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Polytechnique Project - Rural Development & Its Problem
Polytechnique Project - Rural Development & Its Problem
POLYTECHNIC GHAZIPUR
SESSION 2022-23
PROJECT REPORT
ON
PARTIAL FULFILMENT OF
AWARDED BY
PREPARED BY GUIDED BY
Rohan Kumar
Ajay Yadav
Vivek Yadav
ACKNOWLEDGEMENT
Date: -
Place:-
Divakar Chauhan
Balmukund Tiwari
Swadesh
Rohan Kumar
Ajay Yadav
Vivek Yadav
PREFACE
WHAT IS PROJECT-
P PLANNING
R RAW OF MATERIAL
O ORGANIZATION
J JOINT EFFECT
E ENTREPRENEUR
C COMMUNICATION
T TRANSPIRATION TEST
INDEX
S. No. Topic
(i) Project Report On
(ii) Certificate
(iii) Acknowledgement
(iv) Preface
(v) Means of Project
(vi) Index
1 Rural Development
2 Entrepreneurship
3 Rural Extension
4 Bank
5 Small Industry
6 Fabrication of Knapsack crop cutter
with soil weeder
7 Estimating & Costing of Knapsack
crop cutter
HEALTH:-
व्यक्ति को अपना जीवन सु खमय बनाने के लिए एवं बीमारी के आक् रमण से बचने के लिए उत्तम
स्वास्थ्य की आवश्यकता होती पडती है । व्यक्ति के स्वास्थ्य पर निम्न तत्वों का प्रभाव पड़ता है ।
1- Environment
2- Housing
3- Water Supply
4- Sanitation
ENVIRONMENTS:-
ू त होने पर मनु ष्य को कई
मानव स्वास्थ्य पर वातावरण का काफी प्रभाव पड़ता है । वातावरण के दषि
प्रकार की बीमारी हो सकती है । जै स हजा, चे चक, मले रिया ।
WORKING CONDITION:-
मनु ष्य जिस स्थान पर रहते हैं वहां उसके लिये रोशनी तथा स्वच्छ वातावरण का उचित प्रबन्ध होना
चाहिये । यदि वातावरण ठीक नहीं है तो स्वास्थ्य पर बु रा प्रभाव पढ़ता है ।
HOUSING:-
Housing से मनु ष्य के स्वार पर प्रभाव पड़ता है । अतः लोगों के रहने का स्थान साफ हो घर में सफाई
हो जल निकास की थकान ऐसा हो कि सोने नहाने खाना खाने के कमरे अलग-अलग हो ।
WATER SUPPLY:-
पानी हमारे जीवन के लिये आवश्यक है । गन्दगी के कारण जल में भी बै क्टीरिया पै दा हो जाते है । जिसके
उपयोग से मानव का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है । इससे बचने के लिए स्वच्छ जल का प्रयोग करना चाहिये ।
SANITATION:-
मानव जीवन में सफाई का विशे ष महत्व है । सफाई तथा स्वास्थ्य का सीधा सं बन्ध है । Engineering में
सफाई का विशे ष महत्व है । रसोई घरों, स्नान घरों, शौध एवं पे शाबघरों आदि से उत्पन्न गं दगी को साफ
करने के लिए पानी की जरूरत पड़ती है ।
TECHNOLOGY:-
SANITATION ENGINEERING:-
CITY DUST:-
1. सीवे ज का वाहित मल
2. स्लज का वाहित मल
SYSTEM OF SANITATION
1. जल बहन विधि:- इस विधि में रसोई, शौचालय और स्नानघर का गं दापानी पाईपलाइनों से बाहर
जाता है । इन पाइप साइन को सीवर कहते है । यह विधि बहुत महं गी है ले किन सफाई अच्छी होती है ।
