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प्रश्न 1 - उत्तर : b
प्रश्न 2 - उत्तर : d
व्याख्या :पशु पति मुहर "मोहनजोदड़ो" से प्राप्त हुई है सर जॉन माशशल ने इसे
आद्यतशव की उपमा दी है ! इस मुहर में पद्मासन मुद्रा में बैठे हुए एक तिमुखी
पुरुष को तदखाया गया है साथ ही बाघ,हाथी,गैंडा,भैंसा,तहरण एवं मोर का अंकन
तकया गया है !
प्रश्न 3 - उत्तर : c
व्याख्या : उत्तरी काले पॉतलशदार मृदभांड लगभग 700 ई.पू. तवकतसि हुए एवं
महाजनपद काल (600 -300 ई.पू.) में यह कला अपने तशखर पर थी! ये उत्कृष्ट
भूरे रं ग के मृदभां ड थे इनकी सिह काली चमकदार होिी थी!
प्रश्न 4 - उत्तर : c
प्रश्न 5 - उत्तर : c
व्याख्या : ऋग्वेद में बहुचतचशि दशराज्ञ युद्ध के सन्दभश में अज,तशग्रु,यक्षु,एवं तितव
नामक जनजातियों का उल्लेख है जो गंगा यमुना दोआब तनवासी प्रिीि होिी हैं
प्रश्न 6 - उत्तर : d
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व्याख्या : वैतदक काल में प्रयोग तकये जाने वाले शब्द - लां गल- हल ,गतवष्ट- युद्ध
, अघन्या-गाय , धन्व-मरुस्थल ,िक्षण-बढ़ई, खखल्य -चारागाह, सीिा- खेिों में हल
जोिने से बानी नातलयां इत्यातद
प्रश्न 7 - उत्तर : a
व्याख्या : ऋग्वेतदक काल में तसंधु नदी आतथश क रूप से अतिमहत्वपूणश थी!इसका
उल्लेख सवाश तधक बार हुआ है I आतथश क महत्व के कारण ऋग्वेद में तसंधु नदी
को तहरण्यतन कहा गया है
प्रश्न 8 - उत्तर : c
प्रश्न 9 - उत्तर : c
व्याख्या : प्रथम बौद्ध संगीति 483 ई.पू. राजगीर में अजािशिु के संरक्षण में हुई
I इसकी अध्यक्षिा महाकश्यप ने की I मोगतलपुत्त तिस्स ने िृिीय बौद्ध संगीति
की अध्यक्षिा की I
प्रश्न 10 - उत्तर : d
प्रश्न 11 - उत्तर : b
व्याख्या : महात्मा बुद्ध उज्जैन नहीं जा सके उन्ोंने अपने तशष्य महकच्चायन को
उज्जैन भेजा था
प्रश्न 12 - उत्तर : b
प्रश्न 13 - उत्तर : b
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प्रश्न 14 - उत्तर : d
प्रश्न 15 - उत्तर : d
प्रश्न 16 - उत्तर : d
प्रश्न 17 - उत्तर : a
प्रश्न 18 - उत्तर : c
प्रश्न 19 - उत्तर : c
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प्रश्न 20 - उत्तर : c
प्रश्न 21 - उत्तर : d
प्रश्न 22 - उत्तर : b
प्रश्न 23 - उत्तर : d
व्याख्या : मध्यप्रदे श के रायसेन तजले में खस्थि खजु राहो के मंतदरों का तनमाश ण
चंदेल शासकों ने करवाया था यहााँ तहन्दू धमश के शैव एवं वैष्णव संप्रदाय िथा
जै न धमश से जुड़े मंतदरों का समूह है I खजु राहो का मिं गेश्वर मंतदर भगवान तशव
को समतपशि है मंतदर स्थापत्य नागर शै ली में है I यहााँ के मंतदरों में कंदररया
महादे व मंतदर सवोत्तम है I एलोरा के शैलकृि मंतदर महाराष्टर के औरं गाबाद तजले
में खस्थि हैं तजनका तनमाश ण राष्टरकूट शासकों ने करवाया था I महाबलीपुरम के
मंतदरों का तनमाशण पल्लव शासकों िारा करवाया गया था यहााँ पर शोर मंतदर
बहुि प्रतसद्द है I तमनाक्षी मंतदर का तनमाश ण पंड्या शासकों ने करवाया था यह
मंतदर दे वी पावशिी को समतपशि है
प्रश्न 24 - उत्तर : a
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प्रश्न 25 - उत्तर : d
व्याख्या : ये गुफाएं महाराष्टर के औरं गाबाद तजले में अवखस्थि हैं यहााँ कुल 34
गुफाएं हैं तजनमे 1 से 12 िक बौद्ध , 13 से 29 िक तहन्दू एवं 30 से 34 िक की
गुफाएं जै न धमश से सम्बंतधि हैं I
प्रश्न 26 - उत्तर : a
प्रश्न 27 - उत्तर : c
व्याख्या:- 1191 में मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान के साथ िराइन का प्रथम युद्ध
लड़ा तजसमें मोहम्मद गौरी की पराजय हुई । 1192 तवषय में िराइन का तििीय युद्ध में
मोहम्मद गौरी िारा पृथ्वीराज चौहान की पराजय के बाद भारि में मुखिम शखक्त की
स्थापना हुई ।1178 में मोहम्मद गोरी ने गुजराि पर आिमण तकया तकंिु मूलराज
तििीय या भीम तििीय ने अपनी योग्य एवं साहसी तवधवा मााँ गातयका दे वी के नेिृत्व में
आबू पवशि के तनकट गोरी का मुकाबला तकया और उसे पराि कर तदया यह गोरी की
भारि में पहली पराजय थी । 1194 इसी में चंदावर के युद्ध में मोहम्मद गोरी ने कन्नौज
के गहड़वाल राजा जयचंद को परातजि तकया था । चंदावर विश मान तफरोजाबाद तजले
में यमुना िट पर खस्थि है ।
प्रश्न 28 - उत्तर : c
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व्याख्या:- भारि में गुलाम वंश का प्रथम शासक कुिु बुद्दीन ऐबक था। वह ऐबक नामक
िु की जनजाति का था । तदल्ली का वाितवक संस्थापक इल्तुितमश था ।उसने सुल्तान
के पद की स्वीकृति गौर के तकसी शासक से नहीं अतपिु खलीफा से प्राप्त की। खलीफा
ने इल्तुितमश के शासन की पुतष्ट उस सारे क्षे ि में कर दी जो उसने तवतजि तकया और
उसे सुल्तान ए आजम की उपातध प्रदान की ।इस प्रकार वह कानूनी िरीके से तदल्ली का
प्रथम स्विं ि सुल्तान था । अपनी उदारिा के कारण कुिु बुद्दीन ऐबक इिना अतधक दान
करिा था तक उसे एक लाख बख्श (लाखों को दे ने वाला) के नाम से पुकारा गया
।फररश्ता ने तलखा है तक यतद व्यखक्त तकसी की दानशीलिा की प्रशंसा करिे थे िो उसे
