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लयः

संथारो चालै सुवटी बाई रो देखो जोर सुवटी बाई रो बडी जोर, संथारो, सुवटी बाई रो
बडी जोर

१.तन रो अब कोई काम नही है, मन रो अब कोई नाम नही है


चचत रो चानचियो नकोर, संथारो चालै---

2. चेहरे पर समता दीपावै, देख देख सगला चकरावै,


रोटी चबना रो ककसयो शोर, संथारो चाले..

3.के इ एक इि नै समझ न पावै, के इ एक नही समझिो चावै


बुच् नै देवै झकझोर, संथारो चालै- ---

4.पािी शच् लावै कठा सययं, मन मे भच् आवै कठा सययं


ओ ही समझिो है घोर, संथारो .

5. जययं दरखत री डाल पडी है, तययं काया कं काल पडी है


सांसा री थामयोडी डोर, संथारो चालै ..

6.आती जाती सांस बतावै, ऊमर घटती घटती जावे


करिो सो करलयो थे और, संथारो चालै..

7.आतमा रो बल सहामै जोओ, समता से बल आं मे जोओ


मयरत लागै मनोर, संथारी चालै---

8. पातः तुलसी दरसि पाया, "साची आया' सवयं बताया


धनय हई थांरी भोर,संथारो चालै…
महै मांजी रे गौरव जीवन री यादां आज सुिावां
यादां आज सुिांबा बांरा गुि गौरव गावां

१.मांजी रै मन अिसि कर तपिे री मन मे आई


बांरी ई इच्ा नै गुर चरिां मे जात कराई गुर है तारिहार समिीजी नै झट
चभजवाया॥

२.मांजी रो जीवन धारममक ततवां सययं हो समझोडो


हा सागारी पि आतमा सययं रखता मन नै जोडो
ऊंचा हा संसकार धरम रा जै ही पाठ पढाया॥

३.सरल सवभावी अनास् हा शासिभ् गजब रा


सतयचनिता संतसंगचत मे अनुर् गजब रा
बारहवत धारी बहमचारी बरसा बरस चबताया॥

४.घिो जान कणठसथ रटन तोता जययं नही कराता


रे स खोल खुद समझ समझ औरा ने भी समझाता
राजलदेसर मे रागां रा घिी सुरीला गाया

५.पयिम सजगता सययं सवाायाय जाप मे रहया रमाया


दरस कदया गुर तुलसी खुद अचनतम कदन बे बतलाया
अिसि री महे कांई बतावां भारी रं ग कदखाया॥

६.समिी जी रो योग समाचध मांजी मे गहराई


महां सगलो ने चमली पेरिा गि गिपचत अचधकाई
गुरवर महाशमिी जी रा संदश
े शीश धराया॥
लय : जलला रे ...

सुवटीबाई,अिसि रै झयलै मे सेठां झयलै हो


नही राग - रोष ले'र, समता मे सवा सेर अिसि रै झयलै मे सैठा झयलै हो जी राज...
१.सुवटी बाई, जययं कदन बीते कमम कटक ने जीते हो,
नही मोह परमाद, लेवै संधारे रो सवाद ... अिसि रै …..

२.सुवटीबाई, होले होले आतमततव नै तोलै हो,


देखे तन पपंजर रो जोर, ई मै दम है ककतो और...
अिसन रै ...

३.सुवटीबाई, शु्भाव मे खेवै अपिी नैया हो,


कदखे ककनारो आंखया साम, नही नीद रो कोई काम...
अिसि रै ...

४.सुवटी बाई, जागै अनदर बाहर जययं बो नाहर हो,


थांरै साहस री हंकार, कमम भागै पीठ कदखार...
अिसि रै ...

५.सुवटी बाई, मन रो शोधन गुरवर रो उदोधन हो,


अपिी शच् पहचाि, चखि-चखि राखो इि रो ायान....
अिसि रै ---

६.सुवटी बाई, महानै गुरवर भेजया थांरै ताई हो,


घिो सुिावां महै सवाायाय, भजन, जाप, गीतां रे मांय...
अिसि रै ...
लय: घोडी ए घुघरा बजावे.

सयवटी बाई आतम भाव मे रचह जयो, पुदल सुख मे मत बचहजयो जी


थे आतमभाव मे रचहजयो...
कु ् दरसावै तो कचहजयो जी, थे आतममाव...
अिसि मे सैठा रचहजयोजी, पुदल सुख मे मत बचहजयो--

1. भव ककनहा अगि अननता, बीतायो काल रमनता जी,


जनमां जनमां तक पोषयो, तो भी नही तन संतोषयो जी... थे आतमभाव--

2 चेतन पुदल संयोगे, पािी करमा नै भोगै जी,


दोनयां री हए जुदाई, चेतन री हए सफाई जी... थे आतमभाव मे...

