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जय हो पोद महाराज की ,बडे है इनके काज ,

कम करवाना हो जनसँखया, पहुचे पास ही आज


बुर ही कमबखत है दोसतो ,population का राज
असल मूल जब जान गए तो सुनो चालीसा आज ,
शुर हो रही पोद चालीसा ,सुनो पकड के कान
सुने जो इसको तन मन धन से ,िमले उसे भगवान्
बुर के पहले पोद जगत मे,था अिसततव मे आया
पढ़े एक बार जो पोद चालीसा ,पाता पोद सुख भाया
सुबह शाम जो पोद चोदता ,जग मे नाम कमाए ,
बीवी खुश होकर ए भकतो, पितगान ही गाये
रहता है जो भर िदन पोद मे ,कहते उसको दादा
करे काम जो ऐसा उसकी ,बनी रहे मयादा
िबन चोदे कभी पोद को ,न होत जगत का काम
सुबह शाम जो पोद चोदता ,उससे खुश रहता भगवान्
सुनो सुनाता हँू मै तुमको ,पोदराज की कहानी
लंड बना था िजसमे राजा ,पोद बनी थी रानी
सवप मे एक िदन देवराज था मानव से िमलने आया
मानव ने एक chance पापत कर ,अपनी वयथा सुनाया
बुर चोदते उब गया हँू ,भगवन नया माल िदलवाओ
भगवन बोले जाओ बेटा पोद चोद के आओ
पाया सुख मानव ने ऐसा ,जैसा कभी नही सुख पाया
अगले िदन से मानव का बुर मे interest नही आया
जो खुश करता पोदराज को िदखा के अपना लंड
देते ऐसा आशीवाद पोद जी ,िमट जाता सब दंड
याद करो कता-धता ने सृिष कयूँ है रचाई
िदया लंड मानव को उसने ,पोद िगफट मे भाई
िगफट पोद को देखकर ,मिहला मे इषया आई
मानव को बहलाकर उसने अपनी पयास बुझाई
पैदा हुए तब बचचे सारे ,और बढ़ी जनसँखया
धीरे-धीरे बंद हो गया बजना पोद का डंका
उलझे रहे लोग अब बुर मे पोद नही िदखता था
यही कारण मानव मानव का पोद नही छू ता था
जो रची चालीसा 'िवमल' ने तो ममर समझ मे आया
जो भी पढ़ा ये पोद चालीसा तुलय सवगर सुख पाया
पपपपपप--
सुनते है पर मानव इसको ,पर िकसको कया है करना
चुदवाएगा पोद कौन ,और कौन बनेगा पोद चोदना
पपपपप--
उतम पश है तुमने पूछा, उतर भी अचछा है,
अचछी लगे चालीसा िजसको ,उसका चुदवाना अचछा है
िजसको लगे कमी कुछ इसमे, वो बन जाए चोदक
अगली बार जब पढ़े चालीसा ,पहले खाए मोदक
"जय हो पोदूराज की ,आपने है वो कर िदखलाया
इस country को आपने ,population से बचवाया
आपने ही pollution condom को दूर यहा से भगाया
country ने भी समझ बूझकर ,"NO ENTRY" बूर पे लगाया" ||
"िवमल"

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