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।। ीह रः ।।
।। ीव लभाचायचरणा वजय ते ।।
।। ीबालाकृ णः भु वजयते ।।

।। वा यवहार वंश तः ।।
(20 दन म सं कृत यवहार सीख)

● योगवै व य ● स धा तप रचय ● अ यासबाहु य

लेखक - पण
ू ना द गो वामी

2
अनु म णका

।। आमख
ु ।। 5

म गलम ् 7

।। थमः पाठः ।। 8

।। अि त-भव त का और सः-कः-कु इन पद का प रचय ।। 8

।। वतीयः पाठः ।। 11

।। तव-मम, अ स-अि म, च का प रचय ।। 11

।। तत
ृ ीयः पाठः ।। 14

।। भव स-भवा म, गम ् धातु का प रचय ।। 14

।। चतथ
ु ः पाठः ।। 17

।। कृ धात,ु तत ् श द का ल ब ल ग म प रचय ।। 17

।। प चमः पाठः ।। 21

।। त -य -एत - कम ् के ल ग यी और य का प रचय ।। 21

।। ष ठः पाठः ।। 24

।। त य-एत य तीन म, य त ा द और कलख वा द का प रचय ।। 24

।। स तमः पाठः ।। 27

।। वा दय का .प.ु , रामा दश द क थमा वभि त, आसीत ्+ म, और या वशेषण का प रचय ।। 27

।। अ टमः पाठः ।। 31

।। तदे त -आ द क थमा (प.ंु ी) और व वसमास का प रचय ।। 31

।। नवमः पाठः ।। 35

।। तदे त -आ द का नपन
ु सक ल ग, त यय और तत
ृ ीया का अ यास ।। 35

।। दशमः पाठः ।। 39

।। मधमपु ष का अ यास ।। 39

।। एकादशः पाठः ।। 41

।। तवत-ु अ यास और समाना धकरण- य धकरण- वभि तभेद ।। 41

।। वादशः पाठः ।। 44

3
।। उ मपु षा यास, आसम ् अलम ्-सह ।। 44

।। योदशः पाठः ।। 48

।। वा यय और वतीया का ल ग य म, और वना के योग म अ यास ।। 48

।। चतद
ु शः पाठः ।। 51

।। ल ृ लकार, सन ्-सती और यावदा द का प रचय ।। 51

।। प चदशः पाठः।। 54

।। चतथ
ु -अ यास ।। 54

।। षोडशः पाठः ।। 58

।। तम
ु न
ु ्-प च य यासः च ।। 58

।। स तदशः पाठः ।। 62

।। लो ।। 62

।। अ टादशः पाठः ।। 67

।। ल और भव छ द ।। 67

।। एकोन वंशः पाठः ।। 70

।। पिु ल ग म रामश द और सवश द ।। 70

।। वंशः पाठः ।। 73

।। रमा-श द और त या द- यय ।। 73

।। प र श ट वभाग ।। 76

4
।। आमख
ु ।।

कसी भी भाषा को सीखने म ब चे को ढाई साल िजतने लग जाते ह, उसम सब ु ह से शाम तक, कम से
कम 8-10 घ ट का भरपरू अ यास मलता है । वह नए श द, धातु और योग को समझता है , और जब
एक ह अथ म, एक नाद हण होता है तो अनम ु ान आ द के वारा उसे उस नाद से स ब ध अथ क
ती त होने लगती है । इसका अथ है , क भाषा हमारे अ दर पहले से समा हत है , बस उसके योग अलग
अलग भाषाओं म, उन बु धगत-अथ क अ भ यि त के तर के अलग ह।

इसी बात को यान म रखते हुए, मने इस पा य म को नधा रत कया है । सामा यतः हमने दे खा होगा,
क कसी भी नयी भाषा को सीखते समय हम मटके को घट कहते ह, गाय को गो कहते ह, ऐसे नाम
(vocabulary) से शु आत करते ह। इससे काफ समय बबाद होता है , और भाषा म योग सीख नह ं
पाते। दस
ू र भाषाओं के श द को आरो पत कर हम ह द म भी वापरते ह, वैसे सं कृत म भी कया जा
सकता है , जो नह ं कया जा सकता, वह धातु और सवनाम का भाषा तर म आरोप। जैसे "तत ् टे बलम ्
अि त" (वह टे बल है ) बोला जा सकता है । ले कन तत ् और अि त का भाषा तर से आरोप संभव नह ।ं
इस लए येक भाषा म, ले कन खास करके सं कृत म धातओ ु ं और उनके व वध योग को न सीखो,
तो श द आते हुए भी बोल न पाओगे। इसका कारण यह है , क िजतने सं कृत श द ह, वे सभी धातओ ु ं से
ह बनते ह, अथात ् उनके मल ू प धातु ह होते ह।

नाम का/vocabulary का वतः ह ान हो जाता है । जब हम यवहार करते ह, और मानलो के सामने


सेब है , ले कन आप उसे सेब से न जानकर apple तर के जानते हो। जब म बोलँ ू "सेब लाओ" तो थोड़ा
सोचकर अनम ु ान से आप "apple ह सेब है " ऐसा समझकर सेब ले आओगे। ले कन या ह न मालम ू
तो न अथ समझ सकोगे, नाह ं खद ु से भाषा बोल सकोगे। श द के अभाव होते हुए भी, आप भाषा तर से
आरोप करके बोल लेते हो, उससे वाह केगा नह ।ं

दस
ू र बात यह, क बचपन म 8-10 घंटे हमको भाषा सीखने का अवसर मलता है । उसम ढाई
साल।िजतने लग जाते ह। बड़े होकर दन म 1 घंटे भाषा सीखने से कैसे आएगी और कतना समय
लगेगा? इस लए जब हम बड़े होकर भाषा सीखते ह, तो 3 चीज़ पर अ छे तरह से यान दे ना चा हए 1)
योगवै व य 2) अथ स धा त 3) अ यास ।।

योगवै व य को अं ेजी म functionality कह सकते ह। भाषा का परू ा एक व प होता है , उसम एक


धातु कई सारे अथ म हम बना जाने वापरते ह, और उसी धातु को जब ला णक र त से (मह ु ावरे / वशेष
पम) बोलो, तो अलग ह अथ क ती त होगा। उदाहरणतया "दे " और "ले" का ह द म व वध योग
ह, सामा यतया व व का व नमय (transfer of ownership) म योग है ले कन अनम ु त दे ने म भी
योग है = "कर ले", "मझ
ु े दे दे ", "उसके बोलने दे "। इसी को योग-वै व य या functionality कहते ह।
बचपन म भाषा को सीखो, तो धीरे धीरे इसका ान होगा के इस धातु को ऐसे भी कह सकते ह। ले कन
जब बड़े होकर सीखो, तो इसी को एक त करके सीखना चा हए, और व वध उदाहरण से भाषा म अलग
अलग योग का यवहार कैसे हो, वह समझ लेना चा हए। उससे ज द भाषा म पकड़ आती है । अ यथा

5
भाषा म इतने सारा योगवै व य है ,खासकर सं कृत म, क एक-एक योग को पथ
ृ तया सीखने
जाओगे तो ज म लग जायगे। मने इसी बात को यान म रखकर कई सारे योग को अ छे से एक त
कर सोदाहरण तत ु कया है ।

अथ स धा त वह ह जो योग क नचल परत ह। उस योग को ऐसे य कर, उसके पीछे का


logic/science है । जब हम बचपन क भाषा बोलते ह, तो हमको ये logic मालम ू हो न हो, हम यवहार
से, सन
ु -सन
ु के अपने आप अनम ु ान से कहाँ कैसे कसको योग करना है , यह समझ लेते ह। ले कन बड़े
होने पर, जब नयी भाषा सीखते है , तब अलग अलग योग को दे खना, उनक समी ा करना (examine
करना), फर अनम ु ान लगाना के यहाँ गम ् धातु शायद ाि त अथ म होगा, इ या द को समझकर फर
सा ह य आ द पढ़कर धीरे धीरे उस योग के उदाहरण को दे खना, फर भाषा म बोलना, यह बहुत ल बा
procedure है ।

इसको छोटा करने के लए, अलग अलग योग को म एक त क ं गा, और िजससे आप वत ता से


अपनी न य भाषा म, इनको बोल सक, इस काज म योग के पीछे का अथ स धा त/logic भी
बताऊँगा। यह अथ स धा त जाने बना, आप अगर खद ु चाह, तो योग नह ं कर पाओगे। वह वत ता
नह ं मलेगी। चक ु आपके मन म पहले से ह, तो आप अपने आप भी समझ सकते ह, ले कन
अथ स धा त को अनम ु ान से समझने म आपको काफ समय चा हये। जब आप ब चे थे, तो कायमु त
थे और सबु ह से शाम भाषा सनु ते थे, िजससे योग का अ यास होता रहता, जो क अब होना क ठन है ।

अ यास तो नाम ​से ह प ट है । मने योग कैसे करना, उसके पीछे का अथ स धा त और उससे
स ब ध अनेक उदाहरण भी दए ह। यह उदाहरण जानकर आप काफ वत ता से भाषा बोलने म
नपणु हो जाओगे। जहाँ जहाँ मझ
ु े मले, मने गीता सा ह य, सभ
ु ा षत आ द का भी उदाहरण प म
संकलन कया है ।

इस पा य म म आप राम रमा पु प, तत ् एतत ् सव श द का सात वभि त स हत, 20-25


न य यवहार के धातओ
ु ं को, और त- तवत-ु वा/ यप ्-तमु न
ु ्-त य आ द अनेक ययमल ू क योग
का भी ान करगे।

6
म गलम ्

च तास तानह तारो य पादा बज ु रे णवः ।


वीयानां ताि नजाचायान ् णमा म मह ु महु ु ः ।।
यदनु हतो ज तःु सवदःु खा तगो भवेत ् ।
तमहं सवदा व दे ीम व लभन दनम ् ।।

ीकृ णं परमान दं दशल लायत


ु ं सदा ।
सवभ तसमु धारे व फुर तं परं नम ु ः ।।

ीह रं व लभाधीशं गोपीनाथं च व ठलम ् ।


ी ग रधरगो व दबालाकृ ण यव लभ-
रघयु दकु ु लाधीशघन यामान ् नमा यहम ् ।।

येना रसमा नाय अ धग य महे वरात ् ।


कृ नं याकरणं ो तं त मै पा णनये नमः ।।

ीह रं वगु ं चैव न वा करो म व ठलाम ्।


मु धबाल वनोदाथ वा यवहार वंश तम ् ।।

7
।। ीह रः ।।
।। ीव लभाधीशो जय त ।।
।। ीबालकृ णः भु वजयते ।।

।। वा यवहार वंश तः ।।

।। थमः पाठः ।।

।। अि त-भव त का और सः-कः-कु इन पद का प रचय ।।

1.1

अि त = है । भव त = होता है । सः = वह। कः = कौन।


कु = कहाँ।

रामः कु अि त? (राम कहाँ है ?)


रामः गहृ े अि त। (राम घर पर है ।)
सीता कु अि त? (सीता कहाँ है ?)
सीता व यालये अि त (सीता व यालय म है ।)

सः कः अि त? (वह कौन है ?)
रामः कः अि त? (राम कौन है ?)
अ गु ल- नदशेन - सः रामः अि त (उं गल दखाकर = वह राम है ।)
रामः दशरथपु ः अि त। (राम दशरथ-पु है ।)

सीता का अि त?
सा गु ल नदशम ्; सीता सा अि त। (उँ गल दखाकर; सीता वह है ।)
सीता रामप नी अि त। (सीता राम-प नी है । )।

कि चत ् अ या ताम ् (थोड़ा अ यास कर, इनका अनव


ु ाद कर)
सीता कु अि त?
सा व यालये अि त।
का व यालये अि त?
सा सीता व यालये अि त।

8
रामः कु अि त?
सः गह ृ े अि त।
गहृ े कः अि त?
सः रामः गह ृ े अि त।

___

1.2

व ृ ः - पेड़। वानरः - ब दर। भव त - होता है /बनता है । स यम ् - सच। क शः - कैसा। क शी - कैसी।

(​ टप णी = कसी भी श द के अ त म "ए" लगा दो, तो उसका अथ "म/पर" हो जायेगा। वने - वन म।


व ृ े - व ृ पर। आ द।)

व ृ ः कु भव त? (व ृ कहाँ होता है ?)
व ृ ः वने भव त। (व ृ वनम होता है ।)
सः क शः भव त? (वह कैसा होता है ?)
सः परोपकार भव त। (वह परोपकार होता है ।)

नद कु भव त? (नद कहाँ होती है ?)


नद नगरे भव त। (नद नगर/शहर म होती है ।)
सा क शी भव त? (वह कैसी होती है ?)
सा शीतला भव त। (वह शीतल होती है ।)

का नचन उदाहरणा न (सानव


ु ादम ्)।

१) घटः भव त (घट बन रहा है ।)


२) व ृ े वानरः अि त (व ृ पर वानर है ।)
३) वानरः च चलः भव त (वानर च चल होता है ।)
४) का ठत तःु च पत गः भव त। ( झ ल /caterpillar ततल बनता है ।)
५) अ येता बु धमान ् अि त। (अ येता बु धमान ् है ।)
६) सः उ ीणः भव त। (वह उ ीण/pass होता है ।)
७) सीता गह ृ े नाि त।* (सीता घर पर नह ं है ।)
८) सा व यालये अि त। (वह व यालय म है ।)
९) कः* पु ः सव मः अि त? (कौनसा पु सव म है ?)
१०) रामः े ठः सव मः अि त। (राम सबसे बड़ा सव म है ।)

यावहा रकवा या न

9
सव कुशलम ्? (सब कुछ कुशल है ?)
आम ् (हाँ)।
पता कुशल , माता कुश लनी, गह ृ े सव कुशलम ् । ( पता कुशल ह, माता कुशल है , घर म सब कुशल है ।)
बाढम ् (ब ढ़या।) 【बाढम ् मतलब ब ढ़या, ओके, अ छा, सु दर आ द।】
उदा = बाढ म य वी ाम तौ चानु ा य राघवम ् ।। रामायण = ७.९४.३० ।।
(लवकुश से रामायणकथा सन ु कर राम बोले "बाढम ्" और दोन राम से अनम ु त लेकर वा मी क के पास
गए।)
रामः कथम ् अि त? (राम कैस ह?)
रामः व थः अि त। (राम व थ ह।)
कथम ् मतलब, कैसे/कैसा या कस कारसे/ कस कारका।

पादलेखाः
*( न+अि त=नाि त।
* " कः " यह पद कौनसा इस अथ म भी योग हो सकता है , कौनसा के लए भी एक अलग श द है । कौन
बालक आया? कौन बेटा अ वल आया? ऐसे उ र भारत म योग काफ होते ह, मु बई क ह द कुछ
अलग है िजसम नह ं होते।)

10
।। वतीयः पाठः ।।

।। तव-मम, अ स-अि म, च का प रचय ।।

१.१

अहम ् - म। मम - मेरा।
वम ् - तम
ु । तव - तेरा।
कम ् - या? एव - ह ।
आम ्/हुम ् - हाँ।

वं कः अ स? (तम
ु कौन हो?)
अहं य द ः अि म (म य द हूँ।)

कं वमेव य द ः अ स? ( या तम ु ह य द हो?) < वम ्+एव= वमेव>


आम ्। अहमेव य द ः अि म। (हाँ। म ह य द हूँ।)

(आप वम ् अ स को याद रखने के लए स ध उप नष वा य "तत ् वम ् अ स" का मरण कर सकते


ह, इससे आपको सदा याद रहे गा वम ् के साथ अ स लगता है ।)

वं का अ स? (तम ु कौन हो?)


अहं दे वद ा अि म। (म दे वद ा हूँ।)
कं वमेव दे वद ा अ स? ( या तम ु ह दे वद ा हो?)
हुम ् अहमेव दे वद ा अि म। (हाँ। म ह दे वद ा हूँ।)

तव नाम कम ् अि त? (तु हारा नाम या है ?)


मम नाम रामः अि त। (मेरा नाम राम है ।)
तव नाम य द ः अि त? (तु हारा नाम य द है ?)
न, मम नाम रामः अि त, य द ः मम म म ् अि त। (नह ,ं मेरा नाम राम है । य द मेरा म है ।)

कुछ उदाहरण का अ यास कर।

11
यु तश द = छा = व याथ /student। एव=ह /only। अ = यहाँ। कु = कहाँ। कु +अ स=कु ा स
(कहाँ हो?)। अ +एव=अ व
ै (यहाँ+ह =यह )ं । नपण
ु ा = कुशल ी। नपण
ु ः = कुशल पु ष। पाकः =
रसोई।

१) कं वम ् पि डतः अ स?
न ह, अहं छा ः अि म। (नह ं म छा हूँ।)

२) वं मम गह
ृ े अ स। अहं तव गह
ृ े नाि म। (तम
ु मेरे घर म हो, म तु हारे घर म नह ं हूँ।)

३) वं कु ा स? वं व यालये ना स। क तु अहम ् अ एव अि म। (तम


ु कहाँ हो? तम
ु व यालय म नह ं
हो, ले कन म यहाँ ह हूँ।)

४) वं पाके नपण
ु ा अ स। अहं भोजने नपण
ु ः अि म। (तम
ु पाक म/रसोई म नपण
ु हो। म भोजन
म/खाने म नपणु हूँ।)

५) कथम ् अ स? (कैसे हो?)


कुशल अि म। (कुशल हूँ।) यहाँ वम ् और अहम ् के बना भी यवहार कर सकते ह, उनका अ याहार
(उपि थ त बना भी हण) हो जायेगा।

_____

१.२

च का योग। च = और। वा य म च हमेशा च व व के अ त म लगता है । जैसे - रामः ल णः च =


राम और ल मण। रामः सीता च = राम और सीता।
यादा हुए तो भी अ त म ह । रामः, ल मणः, भरतः, श ु नः च = राम ल ण भरत और श ु न।
ह द म आखर पद, श ु ना द अि तम पद के पहले और सं कृत म परू े व व (समह ू /collection) के
अ त होने पर च लगाते ह।

इस लोक का अ यास कर।

वमेव माता च पता वमेव, वमेव ब धःु च सखा वमेव ।


वमेव व या वडं वमेव, वमेव सव मम दे वदे व ।।

अ वयः = हे दे वदे व! वम ् एव माता अ स, पता च वम ् एव अ स। वम ् एव ब धःु अ स, सखा च वम ्


एव अ स। वम ् एव व या अ स, वडं च वम ् एव अ स। वम ् एव मम सवम ् अ स।।

अथ = हे दे व के दे व! तम
ु ह माता हो, और पता तम
ु ह हो। तमु ह ब धु (भाई) हो और सखा तमु ह हो।
तम
ु ह व या हो, और वड/ वण (धन, बल या सम ृ ध) तम ु ह हो। तमु ह मेरे सव (सब कुछ) हो।

12
टप णी = लोक म कह ं भी "अ स" पद का योग नह ।ं " वमेव माता" बस इतना ह । इस लए हमने
"अ स" का सभी जगह अ याहार (जो पद वा य म नह ं ले कन अगर उसका अथ है , तो पद क क पना
क जाती है , उसी को अ याहार कहते ह।) कया है । और, " वमेव व या वणं" म च नह ं था ले कन च
का अथ था अतः अ वय म च का भी अ याहार कया है । ऐसा सब जगह दे खना चा हए।
ह द म भी सामा य उदाहरण = "आ गए?" "हाँ। आ गया।" ये दोन वा य अधरू े ह। शु ध वा य = "तमु
आ गए?" "हाँ। म आ गया।"
ह द म भी हम कई बार वा य को सन ु कर, हमार बु ध अनु त पद क क पना कर लेती है , इसी
क पना को वा य म लखते समय अ याहार कहते ह।

13
।। तत
ृ ीयः पाठः ।।

।। भव स-भवा म, गम ् धातु का प रचय ।।

अि त = है । अ स = हो। अि म = हूँ।
भव त =होता है , बनता है । भव स = होते हो, बनते हो। भवा म = होता हूँ, बनता हूँ।
ग छ त = जाता है । ग छ स = जाते हो। ग छा म = जाता हूँ।
शनैः शनैः - धीरे धीरे । एव = ह । अ प = भी।

सब
ु ोध (tip): आप ये formula याद कर ल = त- स- म और ायः सभी धातओ
ु ं म इसे लगाएँ।
भव त-भव स-भवा म
अ -अि स-अ म। या त-या स-या म आ द। अ यास-पिु तका म अ धक दया है ।

उदाहरण।
(यु म )
१) वं पवान ् भव स। (तम ु पवान ् बनते हो।)
२) वं शा े व वान ् भव स (तम ु शा म व वान ् होते हो/बनते हो।)
३) वं शनैः शनैः गायने नपण ु ा भव स (तम ु धीरे -धीरे गाने म नपण
ु ा हो रह हो।)
४) वम ् उ सकु ः भव स। (तमु उ सक ु /excited होते हो।)
५) वम ् रामात ् आक षतः भव स। (तम ु राम से आक षत होते हो।)

"हे अ ने! वम प महान ् भव स।"


ऋ वेद सू त १०.२१
(हे अि न! तम
ु भी महान ् बनते हो/होते हो।)

वं सव व मानः भव स (तम
ु सभी जगह वतमान होते हो।)

___
(अ म )
१) अहं पता भवा म। (म पता बनता हूँ।)
२) अहं व यालये उ ीणः भवा म। (म व यालय म उ ीण/pass होता हूँ।)
३) अहं शनैः शनैः व ृ धः भवा म। (म धीरे -धीरे व ृ ध/बढ़
ू ा हो रहा हूँ।)
४) अहं सु दरभोजनेन त ृ तः भवा म। (म सु दर-भोजन से त ृ त होता हूँ।)
५) अहं रोगमु तः भवा म। (म रोगमु त/बीमार से मु त होता हूँ।)

_____

14
३.२

कु ग छ त दे वद ः? (कहाँ जा रहा है दे वद ?)
सः व यालयं ग छ त। (वह व यालय को जाता है ।)
कं सः भोजनालयं ग छ त? ( या वह restaurant/भोजनालय को जाता है ?)
न ह। सः भोजनालयं न ग छ त, अ पतु व यालयं ग छ त। (नह ,ं वह भोजनालय को नह ,ं अ पतु
व यालय को जाता है ।)

टप णी = हम य य प ह द म हरे क जगह "को" नह ं लगाते, " व यालय जाता है " ऐसे सामा य बोलते
ह। ले कन सं कृत म कोई श द वभि त- यय बना खाल नह ं रह सकता अतः हम " व यालय कम
है " ये बताने के लए कम अथ म वतीया करते ह। कसी भी श द से "अम ्" डालने पर हम ायः "को"
जैसा अथ मलता है , ले कन और भी अथ एक वभि त के हो सकते ह। ह द के "को" से सं कृत के
"अम"् को यथावत ् नह ं समझना चा हए, य क वभि त खाल एक यय है , जो अलग-अलग अथ म
हो सकता है , उसका सफ एक नि चत ् अथ नह ं जैसा हमने ह द म "को", "से" इ या द के नि चत ्
अथ preposition के प म बना लए ह।
राम+अम=् रामम ्। ाम+अम ्= ामम ्।।

* व यालय कम य है ? या जहाँ स पण ू /terminate हो वह कम है , "he goes to school, वह


व यालय को जाता है ।" यहाँ "जाना" इस या का termination point (जहाँ या स पण ू होती है )
व यालय है । व यालय पहुँचने के बाद दे वद कह ं नह ं जायेगा, या क जाएगी। जहाँ या क गई
वो कम। "यह व यालय कम है ", यह बताने के लए ह हम "अम"् लगाते ह, वरना व यालय कम है या
नह ं उसका पता नह ं चल पायेगा। सामा यतः " या" या " कसको" पछ ू ने पर ह द म हम कम को
समझते ह, ऐसा सं कृत म भी है ले कन इसे साव क न समझा जाये, औ स गक (in most cases)
समझा जाये।"

__

श द = णालय - hospital/अ पताल। णः - बीमार पु ष, णा - बीमार ी। य = जहाँ। त =


वहाँ। कु = कहाँ। अ = यहाँ।

उदाहरण

कु ग छ स?
अहं णालयं ग छा म। (म णालय को/अ पताल को जाता हूँ।)
कम ् अभतू ्? कं वं णः अ स? ( या हुआ? या तम
ु ण/बीमार हो?)
न। णालये मम माता अि त। सा णा अि त। (नह ।ं णालय म मेर माता है । वह णा है ।)
अहो! महान ् खेदः। त ह वं त दनं णालयं ग छ स? (अरे ! बड़ा खेद है । तो या तम
ु रोज़ णालय
को जाते हो?)

