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KAVITA
KAVITA
(भहादे वी वभाा)
मा प्ररम के आॉसओ
ु ॊ भें भौन अरससत व्मोभ यो रे;
जाग मा ववद्मत
ु सिखाओॊ भें तनठुय तूपान फोरे!
ववश्व का क्रॊदन बर
ु ा दे गी भधऩ
ु की भधयु गुनगुन,
दे ककसे जीवन-सध
ु ा दो घॉट भहदया भाॉग रामा!
अभयता सत
ु िाहता क्मों भत्ृ मु को उय भें फसाना?
कह न ठॊ ढी साॉस भें अफ बर
ू वह जरती कहानी,
है तुझे अॊगाय-िय्मा ऩय भद
ृ र
ु कसरमाॊ बफछाना!