3.भगवन् भाखयो सगलां नै, पि मयढ सुिे नही बां नै जी,


चबरला सुवटी बाई होवै, जो अिसि मारग जोवैजी,

4.कायर सययं भरयो जगत मे ,संसारयां री चलगत है जी


इक बयंद शहद नै पावि, लागया है जनम गमावि जी...थे आतमभाव--

5.परसै पररवार से मेलो, चबजली झबकारै खेलो जी,


आतमा से सुख अचवनाशी, चमचलयां पा्ो नही जासीजी... थे आतमभाव ....

6.ओ ततव सदा थे धारयो, तब ही संथारो संवारयो जी,


थोडे कषां री बातां, प्ै /पच्े सारी सुखसाताजी... थे आतमभाव ...

7.झयझि नै वार रै वोला जीति री बाट बैवोला जी


महावीर रा वंशज आपा, कययं कायरता ने थापां जी---

8.राखो पुरषाथम जगायो, भारणड रो नाम चगिायोजी,


इक पल परमाद न होिो, कषां साहस कययं खोिो जी...

9.चजि मजबयती सययं झालयो उि नै मजबयत बिालयो जी,


अब नेडो कदखे ककनारो, नावडली पार उतारो...
लयः बधजयो रे चेजारा. ..

काढयो थे सखरो शरीर रो सार,


ओ हाड मांस रो पयतलो जी महारा राज ततवजान सययं पेली चचत तपा'र,
तैयार करयो इिनै भलो जी महारा राज..

१.कलतो रलतो ओ जीव गयो कई बार, नरकां चतररयंचा मांयने जी …


बणया सजग चजनशासन श्ाधार,
ओ ठावो रठकािो पायनै जी...

२.चमनख जमारे समझि चोखी थाय, चहत-अचहत समझ मे आ सके जी…आतमचहत


करिे रो जागै चाव,
अनशन सुवटी बाई पा सके जी…

३.कष हए जद सोचो मन रे मांय,


देखो नरको सययं तोल नै जी...
आ वेदन तो चतल राई रै समान,
सह लेसयो समता खोल नै जी…

४.राग-देष दो बीज कमम रा जाि,


नुवां मत बांाया आकरा जी महारा .
आतमा री करजयो आ्ी रखवाल बिकर थे ठाडा ठाकरां जी महारा...

५.अब तो थोरै अपमाद भी बात,


प्ाडो मोहनी कमम नै जी महारा,
बिसी थांरी धमम संघ मे खयात,
सगला जािैला ममम नै जी महारा..
राग-पीपली

चधन चधन सुवटीबाई आपने जी,


होजी कोई, चधन चधन तप रो तेज।
चधन चधन थांरी शयरी आतमा जी
होजी चधन चधन आतमा रो हेज ॥

1. ततवजान ने झीिो ओलखयोजी, होजी ककयो जीवन मे साकार ।


संत सतयां री संगत बैठतांजी, होजी पोषया संयम रासंसकार ॥
2. चसखया थोकडा थे तो थोक मे जी, होजी घालयो औरो मे भी जान ।
जो भी थांरै नेडा आंवता, होजी देता पेरिा वत पचखाि ॥

3. चसखयो चसखायो मन मे धारीयोजी, होजी काटि नै करम चटान ।


मयल चमटािो लकय सुहाविो जी, होजी करयो बी मारग उतथान ॥

4. माखि तापै तो बरतन तपै जी, होजी बी रो सार चमले घृत रप ।


आतमा तापि तन तपिो पडैजी, होजी बीरो सार चनरजरा रप ।।

5. तन नै तपायां होसी वेदना जी, होजी ओ तो है पुदल रो धमम ।


अनतर दृचष उघाडी समझिो जी, होजी आतमा रो उं डो ममम ॥

6.संवर चनरजरा दोनयं ओलखया जी, होजी सांसां रो कालो सार ।


तीजो मनोरथ पयरयो देखतां जी, हाजी आतम बल चलयो जगार ॥

7. करां कामना झट थे पावजयो जी, हो जी, आतमा रो शु् सवरप ।


चस् शरि मे बासो आपरोजी, होजी बिजयावो बु् अनयप ॥
लय : वारी जाऊ

ऊंचे भावां आदरयो थे संथारो सुखकार चभकु संघ मे ...

