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 karmkandbyanandpathak  4 years ago  Mantra

नवाणर् मंत्र साधना


िजस तरह से हर एक दे वी दे वता का मूल मंत्र है वैसे ही माँ
दु गार् का सबसे शिक्तशाली और माँ दु गर् की शीघ्र पूणर् कृपा
दे ने वाला जो मंत्र है वो है "नवाणर् मंत्र" | लेिकन इस साधना
में जो सब िविध िवधान है वो िविध िवधान सिहत ही इस मंत्र
का जाप करना चािहये न्यथा उसका फल नहीं िमलता या
िवलम्ब से िमलता है |

नवाणर्मन्त्र

यह मंत्र परम गोपनीय और रहस्यमयी है |


नवाणर् मंत्र के लाभ
इस मंत्रसाधना से माँ दु गार् की पूणर्कृपा प्राप्त होती है | और
यह एक मात्र ऐसा मंत्र है िजन्हके मन्त्र जाप से माँ दु गार् के
िजतने भी स्वरुप है उन सभी स्वरुप का आशीवार्द प्राप्त होता
है | सभी बाधा बांधो से मुिक्त दे ता है यह मंत्र | सभी कष्टों का
िनवारण करता है यह मंत्र | धमर्- थर्-कमर्-मोक्ष चतुिवर् ध
पुरुषाथोर् को दे ने वाला उत्तम मन्त्र है यह नवाणर्मन्त्र | सभी
प्रकार के ऋणों में से मुिक्त दे ता है यह मंत्र, सभी िवलिम्बत
कायोर् में सफलता दे ता है यह मंत्र | सभी नकारात्मक
शिक्तयों को नष्ट कर दे ता है |

इस मंत्र को नवाणर्मन्त्र क्यों कहते है ?


िजस तरह िशव के मूल मंत्र को पंचाक्षरी मंत्र कहते है | इसी
तरह से इस मंत्र को नवाणर् मंत्र कहते है |
बहुत ही काम लोगो को यह ज्ञात है की इसे नवाणर् क्यों कहते
है ?
"ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै िवच्चे"
सभी मंत्रो के आगे ॐ एक दोष मुिक्त के िलये लगाया जाता
है |
िकन्तु नवाणर् यानी"नव" " णर्" यानी क्षर या शब्द थार्त
नवशब्दो से बाना है वो नवाणर्मन्त्र |
इस मंत्र के हर एक शब्द को िगने तो नव होते है | इसिलए
इसे नवाणर्मन्त्र कहते है |

इस मंत्र की साधना कैसे करनी है ?


इस मंत्र की साधना में क्रमशः िविनयोग-न्यास-ध्यान और
उसके बाद मूल मंत्र का आरम्भ करना है |

िकतने मंत्र का नुष्ठान करना चािहए ?


इस मंत्र का मूल नुष्ठान 5 लाख मंत्रो का है | गर आप
चाहो तो इसका प्रथम नुष्ठान 12 हजार मंत्रो का कर सकते
है |
यानी 120 माला का | या िफर प्रितिदन 9 माला भी कर सभी
कायर् सफल बना सकते है |

िविनयोगः ( पने दाहे हाथ में जल पकड़कर इस िविनयोग


को पढ़ने के बाद उस जल को िकसी पात्र में छोड़े या िसफर्
िविनयोग भी पढ़ सकते हो |
ॐ स्य श्रीनवाणर्मन्त्रस्य ब्रह्मिवष्णुरुद्राऋषयः
गायत्र्युिष्णगनुष्टुप्छन्दांिस, श्रीमहाकाली महालक्ष्मी
महासरस्वत्यो दे वताः, ऐं बीजं, ह्रीं शिक्तः, क्लीं कीलकं, श्री
महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती प्रीत्यथेर् जपे िविनयोगः |

न्यास ( इन न्यास मंत्रो को पढ़कर न्यास करे )

ऋष्यािदन्यास
ब्रह्मा िवष्णु रूद्र ऋिषभ्यो नमः िशरिस |
बोलकर पने िसर को दाए हाथ से स्पशर् करे |
गायत्र्युिष्णगनुष्टुप छन्दे भ्यो नमः मुखे |
बोलकर मुख को स्पशर् करे |
श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती दे वताभ्यो नमः हृिद |
बोलकर ह्रदय को स्पशर् करे |
ऐं बीजाय नमः गुह्ये |
बोलकर पने गुप्त भाग को स्पशर् कर पना हाथ पानी से
धोये |
ह्रीं शक्तये नमः पादयोः | बोलकर पने दोनों पैरो को स्पशर्
करे |
क्लीं कीलकाय नमः नाभौ | बोलकर पनी नािभ को स्पशर्
करे |

