You are on page 1of 28

संस्कृत की व्यवहारिक शब्दावली: जो अक्सि प्रततयोगी पिीक्षाओं में

पूछी जाती है

1. *अन्नवर्ग - अन्नों के नाम*

अणुः - बासमती चावल

अन्नम ् - अन्न

आढ़ की- अरहर

कलायुः- मटर

कोद्रवुः - कोदो

र्ोधूमुः-र्ेहूूँ

चणकुः- चना

चणकचूणम
ग ्- वेसन

चूणम
ग ् - आूँटा

तण्डलुः - चावल

ततलुः - ततल

द्ववदलम ्- दाल

धान्यम ् - धान

वियंर्ुः – बाजरा मसूरुः – मसूर

माषुः – उड़द
ममश्रचूणम
ग ् – ममस्सा आटा

मद् र्ुः – मूूँर्


यवुः – जौ

यवनालुः – ज्वार

रसवती- रसोई

वनमद्र्ुः- लोमिया

व्रीहहुः – धान

शस्यम ् - अन्न (खेत में ववद्यमान)

श्यामाकुः – सावां

सषगपुः – सरसों

2. *आयध वर्ग- अस्रों शस्रों के नाम*

आयधम ् - शास्र-अस्र

आयधार्ारम ् - शास्रार्ार

आहवुः- यद्ध

कबन्धुः - धड़

करबामलका - र्प्ती

कारा - जेल

कामगकम ् - धनष

कौक्षेयकुः - कृपाण

र्दा - र्दा

छररका - चाकू

2
जजषणुः - ववजयी

तूणीरुः - तूणीर

तोमरुः - र्ूँड़ासा 2 धजन्वन ् – धनधगर

िहरणम ् - शस्र

िासुः - िाला

वमगन ् - कवच

ववमशखुः - बाण

वैजयन्ती - पताका

शरव्यम ् - लक्ष्य

शल्यम ् - वछी

सायंर्ीनुः - रणकशल

साहदन ् - घड़सवार

हजस्तपकुः – हाथीवान

32. *सवगनाम वर्ग*

कदा--कब,

यदा--जब,

सदा (सवगदा)---हमेशा,

एकदा--एक समय,

तदीयुः--उसका,

3
यदीयुः--जजसका,

परकीयुः (अन्यदीयुः)--दस
ू रे का,

उपरर --ऊपर,

अधुः --नीचे,

अग्रे, (परुः, परस्तात ्)---आर्े,, (पश्चात ्, पीछे ),

बहहुः--बाहर,

अन्तुः--िीतर,

उपरर -अधुः ---ऊपर-नीचे,

इदानीम ् , (सम्प्ितत, अधना) अब,इस समय,

आत्मीयुः(स्वकीयुः,स्वीयुः)अपना,

शीघ्रम ् --जल्दी,

शनैुः शनैुः--धीरे -धीरे ,

महत ् --महान ्,

कवगत ् --करता हआ

पठत ् --पढता हआ,

ददत ् --दे ता हआ,

र्ममषयत ्--जाने वाला,

कवगत ् --करता हआ, ददत ्--दे ता हआ,

र्ममषयत ्--

जाने वाला,

*पठत ् --पढता हआ,*

4
सद्युः --तत्काल (अततशीघ्र),

पनुः --फिर,

अद्य --आज,

अद्यैव ---आज ही,

अद्यावप --आज िी,

श्वुः --आने वाला कल,

ह्युः --बीता हआ कल,

परश्वुः --आने वाला परसों,

ह्यश्वुः --र्या हआ परसों,

िपरश्वुः --आने वाला नरसों,

िह्यश्वुः --बीता हआ नरसों

पनुः पनुः --बार-बार,

यर्पत ् ---एक ही समय में ,

सकृत ् --एक बार,

असकृत ् --अनेक बार,

परा ,िाक् --पहहले,

पश्चात ् ---पीछे ,

अथ ,अनन्तरम ् --इसके बाद,

फकयत ् कालम ् --कब तक,

