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से वक भजन

1- भजन सूची
2- श्री गणे श वन्दना
3- श्री हनु मान भजन
4- ताने सु न सु न के , सं सार के आया हँ ू
5- श्याम नाम की ओढ़के चादर, मैं मस्ती में रहता हँ ू
6- कैसी आई इस दुनियाँ पे , बाबा यें सं कट की घड़ी
7- होगा मिलन कब तु झसे , बाबा मु झको बतलान
8- फागण कें मे ले में बाबा, मै तो खाटू आऊँगी
9- आँ खों में बस जा मे रे , क्यूँ तू बसता नहीं है
10- कैसे कहँ ू मै ते रा प्रेमी, मै व्यापार चलाता हँ ू
11- अहं करें किस बात का कोई , मौत से किसकी यारी है
12- हमें पता ना हम है बाबा , कितने काम के
13- किस मु ख से क्या सोच के बोलू , तु झपे भरोसा श्याम
14- ओ पालनहार तू , मे री सरकार तू, रहना सदा ही -
15- ताली तू-3 बजा के दे ख , ते रा भाग्य जगा दें सां वरिया
16- प्रेमी क्यूँ पागल कहलाते ये तो बताओ सां वरे
17- ते री से वा मिल जाये जो , जीवन के दिन चार है
18- आया बु लावा श्याम धनी का, रहा ना मन काबू
19- आया बु लावा श्याम धनी का, रहा ना मन काबू
20-

श्री गणे श वन्दना

मे रा नमन तु मको, मे रे गणे शा


प्रथम मनाएं तु मको , हम तो हमे शा । ।

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से वक भजन
गौरा के लाड़ले हो , शं भ ू सु त प्यारे
दे वों के दे व हो तु म , कहते है सारे
मे रा नमन तु मको, मे रे गणे शा
प्रथम मनाएं तु मको , हम तो हमे शा । ।

मात पिता से बढ़कर , ना कोई बताया


यें ही गु रु है पहले , आपने सिखाया
मे रा नमन तु मको, मे रे गणे शा
प्रथम मनाएं तु मको , हम तो हमे शा । ।

ऋद्धि सिद्धि के स्वामी, शु भ लाभ दाता


तु मसे बड़ा ना कोई, भाग्य विधाता
मे रा नमन तु मको, मे रे गणे शा
प्रथम मनाएं तु मको , हम तो हमे शा । ।

काज सफल ना होवे , गर तु म ना आओ


कहता यें “से वक” हमको , प्रभु अपनाओ
मे रा नमन तु मको, मे रे गणे शा
प्रथम मनाएं तु मको , हम तो हमे शा । ।

चारों यु ग के स्वामी .....


श्री हनु मान भजन

चारों यु ग के स्वामी तु म , हनु मान जी


वीरों में हों वीरबली, हनु मान जी ।
बलबु दधि ् के दाता तु म हों, कहलाते
परम गु णों के आप हों, बजरं ग धाम जी । ।
चारों यु ग के स्वामी ..................

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राम के तु म दतू हों , और अतु लित बल के धाम
अं जनी माँ के लाल हों , और सबके दया निधान
भय भं जन तु म कहलाते , हनु मान जी । ।
चारों यु ग के स्वां ई तु म ..................

शं कर के अवतार हों , तु म केसरी नन्दन


हों पवन के लाल तु म, दुनियाँ करती वन्दन
माँ सीता के लाड़ले , हनु मान जी । ।
चारो यु ग के स्वामी तु म ............

अक्षय कों था मार गिराया , लं का में जाकर


थें लक्षमण के प्रान बचाये , सं जीवन लाकर
चूर किया था रावण का अभिमान जी । ।
चारों यु ग के स्वामी..................

अष्टसिद्धि दातार हों तु म नवनिधि के दाता


शरण तु म्हारी जो आ जाये , वो सब सु ख पाता
इस "से वक" के प्यारे तु म हनु मान जी । ।

महामाई के चरणों में ...........


