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रे नकोट 2004

लेखक/ शक - तुप घोष

संगीत/बोल - / तुप घोष


पा : अजय देवगन - मनोज /म
ऐ राइ - नीरजा/नी
अ कपूर - मकान मा क
मौली गुली – शीला

ONE AFTERNOON CAN PROVE TO BE GREATER


THAN A LIFETIME.

कुछ िफ ऐसी होती जो आपको नेमा के मा म से जो ती । उ से है


एक , ‘रे नकोट’ तुप घोष पहली ।

रे नकोट एक श मेरा सहारा है।

मेरा प चय इस से मेरे कला शन क हुआ था। मोहोदया क आई और पहली


बार उ ने ना कोई वना दी ना कुछ बोला। उ ने क लाइट् स ऑ कर दो श कहे
"just experience" और शु कर दी और हमारे साथ आकर बैठ ग । शु हुई, हम
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सभी एक य त प से देखने लगे। जब हुई तो मोहोदया उठकर सामने आ ।
सबने कुछ ना कुछ बोला, िकसी ने बोला संगीत अलग है , िकसी ने तकनीक पे बात , िकस
चतुराई से कम से कम संसाधन बनाई गई होगी, िकसी ने अ नय शंसा । िफर
मोहोदया ने कला शन के कोण से बा िक पर बात और ह कुछ नोट् स
ए। इस बीच क अव समा हो गई। लेिकन ये मेरे हन रह गई, कुछ तो कमाल
था इस का। घर पहुंच कर पूरे समय इस के संगीत खो चुका था। तो मुझे
इंटरनेट पर न ली। एक टॉ ट फाइल ली भी तो डाउनलोड न हुई। अगले न लंच क
अपने अ िपका से ला। उनसे ने कहा, " आप मुझे थो देर के ए रे नकोट डीवीडी
गी? तुरंत कॉपी करके आपको डीवीडी वापस कर दूंगा।" अ िपका मान गई। मेरा तो शी का
काना ना था, लगा कोई ना हाथ लग गया, एिडिटंग लैब गया, कॉपी डीवीडी
वापस कर उनका शु या अदा िकया। आज भी वह डीवीडी कॉपी होगी गूगल इव पर।

स कर इस के संगीत पर बात करना चाहता हूँ।

उससे पहले सं प कहानी।

हार के भागलपुर रहने वाला म (मनोज) कुछ आ क सहायता के ये कलक आया हुआ
है । नी (नीरजा) उसके प स ल थी, उसका खोया हुआ र। वो भी अभी कलक ही
रह रही है। वो उससे लने जाता है। शायद वह बस एक बार उसे देखना चाहता है।

रे नकाओट का संगीत - संगीत/बोल - / तुप घोष/गुल र

1. मथुरा नगरप
2. हमा गा होके आना
3. िपया तोरा कैसा अ मान
4. अकेले हम न या िकनारे
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दें
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पहला गीत ‘मथुरा नगरप ’

अ और संग:

गोकुल, ज कृ ब हुए, राधा के साथ, ज उनका पालन-पोषण हुआ। ज उनके और सखा रहते
। यमुना िकनारे कदम के नीचे उ ने शाम से रात तक अपनी सु बजाई, ज उ राधा से म हुआ।
१४ साल उ राधा को छो कर कंस का वध करने के ए गोकुल से मथुरा आ गये। कंस वध के
प त वह मथुरा के राजा बने, हा िक उ रंतर प से गोकुल याद आती रही, त प से राधा
। लेिकन वे कभी गोकुल वापस न गए।

मथुरा नगरप गीत कृ के बारे है। इस गीत कृ अपने रा को छो कर गोकुल वापस जाने का
सला करते । इसे ज बोली शुभा मु ल रा ढंग से गाया गया है। ज मथुरा-गोकुल-वृंदावन
का है। यह कृ और राधा और उनके शा त म सभी कहा से जु है। यह गीत राधा-कृ
कहा से शद छ को उद्घािटत करता है और बहुत ही क वे-मीठे एहसास से गूंजता है जो
उन म कहानी शेषता थी।

पूरा गीत तो न कुछ पं के अ -

तु री या अब पूरी घरवाली
तु री राधा अब पूरी घरवाली

- तुम सल से र करते थे उस अब शादी हो गई ।

रह के आं सू कब के
हो कब के पोछ डाली
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ष्ण
र का द जगाओ
मथुरा नगरप का तुम गोकुल जाओ

- ब त पहले ही उसने रह के आँ सू छ डाले र आप उस द को जगाते हो?


मथुरा के मी, आप गोकुल जाते ?

