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१९०५ क

पृसं
बं
धत मसले
सी ां

सन १९०५ म सी सा ा य के
एक वशाल भाग म
राजनी त एवं
सामा जक जना दोलन ए ज ह
१९०५ क सी ा त कहते
ह। यह ा त कु

सीमा तक सरकार केव थी और कु
छ सीमा
तक दशाहीन। मक ने , कसान
हड़ताल कये
, से
आ दो लत हो उठे ना म व ोह आ। इसके
फल व प कई सं
वै
धा नक सु
धार कये
गयेजसम
मुय ह- सी सा ा य के ु
मा क थापना,
ब दलीय राजनी तक व था, १९०६ का सी
सं
वधान।
1905 क सी ां

खू
नी र ववार के
पहले
क अभ याँ
तथ 22 जनवरी 1905 - 16
न 1907
जू

थान स

प रणाम इ पी रयल सरकार क


जीत
ां
तका रय को हराया
नकोलस तीय
सहासन को बरकरार
रखेए
अ टू
बर घोषणाप
[1906 [ सी सं
वधान

यो ा
ां
तका रय

ारा सम थत:
खे
ती
औ ो गक मक
अलगाववा दय
सट पीटसबग सो वयत
मा को सट मा

चता गणरा य
एसआर
RSDLP

से
नानायक
नकोलस तीय व टर चे
नव
सगई व े ला दमीर ले
नन

ां
त के
कारण
ां
त के
कारण
स क 1905 क ां
त के
कारण उसक
राजनी तक, सामा जक प र थ तय म न हत थे

जापानी यु ने
केवल उ े
रक का काय कया। यु
म पराजय के
कारण स क जनता का असं
तोष
इतना बढ़ गया था क उसने
रा य केव व ोह
कर दया। इस ां
त के
कारण ही सरकार को
जापान से
यु बं
द कर शां
त सं
ध करनी पड़ी। इस
ां
त के -
कारण न न ल खत थे

(1) अलेजे
डर तृ
तीय और नकोलस तीय
के
शासन-काल म सु
धार क ओर कोई यान नह
दया गया था। इसकेवपरीत, शासन म
त यावाद त व का पू
ण भाव बना रहा।
सु
धार आं
दोलन को अ यं
त कठोरता से
कुचल
दया जाता था। जार क श पू
ण प से
नरं
कु
श और वे
छाचारी थी।
(2) जार के व, टा सटाय,
मंी पोवीडोनो ने
ले
हवे
घोर त यावद थे
। सु
धार क माँ
ग को
दबाने
केलए उ ह ने
जघ य अ याचार कये

इससे
आतं
कवाद बढ़ता गया। पु
लस के
अ धकार असी मत थे
और नरपराध य
को सं
दे
ह मा म मृ
युद ड दया जाता था या
साइबे
रया सेनवा सत कर दया जाता था।
(3) ां
त का कारण कृ
षक क भू
म सम या
थी। अ भजात वग के
अ धकार म वशाल कृ

भू
म थी। कसान चाहते
थेक इस भू
म को
उनम बाँ
ट दया जाये
। ां
तका रय के चार से
उनम भी जागृ
त आ रही थी। ां
त के ारा वे
भू
म ा त करना चाहते
थे