15
आम ्। त दनं त ग छा म। (हाँ। रोज़ वहाँ जाता हूँ।)

टप णी = ​ग छ त, यह गम ् धातु का प है । गम ् धातु के अलग अलग अथ ह, जो वतः और उपसग


लगाने पर मलते ह।
जाना, आना, पाना, समझना, जानना आ द।

उदाहरण =
दे वद ः गह
ृ ं ग छ त = दे वद घर को जाता है ।
दे वद ः गहृ म ् आग छ त = दे वद घर को आता है ।

सा वग ग छ त = वह वग को पाती है ।
अहं इ पदं ग छा म = म इ पद को पाता हूँ।
वं न अ धग छ स। = तम ु नह ं जानते/समझते हो।
कं वम ् अवग छ स? = या तम ु समझते हो?
दे वद ः शा ाथम ् अ धग छ त = दे वद शा ाथ को समझता है ।

आग छ त = आता है । अ धग छ त/अवग छ त = समझता है । उपग छ त = पास जाता है ।


तग छ त = लौटता है । इन सबको अ यासपिु तका म दे ख। अ य पयायवाची धात,ु अ यासाथ
उदाहरण एवं ला णक- योग (idiomatic expressions) अ यास-पिु तका म है ।

16
।। चतथ
ु ः पाठः ।।

।। कृ धात,ु तत ् श द का ल ब ल ग म प रचय ।।

४.१

करो त = करता है /बनाता है । करो ष = करते हो/बनाते हो। करो म = करता हूँ/बनाता हूँ।

गह
ृ म ् = घर। वनम ् = ज गल। व म ् = कपड़ा। जलम ् = पानी।

नपंस
ु क ल ग के श द वन, गह ृ , ज गल आ द का जब वा य म योग होता है , तो "अम ्" वभि त
लगती है और यह वनम ्, गह
ृ म ्,ज गलम ् ऐसे पद बन जाते ह।

* यान रहे , के इनक मल


ू अव था तब थी जब यह वा य म यु त नह ं थे, इस अव था म "अम"् अब
तक लगाया नह ं था। "गहृ , वन, ज गल" जैसे मल
ू -अव था म इनको को श द कहते ह, और वा य म
आये हुए वभि त-स हत प को पद कहते ह। "राम" श द है , और "रामः" पद है , "वन" श द और
"व
​ नम"् पद, "ल मी" और "ल मीः" पद। सं कृत म ऐसा कोई श द नह ं िजससे वभि त नह ं आती।
और वभि त बना श द का वा य नह ं बन सकता। पद से ह वा य बनता है ।*

____

श दा:।
गहृ काय = होमवक। दे वालय = मि दर। र ग = ना य थान/stage। च - और। तु - तो। अ प - भी। एव -
ह । त दनम ् - हर रोज़। चा प = च+अ प = और भी।

उदाहरण।
(करो त)
१) रामः गहृ काय करो त। (राम गह ृ काय को/homework को करता है ।)
२) दे वद ः घटं करो त। (दे वद घट को/मटका को बनाता है ।)
३) सीता तु मालां करो त दे वालयं च ग छ त। (सीता तो माला को बनाती है , और दे वालय को जाती है ।)
४) दे वद ः र गे नाटकं करो त, न ृ यं चा प करो त। (दे वद र ग/stage पर नाटक को करता है , और
न ृ य को भी कता है ।)
५) हरद ः पज ू ां करो त, जपं चा प करो त। (हरद पज ू ा को करता है , और जप को भी करता है ।)

17
(​ ी ल ग श ​ द, स ​ ीता, म
​ ाला, प
​ ज
ू ा आ द जब कम बनगे तो इनसे भी "अम"् वभि त लगाकर 'सीताम ्'
'मालाम ्' '​ पज
ू ाम ्' प
​ द बनगे।)

_______

श दाः।

न ृ यालाय/ना यालय = सनेमाघर theatre/auditorium। यायाम = कसरत/excercise । तिु दल =


मोटा। माद = आलसी।

करो ष-करो म

भो द ! कु ग छ स? (हे द ! कहाँ जा रहे हो?)


अहं न ृ यालायं ग छा म। वम ् अ कं करो ष? (म न ृ यालाय को जा रहा हूँ। तमु यहाँ या कर रहे हो?)
अहम ् अ त दनम ् आग छा म। ातः उ याने यायामं करो म। (म यहाँ रोज़ आता हूँ। ातः उ यान
म यायाम को करता हूँ।)
शोभनम ्! (सु दर!)
द , वं यायमं करो ष? (द , तम ु यायाम को करते हो?)
न ह म , अहं तु तिु दलः अि म, कदा प यायामं न करो म। (नह ं म , म तो तिु दल/मोटा हूँ। कभी
भी यायाम को नह ं करता हूँ।)
हाहाहा। वं तिु दलः ना स, माद अ स। अतः प र मं न करो ष। (हाहाहा। तम ु मोटे नह ं हो, माद
हो। अतः प र म को नह ं करते हो।)

(कुछ पद जैसे म ! द ! माद , सीता इ या द म कोई वभि त (:, अम ् जैसी) प ट दखाई नह ं दे ती।
तो इनका योग वा य म कैसे हुआ? वभि त दखती नह ,ं मतलब ये नह ं के वह है ह नह ।ं जैसे हवा
दखती नह ,ं फर भी है , य क हम उसे महससू कर सकते ह। उसी तरह वभि त अगर न भी दखे, तो
भी अगर उसका अथ समझ सकते हो, तो वह है ।)

____

४.२

नपंस
ु क ल ग म सः (वह) को तत ् बोलते ह।

कं तत ् फलम ् अि त? ( या वह फल है ?)
आम ्। तत ् फलम ् अि त। (हाँ। वह फल है ।)
कं तत ् सु दरम ् अि त? ( या वह सु दर है ?)
आम ्। संभव त। (हाँ। हो सकता है ।)

18
(अगर सः हो तो सु दरः। सा हो तो सु दर । तत ् हो तो सु दरम ्। सः सु दरः। सा सु दर । तत ् सु दरम ्।
सभी जगह ऐसे जान लेना चाहये। नीलः कमलम ् नह ं बोल सकते, नीलं कमलम ्। नीलं व ृ ः गलत है ,
नीलः व ृ ः सह है । वैसे ह नीला गौः = नील गाय।)

श दावल = क शम ् - कैसा (नप•ु )। शु क = सख ू ा। आ = गीला।


(क शः पिु ल ग, क शी ी ल ग।
क शः व ृ ः। क शी नद । क शं फलम ्)
र त = लाल।
तत ् = वह। तदे व = वह । (तत ्+एव=तदे व; जैसे वह+ह =वह ।)

तत ् कम ् अि त? (वह या है ?)
तत ् पु पम ् अि त। (वह फूल है ।)
पु पं क शम ् अि त? (फूल कैसा है ?)
पु पं नीलम ् अि त। (फूल नीला है ।)
पु प य नाम कम ्? (पु प का नाम या है ?)
पषु य नाम कमलम ्। (पु प का नाम कमल है ।)
कं तत ् नीलकमलम ्? ( या वह नीलकमल है ?)
आम ्। तदे व। (हाँ। वह है ।)

(जहाँ जहाँ,अि त, अ स जैसे पद दख नह ,ं तो भी उ ह समझकर अ याहार कर लेना चा हए।)

राम य गह ृ ं कु ? (राम का घर कहाँ है ?) र​ ाम य गह ृ ं कु अि त?


तत ् राम य गह ृ म ् (वो है राम का घर।) तत ् अि त राम य गह ृ म ्।
तत ् र तं गह ृ म ्? (वो लाल घर?)
आम ् तदे व। (हाँ। वह ।)

नपंसु क ल ग म दोन कता बताने वाल और कम बताने वाल वभि त पर एक समान आदे श होते ह,
इस लए प म कोई फक नह ं होता।
गहृ म ् अि त (घर है ), गह
ृ ं ग छ त (घर को जाता है ।)
तत ् फलम ् अि त (वह फल है ।), तत ् फलं खाद त (उस फलको खाता है ।)
कम ् अि त? ( या है ?), दे वद ः कम ् प य त? (दे वद कसको/ या दे खता है ?)

तत ् व म ्। (वह व है ।)
तत ् कः प य त? (उसको कौन दे खता है ?)
व ं प य त दे वद ः। (दे वद व को दे खता है ।)
व े कम ् अि त? (व पर या है ?)
व े जलम ् अि त। (व पर जल है ।)
तत ् कः जाना त? (उसको कौन जानता है ?)
तत ् जाना त दे वद ः। (उसको जानता है दे वद ।)

19
क शं तत ्? (कैसा है वह?)
व ं न शु कं, तत ् तु आ म ्। (व सख
ू ा नह ,ं वह तो गीला है ।)
तत ् कः जाना त? (उसको कौन जानता है ?)
तत ् हरद ः जाना त। (उसको हरद जानता है ।)
फलं कः खाद त? (फल को कौन खाता है ?)
फलं खाद त हरद ः। (हरद फल को खाता है ।)

अ धक अ यास
प य त (दे खता है ), जाना त (जानता है ) धाव त (दौड़ता है ), चल त (चलता है ) आ द धातओ
ु ं का
अ यास-पिु तका से अ यास कर। कम का और नपंस ु क ल ग का भी।
सभी जगह त- स- म जोड़। जाना त-जाना स-जाना म आ द।

20
।। प चमः पाठः ।।

।। त -य -एत - कम ् के ल ग यी और य का प रचय ।।

५.१

एषः, एषा और एतत ् - ये तीन का मतलब "यह" होता है ।।

सः केशवः। (वह केशव है ।) सा नि दनी। (वह नि दनी है ।) तत ् फलम ्। (वह फल है ।)


एषः बालकः। (यह बालक है ।) एषा बा लका । (यह बा लका है ।) एतत ् फलम ्।। (यह फल है ।)
कः रामः? (राम कौन है ?) का सीता? (सीता कौन है ?) कम ् फलम ्? (फल या है ?)

उदाहरण

एषः कः?(यह कौन है ?)


एषः रामः। एषः त दनं ातः यायामं करो त। एषः पाठशालाम ् अ प ग छ त। त पु तकं पठ त। गह ृ े
खेल त।
(यह राम है । यह हर रोज़ सब ु ह यायाम को करता है । यह पाठशाला को भी जाता है । वहाँ पु तक को
पढ़ता है । घर पर खेलता है ।)

कसी भी श द के आगे " य" लगाने से वह स ब ध बताएगा। राम य गहृ म ् = राम का घर। " य" राम
और घर म स ब ध बताएगा। दे वद य = दे वद का। कमल य = कमल का आ द।

एषा का? (यह कौन है ?)


एषा सीता। एषा जनक य पु ी। एषा राम य प नी। एषा त दनम ् उ यानं ग छ त। त एषा
पु पचयनं करो त।)
(यह सीता है । यह जनक क पु ी है । यह राम क प नी है । यह रोज़ उ यान को जाती है । वहाँ यह
पु प-चयन/फूल का selelction करती है ।)

श दावल

य छ त = दे ता है । ( स- म जोड़ द।)। परोपकारः = दस


ू र पर उपकार। अतीव = बहुत यादा। सवदा/सदै व
= हमेशा।

एतत ् कम ्? (यह या है ?)।

21
एत वनम ्। एतत ् पशग ु ण य गह ृ म ्। एतत ् व ृ वग य आ यः। एतत ् अतीव वशालम ् अि त। एतत ्
सवदा परोपकारं करो त, सदै व य छ त।
(यह वन है । यह पशगु ण का घर है । यह व ृ वग का आ य है । यह बहुत वशाल है । यह सवदा/हमेशा
परोपकार करता है , हमेशा दे ता है ।)

"आ य" श द न य-पिु ल ग है । मतलब कोई भी पद, ी ल ग, ल ब ल ग आ जाये, यह अपना


ल ग नह ं बदलेगा। जैसे "माता मात ृ व य आ यः।" // "पु पम ् ग ध य आ यः।" कुछ श द जैसे
आ य, हे त,ु आधार, न यपिु लंग ह, और् इनका वचन भी एकवचन ह रहे गा। "म ृ का जलं द डः च
घटभवने हे तःु ।" = " म ट , जल और दं डा मटके के बनने म हे तु ह।" इसका न पण व तार से आगे
दे खगे।

_______

५.२

वतीया वभि त कम को बताती है । उसम ी ल ग म अगर कम बोलना हो तो रमाम ् (रमा को),


म तम ् (म त को), ल मीम ् (ल मी को), गौर म ् (गौर को), चमम
ू ् (सेना को), आ द प बनगे।

सवनाम म ताम ् (उसको), एताम ् (इसको), एकाम ् (एक को) आ द प ह।

यु म अ म से = वाम ् (तम ु को), माम ् (मझ


ु को)।
वाम ् इ छ त। माम ् इ छ त।

नपंस
ु क ल ग से = तत ् (उसको), यत ् (िजसको), एतत ् (इसको), कम ् ( या, कसको)। ल ब ल ग म
कता म वभि त, और कम म वभि त करने पर आदे श एक समान होते ह, इस लए वभि त अलग होते
हुए भी प एक समान बनते ह। तत ् = वह। तत ् = उसको।
ऐसे सभी म जान।।

५.३

यः = जो। या = जो। यत ् = जो (नप)ंु । य = जहाँ। त = वहाँ। कु = कहाँ।

कः धमः? (धम या है ?)
धमः सः यः सव हतं करो त। (धम वह है जो सबके हत को करता है ।)

कः य ं करो त? (कौन य को करता है ?)


सः करो त यः वेदाथम ् अ धग छ त। (वह करता जो वेदाथ को जानता है ।)
वेद य अथः कः? (वेद का या अथ है ?)

22
वेद य ानम ् अथः। (वेद का ान अथ है ।)

अथ न यपिु ल ग और ान न य-नपंस
ु क ल ग है । इस लए दोन म से एक का भी एक-दस
ू रे से जड़
ु े
होते हुए भी ल ग नह ं बदला।

श दावल = बभ ु ु ता । अ भलष ् = चाहना, अ भलष त = चाहता है ( ी त से)। इष ् (इ छ त) = इ छा


करता है /चाहता है ( ी त वशेषतया नह ं बताता है , कामना बताता है । ले कन ी त अथ म वापरना गलत
नह ।ं )
इष, यह काम/want अथ को बताता है और अ भलष ् यह ी त/like अथ को।

का भोजनं करो त? (कौन भोजन को करती है ?)


सा भोजनं करो त या बभु ु ता अि त। (वह भोजन को करती है , जो भख
ू ी है ।)
का यायामं करो त? (कौन यायाम को करती है ?)
सा यायामं करो त या वा यम ् इ छ त। (वह यायाम को करती है जो वा य को चाहती है ।)
सा वाम ् अ भलष त (वह तम ु को चाहती है ।)
सः माम ् इ छ त (वह मझु को चाहता है ।)

श दावल = अपाकरो त = हटाता है । उपकरो त = उपकार करता है । पजू ाह: = पज


ू ायो य। खाद त =
खाता है । (खा = खाना)। प य त = दे खता है । ( श ् = दे खना)

कम ् ानम ्? ( ान या है ?)
ानं तत ् यत ् अ धकारम ् अपाकरो त। ( ान वह है जो, अ धकार को अपकारता है /हटाता है ।)
ानं तत ् यत ् सवम ् उपकरो त। ( ान वह है जो सबको उपकारता है / सबपर उपकार करता है ।)
ानं तत ् यत ् मख
ू म ् अ प पज
ू ाहम ् करो त। ( ान वह है जो मख
ू को भी पज
ू ायो य बनाता है ।)

यत ् फलं वं प य स तत ् अहं खादा म। (िजस फलको तम ु दे ख रहे हो, उसको म खा रहा हूँ।)
यत ् पु पं वम ् इ छ स तत ् पु पं मम अि त। (िजस पु प को तमु चाहते हो, वह मेरा है ।)

यान रहे के आप नपंसु क ल ग के श द से आने वाले "अम"् और पिु ल ग श द से आने वाले "अम"् म
ा त/confuse न हो जाय। पिु ल ग से कता अथ म "स/ु :" (: को ह सु कहते ह) और कम अथ म "अम"्
आते ह। नपंस ु क ल ग म भी कता अथ म "स"ु अथवा " : " ह आता है , ले कन वह एक नयम के कारण
"अम"् बन जाता है । तो कह सकते ह, नपंु • म कता और कम दोन अथ म ह "अम"् आता है । जैसे
"फ
​ लम ् अि त (फल है ।)" | "फ
​ लं प य त (फल को दे खता है ।)"

अ धक अ यास
जाग त-जाग ष-जाग म (जागता है -हो-हूँ)। पत त-पत स-पता म ( गरता है )। णा त- णा स- णा म
(खर दता है ) आ द का अ यास पिु तका म अ यास कर।

23
।। ष ठः पाठः ।।

।। त य-एत य तीन म, य त ा द और कलख वा द का


प रचय ।।

य - जहाँ। त - वहाँ। अ - यहाँ। कु - कहाँ।


ऐसे कई श द बनगे, अ त म " " डालने से अ धकरण/location अथ नकलेगा। जैसे -
एक = एक जगह। अ य - कसी जगह/कह ।ं सव - सब जगह।
वैसे ह श द के अ त म " य" डालने से स ब ध अथ नकलेगा।
य य - िजसका। त य - उसका। एत य/अ य - इसका। क य - कसका। सव य - सबका। अ य य -
कसी और का। एक य - एक का।
अगर ऊपर म से कसी भी श द को ी ल ग बनाना हो, तो बस " य" के बजाय " याः" कर दो।
य याः। त याः। एत याः/अ याः। क याः। सव याः। अ य याः। एक याः।
___

श दावल = मातल ु ः = मामा। तथा प ( तथा+अ प) = फर भी। कुतः = य / कस लये?। यतो ह =


य क।
एतत ् = नपंु म "यह", ले कन कई बार इसका अथ "ऐसा" भी हो सकता है । "सामा ये नपस
ंु कम ्"।
ीणा त- स- म = चाहता है , ेम करता है , स तु ट करता है ।
उदाहरण।

एषा रमा कु ग छ त? (यह रमा कहाँ जा रह है ?)