अपने युग का ऐवक पुकारिे थे इस की एक उपातध कुरान ख्ााँ थी । ऐबक़ ने तदल्ली में
कुब्बि उल इिाम और अजमेर में ढाई तदन का झोपड़ा नामक मखस्जदों का तनमाश ण
कराया था । उसने तदल्ली में खस्थि कुिु ब मीनार का तनमाश ण कायश प्रारं भ तकया तजसे
इल्तुितमश ने पूरा करवाया । इल्तुितमश ने तदल्ली को सल्तनि की राजधानी के रुप में
स्थातपि तकया था इससे पूवश ऐबक़ ने लाहौर से ही शासन तकया था। इल्तुितमश ने ही
भारि में सल्तनि काल में सवशप्रथम शु द्ध अरबी तसक्के चलाए थे । सल्तनि युग के दो
महत्वपूणश तसक्के चां दी का टं का 175 ग्रेन और िाबें का जीिल उसी ने आरं भ तकए िथा
तसक्कों पर टकसाल का नाम तलखवाने की परं परा शु रू की।
प्रश्न 29 - उत्तर : c
व्याख्या:- चंगेज खान एक मंगोल शासक था तजसने मंगोल साम्राज्य के तविार में एक
अहम भूतमका तनभाई चंगेज खान का वाितवक तकया प्रारं तभक नाम िे मूतचन था।
प्रश्न 30 - उत्तर : d
व्याख्या:- सुल्तान बलबन का पूरा नाम गयासुद्दीन बलबन था ।बलबन ने 1266 से 1287
ईसवी िक सुल्तान के रूप में सल्तनि की बागडोर संभाली। उसे उलु ग खान के नाम से
भी जाना जािा है उसका वाितवक नाम बहाउद्दीन था। इल्तुितमश की भां ति वह भी
अलवरी िु कश का था ।उसने एक नवीन राजवंश बलबनी वंश की नींव डाली, बलबन
बचपन में ही मंगोलों िारा पकड़ तलया गया था ।तजन्ोंने उसे गजनी में बसरा के तनवासी
ख्ाजा जमालुद्दीन के हाथों बेंच तदया ।अनंिर 1232 ईस्वी में उसे तदल्ली लाया गया जहां
इल्तुितमश ने 1233 ईसवी में ग्वातलयर तवजय के पश्चाि् उसे खरीदा उसके योग्यिा से
प्रभातवि होकर इल्तुितमश ने उसे खसदार का पद तदया । रतजया के काल में वह अमीर
के तशकार के पद पर पहुं च गया रतजया के तवरुद्ध षड्यंि में उसने िु की सरदारों का
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साथ तदया फलस्वरुप बहराम शाह के सुल्तान बनने के बाद उसे अमीर ए आखूर का
पद तमला। बलबन ने रक्त और लौह की नीति अपनाई थी बलबन की राजत्व तसद्धां ि की
दो मुख्य तवशे षिाएं थे प्रथम सुल्तान का पद ईश्वर के िारा प्रदत्त होिा है और तििीय
सुल्तान का तनरं कुश होना आवश्यक है , उसके अनुसार सुल्तान पृथ्वी पर ईश्वर का
प्रतितनतध तनयामि खुदाई है और उसका स्थान पैगंबर के पश्चाि है । अपने दरबार के
तलए बलबन ने एक बड़े सुल्तान के दरबार के अनुरूप तनयम बनाए और उन्ें कठोरिा
से लागू तकया। इस क्षेि में उसका आदशश ईरानी बादशाह थे और उसने उनके कई
परं पराओं को अपने दरबार में आरं भ तकया ।उसने तसजदा (भूतम पर ले ट कर
अतभवादन करना) और पाबोस (सुल्तान के चरणों को चूमना) की रीतियां आरं भ की
उसने अपने दरबार में प्रतिवषश पारसी त्योहार नवरोज बड़ी शानो-शौकि के साथ बनाने
की प्रथा प्रारं भ की। बलबन ने मंगोल के आिमण की रोकथाम करने के उद्दे श्य से उत्तर
पतश्चम सीमा पर सुदृण दु गों का तनमाश ण कराया था ।
प्रश्न 31 - उत्तर : c
प्रश्न 32 - उत्तर : a
व्याख्या :-मोहम्मद िु गलक ने अपने समय में तवतभन्न प्रकार के तसक्के चलाए और उन
सभी का उतचि मूल्य तनतश्चि तकया, परं िु सां केतिक मुद्रा का प्रचलन उसके एक
तवशे षिा रही ।बरनी के कथनानुसार खजाने में धन की कमी और साम्राज्य तविार की
नीति को कायश रुप में पररणि करने की वजह से मोहम्मद तबन िु गलक की सां केतिक
मुद्रा चलानी पड़ी। ईरान में कैरबाि खान के समय में सां केतिक मुद्रा चलाई गई थी
यद्यतप वहां यह प्रयोग असफल हुआ था परं िु चीन में कुबलाई खान के समय में
सां केतिक मुद्रा का प्रयोग सफलिापूवशक तकया गया था। संभविया नवीन अन्वेषण का
प्रयोग करने वाले मोहम्मद िु गलक ने उन दे शों से प्रेरणा प्राप्त की।
प्रश्न 33 - उत्तर : a
व्याख्या:- तफरोज शाह िु गलक संिो एवं धातमशक व्यखक्तयों को जागीर एवं संपतत्त दान
करिा था ।उसने एक तवभाग दीवाने खैराि स्थातपि तकया था। जो गरीब मुसलमानों
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अनाथ खियों एवं तवधवाओं को आतथश क सहायिा दे िा था और तनधशन मुसलमान
लड़तकयों के तववाह की व्यवस्था करिा था । इब्नबिुिा मोरक्को मूल का अफ्रीकी यािी
था यह मोहम्मद तबन िुगलक के कायशकाल में भारि आया ,मोहम्मद तबन िुगलक ने इसे
तदल्ली का काजी तनयुक्त तकया था ,बाद में 1342 में उसने सुल्तान का राजदू ि बनाकर
चीन भेजा गया। इब्नबिूिा ने तकिाब उल रे हला नामक अपनी पुिक में अपनी यािा का
तववरण प्रिुि तकया है ।सल्तनि कालीन शासक अलाउद्दीन खखलजी ने सावशजतनक
तविरण प्रणाली प्रारं भ की थी ।रतजया बेगम को सत्ताच्युि करने में िु कों का हाथ था
,उन्ोंने भतटं डा के गवनशर मतलक अल्तुतनया के नेिृत्व में रतजया के तवरुद्ध तवद्रोह कर
उसे सत्ता से हटाया था।
प्रश्न 34 - उत्तर : b
व्याख्या:- मोहम्मद तबन िु गलक ने कृतष की उन्नति के तलए एक नया तवभाग दीवान ए
अमीर ए कोही की स्थापना की ।इस तवभाग का मुख्य कायश कृषकों को प्रत्यक्ष सहायिा
दे कर अतधक भूतम कृतष कायश के अधीन लाना था। 60 वगश मील की भूतम का एक लं बा
टु कड़ा इस कायश के तलए चुना गया भूतम पर कृतष सुधार तकए गए और फसल चि के
अनुरूप हे र-फेर के साथ तवतभन्न फसलों की खेिी की गई ।तफरोज शाह िु गलक को
