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ऐ मेरे वतन के लोगों,जरा आँख में भर लो पानी
ऐ मेरे वतन के लोगों,जरा आँख में भर लो पानी
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ऐ मे रे वतन के
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लोगों, जरा आँख में
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भर लो पानी!
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सुतपा दे वी
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[Type text] Page 1
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ववषय सूचि
हे प्रप्रय!! मैं आज अपने अखण्ड-भारत के "खक्ण्डत" होने के त्रासदी पर्ण इततहास पर आपका ध्यान
आकप्रषणत कराने के करुर्ामय उद्रे चय से एक श्ञ्
ँर खला प्रसतुत कर रही हँ!! आशा करती हँ फक मैं आप सब के
साथ इततहास के कुछ पन्नों को पलटती हुयी उनसे आज के पररप्रेक्ष्य में कुछ शशक्षा जरूर ले पाउँ गी!!
भारत में ब्रिहटश शासकों ने हमेशा ही—फूट-डालो और राज्य-करो" की नीतत का अनुसरर् करते हुवे मेरे
गुलाम भारत के नागररकों को सांप्रदायों के अनुसार अलग-अलग समहों में बाँट कर ही रक्खा था। ब्रिहटश
सरकार और भारतीय काांग्रेस के नेता गर् मुक्सलमों को प्रवशेषाधधकार दे ने और हहन्दओ
ु ां के प्रतत भेदभाव
करने में लगे थे, और ऐसी ही तष्ट्ु टीकरर् की राजनीतत वे आज भी करते िले आ रहे हैं!! पररर्ामसवरूप
भारत में जब आजादी की भावना उभरने लगी तो आजादी के सांग्राम को तनयांब्रत्रत करने में दोनों सांप्रदायों के
नेताओां में धाशमणक प्रततसपधाणत्मक प्रववाद तो होने ही थे!!
सन ् उन्नीस सौ छे में ढाका में बहुत से इसलामी और तथाकधथत सेक्यलर नेताओां ने शमलकर मुक्सलम लीग
की सथापना की!! इन घणर र्त नेताओां की ऐसी भावना थी फक मुक्सलमों को बहुसांख्यक हहन्दओ
ु ां से कम
अधधकार उपलब्ध थे तथा भारतीय राष्ट्रीय काांग्रेस हहन्दओ
ु ां का प्रतततनधधत्व करती थी!! और तब इसी
मक्ु सलम लीग ने उक्न्नस सौ तीस में मक्ु सलम लीग की मजशलस में प्रशसद्ध उदण कप्रव मह
ु म्मद इक़बाल के
एक भाषर् द्वारा पहली बार मुसलमानों के शलए एक अलग राज्य की माँग उठाई!! और फकतने आचियण की
बात है फक इसी घर्
र ासपद ब्यक्क्तत्व को आज भी भारतीय राष्ट्रवादी कप्रव की श्ेर्ी में यही सैक्यूलर नेता
रखते नहीां अघाते!! और फिर तो सन ् उन्नीस सौ पैंतीस में इक़बाल, मौलाना मुहम्मद अली जौहर और
मह
ु म्मद अली क्जन्ना ने आरोप लगाना शरू
ु कर हदया फक काांग्रेसी नेता मस
ु लमानों के हहतों पर ध्यान नहीां
दे रहे और वे अलग-अलग राष्ट्र िाहते हैं!!
मैं प्रारां भ और जन्म से तथा अपने सांसकारों से यही शसखी और प्रत्यक्ष दे खी हँ फक राष्ट्रीय सवयांसेवक सांघ,
आयणसमाज और हहन्द महासभा, आजाद हहन्द िौज जैसे सभी राष्ट्रवादी सांगठन भारत माता के प्रवभाजन
के घोर प्रवरोधी थे, लेफकन उनकी सुनता ही कौन था? काांग्रेस के भी राष्ट्रवादी नेता पांथ-तनरपेक्ष थे और
ब्रिहटश सरकार ने तो पहले से ही हमें खण्ड-खण्ड करने की योजना क्जन्ना के साथ शमलकर बना रक्खी थी!!
उनकी मुक्सलम लीग ने अगसत १९३६ में शसांध आांदोलन हदवस मनाया और कलकत्ता में भीषर् दां गे फकये
क्जसमें लगभग आठ हजार हहांदव
ु ों की हत्या कर दी गयी थी!! इततहास साक्षी है फक हुबली नदी पर बने
"हाबर्ा" पल
ु पर उन्हें शलटाकर "आइ इस आइ एस" आतांकवाहदयों ने जैसे सामहु हक हत्याऐां की थी! वैसे
उनके सर काट डाले गये, रामों के सामने शलटाकर कुिल हदया गया!!
और तो और, प्रप्रय!! पहले तो महात्मा गाांधीजी ने कहा था फक भारत का प्रवभाजन मेरी लाश पर होगा! मेरी
परी आत्मा इस प्रविार के प्रवरुद्ध प्रवद्रोह करती है फक हहन्द और मुसलमान दो प्रवरोधी मत और सांसकरततयाँ
हैं!! तथाप्रप राष्ट्रप्रपता बनने की ईच्छा और नेहरू तथा क्जन्ना की जल्दी से जल्दी प्रधान मांत्री बनने की
राष्ट्र-घाती माँग के समक्ष उन्होंने घट
ु ने टे क ही हदये-और लाखों मासम हहांदवों की सामहहक हत्या के
(प्रवभाजन) घोषर्ापत्र का समथणन कर ही हदया!!
और पररर्ामतः भारत-प्रवभाजन की योजना को THIRD June Plan या “Lord mount beaten Plan" का
नाम दे हदया गया था!! मेरे दे श और पवी तथा पक्चिमी पाफकसतान के मध्य की प्रवभाजन रे खा!! यहाँ की
भौगोशलक क्सथततयों से ब्रबल्कुल ही अांजान एक तघनौने और ििण के Ligal Adviser- Sir Sir I'll Redclipf ने
लांडन में अपने ऑफिस में बैठे बैठे ही- अखण्ड भारत के मानचित्र पर तीन लकीरें खखिंिकर हमारी माूँ
भारती को तीन टूकड़ों में काट डाला!!
प्रवभाजन के बाद के जन से लेकर हदसम्बर तक के महीनों में दोनों नये दे शों के बीि तीन टुकर्ों में प्रवशाल
जन पलायन हुआ!! दोनों ही पाफकसतानों से तो उसी समय नब्बे प्रततशत हहन्द, जैन, बौद्धऔर शसखों को
तो फकन्ही ढोरों की तरह या तो काट डाला गया या फिर भारत की तरि ढकेल हदया गया!!