एषा त ग छ त य दे वद ः भोजनं करो त। (यह वहाँ जा रह है , जहाँ दे वद भोजन कर रहा है ।)
सः कु खाद त? (वह कहाँ खा रहा है ?)
सः अ याः/एत याः मातल ु य गहृ े खाद त। (वह इसके मामा के घर खा रहा है ।)
कम ् एत याः मातल ु गहृ ं नकटम ्? ( या इसके माक का घर पास है ?)
न, तत ् तु अ तदरू म ्। क तु एषा तथा प ग छ त। (नह ।ं वह तो अ तदरू है । ले कन फर भी यह जाती
है ।)
कुतः एतत ्? (ऐसा य ?)
यतो ह एषा दे वद ं ीणा त। ( य क यह दे वद को चाहती है ।)

___
श दावल = त ठ त- त ठ स- त ठा म = खड़ा रहता है या बैठता है । अथ है एक जगह ि थर रहना या
ठहरना, ायः ि थर रहने म अथवा खड़े रहने म यु त।

24
वा = या (यह भी "च" क तरह अ त म लगेगा।)
ना तु (न+अ त)ु = न हो।
मा तु (मा+अ त)ु = न हो/मत हो।
खलु = ब कुल/एकदम/सह /हाँ आ द। ​( न चय बताने के लए, सहम त या वीकृ त बताने के लए
वा य म खल,ु न ​ न,ु कल जैसे श द बोले जाते ह। "​ खलु आ चयम"् = ब कुल आ चय है । "खलु एतदे व"
= हाँ येह । "न खल"ु = ब कुल नह ।ं क​ भी बना मतलब ऐसे ह बोल दे ते ह। "​खलु आग छ त" = वह
आता है ।)

उदाहरण =

वं कुतः न एक त ठ स? (तम ु य एक जगह ि थर नह ं रहते?)


अहं य य गह ृ े अि म, त य ती ाम ् करो म। सः न आग छ त अतः याकुलः अि म। (म िजसके घर म
हूँ, उसक ती ा कर रहा हूँ। वह नह ं आ रहा।)
क य मलनम ् इ छ स? ( कसका मलन चाहते हो? ता पय= कसको मलना चाहते हो?)
अ अि त यायाः पता। त य ती ां करो म। (यहाँ है या/ े मका के पता। उसक ती ा कर रहा
हूँ।)
क शः अ याः पता? न ठुरः कोमलः वा? (कैसा है इसका पता? न ठुर या कोमल?)
म , न जाना म। एषा सम या क य अ प पु ष य ना त।ु ( म , नह ं जानता। यह सम या कसी भी
पु ष क न हो।)
खलु स यम ्। ( ब कुल सह । ता पय = सचमच ु ।)

【जब सवनाम के अलावा (एत , त , कम,् सव, एक, इन सबको छोड़के) आपको ी ल ग नाम से
"का" इस स ब ध अथ को बताना हो तो "याः" जोड़ दगे। रमा+याः = रामायाः। या+याः = यायाः।
ऐ वया+याः = ऐ वयायाः। सीता+याः = सीतायाः। ​ इसका अथ होगा रमा का, या का आ द।
ले कन अगर ी ल ग श द "इ" या "ई" से अ त हो, तो अ त का "इ/ई" नकल जायेगा। ल मी+याः =
ल याः। नद +याः = न याः। प ृ थवी+याः = प ृ थ याः। गोपी+याः =गो याः। अ द त+याः = अ द याः।
म त+याः = म याः। ग त+याः=ग याः।।

उदाहरण।
(इन सभी का अनव
ु ाद वयं कर।)

१) ल याः प तः ह रः।
२) उमायाः प तः शवः।
३) सव याः यः केशवः।
४) एक याः पु ः सध
ु ीरः।
५) त याः नाम ल मीः।
६) ल याः माता गह ृ े नाि त, क तु कमलायाः अि त।

25
७) कृ ण य ि म याः च ववाहः अि त।
८) एषः अ य य पु ः, न तु एत य।
९) इ छायाः ोध य च नय णम ् हताय भव त।
१०) यः सष
ु मायाः सं कृ याः ल लतायाः सम
ु याः च पता, सः मम सखा।

अपवाद

ी, , नी, ी िजनम बस एक अ र है , ल मी, म त जैसे दो या दो से यादा नह ,ं इनम स ब ध अथ


बताने के लए, प ऐसे बनगे। यः, यः, नयः, ि यः आ द। यः प तः आ द।।

26
।। स तमः पाठः ।।

।। वा दय का .प.ु , रामा दश द क थमा वभि त,


आसीत ्+ म, और या वशेषण का प रचय ।।

७.१

भव त भवतः भवि त ।
पठ त पठतः पठि त।
लख त लखतः लखि त।
ग छ त ग छतः ग छि त।
अि त तः सि त।

यह म से एकवचन, ववचन और बहुवचन के प ह। इनका formula = त-तः-अि त।

रामः रामौ रामाः।


दे वद ः दे वद ौ दे वद ाः।
बालः बालौ बालाः।

श द म formula = : , औ, आः ।

रामः अि त (राम है ।) । रामौ तः (दो राम ह) । रामाः सि त (बहुत राम ह) ।


दे वद ः अि त। दे वद ौ तः। दे वद ाः सि त।
बालकः अि त। बालकौ तः। बालकाः सि त।

रामः भव त (राम होता है )। रामौ पठतः (दो राम पढ़ते ह)। रामाः ग छि त (बहुत से राम जाते ह) ।
रामः खेल त । रामौ हसतः। रामाः लखि त।
______

श दावल
य = जहाँ। त = वहाँ। अ = यहाँ। कु = कहाँ।

रामः कु अि त? (राम कहाँ है ?)

27
रामः त अि त य बालाः खेलि त। (राम वहाँ है जहाँ ब चे खेल रहे ह)
बालाः कु सि त? (ब चे कहाँ खेल रहे ह)
बालाः उ याने सि त। (ब चे उ यान म खेल रहे ह)

बालौ कु तः? (दोन बालक कहाँ ह?)


बालौ त तः य जनाः पठि त। (बालक वहाँ ह जहाँ लोग पढ़ते ह।)
कं बालौ व यालये तः? ( या दो बालक व यालय म ह?)
आम ्, त वै तः। (हाँ। दोन वह ं ह।)
बालौ त कं कु तः? (दो बालक वहाँ या करते ह?)
बालौ त पठतः। (दो बालक वहाँ पढ़ते ह।)
कं तौ हसतः? ( या वह दोन हसते ह?)
न ह, तौ न हसतः। तौ पठतः। (नह ,ं वह दोन हसते नह ,ं पढ़ते ह।)

"तौ" सवनाम है ववचन का। सः का ह ववचन। "तौ = वह दोन ।" "ए


​ तौ = यह दोन ।" आगे सवनाम
और ी ल ग- ल ब ल ग के भी प सीखगे।

श दावल = खगः - प ी। नाना = व वध/अलग-अलग। केवलम ् - सफ। क टः - क ड़ा। पादपः - पौधा।


भव त,भवि त = रहता है , रहते ह। (भू धातु का बनना, होना, रहना, ये सभी अथ हो सकते ह।) कु +अ प
(कु ा प) = कह ं भी। ते = वे सब।

वं कु ग छ स? (तम ु कहाँ जा रहे हो?)


अहम ् उ यानं ग छा म। (म उ यान को जा रहा हूँ।)
त कं भव त? (वहाँ या होता है ?)
त नाना व ृ ाः भवि त। (वहाँ व वध व ृ होते ह।)
केवलं व ृ ाः भवि त? (केवल व ृ होते ह?)
न ह। त खगाः, क टाः, पादपाः, बालकाः च भवि त। (नह ।ं वहाँ प ीयाँ, क ड़े, पौधे और ब चे होते ह।)
व ृ ाः कु ग छि त? (व ृ कहाँ जाते ह?)
अये, व ृ ाः न कु ा प ग छि त। ते त व ै भवि त। (अरे , व ृ कह ं भी नह ं जाते, वे वह ं रहते ह।)

'ते' = "​ सः" का बहुवचन है । "सः तौ ते" ऐसे प चलगे। उसी तरह "एषः एतौ एते" ये भी। ते = वे सब।
आगे यह सीखगे।

____
आसीत ् = था। यः = कल (बीता हुआ)
दे वद ः मेधावी आसीत ्। (दे वद मेधावी था।)
इदानीं न जाने कं करो त। (अभी न जाने या कर रहा है ।)
यः दवसः क त सु दरः आसीत ्। अ य न रोचते। (कल दन कतना सु दर था, आज नह ं चता।)
यः रामः मि दरे नासीत ्। (कल राम मि दर म नह ं था।)

28
____

७.२

अ धक अ यास (अनव ु ादं कु त)


श दावल = पीठः - table/bench. प ट = बोड या फलक, बैठने वाला प टा, घाव पर बाँधने के लए
यु त प टा, चौराहा आ द अथ म।
तडागः = तालाब। अर यम ् = वनम ्।
त ठ त-तः-अि त = बैठता है , रहता है , खड़ा रहता है , ि थत है आ द अथ म।
वकस त = खलता है । धाव ् = दौड़ना। ना = नहाना। गै = गाना। वचर् = वचरना/घम
ू ना। वस ् =
बसना,रहना।

१) बालाः पीठे त ठि त।
२) अ यापकः यामप टे लख त।
३) कमलं वकस त।
४) अ वाः शी ं धावि त।
५) गजाः म दं चलि त तडागे नाि त च।
६) ल याः पु ौ सु दरं गायतः।
७) रमायाः बालकौ अ न तः, कु तः तौ?
८) ि यः मनः च चलं भव त।
९) सु दराः जनाः मधरु ं वदि त।
१०) रामल मणौ त अर ये वचरतः, य ताडका वस त।

कसी भी यापद "हस त गाय त" आ द के पहले अगर उस हँसने या गाने क वशेषता बतलानी हो, तो
मधरु ं हस त, सु दरं गाय त, शी ं धावि त, ऐसे "अम"् -अ त वाले नपंस
ु क ल ग के पद का योग करते
ह। यह पद जैसे ह वैसे ह रहगे, ल ग-वचन-कारक कुछ नह ं बदलगे। जब यह वत वापरे जायेगे तो
बात अलग है , ले कन जब यापद के पहले या क वशेषता बताएँगे, तो नपंस ु क ल ग एकवचन ह
रहगे।

७.३

कसी भी वा य के आगे म डालने से "था" का अथ नकलेगा।
उ गाता गाय त म। (उ गाता/सामवेद गा रहा था।)
यः मि दरे ि यः न ृ यि त म। (कल मि दर म ीयाँ नाच रह थी।) त दे वद ः प य त म (वहाँ
दे वद दे ख रहा था।
आसीत ् मष ू कः नमशीलः। सः इत ततो म त म। (था एक चह ू ा म तीखोर। वह यहाँ वहाँ घम
ू ता रहता
था।)
काय = उपरो त ७.२ के सभी वा य को म डालकर भत ू काल बनाएँ।

29
30
।। अ टमः पाठः ।।

।। तदे त -आ द क थमा (प.ंु ी) और व वसमास का


प रचय ।।

८.१

करो त यह कृ-धातु थोड़ा अलग चलता है । सं कृत म धातओ


ु ं के दस गण/ प
ू ह। यह अलग गण का होने
से अलग चलेगा।

करो त कु तः कुवि त। (इसे याद कर ल।)


__

त -श द
सः तौ ते। (वह, वह दोन , वह सब)।

सः करो त (वह करता है ।) | तौ कु तः (वह दोन करते ह।) | ते कुवि त (वह सब करते ह।) |
सः पठ त। तौ पठतः। ते पठि त।
सः अि त। तौ तः। ते सि त।
सः ग छ त। तौ ग छतः। ते ग छि त।।

एत श द
एषः एतौ एते। (यह, यह दोन , यह सब।)

एषः करो त (यह करता है ।) | एतौ कु तः (यह दोन करते ह।) | एते कुवि त (यह सब करते ह।) |
एषः पठ त। एतौ पठतः। एते पठि त।
एषः ग छ त। एतौ ग छतः। एते ग छि त।
एषः अि त। एतौ तः। एते सि त।

____

श दावल । कदा = कब। यदा = जब। तदा = तब। सवदा = सब समय। एकदा = एक समय। अ यदा =
कसी समय/अ य समय।

31
बालाः कु सि त?
ते उ याने सि त।
ते त कं कुवि त?
ते खेलि त।
ते कदा खेलि त? (वह सब कब खेलते ह?)
ते ातः खेलि त। (वे सब
ु ह खेलते ह।)

तव पु ौ कु तः?
एतौ एव मम पु ौ। अ एतौ पठतः। (यह दोन मेरे पु ह। यहाँ यह पढ़ रहे ह।)
एतौ कं पठतः?
एतौ रामायणं पठतः।
एतौ कदा पठतः?
एतौ तदा पठतः यदा सय ू ः हस त। (यह दोन तब पढ़ते ह जब सय ू हसता है ।)
साध।ु एतौ ातः पठतः खल।ु रामायणे कौ तः? (अ छा, तो ये दोन सब ु ह पढ़ते ह। रामायण म कौन
दोन है ?)
रामायणे रामल मणौ तः। (रामायण म राम और ल मण ह।)
कं रामायणे बलकृ णौ न तः? ( या रामायण म बल और कृ ण नह ? ं )
अये, रामायणे न, तौ तु महाभारते तः। (अरे रामायण म नह ,ं वह दोन तो महाभारत म ह।)

जब कसी भी दो श द को जोड़कर "औ" डाल दया जाय तो उसका मतलब "क और ख" ऐसा होता है । कः
खः च इ त "कखौ"। रामः कृ णः च, ऐसे भी कह सकते ह, रामकृ णौ । और यान रहे के जो श द छोटा
हो वो पहले रखते ह, जैसे ह रः श करः च = ह
​ रश करौ। वैसे दो से यादा हुए तो उ ह लखकर "आः"
अ त म डाल दगे। रामः ल मणः भारतः श ु नः च सि त = राम-ल मण-भरत-श ु नाः सि त।
दे वद -य द -हरद - मद ाः सि त। अगर छोटा उ म हो तो वह बाद म आएगा, भले ह उसम कम
अ र ह , जैसे यु धि ठराजनौु आग छतः। यु धि ठर म अ धक अ र होते हुए भी बड़े होने के कारण
पहले लगेगा।

काय = उपरो त सभी वा य को " म" डालके भत


ू काल बनाएँ।
___

८.२
ील ग
तत ् श द ी ल ग
सा ते ताः। (वह, वह दोन , वह सब)।
सा अि त। ते तः। ताः सि त।

सा बा लका कु अि त?

32
सा वगह
ृ े अि त, य त याः प रवारजनाः अ प सि त। (वह अपने घर म ह, जहाँ उसके प रवार वाले भी
ह।)

ते बाले कं कु तः?
ते बाले न ृ यतः।
कु न ृ यतः ते?
ते ा गणे न ृ यतः। (वे दोन आँगन म नाचती ह।)

ीः ल मीः रमा गौर ेयसी च कु सि त?


ताः उ याने डि त। (वे सब उ यान म खेल रह ह।)

यान रहे क स-ु वभि त (या न के वसग = :) ी ल ग म ायः 90% दखती नह ।ं सु वभि त का
लोप, या न के वह गायब हो जाती है , फर भी उसका अथ व यमान रहता है । ले कन सफ कुछ ऐसे श द
ह, जहाँ वह गायब नह ं होती, दखती है । जैसे ल मी, ी, अवी, त ी, तर , , धी आ द। इनम ल मीः,
ीः आ द सु वभि त दखेगी
रमा, व या, सष ु मा, गौर , ेयसी, दे वक , रो हणी आ द िजतने द घा त ी ल ग श द ह (बड़ी "ई" और
बड़ा "आ" अ त वाले), उन सबसे सु का लोप होगा है , सफ कुछ अपवाद ह उनम सु वभि त दखेगी।

एत श द ी ल ग
एषा एते एताः (यह, यह दोन , यह सब)।
एषा अि त। एते तः। एताः सि त।

एषा कुमार कती सु दर अि त। (यह कुमार कतनी सु दर है ।)


एषा सदा हस त (यह सदा हसती है ।)

एते मम पु के - ल मीः गौर च। (यह दोन मेर बे टयाँ ह - ल मी और गौर ।)


एते त दनं व यालयं ग छतः। न कदा प आल यं कु तः।

एताः चपलाः म हलाः न ृ यि त। (यह सब चपला म हलाय नाचती ह।)


एताः सु दरं गायि त अ प। (यह सब सु दर गाती भी ह।)

कः कौ के। (कौन, कौन दोन , कौन सब।) यः यौ ये। (यह, यह दोन यह सब।) सवः सव सव। (सब)।
का के काः ( कम ् श द (कौन) का ी ल ग)। या ये याः (य श द (यह) का ी ल ग।) सवा सव सवाः
(सब)।

के अनु ीणाः भवि त?


ये पाठं न कुवि त ते अनु ीणाः भवि त (जो पाठ नह ं करते वे अनु ीण होते ह।)
सव ा मणाः खादि त।

33
काः सव याः भवि त? (कौन ि याँ सबको य होती ह?)
याः सदा मधरु ं वदि त ताः सव याः भवि त। (जो सदा मधरु बोलती ह, वे सभी को य होती ह।)
सवाः म हलाः गायि त।

अ धक अ यास ( वयमेव अनव


ु ादं कु थ।)

१) व या गौर च रामायाः पु के तः। ते मधरु ं गायतः।


२) आकाशः सौरभः च व यालयं ग छतः।
३) सवाः गोपीजनाः कृ णम ् अ भलषि त। (इ छि त)।
४) एतौ रामश करौ तः। एतौ ग णते वशारदौ तः।
५) एते ह र या-ष मख ु ये तः। एते गायने वशारदे तः। (hint: या ये याः। का खा च= कखे।)
६) याः उ सवे दि त ताः सवदा दि त। ( द = रोना। रो द त, दतः, दि त।)
७) ये शाकं खादि त ते सवदा व थाः भवि त। ये च सवदा तामसं खादि त ते णाः भवि त। (और जो
तामस अ न को…। णः = बीमार।)
८) अ य के आग छि त? अ य ते आग छि त ये द णे वसि त।
९) ये सु दरं न ृ यतः ते न शी ं धावतः, यौ च शी ं धावतः, तौ न सु दरं न ृ यतः।
१०) यौ ह रहरौ तः, तौ ि थ तलयौ कु तः। (ि थ तः लयः च, तौ = वतीया ववचन। जो ह र और
हर/ शव ह, वह ि थ त और लय को करते ह।)

34
।। नवमः पाठः ।।

।। तदे त -आ द का नपन
ु सक ल ग, त यय और तत
ृ ीया का
अ यास ।।

त- यय से अ त होने वाले श द भत ू काल को बताते हुए, जो या का कम होता है , उससे भी स ब ध


होते ह। इ ह ं को अं ेजी म past participle कहते ह।

जैसे =
काय स प नम ्। = काय स प न हुआ। (work was done)।
रामः मतृ ः। = राम मत
ृ हुआ/याद कया गया। (ram was remembered).

