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रोग मु होना है, तो हम योग की शरण म जाना

ही होगा। योग का मतलब है योगासन। इसिलए


आसन कर, िनरोग रह और खुश रह।

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योग ा ह?
योग सही तरह से जीने का िव ान है और इस िलए इस दै िनक जीवन म शािमल
िकया जाना चािहए। यह के सभी पहलु ओं पर काम करता है : भौितक,
मानिसक, भावना क, आ क और आ ा क।
योग का अथ 'एकता' या 'बां धना' है । इस श की जड़ है सं ृ त श 'युज',
िजसका मतलब है 'जुड़ना'। आ ा क र पर इस जुड़ने का अथ है
सावभौिमक चेतना के साथ गत चेतना का एक होना। ावहा रक र पर,
योग शरीर, मन और भावनाओं को सं तुिलत करने और तालमे ल बनाने का एक
साधन है । यह योग या एकता आसन, ाणायाम, मु ा, बँध, षट् कम और ान के
अ ास के मा म से ा होती है । तो योग जीने का एक तरीका भी है और अपने
आप म परम उ े भी।
योग सबसे पहले लाभ प ँ चाता है बाहरी शरीर (िफिज़कल बॉडी) को, जो ादातर
लोगों के िलए एक ावहा रक और प रिचत शु आती जगह है । जब इस र पर
असंतुलन का अनुभव होता है , तो अं ग, मां सपेिशयों और नस स ाव म काम नहीं
करते ह, ब वे एक-दू सरे के िवरोध म काय करते ह।
बाहरी शरीर (िफिज़कल बॉडी) के बाद योग मानिसक और भावना क रों पर
काम है । रोज़मरा की िजंदगी के तनाव और बातचीत के प रणाम प ब त से
लोग अनेक मानिसक परे शािनयों से पीिड़त ह। योग इनका इलाज शायद नहीं
दान करता लेिकन इनसे मुकाबला करने के िलए यह िस िविध है ।
योग के लाभ -
शारी रक और मानिसक उपचार योग के सबसे अिधक ात लाभों म से एक है ।
यह इतना श शाली और भावी इसिलए है ोंिक यह स ाव और एकीकरण
के िस ां तों पर काम करता है ।
योग अ थमा, मधुमेह, र चाप, गिठया, पाचन िवकार और अ बीमा रयों म
िचिक ा के एक सफल िवक है , ख़ास तौर से वहाँ जहाँ आधुिनक िव ान

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आजतक उपचार दे ने म सफल नहीं आ है । एचआईवी (HIV) पर योग के भावों
पर अनुसंधान वतमान म आशाजनक प रणामों के साथ चल रहा है । िचिक ा
वै ािनकों के अनुसार, योग िचिक ा तंि का और अंतः ावी तं म बनाए गए
संतुलन के कारण सफल होती है जो शरीर के अ सभी णािलयों और अंगों को
सीधे भािवत करती है ।

योग करने के िनयम


 सूय दय या सूया के व योग का सही समय है ।
 योग करने से पहले ान ज़ र कर।
 योग खाली पेट कर। योग करने से 2 घंटे पहले कुछ ना खाय।
 आरामदायक सूती कपड़े पहन।
 तन की तरह मन भी होना चािहए -- योग करने से पहले सब बुरे ख़याल
िदमाग़ से िनकाल द।
 िकसी शां त वातावरण और सॉफ जगह म योग अ ास कर।
 अपना पूरा ान अपने योग अ ास पर ही कि त रख।
 योग अ ास धैय और ढ़ता से कर।
 अपने शरीर के साथ ज़बरद ी िब ु ल ना कर।
 धीरज रख, योग के लाभ महसूस होने मे व लगता है ।
 िनरं तर योग अ ास जारी रख।
 योग करने के 30 िमनट बाद तक कुछ ना खाय। 1 घंटे तक ना नहाय।
 ाणायाम हमेशा आसान अ ास के बाद कर।
 अगर कोई मेिडकल तकलीफ़ हो तो पहले डॉ र से ज़ र सलाह कर।
 अगर तकलीफ़ बढ़ने लगे या कोई नई तकलीफ़ हो जाए तो तुरंत योग
अ ास रोक द।
 योगा ास के अंत म हमे शा शवासन कर।

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सुबह सूय दय से पहले एक से दो घंटे योग के िलए सबसे अ ा समय है।
अगर सु बह आपके िलए मुमिकन ना हो तो सूया के समय भी कर सकते
ह। इसके अलावा इन बातों का भी ख़ास ान रख:-
 अगर िदन का कोई समय योग के िलए िनधा रत कर ल, तो यह उ म होगा।
 सब आसन िकसी योगा मैट या दरी िबछा कर ही कर।
 आप योग िकसी खुली जगह जैसे पाक म कर सकते ह, या घर पर भी। बस
इतना ान रहे की जगह ऐसी हो जहाँ आप खुल कल साँ स ले सक।

 पेट क िबमा रय म –

1. उ ानपादासन

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2. पवनमु ासन

3. व ासन

4. योगमु ासन

5. भुजग
ं ासन

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6. म यासन

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 िसर क िबमा रय म -
1.सवागासन –

