You are on page 1of 29

GOVT.

POLYTECHNIC GHAZIPUR

SESSION 2022-23

PROJECT REPORT
ON

RURAL DEVELOPMENT & ITS PROBLEM


AND

FABRICATION OF KNAPSACK MULTI CROP CUTTER WITH


SOIL WEEDER
IN

PARTIAL FULFILMENT OF

DIPLOMA IN AGRICULTURE ENGG.

AWARDED BY

BOARD OF TECHNICAL EDUCATION U.P., LUCKNOW

PREPARED BY GUIDED BY

Divakar Chauhan Mr. Ajeet Kumar Mishra

Balmukund Tiwari Mr. Saurabh Pathak

Swadesh H.O.D. (AGRICULTURE ENGG)

Rohan Kumar

Ajay Yadav

Vivek Yadav
ACKNOWLEDGEMENT

I have a great pleasure in expressing my Project sense of Gratitude to


Mr. R. J. Ram Principle of Government Polytechnic Ghazipur for his
supervision, Inspiration, Keenness and Solicitous a device has immensely
benefited me to complete Time.
I would like to Express my sincere thanks to all the member of Mechanical
Engineering Department and Special thanks to Guide Mr. Amit Mishra, Mr.
Durgesh Gupta, Mr. Satish Kumar and Mr. Rahul Kumar lecturer of Agriculture
Engineering we are also thankfully to Mr. Saurabh Pathak H.O.D of Agriculture
Engineering.

Date: -

Place:-
Divakar Chauhan

Balmukund Tiwari

Swadesh

Rohan Kumar

Ajay Yadav

Vivek Yadav
PREFACE

Agricultural engineering is part of technology and science, which is


application to maximize the agriculture procution. Technology it includes the
device and item such as dairy machinery soil and water conservation
structure and buildings and rural electrification and agriculture machinery.
This report is divided into a number of chapters such as rural development.
rural extension, entrepreneurship, irrigation & drainage structure. This report
deals with a lot of problems, which are common for people rural area. I hope
project report will be very helpful for thons who are directly or indirectly
related with agriculture.
MEANS OF PROJECT

WHAT IS PROJECT-

A project is an activity to meet the creation of a unique product, machine


etc. and thus activities that are undertaking to accomplish routine activities
cannot be considered project.

FULL MEAN OF PROJECT

P PLANNING
R RAW OF MATERIAL
O ORGANIZATION
J JOINT EFFECT
E ENTREPRENEUR
C COMMUNICATION
T TRANSPIRATION TEST
INDEX

S. No. Topic
(i) Project Report On
(ii) Certificate
(iii) Acknowledgement
(iv) Preface
(v) Means of Project
(vi) Index
1 Rural Development
2 Entrepreneurship
3 Rural Extension
4 Bank
5 Small Industry
6 Fabrication of Knapsack crop cutter
with soil weeder
7 Estimating & Costing of Knapsack
crop cutter
HEALTH:-
व्यक्ति को अपना जीवन सु खमय बनाने के लिए एवं बीमारी के आक् रमण से बचने के लिए उत्तम
स्वास्थ्य की आवश्यकता होती पडती है । व्यक्ति के स्वास्थ्य पर निम्न तत्वों का प्रभाव पड़ता है ।

1- Environment

2- Housing

3- Water Supply

4- Sanitation

ENVIRONMENTS:-
ू त होने पर मनु ष्य को कई
मानव स्वास्थ्य पर वातावरण का काफी प्रभाव पड़ता है । वातावरण के दषि
प्रकार की बीमारी हो सकती है । जै स हजा, चे चक, मले रिया ।

WORKING CONDITION:-
मनु ष्य जिस स्थान पर रहते हैं वहां उसके लिये रोशनी तथा स्वच्छ वातावरण का उचित प्रबन्ध होना
चाहिये । यदि वातावरण ठीक नहीं है तो स्वास्थ्य पर बु रा प्रभाव पढ़ता है ।

LOVER TIME WORK :-


कुछ श्रमिक पै से की लालच में ओवर टाइम तक करते है । जिससे उनका स्वास्थ्य दिन पर दिन खराब
होता जाता है । ये बीमार रहते है इससे श्रमिक को चाहिये कि वे 10 घण्टे से ज्यादा कार्य न करें ।

HOUSING:-

Housing से मनु ष्य के स्वार पर प्रभाव पड़ता है । अतः लोगों के रहने का स्थान साफ हो घर में सफाई
हो जल निकास की थकान ऐसा हो कि सोने नहाने खाना खाने के कमरे अलग-अलग हो ।

WATER SUPPLY:-
पानी हमारे जीवन के लिये आवश्यक है । गन्दगी के कारण जल में भी बै क्टीरिया पै दा हो जाते है । जिसके
उपयोग से मानव का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है । इससे बचने के लिए स्वच्छ जल का प्रयोग करना चाहिये ।
SANITATION:-

