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यंत्र प्राण-प्रतिष्ठा विधि

यहा दो प्रकार का यंत्र प्राण-प्रतिष्ठा विधि दे रहा हूं।

1) साबर

2) तान्त्रोक्त यंत्र प्राण-प्रतिष्ठा विधि

श्री गणेश जी और गरु


ु मंत्र का जाप करले

1) साबर यंत्र प्राण-प्रतिष्ठा विधि

निम्न मंत्र का 108 बार जाप करके लाल रं ग की अक्षत चढ़ाये।

सत नमो आदे श । गुरुजी को आदे श । ॐ गुरुजी । ॐ सोहं हं साय विदमहे प्राण-प्राणाय धीमही तन्नो ज्योति स्वरूप
प्रचोदयात । श्री नाथजी गरु
ु जी को आदे श । आदे श ।

अब निम्न मंत्र को 108 बार जाप करते हुये यंत्र को स्पर्श करो,

सत नमो आदे श । गुरुजी को आदे श । ॐ गुरुजी । ॐ सों ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शम षम सं हं स: जती साबर साधना
सिद्धि यंत्रस्य प्राण: इह ज्योति स्वरूप जपा-अजपा हं सा: प्राण प्राणाहा:।

ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शम षम सं हं स: जती साबर साधना सिद्धि यंत्र घट पिंडमे शिव-शक्ति की माया । जीव रूप मे
शिव की माया । जीव रूप मे शिव गोरक्षनाथ कहाया ।

ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शम षम सं हं स: जती साबर साधना सिद्धि यंत्र दस इंद्रियों की काया । पांच तत का किया पसारा
। अमर योगी अमर काया । अक्षय योगी सबसे न्यारा । श्री नाथ जी निखिलेश्वरानंदजी के चरण-कमलोकों आदे श ।
आदे श आदे श ।

निम्न पाचो मंत्र का 11-11 बार जाप करते हुये यंत्र का पज


ू न करे और यंत्र को स्थापित कर दीजिये

ॐ श्री चैतन्य गोरक्षनाथाय नमो नम:


ॐ श्री चैतन्य कनिफनाथाय नमो नम:
ॐ श्री चैतन्य गहिनिनाथाय नमो नम:
ॐ श्री चैतन्य मच्छिं द्रनाथाय नमो नम:
ॐ श्री चैतन्य निखिलनाथाय नमो नम:

और सभी सिद्धों को निम्न मंत्र बोलते हुये प्रार्थना कीजिये

सत नमो आदे श । गुरु जी को आदे श । ॐ गुरुजी । सिद्ध समि ु र चले गोदावरि तीन भवु न हो सिद्ध भलू े भटके पंथ कर
ध्यावे ,अष्ट सिद्धि नव निधि को पावे सर्व चौरासी सिद्धों इनकी थिर काया अरु वज्र काया पिवों सिद्धों उन्मख
ु प्याला
सर्व के पति श्री शंभज
ु ती गुरु गोरक्षनाथ जी बाला । इतना चौरासी सिद्धों के चरण कमाल को हाथ जोड़कर आदे श ।
आदे श । नमामि नम:।

अब सारे विधि को सदगुरुजी के श्री चरनोमे समर्पित करे और क्षमा प्रार्थना करे ।

आदे श निखिलजी का आदे श आदे श............

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2) तान्त्रोक्त यंत्र प्राण-प्रतिष्ठा विधि

संकल्प

दाहिने हाथ मे जल,अक्षत व कंु कुम लेकर संकल्प कीजिये।

ॐ विष्णु र्विष्णु र्विष्ण:ु श्री मदभगवतों महाप्रभावस्य द्वितीय परार्धे श्वेतवारहकल्पे भरतखण्डे पण् ु य क्षेत्र,े अमकु
गोत्रीय(अपना गोत्र बोले) अमक ु शर्माहं (अपना नाम बोले ) अद्द अम क
ु (यं त्र का नाम बोले ) यं त्र स्य अम क
ु (साधना का
नाम बोले) साधना संबंधे प्राण-प्रतिष्ठा सिध्यर्थ करिष्ये ॥

विनियोग-

अस्य श्री प्राण-प्रतिष्ठा मंत्रस्य विष्णरू


ु द्रौ ऋषी ऋज्ञज:ु सामानिच्छदासी प्राणख्या दे वता । ॐ आं बीजं ह्रीं शक्ति: क्रां
कीलकं यं रं लं वं शम षम सं हं हं स: एत: शक्तय: यंत्र/गुटिका/मर्ति ू प्रतिष्ठापन विनियोगा: ॥

मंत्र का कम से कम २१ बार जाप करे या १०८ बार,जाप करते समय यंत्र स्पर्श कर सकते है ।

ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शम षम सं हं स: दे वस्य प्राणा: इह प्राणा: परु


ु च्चार्य दे वस्य सर्वेनींद्रयानी इह:। परु
ु च्चार्य दे वस्य
त्वक्पाणि पाद पायु पस्थादीनी इह: । परु ु च्चार्य दे वस्य वाड मनश्ु चक्षु: श्रोत्र घ्राणानि इहागत्य सख ु ेन चीरं तिष्ठतु स्वाहा ॥

यंत्र प्राण-प्रतिष्ठा के बाद यंत्र का पज


ू न करके स्थापित कर दीजिये।

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