2. शीषासन -

3. च ासन-

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 मधुमह
े के िलए योग –

1. पि मो ानासन–

2. नौकासन -

3. व ासन

4. भुजग
ं ासन

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5. हलासन

6. शीषासन

 वीयदोष के िलए योग –

1. सवागासन –

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2. व ासन -

3. योगमु ा -

 गले के िलए योग -

1. सु व ासन –

2. भुजग
ं ासन –

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3.च ासन -

 आंख के िलए योग-

1. सवागासन -

2. शीषासन -
3.च ासन-

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4. भुजग
ं ासन -

 ग ठया के िलए योग –

1.पवनमु ासन 2. प ासन

3. सु व ासन –

4. म यासन

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5. उ ासन

 नािभ के िलए योग –


1. धनुरासन

2.नािभआसन

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3.भुजग
ं ासन

 गभाशय के िलए योग –

1. उ ानपादासन
2. भुजग
ं ासन

3. सवागासन 4. ताड़ासन

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 कमर दद के िलए –

1. हलासन

2.भुजग
ं ासन

3. च ासन

4. धनुरासन

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 फे फड़े के िलए –
1. व ासन

2. म यासन

3. सवागासन

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 यकृ त के िलए –
1.लतासन -

2.पवनमु ासन

3.यानासन –

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 गुदा,बवासीर,भंगदर आ द म –

1.उ ानपादासन
2.जानुिशरासन -

3.यानासन –

4. सवागासन –

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 दमा के िलए-
1.सु व ासन -

2.म यासन -

3.भुजग
ं ासन –

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 गैस के िलए-

1.पवनमु ासन

2.जानुिशरासन

3.योगमु ा

4.व ासन

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 जुकाम के िलए–
1.शीषासन

2.सवागासन

3.हलासन

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 मानिसक शांित के िलए –
1.िस ासन

2.योगासन

3.योगमु ासन

4.शतुरमुगासन

5.खगासन

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 रीढ़ क ह ी के िलए –
1. सपासन -

2.पवनमु ासन

3.शतुरमुगासन –

4. सवागसम –

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 ग ठया के िलए –
1.पवनमु ासन -

2. ताड़ासन -

3. साइ कल संचालन

 गुद क बीमारी म –

1.हलासन

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2.व ासन

3. पवनमु ासन 4.सवागासम

 गले के िलए
सपासन

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हलासन

योगमु ा

सवागासन

 दय रोग के िलए –

शवासन -

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साइ कल संचालन

िस ासन

 र चाप के िलए–
1.योगमु ासन

2.िस ासन

3.शवासन

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4.शि संचालन

 मोटापा घटाने के िलए–


1.पवनतु ासन

2. नािभ आसन

3.सवागासन 4.व ासन

5.सपासन

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 बाल के िलए –
1.व ासन

2.सवागासन 3.सपासन

4.शतुरमुगासन

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 लीहा के िलए-
1.यानासन

2. नािभ आसन

3.सवागासन
4.हलासन

 कद बड़ा करने के िलए-


1.धनुरासन

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2. ताड़ासन 3.च ासन

4.नािभ आसन

5.शि संचालन

 कान के िलए–
1.सवागासन 2.सपासन

3.धनुरासन

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4.च ासन

 न द के िलए–
1.सवागासन 2.सपासन

3.योगमु ासन

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4. नािभ आसन

5. सु व ासन

 योग करने क िविध –

उ ानपादासन -

 जमीन पर आराम से लेट जाएं और पांव फै ला ल। पैर क बीच दुरी नह होनी


चािहए।
 हाथ शरीर के िनकट रखे रहने द।
 सांस लेते ए पांव को मोड़े बगैर धीरे -धीरे 30 िड ी पर उठाएं।
 धीरे धीरे सांस ल और फर धीरे धीरे सांस छोड़े और इसी मु ा म रह।
 ल बा सांस छोड़ते ए दोन पांव नीचे लाएं।
 यह च आ।
 इस तरह से आप 3 से 5 च कर।

पवनमु ासन

 सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं।


 दोन पैर को फै लाएं और इनके बीच क दुरी को कम कर।
 अब दोन पांव उठाएं घुटने मोड़।
 घुटन को बांह से घेर ल।

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 सांस छोड़े, घुटन को दबाते ए छाती क ओर लाएं। िसर उठाएं तथा घुटन
को छाती के िनकट लाएं िजससे ठोड़ी घुटन को पश करने लगे।
 जहाँ’ तक स भव हो सके इस मु ा को मे टेन कर।
 फर सांस लेते ए पैर को जमीन पर लेकर आएं।
 यह एक च आ।
 इस तरह से आप 3 से 5 च कर।

व ासन

िबछे ए आसन पर दोन पैर को घुटन से मोड़कर एि़डय पर बैठ जाय। पैर के
दोन अंगूठे पर पर लगे रह। पैर के तलव के ऊपर िनत ब रह। कमर िब कु ल सीधी
रहे, दोन हाथ को कु हिनय से मोड़े िबना घुटन पर रख द। हथेिलयाँ नीचे क ओर
रह। दृि सामने ि थर कर द। पाँच िमनट से लेकर आधे घ टे तक व ासन का
अ यास कर सकते ह। व ासन लगाकर भूिम पर लेट जाने से सु व ासन होता है।

योगमु ासन

प ासन लगाकर दोन हाथ को पीठ के पीछे ले जाय। बाय हाथ से दािहने हाथ क
कलाई पकड़। दोन हाथ को ख चकर कमर तथा रीढ़ के िमलन थान पर ले जाय।
अब रे चक करके कु भक कर। ास को रोककर शरीर को आगे झुकाकर भूिम पर टेक
द। फर धीरे -धीरे िसर को उठाकर शरीर को पुनः सीधा कर द और पूरक कर।

भुंजगासन

 आप सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं।


 अब अपने हथेली को कं धे के सीध म लाएं।
 दोन पैर के बीच क दुरी को कम कर और पैर को सीधा एवं तना आ रख।
 अब साँस लेते ए शरीर के अगले भाग को नािभ तक उठाएं।
 यान रहे क कमर पर यदा खंचाव न आये।
 अपने िहसाब से इस आसान को बनाए रख।