मानव जीवन में सफाई का विशे ष महत्व है । सफाई तथा स्वास्थ्य का सीधा सं बन्ध है । Engineering में
सफाई का विशे ष महत्व है । रसोई घरों, स्नान घरों, शौध एवं पे शाबघरों आदि से उत्पन्न गं दगी को साफ
करने के लिए पानी की जरूरत पड़ती है ।

TECHNOLOGY:-

SANITATION ENGINEERING:-

इसके अन्तर्गत निम्न कार्य आते है -


ू रे दषि
1. सीवे ज व दस ू त जल व चूड़ा-करकट इकट् ठा करना।

CITY DUST:-

इसके अन्तर्गत तीन गन्दगियां पायी जाती है -

1. सीवे ज का वाहित मल

2. स्लज का वाहित मल

3. कू ड़ा-करकट एवं वर्षा का जल

SYSTEM OF SANITATION

1. जल बहन विधि:- इस विधि में रसोई, शौचालय और स्नानघर का गं दापानी पाईपलाइनों से बाहर
जाता है । इन पाइप साइन को सीवर कहते है । यह विधि बहुत महं गी है ले किन सफाई अच्छी होती है ।

2. मल वाहन विधिः- इसके अन्तर्गत सीवे ज इकट् ठा करके शहर के बाहर भे जा जाता है इसमें स्वीपर
घरों व सड़कों का कू ठा इकट् ठा करते हैं । फिर उसे शहर से बाहर किसी खाई में फेंक दिया जाता है ।

WATER SUPPLY SYSTEM:-


प्रत्ये क गाँ व या शहर में पाल के सं बंध में विशे ष ध्यान दिया जाता है । भारत में सर्वप्रथम वाटर वर्क
1830 शु रू हुआ था। इस कार्य को उन्नति के लिये पचवर्षीय योजनाएं बनाकर बहुत खर्च किया गया।
NECESSITY OF WATER:-

जीवन जीने के लिए पानी की अत्यं त आवश्यकता है । जै से खाने -पीने नहाने धोने , भोजन बनाने सिं चाई
के लिए एवं पीने के लिए।

NECESSITY OF WATER SUPPLY SYSTEM ENGG.:-

WATER SUPPLY ENGG. :-

Water Supply की पीने का स्रोतका चयन करना है । पानी का स्त्रोत ऐसा होना चाहिए तथा उससे
पानी हमे शा प्राप्त होता रहे ।

ADVANTAGE OF WATER SUPPLY:-

1- स्वच्छ जल पीने को मिलता है ।


2- घर की सफाई बनी रहती है ।
3- पाईप लाईन का आवश्यक व्यवसाय चलता है ।
4- जल प्रयोग से रोग नहीं फैलता है ।

RURAL ELECTRIFICATION:-

भारतवर्ष गाँ वों का दे श है । यहाँ की लगभग 80 प्रतिशत जनसं ख्या गाँ वों में निवास करती है जिससे
वहाँ विभिन्न प्रकार की Industries तथा Irrigation के लिए Electricity उपलब्ध हो सके। गाँ वों में
विद्यु त पहुंचाने को Rural Electrification कहते है ।

सभी जीवों को चलने , बढ़ने और काम करने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है । भोजन से हमें कई
पोषक तत्व मिलते है । इन पोषक तत्वों का इस्ते माल शरीर करता है और इनसे ऊर्जा यानी ताकत पाता है ।
इसी को पोषण कहते है पोषण मानव की मूल आवश्यकता है तथा स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है । किसी
व्यक्ति की आयु लिं ग, लं बाई, बनज और वह काम क्या करता है , इस पर निर्भर करता है कि उसे कितनी
मात्रा में पोषण की जरूरत है । खान-पान से मिलने वाले पोषक तत्वों की मात्रा सं तुलित होनी चाहिये
इसकी कमी या अधिकता दोनों ही हानिकारक है । इसीलिए कहा गया है खाना आवश्यकता है , किंतु अगल
से खाना एक कला है ।
क्या करता है भोजन-

• शरीर को ऊर्जा दे ता है और सक्रिय रखता है ।

• शरीर के ऊतकों एवं कोशिकाओं को निर्माण करता है एवं इनकी मरम्मत करता है ।

• बीमारी से बचाता है एवं शरीर से विषले निकालने में मदद करता है ।

सं तुलित आहार

सं तुलित आहार का तात्पर्य है , सही खान-पान और सही मात्रा ताकि हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में
पोषक तत्व एवं ऊर्जा मिल जाए। क्या खाया पिया जाए और कितना, इसकी सही जानकारी हम खाद्य
पिरामिड से ले सकते है ।
ELECTRIFICATION-

1. Load

2. Generation

किसी गाँ वों को Electrified करने से पहले Supply कर्मचारी यह दे खते है कि यहाँ कितना लोड है । इसके
लिए वे लोड सर्वे करते है ।

LOAD OF VILLAGE:-
गायों में मु ख्यतः दो प्रकार के लोड होते है

DOMESTIC LOAD:-

दे हातों में इसके अन्दर लोग विद्यु त पं खा, हीटर फीज, टीवी, कू लर, रे डियों आदि में खर्च करते हैं ।