फकांतु हमारे "राष्ट्रप्रपता महात्मा-गाांधीजी” ? ने काांग्रेस पर दबाव डाला और सतु नक्चित फकया फक मस
ु लमान
अगर िाहें तो भारत में रह सकते हैं!! अहो अद्भत
ु ! तब भी हम असहहष्ट्र्ु ही हैं!! सीमा रे खाएां जब तनक्चित
हो गयीां थीां और जब धमण के आधार पर हमारी माँ को काट हदया गया था तो िलसवरूप दां गे हुवे और बहुत से
लोगों की जाने गईं और बहुत से लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा। इततहास साक्षी है फक फक इस अवधध में
लगभग तीस-लाख लोग मारे गये और इनमें से बाइस लाख हहांदव
ु ों की हत्या उन्ही दोनों पाफकसतानों में की
गयी, और ये एक घणर र्त सच्िाई है !!
"शेष अगले अांक में लेकर उपक्सथत होती हँ, आपकी दीदी "सत
ु पा"
आपसे आग्रह करती हँ फक इस सांकशलत लेख पर अपने अमल्य प्रविार अवचय रखें !! तथा इसे ज्यादा से
ज्यादा अग्रेप्रषत करें !!
हे प्रप्रय!! मैं समझती हँ फक, प्रवभाजन की इस प्रवभत्स और घणर र्त लालिी वप्रर त्त वाली योजना ने मेरी भारत-
माता को क्जतनी क्षतत पहुांिाई उतनी तो कदाधित ् आठ सौ वषों के मलेच्छ शासन ने भी नहीां पहुँिा पायी
होगी! उन घणर र्त ब्रिहटष हुकमत के नुमाइांदगों ने नेहरू और क्जन्ना से अांत में इस समझौते पर भी हसताक्षर
करावाये थे फक हमारे जाने के बाद हमारे बनाए हुवे समारकों और मततणयों को फकसी भी प्रकार की न तो क्षतत
ही पहुँिायी जायेगी, न नाम बदला जायेगा, और न ही नष्ट्ट ही फकया जायेगा!! और आज भी हमारे हुक्मरान
उस तघनौनी सांधी का पालन करते ही आ रहे हैं!!
जब उन्नीस सौ तछयालीस की जनवरी में दस सदसयीय ब्रिहटश साांसदों का प्रतततनधध मांडल भारत आया
और काँग्रेस के प्रमुख नेताओां से शमला, और पच्िीस जनवरी को वह महात्मा गाांधी से भी शमला और दस
िरवरी को इांग्लैण्ड लौट गया और उन हदनों भारत में ब्रिहटश प्रवरोधी भावनाएँ अपनी िरम सीमा पर थीां!!
और तो और प्रप्रय!! तभी और उसी समय भारतीय थल, जल और वायु सेना में भी यह प्रचन उपक्सथत हुवा
फक ये ब्रिटटश तो अपने अक्सतत्व के शलए लड़ रहे है , हम फकसके शलए लड़ रहे हैं? ब्रबल्कुल अट्ठारह सौ
सत्तावन की सैतनक िाांतत अपने आप को दहु राने जा रही थी!!
और तब!! भारतीय जल-सेना दल नें मुांबई में और भारतीय थल-वायुसेना दल ने हदल्ली में •१७•१८•
िरवरी को प्रवद्रोह की घोषर्ा कर दी!! और अब आग भड़क उठी!! अांग्रेजों ने अपना गल
ु ाम समझे जाने वाले
अब वे ब्रबल्कुल लािार हो िक
ु े थे!! क्जस सेना के बल पर आज तक वे इस दे श पर राज्य करते आए थे-वही
अब उनके प्रवरूद्ध हो हो गई थी!! काश उस समय-हमारे इन सत्ता लोलुप दो-िार नेताओां ने सेना का
मनोबल बढाया होता तो आज दे श का मानधित्र कुछ अलग ही होता!! तब मट्
ु ठी-भर ब्रिहटशों नें इन्हीां
राजनैततक नेताओां की सत्ता लोलप
ु ता का लाभ उठाकर गप
ु िप
ु भारतीय सेना से पछा भी था फक आजाद
हहन्द िौज के क्जन लोगों पर हदल्ली के लाल फकले में जो मुकदमा िल रहा है वह िलना िाहहए या नहीां?
तनन्यानवे प्रततशत सैतनकों ने कहा फक-"कदाप्रप नहीां" यहद हम भी वहाँ होते तो यही करते!! बस मरता क्या
न करता इसके दसरे ही हदन ब्रिहटश सरकार के भारतीय मामलों के सधिव लाडण पैधथक लारें स ने घोषर्ा कर
दी की ब्रिहटश सरकार तीन लोगों का एक प्रतततनधध मांडल भारत भेज रही है - जो भारतीय नेताओां से प्रत्यक्ष
शमलकर वहीां पर यह तनक्चित करे गी फक वहाँ जो राजनैततक गततरोध पैदा हो गया है उसे कैसे दर फकया
जाय? ये िालाकी आप दे खें फक सेना से डर कर और उसे ही नेपथ्य में कैसे डाल हदया गया और इन महान
नेताओां ने िँ तक भी नहीां की!!
अिंग्रेजों भारत छोड़ो का प्रवधवा प्रलाप करने वाले लोग उस समय शाांत क्यँ हो गये थे? और फिर उसी
प्रतततनधध मांडल के सदसय भी बनाये गये थे-लाडण पैधथक लारें स, ए.बी.एलैक्जेण्डर तथा जवाहर लाल नेहरू!!
और तब इन ही लोगों ने एक और तघनौनी साक्जश रि डाली!! इन्होंने सेना के प्रवद्रोहहयों को ब्रबना शतण
आत्मसमपणर् कर दे ने के शलए कहा और फिर भी "अनश
ु ासन की परम्परा" और इन तथाकधथत नेताओां की
बात मान कर हमारे सैतनक शाांत भी हो गये!!
लेफकन इसके बाद भी "ईचवर अल्लाह तेरो नाम" को शाांतत नहीां शमली!! उन्होंने भी आज के "ओवैसी, ममता
और हदक्ग्वजय शसांह की तरह तीन मािण उन्नीस सौ तछयालीस के हररजन में िोध पवणक शलखा फक-
अहो-अद्भत
ु दे श-भक्क्त का यह महान प्रयास था न?
