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ॐ ी हनुमंत शरणम् एक बार जो भु ी हनुमान प चीसा पढले उसके संकट र हो जाते है । भु ी हनुमान प चीसा
अजब है श आपक ,अजब तु हारे रंग ।
चरणो म आ गर पड़े , ओ मेरे बजरंग ।
बजरंग दद दल का , कससे क ँ मै जाकर ।
मन द र मुझ पर ,लाया है दल चढ़ाकर । संकट से वीर बंकट ,मुझको छु ड़ा तू आकर । सदमा है स त दल पर , कहता ँ सर झुकाकर । तुझी से लो लगी है , सुनले वण लगाकर । अय अंजनी के न दन , रघुवर चरण के चाकर । बजरंग दद दल का , कससे क ँ म जाकर । सूरत वशाल तेरी , मन मे मेरे बसी है । करने को तेरी खदमत , मने कमर कसी है । अब तो यह बात बाबा , आकर क ठन फंसी है । सेवक सहे जो संकट , उसमे तेरी हँसी है । अ त शरीर तेरा , है वीर वन के वासी । ग दे ख ह मेम, ंत ॐकर ीदेहनु कूदेशरणम् मदन वलासी is on। Facebook. Join Facebook to connect with ॐ ी हनुमंत शरणम्. भृकु ट वपद को भंजन , को ट मदन वलासी । वरन मे छ व कहाँ तक , ो को फूंक फांसी । माथे तलक वराजे , सर पर मुकुट नराला । Join कु डल वण मे सोहे , गले बीच मु माला । बाजु र न ज ड़त है , सोहे भुजन मे आला । or छ व जो नहारे तेरी , उसका हो बोलबाला । तन पे स र सोहे , कर मे गदा वराजे । Log In अ त अनूप जंघापे , जाँ घया को साजे । प थर पघल हो पानी , पाताल दहल गाजे । चंदन खड़ाऊं सोहे , चरणो म वीर तेरे । ज दे व हाथ जोड़े , चरणो म रहे तेरे । जन पर कु हर है तेरे , उनके फूंके है डेरे । अब तो सफल मनोरथ , कर दे तू बाबा मेरे । जनके जगर म तेरी , सूरत समां रही है । उनका वह अपना जलवा , जग म दखा रही है । ृ क सारी स प त , उ ही पे आ रही है । पर मुझ बेनसीब को , झांसा दखा रही है । तु ही ने वीर बंकट , रघुवर के काज सारे । ढुं डन सया को लाये , तुम रावण के ारे । बन के बलई भवन सब , लंका के झांक डारे । लाये खबर सया क , हे ! हरी के ाण यारे । श लगी लखन के , तब काम तु ही आये । लेने को औष ध तुम , हे पवन पु धाये । फर जड़ समेत पवत , तु ही उखाड़ लाये । जाना नह कसी ने , र व गाल म छपाए । संकट मटा लखन का , भई हष सबके मन म । अतु लत अपार बल है , बाबा तेरी भुजन म । मारे है ताल जब तू , कूदे कलक के वन म । सुर के श कर से , झट गर पड़े धरन म । जब ले गया भु को , अ हरावण चुराकर । पाताल प ंचे पल म , फर तुम पता लगाकर । ली बांध मु के तुमने थी , मकर बज क जाकर । दा खल ए भवन म , नज प को छपाकर । सुन के वचन ख़ुशी यी , अ हरावण को भरी । झटपट से क असुर ने , ब लदान क तैयारी । बुलाए राम ल मण ली हाथ म कटारी । बोला कड़क कड़क कर , वह न बलकारी । सुन ले ओ राम तप वी , बंदर नचाने वाले । अरमान अपने जी के , तू अब सब ही मटाले । करता ँ अब तुझे म , सुन मौत के हवाले । जो ले हमायत तेरी उसको तू अब बुलाले । बोले भु ऐ मूरख , य भय हम दखावे । धीरे से बोल भैया , हनुमान सुन न पावे । जीता तुझे न छोड़े , य गाल तू बजाबे । संकट से वीर बंकट , फर कौन हम बचावे । सुन के वचन भु के , ंकार तुमने मारी । मकट गरा धरन पर , भागे भवन पुजारी । फर करके कोप तुमने , ब क दे ह धारी । अ हरावण असुर क , पल भर म दम नकाली । जस पर है वीर वंकट , पड़ जाए तेरा साया । कायर से मद होवे, यह भेद वेद गाया । सेवक जो स चे दल से , तेरी सरण म आया । उसके न घर से ह गज , टाले टले है माया । जो कोई ॐभ ीतेहनु री ,मसेंतवाशरणम् करे है जीisसे on । Facebook. Join Facebook to connect with ॐ ी हनुमंत शरणम्. हर फन म हर नर म , वह न दबे कसी से । पर जो वमुख है तुमसे , खोट सुने सभी से । आफत पड़े है उस पर , दांती क़ज़ा भी पीसे । Join तु हारे सवा न कोई , रघुनाथ को है यारा । जो चाहो सो करो तुम , अ तयार तु हे सारा । or अय बेकस के बाली , मुझको तेरा सहारा । भ ुक ँ तेरे दर का , झाँकू न कोई ारा । Log In तेरे सवा न कोई , इस व म है मेरा । आकर के हर तरफ से , ग दश ने मुझको घेरा । अय केशरी के नंदन , क रये इधर भी फेरा । मांगू मदद म कससे , सेवक कहाँ म तेरा । इस व वीर मेरे , दन खोटे आ रहे है । मन भी वार अपना , मुझ पर चला रहे ह। सेवक तेरे को बाबा , जो अब सता रहे है। वो नाम अपना मौत के द तर लखा रहे है। लेते ही नाम तेरा , भय पास नह आये । ठ ई मुक र , पल म म बजाये । तेरे सवा न बाबा , चता मेरी मटावे । तू ही वक ल मेरा , मुझे राम से मलावे । मुझ द न क ओ दाता , कर ले तू अब सुनाई । नया क फ़ गम से , मुझको दला रहाई । मांगू मुराद ये ही , बु बड़े सवाई । जय भोले जय मा ते ॥ धम के अवतार क जय ॥ सया वर राम च क जय ॥ मैरे भोले भु ी हनुमान क जय ॥ Timeline Photos · 8 Jul 2016 · View full size