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भजन संग्रह कथानक {1} श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

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भजन संग्रह कथानक {2} श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

भजन संग्रह कथानक सूची भजन संग्रह कथानक सूची


1) मंगलाचरण 31)हम हो गये भव से पार
2) मधुराष्टक 32) तेरी पार करै गे नैया
3) गोपी गीत 33) तारा है सारा जमाना
4) कृष्णाष्टकम ् 34) राम नाम के हीरे मोती
5) रूद्राष्टकम ् 35) ऊमा के पड गये सोता
6) प्रात: स्मरणीय वन्दना 36) मै तो बाहर नही तात आऊगा
7) श्रीगोववन्द दामोदर स्तोत्र 37) जो करते रहोगे भजन
8) युगलाष्टकम ् 38) अमत
ृ है हरी नाम
9) गोपीगीत 39) जजसको जीवन में र्मला
10) चतुःु श्लोकी भागवत 40) वाह वाह रे मौज फंकीरा दी
11) गोकणण भागवत 41) मन लागा मोर यार फकीरी में
12) द्वादशज्योततर्लणङ्गातन 42) सुख भी मुझे
13) श्रीराम स्ततु त 43) तेरे फूलो से भी
14) गणेश वन्दना 44) भीष्म स्तुतत इती मती रूप
15) गाइये गणपतत जगबन्धन 45) इतना तो करना स्वामी
16) आओ गजानन आओ 46) क्या भरोषा है इस जजन्दगी का
17) जय गणेश जय गणेश 47) पल दो पल में क्या
18) गुरू दे व दया करके 48) दतु नयां दशणन का है मेला
19) सारे तीरथ धाम आपके 49) हरर कथा सन
ु ाने वाले
20) वज
ृ के नंद लाला 50) वट
ू ी हरी के नाम की
21) बांके बबहारी रे दरू करो 51) ना जाने कौन से गण
ु पर
22) कर दो दरू प्रभू 52) आज हरी आये ववदरु घर
23) चलो रे मन श्री वन्ृ दावन धाम 53) सबसे ऊँची प्रेम सगाई
24) मन चल रे वन्ृ दावन धाम 54) दक्ष यज्ञ ववध्वंस
25) वन्ृ दावन के वट वक्ष
ृ ो पे 55) वम भोले वम भोले वम वम
26) कोई कहै गोववन्द 56) लागी लगन मत तोडना
27) नटवर नागर नंदा 57) मैंने वाध र्लया प्रेम वाला
28) संतन के संग संग लाग रे 58) तुलसी मगन भये
29) जायेगा जव यहां से 59) है प्रीत जहां की रीत सदा
30) जीते भी लकडी 60) कबहू ककयौ ना भजनवा
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61) राम से बडा राम का नाम 91) दतु नया में दे व हजारौ
62) जहां ले चलोगे वही मै चलँ ग
ू ा 92) सीता राम दरस रस
63) हरी का भजन करो 93) भज मन राम चरण
64) हर स्वांस में हो सुर्मरन 94) दतु नयां चले ना
65) मेरे बाँके बबहारी सवररया 95) श्रीराम जानकी बैठे है
66) हे गोववन्द हे गोपाल 96) नंद के आंनद भयौ
67) तेरी मन्द मन्द मुसकतनयां पे 97) चलौ दे ख आवै
68) तेरे नैना वडे रसीले 98) व्रज में है रही जै जै कार
69) तेरे द्वार खडा 99) नंद जू के अंगना में
70) हरी वामन भेष 100) धन्य धन्य व्रज भम
ू ी
71) रूप वामन को 101) रून झन
ु रून झन

72) तेरी लहर मन भाई 102) कन्है यां झल
ू ै पलना
73) भये प्रगट कृपाला 103) जग
ु जग
ु जीवै
74) जनम र्लयौ रघरु ईया 104) राधधका गोरी से
75) जायौ कौशल्या रानी 105) तेरे लाला ने
76) राघव को मैं ना दं ग
ू ा 106) मारै मत मैया
77) चले यज्ञ की रक्षा करने 107) एक ददन ग्वार्लन सव
78) लागल जनकपुर में मेला 108) मेरी ददहये पी गयौ
79) दे खकर राम जी को जनकनंदनी 109) तोय काउ ददन
80) र्शव धनुश तोडा राम ने 110) समझाय लीजौ
81) झुक जईयो तनक रघुवीर 111) अरी मैया कन्हैया की
82) चारौ दल्
ू हा मैं बडका कमाल 112) सुन री यशोदा मैया
83) छोड चले आज हमारे राम 113) छोटी छोटी गइया
84) मेरी नैया में लक्ष्मण राम 114) कालीदह पे खेलन आयौ री
85) मईया री तेंने का ठानी मन में 115) ताण्डव गतत
86) राम भक्त ले चला रे 116) में तो गोवर धन कू
87) राम रामा रटते रटते 117) श्री गोवरधन महाराज
88) बोल बोल कागा 118) धगरराज धरण
89) राम कहानी सुनो रे राम कहानी 119) तेरे सव शंकठ र्मट जाय
90) मेरे लखन दल
ु ारे 120) अपणण करके
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121) गोवर धन वासी सांवरे 151) वन आये की वात
122) वाजै रे मुरर्लया वाजै 152) कैसे ववहाल
123) गोकुल में दे खो 153) मुझे तुमने दाता
124) तेरी अखखयां है 154) र्मलन सात ददन
125) मेरे बांके ववहारी वपया 155) ककसी से उनकी मजन्जल क
126) रास रच्यै है 156) तेरे ऐहसान
127) वासुरी वजावै प्यारौ नन्दलाल 157) आ जाइयो श्याम बरसाने
128) छोड वन्ृ दावववपन 158) ऐसी होरी तोय खखलाऊ
129) कृष्ण लेते है 159) सन
ु ले वष
ृ भान ककशोरी
130) श्री कृष्ण गोववन्द 160) मेरी चन
ु री मै लग गयौ
131) ऊधौ मोय व्रज 161) मक
ु ु ट र्सर मोर का
132) ऊधौ मईया कं 162) तेरी मरु ली दी र्मट्टी तान पे
133) हम प्रेम ददवानी 163) मेरे ददल को
134) पंक्षी ले जा रे 164) भल
ू ो मत प्यारे
135) गोववन्द चले आओ 165) श्याम सपनों में आता क्यों न
136) अपना चन्दा सा 166) बाँके बबहारी की दे ख छटा
137) तेरे वगैर 167) मेरी लगी श्याम संग प्रीत
138) आओ सखी पाती 168) फूलौ में सज रहे है
139) श्याम तन श्याम मन 169) मेरा आपकी कृपा से
140) आओं मेरी सखखयो 170) परदे में बैठे बैठे
141) मेरे सरकार का 171) मोहन से ददल क्यूँ
142) मेने महदी रचाई रे 172) मुझे चरणो से लगा लै
143) तेरा ककसने ककया 173) जगत प्रीत
144) कजरारे मोटे मोटे 174) मेली चादर ओदिके कैसे
145) जरी की पगडी 175) एक कोर कृपा की कर दो
146) दल्
ू हा बने है 176) तुम हमारे प्रभु जी
147) चौक पुरावौ 177) हरी हम कव होंगे
148) मुझे अपनी तू 178) राधा रानी हमारी
149) दे ख र्लया संसार 179) लाडली अद्भुद नजारा
150) अरे द्वार पालो 180) कृष्ण कहने तर जायेगा
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181) सड्डे माखना दा भोग 211) बबहारी व्रज में घर मेरा
182) ऐसा वनादो श्याम 212) मेरे रमण ववहारी लाल
183) नैनन में श्याम समागौ 213) मन मोहन तुम्हें ररझाऊँ
184) आना आना बबहारी 214) है सब से शोभा न्यारी
185) मीठे रस से भरोडी 215) श्याम से नैना कजरारे सखी
186) अभी तो जगाया 216) मोहन नैन आपके
187) मेरो कान्हा गुलाव को 217) तुम्हारी याद आती है
188) ओ कैसे जजऊ में राधारानी 218) मेरा ददल तो ददवाना हा
189) तेरे चरणो मे तो जीवन 219) काली कमली वाला मेरा
190) मेरा ददल तझ
ु पे कुवाण 220) मेरे उठे ववरह की पीर
191) श्याम तेरी वंशी वजै - 221) श्याम के ववन आधी
192) सब कुछ ददया है तम
ु ने 222) श्याम सलौनी सरू त के
193) सवररया ऐसी तान सन
ु ा 223) लगन तम
ु से लगा वैठे
194) भरदे श्याम झोली भर दे 224) मझ
ु े ऐसी लगन तू लगा दे
195) चारो धामो से तनराला 225) तेरी भोली सी सूरत सव
196) मुरली बजाने वाले 226) दे ना हो तो दीजजए जनम
197) तेरे नाम की ओढ़ चुनररया 227) मुझे राधे राधे कहने दे ओ
198) एक वार हमसे सांवरे 228) गोरी कव तक नैन चुरावैगी
199) मांगा है मैंने श्याम से 229) र्मला दो श्याम से ऊधो
200) सहारा र्मलेगा सहारा र्मलेगा 230) गुण रूप भरी श्सामा प्यारी
201) बांके बबहारी की अखखयां 231) काहे तेरी अखखयो में पानी
202) ओ कान्हा तेरी वांसुरी 232) ऐसी लागी लगन मेरा
203) मुरली वजाने वाले 233) नैनन की मोय मार कटारी
204) मै तो बांके की बांकी वन 234) मेरे रं ग में रं ग हर जमाना
205) रात सखी सपने में 235) मोय आन र्मलो घनश्याम
206) मुझको यकीन है आयेगा 236) ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
207) कुछ ना बबगडेगा हरर 237) अनूपम माधुरी जोडी
208) बांके बबहारी से कुज बबहारीसे 238) मन मोहन तुम्हें ररझाऊँ
209) कैसा मेला लगाया तू नेश्याम 239) सुन बरसाने वाली गुलाम
210) प्रेम नगर की डगर है कदठन 240) लूट के ले गया ददल
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241) सूनी गोकुल नगररया आजा 271) मुझे मेरी मस्ती
242) हे लाडली अवसुध लीजै 272) गोववन्द गा ले
243) क्या सोच करे पागल 273) प्रभु तेरी मेहरबानी
244) हम पै भी एक नजर 274) सुने री मैंने तनरबल
245) सदा र्शव सवण वरदाता 275) र्लखन वार्लए
246) ॐ नम: र्शवाय परात्परा 276) यह प्रेम सदा भरपूर रहे
247) हमें राधारानी तेरे 277) ककस दे वता ने आज
248) र्मश्री से भी मीठो 278) भज राधे गोववन्द रे
249) जानकी नाथ सहाय 279) चोला मेरा रं ग दे
250) मरु ली धरा मन मोहना 280) काशी घम
ू लो
251) य जय श्यामा 281) मजन्दर में ना र्मलेंगे
252) हमारो धन राधा 282) ना मैं मीरा ना मैं राधा
253) कृष्ण कहने से तर जायेगा 283) तेरा पल पल बीता
254) ठाकुर हमारे रमण ववहारी 284) भजनारायण-भजनारायण
255) जय राधा माधव जय 285) राजा दशरथ जू के द्वार
256) जय मदन मुरारी 286) सीताराम जी की प्यारी
257) हे कृष्ण गोपाल हरी 287) मुझे रघुवर की सुधध
258) हे बाँकेबबहारी धगररधारी 288) राम रमईया गायेजा राम से
259) नन्हा सा फूल हूँ 289) तेरी मजी का मैं हूँ गुलाम
260) जो शरण गुरु की आया 290) राम जी से पूछे जनकपुर की
261) भगवान के सच्चे भक्तों को 291) कब आयेगा मेरा
262) मुझको ऐसा दो संगीत 292) राधे को नाम अनमोल
263) भाव का भूखा हूँ 293) नन्दोत्सव के पद
264) मानव जनम अनमोल रे 294) आ गया आ गया
265) मैं नहीं मेरा नहीं 295) नन्दरानी की खुली
266) जायेगा जब यहाँ से 296) कान्हा का हुयो अवतार
267) तीन बार भोजन 297) अरी नन्द यशोदा के
268) उठ जाग मस
ु ाकफर 298) ओ बाजै - बाजै री बधाई
269) भक्त को भगवान का 299) एक जोगी खडा तेरे द्वार
270) हुई हमसे नादानी तेरी 300) जजयो श्याम लाला
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301) मैया मोरी मैं नहीं माखन 331) तीनों लोकन से न्यारी
302) मक्खण खा गया बबहारी 332) तेरी बदल जाये तकदीर
303) माँगत माखन रोटी 333) अब तो लगी लगन
304) चोरी चोरी माखन कूँ 334) ये तो प्रेम की बात
305) मतवारी याकी चाल 335) उधो मोहे सन्त लगे
306) आऊँगी कन्हैया बडी भोर 336) श्याम नहीं आये
307) कानों में कुण्डल गल 337) मेरे र्सर पर हाथ रख
308) नैनन में श्याम समायगो 338) मेरी करूणामयी सरकार
309) एक ददन तू मेरी गली 339) कन्हैया ले चल पल्ली पार
310) नयनों में नींद भर आई 340) मुझे तुमने दाता बहुत
311) ऐ श्याम तेरी वंशी पागल 341) कर दो कर दो बेडा
312) तेरी जय हो कुञ्जबबहारी 342) लेलो बबहारी नन्दलाल
313) रे मुरर्लया हरर की 343) अपनी धुन धुन में रहता हूँ
314) वंशी बजाय गयो 344) मेरी खुर्शयों का रहा न
315) जमुना ककनारे मेरो गाँव 345) जय जय राधारमण हरर बोल
316) बाँके बबहारी की बाँकी मरोर 346) सांवररया मीठी-मीठी
317) सांवरे रर्सया से अपनी 347) अपनी वाणी में अमत
ृ घोल
318) नैना लडे मुरर्लया वारे 348) तेरे चरण कमल में
319) सपनों में आने वाले 349) श्रीराधा नाचै कृष्ण नाचै
320) तेरे बबना ददलदार 350) जब हंस अकेला उड
321) चलो रे मन श्रीवन्ृ दावन धाम 351) ककसने सजाया तम
ु को
322) श्री वन्ृ दावन धाम अपार 352) नी मैं हथववच लैंके इकतारा
323) हमारी गली आना 353) मैं तो नाचँग
ू ी तेरे दरबार
324) छटा तेरी तीन लोक से 354) रर्सया को नारर बचाओ री
325) सात कोस बारे मतवारे 355) होरी खेले तो आ जइयो
326) तू एक बार आजा 356) मेरे उठे हृदय में दहलोर
327) छप्पन भोग पद 357) उडतो रं ग गुलाल रर्सया होरी
328) मेरे बांके बबहारी लाल 358) आज बबरज में होरी रे
329) राधे राधे गाये जा 359) फाग खेलन बरसाने
330) हमें तो जोगतनया 360) हम परदे शी फकीर
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भजन संग्रह कथानक सूची भजन संग्रह कथानक सूची


361) आग लगे इन बांसन 391) बीत गए ददन भजन बबना रे
362) जाको प्रेम भयो मनमोहन 392) दरबार में बंशी वाले के
363) तनसददन बरसत नैन हमारे 393) दरबार हजारों दे खे हैं पर
364) नाथ अनाथन की सध
ु लीजै 394) चले जाऐंगे हम बबहारी जी
365) गाइये गणपतत जग वन्दन 395) वन्ृ दावन की गर्लयन डोल
366) गरु
ु मदहमा 396) कृष्ण गोववन्द गोपाल
367) मेरे सतगरु
ु दीनदयाल 397) धगरधर जी की आरती
368) तेरी अँखखयाँ हैं जाद ू भरी 398) छप्पन भोग पद
369) सब काम कर रहे हैं, श्रीराम 399) श्री भागवत भगवान की
370) दाता तेरा मेरा प्यार 400) बालकृष्ण जी की आरती
371) आज अयोध्या की गर्लयों में 401) उतारौ हे सखखयां
372) मुरली बजाके मोहना 402) आरती जय जगदीश हरे
373) मेरा गोपाल धगरधारी 403) आरती श्रीभागवत की
374) मेरी लगी श्याम संग प्रीतत 404) श्यामा तेरी आरती
375) मतवारी जाकी चाल 405) आरती कुञ्ज बबहारी की
376) ककसी के काम जो आए 406) मन में बसाकर तेरी मूततण
377) सुना है तारे हैं तुमने लाखों 407) ददव्य दम्पतत की आरती
378) नन्दलाल प्यारे , यशुदा दल
ु ारे 408) चेतावनी
379) जजस दे श में , जजस वेश में 409) व्रज मदहमा
380) कृष्ण कहने से तर जाएगा 410) प्रेम और ववरह
381) राम का नाम लेकर 411) नाम मदहमा
382) श्री राधे गोपाल भजज मन
383) न तो रूप है , न तो रं ग है
384) थाली भर के ल्याई खीचडौ
385) हो गए भव से पार
386) छोटी सी ककशोरी मेरे
387) सरस ककशोरी, वयस की थोरी
388) प्रेम नगर की डगर है
389) रे मन मरू ख, कब तक
390) मेरे तो धगरधर गोपाल
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भागवत सप्ताहहक कथा भजन भागवत सप्ताहहक कथा भजन


प्रथम हदवस द्ववतीय हदवस
भगवान नाम संकीततन भागवत कथा / भगवत भक्तत का महत्व
जो करते रहोगे भजन
ज्ञान वैराग्य भक्तत का दख
ु अमत है हरी नाम
वज
ृ के नंद लाला नारद जी का पूवत चररत्र
बांके बबहारी रे दरू करो क्जसको जीवन में शमला
कर दो दरू प्रभू वाह वाह रे मौज फंकीरा दी
नारद जी का वंदावन आना मन लागा मोर यार फकीरी में
चलो रे मन श्री वन्दावन धाम कंु ती स्तुनत
मन चल रे वन्दावन धाम सुख भी मुझे
वन्दावन के वट वक्षो पे तेरे फूलो से भी
भक्तत का नत्य भीष्म स्तुनत
कोई कहै गोववन्द भीष्म स्तुनत इती मती रूप
नटवर नागर नंदा इतना तो करना स्वामी
आत्म दे व को संत का आिीवातद परीक्षक्षत को श्राप
संतन के संग संग लाग रे तया भरोषा है इस क्जन्दगी का
धुंधकारी को प्रेत योनन की प्राक्प्त पल दो पल में तया
जायेगा जव यहां से दनु नयां दितन का है मेला
जीते भी लकडी सख
ु दे व आगमन
धुंधकारी उद्धार कथा सन
ु ाने वाले
हम हो गये भव से पार वट
ू ी हरी के नाम की
तेरी पार करै गे नैया सुखदे व जी द्वारा उपदे ि
तारा है सारा जमाना ना जाने कौन से गुण पर
अमर कथा ववदरु घर पदापतण
राम नाम के हीरे मोती आज हरी आये ववदरु घर
ऊमा के पड गये सोता सबसे ऊँची प्रेम सगाई
सख
ु दे व जी से ब्यास का ननवेदन
मै तो बाहर नही तात आऊगा
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भागवत सप्ताहहक कथा भजन भागीरथी कथा / गंगावतरण

ततीय हदवस तेरी लहर मन भाई


राम कथा / राम जन्म
दक्ष यज्ञ ववध्वंस
भये प्रगट कपाला
वम भोले वम भोले वम वम
जनम शलयौ रघुरईया
ध्रव
ु चररत्र जायौ कौिल्या रानी
लागी लगन मत तोडना
ववश्वाशमत्र आगमन
मैंने वाध शलया प्रेम वाला
राघव को मैं ना दं ग
ू ा
जड़ भरत प्रसंग चले यज्ञ की रक्षा करने
तल
ु सी मगन भये जनकपरु प्रवेि
भारत भूशम की महहमा लागल जनकपरु में मेला
है प्रीत जहां की रीत सदा राम शसया प्रथम शमलन
नरकों का वणतन दे खकर राम जी को जनकनंदनी
कबहू ककयौ ना भजनवा धनष
ु भंग राम वववाह

अजाशमल उद्धार शिव धनुि तोडा राम ने


झुक जईयो तनक रघुवीर
राम से बड़ा राम का नाम
चारौ दल्
ू हा मैं बडका कमाल
वत्रासुर स्तुनत
केवट प्रसंग
जहां ले चलोगे वही मै चलँ ग
ू ा
मेरी नैया में लक्ष्मण राम
प्रहलाद चररत्र
छोड चले आज हमारे राम
हरी का भजन करो
भरत शमलाप
हर स्वांस में हो सुशमरन
मईया री तेंने का ठानी मन में
मेरे बाँके बबहारी सवररया
राम भतत ले चला रे
चतुथत हदवस िबरी प्रसंग
गजेंद्र मोक्ष राम रामा रटते रटते
हे गोववन्द हे गोपाल बोल बोल कागा
समुद्र मंथन अिोक वाहटका में हनुमान
तेरी मन्द मन्द मुसकननयां पे राम कहानी सुनो रे राम कहानी
तेरे नैना वडे रसीले लक्ष्मण िक्तत
वामन चररत्र मेरे लखन दल
ु ारे
तेरे द्वार खडा दनु नया में दे व हजारौ
हरी वामन भेष
रूप वामन को
भजन संग्रह कथानक { 11 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

राजगद्दी काली दह
सीता राम दरस रस कालीदह पे खेलन आयौ री
भज मन राम चरण ताण्डव गनत
दनु नयां चले ना धगररराज पज
ू न
श्रीराम जानकी बैठे है
में तो गोवर धन कू
कष्ण जन्म
श्री गोवरधन महाराज
नंद के आंनद भयौ
धगरराज धरण
चलौ दे ख आवै
तेरे सव िंकठ शमट जाय
व्रज में है रही जै जै कार
अपतण करके
नंद जू के अंगना में
गोवर धन वासी सांवरे
धन्य धन्य व्रज भूमी
भागवत सप्ताहहक कथा भजन
रून झुन रून झुन
षष्ठम हदन
कन्हैयां झूलै पलना
भागवत सप्ताहहक कथा भजन महारास
वाजै रे मुरशलया वाजै
पंचम हदवस
गोकुल में दे खो
िंकर आगमन
तेरी अखखयां है
जुग जुग जीवै
मेरे बांके ववहारी वपया
राधधका गोरी से
रास रच्यै है
माटी खामन वासरु ी वजावै प्यारौ नन्दलाल
तेरे लाला ने मथुरा गमन
मारै मत मैया
छोड़ वन्दावववपन
माखन चोरी कष्ण लेते है
एक हदन ग्वाशलन सव कंस वध
मेरी दहहये पी गयौ
श्री कष्ण गोववन्द
तोय काउ हदन
उद्धव प्रसंग
मां से शिकायत ऊधौ मोय व्रज
समझाय लीजौ ऊधौ मईया कं
अरी मैया कन्हैया की हम प्रेम हदवानी
पंक्षी ले जा रे
सन
ु री यिोदा मैया
गोववन्द चले आओ
गोवत्स चारण अपना चन्दा सा
छोटी छोटी गइया तेरे वगैर
आओ सखी पाती
श्याम तन श्याम मन
भजन संग्रह कथानक { 12 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

रुतमणी वववाह ववदाई


आओं मेरी सखखयो शमलन सात हदन
मेरे सरकार का ककसी से उनकी मक्न्जल क
मेने महदी रचाई रे तेरे ऐहसान
तेरा ककसने ककया
कजरारे मोटे मोटे होली भजन
जरी की पगडी आ जाइयो श्याम बरसाने
दल्
ू हा बने है ऐसी होरी तोय खखलाऊ
चौक पुरावौ सुन ले वषभान ककिोरी
मुझे अपनी तू मेरी चुनरी मै लग गयौ
भागवत सप्ताहहक कथा भजन
सप्तम हदन
सुदामा प्रसंग
दे ख शलया संसार
अरे द्वार पालो
वन आये की वात
कैसे ववहाल
मुझे तुमने दाता
भजन संग्रह कथानक { 13 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{1}
मंगलाचरण र्लररक्स
1. वक्रतण्
ु ड महाकाय सय
ू क
ण ोदट समप्रभुः ।
तनववणघ्नं कुरु मे दे व सवण कायेषु सवणदा ॥

2. सजच्चदानन्दरूपाय ववश्वोत्पत्त्याददहे तवे ।


तापत्रयववनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुमुः ॥

ध्येयं सदा पररभवघ्नमभीष्टदोहम ्,


तीथाणस्पदं र्शवववररजञ्चनुतं शरण्यम ् ।
भत्ृ याततणहं प्रणतपाल भवाजधधपोतम ्,
वन्दे महापुरुष ते चरणारववन्दम ् ॥

3. वंशीववभूवषतकरान्नवनीरदाभात ्,
पीताम्बरादरुणबबम्बफलाधरोष्ठात ् ।
पूणेन्दस
ु ुन्दरमुखादरववन्दनेत्रात ्,
कृष्णात्परं ककमवप तत्वमहं न जाने ॥

4. कृष्ण त्वदीय पदपंकजपंजरान्ते,


अद्यैव मे ववशतु मानसराजहं स ।
प्राणप्रयाणसमये कफवातवपत्ैुः,
कण्ठावरोधनववधौ स्मरणं कुतस्ते ॥

5. नारयणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्मम ् ।


दे वीं सरस्वतीं व्यासं ततो जयमुदीरयेत ् ॥

अज्ञान ततर्मरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया |


चक्षुरुन्मीर्लतं येन तस्मै श्री गुरवे नमुः ॥

6.जय जय श्री राधा रमण, जय जय नवल ककशोर ।


भजन संग्रह कथानक { 14 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जय गोपी धचतचोर प्रभु, जय जय माखन चोर ॥

{2}
मधुराष्टक
अधरं मधरु ं वदनं मधरु ं नयनं मधरु ं हर्सतं मधरु ं ।
हृदयं मधरु ं गमनं मधरु ं मधरु ाधधपते रखखलं मधरु ं ॥1॥

वचनं मधुरं चररतं मधुरं वसनं मधुरं वर्लतं मधुरं ।


चर्लतं मधुरं भ्रर्मतं मधुरं मधुराधधपते रखखलं मधुरं ॥2॥

वेणुमध
ण ुरो रे णुमध
ण ुरुः पाखणमणधुरुः पादौ मधुरौ ।
नत्ृ यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधधपते रखखलं मधुरं ॥3॥

गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं ।


रूपं मधुरं ततलकं मधुरं मधुराधधपते रखखलं मधुरं ॥4॥

करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरं ।


वर्मतं मधुरं शर्मतं मधुरं मधुराधधपते रखखलं मधुरं ॥5॥

गञ्
ु जा मधरु ा माला मधरु ा यमन
ु ा मधरु ा वीची मधुरा ।
सर्ललं मधरु ं कमलं मधरु ं मधरु ाधधपते रखखलं मधरु ं ॥6॥

गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं।


दृष्टं मधुरं सष्ृ टं मधुरं मधुराधधपते रखखलं मधुरं ॥7॥

गोपा मधरु ा गावो मधरु ा यजष्टमणधरु ा सजृ ष्टमणधरु ा ।


दर्लतं मधुरं फर्लतं मधुरं मधुराधधपते रखखलं मधुरं ॥8॥
भजन संग्रह कथानक { 15 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{3}

गोपी गीत

गोप्य ऊचुुः ।
जयतत तेऽधधकं जन्मना व्रजुः
श्रयत इजन्दरा शश्वदत्र दह ।
दतयत दृश्यतां ददक्षु तावका-
स्त्वतय धत
ृ ासवस्त्वां ववधचन्वते ॥ १॥
शरदद
ु ाशये साधुजातस-
त्सरर्सजोदरश्रीमुषा दृशा ।
सुरतनाथ तेऽशुल्कदार्सका
वरद तनघ्नतो नेह ककं वधुः ॥ २॥
ववषजलाप्ययाद्व्यालराक्षसा-
द्वषणमारुताद्वैद्युतानलात ् ।
वष
ृ मयात्मजाद्ववश्वतोभया-
दृषभ ते वयं रक्षक्षता मुहुुः ॥ ३॥
न खलु गोवपकानन्दनो भवा-
नखखलदे दहनामन्तरात्मदृक् ।
ववखनसाधथणतो ववश्वगुप्तये
सख उदे तयवान्सात्वतां कुले ॥ ४॥
ववरधचताभयं वजृ ष्णधुयण ते
चरणमीयष
ु ां संसत
ृ ेभणयात ् ।
करसरोरुहं कान्त कामदं
र्शरर्स धेदह नुः श्रीकरग्रहम ् ॥ ५॥
व्रजजनाततणहन्वीर योवषतां
तनजजनस्मयध्वंसनजस्मत ।
भज सखे भवजत्कंकरीुः स्म नो
जलरुहाननं चारु दशणय ॥ ६॥
प्रणतदे दहनां पापकशणनं
भजन संग्रह कथानक { 16 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

तण
ृ चरानुगं श्रीतनकेतनम ् ।
फखणफणावपणतं ते पदांबुजं
कृणु कुचेषु नुः कृजन्ध हृच्छयम ् ॥ ७॥

मधरु या धगरा वल्गव


ु ाक्यया
बुधमनोज्ञया पुष्करे क्षण ।
ववधधकरीररमा वीर मुह्यती-
रधरसीधुनाऽऽप्याययस्व नुः ॥ ८॥
तव कथामत
ृ ं तप्तजीवनं
कववर्भरीडडतं कल्मषापहम ् ।
श्रवणमङ्गलं श्रीमदाततं
भुवव गण
ृ जन्त ते भूररदा जनाुः ॥ ९॥
प्रहर्सतं वप्रय प्रेमवीक्षणं
ववहरणं च ते ध्यानमङ्गलम ् ।
रहर्स संववदो या हृददस्पश
ृ ुः
कुहक नो मनुः क्षोभयजन्त दह ॥ १०॥
चलर्स यद्व्रजाच्चारयन्पशून ्
नर्लनसन्
ु दरं नाथ ते पदम ् ।
र्शलतण
ृ ाङ्कुरै ुः सीदतीतत नुः
कर्ललतां मनुः कान्त गच्छतत ॥ ११॥
ददनपररक्षये नीलकुन्तलै-
वणनरुहाननं बबभ्रदावत
ृ म् ।
घनरजस्वलं दशणयन्मुहु-
मणनर्स नुः स्मरं वीर यच्छर्स ॥ १२॥
प्रणतकामदं पद्मजाधचणतं
धरखणमण्डनं ध्येयमापदद ।
चरणपङ्कजं शंतमं च ते
रमण नुः स्तनेष्वपणयाधधहन ् ॥ १३॥
सरु तवधणनं शोकनाशनं
स्वररतवेणुना सुष्ठु चुजम्बतम ् ।
इतररागववस्मारणं नण
ृ ां
भजन संग्रह कथानक { 17 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

ववतर वीर नस्तेऽधरामत


ृ म ् ॥ १४॥
अटतत यद्भवानजह्न काननं
त्रदु टयग
ुण ायते त्वामपश्यताम ् ।
कुदटलकुन्तलं श्रीमुखं च ते
जड उदीक्षतां पक्ष्मकृद्दृशाम ् ॥ १५॥
पततसुतान्वयभ्रातब
ृ ान्धवा-
नततववलङ्घ्य तेऽन्त्यच्यत
ु ागताुः ।
गततववदस्तवोद्गीतमोदहताुः
ककतव योवषतुः कस्त्यजेजन्नर्श ॥ १६॥
रहर्स संववदं हृच्छयोदयं
प्रहर्सताननं प्रेमवीक्षणम ् ।
बह
ृ दरु ुः धश्रयो वीक्ष्य धाम ते
मुहुरततस्पह
ृ ा मुह्यते मनुः ॥ १७॥
व्रजवनौकसां व्यजक्तरङ्ग ते
वजृ जनहन््यलं ववश्वमङ्गलम ् ।
त्यज मनाक् च नस्त्वत्स्पह
ृ ात्मनां
स्वजनहृद्रज
ु ां यजन्नषूदनम ् ॥ १८॥
यत्े सज
ु ातचरणाम्बरु
ु हं स्तनेष
भीताुः शनैुः वप्रय दधीमदह ककणशेषु ।
तेनाटवीमटर्स तद्व्यथते न ककंजस्वत ्
कूपाणददर्भभ्रणमतत धीभणवदायुषां नुः ॥ १९॥
इतत श्रीमद्भागवत महापुराणे पारमहं स्यां संदहतायां
दशमस्कन्धे पूवाणधे रासक्रीडायां गोपीगीतं नामैकबत्रंशोऽध्यायुः ॥

{4}
कष्णाष्टकम ्

भजे व्रजैक मण्डनम ्, समस्त पाप खण्डनम ्,


स्वभक्त धचत् रञ्जनम ्, सदै व नन्द नन्दनम ्,
सुवपन्छ गुच्छ मस्तकम ् , सुनाद वेणु हस्तकम ् ,
अनङ्ग रङ्ग सागरम ्, नमार्म कृष्ण नागरम ् ॥ १ ॥
भजन संग्रह कथानक { 18 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मनोज गवण मोचनम ् ववशाल लोल लोचनम ्,


ववधूत गोप शोचनम ् नमार्म पद्म लोचनम ्,
करारववन्द भूधरम ् जस्मतावलोक सुन्दरम ्,
महे न्द्र मान दारणम ्, नमार्म कृष्ण वारणम ् ॥ २ ॥

कदम्ब सून कुण्डलम ् सुचारु गण्ड मण्डलम ्,


व्रजान्गनैक वल्लभम नमार्म कृष्ण दल
ु भ
ण म.
यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया,
युतम सुखैक दायकम ् नमार्म गोप नायकम ् ॥ ३ ॥
सदै व पाद पङ्कजम मदीय मानसे तनजम ्,
दधानमुत्मालकम ् , नमार्म नन्द बालकम ्,
समस्त दोष शोषणम ्, समस्त लोक पोषणम ्,
समस्त गोप मानसम ्, नमार्म नन्द लालसम ् ॥ ४ ॥
भुवो भरावतारकम ् भवाजधद कणण धारकम ्,
यशोमती ककशोरकम ्, नमार्म धचत् चोरकम ्.
दृगन्त कान्त भङ्धगनम ् , सदा सदालसंधगनम ्,
ददने ददने नवम ् नवम ् नमार्म नन्द संभवम ् ॥ ५ ॥
गुणाकरम ् सुखाकरम ् क्रुपाकरम ् कृपापरम ् ,
सरु द्ववषजन्नकन्दनम ् , नमार्म गोप नन्दनम ्.
नवीनगोप नागरम नवीन केर्ल लम्पटम ् ,
नमार्म मेघ सन्
ु दरम ् तधथत प्रभालसथ्पतम ् ॥ ६ ॥
समस्त गोप नन्दनम ् , ह्रुदम्बुजैक मोदनम ्,
नमार्म कुञ्ज मध्यगम ्, प्रसन्न भानु शोभनम ्.
तनकामकामदायकम ् दृगन्त चारु सायकम ्,
रसालवेनु गायकम, नमार्म कुञ्ज नायकम ् ॥ ७ ॥
ववदग्ध गोवपका मनो मनोज्ञा तल्पशातयनम ्,
नमार्म कुञ्ज कानने प्रवद्
ृ ध वजह्न पातयनम ्.
ककशोरकाजन्त रजञ्जतम, द्रग
ु न्जनम ् सश
ु ोर्भतम,
गजेन्द्र मोक्ष काररणम, नमार्म श्रीववहाररणम ॥ ८ ॥
यथा तथा यथा तथा तदै व कृष्ण सत्कथा ,
मया सदै व गीयताम ् तथा कृपा ववधीयताम.
भजन संग्रह कथानक { 19 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

प्रमातनकाश्टकद्वयम ् जपत्यधीत्य युः पुमान ,


भवेत ् स नन्द नन्दने भवे भवे सुभजक्तमान ॥ ९ ॥

{5}
रूद्राष्टकम ्
नमामीशमीशान तनवाणणरूपं
ववभंु व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम ् ।
तनजं तनगण
ुण ं तनववणकल्पं तनरीहं
धचदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम ् ॥ १॥

तनराकारमोंकारमूलं तुरीयं
धगरा ज्ञान गोतीतमीशं धगरीशम ् ।
करालं महाकाल कालं कृपालं
गुणागार संसारपारं नतोऽहम ् ॥ २॥
तष
ु ारादद्र संकाश गौरं गभीरं
मनोभूत कोदटप्रभा श्री शरीरम ् ।
स्फुरन्मौर्ल कल्लोर्लनी चारु गङ्गा
लसद्भालबालेन्द ु कण्ठे भुजङ्गा ॥ ३॥
चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं ववशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम ् ।
मग
ृ ाधीशचमाणम्बरं मुण्डमालं
वप्रयं शंकरं सवणनाथं भजार्म ॥ ४॥
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परे शं
अखण्डं अजं भानक
ु ोदटप्रकाशम ् ।
त्रयुः शूल तनमल
ूण नं शूलपाखणं
भजेऽहं भवानीपततं भावगम्यम ् ॥ ५॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
धचदानन्द संदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ ६॥
न यावत ् उमानाथ पादारववन्दं
भजन संग्रह कथानक { 20 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

भजन्तीह लोके परे वा नराणाम ् ।


न तावत ् सुखं शाजन्त सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सवणभूताधधवासम ् ॥ ७॥

न जानार्म योगं जपं नैव पज


ू ां
नतोऽहं सदा सवणदा शम्भु तुभ्यम ् ।
जरा जन्म दुःु खौघ तातप्यमानं
प्रभो पादह आपन्नमामीश शम्भो ॥ ८॥
रुद्राष्टकर्मदं प्रोक्तं ववप्रेण हरतोषये ।
ये पठजन्त नरा भक्त्या तेषां शम्भुःु प्रसीदतत ॥
॥ इतत श्रीगोस्वार्मतुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं संपूणम
ण ्॥

{6}
प्रात: स्मरणीय वन्दना

. वक्रतण्
ु ड महाकाय सूयक
ण ोदट समप्रभुः ।
तनववणघ्नं कुरु मे दे व सवण कायेषु सवणदा ॥

2. सजच्चदानन्दरूपाय ववश्वोत्पत्त्याददहे तवे ।


तापत्रयववनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नम
ु ुः ॥

ध्येयं सदा पररभवघ्नमभीष्टदोहम ्,


तीथाणस्पदं र्शवववररजञ्चनुतं शरण्यम ् ।
भत्ृ याततणहं प्रणतपाल भवाजधधपोतम ्,
वन्दे महापरु
ु ष ते चरणारववन्दम ् ॥

3. वंशीववभवू षतकरान्नवनीरदाभात ्,
पीताम्बरादरुणबबम्बफलाधरोष्ठात ् ।
पूणेन्दस
ु ुन्दरमुखादरववन्दनेत्रात ्,
कृष्णात्परं ककमवप तत्वमहं न जाने ॥
भजन संग्रह कथानक { 21 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{7}
श्रीगोववन्द दामोदर स्तोत्र

करारववन्दे न पदारववन्दं मुखारववन्दे ववतनवेशयन्तम ्।

वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरार्म।।

जजन्होंने अपने करकमल से चरणकमल को पकड कर उसके अंगूठे को अपने मुखकमल में
डाल रखा है और जो वटवक्ष
ृ के एक पणणपुट (पत्े के दोने) पर शयन कर रहे हैं, ऐसे बाल
मुकुन्द का मैं मन से स्मरण करता हूँ।
श्रीगोववन्द दामोदर स्तोत्रम ्

श्रीकृष्ण गोववन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव।

जजह्वे वपवस्वामत
ृ मेतदे व गोववन्द दामोदर माधवेतत।।

हे जजह्वे ! तू ‘श्रीकृष्ण ! गोववन्द ! हरे ! मरु ारर ! हे नाथ ! नारायण ! वासद


ु े व ! तथा
गोववन्द ! दामोदर ! माधव !’-इस नामामत
ृ का ही तनरन्तर प्रेमपव
ू क
ण पान करती रह।

ववक्रेतक
ु ामाखखलगोपकन्या मरु ाररपादावपणतधचत्ववृ त्:।

दध्याददकं मोहवशादवोचद् गोववन्द दामोदर माधवेतत।।

जजनकी धचत्ववृ त् मुरारर के चरणकमलों में लगी हुई है , वे सभी गोपकन्याएं दध


ू -दही बेचने की
इच्छा से घर से चलीं। उनका मन तो मुरारर के पास था; अत: प्रेमवश सध ु -बुध भूल जाने के
कारण ‘दही लो दही’ इसके स्थान पर जोर-जोर से ‘गोववन्द ! दामोदर ! माधव !’ आदद
पक
ु ारने लगीं।

गह
ृ े गह
ृ े गोपवधूकदम्बा: सवे र्मर्लत्वा समवाप्य योगम ्।

पुण्यातन नामातन पठजन्त तनत्यं गोववन्द दामोदर माधवेतत।।

व्रज के प्रत्येक घर में गोपांगनाएं एकत्र होने का अवसर पाने पर झुंड-की-झुंड आपस में
र्मलकर उन मनमोहन माधव के ‘गोववन्द, दामोदर, माधव’ इन पववत्र नामों को तनत्य पढ़ा
करती हैं।

सुखं शयाना तनलये तनजेऽवप नामातन ववष्णो: प्रवदजन्त मत्याण:।

ते तनजश्चतं तन्मयतां व्रजजन्त गोववन्द दामोदर माधवेतत।।


भजन संग्रह कथानक { 22 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

अपने घर में ही सुख से शय्या पर शयन करते हुए भी जो लोग ‘हे गोववन्द ! हे दामोदर ! हे
माधव !’ इन ववष्णभु गवान के पववत्र नामों को तनरन्तर कहते रहते हैं, वे तनश्चय ही भगवान
की तन्मयता प्राप्त कर लेते हैं।

जजह्वे सदै वं भज सुन्दराखण नामातन कृष्णस्य मनोहराखण।

समस्त भक्ताततणववनाशनातन गोववन्द दामोदर माधवेतत।।

हे जजह्वे ! तू सदा ही श्रीकृष्णचन्द्र के ‘हे गोववन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !’ इन मनोहर


मंजुल नामों को, जो भक्तों के समस्त संकटों की तनववृ त् करने वाले हैं, भजती रह।

सुखावसाने इदमेव सारं द:ु खावसाने इदमेव ज्ञेयम ्।

दे हावसाने इदमेव जाप्यं गोववन्द दामोदर माधवेतत।।

सुख के अंत में यही सार है , द:ु ख के अंत में यही गाने योग्य है और शरीर का अंत होने के
समय भी यही मन्त्र जपने योग्य है , कौन-सा मन्त्र? यही कक ‘हे गोववन्द ! हे दामोदर ! हे
माधव !’

जजह्वे रसज्ञे मधुर वप्रया त्वं सत्यं दहतं त्वां परमं वदार्म।

आवणणयेथा मधुराक्षराखण गोववन्द दामोदर माधवेतत।।

हे रसों को चखने वाली जजह्वे ! तुझे मीठी चीज बहुत अधधक प्यारी लगती है , इसर्लए मैं तेरे
दहत की एक बहुत ही सन् ु दर और सच्ची बात बताता हूँ। तू तनरन्तर ‘हे गोववन्द ! हे दामोदर
! हे माधव !’ इन मधुर मंजुल नामों की आववृ त् ककया कर।

त्वामेव याचे मम दे दह जजह्वे समागते दण्डधरे कृतान्ते।

वक्तव्यमेवं मधुरं सुभक्त्या गोववन्द दामोदर माधवेतत।।

हे जजह्वे! मैं तझ
ु ी से एक र्भक्षा मांगता हूँ, तू ही मझ
ु े दे । वह यह कक जब दण्डपाखण यमराज
इस शरीर का अन्त करने आवें तो बडे ही प्रेम से गद्गद् स्वर में ‘हे गोववन्द ! हे दामोदर !
हे माधव !’ इन मंजुल नामों का उच्चारण करती रहना।

श्रीकृष्ण राधावर गोकुलेश गोपाल गोवधणननाथ ववष्णो।

जजह्वे वपवस्वामत
ृ मेतदे व गोववन्द दामोदर माधवेतत।।

हे जजह्वे ! तू ‘श्रीकृष्ण ! राधारमण ! व्रजराज ! गोपाल ! गोवधणन ! नाथ ! ववष्णो ! गोववन्द


! दामोदर ! माधव !’-इस नामामत
ृ का तनरन्तर पान करती रह।
भजन संग्रह कथानक { 23 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{8}
युगलाष्टकम ्

कृष्णप्रेममयी राधा राधाप्रेम मयो हररुः ।


जीवनेन धने तनत्यं राधाकृष्णगततमणम ् ॥1॥
कृष्णस्य द्रववणं राधा राधायाुः द्रववणं हररुः ।
जीवनेन धने तनत्यं राधाकृष्णगततमणम ् ॥2॥

कृष्णप्राणमयी राधा राधाप्राणमयो हररुः ।


जीवनेन धने तनत्यं राधाकृष्णगततमणम ् ॥3॥

कृष्णद्रवामयी राधा राधाद्रवामयो हररुः ।


जीवनेन धने तनत्यं राधाकृष्णगततमणम ् ॥4॥

कृष्ण गेहे जस्थता राधा राधा गेहे जस्थतो हररुः ।


जीवनेन धने तनत्यं राधाकृष्णगततमणम ् ॥5॥

कृष्णधचत्जस्थता राधा राधाधचजत्स्थतो हररुः ।


जीवनेन धने तनत्यं राधाकृष्णगततमणम ् ॥6॥

नीलाम्बरा धरा राधा पीताम्बरो धरो हररुः ।


जीवनेन धने तनत्यं राधाकृष्णगततमणम ् ॥7॥

वन्ृ दावनेश्वरी राधा कृष्णो वन्ृ दावनेश्वरुः ।


जीवनेन धने तनत्यं राधाकृष्णगततमणम ् ॥8॥
भजन संग्रह कथानक { 24 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{9}
गोपीगीत

जयतत तेऽधधकं जन्मना व्रजुः


श्रयत इजन्दरा शश्वदत्र दह ।
दतयत दृश्यतां ददक्षु तावका-
स्त्वतय धत
ृ ासवस्त्वां ववधचन्वते ॥ १॥

{ 10 }
चतुुःश्लोकी भागवत

अहमेवासमेवाग्रे नान्यद्यत्सदसत्परम ् ।

पश्चादहं यदे तच्च योऽवर्शष्येत सोऽस्म्यहम ् ।।3।।

ऋतेऽथं यत्प्रतीयेत न प्रतीयेत चात्मतन ।

तद्ववद्यादात्मनो मायां यथाऽऽभासो यथा तम: ।।4।।

यथा महाजन्त भत
ू ातन भत
ू ष
े च्
ू चावचेष्वनु ।

प्रववष्टान्यप्रववष्टातन तथा तेषु न तेष्वहम ् ।।5।।

एतावदे व जजज्ञास्यं तत्त्वजजज्ञासुनात्मन: ।

अन्वयव्यततरे काभ्यां यत्स्यात्सवणत्र सवणदा ।।6।।


भजन संग्रह कथानक { 25 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 11 }
गोकणत भागवत

दे हेजस्थमांसरुधधरे र्भमततं त्यज त्वं |


जायासत
ु ाददषु सदा ममतां ववमंच
ु ||
पश्यातनशम ् जगदददम क्षणभंगतनष्ठम |
वैराग्यरागरर्सको भव भजक्ततनष्ठ: ||

धमं भजस्व सततं त्यज लोकधमाणन |


सेवस्य साधूपुरुषांजादह काम तष्ृ णतां ||
अन्यस्य दोष गुण धचन्तन माशू मुक्त्वा |
सेवाकथारसमहो तनतरां वपब त्वम ् ||

उक्त श्लोक श्री मद्भागवत महापरु ाण के महात्म के अंतगणत आते है | श्री गोकणण महाराज
अपने वपता को दे ह्जतनत अर्भमान को छोडने को कहते है | वे कहते है शरीर हड्डी मांस
और रक्त का वपंड है , इससे आसजक्त हटाकर परमात्मा में आसक्त हो | भगवत भजन ही
सबसे बडा धमण है | दस
ु रो के गुण दोष छोडकर भगवत सेवा एवं भगवत कथाओ का रसपान
करे |

{ 12 }
द्वादशज्योततर्लणङ्गातन

सौराष्रदे शे ववशदे ऽततरम्ये ज्योततमणयं चन्द्रकलावतंसम ् ।


भजक्तप्रदानाय कृपावतीणं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये ॥1
श्रीशैलशङ्
ृ गे ववबुधाततसङ्गे तुलादद्रतुङ्गेऽवप मुदा वसन्तम ् ।
तमजुन
ण ं मजल्लकपूवम
ण ेकं नमार्म संसारसमुद्रसेतुम ् ॥2

अवजन्तकायां ववदहतावतारं मुजक्तप्रदानाय च सज्जनानाम ् ।


अकालमत्ृ योुः परररक्षणाथं वन्दे महाकालमहासुरेशम ् ॥3

कावेररकानमणदयोुः पववत्रे समागमे सज्जनतारणाय ।


सदै वमान्धातप
ृ ुरे वसन्तमोङ्कारमीशं र्शवमेकमीडे ॥4
भजन संग्रह कथानक { 26 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

पूवोत्रे प्रज्वर्लकातनधाने सदा वसन्तं धगररजासमेतम ् ।


सरु ासरु ाराधधतपादपद्मं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमार्म ॥5

याम्ये सदङ्गे नगरे ऽततरम्ये ववभूवषताङ्गं ववववधैश्च भोगैुः ।


सद्भजक्तमुजक्तप्रदमीशमेकं श्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये ॥6

महादद्रपाश्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रै ुः ।


सुरासुरैयक्ष
ण महोरगाढयैुः केदारमीशं र्शवमेकमीडे ॥7

सह्यादद्रशीषे ववमले वसन्तं गोदावररतीरपववत्रदे शे ।


यद्धशणनात्पातकमाशु नाशं प्रयातत तं ्यम्बकमीशमीडे ॥8

सत
ु ाम्रपणीजलरार्शयोगे तनबध्य सेतंु ववर्शखैरसंख्यैुः ।
श्रीरामचन्द्रे ण समवपणतं तं रामेश्वराख्यं तनयतं नमार्म ॥9

यं डाककतनशाककतनकासमाजे तनषेव्यमाणं वपर्शताशनैश्च ।


सदै व भीमाददपदप्रर्सद्दं तं शङ्करं भक्तदहतं नमार्म ॥10

सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकन्दं हतपापवन्ृ दम ् ।


वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीववश्वनाथं शरणं प्रपद्ये ॥11

इलापुरे रम्यववशालकेऽजस्मन ् समुल्लसन्तं च जगद्वरे ण्यम ् ।


वन्दे महोदारतरस्वभावं घष्ृ णेश्वराख्यं शरणम ् प्रपद्ये ॥12

ज्योततमणयद्वादशर्लङ्गकानां र्शवात्मनां प्रोक्तर्मदं क्रमेण ।


स्तोत्रं पदठत्वा मनुजोऽततभक्त्या फलं तदालोक्य तनजं भजेच्च ॥13
॥ इतत द्वादश ज्योततर्लणङ्गस्तोत्रं संपूणम
ण ्॥

{ 13 }
श्रीराम स्तुतत

॥दोहा॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
भजन संग्रह कथानक { 27 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

नव कंज लोचन कंज मुख


कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥

कन्दपण अगखणत अर्मत छवव


नव नील नीरद सन्
ु दरं ।
पटपीत मानहुँ तडडत रुधच शुधच
नोर्म जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबन्धु ददनेश दानव
दै त्य वंश तनकन्दनं ।
रघन
ु न्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
र्शर मक
ु ु ट कंु डल ततलक
चारु उदारु अङ्ग ववभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जजत खरदष
ू णं ॥४॥

इतत वदतत तुलसीदास शंकर


शेष मुतन मन रं जनं ।
मम ् हृदय कंज तनवास कुरु
कामादद खलदल गंजनं ॥५॥

मन जादह राच्यो र्मलदह सो


वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा तनधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥

एदह भांतत गौरी असीस सुन र्सय


सदहत दहय हरवषत अली।
तुलसी भवातनदह पूजी पुतन-पुतन
मुददत मन मजन्दर चली ॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल र्सय
दहय हरषु न जाइ कदह ।
भजन संग्रह कथानक { 28 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मंजुल मंगल मूल वाम


अङ्ग फरकन लगे।

{ 14 }
गणेि वन्दना
लम्बोदरं परम सन्
ु दर एकदन्तं
पीताम्बरं बत्रनयनं परमंपववत्रम ्।
उद्यद्धधवाकर तनभोज्ज्वल काजन्त कान्तं
ववध्नेश्वरं सकल ववध्नहरं नमार्म॥
वे दे व जो लम्बोदर होते हुए भी अत्यन्त सुन्दर हैं,जजनके एक ही दाँत है।जो पीताम्बरधारी
तथा तीन नेत्रों वाले हैं,जो परम पववत्र हैं,जजनकी काजन्त उदयकालीन सूयण के समान उज्ज्वल
ददखाई दे ती है ,उन सवणववघ्नहारी ववघ्नेश्वर को मैं नमस्कार करता हूँ॥

र्सन्दरू वणं द्ववभुजं गणेशं,लम्बोदरं पद्मदले तनववष्टम ्।


ब्रह्मादददे वै: पररसेव्यमानं,र्सद्धैयत
ुण ं तं प्रणमार्म दे वम ्॥
शत धचत् आनन्द दाता भगवान श्रीगणेश की अंगकाजन्त र्सन्दरू के समान है ।उनकी दो भुजाएं
हैं,वे लम्बोदर हैं और कमलदल पर ववराजमान हैं,ब्रह्मा आदद दे वता उनकी सेवा में लगे हैं,
तथा वे र्सद्ध सन्त समुदाय से यक्
ु त (तघरे हुए) हैं।ऐसे श्रीगणपततदे व को मैं प्रणाम करता
हूँ।

{ 15 }
गाइये गणपनत जगवन्दन
गाइये गणपतत जग वन्दन । शंकर सुमन भवातन के नन्दन ॥
र्सद्ध सदन गज वदन ववनायक | कृपा र्सन्धु सुन्दर सव लायक ॥
मोदक वप्रय मुद मंगल दाता । ववद्या वाररद बुद्धध ववधाता ॥
माँगत तुलसी दास कर जोरे । वसदह राम र्सय मानस मोरे ॥ ।

{ 16 }
आओ गजानन आओं
आओ आओ गजानन आओ आके भक्तों का मान बढ़ाओं
भजन संग्रह कथानक { 29 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

ॐ गं गणपतये नमो नमुः र्सद्धी ववनायक नमो नमुः अष्ट ववनायक नमो
नमुः
गणपतत बप्पा मोरया
भोले शंकर के पुत्र गजानन, गौरा मैया के पुत्र गजानन
आके भक्तो के मन को भाओं, आके भक्तो का मान बढ़ाओं....
ररद्धध र्सद्धी को संग में लाना, गौरा मैया भूल न जाना
आने में दे र ना लगाओं, आके भक्तो का मान बढ़ाओं...
हम सबके प्यारे गजानन सब दे वो से न्यारे गजानन
आके कीतणन में रस बरसाओं, आकें भक्तो का मान बढ़ाओं..