INDUSTRIAL LOAD:-

दे हातों में Industrial power, tube well, Flour Mill, Oil अपसरा आदि के प्रयोग किया जाता है । शहरों
की अपे छा दे हातों में Electrification करने में अपे क्षाकृत अधिक खर्च लगता है , क्योंकि लोड दरू दरू होते
हैं ।

RURAL HOUSING:-

Low Cost Houses For Village -नगरी की गति गाँ व की जनता की आर्थिक स्थिति सु दृद्ध नही होती की
भवन निर्माण के लिए प्रबु र मात्रा में सीमे न्ट लाईट कॉच, मोजे क इत्यादि का प्रयोग करके दरू बसे गायों
में आधु निक निर्माण सामग्री का पहुँचना कठिन होता है ।
सस्ते के लिए निम्न तरीके काफी सरल सिद्ध हो सकता है

FOUNDATION:-

अधिराएक महान ही बनाये जाते है । इनके लिए सामान्यतः 50-60 से मी गहरी नीव पर्याप्त है ।

FOUDATION CONCRE

नीव में सीमे न्ट कंक् रीट 847 का प्रयोग करते है । यह 15-20 से मी मोटी पर्याप्त है ।

MACHINERY WORK:-
दीवारों की चिनाई चूना मसाले तथा सीमें ट एवं रे त के मिश्रण से की जाती है । पिल्च जे म्ब तथा तिल रोक
का एक रद्द चूना मसाले से लगाया जाता है । इसमें प्रबलन भी दिया जाता है ।

DAMP PROOF COURSE:-

प्लिय पर 25 मिमी० मोटा प्लास्टर 12 सील रोक रद्दा के रूप में ठीक रहता है । प्लास्टर के ऊपर विटु मन
गर्म करके 1 से 70 किग्रा / मिमी की दर से पोत दे ना चाहिये तथा इस पर बालू छिड़क दे ना चाहिये ।
ROOF:- सामान्य छत के लिए प्रबलित ईट स्लै ब वस्ती तथा उत्तम रहती है स्लै ब के ऊपर गरम बिटू मन
का ले प कर के उस पर 8-10 से मी मोटी मिट् टी की परत तथा गारे की सिपाई की जा सकती हैं । इससे गर्मी
में छत ठण्डी रहती है ।

LINTAL & SUN SHED:-

लिटल के लिए आधी ईंट की डॉट लगायी जाती है यह स्टिल से सस्ती पड़ती है R.C.C. पर प्रबलित
ईट चिनाई के लिटल रास्ते उत्तम रहते है ।

FLOOR:-
सस्ते भवनों के लिए ईट का फर्श उत्तम रहता है । फर्श के लिए अच्छी पक्की ईंटो का प्रयोग किया
जाता है ।

DOOR & WINDOW:-

इसके लिए स्थानीय लकड़ी का प्रयोग किया जाता है । जै से- साल, जामु न, बबूल, आग इत्यादि की
लकड़ी से चौखट तथा पल्ले बनाये जाते है । चौखट का जो भाग चिनाई के सम्पर्क में आता है तब उस पर
बिटु मन का ले प कर दे ना चाहिये ।

WATER PROOF PLASTER:-

यह घन मीटर अच्छी मिट् टी में 60 विप्रा० भूसा मिला कर तथा उचित मात्रा में पानी ले कर अच्छी
प्रकार भिगो दिया जाता है फिर उसे 0.3 धन मौ० शीरा और 4 किया बु झा हुआ पूना मिलाकर प्लास्टर
किया जाता है । यह प्लास्टर टिकाक रहता है । इसकी सामर्थ्य सीमें ट प्लास्टर 16 के बराकर होती है ।
प्लास्टर की मोटाई 20 मिमी रखी जाती है । सीमें ट, चूना, बालू (1:22:8) का प्लास्टर भी दीवारों पर किया
जाता है ।
ENTERPRENUERSHIP
भारत में बे रोजगारी एक गहरी समस्या थी। अधिकतर लोग नौकरी करना चाहते हैं परन्तु इनको
नौकरी प्राप्त नहीं होती है । ले किन यह सबसे बड़ी समस्या पिछडे एवं अविकसित ग्रामीण क्षे तर् ों में है ।
जहाँ उद्योग स्थापित करने हे तु उचित वातावरण हो ऐसे स्थानों पर नये एवं अनु भवहीन व्यक्तियों द्वारा
उद्योग-धं धे को प्रारम्भ करने का साहस को उद्यमिता कहते है । जिसके लिए ने तृत्व प्रेरणा, साहस, धै र्य
एवं जोखिम उठाने के लिए क्षमता रखनी चाहिये । अतः ऐसे व्यक्ति को उरानी कहते है ।

INTRODUCTION:-
किसी दे श में लघु उद्योगों के स्थान बहुत महत्वपूर्ण है । चाहे यह आर्थिक स्थिति की व्यवस्था हो यो समान
प्रकति की हो। किसी विकासशील दे श में लघु उद्योग स्थापित करके बे रोजगारी की समस्या को हल करके
गरीबी दरू करके राष्ट् र की आय वृ दधि् होती है ।

