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दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः ।

दीपो हरतु  मे  पापं  दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते ॥

शु भं करोति कल्याणं आरोग्यं धन सं पदः |

् विनाशाय दीपं ज्योति नमोऽस्तु ते।।


शत्रु बु दधि

सत्याधारस्तपस्तै लं दयावर्ति: क्षमाशिखा ।

अं धकारे प्रवे ष्टव्ये दीपो यत्ने न वार्यताम् ॥

घना अं धकार फैल रहा हो, ऑंधी सिर पर बह रही हो ,तो हम जो दिया जलाएं , उसकी दीवट सत्य की हो, उसमें ते ल
तप का हो, उसकी बत्ती दया की हो और लौ क्षमा की हो। आज समाज में फैले अं धकार को नष्ट करने के लिए ऐसा ही
दीप प्रज्जवलित करने की आवश्यकता है ।

मु खो पवित्रं यदि रामनामं । हृदय पवित्रं यदि ब्रह्म ज्ञानं ।

चरणौ पवित्रं यदि तीर्थगमनं । हस्तौ पवित्रं यदि दीपदानम्|

निवसतु तव गे हे निश्चला सिं धुपुतर् ी

प्रविशतु भु जदण्डे कालिका वै रीहन्त्री ।

तव वदनसरोजे भारती भातु नित्यं

निवसतु तव चित्तं पाद पद्मं मु रारे ः।।

आपके घरमें अचल महालक्ष्मी बिराजें , आपकी भु जाओं में शत्रु नाशिनी महाकाली बिराजें , आपके मु खमें महा
सरस्वती बिराजें एवं चित्त मु रारि भगवान श्रीहरि के चरणों में लगा रहे !

एसी शु भ कामना के साथ आप को और आपके परिवार को

नववर्ष सं वत 2074 की बधाई एवं नूतनवर्षाभिनं दन .

अयं दीपावली महोत्सवः भवत्कृते भवत्परिवारकृते च क्षे मस्थै र्य आयु ः आरोग्य ऐश्वर्य अभिवृ दघि
् कारकः भवतु अपि
च श्रीसद्गुरुकृपाप्रसादे न सकलदुःखनिवृ त्तिः आध्यात्मिक प्रगतिः श्रीभगवत्प्राप्तिः च भवतु इति||

दीपावल्या: हार्दिक शु भाशयाः

- कपिल शे लत & जानकी शे लत

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