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ना

प पा जाताय तो वे कपाणये ।
नमु य कृ य गीताऽमृत नमः ||

ॐअ न रा ना नशालाकया ।
च तं येन त गुरवे नमः ||
प्र
ज्ञा
प्रा
र्थ
न्न
रु
क्षु
न्मी
द्रा
ज्ञा
रि
लि
ति
मि
ष्णा
न्ध
स्मै
स्य
त्र
श्री
ज्ञा
त्रै
ञ्ज
दु
हे

ना
नमः ॐ पादाय कृ य भूतले ।

मते भ वेदांत न इ ना ने ।।

नम सार ते वे गौर वाणी चा णे ।

शेष शू -वादी पा श ता णे ।।

जय कृ चैत भु नंद ।
अ त गदाधर वास आ गौर भ वृ ।।

ह कृ ह कृ कृ कृ ह ह ।
ह राम ह राम राम राम ह ह ।।
श्री
नि
श्री
प्रा
रे
रे
र्वि
स्ते
र्थ
श्री
द्वै
ष्ण
क्ति
वि
रे
ष्ण
स्व
रे
न्य
ष्णु
ष्ण
दे
श्री
न्य
स्वा
प्र
ष्ण
श्चा
मि
ष्ण
नि
रे
त्य
ष्ण
त्या
दि
प्रे
ति
रे
दे
प्र
ष्ठा
रे
रि
मि

रे
रि
क्त

न्द
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BagavadgaIta 7.29 to ba`*ma tiWduÁ Ì%snama\ AQyaa%maM kma- caaiKlama\ ÈÈ
जरामरणमो य ये माम् आ यत

}
तत्
ते कृ म् अ म् :
अ लम् क च
वि
खि
त्स्न
दु
ब्र
 
ह्म
ध्या
श्रि
क्षा
र्म
त्य
त्म
न्ति
जरामरणमो य

जरा और मरणसे मो
क्षा
पानेके ये

क्ष
लि
जरामरणमो य

७. १६ भगवानने ३ सकाम भ का
व न या था। इस क वे चौथे
कार के सकाम भ (मो कामी) का
व न कर र ।
प्र
र्ण
र्ण
कि
में
क्षा
हे
हैं
क्त
श्लो
क्ष
में
क्तों
जरामरणमो य

इ या षु वैरा मनहङ्कार एव च ।
ज मृ जरा :खदोषानुद नम् ॥ 
- भगवद गीता 13.9
न्द्रि
न्म
त्यु
र्थे
क्षा
व्या
ग्य
धि
दु
र्श
ये माम् आ यत

जो मेरा आ य लेकर य करते


श्रि
त्य
श्र
न्ति
त्न
ये माम् आ यत
यहाँ आ य लेना और य करना इन दो बा को
कहनेका ता मनु अगर यं य करता
तो अ मान आता ने ऐसा कर या और अगर
यं य न करके भगवानके आ यसे सब कुछ हो
जायगा ऐसा मानता तो वह आल और माद लग
जाता । इस ये यहाँ दो बा बता ।
स्व
भि
है
त्न
श्र
श्रि
त्प
लि
र्य
त्य
है
है
कि
है
कि
न्ति
त्न
मैं
ष्य
तें
श्र
स्य
स्व
यीं
लि
हैं
त्न
तों
प्र
में
है
प्रा
प्त
ब्र
व्यं
ह्म
ब्र
ह्म
वि
दु
 
वे उस
(
ते तत्

हैं
)
:

को जान जाते
ब्र
ह्म
ब्र
ब्र
ह्म
ब्र
ह्म
ह्म
वि
अहम्
दु
 
ते तत्
:

तत्
त्स्न
म्पू
र्ण
ध्या
वे स
ध्या
त्म
ते कृ

त्म

वि
दु
 
म् अ
म्
:

हैं
को जान जाते
ते कृ म् अ म् :

शु आ का प जो भौ क शरीर
से उसे जानना
द्ध
भि
त्स्न
न्न
त्मा
है
ध्या
त्म
स्व
वि
रू
दु
 
ति
ते अ लम् क च :

वे स क को भी जान जाते
खि
म्पू
र्ण
र्म
र्म
वि
दु
 
हैं
ते अ लम् क च :