2. मल वाहन विधिः- इसके अन्तर्गत सीवे ज इकट् ठा करके शहर के बाहर भे जा जाता है इसमें स्वीपर
घरों व सड़कों का कू ठा इकट् ठा करते हैं । फिर उसे शहर से बाहर किसी खाई में फेंक दिया जाता है ।
जीवन जीने के लिए पानी की अत्यं त आवश्यकता है । जै से खाने -पीने नहाने धोने , भोजन बनाने सिं चाई
के लिए एवं पीने के लिए।
Water Supply की पीने का स्रोतका चयन करना है । पानी का स्त्रोत ऐसा होना चाहिए तथा उससे
पानी हमे शा प्राप्त होता रहे ।
RURAL ELECTRIFICATION:-
भारतवर्ष गाँ वों का दे श है । यहाँ की लगभग 80 प्रतिशत जनसं ख्या गाँ वों में निवास करती है जिससे
वहाँ विभिन्न प्रकार की Industries तथा Irrigation के लिए Electricity उपलब्ध हो सके। गाँ वों में
विद्यु त पहुंचाने को Rural Electrification कहते है ।
सभी जीवों को चलने , बढ़ने और काम करने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है । भोजन से हमें कई
पोषक तत्व मिलते है । इन पोषक तत्वों का इस्ते माल शरीर करता है और इनसे ऊर्जा यानी ताकत पाता है ।
इसी को पोषण कहते है पोषण मानव की मूल आवश्यकता है तथा स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है । किसी
व्यक्ति की आयु लिं ग, लं बाई, बनज और वह काम क्या करता है , इस पर निर्भर करता है कि उसे कितनी
मात्रा में पोषण की जरूरत है । खान-पान से मिलने वाले पोषक तत्वों की मात्रा सं तुलित होनी चाहिये
इसकी कमी या अधिकता दोनों ही हानिकारक है । इसीलिए कहा गया है खाना आवश्यकता है , किंतु अगल
से खाना एक कला है ।
क्या करता है भोजन-
• शरीर के ऊतकों एवं कोशिकाओं को निर्माण करता है एवं इनकी मरम्मत करता है ।
सं तुलित आहार
सं तुलित आहार का तात्पर्य है , सही खान-पान और सही मात्रा ताकि हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में
पोषक तत्व एवं ऊर्जा मिल जाए। क्या खाया पिया जाए और कितना, इसकी सही जानकारी हम खाद्य
पिरामिड से ले सकते है ।
ELECTRIFICATION-
1. Load
2. Generation
किसी गाँ वों को Electrified करने से पहले Supply कर्मचारी यह दे खते है कि यहाँ कितना लोड है । इसके
लिए वे लोड सर्वे करते है ।
LOAD OF VILLAGE:-
गायों में मु ख्यतः दो प्रकार के लोड होते है
DOMESTIC LOAD:-
दे हातों में इसके अन्दर लोग विद्यु त पं खा, हीटर फीज, टीवी, कू लर, रे डियों आदि में खर्च करते हैं ।
INDUSTRIAL LOAD:-
दे हातों में Industrial power, tube well, Flour Mill, Oil अपसरा आदि के प्रयोग किया जाता है । शहरों
की अपे छा दे हातों में Electrification करने में अपे क्षाकृत अधिक खर्च लगता है , क्योंकि लोड दरू दरू होते
हैं ।
RURAL HOUSING:-
Low Cost Houses For Village -नगरी की गति गाँ व की जनता की आर्थिक स्थिति सु दृद्ध नही होती की
भवन निर्माण के लिए प्रबु र मात्रा में सीमे न्ट लाईट कॉच, मोजे क इत्यादि का प्रयोग करके दरू बसे गायों
में आधु निक निर्माण सामग्री का पहुँचना कठिन होता है ।