एतावत ् कालम ् --अब तक,

तावत ् कालम ्—तब तक

5
31. *धात वर्ग*

अभ्रकम ् - अभ्रक

आयसम ्- लोहा

इन्द्रनीलुः - नीलम

कातगस्वरम ् , हाटक- सोना

कांस्यम ्- कांसा

कांस्यकूटुः - कसकूट

र्न्धकुः - र्न्धक

चन्द्रलौहम ्- जमगन मसल्वर

ताम्रकम ्- ताूँबा

तत्थाञ्जनम ्- तूततया

तनषकलंकायसम ्- स्टे नलेस स्टील

पारदुः - पारा

पीतकम ् - हरताल पीतलम ् - पीतल

पषपरार्ुः - पखराज

िवालम ् - मूूँर्ा

मरतकम ् - पन्ना

माणणक्यम ् - चन्नी

मौजक्तकम ् - मोती

6
यशदम ् - जस्ता

रजतम ् - चाूँदी

वैदय
ू गम ् - लहसतनया

सीसम ् - सीसा

स्िहटका - फिटकरी

हीरकुः - हीरा

32. *सवगनाम वर्ग*

अर---यहाूँ,

तर --वहाूँ,

कर--कहाूँ,

यर --जहाूँ,

अन्यर---दस
ू री जर्ह,

सवगर---सब जर्ह,

उियर---दोनों जर्ह

अरैव ---यहीं पर,

तरैव---वहीं पर,

यावत ्---जजतना,

तावत ्---उतना,

एतावत ् , (इयत ्)---इतना,

फकयत ्--फकतना,

7
इतुः---यहाूँ से, ततुः --वहाूँ से,

कतुः --कहाूँ से,

यतुः --जहाूँ से,

इतस्ततुः ---इधर-उधर,

सवगतुः ---सब ओर से,

उियतुः --दोनों ओर से,

करावप ---कहीं िी,

तरावप – उसमें िी

यर - करावप ---

जहाूँ कहीं िी,

कतजश्चत ् ---कहीं से,

कदाचचत ् ---किी,

क्व --कब,

क्वावप --किी िी,

तदा , तदानीम ्---तब,

उस समय,

*3.कृवष वर्ग*

उवगरा - उपजाऊ

ऊषरुः – ऊसर

कणणशुः – बाल

कोहटशुः - धमगश

8
कृवषुः – खेती

कृवषयन्रम ् - खैती का औजार

कृषीवलुः – फकसान

क्षेरम ् - खेत

खतनरम ् -िावड़ा

खतनयन्रम ् - ट्रै क्टर

खलम ् – खमलहान

खाद्यम ् – खाद

तषुः – िूसी

तोत्रम ् - चाबक

दारम ् – दूँ राती

पलालुः – पराल

िालुः – हल की िाल

बसि ् – िूसा

मवृ िका – ममट्टी

लाड़्र्लम ् – हल

लोषटम ् – ढे ला

लोषटिेदनुः –मूँर्री, पटरा

वसधा – पथ्ृ वी

शाद्वलुः – शस्य श्यामल

सीता – जती िूमम

9
4. *क्रीडासन वर्ग- खेल सम्प्बन्धी नाम*

आसजन्दका – कसी

उपस्करुः – िनीचर

कन्दकुः – र्ें द

काषठपररषकरुः – रै केट

काषठमंजष
ू ा – आलमारी

काषठासनम ् – बेंच

क्रीडािततयोचर्ता- मैच

क्षेपककन्दकुः – वालीवाल

खट्वा – खहटया

जालम ् – नेट

तनणागयकुः – रे िरी

तनवारुः – तनवाड़

पत्ररक्रीड़ा – बैटममंटन

पपगुः – चारों ओर मड़ने वाली कसी

पयंङ्कुः – सोिा

पल्यङ्कुः – पलंर्

पादकन्दकुः – िटबाल

पस्तकाधानम ् – बकरैंक

िक्षक्षप्त- कन्दक-क्रीडा – टे तनस का खेल

