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vishnusahasranamam.org/नारायण-कवच/
तदन तर “ॐ नमो भगवते वासुदवे ाय” इस ादशा र -म के ॐ आिद बारह अ रों का दायी ं तजनी से बाँयी ं तजनी तक
दोनों हाँथ की आठ अँगिु लयों और दोनों अँगठु ों की दो-दो गाठों म यास करे.
िफर “ॐ िव णवे नमः” इस म के पहले के पहले अ र ‘ॐ’ का दय म, ‘िव’ का ब र ध , म ‘ष’ का भौहों के बीच म, ‘ण’
का चोटी म, ‘वे’ का दोनों ने ों और ‘न’ का शरीर की सब गाँठों म यास करे तदन तर ‘ॐ मः अ ाय फट् ’ कहकर
िद ब ध करे इस पकर यास करने से इस िविध को जानने वाला पु ष म मय हो जाता है.
इसके बाद समग ऐ वय, धम, यश, ल मी, ान और वैरा य से पिरपूण इ टदेव भगवान् का यान करे और अपने को भी तद्
प ही िच तन करे त प चात् िव ा, तेज, और तपः व प नारायण कवच का पाठ करे.
भगवान् ीहिर ग ड़जी के पीठ पर अपने चरणकमल रखे हुए ह, अिणमा आिद आठों िसि याँ उनकी सेवा कर रही ह आठ
हाँथों म शंख, च , ढाल, तलवार, गदा, बाण, धनुष, और पाश (फंदा) धारण िकए हुए ह वे ही ओंकार व प पभु सब पकार
से सब ओर से मेरी र ा कर।।
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िजनके घोर अ टहास करने पर सब िदशाएँ गूज ँ उठी थी ं और गभवती दै यपि नयों के गभ िगर गये थे, वे दै ययुथपितयों के
श ु भगवान् निृ संह िकले, जंगल, रणभूिम आिद िवकट थानों म मेरी र ा कर ।।
अपनी दाढ़ों पर प ृ वी को उठा लेने वाले य मूित वराह भगवान् माग म, परशुराम जी पवतों के िशखरों और ल मणजी के
सिहत भरत के बड़े भाई भगावन् रामचंद पवास के समय मेरी र ा कर ।।
भगवान् नारायण मारण – मोहन आिद भयंकर अिभचारों और सब पकार के पमादों से मेरी र ा कर ऋिष े ठ नर गव से,
योगे वर भगवान् द ा ेय योग के िव नों से और ि गुणािधपित भगवान् किपल कमब धन से मेरी र ा कर ।।
परमिष सन कु मार कामदेव से, हयगीव भगवान् माग म चलते समय देवमूितयों को नम कार आिद न करने के अपराध से,
देविष नारद सेवापराधों से और भगवान् क छप सब पकार के नरकों से मेरी र ा कर ।।
भगवान् ध व तिर कु प य से, िजते द भगवान् ऋषभदेव सुख-दुःख आिद भयदायक ों से, य भगवान् लोकापवाद से,
बलरामजी मनु यकृत क टों से और ीशेषजी ोधवशनामक सप के गणों से मेरी र ा कर ।।
भगवान् ीकृ ण ेपायन यासजी अ ान से तथा बु देव पाखि डयों से और पमाद से मेरी र ा कर धम-र ा करने वाले महान
अवतार धारण करने वाले भगवान् कि क पाप-बहुल किलकाल के दोषों से मेरी र ा कर ।।
पातःकाल भगवान् केशव अपनी गदा लेकर, कु छ िदन चढ़ जाने पर भगवान् गोिव द अपनी बांसरु ी लेकर, दोपहर के पहले
भगवान् नारायण अपनी ती ण शि त लेकर और दोपहर को भगवान् िव णु च राज सुदशन लेकर मेरी र ा कर ।।
तीसरे पहर म भगवान् मधुसदू न अपना पच ड धनुष लेकर मेरी र ा कर सांयकाल म ब ा आिद ि मूितधारी माधव, सूया त
के बाद िषकेश, अधराि के पूव तथा अध राि के समय अकेले भगवान् प मनाभ मेरी र ा कर ।।