दासों का बहुि शौक था उसके दासों की संख्या संभवि 1,80,000 िक पहुं च गई थी
उनकी दे खभाल के तलए एक प्रथक तवभाग दीवाने बंद गान का गठन तकया गया था उन
दासों की तशक्षा का पूणश ध्यान रखा जािा था। प्रत्येक दास को 10 से 100 टक्के के बीच
वेिन तमलिा था िथा कभी-कभी जागीर भी तमलिी थी। तफरोज का यह शौक राज्य के
तलए हातनकारक तसद्ध हुआ । तफरोज िुगलक ने तसंचाई और यातियों की सुतवधा के
तलए 150 कुाँए खुदवाए फररश्ता के अनुसार तफरोज ने तसंचाई की। सुतवधा के तलए
तवतभन्न स्थानों पर 50 बां धों और 30 झीलों अथवा जल को संग्रह करने के तलए िालाबों
का तनमाश ण करवाया। तफरोज िुगलक उले मा वगश की स्वीकृति के पश्चाि हक्क ए शबश
नाम तसंचाई कर लगाने वाला तदल्ली का प्रथम सुल्तान था। उन तकसानों को जो तसंचाई
के तलए शाही नहरों का पानी प्रयोग में लािे थे अपनी पैदावार का 1/10 भाग्य सरकार
को दे ना पड़िा था।
प्रश्न 35 - उत्तर : d
व्याख्या:- सल्तनि काल में सवशप्रथम तफरोजशाह िु गलक ने ही लोक तनमाश ण तवभाग की
स्थापना की थी कहा जािा है तक तफरोज ने 300 नवीन नगरों का तनमाश ण कराया था
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उसके िारा बिाए नगरों में फिे हाबाद ,तहसार , तफरोजपुर, जौनपुर और तफरोजाबाद
प्रमुख थे फररश्ता के अनुसार तफरोज ने 40 मखस्जदें ,30 तवश्वतवद्यालय, 20 महल, 200
नगर, 100 अस्पिाल, 5 मकबरे , 100 सावशजतनक स्नानगृह ,10 िंभ और 150 पुलों का
तनमाश ण कराया था तफरोज शाह िु गलक िारा ब्राह्मणों पर जतजया लगाया गया था
उल्लेखनीय है तक उस समय िक ब्राह्मण कर से मुक्त रखे गए थे तफरोज के इस कदम
के तवरुद्ध तदल्ली के ब्राह्मणों ने भूख हड़िाल की थी िथा अंि में तदल्ली के अन्य तहं दुओं
ने ब्राह्मणों के इस तहस्से का तदया सब दे ने का तनणश य तलया था राज्य के खचश पर हज की
व्यवस्था करने वाला पहला भारिीय शासक तफरोजशाह िु गलक था भारि पर िै मूर का
आिमण िु गलक शासक नातसरुद्दीन महमूद के काल में हुआ था भारि पर आिमण
करने के उद्दे श्यों को िैमूर ने स्वयं स्पष्ट तकया था उनमें से एक था कातफरों से युद्ध िथा
उनका तवनाश िथा दू सरा था धन प्राखप्त
प्रश्न 36 - उत्तर : b
व्याख्या :- 1504 में तसकंदर लोदी ने राजस्थान के शासको पर तनयं िण के उद्दे श्य से
यमुना नदी के तकनारे आगरा नामक नवीन नगर बसाया और इसे अपनी राजधानी
बनाया। तसकंदर शाह अत्यतधक पररश्रमी ,उदार एवं न्याय तप्रय शासक था, उसने कृतष
और व्यापार की उन्नति के तलए प्रयत्न तकया। नाप का पैमाना गज- ए -तसकंदरी उसी के
समय में आरं भ तकया गया उसने तनधशनों के तलए मुफ्त भोजन की व्यवस्था की उसके
समय में योग्य व्यखक्तयों की एक सूची बनाकर प्रत्येक 6 माह पश्चाि् उसके सामने प्रिुि
की जािी थी ।वह तशतक्षि और तविान था उसके स्वयं के आदे श से एक आयुवेतदक ग्रंथ
का फारसी में अनुवाद तकया गया है तजसका नाम ‘फरहं गे तसकंदरी’ रखा गया ।उसके
समय में गायन तवद्या के एक श्रेष्ठ ग्रंथ’ लज्जि ए तसकंदर शाही’ की रचना हुई। तसकंदर
लोदी शहनाई सुनने का बहुि शौकीन था वह गुलरुखी उपनाम से कतविाएं तलखिा था
।सुल्तान तसकंदर ने अनाज से जकाि आयकर समाप्त कर तदया।
प्रश्न 37 - उत्तर : c
व्याख्या:- कृष्णदे व राय के शासनकाल तवजयनगर में सातहत्य का क्लातसकी युग माना
जािा है ।उसके दरबार को िे लुगू के 8 महान तविान एवं कतव तजन्ें अष्टतदग्गज कहा
जािा है सुशोतभि करिे थे । इसतलए इसके शासनकाल को िेलुगु सातहत्य का स्वणश युग
में कहा जािा है ।कृष्ण दे वराय ने आं ध्र भोज की उपातध धारण की थी ।कृष्णदे व राय ने
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गोलकुंडा का युद्ध गोलकुंडा के सुल्तान कुली कुिु ब शाह के साथ लड़ा था। कृष्ण
दे वराय स्वयं एक उत्कृष्ट कतव और ले खक थे उनकी प्रमुख रचना रचना
‘अमुक्तमाल्यद’ थी जो िे लुगू भाषा के पां च महाकाव्य में से एक है । इसके अतिररक्त
कृष्णदे वराय को कला व तनमाश ण कायश में भी रुतच थी उसने नागल पु र नामक नगर की
स्थापना की। उसके समय में पुिशगाली यािी डोतमंगो पायस ने तवजयनगर साम्राज्य की
यािा की। बाबर ने अपनी आत्मकथा में कृष्णदे वराय को भारि का सबसे शखक्तशाली
शासक बिाया है ।तवट्ठल मंतदर का तनमाशण तवजयनगर साम्राज्य के िुलुव् वंश के
महाप्रिापी राजा कृष्णदे व राय ने करवाया था। इस मंतदर में खस्थि 56 ितक्षि िंभ
संगीिमय स्वर तनकलिे हैं इस मंतदर का तनमाश ण तवजयनगर साम्राज्य की राजधानी हं पी
में तकया गया था।
प्रश्न 38 - उत्तर : b
प्रश्न 39 - उत्तर : c
व्याख्या:- अबुल हसन यमीनुद्दीन खुसरो तजसे प्रायःअमीर खुसरो के नाम से जाना जािा
है का जन्म 1253 में उत्तर प्रदे श के विश मान कासगंज तजले के पतटयाली नामक स्थान
पर हुआ था ।खुसरो स्वयं को िूिी ए तहं द कहा है वह 8 वषश की आयु में ही कतविा रचने
लगा था ।ऐतिहातसक तवषय को लेकर उसकी पहली मनसवी तकरान- उस- सादे न है
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प्रश्न 40 - उत्तर : b
व्याख्या:- तवजयनगर साम्राज्य की स्थापना हररहर एवं बुक्का ने 1336 में की थी। अपने