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 योगा यास को धारण करते समय धीरे धीरे वाँस ल और धीरे धीरे वाँस
छोड़े।
 जब अपनी पहली अव था म आना हो तो गहरी वाँस छोडते ए ारि भक
अव था म आएं।
 इस तरह से एक च पूरा आ।
 शु वाती दौर म इसे 3 से 4 बार कर।
 धीरे धीरे योग का धारण समय एवं च क नंबर को बढ़ाएं।

म यासन

 साधक सबसे पहले प ासन म बैठ जाएं।


 धीरे -धीरे पीछे झुक और पूरी तरह पीठ पर लेट जाएं।
 बाएं पांव को दाएं हाथ से पकड़े और दाएं पांव को बाएं हाथ से पकड़।
 कोहिनय को जमीन पर टका रहने द।
 घुटने जमीन से सटे होनी चािहए
 अब आप सांस लेते ए अपने िसर को पीछे क ओर लेकर जाएं।
 या हाथ के सहायता से भी आप अपने िसर को पीछे गदन क ओर कर सकते ह।
 धीरे धीरे सांस ल और धीरे धीरे सांस छोड़े।
 इस अव था को अपने िहसाब से मे टेन कर।
 फर लंबा सांस छोड़ते ए अपने आरि भक अव था म आएं।
 यह एक च आ।
 इस तरह से आप 3 से 5 च कर।

सवागासन

 सबसे पहले अपनी पीठ के बल सीधे लेट जाएं।


 धीरे – धीरे अपने पैर को 90 िड ी पर ऊपर उठाएं।
 धीरे से िसर को अपने पैर क तरफ लाने का यास कर।
 आपक ठोड़ी सीने से सटा कर रख।
 30 सेकंड या उससे अिधक के िलए मु ा को बनाए रखने के िलए यास कर।
 और फर धीरे – धीरे पूरानी ि तथी म वापस आ जाएँ।

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 यह एक च आ।
 इस तरह से आप 5 च कर।

शीषासन

 सबसे पहले आप अपने योग मैट के आगे बैठ जाए।


 अब आप अपने अंगिु लय को इ टलाक कर और अपने िसर को उस पर रख।
 धीरे धीरे अपने पैर को इ टलाक अंगुिलय का मदद लेते ए ऊपर उठाय और
इसे सीधा करने क कोिशश कर।
 शरीर का पूरा भार अब आप इ टलाक कये ए अंगुिलय और िसर पर ल।
 इस अव था म कु छ देर तक क और फर धीरे धीरे घुटन को मुड़ते ए पैर
को नीचे लेकर आय।
 यह एक च आ।
 आप इसे 3 से 5 बार कर सकते ह।

पि मो ानासन

 सबसे पहले आप जमीन पर बैठ जाएं।


 अब आप दोन पैर को सामने फै लाएं।
 पीठ क पेिशय को ढीला छोड़ द।
 सांस लेते ए अपने हाथ को ऊपर लेकर जाएं।
 फर सांस छोड़ते ए आगे क ओर झुके।
 आप कोिशश करते ह अपने हाथ से उँ गिलय को पकड़ने का और नाक को घुटने
से सटाने का।
 धीरे धीरे सांस ल, फर धीरे धीरे सांस छोड़े
 और अपने िहसाब से इस अ यास को धारण कर।
 धीरे धीरे इस क अविध को बढ़ाते रहे।
 यह एक च आ।
 इस तरह से आप 3 से 5 च कर।

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नौकासन

 सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाए।


 आपके हाथ जांघ के बगल हो और आपक शरीर एक सीध म हो।
 अपने शरीर को ढीला छोड़े और सांस पर यान द।
 अब आप सांस लेते ए अपने िसर, पैर, और पुरे शरीर को 30 िड ी पर उठाय।
 यान रहे आपके हाथ ठीक आपके जांघ के ऊपर हो।
 धीरे धीरे सांस ल और धीरे धीरे सांस छोड़े, इस अव था को अपने िहसाब से
बनाये रख।
 जब अपने शरीर को नीच लाना हो तो लंबी गहरी सांस छोड़ते ए सतह क
ओर आय।
 यह एक च आ और शु वाती दौड़ म 3 से 5 बार कर।
 एक दूसरी तरीका नौकासन का है िजसम आप अपने िसर और पैर को सांस लेते
ए 45 िड ी पर उठाते ह एवं शरीर को V आकर का बनाते ह। इसको
एडवां ड नौकासन म रखा जाता है।
 अपने िहसाब से इस ि थित को धारण कर।
 फर सांस छोड़ते ए धीरे धीरे जमीन क ओर आय।

हलासन

 पीठ के बल लेट जाएं और हाथ को जांघ के िनकट टका ल।


 अब आप धीरे -धीरे अपने पांव को मोड़े बगैर पहले 30 िड ी पर, फर 60
िड ी पर और उसके बाद 90 िड ी पर उठाएं।
 सांस छोड़ते ए पैर को पीठ उठाते ए िसर के पीछे लेकर जाएं और पैर क
अँगुिलय को जमीन से पश कराय।
 अब योग मु ा हलासन का प ले चूका है।
 धीरे धीरे सांस ल और धीरे धीरे सांस छोड़े।
 जहाँ तक संभव हो सके इस आसन को धारण कर।
 फर धीरे धीरे मूल अव था म आएं।
 यह एक च आ।

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 इस तरह से आप 3 से 5 च कर सकते ह।

सु व ासन

 सबसे पहले आप व ासन म बैठ जाएं।


 कोहिनय (Elbows) का सहारा लेते ए धीरे -धीरे पीछे क ओर झुक और
कोहिनय को जमीन पर टका द।
 हाथ को धीरे -धीरे सीधे फै लाएं और िसर के पीछे क ओर ले जाएं
 अब कं ध को जमीन पर टकाते ए एवं घुटन को एक साथ रखते ए पीठ के
बल लेट जाएं।
 हाथ को कची क आकृ ित बनाते ए कं ध के नीचे लेकर आएं।
 धीरे धीरे सांस ल फर धीरे धीरे सांस छोड़े।
 अपने िहसाब से इस अव था को बनाएं रख।
 फर धीरे धीरे अपने आरं िभक अव था आ जाएं।
 यह एक च आ।
 इस तरह से आप 3 से 5 च कर सकते ह।

