारत के 5 राज्य सीमा साझा करते हैं –


▪ उत्तराखण्ड
▪ उत्तर प्रदे श

▪ बबहार
▪ शसस्ककम
▪ पस्श्चम बंगाल

▪ भूिान के साि भारत के 4 राज्य सीमा साझा करते हैं –


▪ पस्श्चम बंगाल
▪ शसस्ककम
▪ अरुणाचल प्रदे श
▪ असम

▪ म्यांमार के साि भारत के 4 राज्य सीमा साझा करते हैं –


▪ अरुणाचल प्रदे श
▪ नागालैण्ड
▪ मणणपरु
▪ शमजोरम

▪ अफगातनथतान के साि भारत का एक केन्र शाशसत प्रदे श सीमा बनाता है –


(केवल 80 कक० मी०)

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▪ लद्दाख

▪ पाक जलडमरूमध्य और मन्नार की खाडी श्ीलंका को भारत से अलग करती


है । पाक जलडमरूमध्य को पाक जल संधर् के नाम से भी जाना जाता है ।
▪ मैकमोहन रे खा भारत और चीन के बीच में स्थित है। यह रे खा 1914 में
शशमला समझौते में तनर्ाधररत की गयी िी।
▪ 1886 में सर डूरण्ड द्वारा भारत और अफगातनथतान के बीच में डूरण्ड रे खा
थिावपत की गई िी। परन्तु यह रे खा अब अफगातनथतान एवं पाककथतान के
मध्य है ।
▪ भारत और पाककथतान के बीच रे डस्कलफ रे खा है । रे डस्कलफ रे खा का तनर्ाधरण
15 अगथत, 1947 को सर शसररल रै डस्कलफ़ की अध्यक्ता में सीमा आयोग द्वारा
ककया गया िा।

गंगा नदी तंत्र


गंगा नदी

▪ भागीरिी नदी गंगोत्री हहमनद से गोमख


ु नाम के थिान से तनकलती है ।
▪ अलकनंदा नदी बरीनाि के पास सतोपंि ग्लेशशयर से तनकलती है ।
▪ दे व प्रयाग में अलकनंदा और भागीरिी नदी शमलती है और वहां से गंगा नदी
के नाम से जानी जाती है ।
▪ दे व प्रयाग से पहले अलकनंदा नदी में पंचप्रयागों (सभी उत्तराखण्ड में) में
अलग-अलग नहदयां शमलती हैं ।
▪ ववष्णु प्रयाग में – अलकनंदा + र्ौलीगंगा
▪ नन्द प्रयाग में – अलकनंदा + नंदाककनी
▪ कणध प्रयाग में – अलकनंदा + वपण्डर
▪ रूर प्रयाग में – अलकनंदा + मंदाककनी
▪ दे व प्रयाग में – अलकनंदा + भागीरिी

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▪ यमन
ु ोत्री हहमनद से गंगा नदी की सबसे बडी सहायक नदी यमन
ु ा तनकलती है ।
जोकक इलाहाबाद में प्रयाग में जाकर गंगा में शमलती है ।
गंगा भारत की सबसे लम्बी नदी है ।
▪ कानपरु , बनारस, पिना तिा हररद्वार गंगा नदी के ककनारे बसे हैं ।
▪ गंगा नदी सबसे पहले हररद्वार में मैदानी क्ेत्र में आती है ।
▪ पस्श्चम बंगाल में गंगा नदी 2 भागों में बि जाती है । एक भाग को हुगली नदी
के नाम से जाना जाता है । हुगली नदी आगे बढ़ कर बंगाल की खाडी में धगर
जाती है । इसी नदी के ककनारे कलकत्ता शहर बसा है ।
▪ दस
ु रा भाग बांग्लादे श में प्रवेश कर जाता है और वहां इसे पद्मा के नाम से
जाना जाता है ।
▪ वहीं दस
ू री तरफ से ब्रह्मपुत्र नदी भी बांग्लादे श में प्रवेश करती है और यहां इसे
जमन
ु ा नाम से जाना जाता है ।
▪ ये दोनों बडी नहदयां पद्मा(गंगा) एवं जमन
ु ा(ब्रह्मपत्र
ु का बांग्लादे श में नाम)
बांग्लादे श में शमल जाती है और शमलने के बाद इसे पद्मा नदी ही कहा जाता
है ।
▪ बांग्लादे श में ही मेघना नदी पद्मा नदी में चांदपरु स्जला(बांग्लादे श) में शमलती
है और इसके आगे इस नदी को मेघना नदी के नाम से जाना जाता है ।
अंततः ये बंगाल की खाडी में धगर जाती है । यहीं पर ये ववश्व का सबसे बडा
नदी डेल्िा बनाती है स्जसे सद
ंु रवन डेल्िा कहा जाता है ।
▪ गंगा नदी भारत में 5 राज्यों से होकर गुजरती है –
▪ उत्तराखण्ड (उद्गम थिल)
▪ उत्तर प्रदे श (सबसे अधर्क लम्बाई)
▪ बबहार
▪ झारखण्ड (सबसे कम लम्बाई)
▪ पस्श्चम बंगाल

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गंगा की सहायक नहदयां

▪ गंगा की सहायक नहदयों को दो भागों में बािा जा सकता है ।


▪ दांयी ओर से शमलने वाली सहायक नहदयां ।
▪ बांयी ओर से शमलने वाली सहायक नहदयां ।

दांयी ओर से गंगा में शमलने वाली सहायक नहदयां

▪ यमुना, चम्बल, बेतवा, केन, िोंस एवं सोन नदी गंगा की दांयी ओर से शमलने
वाली सहायक नहदयााँ हैं ।

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▪ दांयी ओर से शमलने वाली सहायक नहदयों में केवल यमन


ु ा ही एक ऐसी नदी है
जोकक हहमालय से आती है । बाकी सभी सहायक नहदयां प्रायद्वीप पठार से
आती हैं ।
▪ यमन
ु ा ही सबसे बडी सहायक नदी भी है ।
▪ हदल्ली तिा आगरा यमन
ु ा नदी के ककनारे बसे हैं ।
▪ चम्बल, बेतवा एवं केन सीर्े गंगा में न शमलकर पहले यमन
ु ा में शमलती है और
कफर यमन
ु ा गंगा नदी में शमल जाती है ।
▪ इिावा (उत्तर प्रदे श) – यमुना + चम्बल
▪ हमीरपुर (उत्तर प्रदे श) – यमन
ु ा + बेतवा
▪ बााँदा (उत्तर प्रदे श) – यमन
ु ा + केन
▪ प्रयागराज (संगम) (पव
ू ध नाम इलाहाबाद) – यमुना + गंगा
▪ िोंस एवं सोन नदी सीर्े गंगा नदी में शमल जाती हैं ।

बांयी ओर से गंगा में शमलने वाली सहायक नहदयां

▪ रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी तिा महानन्दा सभी गंगा में बांयी ओर से
शमलने वाली सहायक नहदयां हैं ।
▪ गोमती नदी – लखनऊ (उत्तर प्रदे श) गोमती नदी के ककनारे बसा हुआ है ।
जौनपुर (उत्तर प्रदे श) भी गोमती नदी के ककनारे बसा है । बनारस के आगे गंगा
में शमल जाती है ।
▪ महानन्दा नदी- ये सबसे पव
ू ी सहायक नदी है । दास्जधशलंग की पहाडडयों से
होकर आती है ।
▪ नेपाल से आने वाली नहदयााँ ।
▪ घाघरा नदी- पिना से िोडा पहले गंगा में शमल जाती है ।
▪ गंडक नदी- उद्गम नेपाल में होता है । ये नदी बत्रशल
ू गंगा तिा काली
गंडक के शमलन से बनती है । इसे नेपाल के पहाडी क्ेत्र में शाशलग्राम
कहते है और जब ये नेपाल के मैदानी क्ेत्र में आ जाती है तब इसे
नारायणी नदी कहा जाता है ।

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▪ कोसी- इस नदी को बबहार का शोक भी कहा जाता है । कयोंकक ये हर


वषध बबहार में बाड का मख्
ु य कारण बनती है ।

ब्रह्मपत्र
ु नदी तंत्र
▪ भारत का नदी तंत्र 2 भागों में बााँिा गया है –
▪ हहमालयन नदी तंत्र
▪ प्रायद्वीप नदी तंत्र
▪ ब्रह्मपत्र
ु हहमालयन नदी तंत्र का भाग है ।
▪ ब्रह्मपत्र
ु का उद्गम ततब्बत से होता है । मानसरोवर झील के पास चेमायुंग दं ग

ग्लेशशयर से तनकलती है ।
▪ ब्रह्मपत्र
ु की कुल लम्बाई 2900 कक० मी०है । इस नदी का अधर्कांश भाग चीन
में प्रवाहहत होता है ।
▪ चीन में इसका नाम यालंग सांगपो (यालंग त्संग्पो) है ।
▪ भारत में ये अरूणांचल प्रदे श में प्रवेश करती है ।
▪ नमचा बरवा नामक पहाडी चोिी के कारण इसको यू-िनध या घम
ू कर
आना पडता है ।
▪ अरूणांचल प्रदे श में इसे हदहांग नाम से जाना जाता है ।
▪ दीबांग और लेहहद नदी इसकी सहायक नहदयााँ अरूणांचल प्रदे श में
शमलती है।
▪ यहीं पर माजल
ु ी द्वीप बनाता है , ववश्व का सबसे बडा नदी द्वीप है ।
▪ आगे चलकर ये नदी असम में प्रवेश करती है और यहां इसे ब्रह्मपुत्र नाम से
जाना जाता है।
▪ गोवाहािी, तेजपरु और डडब्रग
ू ढ़, ब्रह्मपत्र
ु नदी के ति पर है ।
▪ सुबनशसरी नदी असम में इसमें शमलती है ।
▪ मानस नदी भी इसमें असम में ही शमलती है।
▪ ब्रह्मपत्र
ु नदी के अलग-अलग राज्य के नाम अग्रशलणखत हैं-

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▪ चीन में- यालंग सांगपो (यालंग त्संग्पो)


▪ अरूणांचल प्रदे श- हदहांग (डीह भी कहा जाता है )
▪ असम- ब्रह्मपुत्र
▪ बांग्लादे श- जमन
ु ा नाम से
▪ आगे चलकर ये नदी बांग्लादे श में प्रवेश करती है ।
▪ बांग्लादे श में ब्रह्मपुत्र नदी को जमन
ु ा नाम से जाना जाता है ।
▪ ब्रह्मपत्र
ु की अन्य सहायक नहदयााँ है -
▪ पग्लाहदया (पगलादीया)
▪ र्नशसरी
▪ स्जया भरे ली
▪ पुिीमारी
▪ र्नश्ी
▪ सब
ु ानशसरी
▪ मानस

ससन्धु नदी तंत्र


▪ शसंर्ु नदी ततब्बत के मानसरोवर के तनकि सानोख्याबाब (शसन-का-बाब)
ग्लेशशयर से तनकलती है ।
▪ भारत में केन्र शाशसत प्रदे श लेह में प्रवेश करती है । कफर पाककथतान में तिा
वहां से अरब सागर में धगर जाती है ।
▪ शसंर्ु नदी की पांच महत्वपूणध सहायक नहदयां हैं-
▪ झेलम- झेलम नदी लेह से बेरीनाग के पास शेषनाग झील से तनकलती
है । आगे जाकर धचनाब नदी में शमल जाती है।
▪ धचनांब- धचनाब नदी का उद्गम हहमाचल प्रदे श से होता है ।
▪ रावी नदी- हहमाचल प्रदे श से तनकलती है तिा पाककथतान में जाकर
धचनाब नदी में शमल जाती है ।

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▪ व्यास नदी- उद्गम और ववलय दोनों भारत में ही होता है । हहमाचल


प्रदे श से तनकलती है , तिा पंजाब में कपूरिला (हरीके) में सतलज नदी
में शमल जाती है ।
▪ सतलज
ु नदी- ततब्बत में मानसरोवर के तनकि राकसताल हहमनद से
तनकलती है । भारत में हहमाचल प्रदे श में प्रवेश करती है जबकक शसंर्ु
नदी लेह में प्रवेश करती है । सतलुज में पंजाब में व्यास नदी शमल जाती
है । आगे चलकर पाककथतान में ये धचनाब नदी से शमलती है । स्जसमें
पहले ही झेलम और रावी शमल चुकी है । अंततः सतलुज नदी, शसंर्ु नदी
में शमल जाती है और इसे पंचनद भी कहा जाता है ।
▪ शसंर्ु नदी की सहायक नहदयों का उत्तर से दक्षक्ण की तरफ का िम –
▪ झेलम
▪ धचनाब
▪ रावी
▪ व्यास
▪ सतलुज
▪ शसंर्ु नदी तंत्र में 2 नहदयां ततब्बत से आती है –
▪ शसंर्ु नदी
▪ सतलुज नदी
▪ शसंर्ु व सतलज
ु दोनों ही नहदयां मानसरोवर के तनकि से तनकलती है परन्तु
ग्लेशशयर अलग-अलग है ।
▪ शसंर्ु नदी- सानोख्याबाब (शसन-का-बाब) हहमनद
▪ सतलज
ु नदी- राकसताल हहमनद
▪ धचनाब, रावी और व्यास हहमाचल प्रदे श से तनकलती है ।
▪ धचनाब – बारालाचला दराध के पास से
▪ रावी – कांगडा स्जले में रोहतांग दरे के पास से
▪ व्यास – रोहतांग दरे के पास व्यास कंु ड से
▪ पांचों नहदयां जाकर शसंर्ु नदी में पाककथतान के पठानकोि में शमल जाती है ।
▪ लेह नामक शहर शसंर्ु नदी के ककनारे बसा है ।

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▪ शसंर्ु नदी जाथकर (जंथकार) एवं लद्दाख की पहाडडयों के बीच से बहती है ।


▪ श्ीनगर झेलम नदी के ककनारे बसा है ।
▪ सतलुज नदी हहमाचल प्रदे श में शशपककला दरे के समीप से प्रवेश करती है ।
▪ इन नहदयों को लेकर भारत-पाककथतान में 1960 में शसंर्ु जल समझौता
सम्झौता (Indus River Treaty) हुआ िा स्जसके अनस
ु ार भारत केवल –
▪ शसंर्,ु धचनाब और झेलम का मात्र 20% जल ही इथतेमाल करे गा। परन्तु
राथता प्रभाववत या अवरुद्र् नहीं कर सकता।
▪ रावी, सतलुज और व्यास का 80% जल इथतेमाल कर सकते है तिा
इनका राथता भी प्रभाववत कर सकता है ।

भारत के प्रमख
ु दरे
दराध’ ककसे कहते हैं?

पहाडों के बीच की जगह को दराध (Pass) कहा जाता है । या कहें कक पवधतों एवं पहाडों
के मध्य पाए जाने वाले आवागमन के प्राकृततक मागों को दराध कहा जाता है । ये वे
प्राकृततक मागध हैं स्जनसे होकर पहाडों को पार ककया जाता है ।

▪ मख्
ु यतः भारत के 7 राज्यों और 1 केंर शाशसत प्रदे श में स्थित दरों का वववरण
तनम्नवत है –

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भारत में पाये जाने वाले दरों को दो भागों में बााँिा जा


सकता है -

▪ हिमालय के पिवतीय राज्यों एिं केंद्र शाससत प्रदे श में पाये जाने िाले दरे –
▪ केंर शाशसत प्रदे श – जम्मू कश्मीर
▪ राज्य – हहमाचल प्रदे श, उत्तराखण्ड, शसस्ककम, अरुणाचल प्रदे श, मणणपुर।
▪ प्रायद्िीप भारत के राज्यों में पाये जाने िाले दरे –
▪ राज्य – महाराष्र, केरल।

जम्मू कश्मीर

यहां पर पांच महत्वपण


ू ध दरे हैं –

काराकोरम दराध

▪ भारत का सबसे ऊाँचा दराध है।


▪ समर
ु तल से ऊंचाई 5654 मी० है ।
▪ काराकोरम पवधत श्ेणी में आता है ।
▪ ये पाक के कब्जे वाले कश्मीर और चीन को जोडता है ।

जोस्जला दराध

▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 3528 मी० है ।
▪ कश्मीर घािी को लेह से जोडता है ।
▪ जासकर (जाथकर) पवधत श्ेणी में आता है ।

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पीरपंजाल दराध (पीर पंजाल दराध )

▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 3490 मी० है ।
▪ पीरपंजाल पवधत श्ेणी में आता है ।
▪ पुलगााँव से कोठी जाने का राथता इसी पर है।

बतनहाल दराध

▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 2832 मी० है ।
▪ पीरपंजाल पवधत श्ेणी में आता है ।
▪ जम्मू और श्ीनगर को जोडता है ।
▪ जवाहर सरु ं ग इसी दरे में बनी है ।
▪ जम्मू से श्ीनगर जाने वाला NH-1A है ।

बुस्जधला दराध

▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 4100 मी० है ।
▪ श्ीनगर को धगलधगत से जोडता है ।

हहमाचल प्रदे श

यहां पर तीन महत्वपण


ू ध दरे स्थित हैं-

बारालाचा दराध (बरलाचा ला दराध)

▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 4843 मी० है।
▪ जासकर पवधत श्ेणी में स्थित है ।
▪ मंडी और लेह को जोडता है ।

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शशपकीला दराध (शशपकी ला या शशपकी दराध)

▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 4300 मी० है।
▪ जासकर श्ेणी में स्थित है ।
▪ शशमला को ततब्बत से जोडता है ।
▪ सतलुज नदी भारत में इसी के पास से प्रवेश करती है ।

रोहतांग दराध

▪ हहमाचल की पीरपंजाल श्ेणी में स्थित है ।


▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 4620 मी० है ।
▪ ये मनाली और लेह को आपस में जोडता है ।

उत्तराखण्ड

यहां पर तीन महत्वपण


ू ध दरे हैं –

शलपल
ु ेख दराध

▪ उत्तराखण्ड के वपिौरागढ़ जनपद में 5334 मी० की ऊंचाई पर स्थित है ।


▪ ये वपिौरागढ़ को ततब्बत के तकलाकोि से जोडता है ।
▪ यह दराध कैलाश मानसरोवर की यात्रा के शलए ववशेष महत्व रखता है । यह दराध
भारत से कैलाश पवधत व मानसरोवर जाने वाले याबत्रयों द्वारा ववशेष रूप से
इथतेमाल होता है ।

माना दराध (माणा दराध)

▪ उत्तराखण्ड के अंततम गााँव माना (माणा) में स्थित ये दराध 5545 मी० की ऊंचाई
पर स्थित है ।

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▪ उत्तराखण्ड के माना गााँव को ततब्बत से जोडता है ।

नीतत दराध

▪ ये दराध 5068 मी० की ऊंचाई पर उत्तराखण्ड की महा हहमालय श्ेणणयों में


स्थित है ।
▪ ये उत्तराखण्ड को ततब्बत से जोडता है।

शसस्ककम

यहां दो प्रमुख दरे हैं। यहााँ दरे को “ला” भी कहा जाता है ।

नािू ला (दराध) (नािल


ू ा दराध)

▪ ये दराध शसस्ककम राज्य में डोगेकया श्ेणणयों में 4310 मी० की ऊंचाई पर स्थित
है ।
▪ ये दराध शसस्ककम को चुम्भी घािी से जोडता है ।
▪ भारत-चीन की सीमा पर होने के कारण इसका सामररक महत्व अधर्क है ।
▪ 1962 के भारत-चीन यद्
ु र् के बाद इसे बन्द कर हदया गया िा। वषध 2006 में
इसे व्यापार के शलए पन
ु ः खोल हदया गया। भारत चीन
▪ व्यापार का कुल 80% व्यापार इसी दरे से ककया जाता है ।

जेलेप ला (दराध)

▪ ये शसस्ककम और भि
ू ान को आपस में जोडता है ।
▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 4270 मी० है ।
▪ इसका तनमाधण तीसता (तीथता) नदी द्वारा ककया गया है ।

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अरुणाचल प्रदे श

यहां पर तीन प्रमुख दरे हैं –

बोमडडला दराध

▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 2217 मी० है ।
▪ अरुणाचल प्रदे श के तवांग और ततब्बत को जोडता है ।
▪ तवांग में एक प्रशसद्र् बौद्र् मठ स्थित है ।

यांग्याप दराध

▪ यह दराध भारत एवं ततब्बत की सीमा पर स्थित है ।


▪ ब्रह्मपत्र
ु नदी भारत में इसी के पास से प्रवेश करती है ।

दीफू दराध

▪ अरुणाचल प्रदे श व म्यांमार के बॉडधर पर है ।

मणीपुर

तज
ु ू दराध

▪ इम्फाल को म्यांमार से जोडता है ।

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केरल

पालघाि दराध (पालककाड दराध)

▪ इसकी समर
ु तल से ऊंचाई 300 मी० है ।
▪ कोणझकोड (केरल) व कोयंबिूर (तशमलनाडु) को आपस में जोडता है ।
▪ अन्नामलाई व नीलधगरी की पहाडडयों के बीच में है।

शेनकोट्िा

▪ ये इलायची पहाडडयों (काडेमम या कादाधमोम हहल्स) में 210 मी० की ऊंचाई पर


स्थित है ।
▪ ततरुवनंतपरु म (केरल) और मदरु ै (तशमलनाडु) को आपस में जोडता है ।

महाराष्र

िाल घाि दराध

▪ मुंबई एवं नाशसक को जोडता है ।

भोर घाि दराध

▪ ये समर
ु तल से 548 मी० की ऊंचाई पर स्थित है ।
▪ ये मम्
ु बई को पण
ु ें तिा चेन्नई से जोडता है ।
▪ NH48 मम्
ु बई-चेन्नई इसी दरे से होकर जाता है ।

हिमालय पिवत श्ंख


र ला
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हहमालय पवधत श्ेणी ववभाजन

1) उत्तर से दक्षक्ण की ओर ववभाजन

▪ उत्तर से दक्षक्ण की ओर हहमालय को चार भागों में बािा गया है ।


▪ रांस हहमालय
▪ वह
ृ द हहमालय
▪ मध्य/लघु हहमालय
▪ शशवाशलक हहमालय

I. रांस हहमालय

▪ काराकोरम पवधत श्ेणी आती है ।


▪ ये भारत की सबसे उत्तरीय पवधत श्ेणी है ।
▪ ततब्बत में इसे कैलास पवधत श्ेणी के नाम से जाना जाता है ।
▪ इसी पवधत श्ेणी में K2 (गॉडववन ऑस्थिन) पवधत चोिी है जो ववश्व में
दस
ू रे थिान की सबसे ऊाँची चोिी है , वतधमान में ये पाक अधर्कृत कश्मीर
में है । भारत की सबसे ऊाँची चोिी कंचनचंघा (शसस्ककम) में है ।
▪ इस पवधत श्ेणी में महत्वपूणध ग्लेशशयर तनम्नशलणखत है ।
▪ शसयाधचन ग्लेशशयर
▪ यारकंद ररमो ग्लेशशयर
▪ बाल्तोरो ग्लेशशयर
▪ फेदचें का ग्लेशशयर
▪ लद्दाख पवधत श्ेणी
▪ दोनों तरफ नदी बहती है । श्योक नदी व शसंर्ु नदी ।
▪ लद्दाख श्ेणी के पास लेह है जोकक शसंर्ु नदी के ककनारे बसा हुआ है ।
▪ राका कोशी (सबसे तीव्र ढलान वाला पवधत) यही है ।

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▪ जासकर पवधत श्ेणी भी रांस हहमालय का ही भाग है ।

II. वह
ृ द हहमालय

▪ रांस और वह्ृ द हहमालय के बीच की जगह को शचर जोन कहते है ।


▪ वह
ृ द हहमालय, मध्य हहमालय एवं शशवाशलक हहमालय में से वहृ द हहमालय
सबसे ऊाँचा है । इसी औसत ऊाँचाई 6000 मी0 है ।
▪ चौडाई 120 मी0 से 192 मी0 है । चौडाई पस्श्चम से पूवी की तरफ घिती जाती है

▪ ढलान पस्श्चम से पव
ू ध की तरफ बढ़ती जाती है । इसी कारण से पव
ू ध की तरफ
की नदी कोसी में (ढलान अधर्क होने के कारण ) हर वषध बाड आ जाती है ।
▪ पस्श्चम में नागा पवधत (पाककथतान) से पव
ू ध में नामचाबारवा पवधत (स्जब्बत) तक
फैला हुआ है ।
▪ काफी सारे ऊाँचे पवधत वह
ृ द हहमालय में आते है ।

पिवत का नाम स्स्थत ऊँचाई (मी0)

माउं ि एवरे थि नेपाल 8848

के2 भारत (पीओके) 8611

कंचनचंगा शसस्ककम और नेपाल की सीमा पर है । 8586

मकालू नेपाल 8462

र्ौलाधगरी भारत 8167

मंशालू नेपाल 8163

नागा पवधत पाककथतान 8125

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अन्नपूणाध नेपाल 8091

बत्रशूल भारत 8091

नंदा दे वी भारत 7816

बंदरपूंछ भारत 6316

बरीनाि भारत 3300

▪ माउं ि एवरे थि को अलग अलग दे शों में अलग अलग थिानीय नामों से भी
जाना जाता है ।
▪ नेपाल में सागर मािा कहा जाता है ।
▪ म्यांमार में अराकान योमा कहा जाता है ।
▪ ततब्बत में चोमोलुंगमा कहा जाता है । अिध पवधतों की रानी ।
▪ इसके अन्तगधत दो ग्लेशशयर आते है ।
▪ गंगोत्री ग्लेशशयर
▪ यमुनोत्री ग्लेशशयर

III. लघु हहमालय या मध्य हहमालय

▪ इसकी औसत चैडाई 80 कक0मी0 से 100 कक0मी0 है ।


▪ इसकी औसत ऊाँचाई 3700 मी0 से 4500 मी0 है ।
▪ इसका अस्थतत्व नेपाल तक ही है । कयोंकक हहमालय पवधत की मोिाई पस्श्चम
में अधर्क और पव
ू ध में कम है इसशलए यह हहमालय श्ंख
ृ ला नेपाल तक ही
सीशमत हो जाती है ।
▪ 5 पवधत श्ेणी में बिा हुआ है –
▪ पीर पंजाल पवधत श्ेणी- जम्मू कश्मीर

▪ र्ौला धगरी- हहमाचल प्रदे श

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▪ मंसरू ी- उत्तराखण्ड
▪ महाभारत श्ेणी- नेपाल
▪ नागहिब्बा श्ेणी- नेपाल
▪ सहदधयों में बफध से ढ़का रहता है और गशमधयों में बफध वपघल जाती है और
गशमधयों में घास उग जाती है ।इन्हीं घास के मैदानों को मगध या बग्ु याल या
प्याल कहा जाता है ।
▪ गल
ु मगध, सोनमगध आहद
▪ मध्य हहमालय और वहृ द हहमालय के बीच की जगह को घािी कहा जाता है ।
▪ श्ीनगर एक घािी है जो वह
ृ द हहमालय और मध्य हहमालय के बीच में
है । वल
ू र झील और डल झील इन्ही घाहियों में है ।
▪ चुम्भी घािी शसस्ककम में है ।
▪ कुल्लू कांगडा घािी हहमाचल प्रदे श में है ।
▪ मध्य हहमालय में कई पयधिक थिल स्थित है –
▪ हहमाचल प्रदे श- शशमला, मनाली, डलहौजी
▪ उत्तराखण्ड- मसरू ी, रानीखेत, नैनीताल ववंडसर

IV. शशवाशलक हहमालय

▪ सबसे बाहरी और नवीन हहमालय है ।


▪ चौडाई 10 कक0मी0 से 50 कक0मी0 है ।
▪ ऊाँचाई 900 मी0 से 1200 मी0 तक है ।
▪ मध्य हहमालय और शशवाशलक हहमालय के बीच पाई जाने घाहियों को दन
ू या
द्वार कहा जाता है । जैसे दे हरादन
ू , हररद्वार ।
▪ मैसम अच्छा एवं कृवष योग्य भूशम पाई जाती है । इसशलए यहां अधर्क लोग
यहां रहते है ।
▪ शशवाशलक पवधत के तनचले भाग को तराई कहते है जो वनाच्छाहदत तिा दलदली
रहता है ।

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▪ इसके पस्श्चम से शसंर्ू गाजध है एवं पव


ू ध में हदहांग गाजध है । नदी द्वारा पहाडों
के बीच बनाया गया राथता(झरने की तरह) को गाजध कहा जाता है ।

2) पस्श्चम से पव
ू ध की ओर ववभाजन

▪ पस्श्चम से पव
ू ध की ओर ववभाजन में हहमालय को 4 भागों में बािा गया है –
▪ पंजाब या कश्मीर हहमालय
▪ कुमाऊाँ हहमालय
▪ नेपाल हहमालय
▪ असम हहमालय

I. पंजाब हहमालय (कश्मीर हहमालय)

▪ शसंर्ु नदी व सतलुज नदी के बीच का भाग पंजाब या कश्मीर हहमालय कहा
जाता है ।
▪ इसकी लम्बाई 560 कक0मी0 है ।
▪ पंजाब, हहमाचल एवं कश्मीर का भाग इसके अन्तगधत आते है ।
▪ मानसरोवर का राकसताल(जहां से सतलुज नदी नीकलती है ) इसी के अन्तगधत
आते है ।
▪ दे वदार, ब्लू पाइन, थप्रेस, शसलवर जूतनपर आहद वनथपततयां पाई जाती है ।

II. कुमाऊाँ हहमालय

▪ सतलुज नदी से काली नदी (उत्तराखण्ड व नेपाल बोडधर पर) तक का हहथसा


कुमायाँू हहमालय कहलाता है ।
▪ लम्बाई 320 कक0मी0 सबसे छोिा यही है ।

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III. नेपाल हहमालय

▪ काली नदी से तीथता नदी तक का हहथसा नेपाल हहमालय कहलाता है ।


▪ लम्बाई 800 कक0मी0 है ।
▪ औसत ऊाँचाई 6250 मी0 है ।
▪ सवाधधर्क ऊाँची पहाडडयां इसे के अन्तगधत आती है ।
▪ शसस्ककम और दास्जधशलंग इसी के अन्तगधत आते है ।
▪ काठमांडू घािी इसी के अन्तगधत आती है ।

IV. असम हहमालय

▪ तीथता नदी से लेकर के हदबांग नदी तक के हहथसे को असम हहमालय कहा


जाता है ।
▪ लम्बाई 750 कक0मी0
▪ नागा पहाडी इसके अन्तगधत आती है ।
▪ कोहहमा एवं मणीपुर, इम्फाल इसी के अन्तगधत आते है ।
▪ खासी, जयन्ती, झफला आहद पहाडडया इसी के अन्तगधत आती है ।
▪ जूनीपर, ओक, मैवपल, एल्डर एवं ववलो आहद वनथपततयां यहां पाई जाती है ।

भारत के पवधत

अरावली पवधत श्ंख


ृ ला

▪ इसकी सीमा गुजरात से शुरू होकर राजथिान, हररयाणा होकर हदल्ली तक जाती
है ।
▪ भारत की नहीं पूरे ववश्व की प्राचीनतम पवधत श्ंख
ृ लाओं में से एक है ।
▪ अरावली पवधत श्ख
ं ृ ला की लम्बाई 692 कक0मी0 है ।

