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ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

ॐ पूजन विधि ॐ

ॐ ॐ
श्री हनुमानजी की ननत्य पूजा में साधक शुद्ध वस्त्र (यथा सं भव लाल) पहनकर
पूवव अथवा उत्तर की ओर मुख करके बैठ साधना में सहायक श्री हनुमान जी की
ॐ मूनतव, चित्र अथवा तांबे या भोज पत्र पर अंनकत यं त्र सामने रखें। पूजन सामग्री ॐ
में लाल पुष्प, अक्षत्, चसन्दूर का प्रयोग होता है। प्रसाद में बून्दी, भुने िने व
चिर ज ं ी दाना तथा नाररयल िढ़ता है। साधक हाथ में अक्षत् व पुष्प लेकर

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ॐ ननम्नचलचखत मं त्र से श्री हनुमानजी का ध्यान करें । ॐ
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ॐ ॐ
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ॐ ॐ
st
In

ॐ ॐ

ॐ ॐ
अतुचलतबलधामं हेमशैलाभदे हं, दनुजवनकृ शानुं ज्ञानननामग्रगण्यम्। सकलगुणननधानं
वानराणामधीशं , रघुपनत नप्रयभक्तंवातजातं नमामी।।मनोजवं मारुततुल्यवेगं चजतेचियं
बुनद्धमतां वररष्ठम् । वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।।
ॐ ॐ

इसके उपरान्त पुष्प, अक्षत् आनद अनपवत कर िालीसा का पाठ करें। पाठ
ॐ समाप्तकर ॐ हनु हनु हनु हनुमते नमः मं त्र का िन्दन आनद की माला से १०८ ॐ
बार जाप नवशेष फलदायी है।

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

संकटमोचन हनुमान अष्टक पाठ ॐ


ॐ ॐ

बाल समय रनव भचक्ष चलयो तब, तीनहं लोक भयो अंचधयारों।
ॐ ॐ
तानह सो त्रास भयो जग को, यह सं कट काह सों जात न टारो।

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ॐ दे वन आनन करी नवनती तब, छानि नदयो रनव कष्ट ननवारो।। ॐ
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को नहीं जानत है जग में कनप, सं कटमोिन नाम नतहारो। १।
ॐ ॐ
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बाचल की त्रास कपीस बसै नगरर, जात महाप्रभु पं थ ननहारो।

ॐ ि नं क महामुनन शाप नदयो तब, िानहए क न नबिार नबिारो। ॐ


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कै निज रूप चलवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक ननवारो।।


In

ॐ ॐ
को नहीं जानत है जग में कनप, सं कटमोिन नाम नतहारो। २।


अंगद के सं ग लेन गए चसय, खोज कपीश यह बैन उिारो। ॐ

जीवत ना बचिह हम सो जु, नबना सुचध लाये इहााँ पगु धारो।


ॐ हेरी थके तट चसन्धु सबै तब, लाए चसया-सुचध प्राण उबारो।। ॐ

को नहीं जानत है जग में कनप, सं कटमोिन नाम नतहारो। ३।


ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

रावण त्रास दई चसय को तब, राक्षचस सो कही सोक ननवारो।


ॐ तानह समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीिर मारो। ॐ

िाहत सीय असोक सों आनगसु, दै प्रभु मुनिका सोक ननवारो।।


ॐ ॐ
को नहीं जानत है जग में कनप, सं कटमोिन नाम नतहारो। ४।
ॐ बान लग्यो उर लचछमन के तब, प्राण तजे सुत रावन मारो। ॐ

लै गृह बैद्य सुषन


े समेत, तबै नगरर िोण सुबीर उपारो।

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ॐ ॐ
आनन सं जीवन हाथ दई तब, लचछमन के तुम प्रान उबारो।।
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ॐ को नहीं जानत है जग में कनप, सं कटमोिन नाम नतहारो। ५। ॐ
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रावन युद्ध अजान नकयो तब, नाग नक फांस सबै चसर डारो।
ॐ ॐ
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श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह सं कट भारो।