प ासन

 जमीन पर बैठ जाएं।


 दायां पांव मोड़ तथा दाएं पैर को बा जांघ के ऊपर तथा कू ह ए के पास रख।
 यान रहे दा एड़ी से पेट के िनचले बाएं िह से पर दबाव पड़ना चािहए।
 बायां पांव मोड़ तथा बाएं पैर को दा जांघ के ऊपर रख।
 यहां भी बाइ एड़ी से पेट के िनचले दाएं िह से◌े पर दबाव पड़ना चािहए।
 हाथ को ानमु ा म घुटन के ऊपर रख।
 रीढ़ क ह ी को सीधी रख।
 धीरे धीरे सांस ल और धीरे धीरे सांस छोड़े।
 अपने िहसाब से इस अव था को बनाएं रख।
 आप इसक अविध को 1 िमनट से लेकर 1 घंटे तक बड़ा सकते ह।
 फर धीरे धीरे आप अपनी आरं िभक अव था म आ जाएं।

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उ ासन

 सबसे पहले आप फश पर घुटन के बल बैठ जाएं या आप व ासन म बैठे।


 यान रहे जांघ तथा पैर को एक साथ रख, पंजे पीछे क ओर ह तथा फश
पर जमे ह ।
 घुटन तथा पैर के बीच करीब एक फु ट क दूरी रख।
 अब आप अपने घुटन पर खड़े हो जाएं।
 सांस लेते ए पीछे क ओर झुक और अब दा हथेली को दा एड़ी पर तथा
बा हथेली को बा एड़ी पर रख।
 यान रहे क पीछे झुकते समय गदन को झटका न लगे।
 अंितम मु ा म जांघ फश से समकोण बनाती ई ह गी और िसर पीछे क ओर
झुका होगा।
 शरीर का वजन बांह तथा पांव पर समान प से होना चािहए।
 धीरे धीरे सांस ले और धीरे धीरे सांस छोड़े।
 जहाँ तक हो सके अपने िहसाब से मु ा को मे टेन कर।
 और फर लंबी गहरी सांस छोड़ते अपनी आरं िभक अव था म आएं।
 यह एक च आ।
 इस तरह से आप इसको पांच से सात बार कर सकते ह।

धनुरासन

 सबसे पहले आप पेट के बल लेट जाए।


 सांस छोड़ते ए घुटन को मोड़े और अपने हाथ से टखन को पकड़े।
 सांस लेते ए आप अपने िसर, चे ट एवं जांघ को ऊपर क ओर उठाएं।
 अपने शरीर के लचीलापन के िहसाब से आप अपने शरीर को और ऊपर उठा
सकते ह।
 शरीर के भार को पेट िनचले िह से पर लेने क कोिशश कर।
 जब आप पूरी तरह से अपने शरीर को उठा ल तो पैर के बीच क जगह को
कम करने क कोिशश कर।

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 धीरे धीरे सांस ले और धीरे धीरे सांस छोड़े। अपने िहसाब से आसन को धारण
कर।
 जब आप मूल ि थित म आना हो तो ल बी गहरी सांस छोड़ते ए नीचे आएं।
 यह एक च पूरा आ।
 इस तरह से आप 3-5 च करने क कोिशश कर।

चं नम कार

 इसे करने के िलए चं क तरफ मुख कर के खड़े हो जाएँ ।


 इसके बाद दोन हाथ को उपर उठाते ए कमर के उपर के िह से को िजतना
पीछे झुका सकते ह, झुकाएं ।
 अब दोन हाथ आकाश क ओर खुले रखे ।
 बीज मं -: ऊँ चं ाय नम: ।

ताड़ासन

 इसके िलए सबसे पहले आप खड़े हो जाए और अपने कमर एवं गदन को सीधा
रख।
 अब आप अपने हाथ को िसर के ऊपर कर और सांस लेते ए धीरे धीरे पुरे
शरीर को ख च।
 खंचाव को पैर क अंगुली से लेकर हाथ क अंगुिलय तक महसूस कर।
 इस अव था को कु छ समय के िलए बनाये रख ओर सांस ले सांस छोड़े।
 फर सांस छोड़ते ए धीरे धीरे अपने हाथ एवं शरीर को पहली अव था म
लेकर आय।
 इस तरह से एक च पूरा आ।
 कम से कम इसे तीन से चार बार ैि टस कर।

यानासन

 सावधान ि थित म खड़े हो जाएं।


 दोन हाथ को पीछे क ओर रख।
 कमर को आगे क ओर झुकाएं।

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 बाय पैर को पीछे क ओर उठाएं।
 पैर का पंजा पीछे क ओर ख चा आ रहे।
 िजतना यादा से यादा पैर को पीछे से उठाएं, उतना उठाने क कोिशश करनी
चािहए।
 सारे शरीर का वजन सीधे पैर पर रहेगा।
 ²ि सामने क ओर रख।
 एक बार ास को बाहर िनकाल कर बाहर ही रोक।
 जब ास लेने क इ छा हो तब ास ले ल।
 ले कन आसन क अव था ि थरता के साथ बनी रहे।
 कु छ समय तथा रोक, उसके बाद पहले वाली ि थित म आ जाएं।
 एक आकृ ि से तीन आकृ ि तक कर।
 तीस सेकड से एक िमनट तक करने का यास कर।
 वायुयान जैसी ि थित होने से इस आसन का नाम यानासन है।