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▪ अरावली पवधत श्ख


ं ृ ला की औसत ऊाँचाई 920 मी0 है ।
▪ चौडाई गुजरात की तरफ अधर्क एवं हदल्ली की तरफ घिती है ।
▪ इसका उच्चतम शशखर गरू
ु शशखर स्जसकी ऊाँचाई 1722 मी0 है , राजथिान के
शसरोही स्जले में माउं ि आबू के पास स्थित है ।
▪ उदयपुर में अरावली पहाडडयों को जग्गा पहाडडयों के नाम से जानी जाती है ।
▪ अलवर के पास इन्हे हषधनाि की पहाडडयों के नाम से जाना जाता है ।
▪ हदल्ली में हदल्ली पहाडडयों के नाम से जाना जाता है ।
▪ हदल्ली में राष्रपतत भवन रायशेला पहाडडयों पर है । यह पहाडीयां भी अरावली
पहाडडयों का ही अंग है ।
▪ कई प्रकार के खतनज पाये जाते है । जैसे शीशा, तांबा एवं जथता ।
▪ इस पवधत श्ंख
ृ ला की अन्य महत्वपूणध चोहियां है ।
▪ सेर – 1597 मी0, माउं ि आबू के पास शसरोही स्जले में ।
▪ रघन
ु ाि गढ़ – 1055 मी0, सीकर राजथिान में ।
▪ अचलगढ़ – 1380 मी0, शसरोही स्जले में ।
▪ हदलवाडा – 1442 मी0, शसरोही स्जले में, यहीं पर एक जैन मंहदर भी है ।

ववंध्याचल पहाडडयां

▪ ववंध्याचल पहाडडयों की भौगोशलक स्थितत इस प्रकार है –


▪ मालवा के पठार के दक्षक्ण में ।
▪ सोन नदी के उत्तर में ।
▪ गुजरात तिा राजथिान की सीमा के पूवध में ।
▪ गुजरात से शुरु होकर मध्य प्रदे श, उत्तर प्रदे श, तिा बबहार तक जाती है । इसी
पवधत श्ंख
ृ ला को तीन भागों में बााँिा जा सकता है ।
▪ भारनेर की पहाडडयां- मध्य प्रदे श में ।
▪ केमूर- उत्तर प्रदे श, बबहार तिा मध्य प्रदे श में ।
▪ पारसनाि- झारखण्ड में ।

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▪ ववंध्याचल पवधत श्ंख


ृ ला की कुल लम्बाई 1050 कक0मी0(कैमरू पहाडडयों को
शमलाकर) है ।
▪ ववंध्याचल पवधत श्ंख
ृ ला की औसत ऊाँचाई 300-600 मी0 है ।
▪ ववंध्यांचल पवधत श्ंख
ृ ला का सबसे उच्चतम बबन्द ु सदभावना शशखर है । मध्य
प्रदे श में भारनेर पहाडडयों का हहथसा है ।

सतपुडा पहाडडयां

▪ सतपड
ु ा पहाडडयों के उत्तर में नरमदा नदी बहती है, तिा दक्षक्ण में तापती नदी
बहती है । दोनों ही भ्रंश घाहियों में बहती है ।
▪ सतपुडा की पहाडडयों को तीन भागों में बााँिा जाता है ।
▪ राज पीपला पहाडडयां ।
▪ महादे व की पहाडडयां ।
▪ सतपुडा की पहाडडयों का सबसे उच्चतम बबंद ू र्ूपगढ़ इसी का
हहथसा है ।
▪ र्ूपगढ़ की चोिी पंचमडी नगर के पास स्थित है ।
▪ तापती नदी का स्रोत भी महादे व की पहाडडयां ही हैं ।
▪ मैकाल की पहाडडयां।
▪ अमरकंिक जहां से नमधदा एवं सोन नाम की दो नहदयां तनकलती है , इसी
मैकाल की पहाडडयों की हहथसा है ।
▪ अमरकंिक ही मैकाल की पहाडडयों का उच्चतम बबंद ू भी है इसकी ऊंचाई
1036 मी0 है ।

पव
ू ोत्तर की पहाडडयां

▪ ये पहाडडयां हहमालय पवधत का ही हहथसा है ।


▪ ये पहाडडयां मख्
ु यतः पांच राज्यों में बिी हुयीं हैं – मेघालय, असम, नागालैण्ड,
मणणपुर एवं शमजोरम ।

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▪ मेघालय में है – गारो, खासी और जयन्ती ।


▪ जयन्ती पहाडडयों का कुछ भाग असम में भी आता है ।
▪ पिकायी बम
ू - असम, नागालैण्ड, मणणपुर एवं शमजोरम में फैली हुयी है ।
▪ पिकायी बमू पवधत श्ेणणयों को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम
से जाना जाता है ।
▪ नागालैण्ड में नागा पहाडडयां ।
▪ शमजोरम में लश
ु ाई पहाडडयां ।
▪ हहमालय पहाडडयों के म्यांमार में पडने वाले हहथसे को अराकान योमा कहा
जाता है ।

प्रायद्िीपीय भारत के पिवत


प्रायद्वीपीय भारत की पहाडडयााँ

प्रायद्वीपीय भारत की पहाडडयों को तीन मख्


ु य भागों में बााँिा जाता है –

1. गुजरात के पहाड
2. पस्श्चमी घाि की पहाडडयां
3. पूवी घाि की पहडडयां

1. गुजरात की पहाडडयां

▪ गज
ु रात की सभी पहाडडयां दो प्रमख
ु क्ेत्र में फैली हुयी है ।
▪ कच्छ के रण में ।

▪ सौराष्र के क्ेत्र में । इसी सौराष्र वाले क्ेत्र को काहठयावाड प्रायद्वीप भी


कहते है ।
▪ गुजरात की पहाडडयों को पांच भागों में बााँिा जाता है –

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▪ कच्छ की पहाडडयां

▪ कच्छ के रण के पास है ।
▪ यहां पर राजथिान से आ रही लूनी नदी (लवण नदी) सूख जाती है ।
▪ सबसे उच्चतम बबन्द ु को कालो डंगर कहा जाता है । इसकी ऊाँचाई 462
मी0 है ।

▪ बरदा या बरडा की पहाडडयां

▪ ये गज
ु रात के सौराष्र वाले हहथसे में है ।
▪ जामनगर क्ेत्र में पडती है ।
▪ बडा वन्यजीव भंडार भी है ।
▪ पोरबंदर बंदरगाह से 15 कक0मी0 दरू है ।
▪ इस पहाडी की सबसे ऊाँची चोिी “आभपरा” है ।

▪ धगरनार पहाडडयां

▪ ये गज
ु रात के सौराष्र वाले हहथसे में है ।
▪ इनको रोवात्त पहाडी भी कहा जाता है ।
▪ जूनागड के पास है ।
▪ इसकी औसत ऊाँचाई 3500 कफि है ।
▪ उच्चतम बबन्द ु गोरखनाि है ।
▪ सम्राि अशोक के 14 र्मधलेख यहीं पर है ।

▪ धगर पहाडडयां

▪ यहां पर धगर राष्रीय उद्यान स्थित है ।


▪ एशशयाई शेर यहां पाये जाते हैं।

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▪ माण्डव पहाडडयां

▪ ये गुजरात में है ।
▪ यहां की सबसे ऊाँची चोिी है ।

2. पस्श्चमी घाि पहाडडयां

▪ पस्श्चमी घाि पवधत को सहयारी पवधत भी कहा जाता है ।


▪ पस्श्चमी घाि को 2 भागों में बााँिा गया है ।
▪ कोंकण ति- गज
ु रात से गोवा पार करके कुछ कनाधिक तक।
▪ मालाबार ति- कनाधिक से केरल तक
▪ पस्श्चमी घाि की प्रमख
ु पहाडडया तनम्नवत हैं –

▪ सातमाला श्ेणी

▪ नाशसक(महाराष्र) में है।


▪ उच्चतम बबन्द ु 1472 मी0 है ।

▪ अजन्ता पहाडडयां

▪ ये औरं गाबाद में है ।


▪ अजन्ता और एलोरा की गुफायें यहीं पर हैं।
▪ यन
ू थ
े को की ववश्व ववरासत थिलों की सच
ू ी में से एक है ।

▪ हररश्चन्र श्ेणी

▪ महाराष्र में है ।
▪ इसकी औसत ऊाँचाई 600 मी0 है ।

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▪ बालाघाि श्ेणी

▪ महाराष्र में है ।
▪ इसकी औसत ऊाँचाई 550 मी0 से 825 मी0 है ।
▪ हररश्चन्र एंव बालाघाि पवधत श्ेणणयां दो नहदयों गोदावरी एंव भीमा नदी
के मध्य में है । उत्तर में गोदावरी तिा दक्षक्ण में भीमा नदी । अतः ये
दोनों पहाडडयां गोदावरी एंव भीमा नदी को अलग अलग करती है ।

▪ कालसुबाई चोिी

▪ महाराष्र के नाशसक में है ।


▪ औसत ऊाँचाई 1646 मी0 है ।

▪ महाबलेश्वर चोिी

▪ महाराष्र में है ।
▪ कृष्णा नदी यहीं से तनकलती है ।

▪ कुरे मुख पहाडी

▪ कनाधिक में है।


▪ इसके समांतर में एक पहाडी है स्जसे बाबा बद्
ु र्नधगरी पहाडी के नाम से
जाना जाता है।

▪ ब्रह्मधगरी पहाडी

▪ कनाधिक में है।


▪ यहां कुगध स्जले से कावेरी नदी तनकलती है । आगे जाकर बंगाल की खाडी
में धगर जाती है ।

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▪ नीलधगरी पहाडी

▪ केरल, तशमलनाडु एवं कनाधिक की सीमा पर पस्श्चमी एवं पूवी घाि


शमलते है । यहीं पर नीलधगरी पवधत है ।
▪ इसका उच्चतम बबन्द ु दोद्दा बेट्िा है, स्जसकी ऊाँचाई 2637 मी0 है । ये
पस्श्चमी घाि का द्ववतीय उच्चतम शशखर है ।
▪ इसके नीचे पाल घाि दराध है।
▪ ऊिी या उिकमंड पयधिक थिल यहीं पर है ।

▪ अन्ना मलाई पहाडडयां

▪ केरल एवं तशमलनाडु की सीमा पर है ।


▪ सबसे उच्चतम बबन्द ु अन्नामद
ु ी है स्जसकी ऊाँचाई 2695 मी0 है । ये
पस्श्चमी घाि का सबसे उच्चतम शशखर है ।

▪ पालनी पहाडडयां

▪ ये पहाडडयां तशमलनाडु में स्थित है ।


▪ यहााँ पर एक प्रशसद्र् पयधिक थिल कोडैकनाल है ।

▪ इलाईची पहाडडया

▪ काडधमोम की पहाडडयां भी कहा जाता है ।


▪ केरल एवं तशमलनाडु की सीमा पर स्थित है ।
▪ यही पर शेनकोट्िा दराध है ।
▪ भारत की सबसे दक्षक्णी पहाडडया यही है ।
▪ महेन्रधगरी चोिी सबसे दक्षक्णी चोिी है ।

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3. पव
ू ी घाि की पहाडडयां

▪ पस्श्चमी घाि से तनकलने वाली सारी नहदयां पव


ू ी घाि में ही आकर धगरती है ।
इसका कारण यह है कक पस्श्चमी घाि की ऊाँचाई पव
ू ी घाि से अधर्क है ।
इसशलए नहदयां ढाल की तरफ अपना राथता बनाती है ।
▪ नहदयों के प्राकृततक बहाव के कारण हुए किाव से यहां के पहाडों के बीच काफी
खाली जगह बन गयी है ।
▪ पूवी घाि की प्रमुख पहाडडया मख्
ु यतः तीन राज्यों ओडडशा, आंध्र प्रदे श एवं
तशमलनाडु में ववभकत है । स्जसका वववरण तनम्नवत हैं –

▪ ओडडशा की पहाडडयां

▪ गडजात की पहाडडयां
▪ अथसीया पहाडडयां भूवनेश्वर के पास
▪ हिकरपारा पवधत श्ेणी
▪ न्यागढ़ पहाडडयां

▪ आंध्र प्रदे श की पहाडडयां

▪ एरामाला पहाडडयां
▪ आन्र प्रदे श के कुरनल
ू स्जले में है ।
▪ इसके पव
ू ध में तग
ंु भरा नदी जोकक कृष्णा नदी की सहायक नदी है
उसमें शमलती है ।
▪ शेषचलम पहाडडयां
▪ नल्लामलाई पहाडडयां
▪ वेलीकोंडा पहाडडयां
▪ पालकोण्डा पहाडडयां
▪ नागरी पहाडडयां

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▪ तशमलनाडु की पहाडडया

▪ जावादी पहाडी
▪ शशवराय पहाडी
▪ पचाईमलाई पहाडी
▪ शसरूमलाई पहाडडयां

प्रायद्िीपीय भारत के पठार


मालवा का पठार

▪ तीन राज्यों में फैला हुआ है –


▪ गुजरात

▪ मध्य प्रदे श
▪ राजथिान
▪ तनमाधण ग्रेनाइि से हुआ है ।
▪ काली शमट्िी से ढका हुआ है।
▪ ऊाँचाई 500-610 मी0 है ।
▪ इसे लावा तनशमधत पठार भी कहा जाता है ।
▪ इसमें कुछ लावा द्वारा बनी पहाडडयांंं भी है।
▪ यमन
ु ा की सहायक चंबल नदी ने इसके मध्य भाग को प्रभाववत ककया है ।
▪ पस्श्चमी भाग को माही नदी ने प्रभाववत ककया है । माही नदी अरब सागर में
जाकर धगरती है ।
▪ पव
ू ी भाग को बेतवा नदी ने प्रभाववत ककया है ।
▪ मालवा का पठार अरावली पवधत व ववन्र्यांचल पवधत के बीच में है ।

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बुन्दे लखण्ड का पठार

▪ उत्तर प्रदे श और मध्य प्रदे श के बीच में फैला हुआ है ।


▪ इसके तनमाधण में नीस और ग्रेनाइि से हुआ है ।
▪ इसका ढाल दक्षक्ण से उत्तर और उत्तर पव
ू ध की तरफ है ।
▪ यहां कम गुणवत्ता का लौह अयथक प्राप्त होता है ।

छोिा नागपुर का पठार

▪ छोिा नागपुर के पठार का महाराष्र के नागपुर स्जले से कोई सम्बन्र् नहीं है ।


इसका नाम परु ाने राजा के नाम पर पडा है ।
▪ ये पठार झारखंड में फैला हुआ है ।
▪ इसका क्ेत्रफल 65000 वगध कक0मी0 है ।
▪ रांची का पठार, हजारी बाग का पठार, कोडरमा का पठार सब इसी के अंदर आते
हैं।
▪ इस पठार की औसत ऊाँचाई 700 मी0 है ।

शशलांग का पठार

▪ गोरा, खासी और जयन्ती पहाडडयांंं इसी के अंदर आती हैं।


▪ इस पठार में कोयला और लौह अयथक, और चन
ू ा पत्िर के भंडार उपलब्र् हैं।

दककन का पठार

▪ भारत का ववशालतम पठार है ।


▪ दक्षक्ण के आठ राज्यों में फैला हुआ है ।
▪ इस पठार का आकार बत्रभज ु ाकार है । सतपड
ु ा और ववंध्याचल श्ंख
ृ ला इसकी
उत्तरी सीमा है तिा पव
ू ध और पस्श्चम में पव
ू ी तिा पस्श्चमी घाि स्थित हैं।

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▪ इसकी औसत ऊाँचाई 600 मी0 है ।


▪ इस पठार को पुनः तीन भागों में बााँिा जाता है ।
▪ महाराष्र का पठार- इसमें काली मद
ृ ा की आककधयन पायी जाती है ।
▪ आंध्रप्रदे श का पठार- इसे पन
ु ः दो भागों में ववभकत ककया गया है ।
▪ तेलग
ं ाना का पठार- इस पठार के लावा द्वारा तनशमधत होने के
कारण इसे लावा पठार के नाम से भी जाना जाता है ।
▪ रायलसीमा का पठार- इसमें आककधयन चट्िानों की अधर्कता पायी
जाती है ।
▪ कनाधिक का पठार- इसमें र्ास्त्वक खतनज तिा आककधयन चट्िानों की
अधर्कता पायी जाती है।

भारत के मैदान
1. पव
ू ी घाि के मैदान

▪ आकार में ये उत्तर भारत के मैदान से छोिा तिा पस्श्चमी घाि के मैदान से
बडा है ।
▪ गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी नदी के पास मैदानों की चौडाई अधर्क है ।
▪ इसके चौडाई उत्तर से दक्षक्ण की तरफ बढ़ती है । औसत चौडाई 100 कक०मी० से
130 कक०मी० तक है।
▪ पस्श्चम बंगाल की हुगली नदी से लेकर तशमलनाडु तक फैला हुआ है ।
▪ उडीसा से आन्ध्र प्रदे श की तरफ का मैदान उत्कल ति कहलाता है।
▪ आन्ध्र प्रदे श का ति कशलंग ति कहलाता है। इसी ति को उत्तरी सरकार ति के
नाम से भी जाना जाता है ।
▪ आन्ध्र प्रदे श से लेकर तशमलनाडु तक के मैदान को कोरामण्डल ति कहा जाता
है ।

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▪ भारत की कई प्रमख
ु नहदयों के डेल्िा इसी मैदान में बनते है । इन नहदयों में
मख्
ु य नहदयां अग्रशलणखत हैं –
▪ महानदी
▪ गोदावरी
▪ कृष्णा
▪ कावेरी

2. पस्श्चमी घाि के मैदान

▪ दमन से लेकर कन्याकुमारी तक फैला हुआ है ।


▪ आकार में पूवी तिा उत्तर भारत के मैदानों से छोिा है । इसकी औसत चौडाई
50 कक०मी० है ।
▪ गुजरात से गोवा तक के ति को कोंकण ति कहा जाता है । इसमें महाराष्र का
पूरा ति आ जाता है ।
▪ गोवा से मंगलौर तक के ति को कन्नड ति कहा जाता है ।
▪ कनाधिक से केरल तक के ति को मालाबार ति कहा जाता है ।
▪ इसकी चौडाई कम होने के कारण यहां पर ढाल अधर्क है । स्जस कारण से यहां
पर नहदयों में तीव्र चाल से चलती है और झरने बनाती है ।
▪ नहदयों में गतत अधर्क होने के कारण नहदयां डेल्िा नहीं बना पाती है ।
▪ मछली पालन के शलए आदशध स्थितत बनती है ।

3. उत्तरी भारत का ववशाल मैदान

▪ भारत के सभी मैदानों में से ये सबसे ववशाल है । इसकी औसत चौडाई 240
कक०मी० से 320 कक०मी० है ।
▪ इस मैदान की समर
ु तल से ऊाँचाई कम होने के कारण यहां पर नहदयों की
गतत काफी र्ीमी हो जाती है । अतः नहदयां अपने साि लाये हुए

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▪ अवसाद को यहां जमा कर दे ती है , जोकक इस मैदान की ववशालता का प्रमख



कारण है ।
▪ इसको समझने के शलए 4 भागों में बााँिा गया है –

▪ भाबर प्रदे श

▪ शशवाशलक हहमालय से 12 कक०मी० तक के क्ेत्र स्जसमें कंकड


पत्िर अधर्क होते है को भाबर प्रदे श कहा जाता है ।
▪ शशवाशलक हहमालय के बाद नहदयों की गतत कम हो जाती है ।
इसशलए वो अपने साि लाये अवसाद को यहां जमा कर दे ती है ।
▪ यहां आकर नहदयां ववलुप्त हो जाती हैं। ये नहदयां कफर आगे
जाकर वापस र्रती पर प्रकि हो जाती है ।

▪ तराई प्रदे श

▪ भाबर के नीचे वाले दलदली क्ेत्र को तराई क्ेत्र कहा जाता है ।


▪ यहां पर जंगल में अजगर, मगरमच्छ आहद के साि अन्य वन्य
जीव भी पाये जाते हैं, अतः कोई जनजातत नहीं रहती।
▪ वतधमान में तराई की अधर्कांश भूशम को कृवष योग्य बना शलया
गया है ।

▪ बांगर प्रदे श

▪ नदी के दरू वाला क्ेत्र जो नदी द्वारा लाई गई शमट्िी से पािा


गया है , बांगर प्रदे श कहलाता है ।
▪ ये प्रदे श मैदान के ऊाँचाई वाले क्ेत्र होते हैं।
▪ इस प्रदे श में बाड नहीं आती है । स्जस कारण यहां की शमट्िी का
नवीकरण नहीं हो पाता है ।
▪ इस प्रदे श में पुरानी जलोढ़ मद
ृ ा पायी जाती है ।

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▪ खादर प्रदे श

▪ नदी के पास वाला क्ेत्र जहां पर बाड आती रहती है , खादर क्ेत्र
कहलाता है ।
लगभग हर वषध बाड आने के कारण यहां की मद
ृ ा का नवीकरण
होता रहता है । इसी कारण ये प्रदे श उपजाऊ बना रहता है ।
▪ इसकी ऊाँचाई बांगर प्रदे श से कम होती है ।
▪ इसका तनमाधण नई जलोढ़ मद
ृ ा से हुआ है ।

दक्षक्षण भारत की नहदयां


क्षक्ण भारत की नहदयां

दक्षक्ण भारत की नहदयों को दो भागों में बााँिा गया है –

1. नहदयां जो बंगाल की खाडी में धगरती हैं।


2. नहदयां जो अरब सागर में धगरती हैं।

1. दक्षक्ण भारत की बंगाल की खाडी में धगरने वाली नहदयां

▪ हुगली नदी

▪ पस्श्चम बंगाल में गंगा नदी से िूिती है । कलकत्ता इसी के ति पर बसा


हुआ है।

▪ दामोदर नदी

▪ छोिा नागपुर पठार से तनकलती है ।

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▪ झारखण्ड के चन्दवा स्जले से तनकलती है तिा पस्श्चम बंगाल में प्रवेश


करके हुगली नदी से शमल जाती है । अंततः बंगाल की खाडी में धगर
जाती है । सीर्े बंगाल की खाडी में नही धगरती है ।
▪ इस नदी को बंगाल का शोक भी कहा जाता है ।

▪ थवणध रे खा नदी

▪ झारखण्ड की राजर्ानी रााँची के पास से तनकलती है ।


▪ तीन राज्यों में बहती है ।
▪ झारखण्ड
▪ पस्श्चम बंगाल
▪ उडीसा
▪ उडीसा के ति से बंगाल की खाडी में धगर जाती है ।

▪ वैतरणी नदी

▪ उडीसा से ही तनकलती है और उडीसा से बंगाल की खाडी में धगर जाती


है ।
▪ उडीसा में कयोंझर पठार से तनकलती है ।

▪ ब्राह्मणी नदी

▪ झारखण्ड से आने वाली शंख और दक्षक्णी कोयल नदी जब शमलती है


तब ब्राह्मणी नदी कहलाती है। उडीसा से राउरकेला में शमलती है ।
▪ शंख नदी- झारखण्ड में गम
ु ला से तनकलती है ।
▪ दक्षक्णी कोयल- झारखण्ड में रााँची के पास से तनकलती है ।
▪ आणखर में वैतरणी नदी के पास ही बंगाल की घािी में धगर जाती है ।

▪ महानदी

▪ छत्तीसगढ़ के शसहावा स्जले से तनकलती है।

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▪ उडीसा में प्रवेश करती है । एक डेल्िा का तनमाधण करती है और बंगाल


की खाडी में धगर जाती है ।
▪ किक शहर के पास डेल्िा बनाती है ।
▪ हीराकुण्ड बांर् इसी नदी के ऊपर बना है । भारत का सबसे लम्बा बांर्
है ।
▪ सहायक नहदयां- शशवनाि, हंसदे व, मंड, जोंक।

▪ गोदावरी नदी

▪ महाराष्र के नाशसक स्जले के बत्रम्बकेश्वर के तनकि से तनकलती है ।


दक्षक्ण भारत की सबसे लम्बी नदी है ।
▪ महाराष्र से तेलंगाना से छत्तीसगढ़ से अंततः आंध्र प्रदे श में प्रवेश करती
है ।
▪ राजमुरी के पास डेल्िा बनाती है ।
▪ इसे दक्षक्ण की गंगा कहा जाता है ।
▪ गोदावरी की सहायक नहदयां-
▪ पुणाध
▪ प्राणहहता (प्रस्न्हता नदी)
▪ पैनगंगा
▪ वर्ाध
▪ वेन गंगा
▪ इन्रावती
▪ मंजीरा
▪ पखरा

▪ कृष्णा नदी

▪ महाराष्र में महाबलेश्वर के तनकि पस्श्चमी घाि से तनकलती है।


▪ प्रायद्वीपीय भारत की दस
ू री सबसे लम्बी नदी है ।

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▪ महाराष्र से कनाधिक से तेलंगाना से अंततः आंध्र प्रदे श में प्रवेश करती


है ।
▪ आंध्र प्रदे श में ववजयवाडा के पास डेल्िा बनाती है ।
▪ कृष्णा की सहायक नहदयां-
▪ तुंगभरा (सबसे लम्बी सहायक नदी)
▪ भीमा
▪ कोयना
▪ मस
ू ा (है दराबाद इसी के ककनारे बसा है )
▪ घाि प्रभा
▪ माल प्रभा
▪ दर्
ू गंगा
▪ पंच गंगा

▪ पेन्नार नदी

▪ कनाधिक से आती है और आंध्र प्रदे श में बंगाल की खाडी में धगर जाती
है ।
▪ कनाधिक के कोलार स्जले से आती है ।

▪ पालर नदी

▪ कनाधिक से तनकलती है ।
▪ कनाधिक से आंध्र प्रदे श से अंततः तशमलनाडु में प्रवेश करती है ।

▪ कावेरी नदी

▪ कनाधिक के कुगध स्जले में ब्रह्मधगरी/पुष्प धगरी पहाडडयों से तनकलती है ।


▪ ये नदी कावेरीपट्िम के पास बंगाल की खाडी में शमल जाती है ।
▪ कावेरी की सहायक नहदयां-
▪ शसमसा

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▪ हे मवती
▪ अमरावती
▪ काबबनी
▪ भवानी
▪ लक्ष्मण तीिध
▪ लोकपावनी
▪ तशमलनाडु का बत्रचरापल्ली शहर कावेरी नदी के ककनारे बसा है ।

▪ वैगई नदी

▪ तशमलनाडु से तनकलती है और वही बंगाल की खाडी में धगर जाती है ।


▪ तशमलनाडु में मदरु ै से तनकलती है ।

▪ ताम्रपाणी नदी

▪ तशमलनाडु से तनकलती है ।
▪ तशमलनाडु में ही मन्नार की खाडी में धगर जाती है ।

दक्षक्षण भारत की अरब सागर में गगरने


िाली नहदयां
दक्षक्ण भारत की नहदयां

दक्षक्ण भारत की नहदयों को दो भागों में बााँिा गया है –

1. नहदयां जो बंगाल की खाडी में धगरती हैं।


2. नहदयां जो अरब सागर में धगरती हैं।

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दक्षक्ण भारत की अरब सागर में धगरने वाली नहदयां

▪ लूनी नदी

▪ राजथिान में अजमेर के तनकि अरावली पवधत श्ंख


ृ ला में तनकलती है ।
▪ इसको लवण नदी भी कहा जाता है । सांभर झील से होकर गुजरती है ।
▪ गुजरात के रण ऑफ कच्छ में ववलुप्त हो जाती है ।

▪ साबरमती नदी

▪ राजथिान के उदयपुर स्जले के मेवाड की पहाडडयों से तनकलती है ।


▪ गुजरात का अहमदाबाद व गााँर्ीनगर शहर साबरमती नदी के ककनारे ही
बसे हुए है ।
▪ आगे चलकर अरब सागर में खम्भात की खाडी में धगर जाती है ।

▪ माही नदी

▪ मध्य प्रदे श में ववंध्याचल पवधत श्ेणी से आती है ।


▪ तीन राज्यों में बहती मध्य प्रदे श से राजथिान से अंततः गुजरात में
प्रवेश करती है ।
▪ भारत की ऐसी नदी जोकक ककध रे खा को दो बार कािती है ।

▪ नमधदा नदी

▪ प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी जो अरब सागर में धगरती है ।


▪ प्रायद्वीपीय भारत में लम्बाई के मामले में तीसरे थिान पर आती है ।
▪ मध्य प्रदे श में अमर कंिक चोिी से तनकलती है ।

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▪ अमरकंिक से दो नहदयां नमधदा एवं सोन तनकलती है । नमधदा एवं सोन


नहदयां ऐसी नहदयां है जोकक एक ही थिान से तनकलने वाली दो नहदयां
जो ववपरीत हदशा में बहती है ।
▪ नमधदा सबसे ज्यादा मध्य प्रदे श में बहती है ।
▪ भ्रंश घािी में होकर बहती है ।
▪ मध्य प्रदे श से महाराष्र से अंततः गुजरात में प्रवेश करती है ।
▪ भडौच के पास अरब सागर में धगर जाती है।
▪ मध्य प्रदे श का जबलपुर इसी नदी के ककनारे बसा हुआ है ।
▪ र्आ
ुाँ र्ार जलप्रपात नमधदा नदी पर जबलपुर में बनता है ।

▪ ताप्ती नदी

▪ मध्य प्रदे श में महादे व पहाडडयों से तनकलती है ।


▪ बैतल
ू पठार का क्ेत्र है।
▪ मध्य प्रदे श से महाराष्र से अंततः गज
ु रात में प्रवेश करती है ।
▪ सूरत शहर ताप्पी नदी के ककनारे ही बसा हुआ है ।

▪ माण्डवी नदी

▪ माण्डवी नदी कनाधिक से आती है ।


▪ गोवा में आकर अरब सागर में धगर जाती है।
▪ गोवा की राजर्ानी पणजी माण्डवी नदी के ति पर बसा हुआ है ।

▪ जुवारी नदी

▪ गोवा से तनकलती है एवं गोवा में ही अरब सागर में शमल जाती है ।

▪ शरावती नदी

▪ कनाधिक से तनकलती है और कनाधिक में ही अरब सागर में धगर जाती


है ।

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▪ कनाधिक का जोग जलप्रपात इसी नदी के ति पर बनता है । महात्मा


गााँर्ी या गरसोप्पा जलप्रपात नाम से भी जाना जाता है ।

▪ गंगावेली नदी

▪ कनाधिक से तनकलकर कनाधिक में ही अरब सागर में शमल जाती है ।

▪ पेररयार नदी

▪ केरल से तनकलकर केरल में ही अरब सागर में धगर जाती है ।

▪ भरत पूजा नदी

▪ तशमलनाडु से आकर केरल में अरब सागर में धगर जाती है ।

भारत की प्रमख
ु झीलें
भारत की प्रमख
ु झीलों का राज्यवार वववरण

भारत की प्रमख
ु झीलों का राज्यवार वववरण तनम्नवत है –

जम्मू कश्मीर

▪ पें गोग-त्यो झील – चाईना के अधर्कार वाले कश्मीर में स्थित है ।


▪ वूलर झील – झेलम के सरपीलाकार चलने के कारण बनी है । इसे गोखुर झील
भी कहा जाता है ।
▪ डल झील- ताजे पानी की झील है । यहां पर दल-दल पाये जाते हैं।
▪ मनसार झील
▪ शेषनाग झील

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▪ अनंतनाग झील
▪ नाधगन झील

हहमाचल प्रदे श

▪ सरु ज ताल झील- बाडालाचला दरे के पास, ताजे पानी की झील।


▪ चन्र ताल झील
▪ नको झील
▪ रे णक
ु ा झील – शसरमोर स्जले में स्थित यह एक ताजे पानी की झील है । यहां
पर एक धचडडया घर भी है ।

उत्तराखण्ड

▪ नैनीताल झील (नैनी झील)


▪ रूप कुण्ड झील
▪ भीमताल झील

शसस्ककम

▪ चोलामू झील (त्सो ल्हामो झील)- भारत की सबसे ऊाँची झील है । ऊाँचाई 5330
मी० है ।
▪ सोंगमा झील

मणीपुर

▪ लोकिक झील- पवू ोत्तर की सबसे बडी झील है । यहां पर तैरता हुआ राष्र
उद्यान केयबल
ु लामजाओं यहीं पर स्थित है ।

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उडीसा

▪ धचल्का झील- यह एक खारे पानी झील है साि ही भारत की सबसे बडी झील
भी है । यह एक लैगन
ू झील है ।