भजन तर्ज : ताने सु न सु न के , सं सार के आया हँ ू

कुछ मन में आस लिये , दरबार आया हँ ू ।


कुछ भी ना पास मे रे , बस प्यार लाया हँ ू ॥
तू सु न ले गी मै या -2 विश्वास लाया हँ ू ।

1- माँ बे टे का सबसे निर्मल , कहलाता ये नाता है


रखलोगी लाज मे री , विशवास लाया हँ ू
कुछ मन में आस लिये , दरबार में आया हँ ू ।
कुछ भी ना पास मे रे , बस प्यार लाया हँ ू ॥

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2- सब बच्चों की पालनकर्ता , भे द ना तु मको आता है
रखलोगी ध्यान मे रा विश्वास लाया हँ ू विश्वास लाया हँ ू
कुछ मन में आस लिये , दरबार में आया हँ ू ।
कुछ भी ना पास मे रे , बस प्यार लाया हँ ू ॥

3- गम के अँ धेरे जब मं डराए , कुछ भी ना मु झको समझ में आये


कर दे गी दरू उन्हें , विश्वास लाया हँ ू
कुछ मन में आस लिये , दरबार में आया हँ ू ।
कुछ भी ना पास मे रे , बस प्यार लाया हँ ू ॥

4- "से वक" के तु म मात पिता हो , तु म ही बं धु मे री सखा हो


तु म हो जीवन मे रा विश्वास लाया हँ ू , विश्वास लाया हँ ू
कुछ मन में आस लिये , दरबार में आया हँ ू ।
कुछ भी ना पास मे रे , बस प्यार लाया हँ ू ॥

तर्ज : भला किसी का कर ना सको तो

श्याम नाम की ओढ़के चादर, मैं मस्ती में रहता हँ ू


आये समस्या कोई भी तो, जय श्री श्याम में कहता हँ ू ।
हाल चाल जब पूछे कोई, श्याम कृपा में कहता हँ ू
आये समस्या कोई भी तो, जय श्री श्याम में कहता हँ ू ॥

ओढ़ी मैं ने जब से चादर , बाबा ते रे नाम की


कमी रही ना जीवन में , प्रेम प्रतिष्ठा दाम की
अब कोई पूछे कीमत मे री ते रा नाम ही कहता हँ ू
आये समस्या कोई भी तो , जय श्री श्याम में कहता हँ ू ॥

जीवन का है मं तर् बनाया , जय श्री श्याम के नाम को


उसी का उस को सौंप दिया है । पूर्ण समर्पण श्याम को
जीवन का बस एक राग अब , श्याम श्याम में कहता हँ ू

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आये समस्या कोई भी तो जय श्री श्याम में कहता हँ ू ॥

हारे का है सहारा बन कर , सदा ही साथ निभाया है


जब जब जिसने पु कारा तु झको , दौड़ा दौड़ा आया है ।
मैं "से वक" तो ते रा सु मिरन , श्याम नाम को कहता हँ ू
आये समस्या कोई भी तो, जय श्री श्याम में कहता हँ ू ॥

कोरोना चे न की बिखरे गी हर लड़ी ।


जब बाबा की बरसे गी मोरछड़ी ॥
भजन तर्ज : कसमें वादे प्यार वफ़ा

कैसी आई इस दुनियाँ पे , बाबा यें सं कट की घड़ी ।


अब ना बिल्कुल दे र करों तु म , हाथ उठाओ मोर छड़ी ।।

माना पापी है दुनियाँ में , पाप हुआ बड़ा भारी है


ले किन सच है सच्चा है तू , तु झसे दुनियाँ सारी है
भूलों बाबा भूल हमारी , और बनाओ अब बिगड़ी ।।
कैसी आई इस दुनियाँ पे ...........................

हारे का है तू तो सहारा, बात यें सबने बताई है


माता को जो वचन दिया था, बात वो तु मने निभाई है ।

हार रही है श्रष्टि सारी , ऐसी आई विपदा बड़ी ।।
कैसी आई इस दुनियाँ में बाबा यें सं कट............

श्याम बहादुर “से वक” ते रे , जब दर्शन को आयें थें


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मोरछड़ी से ताला खोला, ताले बं द जो पायें थें
फैला कोरोना चै न बनाकर , तोड़ो इसकी सारी कड़ी ।।
कैसी आई इस दुनियाँ में बाबा यें सं कट............

जै से जै से ग्यारस की घड़ी पास आ रही है ।


बाबा ते री याद हमे बार बार सता रही है ॥
भजन तर्ज : सारी दुनियाँ प्यारी

होगा मिलन कब तु झसे , बाबा मु झको बतलाना ,


बार-बार मन कहता , मु झको है खाटू आना ।
मु श्किल हों गया दिल को, अब ग्यारस पे समझाना,
बार बार मन कहता, मु झको है खाटू जाना ॥

ऎसा मु झे लगता , कोई हों बु लाता


मु ड़ मु ड़ कें दे खँ ू कोई, नजर नहीं आता
अब कोई कहता पागल और बोलें कोई दिवाना ।।
बार बार मन कहता , मु झको है ..........................