हमारे दे श की आर्थिक समस्याएं एवं चिं ता के पहलू निम्न है -

1. जनसं ख्या

2. बढ़ी सं ख्या में बे रोजगारी

3. बचत की दरों में कमी


यह काफी हद तक लघु उद्योग स्थापित करके किया जा सकता है । केवल लघु उद्योग के माध्यम से दे श की
आर्थिक विकास का आम प्राप्त किया है ।

SMALL SCALE INDUSTRIES:


यह एक औद्योगिक इकाई है , जिसमें 5 लाख तकनीकी धनराशि लगायी जाती है । उद्योग में कार्य करनें
वालो की सं ख्या कितनी भी हो सकती है । यह तकनीकी व्यक्ति की लघु उद्योग खोलनें के लिए सरकारी
ऋण प्राप्त हो जाती है । इस प्रकार के उद्योग को मनु ष्य व्यक्तिगत रूप से खोल सकता है या साझे दारी
कर सकता है ।

उद्यम क्या है ?
नयी पद्धति बनाने या परिवर्तन करने की क्षमता को उद्यम कहते हैं ।
उद्यमकर्ता की प्रकृति-
जोखिम उठाने की क्षमता उपयोग की सम्भावनाओं के विषय में पूर्वानु मान लगाने का गु ण
अप्रत्यासित प्रतिकू ल परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता तथा आत्मविश्वास के साथ उद्यमकर्ता
एक उद्योग शु रू करता है और उसके लिए सभी साधन जु टाता है ।

अतः इसमें निम्नलिखित गु ण होने चाहिये -


् ।
1. सं गठन के लिए उत्साह वृ दधि

2. सामान्य रूप से सामना करने की शक्ति ।


् ।
3. सामान्य रूप से आर्थिक वृ दधि

क्या शु रू करें :-
उद्यमकर्ता के सामने सबसे बड़ा प्रश्न होता है कि क्या और कौन सा उद्योग शु रू करें । किसी उद्योग को
चु नने से पहले हमे अलग-अलग प्रारम्भ जाँच कर ले नी चाहिए।

1. उद्योग किस स्थान पर शु रू किया जाये ।

2. स्थानीय उपभोक्ता की मां ग।

3. पड़ोसी राज्यों के उपभोक्ताओं की मां ग

4. निर्यात की सु विधा एवं कच्चे माल की उपलबि उत्पादित माल उपभोक्ता के उपयोग की वस्तु है तो
उपभोक्ता की आदतें और उनके

रीति-रिवाज और ये इस वस्तु को किस प्रकार उपयोग करते हैं । इस प्रकार की बालों पर विचार
किया जाता है । बहुत सी वस्तु एँ अन्य मार्क वाली हो सकती है । किसी भी उपयोग में यह जानने के लिए
तथा उद्योग में नई-नई इकाईया खोलने के लिए उचित है ।

लघु उद्योग के अतं र्गत निम्न उद्योग आते है -


1. खाद्य पदार्थ उद्योग ।

2. काठ निर्मित वस्तु यें

3. साबु न एवं माचिस का उद्योग।

4. कृषि-पूर्जी

5. वस्त्र उद्योग इत्यादि।

SELF EMPLOYMENT:

लघु उद्योग क्षे तर् , मु क्त उद्योग क्षे तर् है । इनको खोलन के लिए सरकार से अनु मति ले नी पड़ती है ले किन
सरकारी अधिकारी के माध्यम से विभिन्न प्रकार की आवश्यकता उठाने के लिए अपने रजिस्ट् रेशन
क्षे तर् ीय उद्योग कार्यालय में करा ले ना चाहिये ।

ADVANTAGES OF INDUSTRIES:
1. दे श में फैली बे रोजगारी की समस्या को हल करने में किया जाता है ।

2. किसानों को उन्नतशील खाद एवं बीज दिलकने में ।

3. मूल्यों की कमी करवाने में ।

4. दवाओं एवं अन्य रसायनों के सप्लाई में ।

5. कोल्ड स्टोरे ज बनाकर बीज इत्यादि की सु रक्षा के लिए।

6. मु र्गी एवं सु अर और मत्स्य पालन के लिए।

् में
7. प्रत्ये क मौसम में फसलों का इस प्रदान करने में उपयु क्त उद्योग ऐसे जो दे श की समृ दधि

काफी सहायता हो सकती है ।

मार्गदर्शन- प्रांतीय उद्योग निदे शालय के तकनीकी अधिकारी से सं बन्ध स्थापित करके नये उद्योग स्थापित
करने के सं बंध में जानकारी प्राप्त नहीं होती है तो उसके लिए भी अधिकारी व्यवस्था बनाता है । उत्पादन दिवि या
यं तर् उपकरणों में सु धार तथा आधु निकीकरण भी यही मार्गदर्शन करता है ।