{ 17 }
जय गणेि जय गणेि
जय गणेश जय गणेश जय गणेश दे वा
माता जाकी पावणती वपता महादे वा एकदन्त दयावन्त चार भुजाधारी,
माथे ततलक सोहे मूसे की सवारी
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा, लड्डूआन को भोग लगे संत करे सेवा
अन्धेन को आँख दे त कोदिन को काया, बांझन को पुत्र दे त तनधणन को माया
सूर श्याम शरण आय सफल कीजै सेवा । माता जाकी....

{ 18 }
गरू
ु वन्दना
गुरूदे व दया करके
गुरूदे व दया करके मझ
ु को अपना लेना
मै शरण पडा तेरी चरणो में जगा दे ना
करूणा तनधध नाम तेरा, करूणा ददखलाओं तुम,
सोये हुये भाग्यौ को हे नाथ जगाओं तुम
मेरी नाव भवर डोले, इसे पार लगा दे ना । गरू
ु दे व...
भजन संग्रह कथानक { 30 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

तुम सुख के सागर हो तनधणन के सहारे हो,


इस तन में समाये हो, मुझे प्राणो से प्यारे हो
तनत माला जपू तेरी, नही ददल से भुला दे ना ।
पापी हूं या कपटी हूं जैसा भी हूं तेरा हूं
घर वार छोडकर मैं जीवन से खेला हूं
दख
ु का मारा हूं मै मेरा दख
ु डा र्मटा दे ना । गुरू दे व..
मै सबका सेवक हूं, तेरे चरणो का चेरा हूं
नही नाथ भल
ु ाना मझ
ु े, इस जग में अकेला हूं
तेरे दर का र्भकारी हूं, मेरे दोष र्मटा दे ना । गुरू दे व...

{ 19 }
सारे तीरथ धाम आपके
सारे तीरथ धाम आपके चरणों में
हे गुरूदे व प्रणाम आपके चरणों में
हृदय में माँ गौरी लक्ष्मी कंठ सारदा माता है
जो भी मुख से वचन कहे , वो वचन र्सद्ध हो जाता है ।
है गुरू ब्रह्मा है गुरू ववष्णु, है शंकर भगवान आपके चरणों में । हे .....
जनम के दाता मात- वपता है , आप करम के दाता है
आप र्मलाते है ईश्वर से आप ही भाग्य ववधाता है
दखु खया मन को रोगी तन को, र्मलता है आराम आपके चरणो में | हे .....
तनरबल को बलवान बना दो मरू ख को गण
ु वान प्रभु
दे वकमल और वंशी को भी दो ज्ञान का दो वरदान प्रभु
हे महा ज्ञानी हे महा दानी रहू में सुबह शाम आपके चरणो में ।
हे गरू
ु दे व प्रणाम आपके चरणो में...

प्रथम हदवस
ज्ञान / वैराग्य भक्तत का दख

भजन संग्रह कथानक { 31 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 20 }
वज के नंद लाला
व्रज के नंद लाला राधा जी के सांवररया
सव दख
ु दरू हुये जव तेरा नाम लीया
मीरा पक
ु ारे तुम्हें धगरधर गोपाला
वन गया अमत
ृ मय ववष का भरा प्याला
कौन र्मटाये उसे जजसे तन
ू े राख र्लया! सव दख
ु दरू हुये....
जव तेरे गोकुल में आई ववपदा भारी,
एक इसारे पर सारी ववपदा टारी
उठ गया गोवरधन जजसे तूने धार र्लया! सव दख
ु दरू हुये.....
नैनौ में श्याम वसे मन में वनवारी,
सुध ववसराय गयी मरु ली की धुन प्यारी
मेरे मन मंजन्दर में रास रचाओं रर्सया! सव दख
ु दरू हुये...
दे ख रहे हो तुम मेरे दख
ु डे सारे ,
कव दशणन दे ओगे मेरी आंखों के तारे
अधर पर मुरली है कांधे कामररया! सव दख
ु दरू हुये.

{ 21 }
बाँके बबहारी रे दरू करो दख
ु मेरा
बाँके बबहारी रे दरू करो दख
ु मेरा ।
सुना है जो तेरे दर पै आवे, तन मन के दख
ु डे र्मट जावें ।
जब आवै शरण ततहारी रे ॥ दरू ॥ ..
जनम जनम का मै हूँ भटका, बेडा आय भंवर में अटका।
पार करो धगरधारी रे / दरू ॥
शबरी अदहल्या गखणका तारी, मीरा तुमने पार उतारी।
मुकुट अब आई हमारी बारी रे ॥ दरू ॥
पीताम्बर धारी, संग में हो वष
ृ भानु दल
ु ारी ।
भजन संग्रह कथानक { 32 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मोहन धगरवर धारी रे दरू ॥

{ 22 }
कर दो दरू प्रभु मेरे मन में
कर दो दरू प्रभु मेरे मन में अन्धेरा हैं।
जब से तेरी लगन लगी हुआ मन में सवेरा हैं।
हरर तम
ु से बबछडे हुये कई यग
ु बीत गये।
अब आन र्मलो वप्रयतम मेरे मन में प्यार तेरा है ।
इतना तो बता दो मझ
ु े मेरी मंजजल है कहाँ।
अब ले चलो मझ
ु को वहाँ जहाँ संतो का डेरा है।
जब से तेरी लगन लगी मेरे मन में कर्लयाँ खखली।
अब जाग उठी ककस्मत हुआ दशणन तेरा है ।
दशणन पाये बबना तेरे दर से हटें गे नही ।
अब हमने डाल ददया तेरे दर पर डेरा है ॥

नारद जी का वन्दावन आना

{ 23 }
चलौ मन श्रीवन्दावन धाम
चलौ रे मन श्री वन्ृ दावन धाम, रटें गे राधे-राधे नाम।
र्मलेंगे कुञ्ज बबहारी, ओदिके कामरर कारी ॥
प्रात: होत ही श्री यमन
ु ा में न्हावेंगे।
पररक्रमा दे जीवन सफल वनावेंगे ॥
तेरे होंगे परू ण काम, रटें गे राधे-राधे नाम ॥ र्मलेगें........
दरू -दरू से नर नारी यहां आते है ,
दशणन करके जीवन सफल वनाते है
क्यौ भटके खामाखाम रटे गे राधे राधे नाम ॥ र्मलेगे...
भजन संग्रह कथानक { 33 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

र्सफण साल में एक वार होय मंगला है


तनत्य नये वने तोरके फूल बंगला है
तेरो मन पावे ववश्राम रटे गे राधे राधे नाम ॥ र्मलेगे..........

{ 24 }
मन चल रे वन्दावन धाम
मन चल रे वन्ृ दावन धाम राधे राधे गायेंगे।
राधे राधे गायेंगे श्यामा श्यामा गायेंगे तोकँू वही पे र्मलेंगे श्यामा श्याम॥
वन्ृ दावन में बाँके बबहारी,
ओदि के बैठो कामररया कारी ।
तोहे र्मल जाये घनश्याम ॥
वन्ृ दावन में राधा रानी,
मुजक्त भी यहाँ भर रही पानी ।
याके चरण पड्यो है श्याम राधे राधे गायेंगे।
अब तो आस यही मेरे मन की,
धूल बनँू मै श्रीचरनन की।
श्रीराधा चरण ववश्राम राधे राधे गायेंगे ।

{ 25 }
वन्दावन धाम अपार'
वन्ृ दावन धाम अपार रटै जा राधे राधे
रटै जा राधे राधे भजैजा राधे राधे
जो राधा राधा गावै, वो प्रेम पदारथ पावै
वाकौ है जाय वेडा पार रटै जा.........
जो राधा नाम न होतो, रसराज ववचारौ रोतौ
नही होते कृष्ण अवतार रटै जा.........
वन्ृ दावन ये `की लीला, मत जानौ गण
ु कौ चीला
भजन संग्रह कथानक { 34 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

यामें ऋषी मुनी गये हार रटै जा........


वन्ृ दावन रास रचायौ, र्शव गोपी रूप वनायौ
वंशी वट ककयौ ववहार रटै जा.
ये प्रेम की अकथ कहानी, नाय समझें ज्ञानी ध्यानी
याहे जानें ववरज की नारर रटै जा.......
तू वन्ृ दावन में आयौ, तेने राधा नाम न गायौ
तेरे जीवन कू धधक्कार रटै जा........

भतती नत्य

{ 26 }
कोई कह गोववन्द कोई गोपाला
कोई कहे गोववन्द कोई गोपाला ।
मैं तो कहु सावररया बासुररयाँ वाला ॥
राधा ने श्याम कहा मीरा ने धगरधर ।
कृष्णा ने कृष्ण कहा कुधजा ने नटवर ॥
ग्वालो ने तुमको पुकारा गोपाला ||
मैया तो कहती है तम
ु को कन्है या
घनश्याम कहते है बलराम भैया ॥
सूरा की आँखौ के तम
ु हो उजाला ॥
भीष्म जी के बनबारी अजन
ुण के मोहन ।
छर्लया ही कह के बल
ु ाये दय
ु ोधन ॥
कंसा तो कहता है जलकर के काला ॥
अच्यत
ु यद्
ु धधजष्ठर के ऊधो के माधव ।
भक्तों के भगवान संतो के केशव ॥
संत सभी भजते है कहकर कृपाला ।
भजन संग्रह कथानक { 35 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 27 }
नटवर नागर नंदा'
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोववन्दा |
श्याम सन्
ु दर मख
ु चन्दा, भजो रे मन गोववन्दा |
तू ही नटवर, तू ही नागर, तू ही बाल मुकुन्दा ॥ भजो रे मन गोववन्दा..
सब दे वन में कृष्ण बडे हैं, ज्यू तारों में चन्दा ॥ भजो रे मन गोववन्दा...
सब सखखयन में राधा जी बडी है , ज्यंू नददयों में गंगा ॥ भजो रे मन
गोववन्दा.........
ध्रव
ु तारे प्रह्लाद उबारे , नरर्संह रूप धरन्दा ॥भजो रे मन गोववन्दा.....
कालीदह में नाग ज्यों नाथौ फण-पर नत्ृ य करन्दा ॥ भजो रे मन गोववन्दा........
वन्ृ दावन में रास रचायो, नाचत बाल मक
ु ु न्दा ॥ भजो रे मन गोववन्दा......
मीरा के प्रभु धगरधर नागर, काटो यम का फन्दा॥ भजो रे मन गोववन्दा..

आत्मदे व को संत का आशितवाद

{ 28 }
संतन के संग संग लाग रे
संतन के संग लाग रे तेरी अच्छी बनेगी
अच्छी बनेगी तेरी बबगडी बनेगी! संतन के.
ध्रव
ु जी की बन गयी प्रहलाद जी की बन गयी
हरर सुर्मरन में लाग रे तेरी अच्छी बनेगी! संतन के....
कागा ते तोय हं स करें गे
र्मट जाये उर के दाग रे तेरी अच्छी बनेगी ! संतन के.....
मोह तनशा में बहुत ददन सोये
जाग सकै तो जाग रे तेरी अच्छी बनेगी! संतन के...
सुत ववत नारर तीन आशायें
त्याग सकै तो त्याग रे तेरी अच्छी बनेगी ! संतन के.......
कहत कवीर राम सुर्मरन में
भजन संग्रह कथानक { 36 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

पाग सकै तो मन पाग रे तेरी अच्छी बनेगी ! संतन के........

{ 29 }
जायेगा जब यहाँ से
जायेगा जब यहाँ से कुछ भी ना साथ होगा।
दो गज़ कफन का टुकडा तेरा र्लवास होगा।
मरते ही घर से बाहर रख दें गे तेरे बदन को ।
आकर के झट उठा लें हररजन तेरे कफन को ।
पीटे गा छाती आपनी कुनबा उदास होगा। दो गज़
काँधे पे रख ले जायें पररवार वाले तेरे ।
यमदत
ू लै पकड कर डोलैगे घेरे-घेरे ।
दे दे गा आग तझ
ु को बेटा जो खास होगा ॥ दो गज़
र्मट्टी में र्मले र्मट्टी बाकी की राख होगी।
सौने सी तेरी काया जलकर के खाक होगी।
दतु नया को छोड तेरा मरघट में वास होगा ॥ दो गज़

धध
ु ंकारी को प्रेत योनी की प्राक्प्त

{ 29 }
मानव जनम अनमोल रे
मानव जनम अनमोल रे र्मट्टी में न घोल रे
अव जो र्मला है कफर न र्मलेगा कभी नही कभी नहीं कभी नहीं रे
तू बुलबुला है पानी का मत कर जोश जवानी का
नेक कमाई कर ले वन्दे पता नही जजन्दगानी का
मीठा सब से वोल रे र्मट्टी में न घोल रे ॥ अव जो र्मला.
तू सतसंग में जाया कर गीत प्रभु के गाया कर
सव
ु ह साम तू वैठ के वन्दे ध्यान प्रभु का लगाया कर
भजन संग्रह कथानक { 37 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

नही लगता कुछ मोल रे र्मट्टी में न घोल रे ॥ अव जो र्मला.


मतलव का संसार है इसका नही ऐतवार है
सम्भल-सम्भल कर कदम बिाना फूल नही अंगार है
मन की आखै खोल रे र्मट्टी में न घोल रे ॥ अव जो र्मला.

{ 30 }
जीते भी लकड़ी मरते भी लकडी
जीते भी लकडी मरते भी लकडी दे ख तमासा लकडी का
क्या जीवन क्या मरण कबीरा, खेल रचाया लकडी का
जजस पर तेरा जनम हुआ था वो पलंग था लकडी का
जव जव माँ ने लोरी सुनाई वो पलना था लकडी का
पिने गया जब पाठ शाला में लेखन पाटी लकडी का
जव जव गरू
ु ने डर ददखलाया डंडा था वो लकडी का
जहां पर तेरा व्याह रचाया, वो मंडप था लकडी का
वद्
ृ ध हुआ जव चल न सका तो र्लया सहारा लकडी का
मरते दम तक र्मटा नही पाया, झगडा झगडी लकडी का
राम नाम की ज्योती जला ले र्मटा जाये झगडा लकडी का
धुधंकारी उद्धार

{ 31 }
हम हो गये भव से
हम हो गये भव से पार लेकर नाम तेरा
बाल्मीक अतत दीन दख
ु ी था बुरे कमण में सदा लीन था
करी रामायण तैयार लेकर नाम तेरा! लेकर...
थे नल नील जातत के वानर राम नाम र्लख ददया र्शला पर
हो गयी सेना पार लेकर नाम तेरा! लेकर...
भजन संग्रह कथानक { 38 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

गज ने आधा नाम पक
ु ारा गरूड छोड प्रभु ददया सहारा
ककया ग्राह संघार लेकर नाम तेरा! लेकर...
भरी सभा में द्रप
ु द दल
ु ारी, कृष्ण द्वाररका नाथ पक
ु ारी
वि गया चीर अपार लेकर नाम तेरा! लेकर...

{ 32 }
तेरी पार करें गे नैया
तेरी पार करें गे नैया भज कृष्ण कन्है या
तनश ददन भज गोपाल वपयारे
मोर मक
ु ु ट पीताम्बर धारे ! भक्तो के रखवैया..
स्वांस स्वांस भज नंद दल
ु ारे
वो ही बबगडे काज सम्हारे ! नटवर चतरु ररझैया..
अजन
ुण के दहत रथ को हाँका
साँवररया धगरधारी वाँका ! गीता ज्ञान सुनैया......
ग्वाल वाल संग धेनु चरावै
लूट लूट कै माखन खावै ! कालीनाग नथैया.
भक्त सुदामा चावल लाये
बडे प्रेम से भोग लगायें ! कह कर भैया भैया..

{ 33 }
तारा है सारा जमाना श्याम
तारा है सारा जमाना श्याम हमको भी तारो
हमको भी तारो श्याम हमको भी तारो
हमने सन
ु ा है श्याम अदहल्या को तारा
पत्थर का करके बहाना । श्याम...
हमने सुना है श्याम सवरी को तारा
वेरौ का करके बहाना । श्याम...
भजन संग्रह कथानक { 39 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

हमने सुना है श्याम सुदामा को तारा


तन्दल
ु का करके बहाना। श्याम...
हमने सुना है श्याम द्रोपदी को तारा
चीर का करके बहाना । श्याम...

अमर कथा प्रारम्भ

{ 34 }
राम नाम के हीरे मोती
राम नाम के हीरे मोती मैं बबखराऊँ गली-गली
ले लो रे कोई राम का प्यारा शोर मचाऊँ गली-गली
माया के दीवाने सुनलो एक ददन ऐसा आयेगा
धन दौल और माल खजाना यहीं पडा रह जायेगा
सुन्दर काया मांटी होगी चचाण होगी गली-गली....ले लो रे ....
इस दतु नया को कब तक पगले अपनी कहता जायेगा
ईश्वर को तू भूल गया है अन्त समय पछतायेगा
दो ददन का यह चमन खखला है कफर मुरझाये कली - कली... ले...
क्यों करता है मेरा मेरा यह तेरा मक
ु ाम नहीं
झूठे जग में फसा हुआ है वह सच्चा इन्सान नहीं
जग का मेला दो ददन का है अन्त में होगी चला चली...ले लो रे ...
जजस-जजस ने यह मोती लट
ृ े वो तो माला-माल हुये
धन दौलत के बने पज
ु ारी आखखर वो कंगाल हुये
सोने चांदी वालो सुनलो बात सुनाऊँ खरी खरी... ले लो रे .... -

{ 35 }
उमा के पड गये सौता
बाघम्बर प्रभु ने मगवाये, वैटे आसन मार
कथा सन
ु ाने लगे ऊमा को वो शंकर बत्रपरु ार
भजन संग्रह कथानक { 40 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

उमा के पड गये सोता हुंकरा भर रह्यो तोता


कथा कहने लगे र्शवजी, जब ताली तीन बजाई
पशु चले गये सारे पंक्षक्ष आकाश उडाई
पावणती भी कथा सुनन को हो गई है तैयार- उमा के...
ये कैसी हर की माया, ये कैसा खेल रचाया
आधी कथा सुनी माता ने, तनन्द्रा का पहरा आया
ध्यान लगाकर सुने कथा, कफर झक
ु े नीद भार/ उमा के....
कथा सन
ु ी शद
ु े वा वो अजर अमर हो जाये
पावणती भी मन में कफर बहुत घणी पछताये
मन ही मन में सोचे मोपे कथा रदह भरतार- उमा के....

िुकदे व जी से व्यास जी का ननवेदन

{ 36 }
मैं तो बाहर नहीं तात आऊँगा
मैं तो वाहर नही तात आऊँगा, गभण में रहकर हरी गण
ु गाऊगा
चाहे सख
ु में रहूं, चाहे दख
ु में रहूं, चाहे नरकों की सब यातनायें सहूं
में तो यही रहके प्रभु को ररझाउगा। गभण....
चल रही मोह ममता भयंकर यहां, काम व्यापार चलता तनरन्तर यहां
चैन सपने में भी नही पाऊगा। गभण.....
मुझको मुतनवर न वाहर बुलाना कभी, ना दे झूठे वादे बुलाये कभी
में तो धगरधर प्रभु की शरण जाऊगा। गभण.....

द्वतीय हदवस
भगवत ् कथा / एवं भगवत ् भक्तत का महत्व

{ 37 }
जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे
जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे , तो र्मल जायेगा वो सजन धीरे धीरे
भजन संग्रह कथानक { 41 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

अगर उनसे र्मलने की ददल तमन्ना, ददल तमन्ना


अगर उनसे र्मलने की ददल तमन्ना, करो शुद्ध अन्त:करण धीरे धीरे
कोई काम दतु नया मजु श्कल नहीं है , मुजश्कल नहीं है
कोई काम दतु नया मजु श्कल नही है , जो करते रहोगें यतन धीरे धीरे
करो प्रेम से भजक्त सेवा हरी की, सेवा हरी की
करो प्रेम से भजक्त सेवा हरी की, तो र्मल जायेगा वो रतन धीरे धीरे

{ 38 }
अमत है हरी नाम छोड
अमत
ृ है हरी नाम जगत में छोड ववषय ववश पीना क्या
हरी नाम नही तो जीना क्या
काल सदा अपने रस डोले, न जाने कब र्सर चढ़ बोले
हरी का नाम जपो तनश वासर, अगले समय समय ही ना। हरी नाम...
भूषण से सव अंग सजावे पर रसना पे हरी नाम ना लावे
दे ह पडी रह जावे यही पर कफर कुण्डल और नगीना क्या । हरी नाम...
तीरथ है हरी नाम तम्
ु हारा, कफर क्यो कफरता मारा मारा
अन्त समय हरर नाम न आवे, कफर काशी और मदीना क्या । हरी नाम...

नारद पूवत चररत्र

{ 39 }
क्जसको जीवन शमला सतसंग
जजसको जीवन में र्मला सतसंग है , उसे हर घडी आनंद ही आनंद है
जजसका हरी जुडा संम्बन्ध है उसे हर घडी आनंद ही आनंद है
तुलसी मीरा कवीरा ने गाया, सूरदास ने दशणन पाया
जजसके हृदय में राम नाम बंद है ! उसे हर घडी.........
जजसका जीवन सच्चाई में िल गया, उसके पापौ का पवणत भी टल गया
रोम रोम में बसे गोववन्द है ! उसे हर घडी.....
भजन संग्रह कथानक { 42 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

संत ऋवषयों की बाडी को मानो, तत्व क्या है जगत का ये जानो


उसका चौरासी कट जाये फंद है ! उसे हर घडी....
स्वगण जाने की इच्छा नहीं है मुक्ती पाने की इच्छा नही है
स्वयं ककशोरी ही परमानन्द है ! उसे हर घडी..........

{ 40 }
वाह वाह रे मोज फकीरा की
वाह वाह रे मोज फकीरा की ।
कभी चबावे चना चबेना, कभी लपट ले खीरा की - वाह....
कभी तो ओिे शाल दश
ु ाले, कभी गुदडडया लीरा की - वाह...
कभी तो सोवे रं ग महल में , कभी तो गली अहीरा की - वाह...
मंग-तंग के टुकडे खाते, चाल चले है अमीरा की - वाह....

{ 41 }
मन लागा मोरा यार फकीरी में
मन लागा मोरा यार फकीरी में
जो सुख पावों नाम- भजनमें , सो सुख नादह अमीरी में
भला-बरु ा सबका सन
ु लीजै, कर गज
ु रान गरीबी में
प्रेम नगर में रहतन हमारी, भर्ल बतन आई सबूरी में
हाथ में कँू डी बगलमें सोंटा चारो ददसा जगीरी में
आखखर यह तन खाक र्मलैगा, कहा कफरत मगरूरी में
कहत कबीर सुनो भाई साधो, सादहब र्मलै सबूरीमें

कुन्ती स्तुनत

{ 42 }
सुख भी मुझे प्यारे है
सख
ु भी मझ
ु े प्यारे है द:ु ख भी मझ
ु े प्यारे है
भजन संग्रह कथानक { 43 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

छोडू मै ककस भगवन दोनो ही तुम्हारे है


सुख दख
ु ही तो दतु नया की गाडी को चलाते है ।
सुख दख
ु ही हम सबको इन्सान बनाते है
संसार की नददया के दानो ही ककनारे है । छोडू ...
दख
ु चाहे ना कोई सब सख
ु को तरसते है ।
सुख में सब हँसते है दख
ु में सब रोते है
सुख र्मले उसे जजसमें दख
ु ही तो सहारे है। छोडू...
मै कैसे कहू मझ
ु को सख
ु दो या दख
ु दो जो
भी तेरी मरजी हो, मरजी से मुझे दे दो
मैने तो तेरे आगे वस हाथ पसारे है । छोडू...
सख
ु में तेरा शक्र
ु करूं, दख
ु में फररयाद करूं
जजस हाल में तू रख्खे उस हाल में याद करूं
यादो में ववयोगी ने ये गीत सवारे है | छोडू...

{ 43 }
तेरे फूलो से भी प्यार
तेरे तेरे फूलो से भी प्यार तेरे कांटौ से भी प्यार
तू जो भी दे ना चाहे दे दे मेरे सरकार
चाहे सख
ु दे या दख
ु , चाहे खुशी दे या गम
मार्लक जैसे भी रखेगा वैसे रह लेंगे हम
चाहे हं सी भरा संसार चाहे आंसुओं के हार । तू जो भी...
हमको दोनो है पसंद तेरी धूप और छाह
दाता ककसी भी ददशा में ले चल जजन्दगी की नाव
चाहे हमे लगा दे पार चाहे छोड हमे मझधार । तू जो भी...
तेरी मजी में ववधाता कोई छुपा वडा राज
दतु नया चाहे हमसे रूठे तू ना होना नाराज़
तूझे वन्दन है वार वार, हमको करले तू स्वीकार । तू जो भी...
भजन संग्रह कथानक { 44 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 44 }
भीष्म स्तत
ु ी
इतत मततरुपकजल्पता ववतष्ृ णा भगवतत सात्वत पङ्
ु गवे ववभजू म्न ।
स्वसुखमुपगते क्वधचद्ववहतुं प्रकृततमुपेयवु ष यद्भवप्रवाहुः ।।१।।
बत्रभुवनकमनं तमालवणं रववकरगौरवराम्बरं दधाने ।
वपरु लककुलावत
ृ ाननाधजं ववजयसखे रततरस्तु मेऽनवद्या || २ ||
युधध तरु गरजोववधूम्रववष्वक्कचलुर्लतश्रमवायणल तास्ये ।
मम तनर्शतशरै ववणर्भद्यमानत्वधच ववलसत्कवचेऽस्तुकृष्ण आत्मा ||३ ।।
सपदद सखखवचो तनशम्य मध्ये तनजपरयोबणलयो रथं तनवेश्य ।
जस्थतवतत परसैतनकायुरक्ष्णा हृतवतत पाथण सखे रततमणमास्तु ।।४।।
व्यवदहत पथ
ृ नामख
ु ं तनरीक्ष्य स्वजनवधाद्ववमुखस्य दोषबुद्धया ।
कुमततमहरदात्मववद्यया यश्चरणरततुः परमस्य तस्य मेऽस्तु || ५ ||
स्वतनगममपहाय मत्प्रततज्ञा मत
ृ मधधकतम
ुण वप्लुतो रथस्थ: ।
धत
ृ रथचरणोऽभ्ययाच्चलत्गुुः हररररव हन्तर्ु मभं गतोत्रीयुः ।।६।।
ववजयरथकुटुम्ब आत्तोत्रे धत
ृ हयरजश्मतन तजच्ियेक्षणीये ।
र्शतववर्शखहतोववशीणणदंश: क्षतजपररप्लुत आततातयनो मे ।
प्रसभमर्भससार मद्वधाथं स भवतु मे भगवान ् गततमक
ुण ु न्दुः।।७।।
भगवतत रततरस्तु मे मुमूषो: यर्मह तनरीक्ष्य हता: गताुः सरूपम ् ।।८।।
लर्लत गतत ववलास वल्गुहास प्रणय तनरीक्षण कजल्पतोरुमानाुः ।
तमनु तवत्य उन्मदान्धा: प्रं ततमगन ् ककल यस्य गोपवध्वुः ।।९।।
मुतनगणनप
ृ वयणसक
ं ु लेऽन्तुः सदर्स युधधजष्ठरराजसूय एषाम ् ।
एषाम ्अहणणमुपपेद ईक्षणीयो मम अक्षक्ष गोचर एष आववरात्मा ।।१०।।
तर्ममहमजं शरीरभाजां हृदद धधजष्टतमात्मकजल्पतानाम ् ।
शर्मव नैकधाऽकणमेकं समधधगतोऽजस्म ववधत
ू भेदमोहुः ||११||
श्री सूत उवाच
भजन संग्रह कथानक { 45 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

कृष्ण एवं भगवतत मनोवाग्दृजष्टववृ त्र्भुः ।


आत्मन्यात्मानमावेश्य सोऽन्तुः श्वासमुपारमत ् ।।

{ 45 }
इतना तो करना स्वमी
इतना तो करना स्वमी जब प्राण तन से तनकले,
गोववन्द नाम लेकर प्राण तन से तनकले ।
श्री गंगा जी का तट हो, यमुना का वंशी वट हो
मेरा सांवरा तनकट हो - जब...
श्री वन्ृ दावन स्थल हो, मेरे मुख में तुलसी दल हो,
ववष्णु चरण का जल हो - जब...
सन्मख
ु सांवरा खडा हो, वंशी का स्वर भरा हो
ततरछा चरण धरा हो - जब....
मेरे प्राण तनकले सख
ु से, प्रभु का नाम तनकले मख
ु से,
बच जाऊ घोर दख
ु से जब...
उस वक्त जल्दी आना, नही श्याम भूल जाना,
राधे को संग में लाना- जब ....
यह नेक सी अरज है मानों तो क्या हरज है ,
कुछ आपका फरज है - जब ....

पररक्षक्षत को श्राप

{ 46 }
तया भरोसा है इस क्जंदगी का
तया भरोसा है इस जजंदगी का, साथ दे ती नही ये ककसी का
स्वांस रूक जाएगी चलते-चलते, शमां बुझ जाएगी जलते जलते,
दम तनकल जायेगा रोशनी का । साथ..
दतु नया है तो हकीकत परु ानी, चलते रहना है उसकी रवानी,
भजन संग्रह कथानक { 46 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

फजण पूरा करो बदं गी का। साथ.....


हम रहें न मोहधबत रहे गी, दासतां अपनी दतु नया कहेगी,
नाम रह जाएगा आदमी का । साथ....

{ 47 }
पल दो पल में तया
पल दो पल में क्या हो जाये मानव तेरे शरीर का
कुछ पता नही तकदीर का
हररशचन्द्र से राजादानी, सत पै बबकगये तीनो प्राणी
घडा उठाते सवने दे खा, गंगा जी के नीर का
कुछ पता नही तकदीर का...
मोरध्वज से राजा ग्यानी, सुत को चीरें दोनो प्राणी
आरा चलाते सवने दे खा, अपने जजगर की पीर का
कुछ पता नही तकदीर का...
राजा दसरथ के चार पुत्र भये, राम लखन र्सया वन को गये
वन को जाते सवने दे खा वल्कल भेषरघुवीर का
कुछ पता नही तकदीर का...

{ 48 }
दनु नया दितन का है मेला
दतु नया दशणन का है मेला, धचत दे समझे कोई अलवेला
अपनी करनी पार उतरनी, गरू
ु हो या चेला । दतु नया.....
कंकण चुन चुन महल बनाया, लोग कहै घर मेरा
ना घर मेरा ना घर तेरा धचडडया रै न बसेरा | दतु नया...
महल बनाया ककला धचनाया, खेलन को सब खेला
चलने की जब वेला आयी सब तज चला अकेला । दतु नया...
न कुछ लेकर आया बन्दे न कुछ है यहाँ तेरा
भजन संग्रह कथानक { 47 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

कहत कबीर सुनो भाई साधू संग ना जाये अंघेला । दतु नया......

िुकदे व आगमन

{ 49 }
हरी की कथा सुनाने वाले
हरी की कथा सन
ु ाने वाले, तम
ु को लाखौ प्रणाम -2
हम डोल रहे थे वन में और फूल गये थे मन में
ओ राह वताने वाले तुमको लाखो प्रणाम..... हरर कथा...
हम लेकर ववष का प्याला, जा रहे थे यम के गाला
सत सुधा वपलाने वाले तुमको लाखो प्रणाम..... हरर कथा........
तुम घट-घट के अन्तयाणमी, हम पततत और अज्ञानी
ईश्वर से र्मलाने वाले तम
ु को लाखो प्रणाम..... हरर कथा......

{ 50 }
बूटी हरी के नाम की
बूटी हरी के नाम की सवको वपला के पी
पीने की है तमन्ना तो खद
ु को र्मटा के पी
ब्रह्मा ने चारो वेद की, पुस्तक बना के पी
शंकर ने अपने शीश पै गंगा चिाकर पी
बज
ृ गोपीयो ने कृष्ण को माखन खखला के पी
सवरी ने झूठे वेर अपने प्रभु को खखला के पी
पथ्
ृ वी का भार शेष ने र्शर पर उठा के पी
वाली ने चोट वाण की सीने पै खाके पी
अजन
ुण ने ज्ञान गीता का अमत
ृ वना के पी
बजरं ग वली ने रावण की लंका जला के पी

िुकदे व जी द्वारा उपदे ि

{ 51 }
भजन संग्रह कथानक { 48 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

न जाने कौन से गण
ु पर
न जाने कौन से गण
ु पर दयातनधध रीझ जाते है
यही हरी भक्त कहते है , यही सद् ग्रन्थ गाते है ।
नही स्वीकार करते है तनमत्रंण नप
ृ सुयोधन का
ववदरु के घर पहुच कर भोग तछलको का लगाते है
ना आये मधुपुरी से गोवपयो की, दख
ु व्यथा सुनकर,
द्रोपदी के बुलाने पर, द्वाररका से दौडे आते है
ना रोये वन गमन सन
ु कर, वपता की वेदनाओं पर
र्लटाकर गीध को तनज गोद में आंसू बहाते है
कदठता से चरण धोकर र्मले जो ववन्द ु ववधध हरर को
वो चरणोदक स्वयं जाकर केवट के घर लट
ु ाते है

{ 52 }
आज हरी आये ववदरु
आज हरी आये ववदरु घर पाहुना
ववदरु घर पाहुना ववदरु ानी घरी पाहुना
ववदरु नही घर थी ववदरु रानी, आवत दे खे सारं गपानी
दै आसान वैठावना। आज हरी...
केला बहुत प्रेम से लायी धगरी धगरी सव दे त धगराई,
तछलका दे त श्याम मख
ु माही
लागे बहुत सह
ु ावना । आज हरी...
इतने में ही ववदरु जी आये, खारे खोटे वचन सुनाये
कहां गवायी तूनें भावना। आज हरी...
केला लीन ववदरु कर मांही, धगरी दे त धगरधर मख
ु माही
वो स्वाद नही आवणा । आज हरी ...
वासी कूसी रूखी सख
ू े हम तो ववदरु जी प्रेम के भूखे
भक्तन मान बिावना । आज हरी...
भजन संग्रह कथानक { 49 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 53 }

सबसे ऊँची प्रेम सगाई


सबसे ऊँची प्रेम सगाई
दय
ु ोधन की मेवा त्यागी साग ववदरु घर खाई
जठ
ू े फल सवरी के खाये बहु ववधध करत बिाई
राजसूयज्ञ युधधष्ठर कीन्हा, तामे झूठ उठाई
प्रेम के वस अजन
ुण रथ हांकौ भूल गयो ठकुराई
ऐसी प्रीत बढ़ी वन्ृ दावन गोवपयन नाच नचाई
प्रेम के वश नप
ृ सेवा कीन्ही आप वने हरर नाई
सूर क्रूर या लायक नाही, कहा लग करौ बडाई

ततीय हदवस
दक्ष यज्ञ ववध्वंस

{ 54 }

{ 55 }
बम भोले बम भोले
यही बो तंत्र है यही वो मंत्र है प्रेम से जपोगे तो र्मटें गे सारे गम
बम भोले बम भोले बम भोले बम - 2
कभी योगी कभी भोगी कभी बाल ब्रह्मचारी,
कभी आदद दे व महोदव बत्रपरु ारी,
कभी शंकर कभी शम्भु, कभी भोले भंण्डारी,
नाम है अनन्त तेरे जाऊ बर्लहारी
भजन संग्रह कथानक { 50 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

र्शव का नाम लो सुबह शाम लो गाते रहो जव तक दम में है दम! बम...


दक्ष प्रजापती जव हुंकारा बत्रशूल से शीश उतारा
माफी मांगी होस में आयों, बकरे का जब शीश लगायों
आशुतोष भोले बाबा भये प्रशन्न, बकरे ने मुख से जो बोली बम बम !
बम..
कलातीत कल्याण कल्पांतकारी सदा सजच्चदानन्द दाता पुरारी
धचदानन्द सन्दोह मोहपहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी
ध्यान लगाके ज्योतत जगाके, र्शव को पक
ु ारते चलो हरदम! बम...

ध्रव
ु चररत्र

{ 56 }
लागी लगन मत तोड़ना
लागी लगन मत तोडना प्रभु जी मोरी लागी लगन मत तोडना
खेती बुबाई मेने तेरे नाम की, मेरे भरोषे मत छोडना
हरी जी मोरी..
जल है गहरा नाव परु ानी बीच भवर मत छोडना
हरी जी मोरी ...
तू ही मेरा सेठ है तू ही साहूकार है , व्याज पे व्याज मत जोडना
हरी जी मोरी ....
दासी की ववनती सुनलीजौ, हाथ पकड मत छोडना
हरी जी मोरी.........

{ 57 }
मैंने वाध शलया प्रेम वाला
मैने बाँध र्लया प्रेम वाला कँगना
आओ आओ हरी आओ मोरे अँगना
मेरा मन पापी ये पाप करना छोड दे
भजन संग्रह कथानक { 51 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

दतु नया से नाता तोड तेरे संग जोड दे


यही मांग मेरी और कोई माँग ना
मेरा मन प्रभु पावन तू करदे
मेरा तेरा नाता जुडे ऐसा मुझे वर दे
तेरे रं ग ऊपर चिे कोई रं गना
ऐ मेरे श्याम प्रभु तेरा गण
ु गाऊँ
तेरा गुण गाउ प्रभु तम
ु को ररझाऊँ
तेरे र्सवाप्रभु मेरे कोई संगना

जड भरत प्रसंग

{ 58 }
तल
ु सी मगन भये
तुलसी मगन भये हरी गण
ु गायकै
कोई खावे लड्डू पेडा बफी महायके,
साधु खामें रूखा सख
ू ा, हरी का भोग लगायके । तुलसी...
कोई चलै, हाथी घोडा पालकी सजायके
साधू चलै पैया पैया, चीटीं बचायके । तुलसी...
कोई ओिै साल दस
ु ाला रे समी मगायके
साधु ओिै कमली काली, धूनी रमायके ! तल
ु सी...

भारत भूशम की महहमा

{ 59 }
हे प्रीत जहां की रीत सदा
ददया मेरे भारत ने, जब जीरो भारत ने, मेरे भारत ने,
दतु नयां को तव धगनती आयी,
तारो की भाषा भारत ने, दतु नयां को पहले र्सखलाई,
दे ता न दशर्मलव भारत तो, यंू चांद पै जाना मजु श्कल था,
भजन संग्रह कथानक { 52 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

धरती और चांद की दरू ी का अंदाजा लगाना मुजश्कल था,


सभ्यता जहां पहले आयी, पहले जन्मी है जहां पै कला,
अपना भारत वो भारत है , जजसके पीछे संसार चला,
संसार चला और आगे बडा, यूं आगे बढ़ा और बढ़ता ही गया,
भगवान करे ये और बढ़े , बढ़ता ही रहे और फूले फले

है प्रीत जहां की रीत सदा, मै गीत वहां के गाता हूँ


भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ
काले गोरे का भेद नही, हर ददल से हमारा नाता है
कुछ और ना आता हो हमको हमें प्यार तनभाना आता है
जजसे मान चुकी सारी दतु नयां, मैं बात वही दौहराता हूँ! भारत...
जीते हौ ककसी ने दे श तो क्या, हमने तो ददलों को जीता है
जहां राम अभी तक है नर में , नारी में अभी तक सीता है
इतने पावन है लोग यहां, मैं तनत-तनत शीश झुकाता हूँ! भारत...
इतनी ममता नददयों को भी, जहां माता कहके बुलाते है
इतना आदर इंन्सान तो क्या, पत्थर भी पज
ू े जाते है
इस धरती पै मैंने जन्म र्लया ये सोच के मैं इतराता हूँ! भारत...

नरकौ का वणतन

{ 60 }
कैसे बीतेगी
कवहु ककयौ न भजनवा कैसे बीतैगी
सह न सक्यौ जब कष्ट गभण को कीन्हो कौल करार
प्रभु तुम्हारा भजन करूगा, करौ नरक से पार
वदा भल
ू ो रे वेईमनवा कैसे बीतेगी
वालापन हं स खेल गवायो आयी मस्त जवानी,
मात वपता ने करी सगाई दल्
ू हा बनो गुमानी
भजन संग्रह कथानक { 53 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

बध गया हाथन में कंगन वा कैसे बीतेगी


धूम धाम से व्याह रचाया पहन रे समी जामा
दल्
ु हन लेके घर में आया, खतम हुआ तेरा ड्रमा
वन गये सजनी के सजनवा कैसे बीतेगी
ववषयौ का ववष पी-पी करके तनश ददन रहै गम
ु ाने
बालक थे कफर वाप कहाये बाबा लगे कहाने
अव आय गयो चौथौ पनवा कैसी बीतेगी
कमर कमान दाँत सब टूटे नजर लगी नजराने
खाट बबछाय द्वार पे पड गये, बहुयें मारे तानें
कब मरहै यह बुिनवा कैसे बीतेगी

अजाशमल उद्धार

{ 61 }
राम से बड़ा राम का नाम
राम से बडा राम का नाम,
अंत से तनकला ये पररणाम, ये पररणाम, ये पररणाम
सुर्मररये नाम रूप ववन दे खे कौडी लगे न दाम
नाम से बधे खखचे आयेंगे आखखर एक ददन राम । राम से...
जजस सागर को बबन सेतू के लांघ सके ना राम
लांघ गये हनुमान उसी को लेके राम का नाम । राम से...
वो अर्भमानी डूब जायेगें जा मख
ु नाही राम
वो पत्थर तर जायेंगे, र्लखा हुआ जजन राम

व्रत्तासुर स्तुनत

{ 62 }
जहां ले चलोगे वही मै
जहां ले चलोगे वही मै चलंग
ू ा
भजन संग्रह कथानक { 54 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जहां नाथ रख लोगे वही मैं रहूँगा


ये जीवन समवपणत चरण मै तुम्हारे , तुम्ही मेरे सवणश, तुम्ही प्राण प्यारे
तुम्हे छोडकर नाथ । ककससे कहूँगा। जहां...
दयानाथ दयातनधध मेरी अवस्था तेरे ही हाथो में मेरी व्यवस्था
कहना होगा जो भी तम
ु से कहूँगा। जहां...
ना कोई र्शकायत ना कोई अजी, कहलो करालो जो है तेरी मजी
सहाओगें जो नाथ हस के सहूगां । जहां...

प्रहलाद चररत्र

{ 63 }
हरी का भजन करो
हरी का भजन करो हरी है तम्
ु हारा |
हरी के भजन ववन, नहीं गज
ु ारा ॥
हरी नाम से तेरा काम बनेगा,
हरी नाम ही तेरे साथ चलेगा।
हरी नाम लेने वाला, हरी का है प्यारा ॥ हरी....
कोई काहे राधेश्याम, कोई काहे सीताराम,
कोई धगरधर गोपाल, कोई राधामाधव लाल ।
वोही हरी दीन बंध,ु वोही करूणा र्सन्धु, नमो बारम्बारा ॥ हरी..... ॥
सुख दख
ु भोगो जाओ, लेख सव र्मटाते जाओ,
हरी गण
ु गाए जाओं, हरी को ररझाते जाओ
वोही हरी दीन बंधु, वोही करूणा र्सन्धु, सब का है प्यारा ॥ हरी.... ॥
दीनौ पर दया करो, बने तो सेवा भी करो,
मोह सव दरू करो, प्रेम हरी ही से करो ।
यही भजक्त यही योग, यही ज्ञान सारा ॥ हरी...... ॥

{ 64 }
भजन संग्रह कथानक { 55 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

हर सांस मै सशु मरन तेरा


हर सांस मै सर्ु मरन तेरा यूं बीत जाये जीवन मेरा
तेरी पज
ू ा करते बीते सांझ सबेरा | यूं बीत...
नैनो की खखडकी से तुमको पल पल में तनहारू
मन में बबठालंू तेरी आरती उतारू,
डाले रहू तेरे चरणो में डेरा । यूं बीत...
जो भी तेरा प्यारा हो वो मेरे ददल का प्यारा हो
मेरे सर का ताज मेरी आंखो का तारा हो
सब में तनहारू रूप सन
ु हरा । यूं बीत....
प्यार हो सतकार हो ऐतबार हो तुम्हारा
सख
ु भी हो सारे और याद हो ईशारा
हो आत्मा पर तेरा ही डेरा । यूं बीत...

{ 65 }
मेरे बांके बबहारी सवररया
मेरे बांके बबहारी सवररया तेरा जलवा कहां पर नही है
आंख वालौ ने तुमको है दे खा, कान वालौ ने तुमको सुना है ।
तेरा दशणन उसी को हुआ है जजसकी आंखौ पर परदा नही है ।
लोग पीते है पी पी के धगरते. हम पीते है धगरते नही है ।
हम तो पीते है संतसंग का प्याला, ये अंगुरी वाला नही है ॥
ये नशा जल्दी चिता नही है चि जाय तो उतरता नही है ।
लोग पीते है दतु नयां के डर से, हमें दतु नया की परवाह नही है ।

चतुथत हदवस गजेन्द्र मोक्ष

{ 66 }
हे गोववन्द हे गोपाल
हे गोववन्द हे गोपाल अव तो जीवन हारे
भजन संग्रह कथानक { 56 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

हे गोववन्द राखौ शरण नंद के दल


ु ारे
नीर पीवन हे तु गयो र्सन्धु के ककनारे
र्सन्धु बीच बसत ग्राह चरण ले पछारे ! हे गोववन्द.....
चार पहर युद्ध भयो ले गयो मज धारे
नाक कान डूबन लागे कृष्ण को पक
ु ारे ! हे गाववन्द.....
द्वाररका में शधद गयो शोर भयो भारे
शंक चक्र गदा पद्म गरूण ले र्सधारे ! हे गाववन्द.....
सरू कहे श्याम सन
ु ो शरण हौ ततहारे
अब की बार पार करो नन्द के दल
ु ारे ! हे गोववन्द ......

समुद्र मंथन

{ 67 }
तेरी मन्द-मन्द मुस्कननयाँ
तेरी मन्द मन्द मुस्कतनयाँ पे बर्लहार प्यारे जू
तेरे नैन अजब मतवारे मटकै ये कारे कारे
तेरी ततरछी सी धचतवतनयाँ पे बर्लहार प्यारे जू
तेरे बाल बडे घुंघराले लटके ये काले काले
तेरी मोर मक
ु ु ट लटकतनया पे बर्लहार प्यारे जू
तेरी चाल अजब मतवारी लगती है प्यारी-प्यारी
तेरी पायल की पैजतनयाँ पे बर्लहार प्यारे जू
तेरे संग में राधा प्यारी लगती है सबसे न्यारी
श्रीयुगल चरण पे मैं जाऊँ बर्लहार प्यारे जू

{ 68 }
तेरे नैना बड़े रसीले
तेरे नैना बडे रसीले मोटे मोटे बडे कटीले
तैनू नज़र नहीं लगजावे मेरे श्याम
भजन संग्रह कथानक { 57 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मेरा सांवरा सलौना घनश्याम


तेरी प्रीत में आके कान्हा, छोडदी दतु नया सारी
पहले प्रीत लगाके कान्हा, अब करते हुर्शयारी
मैंतो गली - गली में होगयी बदनाम | मेरा...
सच्चे आर्शक को तडपाना अच्छी बात नही है
ये भी मैंने माना मेरे जैसे और कई है
सुन मुरली की तान तनकले प्राण । मेरा...

वामन चररत्र

{ 69 }
तेरे द्वार खडा भगवान
तेरे द्वार खडा भगवान भगत भरदे रे झोली
तेरा होगा बडा अहसान कक जग
ु जग
ु रहगी तेरी शान
डोल उठी है सारी धरती दे ख ये, डोला गगन है सारा
भीख मांगने आया तेरे घर, जगत का पालन हारा रे
में आज तेरा महमान कक करले मुझसे जरा पहचान ! भगत भर....
आज लुटा दे रे सवणस अपना, मानले कहना मेरा
र्मट जायेगा पल मे तेरा जनम जनम का फेरा रे
तू छोड सकल अर्भमान, करले तू अपना दान ! भगत भर..

{ 70 }
हरी बामन भेष बनाये
हरी बामन भेष बनाये बली राजा को छलने आये
इनके नन्ने नन्ने हाथ इनके नन्ने नन्ने पांव
मग
ृ छाला बगल में दबाये । बली...
माथे ततलक सोहे , र्शर पर छत्र धरे
हाथौ में कमण्डल झल
ु ाये । बली...
भजन संग्रह कथानक { 58 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

कोधे जनेऊ धरे र्सर पे चोटी सोहे


चरणों में खडाऊ सुहाये । बली...

{ 71 }
रूप वामन कौ वनायो
रूप वामन कौ वनायो बबहारी जी ने
कर में दण्ड कमण्डल सोहे
सर पे छत्र धरायो ! बबहारी...
माधरु ी मरू त सावरी सरू त
छवव मुतनन मन भायौ ! बबहारी...
दे वन काज संवारन कारण
बर्ल के द्वार पे आयो ! बबहारी...

गंगा अवतरण

{ 72 }
तेरी लहर मन भाई
तेरी लहर मन भाई हो गंगा मैया ।
हररचरणन से तनकसी सरु सरर, ब्रह्म कमंडल आई- हो....
भागीरथ ने तपस्या कीन्ही, र्शव लै शीश चिाई - हो....
प्रयागराज यमुना में र्मलकर, काशी भें टी जाई - हो....
भारत भर्ु म पावन कीन्ही, तारे अधम कसाई- हो.....
साठ हजार सगर सुत तारे , गंगा सागर धाई- हो....
जो गंगा जी की मदहमा गावे, भवसागर तर जाई - हो...

