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लैंहिक असमािता भारत में मुख्य सामाहिक मुद्दा िै हिसमें महिलाएँ पुरुषवादी प्रभुत्व दे श में हपछड़ती
िा रिी िै । पुरुष और महिला को बराबरी पर लािे के हलये महिला सशक्तिकरण में तेिी लािे की
िरुरत िै । सभी क्षेत्ों में महिलाओं का उत्थाि राष्ट्र की प्राथहमकता में शाहमल िोिा चाहिये। महिला और
पुरुष के बीच की असमािता कई समस्याओं को िन्म दे ती िै िो राष्ट्र के हवकास में बड़ी बाधा के रुप में
सामिे आ सकती िै । ये महिलाओं का िन्महसद्ध अहधकार िै हक उन्हें समाि में पु रुषों के बराबर मित्व
हमले। वास्तव में सशक्तिकरण को लािे के हलये महिलाओं को अपिे अहधकारों से अवित िोिा चाहिये।
ि केवल घरे लू और पाररवाररक हिम्मेदाररयों बक्ति महिलाओं को िर क्षेत्ों में सहिय और सकारात्मक
भूहमका हिभािी चाहिये। उन्हें अपिे आस-पास और दे श में िोिे वाली घटिाओं को भी िाििा चाहिये।
महिला सशक्तिकरण में ये ताकत िै हक वो समाि और दे श में बहुत कुछ बदल सकें। वो समाि में
हकसी समस्या को पुरुषों से बेितर ढं ि से हिपट सकती िै । वो दे श और पररवार के हलये अहधक
ििसंख्या के िुकसाि को अच्छी तरि से समझ सकती िै । अच्छे पाररवाररक योििा से वो दे श और
पररवार की आहथिक क्तथथहत का प्रबंधि करिे में पूरी तरि से सक्षम िै । पुरुषों की अपेक्षा महिलाएँ हकसी
भी प्रभावकारी हिं सा को संभालिे में सक्षम िै चािे वो पाररवाररक िो या सामाहिक।
महिला सशक्तिकरण के द्वारा ये संभव िै हक एक मिबूत अथिव्यवथथा के महिला-पु रुष समािता वाले
वाले दे श को पुरुषवादी प्रभाव वाले दे श से बदला िा सकता िै । महिला सशक्तिकरण की मदद से हबिा
अहधक प्रयास हकये पररवार के िर सदस्य का हवकास आसािी से िो सकता िै । एक महिला पररवार में
सभी चीिों के हलये बेिद हिम्मेदार मािी िाती िै अत: वो सभी समस्याओं का समाधाि अच्छी तरि से
कर सकती िै । महिलाओं के सशि िोिे से पूरा समाि अपिे आप सशि िो िायेिा।
मिुष्य, आहथिक या पयाि वरण से संबंहधत कोई भी छोटी या बड़ी समस्या का बेितर उपाय महिला
सशक्तिकरण िै । हपछले कुछ वषों में िमें महिला सशक्तिकरण का फायदा हमल रिा िै । महिलाएँ
अपिे स्वास्थ्य, हशक्षा, िौकरी, तथा पररवार, दे श और समाि के प्रहत हिम्मेदारी को लेकर ज्यादा सचेत
रिती िै । वो िर क्षेत् में प्रमुखता से भाि लेती िै और अपिी रुहच प्रदहशित करती िै । अंतत: कई वषों के
संघषि के बाद सिी राि पर चलिे के हलये उन्हें उिका अहधकार हमल रिा िै ।
महिला सशक्तिकरण को बेिद आसाि शब्दों में पररभाहषत हकया िा सकता िै हक इससे महिलाएँ
शक्तिशाली बिती िै हिससे वो अपिे िीवि से िुड़े िर फैसले स्वयं ले सकती िै और पररवार और
समाि में अच्छे से रि सकती िै । समाि में उिके वास्तहवक अहधकार को प्राप्त करिे के हलये उन्हें
सक्षम बिािा महिला सशक्तिकरण िै ।
महिला सशक्तिकरण की िरुरत इसहलये पड़ी क्ोंहक प्राचीि समय से भारत में लैंहिक असमािता थी
और पुरुषप्रधाि समाि था। महिलाओं को उिके अपिे पररवार और समाि द्वार कई कारणों से दबाया
िया तथा उिके साथ कई प्रकार की हिं सा हुई और पररवार और समाि में भेदभाव भी हकया िया ऐसा
केवल भारत में िी ििीं बक्ति दू सरे दे शों में भी हदखाई पड़ता िै । महिलाओं के हलये प्राचीि काल से
समाि में चले आ रिे िलत और पुरािे चलि को िये ररती-ररवािों और परं परा में ढाल हदया िया था।
भारतीय समाि में महिलाओं को सम्माि दे िे के हलये माँ , बिि, पुत्ी, पत्नी के रुप में महिला दे हवयो को
पूििे की परं परा िै लेहकि इसका ये कतई मतलब ििीं हक केवल महिलाओं को पू ििे भर से दे श के
हवकास की िरुरत पूरी िो िायेिी। आि िरुरत िै हक दे श की आधी आबादी याहि महिलाओं का िर
क्षेत् में सशक्तिकरण हकया िाए िो दे श के हवकास का आधार बिेंिी।
भारत एक प्रहसद्ध दे श िै हिसिे ‘हवहवधता में एकता’ के मुिावरे को साहबत हकया िै , ििाँ भारतीय
समाि में हवहभन्न धमों को माििे वाले लोि रिते िै । महिलाओं को िर धमि में एक अलि थथाि हदया िया
िै िो लोिों की आँ खों को ढके हुए बड़े पदे के रुप में और कई वषों से आदशि के रुप में महिलाओं के
क्तखलाफ कई सारे िलत कायों (शारीररक और मािहसक) को िारी रखिे में मदद कर रिा िै । प्राचीि
भारतीय समाि दू सरी भेदभावपूणि दस्तूरों के साथ सती प्रथा, ििर वधु व्यवथथा, दिे ि प्रथा, यौि हिं सा,
घरे लू हिं सा, िभि में बक्तियों की ित्या, पदाि प्रथा, कायि थथल पर यौि शोषण, बाल मिदू री, बाल हववाि
तथा दे वदासी प्रथा आहद परं परा थी। इस तरि की कुप्रथा का कारण हपतृसत्तामक समाि और पुरुष
श्रेष्ठता मिोग्रक्ति िै ।
पुरुष पाररवाररक सदस्यों द्वारा सामाहिक राििीहतक अहधकार (काम करिे की आिादी, हशक्षा का
अहधकार आहद) को पूरी तरि प्रहतबंहधत कर हदया िया। महिलाओं के क्तखलाफ कुछ बुरे चलि को खुले
हवचारों के लोिों और मिाि भारतीय लोिों द्वारा िटाया िया हिन्होंिे महिलाओं के क्तखलाफ भेदभावपूणि
कायों के हलये अपिी आवाि उठायी। रािा राम मोिि रॉय की लिातार कोहशशों की विि से िी सती
प्रथा को खत्म करिे के हलये अंग्रेि मिबूर हुए। बाद में दू सरे भारतीय समाि सुधारकों (ईश्वर चंद्र
हवद्यासािर, आचायि हविोभा भावे , स्वामी हववेकािंद आहद) िे भी महिला उत्थाि के हलये अपिी आवाि
उठायी और कड़ा संघषि हकया। भारत में हवधवाओं की क्तथथहत को सुधारिे के हलये ईश्वर चंद्र हवद्यासािर
िे अपिे लिातार प्रयास से हवधवा पुिि हववाि अहधहियम 1856 की शुरुआत करवाई।