सस्ते के लिए निम्न तरीके काफी सरल सिद्ध हो सकता है
FOUNDATION:-
अधिराएक महान ही बनाये जाते है । इनके लिए सामान्यतः 50-60 से मी गहरी नीव पर्याप्त है ।
FOUDATION CONCRE
नीव में सीमे न्ट कंक् रीट 847 का प्रयोग करते है । यह 15-20 से मी मोटी पर्याप्त है ।
MACHINERY WORK:-
दीवारों की चिनाई चूना मसाले तथा सीमें ट एवं रे त के मिश्रण से की जाती है । पिल्च जे म्ब तथा तिल रोक
का एक रद्द चूना मसाले से लगाया जाता है । इसमें प्रबलन भी दिया जाता है ।
प्लिय पर 25 मिमी० मोटा प्लास्टर 12 सील रोक रद्दा के रूप में ठीक रहता है । प्लास्टर के ऊपर विटु मन
गर्म करके 1 से 70 किग्रा / मिमी की दर से पोत दे ना चाहिये तथा इस पर बालू छिड़क दे ना चाहिये ।
ROOF:- सामान्य छत के लिए प्रबलित ईट स्लै ब वस्ती तथा उत्तम रहती है स्लै ब के ऊपर गरम बिटू मन
का ले प कर के उस पर 8-10 से मी मोटी मिट् टी की परत तथा गारे की सिपाई की जा सकती हैं । इससे गर्मी
में छत ठण्डी रहती है ।
लिटल के लिए आधी ईंट की डॉट लगायी जाती है यह स्टिल से सस्ती पड़ती है R.C.C. पर प्रबलित
ईट चिनाई के लिटल रास्ते उत्तम रहते है ।
FLOOR:-
सस्ते भवनों के लिए ईट का फर्श उत्तम रहता है । फर्श के लिए अच्छी पक्की ईंटो का प्रयोग किया
जाता है ।
इसके लिए स्थानीय लकड़ी का प्रयोग किया जाता है । जै से- साल, जामु न, बबूल, आग इत्यादि की
लकड़ी से चौखट तथा पल्ले बनाये जाते है । चौखट का जो भाग चिनाई के सम्पर्क में आता है तब उस पर
बिटु मन का ले प कर दे ना चाहिये ।
यह घन मीटर अच्छी मिट् टी में 60 विप्रा० भूसा मिला कर तथा उचित मात्रा में पानी ले कर अच्छी
प्रकार भिगो दिया जाता है फिर उसे 0.3 धन मौ० शीरा और 4 किया बु झा हुआ पूना मिलाकर प्लास्टर
किया जाता है । यह प्लास्टर टिकाक रहता है । इसकी सामर्थ्य सीमें ट प्लास्टर 16 के बराकर होती है ।
प्लास्टर की मोटाई 20 मिमी रखी जाती है । सीमें ट, चूना, बालू (1:22:8) का प्लास्टर भी दीवारों पर किया
जाता है ।
ENTERPRENUERSHIP
भारत में बे रोजगारी एक गहरी समस्या थी। अधिकतर लोग नौकरी करना चाहते हैं परन्तु इनको
नौकरी प्राप्त नहीं होती है । ले किन यह सबसे बड़ी समस्या पिछडे एवं अविकसित ग्रामीण क्षे तर् ों में है ।
जहाँ उद्योग स्थापित करने हे तु उचित वातावरण हो ऐसे स्थानों पर नये एवं अनु भवहीन व्यक्तियों द्वारा
उद्योग-धं धे को प्रारम्भ करने का साहस को उद्यमिता कहते है । जिसके लिए ने तृत्व प्रेरणा, साहस, धै र्य
एवं जोखिम उठाने के लिए क्षमता रखनी चाहिये । अतः ऐसे व्यक्ति को उरानी कहते है ।
INTRODUCTION:-
किसी दे श में लघु उद्योगों के स्थान बहुत महत्वपूर्ण है । चाहे यह आर्थिक स्थिति की व्यवस्था हो यो समान
प्रकति की हो। किसी विकासशील दे श में लघु उद्योग स्थापित करके बे रोजगारी की समस्या को हल करके
गरीबी दरू करके राष्ट् र की आय वृ दधि् होती है ।
1. जनसं ख्या
उद्यम क्या है ?