राम जन्म

{ 73 }
भजन संग्रह कथानक { 59 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

श्री रामावतार
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौशल्या दहतकारी ।
हरवषत महतारी मतु न मन हारी अद्भुत रूप बबचारी ॥
लोचन अर्भरामा तनु घनस्यामा तनज आयध
ु भुज चारी ।
भष
ू न बनमाला नयन बबसाला सोभार्संन्धु खरारी ॥
कह दइु कर जोरी अस्तुतत तोरी केदह बबधध करौ अनंता ।
माया गुन ग्याना तीत अमाना बेद पुरान भनंता ॥
करूणा सख
ु सागर सब गन
ु आगर जेदहं गावदह श्रतु त संता ।
सो मम दहत लागी जन अनरु ागी भयेउ प्रकट श्रीकंता ॥
ब्रह्मांड तनकाया तनर्मणत माया रोम रोम प्रतत बेद कहै ।
मम उर सो बासी यह उपहासी सन
ु त धीर मतत धथर न रहै ॥
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चररत बहुत बबधध कीन्ह चहै ।
कदह कथा सुहाई मात बुझाई जेदह प्रकार सत
ु प्रेम लहै ॥
माता पतु न बोली सो मतत डोली तजहु तात यह रूपा ।
कीजै र्ससुलीला अतत वप्रयसीला यह सख
ु परम अनूपा ॥
सुतन वचन सज
ु ाना रोदन ठाना होई बालक सुरभूपा ।
यह चररत जे गावदहं हररपद पावदहं ते न परदहं भवकूपा ॥
दोह-
बबप्र धेनु सुर संत दहत लीन्ह मनज
ु अवतार |
तनज इच्छा तनर्मणत तनु माया गन
ु गौ पार ॥

{ 74 }
जनम लीये रघरु ै या
जनम लीये रघरु ै या अवधपरु बाजै बधैया
ब्रह्मा जी आये शंकर जी भी आये, आई शारदा माईया
गंगा भी आयी यमुना आयी आयी शरयू मईया
राजा भी आये रं क भी आये आये सबदह भैईया
भजन संग्रह कथानक { 60 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

सब सखी र्मलकर मंगल गामें , गामें सबदह बधईया


सुर नर मुतन सव आरती उतारे , मन में बहुत हरसैया

{ 75 }
जायौ कौसल्या रानी लल्ला
जायौ कौसल्या रानी लल्ला मोहल्ला में हल्ला सौ मच गयो
राजा लुटावे अन्न धन सोना, रानी लुटावे छाप छल्ला
राजा लुटावे लड्डू पेडा, रानी लुटावे रस गुल्ला
राजा लट
ु ावे पाग वपछोरा, रानी लट
ु ावे दस
ु ल्ला
राजा लुटावे रुपया पैसा, रानी लुटावे मोहर धगल्ला
कौई बजावे िोल मंजीरा, कोई बजावे तवल्ला
धन धन केकैई सर्ु मत्रा, धन्य दशरथ कौशल्या
अवध वासी नाचै कूदै , भक्त हँसे दे दे ठल्ला

ववश्वाशमत्र आगमन

{ 76 }
राघव को मै ना दं ग
ू ा
राघव को मै ना दं ग
ू ा मतु न नाथ मरते मरते
मेरे प्राण ना रहें गे ये दान करते करते
जल के ववना कदाधचत मछली शरीर धारे
पर मै ना जी सकंू गा इनको बबना तनहारे
कौर्शक र्सहर रहे है मेरे अंग डरते डरते । राघव...
कर यत्न चौथेपन में सुत चार मैंने पाये
वपतु - मातु परु जनो को रघच
ु न्द्र ने जजलाये
लोचन चकोर तनमय छवव पान करते करते । राघव...
चलते ववलोक प्रभु को होगा उजाड कौशल
मंगल भवन के जाते सम्भव कहां से मंगल
भजन संग्रह कथानक { 61 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

सीचे कृपालु तरू को मद


ृ ु पात झरते झरते । राघव...
होवे प्रसन्न मुतनवर ले राजकोष सारा
रानी सुतो संग में वन में करू गज
ु ारा
ले गोद राम र्शशु को सुख मोद भरते भरते । राघव...

{ 77 }
चले यज्ञ की रक्षा करने
चले यज्ञ की रक्षा करने वो प्राणों के प्यारे
रघक
ु ु ल राघव राम चन्द्र दशरथ के नैनो के तारे
सोच रही थी नन्ने मन्
ु ने कैसे तीर चलायेगे
कैसे बडे बडे दष्ु टों को रण में मार धगरायेगें
बालक नही यह रूप प्रभु का दसरथ राज दल
ु ारे ! रघक
ु ु ल राघव .
बालक पन में भक्त ध्रुव ने हरर दशणन को पाया था
बाल भक्त प्रहलाद ने सत के झन्डे को फैहराया था
जली होर्लका प्रभु क्रपा से फूल वने अंगारे ! रघक
ु ु ल राघव....

जनकपरु में प्रवेि

{ 78 }
लागल जनक पुररया मेला
लागल जनक पुररया मेला दे खक
ै े म्हारा मनवा करे ला
राजा जनक जी धनष
ु प्रण कीन्हा
कौन वीर तोरै अकेला ! दे खक
ै े हमरा..
दे श ववदे श के राजा जो अईलै
एक से एक अलवेला ! दे खक
ै े हमरा..
पजश्चम ददशा से एक साधू बाबा आइलें
संग में र्लये दो चेला! दे खक
ै े हमरा..
एक साँवर एक गौर मनोहर
भजन संग्रह कथानक { 62 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जजनका दे ख दे ख जजय ललचेला ! दे खक


ै े हमरा..
चलौ सखख नयन सुफल करर आवै
पैसा लगेना धेला! दे खैके हमरा............

राम शसय प्रथम शमलन

{ 79 }
दे खकर राम जी को जनक नंहदनी
दे खकर राम जी को जनक नंददनी, बाग में बस खडी की खडी रह गयी
राम दे खें र्सया को र्सया राम को, चारो अखखयाँ लडी की लडी रह गयी
एक कहने लगी जानकी के र्लये, रच दई है ववधाता ने जोडी सुघड
पर धनुष कैसे तोडेंगे कोमल कुमर,
ददल में शंका बढ़ी की बढ़ी रह गयी....दे खके राम जी को...
बोली दज
ू ी सखी छोटे है ये मगर, चमत्कार इनका तू नही जानती
एक ही बाण में ताडका राक्षसी,
कफर उठी ना पडी की पडी रह गयी.... दे खके राम जी को........
दे खने के र्लए जब जनकपुर गये, सब झरोखों से सखखयाँ लगी झाँकने
दे खते ही नजर से नजर र्मल गयी,
सबकी अखखयाँ गडी की गडी रह गयी.... दे खके राम जी को......
यूँ तो ककतने बहादरु स्वयंवर में थे, पर धनुष राम जी ने उठाया था जब
राम सीता यग
ु ल रूप को दे खकर,
जो जहाँ थी खडी की खडी रह गयी....दे खके राम जी को.........

राम वववाह

{ 80 }
शिव धनुष तोड़ा राम जी ने
र्शव धनुष तोडा राम ने स्वयंबर में जजस घडी
सब दे वी दे वता भी लगे करने आरती
भजन संग्रह कथानक { 63 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जय राम चन्द्र आपकी जय जय हो जानकी-2


कहीं वेद मंत्र हो रहे थे ऊँची तान से,
पुष्पौ की वषाण हो रही थी आसमान से
ऊँचा था र्संघासन जहाँ ववराजमान थे
माथे पै मक
ु ु ट कांधे तरकस कमान थे
जय माल र्लये हाथ में तव आयी जानकी
डालू गले में ककस तरह है रान थी खडी
कुछ खझझकी कुछ र्समटी सीता ने ववचारा
आखों ही आखों में ककया लक्षण को इसारा
हे शेष के अवतार मझ
ु े दे दो सहारा
भल
ू ंग
ू ी नही उम्र भर ऐहसान तम्
ु हारा
हे लखन थोडी दे र तू पथ्
ृ वी को उठा ले
ये भाभी तेरे भैया को जय माल पहना दे
इतना समझ के लक्ष्मण फौरन हुए खडे
श्री राम जी के चरणों में जाकर के धगर पडे
श्री राम जी भी भाप गये दौनौ की बात को
सर नीचा कर उठाने लगे लखन भ्रत को
इतने में जानकी ने जयमाल डाल दी
जय राम चन्द्र आपकी जय जय हो जानकी

{ 81 }
झुक जाइयो तनक रघुवीर
झक
ु जाइयो तनक रघव
ु ीर र्सया मेरी छोटी है
र्सया मेरी छोटी, लली मेरी छोटी तुम हो बडे बलवीर र्सया...
जय माला र्लये कव से है ठाडी, दख
ू न लागौ शरीर । र्सया....
तम
ु तो हो राघव अयोध्या के राजा, और हम है जनक के गरीब । र्सया...
भजन संग्रह कथानक { 64 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 82 }
आजु शमथला नगररया
आजु र्मथला नगररया तनहाल सखखयां
चारो दल
ु हा मै बडका कमाल सखखयां
माथे मखण मौररया, मुण्डल सोहे कनवा
कारौ कारौ कजरारौ जुलमी नयनवा
लाल चन्दन सोहे इनके भाल सखखयां । चारौ...
श्यामल श्यामल गौर गौर जोडडयां जहान में
अखखयां ना दे खेली सन
ु ली ना कानवे
जुग जुग जीवे जोडी वेर्मशाल सखखयां । चारौ...
गगन मगन आजु, मगन धरततया
दे ख दे ख दल
ु हा जी के सावरी सुरततया
बाल वद्
ृ ध नर नारी वेहाल सखखयां । चारौ...
जेकरा लागी जोगी मतु न जप तप कयीले
ऐसे मोरा र्मथला में पाहुन वन के अइले
आजु लोिा से सेदायी इनके गाल सखखयां | चारौ...

वनवास

{ 83 }
छोड चले आज हमारे श्री राम
छोड चले आज हमारे राम अयोध्या छोड चले
मुख मोड चले आज हमारे राम अयोध्या छोड चले
चला राम का सेवक बनकर लक्ष्मण जैसा भाई,
चली जानकी बनकर अपने प्रीतम की परछाई
नर नारी और पशु पक्षी सबसे नाता तोड चले! छोड.……..
जैसे बछडे तछन जाने पर रोया करती गईयाँ
वैसे रो रो दे ख रहीं है राम लखन को मईयाँ
भजन संग्रह कथानक { 65 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

माया ममता महल मोह इन सबसे नाता तोड चले ! छोड....


नगर नगर और डगर - डगर में खडे अयोध्या बासी
कल था जजनका राज ततलक वो आज हुये वनबासी
छोड के फूलो की सैया कोटों से नाता जोड चले ! छोड....

केवट प्रसंग

{ 84 }
मेरी नैया मैं लक्ष्मण राम
मेरी नैया मैं लक्ष्मण राम गंगा मैया धीरे वहो
मेरी नैया में चारौ धाम, गंगा मैया धीरे वहो
कौन की नैया कौन की गंगा, कौन के लक्ष्मण राम ! गंगा मैया धीरे ..
केवट की नैया भागीरथ की गंगा, राजा दशरथ के लक्ष्मण राम ! गंगा मैया...
कौन लाये नैया कौन लाये गंगा, कौन पठये लक्ष्मण राम! गंगा मैया......
केवट लाये नैया भगीरथ लाये गंगा, दशरथ पठये राम! गंगा मैया....

भरत शमलाप

{ 85 }
मईया री तेने काह ठानी
मईया री तेने काह ठानी मन में , राम र्सया भेज दये री वन में
जदवप भरत तेरौ ही जायौ, तेरी करनी दे ख लजायौ ।
अपनो पद तैने आप गवायौ, भरत की नजरन में ॥ राम र्सया......
हठीली तेने...............
महल छोड वहाँ नही रे मडइया सीय सकुमारर संग दोऊ भइया ।
काऊ वक्ष
ृ तरू भीजत होंगे, तीनो मेहन में ॥ राम र्सया.......
हठीली तेने.............
कौसल्या की तछन गई वानी, रो न सकी उर्मणला दीवानी।
कैकई तू वस एकदह रातन, रहगई महलन में ॥ राम र्सया......
भजन संग्रह कथानक { 66 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

हठीली तेने...........

{ 86 }
राम भतत ले चला रे
राम भक्त ले चला रे राम की तनशानी
शीश पे खडायंू और अखखयो में पानी
राम भक्त ले चला रे राम की तनशानी
शीस खडामू ले चला ऐसे, राम र्सया जी संग हो जैसे।
चरणो में रहें गी अब इनके रजधानी ॥ राम भक्त ले चला..
पल पल ददन ददन बीते ऐसे, चौदह वषण कटें गे कैसे।
राम बबन कदठन है ये घडी ववतानी ॥ राम भक्त ले चला.
तन मन ज्ञान मदु दत अनरु ागा, धमण कमण पर धीरज त्यागा
आपदा में बह गये है धीर वीर ज्ञानी ॥ राम भक्त ले चला..

िवरी प्रसंग

{ 87 }
रामा रामा रटते रटते बीती
रामा रामा रटते रटते बीती रे उमररया
रघुकुल नन्दन कब आओगे र्भलनी की डगररया
मैं सबरी र्भलनी की जायी, भजन भाव ना जानू रे
राम तम्
ु हारे दशणन के दहत, वन में जीवन पालु रे
चरण कमल से तनमणल कर दो, दासी की झुपडडया । रामा...
रोज सवेरे वन जाकर रस्ता साफ कर आती हूँ
अपने प्रभु के र्लए वन से चन
ु चन
ु फल मैं लाती हूँ
मीठे बेरौ से मै भर लायी छबररया । रामा...
सुन्दर श्याम सलौनी सुरत नैना बीच बसाऊंगी
पद पंकज रज धर मस्तक पे चरणो में शीश नवाऊंगी
भजन संग्रह कथानक { 67 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

प्रभु जी मुझको भूल गये लो, दासी की खबररया । रामा...

{ 88 }
बोल बोल कागा मेरे
बोल बोल कागा मेरे राम कब आयेंगे
राम कब आयेंगे लखन कब आयेंगे
धीरे धीरे हमतो बागौ में जायेंगे
बागौ से राम जी को फल लेके आयेंगे
फलो का राम जी को भोग लगायेंगे । बोल बोल...
धीरे धीरे हमतो बागौ में जायेंगे
बागौ से राम जी को फूल लेके आयेंगे
फूलो को राम जी को ववस्तर लगायेंगे । बोल बोल...

आिोक वाहटका में हनम


ु ान

{ 89 }
राम कहानी सुनो रे राम कहानी
राम कहानी सुनो रे राम कहानी, कहत सुनत आवै अखखयों में पानी
दसरथ के राज दल
ु ारे , कौशल्या की आख के तारे
वे सूयण वंश के सूरज रघुकुल के वे उजयारे
राजजव नयन वोले मघुभरी वानी ! राम कहानी...
र्शव धनष
ु भंग प्रभु करके ले आये र्सता वरके
घर त्याग भये वनबासी वपतु की आज्ञा र्सर धरके
लखन र्सया ने संग छोडी रजधानी ! राम कहानी..
खल भेष र्भक्षु का धरके, र्भक्षा का आग्रह करके
उस जनक सुता सीता को छलवल से ले गया हरके
बडा दख
ु पावै राजा राम जी की रानी ! राम कहानी......
श्री राम ने मोय पठायौ में राम दत
ू वन आयौ
भजन संग्रह कथानक { 68 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

सीता माँ की सेवा में रघुवर को संदेशा लायौ


और संग लायौ प्रभु मुद्रका तनसानी ! राम कहानी.....

लक्ष्मण िक्तत

{ 90 }
मेरे लखन दल
ु ारे
मेरे लखन दल
ु ारे बोल कछु बोल
मत भईया को रूला रे बोल कछु बोल
भईया भईया कहके रस प्राणो में घोल | मेरे...
इस धरती पर और न होगा मुझ जैसा हत भागा
मेरे रहते वान शजक्त का तेरे तन मै लागा
जा नही सकता तोड के मझ
ु से ऐसे नेह का धाग
मैं भी अपने प्राण तजूंगा आज जो तू नही जागा
अखखयों के तारे लल्ला अखखयां तो खोल । मेरे...
बीत जाये रै न पवन सुत क्यो अब तक ना आये
बुझ ना जाये आस का दीपक मनवा जी घवराये
सूयण तनकल कर सूयण वंश का सूयण डडबो ना जाये
बबना बुलाये बोलने वाला बोले नही बुलाये
चुप चुप रहकर मेरा धीरज ना तोड । मेरे

{ 91 }
दनु नयां मै दे व हजारौ है
दतु नयां मै दे व हजारौ है बजरं ग बली का क्या कहना
इनकी शजक्त का क्या कहना इनकी भजक्त का क्या कहना
ये सात समुन्दर लांघ गये और गढ़ लंका में कूद गये
रावन को डराना क्या कहना, लंका को जलाना क्या कहना । दतु नयां...
जव लक्ष्मण जी बेहोश हुये संजीवनी बट
ू ी लाने गये
भजन संग्रह कथानक { 69 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

पवणत को उठाना क्या कहना, लक्ष्मण को जजलाना क्यो कहना। दतु नयां...
वनवारी इनके सीने में र्सया राम की जोडी रहती है
ये रमा ददवाना क्या कहना, गण
ु गाये जमाना क्या कहना | दतु नयां...

राजगद्दी

{ 92 }
राम दरस रस बरसै जैसे
दोहा. चहु ददस वरसै राम रस छायौ हरस अपार।
रानी की करै सव र्मल जय जय कार
कौसल्या नन्दन राजा राम, जानकी नन्दन राजा राम
जय र्सया राम जय जय र्सया राम
सीताराम दरस रस बरसै जैसे सावन की झडी
सावन की झडी रे प्यासे प्राणों पे पडी-2 सीता राम..
राम लखन अनमोल नगीना, अवध अगूठी में जड दीन्हा
सीता से सोहे जैसे मोती की लडी-2 ॥ सीता राम..
राम र्सया कौ रूप तनहारी नाचै गावै सव नर नारी
चल री दरसन कररआवै का सोचत खडी ॥ र्सया राम..
रोम रोम को नयन वनालो राम र्सया के दरसन पालो
वरसों पीछे आयी है ये र्मलन की घडी ॥ र्सता राम.....

{ 93 }
भज मन राम चरण सुख
भज मन राम चरण सुख दायी
जजन चरणन से तनकसी सरु सरी शंकर जटा समायी
जटा शंकरी नाम पयो हैं त्रभुवन तारन आयी। भज...
जजन चरणन की चरण पादक
ु ा भरत रह्यो लव लायी
सोई चरण केवट धोये लीन्हें तव हरी नाव चढ़ाई | भज...
भजन संग्रह कथानक { 70 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

सोई चरण संतन जन सेवत सदा रहत सख


ु दाई
सोई चरण गौतम ऋवष नारी परर्स परम पद पाई। भज...
दण्डक वन प्रभु पावन कीन्हो ऋवषयन त्रास र्मटाई
सोई प्रभु त्रलोक के स्वामी, कनक मग
ृ संग धाई। भज...
कवप सग्र
ु ीव बन्धु भय व्याकुल ततन लय छत्र कराई
ररपु को अनज
ु , ववभीषण तनसचर परसत लंका पाई | भज...
र्शव सनाकददक और ब्रह्माददक शेष सहस मुख गाई
तल
ु सी दास मारूत सत
ु की प्रभु तनज मख
ु करत बडाई | भज...

{ 94 }
दनु नयां चले ना श्रीराम
दतु नयां चले ना श्रीराम के बबना
राम जी चले ना हनम
ु ान के बबना
जव से रामायण पढ़ ली है एक बात मैने समझ ली है
रावण मरे न श्री राम के बबना, लंका जले ना हनुमान के बबना। दतु नया ...
लक्ष्मण का वचना मुजश्कल था, कौन बूटी लाने के काववल था
लक्ष्मण बचे ना श्रीराम के बबना, बूटी र्मले ना हनुमान के बबना। दतु नया...
सीता हरण की कहानी सुनो, वनवारी मेरी जुवानी सुनो
वापस र्मले ना श्रीराम के बबना, पता चले ना हनुमान के बबना । दतु नया...
बैठे र्सघांसन पर श्रीराम जी चरणौ में बैठे है हनुमान जी
मुजक्त र्मले ना श्रीराम के बबना, भजक्त र्मले ना हनुमान के बबना | दतु नया ...

{ 95 }
श्रीराम जानकी बैठे
श्रीराम जानकी बैठे है मेरे सीने में
दे ख लो मेरे ददल के नगीने में
मझ
ु को कीती ना वैभव ना यश चादहए,
भजन संग्रह कथानक { 71 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

राम के नाम का मुझको रस चादहये


सुख र्मले ऐसे अमत
ृ को पीने में । श्रीराम...
राम रर्सया हूँ मैं राम सुर्मरन करूँ
र्सया राम का सदा ही मैं धचन्तन करूँ
सच्चा आनन्द है ऐसे जीने मैं । श्रीराम...
फाड सीना है सबको ये ददखला ददया
भजक्त में मस्ती है बेधडक बतला ददया
कोई मस्ती ना सागर को मीने में । श्रीराम....

श्रीकष्ण जन्म

{ 96 }
बधाई-1
आनंद उं मग भयौ जय कन्है या लाल की
नंद के आनंद भयो, जय कन्है या लाल की
हाथी दीन्हे घोडा दीन्हे और दीन्हे पालकी । नंद के...
ज्वानन कू हाथी घोडा बूढ़ेन कू पालकी। नंद के....
ज्वानन कू लड्डू पेडा बूढ़ेन कू लापसी | नंद के...

कववत्त
आज वफी सी ब्रज नारर बनी, गुजजया से गीत और गज
ुं ा से ग्वाला
पेडा से प्यारे वने बलदे व जी, रस खीर सी रोहडी रूप रसाला
नंद महीप बने नमकीन, गोकुल ग्राम सब गरम मसाला
जायौ यशोदा जलेबी सी रानी ने, रबडी सी रात में लडूआ सौ लाला

{ 97 }
बधाई - 2
चलो दे ख आवें नंद घर लाला हुआ,
भजन संग्रह कथानक { 72 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

बूदं आनंद की बरसाने वाला हुआ- चलो.....


सखी ब्रज के सब ग्वाल होके ददल में खुशहाल,
बैया गदण न में डाल, नाचें दे -दे के ताल,
आज नंद का नसीबा उजला हुआ- चलो...
आज ब्रज में महाराज, करे भक्तो का काज,
जुडा सारा समाज करो दशणन सब आज,
सुख नयनों को पहुंचाने वाला हुआ - चलो......

{ 98 }
बधाई - 3
ब्रज में है रही जय-जयकार, नंद घर लाल जायो है ।
लाल जायो है नंद घर लाल जायो है - ब्रज में ....
यूथ के यूथ नंद घर आवें ग्वाला बाल सब र्मल जुल गावें
ब्रह्मानंद समान आज सुख सबने पायो है - ब्रज में......
मंगल वस्तु सभी लै लीन्हीं, न्योछावर लाला की कीन्ही
नंद द्वारे अरू मारग में दधध कीच मचायो है - ब्रज में ....
ब्रज चौरासी कोस में भैया, धन्य नंद यशोदा मैया
अस्सी साल की आयु में सुत याने पायो है-ब्रज में ....
नंद यशोदा भाग्य बडाई, सब ही दे ने लगे बधाई
ऐसो अद्भुद सुत कोई और न जायो है - ब्रज में....

{ 99 }
बधाई - 4
नंद जू के अंगना में , बज रही आज बधाई,
सौ-सौ बार बधाई सखखयों, लाखों बार बधाई - नंद...
चमत्कार सा हो गया सखखयों, हो गई बात तनराली
रात ही रात में नंदबाबा की, दािी हो गई काली-नंद...
भजन संग्रह कथानक { 73 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

ना जाने ककस ऋवष मुतन ने, धागा हाथ लपेटा,


नंद भवन अनहोनी हो गई, बेटी हो गई बेटा - नंद.....
कानो कान ये बात चली, सोचे हर ब्रजबाला,
नंद भी गोरे यशोदा भी गोरी लाला केदह बबधध काला – नंद...
जनम-जनम की साध परू ी हुई लाला घर में आया,
माल खजाना हीरे मोती, दोनो हाथ लुटाया - नंद.....

{ 100 }
धन्य धन्य ब्रज भशू म कक तन
ू े
धन्य धन्य ब्रज भूर्म कक तूने चरण धचन्ह जहां डाले
भाग्यवान है कृष्णा तेरे दे श में रहने वाले
मै ब्रज कौ रर्सया ब्रजवासी मेरौ मन कान्हा कौ दास आत्मा राधे की दासी
हृदय वन्ृ दावन में डोले मेरी श्वास श्वास राधे कृष्ण राधे कृष्ण बोले
इस जग को बुद्धध दे ने वाला बुधवार को जग में आया रे
अष्टम सन्तान का जन्मोत्सव अष्टमी को जाय मनाया रे
लेते ही जनम गोकुल की ओर आंधी पानी में धाया रे
हुआ नंद के घर आनन्द सवेरे जब मख
ु चन्द्र ददखाया रे
वही चन्द्र वज
ृ चन्द्र वना और बज
ृ में ककये उजाले। भाग्यवान...
मान व्रज ने यह पाया है चारो धामो ने इसी धाम को श्रेष्ठ बताया है ।
गोपाल बना ददया गोचारण गऊँओं का मान बढ़ाने को
घर घर का माखन खाता रहा हर घर से नेह तनभाने को
बरसाने वाली राधा से ककया प्रेम प्रेम बरसाने को
ब्रज में आया ब्रजवासी का सवोत्म गौरव पाने को
बन्दनीय है राधा वंशी यमुना गोपी ग्वाले । भाग्यवान...
मेरे भारत का क्या कहना सोने पै सुहाग है पावन ब्रजभूर्म पे रहना

{ 101 }
भजन संग्रह कथानक { 74 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

रून झुन रून झुन झनन


रून झुन रून झुन झनन झनन झन बाजत है पैजतनया
मात यशोदा चलन र्सखावे, अंगूली पकड दोऊ कतनयां । रून...
पीत झगर्ु लयां तन पर सोहे , र्सर टोपी लटकतनयां । रून...
तीन लोक जाके ऊदर ववराजै, ताहे नचावै ग्वार्लतनयां। रून...
सूरदास प्रभु तन को तनहारे , सकल ववश्व कौ धतनयां । रून...

{ 102 }
बधाई - 6
कन्है या झूले पलना नेक धीरे झोटा दीजो
धीरे झोटा दीजो हां धीरे झोटा दीजो
मेरो लाल झल
ू े पलना-नेक....
मथुरा में याने जनम र्लयो हैं,
गोकुल में झूले पलना-नेक....
ले वसुदेव चले गोकुल को,
याके चरण पखारे यमुना नेक.....
काहे कौ याकौ बन्यौ पालनो, -
काहे के लागे फुंदना-नेक....
रतन जदटत याकौ बन्यौ है पालनौ,
रे शम के लागे फुंदना-नेक...
चंद्रसखी लखख बालकृष्ण छबब,
धचर जीवे तेरो ललना- नेक...

पंचम हदवस

{ 103 }
िंकर आगमन
बधाई - 7
भजन संग्रह कथानक { 75 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जुग जुग जीवै री यशोदा मैया तेरौ ललना ।


बड भाधगतन तू मात यशोदा ऐसौ सुत तैने जायो,
पूरण ब्रह्म जगत को स्वामी सो तैने गोद खखलायो,
ताकू डारर झुलावै पलना-तेरो.....
धन्य घडी जब होय यशोदा मैया कहकर वोलै,
नूपुर बांधध दोउ चरणन में घुटुवन-घुटुवन डोलै,
पकरै बाबा की उं गररया-तेरी.....
आशा लेकर बडी दरू से दशणन करबे आयौ,
मेरो इष्ट जगत कौ स्वमी तैने गोद खखलायौ,
याके दरश बबना मोदह कल ना - तेरो .....
जो मांगे सो लेजा बाबा भोजन तोय कराऊ
तेरो भेष दे खख डरपेगौ लाला नांदह ददखाऊ,
मेरो छोटो सो ललनवां- सोवे पलना-जग
ु .....
माया काल डरे जाके डर भक्तन कौ दहतकारी,
अपने लाल कौ मरम न जाने तू भोरी महतारी,
जग में नांही याकी तल
ु ना - तेरो ...

{ 104 }
राधधका गोरी से ववरज की छोरी
राधधका गोरी से ववरज की छोरी से मैइया करादे मेरौ व्याह
अरे क्या सोचे है माँ मेरी
जो नही व्याह करावे तेरी गैया नाय चराऊ
आज के वाद मेरी मैइया तेरी दे हरी पर नाय आउ
आयेगा रे मजा अव जीत हार का
चन्दन की चौकी पै मैया तुझको बैठाऊ
अपनी राधा से में चरण तेरे दबवाऊ
भोजन में बनवाउं गा छप्पन प्रकार के
भजन संग्रह कथानक { 76 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

छोटी सी दल्
ु हतनया जव अंगना में डोलैगी
तेरे सामने मइया वो घूघट ना खोलैगी
दाऊ से जा कहो वैठेगे द्वार पे
सुन बातें कान्हा की मैइया बैठी मुसकाय
लैके बलैया मैइया दहवडे से अपने लगाये
नज़र कही लग जाये ना मेरे गोपाल को

मांटी / वज रज खामन

{ 105 }
तेरे लाला ने ब्रज रज खाई
तेरे लाला ने ब्रज रज खाई, यशोदा सुन माई।
अद्भत
ु खेल सखन संग खेलो, छोटो सो मांटी को िे लो,
तुरत श्याम ने मुख में मेलो, याने गटक-गटक गटकाई-यशोदा...
दध
ू दही कंू कबहूं न नाटी, क्यों लाला तूने खाई माटी,
यशोदा डांट रही ले साटी, याहे नेक दया न आई- यशोदा.....
मोहन कौ मुखडा खुलवायो, तीनौ लोक यामे दरसायो,
तब ववश्वास यशोददहं आयो, ये तो पूरण ब्रह्म कन्हाई- यशोदा.....

{ 106 }
मारे मत मैया वचन भरवाय ले
मारे मत मैया वचन भरवाय ले,
वचन भरवाय ले सौगंध कर वाय ले-मारे ....
गंगा की खवाय ले, चाहे यमुना की खवाय ले,
क्षीर सागर में मैइया, टािो कर वाय ले-मांरे....
गईयन की खवाय ले, चाहे बछडन की खवाय ले,
नंद बाबा के आगे, ठाडौ कर वाय ले मारे ....
गोवपन की खवाय ले, चाहे ग्वालन की खवाय ले,
भजन संग्रह कथानक { 77 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

दाऊ भैया के माथे, हाथ धरवायले-मांरे....


माखन चोरी / ऊखल बन्धन

{ 107 }
रात श्याम सपनें
रात श्याम सपनें में आये दहीये पी गये सररर रररर
जवही श्याम मेरी खखडकी खोली, खखडकी कर गई चररर.......
जवही श्याम मेरी वदहंयां पकडी, वदहयां कर गई कररर....
जवही श्याम मेरौ माखन खायौ, मटकी भोरी कररर...
जवही श्याम मेरी चूनर झटकी, चूनर उड गई अररर...
जवही श्याम मोसे नैना र्मलाये, नैना लडगये अररर.....
चन्द्रसखी भज वालकृष्ण छवव, भव से तर जाये तररर....

{ 108 }
एक हदन ग्वाशलन सव
एक ददन ग्वार्लन सव जरु तनयां पकरो श्याम को
सव सखखयन र्मल सला ककये पर श्याम हाथ नही आवै
ऐसा करौ उपाय सखीवो चोरी करतौ पावै
कफरतौ यशुदा पै लै जतनया पकरौ श्याम कौ
यशोदा पै लै जाय कै यामें लगवावैगी संन्टी
एक सखी तव यो उठ वोली छीकेते वाधौ घन्टी
चोरी करत में वजतनया पकडौ श्याम कौ
वोले श्याम घंटी से सन
ु तू मेरौ कदहयो मत टररयौ
जव तक मै माखन नही खाऊ तव तक तू मत बजजयों
माखन लेन लगे सवररया पकरो श्याम कौ
माखन लैकें हाथ पै धरर्लयो मन में है रहे राजी
जवही माखन मुख में दीनो तव ही घन्टी वाजी
गोवपन पकरे है कन्हैया पकरौ श्याम कू
भजन संग्रह कथानक { 78 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

क्यौरी घन्टी नाही करी पर तूतौ नैक डरै ना


घन्टी बोली सुनौ श्याम घन्टी बबन भोग लगैना
तौ मररयादा रखतनयां पकरौ श्याम कू

{ 109 }
तोय काउ हदन हाथ लगाय
तोय काउ ददन हाथ लगाय दं ग
ू ी मत फोड दही की मटकी
में हूं गोपी वरसाने की, तेरी धौस में नाय आने की
तेरौ रस्ता वन्द कराय दं ग
ू ी । मत....
मात यशोदा से कह आई, घर चल तेरी करे गी वपटाई
तोहे ऊखल ते वधवाय दं ग
ू ी। मत....
भयो अनौखो तू उत्पाती, नैक सरम तोकू नही आती
तेरी कंस पै खवर कराय दं ग
ू ी। मत....
एक कमररया कारी तोपै, रतन जदटत आभष
ू ण मोपै
में तो चोरी तोय लगाय दं ग
ू ी। मत....
मेरी तेरी प्रीत पुरानी तुमने मोहन नाय पहचानी
तोय नैनन बीच वसाय लूंगी। मत....

माँ से शिकायत

{ 110 }
समझाय लीजौ अपने कान्हाय
समझाय लीजौ अपने कान्हाय मेरी तछप गयौ रात अटररया में
जव चन्दा तछपौ वदररया
दे ख ऐसौ तेरौ छोरा री, हृदय कौ वडौ कठोरा री
इक हाथ मैं लैकै रोरा री, मेरी कर गयौ र्भल्ल गगररया में । जव...
मेरे आगे पीछे डोलै री मोसे भावी कह कर बोलै री
मेरौ हस हस घंघ
ू ट खोलै री नाय रहनौ तेरी नगररया में । जव...
भजन संग्रह कथानक { 79 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मेरौ सवरौ माखन खायौ री रह्यौ सयौ लुडकायौ री


में ने बहुतेरौ समझायो री मत छे डै वार उमररया में । जव...
में तो पानी भरके जाय रही रस्ता में आय छकाय रही
मोय गारी चार सुनाई री, याकौ जाद ू भयो बसुररयां में । जव...

{ 111 }
अरी मैया कन्है यां की
अरी मैया कन्है यां की शरारत क्या कहूं नटखट की
मटककया फोड दी मेरी, गगररया फोड दी मेरी
कक आके पीछे से चुपके से, तेरे इस छर्लया ने कान्हा ने
मटककया फोड दी मेरी
अंधेरी रात में आकर, मेरा माखन चरु ाता है - 2
ये लडता है झगडता है , मुझे आंखै ददखाता है -2
चुनररयाँ खीच कर मेरी, वो मारा हाथ घूँघट पट पे
नथतनयाँ तोड दी मेरी-2
फसा कर मुझको बातौ में , सदा घर पै बुलाती है - 2
अगर इन्कर करू मईया, र्शकायत लेके आती है
ये झूठी है जमाने भर की र्मली थी कल मुझे पनघट पै
बसुररया तोड दी मेरी - 2
ये झगडा गोपी कान्हा का, तनराला है अनोखा है -2
बबहारी से हां र्मलने का सुनहरा ये ही मौका है
मै बर्लहारी री मैं बारी, कन्है या को बबठाकर घर में
लगतनया जोड दी मेरी-2

{ 112 }
सुन री यिौदा मैया
भजन संग्रह कथानक { 80 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

सुन री यशौदा मैया तेरे नन्द लाल ने


कंकररया से मटकी फोडी मदन गोपाल ने
कारौ कन्है या तेरो बडो उत्पाती, संग में ग्वाल बाल खुरापाती
करदे डगररया चलना बेहाल | कंकररया...
छाछ दही माखन कौ बैरी, बडौ धीट डाटें ना डरे री
ऊँचे छीके टांगी बहँत संभाल | कंकररया... ।

{ 113 }
छोटी छोटी गैया
छोटी छोटी गैया छोटे छोटे ग्वाल छोटौ सो मेरो मदन गोपाल
आगे आगे गैया पीछे पीछे ग्वाल, बीच में मेरो मदन गोपाल
कारी कारी गैया गोरे गोरे ग्वाल, श्याम वरण मेरौ मदन गोपाल
घास खावै गैया दध
ू पीवै ग्वाल, माखन खावै मेरौ मदन गोपाल
छोटी छोटी लकुटी छोटे छोटे हाथ, वंशी बजावै मेरौ मदन गोपाल
छोटी छोटी सखखयां मधुवन बाग, रास रचावै मेरौ मदन गोपाल

{ 114 }
कालीदह पै खेलन आयो री
कालीदह पै खेलन आयोरी, मैरो वारो सौ कन्है या
ग्वालवाल सब सखा संग में गें द को खेल रचायौ री ।।
काहे की पट गें द बनाई, काहे को डण्डा लायौरी ॥
रे शम की पट गें द बनाई, चंदन को डण्डा लायौरी ॥
मारी टोल गें द गई दह में , गें द के संग ही धायोरी ॥

{ 115 }
तांण्डव गनत मुंण्डन
भजन संग्रह कथानक { 81 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

तांण्डव गतत मुंण्डन पर नत्ृ यत वनवारी


पम ् पम ् पम ् पग पटकत, फम ् फम ् फनतन पर
ववम ् ववम ् ववम ् ववनतत करत, नागबधू हरी । ताण्डव...
सर्सक सर्सक सनकाददक नंंं नंंं नंंं नारद मुतन
मम ् मम ् मम ् महादे व वं वं वं बर्लहारी । ताण्डव...
ववववध ववववध ववयाधर दम ् दम ् दम ् दे व सकल
गम ् गम ् गम ् गुतन गंधवण नाचत दें तारी। ताण्डव...
सरू दास प्रभु की वाणी ककम ककम ककनहू ना जानी
धन धन धन चरण परम तनभणर भय हारी । ताण्डव...

{ 116 }
मै तो गोवधतन कंु जांऊ
मै तो गोवधणन कंु जांऊ मेरे वीर, नांय माने मेरौ मनुवां ।
नांय माने मेरौ मनुवां, एरी नांय माने मेरौ मनुवां मै तो...
सात कोस की दै पररकम्मा, मै तो मानसी गंगा नहाऊं । मेरी....
सात शेर की करी किै या, मै तो संतन न्यौत जजमाऊं। मेरी....
चकलेश्वर के दशणन करके, मैं तो पैड-पैड खाऊं। मेरी......

{ 117 }
श्री गोवधतन महाराज
श्री गोवधणन महाराज, तेरे माथे मक
ु ु ट ववराज रह्यो
तोपे पान चिे तोपे फूल चिे । तोपे चिे दध
ू की धार हां धार-तेरे...
तेरी सात कोस की पररक्रम्मा, और चकलेश्वचर ववश्राम - ववश्राम
तेरे तेरे गले में कंटा साज रहयौ, ठोडी पे हीरा लाल हां लाल- तेरे....
तेरे कानन कुडंल चमक रह्यो, तेरी झांकी बनी ववशाल हां ववशाल- तेरे...

{ 118 }
भजन संग्रह कथानक { 82 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

धगररराज धरण प्रभु


धगररराज धरण प्रभु तम्
ु हरी शरण
प्रभु तुम्हरी शरण श्री जी तुम्हरी शरण - धगररराज ...

{ 119 }
तेरो सब संकट शमट जाय
तेरो सब संकट र्मट जाय, तू पज
ू ा कर गोवधणन की। ।
तेरो जनम-मरण र्मट जाय, तोहे नन्दलाला र्मल जाये ॥
सबर्मर्ल प्रणाम पदहले कीजै, धगररराज हृदय में धर लीजै ।
चलों मन में प्रेम बिायें, शोभा तनरखो या बनकी ॥
आगे पछ
ँू री कौ लौठा है , जो खाय खाय भयौ र्सलौटा है ।
करौ सब प्रणाम र्सरनाम, जो रक्षा करें अपने जनकी ॥
है मुखारबबन्द की यह झाँकी, याके मुकुट लकुट भ्रकुटी बांकी।
यापै दध
ू की धार चढ़ाय, इच्छा पूरण होवे मनकी ॥
अब राधा कुण्ड स्नान करौ, मन श्रीराधा को ध्यान धरौ ।
जो इनकी शरण में आय, सब व्याधध र्मटै तनकी मनकी ॥
पररक्रमा पूणण भई पण
ू क
ण ाम, नन्दबाबा के संग मधुप श्याम।
कर जोडौ शीश नवाय, आरम्भ करो ववधध पूजन की

{ 120 }
अपतण करके तन मन धन
अपणण करके तन मन धन चलौ रे चलै सब गोवणधन
राधे राधे बोलके, दें गे पररक्रमा डोलके
प्रथम दान घाटी पै पहुचे जाये, धगरधारी कँू लैवै शीश नवायें
दण्डौती करै मन में ना डरै पररक्रमा की तैयारी करै
सब दान करै ददल खोल के दें गे पररक्रमा डोलके । अपणण...
चले है मन में धग का धर ध्यान, र्मला पछ
ू री का लौठा स्थान
भजन संग्रह कथानक { 83 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जतीपुरा में आयेके, चिे दध


ू मन हरषायके,
भजक्त भाव कौ तोलके दें गे पररक्रमा डोलके । अपणण...
राधा कुण्ड पर राधे कर धर ध्यान, मानसी गंगा खूब करै स्नान
पावन होगी जव आत्मा, र्मल जायेंगे परमात्मा
वाणी में अमत
ृ घोलकै, दें गे पररक्रमा डोलके । अपणण...

{ 121 }
गोवधतन वासी सांबरे लाल
गोवधणन वासी सांबरे लाल तम
ु बबन रहयो ना जाय हो
बज
ृ राज लडते लाडले
बंक धचत्ै मुस्काय कै लाल, सुन्दर बदन ददखाय
लोचन तडपे मीन ज्यौ लाल, पलतछन कल्प ववहाय हो ।
सप्त सुरन वंधान सौं लाल, मोहन बैणु बजाय
सुरत सुहायी बांधके नैक, मधुरे मधुरे स्वर गाय हो ।
रर्सक रसीली बोलनी लाल, धगर चि गैया बुलाय
गंग बुलाई धूमरी नैक, ऊँची टे र सुनाय हो ।
दृष्टी परी जा ददवस ते लाल, तवते रूचे नही आन
रजनी नींद ना आवही मोहे , ववसयो भोजन पान |
दशणन को नैना तपै लाल, वचन सुनन को काम
र्मलवे कौ दहयरा तपै, मेरे जीवन प्राण ।
मन अर्भलाषा है रही लाल, लगत नैन तनर्मष
इक टक दे खू प्यारौ नागर नटवर भेष
पण
ू ण शशी मख
ु दे ख के लाल, धचत् चौयौ वाही के
रूप सुधा रस पान के लाल, सादर चन्द्र चकोर ।
लोक लाज कुल वेद की लाल, छाडों सकल वववेक
कमल कली रवव ज्यौं पिै लाल, छण छण प्रीत ववशेष हो ।
मन मत कोदटन वार ने लाल, दे खी डगमग चाल
भजन संग्रह कथानक { 84 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

युवती जन मन फन्दना लाल, अम्बुज नयन ववशाल।


यह रट लागी लाडले लाल, जैसे चातक मोर
प्रेम नीर बरसायके लाल, नव घन नन्द ककशोर हो ।
कँु ञ्ज भवन क्रीडा करे लाल, सुखतनद मदन गोपाल
हम श्रीवन्ृ दावन मालती लाल, तम
ु भोगी भ्रमण भोपाल हो।
युग यग
ु अवचर राखखये लाल, यह सुख शैल तनवास
श्रीगोवधणन धन रूप पे, बर्ल जाय चतभ
ुण ुज दास ।

महारास
भगवानवप ता रात्री: शरदोत्फुल्ल्मजल्लकाुः।
वीक्ष्य रन्तं
ूं ं मनश्चके योगमायामुपाधश्रतुः ॥

हे वंशी मम दहत करन बन्दौ तोय र्शर नाय ।


आज दहय अर्भालाष मम लावौ सवन बुलाय ॥
मोहन वन्ृ दावन क्रीडत, कँु ञ्जबन्यौ यह भाय।
शरद तनशा जगमग रही, मोहन बैणु बजाय ॥

{ 122 }
बाजै रे मरु शलया बाजै
बाजै रे मुरर्लया बाजै अधर धेरै मोहन मुरली पर
होठ माया बबराजै । बाजै
हरे हरे बांश की वनी मरु र्लया, मरम मरम को छुये अंगरु रया
चंचल चतुर अंगुररया जजस पर, कनक मुदररया साजै। बाजै...

उठ धायी ब्रज बधू श्रवण सतु न, सुतन भवन पतत उन सब तजे ।


गोपी भयी धचत् काम आतुर, उलदट अभरन अंग सजे ॥
नन्द नन्दन चरण परसे, मदु दत गोकुल नाररया |
आये सन्मख
ु भयी ठाडी शरद तनशा उजयाररया ॥
भजन संग्रह कथानक { 85 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 123 }
गोकुल में दे खो वन्दावन
गोकुल में दे खो वन्ृ दावन मे दे खो,
मुरली बाजै रे श्याम संग राधा नाचै रे
छम छम नाचै राधा रानी सन
ु के मीठी मरु र्लया
श्याम छबब पै सब बर्लहारी गोपी ग्वाल और गईया
सरर सरर बोलै पवन पुरबईया मेघा साजै रे ॥ श्याम संग.......
बंशी बट पे यमन
ु ा तट पे कान्हा रास रचाये
गोपी बनकर शंकर आये गोपेश्वर कहलाये
डमण्ड डमण्ड डमरू बाजे कान्हा की मुरली पर जग सारा नाचै रे ॥ श्याम
संग.....
चद्रककरण सौ श्याम सलौना दोउ आँखे कजरारी
ठुमक ठुमक नाचै गोवपन के संग जग का पालनहारी
श्याम बबहारी संग राधा सकुमारी सी संग बबराजै रे ॥श्याम संग.......

{ 124 }
तेरी आंखखया है जाद ू भरी
तेरी आंखखया है जाद ू भरी बबहारी जी मै तो कब से खडी
सुनलो मेरे श्याम सलोना तुमने मुझ पर कर ददया टोना ।
बहै आखों से असअ
ु न झडी ॥ बबहारी जी में .....
तुमसा ठाकुर और न पाया तुमही से मैनें नेह लगाया।
मै तो चरणौ आन पडी ॥ बबहारी जी में ......
कृपा करो हररदास के स्वमी बांके बबहारी अंतय
ण ामी ।
मेरी टूटे न भजन की लडी | बबहारी जी में.......
तुमसा और न कोई सुन्दर बांके बबहारी तम
ु करूणाकर ।
मेरी तम
ु से ही अंखखया लडी ॥ बबहारी जी में .....
भजन संग्रह कथानक { 86 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 125 }
मेरे बांके बबहारी वपया
मेरे बांके बबहारी वपया चुरा ददल मेरा र्लया
आय हाय तूने ये क्या ककया चुरा ददल मेरा र्लया
मोहन तेरी सरू त प्यारी वन्ृ दावन के ओ बांके बबहारी
तेरी आंखखयौ ने जाद ू ककया
भक्ती में वो ऐसी खोई प्रेम ददवानी मीरा होई
उसने ववष का भी प्याला वपया
श्री हररदास के प्राणन प्यारे सूरदास के हो रखवारे
मेरे प्यारे तुझे ददल ददया
काहे तो संग प्रीत लगाई चैन गवाया और तनददया गवाई
याद कर कर के तडपे जजया

{ 126 }
रास रच्यो है रास रच्यो है
रास रच्यो है रास रच्यो है यमुना ककनारे श्याम रास रच्यो है
राधा नाचै कृष्णा नाचै नाचै गोपी संग
मन मेरौ बन गयो सखी री पावन वन्ृ दावन
सूरज नाचै चंदा नाचै नाचै तारा गण
मन मेरौ बन गयो सखी री पावन वन्ृ दावन
गंगा नाचै यमुना नाचै नाचै सरयू संग
मन मेरौ बन गयो सखी री पावन वन्ृ दावन
गंद्यवण नाचै ऋवष मतु न नाचै नाचै यच्छगण
मन मेरौ बन गयो सखी री पावन वन्ृ दावन
ब्रह्मा नाचै शंकर नाचै नाचै दे वगण
मन मेरौ बन गयो सखी री पावन वन्ृ दावन
भजन संग्रह कथानक { 87 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 127 }
बांसरु ी बजावे प्यारो
बांसुरी बजावे प्यारो नन्द लाला
रास रचामें संग में ब्रज वाला
कववत्त
गज़ब की बांसुरी बजती है वन्ृ दावन बसैया की
करूँ तारीफ मुरली की या मुरली धर कन्हैया की
जहां चलता था ना कुछ तीरो से कमानो से
बबजय नटवर की होती है वहां मुरली की तानो से

{ 128 }
छोड वन्दा वववपन कुञ्ज यमुना
छोड वन्ृ दा वववपन कुञ्ज यमुना पर्ु लन श्याम मधुवन चले
मात यशद
ु ा वपता नंद व्याकुल भये सब रोवे हमारे कन्है या गये
छोड सबसे लगन प्राण जीवन हरण ! श्याम मधुवन चले...
क्रूर अक्रूर ब्रज चन्द्र कू ले गयो, मेरी भोरी ककशोरी कू दख
ु दे गयो
अब करै कहा यतन जो र्मलै नद नंदन ! श्याम मधव
ु न चले...
हाय मोहन बबना चैन कैसे परे कौन नवनीत माखन की चोरी करे
गैइया करती रुदन धल
ू छाई गगन! श्याम मधुवन चले........

{ 129 }
कष्ण लेते है ब्रज से बबदाई
कृष्ण लेते है ब्रज से बबदाई कक मैया मोहे याद न करे
धनष
ु यज्ञ की आयी है खवररया जाना है मझ
ु को मथरु ा नगररया
कोई कैसे सहे ये जुदाई/ कक मइया
ब्रज वासी सब रोय रहे है गाय बछडा भी रोय रहे है
भजन संग्रह कथानक { 88 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

कृष्ण सह ना सकै यह जुदाई | कक मइया........


रथ को पकड के राधा रोए सखखया आकर रस्ता रोके
गोपी दे ती है रो रो दहु ाई । कक मइया....

{ 130 }
श्री कष्ण गोववन्द
श्री कृष्ण गोववन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण बासुदेवा
वपत मात स्वमी सखा हमारे ! हे नाथ नारायण बासुदेवा
वंदी ग्रह के तम
ु अवतारी कही जन्मे कही पले मरु ारी
ककसी के जाये ककसी के कहाये है अद्भुद हर बात ततहारी
गोकुल में चमके मथुरा के तारे ! हे नाथ नारायण बासुदेवा....
अधर पे वंशी हृदय मै राधे वट गये दोनो में आधे आधे
हे राधा माधव हे भक्त बत्सल सदै व भक्तो के काम साधे वही
गये जहाँ गये पुकारे ! हे नाथ नारायण बासुदेवा......

{ 131 }
ऊधो मोहह वज
ऊधो मोदह ब्रज ववसरत नाहीं ।
हं ससुता की सुन्दर कलरव उरु तरुवरकी छाहीं ॥
वे सुरभी वे बच्छ दोहनी खखरक दह
ु ावन जाहीं ।
ग्वाल बाल सब करत कुलाहल नाचत दै गलवाहीं ॥
यह मथुरा कंचन की नगरी मतन-मुक्त जज दह माहीं ।
जबदहं सुरत आवत वा सख
ु की जजया उमगत सुध नाहीं।
अनधगन भाँतत करी बहु लीला जसद
ु ा - नंद तनबाही ।
सूरदास प्रभु रहे मौन मह यह कह कह पतछताहीं ॥

{ 132 }
ऊथो मैड़या कू सुनैयो
भजन संग्रह कथानक { 89 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

ऊधो मैइया कू सुनैयो तेरो लाला दुःु ख पावै॥


कोऊ न मख
ु धोवै ताते जल, अचरा ना पोछ सम्हारै ।
माखन रोटी नाम न जानें ,
कनुआ कह मोदह कोई न बुलावै ॥
बाबानन्द अंगरु रयां गदह तनत पायन चलन र्सखावें ।
थको जान कतनयां हर्सं लेतौ,
धूररपोछ दहय सौ र्लपटावै ॥ ऊधो....
दध
ू वपवाय बडो दहत करती, चदु टया गंथ
ू र्संहावै ।
नहाते बार धगरे जो मेरो,
सौसौ बार कुलदे व मनावै ॥ ऊधो.....
आवें गोपी दै न उल्हानौ, एक धचत् नहीं लावै ।
सो सुख उद्धव या मथुरा में ,
जननी बबन को लाड लडावै ॥ ऊधो....
वन में भख
ू ौ जान कन्है या, करर करर छाक पठावै में ।
हाथ जोड ववनती कह दीजो,
ररखणयां तेरौ श्याम कहावै ॥ ऊधो....

