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आज की परिस्थितियों को देखते हुए, सभी का प्रधान उद्देश्य है, “बालक-बालिकाओं को योग्य एवं

उत्तरदायी नागरिक बनाना”। टेलीविज़न, इंटरनेट तथा मोबाइल ने बच्चों के मानसिक क्षितिज
का अपूर्व विस्तार किया है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हम एक नवीन पुस्तक-
माला “ताना-बाना” आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। इसमें जीवन की विभिन्न नीतियों,
विविधताओं तथा कलाओं का ताना-बाना बाल कथाओं माध्यम से बुना गया है। पुस्तकों में
जातक कथाओं, पंचतंत्र की कहानियों, विश्व बाल साहित्य, जीवनियों, पौराणिक तथा परी कथाओं
एवं पर्यावरण, देश-प्रेंम और नारी उत्थान की कहानियों को उचित स्थान दिया गया है। संपूर्ण
पुस्तक-माला का विशेष आकर्षण उसकी कलात्मक एवं सुरुचिपूर्ण चित्रकला है। पाठों की
पुनरावृत्ति के लिए प्रत्येक पुस्तक के अन्त में “प्रश्न-संग्रह” दिया गया है। आशा है कि यह
पुस्तक-माला अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल रहेगी। पुस्तकों में सुधार के लिए पाठकों
के सुझावों का स्वागत है।

शेखचिल्ली का व्यापार

शेखचिल्ली बहुत आलसी था। उसका मन मेहनत-मज़दूरी में नहीं लगता था, इसलिए उसने
दिल्ली जाकर व्यापार करने का निस्चय किया। शेखचिल्ली के पास जितने पैसे थे, वे उसने
अपनी अम्मी को दे दिए। अब ुसके पास पैसे भी नहीं थे। शेखचिल्ली ने सोचा कि कारोबार
करने से पहले अनुभव का होना बहुत जरूरी है और अनुभव तभी होगा जब वह किसी दुकान
पर नौकरी करे। सारी बातें सोचकर उसने कपड़े की ेक दुकान पर नौकरी कर ली। एक दिन
दुकानदार ने कपड़े क

Additional Questions
Name of the Organisation: Syama Prasad Mookerjee Port (formerly Kolkata Port Trust)
Para No. 6.1 of Report No. 10 of 2020
Caption: Dredging Activities in Kolkata Port Trust
Sl. Para
Additional questionnaires
No. reference
Why even after the warning of Technical Advisory Committee (October 2014), the
1 6.1.3.2
nourishment work of spurs at Nischantpur was taken up only in November 2020?
Inspite being aware of the fact that spurs are important to prevent bank erosion and also
2 6.1.3.2 to establish a stable channel for navigation, why KoPT did not formulate any policy
regarding periodic maintenance of those spurs to protect its business interest?
Why KoPT entered into dredging contracts with DCIL (January 2009 and April 2011)
3 6.1.4.2 on daily hire basis and not on quantity based irrespective of the fact that the efficiency
of the dredging is linked with the quantum of dredging?
Even after direction from the Ministry of Shipping (June 2002), why KoPT did not opt
4 6.1.4.3
for open tender for engagement of dredging contractor?
Why the tender floated on November 2015 was limited for maintenance dredging at
5 6.1.4.3 Jellingham only and not for other parts of the channel? As a result, the tender had to be
discharged later.
The dredged material dumped in the river is re-circulated toward the shipping channel
which was backed by Bhaba Atomic Reserch Centre and Ministry of Shipping as well.
6 6.1.5.3 (a)
Inspite of that why no corrective measure has been taken up by the KoPT to avoid re-
circulation of dredged materials?
Why KoPT continued dumping of dredged material at Eden dumping ground beyond
7 6.1.5.1 (b) the time limit of 12 months as prescribed by IIT, Madras which has subsequently
resulted in dredging at Lower Eden?