हे प्रप्रय!! अब आगे की उन खनी पांजों की वो प्रवभत्स सत्य-कथा आपको सुनाती हँ !! तब क्जन्ना लांदन के
प्रवास में थे!! बफकिंघम पैलेस के मध्यान्ह भोज में सक्म्मशलत हुए थे!! जहाँ उन्हें पता िला फक भारत के
तथाकधथत "प्रीवी-पसण" का उपभोग करने वाले छद्म नवाब लोग पाफकसतान के समथणक हैं और रानी तो
उनसे भी कई कदम आगे हैं!!
और तब उस हहांदव
ु ों के कट्टर शत्रु और नर-प्रपिाश क्जन्ना के सहयोग से २० िरवरी १९४७ को ब्रिहटश सांसद
में प्रधानमांत्री ऐटली ने घोषर्ा की फक-ब्रिटे न की सरकार यह सपष्ट्ट कर दे ना िाहती है फक उसकी यह
तनक्चित अशभलाषा है फक एक ऐसी ततधथ तक, जो जन १९४८ के बाद की न हो, उत्तरदायी भारतीय हाथों में
सत्ता हसताांतरर् के शलए आवचयक पग उठाये जायेंगे!
और उसमें यह शतण भी जोड़ दी फकन्तु यहद ऐसा दीख पड़े फक समय के पवण प्रतततनधध सभा द्वारा ऐसा
सांप्रवधान तैयार नहीां फकया जा सका, तो हमारी सरकार को प्रविार करना पड़ेगा फक तनक्चित ततधथ को
ब्रिहटश भारत में केंद्र सरकार की शक्क्तयाँ फकसे सौंपी जाए!!
ब्रिहटश भारत के शलए प्रवशशष्ट्ट रूप से फकसी को अथवा फकन्हीां क्षेत्रों में वतणमान प्रान्तीय "सरकारों को" जो
सवाणधधक समुधित दीख पड़े और भारतीयों का सवाणधधक हहत साधन कर सके!!
अब एक रहसयमयी परी कथा आप सुन ही लें , प्रप्रय!! २२ मािण १९४७ को माण्टवेटन अपनी पत्नी एडप्रवना
और पत्र
ु ी पामेला को लेकर भारत आ गये, भारत आते ही एडप्रवना ने नेहरू को अपने सौंदयण जाल में लपेट
शलया!! माउण्टबेटन को नेहरू से जो भी कायण कराना होता था उसे वे एडप्रवना के माध्यम से करवाते िले
गये!! अँग्रेजों को तभी से यह भय था फक भारत अपने सवाभाप्रवक अधधकार के बलपर एक अांतराणष्ट्रीय
शक्क्त बन कर ही रहे गा!! और ब्रिटे न को उसके सामने बौना बनना ही होगा और आज आप ऐसा होते
दे ख भी रहे हैं!!
महात्मा गाांधी ने माउण्टबेटन से अपनी प्रथम भें ट में ही भारत के प्रवभाजन का कड़ा प्रवरोध फकया था,
लेफकन इसके उत्तर में माउण्टबेटन ने कहा फक यहद क्जन्ना की इच्छा के प्रवरुद्ध तनर्णय शलया गया तो रक्त-
रां क्जत गह
र युद्ध भड़क सकता है !! उन्होंने कहा फक सम्राट् की सरकार उन्हें अनुमतत नहीां दे गी फक
मुसलमानों जैसे करोड़ों अल्पसांख्यकों को काँग्रेस के हाथों में सौंप हदया जाए!! इस पर पाफकसतान के
प्रवकल्प के रूप में गाांधी जी ने माउण्टबेटन के सामने एक अनोखा प्रसताव रखा फक-"आप वतणमान
मांब्रत्रमांडल को भांग कर डाशलए और क्जन्ना को अांतररम सरकार बनाने का अांततम अवसर दे दीक्जए”!!
तब हमारे "िािा’? नेहरू जी ने कहा फक गाांधी जी तीव्रता से केंद्र की घटनाओां से अनशभज्ञ होते जा रहे हैं!!
गाांधी जी को शाँत होना ही पड़ा!! क्जन्ना ने भी गाांधी जी के प्रसताव को दष्ु टतापूर्ड बताया था!! सरोजनी
नायड ने तभी तो रोते हुवे अश्प
ु र्ण नेत्रों से कहा था फक-जहाँ तक राजनीतत का सांबांध है , गाांधी जी आज मर
िक
ु े हैं!! उनके जीवन की तपसया भांग हो गयी है !! उनके सामने उनके जीवन-व्रत का शव पड़ा है !! और नेहरू
ने कहा-"हमारे थके नेताओां पर बुढ़ापे का प्रभाव होने लगा है , अब वे कारागार जाने से डरने लगे हैं”!! अखण्ड
भारत का पक्षधर होने पर तो कारावास का ही सांकट शमलने वाला था!! यह सांकट भला ये सत्ता लोलुप क्यों
मोल लेते!!
(१) पांजाब और बांगाल की प्रवधानसभाओ से हहन्द, मक्ु सलम और शसख एकब्रत्रत होंगेऔर प्रवभाजन के शलए
मताधधकार का प्रयोग करें गे और जो समद
ु ाय प्रवभाजन के शलए बहुमत रखेगा उन प्राांतों को प्रवभाक्जत कर
हदया जाएगा!! (और ऐसा नहीां फकया गया)
(३) उत्तर पक्चिम सीमाांत प्राांत और असम के शसलहट क्जले का िैसला जनमत-सांग्रह से होगा!! (और ऐसा
नहीां फकया गया)
(४) भारत १५ अगसत १९४७ को आजाद हो जाएगा!! (फकांतु पाफकसतान तो १४ अगसत को ही बन गया)
(७) बांगाल की अलग से सवतांत्रता से इांकार कर हदया जाएगा!! (और उसे भी पवी पाफकसतान बना हदया गया)
(८) प्रवभाजन के मामले में एक सीमा आयोग का गठन फकया जाएगा!! (और ऐसा कुछ भी नहीां हुवा)
पांजाब के टुकड़े होने के बारे में तो लोगो को पता िल गया था-लेफकन लाहोर पाफकसतान में िला जाएगा ऐसा
कभी लोगो ने सोिा भी नहीां था!! उस समय लाहोर में हहन्द बहुसांख्यक हुवा करते थे फकांतु ऐसा तनर्णय आते
ही उन्हें जबरन ् वहाँ से भागने को मजबर कर हदया गया!!
जब हमारे "िािा-नेहरू" हदल्ली में यतनयन जैक उतार कर ततरां गा िहरा रहे थे! उसी समय १५ अगसत
१९४७ की मध्य-राब्रत्र में !! लाहौरऔर परा पक्चिम पांजाब, सीमा प्रान्त, पवी बांगाल (बांगलादे श) में सणखयों
हभ हहांदओ
ु ां के घर ध-ध कर जल रहे थे!!
