You are on page 1of 2

दुर्गा सप्तशती और तां त्रिक दृष्टि-(भाग तीन)...

=====================================

नवरात्र के नौ पाठों का क् रम और उत्कीलन--

=============================

शाक्त उपासकों के लिए नवरात्र -पर्व का बहुत ही महत्व माना गया है |वै से तो आश्विन मॉस के शु क्लपक्ष में आने
वाले प्रतिपदा से नवमी तक के दिनों को ही नवरात्र के रूप में सर्वत्र माना जाता है ,किन्तु पु रे वर्ष में क् रमशः--

१.चै तर् ,

२. आषाढ़ ,

३. आश्विन ,

४. माघ में चार नवरात्र आते हैं और उनमे दे वी उपासना का विधान होता है ।उनमे भी अलग-अलग ढं ग से तिथियों
का निर्णय करके साधना आरम्भ की जाती है |अतः उनमे केवल नौ ही दिन होते हैं ,ऐसा भी नहीं हैं ।प्रायः १० दिन,१५
दिन और इन से न्यूनाधिक दिनों में भी ऐसी साधनाएं होती हैं |

दुर्गा सप्तशती-पाठ की प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण क् रम नौ प्रकार के पाठों का इस प्रकार प्राप्त होता है ।जो की
रुद्रयामल तं तर् में निर्दिष्ट है ----

दिन-पाठ का नाम,पाठ प्रकार---

==++========++++=========

[१] महाविद्या--प्रथम,द्वितीय और तृ तीय चरित्र

[२] महातं तर् ी------प्रथम,द्वितीय और तृ तीय चरित्र

[३] चं डी----------प्रथम,द्वितीय और तृ तीय चरित्र

[४] सप्तशती---द्वितीय,प्रथम और तृ तीय चरित्र

[५] मृ त सं जीवनी--तृ तीय,प्रथम और द्वितीय चरित्र

[६] महाचं डी-----तृ तीय,द्वितीय और प्रथम चरित्र

[७] रूप्दीपक पाठ-----"रूपमदे हि "इस श्लोकार्ध और नवार्ण मं तर् से सं पुटित

[८] चतु ह्शष्टि योगिनी--चौसठ योगिनियों के मन्त्रों के योग से पाठ [जिसके आद्यं त में काली,लक्ष्मी और सरस्वती
की योगिनियाँ रहें ।

[९] परा [चं डीपाठ]--परा बीज से सं पुटित पाठ [दसवें दिन उत्कीलन -पाठ भी होता है ,जिसके लिए स्वसं पर् दाय और
गु रु आज्ञा प्राप्त होने पर निम्न क् रम में पाठ हो सकता है ।

[१०] उत्कीलन----अध्याय क् रम १३,१,२,१२,३,११,४,१०,५,७,६,७ और ९।


नवरात्र में खड्गमाला के पाठ का क् रम बनाकर यदि पाठ किया जाए तो उसका क् रम इस प्रकार होगा---

[१] काली

[२] तारा

[३] बाला

[४] गायत्री

[५] गु ह्यकाली

[६] भु वने श्वरी

[७] चामुं डा

[८] कुब्जिका

[९] महात्रिपु रसु न्दरी

[१०] अपराजिता

तां त्रिक ग्रंथों में कृष्ण पक्ष की षष्ठी से २७ दिन की और अष्टमी से पूर्णिमा तक का नवरात्र मनाने का भी निर्दे श
प्राप्त होता है |ये नवरात्र सृ ष्टि और सं हारात्मक भी होते हैं !!

।।हर-हर महादे व।

You might also like