इस साहतसक कायश में हररहर एवं बुक्का ने अपने गुरु तवद्यारण्य िथा वेदों के प्रतसद्ध
भाष्यकार सायण से प्रेरणा ली थी । तवजयनगर साम्राज्य में कुल 4 राजवंश हुए संगम
वंश, सालुव वंश, िुलुव वंश ,एवं अरातवदु वंश । संगम वंश के शासक बुक्का प्रथम ने
1374 में चीन के सम्राट के पास अपना दू ि मंडल भेजा था।
प्रश्न 41 - उत्तर : c
व्याख्या:- हुमायूं िारा लड़े गए चार प्रमुख युद्धों का िम इस प्रकार है दे वरा, चौसा,
कन्नौज एवं सरतहं द। 1532 में उसने गोमिी के िट पर खस्थि दे वरा नामक स्थान पर
अफगान तवद्रोतहयों को पराि तकया। 26 जू न 1539 को चौसा के युद्ध में हुमायूं को शे र
शाह से परातजि होना पड़ा। 22 जू न 1555 को सरतहं द युद्ध की तवजय ने हुमायूं को एक
बार पुनः उसका खोया राज्य वापस तदला तदया। शे रशाह ने चां दी के तसक्कों का प्रचलन
तकया तजसे रुपया कहा जािा था रुपया का िौल 180 ग्रेन था तजसमें 173 ग्रेन तवशु द्द
चां दी थी ।इस पर प्रायः अरबी एवं नागरी में सुल्तान का नाम अंतकि रहिा था ।
कृषकों की मदद के तलए शे रशाह ने पट्टा एवं कबूतलयि की व्यवस्था प्रारं भ की थी।
शे रशाह का मकबरा तबहार के शाहाबाद के सासाराम नामक स्थान पर एक िालाब के
बीच ऊंचे चबूिरे पर बना है । यह आकार एवं गौरव दोनों दृतष्टयों से भारिीय मुसलमानी
तनमाश ण कला का चमत्कार है है ।
प्रश्न 42 - उत्तर : c
प्रश्न 43 - उत्तर : b
प्रश्न 44 - उत्तर : d
व्याख्या;- बाबर का मकबरा काबुल में खस्थि है । अकबर का मकबरा तसकंदरा में खस्थि
है ।शाहजहां का मकबरा आगरा में खस्थि है । जहां गीर का मकबरा तदल्ली में नहीं लाहौर
में खस्थि है । इस प्रकार तवकल्प D गलि है।
प्रश्न 45 - उत्तर : b
व्याख्या:- मोिी मखस्जद, तदल्ली का तनमाश ण औरं गजे ब ने करवाया था। उपतनषदों का
फारसी अनुवाद शाहजहां के शासनकाल में शहजादे दारा तशकोह ने तसरश -ए- अकबर
शीषशक के िहि तकया इसमें 52 उपतनषदों का अनुवाद तकया गया है । दारा को उसकी
सतहष्णु िा एवं उदारिा के तलए ले न पूल ने लघु अकबर की संज्ञा दी है । यही नहीं
शाहजहां ने भी दारा को बुलंद इकबाल की उपातध प्रदान की थी। मज्म- उल् -बहरीन
दारा की मूल रचना है । मुगल बादशाह शाहजहां ने बलबन िारा प्रारं भ ईरानी दरबारी
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ररवाज ‘तसजदा’ समाप्त कर तदया था । 1636- 37 में तसजदा प्रथा का अंि कर तदया
गया । बादशाह की िस्वीर पहनने की मनाही कर दी गई यह बािें शाहजहां के धातमशक
दृतष्टकोण के उदाहरण के रूप में प्रिुि की। तसजदा षष्टां ग दं डवि प्रणाम जै सा होिा
था जो इिामी परं परा के अनुसार केवल खुदा के तलए ही तकया जा सकिा था। इन
बािों के स्थान पर चहार ििीम प्रथा लागू की गई तकंिु मनूची बिािा है तक बाद में
चाहर ििीम और से तसजदा में भेद कर पाना कतठन हो गया ।अलाई दरवाजा का
तनमाश ण तदल्ली में अलाउद्दीन खखलजी ने करवाया था।
प्रश्न 46 - उत्तर : c
व्याख्या:- 1665 के आरं भ में औरं गजे ब ने राजा जय तसंह के ने िृत्व में तवशाल सेना
तशवाजी का दमन करने के तलए भेजी ।जय तसंह कछवाह शासक थे जो तक तक युद्ध और
शां ति दोनों कलाओं में तनपुण थे ।वह चिु र कूटनीतिज्ञ थे और उसने समझ तलया तक
बीजापुर को जीिने के तलए तशवाजी से मैिी करना आवश्यक है ।अिः पुरंदर के तकले पर
मुगलों की तवजय और राय राजगढ़ की घेराबंदी के बावजू द उन्ोंने तशवाजी से पुरंदर की
संतध जू न 1665 में की।
प्रश्न 47 - उत्तर : a
प्रश्न 48 - उत्तर : c
व्याख्या:- तसख सं प्रदाय के चौथे गुरु रामदास के समय में मुगल बादशाह अकबर ने उन्ें
500 बीघा भूतम दान की थी। तजसमें एक प्राकृतिक िालाब भी था उनको और उनकी
पत्नी बीवी भवानी को अकबर िारा प्रदान की गई भूतम पर अमृिसर का शहर बना। पहले
उस शहर का नाम रामदासपुर रखा गया परं िु बाद में वहां खुदे हुए िालाब के नाम पर
उसका नाम अमृिसर पड़ गया। तसखों के पां चवे गुरू अजुश न दे व में 1604 में तसक्ों का
पतवि ग्रंथ आतद ग्रंथ का संकलन तकया। राजकुमार खुसरो की सहायिा करने के कारण
जहां गीर ने इन्ें फां सी पर चढ़ा तदया। खालसा पंथ की स्थापना अंतिम तसख गुरु गोतवंद
तसंह जी ने 13 अप्रैल 1699 को बैसाखी के तदन आनंदपुर सातहब में की थी।
प्रश्न 49 - उत्तर : c
व्याख्या:- पानीपि की िीसरी लड़ाई 14 जनवरी 1761 को सदातशव भाऊ के नेिृत्व में
मराठा सेना और अहमद शाह अब्दाली के नेिृत्व में अफगान सेना के बीच हुई। तजसमें
मराठी बुरी िरह परातजि हुए। काशीराज पंतडि इस युद्ध के प्रत्यक्षदशी थे ।उनके
अनुसार पानीपि का िीसरा युद्ध मराठों के तलए प्रलयंकारीयुद्ध हुआ। इस युद्ध में मराठों
की हार की सूचना बालाजी बाजीराव को एक व्यापारी िारा कुछ संदेश के रूप में पहुं चाई
गई। तजसमें कहा गया की दो मोिी तवलीन हो गए 22 सोने की मोहरें लु प्त हो गई और
चां दी िथा िां बे के तसक्कों की िो पूरी गणना ही नहीं की जा सकिी। पानीपि की लड़ाई
का िात्कातलक कारण यह था तक अहमद शाह अब्दाली अपने वायसराय िै मूर शाह के
मराठों िारा लाहौर से तनष्कासन का बदला ले ना था।
प्रश्न 50 - उत्तर : b