हजारों लाखों की सांख्यामें छोटा मोटा सामान लेकर छोटे -छोटे बच्िों को उठाए, महहलाओां को बीि में
रखकर बड़े-बढ़ों को सम्हालते हुए ब्रबिारे हमारे हहांद भाई भारत की ओर भाग रहे थे!! सथान-सथान पर
पाफकसतान प्रपपल्स गाडण, लाल कुती सेना और मुक्सलम लीग के "अल्लाह के नेक बांदे" उन्हें लट रहे थे,
हमारी बक्च्ियों का अपहरर् व छोटे -छोटे बच्िों तक की हत्याएां कर रहे थे!!
रे लगाड़ड़याां िल तो रही थीां, परन्तु भीड़ इतनी अधधक थी फक लोग रे लगाड़ड़यों की छतों पर बाल-बच्िों के
साथ बैठने को मजबर थे, छतों पर बैठे लोगों पर पटररयों के फकनारे बैठे पाफकसतानी जेहादी दररांदे “रहीम-
करीम-रसूल" उन पर गोशलयाँ िला रहे थे!!
ये उन्हीां के परु खे थे, क्जन्होंने "गोधरा" में सोते हुवे तीथण-याब्रत्रयों को साबरमती-रे न में पेरोल तछड़क कर
क्जांदा जला हदया था!! और फिर भी मैं असटहष्र्ु ही कही जाती हँ ?
लाखो लोग एक दे श से दस
ु रे दे श में पैदल जा रहे थे और लगभग १० फकलोमीटर लम्बी लाइन में लोग िल
रहे थे!! बुढों और बच्िो को बैलगाड़डयो में ब्रबठा हदया गया था लेफकन युवा पैदल ही िल रहे थे!! और तो और
इन अल्लाह के नेक बांदों ने- जो मखलक की इमदाद करने वाले िररसते कहे जाते हैं!! ये उन बुड्ढे मजलमों
को गाड़ड़यों से उतार कर परे काफिले के साथ क्जांदा दिन कर हदया करते थे!!
खाने के शलए हवाई-जहाज से भारतीय सेना खाने के पैकेट धगरा रही थी लेफकन वो इतने ज्यादा लोगों के
शलए पयाणप्त नही थी और हजारो लोग भख और प्यास से रासते में ही मारे गये!! "तब भी इन्हें करबला की
याद नहीां आयी”? तत्कालीन पांजाब सरकार ने अम्बाला से लेकर अमत
र सर तक मात्र एक रे ल िलाई थी, क्यो
फक इतने की ही सवीकरतत हमारे इन नेताओां के रे ल-मांत्रालय ने तब दी थी!! क्जनमे लाखो लोग एक तरि से
दस
ु री तरि आये थे!! क्जसमें इधर से उधर मुक्सलम तो अपने सामानों के साथ भारतीय सेना की सुरक्षा में
उधर पहुँिा हदये जाते थे!!
फकांतु उधर से भारत आने वाले गाड़ी के ड़डब्बों में बस "क्षत्त-प्रवक्षत्त" लाशें ही आया करती थीां!! लाशो से
भरकर रे ल सीमायें पार जा रही थी!! सीमा के दोनों तरि शरर्ाथी शशप्रवर लगाये गये थे क्जसमे लोगो को
ठहरने और खाने की व्यवसथा की गयी थी!!
भारत में उस समय ३ प्रततशत अथाणत ९९ लाख हहन्द शरर्ाथी थे और अकेले हदल्ली में लगभग १३ लाख
शरर्ाथी रुके हुए थे!! कुरुक्षेत्र के तनकट सबसे बड़ा शरर्ाथी शशप्रवर लगा था क्जसमे लगभग ४५०००
शरर्ाथी रुके हुए थे!!
(१) छे करोड़ का अससी प्रततशत िार करोड़ अससी लाख होता है !! तो इतने मक्ु सलम वहाँ गये क्जिंदा तो कम
से कम इसके आधे हहांद तो वहाँ से यहाँ आने ही िाहहये थे न "क्जांदा"? पर आये फकतने? बाकी के कहाँ गये?
(२) यहद दो करोड़ िाशलस लाख हहांद उन हदनों पाफकसतान से भगाये गये तो उनकी सम्पप्रत्तयों का क्या
हुआ?
अब मेरे प्यारों, मैं आगे उस भयावह इततहास के पन्नों को पलटती हँ - पन्द्रह अगसत•१९४७• का
ऐततहाशसक हदन!! क्जस हदन मेरा भारत १००० वषों की गुलामी से सवतांत्र हो रहा था, और दसरी तरि ये
हदन अखण्ड भारत का सबसे दभ
ु ाडग्यपूर्ड हदन भी था!! भारत के दो और टुकड़े उससे अलग हो गये थे!! दे श
का तीस प्रततशत भाग कटकर पाफकसतान नाम से एक अलग और सथायी शत्र-ु दे श बन िक
ु ा था!! मुझे
लगता है फक यह सब "पाफकसतान मेरी लाश पर बनेगा" की घोषर्ा करने वाले महात्मा गाांधी असहाय से
दे खते रहे !!
और क्जनके कपड़े भी प्रवलायत से प्रेस कर के आया करते थे, ऐसे ऐय्याश नेहरू ने शीघ्रता से सत्ता सख
ु
भोगने की लालसा में काांग्रेसके कुछे क लालिी नेताओां के साथ शमलकर दे श का प्रवभाजन करवा बैठे!!। १५
अगसत ▪१९४७• को भारत की राजधानी हदल्ली दल्
ु हन की तरह सजी थी। सोलह श्ग
ां र ार कर नत्र य हो रहे थे!!
१००० वषण की पराधीनता से सवतांत्र होने पर हदल्ली में जचन मनाया जाना सवाभाप्रवक भी तो था, आणखर
हदल्ली ही तो भारत है !! शेष भारत की पीड़ा से इसमें बैठे उस काल के नेताओां को भला क्या सरोकार था और
कैसी सांवेदना बिी थी!!
•१४• अगसत की रात •१२• बजे सांसद के केन्द्रीय कक्ष में पां. नेहरू के प्रशसद्ध- "हरसट प्रवद डेक्सटनी"
भाषर् के साथ ब्रिहटश साम्राज्य का यतनयन जैक उतारकर भारत का राष्ट्रध्वज ततरां गा लहरा हदया गया।
•१५• अगसत को लालफकले पर ततरां गा िहराकर नेहरू जी ने प्रथम सवाधीनता हदवस की घोषर्ा कर दी!!
