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।।श्री स्वामी समर्थ बावनी।। ओम नमो जी ओमकारा। ससद्धिसवनायक गजवदना।

ब्रह्मा,सवष्णू , सिव अवतार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।१।।


दत्त सदगंबर तव अवतार। गुरु श्रीपादा तव अवतार। नरससंह सरस्वती गुरु अवतार ।स्वामी समर्ाथ जयजयकार
।।२।।
रामकृष्ण तव अवतार ।साईनार्ा गुरु अवतार।गुरू मासिका तव अवतार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।३।।
अजानबाहू स्वामी दयाळू ।भक्त रक्षका कृपा अपार। सद् गुरु नार्ा सदनाधार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।४।।
गौरविाथ िु भ वंदना। भस्मानसकता कमल नयना। स्मरि मात्रे कृपा अपार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार ।।५।।
औदुं बर वासे भजन सिया। रुद्राक्ष धारका मनोजया। कृपा कटाक्षे जगत उिार स्वामी समर्थ जयजयकार।।६।।
गािगाग्रामी तव संचार।अक्कलकोटी तव व्यवहार। औदुं बरी लोक उध्दार।स्वामी समर्ाथ जयजयकार ।।७।।
भीमातीरी तव सहवास। पंढरीनार्ा तव अवतार। कोल्हा ग्रामी आवड फार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार ।।८।।
सत्रगुिात्मक सत्रलोक पालका। योसगधीिा भय हारका।गोरससिया। गोपालका। स्वामी समर्ाथ जयजयकार ।।९।।
धूप-दीपी िसन्न नरहरी। संगीत भजनी रं गे स्वारी।स्तु सतस्तोत्रे हर्षे फार।स्वामी समर्ाथ जयजयकार ।।१०।।
हुक्का सवडा िसाद अपथि। हरे सचंता असत दारुि।सविा सकतथनी गोडी फार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।११।।
कस्तु री सटळक भव्य कपाळी।चंदनी उटी सदव्य िरीरी।भक्त जनां चा भरे दरबार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार
।।१२।।
ओम नमो मद्धिकाजुथ ना ,नमो नमो नमो जी सोमनार्ा।नमो गुरुरूपा ओमकार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।१३।।
नमो नमो महाकाळा। स्वामी रूपा जय वैद्यनार्ा।सद् गुरू रुपा भीमािं करा। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।१४।।
रामे श्वर रुपी नागेिा।वाराण्यस्या सवश्वे िा।सत्रगुिात्मक त्र्यं बका। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।१५।। सहमकेदारा
योसगिा। घृष्णेश्वरा परमेिा। रमे ि ज्योसतसलिं गा सद् गुरुरुर्षा।स्वामी समर्ाथ जयजयकार ।।१६।।
दे व दे वता भजती िीती।भक्तवृंद गाती आरती। स्वामी समर्ाथ जयजयकार ।।१७।।
गुरुदत्तात्रे य जगद् गुरु। स्वामी राज सद् गुरु। सगुिसनगुथि दत्तावतार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।१८।। जय जय
गुरु िक्तीिा। अनं त वेिा परमे िा।मायतीता आनं दघना। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।१९।। बालगोपाळा सिया।
स्मरि मात्रे सवथ भयहरा।गुरुदिथ ने ऐश्वयथ अपार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।२०।। श्री स्वामी समर्थ पसवत्र
।र्षडाक्षरी जपता मं त्र। सवथ ससिीचे सुलभ तंत्र। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।२१।। मंत्र जपता ऐश्वयथ अपार: स्वामी
तारक िक्ती फार। तपतेजे दाररद्र्य संहार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।२२।।
भक्तानं द कंद गुरु।सत्रभे द रसहत सद् गुरु।सवथ िक्तीिा दे व उिार ।स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।२३।। जय जय
गुरु अनासदससिा। आसद अनासद मायातीता। योगाध्यक्षा मनोजदमना ।स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।२४।।
स्वामी स्मरिे भय भवनाि। स्वामी कृपे अररष्ट नाि। स्वामी समर्थ दिथने यि हमखास। स्वामी समर्ाथ
जयजयकार।।२५।।
भक्त मानसे िगटे स्वामी। सवथकाळ तत्पर नामी।स्मृतगामी दिथ न तात्काळ। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।२६।।