नयी पद्धति बनाने या परिवर्तन करने की क्षमता को उद्यम कहते हैं ।
उद्यमकर्ता की प्रकृति-
जोखिम उठाने की क्षमता उपयोग की सम्भावनाओं के विषय में पूर्वानु मान लगाने का गु ण
अप्रत्यासित प्रतिकू ल परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता तथा आत्मविश्वास के साथ उद्यमकर्ता
एक उद्योग शु रू करता है और उसके लिए सभी साधन जु टाता है ।
क्या शु रू करें :-
उद्यमकर्ता के सामने सबसे बड़ा प्रश्न होता है कि क्या और कौन सा उद्योग शु रू करें । किसी उद्योग को
चु नने से पहले हमे अलग-अलग प्रारम्भ जाँच कर ले नी चाहिए।
4. निर्यात की सु विधा एवं कच्चे माल की उपलबि उत्पादित माल उपभोक्ता के उपयोग की वस्तु है तो
उपभोक्ता की आदतें और उनके
रीति-रिवाज और ये इस वस्तु को किस प्रकार उपयोग करते हैं । इस प्रकार की बालों पर विचार
किया जाता है । बहुत सी वस्तु एँ अन्य मार्क वाली हो सकती है । किसी भी उपयोग में यह जानने के लिए
तथा उद्योग में नई-नई इकाईया खोलने के लिए उचित है ।
4. कृषि-पूर्जी
SELF EMPLOYMENT:
लघु उद्योग क्षे तर् , मु क्त उद्योग क्षे तर् है । इनको खोलन के लिए सरकार से अनु मति ले नी पड़ती है ले किन
सरकारी अधिकारी के माध्यम से विभिन्न प्रकार की आवश्यकता उठाने के लिए अपने रजिस्ट् रेशन
क्षे तर् ीय उद्योग कार्यालय में करा ले ना चाहिये ।
ADVANTAGES OF INDUSTRIES:
1. दे श में फैली बे रोजगारी की समस्या को हल करने में किया जाता है ।
् में
7. प्रत्ये क मौसम में फसलों का इस प्रदान करने में उपयु क्त उद्योग ऐसे जो दे श की समृ दधि
मार्गदर्शन- प्रांतीय उद्योग निदे शालय के तकनीकी अधिकारी से सं बन्ध स्थापित करके नये उद्योग स्थापित
करने के सं बंध में जानकारी प्राप्त नहीं होती है तो उसके लिए भी अधिकारी व्यवस्था बनाता है । उत्पादन दिवि या
यं तर् उपकरणों में सु धार तथा आधु निकीकरण भी यही मार्गदर्शन करता है ।
निर्मित माल की खपत के लिए National Small Industries Co-New Delhi State Industries Co-
operation द्वारा उचित मार्गदर्शन एवं सु विधा द्वारा की जाती है । प्रांतीय उद्योग दिभाग एवं सहकारिता
विभाग द्वारा चल रहे कार्यक् रम के द्वारा विक् रय किया जाता है ।
परिक्षण-
प्रांतीय उद्योग परिषद या निरीक्षण, निदे शक तथा प्राविधिक शिक्षा की व्यवस्था करते हैं । मैं प्रबं ध
व्यवस्था में प्रशिक्षिण प्रदान करती है ।
विद्यु त दर में छट
ू :-
लघु उद्योग के लिए प्रयोग की जाने वाली विद्यु त शक्ति पर रियायत पाने के लिए सं बंधित जिला
उद्योग अधिकारी द्वारा सम्पर्क करके छट
ू प्राप्त की जाती है ।
सहकारिता:-
इसके लिए केन्द्रीय उद्योग विकास मं तर् ालय से सं बंध स्थापित करना चाहिये । यह मं तर् ालय प्रांतीय
उद्योग के निर्दे शन के लिए सहकारिता सं बंधी व्यवसाय के लिए मार्गदर्शन करता है ।
पं जीयन:-
जिला उद्योग अधिकारी द्वारा निर्दे शन के लिए उचित सहयोग प्रदान करते हैं । पं जीयन सहकारिता
पं जीयन प्राप्त कर सकता है ।
चुं गी से छुटकारा-