आंध्र प्रदे श

▪ कोलेरू झील- ताजे पानी की । गोदावरी व कृष्णा नदी के बीच में बनती है ।
▪ पशु लकि झील- इस झील का कुछ हहथसा तशमलनाडु में भी पडता है । यह झील
सतीश र्वन अंतररक् केन्र के पास स्थित है।

तशमलनाडु

▪ वीरानम झील
▪ पशु लकि झील (पशु लकात लेक)
▪ चेम्बारकाकम झील

केरल

▪ वेम्बानद झील (वेम्बनाड झील) – खारे पानी की लैगन


ू झील।
▪ साथतामकोट्िा झील (सथिाम्कोत्ता लेक)
▪ अष्िमड
ु ी झील (अश्तामुदी लेक)

तेलंगाना

▪ हहमायत सागर झील


▪ उथमान सागर झील

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महाराष्र

▪ लोनार झील- ज्वालामख


ु ी द्वारा तनशमधत झील है ।

मध्य प्रदे श

▪ तवावोहर झील- नमधदा नदी के ऊपर बााँर् बनाकर बनाया गया है ।


▪ भोज झील

गज
ु रात

▪ नल सरोवर झील

राजथिान

▪ सांभर झील- खारे पानी की झील है , यह भारत में नमक की आपूततध में सहायक
है ।
▪ पुष्कर झील
▪ नककी झील
▪ राजसमंद झील
▪ दे बर झील (ढे बर लेक) – यह मानव तनशमधत झील है स्जसे 17वीं शताब्दी में
उदयपुर के राजा ने बनवाया िा।
▪ पंचभरा झील – खारे पानी की झील है

भारत के राज्य वार प्रमुख जलप्रपात

भारत के प्रमुख जलप्रपातों का राज्य वार वववरण तनम्नवत है –

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राजथिान

▪ चुशलया जलप्रपात

▪ चंबल नदी पर है ।
▪ कोिा राजथिान में।
▪ 18 मी० की ऊाँचाई है ।

मेघालय

▪ नोहकशलकाई जलप्रपात

▪ बाररश के पानी के कारण बनता है ।


▪ 340 मी० ऊाँचाई है ।

झारखंड

▪ हुंडरू जलप्रपात

▪ थवणध रे खा नदी पर बनता है ।


▪ 74 मी० ऊाँचाई है ।
▪ राजरप्पा जलप्रपात

▪ दामोदर एवं भीरा नदी के कारण बनता है ।


▪ भीरा नदी को भैरव नदी के नाम से भी जाना जाता है ।
▪ झारखंड में रामगढ़ में स्थित है ।

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उडीसा

▪ बरे हीपानी जलप्रपात

▪ बुर्बलंग नदी के मागध में बनता है ।


▪ ऊाँचाई 399 मी० है ।
▪ डुडुमा(दद
ु म
ु ा) जलप्रपात

▪ मथकुण्ड नदी के मागध में बनता है ।

मध्यप्रदे श

▪ र्आ
ु र्
ाँ ार जलप्रपात

▪ नमधदा नदी पर जबलपरु में बनता है ।


▪ इसकी ऊाँचाई 15 मी० है ।
▪ कवपलर्ारा जलप्रपात

▪ नमधदा नदी पर बनता है ।


▪ अमरकंिक से 7 कक०मी० की दरू ी पर स्थित है ।
▪ इसकी ऊाँचाई 33 मी० है ।

महाराष्र

▪ वजराई जलप्रपात

▪ उरमोडी नदी पर बनता है ।


▪ ऊाँचाई 260 मी० है ।

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▪ अम्बोली घाि जलप्रपात

▪ हहरण्यकेशी नदी पर बनता है ।


▪ इसकी ऊाँचाई समुरतल से 690 मी० है ।

तशमलनाडु

▪ होगेनककल जलप्रपात

▪ कावेरी नदी पर बनता है ।


▪ इसकी ऊाँचाई 20 मी० है ।
▪ पाइकारा जलप्रपात

▪ पाइकारा नदी पर बनता है ।


▪ उिी या उिकमण्डल के पास स्थित है ।

केरल

▪ पालारूवी जलप्रपात

▪ इसकी ऊाँचाई 90 मी० है ।

कनाधिक

▪ जोग जलप्रपात

▪ गोरसोप्पा जलप्रपात भी कहते है ।


▪ शरावती नदी पर बनता है ।

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▪ ऊाँचाई 253 मी० है ।


▪ शशवसमुरम जलप्रपात

▪ कावेरी नदी पर है ।
▪ भारत का द्ववतीय सबसे ऊंचा जलप्रपात है ।
▪ इसकी ऊाँचाई 98 मी० है ।
▪ दर्
ू सागर जलप्रपात

▪ मांडवी नदी पर बनता है ।


▪ गोवा कनाधिक की सीमा पर बनता है ।
▪ इसकी ऊाँचाई 30 मी० है ।
▪ कंु धचकल जलप्रपात (कंु चीकल र्बर्बा जलप्रपात)

▪ कंु धचकल जलप्रपात (कंु चीकल र्बर्बा जलप्रपात) भारत का सबसे ऊाँचा
जल प्रपात है ।
▪ इसकी ऊाँचाई 455 मी० है।
▪ वराही नदी पर बनता है ।
▪ गोकक जलप्रपात

▪ घािप्रभा नदी (घिप्रभा नदी) पर बनता है , कृष्णा नदी की सहायक नदी


है ।
▪ मेकेदातु जलप्रपात

▪ कावेरी नदी पर है ।

भारत का राष्ट्रीय सडक पररििन तंत्र


भारत में सडक यातायात दे श की कुल यातायात का 87.4% िै ।

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▪ भारत में कुल 66 लाख कक०मी० का सडक नेिवकध है ।


▪ सडक पररवहन में ववश्व में पहला थिान – यू०एस०ए० का है ।
▪ दस
ू रा थिान पर – भारत है ।
▪ तीसरा थिान – चीन का है ।

भारत में मख्


ु य रूप से ननम्न प्रकार की सडकें िै –

▪ राष्रीय राजमागध (NH-National Highway)


▪ राज्य राजमागध (SH-State Highway)
▪ सीमांत सडकें (Border Road)
▪ स्जला सडकें
▪ ग्रामीण सडकें

भारत का औसत सडक घनत्ि- 142.6 कक०मी० / 100 िगव कक०मी० िै ।

▪ भारत का अधर्कतम सडक घनत्व वाला राज्य केरल हैं- 517 कक०मी० / 100
वगध कक०मी०

दे श में आधिधक ववकास को बढ़ावा दे ने के शलए 1998-1999 में तत्कालीन प्रर्ानमंत्री


अिल बबहारी वाजपेयी के नेतत्ृ व में राष्रीय राजमागध ववकास पररयोजना (NHDP-
National Highway Development Project) शुरू की गई।

राष्रीय राजमागध (National Highway)

▪ भारत में राष्रीय राजमागध (National Highway) की कुल लम्बाई –


1,42,126 कक०मी० है ।
▪ इन राष्रीय राजमागों के तनमाधण एवं रखखाव हे तु – NHAI, CPWD कायध
करती है ।
▪ NHAI की थिापना 1988 में हुई िी। मख्
ु यालय हदल्ली में है ।

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▪ CPWD की थिापना 1854 में हुई िी। मख्


ु यालय हदल्ली में है ।
▪ राष्िीय राजमागध (National Highway) की अधर्कतम लम्बाई 15,436
कक०मी० महाराष्र में है ।
▪ राज्य राजमागध (State Highway) की अधर्कतम लम्बाई 33,705 कक०मी० भी
महाराष्र में ही है ।

स्थान राष्ट्रीय राजमागव (National Highway) राज्य राजमागव (State Highway)

प्रिम महाराष्र- 15,436 कक०मी० महाराष्र- 33,705 कक०मी०

द्ववतीय उत्तर प्रदे श- 8711 कक०मी० तशमलनाडू- 26,985 कक०मी०

तत
ृ ीय राजथिान- 7985 कक०मी० कनाधिक- 20758 कक०मी०

चति
ु ध मध्य प्रदे श- 7854 कक०मी० गुजरात- 19,761 कक०मी०

▪ अन्य मागों की तल
ु ना में राष्िीय राजमागध(National Highway) मात्र 2% ही
है । परन्तु इन पर यातायात का कुल 40% हहथसा तनभधर करता है।
▪ राष्िीय राजमागध (National Highway) का वगीकरण –
▪ Single Lane National Highway- 22%
▪ Double Lane National Highway- 54%
▪ Multilane National Highway(4lane, 6 lane & 8 lane)- 24%

राष्ट्रीय राजमागव की नंबररंग की


प्रकिया
▪ सभी उत्तर से दक्षक्ण उन्नमख
ु (Vertical या लम्बवत) राजमागों को सम
(even) संख्या दी जाती है । ये संख्या पव
ू ध से पस्श्चम की ओर को बढ़ते हुए

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िम में आवंहित ककया जाता है । इन सभी राजमागों को नकशे में नीले रं ग से


दशाधया जाता है ।
▪ सभी पूवध से पस्श्चम उन्नमुख (Horizontal या क्ैततज) राजमागों को ववषम
(odd) संख्या दी जाती है । ये संख्या उत्तर से दक्षक्ण की ओर को बढ़ते हुए िम
में आवंहित ककया जाता है । इन सभी राजमागों को नकशे में लाल रं ग से
दशाधया जाता है ।
▪ सभी प्रमख
ु राष्रीय राजमागध (National Highway) की संख्या एकल या दो
अंक ही होते है ।
▪ तीन अंकों वाले राजमागध (National Highway) मख्
ु य राजमागध की एक उप-
शाखा होंगे।
▪ उदाहरण के शलए- NH144- NH44 की एक उप शाखा है ।
▪ अंग्रेजी के A,B,C,D आहद प्रत्यय तीन अंकों वाले उप राजमागों की भी
उपशाखा होंगे।
▪ उदाहरण के शलए- NH144A, इसमें मख्
ु य राजमागध NH44 है तिा
NH144 उसकी उपशाखा है तिा NH144A उसकी भी उपशाखा है ।
▪ उपरोकत नंबररंग के अनस
ु ार भारत के प्रमख
ु राष्रीय राजमागों का वववरण
तनम्नवत है -
▪ NH1- जम्मू कश्मीर (उरी-लेह)
▪ NH2- असम (डडब्रग
ू ढ़) से नागालैंढ-मणणपरु -शमजोरम (तप
ु ांग) तक।
▪ NH4- अंडमान तनकोबार द्वीपसमूह में स्थित है ।
▪ भारत का अंततम सम संख्या (even) वाला राष्रीय राजमागध
(लम्बवत/vertical, नीले रं ग का) NH68 है। जोकक राजथिान के
जैसलमेर को गुजरात के प्रांततज से जोडता है । अतः भारत में NH70
नहीं है ।
▪ भारत में अंततम ववषम संख्या (odd) वाला राष्रीय राजमागध
(क्ैततज/Horizontal, लाल रं ग का) NH87 है । जोकक तशमलनाडु में
स्थित है । अतः भारत में NH87 नहीं है ।

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स्िर्णवम चतभ
ु ज
ुव पररय़ोजना
थवणणधम चतभ
ु ज
ुध पररयोजना (Golden Quadrilateral Project) : थवणणधम चतभ
ु ज
ुध
योजना वषध 1999 में शुरू हुई िी लेककन तनमाधण कायध आधर्काररक तौर पर 2001 में
शुरू हुआ िा। तत्कालीन प्रर्ानमंत्री थवगीय श्ी अिल बबहारी वाजपेयी ने सबसे बडे
राजमागध की महत्वाकांक्ी पररयोजना ‘थवणणधम चतुभज
ुध पररयोजना’ की शुरुआत की
िी।

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थवणणधम चतुभज
ुध पररयोजना

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थवणणधम चतुभज
ुध योजना (Golden Quadrilateral)

▪ थवणणधम चतभ
ु ज
ुध पररयोजना दे श के चार महानगरों को राष्रीय राजमागध
(National Highway) से जोडने वाली पररयोजना है ।
हदल्ली-मम्
ु बई-चेन्नई-कोलकाता इसकी कुल लम्बाई 5846 कक०मी० है।
▪ थवणणधम चतभ
ु ज
ुध (Golden Quadrilateral) कुल 13 राज्यों से होकर गज
ु राता
है ।

राष्ट्रीय राजमागव
मिानगरों कुल
(National राष्ट्रीय राजमागव के मध्य में पडने िाले प्रमख
ु शिर
के नाम लम्बाई
Highway) का नाम

हदल्ली – 1419 हदल्ली,हररयाणा, राजथिान (जयपरु , उदयपरु ),


NH-48
मम्
ु बई कक०मी० गज
ु रात(अहमदाबाद, सरू त), महाराष्र(मम्
ु बई)

मुम्बई – 1290 महाराष्र (मुम्बई, िाने पुणे), कनाधिक(बेंगलरू


ु ),
NH-48
चेन्नई कक०मी० तशमलनाडु (चेन्नई)

आंध्र प्रदे श (नेल्लरू , गि


ुं ू र, ववजयवाडा,
चेन्नई – 1684
NH-16 ववशाखापट्िनम), ओडडशा (भव
ु नेश्वर), पस्श्चम
कोलकाता कक०मी०
बंगाल (खडगपुर, कोलकाता)

पस्श्चम बंगाल (आसनसोल) झारखंड, बबहार


कोलकाता – 1435
NH-16 (मोहतनया), उत्तर प्रदे श (मिरु ा, कानपरु , आगरा,
हदल्ली कक०मी०
प्रयागराज, बनारस, हररयाणा हदल्ली)

उत्तर-दक्षक्षण तथा पूि-व पस्श्चम गसलयारा

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उत्तर-दक्षक्ण तिा पव
ू -ध पस्श्चम गशलयारा (North-South and East-West Corridor
(NS-EW)) : उत्तर-दक्षक्ण तिा पूव-ध पस्श्चम गशलयारा, जम्मू और कश्मीर के ‘श्ीनगर’
को तशमलनाडु के ‘कन्याकुमारी’ से जोडने वाला ‘उत्तर-दक्षक्ण गशलयारा’ तिा असम के
‘शसलचर’ को गज
ु रात के ‘पोरबन्दर’ से जोडने वाला पव
ू -ध पस्श्चम गशलयारा है । उत्तर-
दक्षक्ण तिा पूव-ध पस्श्चम गशलयारे का संगम उत्तर प्रदे श के झााँसी में होगा। झााँसी को
इन दोनों गशलयारों का केन्र बबन्द ु माना गया है ।

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उत्तर-दक्षक्ण तिा पूव-ध पस्श्चम गशलयारा

▪ भारत के उत्तरी तिा दक्षक्णी बबन्द ु को एवं पव


ू ी तिा पस्श्चमी बबन्द ु को आपस
में जोडने वाले राज्य मागध इसके अंतगधत आते है ।
▪ उत्तर-दक्षक्ण तिा पव
ू -ध पस्श्चम गशलयारा पररयोजना के अन्तगधत NH-44 तिा
NH-27 आते है।
▪ ये दोनों राष्रीय राजमागध उत्तर प्रदे श में झांसी में एक दस
ू रे से शमलते है ।

उत्तर दक्षक्ण गशलयारा (North-South Corridor)

▪ NH-44 जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी को आपस में जोडता है ।


▪ भारत का सबसे लम्बा राष्रीय राजमागध है ।
▪ NH-44 जम्मू कश्मीर से हहमाचल प्रदे श-पंजाब-हररयाणा-हदल्ली-उत्तर
प्रदे श-राजथिान-मध्य प्रदे श-उत्तर प्रदे श-मध्य प्रदे श-महाराष्र-तेलग
ं ाना-आंध्र
प्रदे श-कनाधिक-तशमलनाडु तक जाता है ।
▪ इसकी कुल लम्बाई 3806 कक०मी० की है ।

पूव-ध पस्श्चम गशलयारा (East-West Corridor)

▪ NH-27 असम के शसलचर से गज


ु रात के पोरबंदर को आपस में जोडता
है ।
▪ NH-27 असम से पस्श्चम बंगाल-बबहार-उत्तर प्रदे श-राजथिान-गुजरात
तक जाता है ।
▪ इसकी कुल लम्बाई 3507 कक०मी० की है।

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सौर मंडल (Solar System)


सौर मंडल के आन्तररक एवं बाह्य ग्रह

आंतररक ग्रि बाह्य ग्रि

बुर् बह
ृ थपतत

शुि शतन

पथ्
ृ वी अरुण

मंगल वरुण

सौर मंडल के ग्रहों का िमवार वववरण

सय
ू व से दरू ी के िम में आकार के अनस
ु ार
स्थान
ग्रि का नाम ग्रि का नाम

पहला बुर् बह
ृ थपतत

दस
ू रा शि
ु शतन

तीसरा पथ्
ृ वी अरूण

चौिा मंगल वरूण

पांचवा बह
ृ थपतत पथ्
ृ वी

छठा शतन शि

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सातवां अरुण मंगल

आठवां वरुण बुद्र्

▪ पथ्
ृ वी के सबसे नजदीक शुि गह
ृ है।
▪ सय
ू ध अपनी र्ुरी पर पस्श्चम से पूवध की तरफ घडी की ववपरीत हदशा में घूणन

करता है । पथ्
ृ वी और अन्य ग्रह सरू ज की पररिमा करते हैं उसी प्रकार सूरज
भी आकाश गंगा के केन्र की पररिमा करता है ।
▪ शुि और अरुण को छोडकर बाकी सारे ग्रह भी सय
ू ध की ही भांतत पस्श्चम से
पूवध की तरफ घडी की उलिी हदशा में ही घम
ू ते हैं। केवल शुि और अरुण ग्रह
ही पव
ू ध से पस्श्चम की तरफ घडी की हदशा में घम
ू ते हैं।

सौरमंडल के ग्रहों के नाम और जानकारी

सौरमंडल में ग्रहों का िम (सूयध के नजदीक स्थित ग्रह से दरू स्थित ग्रह तक)

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सय
ू ध और सभी 8 ग्रहों का वववरण तनम्नशलणखत है -

सूयध (Sun)

▪ व्यास- 13,92,200 कक०मी०


▪ पथ्
ृ वी की तल
ु ना में सय
ू ध का 110 गन
ु ा व्यास अधर्क है।
▪ प्रॉस्कसमा सॅन्िौरी एक तारा और है जो सय
ू ध व हमारे सौर मंडल के समीप है
(पथ्
ृ वी से 4.24 प्रकाश-वषध की दरू ी पर)।
▪ सय
ू ध में परमाणु संलयन (Atomic Fusion) के कारण उजाध उत्पन्न होती है।
▪ Hydrogen-71%, Helium-26.5%, Carbon-1.5%, Nitrogen/Oxygen
and other gases only 1%
▪ बाहरी सतह का तापमान अन्दर से कम होता है । सय
ू ध का केन्रीय भाग िोड
कहलाता है ,
▪ सय
ू ध की आंतररक सतह का तापमान- 1.5 × 107°C है तिा
▪ सय
ू ध की बाहरी सतह का तापमान 6000°C है

▪ सय
ू ध की रोशनी को पथ्
ृ वी पर पहुंचने के शलए 8 शमनि और 20 सेकंड का समय
लगता है ।
▪ सय
ू ध के बाहरी हहथसे को प्रकाश मंडल तिा अंदर वाले को िोमोथफीयर कहते
है ।

बुर् ग्रह (Mercury)

▪ बुर् ग्रह सबसे छोिा और सय


ू ध के तनकितम ग्रह है । सय
ू ध के सबसे तनकि होने
पर भी बर्
ु ग्रह सबसे गरम ग्रह नहीं है कयोंकक सय
ू ध के तनकितम होने के
कारण इसका वायम
ु ण्डल नष्ि हो चुका है स्जस कारण उष्मा का क्य अधर्क
होता है ।

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▪ बर्
ु ग्रह को सय
ू ध की परू ी एक पररिमा करने में 88 हदन लगते हैं।
▪ बुर् को अपनी र्ुरी पर घूणन
ध करने में 59 हदन लगते है ।
▪ बुर् ग्रह का कोई उपग्रह नहीं है ।

शुि ग्रह (Venus)

▪ शि
ु का आकार एवं बनावि लगभग पथ्
ृ वी के बराबर है । इसशलए शि
ु को
पथ्
ृ वी की बहन भी कहा जाता है ।
▪ शुि सभी ग्रहों में सबसे अधर्क गरम ग्रह है। शुि का वायम
ु ण्डल CO2 से भरा
हुआ है जोकक लगभग 97% है ।
▪ शिु ग्रह को सूयध की पूरी एक पररिमा करने में इसे 255 हदन लग जाते हैं।
▪ शुि अपने अक् पर एक चककर घम
ू ने में इसे 243 हदन लगते है । शुि अपनी
र्रु ी पर पव
ू ध से पस्श्चम की तरफ घडी की हदशा में घम
ू ता है ।
▪ शुि सबसे चमकीला ग्रह है । इसशलए इसे सुन्दरता की दे वी तिा भोर का तारा
भी कहा जाता है ।

पथ्
ृ वी ग्रह (Earth)

▪ पथ्
ृ वी को सय
ू ध की एक पररिमा करने में 365 हदन 6 घंिे 48 शमनि और
45.51 सेकेंड लगते हैं।
▪ पथ्
ृ वी को अपने अक् पर घम
ु ने के शलए 23.56 घण्िे लगते है ।
▪ पथ्
ृ वी अपनी अक् पर 23.5 डडग्री झुकी हुई है। इसी झुकाव के कारण ही ऋतु
पररवतधन होता है ।
▪ पथ्
ृ वी को नीला ग्रह भी कहा जाता है । 71% पानी होने के कारण अंतररक् से
इसका रं ग नीला हदखाई दे ता है।
▪ पथ्
ृ वी का केवल एक उपग्रह चंरमा है जोकक पथ्ृ वी से करीब 4 लाख कक०मी०
(3,84,400 कक०मी०) दरू स्थित है ।

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मंगल ग्रह (Mars)

▪ मंगल में Iron Oxide अधर्क होने के कारण इसका रं ग लाल हदखाई दे ता है ।
अतः मंगल को लाल ग्रह भी बोला जाता है ।
▪ मंगल को अपने अक् पर घम
ु ने के शलए 24.6 घण्िे लगते हैं।
▪ मंगल को सय
ू ध की पूरी एक पररिमा करने में 687 हदन लगते हैं।
▪ मंगल के 2 उपग्रह फोबोस एवं डडमोस हैं।
▪ मंगल ग्रह का आकार पथ्
ृ वी से छोिा है ।
▪ मंगल ग्रह पर तनकस ओलस्म्पया (Nix Olympia) नामक एक पवधत है जोकक
आकार में माउं ि एवरे थि से तीन गन
ु ा अधर्क ऊंचा है ।

बह
ृ थपतत ग्रह (Jupiter)

▪ बह
ृ थपतत सभी ग्रहों में सबसे बडा ग्रह है ।
▪ बह
ृ थपतत अपने अक् पर घम
ु ने के शलए केवल 10 घण्िे का समय लेता है । सभी
ग्रहों में सबसे तेज।
▪ बह
ृ थपतत ग्रह का तापमान 130 डडग्री सेस्ल्सयस है ।
▪ बह
ृ थपतत ग्रह के सबसे अधर्क 79 उपग्रह हैं। इन उपग्रहों में से गैतनमीड सबसे
बडा उपग्रह है । गैतनमीड ही परू े सौरमंडल का सबसे बडा उपग्रह भी है तिा
आकार में यह बद्
ु र् ग्रह से भी बडा है ।
▪ सय
ू ध की परू ी एक पररिमा करने में बह
ृ थपतत को 12 वषों का समय लगता है ।
▪ बह
ृ थपतत वजन की तल
ु ना में सारे ग्रहों के वजन से 2.5 गुना अधर्क भारी है ।

शतन ग्रह (Saturn)

▪ सय
ू ध से दरू ी के अनस
ु ार शतन छठे थिान पर है ।
▪ शतन ग्रह के आकार के अनस
ु ार ये दस
ू रे थिान पर है ।
▪ शतन चारों और से वलय से तघरा हुआ है ।

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▪ शतन के उपग्रहों की संख्या 62 है । सबसे बडा उपग्रह िाइिन है ।

अरुण ग्रह (Uranus)

▪ सय
ू ध से दरू ी के अनस
ु ार अरुण सातवां तिा आकार में तीसरा ग्रह है ।
▪ अरुण को हरा ग्रह भी कहा जाता है । इसका हरा रं ग वायम
ु ंडल में शमिेन गैस
होने के कारण है ।
▪ अरुण ग्रह के कुल 27 उपग्रह हैं।
▪ अरुण ग्रह को अपने अक् में पूवध से पस्श्चम की तरफ घडी की हदशा में घूमता
है ।

वरुण ग्रह (Neptune)

▪ वरूण ग्रह सय
ू ध से दरू ी के अनस
ु ार आठवां तिा आकार में चौिा ग्रह है।
▪ वरूण ग्रह के कुल 14 उपग्रह हैं।
▪ सय
ू ध से सबसे अधर्क दरू होने के कारण वरूण ग्रह सबसे ठं डा ग्रह है ।
▪ सय
ू ध का परू ा एक चककर लगाने में वरूण ग्रह को कुल 165 साल का समय लग
जाता है ।

सौरमंडल से सम्बस्न्धत मित्िपूणव प्रश्न

▪ सौर मंडल में ककतने ग्रह हैं – सौर मंडल में आठ ग्रह हैं – बर्
ु , शि
ु , पथ्ृ वी,
मंगल, बहृ थपतत, शतन, यूरेनस (अरुण ग्रह) और नेप्च्यन
ू (वरुण ग्रह)।
▪ सबसे बडा ग्रह – बह
ृ थपतत
▪ सबसे छोिा ग्रह- बर्

▪ सय
ू ध के सबसे पास ग्रह- बर्

▪ सय
ू ध से सबसे दरू ग्रह- वरूण

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▪ पथ्
ृ वी के सबसे पास ग्रह- शि

▪ चमकीला ग्रह- शुि
▪ सबसे गरम ग्रह- शुि
▪ सबसे ठं डा ग्रह- वरूण
▪ लाल ग्रह- मंगल (Iron Oxide के कारण)
▪ लाल र्ब्बा प्रतीत होने वाला ग्रह- शुि
▪ नीला ग्रह- पथ्
ृ वी (71% पानी होने के कारण)
▪ हरा ग्रह- अरुण/वरूण (शमिेन गैस होने के कारण)
▪ भोर का तारा- शुि
▪ शाम का तारा- शि

▪ सबसे अधर्क उपग्रह वाला ग्रह- बह
ृ थपतत(कुल-79)
▪ सबसे बडा उपग्रह- गैतनमीड (बह
ृ थपतत)
▪ सबसे छोिा उपग्रह- डीमोस (मंगल)
▪ सौरमंडल के सबसे नजदीक का तारा- प्रॉस्कसमा सॅन्िौरी (पथ्
ृ वी से 4.24 प्रकाश-
वषध की दरू ी पर)
▪ सबसे चमकीला तारा- साइरस
▪ अपनी र्रु ी पर सबसे तेज घुमने वाला ग्रह- बह
ृ थपतत(10 घण्िे )
▪ अपनी र्रु ी पर सबसे र्ीरे घम
ु ने वाला ग्रह- शुि(243 हदन)
▪ सरू ज की सबसे तेज पररिमा करने वाला ग्रह- बर्
ु (88 हदन)
▪ सूरज की सबसे र्ीरे पररिमा करने वाला ग्रह- वरूण(165 साल)

पथ्
र िी का िायम
ु ण्डल (Atmosphere of
Earth)
वायम
ु ण्डल की परतों का ववथतत
ृ वववरण तनम्नशलणखत है -

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1. क्ोभण्डल (Troposphere)

▪ क्ोभण्डल वायम
ु ण्डल की सबसे तनचली परत पर है ।
▪ क्ोभण्डल की ऊाँचाई 8-18 कक०मी० तक होती है ।
▪ र्ुवों पर क्ोभण्डल की ऊाँचाई 8 कक०मी० तिा ववषव
ु त रे खा पर 18 कक०मी०
होती है ।
▪ सारी मौसमी गततववधर्यााँ क्ोभण्डल में ही होती हैं जैसे बबजली का कडकना,
बादल का बनना, इंरर्नुष आहद।
▪ मौसम ववभाग के गुब्बारों को भी क्ोभण्डल पर ही उडाया जाता है।
▪ तापमान ऊपर की ओर चढ़ने पर 6.4 डडग्री/कक०मी० की दर से घिता है ।
▪ वायम
ु ण्डल का 75% भार यहीं पर पाया जाता है ।

2. समतापमण्डल (Stratosphere)

▪ समतापमण्डल पर तापमान समान रहता है ।


▪ समतापमण्डल की र्रती से ऊाँचाई 18-50 कक०मी० तक होती है ।
▪ ओजोन परत समतापमण्डल में ही स्थित है। जोकक सय
ू ध से आने वाली
पराबैंगनी ककरणों को अवशोवषत कर लेती है।
▪ तापमान समान रहने व मौसमी गततववधर्यों से मक
ु त होने के कारण वायु यान
समतापमण्डल में ही उडाये जाते हैं।

3. मध्यमण्डल (Mesosphere)

▪ मध्यमण्डल वायम
ु ण्डल की तीसरी परत है तिा वायम
ु ण्डल के बीच में स्थित
है ।
▪ मध्यमण्डल की र्रती से ऊाँचाई 85 कक०मी० है ।
▪ मध्यमण्डल, समतापमण्डल से 60 कक०मी० ऊपर तक फैला होता है ।

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▪ अंतररक् से आने वाले उल्का वपंड मध्यमण्डल पर आकर ही जलकर समाप्त हो


जाते हैं।
▪ मध्यमण्डल परत में तापमान ऊाँचाई के साि बढ़ने लगता है ।

4. आयनमण्डल (Ionosphere)

▪ आयनमण्डल र्रती से 690 कक०मी० की ऊाँचाई पर स्थित है ।


▪ आयनमण्डल 60-640 कक०मी० तक फैला हुआ है।
▪ आयनमण्डल परत में ऊाँचाई के साि तापमान में तेज वद्
ृ धर् होती है ।
▪ आयनमण्डल परत को आयनमण्डल इसशलए कहा जाता है कयोंकक यहां पर
सौतयधक ववककरण के कारण ववद्युत आवेशशत कण (आयनाइज कण) पाये जाते
है । जोकक रे डडयो संचार में सहायक होते हैं। स्जससे िे लीववजन तिा रे डडयो
संचार संभव हो पाता है ।
▪ उत्तर ध्रुवीय तिा दक्षक्ण ध्रव
ु ीय प्रकाश आयनमण्डल में ही बनता है -
▪ उत्तरी ध्रव
ु ीय प्रकाश को बोररयाशलस कहा जाता है ।
▪ दक्षक्णी ध्रव
ु ीय प्रकाश को ऑथरे शलस कहा जाता है ।

5. बाह्यमण्डल (Exosphere)

▪ बाह्यमण्डल वायम
ु ण्डल की सबसे ऊपरी सतह है ।
▪ बाह्यमण्डल की कोई ऊपरी सीमा नहीं है यह अंततः अंतररक् में जाकर शमल
जाती है ।
▪ बाह्यमण्डल में Hydrogen तिा Helium गैसों की अधर्कता पायी जाती है ।
▪ बाह्यमण्डल में ही कृबत्रम उपग्रह थिावपत ककये जाते हैं।
▪ बाह्यमण्डल र्रती से 500 से 1000 कक०मी० तक पाया जाता है ।

चट्टानों के प्रकार
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ट्िान या शैल के प्रकार

इन तीनों का ववथतत
ृ वववरण तनम्नवत है-

1. आग्नेय चट्िान (Igneous Rock)

▪ आग से बनी चट्िानें यानी ज्वालामुखी से तनकले लावा, मैग्मा एवं र्ूल के


कणों के ठं डा होने पर जो चट्िाने बनती है वे आग्नेय चट्िाने कहलाती है।
▪ इन्हें प्रािशमक या मात ृ शैल भी कहा जाता है ।
▪ इनमें परते एवं जीवाश्म नहीं पाये जाते ।
▪ लोहा, तनककल, सोना, तांबा एवं जथता जैसे प्रमख
ु खतनज इसमें पाये जाते है।
▪ आधिधक रूप से सम्पन्न चट्िानें है ।
▪ आग्नेय चट्टान के उदािरण – ग्रेनाइि, बेसाल्ि, पेग्मािाइि एवं बबिुशमनस आहद
इसके प्रमख
ु उदाहरण है ।