(4) मक का असं
तोष भी ां
त का कारण
था। स म औ ोगीकरण के
कारण बड़ी संया
म मज र नगर म एक त हो गये
थे
। उनका
जीवन असु
र त और दयनीय था। औ ो गक
सम या क ओर से
सरकार उदासीन था।
मक म समाजवाद वचार ते
जी से
फैल रहे
थे
। उ ह सं
गठन बनाने
या हड़ताल करने
का
अ धकार नह था। सरकार के
दमन से
उनम
असं
तोष बढ़ता जा रहा था।
(5) 1896 के
बाद सु
धार आं
दोलन ते
ज हो गया
था। अ भजात वग और उ च वग के
लोग भी
सु
धार क माँ
ग कर रहे
थे
। समाजवाद समाज म
आमू
ल प रवतन क माँ
ग कर रहे। 1893 से
थे
मा सवाद वचारधारा का चार हो रहा था।
(6) सीकरण क नी त के
कारण द लत
जा तयाँ
जै
सेफन, पोल आ द वतंता केलए
सं
घष कर रही थी। इनके
असं
तोष सेां
त को
बल ा त आ।
(7) आतं
कवाद पु
लस और भ अ धका रय
क ह या कर रहे
थे
। शासन के
जुम और
अ याचार का यही एकमा जबाव रह गया था।
कृ
षक और मक को ां
त केलए सं
ग ठत
कया जा रहा था य क शां
तपू
ण उपाय ारा
सु
धार असं
भव हो गया था।
(8) स-जापान यु म स क पराजय से
सरकार क अयो यता और ाचार प हो
गया। सभी वगा म सरकार क आलोचना हो रही
थी। नरं
कु
श और अयो य सरकार के
प रवतन
क माँ
ग बढ़ गयी। जनता के
क बढ़ते
जा रहे
थे
। उ ह के
वल पु
लस का अ याचार मलता था।

ता का लक पृभू

स म जापान केव यु को जनता का
समथन ा त नह था। स क जनता यह नह
जानती थी क यु कस उ े
य से
लड़ा जा रहा है

यु का बं
धन कु
शलता से
नह कया गया था।
ाचार इस सीमा तक बढ़ गया था क जनता ने
जो उपहार सै
नक केलए दये, वे
थे नगर म खु
ले
आम बे
चे
जा रहे
थे
। पराजय से
जनता म नराशा
बढ़ती जा रही थी। 27 दस बर को स ाट्
क सरी
घोषण का शत ई। इसम सु
धार काय म पर कई
तबं
ध लगा दये
गय जै
से
सभा क वतंता
नह द जा सकती थी। इससे स क जनता को
मालू
म हो गया क सरकार अपनी श नरं
कु

रखना चाहती थी और सु
धार करने
केलए उसक
इ छा नह थी।

खू
नी र ववार
जार क घोषणा से
सु
धारवाद सं
तुनह थे

अब इस आं
दोलन म मक वग भी स म लत हो
गया। जनवरी 1905 म राजधानी सट पीटसबग म
हड़ताल ई। मक सं
गठन पर एक उदारवाद
पादरी, फादर गे
पन का भाव। यह सं
गठन मक
क आ थक सम या पर वचार करने
केलए
बनाया गया था ले
कन मक वग म राजनी तक
जागृ
त बढ़ रही थी। अतः फादर गे
पन को अपना
भाव बनाये
रखने
केलए आं
दोलन को
राजनी तक प भी दे
ना पड़ा। उसके
नेतृ
वम
राजधानी के मक ने
कई माँ
ग के
लेकर हडताल
कर द । वाता असफल होने
केबाद गे
पन ने
जार के
सम या चका तु का न य कया। 22
त करने
जनवरी, 1905 को र ववार केदन उसके
नेतृ
वम
हजार मक का जु
लू
स शां
तपू
ण था ले
कन
महल के
सामने
मै
दान म सै
नक ने
उस पर गो लयाँ
चलाय जससे
सै
कड़ दशनकारी मारे
गये
। इस
घटना सेां
त आं
रभ हो गयी।

जार ारा सु
धार क घोषणा
सु
धारवाद आं
दोलन अब प प सेां
तकारी
आं
दोलन बन चु
का था। यातायात और सं
चार साधन
हड़ताल के
कारण अव हो गये
। थे
। जनता के
बढ़तेए असं
तोष के 3 माच को फर
कारण जार ने
सु
धार क घोषणा क । जार ने
कहा क वह
सा ा य के
यो यतम य को कानू
न बनाने
के
काय म स ब करना चाहता था। अपै
रल व जू
् नम
अने
क सु
धार क घोषणा भी क गयी और जनता से
कहा गया क वे
सु
धार केवषय पर अपनेमरण
प तु
त कर।