जानुिशरासन

 इस आसन को िनयिमत प से करने से घुटने, पीठ, कमर और टांग क नस व


मांसपेिशयाँ मजबूत हो जाती है| पीठ व मे दंड म लचीलापन लाया जा सकता है
िजससे उनमे होने वाले अिनयिमत दद ख म हो जात है|
 इस आसन ारा सन तं िनरोगी होता है|
 इस आसन ारा वीय स ब धी रोग या दोष ठीक कये जा सकते है|
 मधुमेह के रोग भी दूर कये जा सकते है|
 लीहा, यकृ त, आंत आ द के दोष को ख म कया जा सकता है साथ ही मोटापे क
सम या से भी छु टकारा पाया जा सकता है|
 इस आसन ारा साइ टका का दद भी दूर कया जा सकता है|
 उदर और आमाशय के रोग ठीक कये जा सकते है तथा पाचन तं को मजबूत कया
जा सकता है|
 इस आसन ारा ि य म कामवासना को बढ़ाया जा सकता है तथा ी पु ष के
गु ांग को मजबूत बनाया जा सकता है |
 रीढ़ क ह ी से गुजरने वाली मूल र निलका के िवकार दूर कये जा सकते है|

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िस ासन

 सबसे पहले आप जमीन पर बैठ जाएं।


 बाएं पैर क एड़ी को गुदा से सटाकर रख तथा दाएं पैर क एड़ी को अंडकोष के
नीचे रख। दोन पैर के पंजे जांघ एवं पंडिलय के बीच होने चािहए। हाथ
को घुटन के ऊपर रख।
 यान रहे इस योगा यास के दौरान आपका पूरा शरीर एकदम सीधा होना
चािहए।
 अपनी दृि को नाक क नोक पर क त कर। शु वाती दौड़ म इसको आप कु छ
समय के िलए ैि टस कर ले कन धीरे धीरे इसक अविध को बढ़ाएं और 10
िमनट तक लेकर जाएं।

सपासन

 पैर के तलव ऊपर क ओर तथा पैर के अंगूठे आपस म िमलाकर रख। दोन
हाथ को कोहिनय से मोड़कर दोन हथेिलय को छाती के बगल म फश पर
टका कर रख।
 अब गहरी सांस लेकर िसर को ऊपर उठाएं, फर गदन को ऊपर क ओर
उठाएं, सीने को और फर पेट को धीरे -धीरे ऊपर उठाने का यास क िजए।
 िसर से नािभ तक का शरीर ही ऊपर उठना चािहए तथा नािभ के नीचे से
पैर क अंगुिलय तक का भाग जमीन से समान प से सटा रहना चािहए।
 फर गदन को तानते ए िसर को धीरे -धीरे अिधक से अिधक पीछे क ओर
उठाने क कोिशश क िजए। आख ऊपर क तरफ होनी चािहए।
 सपासन पूरा तब होगा जब आप के शरीर का कमर से ऊपर का भाग िसर,
गदन और सीना सांप के फन के तरह ऊंचा उठ जाएंगे।
 पीठ पर नीचे क ओर कू हे और कमर के जोड़ पर यादा खंचाव या जोर
मालूम पडऩे लगेगा। ऐसी ि थित म ऊपर क तरफ देखते ए कु छ सेकड तक
सांस को रो कए।
 इसके बाद सांस छोड़ते ए पहले नािभ के ऊपर का भाग, फर सीने को और
माथे को जमीन पर टकाएं तथा बाएं गाल को जमीन पर लगाते ए शरीर
को ढीला छोड़ दीिजए।

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ह मु ा योग

ह मु ा योग से पाय िकसी भी बीमारी म तुर ईलाज


हठयोग पर आधा रतइस ंथ को महिष घेर ने िलखा था।
मानव शरीर अन रह ों से भरा आ है। शरीर की अपनी एक मु मयी
भाषा है।
यह शरीर पंच त ों के योग से बना है -
(1) पृ ी, (2) जल, (3) अि , (4) वायु , एवं (5) आकाश

 ान मु ा :
 ान-मु ा िविध: अंगूठे, तजनी (पहली) अंगुली के िसरे पर लगा द। शेष
तीनों अंगुिलयां सीधी रहगी।
 रण-श का िवकास होता है और ान की वृ होती है ,
 पढ़ने म मन लगता है , म के ायु मजबू त होते ह,

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 िसरदद दू र होता है तथा अिन ा का नाश, भाव म प रवतन, अ ा -
श का िवकास और ोध का नाश होता है ।

 वायु मु ा :
वायु मु ा िविध – तजनी अंगुली के अ भाग अगूं ठे के अ म छोर से लगाये
और अंगूठे से धीरे -धीरे दबाये ।
वायु-मु ा का लाभ: वायु शां त होती है । लकवा, साइिटका, गिठया, संिधवात,
घुटने के दद ठीक होते ह।
गदन के दद, रीढ़ के दद तथा पारिकंस रोग म फायदा

होताहै ।

 आकाश मु ा :
आकाश-मु ा िविध: म मा अं गुली को अंगूठे के अ भाग से िमलाय। शेष
तीनों अंगुिलयां सीधी रख।

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आकाश-मु ा का लाभ - कान के सब कार के रोग जैसे बहरापन आिद,
हि यों की कमजोरी तथा दय रोग म अ ािशत लाभ होता है ।
सावधानी: भोजन करते समय एवं चलते-िफरते यह मु ा न कर।

 शू मु ा :
शू -मु ा िविध: म मा अं गुली को मोड़कर अं गु के मूल म लगाय एवं अंगूठे
से दबाय।
शू -मु ा का लाभ: कान के सब कार के रोग जैसे बहरापन आिद दू र
होकर श साफ सुनायी दे ता है ,
मसूढ़े की पकड़ मजबू त होती है तथा गले के रोग एवं थायरायड रोग म
फायदा होता है ।