नगरपालिका द्वारा उद्योग लगाये गये करों से छुटकारा पाने के लिए प्रांतीय अधिकारी से सम्पर्क करना
चाहिये यह सु विधा लघु उद्योग के लिए मिल सकती है ।
वित्तीय सहायता:-
सरकार द्वारा लोन दो प्रकार से किया जाता है । बैं क द्वारा लोन ले ने पर जमानत की आवश्यकता होती
है -
• हाई चार्ज लोड के लिए स्वयं की पूंजी लगाकर 80 प्रतिशत बिना जमानत के लिए सरकार से मिल जाते
है ।
• स्टे ट बैं क को तै यार माल एवं स्थाई सम्पत्ति के द्वारा किसी भी आधार पर ऋण दे ता है ।
• प्रांतीय वित्तीय निगम की वित्तीय आवश्यकताओं के लिए ऋण दे ता है ।
National Industries Co. Ltd. प्रांतीय उद्योग निर्दे शक तथा Direct Small Scale Industries
Distrubution के द्वारा मशीनरी की व्यवस्था माड़ा क् रमण के आधार पर व्यवस्था करता है ।
यह Scheme केवल Degree, Engineering Diploma Engg के लिए है । इस स्कीम में कोई स्वयं को
कोई लागत का 15 प्रति मार्जिन के रूप में वित्तीय विभाग ऋण दे ता है तथा वित्तीय विभाग द्वारा 85
प्रति ऋण प्राप्त होता है अत वास्तव में दे खा गया है कि 15 प्रति लागत की मार्जिन स्वयं इं जीनियर के
लिए होता है । 50 हजार रऋण अधिकारी व दो लाख तक ऋण जिला मजिस्ट् रेट दिलवा सकता है ।
कच्चे माल की प्राप्ति के लिए जिला उद्योग अधिकारी के सम्पर्क करना चाहिये , जी माल दे श में नहीं
बनता उसके आयात के लिए अधिकारी जांच के उच्च अधिकारी से सिफारिश से प्राप्त किया जाता है ।
लघु उन वस्तु ओं के लिए अतिआवश्यक है , जिनका अधिक मानीकरण किया जाता वस्तु ओं को लोगों की रूचि के
अनु सार बनाया जाता है ।
1. अधिक विकास को पूंजी दे ने के परिणाम स्वरूप पूंजी निर्मित एवं आवास कलस्वरूप दोहरा समस्या पै दा होती है ।
पूंजी ही केन्द्र बिन्दु है तथा पूंजी उत्पादन अं धे में परिवर्तन लाने का पूंजी की बहुत कमी है ।
दे श में पूंजी की बहुत कमी है ।
2. लघु उद्योग आर्थिक रूप से प्रभावशाली होती है क्योंकि यह कम पूंजी साथ स्थापित किया जा सकता है तथा उन
उद्योगों का प्रयोग कर सकते है ।
3. जागरूक उद्योग बड़े -2 कारखानों के छोटे -2 उत्पादित कर के अच्छी किस्म तै यार करते है ।
4. लघु उद्योग न केवल दे श में औद्योगिकीकरण में सहायक है । बल्कि उद्योगकर्ताओं के लिए अच्छी पाठशालाओं
का कार्य करते हैं ।
5. लघु उद्योग का विकास अपे क्षाकृत कम पूंजी तथा अधिक सं ख्या में रोजगार के अवसर प्रदान करने का एक उपाय
है ।
किसी वस्तु व्यक्ति के पास लघु उद्योग शु रू करनी की पूरी योजना होनी चाहियें तथा साथ ही इस
उद्योगको शु रू रखने की योग्यता है । यह उद्योग शु रू करें यही लघु उद्योग की श्रेणी में आता है ।
दे श में समस्त कारखानों व उद्योग में 12 प्रति० लघु उद्योग है यह ज्ञात होता है । दे श में लघु उद्योग
के पनपने की काफी सं भावना है । जब कोई उद्यम कार्यकर्ता यह निर्णय से चु का होता है कि उसे अपने
कारखाने में किस वस्तु का उत्पादन धारना है तथा आवश्यक पूंजी की व्यवस्था कि क्षे तर् ों से की जाय तथा
कहाँ पर कारखानों को स्थापित करना है । उसके स्वामित्व का क्या अधिकार है ?