ां
त का सार
सु
धार क इन चचा के
साथ हड़ताल का दौर भी
चल रहा था। सारे
दे
श के मक ने
हड़ताल कर द
थी। थान- थान पर पु
लस और मक क
मु भी हो रही थ । 14 जू
ठभड़े न को काला सागर के
एक जहाज ‘ ोट ओम कन’ के
ना वक नेव ोह
कर दया। इस बीच सुरपू
व के
दो यु म सक
क थी। माच 1905 म
नणायक पराजय हो चु
जापान ने
मु
दकन म सी से
ना को परा जत कर
दया था। जल यु म जापा नय ने स के
जहाजी
बे
ड़े
क सु
सीमा के
यु म न कर दया था।

अग त घोषणा
सु
सीमा क पराजय के
बाद सु
धारवा दय ने
पु
नः
सु
धार क माँ
ग तु
त क । इस बार जे
सते

सु
धारवा दय के
दोन वग नरम-सु
धारवाद और
उदार-सु
धारवाद एक हो गये
। उनका सं
यु
अ धवे
शन आ जसम नगर के त न धय ने
भी
भाग लया। इस स मे
लन ने
जार के
पास एक
त न धम डल भे
जा। त न धम डल ने
जार से
‘स ाट और जनता’ के
भट करके सहयोग केलए
ाथना क ले
कन इसका सरकार क
त यावाद नी त पर कोई भाव नह पड़ा। 28
जू
न को नगर प रषद का एक वृ
हद स मे
लन आ
जसम माँ
ग क गयी क जे
सते
व स मे
लन क
। 19 जु
योजना को वीकार कया जाये लाई को
जे
सते
व तथा नगर प रषद का सं
यु स मे
लन
आ जसम सं
वधान क परे
खा वीकृ
तक
गयी। सरकार ने
इस पर कोई यान नह दया
ले 6 अग त को घोषणा
कन अपनी ओर से
का शत क जसम मा क थापना के
ू बारे

कहा गया था। इसे
अ यं
त सी मत मता धकार पर
चु
ना जाना था और इसक थ त परामश दे
ने

थी। यह सरकार का अधू
रा यास था।
अनु
दारवा दय को छोड़कर कसी दल ने
इस
योजना को वीकार नह कया।

ां
त क असफलता
1905 क ां
त असफल हो चु
क थी ले
कन
सु
धारवा दय को अभी मा से
ू आशा थी। शी ही
यह प हो गया क सरकार अपनी चक मा

चाहती थी। थम मा को दो माह बाद भं
ू ग कर
दया गया। इसके
सद य ने
दे
श से
सरकार के त
असहयोग क अपील क ले
कन दे
श आं
दोलन से
थक चु
का था, अतः इसका भाव नह पड़ा।
सरकार ने
छु
टपु
ट व ोह को नदयता से
कुचल
दया। सरी मा म भी सरकार वरोधी सद य

का ब मत था। इसे
भी भं
ग कर दया गया। इसके
बाद सरकार ने
मता धकार सी मत करके
चुनाव
कराये
। इससे
तीसरी मा म सरकार के
ू समथक
को ब मत ा त हो गया। य प मा बनी रही

ले
कन वह सरकार से
सहयोग करती रही और
सरकार क इ छा के
अनु
सार चालती रही।

असफलता के
कारण

ां
त क असफलता के -
कारण न न ल खत थे

(1) स का सै
नकतं बल नह आ था।
य प सुरपू
व म हार हो गयी थी, पर से
ना पू

प से
परा जत नह ई थी। जब तक वह
सुरपू
व म फँ
सी रही, जार को ां
तका रय क
माँ
ग को वीकार करना पड़ा। उसके
वापस आते
ही जार नेरयासत वापस ले
ल और ां
त को
कु
चल डाला।
(2) व भ राजनी तक दल के
उ े
य म एकता
नह थी। अ टू
बरवाद परामशदा ी मा से