2. अवसादी चट्िान (Sedimentary Rock)

▪ अवसादी चट्िानों का तनमाधण आग्नेय चट्िान से ही होता है ।


▪ आग्नेय चट्िाने हवा व पानी की वजह से दरू जाकर जमने लगती है । इसी से
अवसादी चट्िानों का तनमाधण होता है ।
▪ आग्नेय चट्िान की परत दर परत जमने से अवसादी चट्िाने बनती है । अतः
इन्हें परतदार चट्िाने भी कहा जाता है ।
▪ इन चट्िानों में जीवाश्म पाये जाते हैं ।
▪ खतनज तेल और शैल गैस आहद पाया जाते है ।
▪ अिसादी चट्टान के उदािरण – बलवा पत्िर, चन
ू ा पत्िर कोयला, डोलोमाइि,
सेल चट्िान, संवपड, शलग्नाइि आहद इसके प्रमख
ु उदाहरण है।

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3. कायान्तररत चट्िान (Metamorphic Rock)

▪ ताप, दाब एवं रासायतनक कियाओं के कारण आग्नेय एवं अवसादी चट्िानों का
रूप बदल जाता है । स्जसे रूपांतररत या कायान्तररत चट्िान कहा जाता है ।
▪ ये दो प्रकार की होती हैं –

▪ आग्नेय से कायान्तररत चट्िाने


▪ ग्रेनाइि (आग्नेय) से नीस (कायान्तररत)
▪ बेसाल्ि (आग्नेय) से शसथि (कायान्तररत)

▪ अवसादी से कायान्तररत
▪ बलआ
ु पत्िर (आग्नेय) से कवािध जाइि (कायान्तररत)
▪ चन
ू ा पत्िर (आग्नेय) से संगमरमर (कायान्तररत)
▪ कायान्तररत चट्टान के उदािरण या रूपांतररत चट्टान के उदािरण
– ग्रेनाइि (आग्नेय) – नीस (कायान्तररत),
बेसाल्ि (आग्नेय) – शसथि (कायान्तररत), बलआ
ु पत्िर (आग्नेय) –
कवािध जाइि (कायान्तररत),चन
ू ा पत्िर (आग्नेय) – संगमरमर (कायान्तररत) आहद
इसके प्रमुख उदाहरण है ।

भारत में पायी जाने िाली भग


ू सभवक
चट्टानें

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भारत की भूगशभधक चट्िानें

1. आककधयन िम की चट्िानें

▪ ये चट्िानों पथ्ृ वी के ठं डा होने के बाद सबसे पहले बनी तिा ये सबसे परु ानी
चट्िानें हैं।
▪ प्रायद्वीप भारत के 2/3 भाग में पायी जाती है । मख्
ु यतः कनाधिक, आंध्र प्रदे श,
तशमलनाडु, बबहार।
▪ आककधयन चट्िानें रवेदार होती है ।
▪ इन चट्िानों में जीवाश्म का अभाव होता है ।
▪ नीस, ग्रेनाइि, माबधल, कवािध ज, डोलोमाइि आहद आककधयन िम की चट्िानों के
प्रमख
ु उदाहरण हैं।
▪ आककधयन िम की चट्िानें का इतना रुपांतरण हुआ है कक वतधमान समय में ये
अपना वाथतववक रूप खो चुकी है ।

2. र्ारवाड िम की चट्िानें

▪ नामकरण कनाधिक के र्ारवाड स्जले के नाम पर । सबसे पहले यहीं पर खोजी


गयी िी ।
▪ इनका तनमाधण आककधयन िम की चट्िानों के रुपांतरण से हुआ है।
▪ प्रमख
ु रूप से कनाधिक के 3 स्जलों र्ारवाड, बबल्लारी, शशमोगा में पायी जाती है ।
▪ आधिधक रूप से सबसे समद्
ृ र् चट्िानें हैं। भारत की सभी प्रमुख खतनज
र्ातुएं जैसे लोहा, सोना, मैंगनीज, जथता, तांबा, िं गथिन, िोशमयम इसी िम की
चट्िानों में पायी जाती हैं।
▪ कनाधिक की कोलार एवं हट्िी की खाने इसी के अंतगधत आती है ।

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3. कुडप्पा िम की चट्िानें

▪ इनका नामकरण आंध्र प्रदे श के कुडप्पा स्जले से हुआ है ।


▪ इनका तनमाधण र्ारवाड िम की चट्िानों के नहदयों द्वारा एवं ववशभन्न जल
कियाओं से अपरदन के कारण हुआ है ।
▪ इसका प्रमुख क्ेत्र भी आंध्र प्रदे श ही है । इसके अलावा ये चट्िानें मध्य प्रदे श,
राजथिान तिा महाराष्र में भी पायी जाती हैं।
▪ आधिधक रूप से ये र्ारवाड चट्िानों स्जतनी तो समद्
ृ र् नहीं है परन्तु इन
चट्िानों में भी तांबा, तनककल, कोबाल्ि आहद र्ातुएं प्राप्त होती है ।

4. ववंध्यन िम की चट्िानें

▪ प्रमख
ु रूप से ववंध्याचल पवधत के क्ेत्र में पायी जाती है ।
▪ ये परतदार चट्िानें हैं तिा इनका तनमाधण कुडप्पा की चट्िानों के बाद हुआ है ।
▪ भवन तनमाधण सामग्री के शलए प्रशसद्र् है जैसे चन
ू ा पत्िर, बलआ
ु पत्िर,
संगमरमर आहद।
▪ हीरे के शलए प्रशसद्र् मध्य प्रदे श की पन्ना की खान तिा आंध्र प्रदे श की
गोलकंु डा की खान इसी िम की चट्िानों का भाग है ।

5. गोंडवाना िम की चट्िानें

▪ इस िम की चट्िानें प्रमख
ु रूप से नदी घाहियों में पायी जाती है ।
▪ इसका प्रमुख ववथतार दामोदर, महानदी तिा गोदावरी की घाहियों में है ।
▪ भारत में पाया जाने वाला 98% कोयला, गोंडवाना िम की चट्िानों में ही पाया
जाता है ।
▪ गोंडवाना िम की चट्िानों में मुख्यतः बबिुमेनी कोयला पाया जाता है ।

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6. दककन रै प

▪ प्रायद्वीपीय भारत गोण्डवाना लैंड का भाग है । प्राचीन काल में स्जस समय ये
भाग अफ्रीका महाद्वीप से अलग हुआ उस समय र्रती के अंदर से लावा
तनकलकर पठार के रूप में फैल गया।
▪ इस लावा के कारण बेसाल्ि की चट्िानों का तनमाधण हुआ।
▪ दककन रै प मख्
ु य रूप से महाराष्र में फैला हुआ है , तिा इसका कुछ भाग
मध्य प्रदे श तिा गुजरात में भी आता है ।
▪ दककन रै प के अपरदन से काली शमट्िी का तनमाधण होता है। काली शमट्िी को
रे गर शमट्िी अिवा कपासी शमट्िी भी कहा जाता है ।

भारत में पायी जाने िाली भूगसभवक


चट्टानें
भारत की भूगशभधक चट्िानें

1. आककधयन िम की चट्िानें

▪ ये चट्िानों पथ्ृ वी के ठं डा होने के बाद सबसे पहले बनी तिा ये सबसे परु ानी
चट्िानें हैं।
▪ प्रायद्वीप भारत के 2/3 भाग में पायी जाती है । मख्
ु यतः कनाधिक, आंध्र प्रदे श,
तशमलनाडु, बबहार।
▪ आककधयन चट्िानें रवेदार होती है ।
▪ इन चट्िानों में जीवाश्म का अभाव होता है ।

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▪ नीस, ग्रेनाइि, माबधल, कवािध ज, डोलोमाइि आहद आककधयन िम की चट्िानों के


प्रमख
ु उदाहरण हैं।
▪ आककधयन िम की चट्िानें का इतना रुपांतरण हुआ है कक वतधमान समय में ये
अपना वाथतववक रूप खो चकु ी है ।

2. र्ारवाड िम की चट्िानें

▪ नामकरण कनाधिक के र्ारवाड स्जले के नाम पर । सबसे पहले यहीं पर खोजी


गयी िी ।
▪ इनका तनमाधण आककधयन िम की चट्िानों के रुपांतरण से हुआ है।
▪ प्रमख
ु रूप से कनाधिक के 3 स्जलों र्ारवाड, बबल्लारी, शशमोगा में पायी जाती है ।
▪ आधिधक रूप से सबसे समद्
ृ र् चट्िानें हैं। भारत की सभी प्रमख
ु खतनज
र्ातुएं जैसे लोहा, सोना, मैंगनीज, जथता, तांबा, िं गथिन, िोशमयम इसी िम की
चट्िानों में पायी जाती हैं।
▪ कनाधिक की कोलार एवं हट्िी की खाने इसी के अंतगधत आती है ।

3. कुडप्पा िम की चट्िानें

▪ इनका नामकरण आंध्र प्रदे श के कुडप्पा स्जले से हुआ है ।


▪ इनका तनमाधण र्ारवाड िम की चट्िानों के नहदयों द्वारा एवं ववशभन्न जल
कियाओं से अपरदन के कारण हुआ है ।
▪ इसका प्रमुख क्ेत्र भी आंध्र प्रदे श ही है । इसके अलावा ये चट्िानें मध्य प्रदे श,
राजथिान तिा महाराष्र में भी पायी जाती हैं।
▪ आधिधक रूप से ये र्ारवाड चट्िानों स्जतनी तो समद्
ृ र् नहीं है परन्तु इन
चट्िानों में भी तांबा, तनककल, कोबाल्ि आहद र्ातुएं प्राप्त होती है ।

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4. ववंध्यन िम की चट्िानें

▪ प्रमख
ु रूप से ववंध्याचल पवधत के क्ेत्र में पायी जाती है ।
▪ ये परतदार चट्िानें हैं तिा इनका तनमाधण कुडप्पा की चट्िानों के बाद हुआ है ।
▪ भवन तनमाधण सामग्री के शलए प्रशसद्र् है जैसे चन
ू ा पत्िर, बलआ
ु पत्िर,
संगमरमर आहद।
▪ हीरे के शलए प्रशसद्र् मध्य प्रदे श की पन्ना की खान तिा आंध्र प्रदे श की
गोलकंु डा की खान इसी िम की चट्िानों का भाग है ।

5. गोंडवाना िम की चट्िानें

▪ इस िम की चट्िानें प्रमख
ु रूप से नदी घाहियों में पायी जाती है ।
▪ इसका प्रमुख ववथतार दामोदर, महानदी तिा गोदावरी की घाहियों में है ।
▪ भारत में पाया जाने वाला 98% कोयला, गोंडवाना िम की चट्िानों में ही पाया
जाता है ।
▪ गोंडवाना िम की चट्िानों में मुख्यतः बबिुमेनी कोयला पाया जाता है ।

6. दककन रै प

▪ प्रायद्वीपीय भारत गोण्डवाना लैंड का भाग है । प्राचीन काल में स्जस समय ये
भाग अफ्रीका महाद्वीप से अलग हुआ उस समय र्रती के अंदर से लावा
तनकलकर पठार के रूप में फैल गया।
▪ इस लावा के कारण बेसाल्ि की चट्िानों का तनमाधण हुआ।
▪ दककन रै प मख्
ु य रूप से महाराष्र में फैला हुआ है, तिा इसका कुछ भाग
मध्य प्रदे श तिा गुजरात में भी आता है ।
▪ दककन रै प के अपरदन से काली शमट्िी का तनमाधण होता है। काली शमट्िी को
रे गर शमट्िी अिवा कपासी शमट्िी भी कहा जाता है ।

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भारत के मित्िपण
ू व स्टील पलांट
भारत के प्रमख
ु थिील प्लांि

बोकारो थिील प्लांि

▪ झारखंड में स्थित है।


▪ एशशया का सबसे बडा थिील प्लांि है ।
▪ तत
ृ ीय पंचवषीय योजना के अंतगधत बनाया गया िा।
▪ रूस की सहायता से 1973 में शरू
ु ककया गया।

शभलाई थिील प्लांि

▪ छत्तीसगढ़ में स्थित है।


▪ द्ववतीय पंचवषीय योजना के अंतगधत बनाया गया िा।
▪ रूस की सहायता से 1959 में शुरू ककया गया।

दग
ु ाधपरु थिील प्लांि

▪ पस्श्चम बंगाल में स्थित है ।


▪ द्ववतीय पंचवषीय योजना के अंतगधत बनाया गया िा।
▪ बब्रिे न की सहायता से 1962 में शरू
ु ककया गया।

राउरकेला थिील प्लांि

▪ ओडडशा में स्थित है ।


▪ द्ववतीय पंचवषीय योजना के अंतगधत बनाया गया िा।

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▪ जमधनी की सहायता से 1959 में शरू


ु ककया गया।

बनधपरु थिील प्लांि

▪ पस्श्चम बंगाल में स्थित है ।

ववजयनगर थिील प्लांि

▪ कनाधिक में स्थित है ।

भारत के प्रमुख खननज, उनकी खानें


एिं राज्य
भारत में पाये जाने वाले खतनज, उनकी खानें एवं राज्य

खान का नाम राज्य खननज

केंदझ
ु ार ओडडशा मैंगनीज

बोनाई ओडडशा मैंगनीज

कालाहांडी ओडडशा मैंगनीज

बालाघाि मध्य प्रदे श मैंगनीज

भण्डारा महाराष्र मैंगनीज

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श्ीकाकुलम आंध्र प्रदे श मैंगनीज

मलाजखंड मध्य प्रदे श तांबा

खेतडी राजथिान तांबा

खो-दरीबा राजथिान तांबा

मस
ु ाबनी झारखंड तांबा

भोिांग शसस्ककम तांबा

पाचेयखानी शसस्ककम तांबा

रं गपो शसस्ककम तांबा

कोलार कनाधिक सोना

हट्िी कनाधिक सोना

रामधगरी आंध्र प्रदे श सोना

रामगंगा उत्तर प्रदे श सोना

रााँची झारखंड बाकसाइि

पलामू झारखंड बाकसाइि

लोहरदग्गा झारखंड बाकसाइि

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अमरकंिक मध्य प्रदे श बाकसाइि

कोरापि
ु ओडडशा बाकसाइि

पंचपतमाली पहाडी ओडडशा बाकसाइि

तशमलनाडु की तीन पहाडडयां


तशमलनाडु बाकसाइि
(पलानी, जावादी, शेवाराय)

दल्ली राजहरा छत्तीसगढ़ लोहा

बैलाडीला छत्तीसगढ़ लोहा

गोरुमाहहसानी ओडडशा लोहा

बादाम पहाड ओडडशा लोहा

राउरकेला ओडडशा लोहा

बाबाबद
ू न कनाधिक लोहा

कंु रे मुख कनाधिक लोहा

सुन्दर पहाडी कनाधिक लोहा

नोआमड
ुं ी झारखंड लोहा

शसंहभूशम झारखंड लोहा

दामूदा श्ेणी पस्श्चम बंगाल लोहा

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भंडारा स्जला महाराष्र लोहा

कंु रे मख
ु कनाधिक मैग्नेिाइि लोहा

सेलेम तशमलनाडु मैग्नेिाइि लोहा

कोझीकोड केरल मैग्नेिाइि लोहा

गोवा गोवा मैग्नेिाइि लोहा

जादग
ू ोडा झारखंड यूरेतनयम

बगजाता झारखंड यूरेतनयम

महाडथक(खासी पहाडी) मेघालय यूरेतनयम

तुम्मलापल्ली आंध्र प्रदे श यूरेतनयम

तिवती केरल नीलधगरी क्ेत्र केरल िोररयम

बथतर स्जला छत्तीसगढ़ हिन

पन्ना मध्य प्रदे श हीरा

सतना मध्य प्रदे श हीरा

कुरनल
ू स्जला आंध्र प्रदे श हीरा

हजारी बाग झारखंड अभ्रक

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झररया झारखंड कोयला

हनम
ु ानगढ़ राजथिान स्जप्सम

डोडा जम्मू कश्मीर स्जप्सम

रानीगंज पस्श्चम बंगाल कोयला

भारतीय जलिायु
भारत की जलवायु

1. उष्णकहिबंर्ीय जलवायु

▪ ववषुवत रे खा पर सूयध का प्रकाश वषध भर लंबवत एवं सबसे अधर्क पडता


है । 23.5° उत्तरी अक्ांश को ककध रे खा एवं 23.5° दक्षक्णी अक्ांश को
मकर रे खा कहा जाता है । सय
ू ध का लंबवत प्रकाश वषधभर इसी क्ेत्र (ककध
रे खा एवं मकर रे खा) के बीच ववचलन करता है ।
▪ ककध रे खा एवं मकर रे खा के बीच का यही भाग साल भर सबसे अधर्क
गरम रहता है , तिा इस क्ेत्र में उष्णकहिबंर्ीय जलवायु पायी जाती है ।
▪ ककध रे खा भारत के बीचों बीच से होकर गुजरती है । अतः ककध रे खा से
दक्षक्ण में पडने वाला भारतीय क्ेत्र उष्णकहिबंर्ीय जलवायु के अंतगधत
आता है ।
▪ तनयमतः ककध एवं मकर रे खा एक जलवायु ववभाजक की भूशमका
तनभाती है । अिाधत ककध एवं मकर रे खा के बीच का भाग उष्णकहिबंर्ीय
एवं िमशः ककध तिा मकर रे खा के उत्तरी एवं दक्षक्णी भाग शीतोष्ण

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कहिबंर्ीय होते है , परन्तु भारतीय उपमहाद्वीप में यह तनयम परू ी तरह


लागू नहीं हो पाता तिा भारतीय उपमहाद्वीप में ककध रे खा जलवायु
ववभाजक की भूशमका नहीं तनभा पाती है। इसके दो प्रमुख कारण यह हैं
कक –
▪ भारत के उत्तर में स्थित हहमालय पवधत साइबेररया से आने वाली
शीत हवाओं को भारत में प्रवेश नहीं करने दे ता। स्जस कारण
भारत में ककध रे खा से ऊपर वाला भाग शीतोष्ण कहिबंर्ीय क्ेत्र
होने के बाद भी शीत ऋतु के मौसम में साइबेररया जैसे अन्य
शीतोष्ण कहिबंर्ीय क्ेत्रों से कम ठं डा होता है ।
▪ हहमालय पवधत हहंद महासागर से आने वाली आर हवाओं को रोक
कर वषाध करवाता है , स्जस कारण ककध रे खा के उत्तर में स्थित
हदल्ली तक वषाध होती है ।

2. मानसूनी जलवायु

▪ मानसन
ू एक अरबी शब्द है , तिा इसका अिध है मौसम पररवतधन के साि
हवाओं की हदशा में ववपरीत पररवतधन ।
▪ भारत में मख्
ु यतः दो प्रकार की मानसन
ू ी हवाएाँंाँ प्रवाहहत होती हैं –

▪ उत्तर-पूवी मानसून

▪ जो हवाएाँ शीत ऋतु में उत्तर-पूवध से बहकर भारत में प्रवाहहत होती
हैं उन्हें उत्तर पव
ू ी हवाएाँ कहा जाता है ।
▪ उत्तर-पव
ू ी मानसन
ू भारत में केवल शीत ऋतु में ही प्रवाहहत होता
है ।
▪ मख्
ु य रूप से ये मानसन
ू थिलखण्ड के ऊपर से प्रवाहहत होकर
भारत में प्रवेश करता है , स्जस कारण ये अधर्कांश भारत में वषाध
करने में सक्म नहीं है। परन्तु अपवाद थवरूप इस मानसन
ू का

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वह भाग जो बंगाल की खाडी के ऊपर से प्रवाहहत होता है । वहां


से पयाधप्त मात्रा में नमी ग्रहण कर लेता है एवं तशमलनाडु के पव
ू ी
घाि से िकराकर वहां वषाध करता है । इसी कारण तशमलनाडु के
कोरोमण्डल ति पर शीत ऋतु में वषाध होती है ।

▪ दक्षक्ण-पस्श्चम मानसून

▪ भारत में ग्रीष्म ऋतु में हहंद महासागर से दक्षक्ण-पस्श्चम हदशा से


प्रवेश करती है ।
▪ भारत में होने वाली कुल वषाध में से 90% वषाध इसी मानसून के
कारण होती है ।

तनष्कषध- अतः यह शसद्र् होता है कक भारत में उष्णकहिबंर्ीय एवं मानसन


ू ी दोनों
प्रकार की जलवायु पायी जाती है । उष्णकहिबंर्ीय जलवायु इसशलए कयोंकक यहां ककध
रे खा के उत्तर में हहमालय पवधत तक उष्णकहिबंर्ीय दशाए (condition) रहती हैं।
मानसन
ू ी जलवायु इसशलए कयोंकक भारत में ऋतु पररवतधन के साि-साि हवाओं कक
हदशा में थपष्ि पररवतधन दे खा जा सकता है , ग्रीष्म ऋतु में दक्षक्ण-पस्श्चम मानसन

तिा शीत ऋतु में उत्तर-पव
ू ी मानसन
ू ।

ग्रीष्ट्म ऋतु में मौसम की कियाविगध


भारत में मानसन
ू का सवाधधर्क भाग लगभग 90% दक्षक्ण-पस्श्चम मानसन
ू से प्राप्त
होता है जोकक भारत में जून माह में भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करता है । दक्षक्ण-
पस्श्चम मानसन
ू की परू ी कियाववधर् को समझने के शलए माचध से जन
ू तक के मौसम
को समझना आवश्यक है । 21 माचध को सूयध ववषुवत रे खा पर लम्बवत ् चमकता है ।
उसके बाद र्ीरे -र्ीरे उत्तरायण होने लगता है तिा 21 जून तक ककध रे खा के ऊपर
पहुंच जाता है । इसके साि साि ITCZ (Inter Tropical Conversion Zone, अंतः
उष्णकहिबंर्ीय अशभसरण क्ेत्र) भी उत्तर की तरफ णखसकने लगता है , स्जससे उत्तरी
गोलार्ध में गमी बढ़ने लगती है । जैसे जैसे ITCZ उत्तर की ओर णखसकता है , उत्तरी

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भारत में प्रवाहहत होने वाली पछुआ जेि र्ारा की दक्षक्णी शाखा कमजोर पडने लगती
है तिा अब वो हहमालय के उत्तर में चीन तिा ततब्बत से होकर प्रवाहहत होने लगती
है ।

▪ माचव-अप्रैल माि में मौसम की कियाविगध


▪ 22 माचध के बाद सय
ू ध के उत्तरायण होने के साि साि पस्श्चमोत्तर भारत
गरम होने लगता है । स्जसे भारतीय उपमहाद्वीप में माचध एवं अप्रैल में
पस्श्चमोत्तर भारत में एक कम दबाव का क्ेत्र बन जाता है । इस तनम्न
दबाव के क्ेत्र को भरने के शलए उत्तर भारत में हवाएं चल पडती है
कयोंकक ये तनम्न दबाव का क्ेत्र अभी इतना शस्कतशाली नहीं है कक ये
हहंद महासागर की आरध हवाओं को आकवषधत कर सके अतः ये हवाए
थिलखंडों से आती स्जनमें आरध ता की मात्रा काफी कम होती है जोकक
वषाध करने में असमिध होती है । इन हवाओं से र्ल
ू भरी आंधर्यााँ चलती
हैं।
▪ मई का मौसम
▪ मई महीने के पहले सप्ताह में ITCZ भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षक्णी
छोर पर प्रवेश कर जाता है । अब ITCZ र्ीरे -र्ीरे ऊपर उठता है और 21
जन
ू को ककध रे खा पर पहुाँच जाता है । जब ITCZ 5 मई के आस पास
भारतीय उपमहाद्वीप पर प्रवेश करता है तब इस तनम्न दाब के क्ेत्र को
भरने के शलए पवनें चलती है । समर
ु के पास होने कारण इन पवनों में
वषाध करने के शलए पयाधप्त आरध ता होती है तिा ये पवनें दक्षक्ण से ककध
रे खा तक ITCZ के साि वषाध करती चलती है । ये वषाध वाथतववक
मानसन
ू नहीं है, बस्ल्क मानसन
ू पवध फूहार है। ये वषाध मुख्यतः केरल,
कनाधिक और तशमलनाडु में होती है । इसे अलग अलग राज्यों में अलग
अलग नाम से जाना जाता है ।
▪ केरल- आम वषाध, फूलों वाली वषाध
▪ कनाधिक- कॉफी वषाध, चेरी ब्लॉसम

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मई माह के अंत में 20-25 मई तक जब ITCZ ककध रे खा के आस पास पहुाँचने


लगता है तब पस्श्चम बंगाल मौसमी हलचल का केन्र बन जाता है । इस समय में या
तो यहां तेज र्ल
ू भरी आंधर्यां चलती है या यहद हवाओं में आरध ता की मात्रा अधर्क
होती है तो तेज र्नझाविी वषाध होती है। इस वषाध को काल बैसाखी के नाम से भी
जाना जाता है।

▪ जून का मौसम
▪ हालांकक सय
ू ध की लम्बवत ककरणें ककध रे खा पर 21 जन
ू को पहुाँचती है
परन्तु कयोंकक थिलखण्ड, महासागरों की तल
ु ना में जल्दी गरम हो जाता
है अतः ITCZ 21 जून से पहले ही 1 जन
ू तक पव
ू ोत्तर भारत में थवयं को
थिावपत कर लेता है । इस तनम्न दबाव के क्ेत्र को भरने के शलए उत्तर
भारत में तेज, गरम और शष्ु क हवाएं चल पडती है स्जन्हें लू कहा जाता
है । ये हवाएं मई के अंत या जन
ू की शरू
ु आत में चलती है ।
▪ 1 जन
ू के आस-पास पस्श्चमोत्तर भारत में उत्पन्न ITCZ काफी
शस्कतशाली हो जाता है । अब ये इतना शस्कतशाली हो जाता है कक ये
हहंद महासागर की आरध हवाओं को आकवषधत कर लेता है । ये हवाएं
भारत में दक्षक्ण-पस्श्चम हदशा से प्रवेश करती है अतः इसे दक्षक्ण-
पस्श्चमी मानसन
ू भी कहा जाता है । सबसे पहले ये भारत में प्रवेश करते
ही पस्श्चमी घाि से िकराकर केरल के मालाबार ति पर 1 जन
ू को वषाध
करता है । इसके बाद ये उत्तर में हहमालय तक तिा पस्श्चम में हदल्ली
तक वषाध करता है ।

दक्षक्षण पस्श्चम मानसून


21 माचध को सय
ू ध ववषव
ु त रे खा पर लम्बवत चमकता है । उसके बाद र्ीरे -र्ीरे उत्तरायण
होने लगता है तिा 21 जून तक ककध रे खा के ऊपर पहुंच जाता है । इसके साि साि
ITCZ (Inter Tropical Conversion Zone, अंतः उष्णकहिबंर्ीय अशभसरण क्ेत्र)
भी उत्तर की तरफ णखसकने लगता है , स्जससे उत्तरी गोलार्ध में गमी बढ़ने लगती है ।

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▪ जन
ू के पहले सप्ताह तक पस्श्चमोत्तर भारत में ववकशसत ITCZ जब अत्यधर्क
शस्कतशाली होता है तब ये दक्षक्णी गोलार्ध में से दक्षक्ण-पव
ू ी व्यापाररक पवनों
को भी अपनी ओर आकवषधत कर लेता है ।
▪ फेरल के तनयमानस
ु ार जब ये व्यापाररक पवनें उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश करती है
तब अपने दाईं तरफ मुड जाती है । तिा भारत में दक्षक्ण-पस्श्चम हदशा से प्रवेश
करती है ।
▪ सबसे पहले दक्षक्ण पस्श्चमी मानसन
ू 1 जन
ू को केरल के मालाबार ति पर वषाध
करता है । तिा 15 जल
ु ाई तक पूरा भारतीय उपमहाद्वीप इसके प्रभाव में आ
जाता है । 15 शसतंबर तक ये वषाध इसी प्रकार चलती रहती है ।
▪ दक्षक्ण पस्श्चमी मानसन
ू भारत में 2 शाखाओं में प्रवेश करता है –

1.
1. दक्षक्ण पस्श्चम मानसन
ू की अरब सागर शाखा।
2. दक्षक्ण पस्श्चम मानसन
ू की बंगाल की खाडी शाखा।

1. दक्षक्ण-पस्श्चम मानसन
ू की अरब सागर शाखा

▪ सबसे पहले केरल के मालाबार ति पर वषाध होती है । इस शाखा से गुजरात से


लेकर कन्याकुमारी तक परू े पस्श्चमी घाि पर वषाध होती है।
▪ जब 1 जन
ू को केरल के मालाबार ति पर वषाध होती है तब इसे मानसन

प्रथफोि या मानसन
ू ववथफोि कहा जाता है । 1 जून से 15 शसतंबर तक परू े
पस्श्चमी ति में 250 सी0मी0 वषाध होती है ।
▪ भारत में दक्षक्ण-पस्श्चमी मानसन
ू द्वारा होने वाली वषाध थिलाकृतत (ऊंचे
पहाडों) द्वारा तनर्ाधररत होती है । जब पवनें पहाडी से िकराकर ऊपर उठती है
तब इन पवनों के तापमान में कमी आती है स्जसे एडडयाबेहिक ताप ह्रास कहा
जाता है । तापमान में आयी कमी से आरता संघतनत होकर जल बद
ंू ों के रूप में
वषाध होती है। इसे पवधतीय वषाध भी कहा जाता है ।

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▪ अरब सागर शाखा से होने वाली वषाध दक्षक्ण से उत्तर की ओर घिती चली जाती
है , कयोकक दक्षक्ण की तरफ चोहियां अधर्क ऊंची है । अतः पस्श्चमी घाि के
दक्षक्णी भाग में अधर्क वषाध होती है ।
▪ इसके पश्चात अरब सागर शाखा नमधदा एवं तापी नदी की घािी से प्रवाहहत
होते हुए अमरकंिक में वषाध करती है।
▪ इसके बाद ये गुजरात में सैराष्र वाले क्ेत्र में धगर और माण्डव पहाडडयों से
िकराकर वषाध करती है स्जसके कारण गज
ु रात का बाकी हहथसा वस्ृ ष्ि छाया क्ेत्र
या वषाध छाया क्ेत्र में आ जाता है , अतः अधर्कतर भाग सूखा रह जाता है ।
▪ इसके पश्चात ये राजथिान में प्रवेश करती है तिा अरवाली श्ेणी की सबसे
ऊाँची चोिी गरू
ु शशखर से िकराकर माउण्ि आबू में पयाधप्त वषाध करती है । पर ये
पूरे अरावली श्ेणी पर वषाध नहीं कर पाती कयोंकक अरावली श्ेणी का ववथतार
इन पवनों की हदशा के समानांतर है । स्जस कारण इन पवनों का इससे िकराव
नहीं हो पाता।

2. दक्षक्ण-पस्श्चम मानसन
ू की बंगाल की खाडी शाखा

▪ बंगाल की खाडी शाखा भारत में दक्षक्ण-पव


ू ध हदशा से प्रवेश करने के कारण पूवी
घाि के समानांतर प्रवाहहत होती है स्जस कारण ये पव
ू ी घाि के पवधतों से नहीं
िकरा पाता है । अतः वहां वषाध नहीं कर पाता है ।
▪ बंगाल की खाडी शाखा पवू ी घाि के समानांतर प्रवाहहत होते हुए सबसे पहले
शशलांग के पठार(मेघालय-पवू ोत्तर भारत) से िकराती है तिा वहां खासी पहाडडयों
पर वषाध करती है । यहीं पर मासनराम स्थित है यहां पर 1080 सी0मी0 वषाध
होती है ।
▪ इसके बाद बंगाल की खाडी शाखा असम की सूरमा घािी में प्रवेश करती है
तिा वहां ब्रह्मपुत्र नदी की घािी में प्रवेश करती है तिा यहां पयाधप्त वषाध
करती है ।
▪ दक्षक्ण-पस्श्चम मानसन
ू की बंगाल की खाडी शाखा की एक शाखा पस्श्चम
बंगाल में प्रवेश करती है तिा वहां से ये कोलकाता से होते हुए उत्तर भारत के