व्याख्या:- सूफी संि शाह मोहम्मद गौस ने कृष्ण को औतलया के रूप में स्वीकार तकया
है । वह सत्तारी तसलतसले के सबसे प्रतसद्ध संि थे । मुगल बादशाह हुमायूं िथा िानसेन से
उनका घतनष्ठ संबंध था ।मोहम्मद गौस की प्रतसद्ध रचना जवातहर-ए-खम्स है ,तजसमें
उन्ोंने अपनी आध्याखत्मक खोज को अतभव्यक्त तकया है ।सत्तारी संिों ने तहं दू और
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मुसलमानों के धातमशक तवचारों और रीतियों में समानिा तदखा कर उन्ें तनकट लाने का
प्रयास तकया।
प्रश्न 51 - उत्तर : d
सां प्रदातयक तनणश य-16 अगि 1932 , पूना समझौिा - 24 तसिम्बर 1932
प्रश्न 52 - उत्तर : b
व्याख्या : गीिा रहस्य के लेखक बाल गंगाधर तिलक हैं इस पुिक को तिलक
ने मां डले जेल में तलखा था I द मैन व्हू तडवाइडे ड इं तडया के ले खक रफीक
जकाररया हैं I ए नेशन इन द मेतकंग की रचना सुरेंद्र नाथ बनजी ने की थी I
अनहै प्पी इं तडया के लेखक लाला लाजपि राय हैं I
प्रश्न 53 - उत्तर : b
प्रश्न 54 - उत्तर : c
प्रश्न 55 - उत्तर : a
प्रश्न 56 - उत्तर : c
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व्याख्या: लाडश कजश न का कायशकाल 1899 से 1905 के बीच था इसके कायशकाल में-
तवश्वतवद्यालय आयोग की स्थापना(1902),प्राचीन स्मारक संरक्षण अतधतनयम (1904),
पुतलस आयोग का गठन (1902), भारिीय तवश्वतवद्यालय अतधतनयम (1904), बंगाल का
तवभाजन(1904), रे लवे बोडश की स्थापना (1905)एवं कृतष बैंक की स्थापना प्रमुख हैं I
मुखिम लीग की स्थापना(1906) में लाडश तमंटो (तििीय) कायशकाल में हुई थी I
प्रश्न 57 - उत्तर : d
व्याख्या : वनाश कुलर प्रेस एक्ट (1878) लाडश तलटन के शासन काल में लागू तकया
गया था I लाडश ररपन के काल में 1882 में वनाश कुलर प्रेस एक्ट को समाप्त तकया
गया था I
प्रश्न 58 - उत्तर : c
प्रश्न 59 - उत्तर : d
प्रश्न 60 - उत्तर : c
व्याख्या :
(a) कां ग्रेस के सूरि अतधवेशन(1907) कां ग्रेस का गरम दल एवं नरम दल में
तवभाजन हो गया इस अतधवेशन की अध्यक्षिा रास तबहारी घोष ने की थी I
(b) कां ग्रेस के लखनऊ अतधवेशन(1916) की अध्यक्षिा अखम्बका चरण मजू मदार ने
की थी इस अतधवेशन में 2 महत्वपूणश घटनाएं हुई तजसमे प्रथम,नरम दल एवं
गरम दल के बीच समझौिा हुआ एवं तििीय कां ग्रेस और मुखिम लीग के बीच
समझौिा हुआ I
(d) गााँ धी इरतवन समझौिे का अनुमोदन कां ग्रेस के कराची अतधवेशन(1931) में हुआ
था इस अतधवेशन की अध्यक्षिा वल्लभ भाई पटे ल ने की थी I
प्रश्न 61 - उत्तर : b
प्रश्न 62 - उत्तर : a
व्याख्या : प्रीसेप्टस ऑफ़ जीसस पुिक राजा राम मोहन राय िारा तलखी गयी थी
I
प्रश्न 63 - उत्तर : c
व्याख्या : (a) कूका आं दोलन: कूका आं दोलन की शु रुआि 1840 में पतश्चमी पंजाब
में भगि जवाहर मल िारा की गयी I यह तसक् धमश में व्याप्त बुराइयों एव
अंधतवश्वासों को दू र करने के तलए शु रू तकया गया था I प्रारम्भ में यह एक धमश
सुधर आं दोलन था बाद में यह राजनीतिक आं दोलन में बदल गया I राम तसंह इस
आं दोलन से जु ड़ा प्रमुख नेिा था I
(b) फराजी तवद्रोह: यह आं दोलन शरीयिु ल्ला के अनुयातयओं िारा शु रू तकया गया
था यह आं दोलन धातमशक,सामातजक एवं राजनैतिक पररविशनों के तलए शु रू तकया
गया था I इस आं दोलन से शरीयिु ल्ला का पुि दादू तमयां भी जुड़ा था I
प्रश्न 64 - उत्तर : c
प्रश्न 65 - उत्तर : c
प्रश्न 66 - उत्तर : a
खुदाश का युद्ध 1795 ईस्वी में तनजाम के तवरुद्ध मराठों िारा लड़ा गया तजसमें
तनजाम की हार हुई। बक्सर का युद्ध 22 अक्टू बर 1764 को अवध के नवाब
शु जाउद्दौला मुगल सम्राट शाह आलम िथा मीर कातसम की संयुक्त सेनाओं और
अंग्रेजो के मध्य हुआ था तजसमें अंग्रेज तवजयी हुए थे। वां डीवाश का युद्ध 22
जनवरी 1760 को अंग्रेजों िथा फ्रां सीतसयों के मध्य हुआ इस युद्ध में अंग्रेजी सेना
का नेिृत्व आयरकूट िथा फ्रां तससी सेना का नेिृत्व लाली ने तकया था इस युद्ध में
फ्रां सीसी परातजि हुए। तचलीयांवाला का युद्ध 13 जनवरी 1849 को लड़ा गया
इस युद्ध में अंग्रेजी सेना का नेिृत्व लाडश गफ तकया िथा तसक् सेना शे र तसंह
के नेिृत्व में लड़ी यह युद्ध अतनतणशि समाप्त हुआ।
प्रश्न 67 - उत्तर : c
चिु थश आं ग्ल मैसूर युद्ध 1799 में हुआ इस दौरान अंग्रेज गवनशर जनरल लाडश
वेलेजली थे। इस युद्ध में अंग्रेजी सेना ने श्रीरं गपट्टनम का दु गश जीि तलया िथा
इसी युद्ध में टीपू सुल्तान लड़िे -लड़िे वीरगति को प्राप्त हुए। िृ िीय आं ग्ल मैसूर
युद्ध 1790-92 ईसवी िक चला इस दौरान अंग्रेज गवनशर जनरल लाडश
कानशवातलस थे। अंग्रेजों के तवरुद्ध सहायिा के तलए टीपू सुल्तान िु की से सहायिा
प्राप्त करने का प्रयत्न तकया और अपने दू ि को कुिुनिु तनया भेजा। यह युद्ध
1792 की श्रीरं गपट्टनम की संतध िारा समाप्त हुआ तििीय आं ग्ल मैसूर युद्ध
1780-84 िक चला इस दौरान अंग्रेज गवनशर जनरल वारे न हे खटं ग्स था यह युद्ध
माचश 1784 में मंगलौर की संतध िारा समाप्त हुआ प्रथम आं ग्ल मैसूर युद्ध
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1764 से 1769 में चला इस दौरान अंग्रेज गवनशर गवनशर जनरल व रे लवे टे शन