1.जीवन थांरो उजलो - २ जययं समदर रा मोती


गुर ककरपा सययं चनशकदन जलसी श्ा री आ जयोचत
चभकु - २ नाम सययं होसी चनच्त चनसतार

2.ओम अहमम - २ ॐ सुदढृ कवच बनावो आतमा चभन शरीर चभन है भेदजान ओ पावो
नही सहारो दयसरो ओ ले जासी भवपार

3.अररहनता री शरि सदा है. चस् लकय आतमा रा


गुर आपांिा बिै पेरिा भव सययं तारिहारा
सजगता यांरी भली जुडसी अनतर सययं तार

4.मन मे समता तन मे समता, समता मे रम जयाओ


मंचजल थारे पगां खडी है आतमशच् जगाओ
बडभागि सुशाचवका (सयवटीबाई) थे चलनहो जश अिपार"
लयःसपनो

सुवटी बाई, सैठा थे रचहयो ओ


नाव ककनारो देखती, संभल राखया पतवार….

1. चेतन तन रो योग है, कमम काटि नै साथ।


शच् अनतर री बटोर नै, बि जयावो अपिा नाथ ॥

2.आतमा तो शु् सवरप मे, जान अननत धराय ।


सुख शाशत आननद है(रे ), खोज चनकालो घट मांय ।।

3. चेतन जड सययं जयझतो(रे ), चेतन शयर कहाय ।


मन कायर करसो नही (रे ) जड ने थे दो च्टकाय ।

५. 4 भयख चतरखा तो सतावसी (रे )ओ तो शरीर सभाव ।


मेर सो मन ने बिाय ने (रे ) जीतिो अचनतम दांव ॥

5. जो भी इडा पीडा वेदना( रे ), आतमा नै नही थाय ।


हू ्य ं चनराली आतमा (रे )कष नही ्य पाय ॥

6. हर घडी हर पल चचनतवो (रे ) सुवटी बाई कदनरात ।


महै तो आननद भरी आतमा (रे )पुदल री कोई चबरात ॥

7. तन रै बंधि सययं ्य टिो (रे ), बंधिो न पा्ो मोर ।


वक गचत नै टालिी (रे ) ऋजुगचत ओर र ्ोर "

8. समता रै झयलै झयलता (रे ), मोह रा तार कं पाय ।


महारो न महे ककिरी बियं(रे ) एक लगन,लागै मांय ॥

9 केष चवदेह चवराजता (रे ),ायान लगाओ इकधार।


तीथमकर दशमि करं (रे ), सफल बिै संथार ॥
लय: महावीर पभु के ...

शाचवका सयवटीबाई ने अदभयत साहस कदखलाया है.


ऊूचे भावो से अनशन कर जीवन को धनय बनाया है॥

चजनवािी से सीचा मन को वत संयम से सीचा तन को


तन नशर आतमा अचवनाशी यह भेद समझ मे आया है॥

बचपन मे श्ा पुष बनी यौवन मे बारहवत धारि


ततवज शाचवका से शोचभत गुर आशीवमर सुखसाया है॥

बढते पररिामो से पचखा संथारा पयिम सजगता से


अचनतम तक पयिम सजगता हो यह अवसर सुनदर पाया है॥

ना राग वदेष अब ्ु पाये ना मोह चवकार लहर आये ,


समता की शयया मे सोना बाकी सारी तो माया है॥

• हर सांस शरि अरहतो की गुरदेव देव भगवनतो की ,


हो मु् कषायो से चेतन ऐसा पुरषाथम जगाया है॥

धनककशन नरे न् चनममला जी पुषपा पयजा सुदश


े हरषमत ,
समिीवदय ने गुर दुचष से अनशन चतचवहार कराया है ,
चबना पमोद भी साकी है, अनशन चतचवहार कराया है
लय:~मयमल

ततवजानी शाचवका अचनतमवय मे लीनहो सार चनकाल।

•चढते पररिामां सययं अनशन आदरयो बाजनता ढोला सययं पार लगाइजयो ।

•तन के घर मे चेतन रो चनवास है-२


पंखी उचडया लारै रहसी पपंजरो..

•पुदल सुख मे दुःख रा कटु क फल मोकला - २


शाशत सुख थे पासयो मोक मझार ओ

•आतमा सययं जद जुडसी आतमा रो तार हो -२


होसी थांरो थांरै घर मे वास हो..

•चवरला ही पावै समाचधमरि रो योग हो


थे चपि पायो अवसर ओ अनमोल हो

•दीपै थांरो अजब गजब संथार हो बचलदानां सययं गि मजबयती पायसी

•थे सौभागी पायो तेरापंथ हो - 2


साध सतयां री ककरपा थे पाई सौगुिी

•गुरवर री ककरपा सययं ठाट सुहाविो


याद करी ने करजयो शासन री सेव

•संघ समरपमत सारो ओ पररवार हो -2


थांरो अिसि कु ल पर कलश चढाचवयो

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