यह श द ायः "त" अथवा "इत" से अ त होते ह। कई बार "त" ह "न" या "ध" या "व" बन जाता है ।
जैसे अं ेजी म "ed" या "en" से अ त होता है ।
कुछ उदाहरण = ि थत, र त, ा त, ल ध, शा त, ा त, धत ृ , आ त, गत, नात, समा त,
स प न, इ ट, ुत, मत ृ , प व आ द।

इनक वशेषता है के यह यवाची होने से वशेषण बन जाते ह, और यह िजसके वशेषण होते ह, इनका
ल ग और वचन उसके हसाब से बदल जाता है ।
रामः ा तः, रमा ा ता, फलं ा तम ्।

ु ः पाठः, त
ु ा ऋचा, त
ु ं पु यम ्।

_____

तत ् ते ता न,
एतत ् एते एता न।
यह त -श द और एत -श द म नपंस ु क ल ग के प ह।
ऐसे ह सव सव सवा ण। पु पं पु पे पु पा ण। मि दरं मि दरे मि दरा ण। गह
ृ ं गह
ृ े गह
ृ ा ण।

एतत ् गह ृ म ्। एते गह ृ े । एता न गह ृ ा ण।


तत ् पु पम ्। ते पु पे। ता न पु पा ण।
एतत ् गह ृ म ्। एते गह ृ े । एता न गह ृ ा ण।
तत ् गहृ म ्। ते गहृ े । ता न गह ृ ा ण।

कम ् के का न। ( कम ्-श द नपंस
ु क ल ग।)

35
या, या दोन , या सब।
कं तव नाम? के तव गह
ृ े (कौनसे तेरे दो घर?) का न तव फला न? (कौनसे तेरे फल?)
____

रामेण = राम के वारा। दे वद ेन = दे वद के वारा। पु षेण = पु ष के वारा। दे वेन = दे व के वारा।


सवण = सबके वारा। एकेन = एक के वारा।
ऐसे "एन" अ त वाले श द का "के वारा" अथ नकलता है । (अ य अथ भी ह, इस लए सफ एक अथ
को गाँठ मत बाँध लेना। जैसे सय
ू क करण सब जगह फैलती है ,वैसे एक वभि त कई अथ म फैल
सकती है ।)

सीतया = सीता के वारा। रमया = रमा के वारा। दे वद या = दे वद ा के वारा। सवया = सवा/सब के


वारा (सवा = "सब" का ी ल ग)। एकया = एका के वारा।

मया = मेरे वारा। वया = तेरे वारा। (अ म और यु म श द तीन ल ग म सामान ह।)

केन = कसके वारा (प•ु ) । कया = कसके वारा ( ी•) ।।


तेन = उसके वारा (प•ु ) । तया = उसके वारा ( ी•) ।।
____

श दावल = हत (हन ्+ त) = मारा गया। उ त (वच ्+ त) = कहा गया। य त ( व+अ च ्+ त) =


कट/बताया गया। ट ( श ्+ त) = दखा हुआ/दे खा गया। च = चन ु ना; चत ( च+ त) = चन
ु ा गया।
न म=बनाना; न मत ( नर्+ म+ त) = बनाया हुआ।
भा त = शोभता है , का शत होता है /भासता है /चमकता है ।

उदाहरण =
१) केन हतः बाल ? रामेण हतः बाल । ( कसके वारा हत है बाल ? राम के वारा बाल हत हुआ/ मारा
गया।) हन ्+ त।
२) केन मत ृ ः पाठः? दे वद ेन मत ृ ः पाठः। ( कसके वारा मत ृ है पाठ? दे वद के वारा मत ृ
हुआ/याद कया गया।) म+ ृ त।
३) वया उ तः अहम ्। (तेरे वारा म कहा गया। इसका ता पय = तम ु ने मझु से कहा।) वच ्+ त=उ त।
४) सयू य य तं पं भा त। (सय ू ा का य त/बताया गया/ कट प चमकता है ।) यहाँ त का वशेषण
जैसे योग कृत ( कया गया) है ।
५) के टाः सि त? ते बालाः टाः सि त। (कौन सब ट ह? वह सब बालक ट ह।) श ्+ त।
६) श केण बाले प ृ टे तः। ( श क के वारा दो बा लकाएँ प ृ ट/पछ ू गयी ह।)
७) कं चतम ् अि त? पु पं चतम ् अि त। ( या चन ु ा हुआ है ? पु प चत/चन ु ा गया है ।) च+ त।
८) का न चता न सि त? एता न पु पा ण चता न सि त। ( या सब चन ु े हुए ह? यह सब पु प चन ु े हुये
ह।)
१०) के न मते तः? एते गह ृ े न मते तः। (लया दोन न मत ह? यह दोन घर न मत/बन गए ह।)
नर्+ म+ त।

36
११) का न केन च शो भता न सि त? एता न मि दरा ण रामेण शो भता न सि त। ( या और कसके
वारा शो भत ह? यह सब मि दर राम के वारा शो भत ह।) शभु + त।
१२) का न केन च खा दता न सि त? सवा ण फला न दे वद ेन खा दता न सि त। ( या सब और कसके
वारा खा दत ह? सारे फल दे वद के वारा खा दत/खा लए गए ह।) खाद+ त।

____
श दावल = व = कु । गत (गम ्+ त) = गया ( ल ग के हसाब से गतः/गता/गतम ्।। वक सत
( व+कस+ त) = खला हुआ। ता न = उन सब को। (यह "तत ् ते ता न", कता अथ या न के थमा
वभि त और कम अथ या न के वतीया वभि त म एक जैसे ह। तो तत ् = वह/उसको। उसी तरह
"एतत ् एते एता न" जहाँ एतत ् = यह/इसको।)
स यम ् = घास। सप ु व = अ छे से पकाया हुआ। स+
ु पच ्+ त=प व।
व धत = बढ़ा हुआ।

उदाहरण =
व गते? (कहाँ गई?)
के व गते? (कौन दोन कहाँ गई?)
मम पु के? (मेर दो पु याँ कहाँ गई?) यहाँ "मम पु के" का करण-अनस ु ार अ याहार कर लगे,
वा य = " व गते मम पु के?" ।
टे ते वया? (वे दोन दे खी गई तु हारे वारा?)
न ह, मया न टे ते व गते। (नह ,ं मेरे वारा नह ं दे खी ग , वे दोन कहाँ ग ।) 【गम ्+ त=गत】
संभवतः, ते उ यानं गते। (संभव है , वे दोन उ यान को गई ह ।)
आम ् स यम ् उ तम ्। त वक सता न पु पा ण, सप ु वा न फला न, व धता न स या न च सि त। ता न
तव पु के बहु अ भलषतः। (हाँ। स य उ त/कहा गया। वहाँ वक सत पु प, सप ु व/अ छ तरह पके हुए
फल, और व धत स य/बढ़ हुयी घास है । वह सब को तु हार पु ी बहुत चाहती है ।)

श दावल =
अप यम ् = पु /पु ी (​ यह श द न य-नपंस
ु क ल ग है य य प इसका अथ पु या पु ी दोन होता है । अतः
सामने कोई भी हो, इसके साथ हमेशा वशेषण भी ल ब ल ग के ह लगगे।)
क त = कतने। (यह श द सदा बहुवचन म रहे गा, और यह सभी ल ग म समान चलेगा। क त व ृ ाः।
क त बा लकाः। क त पु पा ण।)
नवस त = रहता है /बसता है ( नवास करता है )।

मम एते अप ये तः। एते बहु सु दरं पठतः। (ये दोन मेरे अप य/पु ह। ये दोन बहुत सु दर पढ़ते ह।
एता न मम अप या न सि त। एता न अ प सदै व सु दरं पठि त। (यह मेरे अप य ह। यह भी हमेशा
सु दर पढ़ते ह।)
तव गह ृ े तः? के च ते? (तु हारे दो घर ह? और वे दोन कौनसे ह?)
मम गह ृ े न ह, बहू न गह
ृ ा ण सि त। ता न भारते य त ि थता न। मया अ प न मत ृ म ् व सवा ण
ि थता न। (मेरे दो घर नह ,ं बहुत से घर ह। वे सब भारत म जहाँ-तहाँ ि थत ह। मेरे वारा मत ृ भी नह ं
है , सारे कहाँ ि थत ह।)

37
अहो धनं बहु र तं वया। एते अप ये तव, कु नवसतः? (अहो, धन बहुत सारा स हाला हुआ है तु हारे
वारा। तु हारे ये दो पु , कहाँ रहते ह?)
ते यथा च नवसतः, ते न एक ि थते। (वे दोन यथा च/ च के अनस ु ार बसते ह, वे दोन एक जगह
ि थत नह ं होते।)

38
।। दशमः पाठः ।।

।। मधमपु ष का अ यास ।।

वम ् अ स। वं करो ष। वं ग छ स। वं भव स। आ द आपको आ गए।


और थम-पु ष के भव त-भवतः-भवि त भी।
अब म यम-पु ष =
भव स भवथः भवथ । (formula = स-थः-थ)
अ स थः थ ।
पठ स पठथः पठथ।

वम ् यव
ु ां यय
ू म ् ।। (इसे 10 बार ज़ोर से बोल।)

वम ् अ स। यव ु ां थः। ययू ं थ।
वं भव स। यवु ां भवथः। यय ू ं भवथ ।
वं करो ष। यवु ां कु थः। यय ू ं कु थ ।

ृ ं ग छ स। वं कं करो ष? वं पठ स। वं रोचकः भव स इ या द एकवचन से आप अ य त


वं मम गह
ह।
वम ् आसीः यह भतू का भी जान ल।

ववचन
अये पु ौ? यवु ां कु ग छथः? कं यव ु ां मम गह ृ ं ग छथः? त कं कु थः? कम ् उ तम ्? त यवु ां
खेलथः? त ह यव ु ां कदा पठथः? कम ् उ तम ्? सवदा खेलथः? कदा प न पठथः?
(अरे बेट ? तमु दोन कहाँ जा रहे हो? या मेरे घर को जा रहे हो? वहाँ या करते हो? या कहा? वहाँ
दोन खेलते हो? तो तम ु दोन कब पढ़ते हो? या कहा? हमेशा खेलते हो? कभी भी नह ं पढ़ते हो?)

श दावल = ल नः/ना/नम ् = छुपा हुआ (ल ना-ल ने-ल नाः।)

अये मम बाले! यव ु ां व गते थः? अहो कुतः न टे थः? कु ल ने थः? कुतः न एक त ठथः? मम
नकटे कुतः न आग छथः? अहो, म लते यव ु ाम ्, अ ि थते थः। यथा बलकृ णौ च चलौ तः, तथा
यवु ाम ् अ प च चले थः।
(अरे मेर बि चय ! तम ु दोन कहाँ गई हो? अहो, य दखाई नह ं दे ती? दोन कहाँ छुपी हु हो? य एक
जगह नह ं टकती? दोन मेरे पास य नह ं आती? अहो, मल गई दोन , यहाँ ि थत हो। जैसे
बल/बलराम और कृ ण च चल ह, वैसे तम ु दोन भी च चला हो।)

39
काय = (आपको इसी ग यांश को पिु ल ग म प रणत/convert करना है । जैसे जहाँ पु का/पु के,
ि थते, च चले आ द लखा है , वहाँ पु ौ ि थतौ, गतौ, च चलौ लगाना है । बलकृ णौ जहाँ उपमान ह,
उनको उपमेय बनाना है , और उपमान आप रमा- वजये को ले ल िजए। )

बहुवचन

श दावल = जानीथ (जाना स-जानीथः-जानीथ।) = तमु सब जानते हो। गुरोः = गु का ("उ"कार से


अ त वाके श दो म ष ठ का व प बदल जाता है ।) समयाकु थ = समय यथ करते हो।
(समयाकरो त = समय बगाड़ता है । समयाकरो ष = समय बगाड़ते हो। ऐसे प सबम।)

ू ं कं कु थ? कम ् उ तम ्? यय
बालाः! यय ू ं खेलथ? जानीथ अ य कः वारः? स यम ् उ तम ्, गु वारः।
जानीथ गु वारः क य वारः? खलु बह ृ प त-दे वगुरोः। त ह कथं खेलने समयाकु थ?
(बि चय ! तम ु सब या कर रह हो? या कहा? तम ु सब खेल रह हो? जानती हो आज या वार है ? सच
कहा, गु वार। जानती हो गु वार कसका वार है ? नि चत ् बह ृ प त-गु का। तो फर य खेलन
म/खेलने म समय बगाड़ती हो?)
काय = यय ू म ् के साथ आप एक और छोटा सा ग य बनाएँ।

(​यह अ त र त/extra जानकार के लए = जाना त,जानीतः,जानि त/जाना स,जानीथः,जानीथ/


जाना म,जानीवः,जानीमः।। ऐसे ीणा त, ीणीतः, ीणि त/ ीणा स, ीणीथः, ीणीथ/
ीणा म, ीणीवः, ीणीमः।। ऐसे ह णा त- णीतः- णाि त….आ द।।)

अ धक अ यास

श दावल = क ​ ु तः न = कुतो न ​(यहाँ कुतः को सि ध होकर "न" परे रहते "कुतो" हो गया। जब वग के
तीसरे , चौथे और पाँचवे अ र परे ह , जैसे ग,् घ,् , ज,् झ,् ञ,् आ द और य,् र्,ल,् व ् परे ह , तो वसग को
"ओ" बोला जा सकता है । ये धीरे धीरे सीख जायगे।)
इत ततः (इतः ततः) = इधर-उधर। प र मथ (प र+ म+थ) = तम ु सब घम ू ते हो।
मथ = तम ु सब थकते हो। ( म त-तः-अि त)।
इत ए ह (इतः ए ह, एकवचन म) = इधर आओ। इत एत (इतः एत, बहुवचन म) = इधर आओ।

उदाहरण =
अ य मम पु ौ गह
ृ म ् आग छतः। अये पु ौ, आगतौ यवु ाम ्? वागतं वागतम ्। अ य यव ु ाम ् अ व

खादथः? अ य वा? अ य माता वा द टम ् अ नं पच त, अतः अ व ै कुतो न खादथः?
अहो, बालाः आग छि त। अ य बालाः! भोजनं कृतम ्? न कृतम ्? त ह अ वै कुतो न खादथ? कुतः यय ू म्
इत ततः प र मथ? तथा प न मथ? कुतो ग छथ? इत एत। माता भोजनं पच त।

40
।। एकादशः पाठः ।।

।। तवत-ु अ यास और
समाना धकरण- य धकरण- वभि तभेद ।।

त से अ त होने वाले पद कम को या भाव को बताते थे। अ नं प वम ्। काय कृतम ् । दे वद ः नातः


आ द।
ले कन तवतु से अ त होने वाले पद कता को बताएँगे। जैसे
कृतवान ् ( कया), सु तवान ् (सोया) आ द।
कृतः ( कया गया/ कया हुआ कुछ) और कृतवान ् ( कया/ कसी ने कया) ऐसे दोन म यह अ तर है के
तवतु active voice कतवा ृ य म होता है ।

या।
त म क् नकालकर त बचता है , और त कभी कभी ध, व, न बन जाता है ।
जो प जैसे भी त म बनगे, वैसे ह प तवतु म भी बनगे बस अ त म "वत ्" लग जायेगा।
जैसे कृत = कृतवत ्, प व = प ववत ्, स प न = स प नवत ्, स ध = स धवत ्।
यह श द का मल ू - प है , ल ग वचन और कारक के बना यह ऐसे ि थत है । जैसे कृतवत ्। अभी
वभि त लगाई नह ।ं वभि त लगने पर ह श द पद बनते ह य क नाम से आने वाल वभि त कारक
और वचन बताती है । जब यह पद बनेगा, तो उसम प रवतन आएगा। (कई बार प रवतन नह ं भी हो,
ले कन वभि त हरे क श द से लगेगी, तब वह पद बनेगा और वा य म सफ पद का योग होता है ,
कारक-वचन-र हत श द का नह ।ं )
पिु ल ग म सः कृतवान ् (उसने कया), सः प ववान ् (उसने पकाया), सः स प नवान ् (उसने परू ा कया),
सः स धववान ् (उसने स ध कया)।
ी ल ग म सा कृ वती, ​सा प ववती, स​ ा स प नवती, स
​ ा स धवती।
अब कुछ उदाहरण दे खगे।
नपंस ु क ल ग म हम "अप यम ्" इस पु ाथक नपंस ु क ल ग के थमा त-पद को वापरगे।
अप यं कृतवत ् (बेटे ने कया), अप यं प ववत ् (अप य ने पकाया), अप यं स प नवत ् (अप य ने
स प न कया), अप यं स धवत ् (अप य ने स ध कया)।

ऐसे वान ्, वती, और वत ् भेद से तवतु को जा नये। इसम कोई भी कता, कोई भी पु ष हो, तवतु वा य
म बना बदले बैठ सकता है । सः कृतवान ् (उसने कया)। वं कृतवान ् (तम
ु ने कया)। अहं कृतवान ् (मने
कया)।
येह अगर भत ू काल होता तो कुछ ऐसा लगता = सः अकरोत।् वम ् अकरोः। अ ​ हम ् अकरवम ्।
ले कन ल ग वचन के आधार पर तवतु म भेद नि चत ् है ।

41
यात य = ​ तवतु के साथ कोई यापद का अ याहार कर सकते ह, जैसे "आसीत"् । आसीत ् मतलब
था। सः कृतवान ् आसीत ् (उसने कया था), सा कृतवती आसीत ् (उसने कया था)। इतना फक है = he
did और he had done िजतना।
___
श दावल =
जातः/जाता (जन ्+ त) = पैदा हुआ/हुई या सफ हुआ/हुई।
जातवान ्/जातवती (जन ्+ तवत)ु = पैदा कया अथवा पैदा हुआ ये दोन हो सकता है । (सकमक अकमक
दोन हो सकते ह)
स भत ू ः(सम ्+भ-ू त) हुए, पैदा हुए। जैसे = संभवा म यग
ु े यग
ु े (म यग
ु यग
ु म पैदा होता हूँ।)
स भत ू वान ् (सम ्+भ+
ू तवत)ु = पैदा हुआ। (यहाँ सकमक न हो, उसके लए "संभा वतवान ्" ऐसा योग
है ।)

उदाहरण
दशरथः अयो यां शा सतवान ्। (दशरथ ने अयो या को शा सत कया।) त य न को प (कः अ प) पु ः
जातः। (उसके कोई भी य न हुए।) अतः सः व स ठं म लतवान ्। (अतः वह व स ठ को मले।)
व स ठ वारा द ेन उपायेन त य राम-ल मण-भरत-श ु नाः पु ाः संजाताः। (व स ठ वारा द उपाय से
उसके राम-ल मण-भरत-श ु न पु हुए।)
रामः ये ठः अ भरामः सवल णस प नः संभत ू ः (राम, जो ये ठ था, और अ भराम/मनोहर था, वह
सवल णस प न हुआ।) सः दशरथम ् अ तशयेन स नवान ्। (उ ह ने दशरथ को अ तशय स न
कया।) व ृ धः सन ् रामः वनवासं गतवान ्। (बड़े होकर राम वनबास को गये।) ल कायाम ् सः ल काप तं
रावणं हतवान ्। (ल का म उ ह ने ल काप त रावण को मारा।) सः अयो यां यागतवान ् रामरा यं च
था पतवान ्। (वह अयो या को वापस लौटे और रामरा य को था पत कया।)

बालाः गतव तः। श काः श तव तः। गोपाः नीतव तः। आग तक ु ाः भोजनं कृतव तः। छा ाः
प ठतव तः। (ये सब बहुवचन के योग ह, अ यास पिु तका म व तार से दए जायगे। अभी एकवचन
ह सीख।)

श दावल = भश ृ म ् = अ तशय। काले यतीते = काल बीतने पर। (इसे भवल णा स तमी कहते ह। इसम
कोई चीज़ "हो जाने पर" ऐसा अथ नकलता है । जैसे " याकरणे ाते संशयः न भव त।" = याकरण ात
होने पर संशय नह ं होता है । "प वे फले वणः पीतः भव त।" = फल के प व होने पर र ग पीला हो जाता
है । आ द।)
था पतवान ्/ न तवान ् = रखा/ था पत कया। ( न+ प ्+ तवत)ु । प ् धातु का मतलब फकना,
अपमान करना,रखना आ द है और न प ् का रखना, था पत करना आ द मतलब है ।
चतवती ( च+ तवत+ ु ई) = चयन कया। च का मतलब चयन करना होता है ।

उदाहरण =
सीता महाराज य जनक य गह ृ े जाता। सा जनकं भश
ृ ं स नवती। काले यतीते सा अयो यायाः
राजकुमारं ीरामभ ं वयंवरे चतवती। सा रामेण सह वनवासं गतवती। त रावणः ताम ् (सीताम ्)

42
अप तवान ्। सः अशोकवा टकायां तां था पतवान ्/ न तवान ्। रामः यदा रावणं हतवान ् तदा रामेण
सह सा पन
ु ः राजधानीम ् अयो याम ् आगतवती। सीता लवकुशौ पु ौ जातवती।

( यान रखने वाल बात यह है । क हम जब नील य कमल य लखते ह, तो उसका मतलब "नीलका
कमलका" ऐसा अलग-अलग ष ठ वाला नह ं नकलता, बि क "नील-कमल का" ऐसा एक साथ वाला
अथ नकलता है । य क इसको समाना धकरण-ष ठ कहते ह, मतलब एक साथ रहने वाल ष ठ ।
समाना धकरण-ष ठ के उदाहरण = पीत य अ बर य (पीत/पीले अ बर का), सु दर य राम य (सु दर
राम का)। ऐसे हरे क वभि त म लगाओ। वीरे ण बलरामेण (वीर बलराम से), धीरे ण यु धि ठरे ण (धीर
यु धि ठर से), ​ वशाले व ृ े ( वशाल व ृ पर), प वे फले (पके हुए फल म) आ द।

ले कन सब जगह समाना धकरण- वभि त नह ं होती। कुछ जगह य धकरण- वभि त (अलग-अलग
रहने वाल वभि त) भी होगी। जैसे राम य पु य = राम के पु का।
रामेण बाणेन बाल हतः = राम वारा बाण से बाल मारा गया।
व ृ े शाखे वानरः अवलि बतः = व ृ म शाख पर ब दर अवलि बत है /लटका हुआ है ।)

____
ी ल ग म भी बहुवचन है । बालाः खे लतव यः। गा यकाः गीतव यः। वानयः कू दतव यः। बालाः
भोजनं कृतव यः। ताः कायालयं गतव यः। छा ाः प ठतव यः। ल यः ह रं से वतव यः। गो यः द ु धं
नीतव यः। आ द अ यासपिु तका म है , यह नदशमा है ।

श दावल =
यतीतवत ् = बीत गया। ( दन-श द न य-नपंस ु क ल ग श द है ।)
झ ट त = झटसे। अप य = बेटा (अप य-श द न य-नपंस ु क ल ग है ।)। म = दो त ( म भी
न य-नपंसु क ल ग है ।)। वीकृतवत ् ( व+ि व/इ+कृ+ तवतु = वी+कृतवत ्।) = वीकार कया।

अ य दनं झ ट त यतीतवत ्। मम अप यं सव काय स प नवत ्। मम म म ् अ प आगतवत ्। तत ् अ


ि थतम ् अि त अहं च चाया दकं प ृ टवान ्। तत ् म म ् वीकृतवत ्। सव भोजनम ् अहं था पतवान ् म ं
च झ ट त सव भु तवत ्।

मम पु तकम ् कु गतवत ्? न मल त। भो म ! वं पु तकं टवत ्?


