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॥ परु ाणोक्त नागपूजा ॥


॥ ध्यानं ॥
शेषराज नमस्तेऽस्तु पद्मद्रय धराव्यया । ध्यायािम ििष्णोशयनं सिाा ऽभीष्टफलप्रदम् ॥
॥ आवाहनं ॥
अगच्छागच्छ ििश्वात्मन् िशिाभरण पन्नग । अिाहयािम त्िां दे ि सुरासुर नमस्कृत ॥
॥ स्वणणससंहासनं ॥
दंदशकू नमस्तेऽस्तु पन्नगाशयनते नमः । स्िणा िसंहासनं चारु प्रीत्यथं प्रितगष्त ृ ताम् ॥
॥ पाद्यं ॥
सुरासुराणामभय क्षीरािधधकृतमिन्दर । पाद्यं गहृ ाण दे िेश सपाा णामिधपप्रभो ॥
॥ अर्घ्यं ॥
भोिगराज नमस्तेऽस्तु लक्ष्मीकान्ततस्य धारक । ऄर्घ्यं गहृ ा ण दे िेश शरणागत ित्सल ॥
॥ आचमनं ॥
ददाम्याचमनं देि िस्िकुरुष्ि फणेश्वर: । िासुिक ते नमस्तुभ्यं पुराणपुरुषोत्तम ॥
॥ मधप ु र्कं ॥
मधुपकं गहृ ाणेदं दिधमध्िाज्य संयुतम् । भक्तत्या ददािम दे िेश प्रीत्यथं प्रितगष्त
ृ ताम् ॥


॥ स्नानं ॥
गङ्गा जल समािनतं सुिणा कलशेिस्थतं । स्नानं गहृ ाण दे िेश मनोभीष्टप्रदायक ॥
॥ वस्त्रयग्ु मं ॥
िस्त्रयुग्मं प्रदास्यािम देिाङ्ग सदृशं प्रभो । गहृ ाण नागलोकेश नमः कश्यपनन्दन ॥
॥ यज्ञोपसवतं ॥
ऄिहराज नमस्तेऽस्तु त्रािहमां भिसागरात् । ब्रष्णसत्र ू ं चोत्तरीयं गहृ ाण पुरुषोत्तम् ॥
॥ आभरणं ॥
हारं कङ्कण केयरू िकरीटमिण भिू षतम् । ददािम ते सुरश्रेष्ठ प्रीत्यथं प्रितगष्त ृ ताम् ॥
॥ गंधं ॥
श्रीगंधञ्चन्दनं िदव्यं कपा रू ािद मनोहरै : । ििलेपनं ददाम्यद्य गहृ ाणामर पिू जता ॥
॥ अक्षतां ॥
ऄक्षतान् धिलान् देि हररद्राचण ू ा िमिश्रतान् । ऄपा यािम जगन्नाथ काकोदर नमोऽस्तुते ॥
॥ पष्ु पासण ॥
माल्यािन च सुगंधीिन मालत्यादीिन िै प्रभो । मयाहृतािन पज ू ाथं िस्िकुरुष्ि िबलेकया ॥


॥ धूपं ॥
दशाङ्ग गुग्गुलं धपू ं गंधािद सुमनोहरम् । धपू ं गहृ ाण नागेन्द्र पन्नगेंद्र नमोऽस्तुते ॥
॥ दीपं ॥
साज्यं ित्रिती संयुक्तं ििष्ढना योिजतं मया । दीपं गहृ ाण नागेन्द्र गहृ ाण भुज गोत्तम ॥
॥ नैवद्ये ं॥
नैिेद्यं गष्त
ृ तां दे ि भक्षभोज्य मनोहरं । परमान्नं मायादत्तं ऄपा यािम िरप्रदे ॥
॥ ताम्बूलं ॥
नागििल्लदलं श्वेतं पग ू ीफल समिन्ितं । चण ू ा कपा रू संयुक्तं दधािम पापनाशन ॥
॥ नीराजनं ॥
नीराजनं सुरश्रेष्ठ दीपमाल समिन्ितं । दास्यािम पन्नगेंद्रय परमानन्ददायक ॥
॥ पष्ु पाञ्जसल ॥
ॎ भुजङ्गाय ििद्महे चक्षुश्रिाय धीमिह । तन्न: सपा : प्रचोदयात् ॥
॥ प्रदसक्षणं ॥
नमस्ते सिा नागेन्द्र नमस्ते धरणीधर । नमस्ते सिा नागेन्द्र नमस्ते पुरुषोत्तम ॥


॥ नमस्र्कारं ॥
सहस्त्रिक्तत्रं िद्रसहस्रिजह्वं िपशङ्गनेत्रं किपलांशुकाड्यं ।
ििषायुधं प्रोज्िलदंष्रङ्काननं तं नागराजं प्रणतोिस्म िनत्यम् ॥
॥ सुवणण दसक्षणां ॥
िहरण्यगभा गभा स्थं हे मबीजं ििभािसो: । ऄनन्तपुण्यफलदमत: शािन्तं प्रयच्छ मे ॥
॥ पूजासमपणणं ॥
पन्नगेंद्रसमस्तेस्तु लक्ष्मीकान्तस्य धारक । आमां मयाकृतं पज ू ां गष्डृ ीश्व िरदो भि ॥
॥ लाजासदचणर्कं ॥
लाजाचणक संयुक्तं क्षीरिपष्ठ समिन्ितं । निनीतं समायुक्तं नागेन्द्र प्रितगष्त ृ तां ॥
॥ वरयाचना: ॥
अयुरारोग्यमैश्वयं धनधान्य समिृ िदं । पुत्रपौत्रप्रदं नण
ृ ां दे िह मे धरणीधर ॥
Compiled by-Animesh Nagar
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