वे स क के वा क त को जान
जाते अ त् सृ रचना होती ,
कैसे होती , और भगवान कैसे करते
इसको भी वे जान जाते ।
खि
म्पू
हैं
र्ण
र्था
है
र्म
र्मों
वि
ष्टि
दु
की
स्त
 
वि
हैं
क्यों
त्त्व
हैं
है
ते अ लम् क च :

तद्-साधन-भूतम् अ लम् (रह म्) क


जान
खि
न्ति
र्म
वि
खि
दु
 
स्य
र्म
तत् सा
कृ म् अ म् साधक

अ लम् क च साधन
खि
त्स्न
ध्य
ब्र
ह्म
ध्या
र्म
त्म
छले क से स
इस कार मेरे भजन करने से वे जो
BagavadgaIta 7.29 जाननेयो है वह सब जानकर कृता
हो जाते

ऐसे साध के ए योग होने का


BagavadgaIta 7.30
भय न होता है
पि
प्र
हीं
हैं
ग्य
कों
श्लो
लि
म्ब
भ्र
न्ध
ष्ट
र्थ
BagavadgaIta 7.30

saaiQaBaUtaiQadOvaM maaM
saaiQaya&M ca yaoo ivaduÁ È
p`yaaNakalao|ip ca maaM
to ivaduya-u>caotsaÁ ÈÈ
saaiQaBaUtaiQadOvaM maaM saaiQaya&M ca yaoo ivaduÁ È
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पद भाग और स
स, अ भूता वम्, माम्, स, अ य म्, च, ये,
:, याणकाले, अ , च, माम्, ते, :,
यु चेतस:
वि
क्त
वि
दु
धि
प्र
धि
दै
न्धि
पि
धि
ज्ञ
वि
दु
saaiQaBaUtaiQadOvaM maaM saaiQaya&M ca yaoo ivaduÁ È
अ य

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सा भूतं
ये सा वं मां :
सा य च
याणकाले अ
ते च यु चेतस:
मां :
प्र
न्व
धि
धि
धि
वि
वि
दै
क्त
दु
दु
ज्ञं
 
 

पि
 
saaiQaBaUtaiQadOvaM maaM saaiQaya&M ca yaoo ivaduÁ È
अनुवाद
p`yaaNakalao|ip ca maaM to ivaduya-u>caotsaÁ ÈÈ

जो मुझ परमे र को मेरी पू चेतना रहकर मुझे


जगत् का, वताओं का तथा सम य
का यामक जानते , वे अपनी मृ के समय भी
मुझ भगवान् को जान और समझ सकते ।
नि
दे
श्व
हैं
र्ण
स्त
त्यु
में
ज्ञ
वि
हैं
धि
यों
ये सा भूतं मां :

जो मनु अ भूत स त मुझे जानते


धि
ष्य
वि
धि
दु
 
हि
हैं
ये सा भूतं मां :

अ भूत नाम भौ क ल सृ का
स तमोगुण धानता
जि
धि
धि
में
वि
की
दु
 
ति
प्र
स्थू
है
ष्टि
है
ये सा वं मां :

जो मनु अ व स त मुझे जानते


धि
दै
ष्य
वि
धि
दै
दु
 
हि
हैं
ये सा वं मां :

अ व नाम सृ रचना करनेवाले


र ग जीका न
रजोगुण धानता
हि
धि
ण्य
धि
दै
दै
की
र्भ
ब्र
प्र
वि
ह्मा
दु
ष्टि
 
की
है
है
जि
में
ये सा य मां :

जो मनु अ य के स त मुझे जानते


धि
ष्य
ज्ञं
धि
वि
दु
 
ज्ञ
हि
हैं
त्त्व
धि
न्त

धि
र्या
ज्ञ
ज्ञं
की
रू
प्र
वि
दु
 
स गुण
में
मी पसे सब

है
व्या
वि
ष्णु
अ य नाम भगवान्

प्त
ये सा य मां

हैं
:

धानता

है
जि
का जो

में
और न
ब्र
ब्र
वि
ह्मा
धि
ह्मा
ष्णु
ण्ड
वि
दि
धि
न्त
दै
धि
रू
(
हैं
में
ज्ञ
(
अ भूत (अन