न। अहं न टवान ्।

43
।। वादशः पाठः ।।

।। उ मपु षा यास, आसम ् अलम ्-सह ।।

अहम ् आग छा म, अहं वदा म आ द आप जानते ह।

अब formula =
म, वः, मः /आ म, आवः, आमः।

भवा म भवावः भवामः ।


पठा म पठावः पठामः ।
ग छा म ग छावः ग छामः ।
करो म कुवः कुमः ।
अि म वः मः ।

अ धातु म "​अ म (खाता हूँ) अ वः (दोन खाते ह) अ मः (हम सब खाते ह)" ऐसे " म-वः-मः" का
formula लगेगा। ( हसाब इसी को बनाके रखो, मल
ू तः जहाँ "आ म" दखता है , वहाँ बस पहले वाले वण
को द घ हुआ है , यय तो " म" ह है ।)

अहम ् (म) आवाम ् (हम दोन ) वयम ् (हम सब) ।।

अहम ् अि म (म हूँ), आवां वः (हम दोन ह), वयं मः (हम सब ह) ।।


अहं करो म, आवां कुवः, वयं कुमः।।
अहं ग छा म, आवां, ग छावः, वयं ग छामः ।।
आसम ् = था। यः अहं कायालये आसम ्। त बहुकाय करो म म। (कल म कायालय म था, वहाँ बहुत
काय कर रहा था।)
____
श दावल =
कयत ् (नप)ंु = कतना। कयान ्/ कयती (प/ंु ी) = कतना। कयत ् सु दरम ् उ यानम ्, कयान ् सु दरः
बालः, कयती सु दर गौः।
कि चत ् = थोड़ा सा। अ वै (अ +एव) = यह ।ं भवतु = ठ क है । प र चत = पहचाना हुआ/familiar। ना
(न+अ ) = नह ं यहाँ। ा त = घम ू ा हुआ/lost, घम
ू ा हुआ/confused।
समाकृषा म (सम ्+आ+कृष+ म) = नकालता हूँ। समाकृष ् = नकालना/take out/draw
something/कोई चीज़ खींचना जैसे कुए से भर हुई बालट नकालना आ द।।

44
अलम ् = बस/बहुत/enough। अनस ु रावः = हम दोन अनस ु रते ह/अनस
ु रण करते ह। अथात ् कसी चीज़
का पीछा करना या कसी के अनस ु ार चलना। to follow the map/आ द।
म ये = शायद, लगता है , मानता हूँ। जब आश का बतानी हो, तो म ये, श के ऐसे योग होते ह। म ये
सः दे वद ः। (लगता है /सोचता हूँ वो दे वद है ।) । म ये त आ मः। (लगता है वहाँ आ म है ।)

अलं के योग म तत
ृ ीया वभि त (टा=इन; रामेण कृ णेन आ द) लगेगी अगर बस/enough अथ हुआ।
यहाँ करण अथ म (राम के वारा हसाब म, रामसे अथ म नह ं होती) तत ृ ीया नह ं होती, इस लए ह द
क "से वभि त" का हसाब यहाँ लागू नह ं होता। यह वभि त बस अलं श द दे खके लगेगी, न क
कारक दे खकर। जैसे कोलाहलेन अलम ् ​= क
​ ोलाहल बहुत हुआ/कोलाहल बस करो। इसका अं ेजी से
अ छा हसाब समझ जाओगे = enough of noise/enough with noise।
व ामेण अलम ् = ​ व ाम बहुत हुआ/ व ाम बस करो। enough of rest/enough with rest।

उदाहरण =
आवां गह
ृ ं ग छावः। अहो! वल बः संजातः। अये! कयत ् सु दरम ् उ यानं प या म। म ,
कि च कालम ् अ व ै त ठावः। भवत,ु अलं व ामेण, इदानीं पन
ु ः चलावः। अये व आगतौ वः? ना
प या म कि चत ् अ प प र चतम ्। म ये आवां ा तौ वः। एतत ् मान च ं समाकृषा म, अये इदानीं
ातं व आगतौ वः। भवतु उ चतमागम ् अनस ु रावः।

(हम दोन घर जाते ह। अहो! दे र हो गई। अरे ! कतना सु दर उ यान दे ख रहा हूँ। म , कुछ दे र यह ं बैठते
ह। ठ क है , व ाम बहुत हुआ, अब पन ु ः चलते ह। अरे ! हम दोन कहाँ आ गए ह? म यहाँ कुछ भी
प र चत/पहचाना हुआ नह ं दे खता। लगता है हम दोन ा त ह/खो गये ह। इस मान च को नकालता
हूँ। अरे अब ात हुआ हम दोन कहाँ आए हुए ह। ठ क है , सह माग अनस ु रते ह/सह माग के अनस ु ार
चलते ह।)

___
श दावल = एवम ् = इस कार, ऐसे। एव = ह । एवमेव = ऐसे ह । 【 जाग ृ धातु के प =
जाग त-जागत ृ ः-जा त | जाग ष-जागथ ृ ः-जागथ
ृ | जाग म-जागव
ृ ः-जागम
ृ ः| 】
कि चत ् = थोड़ा सा। याग छामः ( त+आ+गम+मस ्) = हम वापस आते ह।
पन
ु रावतन = revision।
ततः = उससे, उसके बाद, उस हे तु से आ द कई अथ ह।
अन तरम ् = तरु त बाद म। (अ तर मतलब जगह रखना, अन तर मतलब ब कुल खाल न रहना,
तरु त बादम बना छोड़े आना।)
शेमहे = सोते ह। ले कन इसके वक प म " न ां कुमः" अथवा नामधातु (नाम को धातु बनाना)
न ा त- न ातः- न ाि त…….... न ामः। इसका भी योग कर सकते ह।

कं कु थ बालाः?
वयं खेलामः तात!
ययू ं केन खेलथ भोः? ।
वयं क दक ु े न उ याने खेलामः।

45
त दनम ् एवमेव कु थ?
न। अ य र ववासारः। त दनं तु वयं ातः शी ं जागम ृ ः। अन तरं नानं कुमः, ततः व यालयं
ग छामः। त सान दं पठामः। ततः गह ृ म ् याग छामः, कि चत ् भोजनं व ामं च कुमः। ततः
गह
ृ काय पाठ य पन ु रावतनं च कुमः। कि चत ् खेलनेन मनो र जयामः, ततः खादामः, अन तरं शेमहे ।
______

अब परू े का एक प
भव त-भवतः-भवि त/ भव स-भवथः-भवथ/ भवा म-भवावः-भवामः//
अि त- तः-सि त/ अ स- थः- थ/ अि म- वः- मः//
ग छ त-ग छतः-ग छि त/ ग छ स-ग छथः-ग छथ/ ग छा म-गछावः-ग छामः//

श दावल
पतरौ = ववचना त-पद, माता- पता, पतरौ को माता- पतरौ भी बोलते ह।
तात! = हे तात/हे पता।
अवकाश ाि तः = छु ट - मलना। दल
ु भा = दल
ु भ/क ठन का ी ल ग।
अधनु ा = इदानीम ् = इस समय।
नन
ू म ् = नि चत ्/100%
पद यास = चरण- थापन
आग छावः = दोन आयगे। ( य क आपने अबतक भ व य सीखा नह ,ं इस लए भ व य अथ म ह ल
लकार को ला णक प म वापरा है ।)
जाना त,जानीतः,जानि त/जाना स,जानीथः,जानीथ,जाना म,जानीवः,जानीमः।।

म उदाहरण
तात! रामे वरतीथ ीरामेण था पतं शव ल गम ् अि त। वयं त ग छामः।
कदा ग छथ यय ू म ्?
शी मेव।
वया सह तव म ा ण आग छि त?
आम ्, सवा ण मम म ा ण। क तु थमं तात, तव आशीवादम ् इ छा म।
सख
ु ी भव पु । अहम ् अ प तीथगमनम ् इ छा म, क तु कायालये बहु कायम ् अि त,अतः अधन ु ा
अवकाश ाि तः दल ु भा। एकदा यदा अहं बालः, तदा तातेन सह रामे वरं गतवान ्। इदानीं सव न मरा म
क तु बहु र यं थलम ् अि त इ त नन ू ं जाना म।
स यम ् उ तम ् तात। य रामल मणौ पद यासं कु तः सा भू मः परमप व ा एव। यव ु ां पतरौ कदा प
या ां कुतः न कु थः।
जाना म पु , शी म ् एव वया सह आवाम ् आग छावः।

(∆ पताजी! रामे वरतीथ म ीराम के वारा था पत शव ल ग है । हम वहाँ जा रहे ह। 0कब जा रहे हो


तमु सब? ∆ज द ह । 0तु हारे साथ तु हारे म आ रहे ह? ∆हाँ, मेरे सभी म । क तु पहले आपके

46
आशीवाद को चाहता हूँ। 0सख
ु ी हो बीटा। म तीथगमन को चाहता हूँ, क तु कायालय म बहुत काय है ,
अतः इस समय छु ट - मलना मिु कल है । एक समय जब म ब चा था, तब पताजी के साथ रामे वर को
गया था। इस समय सब कुछ नह ं याद ले कन बहुत र य थल है यह ब कुल जानता हूँ। ∆सह कहा
पताजी। जहाँ राम और ल मण चरण- थापन करते ह वह भू म परमप वत ा ह है । आप दोन
माता- पता कभी भी तीथया ा को य नह ं करते हो। 0जानता हूँ बेटा, ज द ह तु हारे साथ हम दोन
आयगे।)

ृ ीया हुई वैसे ह 'सह' के योग म भी हो। पु ण


जैसे अलं के योग म तत े सह आगतः पता। (पु के साथ
आया पता।) बलेन सह मथरु ां गतः आसीत ् कृ णः। (बलराम के साथ मथरु ा को गए थे कृ ण।) अहं
म ण े सह काय य तः आसम ्। (म म के साथ काय म य त था।)

47
।। योदशः पाठः ।।

।। वा यय और वतीया का ल ग य म, और वना के
योग म अ यास ।।

वा म क् नकलके वा बचता है ।
खाकर जाता है , नहाकर खाता है , नाचकर सोता है । ऐसे एक या करके जब दस
ू र या होती है , तब
अ त म वा लगाते ह।

भू वा = होकर। ग वा = जाकर। कृ वा = करके। प ठ वा = पढ़कर 【कुछ धातओ ु ं म 'इ ' (इ) ये बीचम
घस
ु जाता है तो इ वा अ त म लगता है । ये इ (इ) बहुत सी जगह पर घस
ु ेगा, आगे दे खगे।】। ना वा
= नहाकर। खा द वा (खाद+इ + वा)= खाकर आ द।।

एषा प ठ वा खाद त (यह पढकर खाती है ।)


एषः खा द वा नातवान ् (यह खाकर नहाया।)
यः ना वा न पठ त सः म ृ वा अ प व मर त। [जो नहाकर नह ं पढ़ता वह यादकर भी भल ू जाता है ।
( म ृ वा = यादकर। व मर त = भल ू ता है ।)]
यत ् तपः ह रं या वा न कृतं तत ् तपः न फलम ्। [जो तप ह र का यानकर न कया हो, वह तप न फल
है । (तपस ् श द है , यह नपंस
ु क ल ग का है । "तपः_तपसी_तपां स" ऐसे इसके पद बनते ह, वैसे ह मनस ्
श द है "मनस ्_मनसी_मनां स", आ द।)]

" वा तु पा डवानीकम ्" - भगव गीता १.२


पा डव क सेना को दे खकर (......दय
ु धन राजा आचाय ोण के पास जाकर बोला।)। 【 श ्+ वा =
वा = दे खकर। अनीकम ् = सेना को।】

"य ग वा न नवत ते त धाम परमं मम" - भगव गीता १५.६


िजसको ा त करके वापस नह ं लौटते, वह परम धाम मेरा है ।
【Extra = य यहाँ वतीया-एकवचना त-पद है , य = िजसको। गम ्+ वा = ग वा। गम धातु का
ा त करना भी एक अथ है , समझना भी एक अथ है जो पहले बताया जा चक ु ा है । नवतन मतलब वापस
लौटना, नवत ते ( न+वत ृ ्+अ ते) = वापस लौटते ह। धामन ् श द नपंस
ु क ल ग है , कमन ् श द जैसे प
चलगे, "अम ्" का लोप हो जाता है ।】
_____
वना के योग म वक प से तत ृ ीया। प म वतीया। कृ णेन वना न सख ु म ् (कृ ण के बना सख
ु नह ं
ह) कृ णं वना न सखु म ् (कृ ण के बना सख ु नह ।ं ) , ानं/ ानेन वना न मो ः ( ान के बना मो
नह ।ं ) भोजनं/भोजनेन वना न तिृ तः।

48
___
अब वा को ह एक आदे श (replacement/प रवतन) होता है । उसको " यप ्" ये आदे श
(replacement) होता है , जब भी कोई समास करना हो, जैसे जब उपसग लगगे तब और अ य भी समास
हो तब। यप ् म य बचता है ।

जैसे ह स वा (हस ्+इ + वा) = हँसकर, वह य ( व+हस ्+ यप ्) = हँसकर।


ग वा = जाकर। आग य (आ+गम ्+ यप ्) = आकर। उपग य = पास जाकर।
च वा = चनु कर। व च य ( व+ च+ यप ्) = चन
ु कर।
कृ वा = करके। उपकृ य = उपकार करके।
कृ वा (कृष+ वा) = खींचकर/हल चलाकर आ द। आकृ य (आ+कृष ्+ यप ्) = खींचकर (अपनी
ओर)/आक षत कर।
आ वा (आप ्+ वा) = पाकर। ा य ( +आप ्+ यप ्) = पाकर।

उदाहरण

पु पा ण व च य सीता रामं टवती (फूल को चन ु कर सीता ने राम को दे खा।)


कृ णम ् उपग य गोपी उ तवती। (कृ ण के पास जाकर गोपी बोल ।)
कमा ण कृ वा नरः मो ं ग छ त। (कम को करके नर मो को ा त करता है ।)
जनताम ् उपकृ य ा मणः जीव त। (जनता पर उपकार करके ा मण जीता है ।) 【
जीव त-जीवतः-जीवि त…】
र जम ु ् आकृ य जलं समाकृष त। (र सी खींचकर जल बाहर नकालता है ।)
कृ ण य धाम ा य न को प नवतते (कृ ण के धाम को पाकर कोई वापस नह ं लौटता।)

_________

अब राम के थोड़े प दे ख लेते ह, वतीया वभि त के।


"रामः रामौ रामाः" जानते ह आप।
"रामम ् रामौ रामान ्" यह वतीया वभि त-अ त पद ह।
रामको, 2 राम को, सब राम को।
बालं बालौ बालान ्।

सः तौ ते कया था। वैसे ह "तम ् तौ तान ्" (उसको, उन दोन को, उन सबको) और "एतम ् एतौ एतान ्"
(इसको, इन दोन को, इन सबको।) "कम ् के कान ्"। यम ् ये यान ् आ द भी दे ख लेने चा हये।

ऐसे ी ल ग म "रमा रमे रमाः" कया है । अब "रमाम ् रमे रमाः" (रमा को, 2 रमा को, रामाओं को)।
"मालाम ् माले मालाः" आ द।
वैसे ह "सा ते ताः" का "ताम ् ते ताः" "एताम ् एते एताः"। "काम ् के काः" ( कसको, कन 2 को, कनको)।
याम ् ये याः। आ द।

49
ऐसे ह ल ब म भी "पु पम ् पु पे पु पा ण" कया था, वैसा ह बना बदलाव के वतीया- वभि त म भी
पद रहगे। आपने ऊपर दे खा ह पु पा ण व च य (फूल को चन ु कर)।
तत ् ते ता न, एतत ् एता न, कम ् के का न, सभी म एक जैसे प, थमा के भी वतीया के भी। यह बात
परू े ल ब ल ग म जाननी चा हए।

वशेष: सकारा त ल ब और नकारा त ल ब थोड़े अलग चलते ह। मनस ्-मनसी-मनां स,


तपस ्-तपसी-तपां स।
धाम-धामनी-धामा न। कम-कमणी-कमा ण। म- मणी- मा ण।।
(य य प धाम कम इनम वभि त प ट दखलायी नह ं पड़ती य क इनका लोप या न के अदशन हुआ
है , ले कन वभि त का ल ण अभी भी वह है , बस दखाई नह ं दे रहा,इस लए अदशन/गायब-होना
कहा। जैसे गाय रे त पर से जा चक
ु होने पर भी उसके पैर क छाप छोड़ जाती है , वैसे ह वभि त के
गायब होने पर भी उसके ल ण वह ं रहते ह। तो उसे भी वा य ् म पद मानकर "धाम ग छ त = धाम को
पाता है " ऐसे योग हो सकते ह।)
____

श दावल = आकार = बल ु ाना (आकरय त,आकारयतः, आकारयि त) । थ = गँथ


ू ना
( थय त…. थयि त)। श य वा ( श य+इ + वा) = सखाकर।
मु य त (मु +य+ त) = मो हत/आक षत होता है ।
मोहय त (मोहय+ त) = मो हत करता है ।
अनशु ाि त (अन+ ु शास ्+ त) = अनशु ा सत करता/ नयमन करता है । he
disciplines/regulates/controls.
नमील त ( न+मील+ त) = मीचता है /ब द करता है ।

उदाहरण
बालौ आकारय त। (बालक को बल ु ाता है ) [आकारय= बल ु ाना]
बालाः आकार य वा श य त (बालाओं को बल ु ाकर सखाता है ।)
बालः रामल मणौ भज त। (बालक राम और ल मण को भजता है ।)
ह रः भ तान ् र त। (ह र भ त को र ता है /बचाता है /र ा करता है ।)
दे वद ः अजाः नय त। (दे वद बक रय को ले जाता है /हाँकता है ।)
बालाः पु पा ण च वा मालाः थयि त। (बालाएँ पु प को चन ु कर मालाओं को गँथ
ू ती ह।)
श कः श यान ् श य वा पर ते। ( श क श य को सखाकर पर ा लेता है ।)
काः ताः गोपबालाः याः कृ णे न मु यि त? सवाः अ प बालाः मोहय त ह रः। (कौन ह वे गोपबालाएँ जो
कृ ण पर मो हत नह ं होती? सभी बालाओं को मोह लेता है ह र।)
राजा जाम ् अनशु ाि त। (राजा जो को अनश ु ा सत करता है ।)
ह रः ने े नमील त। (ह र आख को मीचता है /ब द करता है ।)

50
।। चतद
ु शः पाठः ।।

।। ल ृ लकार, सन ्-सती और यावदा द का प रचय ।।

ल ृ लकार ब कुल ल लकार जैसे चलेगा, बस इसम एक " य" त-तः-अि त के पहले बीचम डालना है ।
उससे " य त- यतः- यि त" ऐसे यय लगगे। उदाहरण "या" धातु है मतलब जाना/ले जाना।
या त-यातः-याि त ल है । या य त-या यतः-या यि त ल ृ हो गया।

जैसे हमने वा म "इ " आगम बीच म घस ु ाया था (खा द वा, प ठ वा आ द), वैसे यहाँ भी " य त" जो
ययसमह ू लगा है , उसको भी कुछ जगह पर "इ " आगम लगेगा(इ + य+ त)। तब व प कुछ ऐसा
होगा "इ य त-इ यतः-इ यि त"।
भ+ू इ + य त = भ व य त। भ+ ू इ यतः = भ व यतः। भ+ ू इ यि त = भ व यि त।
ऐसे ह प ठ य त प ठ यतः प ठ यि त।
क र य त क र यतः क र यि त।
खा द य त खा द यतः खा द यि त।
ग म य त-ग म यतः-ग म यि त।। य और इ य अपने हसाब से त-तः-अि त के पहले बैठ जायगे,
बाक परू े प म कोई फक नह ं ब कुल ल जैसा चखेगा।

१) "इ " जैसे बहुत आगम होते ह, जो बीच म घस ु जाते ह। ऐसे " " अ त वाले आगम ायः यय के
पहले ह घस ु गे, जैसे यहाँ " य त" के पहले "इ " घस
ु गया। ऐसे बहुत से उदाहरण ह।
२) त-तः-अि त ये सब यय को त - यय कहते ह, इनसे कई बार कुछ additions/सि न वशेष
जड़ु ते ह और ऐसे जो सि नवष ह उनको "​ वकरण- यय"​ कहते ह। ये मल ू यय म ह
additions/सि नवेष प होते ह जैसे " त" म " य" जड़ ु गया, उससे ययसमह ू
" य त- यतः- यि त" ऐसे हो गया।

श दावल = ज ् हन ्+इ य त = ह न य त = मारगे। ह वा (हन ्+ वा) = मारकर। ा यत


( +आप ्+ य त) = पायगे।
सन ् = होकर/हुए। सती = होकर/हुए।
(बहुवचन म स तः/स यः।)
ज न य त (जन ्+इ य त) = जनन करे गी/पैदा करे गी/ज म दे गी।
मो य त (मच ु ्+ य त=मोच ्+ य त=मोक् + य त) = छुड़ाएगा/मो दे गा। ल म
मु च त,मु चतः,मु चि त ऐसे प चलगे।
"मोहय" मतलब मोह लेना, मोहय+ त=मोहय त। मोहय+इ य त=मोह य य त।

51
पलाय त = भागता है /पलायन करता है । पला य य त = पलायन/escape करे गा।
इसका पयाय है व त=भागता है , ो य त = भागेगा/पलायन करे गा। ( ो य त- ो यतः- ो यि त)।।

उदाहरण =
कौस या राम य श ृ गारं क र य त। तेन सि जतः सन ् रामः सु दरः भ व य त।
रामः रावणं ह न य त। तं ह वा सः सीतां ा य त। सीता रामं ा ता सती लवकुशौ ज न य त। (सीता
रामको ा त होकर लव और कुश को जनेगी/पैदा करे गी।)
दामोदरः ब धः सन ् अ प व ृ ौ मो य त। (दामोदर/कृ ण ब धे होकर भी 2 व ृ को छुड़ाएँगे।)
मो हनी व ृ धा सती अ प जनान ् मोह य य त। (मो हनी बढ़
ू होकर भी जन को मोहे गी।)
पा डवाः यव सताः स तः धातरा ान ् ह न यि त। (पा डव यव सत/तैयार होकर धातरा
को/धतृ रा के बेट को मारगे।)
अजाः भीताः स यः पला य यि त। (बक रयाँ भीत/डर हुयी होकर पलायन करगी।
गावः ब धाः स यः गो व दे न द धाः भ व यि त। (गौएँ ब धा होकर गो व द के वारा दह ु जाएँगी/द ु ध
क जाएँगी)।
___

श दावल =
यावत ् = जबतक/जहाँ तक। तावत ् = तबतक/तहाँ तक।
कुतः = य ?/ कस हे तु से आ द।
कुतः यावत ् = कबतक? इतो यावत ्/इतः पय तम ् = यहाँ तक।
यतो ह = य क। अतः = इस लए।
त ह =तो।
ताडय त=पीटता है । ताड य य त=पीटे गा।।
गोचर/गोचरा=इि य ा य/आँख नाक आ द वारा ा य।

