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अनु स र बगल मु खी को वसद् घ विद्य कह गय है । तन्त्र श स्त्र में इसे ब्रह्म स्त्र, स्तंवभनी विद्य , मं त्र संजीिनी विद्य तथ प्र णी
प्रज्ञ पह रक एिं षट् कम ाध र विद्य के न म से भी अवभवहत वकय गय है । बगल मु खी स्तोत्र के पठन से स धक भयरवहत हो
ज त है और शत्रु से उसकी रक्ष होती है । बगल मु खी क स्वरूप रक्ष त्मक, शत्रुविन शक एिं स्तंभन त्मक है ।