स्वामी नाम मसहमा अद् भु त। नामामृ त सतत िािीत।सुख-समृ िी धन अपार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार ।।२७।।
असत्रनं दना दयाघना। दाररद्रय दु ुःख भयहरिा। सत्रमू ती गुरुभक्त िाि। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।२८।।
स्वामी लीला सवसचत्र अपार ।स्वामी सेवे आनं द फार। गुरुकृपे भवसागर पार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।२९।।
परमं गल सद् गुरु स्वामी। सुमना सुअंतरयामी। भक्त िीती सचत्ती अपार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।३०।।
लद्धिसिया ना भे दाभे द।राव-रं की हा नच नच खे द। सवथ जन मनी खुला दरबार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।३१।।
दं भ ढोंगा ना उरे गती, सद आचारे गुरु िीती।सुवचनां चा िु भ वर्षािं व।स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।३२।।
पात्रा पात्री गती सत्वर। ज्ञानदाने गुरुतत्पर इच्छा मात्र जग व्यवहार।स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।३३।। आसेतु
सहमाचल भ्रमि। इच्छा मात्रे सत्रभु वन दिथ न।चरि स्पिथ तीर्े अपार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार ।।३४।।
गंगा ,यमु ना ,सरस्वती स्वामी चरिी तीर्थ वससत। तीर्थ उगमां चा गुरु आधार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।३५।।
माहूर सगरनार गुरुस्र्ान। भक्तजनां ना आिास्र्ान। िक्ती पीठा गुरु बहू सन्मान। स्वामी समर्ाथ
जयजयकार।।३६।।
दिावतारी चररत्रनायक। सत्रभुवन चालक सत्रलोक पालक। सद्भक्तां वर िीती अपार। स्वामी समर्ाथ
जयजयकार।।३७।।
भक्त हृदय कमल सनवास।आगमनी दरवळे सुवास। दु ष्टदु जथना िासन अपार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।३८।।
कसलयुगी अवतार दत्तात्रे य।असवनािी गुरु अत्री तनय। स्वामी करी उिार अपार ।स्वामी समर्ाथ
जयजयकार।।३९।।
नाना रुपी अवतरे स्वामी। अनंत रूपे अनं त कामी भक्त- कामी तत्पर अपार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।४०।।
सुमन कामना तत्पर। सुख संपत्ती ज्ञान सवचार। नाद्धस्तक जना संकटे अपार। स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।४१।।
उदार गुरु आधार भक्तां चा। श्री स्वामीराज तारक जगाचा।भय संकटे सत्रतापहार।स्वामी समर्ाथ
जयजयकार।।४२।।
कृष्णातीर पसवत्र, तेर्े संचरे गुरु समर्थ । गुरु सेवा हाच आधार ।स्वामी समर्ाथ जयजयकार।।४३।।
श्री स्वामी राज अरी दु जथनां चा। श्री स्वामीराज गुरू जगाचा। स्मरि भजने नासे अज्ञान। स्वामी समर्ाथ
जयजयकार।।४४।।
इच्छा गुरुची जग हे पसवत्र।करी घडामोड सदा सवसचत्र। स्वामी मं त्र तारक सवथत्र। स्वामी समर्ाथ
जयजयकार।।४५।।
आरती गुरु रमती । सेवक भजती िसन्नसचत्ती। अन्नदानी दे ती वरदान। स्वामी समर्ाथ जयजयकार ।।४६।।
स्वामी लीला अगम्य अने क। समाधी लीला त्यातील एक। भक्ता होई सतत दिथ न। स्वामी समर्ाथ
जयजयकार।।४७।।
सद् गुरु मू ती िसन्न सुंदर। कर कटे वरी हास्य मनोहर। अजानबाहू स्वामी सदगंबर। स्वामी समर्ाथ
जयजयकार।।४८।।
कोसपन धारक सटळक कपाळी।सुमने रुद्राक्ष िोभे गळी। जगत उिारक असत उदार ।स्वामी समर्ाथ
जयजयकार।।४९।।
स्वामी समर्थ सदव्यिक्ती ।नामजपाने सुलभ िाप्ती। भक्त कासज उडी तात्काळ। स्वामी स्वामी समर्ाथ
जयजयकार।।५०।।
बावन्न ओव्या बावन्न सुमने । स्वामी चरिी असपथली सुमने । गुरु िं कर महाराज जयजयकार ।स्वामी समर्ाथ
जयजयकार।।५१।।
बावन्न ओव्या वासचता सनत्य। स्वामीराज िसन्न सदोसदत। स्वामी जय हाच आधार। स्वामी समर्ाथ जयजकार।।५२।
। इसत श्री स्वामी समर्थ बावनी संपूिथ।।

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