RURAL EXTENSION
MUNICIPAL BOARD:-
2000 से अधिक आबादी वाले नगरों में नगरपालिका की जाती है , जिसे चे यरमै न कहते है । इसका
निर्वाचन सं युक्त प्रणाली से होता है । यह पालिका द्वारा चु ना जाता है । इसमें सदस्यों की सं ख्या 20-45
तक होती है Senior Voice Chairmen दस ू रा Junior Chairmen कहलाता है ।
स्वास्थ्य व्यवस्था करवाना, अस्पताल खोलाना, प्ले ग के टिके लगवाना, गं दे पानी को शहर से बाहर
निकलवाने की व्यवस्था, पीने की पानी और व्यायाम की व्यवस्था करवाना।
बलाक प्रमु ख - क्षे तर् में समिति के अध्यक्ष को प्रमु ख कहा जाता है । इसका चु नाव गाँ व का प्रधान
समिति के सदस्यों, क्षे तर् ीय विधायक व बी०डी०सी० द्वारा होता है । इस पद के लिए उम्मीदवार को समिति
का अध्यक्ष होना अनिवार्य है ।
2. गाँ वों में लघु उद्योग के लिए प्रशिक्षण एवं सहायता प्रदान करना।
B.D.O.:-
जिले के प्रत्ये क विकास खण्ड अधिकारी को बी०डी०ओ० कहते हैं । यह क्षे तर् ीय समिति का प्रमु ख
कार्य पालक होता है ।
ले खपाल-
यह तहसील की ओर से सरकारी कर्मचारी होता है । इस चु नाव परिषद द्वारा होता है । यह गाँ व की जमीन का
ले खा-जोखा करता के
3. खे तों की माप इत्यादि करके किसी किसान का खे त कम या अधिक होने पर सही करवाना।
प्रधान:-
ग्राम सभा के मु खिया को प्रधान कहते है । यह ग्राम पं चायत का समापति होता है तथा गाँ व का मु ख्य
सदस्य होता है ।
BANKING
BANK (बैं क)
बैं क वह सं स्था है जो मु दा में व्यवसाय करती है । यह ऐसा सं स्थान है । धन का निक्षे प तथा नमन होता है
तथा जहाँ ऋण व कटौती की सु विधाएं प्राप्त या प्रदान की जाती है और एक स्थान से दुसरे स्थान तक
जानकारी भे जने की व्यवस्था की जाती है ।
FUNCTION OF BANK
एक आदगु निक द्वारा किये जाने वाले कार्य को जिन वर्गों में विभक्त किया जा सकता
1. मु ख्य कार्य
2. सामान्य कार्य
3. ऋण व्यवस्था
MAIN FUNCTION
2- ऋण प्रदान करना
बैं क जमाकर्ता की धनराशि अपने पास नहीं रखते वरन उसे जरूरत मं द व्यक्ति व्यावसायिक सं स्थानों आदि
को ऋण को रूम में दे दे ते है ।
साधारण ऋण।
नगद साख।
विनिमय विपत्रों को भु नाना।
बैं क अधिविकर्ष।
कागजी मु दा का निर्गमन ।
साख पत्रों का निर्गमन ।
मूल्यवान वस्तु ओं को सु रक्षित रखना।
KINDS OF BANK
आधु निक यु ग में उद्योग व्यापार वाणिज्य का अत्यधिक विकास हो गया है जिस के कारण एक प्रकार की
बैं किंग व्यवस्था हर प्रकार की शाखा आवश्यकताओं की पूर्ति नही कर सकती इसके लिए भारत में विभिन्न
प्रकार के बैं कों की स्थापना की गयी है जिन्हें दो प्रकार से बाटा गया है ।
2. प्राचीन दे शी बैं क
भारत में विभिन्न प्रकार के आधु निक बैं क पाए जाते हैं इन्हें आधु निक बैं क इसलिए कहा राष्ट् रों के बैं कों
की कार्यप्रणाली से जाता है क्योंकि इनकी कार्यप्रणाली आधु निक पश्चिमी मिलती-जु लती है -
ये निम्न है -
3- विविध कार्य
धन का हस्तान्तरण ।