िलकम ् - मेज

10
मञ्जूषा - संदक
ू , पेटी

यजषट-क्रीड़ा – हाकी का खेल

लेखनपीडम ् – डेस्क

संवेशुः- स्टूल

पत्ररन ् – चचडड़या

5. *हदक्काल वर्ग- समय सम्प्बन्धी नाम*

अपराह्नुः – तीसरा पहर

उदीची – उिर

कला - ममनट

काषठा – हदशा

घहटका – घड़ी

दक्षक्षणा – दक्षक्षण

हदवसुः – हदन

हदवा – हदन में

नक्तम ् – रात में

तनदाघुः – ग्रीषम ऋत

तनशीथुः – आधी रात

पराह्नुः – दोपहर के बाद का समय पव


ू ागह्नुः – दोपहर के पहले का समय

ित्यूषुः – िातुः

11
िदोषुः – सूयागस्त समय

ितीची – पजश्चम

िाची – पूवग

िावष
ृ ् – वषाग – काल

मध्याह्नुः – दोपहर का समय

रात्ररजन्दवम ् – हदन-रात

वादनम ् – बजे

ववकला – सेकेण्ड

वविावरी – रात

वेला – समय

हीरा – घण्टा

6. *दे व वर्ग- दे वता सम्प्बन्धी नाम*

अच्यतुः – ववषण

असरुः – राक्षस

कृतान्तुः – यम

कृशानुः – अजनन

रयम्प्बकुः – मशव

नाकुः – स्वर्ग

पववुः – वज्र

पीयूषम ् – अमत

12
पषपधन्वन ् – कामदे व

पौलोमी – इन्द्राणी

िचेतस ् – वरूण

मनषयधमगन – कबेर

मातररश्वन ् – वाय

लक्ष्मीुः – लक्ष्मी

वेधस ् – ब्रह्मा

शतक्रतुः - इन्द्र

शावागणी – पावगती

सरुः – दे वता

सेनानीुः – काततगकेय

30. *सैन्यवर्ग*

अजननचण
ू म
ग - बारूद

आननेयास्रम ् - बम

आननेयास्रक्षेपुः- बम िेंकना

एकपररधानम ् - एकवेष, यूतनिामग

र्मलका- र्ोली

जलपरमाण्वस्रम ् - हाइड्रोजन बम

जलान्तररपोतुः- पनडब्बी

13
धम
ू ास्रम ्- टीयर र्ैस

नौसेनाध्यक्षुः- जलसेनापतत

पदाततुः- पैदल सेना

परमाण्वस्रम ्- एटम बम

पोतुः- पोत िशजण्डुः- बन्दक


िूसेनाध्यक्षुः- िू-सेनापतत

यद्धपोतुः- लड़ाई का जहाज

यद्ध ववमानम ्- लड़ाई का ववमान

रक्षक्षन ् - मसपाही

लघिशजण्डुः- वपस्तौल

वायसेनाध्यक्षुः- वायसेनापतत

ववमानम ् – ववमान

शतघन्नी- तोप

मशरस्रम ्- लोहे का टोप

सैतनकुः- िौजी आदमी

सैन्यवेषुः- वदी

29. *सम्प्बन्ध सूचक शब्दाुः*

अग्रज : -बडा िाई

अनज:,

14
तनषठसहोदर: -छोटा िाई

अररुः – दश्मन

आत्मजुः – पर

आत्मजा – परी

आमलुः – सखी

आविुः – बहनोई

उपपततुः – जार

र्णणका – वेश्या

जनकुः – वपता

जननी – माता

जामाता – दामाद

दत
ू ी – दत
ू ी

दे वर : -दे वर

ननान्ृ (ननान्दा) -ननद

नप्त ृ (नप्ता) -नाती

पतत: -पतत

वपतामह : -दादा

वपतामही -दादी

वपतव्ृ यपर : -चचेरा िाई

वपतव्ृ य : -चाचा

वपतव्ृ यपत्नी -चाची

15
िपौर:,

िपौरी -पतोतरा (तरी)