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मैदान में प्रवेश करती है तिा पिना, इलाहाबाद, कानपरु होते हुए हदल्ली तक
जाती है । ये शाखा से होने वाली वषाध की मात्रा पव
ू ध से पस्श्चम की तरफ यानी
कोलकाता से हदल्ली की तरफ घिती है । हदल्ली से और पस्श्चम की तरफ में ये
शाखा वषाध नहीं कर पाती ।
▪ जब इस द0प0 मानसन
ू की शाखा की पवनें राजथिान में प्रवेश करती है तब
इन्हें अरावली पवधत से िकराकर वषाध करनी चाहहए परन्तु वषाध नहीं हो पाती है ।
इसके दो प्रमख
ु कारण हैं-
▪ यहां तक पहुाँचते-पहुाँचते पवनों में नमी की मात्रा काफी कम हो जाती है ।
▪ राजथिान ITCZ का क्ेत्र है स्जस कारण यहां की भूशम काफी गरम होती
है अतः जब पहने यहां पहुाँचती है तब उनमे सापेक्षक्क आरता बढ़ जाती
है । स्जस कारण उनके जल ग्रहण करने की क्मता में वद् ृ धर् हो जाती है ।

अतः राजथिान में दक्षक्ण पस्श्चम मानसन


ू की न तो अरब सागर शाखा वषाध कर
पाती है और न ही बंगाल की खाडी शाखा । वाथतव में बंगाल की खाडी शाखा कुछ
वषाध करती है जोकक पवनों में नमी की मात्रा पर तनभधर करता है ।

▪ दक्षक्ण-पस्श्चम मानसन
ू की बंगाल की खाडी शाखा की पवनें जब कोलकाता से
उत्तर भारत के मैदान में जब प्रवेश करती है तब फेरल के तनयम के अनस
ु ार
कोररयाशलस बल के कारण ये पवनें अपने मागध से दाहहनी ओर मड
ु जाती है
यानी हहमालय की शशवाशलक श्ेणणयों की तरफ । स्जस कारण शशवाशलक
श्ेणणयों की दक्षक्णी ढ़ालों पर अच्छी-खासी वषाध प्राप्त होती है । इसी कारण से
प्रायद्वीप भारत के पठार के उत्तरी भाग पर वषाध प्राप्त नहीं हो पाती । इसी
कारण से उत्तर प्रदे श तिा मध्य प्रदे श में फैला हुआ बुंदेलखण्ड का क्ेत्र सूखा
ग्रथत क्ेत्र के अंतगधत आता है ।

शीत ऋतु में ि़ोने िाली िर्ाव

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भारत में शीत ऋतु में होने वाली वषाध 20 हदसंबर से लेकर माचध तक होती है । शीत
ऋतु में मानसन
ू के दो क्ेत्र है पहला पस्श्चमोत्तर भारत के पहाडी एवं मैदानी भाग
तिा तशमलनाडु का कोरोमण्डल ति।

शीत ऋतु में वषाध दो कारणों से होती है –

1. पस्श्चमी ववक्ोभ
2. उत्तर-पव
ू ी मानसन

1. पस्श्चमी ववक्ोभ

▪ यह एक शीतोष्ण चिवात है।


▪ इस शीतोष्ण चिवात का जन्म भारत के पस्श्चम में यूरोप में भूमध्य सागर मे
होता है ।
▪ भम
ू ध्य सागर के ऊपर जन्म लेने के पश्चात ये अपने पूवध की तरफ चलता है
तिा जब यह भारत में प्रवेश करता है तब इसे पस्श्चमी ववक्ोभ कहा जाता है ।
▪ मख्
ु य रूप से पस्श्चमोत्तर भारत में वषाध करता है । पहाडी राज्यों में अिाधत(जम्मू
कश्मीर, हहमाचल प्रदे श, उत्तराखण्ड) में हहमपात के रूप में तिा मैदानी राज्यों में
अिाधत पंजाब हररयाणा तिा हदल्ली में जल बूंदों के रूप में होती है।
▪ आमतौर पर वषधभर हहमालय के उत्तर में मध्य एशशया, ततब्बत एवं चीन में
र्रातल से 6-12 कक0मी0 की ऊंचाई पर क्ोभमण्डल सीमा के पास पस्श्चम से
पूवध की तरफ चलने वाली वायु र्ाराओं को जेि र्ाराए या जेि प्रवाह कहते है ।
कयोंकक ये पस्श्चमी से पवध हदशा में बहती है अतः इन्हें पछुआ जेि र्ारा भी
कहा जाता है ।
▪ जब शीत ऋतु में सय
ू ध दक्षक्णायन होकर मकर रे खा पर चला जाता है तब ये
जेि र्ाराए भी अपने मागध से कुछ दक्षक्ण में आकर प्रवाहहत होने लगती है ।
दक्षक्ण में आते ही हहमालय इसके मागध में अवरुद्र् उत्पन्न करता है तिा ये
पछुआ जेि र्ारा दो शाखाओं में बि जाती है।

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▪ पछुआ जेि र्ारा की उत्तरी शाखा ।


▪ पछुआ जेि र्ारा की दक्षक्णी शाखा ।
▪ पछुआ जेि र्ारा की दक्षक्णी शाखा हहमालय के दक्षक्ण में उत्तर भारत के
मैदानों के ऊपर पस्श्चम से पव
ू ध की तरफ प्रवाहहत होने लगती है । वाथतव में
पछुआ जेि र्ारा की यही शाखा शीत ऋतु में उत्तर भारत के मैदान पर
महत्वपूणध प्रभाव डालती है ।
▪ पछुआ जेि र्ारा ही पस्श्चमी ववक्ोभ को भारत में लाती है । पस्श्चमी ववक्ोभ
भम
ू ध्य सागर के ऊपर जन्म लेता है तिा काला सागर एवं कैस्थपयन सागर से
नमी ग्रहण करता है ।
▪ पस्श्चमी ववक्ोभ से शीत ऋतु में होने वाली वषाध पस्श्चमी भारत से पव
ू ी भारत
की तरफ कम होती जाती है । परन्तु अगर पस्श्चमी ववक्ोभ में आरता की मात्रा
अधर्क है तो यह पस्श्चमी बबहार तक वषाध करती है ।
▪ पस्श्चमी ववक्ोभ से होने वाली वषाध पहाडी राज्यों में सेब की फसल के शलए
तिा मैदानी राज्यों में रबी की फसल के शलए लाभदायक होती है ।
▪ पस्श्चमी ववक्ोभ से हहमालय की उन चोहियों पर हहमपात होता है जोकक
हहमरे खा से ऊपर यानी 4400 मी0 से अधर्क ऊंचाई पर है । हहमरे खा पर
तापमान 0°C होता है ।

2. शीत ऋतु में उत्तर-पव


ू ी मानसून

▪ ववषव
ु त रे खा पर सालभर सय
ू ध की ककरणें लम्बवत पडती है । स्जस कारण यहां
पर तनम्न वायुदाब बना रहता है ।
▪ इस तनम्न वायद
ु ाब के क्ेत्र को ववषव
ु तरे खीय तनम्न दाब का क्ेत्र भी कहा जाता
है । इस तनम्न वायुदाब के क्ेत्र को भरने के शलए 35° उत्तरी तिा 35° दक्षक्णी
अक्ांश से व्यापाररक पवनें प्रवाहहत होने लगती है ।
▪ ये व्यापाररक पवनें सीर्े ववषव
ु त रे खा की तरफ न प्रवाहहत होकर कुछ पस्श्चम
में प्रवाहहत होती है । ऐसा फेरल के तनयम के अनस
ु ार कोररयाशलस बल के

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कारण होता है । स्जस कारण उत्तरी गोलार्ध में पवनें अपने दाई ओर तिा
दक्षक्णी गोलार्ध में अपने बाई ओर ववचशलत हो जाती है ।
▪ इस कारण उत्तरी गोलार्ध में इन व्यापाररक पवनों की हदशा उत्तर-पवध से दक्षक्ण-
पस्श्चम हो जाती है तिा दक्षक्णी गोलार्ध में दक्षक्ण-पव
ू ध से उत्तर-पस्श्चम हो
जाती है ।
▪ शीत ऋतु में जब सय
ू ध दक्षक्णायन होता है तब ITCZ भी मकर रे खा की तरफ
ववथिावपत हो जाता है तिा इस कारण से भारत परू ी तरह से उत्तर-पव
ू ी
व्यापाररक पवनों के अर्ीन हो जाता है ।
▪ उत्तर-पव
ू ी व्यापाररक पवनें थिल खण्डो के ऊपर से प्रवाहहत होकर आती है ।
स्जस कारण इनमें नमी का अभाव होता है और ये परू े भारत-वषध में वषाध नहीं
कर पाती है । परन्तु इन व्यापाररक पवनों का वह भाग जो बंगाल की खाडी के
ऊपर से प्रवाहहत होता है वहां से पयाधप्त आरता ग्रहण कर लेता है तिा
तशमलनाडु में पस्श्चमी घाि से िकराकर कोरामण्डल ति पर पयाधप्त वषाध करता
है ।

मानसन
ू का ननितवन (लौटता मानसन
ू )
21 जून को सय
ू ध की ककरणें ककध रे खा पर लम्बवत पडती हैं। 22 जून से सय
ू ध
दक्षक्णायन होना प्रारम्भ कर दे ता है । 23 शसतंबर को सय
ू ध वापस ववषव
ु त रे खा के ठीक
ऊपर चमकता है । तिा 22 हदसंबर को सय
ू ध की लम्बवत ककरणें मकर रे खा के ऊपर
पडती हैं।

इसके पररणाम थवरूप पस्श्चमोत्तर भारत में बना ITCZ का क्ेत्र भी ववषुवत रे खा की
तरफ णखसकने लगता है । स्जसके कारण मानसून भी दक्षक्ण की तरफ णखसकने
लगता है । यह प्रकिया मानसन
ू का तनवतधन(लौिना) कहलाती है । ये प्रकिया 1 शसतंबर
से प्रारम्भ होकर 15 अकिूबर तक चलती है तिा दक्षक्ण-पस्श्चमी मानसन
ू भारतीय
उपमहाद्वीप से बाहर हो जाता है । सबसे पहले मानसून का तनवतधन राजथिान से शरू

होता है ।

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मानसन
ू के तनवतधन काल में सबसे अधर्क वषाध पव
ू ी तिीय मैदान में होती है । इसका
समय काल 15 अकतब
ू र से 15 नवम्बर तक होता है । वापस लौिते मानसन
ू से होने
वाली वषाध के दो प्रमुख कारण हैं।

▪ कयोंकक थिलखण्ड जल से पहले गमध हो जाता है अतः ITCZ भारत के


पस्श्चमोत्तर भाग में ववषव
ु त रे खा क्ेत्र से पहले ही थिावपत होता है परन्तु इस
समय तक(मानसून के तनवतध काल शसतंबर एवं अकतूबर) तक बंगाल की खाडी
भी पयाधप्त गरम हो जाती है स्जस कारण ये लौिता मानसन
ू यहां से पयाधप्त
नमी ग्रहण कर पाता है । इसके साि ही यहां पर इसी समय उत्तर-पव
ू ी मानसन

भी प्रवाहहत होने लगता है । अतः दक्षक्ण-पस्श्चमी मानसन
ू की बंगाल की खाडी
शाखा का लौिता मानसन
ू , उत्तर-पव
ू ी मानसन
ू के साि शमलकर दक्षक्ण-पस्श्चम
हदशा की तरफ प्रवाहहत होने लगता है । यहीं कारण है कक मानसन
ू के तनवतधन
काल में पव
ू ी तिीय मैदान में वषाध होती है ।
▪ अकिूबर तक आते-आते बंगाल की खाडी पयाधप्त गरम हो जाती है तिा बंगाल
की खाडी की ऊष्ण सतह उष्णकहिबंर्ीय चिवातों की उत्पवत्त के शलए आदशध
दशाए उपलब्र् कराती है । ये चिवात पूवध से पस्श्चम हदशा में भ्रमण करते है
तिा पूवी घाि से िकराकर यहां वषाध करता है ।

िस्र ष्ट्ट छाया क्षेत्र एिं अंतर


उष्ट्णकहटबंधीय असभसरण क्षेत्र
वस्ृ ष्ि छाया क्ेत्र

जब आरध पवने पहाडी से िकराकर ऊपर उठने लगती है तब उसके तापमान में कमी
आने लगती है स्जसे एडडयाबेहिक ताप ह्रास कहा जाता है स्जससे आरध हवाएं संघतनत
होकर जल बद
ूं ों के रूप में धगरने लगती है । इसके ववपरीत जब पहले पहाडी की दस
ू री

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तरफ से ढाल के साि नीचे उतरती है तब इन पवनों से वषाध नहीं होती है स्जसके दो
प्रमख
ु कारण हैं-

▪ इन पवनों में आरध ता की मात्रा कम हो जाती है ।


▪ जब ये पवने पहाड की दस
ू री ढाल से नीचे उतरती हैं तब इनके तापमान में
वद्
ृ धर् होने लगती है स्जसे एडडयाबेहिक ताप वद्
ृ धर् कहते है स्जस कारण इन
पवनों की आरध ता ग्रहण करने की क्मता बढ़ जाती है ।
▪ पवधतों के सामने वाली ढ़ाल स्जससे पवनें सबसे पहले िकराती हैं को पवन
सम्मख
ु ढाल कहा जाता है । इसी ढ़ाल पर एडडयाबेहिक ताप ह्रास के चलते वषाध
होती है ।
▪ पवधतों के पीछे वाली ढ़ाल स्जससे पवनें बाद में उतरती हैं को पवन ववमुख
ढाल कहा जाता है । ये वाला क्ेत्र वस्ृ ष्ि छाया प्रदे श कहलाता है ।
▪ तेलग
ं ाना, ववदभध(महाराष्र) एवं उत्तरी कनाधिक वाला क्ेत्र वस्ृ ष्ि छाया क्ेत्र। यहां
पर किीली मोिी झाडडयााँ पायी जाती है ।
▪ इसी कारण से गज
ु रात में भी दक्षक्ण-पस्श्चमी मानसन
ू से वषाध नहीं हो पाती है ।
कयोंकक गुजरात का क्ेत्र धगर एवं माण्डव पहाडडयों की वस्ृ ष्ि छाया क्ेत्र में
आता है ।

ITCZ (Intertropical Conversion Zone) (अंतर उष्णकहिबंर्ीय


अशभसरण क्ेत्र)

ववषुवत रे खा पर साल भर तापमान अधर्क रहता है स्जस कारण यहां पर पवनें गमध
होकर ऊपर उठती है स्जससे ववषव
ु त रे खा पर एक तनम्न दाब का क्ेत्र बन जाता है ।
इस तनम्न दाब के क्ेत्र को भरने के शलए उत्तरी तिा दक्षक्णी गोलार्ध से व्यापाररक
पवनें यहां पर आती है तिा िकराकर ऊपर उठ जाती है। अतः ववषुवत रे खा के पास
स्थित इस उच्च ताप की पेिी/क्ेत्र या तनम्न वायु दाब की पेिी/क्ेत्र को ITCZ (अंतः
उष्णकहिबंर्ीय अशभसरण क्ेत्र) कहा जाता है। ये क्ेत्र (ITCZ) ककध तिा मकर रे खा

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के मध्य सय
ू ध की स्थितत के अनस
ु ार ववचरण करता रहता है । ग्रीष्म ऋतु में ITCZ
उत्तरी गोलार्ध में ककध रे खा के पास तिा शीत ऋतु में जब सूयध दक्षक्णायन होता है
तब ITCZ भी मकर रे खा की तरफ ववथिावपत हो जाता है । ITCZ 35° उत्तरी अक्ांश
से 35° दक्षक्णी अक्ांश तक ववचलन करता हैं।

भारत में चििातों की उत्पवत्त


भारत में चिवात मख्
ु यतः बंगाल की खाडी में उत्पन्न होते हैं तिा पस्श्चम से पव
ू ध की
हदशा में गतत करते हुए पूवी घाि से िकराते है । पररणामथवरूप पव
ू ी घाि में वषाध तिा
ववनाश का कारण बनते हैं।

▪ शसतंबर माह के अंत तक बंगाल की खाडी गरम हो जाती है । खाडी की ये ऊष्ण


जल सतह उष्णकहिबंर्ीय चिवात की उत्पवत्त के शलए आदशध
दशाएं (conditions) उपलब्र् कराती है ।
▪ ये चिवात पूवी जेि र्ारा की सहायता से पूवध से पस्श्चम की तरफ बढ़ते है ।
तिा पव
ू ी घाि में ओडडशा, आंध्र प्रदे श तिा तशमलनाडु में वषाध करते है ।
▪ ये पूरी प्रकिया शसतंबर के अंततम सप्ताह या अकिूबर के प्रिम सप्ताह से
नवंबर के प्रिम सप्ताह तक होती है ।
▪ उत्तर भारत के मैदान में बनारस तिा इलाहाबाद तक इन चिवातों से प्रभाववत
होता है ।
▪ चिवात में केंर से बाहर की तरफ वायु दाब बढ़ता रहता है । केंर में वायुदाब
काफी तनम्न होता है स्जस कारण बाहर से पवनें इसे भरने के शलए अंदर की
तरफ आती है । इन पवनों की गतत 220 कक0मी0/घण्िा तक हो सकता है । ये
हवाएाँ सीर्े केंर में प्रवेश नहीं करती है बस्ल्क चिाकार रूप में प्रवेश करती है ।
उत्तरी गोलार्ध में चिवात में पवनों की हदशा घडी की हदशा के ववपरीत तिा
दक्षक्णी गोलार्ध में घडी की हदशा के साि होती है ।
▪ चिवात के केंर में ये पवनें एक तनस्श्चत सीमा पर आकर आपस में िकराकर
ऊपर की तरफ उठने लगती है । इस सीमा को चिवात की आाँख की दीवार

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कहते है । तिा चिवात के केंर में चिवात की आाँख स्थित होती है । यह एक


शान्त क्ेत्र होता है । इसके ऊपर का आसमान साफ होता है , जबकक आाँख की
दीवार के पास जब हवाएाँ आपस में िकराकर ऊपर उठती है तब कपासी मेघों
का तनमाधण होता है । सबसे अधर्क वषाध चिवात की आाँख के सहारे ही होती है ।
▪ चिवात की आाँख शान्त क्ेत्र होता है तिा यहां खडे व्यस्कत को चिवात का
आभास नहीं होता। चिवात की आाँख का व्यास 25-30 कक0मी0 होता है जबकक
परू े चिवात का व्यास 500-600 कक0मी0 तक हो सकता है ।
▪ उष्णकहिबंर्ीय चिवात के उत्पन्न होने के शलए सागर की सतह के जल का
तापमान 27°C या इससे अधर्क होना चाहहए । इससे नीचे वाष्पीकरण की
प्रकिया नहीं हो पाती है । यहीं कारण है कक ये चिवात ववषव
ु त रे खा के
पास 10° उत्तरी तिा 10° दक्षक्णी अक्ांश पर ही बनते है ।
▪ चिवात ववषुवत रे खा पर नहीं बनते कयोंकक वहां पर कोररयाशलस बल का मान
शन्
ू य होता है स्जस कारण पवनें चिाकार गतत नहीं कर पाती है । कोररयाशलस
बल का मान अधर्कतम ध्रव
ु ों पर होता है पर वहां पर सागर सतह का तापमान
कम होता है ।
▪ उष्णकहिबंर्ीय चिवात हमेशा महाद्वीपों के पव
ू ी ति पर ही बनते है कयोंकक
पूवी तिों पर गमध जलर्ाराएं प्रवाहहत होती है और पस्श्चमी तिों पर ठं डी।
▪ इन चिवातों को अलग–अलग दे शों में अलग अलग नाम से जाना जाता है –
▪ अमेररका– हररकेन
▪ चीन– िाइकून
▪ भारत– चिवात (साइकलोन)
▪ ऑथरे शलया– ववल्ली ववशलज
▪ ऊष्ण चिवातों की ऊजाध का स्रोत संघनन की गुप्त ऊष्मा होती है ।
▪ चिवात की मत्ृ यु तब होती है जब उसकी आाँख को
संघनन (Condensation) की गप्ु त ऊष्मा प्राप्त होना बंद हो जाए। ऐसा दो
कारणों से होता है –
▪ जब चिवात ध्रुवों की तरफ जाने लगता है ।
▪ जब चिवात थिलखण्डों की तरफ जाने लगता है ।

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भारत की प्राकरनतक िनस्पनत का


पररचय
1. ऊष्णकहिबंर्ीय वषाध वन

▪ इनको सदाबहार वन भी कहा जाता है । ये वनों की ववशेषता यह है कक ये वन


सालभर अपनी पवत्तयां नहीं धगरते हैं।
▪ भारत में वषाध वन उन क्ेत्रों में पाये जाते हैं जहां वषाध की मात्रा 250 cm तक
होती है ।
▪ इन वनों के प्रमुख क्ेत्र हैं-
▪ पस्श्चमी घाि में महाराष्र से केरल तक।
▪ पूवोत्तर भारत का शशलांग पठार।
▪ पस्श्चम बंगाल तिा ओडडशा का तिील भाग।
▪ तशमलनाडु का कोरामण्डल ति।
▪ अंडमान और तनकोबार।
▪ हहमालय का तराई क्ेत्र।
▪ इन वनों की प्रमख
ु ववशेषताएाँ-
▪ ये वन बहुत घने एवं लम्बे होते हैं। स्जस कारण सय
ू ध का प्रकाश र्रती
तक नहीं पहुाँच पाता है ।
▪ इनकी पवत्तयां काफी चौडी होती है । स्जससे ये र्रती के जल का
वाष्पोत्सजधन करते हैं।
▪ इन वनों में जीवों तिा वनथपततयों की ववववर्ता पायी जाती है ।
▪ इन वनों में कठोर लकडी वाले वक्
ृ पाये जाते हैं। अतः इन वक्
ृ ों की
लकडी का आधिधक / इमारती उपयोग नहीं हो पाता है ।
▪ इन वनों के प्रमुख वक्
ृ हैं-
▪ आबनस
ू , एबोनी, महोगनी, रोजवुड।

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▪ नाररयल, ताड, बांस(लम्बे-लम्बे वक्


ृ )।
▪ रबड, शसनकोना।
▪ पस्श्चमी घाि को सहयाहर भी कहा जाता है । उत्तरी सहयाहर यानी ऊपरी
पस्श्चमी घाि में वषाध वनों को शोला नाम से जाना जाता है ।

2. पतझड वन या पणधपाती वन या मानसूनी वन

▪ इन्हें पतझड या पणधपाती वन भी कहा जाता है ।


▪ ये वन वहां पाये जाते है जहां वावषधक वषाध 100cm से 250cm तक होती है ।
▪ दे श के सवाधधर्क क्ेत्रफल में यही मानसन
ू ी वन पाए जाते हैं।
▪ हहमालय के तराई क्ेत्र अिाधत मध्य प्रदे श से लेकर झारखंड तक उत्तर प्रदे श से
तशमलनाडु तक (बीच के किीले वन वाले भाग को छोडकर) जहां वषाध मानसूनी
होती है ये वन पाये जाते हैं।
▪ मानसन
ू ी वषाध होने के कारण यहां पर साल भर वषाध नहीं प्राप्त होती इस
कारण यहां पाये जाने वाले वक्
ृ सहदधयां बीत जाने के बाद या गमी आने से
पहले पानी को बचाने के शलए अपनी पवत्तयां धगरा दे ते है।
▪ ववशेषताएाँ- मल
ु ायम एवं मजबूत लकडी।
▪ प्रमख
ु वक्
ृ शीशम, साल, सागौन, साख,ू आम, आंवला, चंदन।
▪ इन वक्
ृ ों का इमारती प्रयोग सवाधधर्क होता है । अतः आधिधक उपयोधगता सबसे
अच्छी है ।
▪ चंदन मख्
ु य रूप से कनाधिक तिा नीलधगरी पहाडी क्ेत्र में पाया जाता है ।

3. किीले वन तिा झाडडयां

▪ ये वन कम वषाध वाले क्ेत्रों में जहां वावषधक वषाध 70cm से कम होती है पाये
जाते हैं।
▪ प्रमख
ु रूप से दो क्ेत्र में पाये जाते है -
▪ पस्श्चमी भारत में - राजथिान, पंजाब, गुजरात, पस्श्चमी उत्तर प्रदे श

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▪ वस्ृ ष्ि छाया प्रदे श- मध्य प्रदे श के इंदौर से आंध्र प्रदे श के कनल
ूध स्जले
तक एक अर्ध चंराकार पेिी में पाये जाते है ।
▪ पत्तों की जगह कािों ने ले ली है , स्जसके दो प्रमुख कारण हैं।
▪ वाष्पीकरण कम करने पानी की बचत करने में सहायक।
▪ जानवरों से सुरक्ा।
▪ प्रमख
ु वक्
ृ - बबल
ू , खजरू , नागफनी, खेजडा, बेल।

4. पवधतीय वन

▪ पवधतों पर पाये जाने वाले वन वषाध का अनस


ु रण न करके ढ़ाल का अनस
ु रण
करते हैं। ऐसा इसशलए कयोंकक ऊंचाई बढ़ने के साि-साि तापमान में तेज
धगरावि आती है ।
▪ ऊंचाई के साि तापमान में तेज धगरावि के कारण सीशमत क्ेत्र में ही जलवायु
में पररवतधन हदखाई पडता है ।
▪ ऊंचाई जलवायु में संशोर्न ला सकती है । इसी कारण पवधत जलवायु में
संशोर्न कर दे ते है ।
▪ क्ेत्र- भारत में दो जगह पाये जाते है –
▪ हहमालय पर पवधतीय वन
▪ 1500मी0 तक- सदाबहार तिा पतझड वन
▪ 1500मी0 से 2500मी0 तक- शीतोष्ण चौडी पत्ती वाले वन-
दे वदार, ओक, बचध, मैवपल।
▪ 2500मी0 से 4500मी0 तक – कोणर्ारी वन- चीड, थप्रस
ू , फर,
सनोवर, ब्लूपाइन
▪ 4500मी0 से 4800मी0 तक- िुण्रा वनथपतत- काई, घास, शलचेन।
▪ 4800मी0 से ऊपर- कोई वनथपतत नहीं पायी जाती।
▪ दक्षक्ण भारत में पाये जाने वाले पवधतीय वन
▪ नीलधगरी पवधत, अन्नामलाई तिा पालनी पहाडडयों में पाये जाते है ।

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▪ इन तीनों पहाडडयों के कुछ-कुछ क्ेत्रों में शीतोष्ण वन पाये जाते हैं


स्जन्हें दक्षक्ण भारत में शोलास कहते है ।
▪ शोलास वनों के मख्
ु य वक्
ृ है - लारे ल एवं मौगनोशलया।
▪ दक्षक्ण भारत की ये पहाडयां हहमालय पवधत की पहाडडयों जीतनी
ऊंची नहीं है । अतः यहां कोणर्ारी वन नहीं पाये जाते।

5. ज्वारीय वन या मैंग्रोव वन

▪ भारत में तिीय क्ेत्रों में जहां नहदयों ने अपना डेल्िा बनाया है वहां ये वक्
ृ पाये
जाते है ।
▪ क्ेत्र- गंगा नदी का डेल्िा, महानदी का डेल्िा, ब्रह्मपत्र
ु नदी का डेल्िा, गोदावरी
का डेल्िा, कृष्णा का डेल्िा, कावेरी का डेल्िा तिा गुजरात में कुछ भाग में पाये
जाते हैं।
▪ कयोककं गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्िा का अधर्कांश भाग बांग्लादे श के अर्ीन आता है
अतः भारत में मैग्रोंव वनों की सबसे अधर्क मात्रा गुजरात में पायी जाती है ।
उसके बाद आंध्र प्रदे श में गोदावरी तिा कृष्णा नदी के डेल्िा में ।
▪ अधर्कतर पव
ू ी ति पर पाये जाते है । कुछ मैंग्रोव वन गुजरात में भी पाये जाते
है परन्तु यहां ये नदी डेल्िा पर नहीं बस्ल्क ज्वारीय क्ेत्र में पाये जाते है अतः
यहां इन्हें ज्वारीय वन कहा जाता है ।
▪ इन वनों की प्रमुख ववशेषताएाँ तनम्नवत हैं-
▪ ये वन समर
ु के खारे पानी में डूबे रहते है।
▪ इन वनों की जडे पानी के बाहर हदखाई दे ती है ।
▪ लकडी कठोर होती है तिा छाल क्ारीय होती है ।
▪ वनथपतत- मैंग्रोवा, सुंदरी, कैसरू ीना, फॉतनकस
▪ गंगा-ब्रह्मपत्र
ु के डेल्िा में सद
ंु री नामक वक्
ृ पाया जाता है । इसी वन में बंगाल
िाइगर पाया जाता है ।
▪ मैंग्रोव वनों का महत्व
▪ मैंग्रोव वन सन
ु ामी और चिवात से तिों की सरु क्ा करता है ।

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▪ जलीय जीवों की प्रारं शभक नसधरी का कायध करता है ।

मद
र ा की संरचना
▪ मद
ृ ा पर प्रभाव डालने वाले पांच कारक होते हैं –
▪ पैतक
ृ शैल- मद
ृ ा को आर्ारभूत खतनज एवं पोषक तत्व उपलब्र् कराते
हैं।
▪ जलवायु- मद
ृ ा में होने वाले रासायतनक एवं सूक्ष्म जैववक किया को
तनयंबत्रत करती है ।
▪ वनथपतत- मद
ृ ा में ह्यम
ू स की मात्रा को तनयंबत्रत करती है।
▪ भूशमगत जल- मद
ृ ा को नमी प्रदान करता है।
▪ सक्ष्
ू म जीव- मद
ृ ा में वनथपततयों एवं जीवों के अवशेषों को सडा-गला कर
खतनज एवं जैववक पदािध को अलग करते हैं तिा ह्यम
ू स का तनमाधण
करते हैं।
▪ मद
ृ ा के तनमाधण में सबसे महत्वपूणध कारक जलवायु है । आइये इसे ववथतार में
कुछ उदाहरणों से समझते हैं-
▪ अगर ककसी क्ेत्र में वषाध अधर्क होती है तो वहां मद
ृ ा का तनक्ालन हो
जाता है । अिाधत मद
ृ ा के पोषक तत्व पानी के साि ररस कर तनचले थतर
पर चले जाते हैं। इस कारण ऊपरी सतह अनुपजाऊ हो जाती है ।
उदाहरण के शलए पस्श्चमी घाि में मद
ृ ा में से शसशलका पदािध तनक्ाशलत
हो चकु ा है । स्जस कारण यहां लेिराइि मद ृ ा का तनमाधण हुआ है जो
खाद्यानों की खेती के शलए अनप ु युकत है ।
▪ राजथिान जैसे उच्च ताप एवं शुष्क प्रदे श वाले क्ेत्र में मद
ृ ा में कोशशका
किया प्रारम्भ हो जाती है । कोशशका किया के कारण मद
ृ ा में उपलब्र्
पानी तिा चुना पदािध ऊपरी सतह पर आ जाते हैं, जल तो वाष्पीकृत हो
जाता है परन्तु चन
ु ा सतह पर ही रह जाता है जो मद
ृ ा को अनप
ु जाऊ
बनाता है ।

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▪ मद
ृ ा संगठन- तनमाधण पांच तत्वों से होता है -
▪ खतनज पदािध- 40-45%
▪ ह्यम
ू स- 5-10%
▪ मद
ृ ा जल- 25%
▪ मद
ृ ा वायु- 25%
▪ सूक्ष्म जीव- कवक और जीवाणु
▪ मद
ृ ा पररच्छे हदका में चार संथतर होते है , इसमें सबसे ऊपरी संथतर सबसे अधर्क
उपजाऊ होती है । इसी संथतर में पौर्ें फैलाते हैं।
▪ पथ्
ृ वी की सबसे ऊपरी परत को िथि कहा जाता है । िथि में पाये जाने वाले
चार महत्वपण
ू ध पदािध – Oxygen, Silica, Aluminium, Iron.