 पृ ी मु ा :
पृ ी-मु ा िविध: अनािमका (तीसरी) अंगुली को अंगूठे से लगाकर रख।
पृ ी-मु ा का लाभ: शरीर म ू ित, कां ित एवं तेज ता आती है । दु बल
मोटा बन सकता है ,

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वजन बढ़ता है , जीवनी श का िवकास होता है ।
यह मु ा पाचन-ि या ठीक करती है , सा क गु णों का िवकास करती है ,
िदमाग म शां ित लाती है तथा िवटािमन की कमी को दू र करती है ।

 सूया मु ा :
सू य-मु ा िविध: अनािमका (तीसरी) अंगुली को अं गूठे के मूल पर लगाकर
अं गूठे से दबाय।
सू य-मु ा का लाभ: शरीर सं तुिलत होता है , वजन घटता है , मोटापा कम होता
है ।
शरीर म उ ता की वृ , तनाव म कमी, श का िवकास, खून का
कोले ाल कम होता है ।
यह मु ा मधुमेह, िजगर के दोषों को दू र करती है । सावधानी: दु बल
इसे न कर। गम म ादा समय तक न करे ।

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 व ण मु ा :
व ण मु ा िविध: किन ा (छोटी) अंगुली को अंगूठे से लगाकर िमलाय।
व ण मु ा का लाभ: यह मु ा शरीर म खापन न करके िचकनाई बढ़ाती
है , चमड़ी चमकीली तथा मुलायम बनाती है ।
चमरोग, र िवकार एवं जल-त की कमी से उ ािधयों को दू र करती
है ।
मुंहासों को न करती है और चे हरे को सुंदर बनाती है । सावधानी: कफ-
कृितवाले इस मु ा का योग अिधक न कर।

 अपान मु ा :
अपान-मु ा िविध: म मा तथा अनािमका अं गुिलयों को अं गूठे के अ भाग से
लगा द।
अपान-मु ा का लाभ: शरीर और नाड़ी की शु तथा क दू र होता है ।
मल-दोष न होते ह, बवासीर दू र होता है ।
वायु-िवकार, मधुमेह, मू ावरोध, गु द के दोष, दां तों के दोष दू र होते ह।
पेट के िलये उपयोगी है , दय-रोग म फायदा होता है तथा पसीना अिधक
ािवत होने से शरीर के अनाव क त बाहर िनकलते ह।

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 अपानवायु या दय रोग मु ा :
दय-रोग-मु ा िविध: तजनी अं गुली को अंगूठे के मूल म लगायं तथा म मा
और अनािमका अं गुिलयों को अं गूठे के आगे वाले िह े से लगा द।
दय-रोग-मु ा का लाभ: िजनका िदल कमजोर है , उ इसे ितिदन करना
चािहये। िदल का दौरा पड़ते ही यह मु ा कराने पर आराम होता है । पेट म
गै स होने पर यह उसे िनकाल दे ती है । िसरदद होने तथा दमे की िशकायत होने
पर लाभ होता है ।
सीढ़ी चढ़ने से पां च-दस िमनट पहले यह मु ा करके चढ़।

 ाण मु ा :
 ाण-मु ा िविध: किन ा तथा अनािमका अं गुिलयों के अ भाग को अंगूठे से
िमलाय।
 ाण-मु ा का लाभ: यह मु ा शारी रक थकान दू र करती है , मन को शां त
करती है , आं खों के दोषों को दू र करके ोित बढ़ाती है ,

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 शरीर की रोग- ितरोधक श बढ़ाती है , िवटािमनों की कमी को दू र
करती है तथा थकान दू र करके नवश का सं चार करती है ।
 लंबे उपवास-काल के दौरान भूख- ास नहीं सताती तथा चेहरे और आं खों
एवं शरीर को चमकदार बनाती है । अिन ा म इसे ान-मु ा के साथ कर।

 सहज शंख मु ा :
 दोनो हाथों की अं गुिलयों को आपस म फंसाकर हथेिलयां दबाएं । दोनो
अंगूठों को िमलाकर तजनी उं गली को ह े से दबाएं , 15 – 15 िमनट
तीन बार कर।
 इससे हकलाने और तुतलाने की सम ा दू र होगी।

 िलंग मु ा :
िलंग-मु ा िविध: िच के अनुसार मु ी बाँ ध तथा बाय हाथ के अंगूठे को खड़ा
रख, अ अंगुिलयां बं धी ई रख।

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िलंग-मु ा का लाभ: शरीर म गम बढ़ाती है । सद , जुकाम, दमा, खां सी,
साइनस, लकवा तथा िन र चाप म लाभ द है , कफ को सुखाती है ।
सावधानी: इस मु ा का योग करने पर जल, फल, फलों का रस, घी और दू ध
का सेवन अिधक मा ा म कर। इस मु ा को अिधक लंबे समय तक न कर।

 योिन मु ा :
 योिन मु ा िविध – दोनों हाथों की अं गुिलयों का उपयोग करते ए सबसे
पहले दोनों किन ा अं गुिलयों को आपस म िमलाएं और दोनों अं गूठे के
थम पोर को किन ा के अं ितम पोर से श कर। िफर किन ा अंगुलयों
के नीचे दोनों म मा अं गुिलयों को रखते ए उनके थम पोर को आपस
म िमलाएं ।
 म मा अं गुिलयों के नीचे अनािमका अं गुिलयों को एक-दू सरे के िवपरीत
रख और उनके दोनों नाखू नों को तजनी अं गुली के थम पोर से दबाएं ।
शरीर की सकरा क सोच का िवकासकरती है
और म , दय और फफड़े थ बनते ह।

