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एक आध्यात्मिक यात्रा - रेनकोट २००४
एक आध्यात्मिक यात्रा - रेनकोट २००४
हार के भागलपुर रहने वाला म (मनोज) कुछ आ क सहायता के ये कलक आया हुआ
है । नी (नीरजा) उसके प स ल थी, उसका खोया हुआ र। वो भी अभी कलक ही
रह रही है। वो उससे लने जाता है। शायद वह बस एक बार उसे देखना चाहता है।
1. मथुरा नगरप
2. हमा गा होके आना
3. िपया तोरा कैसा अ मान
4. अकेले हम न या िकनारे
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पहला गीत ‘मथुरा नगरप ’
अ और संग:
गोकुल, ज कृ ब हुए, राधा के साथ, ज उनका पालन-पोषण हुआ। ज उनके और सखा रहते
। यमुना िकनारे कदम के नीचे उ ने शाम से रात तक अपनी सु बजाई, ज उ राधा से म हुआ।
१४ साल उ राधा को छो कर कंस का वध करने के ए गोकुल से मथुरा आ गये। कंस वध के
प त वह मथुरा के राजा बने, हा िक उ रंतर प से गोकुल याद आती रही, त प से राधा
। लेिकन वे कभी गोकुल वापस न गए।
मथुरा नगरप गीत कृ के बारे है। इस गीत कृ अपने रा को छो कर गोकुल वापस जाने का
सला करते । इसे ज बोली शुभा मु ल रा ढंग से गाया गया है। ज मथुरा-गोकुल-वृंदावन
का है। यह कृ और राधा और उनके शा त म सभी कहा से जु है। यह गीत राधा-कृ
कहा से शद छ को उद्घािटत करता है और बहुत ही क वे-मीठे एहसास से गूंजता है जो
उन म कहानी शेषता थी।
तु री या अब पूरी घरवाली
तु री राधा अब पूरी घरवाली
रह के आं सू कब के
हो कब के पोछ डाली
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र का द जगाओ
मथुरा नगरप का तुम गोकुल जाओ
अ और संग:
अ और संग:
गीत -
शाम ढले स या सब
लोट गयी साडी
अकेले हम न या ना
मतलब -
शाम ढल रही
सभी स याँ लौट ग
अकेली नदी के ना ख
एक आ क या ।
मे एक है सका उ न है।