पररचाररका -नौकरानी िवपतामह : -परदादा

पौरी -पोती

वपतषृ वस ृ (वपतषृ वसा) -िूआ

वपतषृ वसप
ृ तत : -िूिा

पैतषृ वस्रीय : -ििेरा िाई

िवपतामही -परदादी

िमातामह: -परनाना

िमातामही -परनानी

परी, आत्मजा - परी

पौर : -पोता

िततवेशी - पड़ोसी श्वसरुः – श्वसर

सम्प्बजन्धन ् – समधी

साध्वी –पततव्रता

सौिानयवती – सोहाचर्न

स्वस ृ - बहहन

र्मिगणी -र्ामिन

बन्धुः –

ररश्तेदार

िाचर्नेयुः – िानजा

16
ित्ृ युः – नौकर

भ्रारीयुः – ितीजा

िातस
ृ ता – ितीजी

मातामह : -नाना

मातामही -नानी

मातलुः –

माना

मातली – मामी

मातषृ वसप
ृ तत : -मौसा -

मातषृ वस्रीय : -मौसेरा िाई

मातषृ वस ृ -मौसी

यात ृ - दे वरानी

योवषतुः – स्री

वयस्युः – ममर

ववश्वस्ता – रण्डा

वद्
ृ धिवपतामहुः – वद्
ृ धपरनाना

श्यालुः – साला

श्वश्रूुः – सास

7. *नाट्यवर्ग/ संर्ीत /वाद्ययंर सम्प्बन्धी नाम*

अवरोहुः – उतार

आरोहुः – चढ़ाव

17
कोणुः – ममजराव

जलतरङ्र्ुः – जलतरङ्र्

डडजण्डमुः – हढढोरा

ढौलकुः – ढोलक

तन्रीकवाद्यम ् – वपयानो

तानपरू ुः –तानापरू ा

तारुः – तीव्रस्वर

तूयगम ् – तरही

दन्दमिुः – नर्ाड़ा

नवरसाुः - नवरस

पटहुः – ढोल

मञ्जीरम ् – मंजीरा

मध्युः - मध्यम स्वर

मनोहाररवाद्यम ्

- हारमोतनयम ्

मन्द्रुः – कोमल स्वर

मरजुः – तबला

मरली – बाूँसरी

वाहदरर्णुः – बैण्ड

वीणावाद्यम ् – बीनबाजा

सप्तस्वराुः – सात स्वर

18
सारङ्र्ी – वायोमलन, सारं र्ी

संज्ञाशंखुः – ववर्ल

8. *पक्षक्षवर्ग*

कीरुः – तोता

कक्कटुः – मर्ाग

कलायुः – घोंसला

कौमशकुः – उल्लू

खञ्जनुः – खञ्जन

र्ध्र
ृ ुः – चर्द्ध

चकोरुः – चकोर

चटका – चचडड़या (र्ौरै या)

चक्रवाकुः – चकवा

चातकुः – चातक

चाषुः – नीलकण्ठ

चचल्लुः – चील

हटट्हटमिुः – हटहटहीर

ततविरुः – तीतर

दावागघाटुः - कठिोड़ा

ध्वाङ्क्षुः – कौआ

19
परित
ृ ुः – कोयल

पारावतुः – कबूतर

बकुः – बकला

बहहगन ् - मोर

मरालुः – हं स

लावुः – बटे र

वतगकुः – बतख

वरटा – हं सी

शलिुः – हटड्डी, पतंर्ा

श्येनुः – बाज

षट्पदुः – िौंरा

सरघा - मधमक्खी

सारसुः – सारस

साररका – मैना

9. *पशवर्ग - पशओं के नाम*

उषट्र‚ क्रमेलकुः - ऊट

कच्छप: - कछआ

ककगट: ‚

कलीरुः - केकड़ा

श्वान:, कक्कर:‚

20
सारमेयुः - किा

सरमा‚ शतन - कततया

कंर्ारुः -कंर्ारू

कणगजलोका -कनखजूरा

शशक: - खरर्ोश

र्ो, धेन: - र्ाय

खड्.र्ी - र्ैंडा

श्रर्
ृ ाल:‚र्ोमायुः - र्ीदड (मसयार)