ग्राहकों की धनराशि एकत्रित करना। ग्राहकों की ओर से भु गतान करना।
भु गतान प्राप्त करना।
अं शों तथा प्रतिमूतियों का क् रय विक् रय
न्यासी के रूप में कार्य ।
साख प्रमाण पत्र एवं चे क प्रमाण पत्र जारी करना।
वित्तिय परामर्श दे ना।
अं शों व ऋणों का अभिगोपन ।
सूचना व आं कड़ों को एकत्रित करना।
IMPORTANT OF BANK
आर्थिक विकास में बैं कों बैं क के महत्व को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है ।
पूं जी का निर्माण।
उत्पादन कार्यों में निदे श
धन के स्थानांतरण में सु विधा
अधिक सु विधाएं प्रदान करना
भु गतान को सु विधाजनक बनाना
कीमत स्थिरता लाने में सहायक
अं तराष्ट् रीय व्यापार ने सहायक
मु दर् ा का आवश्यकतानु सार निर्गमन
बैं किंग आदते उत्पन्न करन
सरकार को सहायता
बहुमूल्य की सु रक्षा।
विभिन्न से वायें तथा सु विधायें ।
SMALL INDUSTRY (WORKSHOP)
INTERODUCTION
किसी भी उपकरण की कार्यकारी समयांतराल के बाद उसकी मरम्मत एवं उनके पु र्जों को बदलना एवं
विभिन्न उपकरणों का सं योजन करना पड़ता है । ये सभी कार्य specialized या दिव्य श्रेणी के कार्य होते
है । जिन्हें workshop व workman द्वारा सम्पादित किया जाता है ।
अतः उपरोक्त कार्य के अनु रूप woricshop की आवश्यकताओं होती है । Workshop की स्थापना के लिए
निम्न बिन्दुओं पर ध्यान दे ना पड़ता है ।
SITE SELECTION:-
Hydraulic Repairing
Engine Repairing
Gear Box Repairing
Other Parts Repairing
Painting Room
Tractor Stand Room Waiting Room
Office Room
Welding Room
Tools Room
HYDRAULIC-REPAIRING:-
Workshop में ट् रैक्टर के Hydraulic System के Repair के लिए दे व बनाया जाता है । Hydraulic
System के रिपे यरिं ग के लिए एक विशे षता होती है । जो किट बाक्स में उपलब्ध होता है ।
ENGINE-REPAIRING:-
Workshop में ट् रैक्टर के इं जन रिपे यर के लिए बनाया जाता है । जहाँ ट् रैक्टर को इं जन का रिपे यर
मशीन द्वारा किया जाता है ।
ट् रैक्टर के इं जन का रिपे यर करने के लिए अने क टू ल्स प्रयोग किये जाते है । प्लास, पें चकस, हथौड़ा टू ल
किट आदि।
इस वर्क शाप में टै क्टर के गियर बाक्स रिपे यरिं ग करने के लिए मे व 3 बनाया जाता है । गियर बाक्स में
गिपर या अन्य किसी पार्टस के घिस पिट या खराब हो जाने पर बदल दिया जाता है ।
PAINTING ROOM:
इस Workshop मे Tractor पर Painting करने के लिए का प्रयोग किया जाता है । जहाँ Tractor पर
उसके अन्य Part पर Painting का कार्य किया जाता है ।
हमारे Workshop में MainGate के दायी ओर Tractor Stand Room है । इस Room के अन्दर
रिपे यरिं ग करने के बाद ही Tractor को इस Room में खड़ा कर दिया जाता है । यह Room प्रत्ये क
Workshop में होता है ।
WAITING ROOM:-
Waiting Room. Tractor Stand Room के चित्कुल पास है । इस रूम में मै नेजर या ट् रैक्टर मालिक
अपने ट् रैक्टर के रिपे यरिं ग के समय इस रूम में बै ठकर इतं जार करता है ।