आज की परिस्थितियों को देखते हुए, सभी का प्रधान उद्देश्य है, बालक-बालिकाओं को योग्य एवं
उत्तरदायी नागरिक बनाना। टेलीविज़न, इंटरनेट तथा मोबाइल ने बच्चों के मानसिक क्षितिज
का अपूर्व विस्तार किया है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हम एक नवीन पुस्तक-
माला ताना-बाना आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। इसमें जीवन की विभिन्न नीतियों,
विविधताओं तथा कलाओं का ताना-बाना बाल कथाओं के माध्यम से बुना गया है। पुस्तकों में
जातक कथाओं, पंचतंत्र की कहानियों, विश्व बाल साहित्य, जीवनियों, पौराणिक तथा परी कथाओं
एवं पर्यावरण, देश-प्रेम और नारी उत्थान की कहानियों को उचित स्थान दिया गया है। संपूर्ण
पुस्तक-माला का विशेष आकर्षण उसकी कलात्मक एवं सुरुचिपूर्ण चित्रकला है। पाठों की
पुनरावृत्ति के लिए प्रत्येक पुस्तक के अन्त में प्रश्न-संग्रह दिया गया है। आशा है कि यह
पुस्त-माला अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल रहेगी। पुस्तकों में सुधार के लिए पाठकों के
सुझावों का स्वागत है। - लेखकगण

गोलमटोल राम

गोलमटोल राम शहर का सबसे बड़ा आदमी था। वह नारियलके पेड़ से भी ऊँ चा था और के ले


के पेड़ से भी चौड़ा। वह जिस महल में काम करता था, वहाँ के दरवाज़ों में झुककर घुसता ता.
गोलमटोल राम महल के दरवाज़ों, खिड़कियों और झरोखों की सफ़ाई का काम करता था उसे
खिड़कियों और झरोखों की सफ़ाई के लिए किसी सीढ़ी की आवश्यकता नहीं पड़ती थी। सीढ़ी तो
उसके घुटने से बी नीचे तक आती थी। एक दिन राजा का एक दूत डंका बजाते हु्ए राजकु मारी
की शादी का संदेश लाया। गोलमटोल राम ने शादी में जाने का फै सला कर लिया। परंतु
समस्या यह थी कि उसके पास जो कपड़े थे, वे फट चुके थे; जूते घिस चुके थे और टोपी खराब
हो चुकी थी। गोलमटोल राम ने सोचा कि शादी में जाने के लिए उसे नए कपड़े खरीदने
चाहिएँ। पहले वह टोपी खरीदने निकल पड़ा। गोलमटोल राम ने टोपियाँ पहनकर देखीं। सभी
टोपियाँ उसे छोटी थीं। उसने सोचा कि टोपी को रहने देता हूँ। फिर उसने सोचा कि वह टोकरी
को टोपी की तरह पहन लेगा। इसलिए पहले नए जूते खरीद लेता हैँ। वह जूते की दुकान पर
पहुँच गया। उसने हर प्रकार के जूते पहनने की कोशिश की, परंतु वे उसके पाँव के लिए छोटे
थे। दुकानदार ने उससे कहा कि क्यों न तुम किसी दर्जीं से अपने कपड़े सिलवा लो। गोलपटोल
राम को यह बात बहुत अच्छी लगी। वह तुरंत दर्ज़ी के पास चला गया। अब दर्ज़ी उसका नाप
लेने लगा। लेकिन सीढ़ी पर चढ़ने के बाद भी वह गोलमटोल राम का नाप नहीं ले पाया। उसने
कपड़े सिलने से मना कर दिया। गोलमटोल राम उदास होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया। तभी
एक टोकरी बेचने वाला वहाँ से गुज़ारा। गोलमटोल राम ने उसे बुलाया, “रुको! रुको!”टोकरी बेचने
वाला रुक गया। गोलमटोल राम ने उससे सबसे बड़े आकार की टोकरी माँगी। टोकरी बेचने वाले
ने सबसे बड़ी टोकरी उसे दे दी। टोकरी पर खूबसूरत पीले और लाल फू ल बने थे।

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