सं
तुथे
। के
डे
ट पाट सं
सद य णाली चाहती
थी। समाजवाद समाज म आमू
ल प रवतन
चाहते
थे
।उ े
य एक न होने
सेआं
दोलन म
एकता का अभाव हो गया।
(3) व भ वग अपने
-अपनेहत केलए काय
कर रहे
थे
। मक वग औ ो गक सम या को
हल करने
क ाथ मकता दे
रहा था। कृ
षक वग
समझता था क मा को इस लए नयंत

कया जा रहा हैक वह भू
वा मय क भू

ज त करके
उनम बाँ
ट दे
। बु जीवी नाग रक
सं
वधान और नाग रक अ धकार म च रखते
थे
। मक और कृ
षक को इनम च नह थी।
(4) वट क रयासत दे
ने
क नी त ने
भी
आं
दोलन को बल कर दया। अ टू
बर क
घोषणा से
केडे
ट पाट म फू
ट पड़ गयी थी।
कृ
षक को अने
क रयासत द गयी। सामा य
नाग रक, जनता और मक वग ापक
मता धकार से
सं
तुहो गया था। इससे
समाजवाद और आतं
कवाद पृ
थक्
रह गये

(5) ां
त के
दौरान मक और कृ
षक क
हसा से
म यम वग ां
त सेवमु
ख होने
लगा
था। मा को के मक म बो शे
वक का भाव
था जनका सै
नक से
सं
घष आ। ाम म
कृ
षक क लू
ट और हसा का भी वरोधी भाव
पड़ा।
(6) ां
त को चलते
एक वष से
अ धक हो गया
था। इससे
जनता म उदासीनता आने
लगी थी।
स जै
सेवशाल दे
शम वभ े के
मय
सम वय रखना भी क ठन था। अतः जनता अब
मा क ओर आक षत हो गयी थी।

(7) सरकार को वदे
शी ऋण मल जाने
से
आ थक थ त सुढ़ हो गयी। अब वह मा को

भं
ग कर सकती थी और ां
त को कु
चल सकती
थी। पोट्
समाउथ क सं
धम स को कोई
अपना ेजापान को नह दे
ना पड़ा था। अतः
सरकार को मनोबल ऊँ
चा था। उसक
अं
तररा ीय थ त भी ढ़ थी। ां
स उसका म
था और इं
लैड सेम तापू
ण सं
बं
ध था पत हो
रहे
थे

अध सं
वै ग (1906-
धा नकता का यु
1917)
1905 क ां
त असफल होने
केबाद सम
वे
छाचारी शासन पू
ण प सेथा पत हो गया था।
शासन क नी त त यावाद और दमना मक थी
ले
कन मा का अ त व बने
ू रहने
सेशासन का
व प अध-संधा नक था। 1912 ई. म चौथी
वै
मा चु
ू नी गयी। वह भी शासन से
सहयोग करती
रही। उसके
समय म थम व यु म स शा मल
आ और 1917 म ां
त ई। यु क
असफलता के
कारण अ व ास का वातावरण
बन गया। इससे ू
मा और सरकार के
म य मतभे

उ प हो गये
। इस सं
घष म दोन ही बल हो गये
जससे
अंत म स ा बो शे
वक के
हाथ म चली
गयी।

इ ह भी दे

स-जापान यु
सी ा त (१९१७)

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title=१९०५_क _ सी_ ां
त&oldid=3668348" सेलया
गया

Last edited 8 months ago by अजी…

साम ी CC BY-SA 3.0 के


अधीन है
जब तक अलग से
उ ले
ख ना कया गया हो।

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