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उतम संतान पािि ह ेत ु

मानव को शुभ योगो का लाभ लेना चािहए व अशुभ योगो से बचना चािहए।
ििसमबर 2008 से गुर-राहू का ‘चाणडाल योग’ शुर हो रहा है , इसिलए 1 माचच 2008 से
20 अपैल 2009 तक गभच (पेगनॅििस) न रहे इसका धयान रखे। इस कालखणड के बीच
मे 20 अगसत 2008 से 5 अकूबर 2008 तक का समय गभध
च ारण (पेगनॅििस) के िलए
अचछा है । इस काल मे गभध
च ारण का पयत कर सकते है । 20 अपैल 2009 के बाि का
समय भी गभध
च ारण के िलए अचछा है । 20 अगसत 2009 से 20 जनवरी 2010 तक का
काल गभध
च ारण हे तु अित उतम है ।
िजसकी जिमकुणडली मे तीव चाणडाल योग हो व अिय शुभ गहो की िसिित
ठीक न हो तो उसके अशांत व शारीिरक-मानिसक पीडा से गसत होने की संभावना
रहती है । ििर भी यिि अनुिचत समय मे गभच रह जाय तो गभप
च ात न करके आने
वाले बालक के कलयाण के िलए पािन
च ा, पूजा, रामायण आिि का पाठ, जप, अनुषान
करे ।
अपने यहाँ सवसि, तंिरसत और पुणयातमा बालक का जिम हो इस हे तु सभी
िमपितयो को जप, अनुषान, रामायण एवं शी गुरगीता का पाठ करके गभाध
च ान करना
चािहए।
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