निर्मित माल की खपत

निर्मित माल की खपत के लिए National Small Industries Co-New Delhi State Industries Co-
operation द्वारा उचित मार्गदर्शन एवं सु विधा द्वारा की जाती है । प्रांतीय उद्योग दिभाग एवं सहकारिता
विभाग द्वारा चल रहे कार्यक् रम के द्वारा विक् रय किया जाता है ।

परिक्षण-

प्रांतीय उद्योग परिषद या निरीक्षण, निदे शक तथा प्राविधिक शिक्षा की व्यवस्था करते हैं । मैं प्रबं ध
व्यवस्था में प्रशिक्षिण प्रदान करती है ।

विद्यु त दर में छट
ू :-
लघु उद्योग के लिए प्रयोग की जाने वाली विद्यु त शक्ति पर रियायत पाने के लिए सं बंधित जिला
उद्योग अधिकारी द्वारा सम्पर्क करके छट
ू प्राप्त की जाती है ।
सहकारिता:-
इसके लिए केन्द्रीय उद्योग विकास मं तर् ालय से सं बंध स्थापित करना चाहिये । यह मं तर् ालय प्रांतीय
उद्योग के निर्दे शन के लिए सहकारिता सं बंधी व्यवसाय के लिए मार्गदर्शन करता है ।

पं जीयन:-
जिला उद्योग अधिकारी द्वारा निर्दे शन के लिए उचित सहयोग प्रदान करते हैं । पं जीयन सहकारिता
पं जीयन प्राप्त कर सकता है ।

चुं गी से छुटकारा-
नगरपालिका द्वारा उद्योग लगाये गये करों से छुटकारा पाने के लिए प्रांतीय अधिकारी से सम्पर्क करना
चाहिये यह सु विधा लघु उद्योग के लिए मिल सकती है ।

वित्तीय सहायता:-
सरकार द्वारा लोन दो प्रकार से किया जाता है । बैं क द्वारा लोन ले ने पर जमानत की आवश्यकता होती
है -

• हाई चार्ज लोड के लिए स्वयं की पूंजी लगाकर 80 प्रतिशत बिना जमानत के लिए सरकार से मिल जाते
है ।
• स्टे ट बैं क को तै यार माल एवं स्थाई सम्पत्ति के द्वारा किसी भी आधार पर ऋण दे ता है ।
• प्रांतीय वित्तीय निगम की वित्तीय आवश्यकताओं के लिए ऋण दे ता है ।

यं तर् उपकरण भाड़ा कमणः-

National Industries Co. Ltd. प्रांतीय उद्योग निर्दे शक तथा Direct Small Scale Industries
Distrubution के द्वारा मशीनरी की व्यवस्था माड़ा क् रमण के आधार पर व्यवस्था करता है ।

MERGING MONEY SCHEME:

यह Scheme केवल Degree, Engineering Diploma Engg के लिए है । इस स्कीम में कोई स्वयं को
कोई लागत का 15 प्रति मार्जिन के रूप में वित्तीय विभाग ऋण दे ता है तथा वित्तीय विभाग द्वारा 85
प्रति ऋण प्राप्त होता है अत वास्तव में दे खा गया है कि 15 प्रति लागत की मार्जिन स्वयं इं जीनियर के
लिए होता है । 50 हजार रऋण अधिकारी व दो लाख तक ऋण जिला मजिस्ट् रेट दिलवा सकता है ।

कच्चे माल की प्राप्ति-

कच्चे माल की प्राप्ति के लिए जिला उद्योग अधिकारी के सम्पर्क करना चाहिये , जी माल दे श में नहीं
बनता उसके आयात के लिए अधिकारी जांच के उच्च अधिकारी से सिफारिश से प्राप्त किया जाता है ।

HELP OF SMALL SCALE INDUSTRIES IN EMPLOYMENT SCALE

लघु उन वस्तु ओं के लिए अतिआवश्यक है , जिनका अधिक मानीकरण किया जाता वस्तु ओं को लोगों की रूचि के
अनु सार बनाया जाता है ।

1. अधिक विकास को पूंजी दे ने के परिणाम स्वरूप पूंजी निर्मित एवं आवास कलस्वरूप दोहरा समस्या पै दा होती है ।
 पूंजी ही केन्द्र बिन्दु है तथा पूंजी उत्पादन अं धे में परिवर्तन लाने का पूंजी की बहुत कमी है ।
 दे श में पूंजी की बहुत कमी है ।

2. लघु उद्योग आर्थिक रूप से प्रभावशाली होती है क्योंकि यह कम पूंजी साथ स्थापित किया जा सकता है तथा उन
उद्योगों का प्रयोग कर सकते है ।

3. जागरूक उद्योग बड़े -2 कारखानों के छोटे -2 उत्पादित कर के अच्छी किस्म तै यार करते है ।

4. लघु उद्योग न केवल दे श में औद्योगिकीकरण में सहायक है । बल्कि उद्योगकर्ताओं के लिए अच्छी पाठशालाओं
का कार्य करते हैं ।

5. लघु उद्योग का विकास अपे क्षाकृत कम पूंजी तथा अधिक सं ख्या में रोजगार के अवसर प्रदान करने का एक उपाय
है ।