युद्ध 4 अप्रैल 1769 में मद्रास की संतध िारा समाप्त हुआ
प्रश्न 68 - उत्तर : d
लॉडश डलहौजी ने व्यपगि तसद्धांि के अंिगशि 1848 में सिारा 1849 में जयपुर
िथा संबलपुर 1850 में बघाट 1812 में उदयपुर 1893 झांसी िथा 1854 में
नागपुर का तवलय कर तलया 1856 में डलहौजी ने अवध का तवलय को प्रशासन
के बहाने से तकया था तवतलयम बैंतटक के शासन के 7 वषों में पुरानी तनरं िर
युद्ध िरह संयोजन के नीति को तिलां जतल दे दी गई थी पेंतटं ग का नाम
सामातजक िथा प्रशासतनक सुधारों के कारण स्मरण तकया जाएगा जन प्रशासन
की न्यू वारे न हे खटं ग्स िारा मजबूिी से रखी गई थी तजसके ऊपर ऊपर संरचना
कानशवातलस ने िै यार की थी कानशवातलस के समय में न्यातयक सुधारों फौजदारी
कानून में सुधारों पुतलस सुधार कर संबंतधि सुधारों िथा व्यापाररक सुधारों से जन
प्रशासन तक नहीं पड़ी क्लाइव के समय सैतनक िथा असैतनक सुधारों के अंिगशि
क्लाइव ने उधार ले ने बंद करा तदए िथा तनजी व्यापार बंद करा तदए उसने
आं िररक कर दे ना अतनवायश बना तदया सैतनक सुधारों के अंिगशि क्लाइव ने
आजादी के िारा भत्ता बंद कर तदया जाए िथा जनवरी 1766 से यह भत्ता
केवल उन सैतनकों को ही तमलिा था जो बंगाल िथा तबहार की सीमा से बाहर
कायश करिे थे
प्रश्न 69 - उत्तर : c
प्रश्न 70 - उत्तर : d
बसीन की संतध तदसंबर 1802 में पेशवा बाजीराव तििीय और अंग्रेजों के मध्य
हुई थी सहायक संतध के िहि बाजीराव तििीय ने अंग्रेजों की संरक्षकिा स्वीकार
कर ली, इस संतध की शिों के अनुसार अंग्रेजों ने पेशवा को पुणे में पुनः स्थातपि
करने के साथ लगभग 60 हजार सैतनक पेशवा की रक्षा हे िु उसके राज्य में
रखने का वायदा तकया
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प्रश्न 71 - उत्तर : c
प्रथम सहायक संतध 1765 ईस्वी में अवध से की गई थी लाडश वेलेजली िारा
तवतशष्ट रुप से प्रवतिशि सहायक संतध को स्वीकार करने वाले राज्य थे है दराबाद
1798-1800 मैसूर 1799 पंजाब अक्टू बर 1799 अवध नवंबर 1831 वा तदसंबर
18 2000 के भोसले तदसंबर 1803 तसंतधया फरवरी 1804। जोधपुर जयपुर
मछे री बूंदी िथा भरिपुर
प्रश्न 72 - उत्तर : c
प्रश्न 73 - उत्तर : b
प्रश्न 74 - उत्तर : c
प्रश्न 75 - उत्तर : d
प्रश्न 76 - उत्तर : a
प्रश्न 77 - उत्तर : d
लॉडश कजश न 1899-1905 के कायशकाल में कुछ महत्वपूणश घटनाएं घटी तजनके
बारे - भारिीय तवश्वतवद्यालय अतधतनयम 1950 पाररि हुआ। सर डब्लू फ्रेज़र की
अध्यक्षिा में पुतलस आयोग का गठन हुआ-1902 में। सर टामस रै ले की
अध्यक्षिा में तवश्व तवद्यालय आयोग की स्थापना-1902 में। सर एं टनी मैकडोनाल्ड
की अध्यक्षिा में अकाल आयोग का गठन-1900। 1904 में प्राचीन स्मारक
संरक्षण अतधतनयम पाररि। 1905 -बंगाल तवभाजन। सर कॉतलन स्कॉट मौनक्रिफ
के नेिृत्व में तसंचाई आयोग की स्थापना। रे लवे बोडश का गठन सन् 1905 में।
पुतलस तवभाग में सुधार हे िु फ्रेज़र कमीशन की तनयुखक्त
प्रश्न 78 - उत्तर : d
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प्रश्न 79 - उत्तर : c
प्रश्न 80 - उत्तर : d
प्रश्न 81 - उत्तर : c
प्रश्न 82 - उत्तर : c
वारे न हे खटं ग्स के काल में चार्ल्श तवलतकंस ने भगवदगीिा का प्रथम आं ग्ल अनुवाद
तकया तजसकी प्रिावना स्वयं वारे न हे खटं ग्स नहीं तलखी, 1781 में वारे न हे खटं ग्स
ने कोलकािा में मदरसा की स्थापना की इसके प्रथम प्रमुख मुल्ला मज
ु दद्
ु दीन थे।
भारिीय तशक्षा का मैग्नाकाटाश - चार्ल्श वुड तडस्पैच को कहा गया है । भारि के
औपतनवेतशक काल में अधोमुखी तनस्यं दन तसद्धां ि तशक्षा के क्षेि से संबंतधि था
इस तसद्धां ि का अथश था तक तशक्षा समाज के उच्च वगश को ही दी जाए इस वगश
से छन-छन कर ही तशक्षा का असर जनसामान्य िक िक पहुं चे मैकाले का
कहना था तक सीतमि साधनों से समि जनिा को तशतक्षि करना असंभव है ।
प्रश्न 83 - उत्तर : a
प्रश्न 84 - उत्तर : b
प्रश्न 85 - उत्तर : d
कजश न के समय कृतष तवभाग िथा पुराित्व तवभाग की स्थापना की गई। साथ ही
1904 के प्राचीन स्मारक अतभलेख संरक्षण अतधतनयम को पाररि करने में भी
सहायिा दी गई। कजश न के समय भारि में तशक्षा महातनदे शक की तनयुखक्त की
गई इसी स्थान को ग्रहण करने वाले प्रथम अतधकारी एच डब्लू ऑरें ज था। क्लाइव
ने 1765 में बंगाल में िै ध शासन प्रणाली लागू की। लाडश तवतलअम बैंतटक के
कायशकाल में ही मैकाले िारा आधुतनक तशक्षा के नींव रखी गई अपने प्रिाव में
मैकाले की योजना थी तक एक ऐसा वगश बनाया जाए जो रं ग िथा रक्त से िो
भारिीय हो परं िु नैतिकिा िथा बुखद्ध से अंग्रेज हो मैकाले का तवचार 7 माचश
1835 को एक प्रिाव िारा अनुमोतदि कर तदया गया तजसमें यह तनश्चय हुआ
की उच्च िरीय प्रशासन की भाषा अंग्रेजी होगी। लाडड ररपन ने वनाश कुलर प्रेस एक्ट
से प्रतिबंध हटाया इसतलए उसे समाचार पिों का मुखक्तदािा कहा जािा है ।
कजश न के काल में 1905 बंगाल का तवभाजन हुआ था
प्रश्न 86 - उत्तर : c
लाडश वेलेजली ने 1799 में सभी समाचार पिों पर सेंसर बैठा तदया उसने 1799
में समाचार पिों का पररक्षण अतधतनयम पाररि कर तदया और समाचार पिों पर