करन्यास
ॐ ऐं ंगुष्ठाभ्यां नमः | ॐ ह्रीं तजर्नीभ्यां नमः | ॐ क्लीं
मध्यमाभ्यां नमः |
ॐ चामुण्डायै नािमकाभ्यां नमः | ॐ िवच्चे किनिष्ठकाभ्यां
नमः |

हृदयािदन्यास
ॐ ऐं हृदयाय नमः | ॐ ह्रीं िशरसे स्वाहा | ॐ क्लीं िशखायै
वौषट |
ॐ चामुण्डायै कवचाय हुम् | ॐ िवच्चे नेत्रत्रयाय वौषट |

क्षरन्यास
ॐ ऐं नमः िशखायां | ॐ ह्रीं नमः दिक्षण नेत्रे | ॐ कलीम
नमः वामनेत्रे | ॐ चां नमः दिक्षणकणेर् |
ॐ मुं नमः वामकणेर् | ॐ डां नमः दिक्षणनासा पुटे | ॐ िवं
नमः मुखे | ॐ चें नमः | गुह्ये |

िदंगन्यास ( सभी िदशा में नमस्कार करे )


ॐ ऐं प्राच्यै नमः | ॐ ऐं आग्नेयै नमः | ॐ ह्रीं दिक्षणायै
नमः | ॐ ह्रीं नैऋत्यै नमः | ॐ क्लीं प्रतीच्यै नमः |
ॐ क्लीं वायव्यै नमः | ॐ चामुण्डायै उदीच्यै नमः | ॐ
चामुण्डायै ऐशान्यै नमः | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै उध्वार्यै
नमः |
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै भूम्यै नमः |

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श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती का ध्यान धरे |


श्री महाकाली ध्यान
ॐ खड् गं चक्रगदे षु चाप पिरघान शूलं भुशुण्डीं िशरः
शङखं संदधतीं करैस्त्रीनयनां सवार्ङ्गभुषावृतां |
नीलाश्मद्युितमास्यपाददशकां सेवे महाकालीकां
यामस्तौत्स्त्विपते हरौ कमलजो हन्तुं मधुं कैटभं ||

श्री महालक्ष्मी ध्यान


ॐ क्षस्रक्परशुं गदे शुकुलीशं पद्मं धनुष्कुिण्डकां
दण्डं शिक्तमिसं च चमर् जलजं घण्टां सुरभाजनं |
शूलं पाशसुदशर्ने च दधतीं हस्तैः प्रसन्नाननां
सेवे सैिरभमिदर्िनिमह महालक्ष्मीं सरोजिस्थतां ||

श्री महासरस्वती ध्यान


ॐ घण्टाशूलहलािन शंखमुसले चक्रं धनुः सायकं
हस्ताब्जैदर्दधतीं घनान्तिवलसछीतांशुतुल्यप्रभां |
गौिरदे हसमुदभ्वां ित्रजगतांमाधारभूतां महा-
पूवार्मत्र सरस्वतीमनुभजे शुम्भािददै त्यािदर्िनम ||

माँ दु गार् का ध्यान


ॐ िवद्युदामसमप्रभां मृगपितस्कंधिस्थतां भीषणां
कन्यािभः करवालखेटिवलसद्धस्तािभरासेिवतां |
हस्तैश्चक्रगदािसखेटिविशखांश्चापं गुणं तजर्नीं
िबभ्राणांमनलाित्मकां शिशधरां दु गार्ं ित्रनेत्रां भजे ||

यह सभी ध्यान करने के बाद माँ दु गार् के मूल मंत्र नवाणर्मंत्र


का जाप करे |
मंत्र : ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै िवच्चे
बहुत ही सुन्दर तरीके से और स्पष्ट उच्चारण करे | शांतिचत्त
से करे |
माँ दु गार् की पूणर् कृपा प्राप्त होगी |

|| इित नवाणर् मंत्र: ||

|| स्तु ||
|| जय श्री कृष्ण ||

सम्पूणर् नवाणर् मंत्र साधना | नवाणर् मंत्र …

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