अम्लीय और क्ारीय मद
ृ ा

▪ pH मान के अनस
ु ार मद
ृ ा को अम्लीय और क्ारीय कहा जा सकता है -
▪ उदासीन मद
ृ ा- pH मान 7
▪ अम्लीय मद
ृ ा- pH मान 7 से कम
▪ क्ारीय मद
ृ ा- pH मान 7 से अधर्क
▪ अम्लीय मद
ृ ा में Hydrogen आयनों की मात्रा अधर्क।
▪ क्ारीय मद
ृ ा- Potassium(K) और Sodium(Na) ऋणायनों की मात्रा अधर्क।
▪ पौर्ों की वद्
ृ धर् के शलए लाभदायक pH मान 6 से 7.5 तक माना जाता है ।
▪ अम्लीय मद
ृ ा के सर्
ु ार के शलए चन
ू े का प्रयोग ककया जाता है ।
▪ क्ारीय मद
ृ ा के सर्
ु ार के शलए स्जप्सम का प्रयोग ककया जाता है ।
▪ सवाधधर्क क्ारीय मद
ृ ा क्ेत्र उत्तर प्रदे श में है ।
▪ सवाधधर्क लवणीय मद
ृ ा क्ेत्र गुजरात में है।
▪ अम्लीय मद
ृ ा चाय बागानों के शलए उपयुकत होती है ।

भारत की समट्टी के प्रकार


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1. भारत की शमट्िी के प्रकार : ICAR(Indian Council for agricultural


Research, भारतीय कृवष अनस
ु ंर्ान पररषद) के अनस
ु ार भारत में 8 प्रकार की
शमट्हियां पायी जाती हैं पवधतीय मद
ृ ा
2. जलोढ़ मद
ृ ा
3. काली मद
ृ ा
4. लाल मद
ृ ा
5. लैिेराइि मद
ृ ा
6. पीि एवं दलदली मद
ृ ा
7. लवणीय एवं क्ारीय मद
ृ ा

भारत की सभी शमट्हियों में प्रमुखतः तीन तत्वों की कमी पायी जाती है –

1. ह्यम
ू स
2. नाइरोजन
3. फॉथफोरस

भारत में सबसे ज्यादा क्ेत्रफल पर पायी जाने वाली चार शमट्हियां हैं-

1. जलोढ़ मद
ृ ा(43%)
2. लाल मद
ृ ा(18%)
3. काली मद
ृ ा(15%)
4. लैिेराइन मद
ृ ा(3.7%)

1. जलोढ़ मद
ृ ा

▪ कॉप शमट्िी तिा कछारी शमट्िी भी कहा जाता है ।


▪ क्ेत्र-
▪ उत्तर भारत के मैदान में सतलज के मैदान से ब्रह्मपरु के मैदान तक।

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▪ तिीय क्ेत्र में- पव


ू ी ति पर महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी के डेल्िा
क्ेत्र में। केरला तिा गज
ु रात में कुछ क्ेत्रों पायी जाती है ।
▪ जलोढ़ मद
ृ ा नहदयों द्वारा पहाडी क्ेत्रों से लाकर मैदानी क्ेत्र में बबछा दी गयी
है ।
▪ जलोढ़ मद
ृ ा 2 प्रकार की होती है
▪ खादर- नदी के पास में बाढ़ क्ेत्र में पायी जाती है । इसे नदी द्वारा
प्रततवषध इसका नवीकरण कर हदया जाता है अतः इसे नयी जलोढ़ भी
कहा जाता है । ये अधर्क उपजाऊ मद
ृ ा है ।
▪ बांगर- नदी से दरू वाले क्ेत्रों में पायी जाती हैं। ये हर वषध नदी द्वारा
नवीकृत नहीं हो पाती अतः इसे परु ाना जलोढ़ कहा जाता है । अपेक्ाकृत
कम उपजाऊ है ।
▪ जलोढ़ मद
ृ ा भारत में पायी जाने वाली सभी मद
ृ ा से सवाधधर्क उपजाऊ है ।
▪ बांगर क्ेत्र में खद
ु ाई करने पर चन
ू ा पदािध की ग्रंिईय पायी जाती है जोकक
नहदयों द्वारा लायी गयी हैं तिा कालांतर में मद
ृ ा द्वारा दबा दी गयी।
▪ इस मद
ृ ा में Nitrogen, Phosphorus तिा ह्यूम्स की कमी पायी जाती है ।
▪ चन
ू ा तिा Potassium प्रचरू मात्रा में पाया जाता है ।

2. लाल मद
ृ ा

▪ भारत का दस
ू रा सबसे बडा मद
ृ ा वगध। कुल 18% क्ेत्र में पायी जाती है ।
▪ Iron Oxide के कारण रं ग लाल होता है ।
▪ क्ेत्र-
▪ दक्षक्ण भारत- पठारी भाग में पूवी तरफ पायी जाती है ।
▪ ववथतार- तशमलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदे श, छत्तीसगढ़, ओडडशा, पूवी मध्य
प्रदे श, झारखण्ड में है ।
▪ पूवोत्तर भारत में भी पायी जाती है।
▪ सवाधधर्क क्ेत्रफल तशमलनाडु में।
▪ लाल मद
ृ ा प्रायद्वीपीय भारत के कम वषाध वाले क्ेत्र में पायी जाती है ।

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3. काली मद
ृ ा

▪ कपासी मद
ृ ा या रे गुर मद
ृ ा या लावा मद
ृ ा के नाम से भी जाना जाता है ।
▪ क्ेत्र-
▪ उत्तरी कनाधिक
▪ महाराष्र
▪ मध्य प्रदे श
▪ गुजरात
▪ उत्तर प्रदे श में झांसी तिा लशलतपरु में भी पायी जाती है तिा वहां इसे करे ल
मद
ृ ा कहा जाता है ।
▪ अंतराधष्रीय थतर पर इसे चेरनोजम कहा जाता है । काला सागर के उत्तर में
युिेन तिा य0
ू एस0ए0 में ग्रेि लेकस के पस्श्चम में पायी जाती है।
▪ काली मद
ृ ा लावा चट्िानों के िूिने से बनी मद
ृ ा है ।
▪ दककन पढ़ार तिा मालवा पठार की प्रमुख शमट्िी है ।
▪ सबसे अधर्क महाराष्र में पायी जाती है ।
▪ इस मद
ृ ा में जल र्ारण करने की क्मता अधर्क होती है । शष्ु क कृवष(जल बच
वाली शसंचाई पर आर्ाररत) के शलए उपयुकत।

4. लैिेराइि मद
ृ ा

▪ इस मद
ृ ा के तनमाधण हेतु 2 प्रमख
ु पररस्थिततयां हैं-
▪ 200सी0मी0 से अधर्क वावषधक वषाध
▪ अधर्क गमी
▪ उपरोकत पररस्थिततयां भारत में 3 जगह पायी जाती है-
▪ पस्श्चमी ति पर
▪ ओडडशा ति पर
▪ शशलांग पठार पर

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▪ असम की शमकीरें गमा पहाडडयां


▪ सवाधधर्क क्ेत्रफल केरल में उसके बाद महाराष्र में।
▪ तशमलनाडु के शशवराय पहाडी में भी कुछ मात्रा में पायी जाती है।
▪ ईंिे बनाने के शलए सवाधधर्क उपयक
ु त।
▪ ह्यम
ू स, नाइरोजन, फॉसफोरस तिा पोिास की कमी पायी जाती है ।
▪ Iron तिा Aluminium के ऑकसाइि की प्रचरु ता पायी जाती है । तिा Iron
oxide के कारण ही रं ग लाला होता है ।
▪ अधर्क वषाध के कारण तिा िम से भीगने और सूखने से इस मद
ृ ा में शसशलका
पदािध का तनक्ालन हो गया है । अतः यह एक तनक्ाशलत मद
ृ ा है ।
▪ खाद्यान के शलए अन उपयक
ु त मद
ृ ा है । चाय कॉफी, मसाले, काजु, शसनकोना
आहद उगाए जाते हैं।

5. मरुथिलीय मद
ृ ा

▪ ववथतार भारत के पस्श्चमी भाग वाले शष्ु क क्ेत्र में। दक्षक्णी पंजाब, दक्षक्णी
हररयाणा, राजथिान, गज
ु रात का कच्छ क्ेत्र।
▪ खाद्यान उगाना संभव नहीं अतः ज्वार, बाजरा, मोिे अनाज एवं सरसों की खेती
की जाती है ।

6. पवधतीय मद
ृ ा

▪ हहमालय के साि-साि पायी जाती है ।


▪ जम्मू कश्मीर, हहमाचल प्रदे श, उत्तराखण्ड, शसस्ककम तिा अरुणाचल प्रदे श में
पायी जाती है ।
▪ ह्यम
ू स की अधर्कता होती है । स्जस कारण अम्लीय गुण आ गए है । अतः
पवधतीय ढालों पर सेब, नाशपाती एवं चाय की खेती की जाती है ।
पण
ू ध ववकशसत मद
ृ ा नहीं मानी जाती है ।

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7. पीि एवं दलदली मद


ृ ा

▪ पीि मद
ृ ा केरल एवं तशमलनाडु के तिों पर जल जमाव के कारण पायी जाती
है ।
▪ पीि मद ृ ा का ववकास धगली भूशम पर वनथपततयों के सडने से हुआ है । अतः
इसमें ह्यमू स की मात्रा अधर्क पायी जाती है।
▪ दलदली शमट्िी में सबसे अधर्क ह्यम
ू पाया जाता है सद
ंु र वन वाले क्ेत्र में
पायी जाती है ।
▪ दलदली शमट्िी ज्वार वाले क्ेत्र में पायी जाती है ।

8. लवणीय एवं क्ारीय मद


ृ ा

▪ अधर्क शसंचाई वाले क्ेत्रों में पायी जाती है।


▪ अधर्कांश हररत िांतत वाला क्ेत्र, पंजाब, हररयाणा, पस्श्चमी उत्तर प्रदे श, उत्तरी
राजथिान।
▪ इस मद
ृ ा को रे और कल्लर नाम से भी जानी जाती है ।
▪ लवण प्रततरोर्ी फसलें ही उगाई जाती हैं जैसे – बरसीम, र्ान एवं गन्ना।

भारत की बिुउद्दे शीय पररय़ोजनाएं


भारत की बहुउद्दे शीय बांर् पररयोजनाएं

दामोदर घािी पररयोजना

▪ ये पररयोजना दामोदर नदी पर बनी है । दामोदर नदी का उद्गम छोिा नागपुर


पठार से होता है तिा अंत में ये हुगली नदी में शमल जाती है । झारखंड तिा
पस्श्चम बंगाल में बहती है ।

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▪ दामोदर नदी बंगाल का शोक भी कहा जाता है ।


▪ वषध 1948 दामोदर घािी तनगम गहठत कर इस पररयोजना को शुरू ककया गया
िा। इस पररयोजना के अंतगधत कुल 8 बांर् बनाए गए हैं। स्जनमें से प्रमुख
बांर् कोनार, मैिन, ततलैया, पंचेतहहल हैं।
▪ यू० एस० ए० की िे नस
े ी वैली पररयोजना के आर्ार पर बनाया गया है ।

कोसी पररयोजना

▪ ये पररयोजना कोसी नदी पर बनी है । कोसी नदी ततब्बत के पठार से तनकल


कर नेपाल तिा बबहार में बहती है और अंत में गंगा में शमल जाती है ।
▪ नदी द्वारा हहमालय से लायी शमट्िी से अपना ही राथता थवयं ही अवरुद्र् कर
लेती है स्जस कारण ये हर वषध अपना राथता बदल लेती है तिा बबहार में बाढ़
का कारण बनती है ।
▪ कोसी को बबहार का शोक भी कहा जाता है ।
▪ बबहार के भागलपरु में गंगा से शमलती है ।
▪ इस नदी पर नेपाल में हनम
ु ान नगर बांर् बनाया गया है ।

ररहन्द बांर् पररयोजना

▪ ररहन्द नदी, सोन की सहायक नदी है ।


▪ ररहं द नदी पर उत्तर प्रदे श के सोनभर स्जले में ररहं द बांर् बनाया गया है ।
▪ इस बांर् के कारण तनशमधत झील को गोववंद बल्लभ पंत सागर झील कहते है ।
ये भारत की सबसे बडी मानव तनशमधत झील है ।

चंबल पररयोजना

▪ ये पररयोजना चंबल नदी पर है । चंबल नदी का उद्गम मध्य प्रदे श में मालवा
के पठार से होता है तिा अंत में ये यमुना से इिावा में शमल जाती है ।

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▪ इसी नदी पर 3 बांर् बनाए गए हैं –


▪ जवाहर सागर बांर् – राजथिान में।
▪ राणा सागर बांर् – राजथिान में।
▪ गााँर्ी सागर बांर् – मध्य प्रदे श में।
▪ मध्य प्रदे श तिा राजथिान की संयुकत पररयोजना है ।

हीराकुण्ड बााँर्

▪ हीराकुण्ड बांर्, महानदी पर उडीसा में बना है।


▪ महानदी को उडीसा का शोक भी कहा जाता है ।
▪ हीराकुण्ड बांर् दतु नया का सबसे लंबा बांर् है स्जसकी लम्बाई 4801 मी० है ।

इंहदरा गांर्ी नहर पररयोजना

▪ पंजाब के कपरू िला में सतलज


ु तिा व्यास नदी संगम पर हररके बााँर् बनाया
गया है ।
▪ इसी बांर् से इंहदरा गााँर्ी नहर तनकाली गयी है ।
▪ इस नहर के माध्यम से राजथिान अत्यधर्क सख
ू े पस्श्चमी स्जलों में शसंचाई
करी जाती है ।
▪ इंहदरा गााँर्ी नहर पररयोजना ववश्व की ववशालतम शसंचाई पररयोजना है । अिाधत
दतु नया की सबसे बडी नहर प्रणाली है ।

भाखडा-नांगल पररयोजना

▪ सतलुज नदी पर भाखडा तिा नांगल नामक दो बांर्ों का तनमाधण ककया गया
है , स्जन्हें संयुकत रूप से भाखडा-नांगल पररयोजना भी कहा जाता है ।
▪ भाखडा बांर् हहमाचल प्रदे श में स्थित है तिा नांगल बांर् पंजाब में स्थित है ।

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▪ इस बांर् का लाभ 5 राज्यों को शमलता है – पंजाब, हररयाणा राजथिान, हदल्ली


तिा हहमाचल प्रदे श।
▪ भाखडा बांर् द्वारा तनशमधत झील को गोववंद सागर झील कहा जाता है तिा ये
हहमाचल प्रदे श में स्थित है ।
▪ यह दतु नया का सबसे ऊंचा गुरुत्वीय बांर् है , स्जसकी ऊंचाई 226 मी० है ।

हिहरी बांर् पररयोजना

▪ उत्तराखण्ड राज्य में भागीरिी तिा शभलंगना नहदयों के संगम पर स्थित है।
▪ यह बांर् भूकम्प जोन V के अंतगधत आता है।
▪ पूरा हहमालय क्ेत्र भी इसी जोन V के अंतगधत आता है अिाधत यहां पर
ररकिर थकेल पर 8 से अधर्क माप वाले भक
ू ं प आने की संभावना बनी
रहती है ।
▪ हिहरी बांर् भारत का सबसे ऊंचा बांर् है । ऊंचाई 261 मी० है ।

नमधदा घािी पररयोजना

▪ ये पररयोजना नमधदा नदी पर बनी है ।


▪ नमधदा नदी भारत की 5वीं सबसे लम्बी नदी है तिा अरब सागर में
धगरने वाली सबसे लम्बी नदी है ।
▪ इस पररयोजना के अंतगधत कई बांर् बनाए जा रहे है । स्जनमें से 4 प्रमख
ु बांर्
है -
▪ नमधदा सागर पररयोजना – मध्य प्रदे श में।
▪ ओंकारे श्वर पररयोजना – मध्य प्रदे श में।
▪ महे श्वर पररयोजना – मध्य प्रदे श में।
▪ सरदार सरोवर पररयोजना – गुजरात में।

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सरदार सरोवर पररयोजना

▪ सरदार सरोवर पररयोजना नमधदा नदी पर बनाई जा रही है ।


▪ सरदार सरोवर पररयोजना 4 राज्यों की संयक
ु त पररयोजना है – मध्य प्रदे श,
महाराष्र, गुजरात एवं राजथिान।
▪ इस पररयोजना से सवाधधर्क लाभ गुजरात को शमलेगा। ववशेष कर सूखाग्रथत
पस्श्चमी गज
ु रात के क्ेत्र को।
▪ इस पररयोजना से सवाधधर्क हातन मध्य प्रदे श को होगी कयोंकक घािी में
जलथतर ऊपर उठे गा तिा एक बडा भभ
ू ाग जलमग्न हो जाएगा स्जससे
पाररस्थिततकी, पयाधवरणीय एवं मानवीय संकि उत्पन्न होगा।

केन-बेतवा शलंक पररयोजना

▪ ये पररयोजना 2005 में शुरू की गयी िी।


▪ केन तिा बेतवा दोनों ही यमन
ु ा की सहायक नहदयां हैं।
▪ दोनों ही नहदयां मध्य प्रदे श तिा उत्तर प्रदे श में बहती हैं।
▪ एक नहर के माध्यम से दोनों नहदयों को जोडने की पररयोजना है ।
▪ बंद
ु े लखंड के अतत-शष्ु क क्ेत्र को फायदा शमलेगा।
▪ ये पररयोजना महत्वाकांक्ी नदी जोडों पररयोजना का शुरुआती रूप है ।

भारत की प्रमख
ु बांध पररय़ोजनाएँ
भारत की प्रमख
ु बांर् पररयोजना

ि०
बांध का नाम नदी का नाम राज्य का नाम/ UT
सं०

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1 बगलीहार बांर् पररयोजना धचनाब नदी जम्मू कश्मीर

2 दल
ु हथती बांर् पररयोजना धचनाब नदी जम्मू कश्मीर

3 सलाल बांर् पररयोजना धचनाब नदी जम्मू कश्मीर

4 ककशनगंगा बांर् पररयोजना झेलम नदी जम्मू कश्मीर

5 तल
ु बल
ु बांर् पररयोजना झेलम नदी जम्मू कश्मीर

6 उडी बांर् पररयोजना झेलम नदी जम्मू कश्मीर

7 तनम्बो बाजगो बांर् पररयोजना सुरू नदी जम्मू कश्मीर

8 भाखडा बांर् पररयोजना सतलुज नदी हहमाचल प्रदे श

9 नािपाझाकरी बांर् पररयोजना सतलुज नदी हहमाचल प्रदे श

10 पोंग बांर् पररयोजना व्यास नदी हहमाचल प्रदे श

11 चमेरा बांर् पररयोजना रावी नदी हहमाचल प्रदे श

12 पावधती बांर् पररयोजना पावधती नदी हहमाचल प्रदे श

भागीरिी तिा शभलंगना नदी के


13 हिहरी बांर् पररयोजना उत्तराखण्ड
संगम पर

14 िनकपुर बांर् पररयोजना शारदा नदी उत्तराखण्ड

15 नांगल बांर् पररयोजना सतलुज नदी पंजाब

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सतलुज नदी तिा व्यास नदी


16 हररके बांर् पररयोजना पंजाब
के संगम पर

17 िीन बांर् पररयोजना रावी नदी पंजाब

18 जवाहर सागर बांर् पररयोजना चंबल नदी राजथिान

राणा प्रताप सागर बांर्


19 चंबल नदी राजथिान
पररयोजना

20 मातािीला बांर् पररयोजना बेतवा नदी उत्तर प्रदे श

21 लक्ष्मीबाई बांर् पररयोजना बेतवा नदी उत्तर प्रदे श

22 ररहन्द बांर् पररयोजना ररंहद नदी उत्तर प्रदे श

नेपाल तिा उत्तराखण्ड की


23 पंचश्े वर बांर् पररयोजना काली नदी
सीमा पर

24 रानधगि बांर् पररयोजना ततथता नदी शसस्ककम

25 गंडक बांर् पररयोजना गंडक नदी बबहार

26 कोसी बांर् पररयोजना कोसी नदी बबहार

27 उशमयाम बांर् पररयोजना अशमयम नदी असम

28 उकाई बांर् पररयोजना तापी नदी गज


ु रात

29 काकरापार बांर् पररयोजना तापी नदी गुजरात

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30 साबरमती बांर् पररयोजना साबरमती नदी गुजरात

31 माही बांर् पररयोजना माही नदी गुजरात

32 सरदार सरोवर बांर् पररयोजना नमधदा नदी गुजरात

33 तवा बांर् पररयोजना तवा नदी मध्य प्रदे श

34 बाण सागर बांर् पररयोजना सोन नदी मध्य प्रदे श

35 ओंकारे श्वर बांर् पररयोजना नमधदा नदी मध्य प्रदे श

36 इंहदरा बांर् पररयोजना नमधदा नदी मध्य प्रदे श

37 कोयना बांर् पररयोजना कोयना नदी महाराष्र

38 पूणाध बांर् पररयोजना पूणाध नदी महाराष्र

39 भीमा बांर् पररयोजना भीमा नदी महाराष्र

40 जायकवाडी बांर् पररयोजना गोदावरी नदी महाराष्र

41 छोम बांर् बांर् पररयोजना कृष्णा नदी महाराष्र

जोग या महात्मा गांर्ी बांर्


42 शरावती नदी कनाधिक
पररयोजना

43 शलंगानमककी बांर् पररयोजना शरावती नदी कनाधिक

44 शशवसमुरम बांर् पररयोजना कावेरी नदी कनाधिक

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45 छािप्रभा बांर् पररयोजना घािप्रभा नदी कनाधिक

46 माल प्रभा बांर् पररयोजना मालप्रभा नदी कनाधिक

47 भरा बांर् पररयोजना भरा नदी कनाधिक

48 काशलन्दी बांर् पररयोजना काशलन्दी नदी कनाधिक

नागाजन
ुध सागर बांर्
49 कृष्णा नदी आन्ध्र प्रदे श
पररयोजना

50 श्ीशैलम बांर् पररयोजना कृष्णा नदी आन्ध्र प्रदे श

51 अलमट्िी बांर् पररयोजना कृष्णा नदी आन्ध्र प्रदे श

52 पोचमपाद बांर् पररयोजना गोदावरी नदी आन्ध्र प्रदे श

परस्म्बकुलम अशलयार बांर्


53 परास्म्बकुलम नदी तशमलनाडु
पररयोजना

54 मेट्िूर बांर् पररयोजना कावेरी नदी तशमलनाडु

55 पायकारा बांर् पररयोजना पायकारा नदी तशमलनाडु

56 पापनाशम बांर् पररयोजना पापनाशम नदी तशमलनाडु

पेररयार या इडुककी बांर्


57 पेररयार नदी केरल
पररयोजना

58 शबरीधगरी बांर् पररयोजना पम्बा नदी केरल

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59 हीराकुण्ड बांर् पररयोजना महानदी ओडडशा

60 मचकंु ड बांर् पररयोजना मचकंु ड नदी ओडडशा

61 फरकका बांर् पररयोजना हुगली नदी पस्श्चम बंगाल

62 मयुराक्ी बांर् पररयोजना मयूराक्ी नदी पस्श्चम बंगाल

63 मैिन बांर् पररयोजना दामोदर नदी झारखण्ड

64 ततलैया बांर् पररयोजना दामोदर नदी झारखण्ड

65 पंचेत हहल बांर् पररयोजना दामोदर नदी पस्श्चम बंगाल

66 कोयल-कारो बांर् पररयोजना दामोदर नदी झारखण्ड

भारत के कृवष जलवायु क्ेत्र

जलवायु के आर्ार पर योजना आयोग ने भारत को कुल 15 कृवष जलवायु क्ेत्र में
ववभास्जत ककया है -

1. पस्श्चमी हहमालयी भाग


2. पव
ू ी हहमालयी भाग
3. तनचला गांगय
े मैदानी क्ेत्र
4. मध्य गांगय
े मैदानी क्ेत्र
5. उच्च गांगय
े मैदानी क्ेत्र
6. गांगय
े -पार मैदानी क्ेत्र
7. पूवी पठार तिा पवधतीय क्ेत्र
8. केन्रीय पठार तिा पवधतीय क्ेत्र

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9. पस्श्चमी पठार तिा पवधतीय क्ेत्र


10. दक्षक्णी पठार तिा पवधतीय क्ेत्र
11. पूवी तिीय मैदानी क्ेत्र और पवधतीय क्ेत्र
12.पस्श्चमी तिीय मैदानी क्ेत्र और पवधतीय क्ेत्र
13. गुजरात मैदानी क्ेत्र और पवधतीय क्ेत्र
14. पस्श्चमी मैदानी क्ेत्र और पवधतीय क्ेत्र
15.द्वीप क्ेत्र

हर पौर्ा एक ववशशष्ि जलवायु दशा में ही अपना ववकास करता है ।

▪ गेहू एक शीतोष्ण कहिबंर्ीय पौर्ा है । अतः इसे जाडे की ऋतु में ही उगाया
जाता है ।
▪ र्ान एक उष्ण कहिबंर्ीय पौर्ा है । अतः गमी में मानसन
ू के समय उगाया
जाता है ।

भारत में फसल ऋतु

भारत में तीन प्रकार की फसल ऋतु पायी जाती हैं –

1. खरीफ फसल ऋतु

▪ खरीफ फसल मख्


ु य रूप से मानसन
ू काल की फसल है ।
▪ खरीफ फसल की बआ
ु ई जन
ू -जल
ु ाई में तिा किाई अकिूबर माह में की जाती
है ।
▪ खरीफ फसल की प्रमख
ु खाद्यान्न फसलें हैं – र्ान, ज्वार, बाजरा तिा मकका।
▪ खरीफ फसल की प्रमख
ु दलहन फसलें हैं – मूंग, उडद, सोयाबीन तिा लोबबया।
▪ खरीफ फसल की प्रमख
ु ततलहन फसलें हैं – सोयाबीन, मग
ूं फली, सरू जमुखी,
ततल, अरं डी।

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▪ कपास तिा तम्बाकू खरीफ फसल की प्रमख


ु नकदी फसलें हैं।

2. रबी फसल ऋतु

▪ रबी फसल शीत ऋतु की फसल है ।


▪ रबी फसल की बआ
ु ई अकिूबर-नवम्बर में तिा किाई अप्रैल-मई के माह में की
जाती है ।
▪ रबी फसल की प्रमख
ु खाद्यान्न फसलें हैं – गें हू, जौ।
▪ रबी फसल की प्रमख
ु दलहन फसलें हैं – मिर, चना।
▪ रबी फसल की प्रमख
ु ततलहन फसलें हैं – सरसों।
▪ रबी फसल की प्रमख
ु नकदी फसलें हैं – गन्ना और बरसीम।

3. जायद फसल ऋतु

▪ जायद की फसल रबी तिा खरीफ ऋतु के बीच के सख


ू े मौसम में उगायी जाती
हैं।
▪ इस ऋतु में की फसलें अपने अंदर पानी संचय करती हैं।
▪ जायद फसल की प्रमख
ु फसलें हैं – तरबज
ू , खरबज
ू खीरा, ककडी।
▪ जायद ऋतु की फसलों के समय शसंचाई संपन्न वाले क्ेत्रों में मग
ूं तिा उडद
भी उगाए जाते हैं। अतः मूंग एवं उडद खरीफ ऋतु के साि-साि जायद ऋतु
की भी फसल हैं।

भारत में पेऱोसलयम संसाधन


▪ भारत में पेरोशलयम संसार्न :- भारत में पेरोशलयम संसार्न भी पाए जाते हैं।
पेरोशलयम में 70% तेल एवं 30% प्राकृततक गैस होती है ।पेरोशलयम िशशधयरी
युग की अवसादी चट्िानों में पाया जाता है ।

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▪ पेरोशलयम, हाइरोकाबधन यौधगकों का शमश्ण है स्जसमें 70% तेल एवं 30%


प्राकृततक गैस होती है ।
▪ भारत में पेरोशलयम उत्पादन में प्रमुख योगदान अपतिीय क्ेत्रों का है । दे श में
अपतिीय क्ेत्रों का पेरोशलयम उत्पादन में कुल योगदान 66% है ।
▪ 1867 में असम के माकूम नामक थिान पर एशसया का प्रिम तेल का कुआाँ
खोदा गया। ये मात्र एक प्रयोग थतर पर िा।
▪ 1889 में असम के ही डडग्बोई में पेरोशलयम तनष्कषधण को उद्योग के थतर पर
शुरू ककया गया िा।
▪ थवतंत्रता के उपरान्त दे श में पेरोशलयम के सम्भाववत भण्डारों की खोज करने
के शलए ONGC (Oil & Natural Gas Corporation Ltd) की थिापना 1956
में की गयी। इसी िम में 1959 में OIL (Oil India Ltd) की भी थिापना की
गयी।
▪ दे श में ONGC की सफलता को दे खते हुए। अन्य दे शों में तेल भण्डारों का पता
लगाने के शलए OVL (ONGC Videsh Ltd) की थिापना 1965 में की गयी।
वतधमान में OVL की कुल 17 दे शों में 21 पररयोजनाएाँ चल रही हैं।

भारत की ररफाइनररयां के नाम एिं


राज्य की सूची
ि.सं. ररफाइनरी का नाम स्थान राज्य तेल कंपनी

1 डडगबोई तेल ररफाइनरी डडगबोई असम इस्ण्डयन ऑयल कॉपोरे शन शलशमिे ड

भारत पेरोशलयम कॉपोरे शन शलशमिे ड,


2 नम
ु लीगढ़ तेल ररफाइनरी नम
ु ालीगढ़ असम
ऑयल इंडडया और असम सरकार

3 गुवाहािी तेल ररफाइनरी गुवाहािी असम इस्ण्डयन ऑयल कॉपोरे शन शलशमिे ड

4 बंगाईगााँव तेल ररफाइनरी बंगाईगााँव असम इस्ण्डयन ऑयल कॉपोरे शन शलशमिे ड

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ववशाखपट्नम तेल हहंदथ


ु तान पेरोशलयम कॉपोरे शन
5 ववशाखापट्िनम आंध्र प्रदे श
ररफाइनरी शलशमिे ड

तेल एवं प्राकृततक गैस तनगम


6 तातीपाक तेल ररफाइनरी तातीपाक आंध्र प्रदे श
शलशमिे ड

7 बरौनी तेल ररफाइनरी बरौनी बबहार इस्ण्डयन ऑयल कॉपोरे शन शलशमिे ड

8 गुजरात तेल ररफाइनरी कोयाली गुजरात इस्ण्डयन ऑयल कॉपोरे शन शलशमिे ड

जामनगर तेल ररफाइनरी


9 जामनगर गज
ु रात ररलायन्स इण्डथरीज
(घरे लू िै ररफ क्ेत्र)

जामनगर तेल ररफाइनरी


10 जामनगर गुजरात ररलायन्स इण्डथरीज
(ववशेष आधिधक क्ेत्र)

