You are on page 1of 1

&

&hZw
_m
ZMm
crgm&
&
दो
हा

गु चरन सरो
ज रज,नज मनु
मुकु सु
धार।
बरनऊंरघु
बर बमल जसु
,जोदा
यकुफल चार॥
बु ही
न तनु
जानके
,सु
मर पवन-कु
मार।
बल बु ब ादेमोह,हर कले
स बका
र॥

चौ
पाई
जय हनु मान ा न गुन सा गर. .
जय कपी स तं लोक उजा गर॥
रा मदूतअतु लतबल धा मा ।
अंज न-पुपवनसु तना मा॥1 ॥
महा बीर ब म बजरं गी ।
कुम त नवा रसु म तकेसं गी॥2॥
कंचन बरन बरा ज सु बेसा ।
का नन कु ं
डल कु ंचतके सा॥3॥
हा थब औ जाबरा जै।
का ं
धे मू

ज जने ऊ सा जै॥4॥
संकरसु वन के सरी नंदन।
तेज ता पमहाजग ब न ॥5॥
व ा वान गु नीअ तचा तुर।
राम का ज क रबे कोआ तु र॥6॥
भु च र सु नबे कोरसया ।
राम लखन सी तामन ब सया॥7॥
सू पध र सय ह दखा वा ।
बकट पध रलं क जरा वा॥8॥
भी म पध रअसु रसं हारे।
रा मचंकेका ज संवा रे॥9॥
ला य सजी वन लखन जया ये।
ीरघुबीरहरषउरला ये॥1 0॥
रघुपतक ीब तबड़ा ई।
तुम मम य भरत हसम भा ई॥1 1॥
सहस बदन तु रोजस गा व।
अस क ह ी पतकं ठलगा व॥1 2॥
सनकादक ादमु नी सा ।
ना रदसा रदस हतअही सा॥1 3॥
जम कु बेर दगपा ल जहा ं
ते।
क बकोबदक हसकेकहा ंते ॥1 4॥
तुम उपका रसुी वहक ा ।
रा म मला य रा ज पददी ा॥1 5॥
तु रोमं बभी षन मा ना ।
लंके रभएसबजग जा ना॥1 6॥
जु ग सह जो जन परभा नू।
ली ोताहमधु रफल जा नू ॥1 7॥
भुमुकामे ल मुख मा ह।
जल धला ंघगये अचरज ना ह ॥1 8॥
दुगम का ज जगतकेजे ते।
सुगम अनुहतु रे तेते॥1 9॥
राम दुआ रेतुम रखवा रे।
होतन आ ाबनु पै
सा रे॥20॥
सबसु ख लहै तु ा रीसरना ।
तुम र क का कोडरना॥21 ॥
आ पन ते जस ा रोआ पै ।
ती न लो क हा ं
क तका ं
पै॥22॥
भूत पसा च नकटन हआ वै ।
महा बी रजबना म सुना वै ॥23॥
ना सैरोग हरै सबपी रा ।
जपत नरं तरहनु मतबी रा॥24॥
संकटतहनु मा न छुड़ावै।
मन म बचन ा न जोला वै ॥25॥
सबपररा म तप ीरा जा ।
तन केका ज सकल तु म सा जा॥26॥
औ रमनो रथ जोको ईला वै।
सो इअ मतजी वन फल पा वै ॥27॥
चा र जु ग परता पतु ा रा।
हैपरस जगतउजया रा॥28॥
सा धु
-संतकेतु म रखवा रे।
असु र नकं दन रा म दुला रे॥29॥
अ स नौन धकेदा ता ।
अस बरदी न जा नक मा ता॥30॥
राम रसा यन तु रे पा सा ।
सदारहोरघु पतकेदा सा॥31 ॥
तु रे भजन रा म कोपा वै।
जनम-जनम केदु ख बसरा वै॥32॥
अ का ल रघु बरपुरजा ई।
जहा ंज हर-भ कहा ई॥33॥
औ रदे वताच न धरई।
हनुमतसे इसबसु ख करई॥34॥
सं कटकटैमटै सबपी रा।
जोसु मरै हनुमतबलबी रा॥35॥
जै जैजै हनुमा न गो सा।
कृ पाकर गुदे वक ना ॥36॥
जोसतबा रपा ठकरको ई।
छूटहबं दमहासु ख हो ई॥37॥
जोयहपढ़ै हनुमान चा ली सा ।
हो य स सा खीगौ रीसा॥38॥
तुलसी दास सदाहरचे रा ।
क जै नाथ दय मं हडेरा॥39॥

दो
हा
पवन तनयसं
कटहरन,मं
गल मू
रत प।
रा
म लखन सी
तास हत, दयबस सु
रभू
प॥

You might also like