लघु उद्योग को सरकार से मिलने वाली छट


ू -
हमारे दे श में लघु उद्योगों का बढ़ा ही महत्व है । केन्द्रीय सरकार की ओर से इस दशा से प्रभावित सु विधाओं एवं
प्रोत्साहन दिया जाता है । लघु उद्योगों सहकारिता के आधार पर स्थापित किये जाते है । लघु उद्योग अपनाने के
लिए एवं सं चालन करने का उत्तरदायित्व इं जिनियरों का होता है । लघु उद्योगों को स्थापित करने तथा सं चालन करने
एवं उपस्थित करके या करने के लिए किय अधिकारी या किस सं स्था के सं बंध में किया जाना चाहिये ।

लघु उद्योग कैसे शु रू करें -

किसी वस्तु व्यक्ति के पास लघु उद्योग शु रू करनी की पूरी योजना होनी चाहियें तथा साथ ही इस
उद्योगको शु रू रखने की योग्यता है । यह उद्योग शु रू करें यही लघु उद्योग की श्रेणी में आता है ।

उद्योग स्थापित करना-

दे श में समस्त कारखानों व उद्योग में 12 प्रति० लघु उद्योग है यह ज्ञात होता है । दे श में लघु उद्योग
के पनपने की काफी सं भावना है । जब कोई उद्यम कार्यकर्ता यह निर्णय से चु का होता है कि उसे अपने
कारखाने में किस वस्तु का उत्पादन धारना है तथा आवश्यक पूंजी की व्यवस्था कि क्षे तर् ों से की जाय तथा
कहाँ पर कारखानों को स्थापित करना है । उसके स्वामित्व का क्या अधिकार है ?
RURAL EXTENSION

POWER & DUTIES-

इसके अधिकतर कर्तव्य निम्नलिखित है -

1. अपने क्षे तर् में खाद, बीज व उपकरणों का प्रबन्ध करना।

2. ग्राम समाज निर्मित योजना को कार्यनिवृ त करना


् आदि करवाना
3. गोदामों की व्यवस्था, सरकारी वृ दधि

4. सिं चाई की उचित व्यवस्था करना।

MUNICIPAL BOARD:-

2000 से अधिक आबादी वाले नगरों में नगरपालिका की जाती है , जिसे चे यरमै न कहते है । इसका
निर्वाचन सं युक्त प्रणाली से होता है । यह पालिका द्वारा चु ना जाता है । इसमें सदस्यों की सं ख्या 20-45
तक होती है Senior Voice Chairmen दस ू रा Junior Chairmen कहलाता है ।

POWER & DUTIES:-

स्वास्थ्य व्यवस्था करवाना, अस्पताल खोलाना, प्ले ग के टिके लगवाना, गं दे पानी को शहर से बाहर
निकलवाने की व्यवस्था, पीने की पानी और व्यायाम की व्यवस्था करवाना।

ADMINISTRATIVE & JUDICIARY SETUP OF VILLAGE PANCHAYET::


प्रत्ये क ग्रामसभा अपने सभी का चु नाव करती है । यह कमे टी ही पं चायत कहलाती है । सदस्यों की
प्रधान एवं उपप्रधान के अतिरिक्त सभा की कुल सं ख्या के अनु पात में 15-30 एक होती है । जो चु नाव
निवार्चित प्रणाली से होता है । यह पांच वर्ष की अवधि के लिए होता है ।

बलाक प्रमु ख - क्षे तर् में समिति के अध्यक्ष को प्रमु ख कहा जाता है । इसका चु नाव गाँ व का प्रधान
समिति के सदस्यों, क्षे तर् ीय विधायक व बी०डी०सी० द्वारा होता है । इस पद के लिए उम्मीदवार को समिति
का अध्यक्ष होना अनिवार्य है ।

POWER & DUTIES:-

1. क्षे तर् समिति के सभी कार्य विधियों का निरीक्षण करना।


2. कृषि कार्य के लिए किसानों को बीज, कृषि यं तर् या खाद वितरण करवाना।

2. गाँ वों में लघु उद्योग के लिए प्रशिक्षण एवं सहायता प्रदान करना।

4. Block Development Committy की बै ठक बु लाने का अधिकार होता है ।

5. नहरों, नदियों एवं नाली की मरम्मत ब्लाक द्वारा करवाना।

6. सभी आवश्यक वस्तु ओं की परमिट दिलाने का अधिकार होता है ।

7. Block Department की बै ठक की आवश्यकता का अधिकार होता है ।

B.D.O.:-
जिले के प्रत्ये क विकास खण्ड अधिकारी को बी०डी०ओ० कहते हैं । यह क्षे तर् ीय समिति का प्रमु ख
कार्य पालक होता है ।

ले खपाल-
यह तहसील की ओर से सरकारी कर्मचारी होता है । इस चु नाव परिषद द्वारा होता है । यह गाँ व की जमीन का
ले खा-जोखा करता के

