भावाथ: ॐ हे ु एवं शूर-वीर महा व णु, आपक वाला एवं ताप चार दशा म फै ली ई है। हे नर सहदे व भु, आपका चेहरा सव ापी है, तुम मृ यु के भी यम हो और म आपके सम आ मसमपण करता ँ।
जय नर स हा ी नर स हा जय जय नर स हादे व लदे सा जय प मुख प भृगं
भगवान नृ सह, ी नृ सह क जय, भगवान नृ सहदे व क जय।
ाद के वामी मधु म खी के समान सदै व भा य क दे वी के कमल पी मुख को नहारने म लगे रहते ह।