चचक्रोड: -चर्लहरी

कृकलास: -चर्रचर्ट

र्ोधा - र्ोह

र्दग ि:, रासि:‚

खरुः - र्धा

अश्व:,सैन्धवम ्‚ सजप्तुः‚वाजजन ्‚हयुः रथ्युः‚ - घोड़ा

मूषक: - चूहा -

तरक्ष:, चचरक: - चीता

चचररासि: -

चचिीदार घोड़ा

छछन्दर: - छछूंदर

र्हृ र्ोचधका - तछपकली

चचरोषट्र - जजराि

21
मर्
ृ :- हहरन

नकल: - नेवला

र्वय: - नीलर्ाय

वष
ृ ि: ‚ उक्षन ्‚

अनडह - बैल

मकगट: - बन्दर

व्याघ्र:‚ द्वीवपन ् - बाघ

अजा - बकरी

अज : - बकरा

वनमनषय : - बनमानष

माजागर:,

त्रबडाल: - त्रबल्ली

िल्लूक: - िालू

महहषी - िैस , महहषुः िैंसा

वक
ृ : - िें डडया

मेष: - िें ड

उणगनािुः‚

तन्तनािुः‚ लूता - मकड़ी

मकर: ‚ नक्रुः - मर्रमच्छ

मत्स्युः ‚ मीनुः‚

झषुः - मछली

22
ददग रुः‚ िेकुः - में ढक

लोमशुः - लोमडी

मसंह:‚ केसररन ्‚

मर्
ृ ेन्द्रुः‚ हररुः - शेर

सूकर:‚ वराहुः - सअर

शल्युः - सेही

हजस्त, करर, र्ज: - हाथी

तरक्षुः - तें दआ

जलाश्व: - दररयाई घोड़ा

*28.वस्राणां नामातन – वस्रों के नाम*

अंर्रक्षक्षका-

अंर्रखा

उनी वस्र - रांकवम ्

ओढनी - िच्छदपट:

कंबल - कम्प्बल:

कनात - काण्डपट:,

अपटी

कपड़ा - वस्रम ्,

वसनम ्, चीरम ्

कमरबन्द - रसना,

23
पररकर:, कहटसूरम ्

करता - कंचक:,

तनचोल:

कोट - िावार:

र्ारमाजगनी -

अंर्ोछा

र्द्दा - तूलसंतर:

र्लेबन्द - र्लबन्धनांशकम ्

चादर - शय्याच्छादनम ्,

िच्छद:

जांतघया - अधोरकम ्

जाकेट - अंर्रक्षक:

मोजा - पादराणम ्

रजाई - तूमलका,

नीशार:

रई - कापागस:, तूल:

सलवार - स्यूतवरुः

साड़ी - शाहटका जूता - उपानह

तफकया - उपधानम ्

दरी - आस्तरणम ्

दपट्टा - उिरीयम ्

24
धोती - अधोवस्रम ्,

धौतवस्रम ्

नाइटड्रेस - नक्तकम ्

नायलोन का - नवलीनकम ्

पर्ड़ी - मशरस्रम ्,

उषणीषम ्

परदा - यवतनका,

ततरस्कररणी,

पायजामा - पादयाम:

पेटीकोट - अन्तरीयम ्

पैंट - आिपदीनम ्

त्रबछौना - शैय्या

ब्लाउज - कंचमलका

मरे ठा (टोपी) - मशरस्राणम ्

रे शमी- कौशेयम ्

शेरवानी - िावारकम ्

तक्षणी- बसला

*ववृ िुः*

25
तैलकार :,

तैमलक: -तेली

तजन्दल : -पेटू

त्वषटा ,

स्थपतत:, -बढई

द्यूतकर: -जआरी

नावपत:,

क्षौररक: -नाई

तनणेजक : -ड्राई क्लीनर

नीली - नील

अजाजीवुः – र्ड़ररया

अनपदीना – र्मबट

अन्त्यजुः – हररजन

उपानह – जूता

कलालुः – कम्प्हार

चमगकारुः – चमार

चमगििेहदका- जूता सीने की सूई

तस्करुः – चोर

पादका – चप्पल शस्रमाजगक :,

अमसजीवी -शाण्डवाला

शौजण्डक : -मांसववक्रेता

26
शौजल्वक : -तांबे के बतगन बनाने वाला

सूचचका - सूई

सूरम ् –धार्ा

स्थावपतुः - बढ़ई

सौचचक :,

सूचक: -दजी

स्वणगकारुः - सनार

िैस्युः – चपरासी

मायाकारुः – जादर्
ू र

माजगनी – झाड़ू

मालाकारुः – माली

मर्
ृ युः – मशकारी

मर्
ृ या – मशकार

लेपकुः – पताई वाला

शाकतनकुः - बहे मलया

संमाजगकुः - िंर्ी

*27.शैल वर्ग- पवगत सम्प्बन्धी*

अहद्रुः – पवगत

अहद्रद्रोणी – घाटी

अचधत्यका – पठार

27
उत्सुः – सोता

उपत्यका – तराई

खातनुः – खान

र्ह्वरम ् – र्िा

ग्रावा – पत्थर दरीं –

दराग

तनकञ्जुः – झाड़ी

तनिगरुः – पहाड़ी नाला

िपातुः – झरना

मशला – चट्टान

श्रङ्
ृ र्म ् – चोटी

हहमसररत ् – नलेमशयर (बिीला)

28

You might also like