POWER & DUTIES:-

1. प्रधान को नये नियमों एवं समितियों से अवगत कराना।

2. खे तों एवं मे ढों इत्यादि को ठीक करवाना।

3. खे तों की माप इत्यादि करके किसी किसान का खे त कम या अधिक होने पर सही करवाना।

प्रधान:-
ग्राम सभा के मु खिया को प्रधान कहते है । यह ग्राम पं चायत का समापति होता है तथा गाँ व का मु ख्य
सदस्य होता है ।

POWER & DUTIES:-


1. पं चायत की सं पत्ति की सु रक्षा करना। 2 ग्राम पं चायत की बै ठक बु लाना एवं मध्यास्थता करना।

3 ग्राम पं चायत द्वारा रखे गये व्यक्ति का नियमित दे खभाल करना।

4. ग्राम पं चायत में होने वाले झगड़ों का निपटारा करना।

5. पं चायत की अर्थव्यवस्था एवं प्रबं ध कार्य की दे ख-भाल करना।

BANKING
BANK (बैं क)

बैं क वह सं स्था है जो मु दा में व्यवसाय करती है । यह ऐसा सं स्थान है । धन का निक्षे प तथा नमन होता है
तथा जहाँ ऋण व कटौती की सु विधाएं प्राप्त या प्रदान की जाती है और एक स्थान से दुसरे स्थान तक
जानकारी भे जने की व्यवस्था की जाती है ।

FUNCTION OF BANK
एक आदगु निक द्वारा किये जाने वाले कार्य को जिन वर्गों में विभक्त किया जा सकता

1. मु ख्य कार्य

2. सामान्य कार्य

3. ऋण व्यवस्था

MAIN FUNCTION

आधु निक बैं क के प्रमु ख कार्य करते है :--

1. जमा राशियों स्वीकार्य करना।


2. ऋण प्राप्त करना।

1- जमा राशियों स्वीकार्य करना


यह आधु निक बैं क का एक महत्वपूर्ण कार्य है सभी बैं क धनराशि के रूप में जनता से बन राशि स्वीकार्य
करते हैं ।

बैं क निम्न खातों में लोगों की बचत को स्वीकार्य करते है -

 पालू खाता (CURRENT ACCOUNT) >


 बचत बैं क खाता (SAVING BANK ACCOUNT)
 सावधि जमा खाता (FIXED DEPOSIT ACCOUNT)
 गृ ह बचत खाता (HOME SAVING ACCOUNT)
 निरं तर या आवर्ती जमा खाता (RECURRING DEPOSIT ACCOUNT)

2- ऋण प्रदान करना
बैं क जमाकर्ता की धनराशि अपने पास नहीं रखते वरन उसे जरूरत मं द व्यक्ति व्यावसायिक सं स्थानों आदि
को ऋण को रूम में दे दे ते है ।

बैं क द्वारा निम्न प्रकार के ऋण दिये जाते है -

 साधारण ऋण।
 नगद साख।
 विनिमय विपत्रों को भु नाना।
 बैं क अधिविकर्ष।

2-सामान्य कार्य (GENERAL FUNCTION)

 कागजी मु दा का निर्गमन ।
 साख पत्रों का निर्गमन ।
 मूल्यवान वस्तु ओं को सु रक्षित रखना।

KINDS OF BANK
आधु निक यु ग में उद्योग व्यापार वाणिज्य का अत्यधिक विकास हो गया है जिस के कारण एक प्रकार की
बैं किंग व्यवस्था हर प्रकार की शाखा आवश्यकताओं की पूर्ति नही कर सकती इसके लिए भारत में विभिन्न
प्रकार के बैं कों की स्थापना की गयी है जिन्हें दो प्रकार से बाटा गया है ।

1. आधु निक बैं क

2. प्राचीन दे शी बैं क

1- आधु निक बैं क:-

भारत में विभिन्न प्रकार के आधु निक बैं क पाए जाते हैं इन्हें आधु निक बैं क इसलिए कहा राष्ट् रों के बैं कों
की कार्यप्रणाली से जाता है क्योंकि इनकी कार्यप्रणाली आधु निक पश्चिमी मिलती-जु लती है -

ये निम्न है -

 व्यापारिक बैं क (COMMERCIAL BANK) *


 स्टे ट बैं क आफ इं डिया (STATE BANK OF INDIA)
 औद्योगिक बैं क (INDUSTRIAL BANK)
 विदे शी विनिमय बैं क (FOREIGN EXCHANGE BANK)
 विदे शी विनिमय बैं क (FOREIGN EXCHANGE BANK)
 सहकारी बैं क (CO-OPERATIVE BANK)
 भूमि विकास बैं क (LAND DEVELOPMENT BANK)
 केन्द्रीय बैं क (POST OFFICE SAVING BANK)
 सकघर बचत बैं क (REGIONAL RURAL BANK)
 क्षे तर् ीय ग्रामीण बैं क (CENTRAL BANK) >
 राष्ट् रीय कृषि ग्रामीण विकास बैं क (NATIONAL BANK FOR AGRICULTURAL
DEVELOPMENT)