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 श पान मु ा :
श पान मु ा िविध – दोनों हाथों के अंगूठे और तजनी अंगुली को इस तरह
से िमला ल िक पान की सी आकृित बन जाएं तथा दोनों हाथों की बची ई
तीनों अंगुिलयों को हथे ली से लगा ले।
ेन की श म ब त िवकास होता है ।

 मा ु की मु ा :
 मुहं बंद करके जीभ को पूरे तालू के ऊपर दाएं -बाएं और ऊपर नीचे
घुमाएं । तालू से टपकती ई लार को पीये ।
 ा थ सुधरता है इससे चा चमकदार बनती है तथा इसके िनयिमत
अ ास से वात-िप एवं कफ की सम ा दू र हो जाती है ।

 पु ाजंिल मु ा :
 पु अपण करते समय या भगवान से कुछ मां गते समय आपके हाथ
जैसे रहते ह वैसे ही यह मु ा बनती है –
 दोनों खुली और सीधी हथे िलयों को अगल – बगल सटा कर।
 इसको िनरं तर अ ास करने से नीद ं अ ी तरह से आने लगती है ।
आ िव ास बढ़ता है ।

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हाथ की पां चों उं गिलयों के दबाने के लाभ दे खे –
(ए ू ेशर प ित)

• हमारे हाथ की पां चो उं गिलया शरीर के अलग अलग अंगों से जुडी होती है |
• इसका मतलब आप को दद नाशक दवाइयां खाने की बजाए इस आसान
और भावशाली तरीके का इ ेमाल करना चािहए |

(१.) अंगूठा
=========
हाथ का अंगूठा हमारे फेफड़ो से जुड़ा होता है | अगर आप की िदल की
धड़कन तेज है तो हलके हाथो से अंगूठे पर मसाज करे और ह ा सा खचे,
इससे आप को आराम िमलेगा |
(२.) तजनी
============

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ये उं गली आं तों gastro intestinal tract से जु डी होती है | अगर आप के पे ट
म दद है तो इस उं गली को ह ा सा रगड़े , दद गयब हो जायेगा।
(३.) बीच की उं गली
==============
ये उं गली प रसंचरण तं तथा circulation system से जुडी होती है | अगर
आप को च र या आपका जी घबरा रहा है तो इस उं गली पर मािलश करने
से तुरंत रहत िमले गी |
(४.) तीसरी उं गली
==============
ये उं गली आपकी मनोदशा से जु डी होती है | अगर िकसी कण आपका
मनोदशा अ ा नहीं है या शां ित चाहते हो तो इस उं गली को ह ा सा मसाज
करे और खचे , आपको ज ही इस के अ े नतीजे ा हो जयेगे, आप का
मूड खल उठे गा।
(५.) छोटी उं गली
============
छोटी उं गली का िकडनी और िसर के साथ स होता है | अगर आप को
िसर म दद है तो इस उं गली को ह ा सा दबाये और मसाज करे , आप का
िसर दद गायब हो जायेगा | इसे मसाज करने से िकडनी भी तंद रहती है |

ए ू ेशर प ित के ारा कुछ उपचार


1. अंगूठा दबाने से िसर दद दू र हो जाता ह और िदमाग की सारी दु बलताएं
दू र होती ह।

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2. चारो उं गली के ऊपर का िह ा दबाने से साइनस ठीक होता ह जैसे -
नाक बहना, सद लगना, खाँ सी जुकाम, माइ ेन आिद
3. पहली उं गली (तजनी) के ठीक नीचे वाले पाइं ट को दबाने से आँ खों के
रोग दू र होते ह, ोित बढ़ती ह, बंहगापन दू र होता ह।

4. दू सरी उं गली के ठीक नीचे वाले पाइं ट को दबाने से फेफड़े थ होते


ह।

5. छोटी उं गली के नीचे वाले पाइं ट को दबाने से कान के सभी रोग दू र होते
ह, जैसे कान से मवान आना, कम सु नाई दे ना, पद फट जाना, इससे
थोड़ा और नीचे दबाने से दय रोग दू र होते ह।

6. उससे और नीचे दबाने पर मधुमेह रोग दू र होता ह।

7. हथे ली के उभरे ए भाग को दबाने से (अंगूठे के पास) थायराइड़ ठीक


होता ह।

8. दू सरी उं गली को मोड़कर िजस पाइं ट पर लगे गी उस पाइं ट को दबाने


पर िकड़नी थ होती ह एवं िकड़नी के रोग दू र होते ह।

9. हथे ली की शु आत म , हाथ की कलाई के म भाग को दबाने से मू


संब त रोग दू र होते ह।

10. अंगूठे के दायी और बायी तरफ से दबाने पर , गदन म दद या कमर


म दद रोग दू र होता ह।

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11. छोटी उं गली के नीचे , हथेली के नीचे साई़ड की और पाइं ट दबाने पर
क े के दद के रोग दू र होते ह।

12. हथे ली के बीचों बीच दबाने पर पेट थ रहता ह।

13. बड़ी उं गली के ऊपरी िह े को दबाने पर िन र चाप संतुिलत


होता ह।

14. अनािमका उं गली के ऊपरी भाग को दबाने पर हाई र चाप संतुिलत


होता ह।

15. घुटना के दद दू र करने के िलए, अनािमका उं गली को पीछे के तरफ


से पूरी उं गली को दबाये।

16. छोटी उं गली के ऊपरी भाग को दबाने से , छोटे ब ों का िब र पर


पेशाब करना छूट जाता ह।

कुछ मह पूण ए ू ेशर िब दू


1. जॉइिनंग द वैली – यह ाइं ट हमारे अंगूठे और इं डे िफंगर (तजनी) के
बीच म होता ह। इस ाइं ट पर दबाने से शरीर के कई कार के दद जैसे िक
िसर दद, दां त का दद, गदन का दद, कंधे का दद, अथराइिटस और क जैसी
सम ाएं दू र हो जाती ह।
2. पैरीकािडयम – ये ाइं ट हमारे हथेली से लगभग दो अंगुल नीचे की तरफ
हमारी कलाई म मौजूद होता ह। इस ाइं ट पर दबाने से िसर दद, वॉिमंिटग,
सीने म दद, हाथों म दद और बैचेनी दू र हो जाती ह।