अब और भी कुछ झठ आपके सामने प्रकट करती हँ! तब नेहरू ने ये आचवासन हदया था फक पाफकसतान
सरकार से बातिीत हो गई है और तुरन्त शाांतत हो जायेगी भारतीय सैतनक टुकड़ड़याां लाहौर व पाफकसतान के
अन्य शहरों, कसबों में तैनात कर दी गई हैं!! अब फकसी को घबराने की आवचयकता नहीां है। "मैं उस समय
गाांधीजी की भशमका की प्रशांसा जरूर करूँगी”, क्यों फक वे उस समय लाहौर में थे!!
फकांतु उनके वापस जाते ही उस रात भी लाहौर ध-ध कर जलता रहा। श्रीकुप्सुदशडनजी" कहते हैं फक एक
डोगरा सैतनक एक मक्न्दर की मततणयाां लेकर मेरे पास आया था फक गांड
ु ों के हाथों उस मांहदर को बिाना अब
"अबल कलाम आजाद" जैसे व्यक्क्तत्व हर कौम में हुवा करते हैं!!
यद्यप्रप प्रवभाजन रे खा की अधधकाररक घोषर्ा 15 अगसत को भी नहीां हुई थी, परन्तु काांग्रेसी मांब्रत्रयों और
नेताओां द्वारा लाहौर छोड़कर िले जाने के कारर् यह सपष्ट्ट था फक लाहौर पाफकसतान में शाशमल हो रहा है !!
इसका सीधा-सीधा अथण यही था फक ये डरपोक काांग्रेस-सेवादल के नेता हमारे हहांद समाज को उन भेड़ड़यों के
हाथों में , और उन्हें ब्रबना सिेत फकये ही िप
ु -िाप भारत लौट गये थे!!
और क्जस “राक्ष्ट्रय सवयम ् सेवक सांघ" को ये तथाकधथत सेक्यलर नेता लोग गाशलयाँ दे ते नहीां अघाते!! वे
ही तब 5-5 सवयांसेवकों की टुकड़ड़याां में दो जीपों में बैठकर सेना की सरु क्षा में प्रवशभन्न क्षेत्रों में िांसे हहन्द,
जैन, बौद्ध और शसखों को तनकालने के शलए तनकल पड़े थे!! श्ीसुदशणनजी अपने सांसमरर् में शलखते हैं फक-
सम्पर्ण पांजाब, शसांध, ढाका, िटगाांव, शसलहट, ब्रबयानी बाजार, डेरा मेमनशसांह, कराँिी अथाणत परे के परे पवी
और पक्चिमी पाफकसतान से लटे -प्रपटे , घर-बार, मकान, बांगले, झोपड़ी, खेत, पश, दक
ु ानें , िैक्क्रयाँ छोड़कर
लाखों की सांख्या में लोग प्रततहदन वहाँ के "डी.ए. वी.कालेज, सांघ कायाणलय, आयणसमाज भवन, भारत
सेवाश्म, सैन्य शशप्रवरों के पास पहुांि रहे थे। प्रत्येक की अपनी-अपनी रोंगटे खड़ी कर दे ने वाली आपबीती
थी!!
भयांकर, घर्
र ासपद, अमानवीय पैशाधिक जल्लादों को भी हहला दे ने वाली घटनाएां सन
ु कर और इततहास में
पढकर आप अपने आांसुओां को रोक ही नहीां सकतीां!! पररवार के पररवार मौत के घाट उतार हदए गए।
असांख्य महहलाओां का अपहरर् कर शलया गया था। अनेक महहलाओां ने कांु ओां में छलाांग लगाकर या घर,
गुरुद्वारा या मांहदरों में आग लगाकर भसम होकर अपने सततत्व और सम्मान की रक्षा की थी!!
तनराधश्त हहन्दओ
ु ां पर कोलकाता की गशलयों में सह
ु रावदी के मुक्सलम गुण्डे आिमर् कर रहे थे!
आयणसमाज, राष्ट्रीय सवयांसेवक सांघ ने सावणदेप्रषक हहांद-आयण प्रतततनधध सभा के नेतत्र व में कोलकाता को
केंद्र बनाकर रात-हदन २४ घांटे सेवा कायण आरम्भ फकया। बांगाल के पवािंिल में कुल सात केंद्र बनाये गए थे!!
मैं आपको यह भी याद हदलाना आवचयक समझती हँ फक इन्हीां हदनों महात्मा गाांधीजी के साथ सि
ु त
े ा
करपलानी थीां!! मुसलमान दां गाइयों ने महात्मा गाांधी जी की नाक के नीिे सुित
े ा करपलानी का अपहरर् कर
परे दे श में धमाका करने की योजना बनाई-फकांतु आयणसमाज और सांघ के सवयांसेवकों नें उनकी योजना को
नाकाम कर हदया, इस हेतु सवयां सुित
े ा करपलानी जी ने इनका आभार व्यक्त करते हुवे अपनी जीवनी में
इसे सवीकार भी फकया है !!
फकांतु प्रप्रय!! मैं नहीां इततहास ये कहे ता है फक गाांधीजी की गलततयों ने नोवाखाली और बांगाल में पन
ु चि
हहन्दओ
ु ां को गाजर-मली की तरह कटवा हदया- ▪१०▪ १०▪१९४६▪ और ▪१४▪८▪१९४७▪ में भी परा नोआखाली
लाशों से पटा हुआ था। एक सप्ताह तक िले इस नरसांहार में ▪५०००० (पिास हजार) से ज्यादा हहन्द मारे
गए थे!!
हहन्दओ
ु ां को मक्ु सलम लीग को जक्जया टै क्स भी दे ना पड़ता था, क्जन्होंने शसिण अपनी हवस परी करने के
शलये भारत का प्रवभाजन सवीकार कर शलया!! मैं आपको याद हदलाना िाहती हँ फक- केरल मोपला बिंगाल
की त्रासदी के ललये क्जम्मेदार कौन लोग थे!
णखलाित अथाणत, दतु नया भर के मुसलमानों का “एक खलीिा! अथाणत एक नेता हो, अथाणत शररयत का
कानून और वह उनके “तनदे श” पर ही िलें , शसिण “खलीिा” के “आदे श” को ही मानें !! अपने दे श के
“कानन या सांप्रवधान”का कोई भी महत्व है ही नहीां? तभी तो ये दे शद्रोही आज भी- "भारत माँ" को डायन
और "वांदे मातरम ्" को शररया के णखलाि कहते हैं!!