{ 133 }
हम प्रेम दीवानी है
हम प्रेम दीवानी है वो प्रेम दीवाना
ऐ ऊधो हमें ज्ञान की पोथी ना पढ़ाना
तन मन जीवन श्याम का, और श्याम हमारा काम
रोम रोम में बस रहा, वो मतवाला श्याम
इस ददल में अब प्रेम का नही कोई दठकाना। हम प्रेम...
ऊधो तुम असअ
ु न कंू जो हरी सनमुख ले जाओं
पछ
ू े हरी कुशल तो चरणो मैं ददया चणाओं
कदहयो जी इस प्रेम का कुछ तो नज़राना। हम प्रेम...
भजन संग्रह कथानक { 90 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

प्रेम डोर से बध रहा, जीवन का संयोग


चरणन की पज
ू ा करे , यही हमारा योग
कानो में रहे गँज
ू ता, बंशी का तराना। हम प्रेम...

{ 134 }
पंक्षी ले जा रे सन्दे ि
पंक्षी ले जा रे सन्दे श मेरे श्याम वपया के दे श
धचट्ठी में सब कुछ र्लख डाला रहा ना कुछ भी शेष
बबखर गये माला के मोती चली गयी आँखो की ज्योतत
आंशू बीत गये आंखो के, रहे ना काले शेष| पंक्षी...
सूख गया सून्दर तन मेरा, ददल का ददण सहा बहु तेरा
पल पल तेरी याद सतायें, कर जा रे उपदे श। पंक्षी...
रो रो कर र्लखती मैं अजी, प्रीत तनभा जा ओ वेददी
मधुर प्रेम की चूनर ओंिी, धरा जोधगया भेष | पंक्षी...

{ 135 }
गोववन्द चले आओं
गोववन्द चले आओं गोपाल चले आओं
मेरे मुरलीधर माधव, नन्द लाल चले आओं
आंखौ में बसे हो तुम, धडकन में धडकते हो,
कुछ ऐसा करो मोहन, श्वासो में समा जाओं। गोववन्द...
एक शतण जमाने से, प्रभु हमने लगा ली है
या बुला तुम या खुद ही चले आओं। गोववन्द...
तेरे दशणन को मोहन, मेरे नैन तरसते है
है अजण मेरी मोहन अब और ना तरसाओं। गोववन्द...

{ 136 }
भजन संग्रह कथानक { 91 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

अपना चन्दा सा मख
ु डा
अपना चन्दा सा मख
ु डा ददखायजा रे , मोर मुकुट वारे घुघराली लट वारे
तो बबन वप्रयतम चैन परै ना नैनौ से उलझाये नैना
ओ मेरी अखखयन वीच समायजा ! मोर मक
ु ु ट वाले
वेदणदी तोहे ददण न आवे काहे जले पै नौन लगावै
हो आज प्रीत की रीत तनभायजा ! मोर मक
ु ु ट वाले
बाँसुरी अधरन धर मस
ु कावै, घायल कर क्यों नैन चुरावै
हो लागा प्रीत का रोग र्मटायजा ! मोर मक
ु ु ट वाले
काहे तो संग प्रीत लगाई तनष्ठुर तनकला तू हरजाई
आजा श्याम वपया आजा आयजा रे ! मोर मुकुट वाले

{ 137 }
तेरे बगैर सबररया
तेरे बगैर सबररया जजया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बनें
न जानें कौन सी बांकी अदा तुम्हारी है
हजारौ लाखौ र्मटे है ये ऐसी प्यारी है
कभी हमें भी र्मटाओं तो कोई बात बनें | तेरे.... ।
मैं लाऊ फूल तुम्हारी पसंद के प्यारे
बनाऊ फूल के बंगले ववराजो तुम तुम प्यारे
मुझे ये सेवा ददलाओ तो । तेरे....
बो यमुना जी का ककनारा, बो कुञ्ज है प्यारे
वही पर हमको बसा लो तो कोई बात बनें । तेरे....
ये आठौ याम की सेवा करू ततहारी मैं
कह गोववन्द में गाऊ तुम्हे ररझाने को
तम
ु भी साथ में गाओं तो कोई बात बनें। तेरे....
भजन संग्रह कथानक { 92 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 138 }
आओ सखी पाती सुनौ
आओ सखी पाती सुनौ यह जो र्लखी वज
ृ राज
योग करौ भष
ू ण तजौ यादह र्लखत न आयी लाज
आंखखररया झीनी परी पंथ तनहार
तनहार जीवडडया छाले परे कृष्ण पक
ु ार पक
ु ार
तनणमोही नंद लाल है मोही दशरथ लाल
वे िूित वन वन कफरे इन त्यागी वज
ृ वाल

{ 139 }
श्याम तन श्याम मन
श्याम तन श्याम मन, श्याम ही हमारौ धन
आठौ याम ऊधौ हमें श्याम ही सो काम है
श्याम दहय श्याम जजय श्याम ववनु नाय वपय
अंधरे की सी लाकरी अधार श्याम नाम है
श्याम मतत श्याम गतत श्याम ही है प्राण पतत
श्याम सख
ु दाई सौ भलाई सोभा धाम है
ऊधौ तुम भये वौरे पाती लैकें आये दौरे
योग कहा राखै यहां रोम रोम श्याम है !

{ 140 }
आओं मेरी सखखयों मझ
ु े
आओ मेरी संखखयो मझ
ु े में हदी लगादो
में हदी लगादो मुझे ऐसी सजा दो।
मझ
ु े श्याम सन्
ु दर की दल्
ु हन बना दो ॥
सत्संग में मेरी बात चलाई,
सतगुरू ने मेरी कीन्हीं रे सगाई।
भजन संग्रह कथानक { 93 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

उनको बुलाके हथलेवा तो करा दो ॥ मुझे श्याम.....


ऐसी पहनँू चूडी जो कबहुँ न टूटे ,
ऐसा वरूँ दल्
ू हा जो कबहूँ न रूठे ।
अटल सुहाग की बबंददया लगा दो ॥ मुझे श्याम....
ऐसी ओिूं चन
ु री जो रं ग नाहीं छूटे
प्रीत का धागा कबहुँ ना टूटें |
आज मेरी मोततयों से मांग भरा दो ॥ मुझे श्याम.....
भजक्त का सरु मा मैं आंखौ में लगाऊँगी,
दतु नयां से नाता तोड उनकी हो जाऊँगी ।
सतगुरू को बुलाके मेरे फेरे तो पडवा दो ॥ मुझे श्याम....
बाँध के घंघ
ु रू मैं उनको ररझाऊँगी,
लेके एकतारा मै श्याम श्याम गाऊँगी।
सतगुरू को बुलाके डोली तो उठवादो ॥ मझ
ु े श्याम.....

{ 141 }
मेरे सरकार का दीदार
मेरे सरकार का दीदार वडा प्यारा है
कृष्ण मेरा प्यारा गोववन्दा वडा प्यारा है
तेरे नैना रसीले मोटे मोटे कटीले
ददल को छीन र्लया तेरी प्यारी हसीने
तेरी अखखयों में लगा कजरा वडा प्यारा है । कृष्ण.....
लटौ ने लूट र्लया जजगर घायल ये ककया
तेरी प्यारी अदा ने मझ
ु े वेचैन ककया
मेरे सीने मे तेरा ददण वडा प्यारा है | कृष्ण .....
ओ मेरे श्याम वपया तेरे ववन तरसे जजया
प्रेम तम
ु से ही ककया तन
ू े क्या जाद ू ककया
तेरी यादो में धथरके अंग मेरा सारा है। कृष्ण....
भजन संग्रह कथानक { 94 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 142 }
मैंने मेहदी रचाई रे
मैंने में हदी रचाई रे कृष्ण नाम की।
मैने बबंददया सजाई रे कृष्ण नाम की ॥
मेरी चडु डयों पे कृष्ण मेरी चन
ु री पे कृष्ण मैं
ने नथनी सजाई रे कृष्ण नाम की ॥
मेरे होठों पे कृष्ण, मेरे हृदय में कृष्ण।
मैने ज्योतत जलाई रे कृष्ण नाम की ॥
मेरा प्रीतम है कृष्ण मेरा जीवन है कृष्ण ।
मैंन माला बनाई रे कृष्ण नाम की ॥

{ 143 }
तेरा ककसने ककया श्रग
ं ार
तेरा ककसने ककया श्रग
ं ृ ार साँवरे ,
ये लगे दल्
ु हा सा ददलदार साँवरे
मस्तक पर मर्लयाधगर चंन्दन केसर ततलक लगाया
कानौ में मकराक्रतत कुन्डल इत्र बहुत बरसाया
महकता रहे दरबार सांवरे ! तेरा ककसने.......
बागौ से कर्लयां चुनचुन कर सुन्दर हार बनाया
रहे सलामत हाथ सदा वो जजसने तम्
ु हें सजाया
सजाता रहें हर वार सांवरे ! तेरा ककसने.......
वोल कन्है यां वोल तझ
ु े में कौन सा भजन सुनाऊ
ऐसा कोई राग बता दे तू नाचै में गाऊ
नचाता रहू हर वार सांवरे ! तेरा ककसने...

{ 144 }
कजरारे मोटे मोटे तेरे नैन
भजन संग्रह कथानक { 95 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

बांके बबहारी कजरारे मोटे मोटे तेरे नैन, हाय नजर न लग जाये....
काजल की कोरै होय - 3, मेरा जजगर मरोरै होये-3
रं ग रस में वोरै होय-3, में तो वरी रे कजरारे ....
आखौ का काजल होय-3, मेरा जजगर है घायल होय-3
तेरा प्यार में पागल-3, कर डारी रे कजरारे ...
तेरे मक
ु ु ट की लटकन होय - 3, तेरे अधरन की मुसकन - 3
ग्रीवा की मटकन-3, वर्लहारी रे कजरारे ......
तेरी प्रीत है टे िी होय - 3 तेरी रीत है तेडी - 3
तेरी जीत है टे िी में तो हारी रे कजरारे .. ..........

{ 145 }
दल्
ू हा बने सरकार जोडी
दल्
ू हा बने सरकार जोडी का जवाव नही
कुण्डन पुर की रूकमणी प्यारी, द्वाररका परु ी के नन्द लाल । जोडी...
गौर वरण की रूक्मणी रानी, सांवरे सलौने नन्द लाल । जोडी...
सीधी साधी रूक्मणी प्यारी, नटखट नंद कुमार । जोडी...
र्मलकर भक्तो दरशन कर लो, इन दोंनों पे जाऊ बर्लहार । जोडी...

{ 146 }
जडी की पगडी बांधे
जडी की पगडी बांधे सन्
ु दर आंखौ वाला
ककतना सुन्दर लागे बबहार ककतना लागे प्यारा
कानो में कुण्डल साजे र्सर मोर मक
ु ु ट ववराजे
सखखयां पगली होती जब जब होटौ पै बंशी साजे
हे चन्दा ये सावँरा तारे है ग्वाल वाला । ककतना...
लट घुघराले वाला तेरे कारे कारे गाल
सन्
ु दर श्याम सलोना तेरी टे डी - मेडी चाल
भजन संग्रह कथानक { 96 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

हवा में सर सर करता तेरा वपताम्बर मत वाला। ककतना...


मुख पे माखन मलता तू वल घुटनो के चलता
दे ख यशोदा मात कौ दे वौ का ददल भी जलता
माथे पे ततलक है सेहै आखो में काजल डाल। ककतना...

{ 147 }
चौक पुरावो, माटी रगावो
चौक पुरावो, माटी रगावो, आज मोरे वपया घर आवेंगे
खबर सन
ु ाऊ जो, खश
ु ी ये बताओं जो, आज मेरे वपया घर आवेंगे
ऐरी सखी मंगल गावो री, धरती अम्बर सजावो री
उतरे गी आज वपय की सवारी,
हे री कोई काजल लावो री, मोहे काला टीका लगावो री,
उनकी छबब से ददखू मैं तो प्यारी
लक्ष्मी जीवारो, नज़र उतारो
आज मोरे वपया घर आवेंगे । हे री सखी...
रं गो से रं ग र्मले, नये नये िं ग खखले,
खुशी आज द्वारे मेरे डाले है डेरा
पीहू पीहू पपीहा रटे , कुहू कुहू कोयल जपे
आँगन आँगन है पररयो ने घेरा
अनहद नाद बजाओं री सब र्मल
आज मेरे वपया घर आवेंगे।

{ 148 }
मझ
ु े अपनी दल्
ु हन वना ले
मुझे अपनी दल्
ु हन वनाले श्याम तेरी ददवानी हुई में
ददवानी में तेरी दीवानी - 2
तेरे र्लये मैंन ववददया लगाई, तेरे र्लये में ने मांग भराई
भजन संग्रह कथानक { 97 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

तेरे र्लये में ने नथनी सजाई, अव हाथों में मेहदी रचादे , श्याम..
तुझे सौप ददया ये तन मन, तुम ही हो मेरे जीवन धन
ववन तेरे सूना ये जीवन, अव आकर मुझे अपनाले, श्याम.

{ 149 }
दे ख शलया संसार
दे ख र्लया संसार हमने दे ख र्लया सब मतलव के यार हमने दे ख र्लया
तन तनरोग धन जेब में जव तक, मन से सेवा करोगे तव तक
मानेगा पररवार हमने दे ख र्लया। दे ख...
जजस जजस का ववश्वास ककया है , उसने हमे तनराश ककया है
बनकर ररश्तेदार हमने दे ख र्लया। दे ख...
कभी चोट लग जाये न तन को, सभी समझते है तनधणन को
धगरती हुई दीवार हमने दे ख र्लया । दे ख...
प्रततभा का कोई मोल नहीं है , सफल र्सद्ध अनमोल वही है
जजसका प्रवल प्रचार हमने दे ख र्लया। दे ख...
सरल संत का मूल्य ना आके, कुदटलों के दरवाजे झांके
हो जाये दीदार हमने दे ख र्लया। दे ख...
सन्तो का उपदे श यही है , महामंत्र राजेश यही है
हरी सुर्मरन है सार हमने दे ख र्लया। दे ख...

{ 150 }
अरे द्वार पालो
दे खो दे खो ये गरीवी ये गरीवी का हाल, कृष्ण के दर पे ववश्वास लेके आया है
मेरे वचपन का यार है मेरा श्याम यही सोचकर में आस करके आया हूँ ॥
अरे द्वारपालो कन्है या से कहदो, के दर पे सुदामा गरीब आ गया है
भटकते भटकते न जाने कहाँ से तुम्हारे महल के करीब आ गया है
न र्सर पै है पगडी न तन पै है जामा, वता दो कन्है यां को नाम है सद
ु ामा
भजन संग्रह कथानक { 98 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

एक वार मोहन से जाकर के कह दो कक र्मलने सखा वदनसीव आ गया


है ...
सुनते ही दौडे चले आये मोहन, लगाया गले से सुदामा को मोहन
हुआ रूकमणी को बहुत ही अचम्भा ये मेहमान कैसा अजीव आ गया है ......
वरावर में अपने सद
ु ामा ववठाये, चरण आंसओ
ू ं से श्याम ने धल
ु ाये
न घवराओं प्यारे जरा तुम सुदामा खुशी का समा तेरे करीव आ गया
है ........

{ 151 }
बन आये की बात रे
बन आये की बात रे डयोिी वाना
हमने सन
ु ी कृष्ण पीताम्बर काछे , चिे खडाऊ पै जात ! भैइया
लूदट लूदट दधध माखन खायौ, व्रज ग्वालन के साथ! भैइया
हाथ लकुदटया काधे कामरर रज लपटी सव गात ! भैइया

सीस पगा न झँगा


सीस पगा न झँगा तन पे प्रभु, जाने को आदह बसौ केदह ग्रामा ।
धोती फटी सी लटी दप
ु टी, अरु पाँय उपानह की नदह सामा।
द्वार खडौ द्ववज दब
ु ल
ण एक, रह्यो चकक सो बसुधा अर्भरामा ।
पूछत दीनदयाल को धाम, बतावत आपनो नाम सुदामा ॥१॥

{ 152 }
कैसे बबहाल बेबाइन
कैसे बबहाल बेबाइन के पग, कंटक जाल लगे पतु न जोए ।
हाय ! महादख
ु पायौ सखा, तुम आए इतै न ककतै ददन खोए ।
दे खख सद
ु ामा की दीन दसा, करुणा कररकै करुनातनध रोए ।
पानी परात को हाथ छुयौ नदहं, नैनंन के जलसें पग धोए ॥ १ ॥
भजन संग्रह कथानक { 99 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 153 }
मुझे तुमने दाता बहुत कुछ
मुझे तुमने दाता बहुत कुछ ददया है तेरा शकु क्रया है - 2
न र्मलती अगर दी हुई दात तेरी तो क्या थी जमाने में औकात मेरी
तुम्हीने तो जीने के काववल ककया है ! तेरा.....
मुझे है सहारा तेरी वन्दगी का है जजस पर गज
ु ारा मेरी जजन्दगी का
र्मला मझ
ु को जो कुछ तम्
ु ही से र्मला है ! तेरा........
ककया कुछ न में ने सरमसार हू में तेरी रहमतों का तलवगार हूं में
ददया कुछ नही वस र्लया ही र्लया है ! तेरा..
र्मला मुझको जो कुछ वदौलत तुम्हारी मेरा कुछ नही सव है दौलत तुम्हारी
उसे क्या कमी जो तेरा हो र्लया है ! तेरा.....

{ 154 }
शमलन सात हदन का हमारा
र्मलन सात ददन का हमारा तुम्हारा,
रही जजन्दगी तो र्मलेंगे दब
ु ारा
माता वपता और भाई बहना, सतसंग में तम
ु आते रहना
यही आपसे कहना हमारा । र्मलन....
रमता जोगी बहता पानी, अपनी तो है यही कहानी
इसर्लये दतु नयां से कहना हमारा । र्मलन....
प्रभु को मानो भक्तो अपना, ये जग खुली आंख का सपना
राम नाम है सबसे प्यारा । र्मलन....

{ 155 }
ककसी से उनकी मक्न्जल का
ककसी से उनकी मजन्जल का पता पाया नही जाता
जहाँ वो है फररश्तों से वहाँ जाया नहीं जाता।
भजन संग्रह कथानक { 100 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

ककसी से मेरे टूटे हुये पाये तलब का मुझपे एहसा है


तेरी दर छोडकर मुझसे कही जाया नही जाता। ककसी से...
फकीरी में भी मुझको माँगने में शमण आती है
तेरा होकर हाथ कही और फैलाया नही जाता। ककसी से...
चमन तम
ु से इबादत है बहारे तम
ु सें जजंदा है
तुम्हारे सामने फूलों से यूँ मुरझाया नही जाता। ककसी से...
मुहधबत के र्लये कुछ खास ददल मक्सूद होते है
ये वो नगमा है जो हर साज से गाया नही जाता। ककसी से....
मुहधबत हो ही जाती है , मुहधबत की नही जाती
ये शोला खुद भडकता है इसे भडकाया नहीं जाता। ककसी से...

{ 156 }
तेरे एहसान का बदला चुकाया
तेरे एहसान का बदला चुकाया जा नही सकता
करम ऐसा ककया भगवान, भुलाया जा नही सकता
अगर मुझको न तू र्मलता, मेरा मजु श्कल गुजारा था
जो पहुँचा था बुलंदी पर वो एक टूटा र्सतारा था
ददलो से तेरी उल्फत को र्मटाया जा नही सकता । तेरे एहसान....
बडी ऊँची तेरी रहमत है छोटी सी तवां मेरी
तुझे दाता समझ पाऊ है हस्ती वो कहां मेरी
तेरी रहमत को शधदो में सुनाया जा नहीं सकता। तेरे एहसान....

॥ होली ॥

{ 157 }

आ जाइयो श्याम बरसाने


आ जाइयो श्याम बरसाने गाँव
भजन संग्रह कथानक { 101 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

तोये होरी खब
ू खखलाय दँ ग
ू ी
होरी को मजा चखाय दँ ग
ू ी-2
संग लाइयो ग्वालन की टोली
सब छै ल छबीले हम जोली
पीरो पटुका पधगया पीरो पीरी पोखर न्हवाय दँ ग
ू ी, होरी को......
पहराय दऊँ लहँगा अरू चोली
तनधरक खेलेगें हम होरी
चरु रया ववतछया काजर बबददंया पामन पायल पहराये दं ग
ू ी, होरी को....
मेरी गली रँगीली अतत प्यारी
होरी खेले श्यामा प्यारी
जब चले दह
ु त्था लट्ठ श्याम तोहे नानी याद ददलाय दँ ग
ू ी, होरी को....
आय जइयो प्राणन के प्यारे
सखखयन के नैनन के तारे
धचत्रा संग सखखया ववनय करै दहयरा में तोहे बसाय लँ ग
ू ी, होरी को.....

{ 158 }
ऐसी होरी तोय खखलाऊ
ऐसी होरी तोहे खखलाऊ दध
ू छटी को याद ददलाऊ
सुनले सांवरे होरी खेले तो अइयो मोरे गाँव रे ।
होरी का बना कफरे खखलडी दे ख तेरी होरी ।
इतनी मार लगाऊ तोमे चस्के कोरी कोरी । ।
तोमे ऐसा लठ्ठ वजाऊ तेरी होरी में छुडवाऊ ।
वडा तोहे चाव रे होरी खेले तो अइयो मोरे गाँव रे
छीन लेहू मुरली पीताम्बर कदट लहगा पहनाऊ ।
नैनन सुरमा दे उ लाली चुनरी सीस ओिाऊ ॥
तोकू सन्
ु दर नारी बनाऊ तोहे यशोदा तनटक नचाऊ
जो लग जाये दाग रे होरी खेले.....
भजन संग्रह कथानक { 102 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

यशोदा ने कैसे जाये होगा गारी दे वज


ृ नारी
होरी का तोहे मजा चखा दे याद करे महतारी
कान खोल के सुन दारी के आओं आओं मतवारी के दद
खावत फाग रे - होरी खेले...
पांच सात ग्वालो को लेके करता कफरे वरजोरी
गली गली में शोर मचावे राधा गोरी गोरी
अव तक तूने की मन मानी अवके याद करे गौ नानी
मचे जव फाग रे होरी खते तो आओं ने.........

{ 159 }
सुन ले वषभानु ककिोरी
सन
ु ले वष
ृ भानु ककशोरी जो मोते न खेली होरी
तो तेरी मेरी कट्टी है जायेगी
तू सुनले नंद ककशोरा तू मत करे वरजोरी
तो तेरी मेरी कट्टी है जायेगी
मौसम आया मतवाला है तू बरसाने की वाला है
मै गौरी हू तू काला है क्यू करता गड-बड झाला है
मै लाओं रं ग कमोली जो मोते न खेली होरी ! तो तेरी.....
मैने ओदि नई चुनररया है मत रं ग डारे सांबररया है
सुनके है जाये बाबररया है मेरी बाजे जव वसुररया है
मेरे संग न सखखया मोरी जो तूने करी वरजोरी ! तो तेरी
मैने केशर रं ग घुलवायो है होली में मन तोपे आयो है
मोय मत न समझ अनाडी रे तेरी जानू सव हुसयारी रे
तोते बंधी प्रेम की डोरी जो मोते न खेली होरी ! तो तेरी.......

{ 160 }
मेरी चुनर मे लग गयौ
मेरी चुनर में लग गयौ दाग री
भजन संग्रह कथानक { 103 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

ऐसो चटक रं ग डारयौ


औरन ते होरी नाय खेलै या
की मोही सो लधग रही लाग री ॥ ऐसो चटक..
मोहू ते ककतनी वज
ृ सुन्दरी
ये तो मोही से खेले फाग री ॥ ऐसो चटक...
वर्ल-वर्ल दास वास वज
ृ तजजये
ऐसी होरी मे लग जागे आग री ॥ ऐसो चटक.......
चन्द्र सखी भज बाल कृष्ण छबी
बडे भागन ते फागुन आयौ री ॥ ऐसो चटक.......

भजनावली

{ 161 }
मुकुट शसर मोर का मेरे
मुकुट र्सर मोर का मेरे धचत चोर का
दो नैना सरकार के, कटीले है कटार से
कमल लजाये तेरे नैनो को दे ख के
घूरी घटायें तेरे कजरे की रे ख पे
ये मुखडा तनहार के सौ चाँद गये वार के ! दो नैना...
कुवाणन जाऊ तेरी वांकी अदाओं पे
पास मेरे आजा भरलू तोह वाहो में
जमाने को ववसार के ददलौया तोपै वार के ! दो नैना
बांके ववहारी नही तुलना तुम्हारी
तम
ु सा ना पहले कोई ना दे खा अगाडी
दीवानो ने ववचार के कहा ये पुकार के! दो नैना

{ 162 }
तेरी मुरली दी शमट्टी तान वे
तेरी मुरली दी र्मठ्ठी र्मठ्ठी तान वे में तो हो हो गई कुबाणन वे
भजन संग्रह कथानक { 104 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मुरली वजाके हाय ददल सांडा लै गया आंख दे ईशारे नाल सव कुछ
कहगया
हुड जजतनयां में लल तेरा नाम वे में तो हो....
छड्डी न ऊमर भर कद्दी मेरा साथ वे आवै न ववछौडे वाली कद्दी श्यामा रातवे
तेरे कदमच मेरी जजन्द जान वे में तो हो....
कर गये घायल नैना वाले तीर वे, प्यार तेरा पाके मेरी खुली तकदीर वे
हूवे कदमच जजन्दगीदी शाम वे में तो हो...

{ 163 }
मेरे हदल को चुराके ले गया
मेर ददल को चुराके ले गया ले गया वो नटखट नन्दलाला
वो नटखट नन्दलाला वो गोकुल का ग्वाला ! मेर ददल को.....
जा ददन ते वो दे खो सजनी तब ते चैन परै ना
ददन तो कट जाता है सहज पर कटै नही ये रै ना
मेरी तनददया उडा के ले गया ले गया वो नटखट नन्दलाला ! मेरे ददल
एक ददना पनघट पै सखी री श्याम अकेलो आयो
गगररया उठ वाई प्रेम से, मीठो सो बतरायो
मेरे गम को बिा के दे गया दे गया, वो नटखट नन्दलाला ! मेरे ददल
प्यारा-प्यारा सुन्दर-सन्
ु दर राधा रर्सक बबहारी
पागल की यारी के संग मै जनम-जनम की यारी
मेरी आखों को आसू दे गया दे गया वो नटखट नन्दलाला! मेरे ददल

{ 164 }
भल
ू ो मत प्यारे बबहारी जी का
भूलो मत प्यारे बबहारी जी का नाम,
बांके बबहारी है सव सख
ु धाम
बांके बबहारी की झांकी सह
ु ानी,
भजन संग्रह कथानक { 105 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मदहमा महा उनकी जाय न वखानी


द्वारे पे खडे है दे खो उनके चारो धाम...
बांके ठाकुर की बांकी ठकुरानी
मुजक्त भी भरती है आकर के पानी
सरु मतु न सब करते इनको प्रणाम...
मजन्दर में रहती है भीड बडी भारी
दशणन को आते है लाखो नर नारी
सेवक है इनकी ये दतु नया तमाम..

{ 165 }
श्याम सपनों में आता तयों नही
श्याम सपनों में आता क्यों नही
तेरे प्यार का आधा पागल हूँ, पूरा पागल बनाता क्यो नही ॥ श्याम....
मेरा ददल तो ददवाना हो गया, मुझे ददल से लगाता क्यो नही ॥ श्याम....
मेरे नैनो में सूरत श्याम की, मुझे सूरत ददखाता क्यो नही ॥ श्याम...
सददयों से भटक रहा दर दर पर, मुझे दर पर बुलाता क्यो नही ॥श्याम....

{ 166 }
बांके बबहारी की दे ख छटा
बांके बबहारी की दे ख छटा दे ख छटा मेरौ मन है गयो लटा पटा
कव से खोजू वनवारी को वनवारी को धगरधारी को
कोई वतादे उसका पता ! मेरौ मन......
मोर मक
ु ु ट श्यामल तनु धारी, कर मुरली अधरन सज प्यारी
कमर में वाधे पीला पटा ! मेरौ मन...
पतनयां भरन यमुना तट आई वीच में र्मल गये कृष्ण कन्हाई
फोड ददयौ पानी कौ घडा ! मेरौ मन......
टे डी नजरै लट घघ
ु रु ाली मार रही मेरे ददल पै कटारी
भजन संग्रह कथानक { 106 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

श्याम वरण जैसे काली घटा ! मेरौ मन


र्मलते है उसे बांके बबहारी बांके बबहारी स्नेह बबहारी
राधे राधे जजसने रटा ! मेरौ मन..

{ 167 }
मेरी लगी श्याम संग प्रीत
मेरी लगी श्याम संग प्रीत दतु नयां क्या जाने
क्यो जाने कोई क्या जाने
मझ
ु े र्मल गया मन का मीत दतु नयां क्या जाने
छवी लखी मैंने श्याम की जब से भई वावररया मैतो तवसे
वाधी प्रेम की डोर मोहन से नाता तोडा में ने जग से
ये कैसी पागल प्रीतत ! कक दतु नयां क्यो जानें.........
मोहन की सुंदर सूरततया ददल में वस गई प्यारी मुरततया
लोग कहै में भई वावररया जव से ओिी श्याम चुनररया
मैने तोडी जग की रीत !
भूल गई कही आना जाना जग सारा लागै वेगाना
अवतो केवल गोववन्दा पाना रूठ जाये तो उन्हें मनाना
कफर होगी प्यार की जीत!

{ 168 }
फूलो में सज रहे है
फूलो में सज रहे है श्री वन्ृ दावन बबहारी
और साथ सज रही है वष
ृ भानु की दल
ु ारी
टे डा सा मक
ु ु ट र्सर पर रख्खा है ककस अदा से
करूणा वरस रही है करूणा भरी तनगाह से
ववन मोल ववक गये है जव से छवव तनहारी
वदहंया गले में डाले जव दौनौ मस्
ु कुराते
भजन संग्रह कथानक { 107 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

सवको ही प्यारे लगते सवके ही मन को भाते


इन दौनौ पे में सदके इन दौनौ पे मे वारी
चुन चुन के कर्लयां जजसने वंगला तेरा बनाया
ददव्य आभूषणौ से जजसने तम्
ु हें सजाया
उन हाथों पे में सद के उन हाथौ पे में वारी

{ 169 }
मेरा आपकी कपा से
मेरा आपकी कृपा से सव काम हो रहा है
करते हो तुम कन्है या मेरा नाम हो रहा है
पतवार के ववना ही मेरी नाव चल रही है
है रान है जमाना मंजजल भी र्मल रही है
करता नही हूँ कुछ भी सव काम हो रहा है । मेरा आपकी कृपा से.....
तुम साथ हो जो मेरे ककस चीज की कमी है
ककसी और वस्तु की अव दरकार भी नही है
तेरी ही प्रेरणा से ये कमाल हो रहा है । मेरा आपकी कृपा से...
मैं तो नही हूँ काववल तेरा प्यार कैसे पाउ
टूटी हुई वाणी से गुण गान कैसे गाउ
तेरी क्रपा से दास अव माला माल हो रहा है ॥ मेरा आपकी कृपा से........

{ 170 }
परदे में बैठे बैठे यू ना
परदे में वैठे वैठे यू ना मुस्कुराईये
आ गये तेरे ददवाने जरा परदा हटाइये
परदा तेरा हमें नही मन्जुर सांवरे
बैठा है छुपके ददवानों में क्यो दरू सांवरे
में भी तो आया दो कदम जरा तम
ु भी बिाईये ! आ गये तेरे ददवाने....
भजन संग्रह कथानक { 108 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

हम चाहने वाले है तेरे हमें है तुमसे मोहधबत


करदो करम जरा ददखादो अव सांवरी सूरत
प्यासी तनगाहै दीद की जरा नज़रे र्मलाईये! आ गये तेरे ददवाने....
तेरी एक झलक को प्यारे मेरा अव ददल वेकरार है
दीदार की तमन्ना मझ
ु े अव तेरा इन्तजार हैं
रह रह के हमे इस तरह यू ना सताईये ! आ गये तेरे ददवाने....

{ 171 }
मोहन से हदल तयू लगाया
मोहन से ददल क्यू लगाया है ये में जानू या वो जाने
छर्लया से ददल क्यू लगाया है ये में जानू या वो जाने
हर वात तनराली है उसकी हर बात है में है एक टे िापन
टे िे पे ददल क्यू आया है ये में जानू या वो जाने
जजतना ददल ने उसे याद ककया उतना जग ने वदनाम ककया
वदनामी का फल पाया है ये मे जानू या वो जाने
र्मलता भी है वो र्मलता नही नजरो से मेरी वो हटता भी नही
ये कैसा जाद ू चलाया है ये में जानू या वो जानें

{ 172 }
मुझे चरणौ से लगाले
मझ
ु े चरणौ से लगाले मेरे श्याम मरु ली वाले
मेरी स्वास स्वास में तेरा है नाम मुरली वाले
पतझड है मेरा जीवन वनके वहार आजा
सन
ु ले पक
ु ार कान्हा वस एक वार आजा
वेचैन मन के तुमही आराम मुरली वाले ! मुझे चरणो..
तुम हो दया के सागर जन्मों की में हूँ प्यासी
दे दो जगह मझ
ु े भी चरणों में वस जरा सी
भजन संग्रह कथानक { 109 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मेरी सुवह तुम्ही हो तुम ही साम मुरली वाले ! मुझे चरणो....


भगतों की कान्हा तुमने ववपदा है टारी
मेरी भी वाह थामो आके ववहारी
ववगडे वनाये तुमने सव काम मरु ली वाले! मुझे चरणो ......

{ 173 }
जगत प्रीत मत कररयो रे
जगत प्रीत मत कररयो रे मनवा, जगत प्रीत मत कररयो रे मनवा
भववाधा से डररयो रे मनवा
ये जग तो माया की छाया झूठी माया झूठी छाया
या पीछे मत पडडयो रे मनवा ! जगत..
ये जग तो मांटी का खखलौना इस के पीछे तू मत होना
गुरू चरणा धचत धररयो रे मनवा ! जगत......
ये जग तो मतलव का साथी हारे के वस हरर ही दहमाती
की सुधध न ववसररयो रे मनवा! जगत...... प्रभु
इस जग में तू आया अकेला मत कररयो जग में मन मैला
भव से पार उताररयो रे मनवा ! जगत......

{ 174 }
मैली चादर ओहि के कैसे
मैली चादर ओि के कैसे द्वार तम्
ु हारे आऊ
हे पावन परमेश्वर मेरे मन ही मन शरमाऊ
तुमने मुझको जग में भेजा तनमणल दे कर काया
आकर के संसार में मैंने इसको दाग लगाया
जनम जनम की मैली चादर कैसे दाग छुडाऊ
तनमणल वाडी पाकर तझ
ु से नाम न तेरा गाया
नयन मद
ू कर है परमेश्वर कभी न तम
ु को ध्याया
भजन संग्रह कथानक { 110 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मन वीडा की तारें टूटी अव क्या गीत सुनाउ ।


नेक कमाई करी न कोई जग की माया जोडी
जोड के नाते इस दतु नयां के तुम संग प्रीती तोडी
करम गठररया र्सर पर रख कर पग भी चल न पाऊ
इन पैरौ से चलकर तेरे मजन्दर कभी न आया
जहां जहां हो पज
ू ा तेरी कभी न शीश झुकाया
हे हरर हर में हार गया अब क्या हार चडाऊ

{ 175 }
एक कोर कपा की कर दो
एक कोर कृपा की कर दो लाडली श्री राधे
दासी की झोली भरदो ! लाडली....
में तो राधा श्री राधा सदां ही रहूं
द्वारे से लाडली के न हटूं
मेरे शीश कमल पग रख दो ! लाडली...
मेरी आस न टूटने पाये कभी
इस तन से प्राण भी जाये तभी
मुझे तनज चरणों का वर दो ! लाडली....
मुझे प्रीत की रीतत र्सखा दीजजये
चरणौ का सेवक वना लीजजये
ववरह की व्यथा सव हरलो ! लाडली...

{ 176 }
तम
ु हमारे थे प्रभु जी
तुम हमारे थे प्रभु जी तुम हमारे हो तुम हमारे ही रहोगे
ओ मेरे प्रीतम ! हम तुम्हारें थे...
तम्
ु हें छोड सन
ु नंद दल
ु ारे कोई न मीत हमारौ
भजन संग्रह कथानक { 111 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

ककसके द्वारे जाये पक


ु ारू और न कोई सहारौ
अवतो आके वांह पकडलो लो ओ मेरे प्रीतम
तेरे कारण सव जग छोडा तुम संग नाता जोडा
एक वार प्रभु हस कर कहदो तू मेरा में तेरा
सांची प्रीत की रीत तनभादो ओ मेरे प्रीतम
दासी की ववनती सुन लीजै ओ व्रज राज दल
ु ारे
आखखरी आस यही जीवन की पूरण करना प्यारे
एक वार हृदय से लगालो ओ मेरे प्रीतम !

{ 177 }
हरी हम कब होंगे
हरी हम कव होंगे वज
ृ वासी
ठाकुर नंद ककशोर हमारौ, ठकुरानी राधा सी
वंशीवट की शीतल छाया, सुगम वहै यमुना सी
सखी सहे ली नीकी र्मली है , हरी वन्शी हरर दासी
इतनी आश व्यास की पुजवउ, वन्ृ दावववपन ववलासी
हरर हम……

{ 178 }
राधा रानी हमारी
राधा रानी हमारी फूलौ में , श्यामा प्यारी हमारी फूलौ में
फूल के हार फूल के गजरे
कैसी छाई वहार फूलों में
फूल साडी फूलों की अधगया
कैसी चूनर सजी है फूलौ में
फूल के द्वार फूलों का वंगला
कैसी झम
ू र सजे है फूलों में
भजन संग्रह कथानक { 112 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

फूल से श्याम फूलों यी राधा


कैसी जोडी सजी है फूलों में

{ 179 }
लाड़ली अद्भुद नजारा
लाडली अद्भद
ू नजारा तेरे बरसाने में है
बेसहारौ को सहारा तेरे बरसाने में है
हर लता हर डाल पर तेरी दया की है झलक ।
पर अनोखी ये प्रेम धारा तेरे बरसाने में है ।
झाँककयां तेरे महल की कर रहे सव दे व गण ।
आ गया बैकुण्ठ सारा तेरे बरसाने में है ॥
ददल की हर रूसवाइयों को दरू करने के र्लये ।
कुण्ड गहवर का ककनारा तेरे बरसाने में है ॥
अब कहाँ जाऊ वता दो तेरे दर को छोड कर
मेरे जीवन का सहारा तेरे बरसाने में है ॥
यू तो सारे ही जगत में तेरी लीला का पता ।
हर घडी यशुमती दल
ु ारा तेरे बरसाने में है ।

{ 180 }
कष्ण कहने से तर जायेगा
कृष्ण कहने से तर जायेगा । पार भव से उतर जायेगा ॥
बडी मजु श्कल से नर तन र्मला । क्या पता कफर ककधर जायेगा |
होगी घर-घर में चचाण तेरी । जजस गली से गज
ु र जायेगा ॥
सब कहें गे कहानी तेरी । काम ऐसा जो कर जायेगा ॥
उसके आगे तू झोली फैला । दाता झोली को भर जायेगा ॥

{ 181 }
भजन संग्रह कथानक { 113 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

साड्डे मखना दा भोग


साड्डे मखना दा भोग लगाओ श्याम जी लगाओं श्याम जी
राधा रानी नाल रूधच रूधच पाओं श्याम जी
सखखयां वेडे नाल ग्वाले, जांदा चोरी चोरी-2
वरसाने की खौर सांकरी, करदा जोरा जोरी-2
साडी मटकी दा माखन चुराओं श्याम जी चुराओं श्याम जी
मात यशोदा रोज सजावै, भोग दी छप्पन थाली -2
वीडा नाल लगाई एक में , पावदी भरी वपयाली -2
एको दासी दा ददल, ना दख
ु ाओं श्याम जी -2
साग ववदरु तछलके ववदरु ानी बेर सवरी दे खाये
पागल भगता दे कर जाते चिनी दटक्कर खाये - 2
हो वाली अमर बबहारी ना सरमओं श्याम जी -2

{ 182 }
ऐसा वनादो श्याम
ऐसा वनादो श्याम मझ
ु को दीवाना
वनके दीवाना गाऊ तेरा तराना
जवसे कन्है यां तुमसे आंखै हुई चार है
मेरे जीवन में छाई गजव वहार है
भटक रहा था दर दर अव मैंने जाना ! वन.....
सांवरी सलैनी सूरत मन को लुभाती है
ऐसी मनभाती ददल में प्रीत जगाती है
प्रीत हमारी श्याम अवतो तनभाना! वन......
जो भी कहोगे सारे हुकुम वजायेगे
तेरे चरणौ को छोड कही नही जायेंगे
अव तो तह
ु ी हो श्याम मेरा दठकाना ! वन..
भजन संग्रह कथानक { 114 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 183 }
नैनन में श्याम समागौ
नैनन में श्याम समागौ मोय प्रेम कौ रोग लगायगौ
लट
ु जाउं गी श्याम तेरी मटकन पै
ववक जाउगी लाल तेरी लटकन पै
मोहे गैल धगरारे पायगौ ! मोह प्रेम....
मर जाउगी कान्ह तेरे अधरन पै
र्मट जउगी श्याम तेरे नैनन पै
वोतो ततरछी नजर चलायगौ! मोह प्रेम....
वर्लहारी कुवर तेरी अलकन पै
तेरी वेसर के मोती छलकन पै
सपने में कहा वतरायगौ ! मोह प्रेम.....
पागल कौ प्यारौ नंदलाला
दीवाने भये है जाके सव ग्वाला
वोतो मधरु मधरु मस
ु कायगौ ! मोह प्रेम....

{ 184 }
आना आना बबहारी
आना आना बबहारी हमारी गर्लयां
तघस तघस चन्दन ततलक लगाऊ धोउ चरनन की तर्लयां
प्रेम सदहत तेरौ भोग लगाऊ, माखन र्मश्री की डर्लयां
ततहारे कारण हार वनाउ, चुन चुन फूलन की कर्लयां
ब्रह्मानंद दरस की प्यासी मोर मुकुट पै जाउ वर्लयां

{ 185 }
मीठे रस से भरोडी राधा रानी
भजन संग्रह कथानक { 115 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मीठे रस से भरोडी राधा रानी लागै,


म्हाने खारौ-खारौ यमन
ु ा जी कौ पानी लागै
यमुना जी तो कारी कारी, राधा गोरी गोरी
वन्ृ दावन में धूम मचावे बरसाने की छोरी
व्रज धाम राधा जू की रजधानी लागे ! म्हाने......
कान्हा तनत मुरली में टे रे, सुर्मरैं वारम्वार
कोदटन रूप धरे मन मोहन तोउ न पावै पार
रूप रं ग की छवीली, पटरानी लागें ! म्हाने....
ना भावें म्हानें माखन र्मश्री, अव न कोई र्मठाई
म्हारी जीवडडया ने भावे, राधा नाम मलाई
वष
ृ भानु की लली तो गड
ु धानी लागें !म्हाने....
राधा राधा नाम रटत है जो नर आठों याम
ततनकी वाधा दरू करत है राधा जी कौ नाम
राधा नाम में सफल जजंदगानी लागे ! म्हाने.....

{ 186 }
अभी तो जगाया
अभी तो जगाया तूझे कफर सो गया
उठ परदे शी तेरा वक्त हो गया
हम परदे र्शयों की यही है तनशानी
आये और चले गये खतम कहानी
कोई चला हसते हसते कोई रो ददया
वार वार पहले भी तू आया है यहां पर
दे ख आंखे खोल तेरा ध्यान है कहां पर
अनमोल जीवन तेरा व्यथण हो गया
सारे ररस्ते नाते तेरे यही रह जायेंगे
हीरे और मोती तेरे काम नही आयेंगे
भजन संग्रह कथानक { 116 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

वोझ पापौ वाला वार वार िो गया

{ 187 }
मेरौ कान्हा गुलाब कौ फूल
मेरौ कान्हा गुलाब कौ फूल, ककशोरी मेरी कुसुम कली
कान्हा मेरौ नंद जू को छोना
श्री राधे वष
ृ भानु लली
कान्हा मांगे माखन लौना
श्री राधे र्मश्री की डली
कान्हा खेलै नंद जू के आंगना जू
श्री राधे रं गीली गली
वज
ृ तनधी दशणन की प्यासी
बोतो ववचरत गली गली

{ 188 }
ओ कैसे क्जऊ में राधारानी
ओ कैसे जजउ में राधारानी तेरे ववना
मेरे मन ही ना लागै तम्
ु हरे बबना
मेरे पापौ का कोई दठकाना नही
तेरी प्रीत क्या होती है जाना नही
अव शरण दे दो मेरे अवगण
ु तनहारे ववना ! कैसे.....
मोहे प्रीत की रीत र्सख दो वप्रया
अपनी यादौ में रोना र्सखा दो वप्रया
जीवन नीरस है अखखयों के तारे ववना ! कैसे.....
प्यारी पतततौ की पतवार तुम ही तो हो
दीन दखु खयौ की सरकार तुमही तो हो
अव में जाऊ कहा तेरे द्वारे ववना ! कैसे......
भजन संग्रह कथानक { 117 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 189 }
तेरे चरणों में हो जीवन की
तेरे चरणो में हो जीवन की शाम
ककशोरी यही मांग मेरी
पाऊश्री चरणो में ववश्राम ! ककशोरी .....
गुण अवगण
ु पर ध्यान न दे ना
मुझ दासी को अपना लेना
मेरी वदहया श्यामा लेना थाम ! ककशोरी .....
जनम जनम की प्यास यही है
मुझ ववरहन की आस यही है
मेरे मख
ु में हो ककशोरी तेरौ नाम ! ककशोरी.......
जीवन की संध्या वेला हो प्यारी
नैनन में हो छवव तुम्हारी प्यारी
र्मल जाये वरसानौ गांव ! ककशोरी....

{ 190 }
मेरा हदल तझ
ु पे कुयाां
मेरा ददल तुझपे कुवां मुरर्लया वाले रे
मुरर्लया वाले रे सवररया प्यारे रे
अवतो होजा मेहरवा ! मरु र्लया वाले रे
क्या दे खली में नें तस्वीर तेरी –
तव से बदल गयी हैं तकदीर मेरी
मरु र्लया वाले रे सवररया प्यारे रे
तेरे ववन ददल है वीरा | मुरर्लया .....
चाहे मुझे कुछ भी कहे ये जमाना
पागल हुआ एक तेरा ददवाना
भजन संग्रह कथानक { 118 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मुरर्लया वाले रे सवररया प्यारे रे


अव तू ही है मेरी जां । मुरर्लया .....
में तो ददवाना तेरा प्यार चाहूं
वस एक झलक तेरा दीदार चाहूं
मरु र्लया वाले रे सवररया प्यारे रे

मेरे ददल की तू दतु नयां । मुरर्लया ......

{ 191 }
श्याम तेरी वंिी वजै
श्याम तेरी वंशी वजै धीरे धीरे
वाजै धीरे धीरे श्री यमुना के तीरे
इत मथुरा उत गोकुल नगरी, वीच में यमुना वहै धीरे धीरे । श्याम....
इत मधम
ु ंगल उत श्रीदामा, वीच में कान्हा चलै धीरे धीरे । श्याम....
इत में लर्लता उत में ववशाखा, वीच में राधा चलै धीरे धीरे । श्याम....

{ 192 }
सब कुछ हदया है तुमने
सब कुछ ददया है तुमने इतना और सरकार दे दो
ये हटा के प्यार सव का अपना ही प्यार दे दो
में िूंद ू जंगलौ में बस्ती में तुझको िूंिू
गर हो सके तो ऐसा ददले बेकरार दे दो। ये.....
ऐसी वपला दे मझ
ु को खद
ु तक को भल
ू जाऊ
अपनी मस्ती भरी हुयी धचतवन का खुमार दे दो। ये....
लुट गयी है ददल की दतु नंया ये झूठा प्यार करके
र्मलने की है तमन्ना मझ
ु को करार दे दो। ये.....
गर हो गये मेहरवां पागल पे नन्द नन्दन
भजन संग्रह कथानक { 119 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

यह छुडा के द्वार झठ
ू ा अपना वो द्वार दे दो। ये.....

{ 193 }
सवररया ऐसी तान सन
ु ा
सवररया ऐसी तान सन
ु ा
ऐसी तान सन
ु ा मेरे मोहन मे नांचू तू गा| सबररया....
रस की धार वहै इस मन में , अनुपम प्यार वहै इस मन में
तेरी याद ना ववषरे इक पल, ऐसा मस्त वना । सवररया....
िूि कफरू में सघन कुञ्जन में , व्रज की इन ददव्य लतन में
रसकन की पद रज मस्तक पर, लेवै रोज चिा । सवररया....
नैनन हावै लासवंता, पद पद धथरक उठै जीवन का ।
हर एक प्राण पक
ु ारें पी पी, ऐसी तार दहला । सवररया....
हर पल तेरा रूप तनहारू, सोवत जागत तोय पुकारू
हरी हरौ मन की कुटलाई, प्रेम की ज्योतत जला । सवररया....

{ 194 }
भरदे रे श्याम झोली भर दे
भरदे रे श्याम झोली भर दे भर दे ना वहला वातौ में
पढ़ ले रे श्याम तू तो पढ़ ले पिले क्या र्लख्खा है आंखौ में
ददन वीते वीती रातें अपनी ककतनी हुई मुलाकातें
तझ
ु े जाना पहचाना तेरे झठ
ू े हुये सारे वादे
भूले रे श्याम तुम तो भूले भूले क्या रख्खा है वादौ में । भरदे ....
नादान है अन्जान है श्याम तू ही मेरा भगवान है
तझ
ू े चाहूं तझ
ु े पाऊ मेरे ददल का यही अरमान है
ले ले रे श्याम अव तो लेले लेले मेरा हाथ हाथों में । भरदे ....
मेरी नैइया ओ कन्है यां पार कर दे तू वन के खखवैया
मझ
ु े आस है ववश्वास है कान्हा भर दे गा तू दामन मेरा
भजन संग्रह कथानक { 120 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

झूमे रे श्याम अवतो झूमे झूमे मेरा मन चरणौ में । भरदे ....

{ 195 }
चारौ धामों से ननराला ब्रज
व्रज चौरासी कोस की पररक्रमा एक दे त ।
तो लख चौरासी यौतन के संकट हरी हर लेत ॥
जय जय व्रज भूर्म जय जय व्रज भूर्म
चारौ धामों से तनराला व्रज धाम के दशणन कर लेऔ जी
होऽऽ दशणन कर लेओं सर्ु मरन कर लेओ, वन्दन कर लेओ जी
लेके राधा जी बबहार जी कौ नाम कक दशणन कर लेओ जी
ये है मथुर नगररया जय बोलो, यहां जन्मे सवररया जय बोलो
होऽऽ आठें आधी रात जनम प्रभु लीनौ, सरु नर मतु नजन धचत सख
ु दीनौ
ऐ वचन ददयो सो प्रभु पूरण कीनौ,
श्रीववष्णु वने जी घनश्याम के दशणन कर लेओ जी । चारौ धामों .....
कान्हा मथुरा ते आयो गोकुल में , ऐ माखन चोर कहायो गोकुल में
ऐ माखन खायौ याने माटी हू खाई, पकड्यो यशोदा ने तो दीनी सफाई
मैया मोरी कसम तोरी में नही माखन खायौ, मुख मै ददयौ ब्रह्माण्ड ददखाय
ऐसे मोहन को सहस प्रणाम के दशणन कर लो जी । चारौ धामों...
बरसाने की राधा राधा राधा बोल, जजसने मोहन को वाधा राधा राधा बोल
होऽऽ होरी खेले तो आजा कृष्ण मुरारी, बरसाने में बुलावै राधा प्यारी
कान्हा बरसाने में आ जइयो बुलाय गई राधा प्यारी,
बुलाय गई राधा प्यारी बुलाय गई राधा प्यारी, दोनों एक दज
ू े के प्रेम
पज
ु ारी
दोउ र्मलके भयो जी इक नाम के दशणन कर लो जी । चारौ धामों...
व्रज वरषा ने घेरा श्याम श्याम श्याम, सवने श्याम को टे रा श्याम श्याम श्याम
अव तम
ु ववन हमरी कौन खबर ले गोवधणन धगरधारी
हो गोवरधन उँ गली पे उठायों प्राणन ते प्यारों व्रज डूबत बचायौ
भजन संग्रह कथानक { 121 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

कंस मार यह भेद बतायो


जैसी करनी वैसौ ही पररणाम के दशणन कर लो जी चारौ धामों...
वन्ृ दावन सुहावन क्या कदहये भयो प्रेम सों पावन क्या कदहये
हो बाँके बबहारी कहूं कुञ्ज बबहारी स्वामी हररदास जी पै बर्लहारी
अजहू रचावै यहां रास मरु ारी,
कुञ्जन की छटा अर्भराम के दशणन कर लो जी । चारौ धामों....
वंशी वट स्वागत करै तो जमुना दे त अशीश
सवै भर्ू म गोपाल की कहु नवाओं शीश
साधू संतन की भूमी ब्रज भर्ू म, जाए नैनन से चूमीव्रजभूर्म
हो सूरदास प्रभु भजक्त में लगे कवव रसखान ब्रज अनुरागे
हरर रस रांची मीरा सब रस त्यागे जो तनहारे सो ववके जी ववन दाम
के दशणन कर लो जी | चारौ धामौ....
जय व्रज भूर्म जय व्रज भर्ू म

{ 196 }
मुरली वाले ने ऐसा
मुरली वाले ने ऐसा करम कर ददया
अब ककसी के करम की जरूरत नही
नैनो से नैना र्मले हम उनके हो गये
अव ककसी के रहम की जरूरत नही
तेरे चरणौ में आ गये मोहन, आंखौ से ददल में समा गये मोहन
अव ककसी और चाहत की परवा नही । मुरली....
तेरी ही चाहत मेरी है दतु नयां मेरी मोहधबत तम
ु हो कन्है या
अब ककसी और ददलवर की चाहत नही। मरु ली....
जव से तुम्हारा दीदार पाया तुमको इस ददल का हाककम बनाया
अव ककसी को भी ददल में इजजत नही । मरु ली....
मुखडा ये तेरा भा गया मोहन वावरा वन में आ गया मोहन
भजन संग्रह कथानक { 122 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

अव तेरे दर के ववन कोई भी घर नही । मुरली ...

