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ॐ ी हनुमंत शरणम्
एक बार जो भु ी हनुमान प चीसा पढले उसके संकट र हो जाते है ।
भु ी हनुमान प चीसा

अजब है श आपक ,अजब तु हारे रंग ।


चरणो म आ गर पड़े , ओ मेरे बजरंग ।

बजरंग दद दल का , कससे क ँ मै जाकर ।


मन द र मुझ पर ,लाया है दल चढ़ाकर ।
संकट से वीर बंकट ,मुझको छु ड़ा तू आकर ।
सदमा है स त दल पर , कहता ँ सर झुकाकर ।
तुझी से लो लगी है , सुनले वण लगाकर ।
अय अंजनी के न दन , रघुवर चरण के चाकर ।
बजरंग दद दल का , कससे क ँ म जाकर ।
सूरत वशाल तेरी , मन मे मेरे बसी है ।
करने को तेरी खदमत , मने कमर कसी है ।
अब तो यह बात बाबा , आकर क ठन फंसी है ।
सेवक सहे जो संकट , उसमे तेरी हँसी है ।
अ त शरीर तेरा , है वीर वन के वासी ।
ग दे ख ह मेम, ंत
ॐकर ीदेहनु कूदेशरणम्
मदन वलासी
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भृकु ट वपद को भंजन , को ट मदन वलासी ।
वरन मे छ व कहाँ तक , ो को फूंक फांसी ।
माथे तलक वराजे , सर पर मुकुट नराला ।
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कु डल वण मे सोहे , गले बीच मु माला ।
बाजु र न ज ड़त है , सोहे भुजन मे आला । or
छ व जो नहारे तेरी , उसका हो बोलबाला ।
तन पे स र सोहे , कर मे गदा वराजे । Log In
अ त अनूप जंघापे , जाँ घया को साजे ।
प थर पघल हो पानी , पाताल दहल गाजे ।
चंदन खड़ाऊं सोहे , चरणो म वीर तेरे ।
ज दे व हाथ जोड़े , चरणो म रहे तेरे ।
जन पर कु हर है तेरे , उनके फूंके है डेरे ।
अब तो सफल मनोरथ , कर दे तू बाबा मेरे ।
जनके जगर म तेरी , सूरत समां रही है ।
उनका वह अपना जलवा , जग म दखा रही है ।
ृ क सारी स प त , उ ही पे आ रही है ।
पर मुझ बेनसीब को , झांसा दखा रही है ।
तु ही ने वीर बंकट , रघुवर के काज सारे ।
ढुं डन सया को लाये , तुम रावण के ारे ।
बन के बलई भवन सब , लंका के झांक डारे ।
लाये खबर सया क , हे ! हरी के ाण यारे ।
श लगी लखन के , तब काम तु ही आये ।
लेने को औष ध तुम , हे पवन पु धाये ।
फर जड़ समेत पवत , तु ही उखाड़ लाये ।
जाना नह कसी ने , र व गाल म छपाए ।
संकट मटा लखन का , भई हष सबके मन म ।
अतु लत अपार बल है , बाबा तेरी भुजन म ।
मारे है ताल जब तू , कूदे कलक के वन म ।
सुर के श कर से , झट गर पड़े धरन म ।
जब ले गया भु को , अ हरावण चुराकर ।
पाताल प ंचे पल म , फर तुम पता लगाकर ।
ली बांध मु के तुमने थी , मकर बज क जाकर ।
दा खल ए भवन म , नज प को छपाकर ।
सुन के वचन ख़ुशी यी , अ हरावण को भरी ।
झटपट से क असुर ने , ब लदान क तैयारी ।
बुलाए राम ल मण ली हाथ म कटारी ।
बोला कड़क कड़क कर , वह न बलकारी ।
सुन ले ओ राम तप वी , बंदर नचाने वाले ।
अरमान अपने जी के , तू अब सब ही मटाले ।
करता ँ अब तुझे म , सुन मौत के हवाले ।
जो ले हमायत तेरी उसको तू अब बुलाले ।
बोले भु ऐ मूरख , य भय हम दखावे ।
धीरे से बोल भैया , हनुमान सुन न पावे ।
जीता तुझे न छोड़े , य गाल तू बजाबे ।
संकट से वीर बंकट , फर कौन हम बचावे ।
सुन के वचन भु के , ंकार तुमने मारी ।
मकट गरा धरन पर , भागे भवन पुजारी ।
फर करके कोप तुमने , ब क दे ह धारी ।
अ हरावण असुर क , पल भर म दम नकाली ।
जस पर है वीर वंकट , पड़ जाए तेरा साया ।
कायर से मद होवे, यह भेद वेद गाया ।
सेवक जो स चे दल से , तेरी सरण म आया ।
उसके न घर से ह गज , टाले टले है माया ।
जो कोई ॐभ ीतेहनु री ,मसेंतवाशरणम्
करे है जीisसे on
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हर फन म हर नर म , वह न दबे कसी से ।
पर जो वमुख है तुमसे , खोट सुने सभी से ।
आफत पड़े है उस पर , दांती क़ज़ा भी पीसे ।
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तु हारे सवा न कोई , रघुनाथ को है यारा ।
जो चाहो सो करो तुम , अ तयार तु हे सारा । or
अय बेकस के बाली , मुझको तेरा सहारा ।
भ ुक ँ तेरे दर का , झाँकू न कोई ारा । Log In
तेरे सवा न कोई , इस व म है मेरा ।
आकर के हर तरफ से , ग दश ने मुझको घेरा ।
अय केशरी के नंदन , क रये इधर भी फेरा ।
मांगू मदद म कससे , सेवक कहाँ म तेरा ।
इस व वीर मेरे , दन खोटे आ रहे है ।
मन भी वार अपना , मुझ पर चला रहे ह।
सेवक तेरे को बाबा , जो अब सता रहे है।
वो नाम अपना मौत के द तर लखा रहे है।
लेते ही नाम तेरा , भय पास नह आये ।
ठ ई मुक र , पल म म बजाये ।
तेरे सवा न बाबा , चता मेरी मटावे ।
तू ही वक ल मेरा , मुझे राम से मलावे ।
मुझ द न क ओ दाता , कर ले तू अब सुनाई ।
नया क फ़ गम से , मुझको दला रहाई ।
मांगू मुराद ये ही , बु बड़े सवाई ।
जय भोले जय मा ते ॥
धम के अवतार क जय ॥
सया वर राम च क जय ॥
मैरे भोले भु ी हनुमान क जय ॥
Timeline Photos · 8 Jul 2016 ·
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