3- विविध कार्य

 धन का हस्तान्तरण ।
 ग्राहकों की धनराशि एकत्रित करना। ग्राहकों की ओर से भु गतान करना।
 भु गतान प्राप्त करना।
 अं शों तथा प्रतिमूतियों का क् रय विक् रय
 न्यासी के रूप में कार्य ।
 साख प्रमाण पत्र एवं चे क प्रमाण पत्र जारी करना।
 वित्तिय परामर्श दे ना।
 अं शों व ऋणों का अभिगोपन ।
 सूचना व आं कड़ों को एकत्रित करना।

IMPORTANT OF BANK
आर्थिक विकास में बैं कों बैं क के महत्व को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है ।

 पूं जी का निर्माण।
 उत्पादन कार्यों में निदे श
 धन के स्थानांतरण में सु विधा
 अधिक सु विधाएं प्रदान करना
 भु गतान को सु विधाजनक बनाना
 कीमत स्थिरता लाने में सहायक
 अं तराष्ट् रीय व्यापार ने सहायक
 मु दर् ा का आवश्यकतानु सार निर्गमन
 बैं किंग आदते उत्पन्न करन
 सरकार को सहायता
 बहुमूल्य की सु रक्षा।
 विभिन्न से वायें तथा सु विधायें ।
SMALL INDUSTRY (WORKSHOP)

INTERODUCTION

किसी भी उपकरण की कार्यकारी समयांतराल के बाद उसकी मरम्मत एवं उनके पु र्जों को बदलना एवं
विभिन्न उपकरणों का सं योजन करना पड़ता है । ये सभी कार्य specialized या दिव्य श्रेणी के कार्य होते
है । जिन्हें workshop व workman द्वारा सम्पादित किया जाता है ।

अतः उपरोक्त कार्य के अनु रूप woricshop की आवश्यकताओं होती है । Workshop की स्थापना के लिए
निम्न बिन्दुओं पर ध्यान दे ना पड़ता है ।

 स्थान का चु नाव करना।


 स्थानीय workshop की उपलब्धता
 विद्यु त की उपलब्धता।
 यातायात की सु विधा
 मजदरू ों की उपलब्धता।
 जल की उपलब्धता।
 पूं जी की उपलब्धता।
 उपकरणों की व्यवस्था

SITE SELECTION:-

हम अपने workshop का निर्माण बनारस से जाने पर रोजा गाजीपु र से की और जाने वाले


रोड पर स्थित से किमी पीछे है । इस प्रकार यह workshop Govt. Polytechnic से 1.5 किमी आगे चलकर
बायें ओर स्थित है ।
PLAN OF WORKSHOP:

Workshop के plan में निम्नलिखित बिन्दुओं को स्थापित किया जाता है -

 Hydraulic Repairing
 Engine Repairing
 Gear Box Repairing
 Other Parts Repairing
 Painting Room
 Tractor Stand Room Waiting Room
 Office Room
 Welding Room
 Tools Room

HYDRAULIC-REPAIRING:-

Workshop में ट् रैक्टर के Hydraulic System के Repair के लिए दे व बनाया जाता है । Hydraulic
System के रिपे यरिं ग के लिए एक विशे षता होती है । जो किट बाक्स में उपलब्ध होता है ।

ENGINE-REPAIRING:-

Workshop में ट् रैक्टर के इं जन रिपे यर के लिए बनाया जाता है । जहाँ ट् रैक्टर को इं जन का रिपे यर
मशीन द्वारा किया जाता है ।

ट् रैक्टर के इं जन का रिपे यर करने के लिए अने क टू ल्स प्रयोग किये जाते है । प्लास, पें चकस, हथौड़ा टू ल
किट आदि।

GEAR BOX REPAIRING:

इस वर्क शाप में टै क्टर के गियर बाक्स रिपे यरिं ग करने के लिए मे व 3 बनाया जाता है । गियर बाक्स में
गिपर या अन्य किसी पार्टस के घिस पिट या खराब हो जाने पर बदल दिया जाता है ।

OTHER PARTS REPAIRING:


हमारे इस वर्क शाप में इं जन रिपे यरिं ग Hydraulic & Gear Box repairing के अतिरिक्त Other Parts
की Repairing के लिए बनाया जता है । जहाँ Tractor के Other Parts की Repairing Machine द्वारा की
जाती है ।

PAINTING ROOM:

इस Workshop मे Tractor पर Painting करने के लिए का प्रयोग किया जाता है । जहाँ Tractor पर
उसके अन्य Part पर Painting का कार्य किया जाता है ।

TRACTOR STAND ROOM:-

हमारे Workshop में MainGate के दायी ओर Tractor Stand Room है । इस Room के अन्दर
रिपे यरिं ग करने के बाद ही Tractor को इस Room में खड़ा कर दिया जाता है । यह Room प्रत्ये क
Workshop में होता है ।

WAITING ROOM:-

Waiting Room. Tractor Stand Room के चित्कुल पास है । इस रूम में मै नेजर या ट् रैक्टर मालिक
अपने ट् रैक्टर के रिपे यरिं ग के समय इस रूम में बै ठकर इतं जार करता है ।

You might also like