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पार्वती जी ने भगवान शंकर जो समाधि में लीन रहना पसंद था, वैराग्य
जीवन जिनको पसंद था , ऐसे भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के
लिये कठोर तप किया ,उनकी आराधना की, सब प्रकार से दख
ु ों को सहते
हुए शिव को अपने प्रियतम के रूप में पाने पर अडिग रही, किस प्रकार
उनके आराध्य दे व ने उनके प्रेम की परीक्षा ली और अंत में कैसे उनकी
अदम्य निष्ठा की जीत हुई इसका हृदयग्राही तथ मनोरम
वर्णन पार्वती मंगल पाठ में है ।
माता पार्वती दर्गा
ु दे वी का ही रूप है । माता पार्वती की पज
ू ा करने से दांपत्य
जीवन में सुख मिलता है । घर में सुख सौभाग्य की वद्धि
ृ होती है । श्रावण
मास में पार्वती जी का व्रत करने से जीवन के सभी कष्ट दरू होते हैं और
पारिवारिक जीवन सुखद और मंगलमय होता है । पार्वती मंगल पाठ करने
से सौभाग्य में वद्धि
ृ होती है ।