गाांधीजी और नेहरू ने दारुल हरब अथाणत गैर इसलाशमक दे शों को, दारूल इसला्म अथाणत “इसलाम शाशसत
दे श” बनाने का बीज भारतीय मस
ु लमानों के मक्सतष्ट्क में भर हदया था!! तभी तो आज भी वे दारूल इसला्म
की बात करते रहते हैं!!
और प्रप्रय!! यही गाांधीजी की सबसे बड़ी प्रविलता थी, इस “णखलाित आन्दोलन के बिे खि
ु े बीजों के
कारर्” बांगाल में और पुरे दे श में हहांसा हुई, “अहहांसा की नीतत” पर िलने वाले गाांधीजी के सामने ही हहांद-
मुसलमान एक दसरे का कत्लेआम करते िले गए और “गाांधी की अहहांसा” उनके सामने ही दम तोड़ती
और झठी नजर आई। इसी मानशसकता के कारर् मेरा दे श टटा और इसी मानशसकता की आड़ लेकर आज
मौजदा समय में “इसलाशमक सटे ट ऑि ईराक एण्ड सीररया" हहजबुल मुजाहहदीन, और इनके जैसे सैकड़ों
आतांकवादी सांगठन परी दतु नया में खन खराबा और कत्लेआम कर रहे हैं!!
क्जन्होंनें भगत शसांह जैसे फकसी भी िाांततकारी को िाांसी हदए जाने का प्रवरोध नही फकया, अपनी परी
क्जन्दगी में िाांततकाररयों का एक भी केस नही लड़ा, क्जन लोगों के इशारे पर आजाद को मरवा हदया गया।
एक बात और भी कहँ गी फक उन हदनों भी बांगाल, उड़ीसा जैसी कुछ जगहों पर भारतीय काम्युतनसटों ने
प्रवभाजन का समथणन इस आशा से फकया था फक नये बने पाफकसतान पर उनका प्रभाव रहे गा, भारतीय
मुसलमानों में तो असर रहेगा ही!!
भारत पाक प्रवभाजन की कहानी में मेरे द्वारा सांकशलत तथ्यों और आांकड़ो को लेकर त्रहु ट हो सकती है
क्योंफक मै कोई इततहास लेणखका तो हँ नही लेफकन मैं भारत पाक प्रवभाजन पर अपने सम्पर्ण अप्रवभाक्जत
अखण्ड-भारत को प्यार करने वाले दृक्ष्ट्टकोर् से जो समझी वो आपके समक्ष प्रसतत
ु कर रही हँ !! भारत पाक
प्रवभाजन का कारर् मेरी दृक्ष्ट्ट से कोई व्यक्क्त प्रवशेष नही है !! मैं सत्ता के लोभी सभी नेताओ को इस
प्रवभाजन के शलए क्जम्मेदार मानती हँ!! ये भें ड़ड़ये तो आज भी "रामपाल, मीरा माँ, राम-रहीम" के भेष
लेकर, कभी नेता या अशभनेता बनकर हमारे ही सरु क्षाबलों पर और हमसे ही पत्थर फिां कवाते हैं! हम अपनी
ही राष्ट्टीय सम्पप्रत्त में आग लगाते हैं!
उन हदनों राष्ट्रीय सवयांसेवक सांघ का ओ.टी.सी. शशक्षर् वगण िगवाड़ा, ढाका, और कांरािी में लगा था! यह
शशप्रवर २० अगसत को समाप्त होना था। परन्तु पवोत्तर भारत और पक्चिमी पांजाब व सीमा प्रान्तों में
भीषर् मार-काट, हत्या, लट, अपहरर्, मुक्सलम-लीधगयों द्वारा सांिाशलत मुक्सलमों द्वारा गाांवों, कसबों
और शहरों के हहन्द आबादी वाले क्षेत्रों पर सामहहक हमलों की घटनाओां और हहन्द, बांगाली, शसांधी, जैनी,
बौद्ध, इकाईयों और शसखों के पलायन के हदल दहलाने वाले समािार आते ही जा रहे थे और हहन्दओ
ु ां की
एक मात्र रक्षा की आशा सांघ के लगभग १२००० सवयांसव
े क जो इन सथानों में एकब्रत्रत थे-उनसे ही शेष बिी
थी!! सांघ अधधकाररयों ने ऊजाणवान सतर पर तनर्णय फकया फक शशप्रवर को २० अगसत की बजाय १० अगसत
को ही समाप्त कर हदया जाए!! कराांिी, लाहौर, जल्लो, हरबांसपुरा, मुगलपुरा, इसलामाबाद, डेरा मेमनशसांह,
ढाका, धिरागों, शसलहट जैसे सभी सटे शनों पर क्जन्ना का िोटो शलए मक्ु सलम हुजम एकब्रत्रत था!! वह रे ल के
हर ड़डब्बे में कायदे आजम के धित्र बाांट रहे थे!!
सटे शनों पर सांघ द्वारा सांिाशलत पांजाब सहायता सशमतत, रामकरष्ट्र् शमशन, भारत सेवा आश्म और आयण-
समाज के शशप्रवर लगे थे!! अन्य प्लेटिामों पर जो भी गाड़ीयाां खड़ी थीां जो रावलप्रपांडी, ढाका, लाहौर आहद से
आई थीां!! क्जनमें लुटे-प्रपटे प्रवप्रवध हहांद लोग और या फिर हहांदओ
ु ां की लाशें भरी पड़ी थीां!! और प्रप्रय!! मैं तो
आप जानती ही हैं फक बांगाली हँ!! मेरे दाद और नानाजी दोनों ही शसलहट के पास ब्रबयानी बाजार के थे
(बांगलादे श) मेरे बाबा का परा पररवार घर छोड़कर सांघ के शशप्रवर में जा िक
ु ा था!! सांघ शशप्रवरों में सरु क्षा की
दृक्ष्ट्ट से पत्र व्यवहार की अनुमतत न होने के कारर् उन्हें यह भी पता न था फक वे कहाां गए हैं!!