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3. थड आई – नाम के अनुसार ही ये ाइं ट हमारे माथे पर दोनों आई ो के बीच
मौजू द होता ह। इस ाइं ट पर दबाने से हमारी थकान और े स दू र होता ह।
इसके अलावा िसर दद, आं ख का दद दू र होने के साथ-साथ मानिसक शां ित भी
िमलती ह।
4. सी ऑफ ट ािलटी – ये ाइं ट चे की बीचो बीच मौजूद होता ह। इस
ाइं ट पर दबाने से िड ेशन, नवसनेस और एं ाइटी दू र होती ह।
5. लेग ी माइ – ये ाइं ट हमारे घुटनों से लगभग चार अं गुल नीचे की तरफ
मौजू द होता ह। यहाँ दबाने से पे ट दद, उ ी, पे ट फूलना, क और
इनडाइजेशन जैसी सम ा दू र हो जाती ह।
6. कमांिडं ग िमिडल – ये ाइं ट हमारे घुटनों के ठीक पीछे मौजूद होता ह जहां
दबाने से अथराइिटस का दद, कमर और कु े का दद दू र हो जाता ह।
7. शेन मैन – ये ाइं ट कान के ऊपरी िह े म पाया जाता ह। यहाँ दबाने से
ै स, एं ाइटी और िड े शन जैसी सम ा दू र हो जाती ह।
8. हेवनली िपलर – ये ाइं ट हमारी गदन और खोपड़ी के जोड़ पर पीछे की
तरफ होता ह जहाँ दबाने से िसर दद, गदन का दद, े स और थकान से राहत
िमलती ह।
9. सै करल ाइं ट्स- यह ाइं ट रीढ़ की ह ी के नीचे टे ल बोन पर पाया जाता
ह। इस ाइं ट पर दबाने से लोवर बैक पे न और पी रयड् स म होने वाले दद से
राहत िमलती ह।
10. िबगर रिशंग – यह ाइं ट हमारे पैरों पर अं गूठे और बड़ी उं गली के बीच
पाया जाता ह। इस ाइं ट को दबाने से िसर दद और आं खों की थकान से राहत
िमलती ह।

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आयुव दक दनचया
1. सुबह उठते ही बासी मुँह से िजतना यादा पी सको गुनगुना पानी पीए।
2. जब भी पानी पीये नीचे बैठ कर एक-एक घूटँ मुँह म गोल गोल घुमा के पीए।
3. भोजन बनाते समय सूय काश और पवन का पश भोजन को ज र िमलना
चािहए।
4. भोजन पकने के बाद िजतना ज दी हो सके उसका उपभोग हो जाना चािहए।
5. सुबह का भोजन सूय दय से ढ़ाई घंटे के अंदर कर, जो सबसे यादा पंसद है वो
खाये। दोपहर का भोजन सुबह से थोड़ा कम कर। शाम का भोजन सूया त होने से
पहले िब कु ल कम कर (ना ही करे तो अ छा) ।
6. खाने के 45 िमनट पहले और खाने के डेढ़ घंटे बाद तक पानी ना पीए।
7. खाने के बाद सुबह कसी भी फल का रस, दोपहर को छाछ और रात को देशी
गाय का दूध पीए।
8. हमेशा सधा नमक का रसोई म उपयोग करे । इससे शरीर को ब त से पोषक त व
िमलते ह।
9. भोजन म मैदे का उपयोग ना कर। गे ँ का आटा 10 दन और मकाई, बाजरा
और जुआर का आटा सात दन से पुराना ना खाये।
10. सुबह और दोपहर का भोजन करके 10 िमनट व ासन म बैठे और 20-25
िमनट वाम कु ी (बाय ओर) अव था म सोये। इससे भोजन पचता है और काम
करने क मता

बढ़ती ह।

11. ठं डे पेय, शराब और चाय ना पीए, उसक जगह पीने िपलाने क ब त सी


चीजे ह। जैसे न बू पानी, ना रयल पानी, संतरे का जूस आ द।

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12. सोते समय पा रवा रक ि को दि ण दशा म स यासी, चारी और
िव ाथ को पूव दशा म सर रखकर सोना चािहए
13. भोजन खूब चबा चबा कर करे । आयुवद म िनवाले को 32 बार चबाने का
िवधान ह।
14. घर म ए युमीिनयम के बतन का उपयोग ना कर। उसक जगह िम ी के बतन
या तांब,े िप ल, लोहे और टील का उपयोग कर सकते है।
15. भोजन के बाद िबना सुपारी, तंबाकु और क था का पान ज र खाये। ये कफ,
वात औरिप को बराबर रखता है।
16. 40 साल क उ के बाद हर ि को गे ँ के दाने िजतना चूना, पानी या
छाछ या दही के साथ ज र लेना चािहए। चूना वात के रोगो का नाश करता ह।
इससे कमर, घुटने व जोड़ो के दद नही होते। (पथरी वाले चूना ना खाये।)

इस पु तक को िलखने का मेरा उ े य ह क सभी लोग िबना डॉ टर के पास


जाये व थ रह।
आज हमारे देश म लगभग 85% लोग कसी ना कसी रोग से त ह।
य द हम अपना थोड़ा सा भी याल रखे तो हम बड़ी से बड़ी बीमारी से
बचा जा सकता ह।

- वदेशी रोिबन िसराना

(राजीव दीि त समथक)

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अ य पु तके ा करने के
िलए
www.rajivdxt.com

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