) आ सभी
)अ व
भगवान के राट प

जी) और अ य
कृ ही सम भगवान्
प वां व व
स था भूत शेषसङ्घान् ।
णमीशं कमलासन -
मृ स नुरगां न् ॥
- भगवद गीता 11.15
ब्र
श्री
श्या
षीं
ह्मा
र्वां
ष्ण
श्च
स्त
मि
दे
र्वा
ग्र
स्त
वि
श्च
दे
हैं
दि
दे
स्थ
हे
व्या
ते च यु चेतस:

वे यु वाले पु ष
क्त
क्त
चि
त्त
 
रु
ते च यु चेतस:

जो संसारके भो और सं ह -
अ समान रहनेवाले तथा संसारसे
स था उपरत होकर भगवान लगे ए वे
पु ष यु चेता
रु
र्व
प्रा
प्ति
क्त
क्त
में
 
गों
हैं
ग्र
हैं
में
की
प्रा
हु
प्ति
हैं
याणकाले अ मां :

अ काल भी मुझे ही जानते अ त्


होते
प्रा
प्र
न्त
प्त
में
हैं
पि
वि
दु
 
हैं
र्था
याणकाले अ मां :

अय : योपेतो योगा तमानस: ।


अ योगसं कां ग कृ ग ॥
- भगवद गीता 6.37

यु चेतस: - भगवद गीता 7.30


द्धिं
तिं
प्र
क्त
प्रा
ति
प्य
श्र
द्ध
पि
सि
वि
दु
 
च्च‍
लि
ष्ण
च्छ
ति
BagavadgaIta 7.29-30

इस अ य समा भगवान् इस
घोषणा के साथ होती जो पु ष मुझे
जानता वह सब कुछ जानता ।
ध्या
है
की
प्ति
है
कि
है
की
रु
BagavadgaIta 7.29-30
क योगी और नयोगी भी ज -मृ से मु होते ।
भगवान के भ ज -मृ से मु होने के साथ साथ भगवान
के सम पकोभी जानते । क योग और नयोग
रंभसेही अपनी साधना होती भ योग
भ रंभसेही भगव होता । भगव होनेसे
भगवान ही कृपा करके अपने सम पका न करते ।
में
में
र्म
प्रा
क्त
ग्र
प्रा
रू
क्त
ज्ञा
न्म
न्नि
त्यु
है
ष्ठ
में
नि
न्म
क्यों
क्त
ष्ठा
ग्र
कि
रू
त्यु
है
र्म
है
ज्ञा
क्त
न्नि
कि
ष्ठ
न्तु
है
क्ति
ज्ञा
है
कि
न्तु
मनु णां सह षु
क त ये ।
यतताम नां
क वे त त: ॥
- भगवद गीता 7.3
श्चि
श्चि
ष्या
द्य
न्मां
पि
ति
सि
त्ति
सि
द्धा
स्रे
द्ध
त्त्व
BagavadgaIta 7.29-30

और यहाँ भगवान बताते , जो


मेरी शरण लेता वह मुझे सम
पसे जनता
रू
है
है
है
की
ग्र
म स मना: पा जरामरणमो य
योगं यु न् मदा य: । मामा यत ये ।
असंशयं सम मां ते त : कृ म
यथा त णु ॥ अ क चा लम् ॥ 
भगवद गीता 7.1 भगवद गीता 7.29
च्छृ
य्या
ध्या
ब्र
ह्म
श्रि
ज्ञा
त्मं
ञ्ज
क्त
त्य
स्य
द्वि
सि
र्म
क्षा
ग्रं
दु
न्ति
त्स्न
खि
श्र
र्थ
म स मना: पा सा भूता वं मां
योगं यु न् मदा य: । सा य च ये :।
असंशयं सम मां याणकालेऽ च मां
यथा त णु ॥ ते : यु चेतस: ॥
भगवद गीता 7.1 भगवद गीता 7.30
च्छृ
प्र
य्या
वि
धि
धि
ज्ञा
दु
ञ्ज
ज्ञं
क्त
स्य
धि
क्त
सि
दै
ग्रं
पि
वि
श्र
र्थ
दु
saaiQaBaUtaiQadOvaM maaM saaiQaya&M ca yaoo ivaduÁ È
BagavadgaIta 7.30

}
p`yaaNakalao|ip ca maaM to ivaduya-u>caotsaÁ ÈÈ
सा भूतं
ये सा वं मां :
सा य च
याणकाले अ
ते च यु चेतस:
मां :
प्र
धि
धि
धि
वि
वि
दै
क्त
दु
दु
ज्ञं
 
 

पि
 

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