उसी हदन सांघ के कुछ कायाणलयों, डी.ए.वी. कालेज में लगे शशप्रवर और हहन्द सहायता सशमतत के कायाणलय
में सांघ के सवयांसेवकों से सम्पकण सथाप्रपत फकया गया। १० अगसत की रात को मेरे बाबा बताते थे फक परे पवी
उफ्ि प्रप्रय!! “अल्ला-हु-अकबर" के नारे िारों ओर गांज रहे थे। सांघ शशप्रवर में जाने से पवण जब फकसी ओर से
"अल्ला-हो-अकबर" के नारे लगते थे तो हहन्द-बांगाली मोहल्लों से हरहरमहादे व और जय भवानी के बराबर
के नारे लगते थे। परन्तु अब प्रततफिया का कोई सामथ्यण हममें शेष नहीां बिा था।
राष्ट्रीय सवयांसेवक सांघ द्वारा सांिाशलत हहांद शरर्ाथी शशप्रवर लगा हुआ था!! सांघ के सवयांसेवक डाक्टर,
महहला डाक्टर, नसे, छोटा सा असपताल िला रहे थे। बीशसयों घायलों का वहाां इलाज हो रहा था!! और
आणखर-कार वहाां से भारतीय सैतनकों की सरु क्षा में बिे-खि
ु े लोगों को सथ
ु ारकाांदी, यकी गांज, डाउकी,
करीमगांज और अगरतल्ला जैसे भारतीय सीमाांत क्षेत्रों मे सीमा पार करवा कर भारत में भेज हदया गया!!
राष्ट्रीय सवयांसेवक सांघ और भारत सेवाश्म के लोग पवी पाफकसतान के सभी क्षेत्रों में जा-जा कर िांसे हुए
हहन्दओ
ु ां को तनकालने का काम करते थे!!
और हे प्रप्रय!! हमारी आने वाली पीटियाूँ भी राक्ष्रय सवयम्सेवक सिंघ, आयडसमाज, टहिंदम
ू हासभा और
कािंग्रेस सेवा दल इत्याहद की तत्कालीन भशमका के शलये सदै व ही ऋर्ी रहे गी!! उस समय के नेहरू-गाांधी
के मध्य हुए समझौते के अन्तगणत सांघ- कायाणलयों, खालसा, काांग्रेस सेवा-दल, डी.ए.वी.कालेज, रामकरष्ट्र्
शमशन, आजाद-हहन्द िौज के कुछ बिे खि
ु े समथणक (जो सांघमें सक्म्मशलत हो िक
ु े थे), पांजाब सहायता
सशमतत के कायाणलय, और भी हमारे नेपाली वीर भाई रे लवे सटे शन, असपताल व अन्य कुछ सथानों पर
डोगरा, बांगाल व गोरखा सैतनकों की कुछ टुकड़ड़याां तैनात थीां!!
उन्हें साथ लेकर सांघ, शमशन, आयणवीर, हहांद महासभा के सवयांसेवक, खालसा, बोडो, नागा, धीमासा,
मणर्पुरी, कचमीरी पक्ण्डत, लद्दाख के बौद्ध अपनी जान हथेशलयों पर रखकर प्रवलक्षर् वीरता, साहस,
त्याग, बशलदान का पररिय दे ते हुए हहन्द-शसख, शसांधी आहद पीड़ड़तों को बिाने का काम कर रहे थे!!
१५ अगसत को सुबह जवाहरलाल नेहरू हदल्ली के डी.ए.वी. कालेज शशप्रवर में सायांकाल को आए थे!! उस
समय वे सहायता सशमतत के कायाणलय गए थे। हजारों की सांख्या में पीड़ड़त शरर्ाधथणयों ने गस
ु से में "नेहरू
वापस जाओ-गो बैक-गो बैक" के नारे लगाने शुरू कर हदये थे!! लोगों का गुससा दे खकर पां. नेहरू और बलदे व
शसांह वाप्रपस िले गए!! इस बीि सवयांसेवकों ने लोगों का गुससा शाांत फकया!! कुछ दे र बाद पां. नेहरू व
बलदे व शसांह फिर वापस आए। पां. नेहरू ने उन घटनाओां पर दख
ु प्रकट करते हुए आचवासन हदया फक
"पाफकसतान सरकार से बातिीत हो गई है और तरु न्त शाांतत हो जाएगी। भारतीय सैतनक टुकड़ड़याां लाहौर व
दोनों पाफकसतान के अन्य शहरों, कसबों में तैनात कर दी गई हैं। अब फकसी को घबराने की आवचयकता नहीां
है ।" फकांतु ऐसा कुछ भी हुवा नहीां!!
मैं यह सपष्ट्ट रूप से सवीकार करती हँ फक-सरदार अमीर अली, अशिाकउल्ला खाँ, मोहशसना फकदवई और
भी अनेक और वासतप्रवक भारत भशम के सन्तानों के योगदान को भुला दे ना इततहास के साथ जधन्य
अपराध होगा!! फकांतु एक आचियणजनक जमीनी सच्िाई मैं आपको बताना िाहती हँ फक--
काांग्रेस, कम्यतनष्ट्ट, सोशशलसट हों और अथवा कोई भी इनके शीषण नेत्रत्व और जमीनी कायणकताणओां में
वासतवमें कुछ न कुछ तो भेद था और आज भी है , और इनके बीि में एक तीसरी भी प्रवधित्र प्रजातत पाई
जाती है - ब्रबिौललये-दलाल!! जैसे फक गाांधीजी और आम जन मानस के बीि "नेहरू" जैसे ■"दलाल"■!! जब
इस हमारे हहांद समाज के परू
ु ष-वगण अपने घर की क्सत्रयों को सवयम ् ही सरु क्षक्षत नहीां रख पाते, मग
ु ल काल
से ही हमने अपनी बक्च्ियों को आतताइयों के हाथों में एक बेजब
ु ान गड़ु ड़यों की तरह गाहे -बगाहे सौंप ही
हदया, और फिर दोष दे ते हैं हम पर ही पाचिात्य सभ्यता के अिंधानुकरर् का?
मैं आपसे बस एक प्रचन पछती हँ फक “जब मुगल- साम्राज्य का भारत में आधधपत्य हुआ तो क्या थी, उस
समय यह पाचिात्य-सभ्यता"?
अब मैं पवी पाफकसतान की भी थोड़ी कहानी आपको बताती हँ , मेरे बाबा के एक शमत्र सांघ- सवयमसेवक श्ी
जतीनदासजी क्जस दल में थे वे मौलवी बाजार, नीि बर्ँगा, दब
ु ाग, कुलाउड़ा, श्ीमांगल, छातोक आहद क्षेत्रों
में िांसे लोगों को तनकालने गये और दसरा दल शहरी क्षेत्रों छतरपरु , सव
ु ानीघाट, परे ड -ग्राउन्ड, गव
ु ाला-
बाजार आहद क्षेत्रों की ओर गया था। उनके साथ में थी बांगाल रे क्जमें ट के सैतनकों की एक-एक जीप। वे लोग
सारा हदन घम कर कुछ लोगों को तनकालकर शाम को वापस लौटते थे!!