युद्ध कालीन सेंसर लागू कर तदया । इस अतधतनयम के अनुसार-
प्रश्न 87 - उत्तर : d
प्रश्न 88 - उत्तर : d
प्रश्न 89 - उत्तर : a
प्रश्न 90 - उत्तर : b
कौमी आवाज नामक उदू श अखबार का प्रकाशन वषश 1945 में जवाहरलाल नेहरू
िथा रफी अहमद तकदवई िारा लखनऊ से प्रारं भ तकया गया था। वषश 1997 में
इस अखबार का प्रकाशन बंद हो गया। भारि के तलए स्वशासन की मां ग करिे
हुए मोिीलाल नेहरू ने अंग्रेजी में पि इं तडपेंडेंट प्रारं भ तकया। अल तहलाल
समाचार पि की शुरुआि अबुल कलाम आजाद के िारा वषश 1912 में उदू श
साप्तातहक के रूप में तकया गया था
प्रश्न 91 - उत्तर : c
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प्रश्न 92 - उत्तर : c
प्रश्न 93 - उत्तर : a
सत्यशोधक समाज की स्थापना 1876 ईस्वी में ज्योतिबा फूले ने की थी। उनका
जन्म 1827 तवश्व में एक माली के घर हुआ था। उन्ोंने गैर ब्राह्मण आं दोलन का
संचालन तकया उन्ोंने अपनी पुिक गुलामतगरी जो 1872 में प्रकातशि की एवं
अपने संगठन सत्यशोधक समाज के िारा पाखंडी ब्राह्मणों एवं उनके अवसरवादी
धमश ग्रंथों से तनयतमि जातियों की रक्षा की आवश्यकिा पर बल तदया। हाली
पद्धति बंधुआ मजदू र एवं बंधुआ मजदू री से संबंतधि है हाली पद्धति के अंिगशि
बारदोली क्षेि में कतपल राज्य जनजाति के लोगों को ऊंची जातियों के यहां
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पुश्तैनी मजदू र के रूप में कायश करना होिा था। वषश 1924 में बंगाल के
िारकेश्वर तशव मंतदर के भ्रष्ट महं ि के तवरुद्ध िारकेश्वर आं दोलन चला था मंि
पर एक सरकारी कमशचारी की पत्नी के साथ गलि संबंध िथा मंतदर के धन के
दु रुपयोग जै से आरोप लगे थे ।
प्रश्न 94 - उत्तर : a
प्रश्न 95 - उत्तर : d
प्रश्न 96 - उत्तर : c
भारिीय राष्टरीय कां ग्रेस के लखनऊ अतधवेशन 1916 में बाल गंगाधर तिलक ने
कहा था स्वराज मेरा जन्मतसद्ध अतधकार है और मैं उसे लेकर रूं गा इसी
अतधवेशन में उग्रवातदयों की पुनः कां ग्रेस में वापसी हुई िथा तिलक एवं एनी
बेसेंट के प्रयासों से कां ग्रेस िथा मुखिम लीग के बीच लखनऊ समझौिा हुआ
इस समझौिे को कां ग्रेस-लीग समझौिे के नाम से भी जाना जािा है ।
प्रश्न 97 - उत्तर : c
कां ग्रेस के तलए समथश न प्राप्त करने के उद्दे श्य से जु लाई 1889 में लंदन में
तवतलयम तडग्बी की अध्यक्षिा में तब्रतटश कमेटी ऑफ इं तडया की स्थापना की
गई। यह इं तडयन नेशनल कां ग्रेस की एक सतमति थी इस सतमति ने भारिीय
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मामलों से अंग्रेजों को अवगि कराने के उद्दे श्य से इं तडया नामक साप्तातहक पि
भी तनकाला।
प्रश्न 98 - उत्तर : d
भारिीय राष्टरीय कां ग्रेस का प्रथम अतधवेशन कोलकािा में नहीं बखि मुंबई में
हुआ तजस में कुल 72 सदस्यों ने तहस्सा तलया था यद्यतप इसे पुणे में आयोतजि
होना था तकंिु वहां प्लेग फैल जाने के कारण यह मुंबई में आयोतजि तकया गया।
दू सरा अतधवेशन 1886 ईस्वी में कलकत्ता में दादा भाई नौरोजी की अध्यक्षिा में
हुआ था। भारिीय राष्टरीय कां ग्रेस िथा मुखिम लीग दोनों ने 1916 में लखनऊ में
अतधवेशन तकया। िदनुसार कां ग्रेस िथा मुखिम लीग बीच लखनऊ समझौिा
हुआ जो कां ग्रेस-लीग योजना िथा लखनऊ पैक्ट के नाम से जाना जािा है। इस
अतधवेशन में उग्रपंतथयों को तजन्े तपछले 9 वषों से कां ग्रेस से तनष्कातसि कर
तदया गया था उन्ें कां ग्रेस में शातमल तकया गया। कां ग्रेस का लखनऊ अतधवेशन
अतधवेशन की अध्यक्षिा अंतबका चरण मजू मदार ने की थी। तदसंबर 1924 में
बेलगााँ व में आयोतजि 39वां कां ग्रेस अतधवेशन की अध्यक्षिा महात्मा गां धी ने की
थी।
प्रश्न 99 - उत्तर : d
लाडश वेतलं गटन ने कांग्रेस के 31 वें अतधवेशन में भाग तलया था। इस दौरान वह
मुंबई का गवनशर था। यह अतधवेशन मुंबई में 1915 ईस्वी में आयोतजि तकया
गया ध्यािव्य है तक िब तवतलं गटन गवनशर जनरल नहीं था भारि के गवनशर
जनरल एवं वायसराय के रूप में उसका कायशकाल 1931-1936 था।
प्रश्नगि कां ग्रेस अध्यक्षों का अध्यक्षिा वषश तनम्न है महात्मा गां धी ने केवल एक बार
1924 के बेलगां व अतधवेशन की अध्यक्षिा की थी सरोतजनी नायडू 1925 में
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कानपुर में हुए भारिीय राष्टरीय कां ग्रेस के 40 में वातषशक अतधवेशन में कां ग्रेस की
प्रथम भारिीय मतहला अध्यक्ष थी जवाहरलाल नेहरू ने 1929 में लाहौर 1936 में
लखनऊ िथा 1935 में फैजपुर अतधवेशन की अध्यक्षिा अध्यक्षिा की जबतक
वल्लभभाई पटे ल ने 1931 के कराची अतधवेशन की अध्यक्षिा की थी
बाल गंगाधर तिलक को सजा सुनाए जाने के पश्चाि प्रतसद्ध तविान मैक्स मूलर ने
17 फरवरी 1898 को तप्रवी काउं तसल के सदस्य सर जॉन लु ब्बाक को तलखे पि
में दया की वकालि करिे हुए यह कहा था तक “संस्कृि के तविान के रूप में
तिलक में मेरी तदलचस्पी है ”
काकोरी कां ड 1925 को तहं दुिान ररपखब्लकन आमी िारा अंजाम तदया गया था।
इस कां ड में कई लोग पकड़े गए और उन पर मुकदमा चलाया गया सरकार
की ओर से पैरवी करने के तलए जगि नारायण मुल्ला को तनयुक्त तकया गया।
और अतभयुक्तों की ओर से सरकार ने लक्ष्मीशं कर तमश्र केसी दत्त और जयकरण