In


आनन खगेस तबै हनुमान जु, बं धन कानट सुत्रास ननवारो।। ॐ

को नहीं जानत है जग में कनप, सं कटमोिन नाम नतहारो। ६।


ॐ ॐ
बं धु समेत जबै अनहरावन, लै रघुनाथ पताल चसधारो।
दे वनहं पूचज भली नवचध सों बचल, दे उ सबै नमचल मन्त्र नविारो। ॐ

जाये सहाए भयो तब ही, अनहरावन सैन्य समेत सं हारो।।
ॐ ॐ
को नहीं जानत है जग में कनप, सं कटमोिन नाम नतहारो। ७।

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
काज नकये बि दे वन के तुम, बीर महाप्रभु दे चख नबिारो।
क न सो सं कट मोर गरीब को, जो तुमसो ननहं जात है टारो। ॐ

बेनग हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु सं कट होए हमारो।।
ॐ ॐ
को नहीं जानत है जग में कनप, सं कटमोिन नाम नतहारो। ८।

ॐ ॐ

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ॐ ॐ
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ॐ ॐ
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ॐ ॐ
st
In

ॐ ॐ
।। दोहा ।।
ॐ ॐ
लाल दे ह लाली लसे, अरु धरर लाल लं गूर।


बज्र दे ह दानव दलन, जय जय जय कनप सूर।। ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

संकटमोचन हनुमान अष्टक हहन्दी अनुिाद


ॐ सठठत ॐ

ॐ ॐ

बाल समय रनव भचक्ष चलयो तब, तीनहं लोक भयो अंचधयारों।
ॐ ॐ
तानह सो त्रास भयो जग को, यह सं कट काह सों जात न टारो।

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ॐ दे वन आनन करी नवनती तब, छानि नदयो रनव कष्ट ननवारो।। ॐ
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को नहीं जानत है जग में कनप, सं कटमोिन नाम नतहारो।।
ॐ ॐ
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अथव – हे हनुमान जी आपने अपने बाल्यावस्था में सूयव को ननगल ॐ



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चलया था चजससे तीनों लोक में अंधकार फ़ैल गया और सारे सं सार
In

ॐ में भय व्याप्त हो गया। ॐ

इस सं कट का नकसी के पास कोई समाधान नहीं था। तब


ॐ ॐ
दे वताओं ने आपसे प्राथवना की और आपने सूयव को छोि नदया और
ॐ इस प्रकार सबके प्राणों की रक्षा हई। ॐ

सं सार में ऐसा क न है जो आपके सं कटमोिन नाम को नहीं


ॐ ॐ
जानता।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
बाचल की त्रास कपीस बसै नगरर, जात महाप्रभु पं थ ननहारो।
ि नं क महामुनन शाप नदयो तब, िानहए क न नबिार नबिारो।
ॐ ॐ
कै निज रूप चलवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक ननवारो।।
ॐ को नहीं जानत है जग में कनप, सं कटमोिन नाम नतहारो।। ॐ

ॐ ॐ

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ॐ ॐ
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ॐ ॐ
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ॐ ॐ
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अथव – बाचल के डर से सुग्रीव ऋष्यमूक पववत पर रहते थे। एक


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ॐ ॐ
नदन सुग्रीव ने जब राम लक्ष्मण को वहां से जाते देखा तो उन्हें
बाचल का भेजा हआ योद्धा समझ कर भयभीत हो गए। ॐ

तब हे हनुमान जी आपने ही ब्राह्मण का वेश बनाकर प्रभु श्रीराम
ॐ का भेद जाना और सुग्रीव से उनकी नमत्रता कराई। ॐ