हाल मे रे दिल का बाबा, बोलो किसे बतायें ,


इसी हाल में ते रे प्रेमी , नजर सभी आयें
अब ना दे र लगाओ, चरणों में हमे बु लाना ।।
बार बार मन कहता , मु झको है ................

कैसी है विपदा भारी, हमे यें बताओं,


’’से वक’’ की विनती तु मसे , इसे अब मिटाओ

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लीलें पे चढ़कें आओ, और मोरछड़ी लहराना ॥
बार बार मन कहता , मु झको है ...........................

होगा मिलन कब तु झसे , बाबा मु झको बतलाना ,


बार-बार मन कहता , मु झको है खाटू आना ।
मु श्किल हों गया दिल को, अब ग्यारस पे समझाना,
बार बार मन कहता, मु झको है खाटू जाना

तर्ज : कहें बहु सब काले की

फागण कें मे ले में बाबा, मै तो खाटू आऊँगी


आकर कें धूम मचाऊँगी ।
भक्तों कें सं ग ते रे बाबा , मै भी रल-मिल जाऊँगी
मै भी प्रेमी कहलाऊंगी ॥

अरे दुनियाँ आती सारी है


और भीड़ मचे बड़ी भारी है ॥2॥
सु ना है प्रेमी रं ग उड़ाते -2
मै भी रं ग उड़ाऊँगी
आकर कें धूम मचाऊँगी ।

भगतों कें सं ग ते रे बाबा मै भी ...


जब दर ते रा दिख जाता है ,
एक नशा अजब सा छाता है ॥2॥
भगत ते री जयकार लगावे -2
मै भी खूब लगाऊँगी
आकर कें धूम मचाऊँगी ।।
भगतों कें सं ग बाबा ते रे ..........

दर्शन करनें सब आते है ,


और तु मको भजन सु नाते है ॥2॥
"से वक" कों भी दे ना दर्शन -2
मै भी भजन सु नाऊँगी
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आकर कें धूम मचाऊँगी
भगतों कें सं ग बाबा ते रे ..........

आँ खों में बस जा मे रे , क्यूँ तू बसता नहीं है


झुठी दुनियाँ क्या मै दे खँ ू -2, कुछ भी जं चता नहीं है
आँ खों में -2,

आँ खों में बस जा मे रे , क्यूँ तू बसता नहीं है ॥2॥


दर्शन की लाइन में सोचूँ , एक झलक पा जाऊँ
कैसे मिलें दीदार यें ज्यादा , मै तों जु गत भिड़ाऊँ
जितने भी तू दे दे दर्शन-2, मन यें भरता नहीं है
आँ खों में -2,

आँ खों में बस जा मे रे , क्यूँ तू बसता नहीं है ॥2॥


बार बार दे खँ ू मन करता ऐसा क्या है जाद ू
जितना दे खँ ू उतना मचलें , ना रहता मन काबू
तु म ही सं भालो मन को मे रे-2, तु झबिन लगता नहीं है
आँ खों में -2,

आँ खों में बस जा मे रे , क्यूँ तू बसता नहीं है ॥2॥


भीड़ बड़े ना दर पे ते रे, जो आँ खों में बस जाये
एक बार कें दर्शन से ही , मन की कलियाँ खिल जाये
बस इतना सा प्यार लु टा दें -2, कुछ भी घटता नहीं है
आँ खों में -2,

आँ खों में बस जा मे रे , क्यूँ तू बसता नहीं है ॥2॥


डर है लगता प्यार में ते रे , पागल ना हो जाऊँ
रहँ ू कहीं भी हर पल मै तों ते रा दर्शन पाऊँ
ते रे बिना से वक का गु जारा-2, बाबा चलता नहीं है
आँ खों में -2,

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तर्ज : श्याम नाम की ओढ़ के चादर

कैसे कहँ ू मै ते रा प्रेमी, मै व्यापार चलाता हँ ू ,


तय करता हँ ू कीमत अपनी, भजन बाद में गाता हँ ू ॥

जब तक कृपा हुई ना ते री, दर दर रोज भटकता था,


एक भजन का मौका दें दों , सबके नोहरे करता था ॥
उथल पु थल यें जीवन मे रा , अपना हाल सु नाता हँ ू
तय करता हँ ू कीमत अपनी ........