11 एथसार ररफाइनरी वाडडनार गुजरात एथसार ऑयल

12 पानीपत तेल ररफाइनरी पानीपत हररयाणा इस्ण्डयन ऑयल कॉपोरे शन शलशमिे ड

13 कोस्च्च तेल ररफाइनरी कोस्च्च केरल भारत पेरोशलयम कॉपोरे शन शलशमिे ड

मैंगलोर ररफाइनरी एंड पेरोकैशमकल्स


14 मैंगलोर तेल ररफाइनरी मंगलौर कनाधिक
शलशमिे ड

हहंदथ
ु तान पेरोशलयम कॉपोरे शन
15 मुंबई तेल ररफाइनरी मुंबई महाराष्र
शलशमिे ड

मुंबई माहुल तेल


16 माहुल महाराष्र भारत पेरोशलयम कॉपोरे शन शलशमिे ड
ररफाइनरी

17 बीना तेल ररफाइनरी बीना मध्य प्रदे श भारत ओमान ररफईनरीज ् शलशमिे ड

18 पारादीप तेल ररफाइनरी पारादीप ओडडशा इस्ण्डयन ऑयल कॉपोरे शन शलशमिे ड

पस्श्चम
19 हस्ल्दया तेल ररफाइनरी हस्ल्दया इस्ण्डयन ऑयल कॉपोरे शन शलशमिे ड
बंगाल

20 गरु
ु गोबबंद शसंह ररफाइनरी भहिंडा पंजाब एचपीसीएल-शमत्तल एनजी शलशमिे ड

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मनाली
21 मनाली तेल ररफाइनरी तशमलनाडु चेन्नई पेरोशलयम कॉपोरे शन शलशमिे ड
(चेन्नई)

नागपट्िनम तेल
22 नागपट्िनम तशमलनाडु चेन्नई पेरोशलयम कॉपोरे शन शलशमिे ड
ररफाइनरी

23 मिुरा तेल ररफाइनरी मिुरा उत्तर प्रदे श इस्ण्डयन ऑयल कॉपोरे शन शलशमिे ड

भारत में परमाणु ऊजाव


▪ भारत में परमाणु ऊजाध की कुल संथिावपत क्मता 6780MW है । जोकक भारत
की कुल संथिावपत क्मता का 1.8% है ।
▪ भारत में सबसे नवीनतम परमाणु ववद्यत
ु संयंत्र तशमलनाडु के ततरूनेवेल्ली
स्जले में कुडनकुलम में रूस की सहायता से थिावपत ककया गया है। यहां पर
1-1 हजार मेगावाि के 2 ररएकिर थिावपत ककए गए है।
▪ डा0 होमी जहांगीर भाभा को भारत के परमाणु ऊजाध कायधिम का जनक माना
जाता है । इनकी के प्रयासों से भारत में परमाणु ऊजाध अनस
ु र्
ं ान केन्र की
थिापना 1948 में की गयी िी।
▪ भारत में परमाणु ववद्यत
ु उत्पादन हे तु नीतत तनमाधण के कायों के शलए “परमाणु
ऊजाध आयोग” की थिापना वषध 1948 में की गयी।
▪ परमाणु ऊजाध से ववद्यत
ु उत्पादन प्रारम्भ करने हे तु “परमाणु ऊजाध ववभाग” की
थिापना वषध 1954 में की गयी िी।
▪ वषध 1954 में भाभा एिाशमक ररसचध सेंिर(BARC) की थिापना मम्
ु बई के राम्बे
में की गयी। BARC की थिापना परमाणु ऊजाध पर अनस
ु ंर्ान हे तु की गयी िी।
यहीं पर भारत का पहला परमाणु अनस
ु ंर्ान ररएकिर “अपसरा” थिावपत ककया
गया िा।
▪ भारत में प्रिम परमाणु ववद्युत संयंत्र की थिापना USA की सहायता से वषध
1969 में महाराष्र के तारापरु में की गयी िी।

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▪ परमाणु ववद्यत
ु गह
ृ ों के सरु क्षक्त संचालन एवं भारत सरकार की योजनाओं और
कायधिमों के अनस
ु रण में बबजली उत्पादन के शलए परमाणु ऊजाध पररयोजनाओं
को लागू करना हे तु वषध 1987 में “न्यूस्कलयर पावर कॉपोरे शन ऑफ
इंडडया”(NPCIL) की थिापना की गयी।
▪ भारत में कुल 8 परमाणु ववद्युत गह
ृ है । इन 8 ववद्यत
ु गह
ृ ों में 22 परमाणु
ररएकिर सिीय है ।
▪ भारत के आठों परमाणु ववद्यत
ु गह
ृ ों का संचालन “न्यस्ू कलयर पॉवर कॉपोरे शन
ऑफ इंडडया”(NPCIL) द्वारा ककया जाता है । इनका वववरण तनम्नवत है –

परमाणु विद्यत
ु गि
र का स्जला का राज्य का ककस राष्ट्र की
ि0सं0 िर्व कुल क्षमता
नाम नाम नाम सिायता
1 तारापरु पालघर महाराष्र 1969 USA 1400MW
2 रावतभािा धचतौडगढ़ राजथिान 1973 कनाडा 1180MW
3 काकरपारा सूरत गुजरात 1993 440MW
4 जैतपुरा रतनाधगरी महाराष्र 1972 9900MW
5 नरौरा बल
ु द
ं शहर उत्तर प्रदे श 1989 440MW
6 कलपककम कांचीपुरम तशमलनाडु 1989 थवदे शी 440MW
7 कैगा उत्तर कन्नड कनाधिक 2000 फ्रांस 840MW
8 कुडानकुल ततरूनेवल्
े ली तशमलनाडु 2017 रूस 2000M

भारत में रे ल पररििन


भारत में रे ल पररवहन :- भारत में पहली रे ल लॉडध डलहौजी के कायधकाल में 16 अप्रैल,
1853 को मम्
ु बई से िाणे के शलए चलाई गयी िी। इसकी कुल दरू ी 34 कक०मी० िी।
भारत की दस
ू री रे ल लाईन 1854 में कोलकाता से रानीगंज के बीच बबछाई
गयी। भारत में पहली ववद्युतीकृत रे ल लाईन लॉडध रीडडंग के कायध काल में वषध 1925
में मम्
ु बई से कुलाध के बीच चलाई गयी। इस ववद्युतीकृत रे ल लाईन पर चलने वाले
इंजन का नाम “डेककन कवीन” िा।

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भारतीय रे लिे एसशया की सबसे बडी एिं विश्ि की तीसरा सबसे बडी रे ल प्रणाली िै –

1.
1. यू०एस०ए०
2. रूस
3. भारत

भारतीय रे लिे लम्बाई की दृस्ष्ट्ट से विश्ि में चौथे स्थान पर िै –

1.
1. यू०एस०ए०
2. चीन
3. रूस
4. भारत

भारतीय रे लवे जोन तिा उनके मख्


ु यालय

भारतीय रे लवे के सफल संचालन हेतु इसे 17 रे ल जोनों में बााँिा गया है । स्जनका
वववरण तनम्नवत है -

ि०सं० ज़ोन का नाम मख्


ु यालय

1 उत्तरी रे लवे हदल्ली

2 उत्तरी मध्य रे लवे प्रयागराज

3 उत्तर पस्श्चम रे लवे जयपरु

4 उत्तर पूवी रे लवे गोरखपुर

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5 उत्तर पव
ू ी सीमा प्रांत रे लवे मालेगांव (गव
ु ाहािी)

6 पव
ू ी रे लवे कोलकाता

7 पूवी मध्य रे लवे हाजीपुर (बबहार)

8 पूवी तिवती रे लवे भुवनेश्वर

9 दक्षक्णी रे लवे चेन्नई

10 दक्षक्णी मध्य रे लवे शसकंदरा (हैदराबाद)

11 दक्षक्णी पस्श्चमी रे लवे हुबली (कनाधिक)

12 दक्षक्णी पव
ू ी रे लवे कोलकाता

13 दक्षक्णी पव
ू ी मध्य रे लवे बबलासपुर (छत्तीसगढ़)

14 पस्श्चमी रे लवे मम्


ु बई चचध गेि

15 मध्य रे लवे मम्


ु बई वीिी

16 पस्श्चमी मध्य रे लवे जबलपुर

17 कोलकाता मेरो कोलकाता

▪ मुम्बई वीिी भारत का पहला रे ल जोन है जो कक वषध 1951 में थिावपत ककया
गया िा।

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▪ कोलकाता तीन रे ल जोन का मख्


ु यालय है पव
ू ी रे लवे, दक्षक्ण पव
ू ी रे लवे एवं
कोलकाता मेरो।
▪ मुम्बई में दो रे ल जोन पस्श्चमी रे लवे तिा मध्य रे लवे का मख्
ु यालय है ।
▪ कोंकण रे लवे पररयोजना

▪ वषध 1990 में इस पररयोजना को प्रारम्भ ककया गया।


▪ इस पररयोजना के अंतगधत भारत के पस्श्चमी तिीय क्ेत्रों को
जोडने के शलए महाराष्र के रोहा से केरल के मंगलौर तक रे ल
मागध को बबछाया गया है ।
▪ ये रे ल मागध महाराष्र में एक पवधतीय रे ल सरु ं ग “कारबड
ु े रे ल
सुरंग”से होकर गुजरती है । ये भारत की दस
ू री सबसे लम्बी रे ल
सुरंग है ।
▪ भारत की सबसे लम्बी रे ल सरु ं ग “पीर-पंजाल रे ल सरु ं ग” है ।
▪ कोंकण रे लवे पररयोजना का मख्
ु यालय- मुम्बई नवी में है ।

भारत की प्रमख
ु पयधिक रे नें

भारत की प्रमख
ु पयधिक रे नें तनम्नवत हैं-

ि०सं० पयवटक रे न का नाम स्थान

1 डेककन ओडडसी महाराष्र

2 हे ररिे ज ऑन व्हील्स राजथिान

3 पैलेस ऑन व्हील्स राजथिान

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4 महाराजा एकसप्रेस हदल्ली-मम्


ु बई

5 ओररएण्ि एकसप्रेस गज
ु रात

भारत में चलने वाली िॉय रे नें

भारत में चलने वाली िॉय रे न तनम्नवत हैं-

ि०सं० टॉय रे न का नाम हटपपणी

1 दास्जधशलंग वषध 1999 में UNESCO द्वारा ववश्व र्रोहर घोवषत

2 नीलधगरी वषध 2005 में UNESCO द्वारा ववश्व र्रोहर घोवषत

3 शशमला वषध 2008 में UNESCO द्वारा ववश्व र्रोहर घोवषत

▪ एकविध कमेिी की ररपोिध के अनस


ु ार वषध 1924 से रे ल बजि को आम बजि से
अलग ककया गया।
▪ भारतीय रे लवे द्वारा पररवहहत की जाने वाली शीषध तीन सामग्री िमशः
1. कोयला
2. सीमेण्ि
3. खाद्यान
▪ सबसे लम्बा रे लमागध असम के डडब्रग
ू ढ़ से कन्याकुमारी तक है । इस रे ल मागध
पर वववेक एकसप्रेस के नाम से रे न चलाई जाती है ।

भारत के बंदरगाि
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▪ बंदरगाह दे श के व्यापार की नीव होते हैं। यहीं से दे श में आयात तिा तनयाधत
ककया जाता है ।
▪ भारत में 13 बडे एवं 200 छोिे बंदरगाह है ।
▪ प्राचीन काल में सातवाहन एवं चोलों के समय समर
ु ी व्यापार चरम पर िा।
▪ आर्ुतनक काल में 1856 में “बब्रहिश इस्ण्डया थिीम कम्पनी” की थिापना के
साि भारत में जहाजरानी पररवहन की शरु ु आत हुयी।
▪ 13 बडे बंदरगाहों में से सवाधधर्क 3 तशमलनाडु में है ।
▪ 200 छोिे बंदरगाहों में से सवाधधर्क 53 महाराष्र में है ।
▪ भारत दे श की कुल ति रे खा 7516 कक०मी० लम्बी है । यह ति रे खा दे श के 13
राज्यों और केन्र शाशसत प्रदे शों को थपशध करती है । स्जनका वववरण तनम्नवत
है -

गुजरात, मिाराष्ट्र, ग़ोिा, कनावटक, केरल, तसमलनाडु, आन्र प्रदे श, ओडडशा, पस्श्चम
बंगाल, दमन दीि, पोंडीचेरी, लक्ष्यद्िीप, अण्डमान ननक़ोबार।

▪ 13 प्रमुख बंदरगाहों में से 6 पस्श्चमी ति पर और 6 पव


ू ी ति पर स्थित है । एक
प्रमख
ु बंदरगाह अण्डमान तनकोबार की राजर्ानी पोिध ब्लेयर पर है ।

भारत दे श के 13 प्रमख
ु बंदरगाह

ि० बंदरगाि का पूिी/पस्श्चमी राज्य का


करत्रत्रम/प्राकरनतक बंदरगाि से सम्बस्न्धत प्रमुख बाते
सं० नाम तट नाम

1. कच्छ की खाडी में स्थित है।


1 काण्डला पस्श्चमी ति गुजरात प्राकृततक 2. ये बंदरगाह मख्
ु यतः आयात के
शलए ही प्रयोग ककया जाता है ।

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3. यहां प्रमख
ु आयात सामग्री है -
पेरोशलयम एवं उवधरक।

1. भारत का सबसे बडा बंदरगाह है ।


2 मम्
ु बई पस्श्चमी ति महाराष्र प्राकृततक 2. सवाधधर्क व्यापार इसी बंदरगाह
से होता है ।

1. इसे जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह


भी कहा जाता है ।
3 न्हावाशेवा पस्श्चमी ति महाराष्र कृबत्रम 2. मम्
ु बई बंदरगाह का सहायक
बंदरगाह है ।
3. सबसे बडा कृबत्रम बंदरगाह है ।

1. जव
ु ारी नदी के मह
ु ाने पर स्थित
है ।
4 ममग
ुध ाव पस्श्चमी ति गोवा प्राकृततक 2. गोवा से प्राप्त होने वाला लौह
अयथक यहीं से ईरान को तनयाधत
ककया जाता है ।

1. कंु रे मुख का लौह अयथक यहीं से


5 न्यू मंगलोर पस्श्चमी ति कनाधिक प्राकृततक
तनयाधत ककया जाता है ।

6 कोचीन पस्श्चमी ति केरल प्राकृततक

1. मन्नार की खाडी पर स्थित है ।


2. यह एक तछछला बंदरगाह है अतः
7 तूतीकोररन पूवी ति तशमलनाडु प्राकृततक
बडे जहाज मख्
ु य ति से कुछ
कक0मी0 पहले ही रूक जाते है तिा

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सामग्री को छोिे जहाजों से लाया-


लेजाया जाता है ।
3. यहां पर मत्थय उद्योग अधर्क
होने के कारण इसे मत्थय पत्तन भी
कहते हैं।

8 चेन्नई पव
ू ी ति तशमलनाडु कृबत्रम 1. दे श का सबसे परु ाना बंदरगाह है ।

1. चेन्नई बंदरगाह का सहायक


बंदरगाह है।
9 एन्नोर पव
ू ी ति तशमलनाडु कृबत्रम
2. दे श का प्रिम कम्प्यूिराइज्ड एवं
तनगशमत बंदरगाह।

1. दे श का सबसे गहरा बंदरगाह।


2. इस बंदरगाह के तनकि
10 ववशाखापट्िनम पूवी ति आंध्र प्रदे श प्राकृततक “डॉलकफन नोज” नामक पहाडी होने
के कारण ये तेज समर
ु ी हवाओं से
सुरक्षक्त रहता है ।

1. झारखण्ड और ओडडशा का लोहा


11 पारादीप पूवी ति ओडडशा प्राकृततक यही से जापान को तनयाधत ककया
जाता है ।

1. कोलकाता बंदरगाह समुर ति पर


कोलकाता- पस्श्चम नहीं है बस्ल्क हुगली नदी पर स्थित
12 पूवी ति प्राकृततक
हस्ल्दया बंगाल है ।
2. हस्ल्दया इसका सहायक

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बंदरगाह है जोकक समर


ु ति पर
स्थित है ।
3. णखहदरपरु एवं डायमण्ड हाबधर
इसके प्रमुख पोताश्य हैं।

बंगाल की अण्डमान
13 पोिध ब्लेयर प्राकृततक
खाडी तनकोबार

▪ दे श के 200 छ़ोटे बंदरगािों में से मित्िपण


ू व बंदरगाि एिं उनके राज्य की सच
ू ी
ननम्नित िै ।

ि० सं० बंदरगाि का नाम राज्य

1 माण्वी गुजरात

2 ओखा गुजरात

3 द्वारका गुजरात

4 पोरबंदर गुजरात

5 भावनगर गुजरात

6 रत्नाधगरी महाराष्र

7 कारवार कनाधिक

8 कासरगोड केरल

9 कनानूर केरल

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10 कोझीगोड केरल

11 स्कवलोन केरल

12 एलेप्पी केरल

13 िोण्डी तशमलनाडु

14 नागपट्िनम तशमलनाडु

15 कराइकल तशमलनाडु

16 मछलीपट्िनम आंध्र प्रदे श

17 एन्नौर आंध्र प्रदे श

18 गोपालपुर ओडडशा

भारत में ननिास करने िाली


जनजानतयाँ
▪ भारत में तनवास करने वाली जनजाततयााँ :- जनजाततयााँ एक ऐसा मानव समह

है जोकक अपने आहदम रीतत-ररवाज के तरीकों से एक तनस्श्चत भ-ू भाग पर
तनवास करते हैं। भारतीय जनजाततयों को भू-भाग के अनस
ु ार उत्तर, पूवोत्तर,
मध्य तिा दक्षक्णीय क्ेत्र में वगीकृत ककया गया है । जनजाततयों में र्ाशमधक
पुरूष(पुजारी) को पाहन कहा जाता है ।
▪ अफ्रीका महाद्वीप को जनजातत महाद्वीप भी कहा जाता है ।
▪ भारत दे श में सवाधधर्क जनजातत जनसंख्या वाला राज्य मध्य प्रदे श है उसके
बाद महाराष्र का थिान है ।

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▪ भारत दे श में सवाधधर्क जनजातत प्रततशत जनसंख्या वाला राज्य शमजोरम


(94%) है ।
▪ भारत दे श में सवाधधर्क जनजातत प्रततशत जनसंख्या वाला केन्र शाशसत प्रदे श
लक्द्वीप (94%) है ।
▪ भारत दे श में न्यन
ू तम जनजातत जनसंख्या वाला राज्य गोवा तिा इसके बाद
उत्तर प्रदे श का थिान आता है ।
▪ पंजाब, हररयाणा, हदल्ली एवं चंडीगढ़ में कोई भी जनजाततयां तनवास नहीं करती
हैं।
▪ ककसी भी जनजातत समुदायको अधर्सूधचत करने का अधर्कार राष्रपतत के पास
है ।

दे श जनसंख्या के आधार पर सबसे बडे तीन जन जातीय समि


ू -

1.
1. गोण्ड
2. भील
3. संिाल

▪ पशप
ु ालक जनजानतयां

1.
1. िोडा जनजातत तशमलनाडु के नीलधगरी पहाडी पर तनवास करती है तिा
भैंस पालन करती है ।
2. गद्दी एवं बकरवाल जनजातत हहमाचल प्रदे श में तनवास करती है तिा
भेड-बकरी पालन करती है ।

▪ चकमा जनजातत के लोग बांग्लादे श के मूल तनवासी है तिा ये पूवोत्तर भारत में
प्रमख
ु तः बत्रपुरा में शरणािी के रूप में प्रवेश कर गए है ।

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भारत की प्रमख
ु जनजाततयााँ

दे श में तनवास करने वाली प्रमख


ु जनजाततयों का वववरण तनम्नशलणखत है -

राज्य जनजानत का नाम प्रमख


ु बाते

जम्मू कश्मीर गुज्जर एक मुस्थलम जनजातत है ।

1. पहाडी ढ़ालों पर तनवास करती हैं।


गद्दी, बकरवाल, जद्दा,
हहमाचल प्रदे श 2. गद्दी तिा बकरवाल जनजातत बकरी तिा भेडों को
ककन्नौर
पालती है तिा उन्हीं के उत्पादों पर आधश्त हैं।

िारू, बक
ु सा, भोहिया, िारू जनजातत के लोग दीपावली को शोक पवध के रूप में
उत्तराखण्ड
जौनसारी मनाते हैं।

कोई ववशेष जनजाततयााँ हहमालय के तराई वाले क्ेत्रों में उत्तराखण्ड की ही


उत्तर प्रदे श
तनवास नहीं करती हैं जनजाततयां तनवास करती हैं।

मीणा, गरशसया,
राजथिान कालबेशलया एक सपेरा जनजाती सुमादाय है।
कालबेशलया

कोल, भील, लम्बाडी,


मध्य प्रदे श बैगा जनजातत पूरी तरह से प्रकृतत पर तनभधर रहती है ।
बैगा, सहररया

कुछ मात्रा में मध्य प्रदे श की जनजाततयााँ भी यहां तनवास


छत्तीसगढ़ अगररया, भाररया
करती हैं।

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1. थवतंत्रता आंदोलन में बबरसा मण्


ु डा आंदोलन एक प्रमुख
आंदोलन िा।
2. मण्
ु डा जनजातत का प्रमख
ु त्यौहार सरहुल, बसंत
आगमन पर मनाया जाता है ।
3. मण्
ु डा जनजातत मत
ृ कों की हड्डडयााँ शमट्िी के बतधन में
संिाल, मुण्डा, गोंड, रखी जाती है। इसे जंगिोपा अनुष्ठान कहा जाता है ।
झारखण्ड
बबरहोर, हो 4. गोड जनजातत जंगलों को जलाकर, दहहया खेती करती
है ।
5. संिाल जनजातत की लेखन शलपी ओलाधचकी कही
जाती है ।
6. हो जनजातत के लोग वषाध कराने हे तु आग जलाकर
र्आ
ु ाँ करते हैं।

पस्श्चम बंगाल भशू मज, लेप्चा

महाराष्र कोली, बंजारा

गुजरात कोली, बंजारा, मुररया

चेंचू, लंबाडा, बहुरूवपया,


आंध्र प्रदे श
कोचा

1. िोडो जनजातत जोकक नीलधगरी की पहाडडयों पर रहती


है
तशमलनाडु िोडा, मन्नार इरूला 2. िोडो जनजातत में कन्या वर् की प्रिा के चलते, शलंग
अनुपात में कमी आ गयी है । स्जस कारण यहां बहुपतत
वववाह प्रचशलत है ।

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केरल कोिा, नायर, कडार

ओडडशा जुआग
ं , जिायु, उरांव

शसस्ककम लेप्चा

मेघालय गारो, खासी, जयंततया

बोडो, गारो, खासी,


असम
जयंततया

अरूणाचल डफला, शमरी, अबोर,


प्रदे श शमश्मी

नागा जनजातत में वववाह समारोह में नर मण्


ु ड माला को
नागालैण्ड नागा, कोन्यक
पहनकर शौयध का प्रदशधन करा जाता है ।

मणीपुर कूकी

बत्रपुरा लुशाई, ररयांग

दादर और
ढ़ोहढया
नगर हवेली

ऩोट : यहााँ नेशनल लेवल एग्जाम में पूछे जाने वाले प्रश्नों के आर्ार पर जनजाततयों
का वणधन ककया गया है स्जनमें राज्य के थतर से कई राज्यों की महत्वपण
ू ध
जनजाततयों का वणधन नहीं ककया गया है कयोंकक कई जनजाततयां उस राज्य के राज्य

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थतरीय एग्जाम के अनस


ु ार तो महत्वपण
ू ध होती हैं लेककन नेशनल लेवल एग्जाम के
अनस
ु ार उनको पढ़ना महत्वपूणध नहीं होता है।

एसशया का भग
ू ़ोल
▪ एशशया का भूगोल :- एशशया महाद्वीप को सभ्यताओं का पालना भी कहा जाता
है । क्ेत्रफल के आर्ार पर ववश्व के तीन बडे दे श इसी महाद्वीप में है । एशशया
महाद्वीप की प्रमख
ु जानकाररयााँ तनम्नवत हैं-ववषव
ु त रे खा केवल 3 महाद्वीपों से
होकर गुजरती है –

1.
i. एशशया
ii. अफ्रीका
iii. दक्षक्ण अमेररका

▪ ववषुवत रे खा एशशया के केवल दो ही दे शों से होकर गुजरती है –

1.
i. मालद्वीप
ii. इण्डोनेशशया

▪ एशशया महाद्वीप की वो राजर्ानी जो ववषव


ु त रे खा के सबसे करीब है –

1.
i. शसंगापरु

▪ इण्डोनेशशया 17000 छोिे -बडे द्वीपों से शमलकर बना एक दे श है , जोकक एशशया


के दक्षक्ण पव
ू ी भाग में स्थित है । इण्डोनेशशया के प्रमुख 5 बडे द्वीप हैं-

1.
i. सम
ु ात्रा

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ii. जावा- इण्डोनेशशया की राजर्ानी जकाताध यही पर है ।


iii. बोतनधओ- सबसे बडा यही द्वीप है । इस पर अन्य दे शों का भी कब्जा है ।
iv. सल
ु ावेसी
v. न्यू धगतनया

▪ क्ेत्रफल के आर्ार पर ववश्व के 7 सबसे बडे दे शों में से 3 दे श एशशया में हैं-

1.
i. रूस
ii. चीन
iii. भारत

▪ आबादी के अनस
ु ार दतु नया के 4 सबसे बडे दे शों में से 3 एशशया में है –

1.
i. चीन
ii. भारत
iii. इण्डोनेशशया

▪ एशशया का सबसे

1.
i. पूवी दे श- इण्डोनेशशया
ii. पस्श्चमी दे श- िकी
iii. दक्षक्णी- इण्डोनेशशया
iv. उत्तरी दे श- रूस

▪ साइप्रस एक द्वीप है एवं भूमध्य सागर में है । इसी की


राजर्ानी “तनकोशसया” एशशया की सबसे पस्श्चमी राजर्ानी है ।

▪ एशशया के सबसे अधर्क दे शों से सीमा बनाने वाला दे श।

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1.
i. रूस- 14 दे श
ii. चीन- 14 दे श

▪ काला सागर एक पतले से जलडमरू से भम ू ध्य सागर से जड ु ा हुआ है । परन्तु


कैस्थपयन सागर एवं अरल सागर पूणत
ध ः भबू ध्य है । वाथतव में कैस्थपयन सागर
एवं अरल सागर, सागर नहीं बस्ल्क झीलें हैं।

1.
i. कैस्थपयन सागर दतु नया की सबसे बडी खारे पानी की झील है ।
ii. अरल सागर से केवल 2 दे श सीमा बनाता है –

▪ उत्तर में – कजाककथतान


▪ दक्षक्ण में- उज्बेककथतान

▪ माउण्ि दमावंद एशशया का सबसे ऊंचा सकिय ज्वालामख


ु ी है , जोकक ईरान में
स्थित है ।

▪ एशशया की सबसे गहरी झील रूस की बेकाल झील है ।


▪ एशशया का सबसे बडा थिल अवरूद्र् दे श-

1.
i. कजाककथतान
ii. मंगोशलया(चीन के अधर्कार में)

▪ मंगोशलया दे श रूस एवं चीन के मध्य में है ।


▪ आमूर नदी रूस एवं चीन के मध्य सीमा बनाती है । अंततः पूवध में ओखोथिक
सागर में धगर जाती है।

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▪ जापान कई द्वीपों से शमलकर बना हुआ है । जापान के प्रमख


ु 4 द्वीपों का
वववरण तनम्नवत है –

1.
i. होकाडो- सबसे उत्तरी द्वीप है ।
ii. होन्शू जापान का सबसे बडा द्वीप है , राजर्ानी िोकयो यही है।
iii. शीकोकू- हहरोशशमा यहीं पर है ।
iv. कयश
ू -ू नागासाकी यहीं पर है ।

▪ चीन के पव
ू ध में पीला सागर एवं दक्षक्ण में दक्षक्णी चीन सागर है । ये दोनों ही
सागर प्रशान्त महासागर का ही भाग है ।
▪ पीला सागर में ही कफशलपीन्स द्वीप समह
ू है। स्जसकी राजर्ानी मनीला है ।
कफशलपीन्स भी कई द्वीपों से शमलकर बना है इसके 3 प्रमुख द्वीपों का वववरण
तनम्नवत है -

1.
i. लुजोन- मनीला राजर्ानी यहीं है ।
ii. शमंडानाओ
iii. समर

▪ कफशलपीनन्स के पूवध में कैरोलाइन द्वीप (कैरोशलन द्वीप) है । इसी में प्रशान्त
महासागर की सबसे गहरी गतध है माररयाना गतध स्थित है ।
▪ लाल सागर एवं भम
ू ध्य संगर है बीच में शमथत्र दे श है । थवेज नहर लाल सागर
तिा भम
ू ध्य सागर के बीच में शमथत्र दे श में ही 1869 में बनायी गयी िी। वषध
1956 में इसका राष्रीकरण कर हदया गया। इस नहर की कुल लम्बाई 162
कक0मी0 है ।
▪ अरब प्रायद्वीप दतु नया का सबसे बडा प्रायद्वीप

1.
i. दक्षक्ण- अदन की खाडी

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ii. पव
ू -ध अरब सागर, ओमान की खाडी
iii. पस्श्चम- लाल सागर

▪ अरब प्रायद्वीप का सबसे बडा दे श सऊदी अरब है ।

1.
i. सबसे र्नी दे श(अरब प्रायद्वीप)- UAE

▪ रूस का पव
ू ी हहथसा जो उं गली के आकार में नीचे की तरफ लिका है , वाथतव
में एक प्रायद्वीप है । इस कमचातका प्रायद्वीप के नाम से जाना जाता है ।

1.
i. कमचातका प्रायद्वीप से छोिे -2 द्वीपों की शख
ंृ ला दक्षक्ण में जापान तक
तनकली हुई है । स्जसे कुरील द्वीप समह
ू कहते है । कुरील द्वीप समह

रूस के कब्जे में है ।
ii. कुररल द्वीप समह
ू एवं रूस(मख्
ु य भूशम) के मध्य सागर को ओखोथिक
सागर कहते है ।

▪ एशशया का सबसे छोिा दे श मालदीव है ।


▪ अनातोशलया का पठार तक
ु ी में स्थित है ।
▪ ईरान का पठार 2 पवधतों से तघरा है , एलबुजध पवधत एवं जाग्रोस पवधत।
▪ पामीर का पठार- पामीर की गााँठ भी कहा जाता है । ये मख्
ु य रूप से
तजाककथतान में है । यहां से 4 पवधत श्ंख
ृ ला तनकलती हैं –

1.
i. हहन्दक
ु ु श- पाककथतान की तरफ
ii. काराकोरम पवधत- लद्दाख की तरफ
iii. कुनलुन पवधत- ततब्बत की तरफ
iv. ततयन शान- चाइना की तरफ

▪ ततब्बत का पठार- हहमालय के उत्तर में – 2 पवधतों से तघरा है ।

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1.
i. हहमालय
ii. कुनलुन पवधत- दतु नया का सबसे ऊंचा एवं ववशाल पठार है ।

▪ यन
ु ान का पठार का चाइना में स्थित है ।

उत्तर अमेररका का भूग़ोल


▪ उत्तर अमेररका का भूगोल (Uttar America ka bhugol notes in Hindi):-
अलाथका से पनामा नहर तक का भू-भाग उत्तर अमेररका महाद्वीप में आता है ।
अलाथका भी संयक
ु त राज्य अमेररका का भाग है ।उत्तर अमेररका महाद्वीप में
कुल 10 दे श हैं, स्जनमें से 3 प्रमुख दे श हैं-

1.
1. कनाडा
2. संयुकत राज्य अमेररका(य0
ू एस0ए0)
3. मैस्कसको

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▪ मैस्कसको की दक्षक्णी सीमा से पनामा नहर तक 7 छोिे -छोिे दे श है । इन्हें मध्य


अमेररका कहा जाता है।
▪ 49° अक्ांश रे खा संयक
ु त राज्य अमेररका(य0
ू एस0ए0) और कनाडा की सीमा पर
है ।
▪ वाथतव में य0
ू एस0ए0 और कनाडा की सीमा तीन चीजों से संयक
ु त रूप से बनी
है -

1.
1. 49° अक्ांश रे खा
2. ग्रेि लेकस
3. सेंि लॉरें स नदी

▪ ग्रेि लेकस के अंतगधत 5 झीलें आती है । स्जनका पस्श्चम से पव


ू ध की तरफ का
िम तनम्नवत है -

1.
1. सुपीररयर झील- ताजे पानी की सबसे बडी झील
2. ह्यरू ॉन झील
3. शमशशगन झील- पूरी तरह से अमेररका में है।
4. एरी झील
5. ओंिाररयो झील

▪ ग्रेि लेकस के पास काफी सारे औद्योधगक नगर बसे हुए है । 4 प्रमख

औद्योधगक नगर तनम्नवत है -

1.
1. सुपीररयर-दल
ु ुि
2. शमशशगन- गैरी, शशकागो
3. एरी- डेरायि(ऑिोमोबाइल उद्योग)

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▪ ग्रेि लेकस के आस-पास का इलाका काफी उपजाऊ है । इस कारण यहां पर घास


के मैदान पाये जाते हैं स्जन्हे प्रेयरी कहा जाता है । शशकागो यहां का एक प्रमुख
नहर है।
▪ प्रेयरी शीतोष्ण घास के मैदान होते है।
▪ अमेररका का क्ेत्रफल भारत के क्ेत्रफल से तीन गन
ु ा अधर्क है ।

▪ “ररयो ग्रांडे नदी” मैस्कसको एवं संयुकत राज्य अमेररका(य0


ू एस0ए0) के बीच
नदी सीमा बनाती है और अंत में मैस्कसको की खाडी में धगर जाती है ।
▪ कनाडा के उत्तर में ग्रीनलैंड पर राजनीततक अधर्कार डेनमाकध(यरू ोपीय दे श) का
है ।
▪ ववश्व की दस
ू री सबसे लम्बी पवधत श्ंख
ृ ला रॉकी पवधत उत्तरी अमेररका के
पस्श्चम में ही स्थित है । रॉकी पवधत श्ेणी कनाडा से प्रारम्भ होकर संयक
ु त
राज्य अमेररका तक आती है । इसकी सबसे ऊंची चोिी माउं ि अल्बिध है ।
▪ अलाथका श्ेणी, अलाथका में स्थित है । इसकी सबसे ऊंची चोिी माउं ि मैककनले
है , यही उत्तरी अमेररका की सबसे ऊंची चोिी भी है ।
▪ कनाडा में 4 झीले है स्जनका उत्तर से दक्षक्ण की तरफ िमवार वववरण
तनम्नवत है -

1.
1. ग्रेि बबयर झील
2. ग्रेि थलेव झील
3. अिावाथका झील
4. ववतनपेग झील

▪ कनाडा के उत्तर में हडसन की खाडी है जोकक तीनों तरफ से र्रती से तघरा हुआ
है ।
▪ संयुकत राज्य अमेररका में कुल 50 राज्य है-

1.