उदाहरण =
कुतो यावत ् खे ल यथ ययू म ्? (तम ु सब कब तक खेलोगे?)
यावत ् वयं स तोषं न ा यामः। (जबतक हमको संतोष नह ं मलता।)
त ह अहं ताड य या म। (तो म तम ु को पीटूँगा।)
वयं त ह धा व यामः। (तो फर हम भाग जायगे।)
कुतो यावत ् धा व यथ भोः! (कहाँ तक भागोगे भई?)
यावत ् भू मः गोचरा तावत ् (जहाँ तक भू म गोचरा/ दखाई दे ती है , वहाँ तक।)

_____

श दावल
श ्+ य त = य त (दे खेगा)। [प य त=दे खता है ।]। न त य त=नाचेगा। म ल वा = मलकर।
कृशरा न = खचड़ी। सीद त = खश ु होता है ( सीद त, सीदतः, सीदि त) । स य त = खश ु होगा
( स य त, स यतः, स यि त) ।

52
(यह सफ extra अ त र त जानकार के लए है , इस पाठ को करके जब यह नीला ग य दब ु ारा पढ़गे तो
शायद समझ आये, न आये तो कोई बात नह ,ं आगे के करण /कोस म सीख जायगे। ए ​ क बात यान रहे ,
क अगर धातु म "इ, उ, ऋ, ल"ृ ह तो आगे " य" या "इ य" आने पर इनको मशः "ए, ओ, अर, अल ्"
हो जायेगा। जैसे लख ्+इ य त=ले ख य त। // मच ु ्+ य त = मो य त। // म+
ृ इ य त = मर्+इ य त
= म र य त। // लप ृ ्+ य त = क् +अल ्+प ्+ य त= क य त।)

उदाहरण
अ य र ववारः। वयं सनेमागह
ृ ं ग म यामः। त चलनाटकं यामः। य सव न ृ यि त त वयम ् अ प
न त यामः।

वः कं क र य स? (कल या करोगी?)
अहं मम भ गनी च म ल वा कृशरा नं प च यावः। (म मेर बहन मलकर खचड़ी पकाएँगी)।
वं कं क र य स? तव प तः च कदा भारतम ् आग म य त? (तम ु या करोगी? और तु हारा प त कब
भारत आएगा?)
न जाने कं क र या म। क तु म ये वया सह तव गह ृ म ् आग य अहम प पाके तव सहायतां
क र या म। (न जाने या क ँ गी, ले कन सोचती हूँ तेरे साथ, तेरे घर आकर म भी पाक म तेर सहायता
क ँ ।)
अहो सु दरम ्। यदा तव प तः आग म य त तदा यव ु ां दं पती मम गह ृ े भोजनं क र यथः, तेन अहं बहु
स या म। (जब तु हारा प त आएगा तब तम ु दोन द पती मेरे घर पर भोजन करना, उससे म बहुत
स न ह गी।)

अ ये उदाहरणा न
१) ह रः भ तान ् पा य त। (पा= र णे। पा त पातः। पा य त पा यतः।…)
२) यव
ु ां गह
ृ ं य वा व ग म यथः? (तम ु दोन घर छोड़कर कहाँ जाओगे?)
३) आवां व ृ ान ् न ह न यावः। आवां व ृ ान ् पा यावः। तेन कृ तः सी य त।
४) यावत ् धम र य स, धमः यु मान ् र य त। (जबतक धम को बचाओगे, तबतक धम तम ु सबको
बचायेगा।)
५) याव अहं न आ दशा म तावत ् वम ् अ व ै त ठ। (जबतक म आदे श न दँ ,ू तब तक तम
ु यह ं बैठो।)

53
।। प चदशः पाठः।।

।। चतथ
ु -अ यास ।।

आज चतथ ु - वभि त सीखगे। ले कन आज इसको सीखने से पहले अ छे से समझ लेना चा हए के


वभि त या होती है । (य द आप बहुत शंकालु ह, "ऐसा य वैसा य तो यह पढ़ लेना चा हए", अ यथा
य द लखे हुए नयम को आप य ह वीकार लेते ह तो मगजमार म पड़ने क ज़ रत नह ,ं कुछ नह ं
समझे हो तो इसे बादम भी पढ़ सकते ह।)
बस इतना समझ लो, के सफ एक अथ म वभि त नह ं लगती, उसके अनेक अथ होते ह और ह द
जैसा वभि त का हसाब सं कृत म सब जगह लागू नह ं होता।

【 ​SKIP TO END OF BLUE :​ वभि त का मने समझाया था, सफ समझने के लए हम ह द का


सहारा लेते ह, इस लए अगर मोटा-मोट कहूँ तो इसका उपयोग "के लए" इस ह द क वभि त जैसे
होगा। ायः चतथ ु "आय" और "आयै" से अ त होती है ।

रामाय पच त माता = राम के लए पकाती है माता।


रमायै यज त होता = रमा के लए य करता है होता (उपा याय)।

ले कन अब अ छे से समझ लेते ह। वभि त के कई अथ हो सकते ह, ये "के लए" वाला अथ "कारक"


वाला अथ था। ले कन वभि त कारक के अलावा अथ म भी वापर सकते ह। जब कुछ वशेष श द
नज़द क ह , तो सू कार कई बार एक वशेष/special वभि त का नदश कर दे ते ह उस श द के नज़द क
म सफ वोह वभि त होगी।
जैसे "नमः" श द नज़द क रहते चतथ ु ह लगेगी ये नयम बना दया। यहाँ कारक का "के लए" अथ नह ं
है । इस लए ये "कारक- वभि त" न होकर "उपपद- वभि त" है ।
जैसे
रामाय नमः = राम को नमः।
सीतायै नमः = सीता को नमः।
इ ाय वि त = इ को वि त (क याण)।
अ नये वाहा = अि न को वाहा।
पत ृ यः वधा = पतर को वधा।

यहाँ सब = "नमः- वि त- वाहा- वधा" यह सब उपपद (नज़द क म पढ़ा गया पद) कहलाते ह। इनके
नज़द क रहते कारक कोई भी हो, वभि त तो चतथ ु ह लगेगी। इस लए यह वभि त कारक अथ न
बताकर उपपद के योग से बनी "उपपद- वभि त" है ।

चतथ
ु अ य अथ म भी हो सकती है ।

54
जैसे = र च का वषय (मोदका द) का ीयमाण (चाहक/चाहने वाला) जो भी हो, उससे चतथ
ु होगी।

जैसे = रामाय रोचते मोदकः = रामको पस द है मोदक। (मोदक राम क च का वषय ह, ऐसे च के
वषय, मोदक को चाहने वाला ीयमाण राम, उससे चतथ ु होगी।)

ऐसे च वषय (मोदका द) के ीयमाण/चाहक अथ म भी चतथ ु होगी, न ये चतथ


ु कारक अथ म है , और
उपपद के योग म। तो कहने का अथ के सब जगह ह द जैसा हसाब लगा सकते नह ,ं हरे क भाषा म
वभि तयाँ अपने-अपने हसाब से चलगी और उसको वैसे ह समझना, वीकारना चा हए। कुछ श क
ऐसा सखाते ह के - "राम के लए नम कार"। वो करने क ज़ रत नह ,ं य क वभि त का एक अथ
होता नह ।ं हरे क भाषा म वभि त का एक अथ हो नह ं सकता।

जैसे ह द म "पर" व वास के वषय म भी डालते ह, सफ location/अ धकरण म नह ।ं


मझ
ु े तझ
ु पर व वास है । ले कन येह अं ेजी म "I trust you" होता है न क "I trust in you"। 】

____

【 1) यह सं कृत का सामा य नयम है , क दान अथ म सदै व चतथ ु ह होगी। दान दे ना, समपण
करना, नवेदन करना, कसी को कुछ कहना/बताना, "के लए" अथ म, और अ य कुछ अथ म चतथ ु
लगेगी।
2) "नमः- वि त- वाहा- वधा" जैसे श द के योग म भी चतथु लगेगी】
3) जो च के वषय (मोदका द) का चाहक (दे वद ा द) हो, उस चाहक म भी चतथु लगेगी।

श दावल =

म यम ्/मे = मेरे लए/मझ


ु को। तु यम ्/ते = तेरे लए/तझ
ु को।
( ह द म दान अथ म भी कम-अथ वाल "को" वभि त ह लगती है । सं कृत म दाना द अथ के लए
अलग वभि त बनाई गई है िजसके कई सारे अथ ह। ह द म वभि त अलग चलेगी, सं कृत म अलग
इस लए दोन को Mix न कर।)

रामाय गां ददा त। (राम को गाय दे ता है ।)


बहृ प तः इ ाय याकरणं द यसह वषम ् पा ठतवान ्। (बह ृ प त ने इ को याकरण द य-हज़ार
वष तक पढ़ाया।)
बालकाय माग कथय त। (बालक को माग कहता है ।)
ब लः वामनाय धरां समपय त। (ब ल वामन के लए धरती को समपता है /सम पत करता है ।)
म यम ् आचायः वेदं वि त। (मझ ु को आचाय वेद बताते ह।)
अजनःु कृ णय नवेदय त। (अजन ु कृ ण से नवेदन करता है ।)
अहं तु यं व नवेदया म। (म तमु से वनती करती हूँ।)

55
अ नये वाहा। अ नये इदं न मम। (अ ने को वाहा। यह अि न के लए, मेरे लए नह ।ं )
हरये नमः। इ ाय वि त। (ह र को नमः। इ को वि त)

श दावल
सवनाम म " मै" और " यै" लगते ह। सव मै (प)ु = सबके लये। सव यै ( ी) = सबके लए। ऐसे
अ य मै/अ य यै, एत मै/एत यै (इसके लए), त मै/त यै (उसके लए), क मै/क यै आ द।
अजा = बकर । स य = घास। वि त = बोलता है ल म वि त। 【वि त व तः, ___। व व थः
व थ।वि म व वः व मः।। (यहाँ ल म थमपु ष-बहुवचन है ह नह ।ं कुछ कहते ह उ म पु ष भी
गायब है ।)】 व य त (बोलेगा) ल ृ म बराबर चलेगा।

उदाहरण
पु ाय पच त माता। (पु के लए माता पकाती है ।)
सव मै सख ु दः रामः। (सबके लए सख ु द ह राम।)
अ य मै न व या म एतत ् रह यम ्। (अ य को नह ं बोलँ ग
ू ी ये रह य।)
त मै ीगुरवे नमः। (उन ीगु को नमः।)
या दे वी सवभत ू ष
े ु शि त पेण संि थता।
नम त यै नम त यै नम त यै नमो नमः।। (जो दे वी सारे भत ू / ा णय म शि त प से संि थता/ठहर
हुई है । उसको नमः उसको नमः उसको नमः, नमो नमः/बार बार नमः।)
क मै य छ त दे वद ः? ( कसको दे ता है दे वद ?)
अजायै स यम ् आनय त (अजा/बकर के लए घास लाता है ।)
क यै अ प द वा गतवान ्। ( कसी को भी दे कर गया।)
सव यै मनोहरः कृ णः (सभी के लये मनोहर ह कृ ण। यहाँ " यै" से ी ल ग का ता पय है ।)
ल यै वद त ह रः। (ल मी को बोलते ह ह र।)
दे यै ब लं य छ त। (दे वी को ब ल दे ता है ।)

(साथ ह , कसी मल
ू -श द के साथ, "अथ" पद को लगाने से भी चतथ ु का ह अथ नकलता है । रामाथम ्
= रामाय। रमाथम ् = रमायै। तदथम ् = त मै। एतदथम ् = एत मै आ द। ले कन चतथ
ु के सभी अथ
नह ,ं सफ "के लए" या न के योजन बताना हो तो ह "अथ" के साथ समास हो।)

3) मझ
ु े पस द है इस अथ म भी चाहने वाले को चतथ
ु लगेगी।

रोचते = चता है /अ छा लगता है ।। रोचसे = चते हो/भाते हो।। रोचे = चता हूँ/पस द आता हूँ।।

रामाय रोचते धेनःु । (रामको चती है धेन।ु )


कृ णाय रोचते गोपी। (कृ णको चती है गोपी।)
(तु यम ् और म यम ् क जगह ते और मे भी सु ठु ह। नम तु यम ् = नम ते।)
तु यम ्/ते अहं रोचे? ( या तम
ु को म पस द हूँ/ चता हूँ?)
म यं रोचते व या। (मझे व या चती है /पस द है ।)
म यं वं रोचसे। (मझ ु े तम
ु अ छ लगती हो/ चती हो।)

56
भ ग यै मोदकः रोचते। (बहन को मोदक चता है ।)
अजायै स यं रोचते। (बकर को स य/घास पस द है ।)

मा /े प /े ा े = माता के लए/ पता के लए/भाई के लए।


मा े अहं रोचे। प े अहं न रोचे, अनज
ु ः रोचते। ा े तु को प (कः+अ प) न रोचते।।
मात-ृ पत-ृ ात ृ के साथ अथ का समास होने पर = मा थम ्- प थम ्- ा थम ् प बनगे।।
मा थ पच त बाला। प थ अज त (कमाता है ) धनम ्। ा थम ् आनय त उपहाराम ्। भ ग यथ मगृ यत
(ढूंढता है ) वरम ्।

परोपकाराय फलि त व ृ ाः परोपकाराय वहि त न यः ।


परोपकाराय दह
ु ि त गावः परोपकाराय सतां वभत
ू यः ।।

परोपकार के लए फलते ह व ृ , परोपकार के लए बहती ह न दयाँ, परोपकार के लए दह


ु ती ह गाय,
परोपकार के लए स जन के काय होते ह।

57
।। षोडशः पाठः ।।

।। तम
ु न
ु ्-प च य यासः च ।।

तम
ु न
ु ् भी चतथु के अथ का है , बस यह धातओ ु ं से लगेगा और चतथु आ द सप ु ् वभि तयाँ नाम से
लगती ह। तम ु नु ् म तम ु ् बचता है । जैसे वा और त म "इ " घस ु ता है , य म भी "इ " बीचम घसु
गया। वैसे ह तम ु न
ु ् के पहले भी कुछ धातओ ु ं से ह "इ " आगम होगा।

होने/बनने के लए = भ वतम ु ् (भ+ ू इ +तम ु नु ्)


करने के लए = कतम ु ् (कृ+तम ु नु ्)
जाने के लए = ग तम ु ् (गम ्+तम ु न ु ्)
पढ़ने के लए = प ठतम ु ् (प +तम ु न ु ्)
दे ने के लए = दातम
ु ् (दा/दाण ्+तम ु न ु ्) (ल म हमने सरल होने क वजह से दाण ् सीखा है न क दा। दा
ऐसे चलेगा = ददा त,द ः,ददा त। और दाण ् ऐसे = य छ त यछतः य छि त। दाण ् ह ल ,लो ,ल , ल ,
म य छ बनकर काय करे गा और ल ृ तम ु नु ् आ द के परे दा ह रहे गा।)

तम
ु न
ु ् म भी एक fix/ व
ु अथ न समझो। जब दस
ु रे या म कोई या न म बने, उसम न म या
म तमु नु ् लगेगा।

अहं खा दतम ु ् इ छा म। (म खाना चाहता हूँ।)


सः खा दतंु पाकालयं ग म य त। (वह खाने के लए पाकालय को जायेगा।)
सा न ृ वा ा ता अतः व ामं कतम ु ् अ तः गतवती। (वह नाचकर थक गई/ ा ता हुई, अतः व ामको
करने के लए अ दर गई।)
दे वद ः खा द वा त ृ तः सन ् सेवकं जलं दातम ु ् आ द टवान ्। (दे वद ने खाकर त ृ त होने पर सेवक को
जल दे ने के लए आदे श दया।)
फला न चेतंु व ृ म ् आरोह त। (फल को चन ु ने के लए व ृ को आरोहता है /चढ़ता है ।) [व ृ े आरोह त भी
बोल सकते ह।]
चलनाटकं टुम ् ना यालयं ग म यामः। (हम सब चलनाटक/मव ू ी को दे खने ना यालय को जायगे।)
भोः बालाः! ययू ं दे वालयं ह रं सेव यतंु कदा ग म यथ? (अरे ब च ! तम ु सब दे वलाय ह र को सेवने/सेवा
करने कब जाओगे?)
अ य आवां खे लतंु न गा म यावः, यव ु ां ग म यथः? (आज हम दोन खेलने नह ं जायगे। तम ु दोन
जाओगे?)

___

58
अब प चमी का अ यास कर लेते ह। यहाँ वभि त के भी कारक (अपादान/अलग होना) के अलावा अ य
अथ ह उनको रखता हूँ।
ह द म तो करण-कारक और अपादान-कारक, दोन म "से" वभि त ह लगती है , सं कृत म दोन म
भेद है ।

यह अ त म "आत ्" (प)ु और "आयाः/याः" ( ी) जैसी लगेगी। सवनाम से " मात ्" (प)ु और " याः"
( ी) जैसी लगेगी।

१) कसी से अलग होने म (अपादान), २) जब कसीसे भय बताना हो/ कसी से बचना हो, ३) कसी क
वजह से/हे तु म ४) दे श-काल- दशा-स ब धी अ तराल ५) कसी से तल
ु ना अथ म।

श दावल
क मात ् ( कम ्+ मात ्) = कहाँ से, कुतः भी बोल सकते ह। (जब हे तु अथ म प चमी हो तो क मात ्/कुतः
मतलब = " कस हे तु से? कस लए? य ?" ऐसे नकलगे।)
आया त (आ+या+ त) = आता है । (जैसे या त यातः चलाया था वैसे ह आया त आयातः आयाि त।)
आन य य त (आ+नय ्+इ य त) = लाएगा। [नय त मतलब ले जाता है , और आनय त मतलव ले आता
है ।]
नगतः ( नर्+गम ्+ त) = नकला। ( नग छ त नग छतः = नकलता है , 2 नकलते ह आ द।
नग म य त = नकलेगा। नगतवान ् = नकल गया।)

अपादान
व ृ ात ् प ं पत त। (व ृ से प ा गरता है ।)
पवतात ् पाषाणं पत त। (पवत से प थर गरता है ।) यह दोन अपादान/अलगाव अथ के थे।
दे वद ः क मात ् आया त? गह ृ ात ् आया त। (दे वद कहाँ से आता है ? घर से आता है ।) यहाँ दे शस ब धी
अ तराल भी है ।
हमालयात ् वह त ग गा। ( हमालय से बहती है ग गा।)
य मात ् ग धः न नगतः न तत ् पु पम ् अन य या म। (िजससे ग ध न नकल हो, उस पु प को नह ं
लाऊँगा।)
सव मात ् स गुणान ् चेतम ु ् इ छ त हं सः, काकः च दग ु ुणान ् चेतम
ु ् इ छ त। (सब म से स गुण को
चन ु ना चाहता है हं स और कौआ दग ु ुण को चन
ु ना चाहता है ।)

___
श दावल
बभे त = डरता है । (यह क ठन है इस लए सफ बभे त- बभे ष- बभे म एकवचन का वापरगे। बाक म
य त_ यतः_ यि त….वापर लगे।)
भे य त (भी+ य त) = डरे गा। (भे य त_भे यतः_भे यि त)
( कसी भी श द से "तः" जोड़ने से प चमी के सारे अथ नकलग। व ृ तः प ं पत त, ामतः गौः आया त,
गौर तः म हषः बभे त आ द।)

59
भय/हा न+र ा
रामात ् बभे त वाल । (राम से डरता है वाल ।)
अजनातु ् यि त धातरा ाः। (अजन ु से डरते ह धातरा /धत ृ रा के बेटे।)
दगु ायाः य त म हषासरु ः। (दग ु ा से डरता है म हषासरु ।)
क याः अ प श याः न बभे त वीरः। ( कसी भी शि त से नह ं डरता है वीर।)

दे वद ात ् चो रतः अहम ्। (दे वद से चो रत/ठग लया गया म।)


लु ठकात ् वि चता अहम ्। (लु ठक से म ठग ल गयी।)

सव मात ् र त ह रः। (सभी से बचाता है ह र।)


संहायाः र तः दे वद ः। (शेरनी से बचाया गया दे वद ।)
विृ टतः र ताः वज ृ भ ताः (बा रश से बचाये गए जभ त।)
(​ कसी से भी "तः" अ त म लगा दो, तो वह पद प चमी के सारे अथ को बताएगा। ल मीतः, रामतः।
कम ् से कुतः ( कससे, कबसे, कहाँ से, कस वजह से? आ द), तत ् से ततः आ द।

हे तु
पवतः अि नमान ् धम ू ात ्। (पवत आग वाला है , धम
ू क वजह से।)
क मात ्/कुतः यज स ाणान ्? ( कस वजह से/ य छोड़ते हो ाण को?)
ब धज ु नदशनात ् अजनः
ु वषीद त। (ब धज
ु न के दशन से अजन
ु दःु खी होता है ।)
ब धनात ् अश तः संहः। (ब धन क वजह से/बंधे हुए होने से अश त है संह।)
व यायाः पिू जतः व वान ्। ( व या क वजह से पिू जत है व वान ्।)

तल
ु ना

सव मात ् उ मः दे वद ः। (सबसे उ म है दे वद ।)
रमायाः े ठा गौर । (रमा से े ठा है गौर ।)
नरोधः वरम ् उपचारात ्। (उपचार करने से नरोध वर/ े ठ है ।)