मिली कृपा की बूंद जो ते री, बार बार दर आने से


शोहरत भी अब मिलने लगी थी, भजन तु म्हारा गानें से
कैसे रं ग चढ़ा है मु झ पर , सबकुछ आज बताता हँ ू
तय करता हँ ू कीमत अपनी ........

बड़े बड़े कीर्तन में जाता , फू लों से स्वागत होता है


हस्ती झठ ू ी दे खके मे री , सच्चा प्रेमी रोता है
प्रेमी ना में कलाकार हँ ू , सबको यें बतलाता हँ ू
तय करता हँ ू कीमत अपनी ........

अब तु मसे बस यहीँ प्रार्थना, इं सान बना रहने दों मु झको,


ना भगवान बनाओ से वक, दास बना रहने दों मु झको ॥
प्रेमी नहीं यें , भाव का भूखा, तु मको यें समझाता हँ ू
तय करता हँ ू कीमत अपनी .....

जय श्री श्याम

भजन तर्ज : श्याम नाम की ओढ़के चादर , मै मस्ती में रहता हँ ू


जीवन की सच्चाई पर आधारित है यें रचना .............

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अहं करें किस बात का कोई , मौत से किसकी यारी है
आज मे री आ सकती है फ़िर,कल तो ते री बारी है ॥

धन दौलत का अहं क्या करना , साथ नहीं वो जाये गी


बिना जे ब की कफन मिले गी, वो भी यही रह जाये गी
अन्त समय ते रे काम ना आये , लूटे दुनियाँ सारी है
आज मे री आ सकती है फ़िर ..............

बल बु दधि् का अहं ना करना , वो भी धरी रह जाये गी


बु रा समय जब भी आये गा, वो भी काम ना आये गी
घे रे किस्मत सभी और से , लगती बड़ी लाचारी है ।
आज मे री आ सकती है फ़िर ...............

यश अपयश बस ते री पूँजी, सदा ही रखना इसका ध्यान


जै सा मान तू दे गा सबको, वै सा ही होगा सम्मान
कर्म ही दे तें न्याय सभी कों, जो जिसका अधिकारी है
आज मे री आ सकती है फ़िर ..............

एक काम बस इतना करना, प्रभु से लौ लगा ले ना


हरी नाम का दीप जलाकर, हरी का ध्यान लगा ले ना
“से वक” गाता नाम प्रभु का,
नाम की महिमा भारी है
आज मे री आ सकती है , फ़िर ......
धन्यवाद

जय श्री श्याम

हमें पता ना हम है बाबा , कितने काम के ।


हमको तो मालूम हम है , नौकर श्याम के ॥

समझदार बनकर के हमने , जीवन अपना गं वाया


पड़ी जरूरत साथ ना हमने , कहीं किसी को पाया
दुनियाँ को पहचाना सब है कितने काम के ।

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हमको तो मालूम हम है , नौकर श्याम के ॥

भीड़ भरी महफिल थी फ़िर भी तन्हाई में पाया


एक आस जगी मनमें किसी नें , ते रा नाम सु झाया
छोड़ जगत का चोला हो गयें ते रे धाम के
हमको तो मालूम हम है , नौकर श्याम के ॥

ते री कृपा से बिन माँ गे ही, खु शियाँ सारी पाते


हर ग्यारस को तनख्वाह ले ने, दर ते रे आ जाते
"से वक" की पहचान अब है , ते रे नाम से
हमको तो मालूम हम है , नौकर श्याम के ॥

तर्ज : अगर तु म घऱ आ जाओ तो घऱ मन्दिर बन जाये

किस मु ख से क्या सोच के बोलू , तु झपे भरोसा श्याम


ते रे चरणों की धूलि नहीं मै ना ही कोई दाम
जो भी हमको मिला है , यें तो ते री कृपा है ॥

नाम लूँ या ना लूँ मै , क्या चिं ता कही है


कितने है भक्त ते रे ' गिनती नहीं है
ते री दया ते रे भक्तों में आ जाता जो नाम
ते रे चरणों की धूलि नहीं मै ना ही कोई दाम॥

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जो भी हमको मिला है , यें तो ते री कृपा है ॥