और जब उन लोगों के नाम पछे , उन्हें हहांद जान शलया, तो मुक्सलम पुशलस सब सवयांसेवकों को लेकर एक
नाले के पास गई और एक पांक्क्त में खड़ा करके उन्हें गोशलयों से उड़ा हदया, अररन्दम िौधरु ी गोली लगने से
पवण ही धगर गये था। मक्ु सलम पशु लस सबको मरा समझ कर लाशों को वहीां छोड़कर िली गई। कािी दे र बाद
अररन्दम िौधरु ी उठकर बिते हुव,े कालेज पहुांिे थे।
आपसे आग्रह करती हँ फक इस सांकशलत लेख पर अपने अमल्य प्रविार अवसय रखें !! तथा इसे ज्यादा से
ज्यादा अग्रेप्रषत करें !!
हे प्रप्रय!! आज मैं आपके समक्ष पवोत्तर की ज्वलांत रोटहिंग्या मुक्सलम समसया पर आपका ध्यान आकरष्ट्ट
कराना िाहती हँ!! इसके शलये मैं प्रथम तो आपको कुछ वषण पवण की कुछ भली ब्रबसरी यादें पुनः याद कराना
िाहँगी!! आप जरा असम-िन
ु ावों के पवण की घटनाओां को याद करें !! असम के बोडो क्षेत्रों में हुयी बोडो लोगों
की प्रवभत्स हत्याओां की खबरें समािार पत्रों के मख
ु पष्ट्र ठ और टे लीप्रवजन की हे डलाइांस ने आपका ध्यान
जरूर ही खीांिा होगा। िन
ु ावी गहमागहमी में ऐसा होना असवाभाप्रवक नहीां है । मगर हमलोग इससे परे शान
हैं फक मीड़डया में इस घटना पर त्वररत हटप्पणर्यों की तो कमी नहीां थी, पर क्जन अनसुलझे प्रचनों के
समाधान की हमें तलाश थी, वे हमें नहीां शमले।
जहाँतक मैं दे खती और समझती हँ तो बहुत कम लोग असम से जुड़ी जमीनी समसयाओां को जानते होंगे!
जैसे फक बोडो, मर्ीपुरी, खाशसया अथवा धधमासा लोगों की क्षेत्रीय समसया! अथवा फिर प्रपछले दशक में
असम समेत पवोत्तर में सरकारों के प्रवरूद्ध हुए तमाम सशसत्र प्रवद्रोहों को बेहद नाटकीय ढां ग से रोकने के
बावजद वहाां हहांसा खत्म क्यों नहीां होती ?
बोडो जनजातत िह्मपुत्र घाटी के उत्तरी हहससे में बसी असम की सबसे बड़ी जनजातत है !! िह्मपुत्र घाटी में
धान की खेती उन्होंने ही शरू
ु की, १९६० के दशक से ही वे इन रोहहांग्या मुसलमानों की अवैध घुसपैठ और
भयानक अत्यािारों के कारर् पथ
र क राज्य की माांग करते आए हैं! राज्य में इनकी जमीनों पर रोहहांग्या
मुसलमानों का अनाधधकरत प्रवेश और भशम पर बढ़ता दबाव ही इनके असांतोष की वजह है ।
१९९३ से पहले तक बोडो और मुसलमानों के ररचते इतने खराब नहीां थे। इसी वषण से रोहहांग्या मुक्सलमों ने
इन्हे सत्ताधारी राजनैततक दल के तष्ट्ु टीकरर् व्यवहार का लाभ लेकर शशकार बनाना शरू
ु फकया, और उसी के
बाद असम में हहांसा की शुरूवात हो गयी!! बोडो अपने क्षेत्र की राजनीतत, अथणव्यवसथा और प्राकरततक
सांसाधन पर विणसव िाहते हैं, और ये कोई भी भारतीय प्राांतीय जनजाततयों का सिंववधान प्रदत्त मौललक
अचधकार भी है !!
म्याांमार की बहुसांख्यक आबादी बौद्ध है , म्याांमार में एक अनुमानके मुताब्रबक़ १० लाख रोहहांग्या मुसलमान
हैं, इन मस
ु लमानों के बारे में कहा जाता है फक ये मख्
ु य रूप से अवैध बािंग्लादे शी प्रवासी हैं!! सरकार ने इन्हें
नागररकता दे ने से इनकार कर हदया है !! और जैसे फक अिगानी आतांकवाहदयों को पाफकसतान की सरकार
भारत में भेजती आ रही थी!! ब्रबल्कुल उसी प्रकार से बांगलादे श के कट्टरवादी सांगठन इन रोहहांग्या
मुक्सलमों को "बाइ-पास" करके पवोत्तर के राज्यों में कािी हदनों से भेजते आ रहे हैं!!
हालाांफक ये म्यामाांर में पीहढ़यों से रह रहे हैं, रखाइन राज्य में २०१२ से साांप्रदातयक हहांसा जारी है , इस हहांसा में
बड़ी सांख्या में पहले म्याँमार के बौद्धों-मल तनवाशसयों की जानें गई हैं!! म्याांमार में मौंगडोव सीमा पर नब्बे
पशु लस अधधकाररयों की हत्या हो गई, इसके बाद रखाइन सटे ट में म्याांमार के सरु क्षा बलों ने बड़ी कारण वाई शरू
ु
की, और ये सि भी है फक पुशलस पर हमला रोहहांग्या मुसलमानों ने ही फकया था!! और तब सुरक्षा बलों ने
मौंगडोव क्जले की सीमा सील कर दी और वे व्यापक अशभयान िलाया!!
वहीां यहाँ पवोत्तरीय राज्य में मणर्परु यतनवशसणटी के म्याांमार सटडीज सेंटर के Haed of the Department
क्जतेन नोंगथॉबम ने बीबीसी से कहा फक जब बात मुक्सलमों को लेकर सोिकी आती है तो बमाणके राष्ट्रवादी
और कट्टर बौद्ध मोदी और भाजपा के राजनैततक-तांत्रको खद
ु के ज़्यादा नजदीक पाते हैं!!"
आपसे आग्रह करती हँ फक इस सांकशलत लेख पर अपने अमल्य प्रविार अवसय रखें !! तथा इसे ज्यादा से
ज्यादा अग्रेप्रषत करें !! और हे प्रप्रय इसी के साथ मैं इस श्ड़्
र खला को समाप्त करती हँ ! और इस के द्प्रवतीय
अांक के साथ शशघ्र ही आपकी सेवा में उपक्सथत होने का प्रयास करूँगी!! आपकी दीदी सुतपा!!