राि के िपछले पहर म ीव सला छन ीहिर, उषाकाल म ख गधारी भगवान् जनादन, सूयोदय से पूव ीदामोदर और
स पूण स याओं म कालमूित भगवान् िव वे वर मेरी र ा कर ।।
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च ं युगा तानलित मनेिम भमत् सम ताद् भगव पयु तम्।
द दि ध द द यिरसै यमासु क ं यथा वातसखो हुताशः ।।
सुदशन ! आपका आकार च ( रथ के पिहये ) की तरह है आपके िकनारे का भाग पलयकालीन अि न के समान अ य त
तीव है। आप भगवान् की पेरणा से सब ओर घूमते रहते ह जैसे आग वायु की सहायता से सूखे घास-फूस को जला डालती
है, वैसे ही आप हमारी श ुसन
े ा को शीघ से शीघ जला दीिजये, जला दीिजये ।।
कौमुद की गदा ! आपसे छू टने वाली िचनगािरयों का पश वज के समान अस है आप भगवान् अिजत की िपया ह और म
उनका सेवक हू ँ इसिलए आप कू मा ड, िवनायक, य , रा स, भूत और पेतािद गहों को अभी कु चल डािलये, कु चल डािलये
तथा मेरे श ुओ ं को चूर – चूर कर िदिजये ।।
श ख े ठ ! आप भगवान् ीकृ ण के फँू कने से भयंकर श द करके मेरे श ुओ ं का िदल दहला दीिजये एवं यातुधान, पमथ,
ृ ा, िपशाच तथा ब रा स आिद भयावने पािणयों को यहाँ से तुर त भगा दीिजये ।।
पेत, मातक
भगवान् की े ठ तलवार ! आपकी धार बहुत ती ण है आप भगवान् की पेरणा से मेरे श ुओ ं को िछ न-िभ न कर िदिजये।
भगवान् की यारी ढाल ! आपम सैकड़ों च दाकार म डल ह आप पापदृि ट पापा मा श ुओ ं की आँखे ब द कर िदिजये और
उ ह सदा के िलये अ धा बना दीिजये ।।
सूय आिद गह, धूमकेतु (पु छल तारे ) आिद केतु, दु ट मनु य, सपािद रगने वाले ज तु, दाढ़ोंवाले िहंसक पशु, भूत-पेत आिद
तथा पापी पािणयों से हम जो-जो भय हो और जो हमारे म गल के िवरोधी हों – वे सभी भगावान् के नाम, प तथा आयुधों
का कीतन करने से त काल न ट हो जाय ।।
बहृ द्, रथ तर आिद सामवेदीय तो ों से िजनकी तुित की जाती है, वे वेदमूित भगवान् ग ड़ और िव व सेनजी अपने
नामो चारण के पभाव से हम सब पकार की िवपि यों से बचाय।।
ीहिर के नाम, प, वाहन, आयुध और े ठ पाषद हमारी बुि , इि दय , मन और पाणों को सब पकार की आपि यों से
बचाय ।।
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िजतना भी काय अथवा कारण प जगत है, वह वा तव म भगवान् ही है इस स य के पभाव से हमारे सारे उपदव न ट हो
जाय ।।
जो लोग ब और आ मा की एकता का अनुभव कर चुके ह, उनकी दृि ट म भगवान् का व प सम त िवक पों से रिहत है-
भेदों से रिहत ह िफर भी वे अपनी माया शि त के ारा भूषण, आयुध और प नामक शि तयों को धारण करते ह यह बात
िनि चत प से स य है इस कारण सव , सव यापक भगवान् ीहिर सदा -सव सब व पों से हमारी र ा कर ।।
जो अपने भयंकर अ टहास से सब लोगों के भय को भगा देते ह और अपने तेज से सबका तेज गस लेते ह, वे भगवान्
निृ संह िदशा -िविदशा म, नीचे -ऊपर, बाहर-भीतर – सब ओर से हमारी र ा कर ।।
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