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8.समाधि
7.ध्यान
6.धारणा
5.प्रत्याहार
4.प्राणायाम
3.आसन
2.नियम
1.यम
यम
• चित्त को एक स्थान विशेष पर कें द्रित करना ही धारणा है। वैसे तो शरीर
में मन को स्थिर करने मुख्य स्थान मस्तक, भ्रूमध्य, नाक का अग्रभाग,
जिह्वा का अग्रभाग, कण्ठ, हृदय, नाभि आदि हैं परन्तु सर्वोत्तम स्थान
हृदय को माना गया है। हृदय प्रदेश का अभिप्राय शरीर के हृदय नामक
अंग के स्थान से न हो कर छाती के बीचों बीच जो हिस्सा होता है उससे
है।
ध्यान
• यह चित्त की अवस्था है जिसमें चित्त ध्येय वस्तु के चिंतन में पूरी तरह
लीन हो जाता है। योग दर्शन समाधि के द्वारा ही मोक्ष प्राप्ति को संभव
मानता है।
• समाधी की दो श्रेणियाँ होती है, सम्प्रज्ञात और असम्प्रज्ञात| सम्प्रज्ञात
समाधि का मतलब वितर्क , विचार, आनंद से है और असम्प्रज्ञात में
सात्विक, राजस और तामस सभी प्रकार की वृतियों की रोकधाम हो
जाती है|
यह सारे नियम शरीर के सात च्रक से जुडे हुए है।
शरीर से करने वाली क्रिया
3.आसन
2.नियम
1.यम
यम- बाहरी अनुशासन
ये पॉच होते है।
• अहिंसा- शब्दो, विचारो और कर्म
से अपनी और किसी की हानी नही करनी।
• सत्य-विचार और व्यवहार में सत्यता ।
• अस्तेय-चोर प्रकति न होना।
• ब्रहमचर्य-ब्रहम जैसी चर्या।
• अपरिग्रह- आवश्यकता से अधिक संचय नही करना।
नियम-ये भी पॉच होते है।
• शौच- शरीर और मन की शुद्धि ।
• संतोष- अपनी स्थिति में सदा संतुष्ठ रहना।
• तप-स्वयं से अनुशासित रहना।
• स्वाध्याय- आत्मचिंतन।
• ईश्वर-प्रणिधान, परम उर्जा के प्रति पूर्ण श्रद्धा ।
आसन
• सर्वांग पुष्टि
• अग्निसार क्रिया
• सर्पासन
• सिंहआसन
• सूर्य नमस्कार
मत्सेन्द्र आसन
मत्सेन्द्र आसन
अर्द्ध मत्सेन्द्र आसन
मंडू क आसन
इस आसन के लाभ : पेट के लिए अत्यंत ही लाभयादयक इस आसन से अग्न्याशय सक्रिय होता है जिसके कारण
डायबिटीज के रोगियों को इससे लाभ मिलता है। यह आसन उदर और हृदय के लिए भी अत्यंत लाभदायक माना गया है।
प्राणायाम
• योग के 8 अंगों में प्राणायाम का स्थान चौथे नंबर पर आता है। प्राणायाम
को आयुर्वेद में मन, मस्तिष्क और शरीर की औषधि माना गया है। चरक
ने वायु को मन का नियंता एवं प्रणेता माना है। आयुर्वेद अनुसार काया में
उत्पन्न होने वाली वायु है उसके आयाम अर्थात निरोध करने को
प्राणायाम कहते हैं।
प्राणायाम के प्रकार
• नाड़ी शोधन प्राणायाम
• शीतली प्राणायाम
• उज्जायी प्राणायाम
• कपालभाती प्राणायाम
• भस्त्रिका प्राणायाम
• भ्रामरी प्राणायाम
प्राणायाम के लाभ
• इस प्राणायाम की विधि बहुत ही सरल है, आँख बंद करके पद्मासन जैसे
किसी भी ध्यान मुद्रा में बैठें और अपनी रीढ़ को सीधा रखे । अपनी नाक
के माध्यम से धीरे-धीरे लंबी, गहरी सांस लें । फिर मुंह को खोल कर
"हा" ध्वनि के माध्यम से धीरे-धीरे साँस छोड़ें ।
कपालभाति प्राणायाम
• नाड़ियों की रुकावटों को खोलने हेतु कपालभाति प्राणायाम उपयुक्त है।
यह प्रक्रिया शरीर के विषहरण के लिए भी उपयुक्त है।
भस्त्रिका प्राणायाम