सं सार में ऐसा क न है जो आपके सं कटमोिन नाम को नहीं


ॐ ॐ
जानता।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
अंगद के सं ग लेन गए चसय, खोज कपीश यह बैन उिारो।
जीवत ना बचिह हम सो जु, नबना सुचध लाये इहााँ पगु धारो।
ॐ ॐ
हेरी थके तट चसन्धु सबै तब, लाए चसया-सुचध प्राण उबारो।।
ॐ को नहीं जानत है जग में कनप, सं कटमोिन नाम नतहारो।। ॐ

ॐ ॐ

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ॐ ॐ
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ॐ ॐ
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ॐ ॐ
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अथव – जब सुग्रीव ने आपको अंगद, जामवं त आनद के साथ सीता


In

ॐ ॐ
की खोज में भेजा तब उन्होंने कहा नक जो भी नबना सीता का पता
लगाए यहााँ आएगा उसे मैं प्राणदंड दूंगा। जब सारे वानर सीता को ॐ

ढूाँ ढ़ते ढूाँ ढ़ते थक कर और ननराश होकर समुि तट पर बैठे थे तब
ॐ आप ही ने लं का जाकर माता सीता का पता लगाया और सबके ॐ

प्राणों की रक्षा की। सं सार में ऐसा क न है जो आपके सं कटमोिन


ॐ ॐ
नाम को नहीं जानता।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
रावण त्रास दई चसय को तब, राक्षचस सो कही सोक ननवारो।

ॐ तानह समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीिर मारो। ॐ

िाहत सीय असोक सों आनगसु, दै प्रभु मुनिका सोक ननवारो।।


ॐ ॐ
को नहीं जानत है जग में कनप, सं कटमोिन नाम नतहारो।।

ॐ ॐ

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ॐ ॐ
df
ॐ ॐ
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ॐ ॐ
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अथव – रावण के नदए कष्टों से पीनित और दुखी माता सीता जब


In

ॐ ॐ
अपने प्राणों का अंत कर लेना िाहती थी तब हे हनुमान जी आपने

ॐ बिे बिे वीर राक्षसों का सं हार नकया। अशोक वानटका में बैठी ॐ

सीता दुखी होकर अशोक वृक्ष से अपनी चिता के चलए आग मांग


ॐ ॐ
रही थी तब आपने श्रीराम जी की अंगूठी देकर माता सीता के दुखों
का ननवारण कर नदया। सं सार में ऐसा क न है जो आपके ॐ

सं कटमोिन नाम को नहीं जानता।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

ॐ बान लग्यो उर लचछमन के तब, प्राण तजे सुत रावन मारो। ॐ

लै गृह बैद्य सुषन


े समेत, तबै नगरर िोण सुबीर उपारो।
ॐ ॐ
आनन सं जीवन हाथ दई तब, लचछमन के तुम प्रान उबारो।।

ॐ को नहीं जानत है जग में कनप, सं कटमोिन नाम नतहारो।। ॐ

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ॐ ॐ
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अथव – जब मेघनाद ने लक्ष्मण पर शनक्त का प्रहार नकया और
ॐ ॐ
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लक्ष्मण मूचछव त हो गए तब हे हनुमान जी आप ही लं का से सुषण

ॐ वैद्य को घर सनहत उठा लाए और उनके परामशव पर िोण पववत ॐ
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उखािकर सं जीवनी बूटी लाकर दी और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा


In

ॐ ॐ
की।
ॐ सं सार में ऐसा क न है जो आपके सं कटमोिन नाम को नहीं ॐ

जानता।
ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

ॐ बं धु समेत जबै अनहरावन, लै रघुनाथ पताल चसधारो। ॐ

दे वनहं पूचज भली नवचध सों बचल, दे उ सबै नमचल मन्त्र नविारो।
ॐ ॐ
जाये सहाए भयो तब ही, अनहरावन सैन्य समेत सं हारो।।

ॐ को नहीं जानत है जग में कनप, सं कटमोिन नाम नतहारो।। ॐ

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ॐ ॐ
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अथव – लं का युद्ध में रावण के कहने पर जब अनहरावण छल से
ॐ ॐ
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राम लक्ष्मण का अपहरण करके पाताल लोक ले गया और अपने
ॐ दे वता के सामने उनकी बचल दे ने की तैयारी कर रहा था। ॐ
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तब हे हनुमान जी आपने ही राम जी की सहायता की और