अ तराल/अव ध


​ े शकृत (यत चा वकाल नमानम ्/दरू ाि तकाथः ष य यतर याम ्)
अयो यायाः नकटम ् काशी। (अयो या से नकट है काशी।)
रामे वरात ् दरू म ् अयो या। (रामे वर से दरू है अयो या।)
हमालया समु ं यावत। ( हमालय से समु तक)
ज मत ू ः क याकुमार ं यावत ्। (ज मू से क याकुमार तक)
यावत ् का मतलब तक भी है । वहाँ तक।

कालकृत (यहाँ पव
ू से अ छा अ ता त-अ त ाक् अ यय श द का हण करगे, और ऊ व जो मकारा त
अ यय श द है , उसका हण करगे।)

60
बा यात ् मरणं यावत ् भज त गो व दम ्। (बचपन से मरण तक, गो व द को भजता है ।)
कृ णात ् ाक् जातः बलरामः। (कृ ण से पहले पैदा हुए बलराम।)
बलात ् ऊ व जातः ह रः। (बल से बाद पैदा हुये ह र।)
चै ात ् पव
ू ः/ ाक् फा गुनः। (चै से पव
ू है फा गुन।)

द कृत
का चीतः उदक् उ ज यनी। (का ची से उ र है उ ज यनी।)
ज मत ू ः द णा यागः। (यहाँ आज त अ यय श द का हण उ म है । "द णा" ह मल ू श द है ,
ी ल ग म "आ" लगाके नह ं बनाया। न य कृ त से ह ी ल ग है ।)
काशी कुतः पवू ा/ ाक् ? यागात ् पव
ू ा/ ाक् । (काशी कहाँ से पव
ू है ? याग से पवू ा है ।) (जब पव
ू र-आ द
श द वापरोगे तो ल ग प रवतन होगा, य क ये अ यय नह ।ं इस लए पव ू क जगह ाक् , उ र
(later/बादम वाला उ र) क जगह ऊ वम ्, उ र (direction/ दशा अथ म) के बजाय उदक् श द, द ण
क जगह द णा, पि चम के बजाय यक् वापरना चा हए।)
कुतः यक् व गः? यागात ् यक् । (कहाँ से पि चम म बंगाल है ? याग से पि चम म है ।)

61
।। स तदशः पाठः ।।

।। लो ।।

लो मतलब कसी को वतना दे ना। "करो", "बोलो", "जाओ" आ द। इसके प ऐसे चलगे।

भवत,ु भवताम,् भव त/ु भव, भवतम,् भवत/ भवा न, भवाव, भवाम।।


ग छतु ग छताम ् ग छ त/ु ग छ ग छतम ् ग छत/ ग छा न ग छाव ग छाम।।

(हमारा योजन लो के परू े प को याद करना नह ं है । ये सब मा जानकार के लए रखा है । मल



योजन यवहार म उपयोगी पद को सीखना है , परू ा प लो का यवहार म आता ह नह ,ं िजतना
आएगा उतना लखवा दँ ग ू ा। मल
ू पाठ नीले और लाल को ठक के बाद शु होगा।)
________________________________________
सामा य नयम
सबसे यादा म यमपु ष का उपयोग होता है , इस लए म यमपु ष एकवचन ​(करो, भजो, हो आ द) से
शु करगे। इसम कोई यय नह ं द खता य क, उसका ायः लोप होता है , तो बस धातु म स जोड़ दो,
फर नकाल दो, उतना ह प मलेगा। जैसे "भव त भवतः" बनाया था, वैसे "भव स" बनालो, फर " स"
नकालदो (- minus) = भव स- स=भव। "सख ु ी भव" आ द म सन ु ा होगा।

१】 भू = भव (भव स- स) । भज ् = भज (भज स- स)। प = (पठ स- स)।धाव ् = धाव (धाव स- स)। व


= वद। आ द।।

२】कुछ धातु जैसे दाण ् (दे ना), था ( टकना/ि थर रहना/खड़े रहना), इष ् (इ छा गरना) गम ् (जाना), श ्
(दे खना), आ द का ल , लो , ल , ल लकार म प ह बदल जाता है । इनम भी वोह करना है , जो ल
म बनाया, वो ह बनाके स नकालदो।।
दाण ् = य छ । ठा = त ठ। इष ् = इ छ। गम ् = ग छ । श ् =प य। ऐसे इनको आदे श
(replacements) होते ह।

था ( त ठ स- स) = त ठ (बैठो)। य छ (दो)। ग छ (जाओ)। प य (दे खो)।


________________________________________

62
श दावल
अ प = भले, अ ववसग। यहाँ अ प मतलब "भी" नह ,ं अ प मतलब कसी चीज़ म अनम ु त दे ना, या
मना न करना, कोई बात नह ं बोलना। होने दो, भले करे । let him do, let him play ऐसे अथ म। इसी
को अ ववसग कहते ह।
यथे छम ् = जो मज हो वो।
ैरेय हम = आइस म।। ( ीरे सं कृतं ैरेयम ्, "सं कृतं भ ाः" इ यथ ीरा ढञ ् इ त ढ ञ स धम ्।
ीरे सं कृतं ैरेयम ्, ैरेयं च तत ् हमं ैरेय हमम ्।)
तू णीम ् = चप ु चाप।

उदाहरण।
म यमपु ष एकवचन अ यास।

आयु मान ् भव = आयु मान ् हो। (आयु मान ् ए ध भी बोल सकते ह। अस ् धातु का ह ए ध बनेगा)
सख
ु ी भव। = सखु ी ए ध।
सौभा यवती भव/ए ध। (सौभा यवती हो।)

वम ् अ मात ् ग छ। (तम ु यहाँ से जाओ।)


वम ् अ आग छ। (तम ु यहाँ आओ।)
अ ए ह। (यहाँ आओ)।
वं त ठ अ । (तम ु बैठो यहाँ।)
वम ् अ प खाद, खेल, पठ, यथे छं च कु । (तम
ु भले खाओ, खेलो, पढ़ो, और जो इ छा हो वो कु ।)
भोजनं कु । (भोजन करो।)
कोलाहलं मा कु । (कोलाहल मत करो।)
तू णीं त ठ। (चपु चाप बैठो।)

"भज गो व दं भज गो व दं गो व दं भज मढ़
ू मते।" (भजो गो व द को, भजो गो व द को। गो व द को
भजो हे मख
ू म त!)

दो त आये तो ऐसे बोलो।


ए ह भोः।आग छ। उप वश। (आओ भाई। आओ। बैठो।) आसनं गह ृ ाण।(आसन हण करो।) कम ्
इ छ स? जलं पब। ( या चा हए? जल पयो।) मोदकं गह
ृ ाण। (मोदक लो।) खाद खा यम ् (खा य
खाओ।)
______

वशेष नयम

१】 कुछ वशेष धातओु ं से या तो स को " ह" होयेगा या तो " ध" होयेगा।


जैसे ए ह = आओ। ए ध = हो/बनो। (अस ्+ स=ए ध, या व च है , सफ प समझल।)
जानी ह = जानो। व ध = जानो।

63
पा ह = बचाओ। ा ह = बचाओ। या ह = जाओ/ले जाओ। शा ध = शासन करो/ नयमन करो। तु ह =
तवन/तार फ करो। ू ह (बोलो)।

२】कुछ म "उ" अ त म सन
ु ाई दे गा। कु (करो), शण
ृ ु (सन
ु ो), तनु (फैलाओ) आ द।

श दावल

उदाहरण
१) वं पा ह पा ह परमे वर कंसपापात ्! (तम ु बचाओ, बचाओ, हे परमे वर! कंस पाप से।) 【यह दे वक
चतभ ु जक
ु ृ ण से कारागह ृ म कहती है , गगसं हता।】
२) ा ह माम ्! ा ह माम ्! (बचाओ मझ ु !े बचाओ मझ ु !े )
३) जानी ह माम ्। (मझु को जानो।)
इदानीम ् अनज ु ानी ह माम ् (मझ
ु े अनम
ु त/आ ा दो अब।) 【यह वदा लेते समय बोलते ह।】
४) " श यः ते अहम ्, शा ध माम ्।" ( श य हूँ तेरा, मझु े शा सत करो।)【यह दःु खी और हारा हुआ अजन

कृ ण से गीत म कहता है ।】
५) गां वनं या ह। (गाय को वन ले जाओ।)
६) वं जय (तम ु जीतो)
" वं जय सततं गोवधनधर! पालय ् नजदासान ्।" (तम ु जीतो सतत हे गोवधनधार ! पालो नजदास को।)
जय ीराम! (हे ीराम! तम ु जीतो)
७) स यं वद। धम चर। (स य को बोलो, धम को चरो/आचरण करो।)

१) गहृ काय कु ।
२) शण ृ ु रामकथाम ्। (सन
ु ो रामकथा को।)
३) धम तन।ु (धम फैलाओ।)
४) पु पा ण चन।ु (फूल को चन ु ।)
५) भारतं र (भारत को र ो।)

व (आ मनेपद )। यह अलग योग है ले कन एक सं कृत म आ मनेपद अलग चलता है िजसम ह के


बजाय व लगता है । जैसे, म व = माफ करो/sorry। ती व = को/राह दे खो। आ व = बैठो।
आरभ व = आर भ करो/शु करो। कु व/कु = करो। भु व = खाओ।
_______
उ मपु ष

इसम न य अ त म आ न/आ ण मलेगा।

तात, अहं ना यालयं ग छा न? अ प ग छ। ( पताजी, म सनेमागह


ृ को जाऊँ? भले जाओ।)
तात अहं ैरेय हमं खादा न? ( या म आइस म को खाऊँ?) अ प खाद। (भले खाओ।)

64
सखु ी भवा न। (म सखु ी होऊँ।)
सदा स नं भवा न। (म सदा स न रहूँ।)
ह रं भजा न। (ह र को भजँ।ू )
व यालयं ग छा न। ( व यालय को जाऊँ।)
स यं वदा न। (स य को बोलँ ।ू )

उ/नु से अ त होने वाले धातओ ु ं म वा न/नवा न मलेगा।


अ य गह ृ े ि थ वा कं करवा ण? (आज घर पर बैठकर या क ँ ?)
सदा भ ं करवा ण। (हमेशा भ को क ँ ।)
भ ं शणृ वा न। (भ को सन ु ँ।ू )
पु पा ण चनवा न। (फूल को चन ु ँ।ू )
भारतं तवा न। (भारत को तवं/ू तार फ़ क ँ ।)
क याणं तनवा न (क याण को फैलाऊँ।)

आ न/आ ण-आव-आम।

वयं सु खनः भवाम। (हम सब सख ु ी ह ।)


वयं सं कृतं वदाव। (हम सब सं कृत को बोल।)
वयं भ ं प याम। (हम अ छा दे ख।)
वयं सदै व भ ं शण
ृ वाम। (हम सदै व अ छा सन
ु ।)
वयं भ ं करवाम। (हम अ छा कर।)
वयं भारतं तवाम। (हम भारत को तव/तार फ़ कर।)
वयं प पा ण चनवाम
वयं भ ं वदाम। (हम अ छा बोल।)
वयं ानं तनवाम। (हम ान को फैलाएँ।)

यान रहे भज ् प था( त ठ) आ द म बस आ न डालना है । ले कन जहाँ "उ/न"ु अ त म मले, तो


वा न_वाव_वाम अथवा नवा न_नवाव_नवाम।
जैसे कृ का करवा ण करवाव करवाम। (कृ म "उ" बीचम लगता है , या ि ल ट है इस लए नह ं
लखी।)
तु का तवा न तवाव तवाम। ( तु आ न)
ु का शण
ृ वा न शण
ृ वाव शण
ृ वाम। (श ृ नु आ न)
तनु का तनवा न तनवाव तनवाम। (
च का चनवा न चनवाव चनवाम।
________

थमपु ष

त को तु और अि त को अ त।ु बस।

65
भव त = भवत।ु भवि त = भव त।ु
अि त = अ त।ु सि त = स त।ु
करो त = करोत।ु कुवि त = कुव त।ु

जो धातओ
ु ं म "न/ु उ" अ धक जड़
ु ता है वैसे च (चन
ु ना), तन (फैलाना), ु (सन
ु ना), कृ (करना), आ द ऐसे
चलगे =
तनो त - तनोत।ु त वि त - त व तु (कृ जैसे ह )।।
चनो त - चनोत।ु च वि त - च व त।ु ।

उदाहरण
शभ
ु ं भवत/ु अ तु = शभ
ु हो।
क याणम ् अ तु = क याण हो।
तथा तु = वैसा हो।

"सव भव तु सु खनः सव स तु नरामयाः सव भ ा ण प य त।ु "


(सभी सख
ु ी ह । सभी नरामय/ व थ ह । सभी भ को दे ख।)

वषा भवत।ु
सः ह रं जानात।ु (वह ह र को जाने।)
भ तान ् पातु ह रः। (ह र भ त को पाले/र ा करे ।)

सव मो ं ग छ त।ु (सभी मो को पाएँ।)


सव रामकथां ृ व त।ु (सभी रामकथा को सन
ु ।)
रामः जयत।ु (राम जीते।)
धम तनोत।ु (धम को फैलाये)
"वनमाल वतनोतु म गला न।" (वनमाल ीकृ ण म गल को फैलाये।)

मेहमान का वागत कर।


वागतं भोः। अ तः वशतु आयः (आप/आय अ दर आय।) आसनं ग ृ णात/ु उप वशतु (आसन हण
कर/बैठ।) अथवा, आ व दे व (बै ठये दे व)। जलं ग ृ णात।ु (जल हण कर।) अ म टा नं था पतं, त
खादत।ु
जाते समय = शी ं याग छत/ु येत।ु (शीघ वापस आना।)
जाने क आ ा लेते समय = भोः अनम ु य व/अनज ु ानी ह माम ्। (भो मझ
ु े आ ा दो)।

66
।। अ टादशः पाठः ।।

।। ल और भव छ द ।।

ल लकार भी व ध अथ म है , व ध मतलब वतना, जैसे मा लक नौकर को काय म व ृ करे गा।


ह द म व ध बताने के लए करना चा हए, होना चा हए अथवा करो, बोलो, ऐसे लखते ह और अं ेजी
म may/shall आ द का योग होता है ।

इसके कई अथ म से यह सफ एक है । इसके अथ म १) व ध २) ाथना ३) सं न ४) स भावना और ५)


हे तह
ु े तम
ु त ् मु य ह।

इसके पहले सामा य योग दे ख लेते ह।


सामा य म भवेत ्, त ठे त ्, यजेत ् आ द बनगे।
वगकामः यजेत ्। ( वगकाम/ वग का चाहक यजे/य करे ।)
कृ णं भजेत ्। (कृ ण को भजे/भजना चा हए।)
तीथ त ठे त ् भ तः। (भ त तीथ म रहे /रहना चा हए।)
त दनं व यालयं ग छे त ् व याथ । ( त दन व यालय को जाए व याथ ।)

अस ् म यात ् बनेगा, भू म भवेत ्।


शभु ं यात ्। (अ छा हो।)
मम सल ु णः पु ः यात ्। (मेरा सल ु ण पु हो।)
【इसी अथ म भवेत ् भी लखते ह।】
मम सल ु णः पु ः भवेत ्। ( यात ् = भवेत ्)
को प दःु खी न यात ्। (कोई भी दःु खी न हो।)
सव शी ं भवेत ्। (सब कुछ शी हो जाये।)
ह रः जयेत ्। (ह र जीते)

वं म य व व तः भवेः। (तम ु मझ
ु म व व त हो जाओ।)
वं सं ामे वजयी याः। (तमु सं ाम म वजयी होने चा हए।)
ऐसे याः, ग छे ः, भवेः आ द जानलो।

द घ-अ त से, हल त से और "उ/न"ु -अ त से "यात ्" हो। द घ = जानीयात ्, पायात ्, यायात ्। हल त =


द यात ्। उ/नु = कुयात ्, ा नय
ु ात ्, चनय
ु ात ्।

67
अब ाथना के अथ म ल बताता हूँ। ाथना मतलब नम ण दे ना, कसी से स कारपव ू क यापार को
कहना, नवेदन करना, माँगना आ द। जहाँ भी ह द म "कृपया/please" आ द वापरोगे।

भवान ् मम गह ृ े भोजनं कुयात ्। (आप मेरे घर म भोजन क रए।)


भवान ् आसनं वीकुयात ्। (आप आसन को वीकरो/ वीकार क रए )
भवान ् ा माणाय गां द णां द यात ्। (आप ा मण को गाय दो/दे नी चा हए।) (स कारपव ू क यापार)
हे हरे ! भवान ् भ तान ् पायात ्। (हे हरे , आप भ त को पा लये।)
यान रहे क भवान ् का य य प मतलब "आप" नकलता है , फर भी इसम म यमपु ष नह ं लगता।
भवान ् श द के जगह स मान के लए दे व, आय जैसे श द का भी योग मलता है ।
आयः म ​ म पु ं श येत ्। (आय मेरे पु को पढ़ाय) 【ता पय= आय/आप मेरे पु को पढ़ाय।】
दे वः म यं भ ां द यात ्। (दे व मझ ु े भ ा द।) 【ता पय = आप महान ् दे व मझ
ु े भ ा द।】
भवान ् मम पु य नामकरणं कुयात ्। (आप मेरे पु का नामकरण कर।)
ऐसे ह भवती होगा ी ल ग म।
भवती भ ां द यात ्। (आप भ ा द िजये।)
भवती पु पा ण चनय ु ात ्। (आप फूल को चन ु ।)
____

अब सं न
कं नु वं व यालयं ग छे ः? ( य न तम ु व यालय चले जाओ?)
कं नु वं याकरणं पठे ः? ( य न तम ु याकरण पढलो?)
कं भोः वं सं कृतं न जानीयाः? ( य भाई तम ु को सं कृत न आती?) इसम ख़ास बात यह है के यह कोई
काल वशेष म यु त नह ,ं अ पतु व वध अथ को बताएगा। सं न या न "है या नह ? ं " "ऐसा तो नह ?
ं "
आ द वक पा मक श का।
मम पु ं श येः? ( या मेरे बेटे को पढ़ाओगे?)
अ य कः वारः यात ्? (आज कौनसा वार होगा?)
कं याः तव प ? े वं जयेः न वा? ( या होगा तु हारे प म? तम ु जीतोगे या नह ? ं )
मम गह ृ े आयाः? (तमु मेरे घर आओगे?)
यान रहे म यम पु ष म त ् को ◌ः हो जाता है ।
अ य पाठः यात ्? (आज पाठ होगा?)
भवत ् श द का स बोधन भी होता है । वम ्, अहम ् आ द का नह ।ं हे भवन ्! = दे व! हे भव त! दे व!
हे भवन ्! मम पु ं पाठयेः? (हे भवन ्/आप! या तमु मेरे पु को सखाएंगे?)
भव त! भ ां दे ह। (हे भव त! भ ा दे ।)
भव त! भ ां द याः? (हे भव त! भ ा दगी?)
अब स भावना
म ये र ववारः यात ्। (लगता है र ववार होगा।)
कः अि त? दे वद ः यात ्। (कौन है ? दे वद होगा।)
सवकारे ण नयमः पा रतः यात ्/भवेत ्। (सरकार वारा नयम पा रत होगा। ता पय = ऐसी संभावना है ।)
पीनः दे वद ः दवा न खाद त। त ह सः न श खादे त ्। (पीन/मोटा दे वद दनम नह ं खाता। तो वह रातको
खाता होगा।)

68
उ मपु ष म "एयम ्" (भवेयम ्, पठे यम ् आ द) और "याम ्" (कुयाम ् याम ् द याम ्) आयगे।
अहं वया मो हता सती गह ृ यागं न कुयाम ्। (म तझ
ु से मो हता होकर, गह ृ याग न करदँ ।ू ता पय =
शायद कर लँ ।ू )
अहं अ तशयं खा द वा पीनः न भवेयम ्। (म बहुत खाकर मोटा न हो जाऊँ। ता पय = शायद हो जाऊँगा।)
म ये अ मे स ताहे तव ववाहः यात ्। त ह वः तव गह ृ े आग छे यम ्। (लगता है अगले स ताह तेरा
ववाह होगा। तो कल तेरे घर आ जाऊँ। ता पय = मेरे आने क स भावना है ।)
बध
ु वारे कु याः? न जाने कु याम ्। म ये तटे याम ्। (बध ु वार कहाँ होगे तम
ु ? न जाने म कहाँ ह गा।
शायद तट पर होऊँ।)
म ये वः कुयाम ्। (शायद कल करलँ ।ू )

बहुवचन म ते यःु बनेगा। वयं याम।


यह अ यासपिु तका म व तार से दया जाएगा।

ते त यःु । (वे वहाँ ह गे।)


मम पु ाः अ य व ृ धाः यःु । (मेरे पु आज बड़े हो गए ह गे।)
" वजनं ह कथं ह वा सु खनः याम माधव!" । (हे माधव! वजन को मारकर हम सख
ु ी कैसे रह?)
कदा भवेम सु खनः? (हम सख ु ी कब ह गे?)
तीथ द याम (तीथ म हम दे ना चा हए/हम द।)
थादौ म गलं कुयाम। ( था द म हम म गल करना चा हए/हम म गल कर।)

69
।। एकोन वंशः पाठः ।।

।। पिु ल ग म रामश द और सवश द ।।

वभि त १ २ बहु

थमा रामः रामौ रामाः


स बोधन राम! रामौ! रामाः!
वतीया रामम ् रामौ रामान ्
तत
ृ ीया रामेण रामा याम ् रामैः
चतथु रामाय रामा याम ् रामे यः
प चमी रामात ् रामा याम ् रामे यः
ष ठ राम य रामयोः रामाणाम ्
स तमी रामे रामयोः रामेषु