{ 197 }
तेरे नाम की ओढ़ चुनररया
तेरे नाम की ओढ़ चुनररया, मै तो नाचँू बीच बजार में
ऐसी हालत हो गई मेरी सवररया के प्यार में
रं ग बदलती इस दतु नया में , कोई ककसी का यार नही
मतलब की है सारी दतु नया, बबन मतलव व्यवहार नही
हार चक
ु ी हूँ मै मनमोहन, प्यार के इस व्यापार में ऐसी हालत.....
कभी तो कोई आँख ददखाता, कोई गले लगाता है –
धूप छाँव पग पग पर र्मलते, सुख द:ु ख आता जाता है
जीत की मझ
ु को खश
ु ी नही है , गम नही है हार में । ऐसी हालत....
ना मुझको दौलत कक धचंता नादहं आस अमीरी की
ना मुझको शोहरत कक धचंता नादहं कफकर फकीरी की
हमको तो सबकुछ ही र्मला है प्रीतम के दरबार में ऐसी हालत....

{ 198 }
एक बार हमसे सांवरे
एक बार हमसे सांवरे नजरै र्मलाइये
नजरै र्मलाकर आप जरा मुस्कुराइये
नजरे हमारी आपकी चौखट पै है अडी
कफर भी तनहारै राह बबचारी खडी खडी
नजरों पै कर रहम इन्हे यूँ ना रूलाइये। नजरे र्मलाकर....
ये जानकर के आप कही आस पास है
कफर भी समझ ना आये ये ददल क्यूँ उदास है
जजबात ददल के है ये जरा पास आइये । नजरे र्मलाकर...
प्रह्लाद सा वनू प्रभु हनम
ु त सी भक्ती हो
भजन संग्रह कथानक { 123 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

गाऊँ भजन मै झूम के मीरा सी मस्ती हो


अपना समझ के हमको अपना बनाइये। नजरे र्मलाकर...

{ 199 }
मांगां है मेने श्याम से
मांगां है मेने श्याम से वरदान एक ही
तेरी कृपा बनी रहे जब तक है । जजन्दगी
जजस पर प्रभु का हाथ था वो पार हो गया ।
जो भी शरण में आ गया उद्धार हो गया
जजसका भरोसा श्याम पर डूबा कभी नही । तेरी....
कोई समझ सका नही माया वडी अजीव ।
जजसने प्रभु को पा र्लया है वो ही खश
ु नसीव ।
जजसकी इजाजत के बबना पत्ा दहले नही । तेरी.....
ऐसे दयालु श्याम से ररश्ता बनाइये
र्मलता हमेशा आपको जो कुछ भी चादहए
ऐसा कररश्मा होगा जो हुआ कभी नही । तेरी......
कहते है लोग जजनदगी ककस्मत की बात है
ककस्मत बनाना भी मगर उसके ही हाथ है
करले यकीन अव मेरा ज्यादा समय नही । तेरे.....

{ 200 }
सहारा शमलेगा सहारा
सहारा र्मलेगा सहारा र्मलेगा
ऐजी हरर नाम गा लो सहारा र्मलेगा
राधा नाम गा लो सहारा र्मलेगा। सहारा....
चुभँगे न दुःु ख ददण , बत्रशूल बनकर, महकने लगोगे तुम फूल बनकर
जब उसकी कृपा का इशारा र्मलेगा। सहारा.....
भजन संग्रह कथानक { 124 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

अगर तुम रहोगें हरी की नजर में , न जीवन की नैया फसेगी भंवर में
उसे हर तफ
ू ा से ककनारा र्मलेगा। सहारा....
अरदास ददल से पुकारोगें उसको, जो ददल की नजर से तनहारोगें उसको
उन्हें दरश का भी नजारा र्मलेगा। सहारा....

{ 201 }
बाँके बबहारी की अंखखया
बाँके बबहारी की अंखखया जाद ू कर गई
बबसर गई सध
ु रही न तन की हाय रे मै तो मर गई
इन अंखखयों ने मुझको लुटा, दतु नया का हर बंधन टूटा
इन्हें दे ख के मै तौ लोगो, हाय रे नाचने लग गई। बांके बबहारी की...
नैना इनके रस बरसावें, रोम रोम में प्रेम जगावें
ऐसी नजरै मुझ पर डाली हाय रे मै तो मर गई | बांके बबहारी की....
चटक मटक कजरारे नैना, दे खे बबन लागे ना चैना
दतु नया से तो खुब बचाई, इनसे नजरे लड गई। बांके बबहारी की.... -

{ 202 }
ओ कान्हा तेरी बांसरु ी
ओ कान्हा तेरी बांसुरी नीद चुराये
नीद चुराके मुझे अपना बनाये
छुप छुप रोऊं कान्हा दतु नया से चोरी, टूट न जाये मेरी प्रीत की डोरी
नैना भर भर आये रे तेरी याद सतायें रे । ओ कान्हा....
प्रीत लगाके कान्हा बडा दुःु ख पाया, एक पल भी मोहे चैन न आया
जजया मोरा घबराये रे एक पल चैन न आये। ओ कान्हा....
भक्त तुम्हारा कान्हा तुमको पक
ु ारे , दशण ददखा दो मेरी आंखो के तारे
तेरा दशण न पाया रे जीवन बबता जाये रे । ओ कान्हा....
भजन संग्रह कथानक { 125 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 203 }
मुरली बजाने बाले
मुरली बजाने बाले धगरवर उठाने वाले
मैं दास हूँ तम्
ु हारा, मैं दास हूँ तम्
ु हारा
िूँि र्लया जग सारा मैने दरश ना तेरा पाया
जब मन को एकाग्र ककया तो तू ददल बीच समाया
भव पार करने वाले बाँके बबहारी हमारे । मैं दास.....
तेरी माया ने प्रभु मुझको जग में खूब नचाया
दीन बन्धु भव तारण प्रभु जी नाम तुम्हारा गाया
सबणत्र रहने वाले श्रीराधा रमण हमारे में दास....
भगत अजार्मल गखणका तारी मुझको क्यूं ववसराया
कृष्णचन्द्र सुन ववनती हमारी द्वार तुम्हारे आया
हृदय में रहने वाले, श्रीबाँके बबहारी हमारे । मै दास....

{ 204 }
मै तो बाँके की बाँकी बन
मै तो बाँके की बाँकी बन गई और बाँका वन गया मेरा
रर्सया की छर्लया की सजना की सईया की ! मै तो..
बाँके हे नन्द बाबा और यशम
ु तत, बाँके घडी जन्मे है बबहारी
बाँके कन्है या के बाँके है भ्रात, लडाके बडे हल मूशल धारी
बाँकी र्मली दल्
ु हन जगवदन, और बाँके गोपाल के बाँके पज
ु ारी
भक्तन दशणन दे ने के कारण झांके झरोखा में बाँके बबहारी । मैं तो......
ये टे डे सौ प्रसन्न, टे डी बातन सौ अतत प्रसन्न
टे डे टे डे लक्षण अनेक कान कारे के
हम सौ िे डाई भूल मत कररयो कोई
हम है उपासी एक टे डी टांग वारे के | मै तो .....
भजन संग्रह कथानक { 126 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 205 }
रात सखी सपनें में
रात सखी सपनें में आयै नन्द लाल
थाम के कलाई मेरी कर ददयो कमाल
लाज की है बात, हाथ - हाथ सौ लगात
खैच फररया मोरी बारी - सी, उगररया थरथरा गई
उगररया थरथरा गई.....
तान कें बजाई वेनु, नैन सौ र्मलाई नैन
मुख से कहूं कछु कधु तनकसें हरवरा गई
तनकसें हरवस गई.....
मैं तो बहुत बरजी पर मान्यै ना गोपाल
थाम कै कलाई मेरी कर ददयो कमाल
रात सखी......
नन्द कौ तनवास आस पास खास नन्द सास
नींद में रही मै रात, बात श्याम मान जा
बात श्याम मान जा
धीर भयो चीर मन अधीर नही धरे धीर
बात है गम्भीर मत सताये, श्याम मान जा
मत सता श्याम मान जा
श्याम तेरी प्रीत बनी जी कौ जन्जाल
थाम के कलाई | रात सखी.....
रं ग भदरं ग नही सखी कोउ संग
आज ककयो खूब मोहे तंग, आज मै तो धबरा गई
मै तो घबरा गई
भोर मचौ शोर र्मली बोल रहे मोर
जोर मचौ शोर र्मली बोल रहे मोर
जोर जोर सव ओर लाज शरमा आ गई
भजन संग्रह कथानक { 127 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

लाज शरम गई....


भेद सब बताने लगी अखखयां लाल लाल
थाम के कलाई मेरी कर ददयो कमाल रात सखी.....

{ 206 }
मझ
ु को यकीन है आयेगा
मुझको यकीन है आयेगा मेरा यार सांवरा
ववगडी मेरी बनायेगा मेरा यार सांवरा
जख्मों पै मेरे आके मरहम लगायेगा
हर ददण होगा कफर कम आराम आयेगा
करने करम वो आयेगा । मेरा यार सांवरा....
छं ट जाए गम के वादल दहम्मत से काम ले
मुजश्कल के वक्त में वस कान्हा का नाम ले
गमख्वार वनके आएगा । मेरा यार सांवरा ....
मायूस न हो उसको तेरा खयाल है
सब कुछ पता है उसको तेरा जो हाल है
तुझको गले लगाएगा मेरा यार सांवरा ....

{ 207 }
कुछ ना बबगडेगा तुम्हारा हरर
कुछ ना बबगडेगा तम्
ु हारा हरर शरण आने के बाद
हर खुशी र्मल जायेगी चरणों में झुक जाने के बाद
प्रेम की मंजजल के राही कष्ट पाते है जरूर
बीज फल दे ता तभी है र्मट्टी में र्मल जाने के बाद। कुछ...
फूल से जाकर के पछ
ू ो कैसी छाई है बहार
रात भर कांटौ में सोया डाली में आ जाने के बाद । कुछ...
दे खकर काली घटा को ऐ भंवर मत हो तनराश
भजन संग्रह कथानक { 128 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

वंद कर्लयां कफर खखलेंगी रात िल जाने के बाद । कुछ...


प्रेम कर तनष्काम तनमणल नाम लो घनश्याम का
सूखी बधगया कफर खखलेंगी ऋतु बदल जाने के बाद। कुछ...

{ 208 }
बाँके बबहारी से कुञ्ज बबहारी
बाँके बबहारी से कुञ्ज बबहारी से रास बबहारी से
मेरे नैना लड गये हाय रे मेरे नैना लड गये
छवव दे खी ऐसी वन्ृ दावन, प्यारो रर्सया मेरौ मन भावन
वोतो मोर मुकुट पै अड गये वो तो अड गये अड गये अड गये। मेरे...
नैनौ में मेरे तेरी सूरत समाई कैसे भूली जाये श्याम तेरी याद आई।
वंशी के पीछे पड गये ये तो पड गये पड गये पड गये। मेरे...
ऐसा क्यो प्यारे मुझपै जाद ू गेरे, मोटे मोटे नैना तेरे छोटे छोटे नैना मेरे
कफर भी ना जाने क्यूं लड गये लड गये लड गये। मेरे...

{ 209 }
कैसा मेला लगाया तन
ू े श्याम
कैसा मेला लगाया तन
ू े श्याम सारी धरती जपे तेरा नाम
कैसा मेला लगाया-2, कैसा मेला लगाया तन
ू े श्याम सारी...
मूशलाधार वरसात में र्लया पवणत उठा हाथ में "
बचाये ब्रज वार्सयों के प्राण, सारी धरती जपे
कंस वध कर ददया बेकफकर, माँ वपता कैद से मुक्त कर
तूने ववगडे वनाये सव काम | सारी धरती.....

{ 210 }
प्रेम नगर की डगर है कहठन
प्रेम नगर की डगर है कदठन रे वटोही ना करना वसेरा
भजन संग्रह कथानक { 129 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

पग बढ़ा हो ना जाऐ अंधेरा


मन का रतन रख जतन से अनाडी
यहां आगे चोरौ की वस्ती है भारी
ज्ञानी थके गुमानी यहां पल में लूट जाये लाखों का डेरा। पग....
यह तन है टूटी नवररया रे प्राणी
भरने ना पावे इसमें पापों का पानी
नादान केवट सम्भल के चलो मीत माया भंवर ने तो घेरा । पग...
वादल ववपद की अंधेरी है रातें
भजन शार सव झूठी दतु नयां की बातें
लखों श्याम पुतर्लन में उनकी झलक र्मत्र हो जाये पल में सवेरा | पग...

{ 211 }
बबहारी ब्रज में घर मेरा
बबहारी व्रज में घर मेरा बसा दोगें तो क्या होगा
मुझे वो बांसुरी अपनी सुना दोगे तो क्या होगा।
कभी तुम सामने आते, कभी तुम दरू जाते हो जाते
प्रभु ये बीच का पदाण हटा दोगे तो क्या होगा। बबहारी ....
मेरे गोपाल धगरधारी मेरे गोपाल बनवारी
मुझे भी अपनी संखखयो में र्मला दोगें तो क्या होगा। बबहारी...
सुना है तुमने वन्ृ दावन में दावानल बुझाया है
मेरी भी आग हृदय की बुझा दोगे तो क्या होगा। बबहारी...

{ 212 }
मेरे रमण बबहारी लाल नतहारी
मेरे रमण बबहारी लाल ततहारी सूरत पै बर्लहार
तेरा सुन्दर रूप सलौना धचतवन मै जाद ू टोना
तू है जादग
ू र सरकार ततहारी सरू त पै बर्लहार
भजन संग्रह कथानक { 130 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

अधरौ में मुस्कान भरी नैनो में मस्ती छाई


सुन्दरता के सागर हो तुम चांद तेरी पदछाई
तुम हो खुर्शयो भरा खजाना वस हो जाये दीवाना
तुम्हे दे खे जो एक वार ततहारी सूरत पे बर्लहार । मेरे....
अद्भद
ु ददव्य श्रंग
ृ ार तेरा नव यौवन श्याम कलेवर
श्री राधा संग तनत्य ववराजो कांर्लन्दी के तट पर
अव है अर्भलाषा मन में वस जाओं इन नैनन में
करदो इतना उपकार ततहारी सरू त पे बर्लहार । मेरे.....
तुम संग मेरे नैन लडे कोई और ना मन को भाये
मेरे मन की वीणा प्यारे गीत तेरे ही गाये
अव क्यो शरमाऊ में जग से कहूं भज
ु ा उठाकर सव से
मेरे मुरली वाला यार ततहारी सूरत पे बर्लहार । मेरे......

{ 213 }
मन मोहन तुम्हें ररझाऊँ
मन मोहन तुम्हें ररझाऊँ, तुझे तनत नए लाड लडाऊ
बसा के तुम्हें नैनन में , तछपा के तुमे नैनन में ।
गीत बन जाऊँ तेरी बांसुरी के स्वर का
इठलाती वलखाती पतली कमर का पीला पटका वन जाऊ
वस का नयन में , तछपा कर के तुमे नयन में | मन मोहन....
रूप सुधा का पीक सामने बैठा के.
फूलों की छै या पै तुझको र्लटाकें,
बसा कर नयन में , बसा के तझ
ु े नयन में | मन मोहन
राधधका ककशोरी संग रमण ततहारा
मुझ को ददखा दो कभी ऐसा न जाना
ववठा कर नैयन में , वसा के तम्
ु हें नैयन में | मन मोहन.....
भजन संग्रह कथानक { 131 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 214 }
है सब से सोभा न्यारी
है सब से सोभा न्यारी रमण बबहारी की
जाऊ बार बार बर्लहारी मेरे रमण बबहारी की
मुसकाये मरु ली बजाये, गुलाबी अधरौ से
हस हस तीर चलाये नशीली नजरों से
घंघ
ु राली, अलकै नाधगन सी लटकारी की। जाऊ बार बार..........
नख से र्सख तक र्संगार जडा हुआ पहने है ,
काछनी गोटे दार पीताम्बर पहने हैं
र्सर साजे टे डी पाग नैन सुखकारी की। जाऊ बार बार..
तुमहें साधन कर, अपनाऊ ये मेरे हाथ नहीं
तुमही प्राणों के प्राण ये झूठी बात नही
तुम स्वामी और मै दासी भानु - दल
ु ारी की । जाऊ बार बार..
रहे रमण हृदय में ततहारा सदा ये मन चाहे
द्रण सम्बन्ध हमें आप से बन जाये
करदो अर्भलाषा पूरण, दीन र्भखारी की । जाऊ बार-बार......

{ 215 }
श्याम के नैना कजरारे सखी
श्याम के नैना कजरारे सखी री मोपै जाद ू सौ डारे
नैना कजरारे श्याम के नैना कजरारे
बर्लहारी जाऊ में तेरी अदा पै, मोर मुकुट की बांकी छटा पै
श्याम के नैना मतवारे सखी री मोपै.....
नैनन चोट लगी नैनन की सुध बुध भूल गई में तन की
श्याम के नैना रतनारे सखी री मोपै.....
में उनकी वो प्रीतम मेरे श्याम वसे नैनन में मेरे
श्याम मेरी अखखयन के तारे सखी री मोपै....
भजन संग्रह कथानक { 132 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 216 }
मोहन नैना आपके
मोहन नैना आपके नौका के आकार
जो जन इनमें बस गयौ वह नर हो गयौ पार
जाद ू भरी तेरी आंखे क्जधर
जाद ू भरी तेरी आंखे जजधर गई
नैनौ की कटारी मारी वारी हुई मुई । छततयन से उतर गई....
प्रेम की लडी अरी द्रग दौनौ बरस परी मोती सी बबखर गई | जाद ू भरी..
अव पल पलक टरत नही टारे , तछन छौरत जनु जान तनकर गई। जाद ू भरी..
नैनो की कटारी मारी वारी पलकन वारी, जाद ू की वपटारी द्रग हुई मुई कर गई।
जाई भरी......

{ 217 }
तुम्हारी याद आती है
तुम्हारी याद आती है बताओं क्या करै मोहन
हमारी जान जाती है , बताओं क्या करै मोहन
सुवह और शाम आती है , रातभर वो रूलाती है ,
चैन हमको नही आता, बताओं क्या करै मोहन । तुम्हारी ....
चलू जव वो ना चलने दे , रूकु जब वो न रूकने दे
र्मलूं औरो से न र्मलने दे , बताओं क्या करें मोहन । तुम्हारी....
तुम्हारी ये और तुम इसके, हमारी कौन चलने दे
ये जव जाएगी तम
ु आवो वताओ क्या करे मोहन । तम्
ु हारी....

{ 218 }
मेरा हदल तो दीवाना हो
भजन संग्रह कथानक { 133 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मेरा ददल तो दीवाना हो गया मुरली वाले तेरा


नजरौ का तनशाना हो गया मरु ली वाले तेरा
जव से नजर से नजर र्मल गई है , उजडे चमन की कली खखल गई है
क्या नजरै र्मलाना हो गया मुरली ...
दीवानगी ने क्या क्या ददखाया, दतु नयां छुडा के तम
ु से र्मलाया ।
दीवाना जमाना हो गया। मुरली ...
प्राणों से प्यारे कहाँ छुप गये हो, नैनों के तारे कहाँ छुप गये हो ।
नजरों का तनशाना हो गया । मरु ली ...
तू मेरा प्यारा प्यारा में तेरा पागल, ततरछी नजर से है ददल मेरा घायल
मेरे ददल में दठकाना हो गया | मुरली ...

{ 219 }
काली कमली वाला
काली कमली वाला मेरा यार है
मेरे मन का मोहन तू ददल दार है
तू मेरा यार है मेरा ददलदार है
मन मोहन मै तेरा ददवाना गाऊँ वस अब यही तराना
श्याम सलोने तू मेरा ररझवार है। मेरे..
तू मेरा मैं तेरा प्यारे ये जीवन अब तेरे सहारे
तेरे हाथ इस जीवन की पतवार है । मेरे....
पागल प्रीत की एक ही आशा ददे ददल दशणन का प्यासा
तेरे हर वादे पै मुझे एतवार है । मेरे मन....
तझ
ु को अपना मान र्लया है ये जीवन तेरे नाम ककया है
धचत्र ववधचत्र को वस तुमसे ही प्यार है । मेरे मन....

{ 220 }
मेरे उठै बबरह की पीर सखी
भजन संग्रह कथानक { 134 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मेरे उठै बबरह की पीर सखी वन्ृ दावन जाऊँगी


बाजे मुरली यमुना तीर सखी वन्ृ दावन जाऊँगी
श्याम सलौनी सूरत की दीवानी हो गई।
मै कैसे धारू धीर सखी वन्ृ दावन जाउगी। मेरे उठै ...
छोड ददया मैंने भोजन पानी श्याम की याद में
मेरे नैनन वरसे नीर सखी वन्ृ दावन जाउगी। मेरे उठै ...
इस दतु नया के ररश्ते नाते सव ही तोड ददये
तोय कैसे ददखाउ ददल चीर सखी वन्ृ दावन जाउगी । मेरे उठै ...
नैन लडे धगरधर से में तो पागल कर डारी
दतु नया से भयी अधीर सखी वन्ृ दावन जाउगी। मेरे उठै ...

{ 221 }
श्याम के बबना तुम आधी
श्याम के बबना तुम आधी, तुम्हारे बबना है श्याम आधे
राधे राधे राधे राधे
आठों पहर जो रहे अंग संग उस सांवरे की एक झलक ददखलादे
में तो सांवरे के रं ग में रांची वाध घुघरू भी पग में नाची
ऐसौ तनष्ठुर भयो यशोदा कौ लाल वात मेरे हृदय की ना वाची
अपनों को तंग यू करते नही, सांवरे को नैक ये समझादे । राधे....
छबब श्याम की वसायलई धचत में खडी वाट तनहारू तनत तनत में
श्याम के बबना मोह कछू ना सूझ, श्याम के ववना जाऊ ककत में
कैसे बुझे प्यास नैनन की, रस्ता कोई तो बतलादे । राधे....
कही केशव कही पै कन्है यां कही नटवर रास रचैया
नवले की अटकी नैया भंवर में पार कर दे ना वनके खखवैया
ववनती सरल कक इतनी सी लख्खा वंशी वजैया तक पहुचादे । राधे....

{ 222 }
श्याम सलौनी सूरत के
भजन संग्रह कथानक { 135 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

श्याम सलौनी सूरत के दीवाने हो गये


हम दीवाने हो गये तेरे मस्ताने हो गये
बबन दे खे तुझे चैन न आवै ओ मेरे नंद लाला
तेरी ततरझी धचतवन ने कुछ ऐसा जाद ू डाला
तेरे प्रेम की मस्ती में मस्तानें हो गये । हम दीवाने....
मेरे मन के मन मजन्दर में मन मोहन तू वसा है
लोक लाज की नही कफकर मुझे चि गया तेरा नसा है
ततरझी नैन कटारी के तनशाने हो गये । हम दीवाने....
पल पल तेरी याद सताये तुम बबन रहना पाऊ
ववन दशणन के सूना जीवन तडप तडप मर जाऊ
तेरी प्रीत में अश्क मेरे नजराने हो गये । हम दीवाने....
तेरे प्रेम में पागल होकर डोलू वन्ृ दावन में
वीते मेरी ये जजन्दगानी तेरे श्रीचरणन में
धचत्र ववचत्र के श्याम के संग याराने हो गये । हम दीवाने.....

{ 223 }
लगन तुमसे लगा बैठे
लगन तुमसे लगा बैठे, जो होगा दे खा जायेगा
तुम्हे अपना बना बैठे, जो होगा दे खा जायेगा
कभी दतु नयां से डरते थे कक छुप छुप याद करते थे
लो अब परदा हटा बैठे जो होगा दे खा जायेगा। लगन.....
कभी डर था कक ये दतु नया हमें बदनाम कर दे गी
सरम अब बेच खा बैठे जो होगा दे खा जायेगा। लगन.....
ददवाने बन गये तेरे तो कफर दतु नयां से क्या लेना
तेरे चरणो में आ बैठी जो होगा दे खा जायेगा। लगन....

{ 224 }
भजन संग्रह कथानक { 136 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मुझे ऐसी लगन तू लगादे में


मुझे ऐसी लगन तू लगादे में तेरे ववना पल ना रहूं
ददल में प्यार वाला दीप जला दे ! में ...
जैसे जल ववन मछली पल ना जजये,
ऐसे तडपंू मै घडी घडी तेरे र्लये
मजा इश्क वाला ऐसा चखा दे । मैं तेरे.....
तेरे चरणों की धूल में र्मल जाऊ,
आशा यही है कही दरू ना जाऊ
ऐसा भक्ती का रं ग चढ़ा दे । मैं तेरे......
तूने ददल को चुराया मैंने कुछ न कहा,
तन
ू े वडा तडपाया मैंने कुछ ना कहा
अव ऐसी झलक ददखलादे । मैं तेरे.....

{ 225 }
तेरी भोली सी सूरत सवररया
तेरी भोली सी सूरत सवररया मेरे ददल में बसी जा रही है
अब वो पहले से भी तेरी ज्यादा ना जाने क्यो याद आ रही है
र्मल भी जाओं ये ररश्ता पुराना, कहा र्मलोगे बतादो दठकाना ।
तुम को भूले पडे हम कन्है या, अब जगह भी समझ आ रही है
उन गोवपयो से हम को र्मलादो रास करते कहा हो बता दो
प्यारी - प्यारी कदम की छै या मेरे मन को तडपा रही है
तेरी घुंघुराली अलको में उलझी मेरी प्यासी ये दोनो ही आंखे
कौन जाने मेरे इस मन की याद अदत बनी जा रही है ।

{ 226 }
दे ना हो तो दीक्जये जनम
दे ना हो तो दीजजये जनम जनम का साथ
भजन संग्रह कथानक { 137 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मेरे र्सर पर रख वनवारी अपने ये दौनो हाथ


दे ने वाले श्याम प्रभु के धन और दौलत क्या मांगे
मांगे तो कफर श्याम प्रभु से नाम और ईज्जत क्या मांगे
मेरे ददल की तमन्ना यही है सेवा करू ददन रात । दे ना....
झल
ु स रहे है गम की धप
ू में प्यार की छै या करदे तू
ववन मांझी के नव चलेना अव पतवार पकड ले तू
मेरा रस्ता रोशन करदे छाई अधधयारी रात । दे ना....
इस जन्म में सेवा दे कर बहुत वडा एहसान ककया
तू ही राम कृष्ण है रामा मैंन तुम्हें पहचान र्लया
हम साथ रहे जन्मों तक वस रखलो इतनी वात | दे ना..
सन
ु ा है हमने शरणागत को अपने गले लगाते हो
ऐसा हमने क्या जो दे ने में कतराते हो
चाहे सख
ु में रखो या दख
ु में वस होती रहे मुलाकात । दे ना......

{ 227 }
मुझे राधे राधे कहने दे ओ
मुझे राधे राधे कहने दे ओ पापी मन रूक जा जरा
रूक जा जरा रे रूक जा जरा
गभण में प्रभु से जो वादा ककया है , अब तक मैंने ना पूरा ककया है
मुझे वादा तनभाने दे ओ पापी मन रूक जा जरा । मुझे....
जीवन नैया डगमग डोलै, वीच भंवर में खाए दहचकोले
मुझे पतवार लेने दे ओ पापी मन रूक जा जरा । मुझे....
नाम प्रभु का है सख
ु दाई, लेकर तर गया सदन कसाई
मुझे पार उतरने दे ओ पापी मन रूक जा जरा । मुझे....

{ 228 }
भजन संग्रह कथानक { 138 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

गोरी कब तक नैना चुरावैगी


गोरी कब तक नैना चुरावैगी, तेरे पीछे पड्यौ सवररया
पीछौ पड्यौ सवररया पीछे पड्यौ कन्है या
तेर दहत जमुना पै बैठ्यौ, तू तो जमुना नहावे जावैगी । तेरे....
तेरे दहत कूआ पै ठाड्यौ, तू तो पतनयां भरवे जावैगी । तेरे....
तेरे पीछे राह में ठाड्यौ, तू ददहला वेचन जावैगी । तेरे....
आसन मार वाग में बैठ्यौ, तू तो फुलवा तोरन जावैगी। तेरे.....

{ 229 }
शमला दो श्याम से ऊधौ
र्मला दो श्याम से ऊधौ, तेरे गण
ु हम भी गायेंगे
मक
ु ु ट र्सर मोर पंखन का मकर कुण्डल है कानो में
मनोहर रूप मोहन का, दे ख ददल को लुभायेंगे। र्मला....
गोकुल छोड कर जव से गये वावपस नही आये
खता क्या हो गई हमसे रहन अपनी आपके । र्मला...
पहले वप्रत लगाकर के ववसारा नन्द नन्दन ने
चरण में सीस धर अपना, हम उसको वनायगे। र्मला....
यही आये कफर गोकुल में हमे दशणन ददला दे ना
और ब्रह्मा नन्द हम इनसे नहीं उसको ववसारें गे। र्मला....

{ 230 }
गुण रूप भरी श्यामा प्यारी रस
गुण रूप भरी श्यामा प्यारी रस रूप भरे मेरे बाँके बबहारी
गौर वरण नीलाम्बर सोहे , मोर मक
ु ु ट पीताम्बर सोहे
जोडी पै जाऊ बर्लहारी । रस रूप....
उत घुघरू की झनकार बजे इत मुरली मस्त सुहानी बजै
दोनों की घन
ु न्यारी। रस रूप.....
भजन संग्रह कथानक { 139 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

इत माथे ववंददया सोह रही उत भ्रकुटी मन को मोह रही


रस की है रही वरषा भारी । रस रूप....
इत सखखयन संग ववराज रही उत सखा की िोली साज रही
दल
ु रावै श्री हररदास दल
ु ारी । रस रूप...

{ 231 }
काहे तेरी अंखखयों में पानी
काहे तेरी अंखखयों में पानी
कृष्ण दीवानी मीरा श्याम दीवानी
हस के तू पी ले ववष का प्याला, काहे का डर तेरे संग गोपाला
तेरे तन की ना होगी हानी | कृष्ण दीवानी......
सव के र्लये में मरु ली वजाऊ, नाच नाच सारे जग को नचाऊ
र्सफण राधा नही है मेरी रानी | कृष्ण दीवानी.....
प्रीत में भजक्त जव र्मल जाये, जग तो क्या सजृ ष्ट दहल जाये
झुक जाये अर्भमानी। कृष्ण दीवानी......

{ 232 }
ऐसी लागी लगन मीरा
ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन
बोतो गली गली हरी गुण गाने लगी
महलौ में पली बनके जोगन चाली, मीरा रानी दीवानी कहाने लगी।
कोई रोके नही कोई टोके नही, मीरा गोववन्द गोपाल गाने लगी
बैठी संन्तो के संग रं गी मोहन के रं ग, मीरा प्रेमी प्रीतम को मनाने लगी।
वोतो…
राणा ने बीष दीया मानो अमत
ृ वपया, मीरा सागर में सररता समाने लगी
द:ु ख लाखौ सहे मुख से गोववन्द कहै , मीरा गोववन्द गोपाल गाने लगी।वोतो

{ 233 }
भजन संग्रह कथानक { 140 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

नैनन की मोय मार कटारी


नैनन की मोय मार कटारी, हाये कहा गयौ कुञ्ज बबहारी
चंचल चपल भ्रकुदट वन माली, छै ल छवीलौ मेरौ बाँके बबहारी। नैनन..
मो दखु खया पै तरस ना आवै, जाद ू सौ डार गयौ धगरधारी | नैनन....

{ 234 }
तेरे रं ग में रं गा हर जमाना शमले
तेरे रं ग में रं गा हर जमाना र्मले, में जहां भी रहूं बरसाना र्मले
सारे जग में तेरा ही तो एक नरू है , मेरा कान्हा भी तझ
ु से ही मशहूर है
वद ककस्मत है वो जो तुझसे से दरू है , तेरे नाम का हर मस्ताना र्मले।
में ...
तेरा बरसाना राधा मेरी जान है , मेरे अरमानों की आन है शान है
तेरी सूरत पै चाँद तारे कुबाणन है , गाऊ जब भी तेरा अफसाना र्मले। में ...
तेरी रहमत के गीत गाते आया हूँ मै, कई गुनाहों की सौगात लाया हूँ में
करदो ककरपा जगत का सताया हूँ में , तेरी रहमत का हर नजराना र्मले।
मै....
खुश रहे तू सदा ये दआ
ु है मेरा, बरसाना र्मला है दआ
ु है तेरी
तेरे चरणों में रहना रजा है मेरी, मै तेरा सदा ही दीवाना रहूं। मै....

{ 235 }
मोय आन शमलो घनश्याम
मोय आन र्मलो घनश्याम, बहुत ददन बीत गये
राधा की अखखयन के तारे मेरे भी वन जाओ सहारे
ओ भक्तों के भगवान। बहुत ददन...
मुरली वाले मुरली वजाजा, सोए हुये मेरे भाग्य जगाजा
ओ मीरा के घनश्याम । बहुत ददन...
नरसी भगत की हुण्डी र्सकाई, सांवल साह वतन आए मरु ारी
भजन संग्रह कथानक { 141 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

ओ नरसी के सुन्दर श्याम । बहुत ददन.....


मन मजन्दर में रास रचा जा, रूप सांवला दरस ददखाजा
जीवन की हो गई शाम । बहुत ददन....
रूप छवीलै है व्रज सुन्दर, ववन बुलाये डलै घर घर
प्रेमी जन भक्तन को सवणस । बहुत ददन.....

{ 236 }
ऐसौ चटक मटक सौ ठाकुर
ऐसौ चटक मटक सौ ठाकुर तीनौ लोकन हूं में नाय
लोकन हूं में नाय तीनौ लोकन हू में नाय
तीन ठौर से टे िौ ही दीखै, नट की सी चलगत यह सीखें
टे िे नैन चलावै तीखे, सव दे वन कौ दे व तोऊ ये व्रज में घेरै गाय
ब्रह्मा मोह ककयौ पछतायौ, दरशन कंू र्शव ब्रज में आयौ
मान इन्द्र कौ दरू भगायौ, ऐसौ वैभव वारौ तोऊ ये व्रज में गारी खाय
वडे वडे असअ
ु न कंू मायो, नाग कार्लया पकर पछायो
सात ददना तक धगरवर धायो
ऐसौ वली तऊ खेलन में ग्वालन से वपट जाये । एैसो.....

{ 237 }
अनूपम माधरु ी जोडी
अनप
ू म माधरु ी जोडी, हमारे श्याम श्यामा की
रसीली मद भरी अखखयां, हमारे श्याम श्यामा की
कटीली भौह अदा बांकी, सुघड सूरत मधुर वततयां
लटक गरदन की मन वर्सया । हमारे ....
परस्पर र्मलकै जव ववहरें श्रीवन्ृ दावन की कुञ्जन में
नही वणणत वनै सोभा । हमारे ....
मक
ु ु ट और चंदद्रका माथे, अधर पै पान की लाली
भजन संग्रह कथानक { 142 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

अहो कैसी वनी छबब है । हमारे ....


नही कछु लालसा मन में नही तनवाणण की इच्छा
सखी स्यामा र्मले सेवा । हमारे ....

{ 238 }
मन मोहन तम्
ु हें ररझाऊँ
मन मोहन तुम्हें ररझाऊँ, तुझे तनत नए लाड लडाऊ
बसा के तुम्हें नैनन में , तछपा के तुझे नैनन में
गीत बन जाऊँ तेरी बांसरु ी के स्वर का
इठलाती बलखाती पतली कमर का
पीला पटका वन जाऊँ । बसा के...
रूप सध
ु ा का पीऊँ सामने बबठा के,
फूलो की छै या पै तुझको र्लटाकें
तेरे धीरे धीरे चरण दबाऊँ । बसा के.....
राधधका ककशोरी संग रमण ततहारा
मुझ को ददखादो कभी ऐसा नजारा
कफर चाहे में मर जाऊँ, बबठा कर नैयन में , वसा के तुझे नयन में ।

{ 239 }
सुन बरसाने वाली गल
ु ाम
सन
ु बरसाने वाली गल
ु ाम तेरौ वनवारी - 2
तेरी पार्लयाँ पै, बाजे मुरर्लयाँ - 2
छम-छम नाचे धगरधारी - 2 | गुलाम तेरो
चन्दा से आनन पै बडी - बडी अखखयाँ - 2
लट लटकै घुंघराली - 2 गुलाम तेरो ....
बडी - बडी अखखयन में झीनो - झीनो कजरा -2
घायल कुञ्ज बबहारी - 2 | गल
ु ाम तेरो....
भजन संग्रह कथानक { 143 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

वन्ृ दावन के राजा होकर, छाछ पे नाचै मुरारी - 2


गुलाम तेरो बनवारी - 2 गुलाम तेरो.....
वन्ृ दावन की कुञ्ज गर्लन में -2
रास रचौ धगरधारी - 2 गुलाम तेरो......
कदम की डार पै झल
ू ो पडौ है - 2
झोटा दे वै बबहारी - 2 | गुलाम तेरो.....

{ 240 }
लट
ू के ले गया हदल
लूट के ले गया ददल जजगर, सांवरा जादग
ू र
मैं तो गयी भरने को यमुना पै पानी
दे ख छबब नटखट की भई में ददवानी
उसने मारी जो ततरछी नजर । सांवला....
तान सुनी मुरली की सुध - बुध में खोई
भूल गयी लोक लाज वश में तेरी होई
छोड के तुझको जाऊं ककधर । सांवला....
राधा रमण तुमसे आशा की लडडया
ये है तमन्ना शेष जीवन की घडडया
तेरे चरणो में जाये गज
ु र | सांवला....

{ 241 }
सूनी है गोकुल नगररया आजा
सूनी है गोकुल नगररया आजा आजा सवररया
बरसाने में रर्सक बल
ु ाये, ग्वाल वाल सव जरु र्मल आये
सखखयां दे खै डगररया। आजा आजा....
ऐसी प्रीत लगी मन मोहन, तेर ववन सखी हो गई जोगन
टूिै नगर और नगररया। आजा आजा....
भजन संग्रह कथानक { 144 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

वन्ृ दावन के तुम हो राजा, भक्तों को अव दरश ददखा जा


आके बजाजा बसरु रया। आजा आजा....
व्रज नगरी की सव ब्रज नारी, दे खै खडी रस्ता ततहारी
तोहो िूिें गुजररया | आजा आजा.....

{ 242 }
हे लाड़ली सुध लीजै हमारी
हे लाडली सुध लीजै हमारी हे राधा रानी हे श्यामा प्यारी
कब होगी मोपै कृपा तम्
ु हारी, हे राधारानी हे श्यामा प्यारी
कृपा बरसाने वाली मेरी राधारानी, मेरी राधा रानी मेरी श्यामा प्यारी
तेर ववना कोई नही है मेरा मुझे सहारा श्यामा जू तेरा
तारो या मारो मरजी तम्
ु हारी ! हे राधारानी हे श्यामा प्यारी । हे...
में हूं अधम मुझको ना ववसारो मेरी भी श्यामा बबगडी सवारो
लाखौ की तुमने बबगडी सवारी ! हे राधारानी हे श्यामा प्यारी । हे ...
श्यामा जू इतना उपकार कर दो अपनी ही भक्ती का मुझको वर दो
धचत्र ववधचत्र तेरे दर के र्भकारी ! हे राधारानी हे श्यामा प्यारी | हे ...

{ 243 }
तया सोच करै पागल मनुवा जो
क्या सोच करै पागल मनुवा जो वीत गया सो वीत गया
इस झठ
ू े खेल में मल्
ू य ही क्या कोई हार गया कोई जीत गया
हम चाहै वही हो जरूरी नही, आशायें कभी हुई पुरी कही
रे साचे ततनक जीवन घट का श्वांसाचल ककतना वीत गया
प्रभु प्रेम वपयष
ू ा वपया जजसने, पररदहत दहत जन्म र्लया जजसने
जीवन है वही जो जन जन के, मधु अधरों का वन गीत गया
भजन संग्रह कथानक { 145 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 244 }
हम पै भी एक नजर हो
हम पै भी एक नजर हो, शंकर मसान वाले
सब दवों से अलग हो, और िं ग है तनराले ।
क्या दे व और दानव, क्या यक्ष और ककन्नर
पशु पक्षी और नर क्या, भूत प्रेत और बनचर
तेरी दया पर तनभणर, रहते जहान वाले । हम पै भी.....
हे अधणचन्द्रधारी और हाथ धनुष है वपनाकी
डमरू तुम्हारे कर में वणणन नही छटाकी
र्लपटे गले में रहते हर दम है नाग काले । हम पै भी एक.....
तुम नरम भी बहुत हो, कहलाते भोले भाले
ववष पी के जमाने को अमत
ृ को दे ने वाले
लेककन तुम्हारा गुस्सा टलता कभी न टाले । हम पै भी एक.....
तुमसा न दाता कोई, तुम हों महान दाता
आया हुआ सबाली, दर से न खाली जाता
ददल में ददण जो रख ले, पल में तुम्हे वो पाले । हम पै भी एक....

{ 245 }
सदा शिव सवत वरदाता
सदा र्शव सवण वरदाता, ददगम्बर हो तो ऐसा हो
हरे सब दख्
ु ख भक्तन के, दयाकर हो तो ऐसा हो ।
सदा र्शखर कैलाश के ऊपर, कल्पतरूओं की छाया में ,
रमे तनत संग धगररजा के, रमणधर हो तो ऐसा हो....
र्शर पे गंग की धारा सुहावे आंख में लोचन
कला मस्तक पै चन्दर की, मनोहर हो तो ऐसा हो....
भयंकर जहर जब तनकला, क्षीर सागर के मंथन से
घरा सब कंठ में पीकर, ववषधर हो तो ऐसा हो....
भजन संग्रह कथानक { 146 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

र्शरौ को काटकर अपने, कीया जब होम रावण ने


ददया सब राज दतु नया का, ददलावर हो तो ऐसा हो....
ककया नन्दी ने जा वन में कठीन तप काल के डर से
बनाया खास जव अपना, अमर कर होतो ऐसा हो.....

{ 246 }
ॐ शिव ॐ शिव परात्परा
ॐ र्शव ॐ र्शव परात्परा र्शव, ऊंकारा र्शव तव शरणम ्
हे र्शव शंकर भवानी शंकर, उमा महे श्वर तव शरणम ्
हे बष
ृ भध्वज हे धमणध्वज, साभ्वसदा र्शव तब शरणम ्
हे जगदीश्वर वपनाकपाखण, बत्रनयन शंकर तब शरणम ्
हे शशी शेखर शम्भर्ू शवावप्रय, र्शवगंगाधरतव शरणम ्
बत्रशूलपाखण सोम र्शवावप्रय, र्शव र्शवपववष्ट तब शरणम ्
हे मत्ृ युंजय पशुपतत शंकर, भुजग
ं भूषण तब शरणम ्
हे अबबनाशी कैलाश बासी, पावणती पतत तब शरणम ्

{ 247 }
हमें राधा रानी तेरे
हमें राधा रानी तेरे नाम का सहारा
नाम का सहारा - 2 तेरे नाम का सहारा ।
एक ही सहारा जग में हम वे सहरौ का,
एक ही दठकाना हम गम के मारौ का
ववगडा मुक्कदर तूने पल में संवारा। हमें ....
ठोकरें जमाने की तेर दर पै ले आई है ,
ककस्मत के मारौ की तूने ववगडी वनाई है
तूने डूवी कजस्तयो को ददया है ककनारा । हमें ....
जो भी एक वार शरण आये राधारानी की
भजन संग्रह कथानक { 147 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

वरसे कृपा उस पे सदां महारानी की


हर लेती दुःु ख जीवन के करके एक इसारा । हमें .....
धचत्र ववधचत्र पागल हो गये राधानाम के,
वीत जाय जीवन सारा वन्ृ दावन धाम में ,
राधा नाम हमको प्राणौ से प्यारा । हमें .....

{ 248 }
शमश्री से मीठौ नाम हमारी
र्मश्री से मीठौ नाम हमारी राधा रानी कौ
राधा रानी कौ हमारी श्यामा प्यारी कौ
बाबा है वष
ृ भानु कुवर और मइया कीरती
वज
ृ में वरसानौ गांव हमारी राधारानी कौ । र्मश्री....
तीन लोक चौदह भवनौ की स्वार्मनी श्यामा जू
चरणन कौ चाकर श्याम हमारी राधारानी कौ । र्मश्री....
राधा राधा जपने से भव वाधा कट जाती ।
दख
ु दरू करन कौ काम हमारी राधारानी कौ । र्मश्री .....
ब्रह्मा ववष्णु र्शव शंकर सनकाददक ध्यान धेरै
गुण गावै तोता राम हमारी राधारानी कौ । र्मश्री....

★ कीततन ★

{ 249 }
जानकी नाथ सहाय करै
जानकी नाथ सहाय करै जब कौन ववगार करै नर तेरौ
सूरज सोम मंगल बुध गुरु सपने होय वर दायक तेरौ
राहू केतू की नाही गम्यता जहां सदा शनीचर कँ सख
ु तेरौ
दष्ु ट दष
ु ाषन तनवल द्रोपदी चीर उतार कौ बंधन तेरौ
भजन संग्रह कथानक { 148 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जाके सहायक है करूणार्सन्धु वढ़ गयो चीर कौ मान घनेरौ


रघुवंशी संतन सख
ु दायक तुलसी दास चरण धचत चेरौ

{ 250 }
मुरली धरा मन मोहना
मरु ली धरा मन मोहना हे नंद नंदना हे राधा माधवा

कववत्त
वह मोद ना मुजक्त के मजन्दर में
जो प्रमोद भरा वज
ृ धाम में है
इतनी छवव रार्श अनंत कहा
जजतनी छवव सुंदर श्याम में है
रार्श में ना सरोज सुधारस में
ना लता ना पता अर्भराम में है
इतना सुख और कही भी नही
जजतना सुख कृष्ण के नाम में है

{ 251 }
जय जय श्यामा
जय जय श्यामा जय जय श्याम जय जय श्री वन्ृ दावन धाम
पावन राधे तेरौ नाम पावन श्री वन्ृ दावन धाम
रर्सक रसीलौ तेरौ नाम रस वणषीला वन्ृ दावन धाम

{ 252 }
हमारौ धन राधा
हमारौ धन राधा श्री राधा श्री राधा
परम धन राधा राधा राधा राधा राधा
भजन संग्रह कथानक { 149 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

कववत्त
नाम महाधन है अपनौ नही दष
ू री सम्पवत् और कमानी
छोड अटारी अटा जग के हमको कुदटया वज
ृ माही छवानी
टूक र्मलै भक्तौ के सदा सेवै सदा यमुना महारानी
औरन की परवाह नही अपनी ठकुरानी श्री राधधका रानी

{ 253 }
कष्ण गोववन्द गोववन्द
कृष्ण गोववन्द गोववन्द गोपाल नंद लाल
राधे गोववन्द गोववन्द गोपाल नंद लाल
गोपाल नंदलाल रे गोपाल नंद लाल
गोपाल नंदलाल रे गोपाल नंद लाल

{ 254 }
ठाकुर हमरे रमण बबहारी
ठाकुर हमरे रमण बबहारी हम है रमण बबहारी के
साधू सेवा धरम हमारा काम ना दतु नयां दारी से
भला कहो चाहे वुरा कहो अव हो गये रमण बबहारी के

{ 255 }
जय राधा माधव जय
जय राधा माधव जय श्रीकँु ञ्ज बबहारी
जय गोपी जन बल्लभ जय धगरवरधारी
यशोदा नन्दन व्रज जन रं जन, यमुना तीर वनचारी | जय राधा.....
मुरली मनोहर करूणा सागर, जय गोवधणन धारी । जय राधा.....
भजन संग्रह कथानक { 150 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 256 }
जय माधव मदन मुरारी
जय माधव मदन मुरारी, जय केशव कर्लमल हारी
सन्
ु दर कंु ण्डल नयन ववशला, गले शोहे वैजन्ती माला
या छबब की बर्लहारी । जय माधव....
कवहू लूट लूट दधध खायौ कवहू मधुवन रास रचायौ
नाचत वववपन बबहारी । जय माधव....

{ 257 }
हे कष्ण गोपाल हरी
हे कृष्ण गोपाल हरी हे दीन दयाल हरी
तुम करता तुम ही कारण हे परम कृपाल हरी
रथ हाके रणभम
ू ी में और, करम योग के मरम बताये
अजर अमर है परम तत्व, काया के दुःु ख सुख समझाये
सखा सारथी शरणागत के सदा प्रततपाल हरी । हे ...
श्याम के रं ग में रं ग गयी मीरा, रस खान तौ रस की खान हुये
जग से आंखें बंद करी तौ, सूरदास ने दरस ककये
मात यशोदा व्रज नारी के माखन चोर हरी । हे....

{ 258 }
हे बाँकेबबहारी धगररधारी
हे बाँके बबहारी धगररधारी हो प्यार तम्
ु हारे चरणों में ।
नटवर मधुसूदन बनवारी हो प्यार तुम्हारे चरणों में ॥
मैं जग से ऊब चक
ु ा मोहन सब जग को परख चुका सोहन ।
अब शरण ततहारी धगररधारी हो प्यारे तम्
ु हारे चरणों में । हे बाँके
बबहारी....
भाई सुतदार कुटुम्बीजन मैं मेरे थे र्सगरे बन्धन |
भजन संग्रह कथानक { 151 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

सब स्वारथ के ये संसारी हो प्यारे तुम्हारे चरणों में ॥ हे बाँके बबहारी.


पापी उनके या जापी नर नारी इन चरणों से जजनकी यारी ।
हरर हो तुम भय हारी हो प्यार तुम्हारे चरणों में ॥ हे बाँके बबहारी .
मैं सुख बन में रहूँ चाहें द:ु ख रहूँ फूलों में रहूँ काँटों में रहूँ।
में घर में जहाँ भी रहूँ हो प्यार तम्
ु हारे चरणों में ॥ हे बाँके बबहारी ..
मन के मजन्दर में आओ तुम नस नस में श्याम समाओ तुम।
तुम्हरे हैं हम हमरे हो तुम हो प्यार तुम्हारे चरणों में ।
हे बाँके बबहारी धगररधारी हो प्यार तम्
ु हारे चरणों में ।

{ 259 }
नन्हा सा फूल हूँ
नन्हा सा फूल हूँ मैं चरणों की धल
ू हूँ मैं
आया हूँ मैं तो तेरे द्वार - मेरी पज
ू ा करो स्वीकार ॥
गुरु जी नन्हा सा फूल....
ओंऽ सुनलो हमारी अजी मुझको कुछ ज्ञान दो,
जीवन को जीना सीखूँ ऐसा वरदान दो।
सूरज सी शान पाऊँ चन्दा सा मान पाऊँ, ॥
इतना सा दे दो उपहार - गुरु जी मेरी पज
ू ा करो स्वीकार ॥
नन्हा सा फूल...

ओंऽ मैं तो तनगतुण नया हूँ बस इतनी बात है ।


मेरे जीवन की डोरी अब तेरे हाथ है ॥
थोडा सा गण
ु र्मल जाये तनधणन को धन र्मल जाये ।
माँनू तुम्हारा उपकार गुरु जी मेरी पूजा करो स्वीकार ॥
नन्हा सा फूल...