सरा गीत ‘हमारी गा याँ होके आना’

अ और संग:

हमारी ग यां होके आना उन अ हीन मजेदार गी से एक , से युवतीया शादी से


पहले के ए केवल उसे ने और उस टांग चने के ए गाती ।

नकोट यु इस गीत के श ब त ही हारी और गीत व त


आभूष को भले ही पू भारत पहना जाता हो ले न उनके हारी/यूपी श यहां यु
ए ।

गीत बस इतना ही कहता हमारी गली आओ और जब तुम आओ तो हमा ए


फलां-फलां जेवर ले आओ और ता मत करो, घर के ब -बुजु को पता ही न चलेगा।

ए गुलहा तेरी दीदी ना जाने


ए गुलहा तेरी दीदी ना जाने
जेब खडी लेके आना
जेब कवा लेके आना
हमारी गा याँ होके आना
हमारी गा याँ होके आना

ए गुलह तेरी मौसी ना जाने


ए गुलह तेरी मौसी ना जाने
जेब कंगना लेके आना
जेब प ची लेके आना
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रे
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रे
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हे
क्त
हमारी गा याँ होके आना
हमारी गा याँ होके आना

तीसरा गीत 'िपया तोरा कैसा अ मान’

अ और संग:

राह के बारे एक गीत… लालसा के बारे …

यह गीत, तुप घोष 'रे नकोट' के ए एक मूल संगीत है , जो आधु क प वेश


लोक ष के उपयोग का उदाहरण है। कहानी के मु पा भागलपुर से , जो हार
ऐ हा क मह पू शहर है , और इस ए गीत के श उस के और कहा से
िकए गए ।

श ज छ को भी उद्घािटत करते - "सघन सावन लायी, कदम बहार"। कृ और राधा


का म वा कता कदंब के पे व ही ला। क य उस को सम त करते
और कहते िक कदंब का पे मानसून फूलता है (जैसे राधा-कृ ने उस व आराम
िकया)। अगली पं "मथुरा से डोली लाये, चा कहार" क कहार पु का उ ख करते ,
जो मु प से जलवाहक होते और के आ क व से संबं त होते । भारत , पहले
दु न को एक पाल ले जाया जाता था से इन कहार पु रा उठाया जाता था, और क
ने य इस परं परा वरण िकया है।

त पं एक वा कता, सा कता, और सुंदरता है:


अपने नयन से नीर बहाये
अपनी जमुना द आप ही बनावे
लाख बार उस ही नहाये
पूरा न होयी अ न
सूखे केस, खे बेस
मनवा बेजान
या तोरा कैसा अ मान
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भारत , पा से मु पाने के ए गंगा और यमुना के प जल नहाने करने परंपरा
। उ र भारतीय बोली नहाने को न कहते । यहाँ क कहता रोया (यह
सोचकर पाप ने मुझे मे र से वं त कर या) और इतना रोया ऐसा लगा जैसे
ने उन न या हो। ऐसा लग रहा था जैसे प यमुना न कर रहा । ले न
ला बार न करने के बाद भी ऐसा लगता मे पाप अभी तक न धुले , मेरा न
अभी तक पूरा न आ , और इस ए मुझे और इं तजार करना होगा।

अंत , क कहता अब अपने माथे पर स न रा धारण ए जाने वाले


च न के को ही धारण क गा। चंदन का पे ना का वास न । भारतीय क ता
, "च न गरल समान" एक साधारण वा श सका अ चंदन जहर के समान
। यहाँ क कहता ग के तीक चंदन के शान का जहर इस संपू ख और
पी का अंत होना चा ए।

चौथा गीत 'अकेले हम न या िकनारे ’

गीत -
शाम ढले स या सब
लोट गयी साडी
अकेले हम न या ना

माँझी तोरा नाम तो बता


र कैसे पुका , तुझे कैसे पुका ?
अकेले हम न या ना

मतलब -

शाम ढल रही
सभी स याँ लौट ग
अकेली नदी के ना ख

माँझी, अपना नाम बताओ


है
मैं
में
है
फि
न्द
ड़ा
खों
में
त्त
में
न्द
में
खि
मैं
कि
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चि
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वि
स्ना
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हि
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कि
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है
मैं
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कि
स्ना
वि
तु कैसे बुलाऊँ, हाँ कैसे…?
अकेली नदी के ना ख

नकोट के इस गीत रह तनहाई का व न । क क ना करता एक


म यो नी आ एका होकर नदी के ना फंसी ई । भारतीय गाँव ,
म लाओं का नदी से पानी लाने का चलन । यह उ सामा क होने का मौका ता ,
और कभी-कभी अपने के बा बातचीत करने का भी।यह एक ब त आम छ जो
भारतीय का अ र उपयोग होती ।

उस सभी स याँ घर लौट चु , अपने के पास। जब म यो नी अभी भी


अकेली ख । वह अपने दय को साझा करने और कुछ ण सां ना पाने
उ द माझी (ना क) को पुकारती । अकेला मांझी, एकांत का तीक , और साथ ही
री आशा भी। सी न वह अपने नाव मी को ले आ सकता ।

एक आ क या ।

मेरा तन और मारा मन उसको स िपत है और उसको अ त हूँ।


रे नकोट एक श मेरा सहारा है।

हार भागलपुर के दो , नी (नीरजा) और म (मनोज) कहानी है।

मे एक है सका उ न है।

“अगर द -ए-मोह त से न इं आ होता


न कुछ मरने का म होता न जीने का म होता”
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क्ल
क्स
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त्मा
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वि
रू
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म्र
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यों
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प्र
प्रे
क्ष
हु
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वि
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