नाथ तमश्रा को तनयुक्त तकया रामप्रसाद तबखस्मल अशफाक उल्ला खान रोशन
तसंह िथा राजें द्र लाहड़ी को काकोरी कां ड आरोप में फां सी दे दी गई
लाहौर षड्यंि केस के िहि गवनशर जनरल िारा गतठि तवशे ष तटर ब्यूनल ने
अक्टू बर 1930 में भगि तसंह राजगुरु और सुखदे व को मौि की सजा सुनाई 23
माचश 1931 को भारि मां के अमर सपूिों को फां सी दे दी गई जबतक बटु केश्वर
दत्त को कालापानी की सजा दे कर से सेलुलर जे ल अंडमान तनकोबार भेज तदया
गया
अतभनव भारि िथा अनुशीलन सतमति दोनों िां तिकारी संगठन थे । इं तडयन
पैतटर यट एसोतसएशन की स्थापना सर सैयद अहमद खान ने 1828 ई में कां ग्रेस
की तवरोध में की थी।
1919 के अंतिम तदनों में तकसानों का संगतठि तवद्रोह खुलकर सामने आया
अवध के प्रिापगढ़ तजले के जागीर में नाई धोबी बंद सामातजक बतहष्कार एक
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संगतठि कारश वाई की पहली घटना थी इस आं दोलन में एक नया चेहरा बाबा
रामचंद्र के रूप में जुड़ गया। उन्ोंने अवध के तकसानों को संगतठि करना शु रु
तकया और में संगठन की अद् भुि क्षमिा थी। 1920 में उनके प्रयासों से
प्रिापगढ़ में अवध तकसान सभा का गठन हुआ अप्रैल 1936 में लखनऊ में
अखखल भारिीय तकसान कां ग्रेस की स्थापना हुई तजसका नाम बदलकर अखखल
भारिीय तकसान सभा कर तदया गया। तबहार प्रां िीय तकसान सभा के संस्थापक
स्वामी सहजानंद सरस्विी इसके अध्यक्ष और आं ध्र में तकसान आं दोलन के
अगुआ िथा कृतष क्षेि की समस्याओं के तविान एन जी रं गा इसके महासतचव
चुने गए फैजपुर में कां ग्रेस सि के साथ अखखल भारिीय तकसान कां ग्रेस का भी
दू सरा सि चला तजसकी अध्यक्षिा एन जी रं गा ने की। 1936 में लखनऊ में
संपन्न प्रथम अखखल भारिीय तकसान सम्मेलन का अध्यक्ष स्वामी सहजानंद
सरस्विी को बनाया गया था। आचायश तवनोवा भावे सवोदय सम्मेलन के तसलतसले
में 18 अप्रैल 1951 को आं ध्र प्रदे श के नल गुंडा तजले में पहुं चे थे इसी तजले के
पोचमपल्ली गां व में जमीदार रामचंद्र रे ड्डी ने सौ एकड़ भूतम दे ने का प्रिाव
तकया यही प्रिाव ही भूदान आं दोलन की उत्पतत्त का िोि बना। अक्टू बर 1951
से 1957 िक तवनोबा जी ने पूरे भारि में 50 तमतलयन एकड़ भूतम भूतमहीनों के
तलए प्राप्त करने के उद्दे श्य से भूदान आं दोलन का नेिृत्व तकया।
वषश 1929 में नागपुर में संपन्न ऑल इं तडया टर े ड यूतनयन कां ग्रेस की अध्यक्षिा
जवाहरलाल नेहरू ने की थी नागपुर अतधवेशन में ही साम्यवातदयों एवं
सुधारवातदयों में मिभेद के कारण ऑल इं तडया टर े ड यूतनयन कां ग्रेस का तवभाजन
भी हुआ अहमदाबाद टे क्सटाइल ले बर एसोतसएशन की स्थापना वषश 1918 में
महात्मा गां धी ने की थी िां तिकारी साम्यवादी दल की स्थापना वषश 1934 में
सोमेंद्र नाथ टै गोर िारा की गई थी यह पाटी भारिीय साम्यवादी दल सीपीआई से
टू टकर बनी थी
फरुशखतसयर 1757 में तब्रतटश ईट इं तडया कंपनी एवं फरुशखतसयर के मध्य हुए
युद्ध में फरुशखतसयर की हार हुई तजसके पररणाम स्वरुप फरुशखतसयर ने ईट
इं तडया कंपनी को व्यापार के तलए सुनहरा फरमान जारी तकया तजसके पररणाम
स्वरुप ईट इं तडया कंपनी ने भारी मािा में औपतनवेतशक क्षेिों का तवकास तकया
एवं भारि से व्यापार से भारी मािा में लाभ अतजशि तकया यह तसलतसला 1813
ई. में समाप्त हुआ जब तब्रतटश िाउन िारा ईट इं तडया कंपनी के व्यापाररक
अतधकार को समाप्त करने के तलए 1813 चाटश र एक्ट पाररि तकया गया
1992 इं तडयन तसतवल सतवशसेज की परीक्षा भारि में भी आयोतजि होने लगी
इसके पूवश यह केवल इं ग्लैंड में आयोतजि होिी थी। 1926 में भारि में एक
लोकसेवा आयोग का गठन तकया गया। 1935 अतधतनयम के िहि लोक सेवा
आयोग के स्थान पर संघ लोक सेवा आयोग का गठन हुआ। 1937 से संघ लोक
सेवा आयोग ने तब्रतटश लोक सेवा आयोग से स्विं ि परीक्षा आयोतजि करना प्रारं भ
तकया
लॉडश माउं टबेटन की अध्यक्षिा में बनी तवभाजन पररषद में भारिीय राष्टरीय कां ग्रेस
का प्रतितनतधत्व सरदार वल्लभ भाई पटे ल िथा जवाहरलाल नेहरू ने तकया था
आगा खान 31 तदसंबर 1928 से 1 जनवरी 1929 िक तदल्ली में हुए सवशदलीय
मुखिम सम्मेलन की अध्यक्षिा की थी सम्मेलन की पृष्ठभूतम 10 तसिं बर 1928 में
आई नेहरू ररपोटश थी। “गां धी मर सकिे हैं परं िु गां धीवाद सदै व बना रहे गा” यंग
इं तडया 2 अप्रैल 1931 में प्रकातशि यह कथन महात्मा गां धी िारा 26 माचश
1931 को कां ग्रेस के कराची अतधवेशन में तदए गए भाषण का अंश है । 1922
में तडप्रेस्ड क्लास इं खटट्यूट की स्थापना डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने की थी।
इससे पहले 1920 ईस्वी में उन्ोंने अपनी पतिका मक
ू नायक शुरू की िरह साथ
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भारिीय राष्टरीय कां ग्रेस के हररपुरा अतधवेशन की अध्यक्षिा सुभाष चंद्र बोस ने
की थी
प्राचीन स्मारक संरक्षण कानून गवनशर जनरल लॉडश कजश न के कायशकाल में पाररि
हुआ था
1946 में बनी अंिररम सरकार में रे ल मंिालय का कायश आसफ अली के
संरक्षण में कायाां तवि होिा था
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