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होम ो के पाठ एवं उसका फल:- ( ेम शंकर िम )

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Wednesday, 06 Mar, 8.59 am जनता की आवाज

१ : बटु क भैरव ो : इस ो के पाठ करने मा से महामारी राजभय अि भय चोरभय उ ात दु ह् के भय म


घोर बंधन म इस बटु क भैरव का पाठ अित लाभदाई है | तथा हर कार की िस ी हो जाती है | इस योग का कम से
कम १०८ पाठ करना चािहए |

२ : ी सू योग : ी सू योग एक ऐसा योग है िजससे ल ी जी स होकर घर म थर प से िनवास करती


है | इसके ११०० आवृित [ पाठ ] कराने पर िवशेष लाभ होता है |

३ : ी कनकधारा ो : यह ो आ शंकराचाय जी ारा रिचत है िजसके पाठ से ण वषा ई थी | कनकधारा


ो के पाठ करवाने से घर ऑिफस ापार थल म उतरो र वृ होती रहती है कनकधारा म कमला योग से
अ िधक लाभ ा होता है |
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३ : ी मद भागवत गीता : यह महाभारत के भी पव से िलया गया है | इसम भगवान ी कृ ने अजुन को आ ान
िदया तथा कम म लगे रहने के िवषय म बतलाया है | इस के पाठ करवाने से घर म शां ित सुख व् समृ आती है , तथा
सभी दोष पाठ मा से न होते है यह अ ंत लाभकारी है |

४ : ी अखंड रामच रत मानस पाठ : यह तुलसीदास ारा रिचत है | इस मानसम सात कां ड िजसका पारायण [पाठ]
अनवरत है | इसिलए इसे अखंड पाठ कहते है | यह २० से २५ घंटे म पूण होता है | मानस पाठ से घर मे काफी शां ती
तथा यश व कीत बढती हे तथा मनु सही नीती से चलता है |

५ : सुंदर कां ड पाठ : सुंदर कां ड पाठ तुलसीदास ारा रिचत रामच रत मानस से िलया गया है इस पाठ से हनुमान जी
को स िकया जाता है िवशेषतः शनी के कोप को शां त करणे के िलये सुंदरकां ड का पाठ लाभदायक होता है , वैसे
कम से कम १०८ पाठ ा ण के ारा करवाया जाता है |

६ : हनुमान चालीसा : हनुमान चालीसा किलयुग मे मनु के जीवन का आधार है इसका पाठ ायः ितिदन िकया
जाता है | परं तु िवशेष प से ४१ िदन मे ितिदन १०० पाठ कराने से कोई भी मह पूण काय के िलए िकये गया सभी
अनु ान पूण होता है |

७ : बजरं ग बाण : बजरं ग बाण के पाठ से मनु यं सुरि त रहता है | बजरं ग बाण के पाठ से मनु सुरि त राहता
है इसका कम से कम ५२ पाठ करके हवन करने पर िवशेष लाभ ा होता है |

८ : ह र िकतन [ हरे राम हरे कृ ] : भू िक कृपा ा ी तथा घर मे आनंद एवं सुख के िलये तथा स ाग ा ी के
िलये ह र िकतन करवाया जाता है |

९ : ी सुंदर कां ड [ वा की रामायण ] : वा की रामायण के सुंदर कां ड का पाठ करने से संतान बाधा दू र होती है
तथा इसके योग से सारी किठनाइय समा हो जाती है | वा की ारा रिचत सुंदर कां ड एक याि क योग है |
इस पाठ का १०८ पाठ िवशेषतः हवना क प से लाभ दायक है |

१० : ी लिलता सह नामावली : लिलता सह नाम अथात दु गा मातािक ितमूत है | इस सह नाम के पाठ से


अचन व अिभषेक तथा हवन करने से िवशेषतः रोग बाधा दू र होता है |

११ : ी िशव सह नामावली : िशव सह नामावली के कई योग है | इस योग से कई लाभ िमळते है | सह


नामावली के ारा अचन व अिभषेक तथा हवन योग से अपारशां ती िमळती है |

१२ : ी हनुमत सह नामावली : ी हनुमत सह नामावली के योग से िवशेषतः शनी शां ती होती है |

१३ : ी शनी सह नामावली : शनी के कोप या शनी िक साढे साती या अ ा चाल रही हो तो शनी सह नाम का
योग िकया जाता है |

१४ : ी का ायनी दे वी जप : िजस िकसी भी क ा के िववाह मे बाधा आ रही हो या िवलंब हो रहा हो तो का ायनी


दे वी का ४१००० मं का जप केले के प े पर ा ण पान खाकर जप करता है , तो उस क ा के िववाह मे आने वाली
सभी बाधाये दू र हो जाती है | यह अनु ान २१ िदन मे पूण हो जाता है | यह योग अनुभव िस है |

१५ : ी गोपाल सह नाम : जब िकसी भी दं पती को पु या संतान िक ा ी न हो रही हो तो ,वह सदाचार तथा


धािमक पु िक ा ी के िलये गोपाल सह नाम का पाठ करावे |गोपाल मं का सवा लाख जप पु ा ी मे अ ंत
लाभदायक है | यह योग अनुभूत है |

१६ : ी ह रवंश पुराण : ी ह रवंश पुराण कथा का वण अ ंत भावी होता है | िजस िकसी भी प रवार मे संतान न
उ हो रहा हो तो इस पुराण के पारायण [ पाठ ] से घर मे संतान उ ी होती है |यह अनुभूत है तथा , यह ७ िदन
का काय म होता है |

१७ : ी िशव पुराण : ी िशव पुराण मे िशव जी के मिहमा का िह िवशेष वणन है तथा उनके सभी अवतरो का वणन
िकया गया है | यह ावण मास या पु षो म मास मे िवशेष प से पाठ बैठाया जाता है |

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