{ 260 }
भजन संग्रह कथानक { 152 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जो िरण गुरु की आया


जो शरण गुरू की आया, इह लोक सुखी परलोक सुखी।
जजसने गुरु ज्ञान पचाया, इह लोक सुखी परलोक सुखी ॥
जो शरण गुरु की..
रामायण में र्शव जी कहते, भागवत में शक
ु दे व जी कहते
गुरुवाणी में नानक कहते, जजसने हरर नाम कमाया- इह लोक ॥
जो शरण गुरु की...
धचन्ता और भय सब र्मट जाये, दतु नया के बन्धन हट जाये।
संकट के बादल छट जाये, जजसने गुरु को अपनाया-इह लोक ॥
जो शरण गुरु की.
श्वांसों में हो प्रभु का सर्ु मरन और मन में गरु
ु वर का धचन्तन ।
कफर कैसा माया का बन्धन जजसे द्वार गुरु का भाया-इह लोक 1
जो शरण गुरु की..
जो सत्संग में आ जायेंगे, वो गरु
ु कृपा पा जायेंगे |
भव सागर से तर जायेंगे, जजसने जग को ठुकराया-इह लोक॥
जो शरण गुरु की..

{ 261 }
भगवान के सच्चे भततों को
भगवान के सच्चे भक्तों को पग पग में सहारा र्मलता है
जजस ओर बढ़े जजस ओर चलें उस ओर सहारा र्मलता है |
भगवान के सच्चे....
जीवन में अगर तफ
ू ान उठे , लहरों में नैया फँस जाए ।
यदद राम नाम का सम्बल हो, उसे सहज ककनारा र्मलता है
भगवान के सच्चे...
जब धन तन बल ना साथी हो, दश्ु मन सारा संसार बने
जब सब द्वारे हो जायें बन्द, तब प्रभु का द्वारा खुलता है।
भजन संग्रह कथानक { 153 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

भगवान के सच्चे...
प्रह्लाद सररस तुम तनभणय हो, शवरी की तरह यदद व्याकुल हो ।
हो ध्रुव सा दृढ़ तनश्चय वाला, तब कृष्ण वपयारा र्मलता है ।
भगवान के सच्चे भक्तों को

{ 262 }
मुझको ऐसा दो संगीत
मुझको ऐसा दो संगीत
तनर्शददन स्वर स्वर की श्रतु त श्रवणकर तझ
ु से होवे प्रीत ॥
स्वर से स्वर र्मल जाये भगवन ्, ताल से ताल र्मलाऊँ ।
तेरी लय में लय र्मल जाये, तुझे छोड नदह जाऊँ ॥
सा से शरण में आकर तेरी, रा से रोज ररझाऊँ ।
गा से गाऊँ गीत तुम्हारे , म से मजन्दर आऊँ ।
प से पद रज शीष चढ़ाकर, ध से धन्य हो जाऊँ ।
दास प्रभाकर ऐसा वर दो, नी से नीर बहाऊँ ।

{ 263 }
भाव का भख
ू ा हूँ
भाव का भूखा हूँ मैं और भाव ही बस सार है ।
भाव से मुझको भजे तो भव से बेडा पार है ।
अन्न धन और वस्त्र भष
ू ण कुछ न मझ
ु को चादहए ।
आप हो जायें मेरे बस यही मेरा सत्कार है ।
भाव बबन कुछ भी वो दे वे मैं कभी लेता नहीं ।
से एक फूल भी दे तो मझ
ु े स्वीकार है ||
भाव बबन सुनी पक
ु ारे मैं कभी सुनता नहीं।
भाव परू रत टे र ही करती मुझे लाचार है ।
जो मझ
ु में ही भाव रखकर लेता है मेरी शरण।
भजन संग्रह कथानक { 154 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

उसके और मेरे हृदय का एक रहता तार है ।


भाव जजस जन के नहीं उसकी मुझे धचन्ता नहीं ।
भाव वाले भक्त का भरपूर मुझ पर भार है ।
बाँध लेते भक्त मुझको प्रेम की जंजीर में ।
भाव वश इस भर्ू म पर होता मेरा अवतार है ॥

{ 264 }
मानव जनम अनमोल रे
मानव जनम अनमोल रे , माँटी में न रोल रे ।
अब तो र्मला है कफर न र्मलेगा,
कभी नहीं कभी नहीं-कभी नहीं रे ॥ मानव...
तू सत्संग में आया कर, गीत प्रभू के गायाकर।
साँझ सबेरे बैठ के वन्दे , हरर का ध्यान लगाया कर ॥
नहीं लगता कुछ मोल रे , माँटी में न रोल रे । अब तो र्मला है..
तू, बुलबुला है पानी का, मत कर मान जवानी का ।
नेक कमाई करले रे भाई, पता नहीं जजन्दगानी का ॥
मीठा सबसे बोल रे , माँटी में न रोल रे । अब तो र्मला है ...
मतलब का संसार है , इसका नहीं ऐतबार है ।
सम्भल-सम्भल कर कदम धरो, फूल नहीं अंगार है ।
मन की आँखें खोल रे , माँटी में न रोल रे / अब तो र्मला है..
श्रीसत्गुरु र्सर मौर हैं, ज्ञान का भण्डार हैं ।
जो कोई इनकी शरण में आवे करते भव से पार हैं । "
जीवन है अनमोल रे , माँटी में न रोल रे । अब तो र्मला है...

{ 265 }
मैं नहीं मेरा नहीं
मैं नहीं मेरा नहीं यह तन ककसी का है ददया।
भजन संग्रह कथानक { 155 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जो भी अपने पास है वह धन ककसी का है ददया ॥


दे ने वाले ने ददया वह भी ददया ककस शान से।
मेरा है यह लेने वाला कह उठा अर्भमान से ।
मैं मेरा यह कहना वाला मन ककसी का है ददया ॥
मैं नहीं मेरा नहीं......
जो र्मला है वह हमेशा पास रह सकता नहीं ।
कब बबछुड जाये यह कोई राज कह सकता नहीं ।
जजन्दगानी का खखला मधव
ु न ककसी का है ददया ॥
मैं नहीं मेरा नहीं.....
जग की सेवा खोज अपनी प्रीतत उनसे कीजजए ।
जजन्दगी का राज है यह जानकर जी लीजजए |
साधन की राह पर साधन ककसी का है ददया॥
मैं नहीं मेरा नहीं.....

{ 266 }
जायेगा जब यहाँ से
जायेगा जब यहाँ से कुछ भी न पास होगा।
दो गज कफन का टुकडा, तेरा र्लवास होगा।
काँन्धे पे धर ले जाएं, पररवार वाले तेरे,
यमदत
ू ले 'पकड कर डोलेंगे घेरे-घेरे,
पीटे गा छाती अपनी कुनबा उदास होगा ॥ 1 ॥
चुन-चुन आकर के लकडडयों में रखदें तेरे बदन को,
अकर के झट उठा ले मेहतर तेरे कफन को.
दे दे गा आग तुझमें बेटा जो खास होगा ॥2 ||
र्मट्टी में र्मले र्मट्टी, बांकी खाक होगी,
सोने सी तेरी काया, जलकर के राख होगी,
दतु नयां को छोड तेरा मरघट में वास होगा ॥3 ।।
भजन संग्रह कथानक { 156 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

हरर का नाम जपते, भवर्संधु पार होते,


माया मोह में फंस कर जीवन अमूल्य खोते,
प्रभु का नाम जपले, बेडा जो पार होगा ॥4॥ ‫܀‬

{ 267 }
तीन बार भोजन
तीन बार भोजन भजन एक बार,
उसमें भी आते हैं झंझट हजार ।
मन मेरा कहता है गंगा नहा आऊँ,
गंगा नहा आऊँ जमुना नहा आऊँ ।
जाते-जाते रास्ते में चढ़ गया बुखार - उसमें..
मन मेरा कहता है मजन्दर हो आऊँ,
मंददर हो आऊँ थोडा दशणन कर आऊँ ।
जाते-जाते मंददर के लग गये ककवाड - उसमें ......
मन मेरा कहता है दान कर आऊँ,
दान कर आऊँ थोडा पण्
ु य कमा आऊँ ।
महं गाई ज्यादा, बडा है, पररवार - उसमें ..
मन मेरा कहता है तीथण कर आऊँ,
तीथण कर आऊँ चारों धाम कर आऊँ ।
मांगे नहीं र्मलता है पैसा उधार- उसमें ..
मन मेरा कहता है , पज
ू ा कर आऊँ,
पूजा कर आऊँ मैं भजन कर आऊँ ।
जपते-जपते माला में आ गये ररस्तेदार - उसमें ...... -

{ 268 }
उठ जाग मुसाकफर
उठ जाग मस
ु ाकफर भोर भई, अब रै न कहाँ जो सोवत है ।
भजन संग्रह कथानक { 157 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जो सोवत है सो खोवत है , जो जागत है सो पावत है ॥


टुक नींद से अंखखयाँ खोल जरा और अपने प्रभु का ध्यान लगा। >
यह प्रीत करन की रीत नहीं, प्रभु जागत है तू सोवत है ।
जो कल करना सो आज कर ले जो, आज करना सो अब कर ले ।
जब धचडडयों ने चग
ु खेत र्लया, कफर पछताए क्या होवत है ।।
नादान भुगत अपनी कंरनी, ए पापी पाप में चैन कहाँ
जब पाप की गठडी शीश धरी, कफर शीश पकड क्यों रोवत है ||

{ 269 }
भतत को भगवान का धचन्तन होगा
भक्त को भगवान का धचन्तन होगा
उसका सफल क्यों ना जीवन होगा
जजसके हृदय में हरर सुर्मरन होगा
उसका सफल क्यों ना जीवन होगा
बनके वैरागी गीत राम जी के गाये जा
सारी तेरी मुजश्कलें आसन वो बनायेगा
जजसका सहारा हरर प्यारा होगा
उसका सफल क्यों ना जीवन होगा
द्रोपदी ने बांधा केवल चार कच्ची तारों से
बदलें में भेजी हरर साडडयां हजारों में
जजसका सहारा मन मोहन होगा
उसका सफल क्यों ना जीवन होगा
बनके वनवासी राम जंगलों में आये थे
खट्ठे -र्मट्ठे झूठे बेर भीलनी के खाये थे
जजसका सहारा मेरा रघुवर होगा
उसका सफल क्यों ना जीवन होगा
सच्ची धारणा से प्रहलाद ने ध्याया था
भजन संग्रह कथानक { 158 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

खम्भे से नरर्संह का दशणन पाया था


जजसका सहारा मेरा ठाकुर होगा
उसका सफल क्यों ना जीवन होगा

{ 270 }
हुई हमसे नादानी तेरी महकफल
हुई हमसे नादानी तेरी महकफल में आ बैठे
जमीं की खाक होकर भी आसमां से ददल लगा बैठे
हम जजन्दगी लट
ु ाने आये हैं तेरे दर पर
ददल की लगी बुझाने आये हैं तेरे दर पर...
सब कुछ लुटा चुके हैं एक जजंदगी है बाकी
ओ भी लट
ु ा दे तम
ु को ऐसी वपला दे साकी
फररयाद ये सुनाने आये हैं तेरे दर पर...
तू मुझसे क्यों है रुठा ये तो जरा बता दे
झांकी जरा ददखा दे या अंधा मुझे बना दे
हम तुमको यों सताने आये हैं तेरे दर पर....
जब तक ये जजंदगी है तुझको करें गें हैंरा
गर्लयों में तेरी मोहन दे ते रहें गे फेरा
रुठा तुझे मनाने आये हैं तेरे दर पर..
आयेगी याद तुझको इक था कोई ददवाना
गर्लयों में कफरता मारा ऐसा था वो बेगाना
हम तेरे ही कहाने आये हैं तेरे दर पर...

{ 271 }
मुझे मेरी मस्ती
मुझे मेरी मस्ती, कहाँ लेके आई ।
जहाँ मेरे अपने, र्सवा कुछ नाँही है ॥
भजन संग्रह कथानक { 159 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मुझे मेरी मस्ती......


पता जब लगा, मेरी मस्ती का मुझको ।
र्सवा मेरे अपने, कहीं कुछ नाँही है ॥
मुझे मेरी मस्ती....
सभी में सभी में , फक्त मैं ही मैं हूँ ।
र्सवा मेरे अपने, कहीं कुछ नाँही है ॥
मुझे मेरी मस्ती..
दुःु ख है न सख
ु है , न है शोक कुछ भी ।
है ये मस्ती, वपया कुछ नाँही है ॥
मुझे मेरी मस्ती........
ये सागर ये लहरें , ये फेन और बद
ु बद
ु े ।
कजल्पत है जल के, र्सवा कुछ नाँही है ॥
मुझे मेरी मस्ती…..
अरे मैं हूँ आनन्द और आनन्द है मेरा ।
मस्ती ही मस्ती और कुछ नाँही है ॥
मुझे मेरी मस्ती….
ये पदाण दई
ु , का हटा के जो दे खा ।
तो बस एक मैं हूँ, जुदा कुछ नाँही है ॥
मुझे मेरी मस्ती...
मझ
ु े मेरी मस्ती, कहाँ ले के आई ।
जहाँ मेरे अपने, र्सवा कुछ नाँही है ॥
मुझे मेरी मस्ती....

{ 272 }
गोववन्द गा ले
गोववन्द गा ले गोपाल गा ले ।
भजन संग्रह कथानक { 160 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जीवन की नैया ककनारे लगा ले ककनारे लगा ले ॥


गोववन्द गाले.......
दतु नया के साथी हैं सबसे तनराले - 2
बाहर से उजले अन्दर से काले अन्दर से काले ।
गोववन्द गाले.......
न भाई सम्भाले और न बेटा सम्भाले - 2
एक ददन पडेंगे यम के पाले-2
गोववन्द गाले....
संग में चलेंगे न बँगले अटारे -2
मरने के पीछे अकेले तनकाले-2
गोववन्द गाले.....
पागल अभागा गफलत न टाले-2
एक ददन पडेगा अजग्न के पाले-2
गोववन्द गाले...

{ 273 }
प्रभु तेरी मेहरबानी
प्रभु तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना
जजसे मैं उठाने के काबबल नहीं हूँ
मैं आ तो गया हूँ मगर जानता हूँ
तेरे दरपे आने के काबबल नहीं हूँ ...... प्रभु
जमाने की चाहत ने मुझको रुलाया,
तेरा नाम हरककज़ जब
ु ांपे न आया,
वफादार तेरा गुनहगार हूँ मैं,
तुम्हें मुँह ददखाने के काबबल नहीं हूँ...... प्रभु
ये माना कक दाता है तू है कुल जहाँ का,
मगर झोली आगे फैलाऊँ मैं कैसे.
भजन संग्रह कथानक { 161 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जो पहले ददया है वही कम नहीं है.


उसी को उठाने के काबबल नहीं हूँ...... प्रभु
तुमने अदा की मुझे जजंदगानी,
मगर तेरी मदहमा नहीं मैंने जानी,
करजदार इतना हूँ तेरी दया का,
कक करजा चक
ु ाने के काबबल नहीं हूँ......प्रभु
तमन्ना यही है कक र्सर को झुका लँ ू,
तेरा दशण एक बार जी भर के पा लँ ू,
ओ र्सवा आँसु बबंद ु के ओ मेरे मार्लक,
मैं कुछ भी चढ़ाने के काबबल नहीं हूँ...... प्रभु

{ 274 }
सुने री मैंने ननरबल
सुने री मैंने तनरबल के बल राम।
वपछली साख भरु संतन की, अडे सवाँरे काम ॥
जब लधग गज बल अपनो बरत्यो, नेक सरयो नहीं काम ।
तनरबल है बल राम पक
ु ारयो, आये आधे नाम ॥
द्रप
ु द सुता तनबणल भई ता ददन, तजज आये तनज धाम।
दष्ु शासन की भज
ु ा थककत भई, बसन रूप भये श्याम ॥
अप बल तप बल और बाहु बल, चौथो बल है दाम।
'सूर' ककसोर कृपा तें सब बल हारे को हररनाम ॥

{ 275 }
शलखन वाशलए
र्लखन वार्लए तू हो के दयाल र्लख दे ।
मेरे ददल ववच गुरुदाँ वपयार र्लख दे ॥
माथा उपर धरदे हाथ गरु ाँदा ।
भजन संग्रह कथानक { 162 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

आँखा ववच गुरुदाँ दददार र्लख दे |


हाथा ववच र्लखदे सेवा गुराँदी ।
ददल ववच ददलवरदाँ प्यार र्लख दे |
एक न र्लख मेरे गुरुदाँ बबछोडा ।
और चाहे दख
ु ोंदाँ पहाड र्लख दे ॥

{ 276 }
यह प्रेम सदा भरपरू रहे
यह प्रेम सदा भरपरू रहे |
भगवान तुम्हारे चरणों में ॥
यह अरज मेरी मंजूर रहे ...... भगवान
जीवन को मैंने सौंप ददया ।
नंदलाल तुम्हारे हाथों में ॥
उत्थान, पतन अब मेरा है..... भगवान
संसार असार है सार नहीं ।
बाकी न रहे अब द:ु ख सही ।
मैं हूँ संसार के हाथों में ॥
संसार तम्
ु हारे हाथा में..... भगवान
आँखों में सदा ये ध्यान रहे ।
और मन चरणों में लगा रहे ।
यह अंत समय की अजण मेरी..... भगवान
यह बार बार मैं कहता हूँ।
आगे प्रभु आपकी मरजी है ।
यह भाव सभी भक्तों का है ..... भगवान

{ 277 }
ककस दे वता ने आज
भजन संग्रह कथानक { 163 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

ककस दे वता ने आज मेरा ददल चुरा र्लया।


दतु नयाकी खबर ना रही तनको भुला ददया ॥टे क ॥
रहता था पास में सदा लेककन तछपा हुआ ।
करके दया दयाल ने परदा उठा र्लया ॥1॥
सरू ज न था न चांद था बबजली न थी वहाँ ।
एकदम वो अजब शाम का जलवा ददखा ददया ॥ 2 ॥
कफरके जो आँख खोलकर िूंढ़न लगा उसे।
गायब था नज़र से सोई कफर पास पा र्लया ॥ 3 ॥
करके कसूर माँफ मेरे जन्म जन्म के ।
ब्रह्मानंद अपने चरण में मुझको लगा ददया ॥4॥

{ 278 }
भज राधे गोववन्द रे
भज राधे गोववन्दा रे पगले, भज राधे गोववन्द रे ।
तन वपंजडे को छोड कहीं उड जाये न प्राणपररंदा॥..... भज
झूठी सारी दतु नयादारी झूठा तेरा मेरा रे ,
आज रुके कल चल दे गा, ये, जोगीवाला फेरा रे ।
भेदभाव को छोड के पगले, मत कर तू पर तनंदा रे ॥.....भज
इस जीवन में सुख की कर्लयाँ और सभी द:ु ख के काँटे,
सुख में हर कोई दहस्सा मांगे कोई भी ना दुःु ख बाँटे ।
सब साथी है , झूठे जगत के सच्चा एक गोववंदा रे ...... भज
इस चादर को बडे जतन से ओढ़े दास करीबा रे ,
जजसे पहनं ववषपान कर गई- प्रेम दीवानी मीरा रे ।
इस चार को पाप करम से मत कर तू अब गंदा रे ॥..... भज

{ 279 }
चोला मेरा रं ग दे
भजन संग्रह कथानक { 164 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

चोला मेरा रं ग दे ओ वंशी बाले ॥ ओ वंशी......


जजस रं ग में तेरा मुकुट रं गा है , मुकुट रं गा है तेरे र्सर पे सजा है ।
वईयो रं ग दै ॥ ओ वंशी..
जजस रं ग में तेरी मुरली रं गी है , मुरली रं गी है अधरों पे सजी है ।
वईयो रं ग दै ॥ ओ वंशी..
जजस रं ग में तूने मीरा को रं गाया, मीरा को रं गाया उसे अपना बनाया।
वईयो रं ग दै ॥ ओ वंशी...
उस रं ग में तू हमको भी रं ग दे , भजक्त के रं ग में तू हम सब को रं ग दे |
वईयो रं ग दै ॥ ओ वंशी..

{ 280 }
कािी घम
ू लो
काशी घूम लो मथुरा घूमलो घूमलो चाहे वन वन |
नर में है नारायण वदें नर में है नारायण ।
बोलो जय नारायण हो बोलो जय नारायण-नारायण ॥
नर में है नारयण काशी.....
दया धरम चाहे दान करो यह ककसी काम नदहं आते।
जब तक दीन द:ु खी तनधणन को गले से नहीं लगाते ।
मेरा नारायण होता है इसी बात से प्रसन्न ॥
नर में है नारायण काशी.......
पहन के भंगवा ततलक लगा के बना तू सन्त अज्ञानी ।
हो गया मस्त मलंग ना पीडा ककसी की तन
ू े जानी।
बभतू त मंडल गले में माला व्यथण है माँथे चन्दन
नर में है नारायण काशी.
ईश्वर के है वन्दे सबको रूप उन्हीं का मानो।
ना कोई ऊँचा ना कोई नीचा सबको एक ही मानो ।
सबसे उत्म पूजा यही है सबसे बडा ये धन
भजन संग्रह कथानक { 165 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

नर में है नारायण काशी..

{ 281 }
मक्न्दर में ना शमलेंगे
मजन्दर में ना र्मलेंगे गुरुद्वारे ना र्मलेंगे
घर में ही बैठे हैं तेरे भगवान
कर ले माँ को प्रणाम अपने वपता को प्रणाम....
जजसने तुझको जन्म ददया, उस माँ कैसे भल
ू गया
पाल पोसकर बडा ककया उस वपता को कैसे भल
ू गया
इनके ही चरणों में है तेरा मुकाम / कर ले.......
उं गली पकडकर चलना र्सखया, भूखे रहकर तुझे खखलाया
कष्ट कभी जो आया तझ
ु पर, हर पर तेरा साथ तनभाया
ऐसे माँ बाप का न करना अपमान / कर ले.....
सब ररश्ते र्मल जायेंगे जग में , नहीं र्मलेंगे माता वपता
सब ररश्ते तो स्वाथण के है , नहीं चाहें गे तेरा भलो
इनके ही चरणों में र्मलेगा ववश्राम | कर ले.......

{ 282 }
ना मैं मीरा ना मैं राधा
ना मैं मीरा ना मैं राधा कफर भी श्याम को पाना है
पास हमारे कुछ भी नहीं है चरणों में शीश झक
ु ाना है ॥
जब से तेरी सूरत दे खी कुसुम प्रेम की मरू त दे खी ।
अपना तुम्हें बनाना हैं - हो ना मैं मीरा ना मैं राधा.....
जप तप साधन कुछ ना जानँू अपनी लगन को सब कुछ माँनू
ददल का ददण सुनाना हैं- हो ना मैं मीरा ना मैं राधा.....
जनम जनम की भूली तुमको अब जाकर हूँ जानी तुमको
अब ना तम्
ु हें भल
ु ाना है - हो ना मैं मीरा ना मैं राधा....
भजन संग्रह कथानक { 166 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

दासी तेरी शरण में आयी लगन र्मलन की मन में समाई


प्रेम की भें ट चढ़ाना है - हो ना मैं मीरा ना मैं राधा..... ॥
ना मैं मीरा ना मैं राधा ॥

{ 283 }
तेरा पल पल बीता
तेरा पल पल बीता जाये मख
ु से जप ले नम: र्शवाय
ॐ नमुः र्शवाय ॐ नमुः र्शवाय तेरा पल पल...
र्शव - र्शव तम
ु हृदय से बोलो मन मजन्दर का परदा खोलो।
अवसर खाली न जाये - मख
ु से जप ले नमुः र्शवाय ॥
तेरा पल पल.... तेरा
ये दतु नया पंक्षी का मेला समझो उड जाना है अकेला ।
तन मन साथ न जाये मुख से जप ले नमुः र्शवाय ॥ -
तेरा पल पल...
मुसाकफरी जब परू ी होगी चलने की मजबूरी होगी।
तेरा वपंजडा प्राण रह जाये- मुख से जप ले नम: र्शवाय ॥
तेरा पल पल...
र्शव पज
ू न में मस्त रहे जा- भजक्त सुधा रसपान ककये जा ।
दशणन ववश्वनाथ के पाय- मुख से जप ले नमुः र्शवाय ॥
तेरा पल पल....

{ 284 }
भजनारायण-भजनारायण
भजनारायण-भजनारायण, भजनारायण का नाम रे ।
नारायण के नाम बबना, नदहं आवे कोई काम रे ॥
भज नारायण…………॥
दतु नयाँ है सख
ु -दख
ु का मेला, जीवन है पानी का रे ला।
भजन संग्रह कथानक { 167 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

इसमें बहता हं स अकेला, इसमें बहता हं स अकेला ॥


भज नारायण……………॥
नाम प्रभु का है सख
ु दाई, लेकर तर गया सदन कसाई।
प्रेम से बोलो सब र्मल भाई, प्रेम से बोलो सब र्मल भाई ॥
भज नारायण……………॥
ध्यान प्रभु का जो नदहं ध्याये, अन्त समय र्सर धुतन पछताये।
कफर तू प्रेम से क्यूँ नहीं गाये, कफर तू प्रेम से क्यूँ नहीं गाये ॥
भज नारायण...
क्यों कफरता है फूला-फूला, यम फाँसी झूलेगा झूला
नाम प्रभु का क्यों तू भूला, नाम प्रभु का क्यों तू भूला ॥
भज नारायण...
कल क्या हो ये कोई न जाने क्या जानें वो लोग सयाने । "
अब भी भज ले नाम दीवाने, अब भी भज ले नाम दीवाने ॥
भज नारायण...

{ 285 }
राजा दिरथ जू के द्वार
राजा दशरथ जू के द्वार नौबत बाज रही – 2
समाचार सुतन सतु न सखी आई-2
ककये सहज शग
ंृ ार, नौबत बाज रही ॥ राजा...
मंगल दृव्य र्लए हाथन में 2
सब गावत मंगला चार, नौबत बाज रहीं ॥ राजा.....
बार बार तनरखत है राम मख
ु - 2
मुतनजन कर रहे जय जयकार, नौबत बाज रही ॥ राजा...
दान दे त सम्मान सदहत द्ववज
याचक र्लए हंकार, नौबत बाज रही ॥ राजा..
साधू सरादह सुमन सरु बरसत
भजन संग्रह कथानक { 168 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

बोलत जय जयकार, नौबत बाज रही ॥ राजा.


अद्भुत काजन्त राम मुख ऊपर
होत भवन उजजयार, नौबत बाज रही ॥ राजा..
कौन पुण्य करर आई कौशल्या
गोद भरी करतार, नौबत बाज रही ॥ राजा..
नारायण गण
ु गावत गायक
अंचल नयन पसार, नौबत बाज रही ॥ राजा..

{ 286 }
सीताराम जी की प्यारी
सीताराम जी की प्यारी रजधानी लागे-2
मोहे मीठो मीठो सरजू जी को पानी लागे ॥
धन्य कौशल्या धन्य कैकई, धन्य सुर्मत्रा मैया ।
धन्य भूप दशरथ के आंगना, खेलत चारों भैया ॥
मीठी तोतली रसीली प्रभु की बानी लागे......मोह०
छोटी छावनी रं ग महल, हनुमान गढ़ी अतत सुन्दर ।
स्वयं जगत के मार्लक बैठे कनक भवन के अंदर ॥
सीताराम जी की शोभा, सुख खानी लागे..... मोह०
सहज सुहावनी जन्मभूर्म, श्रीरघुवर राम लला की ।
जानकी महल के सुन्दर शोभा, लक्ष्मन जू के ककला की ॥
यहाँ के कण-कण से, प्रीतत परु ानी लागे..... मोह०
जय र्सयाराम दण्डवत भैया, मधुरी वाणी बोले ।
करें कीतणन सन्त मगन होय, गली-गली में डोले ॥
सीताराम नाम धुतन बडी प्यारी, लागे......मोह ०

{ 287 }
मझ
ु े रघव
ु र की सधु ध
भजन संग्रह कथानक { 169 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मुघे रघुवर की सुधध आई


आगे आगे राम चलत हैं, पीछे लखनजी भाई.......हो रामा
बीच जानकी अधधक सोहे , राजा जनक की जाई....... मुझे
श्रावण बरसे भादों गरजे, पवन चले परु वाई........हो रामा
कौन बबरछ तर र्भंजत होंगे, र्सया लखन रघरु ाई.. मझ
ु े
सीता बबना मोरी सूनी रसोई, लखन बबना ठकुराई...... हो रामा
राम बबना मोरी सन
ू ी अयोध्या, महल उदासी छाई. मुझे
भीतर रोये मातु कौशल्या, बाहर भरतजी भाई.......हो रामा
दशरथजी ने प्राण तजे हैं, कैकयी मन पछताई. मुझे

{ 288 }
राम रमईया गायेजा राम से
राम राम रमईया गायेजा राम से लगन लगाये जा
राम ही तारे राम उबारे राम नाम दोहराये जा। राम....
सुबह यहाँ तो शाम वहाँ है ,
राम बबना आराम कहाँ है
राम रमईया गाये जा जीवन के सुख पाये जा ॥
भूला बीच जब मैं भल
ू भूलईया,
भंवर में अटकी नैया
राम रमईया गाये जा जीवन सफल बनाये जा ॥
राम नाम बबन जागा सोया,
अंधधयारे में जीवन खोया
राम रमईया गाये जा मन के दीप जलाये जा ।
राम ही तारे राम उबारे राम नाम दह
ु राये जा
राम ही तारे राम उबारे राम नाम दह
ु राये जा। राम....

{ 289 }
भजन संग्रह कथानक { 170 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

तेरी मजी का मैं हूँ गल


ु ाम
तेरी मजी का मैं हूँ गल
ु ाम मेरे अलबेले राम
अलबेले राम मेरे मतवारे राम । तेरी मजी..
जो भी करा हूँ मैं तझ
ु पर न्यौछावर
दौलत तेरी मेरा नाम । मेरे अलबेले राम…..
थक भी गया हूँ इस लम्बे सफर में
मेरा जीना हुआ है हराम | मेरे अलबेले राम.
तेरी रजा में कटीली है राहें
अब दे दो सजा या ईनाम | मेरे अलबेले राम..

{ 290 }
राम जी से पछ
ू े जनकपरु की
राम जी से पछ
ू े जनकपुर की नारी हो बताई दे बबआ

हो लोगवा दे त काहे गारी, बताई दे बबआ
ु ....
तोहरा से पछ
ू े ये धनष
ु धारी,
एक भाई गोर तो एक काहे कारी हो
बताई दे बबुआ....
राजा दशरथ जी करर लेन होर्शयारी,
एक-एक पुरुष के तीन-तीन नारी हो
बताई दे बबुआ.....
ये ही दे खन बूढ़े बाबा की लम्बी-लम्बी दाढ़ी,
को दब
ु ले-पतले खायें भरर - 2 थाली हो
बताई दे बबआ
ु .....
कहत नारायण ये मन में ववचारी
हमसे हो र्मर्ल के दे त रामजी कँू गारी हो
बताई दे बबआ
ु .....
भजन संग्रह कथानक { 171 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 291 }
कब आयेगा मेरा
कब आयेगा मेरा साँवररया, कब आयेगा मेरा साँवररया।
जाने कब आयेगा मझ
ु े अपना बनायेगा- मेरे आँसू पोछकर ॥
मुझे गले लगायेगा-कब आयेगा मेरा
थक गये नैन मेरे रस्ता तनहार के ॥
प्यासी प्यासी अँखखयों में सपने बहार के ।
जीवन बन जायेंगा जब कान्हा आयेगा- मेरे आँसू पोछ ।
तुझसे उम्मीद मुझे तेरा ही सहारा है ।
तनबणल गरीब हूँ मैं कोई न हमारा है।
कब तक बहलायेगा कब तक तडफायेगा-मेरे आँसू
बनो ना कठोर थोडी दया से भी काम लो।
आके कन्है या मेरे दामन को थाम लो ॥
तेरा गण गायेगा सेवक बन जायेगा तेरे आँसू
कब आयेगा मेरा साँवररया ॥

{ 292 }
राधे को नाम अनमोल
राधे को नाम अनमोल बोलो राधे राधे ।
ब्रह्मा भी बोले राधे, शंकर भी बोले राधे ।
नारद के वीणा से आवाज आयी राधे राधे ॥
गैया भी बोले राधे बछडे भी बोले राधे ।
कान्हा की मुरली से आवाज आई राधे राधे ॥
कुञ्जन में बोले राधे वंशीवट बोले राधे ।
यमुना की लहरों से आवाज आई राधे राधे ॥
साधू भी बोले राधे प्रेमीजन बोले राधे ।
भक्तों के श्रीमख
ु से आवाज आई राधे राधे॥
भजन संग्रह कथानक { 172 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 293 }
नन्दोत्सव के पद
पूत सपूत जन्यौ यशद
ु ा, इतनी सुतन के वसुधा सब दौरी ।
दे वन के आनन्द भयौ, पतु न धावत गावत मंगल गौरी ।
नन्द कछु इतनों जो ददयो, घनश्याम, कुबेरहूँ की मतत बौरी ।
दे खत मोदह लुटाय ददयो, न बची बतछया, छतछया न वपछोरी ॥1॥

आज बरफी सी बज
ृ नारर बनी, गजुं जया से गीत और गज
ूं ा से ग्वाला ।
पेडा से प्यारे बने बलदे व जी, रस खीर सी रोदहणी रूप रसाला ।
नन्द महीप बने नमकीन, गोकुल गोप सब गरम मसाला।
जायो यशोदा जलेबी सी रानी ने, आज रबडी सी रात में लडुआ सो लाला ॥2॥

मोततन के चौक पुरे, कंचन कलश धरे , बन्दनवार द्वार पै, बंधी है सुर ताल की ॥
गतु नजन गान करें , मतु नजन ध्यान धरें ? सपने हु न पावैं मरू तत गोपाल की ॥

प्रेर्म कहें यशद


ु ा जी, पालने झल
ु ावैं तनत्य, ।
मोततन माल गले, नवलखा िाल की ।
धचरजीवै नन्दरानी, कोदटबरस तेरौ सुत,
नन्दघर आनन्द भयौ, जय कन्है यालाल की ॥3॥

बधाई

{ 294 }
आ गया आ गया
आ गया आ गया नन्दलाला मेरा आ गया
नन्दलाला मेरा आ गया गोपाला मेरा आ गया - आ गया..
नन्द लाला के छोटे -छोटे नैना छोटे छोटे बडे प्यारे -प्यारे नैना-2
भा गया-2 हम सबको कान्हा भा गया- आ गया.....
नन्दलाल की प्यारी सरु ततया प्यारी सरु ततया बडी भोली सरु ततया
भजन संग्रह कथानक { 173 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

छा गया - 2 सबके ददल में वो छा गया - आ गया.....


मोर मक
ु ु ट तेरे शीश पे सोहे - प्यारी वंशी मेरो मन मोहे - 2
दे गया - 2 हम सबको खुशी दे गया- आ गया.....

{ 295 }
नन्दरानी की खल
ु ी
नन्दरानी की खुली तकदीर बधाई बाज रही
बधाई बाज रही-2 नन्द रानी खुली तकदीर.....
बाबा लट
ु ावें अन्न धन सोना मैया लट
ु ावें माखन लोना
लूट रही सब भीड - 2 बधाई बाज रही ...नन्दरानी
िोलक और नँगाडे बाजे शंकर जी का डमरू बाजे
बज रही है बंसरी - 2 बधाई बाज रही. ...नन्दरानी
ब्रह्मा नाँचे शंकर नाँचे नारद जी वीणा ले नाँचे
नाँच रही सब भीड - 2 बधाई बाज रही.. ...नन्दरानी
भाग्य हमारे उदय हुए हैं श्रीकृष्ण के दसण हुए हैं
खुली सबकी तकदीर बधाई बाज रही.. ...नन्दरानी

{ 296 }
कान्हा का हुयो अवतार
कान्हा का हुयो अवतार, बधाई सारे भगता हूँ।
बन्दी गह
ृ में आए कन्हाई, द्वारपाल को तनंद्रा आई ।
खुले जंजीर कडे द्वार । बधाई सारा...
खीर, जलेबी, पुरी, लडुवा बनावो, माखन र्मश्री का भोग लगावो ।
कान्हा ने लागे बडो स्वाद ॥ बधाई सारा.........
उडत अबीर रं ग अतत भारी, भर-भर के डारे तन वपचकारी ।
गालन मले रे गुलाल । बधाई सारा...
नोँच रहे बज
ृ के नर - नारी, नन्द बाबा यशोदा महतारी ।
भजन संग्रह कथानक { 174 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

खुर्शयों की छाई है बहार । बधाई सारा......


ववमल मन ही मन हषाणवें, मंगल बधाई सभी र्मल गावें ।
नाँच नचावें रे गोपाल । बधाई सारा...

{ 297 }
अरी नन्द यिोदा के
अरी नन्द यशोदा के द्वार बधाई बाज रही 2
गोपी आईं ग्वाल भी आये 2 और क्या लाये
और लाये हैं भर भर थाल बधाई बाज रही।
अरी नन्द....
कुताण टोपी गोपी लाई 2 और क्या लाई माखन की मटकी भी लाई
अरु दधी माखन छाछ बधाई बाज रही।
अरी नन्द.....
गोपी नाँचें ग्वाल भी नाँचें और कौन नाचें
अरी नाँचो हैं सब संसार, बधाई बाज रही ।
अरी नन्द.

{ 298 }
ओ बाजै - बाजै री बधाई
ओ बाजै - 2 री बधाई मैया तोरे अंगना - 2
तोरे अंगना यशोदा तोरे अंगना । ओ बाजे री बधाई.
बडो अनोखो लाला जायो ।
श्याम रं ग सबके मन भायो ॥
वज
ृ वार्सन को मन हुलसायो ।
उमंग उमंग सब चले नन्द घर बाजे बंधना ॥
ओ बाजे री बधाई.
नन्द भवन ऐसा सजवायो ।
भजन संग्रह कथानक { 175 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

बैकंु ठ हुँ को ददयो लजायो ॥


सब लोकंन ते घनो सुहायो ।
टोल टोल गोपी उठ धाई गावे मंगना ||
ओ बाजे री बधाई.
ब्राह्मण हूँ सब वेद पढ़त है
नन्द बाबा गऊ दान करत है
पाग वपछौरा ग्वाल लेत है
गोवपयों को ददये लहंगा फररया रतन जडडत कंगना ।
ओ बाजे री बधाई.......

{ 299 }
एक जोगी खड़ा तेरे द्वार
एक जोगी खडा तेरे द्वार मैया मुझे दशणन करा |
मेरा सोया हुआ गोपाल - बाबा ले भीख चला जा ॥
बहुत दरू से आया हूँ माता
तेरे घर में प्रकटा ववधाता ।
उसके दशणन बबन जजया बेकरार - मैया मझ
ु े दशणन करा ॥
एक जोगी…..
बहुत ददनों में बाबा ददन आज आया।
बीती उमररया में बेटा है पाया |
इसे लागे न कोई बयार बाबा ले भीख चला जा- एक......
बेटा जजसे तुम बताती हो माता ।
वो ही है सारे जग का ववधाता ॥
जजसकी मदहमा है अपरम्पार - मैया मुझे दशणन करा ।
तेरे गले में बाबा सपों की माला
जजसे दे ख डर जाय मेरो लाला ॥
अब हठ मतकर बेकार - मैया मुझे दशणन करा...
भजन संग्रह कथानक { 176 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

डरता है जजससे ये संसार सारा ।


उसको डराऊँगा मैं क्या बबचारा ॥
माँ होगी तेरी जय जयकार- मैया मुझे दशणन करा

{ 300 }
क्जयो श्याम लाला
जजयो श्याम लाला, जजयो श्याम लाला
पीली तेरी पगडी रं ग काला जजयो श्याम लाला...
मथरु ा से आये नन्द लाला गोवपयों से पड गया पाला-2
जजयो श्याम लाला जजयो श्याम लाला-पीली तेरी पगडी रं ग.......
खीर जलेबी पूरी लड्डू पुआ-यशुमतत घर आनन्द हुआ।
जजयो श्याम लाला जजयो श्याम लाला - पीली तेरी पगडी रं ग.....
मत रोवे लाला ऊँआँ ऊँऔँ -2, तोहे समझावे सुनन्दा बुआ - जजयो
चरमर 2 करे पलना 2 ब्रजवासी गाँवें जजयो ललना 2
जजयो श्याम लाला जजयो श्याम लाला - पीली तेरी पगडी रं ग.....
जजयो श्याम लाला जजयो श्याम लाला

{ 301 }
मैया मोरी मैं नहीं माखन
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो ॥
भोर भयौ गैयन के पाछे , मधब
ु न मोदह पठायो ।
चार पहर वंशीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो ॥ 1 ॥
मैं बालक बदहंयन को छोटो, छींको केदह ववधध पायो ।
ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मख
ु लपटायो ॥2॥
तू जननी मन की अतत भोरी, इनके कहे पततआयो ।
जजय तेरे कछु भेद उपजज हैं, जातन परायो जायो ॥3॥
पहलै अपनी लकुदट कमररया, बहुतदह नाच नचायो ।
भजन संग्रह कथानक { 177 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

'सूरदास' तब ववहँर्स यशोदा, ले उर कण्ठ लगायो ॥4॥

{ 302 }
मतखण खा गया बबहारी
मक्खण खा गया बबहारी, मेरा हँस-हँस के ।
तैनँू बल
ु ावै राधा-प्यारी, कान्हा हँस-हँस के ॥
मेरे कोठे उप्पर आँदा, मेरा मक्खण लुट-लुट खान्दा |
मेरी मटकी फोड धगराँदा, जान्दा कोठे टपके ॥ मक्खण.... ॥
मैं तो दे रही दह
ु ाई, पकडौ-पकडौ रे कन्हाई
ककत्थे भाग न जावे, जाँन्दा नस-नस के ॥ मक्खण.... ॥
तैनँू कुधजा पढ़ाई पट्टी, तैनँू छाछ र्मलेगी खट्टी ।
मक्खण रोटी दे वाँ तत्ी, खाऔ मन भरके ॥ मक्खण.... ॥
तू मुरली मधुर बजावें, मैनँू र्मट्ठ तान सुनावें ।
तेरे चरण-कमल वल जावाँ, दे दशणन हँस-हँस के ॥ मक्खण…...॥

{ 303 }
माँगत माखन रोटी
माँगत माखन रोटी गोपाल प्यारे -2
अपने गोपाल जी को रोदटयाँ बनाय दऊँ ।
एक छोटी एक मोटी गोपाल प्यारे ॥ माँगत माखन..
अपने गोपाल जी को कपडा र्सलाय दऊँ -2
एक कुरता एक टोपी गोपाल प्यारे ॥ माँगत माखन
अपने गोपाल जी को व्याह कराय दऊँ ।
बडे भप
ू की बेटी गोपाल प्यारे ॥ माँगत माखन..

{ 304 }
चोरी चोरी माखन कँू
भजन संग्रह कथानक { 178 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

चोरी चोरी माखन कँू खाय गयो री मैया तेरो कन्है या ।


तेरो कन्है या मैया 2 मटकी फोर धगराय गयो री-मैया ॥
चोरी चोरी......
छोटे छोटे हाथ जाकी छोटी छोटी पइयाँ।
छींको पकड कैसे आय गयो री मैया तेरो कन्है या ॥
चोरी चोरी......
कछु कछु खायो कछु सखन खवायो ।
मख
ु में लपटाय गयो री-मैया तेरो कन्है या ॥
चोरी चोरी......
छोटो सो मुकुट जाकी छोटी सी मुरर्लया ।
मरु ली पे मन अटकाय गयो री- मैया तेरो कन्है या ॥
चोरी चोरी......
बाँके से बोल जाकी भोली सी धचतवन ।
मनआ
ु के बीच समाय गयो री- मैया तेरो कन्है या ॥
चोरी चोरी...
श्याम चरण पे बर्ल बर्ल जाऊँ ।
जीवन सफल बनाय गयो री- मैया तेरो कन्है या ॥ -
चोरी चोरी....

{ 305 }
मतवारी याकी चाल
मतवारी याकी चाल मेरा यशोदा को लाल
याके घघ
ँु र वाले बाल मेरो यशोदा को लाल।
याके नयन ववशाल मेरो यशोदा को लाल ॥
मतवारी याकी चाल...
जो है जग प्रततपाल मेरो यशोदा को लाल ।
याको नाम नन्दलाल मेरो यशोदा को लाल ॥
भजन संग्रह कथानक { 179 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मतवारी याकी चाल.


बने वामन कृपाल मेरो यशोदा को लाल।
पहरे कुण्डाल ववशाल मेरो यशोदा को लाल ॥
मतवारी याकी चाल..

{ 306 }
आऊँगी कन्है या बड़ी भोर
आऊँगी कन्है या बडी भोर दहीया लेके आऊँगी
ना मानो तो मेरी चन
ु री ले लो - 2
यामे चन्दा लगे है करोड-दहीया लेके...
ना मानो तो मेरी ववददयां ले लो - 2
याकी कीमत है लाख करोड-दहीया लेके....
ना मानो तो मोरी मटकी ले लो-2
याकी कीमत है अनमोल - दहीया लेके..

{ 307 }
कानों में कुण्डल गल
कानों में कुण्डल गल बैजन्ती माला लागे प्यारी ।
राधा के मन में बस गये कंु ज बबहारी ॥
श्याम रं ग की चूनर ओढ़ी, श्याम रं ग की चूडडयाँ,
अंग-अंग में श्याम सजाये, र्मट गई सारी दरू रयाँ
शीश पे प्यारो मक
ु ु ट ववराजे, लट लटके घुंघरारी ॥
बैठ कदम की डार कन्है या, मुरली मधुर बजाये,
सांझ सकारे मरु ली के स्वर, राधा-राधा गाये,
या मुरली की तान पे जाये, सब दतु नयाँ बर्लहारी ॥
वन्ृ दावन की गर्लयन में , कान्हा रास रचाये,
कान्हा रचइया राधा रचना, प्रेम सध
ु ा बरसाये,
भजन संग्रह कथानक { 180 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

एक बार सब र्मलके बोलो, जय हो बाँकेबबहारी ॥

{ 308 }
नैनन में श्याम समायगो
नैनन में श्याम समायगो मोहे प्रेम को रोग लगायगो
लट
ु जाऊँगी श्याम तेरी लटकन पे ।
बबक जाऊँगी श्याम तेरी मटकन पे ॥
मोहे मैल ककनारे पायगो-मोहे प्रेम को....
मर जाऊँगी कान्हा तेरे अधरन पे ।
र्मट जाऊँगी श्याम तेरे नैनन पे ॥
वो तो ततरछी नजर चलाइगो मोहे प्रेम को.....
बर्लहारी कँु वर तेरी अलकन पे ।
तेरे बेशर के मोती झलकन पे
सपने में काह बतरायगो-मोहे प्रेम को.
पागल को है प्यारो नन्द लाला
दीवाने भये हैं याके सब ग्वाला ॥
वो तो मधुर मधुर मस्
ु कायगो-मोहे प्रेम को......

{ 309 }
एक हदन तू मेरी गली
एक ददन तू मेरी गली आ जाना आ जाना-2
मेरा भी माखन तू खा जाना- ओ कान्हा आ जाना-2
एक ददन तू.......
गज की पक
ु ार हो या द्रोपदी की टे र - 2
आते हो दौडे नहीं करते हो दे र - 2
मेरी भी बबगडी बना जाना - मेरा भी माखन तू खा ।
एक ददन त.ू ......
भजन संग्रह कथानक { 181 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

माना वन्ृ दावन से मेरा घर बडी दरू ।


ककन्तु मरु ली वाले तम
ु आना जरूर ।
प्यारी सी 2 वंशी सुना जाना - मेरा भी माखन तू खा जाना ॥
एक ददन तू..

{ 310 }
नयनों में नींद भर आई
नयनों में नींद भर आई, बबहारी जी के ।
कौन बबहारी जी की सेज बबछाये, कौन करे तैयारी ॥
नयनों में नींदे...
सखखयाँ बबहारीजी की सेज बबछायें, राधा करें तैयरी ॥
नयनों में नींदे..
कौन बबहारी जी को दध
ू वपलावें, कौन खवावें मलाई ॥
नयनों में नींदे....
लर्लता बबहारी जी को दध
ू वपवावें, ववसाखा खवावें मलाई ||
नयनों में नींदे.......
केसर ततलक और तल
ु सी की, वन माला मुरझाई ||
बबहारी जी के.......
चन्द्रसखी भज बालकृष्ण छवव, चरणकमल धचत लाई ॥
बबहारी जी के.......
जवदहं बबहारीजी ने चादर ओढ़ी, तो भक्तों ने लीनी ववदाई ||
बबहारी जी के.......

{ 311 }
ऐ श्याम तेरी वंिी पागल
ऐ श्याम तेरी वंशी - पागल कर जाती है ।
मस्
ु कान तेरी मीठी - घायल कर जाती है ॥1॥
भजन संग्रह कथानक { 182 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

ऐ श्याम तेरी..
सोने की होती तो क्या करती ये वंशी ।
जब बांस की होकर के इतना तडपाती है ॥ 2 ॥
ऐ श्याम तेरी..
गऊये भी चराते हो गीता भी सन
ु ाते हो ।
होली के उत्सव की शोभा हमें भाती है ॥ 3 ॥
ऐ श्याम तेरी......
सोतों को जगाते हो रोतो को हँसाते हो ।
रूठों को मनाने की कला तुम को आती है ॥ 4 ॥
ऐ श्याम तेरी.........
यदद गोरे होते तो क्या करते योगेश्वर |
जब काले रं ग पें ही दतु नयां मर जाती है ॥ 5 ॥
ऐ श्याम तेरी........

{ 312 }
तेरी जय हो कुञ्जबबहारी
तेरी जय हो कुञ्जबबहारी तेरी जय हो बाँकेबबहारी
सब अवतारन पर अवतारी हो......ओ तेरी जय हो कुञ्ज
अंश कला अवतार आपको जाने सभी जमाना ।
तनत्यककशोरी अजन्मा बाँके सब बबहारी रर्सकन ने माना ॥
रर्सक जनन के हो दहतकारी हो ....... .तेरी जय हो कुञ्ज
अद्भुत जोडी गौर श्याम की धरा धाम पर आई।
कुञ्जबबहारी कुञ्जववहाररन सबके मन को भाई ॥
जोरी पर हम वारी वारी हो....तेरी जय हो कुञ्ज
श्रीहररदास के प्राणन प्यारे रर्सकन के सख
ु दाता ।
प्रगट भये कुञ्जन में बाँके प्रेम रं ग राता ॥
दल
ु रावे हररद्वास दल
ु ारी हो... .. तेरी जय हो कुञ्ज
भजन संग्रह कथानक { 183 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

धचर जीवे यह जोडी प्यारी तनत्य तनरन्तर खेले ।


अजर अमर रह रहे सदा सब रर्सकन के मन मेले ॥
पागल आया शरण ततहारी हो... तेरी जय हो कुञ्ज

{ 313 }
रे मरु शलया हरर की
रे मुरर्लया हरर की मधुवन में धूम मचाई |
वन्ृ दवन में वंशी बाजी तीन भुवन धुन छाई ।
ले वीणा नारद जी छौडे र्शव समाधध ववसराई ॥ रे मरु र्लया..
जैसे तैसे उल्टे सीधे गह
ृ कारज तनपटाई |
उल्टे कर शग
ंृ ार गोवपयाँ वंशीवट को आई ॥ रे मुरर्लया..
खीर नमक दाल में शक्कर मक्खन में र्मरचाई ।
गौ को साग ससुर को भूसी ऐसी मतत बौराई | रे मुरर्लया.
पग में पहुँची हाथ में पायल कान में नथनी सजाई ।
नैन महावर कर अंजन ववन्दी कपोल धचपकाई | रे मुरर्लया.....
रे मुरर्लया मुररलया हरर की ।

{ 314 }
वंिी बजाय गयो
वंशी बजाय गयो श्याम मोसे नैना र्मलाय के ।
ददल में समाय गयो श्याम मोसे नैना र्मलाय के ॥ वंशी..
मथुरा से वन्ृ दावन आयो -तनदण यी छर्लया ने चैन चुरायो ।
मेरी तनंददया उडाय गयो श्याम-मोसे नैना र्मलाय के ॥ वंशी...
जाद ू कर गयी उसकी अंखखयाँ - रस्ता रोका मेरी पकड बदहयाँ ।
मेरी मटकी धगराय गयो श्याम-मोसे नैना र्मलाय के ॥ वंशी..
लूटा मोर मक
ु ु ट की छटा ने-उन केशो की इन्द्र घटा ने
मोपे तीर चलाय गयो श्याम-मोसे नैना र्मलाय के ॥ वंशी...
भजन संग्रह कथानक { 184 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

श्याम नाम की ओढ़ी चुनररया, श्याम की चड


ू ी श्याम की ववंददया |
रास रचाय गयो श्याम, मोसे नैना र्मलाये के ॥ वंशी.. ।

{ 315 }
जमुना ककनारे मेरो गाँव
जमन
ु ा ककनारे मेरो गाँव साँवरे आ जइयो ।
जमुना ककनारे मेरी ऊंची हवेली, मैं वज
ृ की गोवपका नवेली ।
राधा रं गीली मेरो नाम कक वंशी बजाय जइयो || जमुना ककराने.....
मल-मल के स्नान कराऊं तघस तघस चंदन ततलक लगाऊ ।
पूजा करूंगी सुबह शाम कक माखन खाय जइयों ॥ जमुना ककराने.
खस-खस को बंगला बनवाऊं, चुन-चुन कर्लयां सेज बबछाऊं ।
धीरे धीरे दाबूँ तेरे पाँव कक प्रेम रस पाय जड्यो | जमन
ु ा ककराने...
दे खत रहूंगी बाट तुम्हारी, जल्दी अईयो कृष्ण मुरारी।
झाँकी करें गी वज
ृ धाम कक हँस मुस्काय जइयो । जमुना ककराने...

