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विष्णु सहस्रनाम - विकिपीडिया
विष्णु सहस्रनाम - विकिपीडिया
विष्णु सहस्त्रनाम
विष्णु सहस्रनाम भगवान विष्णु के हजार नामों से युक्त एक प्रमुख स्तोत्र है। यह सनातन धर्म में सबसे पवित्र तथा प्रचलित
स्तोत्रों में से एक है। महाभारत में उपलब्ध विष्णु सहस्रनाम इसका सबसे लोकप्रिय संस्करण है। पद्म पुराण,मत्स्य पुराण और
गरुड पुराण में इसका एक और संस्करण उपलब्ध है। प्रत्येक नाम विष्णु के अनगिनत गुणों में से कु छ गुणों को सूचित करता है।
कई हिंदु परिवारों मे पूजन के समय इसका पठन करते है। सच्चे मन से इसके सुनने या पठन से मनुष्य की मनोकामनाएँ पूर्ण
होती हैं।
अनुशासनपर्व (महाभारत) के १४९ वें अध्याय के अनुसार, कु रुक्षेत्र मे बाणों की शय्या पर लेटे पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर को
इसका उपदेश दिया था।
उत्पत्ति
कु रुक्षेत्र युद्ध मे हुई विनाश देख धर्मराज युधिष्ठिर विचलित हुए। बाणों की शय्या पर लेटे भीष्म भी अपने प्राण त्यागने की
प्रतीक्षा करते थे। समय उचित पाकर भगवान वेदव्यास और श्रीकृ ष्ण ने युधिष्ठिर को समाकालीन सर्वोच्च ज्ञानी भीष्म से धर्म व
नीति के विषय मे उपदेश लेने की प्रेरणा दी। अपने सभी भाई समेत कृ ष्ण को साथ लिए युधिष्ठिर पितामह भीष्म के पास पहुँच
कर उनका नमन किया और धर्म व नीति के विषय मे विचार करते किए प्रश्न व भीष्म का विवरण सहित उत्तर ही यह सहस्रनाम
स्तोत्र है।
स्तोत्रभाग
इस स्तोत्र के तीन प्रमुख भागों को निम्न भागों मे दिया गया है।
पूर्व पीठिका
इसमें सर्वप्रथम गणेश, विष्वक्सेन, वेदव्यास तथा विष्णु का नमन किया जाता है।
इसके उपरान्त ऋषि, देवादि संकल्प तथा परमात्मा का ध्यान किया जाता है।
सहस्रनाम
इस भाग मे विश्वं से आरंभ सर्वप्रहरणायुध तक सभी सहस्र (१०००) नामों को १०७ श्लोकों मे सम्मिलित किया गया है।
परमात्मा के आनंत रूप, स्वभाव, गुण व नामों में से सहस्र नामों को इसमें लिया गया है।
उत्तर पीठिका
फलश्रुति
इस भाग मे सहस्रनाम के सुनने अथवा पठन से प्राप्त होने के लाभ का विवरण दिया गया है।
यह सम्पूर्ण पृष्ठ या इसके कु छ अनुभाग हिन्दी के अतिरिक्त अन्य भाषा(ओं) में भी लिखे गए हैं। आप इनका करके विकिपीडिया की सहायता कर
सकते हैं। अधिक जानें
क्रमांक नाम अनुवाद
1 विश्वम् जो स्वयं ही ब्रह्माण्ड है
2 विष्णुः सर्वत्र विद्यमान
3 वषट्कारः जिसका यज्ञ में आह्वान किया जाता है
4 भूतभव्यभवत्प्रभुः अतीत, वर्तमान और भविष्य के भगवान
5 भूतकृ त् सभी प्राणियों के निर्माता
6 भूतभृत् वह जो सभी प्राणियों को पोषण देते हैं
7 भावः वह जो सभी जड़ और चेतन वस्तुओ का रूप धारण करते हैं
8 भूतात्मा सभी प्राणियों की आत्मा
9 भूतभावनः सभी प्राणियों के विकास और जन्म का कारण
10 पूतात्मा वह जो एक अत्यंत शुद्ध सार के साथ है
11 परमात्मा परम आत्मा
12 मुक्तानां परमा गतिः मुक्त आत्माओं द्वारा प्राप्त किया जाने वाला अंतिम लक्ष्य
13 अव्ययः जिसका विनाश नहीं हो सकता
14 पुरुषः वह जो नौ द्वारो वाले नगर में रहता है
15 साक्षी सब कु छ देखनेवाला
16 क्षेत्रज्ञः वह जो शारीर रुपी क्षेत्र को तत्व से जानने वाला है
17 अक्षरः अविनाशी
18 योगः जो समरूपता की अवस्था में स्थित रहता है
19 योगविदां नेता योग की जानकारी रखने वालों का मार्गदर्शक
20 प्रधानपुरुषेश्वरः मूल प्रक्रति का ईश्वर
21 नारसिंहवपुः वह जिसका रूप मनुष्य और सिंह का है
22 श्रीमान् वह जो हमेशा श्री के साथ रहता है
23 के शवः लंबे और सुंदर बालोंवाला, slayer of Keshi and one who is himself the three
24 पुरुषोत्तमः जो पुरुषों में सबसे उत्तम हो, जो सर्वश्रेष्ठ हो
25 सर्वः वो जो सब कु छ है
26 शर्वः वो जो शुभ है
27 शिवः वह जो हमेशा शुद्ध है
क्रमांक नाम अनुवाद
28 स्थाणुः आधार, अचल सत्य
29 भूतादिः पांच महान तत्वों का कारण
30 निधिरव्ययः वह निधि जिसका विनाश नहीं हो सकता
31 सम्भवः वह जो अपनी स्वतंत्र इच्छा से उत्पन्न होता है
32 भावनः वह जो अपने भक्तों को सबकु छ देता है
33 भर्ता वह जो पूरे संसार को नियंत्रित करता है
34 प्रभवः पांच महान तत्वों की उत्पत्ती का स्त्रोत
35 प्रभुः सर्वशक्तिमान भगवान
36 ईश्वरः वह जो बिना किसी सहायता के कु छ भी कर सकता है
37 स्वयम्भूः वह जो खुद से प्रकट होता है
38 शम्भुः वह जो शुभ करनेवाला है
39 आदित्यः अदिति का पुत्र, वामन अवतार
40 पुष्कराक्षः वह जिसकी कमल की तरह आंखें है
41 महास्वनः वह जिसकी गर्जन करने वाली आवाज है
42 अनादि-निधनः He without origin or end
58 लोहिताक्षः Red-eyed
60 प्रभूतस् Ever-full
79 क्रमः All-pervading
94 सर्वदर्शनः All-seeing
95 अजः Unborn
187 गोविन्दः The protector of the 'Go' - means Veda not Cow.