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1. अमेररका की राजर्ानी वाशशग्ं िन डी0सी0 चेसावपक की खाडी में पोिोमैक


नदी के ककनारे बसा है। इसी के उत्तर में प्रशसद्र् शहर न्यय
ू ॉकध है।
2. संयुकत राज्य अमेररका(य0
ू एस0ए0) का सबसे बडा राज्य िै कसस है ।
3. सबसे पस्श्चमी राज्य कैशलफोतनधया है। यह भ्रंश घािी(भशू म का नीचे र्स
जाना) सैनएंडरयास भ्रंश में स्थित है । यहीं कारण है कक यहां पर बहुत
भूकंप आते है । यहीं पर अमेररका के आर्े से अधर्क तेल का शोर्न सैन
फ्रांशसथको ररफाइनरी में ककया जाता है । इसी कारण इसे गोल्डन गेि भी
कहा जाता है ।
4. प्रशसद्र् पयधिक थिल मायामी अमेररका के शहर फ्लोररडा के तनकि बसा
है ।

▪ मैस्कसको के पव
ू ध में द्वीप समह
ू है स्जसे वेथि इण्डीस कहते है । वेथि इण्डीस
द्वीप समूह को कैरीबबयन सागर के तनकि होने के कारण कैरीबबयन द्वीप भी
कहा जाता है ।

▪ कैरीबबयन द्वीप के प्रमुख द्वीप/ दे शों का वववरण तनम्नवत है -

1.
1. कयब
ू ा- राजर्ानी हवाना(ककध रे खा के सबसे नजदीक राजर्ानी)
2. बहामास
3. जमैका
4. है ती
5. पुतो ररको

▪ धचयापास का पठार मेस्कसको में है ।


▪ संयुकत राज्य अमेररका (यू0एस0ए0) में 5 पठार है -

1.
1. पीडमान्ि का पठार- पव
ू ी यू0एस0ए0
2. ओजाकध का पठार- पव
ू ी य0
ू एस0ए0

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3. कोलस्म्बया का पठार- पस्श्चमी य0


ू एस0ए0
4. ग्रेि बेशसन का पठार- पस्श्चमी य0
ू एस0ए0
5. कोलोराडो का पठार- पस्श्चमी य0
ू एस0ए0

▪ कोलोराडो नदी कैशलफोतनधया की खाडी में धगरती है ।

अफ़्रीका का भग
ू ़ोल
▪ अफ़्रीका का भग
ू ोल :- अफ़्रीका, क्ेत्रफल और जनसंख्या के आर्ार पर ववश्व का
दस
ू रा सबसे बडा महाद्वीप है । अफ़्रीका ही एक ऐसा महाद्वीप है जहां से तीनों
प्रमख
ु रे खाएाँ ककध रे खा, ववषव
ु त रे खा एवं मकर रे खा होकर गज
ु रती हैं।अफ्रीका
में कुल 55 दे श हैं –

1.
1. 49 दे श मख्
ु य भशू म पर हैं।
2. 6 द्वीपीय दे श हैं।

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▪ क्ेत्रफल में सबसे बडा दे श अल्जीररया एवं जनसंख्या में सबसे बडा दे श
नाइजीररया है ।
▪ नाइजीररया की 2 प्रमख
ु जनजातत है –

1.
1. हाउसा- ये प्रमुख रूप से कृषक होते हैं।
2. फुलानी- ये प्रमख
ु रूप से पशप
ु ालक होते हैं।

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▪ अफ़्रीका का क्ेत्रफल में सबसे छोिा दे श “सेशल्


े स” एक द्वीप है तिा तंजातनया
के पव
ू ध में हहन्द महासागर में स्थित है ।
▪ अफ्रीका का सबसे बडा द्वीपीय दे श “मेडागाथकर” है , जोकक मोजास्म्बक दे श के
पव
ू ध में हहन्द महासागर में स्थित है । मोजास्म्बक तिा मेडागाथकर के बीच में
“मोजास्म्बक चैनल” है । मैडागाथकर के पव
ू ध में एक द्वीप मॉरीशस स्थित है।
▪ अफ़्रीका के उत्तर पव
ू ी हहथसे को “हॉनध ऑफ अफ़्रीका” भी कहा जाता है । “हॉनध
ऑफ अफ़्रीका” के अंतगधत तीन दे श आते है -

1.
1. सोमाशलया
2. इधियोवपया
3. स्जबूती

▪ ववषुवत रे खा अफ्रीका के कुल 6 दे शों से होकर गुजरती है -

1.
1. गैबोन
2. कंगो
3. कांगो प्रजातांबत्रक गणराज्य (जायरे )
4. युगांडा
5. केन्या
6. सोमाशलया

▪ कालाहारी मरुथिल तीन दे शों में फैला हुआ है -

1.
1. बोत्सवाना- सबसे अधर्क हहथसा यहीं पर है ।
2. नामीबबया
3. दक्षक्ण अफ़्रीका

▪ दक्षक्ण अफ़्रीका में 2 भूबध्य दे श है -

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1.
1. लेसोिो
2. थवाजीलैंड

▪ तंजातनया के पव
ू ध में हहंद महासागर में पेम्बा एवं जंजीबार नामक 2 द्वीपों पर
तंजातनया का अधर्कार। इन दोनों द्वीपों में लैंग और इलायची की खेती की
जाती है तिा ववश्व की 90% लैंग इन्ही 2 द्वीपों पर उगायी जाती है ।

▪ इस महाद्वीप पर 4 प्रमुख झीले हैं-

1.
1. नाशसर झील- शमथत्र में नील नदी पर आथवान बांर् हे तु बनायी गयी
मानव तनशमधत झील।
2. ववकिोररया झील- ववषव
ु त रे खा पर स्थित है । इस झील से श्वेत-नील
नदी तनकलती है तिा उत्तर की तरफ प्रवाहहत होती है भम
ू ध्य सागर में
शमल जाती है । ववकिोररया झील तीन दे श तंजातनया, यग
ु ांडा एवं कीतनया
से सीमा बनाती है
3. तांगान्यीका झील- ववकिोररया झील के दक्षक्ण में स्थित है है । कुल 4
दे शों तंजातनया, बुरूण्डी, कांगो, जास्म्बया से सीमा बनाती हैं।
4. मलावी झील- िं गस्न्यका के दक्षक्ण में स्थित है । कुल 3 दे शों तंजातनया
मलावी एवं मोजास्म्बक से सीमा बनाती है ।
5. तुकाधन झील- केन्या में स्थित है ।
6. ताना झील- इधियोवपया में स्थित है ।

▪ मख्
ु य नील नदी दो नहदयों नीला-नील नदी एवं श्वेत-नील नदी के शमलन से
बनती है । एवं नील नदी 4 दे शों से प्रवाहहत होती है -

1.
1. युगांडा
2. दक्षक्ण सूडान

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3. सड
ू ान
4. शमथत्र

▪ थवेत-नील नदी ही मख्


ु य नील नदी की प्रमुख र्ारा तिा ये ववकिोररया झील से
तनकलती है । नीला-नील नदी इधियोवपया से तनकलती है । ये दोनों नहदयां सूडान
की राजर्ानी खातम
ूध में शमलते है तिा कफर “नील नदी” कहलाती है ।
▪ दक्षक्णी सड
ू ान पहले सड
ू ान का ही हहथसा िा। वषध 2011 में यह एक ईसाई
बाहुल्य वाला अलग दे श बन गया।
▪ कांगो नदी- मध्य अफ़्रीका गणराज्य (जायरे ) से तनकलती है । 2 बार ववषव
ु त वत

को कािती है ।
▪ कांगो गणराज्य में किं गा पठार है यहां हीरा एवं तांबा पाया जाता है । दतु नया
का लगभग आर्ा हीरा(40%) यहीं पर है । परन्तु अभी यहां उत्पादन प्रारम्भ
नहीं हुआ है वतधमान में हीरे के उत्पादन में रूस प्रिम थिान पर है । कांगो नदी
इसी किं गा के पठार से तनकलती है ।
▪ नाइजर नदी नाइजीररया में प्रवाहहत होती है। यहां इसके प्रवाह क्ेत्र में तेल के
भण्डार है अतः इसे तेल नदी भी कहा जाता है । इस तेल का शोर्न नाइजीररया
के सबसे बडे शहर इबादान में ककया जाता है। इस नदी पर कैं जी बांर् बना है ।
▪ शलम्पोपो नदी दक्षक्ण अफ्रीका एवं बोत्सवाना दे श की सीमा पर बनती है ।
शलम्पोपो नदी मकर रे खा को 2 बार कािती है ।
▪ जाम्बेजी नदी, जास्म्बया एवं स्जम्बाव्वे दे श की सीमा पर बहती है। इस नदी पर
करीबा बांर् बना है ।
▪ दक्षक्ण अफ़्रीका का सबसे बडा एवं प्रमुख शहर जोहान्सबगध है । ववि वािसध की
पहाडी पर बसा है , ये पहाडी सबसे बडा सोने का भण्डार है अतः जोहान्सबगध को
थवणध नगर के नाम से भी जाना जाता है । ककम्बरले में हीरे की खान दक्षक्ण
अफ़्रीका में है । दक्षक्ण अफ़्रीका की 2 राजर्ानी है -

1.
1. वप्रिोररया- प्रशासतनक
2. केपिाउन- वैर्ातनक राजर्ानी

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▪ ववषव
ु त वत
ृ पर सदाबहार वक्
ृ पाये जाते है । िोडा सा उत्तर या दक्षक्ण में बढ़ने
पर सवाना जलवायु पायी जाती है । उत्तर वाली सवाना जलवायु को सड
ू ान तुल्य
जलवायु की कहते है । मोिी किीली और किोर घास इस जलवायु की ववशेषता
है ।
▪ सवाना जलवायु के और उत्तर और दक्षक्ण में बढ़ने पर मरुथिलीय जलवायु
पायी जाती है –

1.
1. उत्तरी मरुथिल – सहारा मरूथिल-ऊठ
2. दक्षक्णी मरुथिल -कालाहारी – शतुरमग
ु ध

▪ दक्षक्ण अफ़्रीका में शीतोष्ण जलवायु पायी जाती है । इसे प्रेयरी जलवायु भी कहा
जाता है । थिानीय भाषा में “वैल्ड” कहते है । लम्बी और मल
ु ायम घास इस
जलवायु की ववशेषता है । मकके की अच्छी फसल उगायी जाती है स्जस कारण
इसे मकका बत्रभुज कहा जाता है ये क्ेत्र रेकेन्सबगध पवधत से तघरा है । औरें ज एवं
शलंपोपो नहदयों की सहायक नहदयां इस क्ेत्र को सींचती हैं।

▪ अफ़्रीका प्रमख
ु रूप से पठारी है इसशलए यहां पर ज्यादा पवधत नहीं पाये जाते।
अफ्रीका की दो मख्
ु य पवधत श्ंख
ृ लाओ का वववरण तनम्नवत हैं-

1.
1. रेकेन्सबगध पवधत- दक्षक्ण अफ़्रीका में है ।
2. एिलस पवधत- अल्जीररया एवं मोरकको में है ।

▪ एिलस पवधत की सबसे ऊंची चोिी माउं ि िूबकल अल्जीररया में स्थित है।
परन्तु परू े अफ्रीका की सबसे ऊंची चोिी “माउं ि ककलमंजारो” जोकक तंजातनया में
स्थित एक ज्वालामुखी पवधत है ।
▪ माउं ि कैमरून अफ़्रीका का एक सिीय ज्वालामुखी है जोकक पस्श्चमी अफ्रीका के
दे श कैमरून में स्थित है ।

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▪ अफ़्रीका में प्रमख


ु रूप से 3 पठार है -

1.
1. अबीसीतनया का पठार- हानध ऑफ अफ्रीका में है । तीन दे श आते है ।
इसके सोमाशलया, इधियोवपया, स्जबत
ू ी।
2. कतांगा का पठार- कांगो गणराज्य में है , यहां से कांगो नदी तनकलती है ,
इसी पठार में हीरे का सबसे अधर्क अनम
ु ातनत भंडार है । तांबे का भंडार
भी है ।
3. मालागासी का पठार- मैडागाथकर द्वीप पर हहंद महासागर का सबसे
बडा द्वीप है ।

ऑस्रे सलया का भग
ू ़ोल
▪ ऑथरे शलया का भूगोल :- ऑथरे शलया को द्वीपीय महाद्वीप भी कहा जाता
है । ऑथरे शलया के पूवी ति पर ग्रेि डडवाइडडंग पवधत फैला है । इस पवधत माला
को ऑथरे शलयाई आल्प्स भी कहा जाता है ये ववश्व में चौिी सबसे बडी पवधत
श्ेणी है।इस पवधत श्ेणी से 2 नहदयां “मरे ” एवं “डाशलंग” तनकलती हैं। आगे
चलकर ये दोनों नहदयााँ शमल जाती है और संयुकत रूप से “मरे डाशलंग” नदी
कहलाती है और आगे जाकर एडडलेड के पास दक्षक्णी महासागर में धगर जाती
है ।

▪ “मरे डाशलंग” नदी की उपजाऊ घािी को रे वरे रना नाम से जाना जाता है । यहां
पर गेहूं की खेती की जाती है ।
▪ ऑथरे शलया के पूवी ति पर ही सभी प्रमुख शहर बसे है ।
▪ ऑथरे शलया की राजर्ानी कैनबरा मख्
ु य भूशम पर स्थित है ।
▪ ऑथरे शलया महाद्वीप का पस्श्चमी हहथसा काफी सूखा है । स्जस कारण से यहां
कई मरुथिल पाये जाते है । मख्
ु य मरुथिलों का वववरण तनम्नवत है -

1.

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1. ग्रेि ववकिोररया मरुथिल


2. ग्रेि सैंडी मरुथिल
3. धगब्सन मरुथिल
4. शसम्पसन मरुथिल

▪ ग्रेि डडवाइडडंग रें ज एवं ग्रेि ववकिोररया डैथिध के बीच का भाग नीचे बैठा हुआ है
ये मध्यवती बेशसन नाम से जाना जाता है । यहां पर कुआं खोद कर खेती की
जाती है । तिा इस प्रकार के कुओं को “उत्स्रुत कूप” कहा जाता है । भूशम के
नीचे होने के कारण यहां पानी अपने आप तनकल आता है ।
▪ आयरे झील मध्यवती बेशसन में ऑथरे शलया का सबसे गहरा भाग है । इसके
आस पास के क्ेत्र को डाउन्स लैंड कहा जाता है । यहां पर शीतोष्ण घास के
मैदान भी पाया जाते है । स्जन्हे डाउन्स कहा जाता है ।
▪ ऑथरे शलया में किसमस पवध के समय गमी का मौसम होता है ।
▪ ऑथरे शलया के पूवी भाग को तीन प्रमख
ु राज्यों में बााँिा गया है -

1.
1. कवीन्सलैण्ड राज्य (उत्तरी)
2. न्यू साउि वेल्स (मध्य)
3. ववकिोररया (दक्षक्ण)

▪ न्यू साउि वेल्स राज्य में शीतोष्ण जल वायु पायी जाती है । शीतोष्ण जलवायु
को प्रेयरी जलवायु भी कहा जाता है । ऑथरे शलया में इसे डाउन्स कहा जाता है ।
▪ ग्रेि ववकिोररया रे धगथतान के दक्षक्णी क्ेत्र में सोने की 2 खाने है -

1.
1. कालगल
ु ी की खान
2. कूलगाडी की खान

▪ सोना उत्पादन में ऑथरे शलया द्ववतीय थिान पर है । इस सच


ू ी में प्रिम दे श
चीन है ।

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▪ ऑथरे शलया के उत्तर कारपें िररया की खाडी है तिा इसके पव


ू ध में चाकू के आकार
का ऊपर की ओर तनकला हुआ केपयाकध प्रायद्वीप है । यहां वाइपा की खान है
से बाकसाइि तनकाला जाता है । बाकसाइि के उत्पादन में ववश्व में प्रिम चीन
तिा ऑथरे शलया द्ववतीय थिान पर आता है।
▪ कारपें िररया की खाडी के दक्षक्ण में आनेहेम लैण्ड खतनज क्ेत्र है यहां पर भी
बॉकसाइि पाया जाता है ।
▪ पस्श्चमी ऑथरे शलया में स्थित वपलबारा की खान में लौह अयथक पाया जाता
है ।
▪ कवीन्सलैण्ड ऑथरे शलया में माउं ि ईसा स्थित है । यहां पर सीसा, जथता, तांबा
और चााँदी पाया जाता है ।
▪ न्यू साउि वेल्स ऑथरे शलया में माउं ि ब्रोकन हहल में सीसा एवं जथता पाया
जाता है ।
▪ ऑथरे शलया का एक महत्वपण
ू ध शहर पिध सद
ु रू पस्श्चमी ति पर स्थित है । इसे
रांस आथरे शलयन रे ल मागध द्वारा शसडनी से जोडा गया है । इसका रे ल पि
तनम्नवत है -

पिध→कूलगाडी→कालगल
ु ी→ब्रोकन हहल→शसडनी।

▪ ऑथरे शलया में 2 प्रमुख पठार हैं-

1.
1. आनेहेम लैण्ड का पठार
2. ककम्बरले का पठार -इस नाम का एक पठार एवं खान दक्षक्ण अफ्रीका में
भी है ।

विश्ि की प्रमख
ु नहदयाँ

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1. जमधनी

▪ जमधनी में 3 प्रमुख नहदयााँ उत्तर की ओर प्रवाहहत होती है । तीनों ही उत्तरी सागर
में धगरती हैं –

i. राइन नदी

▪ जमधनी के ब्लैक फॉरे थि पवधत से तनकलती है । ब्लैक फॉरे थि पवधत एवं वासजेस
पवधत के बीच से बहती है । कफर नीदरलैंड में प्रवेश करके उत्तरी सागर में धगर
जाती है । जहां पर ये नदी नीदरलैंड में उत्तरी सागर में प्रवेश करती वहीं पर
रॉिडधम बंदरगाह है जोकक पूरे यूरोप का सबसे बडा एवं व्यथत बंदरगाह है । यही
से राइन नदी पर आंतररक जल पररवहन भी होता है ।
▪ राइन नदी को कोयला नदी भी कहते है ।
▪ राइन नदी की सहायक रूर नदी, को बेशसन में कोयले का बडा भण्डार है । रूर
बेशसन या रूर प्रदे श को “जमधनी का काला प्रदे श” और “यरू ोप का औद्योधगक
हृदय” नामों से भी जाना जाता है ।

ii. एल्ब नदी

▪ है म्बगध शहर इसी नदी के ति पर है ।

iii. ओडर नदी

▪ जमधनी की 1 नदी काला सागर में धगरती है -

iv. डेन्यूब नदी

▪ ये भी ब्लैक फॉरे थि से ही तनकलती है । तिा यरू ोप की 5 राजर्ातनयों से


प्रवाहहत होते हुए काला सागर में धगरती है ।

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2. फ्रांस

▪ सीन नदी – फ्रांस की राजर्ानी पेररस इसी नदी के ककनारे है । ये नदी इंस्ग्लश
चैनल में धगरती है ।

3. इिली

▪ प़ो नदी – ऐल्प्स पवधत से तनकलती है तिा इिली के पवध में एडरयाहिक सागर
में धगरती है । पो नदी की घािी मैदानी क्ेत्र है तिा इसे लोम्बाडी का मैदान
कहा जाता है । लोम्बाडी का मैदान पूरे यरू ोप में सबसे अधर्क चावल उत्पादन
वाला क्ेत्र है ।
▪ टाइबर नदी – इिली की राजर्ानी रोम िाइबर नदी के ककनारे बसा है ।

4. रूस

▪ रूस के यूरोप वाले भाग में 3 प्रमुख नहदयााँ तनकलती है –

1.
1. ि़ोल्गा नदी – यरू ोप की सबसे लम्बी नदी। वोल्गाई पवधत से तनकलती है
तिा अंततः कैस्थपयन सागर में धगरती है । वोल्गोग्राद नामक एक प्रमुख
शहर इसके ककनारे बसा है । इस नदी घािी में तेल पाया जाता है तिा
वोल्गोग्राद शहर में तेल शोर्न होता है ।
2. यूराल नदी – ये नदी यरू ाल पवधत से तनकलती है तिा कैस्थपयन सागर में
धगरती है ।
3. डॉन नदी – ये नदी रूस से तनकलकर काला सागर में धगर जाती है ।

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▪ रूस का वो हहथसा जो एशशया में आता है साइबेररया कहलाता है । यहां पर 3


प्रमख
ु नहदयााँ ओब, येनस
े ी, लीना बहती हैं। ये तीनों नहदयााँ आकधहिक महासागर
में धगरती है ।
▪ काला सागर में 2 नहदयााँ धगरती है । डैन्यब
ू (जमधनी) एवं डॉन (रूस)
▪ कौस्थपयन सागर में भी 2 नहदयााँ धगरती है । वोल्गा (यूरोप की सबसे लम्बी
नदी), यरू ाल नदी।

5. इराक

▪ नतगरीस नदी – इराक की राजर्ानी बगदाद ततगरीस नदी के ति पर है ।

6. मंगोशलया

▪ आमूर नदी – आमरू नदी मंगोशलया से तनकलती है तिा रूस चीन का बाडधर
बनाते हुए आगे बढ़ती है ।

7. चीन की नहदयााँ

▪ ह्िांगि़ो नदी – ततब्बत के पठार से तनकलकर “बो हाई की खाडी” में धगरती है ।
इसे पीली नदी भी कहा जाता है कयोंकक ये लोयस के मैदान से होकर गज
ु रती
है तिा यहां पर पीली शमट्िी पाया जाता है ।
▪ यांग्त्सी नदी – ततब्बत के पठार से तनकलकर चीन के पव
ू ध में पीला सागर में
धगर जाती है । यांग्त्सी नदी एशशया की सबसे लम्बी नदी है ।
▪ समकांग नदी – ततब्बत के पठार से तनकलती है तिा दक्षक्ण-पव
ू ध एशशया के पांच
दे श म्यांमार, िाईलैंड, लाओस, कम्बोडडया, ववयतनाम से होकर बहती है । इस
नदी को दक्षक्ण पव
ू ी एशशया की गंगा भी कहा जाता है । अंततः दक्षक्ण चीन
सागर में धगरती है ।

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▪ सालिीन नदी – ततब्बत के पठार से तनकलकर चीन और उसके बाद म्यान्मार


में आती है । अंततः मतधबान की खाडी में धगरती है ।

8. म्यांमार की नदी

▪ इरािदी नदी – म्यांमार में हहमालय पवधत को अराकानयोमा पवधत कहा जाता है ।
यहीं से इरावदी नदी तनकलती है तिा मतधबान की खाडी में धगर जाती है । इसे
म्यांमार की जीवन रे खा भी कहा जाता है ।

9. श्ीलंका

▪ मिािेली गंगा – श्ीलंका में बहती है ।

मिासागरीय जलधाराएं
▪ महासागरीय जलर्ाराएं, महासागरों में नहदयों के समान होते हैं तिा एक
तनस्श्चत हदशा में गतत करती है । जलर्ाराएं महासागर में अपनी स्थितत के
अनस
ु ार गमध अिवा ठं डी हो सकती है ।
▪ ये जलर्ाराएं अपने साि एक बडी मात्रा में जल प्रवाह करती हैं। स्जससे इनके
तनकि पडने वाले थिानों के वातावरण पर प्रभाव पढ़ता है ।
▪ महासागरीय जलर्ाराओं के बनने के तीन प्रमख
ु कारण है -

1.
1. पथ्
र िी का घूणन
व - पथ्
ृ वी पस्श्चम से पूवध की ओर गतत करती है स्जससे
महासागरीय जल इसके ववपरीत हदशा में यातन पूवध से पस्श्चम हदशा में
बल महसस
ू करता है । इस बल के कारण ववषव
ु तीय र्ाराएं(वे जल र्ाराएं

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जो ववषव
ु त रे खा से 10° उत्तर या 10° दक्षक्ण में बनती हैं) का जन्म
होता है । ये जल र्ाराएं कोररयाशलस बल के कारण उत्तरी गोलार्ध में
अपने दाएं और दक्षक्णी गोलार्ध में बाएं की ओर मुड जाती है ।
2. समद्र
ु ी ििाओं के कारण- समर
ु ी सतह पर चलने वाली हवाएं अपने साि
ऊपरी सतह के जल को भी गतत दे ते हुए चलती हैं।
3. तापमान में सभन्नता के कारण- ववषव
ु त रे खा पर वषध भर सय
ू ध की सीर्ी
ककरणें पढ़ती है स्जस कारण यहां महासागरीय जल गरम होकर ध्रव
ु ों की
तरफ बहने लगता है और इसकी जगह लेने के शलए ध्रव
ु ों से ठं डा
महासागरीय जल आ जाता है । इसी के पररणामथवरूप जलर्ाराएं गतत
करने लगती है ।

▪ मिासागरीय जलधाराएं द़ो प्रकार की ि़ोती िैं-

1.
1. गमध जल र्ारा- ये जलर्ाराएं ववषव
ु त रे खीय क्ेत्रों से ध्रव
ु ों की तरफ
चलती हैं, इन जलर्ाराओं का पानी गरम होता है । अतः ये जलर्ाराएं
अपने पास पडने वाले क्ेत्रों का तापमान बढ़ा दे ती है ।
2. ठं डी जल र्ारा- जो जलर्ाराएं ध्रव
ु ीय क्ेत्रों से ववषव
ु त रे खीय क्ेत्रों की
तरफ चलती हैं तिा इनका पानी ठं डा होता है । अतः ये जलर्ाराएं अपने
पास पडने वाले क्ेत्रों का तापमान घिा दे ती है ।

▪ प्रमख
ु जलधाराओं का वििरण ननम्नित िैं-

ि.सं. जलधारा का नाम मिासागर का नाम गमव/ठं डी जलधारा

1 उत्तरी ववषव
ु त जलर्ारा प्रशांत महासागर गमध

2 कयरु े शशयो जल र्ारा प्रशांत महासागर गमध

3 उत्तरी प्रशांत जलप्रवाह प्रशांत महासागर गमध

4 अलाथका जलर्ारा प्रशांत महासागर गमध

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5 एलतननो जलर्ारा प्रशांत महासागर गमध

6 दक्षक्ण ववषुवत जलर्ारा प्रशांत महासागर गमध

7 पूवी ऑथरे शलया जलर्ारा प्रशांत महासागर गमध

8 कयरू ाइल जलर्ारा प्रशांत महासागर ठं डी

9 कैशलफोतनधया जलर्ारा प्रशांत महासागर ठं डी

10 हम्बोल्ि(पेरू) जलर्ारा प्रशांत महासागर ठं डी

11 उत्तरी ववषव
ु त जलर्ारा अिलांहिक महासागर गमध

12 एंिीशलज जलर्ारा अिलांहिक महासागर गमध

13 गल्फ थरीम जलर्ारा अिलांहिक महासागर गमध

14 फ्लोररडा जलर्ारा अिलांहिक महासागर गमध

15 दक्षक्ण ववषुवत जलर्ारा अिलांहिक महासागर गमध

16 ब्राजील जलर्ारा अिलांहिक महासागर गमध

17 इरशमंजर जलर्ारा अिलांहिक महासागर गमध

18 लेब्राडोर जलर्ारा अिलांहिक महासागर ठं डी

19 बेंगए
ु ला जलर्ारा अिलांहिक महासागर ठं डी

20 कनारी जलर्ारा अिलांहिक महासागर ठं डी

21 फॉकलैंड जलर्ारा अिलांहिक महासागर ठं डी

22 दक्षक्ण ववषुवत जलर्ारा हहन्द महासागर गमध

23 मोजास्म्बक जलर्ारा हहन्द महासागर गमध

24 अगुलहास जलर्ारा हहन्द महासागर गमध

25 पस्श्चमी ऑथरे शलया जलर्ारा हहन्द महासागर ठं डी

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▪ सभी महासागरों में महासागरीय जलर्ाराओं की हदशा कोररयोशलस बल से


तनर्ाधररत होती है परन्तु इसके अपवाद थवरूप हहंद महासागर के उत्तरी भाग में
जलर्ाराओं की हदशा मौसमी हवाओं द्वारा तनर्ाधररत होती हैं।
▪ ववषव
ु त रे खा के तनकि महाद्वीपों के पस्श्चमी तिों पर ठं डी तिा पव
ू ी तिों पर
गमध जलर्ाराएंंं प्रवाहहत होती हैं।
▪ जहां पर दो जलर्ाराएंंं शमलती है उस थिान पर प्लेंकिन नामक घास उग
जाती है स्जससे मछली उद्योग के शलए सहायक दशाए उत्पन्न होती है । इसके
साि ही गमध एवं ठं डी जल र्ाराओं के शमलने से कोहरे का तनमाधण होता है
स्जससे जल-यातायात प्रभाववत होता है ।
▪ गल्फ थरीम जलर्ारा ववश्व की सबसे तेज जलर्ारा है जोकक फ्लोररडा जलर्ारा
एवं एंहिलीज जलर्ारा के शमलने से बनती है ।
▪ उत्तरी अिलांहिक महासागर में 4 जलर्ाराओं के बीच के शांत जल के क्ेत्र को
“सागोसो सागर” कहा जाता है ।
▪ कयरु े शशयो जलर्ारा को जापान की काली र्ारा के नाम से भी जाना जाता है ।

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