{ 316 }
बाँके बबहारी की बाँकी मरोर
मेरे बाँके बबहारी की बाँकी मरोर धचत् लीना है चोर |
बाँका मक
ु ु ट बाँके कुण्डल ववशाल,
गल हार हीरों का मोततन की माल ।
बाँके के पटका का लटका है छोर, धचत लीना है चोर ||
कमलों से कोमल है बाँके चरन,
हैं श्याम सुन्दर मनोहर वरण |
भक्तों की प्रीत जैसे चन्दा चकोर, धचत लीना है चोर ॥
मद
ँु री जड
ु ाऊँ जवाहरात की,
बाँकी लकुदटया सजी हाथ की।
भजन संग्रह कथानक { 185 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

बाँके पीताम्बर की झलके ककनोर धचत लीना है चोर ||


बाँकी है झाँकी और बाँकी अदा,
भक्तों के काज संवारे सदा ।
मो जैसे दीनों की सुन लो तनहोर, धचत लीना है चोर ॥

{ 317 }
सांवरे रशसया से अपनी
सांवरे रर्सया से अपनी परु ानी यारी ।
यारी यारी मेरी यारी, यारी जग से न्यारी ॥ सांवरे ...
मेरो रर्सया रं ग रं गीलो
रं ग रं गीलो रर्सया छै ल छवीलो
नाम है छै ल ववहारी ॥ सांवरे .
गोवपयन के संग रास रचावे ।
जमुना तट पे वंशी बजावे
ये माखन चोर मुरारी ॥ सांवरे ..
सांवरी सूरत मेरे मन भाई ।
लोक लाज मैंने बबसराई |
मेरो प्यारो है बाँकेबबहारी ॥ सांवरे ....

{ 318 }
नैना लड़े मरु शलया वारे
नैना लडे मुरर्लया वारे -से- मैं वन्ृ दावन को जाऊँ ।
मैं वन्ृ दावन को जाऊँ सखी री 2 नैना लडे मुरर्लया ॥
घर जाऊँ तो मेरी सास लडेगी।
सास लडेगी मोपे जुलम करे गी।
कह दे गी खसम हमारे से मैं वन्ृ दावन ॥ नैना लडे....
साँवररया मेरे मन भायो ।
भजन संग्रह कथानक { 186 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

वा छर्लया ने मेरो चैन चुरायो।


कोई कह दे पीतम प्यारे से मैं वन्ृ दावन को जाऊँ ॥ नैना लडे....
सब कुछ छोड वन्ृ दावन जाऊँ ।
बाँके बबहारी के दशणन पाऊँ ।
मोहे नेह लधगया वा कारे ते मैं वन्ृ दावन को जाऊँ ॥ नैना लडे... ii

{ 319 }
सपनों में आने वाले
सपनों में आने वाले सामने तो आ जा
कैसी तेरी प्यारी सूरत नेक तो ददखा जा ॥
तेरे बबना हुआ बेहाल मेरा ददलवर
तू मेरा दीवाना मैं तेरा।
मुझको रुलाने वाले ददल से लगा जा
कैसी तेरी प्यारी सूरत नेक तो ददखा जा ॥
दीवाने ददल को तू भल
ू न जाना प्यारे ।
यादे सताये करके इशारे ॥
मुझे भूल जाने वाले दतु नया भुला जा
कैसी तेरी प्यारी सूरत नेक तो ददखा जा ॥
जग का सताया हुआ मोहधबत का मारा ।
जीवन की नैया का तू ही ककनारा ॥
मुझे तडफाने वाले गले से लगा जा।
कैसी तेरी प्यारी सूरत नेक तो ददखा जा ॥
तेरे बबना ये लागे संसार सन
ू ा ।
ददल ये बना है गम का नमूना ॥
ददल में वो आने वाले पागल बना जा ।
कैसी तेरी प्यारी सरू त नेक तो ददखा जा ॥
भजन संग्रह कथानक { 187 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 320 }
तेरे बबना हदलदार
तेरे बबना हो तेरे बबना तेरे बबना ददलदार ।
हाय मेरा ददल नदह लगता - तेरे बबना ददल नदह लगता ॥
हाय मेरा..
सपनों में आने वाले तनंददया उडाने वाले ।
मझ
ु को तडफाने वाले रातों जगाने वाले ।
सपनों में आने वाले तनंददया उडाने वाले साँवररया सरकार ॥
हाय मेरा..
दशणन को अखखयाँ प्यासी दशणन की झलक जरा सी ।
दशणन का हूँ अर्भलाषी सुनलो ओ घट घट वासी ।
दशणन को आँखें प्यासी ददखला दो छटा जरा सी, सुन लो मेरी पक
ु ार ॥
हाय मेरा...
ओ मोहन मुरली वाले जीवन है तेरे हवाले ।
सन
ु ले मेरे ददे नाले मझ
ु को भी गले लगा ले।
ओ मोहन मुरली वाले जीवन है तेरे हवाले - तडपे मेरा प्यार ।
हाय मेरा….
छुप गये कहाँ प्राण वपयारे भक्तों के नैनन तारे ।
तेरे बबन नैन ववचारे तडपे ददन रात हमारे ||
छुप गये कहाँ प्राण वपयारे भक्तों के नैनन तारे -
ओ पागल के यार- हाय मेरा

{ 321 }
चलो रे मन श्रीवन्दावन धाम
चलो रे मन श्रीवन्ृ दावन धाम रटें गे राधे राधे नाम
र्मलेंगे बाँकेबबहारी ओढ़ के कामरकारी- चलो रे ........
प्रात होत हम श्रीयमन
ु ा में नहायेंगे ।
भजन संग्रह कथानक { 188 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

पररक्रमा दे जीवन सफल बनायेंगे ॥


होय सब मन के पूरन काम-रटें गे राधे राधे नाम-र्मलेंगे..
होय साल में मात्र एक ददन मंगला है ।
बने ग्रीष्म में तनत तनत नये नये बंगला है ।
अरे क्यों भटके खामाखाँ-रटें गे राधे राधे नाम-र्मलेंगे.
दरू दरू से नरनारी यहाँ आते हैं।
अक्षय तीज को दरश चरण के पाते हैं |
पावे मन में अतत ववश्राम-रटें गे राधे-राधे नाम-र्मलेंगे...
सब धामन से प्यारो वन्ृ दवन धाम है ।
सब नामन ते प्यारो श्रीराधा नाम है ।
खेल रहे होरी श्याम श्याम-रटें गे राधे राधे नाम ॥ - र्मलेंगे.....
श्रीबरसाने धाम की मदहमा न्यारी है
महलन की सरकार श्रीराधेरानी है
आयेंगे श्रीराधे संग श्याम-रटें गे राधे राधे नाम ॥ - र्मलेंगे......

{ 322 }
श्री वन्दावन धाम अपार
श्री वन्ृ दावन धाम अपार, रटे जा राधे, राधे।
भजे जा राधे राधे, जपे जा राधे राधे ॥
वन्ृ दावन गर्लयाँ डोले, श्री राधे राधे बोले,
वाको जनम सफल है जाय, रटे जा राधे, राधे
ये वन्ृ दावन की लीला मत जाने गुड को चीला,
ऋवष मतु न गये सब हार, रटे जा राधे
वन्ृ दावन रास रचायो, र्शव गोपी रूप बनाओ,
सब दे वन करें ववचार, रटे जा राधे राधे ।
राधा नाम न गायो, सो ववरथा जनम गंवायो,
वाको जीवन को है धधक्कार, रटे जा राधे, राधे ।
भजन संग्रह कथानक { 189 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जो राधा जनम न होतो, रसराज बबचारो रोतो,


नहीं होतो कृष्ण अवतार, रटे जा राधे, राधे । जो राधे ।

{ 323 }
हमारी गली आना
हमारी गली आना ओ नन्दलाला,
ओ नन्दलाला बबरज के ग्वाला ।
बाट तनहारुँ मैं तेरी मोहन, आकर दरस ददखाना ||
माखन र्मसरी धरयो है मैंने, आकर भोग लगाना ॥....
चुन चुन कर्लयाँ मैं हार बनाऊँ, हृदय बीच सजाना ॥....
नैना तरसें तेरे दरश को, आकर दरश ददखना || ....
जमन
ु ा पर्ु लन पे रास रचायो, बंशी मधरु बजाना ॥....

{ 324 }
छटा तेरी तीन लोक से
छटा तेरी तीन लोक ते न्यारी है गोवधणन महाराज |
मानसी गंगा करौ स्नान, धरौ कफर चकलेश्वर को ध्यान ।
दान घाटी पै दधध कौ दान । करौ पररकम्मा की तैयारी है ॥ 1 ॥
गोवधणन महाराज...
गाँव आन्यौर कुण्ड गोववन्द, सरोवर भरी रहे स्वछन्द ।
पछ
ू री कौ लौठा तनद्णवन्द । आगे जतीपरु ा सख
ु दाई है ॥ 2 ॥
गोवधणन महाराज...
र्शखर के ऊपर नाचें मोर, संत जन पडे रहें चहुँ ओर ।
पपीहा चातक हं स चकोर । बोली बोल रहे अतत प्यारी है ॥3॥
गोवधणन महाराज.....
कृष्ण और राधाकुण्ड अपार, यहाँ पर अववचल तनत्य ववहार ।
मोर और तोता रहें अपार । लगे मडु डया को मेला भारी है ॥ 4 ॥
भजन संग्रह कथानक { 190 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

गोवधणन महाराज..
यहाँ पे चढ़ दध
ू की धार, यहाँ के बन्दर करें सत्कार ।
यहाँ की पररकम्मा है अपार । कुसुम के मध्य फुले फुलवारी है ॥5 ॥
गोवधणन महाराज....
बोलो श्रीगोवधणन महाराज, ये परू न करते सबके काज ।
सम्हारे जन अपने की लाज । ककशोरी चरनन की बर्लहारी है ॥ 6 ॥
गोवधणन महाराज.......

{ 325 }
सात कोस बारे मतवारे
सात कोस बारे मतवारे , श्रीब्रजपतत ब्रज रखवारे की ।
जै जै धगराजंज वपयारे की-2 ॥
मोर मक
ु ु ट याके शीश बबराजै,
गल बैजन्ती माला साजै ।
लाजैं कामदे व छवव लखखकैं ,
शोभा ठाकुर-कारे की ॥ जै-जै... ॥
हाथ लकुदटया पीत झंगुर्लया,
अधर बबराजै मधुर मरु र्लया ।
पायन में बाजै पायर्लया,
झनक झनक झनकारे की ॥ जै-जै... ॥ -
ऐसौ दे व न दे ख्यौ दज्
ू यौ,
श्रीकृष्ण ने पदहले पूज्यौ ।
करर-करर क्रोध इन्द्र आय जइ
ू यौ,
पूना तछनाय बबचारे की ॥ जै-जै... ॥

सात-ददना तक मेह बरसायौ,


छींटा तक नाय ब्रज पै आयौ ।
भजन संग्रह कथानक { 191 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

घबरायौ शरणागत आयौ,


श्रीपतत नन्द-दल
ु ारे की ॥ जै-जै... ॥
साँचे मन ते जो कोई ध्यावै,
करर पररकम्मा आनन्द पावै । ।
दध
ू चढ़ावै, भोग लगावै,
दै अवाज जैकारे की ॥ जै-जै... ॥

{ 326 }
तू एक बार आजा
तू एक बार आजा, धगररराज की शरण में ।
तू रं क हो या राजा, धगररराज की शरण में
पररकम्मा एक लगजा, धगररराज की शरण में
सुख-द:ु ख हैं बडे झेले, धगररराज की शरण में ।।
वज
ृ रज के खाये डेले, धगररराज की शरण में ||
दे वों के दे व खेले, धगररराज की शरण में ||
वंशी की तान सुन ले, धगररराज की शरण में
जीवन को सफल करले, धगररराज की शरण में ||
गागर सुयश की भर ले, धगररराज की शरण में
संतों का संग कर ले, धगररराज की शरण में
उत्सव महान होते, धगररराज की शरण में ।।
जप-ध्यान-दान होते, धगररराज की शरण में ||
तनत दीप-दान होते, धगररराज की शरण में || ।
मीठी धचनौरी खाजा, धगररराज की शरण में ।।

{ 327 }
छप्पन भोग पद
खरु चन है खीर मोहन, खीरसा और खम
ु ी खीर, खजला, जलेबी,
भजन संग्रह कथानक { 192 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

कलाकन्द, बालूसाही है ।
मोहन थार, मेवावाटी, मठरी, महसूर पाक, केक, रसगुल्ला संग
रबडी सुहाई है ।
भुजजया, नमकीन, सेब, गदठया, सकल पारे , गखु झया, समोसा,
पापड, पकौडी बनाई है।
"मधुप श्याम" नन्द बाबा, यशुदा सव सामग्री, लेकर धगररराज
आज भोग में सजाई है ।

{ 328 }
मेरे बांके बबहारी लाल
मेरे बांके बबहारी लाल, ना इतना तू कररयो शंग
ृ ार |
नजर तोहे लग जाएगी - 2
तेरी सुरतीया पे मन मोरा अटका, प्यारा लागे तेरा पीला पटका ।
तेरी टे ढ़ी मेढ़ी चाल-न इतना ना.........
तेरी मुरर्लया पे मन मेरा अटका, प्यारा लागे तेरा नीला पटका ।
तेरे घुँधर वाले बाल - न इतना ना..........
तेरे कानों में कुण्डल साजे, माँथे पै तेरे मुकुट ववराजे ।
तेरे नैना करे कमाल - न इतना ना.......
मस्त बजे तेरी प्यारी मुरर्लया, मन में बस गई तेरी सुरततया |
तेरे लट घुँघराले बाल - न इतना ना.........
पांव में तेरे पैजतनया बाजे, ग्वाल बाल सब संग में नाँचे
तेरे गल बैजन्ती माल - न इतना ना...

{ 329 }
राधे राधे गाये जा
राधे राधे गाये जा नाम रस पाये जा ।
नाम रस पायेगा गोपाल रस पाये जा-राधे राधे.....
भजन संग्रह कथानक { 193 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

राधा कृष्ण नाम जहाँ पूरन सब काम वहाँ -2


राधा को ररझाये जा श्याम को मनाये जा-राधे राधे.....
रसना पे नाम हो हाथों से काम हो - 2
पुण्य को बढ़ाये जा पाप को र्मटाये जा-राधे राधे.....
नाम ही अधार है वेदों का सार है -2
नाम गंगा में नहाये जा गोते लगाये जा-राधे राधे.....
कृष्ण नाम जान ले मधुरता सुधार ले - 2 –
शीश नवाये जा - हरर गण
ु गाये जा-राधे राधे.....
राधे राधे गाये जा

{ 330 }
हमें तो जोगननया
हमें तो जोगतनया बनाय गयो री 2 जो छर्लया नन्द को री ।
हमें तो बैराधगन बनाय गयो री- हमें तो जोगतनया बनाय गयो री ॥
मोर मक
ु ु ट पीताम्बर सोहे - हमारे र्सर जटा धराय गयो री ।
जो छर्लया नन्द को हमें तो जोगतनया बनाय गयो री ॥
कानों में कुण्डल गलें बन माला- हमारे अंग भभूतत रमाय गयो री ।
जो छर्लया नन्द को हमें जोगतनया बनाय गयो री ॥
आप तो जाय द्वाररका छाये, हमें तो वन्ृ दावन बसाय गयो री ।
जो छर्लया नन्द को- हमें तो जोगतनया बनाय गयो री ॥
चन्द्र सखी भज बाल कृष्ण छवव- हमें तो हररदासी बनाय गयो री
जो छर्लया नन्द को- हमें तो जोगतनया बनाय गयो री ॥
हमें तो जोगतनया बनाय गयो री ।

{ 331 }
तीनों लोकन से न्यारी
भजन संग्रह कथानक { 194 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

तीनों लोकन से न्यारी ओ राधारानी हमारी ।


रानी हमारी महारानी हमारी- तीनों लोकन से न्यारी..... -
सनकाददक तेरो यश गावें - ब्रह्म ववष्णु आरती उतारें ।
दे खो इन्द्र लगाये बह
ु ारी - ओ राधारानी हमारी - तीनो....
सरवेश्वरी जगत कल्याणी ब्रज की मार्लक राधारानी ।
यहाँ कोई न रहता र्भखारी - ओ राधारानी हमारी- तीनो.
एक बार जो बोले राधा-कट जाये जीवन की बाधा ।
अब कृपा करो महारानी - ओ राधारानी हमारी- तीनो.

{ 332 }
तेरी बदल जाये तकदीर
तेरी बदल जाये तकदीर तू राधे राधे बोल जरा
तू राधे राधे बोल जरा 2 र्मले कृष्ण नाम जागीर - तू राधे.....
जब रटे गा त राधे राधे आवेंगे श्याम भागे भागे-2
बँध जायेंगे प्रेम जंजीर - तु राधे राधे बोल जरा-तेरी.....
मुरली की तानों में राधे मोहन के प्राणों में राधे
राधा आत्मा श्याम शरीर तू राधे राधे बोल जरा-तेरी.....
राधे तो श्याम की है शजक्त करते जो राधे की भजक्त
हरे उनकी श्याम सब पीर त राधे राधे बोल जरा - तेरी.....

{ 333 }
अब तो लगी लगन
अब तो लगी लगन ये र्मट्टी में है र्मल जाना।
प्रेमी के प्रेम पथ पर मन हो गया दीवाना ॥
मन हो गया दीवाना.......
दर-दर की खाक छानी दृग से बहाके पानी ।
जो दे खता सो कहता है नेह की तनशानी ।
भजन संग्रह कथानक { 195 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

अब रो रहा हठी ददल, पहले कहा न माना ॥


मन हो गया दीवाना.......
परवाह नहीं तन की बदली है गतत नयन की ।
सुनता नहीं हठी ददल गम है खुराक मन की ।
पीने को र्मलते आँसू हर रात में गम को खाना ॥
मन हो गया दीवाना.....
जब याद है सताती तो फटती है हाय छाती ।
रो-रो के भेजता है उस बेतनशां को पाती ।
पत्ों से पूछता है उसका पता दठकाना ||
मन हो गया दीवाना.......
यह प्रेम पथ अगम है क्या भटकने का गम है ।
दतु नया को दहला दें गे मन का यही तनयम है ।
रख श्याम को पुतली में हर तनज को भूल जाना ॥
मन हो गया दीवाना.......

{ 334 }
ये तो प्रेम की बात
ये तो प्रेम की बात है ऊधौ बन्दगी तेरे बस की नहीं है
यहां के सरदे के होते हैं सौदे , आर्शकी इतनी सस्ती नहीं है ॥ 1 ॥
ये तो प्रेम बात...
प्रेमवालों ने तब वक्त पूछा, उनकी पूजा में सुन ले ये ऊधौ ।
यहां दम दम में होती है पज
ू ा, सर उठाने की फुरसत नहीं है ॥ 2 ॥
ये तो प्रेम बात..
जो असल में है मस्ती में डूबे, उन्हें क्या परवाह जजन्दगी की ।
जो उतरती है चढ़ती है मस्ती, वो हकीकत में मस्ती नहीं है | 3
ये तो प्रेम बात...
जजसकी नजरों में हैं श्याम प्यारे , वो तो रहते हैं जग से न्यारे ।
भजन संग्रह कथानक { 196 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जजसकी नजरों में मोहन समाए, वो नजर कफर तरसती नहीं है ॥4॥
ये तो प्रेम बात.

{ 335 }
उधो मोहे सन्त लगे
उधो मोहे सन्त लगे अतत प्यारे ।
मेरे कारण छोड जगत के, भोग पदारथ सारे ।
तनश ददन ध्यान धरे हृदय में सब घर काज बबसारे ।
मैं सन्तन के पीछे जाऊँ, जहाँ जहाँ संत पधारे ।
चरण रज तनज अंग लगाऊँ धन धन भाग हमारे ।
सन्त र्मले तो मैं र्मल जाऊँ, सन्त न मुझसे न्यारे ।

{ 336 }
श्याम नहीं आये
श्याम नहीं आये घनश्याम नहीं आये।
बैठी रहूँ यमुना पे आस लगाये ॥
तेरे दरस बबन दुःु खी मैं संवररया |
कब आओगे श्याम मेरी नगररया ॥
कोई तो आके तेरी खबर सुनाये रे ।
बैठी रहूँ यमुना पै........
कैसे मैं जाऊँ घर सझ
ू े न डगररया ।
कौन धरे गा मेरे र्सर पे गगररया ॥
उठे न गगररया मन अतत घबराये रे ।
बैठी रहूँ यमन
ु ा पै......
मन में बसी है तेरी सांवरी सुरततया |
कैसे बीतेगी मेरी सारी उमररया ॥
बारी उमररया मन अतत घबराये रे ।
भजन संग्रह कथानक { 197 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

बैठी रहूँ यमुना पै........


काँधे पे सोहे तेरी कारी कमररया ।
मन मेरा मोहे तेरी प्यारी बँसुररया ॥
सागर प्रभु आया तेरा गण
ु गाये रे ।
बैठी रहूँ यमन
ु ा पै......

{ 337 }
मेरे शसर पर हाथ रख
मेरे र्सर पर हाथ रखो राधारानी ।
राधारानी राधारानी राधारानी महारानी ॥
चरण कमल के पास रखो राधारानी ॥
मेरे र्सर पर…
राधा नाम की मदहमा भारी गाते हैं सब नर और नारी ।
है जीवन का सार बोलो राधारानी ||
मेरे र्सर पर.
जीवन नैया डगमग डोले बीच भंवर में खाये दहलोरे ।
भवसागर से पार कर दो राधारानी ||
मेरे र्सर पर..
वन्ृ दावन की छवव है न्यारी राधा संग है कृष्ण मुरारी ।
वन्ृ दावन का वास दे दो राधारानी ॥
मेरे र्सर पर...
राधे-राधे श्याम र्मलादे महारास के दशण करादे ।
इस जीवन को सफल बना दो राधारानी ॥
मेरे र्सर पर..

{ 338 }
मेरी करूणामयी सरकार
भजन संग्रह कथानक { 198 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मेरी करूणामयी सरकार, र्मला दो ठाकुर से एक बार।


कृपा करो भानु दल
ु ारी, श्री राधे बरसाने वारी ।
गऊ लोक के ठाकुर प्यारे , तीन लोक के ठाकुर प्यारे
तेरे र्लए व्रज धाम पधारे ,
ठाकुर प्यारे , धाम पधारे ,
ये कृष्ण लीला की सार,
र्मला दो ठाकुर से एक बार ॥1॥
तू ही मोहन तू ही राधा,
तुम बबन मोहन आधा आधा ।
नन्द नन्दन प्राण आधार,
र्मला दो ठाकुर से एक बार 12 ॥
मेरा सोया भाग्य जगा दे ,
हे श्यामा मोहे श्याम र्मला दे ।

तेरे वेश में है नन्द कुमार,


र्मला दो ठाकुर से एक बार ||3||

{ 339 }
कन्है या ले चल पल्ली पार
कन्है या ले चल पल्ली पार ।
जहाँ ववराजे राधारानी, अलवेली सरकार ॥ कन्है या….
गुण अवगण
ु सब तेरे अपणण ।
पाप पण्
ु य सब तेरे अपणण ।
ये जीवन भी तेरे अपणण ।
मैं तेरे चरणों की दासी तम
ु मेरे प्राण अधार ॥ कन्है या
तेरी आस लगा बैठी हूँ ।
लज्जा सील गंवा बैठी हूँ।
भजन संग्रह कथानक { 199 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

अपना आप लुटा बैठी हूँ।


साँवररया मैं तेरी रागनी तू मेरा मल्हार ॥ कन्है या
तेरे बबन कुछ चाह नहीं है।
कोई सूझती राह नहीं है ।
जग की कोई परवाह नहीं है।
मेरे वप्रयतम मेरे माँझी कर दो नैया पार ॥ कन्है या
आनन्द घन यहाँ बरस रहा है ।
पत्ा-पत्ा हरस रहा है ।
हरर ववचारा तरस रहा है ।
बहुत हुयी अब हार गयी मैं क्यों छोडा मझधार ||
कन्है या ले चल पल्ली.........

{ 340 }
मुझे तुमने दाता बहुत
मुझे तुमने दाता बहुत कुछ ददया ।
तेरा शुकक्रया है - तेरा शुकक्रया है ॥
न र्मलती अगर दी हुई दात तेरी
तो क्या थी जमाने में औकात मेरी
तुम्हीं ने तो जीने के काबबल ककया है । तेरा शुकक्रया.....
मुझे है सहारा तेरी वन्दगी का
है जजस पर गज
ु ारा मेरी जजंदगी का
र्मला मुझको जो कुछ तुम्हीं से र्मला है। तेरा शुकक्रया....
ककया कुछ ना मैंने शरमशार हूँ मैं
तेरी रहमतों का तलबगार हूँ मैं
ददया कुछ नहीं बस र्लया ही र्लया है । तेरा शकु क्रया....
र्मला मझ
ु को जो कुछ बदौलत तम्
ु हारी
मेरा कुछ नहीं सब है दौलत तुम्हारी
भजन संग्रह कथानक { 200 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

उसे क्या कमी तो तेरा हो र्लया है । तेरा शकु क्रया......


मेरा ही नहीं तू सभी का है दाता
तू ही सबको दे ता - तू ही है ददलाता
तेरा ही ददया मैंने खाया वपया है । तेरा शुकक्रया.

{ 341 }
कर दो कर दो बेड़ा
कर दो कर दो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार ।
राधे बलबेली सरकार - 2 कर दो कर दो.....
बार बार श्रीराधे हमको वन्ृ दावन में बुलाना।
आप भी दशणन दे ना बबहारी जी से भी र्मलवाना ॥
यही है ववनती बारम्बार । राधे अलबेली सरकार ॥
तेरी कृपा बबना श्रीराधे कोई न बज
ृ में आये।
तेरी कृपा जो हो जाये तो भवसागर तर जाये ।
तेरी मदहमा अपरम्पार | राधे अलबेली सरकार ॥
वन्ृ दावन की गली-गली में धूम मची है भारी ।
राधे-राधे बोल बोल के झूम रहे नर-नारी ॥
तेरी होवे जय जयकार । राधे अलबेली सरकार ॥
तेरी कृपा से राधारानी बनते हैं सब काम ।
छोड के सारी दतु नयादारी आ गये तेरे धाम ॥
सुनलो मेरी करुण पक
ु ार | राधे अलबेली सरकार ॥

{ 342 }
लेलो बबहारी नन्दलाल
लेलो बबहारी नन्दलाल रे ददहया मेरा लेलो ।
कोरी-कोरी मटकी में ददहया जमाया, पानी न डाला एक बून्द रे ।
भजन संग्रह कथानक { 201 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

लेलो बबहारी नन्दलाल रे ददहया मेरी लेलो ।


मेरे दही का मोल नहीं है , ददहया बडा अनमोल रे (ददहया)
लेलो बबहारी नन्दलाल रे ददहया मेरा लेलो ।
गर्लयन-गर्लयन बेचत डोलँ ू, श्याम बडा धचत चोर रे (ददहया)
लेलो बबहारी नन्दलाल रे ददहया मेरा लेलो ।
कौन गाँव की रहने वाली, क्या है तुम्हारो नाम रे (ददहया)
लेलो बबहारी नन्दलाल रे ददहया मेरा लेलो ।
बरसाने की रहने वाली, राधा है मेरा नाम रे (ददहया)

{ 343 }
अपनी धुन धुन में रहता हूँ
अपनी धन
ु में रहता हूँ राधे राधे कहता हूँ।
राधे राधे राधे राधे राधे राधे श्रीराधे ।।
अपनी धुन....
जब से तेरा नाम र्लया मेरा जीवन जैसे बदल गया - 2
मारा कफरता था मुझे एक दठकाना र्मल ही गया
अब मस्ती में मैं रहता हूँ राधे राधे..... मारा
तेरी ककरपा से श्रीराधे रर्सकन का मोहे संग र्मला
ठोकर खाने वाला था गुरुदे व ने आके थाम र्लया
अब सन्त शरण में रहता हूँ राधे राधे.....
ना जाने दतु नया भ के सब पार ही कैसे होते हैं
जो नदह लेते नाम तेरा वो जाने कैसे जीते हैं।
मैं वप्रया शरण में रहता हूँ राधे राधे.....

{ 344 }
मेरी खशु ियों का रहा न हठकाना
मेरी खर्ु शयों का रहा न दठकाना ।
भजन संग्रह कथानक { 202 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मेरे जैसा नहीं कोई भी दीवाना, आज मेरे श्याम आए हैं। ।


भाग्य मेरे जागे दे खो दया हुई श्याम की - 2
आज मुझे पँज
ू ी र्मली साँवरे के नाम की-2
सारी दतु नयाँ को चाहूँ मैं बताना, आज मेरे श्याम आए हैं।।
मेरे जैसा कोई नहीं आज संसार में -2
बडा ही आनन्द र्मला साँवरे के प्यार में 2
मैं तो झूम-झूम गाऊँ मेँ तराना, आज मेरे श्याम आए हैं ।।
Yahi थी तमन्ना दे खो परू ी हुई आज है - 2
Meri सुखी जजन्दगी का यही एक राज है -2
मैंने सब कुछ इनको माना, आज मेरे श्याम आए हैं।।

{ 345 }
जय जय राधारमण हरर बोल
जय जय राधारमण हरर बोल । जय जय राधारमण हरर बोल ।।
नट नागर छै ल नवल रर्सया । प्यारो कान्हा मेरे मन बर्सया ।।
करै कार्लन्दी कूल ककलोल ।। जय जय......
अँखखयन में जरद डडठौना सा मुसकन में जाद ू टौना सा
दोनों रस के भरे हैं कपोल ।। जय जय......
ब्रज नाचे उसकी ककलकन पै| कजरीली ततरछी धचतवन पै ।
शुकदास बबके हैं बबन मोल ।। जय जय.....

{ 346 }
सांवररया मीठी-मीठी
सांवररया मीठी-मीठी बाजै मधरु तेरी बांसरु रया ।
तेरी मुरर्लया मीठी-मीठी बोले, भेद जीवन के सारे ही खोले।
इसमें तछपा है गीता का ज्ञान, इसमें तछपा है सजृ ष्ट का भान।।
नख ऊपर गोवधणन धारयौ, इन्द्र कौ मान भंग कर डारयौ।
भजन संग्रह कथानक { 203 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

ब्रजवार्सन को कष्ट तनवारौ - 2, लीलाधारी है मुरली वारौ।।


राधा के संग रास रचाये, यमुना तट पे गऊऐं चराये।
कर में मुरली'कामर कारी, झांकी झरोखा में बाँकेववहारी।।

{ 347 }
अपनी वाणी में अमत घोल
अपनी वाणी में अमत
ृ घोल, ओ रसना राधे-राधे बोल।
ये बोल बडे अनमोल, ओ रसना राधे-राधे बोल ॥
राधाजी बरसाने वारी, राधाजी वष
ृ भान दल
ु ारी - 2
दो अक्षर आधार जगत के, ये अक्षर अनमोल ॥
ओ रसना राधे-राधे बोल.....
राधाजी महारास रचावे, राधाजी नन्दलाल नचावें ।
इस छवव को भरर के नैनन में , अंतर के पट खोल ॥
ओ रसना राधे-राधे बोल..
बबन राधा नहीं सजे बबहारी बबन राधा नहीं र्मले बनवारी ।
इनके चरण पकड ले बन्दे , भटक न दर दर डोल ॥
ओ रसना राधे-राधे बोल.

{ 348 }
तेरे चरण कमल में
तेरे चरण कमल में श्याम र्लपट जाऊँ रज बनके ।
र्लपट जाऊँ रज बनके, र्लपट जाऊँ रज बनके ॥
तेरे चरण कमल....
तनत-तनत तेरा दशणन पाऊँ, हरस- हरस के हरर गण
ु गाऊँ ।
मेरी नस-नस बस जाओ श्याम, बरस जाऊँ रस बनके ॥ --
तेरे चरण कमल...
तछन तछन तेरा सर्ु मरन होवे, सब कुछ तझ
ु पर अपणण होवे ।
भजन संग्रह कथानक { 204 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

हरर सब ददन आठो याम, र्लपट जाऊँ रज बन के ॥ -


तेरे चरण कमल...
श्याम सुन्दर से लगन है लागी, प्रीतत पुरानी मन में जागी ।
हरर आ गया तेरे धाम, मैं बस जाऊँ रज बन के ।
तेरे चरण कमल....

{ 349 }
श्रीराधा नाचै कष्ण नाचै
श्रीराधा नाचै कृष्ण नाचै नाचै गोपीजन ।
मन मेरौ बन गयौ सखी री ! पावन वन्ृ दावन ॥
ब्रह्मा नाचै शंकर नाचै नाचे दे वगण |
मोर नाचै बंदर नाचै नाचै पक्षीगन |
मन मेरौ बन गयौ सखी री ! पावन वन्ृ दावन ॥
गंगा नाचै यमुना नाचै नाचे नदीगन ।
मन मेरौ बन गयौ सखी री ! पावन वन्ृ दावन ॥
ग्वाला नाचै गोपी नाचै नाचै भक्तजन।
मन मेरौ बन गयौ सखी री ! पावन वन्ृ दावन ॥

{ 350 }
जब हं स अकेला उड़
जब हं स अकेला उड जायेगा ।
खाली वपंजरा पडा रह जायेगा |
टूटे गा सारे खजाने का ताला ।

भाई-बदहन और वपता-पुत्र वाला ।


तेरे साथ में कोई नहीं जाएगा || जब हं स...
एक ददन यहाँ से तो जाना पडेगा।
भजन संग्रह कथानक { 205 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

पापों का बोझा उठाना पडेगा।


कफर र्सर धुतन - धुतन पछताएगा ॥ जब हं स..
यमराज से जब मुलाकात होगी।
मालुम तुझे तेरी औकात होगी ।
कफर नैनों से नीर ही बहाएगा ॥ जब हं स...
आओ र्मलकर करें हरर चचाण ।
सीतारामजी की करले तू अचाण ।
वो ही नईया को पार लगाएगा ॥ जब हं स......

{ 351 }
ककसने सजाया तुमको
ककसने सजाया है तम
ु को मोहन,
बडा प्यारा लागे, बडा सोणा लागे ।
ये हार गुलाबी, ककसने पहनाया,
ककसने चंदन का, तुझे लेप लगाया
केसररया जाँमा तन पे सोहे ॥ बडा प्यारा लागे..
अधरो पे मुरली, मीठी मुस्काने,
तेरा रूप दे खकर, हम हुए ददवाने ।
बनडा-सा आज मोहे , लागे मोहन ॥ बडा प्यारा लागे.......
मेरे कृष्ण कन्है या, तझ
ु े ददल में बसालँ ू,
तेरी प्यारी छवव को, पलकों में छुपालँ ।ू
आँखों से ओझल ना होना मोहन ॥ बडा प्यारा लागे..

{ 352 }
नी मैं हथववच लैंके इकतारा
नी मैं हथववच लैंके इकतारा, मैं चप्पा-चप्पा छान माररया।
मैंनँू र्मलया न प्रीतम प्यारा, मैं चप्पा-चप्पा छान माररया ॥
भजन संग्रह कथानक { 206 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

दे गया ददलासा नाले चल गया चालनी।


बडा ही कठोर सइंयो नन्दजी दा लालनी।
सानँू दे गया झूठा ददलासा ॥ चप्पा.... ॥
वेग न जगावे ककत्थे बज
ृ दे याँ वार्सयाँ |
तेरे बबना हुइयाँ आज अखखयाँ उदार्सयाँ ।
सानँू ओदे बबना जग ये सारा ॥ चप्पा.... ॥
श्याम–श्याम-श्याम-श्याम गाना मेरे घुँघरू ।
रुठे हुये श्याम नँू मनाना मेरे घँघ
ु रू ।
ककत्थे छुप गया अखखयों दा तारा ॥ चप्पा.... ॥

{ 353 }
मैं तो नाचँग
ू ी तेरे दरबार
मैं तो नाचँूगी तेरे दरबार, हो मुरली वाले रर्सया
हो मुरली वाले रर्सया-2 मैं तो नाचँग
ू ी तेरे दरबार ॥
तेरे संग कान्हा रास रचाऊँगी,
मैं नाचँूगी तुम्हें भी नचाऊँगी ।
मेरे पायल की 2 होगी झंकार ।
हो मुरली वाले रर्सया॥ मैं तो
कान्हा घुँघटा रे कान्हा मेरा घुँघटा न खोलो,
घुँघटा न खोलो मेरी बदहयाँ न मोडो ।
तेरे पइयाँ 2 पहूँ मैं सरकार ।
हो मरली वाले रर्सया ॥......
मैं गोपी तेरे प्रेम की प्यासी,
बन गई हूँ तेरे चरणों की दासी-2
तेरे चरणों में -2 जाऊँ बर्लहार,
हो मरु ली वाले रर्सया ॥... मैं तो
रूप तुम्हारा जग से न्यारा
भजन संग्रह कथानक { 207 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

लगता है बडा प्यारा प्यारा ।


हो मेरे साँवरे -2 सलोने सरकार,
हो मुरली वाले रर्सया ॥
मैं तो नाचँूगी तेरे दरबार हो मुरली ...

{ 354 }
रशसया को नारर बचाओ री
रर्सया को नारर बनाओ री रर्सया - 2 हाँ रे रर्सया को-2
हम्बे रर्सया को नारर बनाओ री रर्सको के
कदट लेहंगा गल माल कंचक
ु ी - 2
हाँ हाँ वारे रर्सया हो वा रे रर्सया
कदट लेहंगा गल माल कंचक
ु ी
हारे याहे चूनर हम्बे याहे चूनर
शीश उढ़ाओ री रर्सया को
रर्सया को नार......
बेदी भाल नैयन बबच कजरा
हाँ हाँ वा रे रर्सया हो वा रे रर्सया
बेदी भाल नैयन बबच कजरा
हारे याहे नथवे हम्बे याहे नथवे
सर पहराओ री रर्सया को
रर्सया को नार......
नारायण करताल बजाये के-2
हाँ हाँ वा रे रर्सया हो वा रे रर्सया
नारायण करताल बजाये के
हारे याहे यशुमतत हम्बे याहे यशुमतत
तनकट नचाओ री रर्सया को
रर्सया को नार......
भजन संग्रह कथानक { 208 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 355 }
होरी खेले तो आ जइयो
होरी खेले तो आ जइयो बरसाने रर्सया
होरी खेले तो
हाँ होरी होरी हो होरी होरी - 2
होरी खेले तो - 2 होरी खेले तो,
आ जइयो बरसाने रर्सया-2 होरी ....
रं ग भी लइयो गल
ु ाल भी लइयो - 2
गोपी भी लइयो संग ग्वाल भी लइयो - 2
मन र्मले तो-2 आ जइयो बरसाने रर्सया
होरी खेले तो......
कोरे कोरे कलश मंगाये - 2
केसररया सब रं ग घुंराये - 2
रं ग रे ले तो-2 आ जइयो बरसाने रर्सया
होरी खेले तो......

भंग भी लइयो बादाम भी लाइयो - 2


कारी र्मरच सौ ग्राम लैइ अइयो - 2
भंग छाने तो - 2 आ जइयो बरसाने रर्सया
होरी खेले तो......
भर भर के वपचकाररदह मॉरु - 2
पागल हूँ पागल करर डॉरु-2
झटका झेले तो-2 आ जइयो बरसाने रर्सया
होरी नेले तो.......
हाँ होरी - 2, हो होरी होरी
रर्सया को नार बचाओ री
भजन संग्रह कथानक { 209 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 356 }
मेरे उठे हृदय में हहलोर
मेरे उठे हृदय में दहलोर सखी री वन्ृ दावन जाऊँगी
वन्ृ दावन जाऊँगी सखी री बरसाने जाऊँगी-2
उडे लाल गुलाल अबीर सखी री वन्ृ दावन जाऊँगी
होरी..
खब
ू गल
ु ाल उडे वन्ृ दावन मच रही है होरी - 2
श्याम डारे -2 केशर को नीर
सखी री वन्ृ दावन जाऊँगी
वन्ृ दावन जाऊँगी..
प्यारी राधा प्यारे कान्हा प्यारी ब्रज गोपी
मैंने बाँधी - 2 श्याम से डोर –
सखी री वन्ृ दावन जाऊँगी
वन्ृ दावन जाऊँगी.....
श्याम सांवले सांवरे कान्हा राधा है गोरी
मैं कैसे-2 धरुं अब धीर
सखी री वन्ृ दावन जाऊँगी
वन्ृ दावन जाऊँगी.
ववमल चैतन्य तेरो गण
ु गावे सुन लो बनवारी
मैंने जोडी-2 है तुमसे प्रीत
सखी री वन्ृ दावन जाऊँगी
वन्ृ दावन जाऊँगी......

{ 357 }
उड़तो रं ग गुलाल रशसया होरी में
उडतो रं ग गुलाल रर्सया होरी में
बदरा हो गये लाल रर्सया होरी मैं ॥
भजन संग्रह कथानक { 210 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

गुलाल की भर भर झोली।
अबीर संग लेकर ग्वालों की टोली ॥
डोल रह्यो नन्दलाल रर्सया होरी में ॥
उड तो रं ग गुलाल....
गली गली में कीच मची री
लाज शरम सखी कछु ना बच री ॥
भये बौरे बूढ़े ग्वाल रर्सया होरी में ॥
उड तो रं ग गल
ु ाल..
कान्हा ने ऐसी मारी वपचकारी
भीग गई मेरी चूनर सारी
मैं तो हो गई हाल बेहाल रर्सया में
उड तो रं ग गुलाल.......

{ 358 }
आज बबरज में होरी रे
आज बबरज में होरी रे रर्सया
अपने-अपने भवन सौ तनकसी कोई श्यामल कोई गोरी रे रर्सया |
आज बबरज में होरी रे रर्सया...
कौन गाँव के कँु वर कन्हाई, कौन गाँव की गोरी रे रर्सया |
आज बबरज में होरी रे रर्सया...
नन्दगाँव के कँु वर कन्हाई प्यारे , बरसाने की राधा गोरी रे रर्सया |
आज बबरज में होरी रे रर्सया.....
कौन के हाथ कनक वपचकारी कौन के हाथ कमोरी रे रर्सया ।
आज बबरज में होरी रे रर्सया..... "
श्याम के हाथ कनक वपचकारी, राधा के हाथ कमोरी रे रर्सया ।
आज बबरज में होरी रे रर्सया.....
चन्द्र सखी भज बालकृष्ण छवव, धचरजीवो यह जोरी रे रर्सया |
भजन संग्रह कथानक { 211 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

आज बबरज में होरी रे रर्सया...

{ 359 }
फाग खेलन बरसाने
फाग खेलन बरसाने आये हैं - नटवर नन्दककशोर ।
नटवर नन्दककशोर आयो छर्लया माखन चोर ॥ फाग.....
घेर लई सब गली रं गीली छाय रही छवव छटा छबीली ।
िप िोल मद
ृ ं ग बजाये हैं वंशी की घनघोर ॥ फाग......
र्मल जल
ु के सब सखखयाँ आईं - उडत छटा अम्बर पे छाई ।
जजन अबीर गुलाल उडाये है मारत भर भर झोर ॥ फाग.......
लै रहे चोट ग्वाल िालन पै केशर कीच मले गालन पे ।
जजन हररयल बांस मंगाये है चलन लगे चहुँ ओर ॥ फाग......
अबीर गुलाल की भई अंधधयारी दीखत नाय कोई नर अरुनारी ।
राधे ने सैन चलाये हैं-पकरे माखन चोर ॥ फाग......
जो लाला घर जानो चाहो तो होरी को फगआ
ु लाओ ।
श्याम ने सखा बुलाये है बांटत भर भर झोर ॥ फाग....
राधे जू की हाहा खाओ - सब सखखयन के घर पहुँचाओ।
जजन घासीराम यश गाये है लगी श्याम संग डोर ॥ फाग...

{ 360 }
हम परदे िी फकीर
हम परदे शी फकीर काऊ ददन याद करोगे ।
इस कीतणन को भूल न जाना॥
सत्संग में तम
ु प्रततददन आना।
खुर्शयाँ हो भरपूर-काऊ ददन याद करोगे॥
युग यग
ु जीवे यह फुलवारी-
कृपा करे तम
ु पर बनवारी ।
भजन संग्रह कथानक { 212 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

सबकी आशा हों पूर-काऊ ददन या करोगे ॥


Ramta जोगी बहता पानी
इनकी माया ककसने जानी।
चारों ओर जागीर-काऊ ददन याद करोगे.
मात-ु वपता और भाई-बहना
भूल-चूक की माँफी दे ना
मैं हूँ ब्रह्म शरीर-काऊ ददन याद करोगे....
करूँ श्याम से यही बबनती
कफर हो मेल हमारा जल्दी ।
इसी मजन्दर के बीच-काऊ ददन याद करोगे.........
कोई द:ु खखया दुःु ख को रोवे-
कोई सूखखया सख
ु से सोवे ।
हम तो भजे रघुवीर-काऊ ददन याद करोगे..

पद

{ 361 }
आग लगे इन बांसन
आग लगे इन बांसन में , जजन बांसन से प्रगटी बंसुरी ।
सारी सांझ बजे आधी रात बजे, कभी भोर बजे कछु कह बंसरी ।
मनमोहन ऐसी आन पडी, तनत्य आय बजावत है बंसुरी ।
ब्रज को बसवो हमने छोडो, ब्रज में बस बैररन तू बंसुरी ||

{ 362 }
जाको प्रेम भयो मनमोहन
जाको प्रेम भयो मनमोहन सों, वाने छोड ददया सगरो घर बारा ।
भाव ववभोर रहे तनर्सददन, नैनन बहे अववरल धारा ।
मस्ते संद
ु र रहे अलमस्त रहे , वाके पीछे डोलत नन्द को लाला।
भजन संग्रह कथानक { 213 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

ऐसे भक्तन के दहत, बाँह पसारत नंदगोपाला ॥

{ 363 }
ननसहदन बरसत नैन हमारे
ननसहदन बरसत नैन हमारे
सदा अंजन रहत पावस ऋतु हम पर, जवतैं श्याम र्सधारे ॥
धथर न रहत अंखखयन में , कर कपोल भये कारे ।
कंचुकक पट सख
ू त नदहं कबहूँ, उर बबच बहत पनारे ॥
आँसू सर्लल भये पग थाके, बहे जात र्सत तारे ।
सूरदास अब डूबत है ब्रज काहे न लेत उबारे ॥

{ 364 }
नाथ अनाथन की सुध लीजै
नाथ अनाथन की सुध लीजै
तम
ु बबन दीन दख
ु ी हैं गोपी, बेधग ही दशणन दीजै ।
नैनन जल भर आये हररबबन, उद्धव को पततया र्लख दीजै ।
सूरदास प्रभु आस र्मलन, अबकी बेर ब्रज आवन कीजै ।

{ 365 }
गाइये गणपनत जग वन्दन
गाइये गणपतत जग वन्दन,
शंकर सुवन भवानी नन्दन ॥
र्सद्धध सदन गजवदन ववनायक,
कृपा र्सन्धु सन्
ु दर सब लायक ।।
मोदक वप्रय मुद मंगल दाता,
ववद्या वाररधध बुद्धध ववधाता ।।
माँगत तल
ु र्स दास कर जोरे ,
भजन संग्रह कथानक { 214 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

बसहु राम र्सय मानस मोरे ।

{ 366 }
गुरु महहमा
काहू सौं न रोष तोष काहू सौं न राग द्वेष,
काहू सौं न वैर भाव काहू सौंन घात है ।
काहू सौं न बकवाद काहू सौं नहीं ववषाद,
काहू सौं न संग न तौ काहू पच्छपात है ||
काहू सौं न दष्ु ट बैन काहू सौं न लेन दे न,
ब्रह्म को ववचार कछु और न सुहात है ।
'सुन्दर' कहत सोई ईसन कौ महाईश,
सोई गरु
ु दे व जाके दस
ू री न बात है ।।

गरु
ु बबन ज्ञान नदहं, गरु
ु बबन ध्यान नदहं,
गुरु बबन आतम बबचार न लहतु है ।
गुरु बबन प्रेम नदहं गरु
ु बबन नेम नदहं,
गरु
ु बबन सीलहु सन्तोष न गहतु है ।।
गुरु बबन प्यास नदहं बुद्धध कौ प्रकाश नदहं,
भ्रमहू कौ नास नदहं संसइ ही रहतु है ।
गुरु बबनु बाट नदहं कौडी बबनु हाट नहीं,
सुन्दर प्रगट लोक वेद यों कहतु है ।

{ 367 }
मेरे सतगुरु दीनदयाल
मेरे सतगुरु दीनदयाल काग से हं स बनाते हैं ॥ टे क ॥
अजब है गरु
ु ओं का दरबार ।
भरा जहाँ भक्तों का भण्डार ।।
भजन संग्रह कथानक { 215 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

शधद अनमोल सुनाते हैं ।


कक मन का भरम र्मटाते हैं । मेरे सतगुरु ...... ।।
गुरु जी दे ते सत का ज्ञान ।
जीव का हो ईश्वर से ध्यान ।।
वो अमत
ृ खब
ू वपलाते हैं ।
कक मन की प्यास बझ
ु ाते हैं । मेरे सतगुरु...... ॥
गुरु जी नदहं लेते कछु दान ।
कफर रखते दुःु खखयों का ध्यान ।
वो अपना माल लुटाते हैं ।
अनेकों कष्ट उठाते हैं | मेरे सतगुरु ..... ||
कर लो गरु
ु चरणों का ध्यान ।
तुमसे करते भक्त बयान ।।
सारे दुःु ख गुरुजी र्मटाते हैं ।
कक भव से पार लगाते हैं | मेरे सतगरु
ु ..... ॥

{ 368 }
तेरी अँखखयाँ हैं जाद ू भरी
तेरी आँखखयाँ हैं जाद ू भरी, बबहारी मैं तो कब से खडी ।
सुन लो मेरे श्याम सलोना,
तुमने ही मुझ पर कर ददया टौना ।
मैं तो तेरे द्वारे खडी, बबहारी मैं तो...... ।। १ ।।
तुम सा ठाकुर और न पाया,
तम
ु से ही मैंने नेहा लगाया ।
मेरी आँखखयाँ तुम्हीं से लडीं, बबहारी मैं तो..... ॥२॥
कृपा करो हररदास के स्वामी,
बाँके बबहारी अन्तणयामी ।
मेरी टूटे न भजन की लडी, बबहारी मैं तो...... ।।३।।
भजन संग्रह कथानक { 216 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 369 }
सब काम कर रहे हैं, श्रीराम जी हमारे
श्रीराम जी हमारे , सब काम कर रहे हैं,
हर राम के सहारे , ववश्राम कर रहे हैं ।
श्रीराम जी हमारे ......
ये राम की कृपा है , कर्लयुग से कदठन युग में ,
तनजश्चन्त होकर हरर का गण
ु गान कर रहे हैं ।
हम राम के सहारे ..... ॥१॥
ये राम की है मदहमा, शंकर से र्सद्ध योगी,
पीकर के ववष हलाहल, ववश्राम कर रहे हैं ।
हम राम के सहारे ...... ॥२॥
भक्तों की साधना की, खेती हरी भरी है ,
करके कृपा की वषाण, घनश्याम कर रहे हैं ।
हम राम के सहारे ..... || ३ ||

जो हो चक
ु ा, जो होगा, जो हो रहा है जग में
ववश्वास भक्त का है , सब राम कर रहे हैं ।
हम राम के सहारे ...... ॥४॥

{ 370 }
दाता तेरा मेरा प्यार
दाता तेरा मेरा प्यार कभी न बदले ।
दाता मेरा ये ववचार कभी न बदले ॥
दाता तेरा मेरा...... ॥
द्वार तेरे पे आता रहूँ मैं,
चरणों में शीष झुकाता रहूँ मैं ।
मेरा यह व्यवहार कभी न बदले, दाता तेरा मेरा...... ॥१॥
भजन संग्रह कथानक { 217 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

अपना हो चाहे हो बेगाना,


रूठे चाहे सारा जमाना ।
चाहे सारा संसार भले ही बदले, दाता तेरा मेरा...... ||२||
सत्संग तेरा छोडँ कभी ना,
मख
ु भी तम
ु से मोड कभी ना ।
मन से मन का यह तार कभी न बदले दाता तेरा मेरा....... ||३||

{ 371 }
आज अयोध्या की गशलयों में
ॐ नमुः र्शवाय, हरर ॐ नमुः र्शवाय ।
आज अयोध्या की गर्लयों में , नाचे जोगी मतवाला ।
अलख तनरं जन खडा पक
ु ारे दे खग
ंू ा तेरा लाला ।।
आज अयोध्या की गर्लयों में ......
शैली शंग
ृ ी र्लए हाथ में और डमरू बत्रशूल र्लए,
छमक छमाछम नाचे जोगी दरस की मन में चाह र्लए ।
पग में घुंघरू छम छम बाजे, कर में जपते हैं माला ।।
आज अयोध्या की गर्लयों में ...... ॥१॥

अंग भभूती रमावे जोगी, बाघम्बर कदट में सोहे ,


जटाजूट में गंग ववराजे भक्तजनों के मन मोहे ।
मस्तक पर श्रीचन्द्र ववराजे गल में सपणन की माला ।।
आज अयोध्या की गर्लयों में ...... || २ ||

{ 372 }
मुरली बजाके मोहना
मरु ली बजाके मोहना, क्यों कर र्लया ककनारा ।
अपनों से हाय कैसा, व्यवहार है तुम्हारा ।।
भजन संग्रह कथानक { 218 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मुरली बजाके मोहना......