223 समीरणः He who sufficiently administers all movements of all living creatures
232 अहः संवर्तकः He who thrills the day and makes it function vigorously
259 वृषपर्वा The ladder leading to dharma (As well as dharma itself)
289 सत्यधर्मपराक्रमः One who champions heroically for truth and righteousness
315 क्रोधकृ त्कर्ता He who generates anger against the lower tendency
332 वासुदेवः Dwelling in all creatures although not affected by that condition
333 बृहद्भानुः He who illumines the world with the rays of the sun and moon
348 पद्मगर्भः He who is being meditated upon in the lotus of the heart
356 शरभः One who dwells and shines forth through the bodies
381 विकर्ता Creator of the endless varieties that make up the universe
419 परमेष्ठी One who is readily available for experience within the heart
The non-knower (The knower being the conditioned soul within the
482 अविज्ञाता
body)
क्रमांक नाम अनुवाद
483 सहस्रांशुः The thousand-rayed
499 शरीरभूतभृत् One who nourishes the nature from which the bodies came
महर्षिः
531 He who incarnated as Kapila, the great sage
कपिलाचार्यः
532 कृ तज्ञः The knower of the creation
He who absorbs the whole creation into His nature and never falls
552 संकर्षणोऽच्युतः
away from that nature
559 भगहा One who destroys the six opulences during pralaya
One who is the master of all vidyas and who is unborn through a
573 वाचस्पतिरयोनिजः
womb
597 निवृतात्मा One who is fully restrained from all sense indulgences
621 विधेयात्मा One who is ever available for the devotees to command in love
707 सुयामुनः One who attended by the people dwelling on the banks of Yamuna
713 दर्पदः One who creates pride, or an urge to be the best, among the righteous
748 मानदः One who causes, by His maya, false identification with the body
751 त्रिलोकधरक् One who is the support of all the three worlds
759 सर्वशस्त्रभृतां वरः The best among those who wield weapons
762 व्यग्रः One who is ever engaged in fulfilling the devotee's desires
768 चतुर्गतिः The ultimate goal of all four varnas and asramas
774 निवृत्तात्मा One whose mind is turned away from sense indulgence
785 तन्तुवर्धनः One who sustains the continuity of the drive for the family
818 सुव्रतः One who has taken the most auspicious forms
820 शत्रुजित् One who is ever victorious over His hosts of enemies
870 सत्यधर्मपराक्रमः One who is the very abode of truth and dharma
871 अभिप्रायः One who is faced by all seekers marching to the infinite
884 सविता The one who brings forth the Universe from Himself
919 क्षमिणांवरः One who has the greatest amount of patience with sinners
927 वीरहा One who ends the passage from womb to womb
966 जन्ममृत्युजरातिगः One who knows no birth, death or old age in Himself
The tree of the three worlds (bhoo=terrestrial, svah=celestial and
967 भूर्भुवःस्वस्तरुः
bhuvah=the world in between)
974 यज्ञांगः One whose limbs are the things employed in yajna
981 यज्ञान्तकृ त् One who performs the concluding act of the yajna
One who sings the sama songs; one who loves hearing saama
988 सामगायनः
chants;
क्रमांक नाम अनुवाद
989 देवकीनन्दनः Son of Devaki
One who has the wheel of a chariot as His weapon; One with the
998 रथांगपाणिः
strings of the chariot in his hands;
1000 सर्वप्रहरणायुधः He who has all implements for all kinds of assault and fight
सन्दर्भ
1. Vijaya Kumar, The Thousand Names of
Vishnu
बाहरी कड़ियाँ
विकीसोर्स पर विष्णुसहस्रनाम का संपूर्ण पाठ (http
s://web.archive.org/web/201112130113
15/http://wikisource.org/wiki/%E0%A4%
B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8
0%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B
7%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A5%8
1%E0%A4%B8%E0%A4%B9%E0%A4%B
8%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A
8%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%B
8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8
B%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B
0%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E2%80%8
C)
श्री विष्णु भगवान से संबंद्धित जानकारी
"https://hi.wikipedia.org/w/index.php?
title=विष्णु_सहस्रनाम&oldid=5964185" से प्राप्त