लेखक का परामश =
यह यान रहे क आज और कल के पाठ एक दन म याद हो जाएँ ऐसे नह ,ं इस लए इनको याद अपनी
अनकु ू लता अनस
ु ार कर। ले कन जो स धा त/concept और नयम समझने यो य ह, उनको समझल।
य क भाषा एक बौ धक concept ह तो है , जो हमारे ज म से हमारे बु ध म सि न हत है । य द
concept समझ लगे तो समय के साथ बोलने म भी आपको कोई द कत होगी नह ।ं आज एक साथ
नह ,ं ले कन धीरे धीरे अ यास के साथ, कहा नयाँ पढ़ते पढ़ते, भाषा बोलते बोलते अपने आप याद हो
जायेगा।

सबसे पहले समझल के वभि त या है ।


कई लोग समझते ह क "रामः रामौ रामाः" थमा वभि त है , "रामम ् रामौ रामान ्" वतीया। ऐसा नह ं
है । वभि त सफ एक यय है , जो राम से लगते ह, राम+सु = रामः, ऐसे सब म।

यह यय सफ २१ ह। इसम इनके मल ू प fix/ व


ु ह, उनके ऊपर श द के हसाब से
आदे श/replacements होती ह। जैसे "स"ु पहल वभि त है । श द के हसाब से, इन पर आदे श होते ह।
कई बार यय का लोप/गायब हो जाता है , यह लोप को भी आदे श ह कहा जाता है ।
राम+सु = रामः। रमा+सु = रमा।

यह वभि त के ७ कार अथवा group बना दए गए। ३-३ वभि त/ यय का एक। ऐसे सु और जस ् =
थमा। अम ् औ शस ् = वतीया। ऐसे स तमी तक।
अब 'स'ु क थमा सं ा हो गयी, 'औ' क और 'जस ्' क भी।

70
जैसे पा डु के ५ पु के वत नाम यु धि ठर अजन
ु आ द ह, ले कन पाँच म से कोई भी सामने खड़ा
हो, तो उसको "पा डव" कहकर बल
ु ा सकते ह।

थमा आ द वभि तयाँ कसी न कसी अथ को बताती ह। सु औ जस ् तीन वत अपने अपने वचन
को (एकवचन ववचन आ द) बोलगे ले कन थमा द क सं ा ा त कर कुछ वशेष अथ म यु त
ह गे।
कारक अथ उसम से एक है , अ य भी कई अथ हो सकते ह एक ह वभि त के वो हमने दे खा। जैसे थमा
और तत ृ ीया, दोन कता कारक को बता सकती ह। नधारण अथ को (बहुत म से एक मतोअब नधारण)
ष ठ और स तमी दोन बता सकती ह। एक ह अथ म 1 से अ धक वभि त भी वापर सकते ह। और १
वभि त बहुत से अथ म वायर सकते ह, जैसे तत ृ ीया का योग करण-कारक म, कता-कारक म, "के
साथ" इस अथ म, आ द अनेक अथ म होगा। और, कसी अ य वभि त का अ य वभि त के अथ म
भी योग होता है , जैसे " वतीया" का कुछ ि थ तय म चतथ ु अथ म, प चमी अथ म भी योग होता
है । इस लए "अम ्" दे खके fix न कर लेना के कम ह अथ है , अपादान भी हो सकता है , कारक के अलावा
अथ भी हो सकता है ।

इस लए जैसे हमने पहले सीखा के "एन" "आय" "आत ्" ये सब सरलता के लए बता दया। ये सब मल ू
वभि त पर आदे श ह। एक जगह एक वभि त लगने से हम सरलता हो जायेगी क कौनसी वभि त
लगी है , थमा है वतीया है आ द। य क सं कृत म वभि त का concept काफ व तत ृ है । य द हम
अलग अलग करते, यहाँ "आय" वभि त है , वहाँ " य" वभि त है तो काफ confusion/सं म उ प न
हो जाता। अतः २१ मा और ७ group/ वभाग से पा ण न भगवान ् ने हमारा काम आसान कर दया।
________

अब एक एक करके हम, वभि तय के सं ेप योग सीख ल।

रामः करो त। रामौ कु तः। रामाः कुवि त।


राम! रामौ! रामाः!
(स बोधन कोई अलग वभि त नह ।ं थमा "सु औ जस ्" ह है । जैसे करण और कता अथ म तत
ृ ीया
होती है । वैसे ह स बोधन अथ म भी थमा ह होती है , सफ कुछ बदलाव होते ह।)

रामं भजेत ्। रामौ भजेत ्। रामान ् भजेत ्। (अथ न सोच, हसाब समझ ल फर भी, रामौ मतलब राम
और बलराम को भजे और रामान ् मतलब राम, बलराम और परशरु ाम को भजे।)
रामेण हतः। रामा यां हतः। रामैः हतः। (कताथ। रामसे हत)
रामेण ग छ त। " " ग छ त। " " ग छ त। (राम के साथ जाता है ।)
बाणेन हतः। बाणा यां हतः। बाणैः हतः। (करण,बाण साधन है ।)

रामाय पच त। रामा यां पच त। रामे यः पच त। (राम के लए)


रामाय य छ त। " " य छ त। " " य छ त। (दान/ नवेदन अथ म)
रामाय वि त। " " वि त। रामे यः वि त। (बोलने अथ म)

71
व ृ ात ् पत त। व ृ ा यां पत त। व ृ े यः पत त। (अपादान)
रामात ् य त। रामा यां य त। रामे यः य त। (भय अथ)
रामात ् यन ू ः। " " यन
ू ः। रामे यः यन ू ः। (राम से छोटा है , तल
ु ना)

राम य भ तः। रामयोः भ तः। रामाणां भ तः। (स ब ध)

रामे व वासः। रामयोः व वासः। रामेषु व वासः।


व ृ े वानरः। व ृ योः वानरः।व ृ ेषु वानरः।

ऐसे प चलाय। बाल, व ृ , कृ ण आ द "अकारा त" (अ से अ त होने वाले) ऐसे ह चलगे।

सारे नपंसु क ल ग पु प फल आ द म सफ थमा के और वतीया के प म भेद है । बाक राम जैसे


चलगे।
पु पम ् पु पे पु पा ण (यहाँ थमा वतीया दोन के सामान प ह।)
_______
ऐसे सव, एक, तत ्, एतत ् सवनाम म थोड़ा भेद है । इसका अ यास पिु तका म हसाब दया है । यहाँ
केवल सव के प लखता हूँ।

सवः सव सव।
सव सव सवान ्।
सवण सवा यां सवः।
सव मै सवा यां सव यः।
सव मात सवा यां सव यः।
सव य सवयोः सवषाम ् ।
सवि मन ् सवयोः सवष।ु

(सवनाम म स बोधन नह ं होता।)


ल ब म = सवम ् सव सवा ण ( थमा वतीया, बाक पिु ल ग जैसा।)।।

लेखक का परामश =
आज आप सफ स धा त समझल और प आप दनम २-३ बार ज़ोर से पाठ कर। जैसे ग णत के टे बल
याद होते ह वैसे पाँच-छह दन म ये प भी याद हो जायगे। आपको अगर अथ स धा त/concept
दया ढ़ हो गया है , तो जब आप इसके योग पढ़गे, सन ु गे तो भाषा बु ध म सि न हत होने क वजह
से आप वतः पकड़ लगे और आपको पता ह नह ं चलेगा और आप बोलने लगगे। अ यासपिु तका म
मने यथासंभव यास कया है के म योग सोचसोचकर लख,ूँ क तु अ य छोट कहा नयाँ और सा ह य
भी पढ़ना ज़ र है ।।

72
।। वंशः पाठः ।।

।। रमा-श द और त या द- यय ।।

१ २ बहु

१) रमा रमे रमाः


रमे! रमे! रमाः!
२) रमाम ् रमे रमाः
३) रमया रमा याम ् रमा भः
४) रमायै रमा याम ् रमा यः
५) रमायाः रमा याम ् रमा यः
६) रमायाः रमयोः रमाणाम ्
७) रमायाम ् रमयोः रमासु

ऐसे इसके प चलाय, 3-4 बार पाठ कर त दन और फर वैसे ह माला के, अजा के, बा लका के भी
चलाय।

इसम यान रहे के स बोधन अथ म भी थमा वभि त "सु औ जस ्" ये तीन यय ह लगगे। वशेष
बात या है ? स बोधन अथ म सफ "स"ु इस थमा वभि त एकवचन म कभी-कभी बदलाव आ सकते
ह, कभी न भी आय। 'औ' और 'जस ्' वभि त म कोई अ तर् नह ं होगा। "स"ु वभि त ( थमा-एकवचन)
से ह स बोधन अथ म बदलाव दे खने मलगे।

अब आय सवा श द पर। सवा श द भी वैसा ह है , बस चतथु प चमी ष ठ और स तमी के एकवचन


मशः सव यै, सव याः, सव याः और सव याम ् ह गे, और ष ठ बहुवचन म सवासाम ् बनेगा। बाक
रामावत ् प चलेगा। सवा सव सवाः…..सव यै सवा याम ् सवा यः/ सव याः…….सवासाम ्/सव याम ्
सवयोः सवास।ु ।
________

अब उदाहरण से पहले एक और यय दे ख लेते ह। त य।


कत यम ् (करना चा हए) भ वत यम ् (होना चा हए) थात यम ् (ठहरना चा हए) प ठत यम ् (पढना
चा हए) ग त यम ् (जाना चाहये)।

यह यय कम अथ म होगा, अथात ् कमवा य/passive voice वापरना पड़ेगा। जैसे


रमया कत यम ् (रमा के वारा करना चाहये), रमया प ठत यम ् (रमा के वारा पढना चा हए) आ द।।

73
यह ब कुल त के जैसे कम म लगता है और यह वशेषण भी बनेगा।
जैसे प ठता पिु तका (पु तक पढ़ ल गई), वैसे ह पिु तका प ठत या (पिु तका पढ़ने यो य है )।
घटः नेत यः। (घट ले जाने यो य है ), व यालयः ा त यः = व यालय ा त करने यो य है ।।
अब वा य दे खो = रमया प ठत या पिु तका, आनेत या। (रमा के वारा पढ़ने यो य पु तक लानी
चा हए।)
______

रमा बो ध या (रमा ान दे ने यो य है /बोध कराने यो य है ।) रमे बो ध ये। रमाः बो ध याः।।

रमे! वया ात यम ् (रमे! तेरे वारा जानना चा हए)।


रमे! यव
ु ाम ् व ग छथः? (दोन रमाएँ! कहाँ जाती हो?)
रमाः! सवा भः नम कत यम ्। (रमाएँ! सभी वारा नम कार करना चा हये।)

रमाम ् नम कु (रमा को नमः कर)। रमे नम कु । रमाः नम कु ।


बालां पाठय।(ब ची को सखाओ)। बाले पाठय। बालाः पाठय।

रमया कत यम ्। रमा यां कत यम ्। रमा भः कत यम ्।


रमया ग त यम ् (इसके २ अथ हो सकते ह। अगर तत ृ ीया सहाथ हुई, तो रमा के साथ जाना चा हए, अगर
तत
ृ ीया कताथ म है तो रमा के वारा जाना चा हए।)
रमा यां ग त यम ्। रमा भः ग त यम ्।

रमायै दात यम ् (रमाको दे ना चा हये)। रमा यां दात यम ्। रमा यः दात यम ्।

रमायाः े ठा गौर । रमा यां े ठे बाले। रमा यः े ठः ह रः।

रमायाः पु ः लवः। रमयोः नाथः ह रः (२ रमाओं के नाथ ह र ह)। रमाणां नाथः ह रः।

रमायां रतः ह रः। (रमा म रत है ह र)। मालयोः ि थतः म णः (मालाओं म ि थत है म ण)। बालासु
च चलता अि त। (बालाओं म च चलता है ।) ।।

रमयोः थमा ल मीः (रमाओं म से पहल ल मी है । यह नधारण-स तमी है , जहाँ कई म से एक का


नधारण होता है ।)।
बालासु सु दर कृ णा (बालाओं म सु दर है कृ णा)।

अ धक अ यास अ यासपिु तका म दया है ।

इससे हमारे वा यवहार वंश त क समाि त होती है । इसके अगले करण म हम सि ध, समास,
अलग-अलग श द प, दशगण के वशेष धात-ु प और सामा य- ल गानश ु ासन का ान लगे, िजससे

74
भाषा पर पकड़ और भी मज़बतू हो जाएगी। फर आपको इ छानस
ु ार याकरण के और सा ह य के व वध
थ गु के साि न य म पढ़ने चा हए।

।। वि त ीहरये ।।

।। ीकृ णापणम ् अ तु ।।

75
।। प र श ट वभाग ।।

पशप
ु वगः

ह रः = घोडा/ब दर || ग डः = ईगल/ ग ध || अ वः(आ) = घोड़ा संहः = शेर || या ः(ई) = बाघ/टाइगर


|| अजः(आ) = बकरा ||
वषृ ः = बैल || गौः/धेनःु = गाय || गजः = हाथी।(हि तनी/क रणी) || व सः(आ) = बछड़ा || म हषः(ई) =
भस || माजारः/ बडालः(ई) = ब ला/ ब ल || उ ः(ई) = ऊँठ || वानरः(ई) = ब दर || ह रणः(ई) = हरण
|| वकृ ः(ई) = लोमड़ी ||

मयरू ः(ई) = मोर || शक ु ः(ई) = पोपट || कु कुटः(ई) = मग


ु ा || को कलः(आ) = कोयल || काकः(ई) = कौआ
|| कपोतः(ई) = कबत ू र || चटकः(आ) = च ड़या || कार डवः(ई)/वतकः = बतख म डूकः(ई) = मढक ||
हं सः(ई) = हं स || उलकू ः(ई) = उ लू
चमचटकः(इका) = चमकादर

म का = म खी || मशकः = म छर || मरः = भँवरा || पपी लका = चींट || च पत गः = ततल ||


तैलपः/का ठपत गः = फुलकड़ा/cockroach || का ठत तःु = झ ल /caterpilar
कणक डूः = कानखजरु ा || पत गः = कोई भी छोटे मोटे उड़ने वाले ज तु || भाक टः = आग/लाइट के
पास पाये जाने वाले छोटे पत ग || मष
ू कः(इका) = चह
ू ा
______________

व ृ ा दवगः
(पिु ल ग रखो तो व ृ , नपंस
ु क ल ग करदो तो फल)

य ोधः = वटव ृ /बरगद/ब यान || नीपः = कद बव ृ || आ ः = आम || पलाशः = पलाश (लाल प


वाला, आग जैसे प े) || न बः = नीम || न बकू ः/ज बीरः = नींबू || ज बु = जामन
ु ||
आ ल का/ ति तडीका = इमल (व ृ बताने के लए आ लव ृ डाल) (आ लम ्/आ लः को आंवला के
लए भी वापरते ह) || तमका = आँवला (व ृ के लए तमकाव ृ ः) || तमालः = नीले/काले र ग का पेड़ ||
अ व थः = पीपल ||

से वफलम ् = सेब/apple || आलक ु म ् = आलू (नत ू नाः) || दा डमम ् = अनार || ना रकेलम ् = ना रयल ||
कदल फलम ् = केला || अ ोटम ् = अखरोट || अ कोलम ् = प ता || अ जीरम ् = अ जीर || व गा जीरम ्
= पे /अम द/गुआवा (guava)/आ लम ् इ त नत ू नाः || नार गम ् = नार गी || कक टका = ककड़ी ||
टमट रम ् (टमाटरकृते नतू नाः) || मातल ु ु गम ् = मौस बी || ा ा = अ गूर || भ लातकम ् = काजू ||
ब ब = टंडोरा/ivy gourd || खबजम ु ् = खरबज ू ा (उवा कम ्/ककट भी कहते ह) || कू मा डम ् =
कोला/pumpkin || व ृ ककट = तरबज ू || मधक ु कट = पपाया
ल चका = ल च (नत ू नाः) ||

76
क वी/ चकू वगेरह को यथावत ् नत
ू न ने वीकारा है ।

भ डकः = भ डी || अलाबःु = दध ू ी || गजरम ्/ग ृ जरम ् = गाजर कारवे लः = करे ला || टि डशः = ट डी


|| जा लनी = तोरइ || धा यकम ् = ध नया || व ृ ताकः = बगन || पला डुः = याज || लशन ु म ् = लहसन
ु ||
मल ू कम ् = मल
ू || गोिज वा = गोभी || क वी = अरवी || क द = क द ||

लवणम ् = नमक || शकरा = श कर || मधु = मध


द ु धम ् = दध
ू ||

______________

काया दवग
कायम ् = job || करणम ् = department || भ ृ यः/वैत नकः = नौकर/employee || भता/भ ृ तदः =
मा लक/employer|| धानः/ मख ु ः = HoD/boss || भ ृ तः = पा र मकम ्/वेतनम ्/sallary || को ठकः
= desk/small room || स गणकः = क यट ू र || वणपटलम ् = keyboard || मु य त = types/टाइप
करता है || ल प यास = टाइप/to type || उपयोजनम ् = अि लकेशन/app || नवे यम ् = डाटा/data ||
स हः = storage || कागदम ् = कागज/paper || अनच ु रः = assistant ||

गह
ृ ा दवगः

पाकलयम ् = restaurant || महानसम ् = रसोई || प रषेवकः = परोसने वाला/waiter; प रषेवय त =


परोसता है । || पीठम ् = table || आसनम ्/आसि दका = seat/chair || कटः = चटाई/carpet || यजनम ्
= पंखा || गवा ः/वातायनम ् = खड़क || शीतदः/वातानक ु ू लः = ए-सी || शीतकपाटम ् = fridge || कपाटम ्
= कबाट || तालम ् = ताला || अगलम ् = दरवाज़े क कड़ी || वारम ् = दरवाज़ा || फे नलः = साबन ु ||
क क तका = कंघी || शोधनी = झाडू ||

बगर, प ज़ा आ द श द को ऐसे ह वापरना चा हए। जैसे = बगरं खादा म।

शि पवगः

वै यः = डॉ टर/doctor || सू चकः = टे लर/दज || रजकः = धोबी|| ल पकः = typer || ना पतः = नाई ||


वाद = वक ल/lawyer || पा णकः/आप णकः = grocer/दक ु ानदार/ कराने वाला/vendor त कः =
carpenter || शाकपा णकः = स ज़ीवाला || भष ू श पी = jewleller || वा तु वत ् = architect ||
साज नक = builder (सज ृ नम ् अ य प यम ् इ त ठक् ) ||
वा णकः = सोनी || लौ हकः = लह ु ार ||
शौध नकः/याि कः = शोधनं/repair अ य प यम ् इ त technician/mechanic|| सौ ठ वकः =
fashion/dress का बेचने वाला || सौ ठव श पी = fashion designer
वै ा नकः = scientist ||

77
_________

शर रवगः

ह तः = हाथ/ पादः = पैर/ म तकम ् = माथा/ ललाटम ् = भाल/ केशः = बाल/ नयनम ् = आँख/ ना सका =
नाक/ कपोलः = गाल/ ओ ठः = होठ/ चबक ु म ् = ठु डी/ गलः = गला(क ठः)/ व ः(स ्) = छाती/ दयम ् =
दल/ भज
ु ा = बाहु/ उदरम ् = पेट/ ज घा = जा घ/ जानःु = घट ु ना/ गा म ् = शर रम ्।।

व वगः

क चक ु म ् = कुता। क चकु = लाउज़/कुत । अधोव म ् = धोती। उ र यम ् = उपरे णा/दप


ु टा।
अ त रयम ् = लाउज़/पेट कोट। कौपीनम ् = लंगोट/च डी। आ पद नम ् = पट। पादयामः = पजामा।
ावारः = कोट। बह ृ तका = ओवरकोट। शा टका = सार । कापासम ् = यत
ू ी। यतू वरः = सलवार।
यतू म ् = झोला/बैग। कौशेयम ् = रे शमी। रा कवम ् = ऊनी।

पाकवगः

चमसः- चमचा || वे धका - fork || छु रका - knife || कत रका - कची || ष (च क ) - a stone used
for grinding flour.
चू या/चिु लका(चल ू ा) - a stove used in olden days to cook food ||
अ धपाक(अ धप यते अ ) - a stove used in modern days, like a gas stove ||
अ ध यणम ् = तपेल || उ मानम ् (भ ट ) - a furnace.
छागणचिु लका(भ ट ) - a stove made of dried cowdung ।। पणम ्(तपेला/पतीला) ।।
बा पपाचक: - a pressure cooker || क द:ु - a frying pan/metal pan || कटोरम ् - a bowl ||
त तकम ्(तवा) ।। कटाह(कढ़ाई) ।। दव (करछुल) ।। अव ायणम ्/संदंशकम ्( चमटा) ।। पग ू ीभे दका - a
nutcracker ।। कु दालक:(तवेथा/खरु पी) ।। हि डका(हांडी) ।।
अ लंजर:(डोया) - a jar for pouring water or milk ।।
चालनी(छननी) ।। शप ू म ्(सप
ू डी) ।। मष
ु लम ्(मस
ू ल/कूटनी) ।।
उलखू लम ् = ऊखल ।। शल ू : -शलू ।। शल ू पाक: - a grill.
ा :/भ ृ जनम ्(भँज
ू ने क कढ़ाई) - a utensil for roasting.
वपाक/आपाक: - oven.

अ कवगः

एक = एकः,एका, एकम ् || व = वौ- वे- वे || = यः- त ः- ी ण || चतरु ् = च वारः-चत ः-च वा र


|| प च || ष || स त || अ ट || नव || दश || एकादश || वादश || योदश || चतद ु श || पंचदश || षोडश ||
स तदश || अ टादश || नवदश/एकोन वंश तः || वंश तः || श ं त ् || च वा रंशत ् || पंचाशत ् || षि टः ||
स त तः || अशी तः || नव तः || शतम ् ||
।। ीकृ णापणम ् अ तु ।।

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