िूंिा गली गली में , खोजा डगर डगर में ,
मन में यही लगन है , दशणन र्मले दब
ु ारा ।
मुरली बजाके मोहना...... ।। १ ।।
मधव
ु न तम्
ु हीं बताओ, मोहन कहाँ गए हैं ?
कैसे झुलस गया है , कोमल बदन तुम्हारा ।
मुरली बजाके मोहना..... || २ ||
यमन
ु ा तम्
ु हीं बताओ, छर्लया कहाँ गया है ?
तुम भी छली गयी हो, कहती है नील धारा ।
मुरली बजाके मोहना..... ॥ ३ ॥
दतु नयाँ कहे दीवाना, पागल कहे जमाना,
पर तुमको भूल जाना, हमको 'नहीं गवारा ।
मुरली बजाके मोहना..….…… ।।४।।
राधा तम्
ु हीं बताओ, तेरा श्याम कहाँ तछपा है ?
तुम भी द्रववत हुई हो, कहती है अश्रु धारा ।
मुरली बजाके मोहना..... ॥५॥
भक्तो तम्
ु हीं बताओ, भगवन कहाँ गए हैं ?
अपना ही ददल टटोलो, हर ददल में वो बसा है ।
मुरली बजाके मोहना..... || ६ ||

{ 373 }
मेरा गोपाल धगरधारी
मेरा गोपाल धगरधारी, जमाने से तनराला है ।
रँगीला है , रसीला है , न गोरा है , न काला है |
मेरा गोपाल धगरधारी ......
कभी सपनों में आ जाना, कभी रूपोश हो जाना,
ये तरसाने का मोहन ने, तनराला िं ग तनकाला है ।
भजन संग्रह कथानक { 219 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मेरा गोपाल धगरधारी ...... ॥१॥


कभी वो रूठ जाता है , कभी वो मुस्कुराता है,
इसी दशणन की खाततर, बडे नाजों से पाला है ।
मेरा गोपाल धगरधारी ...... || २ ||
कभी ऊखल से बँध जाना, कभी ग्वालों में जा खेले,
तुम्हारी बाल लीला ने, अजब धोखे में डाला है ।
मेरा गोपाल धगरधारी ...... ||३||
मजे से ददल में आ बैठो, मेरे नैनों में बस जाओ,
अरे गोपाल मजन्दर ये, तेरा दे खा भाला है ।
मेरा गोपाल धगरधारी ...... ॥४॥
तम्
ु हें मझ
ु से हजारों हैं, मगर मेरे तम
ु ही तम
ु हो,
तुम्हीं सोचो हमारी और कौन, सुनने ही वाला है ।
मेरा गोपाल धगरधारी ...... ॥५॥

{ 374 }
मेरी लगी श्याम संग प्रीनत
मेरी लगी श्याम सँग प्रीतत, दतु नयाँ क्या जाने ।
मुझे र्मल गया मन का मीत, दतु नयाँ क्या जाने ।
मेरी लगी...... !
छवव लखख मैंने श्याम की जब से, भई बाबरी मैं तो तब से,
बाँधी प्रेम की डोर मोहन से, नाता तोडा मैंने जग से ।
यह कैसी पागल प्रीतत, दतु नयाँ क्या जाने ।। मेरी लगी...... ।।१॥
मोहन की सन्
ु दर सरू ततया, मन में बस गई प्यारी मरू ततया,
लोग कहैं मैं तो भई बावररया, जब से ओढ़ी मैंने श्याम चुनररया ।
मैंने छोडी जग की रीतत, दतु नयाँ क्या जाने ।॥ मेरी लगी...... ॥२॥
हरदम मैं तो रहूँ मस्तानी, लोक लाज दीन्ही बबसरानी,
रूप रास अंग-अंग समानी, तैरत हैरत रहूँ बबसरानी ।
भजन संग्रह कथानक { 220 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मैं तो गाऊँ खुशी के गीत, दतु नयाँ क्या जाने । मेरी लगी...... ||३||
मुरलीधर ने मुरली बजाई, सबने अपनी सध
ु बबसराई,
गोप गोवपयाँ भागी आईं, कुल मयाणदा काम न आई ।
वप्रय बाज उठा संगीत, दतु नयाँ क्या जाने ।। मेरी लगी....... ||४||
भल
ू गई कहीं आना जाना, जग सारा लागे बेगाना,
अब तो केवल गोववन्द पाना, रूठ जाऐं तो उन्हें मनाना ।
कफर होगी प्यार की जीत, दतु नयाँ क्या जाने ।। मेरी लगी....... ॥५॥

{ 375 }
मतवारी जाकी चाल
मतवारी जाकी चाल, मेरौ यशुदा कौ लाल ।
जाके घघ
ूँ र वाले बाल, मेरौ यशद
ु ा कौ लाल । मतवारी जाकी...... ।।१।।
जाके नयन ववशाल, मेरौ यशुदा कौ लाल । मतवारी जाकी...... ||२||
जो है जग प्रततपाल, मेरौ यशुदा कौ लाल । मतवारी जाकी...... ।। ३।।
जाकौ नाम नन्दलाल, मेरौ यशुदा कौ लाल । मतवारी जाकी...... ॥४॥
बने वामन कृपाल, मेरौ यशुदा कौ लाल । मतवारी जाकी....... ॥५॥
पहने कंु डल ववशाल, मेरौ यशुदा कौ लाल । मतवारी जाकी......॥६॥

{ 376 }
ककसी के काम जो आए
ककसी के काम जो आए, उसे इन्सान कहते हैं ।
पराया ददण जो अपनाए, उसे इन्सान कहते हैं ।
कभी धनवान है ककतना कभी इन्सान तनधणन है ,
कहीं सख
ु है , कहीं कहीं दुःु ख है , इसी का नाम जीवन है ।
जो मुजश्कल में न घबराए, उसे इन्सान कहते हैं ।
ककसी के...... ॥१॥
ये दतु नयाँ एक उलझन है , कहीं धोखा, कहीं ठोकर,
भजन संग्रह कथानक { 221 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

कोई हँस के जीता है , कोई जीता है रो रो कर ।


जो धगरकर कफर सँभल जाए, उसे इन्सान कहते हैं ।।
ककसी के...... ॥२॥
अगर गलती रुलाती है , तो राहें भी ददखाती है ,
मनज
ु गलती का पत
ु ला है , जो अक्सर हो ही जाती है ।
सुधारे अपनी गलती को, उसे इन्सान कहते हैं ।
ककसी के....... ||३||
भरने को तो दतु नयाँ में , पशु भी पेट भरते हैं,
जजन्हें इन्सान का ददल हैं, वो नर परमाथण करते हैं ।
'पधथक' जो बाँटकर खाए, उसे इन्सान कहते हैं । ।
ककसी के...... ॥४॥

{ 377 }
सुना है तारे हैं तुमने लाखों
सुना है तारे हैं तुमने लाखों ।
हमें जो तारो तो हम भी जानें ।।
तनशाचरी को सँहारा है तुमने ।
उतारा पथ्
ृ वी का भार तुमने ।
हमारे र्सर भी पाप भारी,
उन्हें उतारो तो हम भी जानें ।
सुना है तारे हैं तुमने लाखों ॥१॥
हरा अदहल्या का शाप तुमने ।
र्मटाया शबरी का ताप तम
ु ने ||
हमारे भी पाप-ताप भगवन ् ।
अगर तनवारो तो हम भी जानें ।।
सन
ु ा है तारे हैं तम
ु ने लाखों ||२||
फँसी भँवर में हमारी नैय्या ।
भजन संग्रह कथानक { 222 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

उतारो सागर से हे कन्है या ।।


सहारे हम हैं तुम्हारे भगवन ्
अगर उधारो तो हम भी जानें ।।
सुना है तारे हैं तुमने लाखों ॥३॥

{ 378 }
नन्दलाल प्यारे , यिुदा दल
ु ारे
नन्दलाल प्यारे , यशुदा दल
ु ारे , नैनों के तारे ,
करूँ ततहारी मनह
ु ार || प्यारे ..... ।।
प्रेम वपपासा लेकर आई
सुघर सलौनी छवव, मन में बसाई ।
ना जप जानँू ,ना तप जानँ,ू ना पदहचानँू,
केवल आस ततहार । प्यारे करूँ ततहारी मनह
ु ार ।
नन्दलाल प्यारे , यशुदा दल
ु ारे ..... ||१||
आशा का बन्धन टूट न जाए,
लगन र्मलन की छूट न जाए ।
आ बनवारी, ओ धगरधारी, कृष्ण मुरारी,
सुतनलेहु दीन पक
ु ार । प्यारे करूँ ततहारी मनुहार ।।
नन्दलाल प्यारे , यशुदा दल
ु ारे ...... ||२||
तुम बबनु पल तछन कल न परत है ,
ववकल नैंन ददन रैंन झरत हैं ।
श्याम सलौना, करर गयौ टौना
दै गयौ रोना बाजी गई मैं हार । प्यार करूँ ततहारी मनह
ु ार ।
नन्दलाल प्यारे , यशुदा दल
ु ारे ...... ||३||
कैसे तुम बबन हाय रहूँ मैं,
कैसे बबरह ववलाप सहूँ मैं ।
श्याम बेददी, कैसे कर दी, ऐसी कदर की,
भजन संग्रह कथानक { 223 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जाए कृपालु बर्लहार । प्यारे करूँ ततहारी मनुहार |


नन्दलाल प्यारे , यशुदा दल
ु ारे ...... ||४||

{ 379 }
क्जस दे ि में , क्जस वेि में
जजस दे श में , जजस वेश में , पररवेश में रहो ।
राधा रमण, राधा रमण, राधा रमण कहो ।
जजस रं ग में , जजस िं ग में , जजस संग में रहो ।
राधा रमण, राधा रमण, राधा रमण कहो ॥१॥
जजस रोग में , जजस भोग में , जजस योग में रहो ।
राधा रमण, राधा रमण, राधा रमण कहो ॥२॥
जजस हाल में , जजस काल में , जजस चाल में रहो ।
राधा रमण, राधा रमण राधा रमण कहो ॥ ३ ॥
जजस धाम में , जजस काम में , जजस नाम में रहो ।
राधा रमण, राधा रमण, राधा रमण कहो ॥४॥
जजस ध्यान में , जजस ज्ञान में , जजस पररधान में रहो ।
राधा रमण, राधा रमण, राधा रमण कहो ॥५॥
जजस दे श में , जजस वेश में , पररवेश में रहो ।
राधा रमण, राधा रमण, राधा रमण कहो ॥६॥

{ 380 }
कष्ण कहने से तर जाएगा
कृष्ण कहने से तर जाएगा ।
पार भव से उतर जाएगा ।
बडी मजु श्कल से नर तन र्मला,
क्या पता कफर ककधर जाएगा ।
कृष्ण कहने से तर...... ॥ १ ॥
भजन संग्रह कथानक { 224 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

होगी घर-घर में चचण तेरी,


जजस गली से गज
ु र जाएगा ।
कृष्ण कहने से तर...... ॥२॥
सब कहें गे कहानी तेरी,
काम ऐसा जो कर जाएगा ।
कृष्ण कहने से तर...... ||३||
उसके आगे तू झोली फैला,
दाता झोली वो भर जाएगा ।
कृष्ण कहने से तर...... ॥४॥
हरे कृष्ण हरे कृष्ण-कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।

{ 381 }
राम का नाम लेकर
राम का नाम लेकर जो मर जाऐंगे ।
वो अमर नाम दतु नयाँ में कर जाऐंगे ।
ये न पछ
ू ो कक मर कर ककधर जाऐंगे,
वो जजधर भेज दे गा उधर जाऐंगे ।
राम का नाम लेकर...... ॥१॥
ये श्वासों की माला हरी नाम की,
कफर ये अनमोल मोती बबखर जाऐंगे ।
राम का नाम लेकर..... ॥२॥
अब यह मानो न मानो, खश
ु ी आपकी,
हम मुसाकफर हैं कल अपने घर जाऐंगे ।
राम का नाम लेकर..... ॥३॥

{ 382 }
भजन संग्रह कथानक { 225 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

श्री राधे गोपाल भक्ज मन


। श्री राधे गोपाल भजज मन श्री राधे
मोर मक
ु ु ट पीताम्बर धारै , गल वैजन्ती माल ।
ववहरत वन्ृ दा वववपन रसीले, दोऊ गल बदहयाँ डाल ।
छीन लेत मन छलबल करके, चंचल नयन ववशाल ।
माया रहत चरन की चेरी, डरपत तनजसौं काल ।
सरस माधुरी शरणागत को, तछन में करत तनहाल ।
श्री राधे गोपाल भजज मन श्री राधे ||

{ 383 }
न तो रूप है , न तो रं ग है
न तो रूप है , न तो रं ग है , न गण
ु ों की कोई खान है
कफर श्याम कैसे शरण में लें , इसी सोच में मेरे प्राण हैं ।
नफरत है जजन से उन्हें सदाँ,
उन्हीं अवगण
ु ों में मैं हूँ बँधा ।
कर्ल कुदटलता है , कपट भी है , हठ भी है और अर्भमान है |
कफर श्याम कैसे...... ।।१।।
मन, क्रम, वचन से ववचार से. "
लगी लौ है इस संसार से ।
पर स्वप्न में भी भूलकर कभी उनका कुछ भी न ध्यान है ।
कफर श्याम कैसे.... ||२||
सुख शाजन्त की तो तलाश है ,
साधन न एक भी पास है ।
न तो योग, जप, तप कमण है , न तो धमण, पण्
ु य ही दान है ।
कफर श्याम कैसे...... || ३ ||
एक आसरा है तो है यही,
भजन संग्रह कथानक { 226 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

क्यों करें गे मुझपै कृपा नहीं ।


एक दीनता का हूँ बबन्द ु मैं, वो कृपालुता के तनधान हैं ।
कफर श्याम कैसे..... ||४||
न तो रूप है , न तो रं ग है , न गण
ु ों की कोई भी खान है ।

{ 384 }
थाली भर के ल्याई खीचड़ौ

थाली भर के लाई खीचडौ, ऊपर घी की बाटकी ।


जीमों म्हारा श्याम धणी, जजमावै बेटी जाट की।
बाबौ म्हारौ गाँव गयो है ,
न जाने कद आवैगो ।
ऊ के भरोसे बैठ्यौ रह्यौ तौ,
भख
ू ौ ही रह जावैगो ।
आज जजमाऊँ तने खीचडौ, काल रावडी घाट की ।
जीम म्हारा श्याम धणी, जजमावै बेटी जाट की ॥१॥
बार-बार मजन्दर नै जड
ु ती,
बार बार मैं खोलती ।
कैय्या कोनी जजमरे मोहन,
करडी-करडी बोलती ॥ ।।
तू जीमे तो जद मैं जीमू, मानू न कोई लाट की ।
जीमों म्हारा श्याम धणी, जजमावै बेटी जाट की ॥२॥
भजक्त हो तो करमा जैसी,
साँवररयो घर आवेलो ।
भजक्त-भाव से परू न हो कर,
हरवष-हरवष गण
ु गावेलो ॥
साँचो प्रेम प्रभु से हो तो, मूरत बोले काठ की ।
भजन संग्रह कथानक { 227 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जीमों म्हारा श्याम धणी, जजमावै बेटी जाट की ||३||

{ 385 }
हो गए भव से पार
हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा
बाल्मीकक अतत दीन दुःु खी था बरु े कमण में सदा लीन था
करी रामायण तैयार, लेकर नाम तेरा...... ॥१॥
थे नल नील जातत के वानर
राम नाम र्लख ददया र्शला पर
हो गई सैना पार, लेकर नाम तेरा..... ॥२॥
भरी सभा में द्रप
ु द दल
ु ारी
कृष्ण द्वारका नाथ पक
ु ारी
बढ़ गया चीर अपार, लेकर नाम तेरा...... ॥३॥
मीरा धगरधर नाम पक
ु ारी
ववष अमत
ृ कर ददया मुरारी
नाच कूद कर तुम्हें ररझाई
लोक लाज सब दरू भगाई
खुल गए चारों द्वार, लेकर नाम तेरा..... ॥४॥
गज ने आधा नाम पक
ु ारा
गरुड छोडकर उसे उबारा
ककया ग्राह संहार, लेकर नाम तेरा...... ॥५॥
जजनको स्वयं तार नहीं पाए
नाम र्लए से मजु क्त पाए
मदहमा नाम अपार, लेकर नाम तेरा.... ॥६॥
राम नाम को जो कोई गावे
अपने तीनों लोक बनावे है
जीवन का सार, ले ले नाम तेरा...... ॥७॥
भजन संग्रह कथानक { 228 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

{ 386 }
छोटी सी ककिोरी मेरे
छोटी सी ककशोरी मेरे अँगना में डोलै रे ऽऽऽ
अँगना में डोले मेरे मनवा में डोलै रे । छोटी......
मैंने वासौं पछ
ू ी लाली,
कौन गाँव की बेटी रे ऽऽऽ
हँर्स हँर्स के बतावै, मैं तो बरसाने की बेटी रे
छोटी सी ककशोरी....... ।। १ ।।
मैंने वासौं पछ
ू ी लाली,
कहा ततहारौ नाम रे
मीठी मीठी बोलै, राधा मेरो नाम रे ऽऽऽ
छोटी सी ककशोरी...... ||२||
मैंने वासौं पछ
ू ी लाली,
कहाँ तेरी ससुराल रे
हँर्स हँर्स के बतावै, मेरी नन्दगाँव ससरु ाल रे ऽऽऽ
छोटी सी ककशोरी....... ||३||
मैंने वासौं पछ
ू ी लाली,
माखन खावैगी
आँह आँह कदह कैं मेरे आगे पीछे डोलै रे ऽऽऽ
छोटी सी ककशोरी....... ||४||
मैंने वासौं पछ
ू ी लाली,
कौन तेरौ भरतार रे
सकुचावै बतावै मेरौ, श्याम सुन्दर भरतार रे ऽऽऽ
छोटी सी ककशोरी मेरे अँगना में डोलै रे ॥५॥

{ 387 }
सरस ककिोरी, वयस की थोरी
भजन संग्रह कथानक { 229 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

सरस ककशोरी, वयस की थोरी,


रतत रस वोरी कीजै कृपा की कोर || श्री राधे
साधन हीन दीन मैं राधे तुम करुणामयी प्रेम अगाधे
काके द्वारे , जाऐं पक
ु ारे , कौन तनहारे , दीन दख
ु ी की ओर
श्री राधे-कीजै कृपा की कोर । सरस...... ॥१॥
करत अघन नदहं नैंक अघाऊँ
भजन करन मैं ना मन को लगाऊँ
कवव वर जोरी, लखख तनज ओरी, तम
ु बबन मोरी, कौन सध
ु ारै दौर
श्री राधे-कीजै कृपा की कोर । सरस...... ॥२॥

भलौ बुरौ जैसौ हूँ ततहारौ


तुम बबन कोऊ ना दहतू हमारौ
भान दल
ु ारी, सधु ध लो हमारी, शरण तम्
ु हारी, हैं पतततन र्सरमौर
श्री राधे-कीजै कृपा की कोर । सरस...... ||३||
गोपी प्रेम की र्भक्षा दीजै
कैसैं हूँ मोदह अपनौ करर लीजै
तुम गण
ु गावत, ददवस ववतावत, द्रग भरर आवत, हवै हौं प्रेम ववभोर
श्याम कीजै कृपा की कोर ।
सरस ककशोरी, वयस की थोरी, रतत रस वोरी,
श्री राधे-कीजै कृपा की कोर । सरस...... ॥४॥

{ 388 }
प्रेम नगर की डगर है
प्रेम नगर की डगर है कदठन रे
बटोई न करना बसेरा,
पग बढ़ा हो न जाए अन्धेरा ||
मन का रतन रख जतन से अनारी,
भजन संग्रह कथानक { 230 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

यहाँ आगे चोरों की बस्ती है भारी ।


ज्ञानी थके रे गुमानी यहाँ, पल में लुट जाए लाखों का डेरा
पग बढ़ा...... ॥१॥
समझ रुख हवा रं ग लगी है ददखाने,
इसका मरम जान ले रे ददवाने ।
दे ख ववराना है भोले पथी, ले समखझ र्मत्र है कौन तेरा "
पग बढ़ा....... ||२||
यह तन है टूटी नवररया रे प्राणी,
बढ़ने न पाये ये पापों का पानी ।
नादान केवल सम्हर्ल के चलो, मीत माया भ्रमर ने तू घेरा
पग बढ़ा...... ||३||

ववपवत् है बादल अन्धेरी ये रातें ,


भजन सार सब झूठी दतु नयाँ की बातें ।
लखो श्याम पुतली में उसकी झलक, र्मत्र हो जाए पल में सबेरा ।
पग बढ़ा...... ॥४॥

{ 389 }
रे मन मूरख, कब तक
रे मन मूरख, कब तक जग में , जीवन व्यथण गँवाएगा ।
राम नाम नदहं गाएगा तो अन्त समय पछताएगा ।।
जजस जग में तू आया है , यह एक मुसाकफर खाना है ,
लेककन यह भी याद रहे , स्वाँसों का पास खजाना है ।
जजसे लूटने को कामाददक चोरों ने प्रण ठाना है ,
माल लट
ु ा बैठा तो घर जाकर क्या मख
ु ददखलाएगा ||
राम नाम नदहं...... ॥१॥
झूठी दतु नयादारी से क्या आशा मोक्ष के फल की है ,
भजन संग्रह कथानक { 231 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

तुम को क्या है खबर जजन्दगी तेरी ककतने पल की है ।


यम के दत
ू पकड जब लेंगे कफर क्या धमण र्सखाएगा ||
राम नाम नदहं....॥२॥
पहुँच गुरू के पास ज्ञान के दीपक का उजजयाला ले,
के कण्ठी पहन कण्ठ में जप की कर सर्ु मरन की माला ले।
खाने को ददलदार रूप का रसमय मधुर तनवाला ले,
पीने को प्रीतम प्यारे के प्रेम तत्व का प्याला ले ।
यह न ककया तो आँखों में आँसू के बबन्द ु बहाएगा ।।

राम नाम नदहं गाएगा तो अन्त समय पछताएगा ।


रे मन मूरख ...... ||३||

{ 390 }
मेरे तो धगरधर गोपाल

मेरे तो धगरधर गोपाल दस


ू रौ न कोई,
जाके र्सर मोर मक
ु ु ट मेरौ पतत सोई ।
अँसुअन जल सींच प्रेम बेर्ल बोई,
अब तो बेर्ल फैर्ल गई अमत
ृ फल होई । मेरे...... ॥१॥
दही की मथानी बडे प्रेम से बबलोई,
माखन सब कादढ़ र्लयौ छातछ वपयौ कोई । मेरे...... ॥२॥
सन्तन दिंग बैदठ बैदठ लोक लाज खोई,
दासी मीरा लाल धगरधर, तारो अब मोई । मेरे..... ॥३॥

{ 391 }
बीत गए हदन भजन बबना रे
बाल अवस्था खेर्ल गँवाई,
यौवन तब मान घणा रे । बीत गए...... ॥१॥
भजन संग्रह कथानक { 232 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जब लाहे कारण मूल गँवायो,


अजहू न गई मन की तष्ृ णा रे | बीत गए ..... ||२||
कहत 'कबीर' सुनो भाई साधो,
पार उतारर गए सन्त जना रे । बीत गए..... ||३||

{ 392 }
दरबार में बंिी वाले के
दरबार में बंशी वाले के, दख
ु ददण र्मटाए जाते हैं
दतु नयाँ के सताए लोग यहाँ, सीने से लगाए जाते हैं ।
संसार नहीं है रहने को, यहाँ दुःु ख हैं सहने को ।
भर भर के वपयाले अमत
ृ के, यहाँ रोज वपलाए जाते हैं ।।
दरबार...... ।।१।।
पल पल में आश तनराश भई,
ददन ददन घटती पल पल बढ़ती ।
दतु नयाँ जजसको ठुकरा दे ती,
वह गोद बबठाए जाते हैं । दरबार...... |॥२॥
जो गोववन्द गोववन्द कहते हैं,
वह प्रभू शरण में रहते हैं ।
उन्हीं को बुलाया जाता है ,
दरबार बुलाए जाते हैं । दरबार..... ||३||
सर रखकर तली पर आ जाओ,
हसरत है जजन्हें कुछ पाने की ।
मेरे गोववन्द को पाने के र्लए,
कुछ कष्ट उठाए जाते हैं ।
दरबार....... ॥४॥

{ 393 }
भजन संग्रह कथानक { 233 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

दरबार हजारों दे खे हैं पर


दरबार हजारों दे खे हैं, पर ऐसा कोई दरबार नहीं ।
जजस गुलशन में तेरा नूर नहीं, ऐसा कोई गुलजार नहीं ॥
अश्कों के फररश्ते रहते हैं,
ददन रात तम्
ु हारे कदमों में ,
है कौन वशर इस दतु नया में , जो तेरे दर का खखदमतगार नहीं ।
दरबार हजारों...... ।। १ ।।
दतु नयाँ से भला हम क्या माँगें,
दतु नयाँ तो खुद ही र्भखाररन है ,
माँगो इस मुरली वाले से, जहाँ होता कभी इनकार नहीं ।
दरबार हजारों...... ॥२॥
वह नेत्र नहीं मोर पंख है बस,
जजसने प्रभु का दीदार नहीं,
वह ददल नहीं पत्थर होता है , जजस ददल में प्रभु का प्यार नहीं ।
दरबार हजारों ...... ||३||
हसरत है तुम से है मोहन,
जजस वक्त मेरा यह दम तनकले,
तेरा एक नजारा काफी है , बस और मुझे दरकार नहीं ।
दरबार हजारों दे खे हैं, पर ऐसा कोई दरबार नहीं ॥४॥

{ 394 }
चले जाऐंगे हम बबहारी जी
सजन सकारे जाएंगे, नैना मरें गे रोय ।
ववधधना ऐसी रै न की, भोर कबहूँ ना होय ।
चले जाऐंगे हम बबहारी जी सुनलो अरज हमारी ।
एक ददन हमको बसा लोगे प्रभ,ु अपना हमें बनाकर,
जजस जग में है हमें फँसाया, उससे हमें छुडाकर ।
भजन संग्रह कथानक { 234 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

भूल न जाना, कफर भी बुलाना, इतनी अरज हमारी जी ।


चले जाऐंगे...... ।।१॥
कहते हैं तुम को दयालु भगवन, भक्तों के दहतकारी ।
अपना हमें बनालोगे क्या, ओ मेरे बाँके बबहारी ।
भल
ू न जाना, कफर भी बल
ु ाना, इतनी अरज हमारी जी ।
चले जाऐंगे...... ॥२॥
सब कुछ हरलो मेरा पर, मेरे मन से कभी न जाना,
एक सहारा तेरा है प्रभु, और न कोई दठकाना ।
भूल न जाना, कफर भी बुलाना, इतनी अरज हमारी जी ।
चले जाऐंगे हम बबहारी जी
चले जाऐंगे....... || ३ ||

{ 395 }
वन्दावन की गशलयन डोल
राधा बोल, राधा बोल-वन्ृ दावन की गर्लयन डोल ।
श्याम के अंग पीताम्बर सोहै ,
राधा के शीष चूनरर अनमोल । वन्ृ दावन की.......... ॥१॥
श्याम के शीष पै मुकुट ववराजै,
राधा के शीष भक
ृ ु दट अनमोल । वन्ृ दावन की................ ॥ २॥

श्याम के संग में सखा सुशोर्भत,


राधा के संग सखी ककलोल । वन्ृ दावन की.......... ॥३॥
वन्ृ दावन की कंु ज गर्लयन में ,
बोल हरर बोल हरर हरर हरर बोल ।
वन्ृ दावन की गर्लयन डोल राधा बोल.................. ॥४॥

{ 396 }
भजन संग्रह कथानक { 235 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

कष्ण गोववन्द गोपाल


कृष्ण गोववन्द गोपाल गाते चलो,
मन को ववषयों से हरदम हटाते चलो ।
दे खना इजन्द्रयों के न घोडे बढ़ें ।
उनमें हर दम ये संयम के कोडे पडें ।।
अपने रथ को सुमारग लगाते चलो,
कृष्ण गोववन्द गोपाल गाते चलो ॥१॥
काम करते चलो, नाम जपते चलो ।
हर समय कृष्ण का ध्यान धरते चलो ॥
काम की वासना को र्मटाते चलो,
कृष्ण गोववन्द गोपाल गाते चलो ||२||
दख
ु में तडपो मती, सख
ु में फूलो मती ।
प्राण जाऐं मगर नाम भूलो मती ॥
मरु ली वाले को मन से ररझाते चलो,
कृष्ण गोववन्द गोपाल गाते चलो ||३||
याद आयेगी उनको कभी न कभी ।
कृष्ण दशणन तो दें गे कभी न कभी ।।
ऐसा ववश्वास मन में जमाते चलो,
कृष्ण गोववन्द गोपाल गाते चलो ||४||
नाम जप से ही लोगों ने पाई गती ।
भक्तों ने तो इसी से करी ववनती ॥
नाम धन का खजाना बढ़ाते चलो,
कृष्ण गोववन्द गोपाल गाते चलो ॥ ५ ॥

{ 397 }
धगरधर जी की आरती
हे धगरधर तेरी आरती गाऊँ ।
भजन संग्रह कथानक { 236 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

आरती गाऊँ प्यारे तम


ु को ररझाऊँ ।
बाँके बबहारी तेरी आरती गाऊँ ॥ हे धगरधर......
मोर मक
ु ु ट तेरे शीश पै सोहै ।
प्यारी बंशी मतु न मन मोहै ।
दे ख छवव बर्लहारी मैं जाऊँ । हे धगरधर......
चरणों से तनकली गंगा प्यारी ।
जजसने सारी दतु नयाँ तारी ।।
उन चरणों में शीश नवाऊँ || हे धगरधर.....
व्यास दास के नाथ आप हो ।
सुख-दख
ु जीवन साथ आप हो ।
श्री चरणों की बर्ल - बर्ल जाऊँ । हे धगरधर......

{ 398 }
छप्पन भोग पद
खुरचन है , खीर मोहन, खीरसा और खुमी खीर,
खजला, जलेबी, कलाकन्द, बालूसाही है ।
मोहन थार, मेवावाटी, मठरी महसूर पाक,
केक, रसगुल्ला संग रबडी सुहाई है ।
भुजजया, नमकीन, सेब, गदठया, सकल पारे ,
गँखु झया, समौसा, पापड पकौडी बनाई है । '
मधुप श्याम' नन्द बाबा, यशुदा सब सामग्री,
लेकर धगररराज आज भोग में सजाई ।

{ 399 }
श्री भागवत भगवान की

श्री भागवत भगवान की आरती


भजन संग्रह कथानक { 237 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

पावपयों को पाप से है तारती


ये अमरग्रन्थ, ये मुजक्त पंथ, ये पंचम वेद तनराला
नव ज्योतत जगाने वाला ॥
हरीनाम यही, हरीध्यान यही, जग के मंगल की आरती ।
पावपयों को पाप से है तारती ॥ श्री भागवत.. 1
ये शाजन्त गीत, पावन पुनीत, पापों को र्मटाने वाला।
हरर दशण कराने वाला ॥ …....
ये सख
ु करणी, ये दख
ु हरणी, श्रीमधस
ु द
ू न की आरती ।
पावपयों को पाप से है तारती ॥ श्री भागवत..... ॥
ये मधुर बोल, जग पंथ खोल, सन्मागण बताने वाला।
बबगडी को बनाने वाला ॥
श्रीराम यही, घनश्याम यही, प्रभु की मदहमा की आरती ।
पावपयों को पाप से है तारती
श्रीभागवत भगवन ् की है आरती । पावपयों को पाप से है तारती ॥

{ 400 }
बालकष्ण जी की आरती
आरती बालकृष्ण की कीजै आपनो जनम सुफल करर
श्री यशुदा को परम ् दल
ु ारौ ।
बाबा की अखखयन को तारौ ॥
गोवपन के प्राणन सौं प्यारौ !
इन पै प्राण तनछावर कीजै ॥ आरती..... ॥
बलदाऊ को छोटो भईया |
कनुआँ कदह-कदह बोलत मैया ॥
परम मुददत मन लेत बलैया ।
यह छवव नयनन में भरर लीजै ॥ आरती... ॥
तोतरर बोलन मधुर सुहावै ।
भजन संग्रह कथानक { 238 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

सखन संग खेलत सुख पावै ॥


सोई सक
ु ृ ती जो इनको ध्यावै।
अब इनकँू अपनो करर लीजै ॥ ॥ आरती...... ॥
श्री राधावर सुघर कन्है या ।
ब्रज जन को नवनीत खवैया ॥
दे खत ही मन लेत चरु ै या।
अपनौ सरबस इनकँू दीजै ॥ आरती...... ॥

{ 401 }
उतारौ हे सखखयां
हे उतारौ सखखयां हे उतारौ सखीयां
वप्रय पहुना की आरती उतारौ सखखयां
चारौ दल्
ु हा के आरती उतारौ सखखयां
मन मोहन के आरती उतारौ सखखयां
व्याह ववभूषण अंग अंग शोभे
मखण मण्डप मंगल मय शोभे
तन मन धन न्योछारु सखखयां
धचत चोरवा के आरती उतारौ सखखयां
दल
ु हीन श्री र्मथलेश कुमारी
दल्
ु हा दल
ु हआ अवध ववहारी
भरी भरी नयना तनहारु सखीयां
वप्रय दल
ु हा के आरती उतारौ सखीयां के
रस वरसत रसकन सख
ु कारी
मुख मुस्कान मधुर मन हारी
तछन तछन पहलू ना ववसारु सखखयां -
मन मोहना की आरती उतारौ सखखयां
सेहरा मौर नयन कजरा रे
भजन संग्रह कथानक { 239 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

प्रेम तनधध प्रेर्मन के प्यारे


तनसददन दहय ववच धारू सखखयां
वप्रय रधुवर के आरती...., चारौ दल्
ु हा के आरती....

{ 402 }
आरती जय जगदीि हरे
ॐ जय जगदीश हरे , स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्तजनों के संकट क्षण में दर करे ॥ॐ ॥
जो ध्यावे फल पावे, दख
ु ववनशे मन का ।
सुख सम्पवत् घर आवे, कष्ट र्मटे तनका ॥ॐ ॥
मात-वपता तुम मेरे शरण गहूँ ककसकी ।
तम
ु ववन और न दज
ू ा, आश करूँ ककसकी ॥ॐ ॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तयाणमी ।
पार ब्रह्म परमेश्वर तम
ु सबके स्वामी ॥ॐ ॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपती ।
ककस ववधध र्मलँ ू दयालु तुमसे मैं कुमतत ॥ ॐ ॥
दीन बन्धु दख
ु हताण, तुम रक्षक मेरे ।
अपने हाथ उठाओं शरण पडा तेरे ॥ॐ ॥
ववषय ववकार र्मटाओं पाप हरो दे वा ।
श्रद्धा भक्ती बढ़ाओ सन्तन की सेवा ॥ॐ ॥
पार ब्रह्म जी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहत र्शवानन्द स्वामी मन वांजच्छत फल पावे ॥ॐ ॥
जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट क्षण में दरू करे ॥ ॐ ॥

{ 403 }
आरती श्रीभागवत की
भजन संग्रह कथानक { 240 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

आरती श्री भागवत जी की । करत पववत्र भावना दहय की ।


श्रीनारायण मुख की बानी ।
पढ़ते ब्रह्मा और ब्रह्मानी ।
शंकर पावणती सुख मानी।
कृष्ण कथा सख
ु धाम हरी की। आरती श्रीभागवत ॥१॥
सनकाददक से शेश बखानी ।
नारद मुनी परम सख
ु मानी ।
व्यास सन
ु ी सवोपरर जानी ।
र्लखी परु ाण ततलक की टीकी। आरती श्रीभागवत...
श्रीशुकदे व व्यास ते सतु न कै ।
कही परीक्षक्षत नप
ृ से गतु न कै ।
गंगा तट सन्तन कौं चुतन कै ।
ज्ञान-वैराग भगतत यव
ु ती की आरती श्रीभागवत.
कथा भागवत जो तनत गावै ।
आप सुनै और कौ सन
ु ावै ।
तनश्चय कृष्णचन्द्र पद पावै ।
प्रेम र्सन्धु रस बबन्द ु अमी की। आरती श्रीभागवत..

{ 404 }
श्यामा तेरी आरती
श्यामा तेरी आरती, कन्है या तेरी आरती ।
सारा संसार करे गा, कर जोड के ॥
र्सर पर सोहना मक
ु ु ट ववराजै, गल वैजन्ती माला साजै ॥
और फूलन के हार, करें गे कर जोड के ॥ श्यामा...
ब्रह्माददक तेरो यश गावैं, नारद शारद ध्यान लगावैं ॥
और करें जै- जै कार, करें गे कर जोड के ॥ श्यामा..
अपने चरण की भक्ती दीजै, अपनी शरण में मोदह रख लीजै ॥
भजन संग्रह कथानक { 241 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

करो भवसागर पार करें गे कर जोड के ॥ श्यामा...


प्रेम सदहत जो आरती गावै, श्रीराधा माधव के पद पावै ॥
बािै सुयश अपार, करें गे कर जोड के ॥ श्यामा........ ॥

{ 405 }
आरती कुञ्ज बबहारी की
आरती कुञ्ज बबहारी की धगरधर कृष्ण मुरारी की
गले में बैजन्ती माला, बजामें मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झल काला
नन्द के नन्द श्री आनन्द कन्द मोहन वज
ृ चन्द
राधधका रमण बबहारी की ॥ श्री धगरधर.......
गगन सम अंग कांतत काली, राधधका चमक रही आली
लतन में बैठे वन माली
भवर सम अलख कस्तूरी ततलक चन्द्र सी झलक
राधधका गौर श्याम मुख की || श्री धगर धर.......
वाज रही यमुना तट वैणु, संग में गोप ग्वाल धैनू
चमक रही यमुना की रै नू
हसत मुख मंद, कटत यम फंद, टे र सुन वन्ृ दावन चन्द
लेउ र्भखारी की ॥ श्री धगरधर........

{ 406 }
मन में बसाकर तेरी मूनतत
मन में बसाकर तेरी मूततण, उतारू मै धगरधर तेरी आरती
करूणा करो कष्ट हरो ज्ञान दो भगवन ्
भव में भसी नाव मेरी तार दो भगवन ् ।
ददण की दवा तुम्हरे पास है
जजन्दगी दया की है भीख मांगती ॥ मन में ......
भजन संग्रह कथानक { 242 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

माँगू तुमसे क्या में यही सोचू भगवन


जजन्दगी जव तेरे नाम कर दी अपणण ।
सव कुछ तेरा कुछ नही मेरा
धचन्ता है मुझको प्रभु संसार की ॥ मन में .....
वेद तेरी मदहमा गायें संत करै ध्यान
नारद गण
ु गान करें छे डै वीणा तान
भक्त तेरे द्वारे करते है पक
ु ार
दास वालकृष्ण गावै तेरी आरती ॥ मन में....

{ 407 }
हदव्य दम्पनत की आरती
ददव्य दम्पतत की आरती उतारूँ हे अली
राजे नन्द जू के लाल, वष
ृ भानु की लली । ददव्य...
पद नख मखण चजन्द्रका की उज्ज्वल प्रभा,
नील पीत कदट पट रहे मन को लुभा
कदट कौंधनी की शोभा अतत लागत भली । ददव्य... ।
नार्भ रूधचर गम्भीर मन भंवर परे ,
उर कौस्तुभ श्री वत्स भग
ृ ु पद उभरे ,
वनमाल उर राजे कम्बु कण्ठ बत्रवल्ली | ददव्य...
ददव्य कान्ती गौर श्याम मुख चन्द्र की छटा,
घुंघराली अलकावली सुजलद घटा ।
द्युतत कुण्डल दशन सो चपल बबजली | ददव्य...
शीश चजन्द्रका मक
ु ु ट बत्रभव
ु न धतन के,
अंग अंग ददव्य भूषण कनक मखण के
सोहे श्यामा कर कञ्ज श्याम कर में मुरली | ददव्य...
धचतवतन मस
ु कतन प्रेम रस बरसे,
दहय हरवष नारायण चरण परसे
भजन संग्रह कथानक { 243 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

जय जय कदह बरसे सुमन अञ्जली। ददव्य...

{ 408 }
चेतावनी - 1
के ते भये राजा सगर सुत केते भये
जात हूं ना जानी ज्यों तरै या प्रभात की
वल वैन अम्बरीश मानधाता प्रहलाद भये
कहा लौ कथा कहू वा रावड अयात की
वे हू ना वचे काल कौतक
ु ी के हाथ सौ
भांतत भांतत सैन रची जजन सुजात की
चार चार ददन कौ चवाव सव कोई करै
अंत लट
ु जात जैसे पत
ू री वरात की

चेतावनी - 2
रावड ने कही काल पािी से वाध राख्यौ
पूछौ दे वतान सौ कहा इनकौ जोर है
दहरणाकश्प ने कही बत्रभव
ु न में ना मोसौ वली
पूछौ प्रहलाद ते वचैगौ कोन ठौर है
कंस ने कही वसुदेव कौ तनरवंश करूं
रूक्म ने कही र्शशपाल र्सर मौर है
करौ मत अर्भमान सदा ना काहू की रही
करौ कोई लाख पर करै या कोई ओर है

चेतावनी - 3
काहू समय हाथी और घोडेन के जोडे रहै
काहू समय आप ही कुदार कर गदहये
काहू समय ग्लम गलीचा हुसाले ववछे
काहू समय कामरी को टूक ओि रही है
भजन संग्रह कथानक { 244 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

काहू समय हुक्म हाककमन पै हू करत रहै


काहू समय चार वात नीच हूं की सदहये
हाररये न दहस्मत ववसाररये ना प्रभु को नाम
जाही ववधध राखै राम ताही ववधध रदहये

चेतावनी - 4
क्षण भंगरु जीवन की कर्लका
कल प्रात: को जानै खखली ना र्मली
मलयाचल की शधु च शीलत मंद
सग
ु ंध समीर र्मली ना र्मली
कर्ल काल कुठार र्लये कफरता
तन नम्र पै चौट खझली नर खझली
रट लै हरी नाम अरी रसना
कफर अन्त समय ही में दहली ना दहली

चेतावनी - 5
मौत न छोडी वेणू दधीच को
मौत न छोडी संत और साई
मौत न छोडी मानव मदहष को
मौत न छोडी रं क ना राई
मौत न छोडी रावण को
जो काल खींचकर खाट वनाई
वेनी कहै कई यग
ु वीत गये
पर मौत तनगोरी को मौत ना आई

चेतावनी - 6
आया है सो जायेगा त सोचौ अर्भमान मन
तू चेतौ अव चेतौ ददवस तेरौ तनयराना है
भजन संग्रह कथानक { 245 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

कर से कर दन मान मुख से जप राम नाम वा


ही ददन आवै काम जादह ददन जाना है
नाददया है अगम तेरी सूझत नही आर पार
बूित हौ वीच धार कफर क्या पछताना है
हे रे अर्भमानी झठ
ू ी माया संसारी गत मु
ठ्ठी वांध आया है तो खाली हाथ जाना है

{ 409 }
व्रज महहमा
चाहे मान प्रततष्ठा र्मले ना र्मले
अपमान गले में वधाना पडे
जल भोजन की परवाह ना हो
करके व्रत जनम ववताना पडे
अर्भलाषा नही सुख की कुछ भी
दख
ु तनत्य नवीन उठाना पडे
व्रज भर्ू म के वाहत ककन्तु प्रभु
मुझे भूल के भी ना जाना पडे

पद- 2
में का करूं बैकंु ठ में जाये
तहां ना नंद ना यशोदा मैया
ना गोपी ग्वाल न गाय
जहां ना जल यमुना को तनमणल
और नही कदमन की छाय
परमानंद प्रभु चतरु ग्वार्लनी
वन्ृ दावन छोड मेरी जाय वलाय

पद-3
भजन संग्रह कथानक { 246 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मोर जो वनाओ तो वनाओं नाथ वन्ृ दावन कौ


नाच नाच कौक कौक आपको ररझाउगौ
वन्दर हू वनओं तो वनाओं नाथ वन्ृ दावन कौ
कूद कूद ब्रझन पै जोर हू ददखउगौ
र्भक्षुक हू वनाओ तो वनाओ नाथ वन्ृ दावन कौ
टूक हरी भक्तन के मांग मांग खाऊंगौ
रं गी कू कीजै कीर नाथ यमुना के तीर
आठौ याम श्याम श्यामा श्यामा श्याम गांउगौ

पद- 4
वाहर गमन का ना मन में ववचार उठै
चाहै तो प्रलोभन कोई लाखौ करोड दे
अजन्तम समय में भी धारण प्रवल मेरी
जन्म जन्मांतर के अटूट प्रेम जोड दे
पीत पट वारौ श्याम सत्मुख हमारे आय
लकुटी समेत नैक भ्रकुटी मरोड दे
वन्ृ दावन वीच मत्ृ यु होवै जो हमारी तौ
वन्ृ दावन रस कोई मख
ु में तनचोड दे

पद- 5
न धचत्र र्लखा ना चररत्र सन
ु ा
वह सुन्दर श्याम को जाने ही क्या
मन में न बसा मन मोहन तो
वह ठान ककसी पर ठाने ही क्या
जजस वन्दर ने ईमली ही ना चखी
वह स्वाद सुधा पहचाने ही क्या
जजसने कभी प्रेम ककया ही नही
वह प्रेम की आह को जाने ही क्या
भजन संग्रह कथानक { 247 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

पद- 6
व्रज धरू र प्राणन सौ प्यारी लगै
व्रज मण्डल मादह वसाय रहो
रर्सको के संस
ु ग में मस्त रहूं
जग जाल सौ नाथ वचाय रहो
तनत वांकी ये झांकी तनहारा करूं
छबब छाक सौ नाथ छकाय रहो
अहो बांके बबहारी यही ववनती
मेरे नैनौ से नैना र्मलाय रहो
पद- 7
शेष गणेश महे श ददनेश सुरेशहु जादह तनरं तर ध्यावें
जादह अनादद अंनत अखण्ड अखेद अभेद सव
ु ेद वतावै
नारद से सुक व्यास रटै पधचहारे तऊ पुतन पार न पावै
तादह अहीर की छोहररया छतछया भर छाछ पै नाच नचावें

पद- 8
कीरत सत
ु ा के `पग पग पै प्रयाग यहां
केशव की केर्ल कँु ज कोदट कोदट काशी है
यमुना में जगन्नाथ रे णुका में रामेश्वर
दर दर पै पडे रहै अयोध्या के वासी है
पीन के द्वार द्वार हररद्वार वसत जहां
बद्री केदारनाथ कफरत दास दासी है
स्वगण अपवगण सख
ु लैकें करें गे कहा
जानते नही हो हम वन्ृ दावन वासी है

{ 410 }
प्रेम और ववरह
भजन संग्रह कथानक { 248 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

(1)
हम प्रेम नगर की वनजाररन
जप तप और साधन क्या जानें
हम श्याम नाम की दीवानी
तनत नेम के वंधन क्या जानें
हम व्रज की भोरी ग्वार्लतनया
ब्रह्म ज्ञान की उलझन क्या जानें
ये प्रेम की वातें है ऊधौ
कोई क्या समझे कोई क्या जानें
मेरे और मोहन की वातें
ये मे जानू या वो जाने
(2)
इस जीवन के तुम जीवन हो
व्रज चन्द्र तम्
ु हें कैसे समझायें
दख
ु होता बहुत है तुम्हारे बबना
इस प्रेम व्यथा को कहां तक गाये
हस दे ते हो आप यंू ही हरी
जव हम अपना दख
ु ददण सुनायें
रहते मन मोहन तुम्ही ददल में
ददल कैसे अपना चीर ददखायें

(3)
सददयों से तेरा हूं दीवाना
ये जनम जनम का फेरा है
इक तेरी सांवली सरू त ने
ये ददल दीवाना घेरा है
नंद लाल तेरे दीदार ववना
भजन संग्रह कथानक { 249 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

इस ददल में हुआ अंधरे ा है


इक वार तो तू कहदे तुझसे
तू मेरा है तू मेरा है

(4)
पहले मुख चन्द्र ददखाकर के
कफर हाय ववयोग ददखाया है क्यूं
चरणामत
ृ स्वाद चखाकर के
ववष का कफर प्याला वपलाया है क्यूं
वस एक ही वार हँसाकर के
इस भांतत सदै व रूलाया है क्यूं
मन में जव मोह नही रखते
मन मोहन नाम धराया है क्यंू

(5)
नंदलाल तनहार र्लये जव ते
तनज दे ह न गेह सवारन दे
धरर धीरज वोल उठी वरनी
पद नीरज की रज झारन दे
पुतरी कह सामने से हट जा
आंसआ
ु कहे पाय पखारन दे
पलकें कहें मूद ले मोहन को
अखखयां कहै और तनहारन दे

(6)
मन में है वसी वस चाह यही
वप्रय नाम तुम्हारा उचारा करूं
ववठला के तुम्हें मन मंददर में
भजन संग्रह कथानक { 250 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

मन मोहनी रूप तनहारू करूं


भर के द्रग पात्र में प्रेम का जल
पद पंकज तनत्य पखारा करूं
वनूं प्रेम पज
ु ारी तुम्हारा प्रभु
तनत आरती भव्य उतारा करूं

{ 411 }
नाम महहमा
वह और की आस करे न करे
जजसे आश्रय ही हररनाम का है
उसे स्वगण से र्मत्र प्रयोजन क्या
तनत वासी जो गोकुल धाम का है
वस साथणक जन्म उसी का यहां
हरे कृष्ण जो चाकर श्याम का है
ववन कृष्ण के दशणन के जग में
यह जीवन ही ककस काम का है

(२)
सूर अनेक कफरें कड मांगत
पै पद सूर के स्वाद कहां
राम कथा ककतनों ने र्लखी
पर तुलसी सी मयाणदा कहां
लै ताल मद
ृ ङ्ग मजीरा कफरै
पर मीरा मतवाली सी चाल कहां
नरर्संह वसै प्रतत खम्भन में
पर कािन कौ प्रहलाद कहां

(३)
भजन संग्रह कथानक { 251 } श्री राम दे शिक प्रशिक्षण केंद्र

वनेगी ना वावरे विाये जटा जूट रखे व


नेगी ना अंग तेरे भस्मी लगाये ते
वनेगी ना भूत प्रेत जजन्दन को अदद सेये
वनेगी ना रं क और राजा ररझाये ते
वनेगी ना कोदट वार ववपल
ु परु ान पिे
वनेगी न वार वार गंगा नहाए ते
ओ रे मन मेरे तू कवल
ू कर मेरी कही
तेरी वन जायेगी हरी के गण
ु गाये ते

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