In

ॐ ॐ
अनहरावण का सेना सनहत सं हार नकया।
ॐ सं सार में ऐसा क न है जो आपके सं कटमोिन नाम को नहीं ॐ

जानता।
ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ

ॐ रावन युद्ध अजान नकयो तब, नाग नक फांस सबै चसर डारो। ॐ

श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह सं कट भारो।


ॐ ॐ
आनन खगेस तबै हनुमान जु, बं धन कानट सुत्रास ननवारो।।
ॐ को नहीं जानत है जग में कनप, सं कटमोिन नाम नतहारो।। ॐ

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ॐ ॐ
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अथव – रावण ने युद्ध में राम लक्ष्मण को नागपाश में बांध नदया।
ॐ ॐ
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तब श्रीराम जी की सेना पर घोर सं कट आ गई।
ॐ तब हे हनुमान जी आपने ही गरुि को बुलाकर राम लक्ष्मण को ॐ
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नागपाश के बं धन से मुक्त कराया और श्रीराम जी की सेना पर


In

ॐ ॐ
आए सं कट को दूर नकया।
ॐ सं सार में ऐसा क न है जो आपके सं कटमोिन नाम को नहीं ॐ

जानता।
ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
काज नकये बि दे वन के तुम, बीर महाप्रभु दे चख नबिारो।
क न सो सं कट मोर गरीब को, जो तुमसो ननहं जात है टारो। ॐ

बेनग हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु सं कट होए हमारो।।
ॐ ॐ
को नहीं जानत है जग में कनप, सं कटमोिन नाम नतहारो।।

ॐ अथव – हे हनुमान जी, आप नविार के दे चखये आपने दे वताओं के ॐ

बिे बिे काम नकये हैं। मेरा ऐसा क न सा सं कट है जो आप दूर

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ॐ ॐ
नहीं कर सकते। हे हनुमान जी आप जल्दी से मेरे सभी सं कटों को
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ॐ हर लीचजये। सं सार में ऐसा क न है जो आपके सं कटमोिन नाम ॐ
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को नहीं जानता।
ॐ ॐ
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।। दोहा ।।
In

ॐ ॐ
लाल दे ह लाली लसे, अरु धरर लाल लं गूर।
ॐ ॐ
बज्र दे ह दानव दलन, जय जय जय कनप सूर।।


अथव – हे हनुमान जी, आपके लाल शरीर पर चसंदरू शोभायमान ॐ

है। आपका वज्र के समान शरीर दानवों का नाश करने वाली है।
ॐ ॐ
आपकी जय हो, जय हो, जय हो।

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ


श्री हनुमान जी की आरती ॐ

ॐ ॐ
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से नगररवर कांपे। रोग दोष जाके ननकट न झांके।।
ॐ अंजनन पुत्र महाबलदायी। सं तान के प्रभु सदा सहाई। ॐ

दे बीरा रघुनाथ पठाए। लं का जारी चसया सुध लाए।

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ॐ ॐ

लं का सो कोट समुि सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।


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ॐ लं का जारी असुर सं हारे। चसयारामजी के काज सं वारे। ॐ
ap

ॐ लक्ष्मण मूचछव त पिे सकारे। आचण सं जीवन प्राण उबारे। ॐ


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पैठी पताल तोरर जमकारे। अनहरावण की भुजा उखािे।


In

ॐ ॐ
बाएं भुजा असुर दल मारे। दानहने भुजा सं तजन तारे।
सुर-नर-मुनन जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उिारे।
ॐ ॐ
कं िन थार कपूर ल छाई। आरती करत अंजना माई।
लं कनवध्वं स कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरनत गाई।
ॐ ॐ

जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।


ॐ ॐ
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

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ॐ ॐ
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ॐ ॐ
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ॐ ॐ
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In

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

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