चार दिन गु ण ते रे गाकर , फू ले ना समाते


सबसे बड़ा हँ ू प्रेमी , सीना हम दिखाते
झुठे अहं मे दज ू ो का ना , हम करतें सम्मान
ते रे चरणों की धूलि नहीं मै ना ही कोई दाम ॥
जो भी हमको मिला है , यें तो ते री कृपा है ॥

से ठों का से ठ है तू, हम है भिखारी


आई मु सीबत कोई , झोली पसारी
भर दे ता तू पल मे झोली , दे देता आराम
ते रे चरणों की धूलि नहीं मै ना ही कोई दाम ॥
जो भी हमको मिला है , यें तो ते री कृपा है ॥

कोई बड़ा ना छोटा, है ते रे आगे


कोई भी मनालें तु झको, प्रेम से रिझाके
“से वक” को भी इन चरणों मे मिल जाये स्थान
ते रे चरणों की धूलि नहीं मै ना ही कोई दाम ॥
जो भी हमको मिला है , यें तो ते री कृपा है ॥
भजन तर्ज : यारों सब दुआ करों
ओ पालनहार तू , मे री सरकार तू, रहना सदा ही - मे रे साथ तू
हो ओ ssss रहना सदा ही मे रे साथ तू ।

1- बिन ते रे मै बाबा बिल्कुल चल ना पाऊँगा


चलने से पहले ही बाबा मै गिर जाऊँगा
चल नही सकता कोई बाबा , बिन कृपा ते री -2
आने में बाबा मत करना अब बिल्कुल दे रीssss
ओ पालनहार तु म, मे री सरकार तु म, रहना सदा ही - मे रे साथ तु म
हो ओ ssss रहना सदा ही मे रे साथ तु म ।

2- जीवन में जब कोई मे रे विपदा आई है


हर विपदा में बना तू बाबा सदा सहाई है
हर विपदा से तूने बाबा सदा बचाया है -2

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आन पड़ी तो हरदम बाबा दौड़ा आया है
ओ पालनहार तु म, मे री सरकार तु म, रहना सदा ही - मे रे साथ तु म
हो ओ ssss रहना सदा ही मे रे साथ तु म ।

3- ते रे दर पे कोई चलकर , खाटू आता है


बिन मां गे ही उसको बाबा सब मिल जाता है
हर "से वक" की तूने हरदम , लाज बचाई है
ते री कृपा ही हमको बाबा खें च के लाई है
ओ पालनहार तु म, मे री सरकार तु म, रहना सदा ही - मे रे साथ तु म
हो ओ ssss रहना सदा ही मे रे साथ तु म ।

तर्ज : पल्ला तू बिछा के दे ख

ताली तू-3 बजा के दे ख , हाँ हाँ दे ख, ते रा भाग्य जगा दें सां वरिया -2

जब जब तू ताली बजाये गा -2, भजनों को सं ग में गाये गा -2


जब जब तू ताली बजाये गा - भजनों को सं ग में गाये गा
किस्मत के -3 बदल दें ले ख, ते रा भाग्य जगा दें सां वरिया
ताली तू-3 बजा के दे ख , हाँ हाँ दे ख, ते रा भाग्य जगा दें सां वरिया -2

ताली जब बजती कीर्तन में -2, तब रं ग चढ़े है जीवन में -2


ये रं ग चढ़ाकर दे ख - हाँ हाँ दे ख, ते रा भाग्य जगा दें सां वरिया
ताली तू-3 बजा के दे ख , हाँ हाँ दे ख, ते रा भाग्य जगा दें सां वरिया -2

ताली कीर्तन जब होता है -2, सां वरिया भी खु श होता है -2


दुखड़े सब -2 दे ता मे ट , हाँ हाँ मे ट, ते रा भाग्य जगादे सां वरिया
ताली तू-3 बजा के दे ख , हाँ हाँ दे ख, ते रा भाग्य जगा दें सां वरिया -2

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“से वक” ये “कृष्ण” ये बताता है -2, ताली तो वो ही बजाता है -2
हो हो करनी -3 जिसकी ने क , हाँ हाँ ने क, ते रा भाग्य जगादे सां वरिया
ताली तू-3 बजा के दे ख , हाँ हाँ दे ख, ते रा भाग्य जगा दें सां वरिया -2

प्रेमी क्यूँ पागल कहलाते ये तो बताओ सां वरे ।


गली गली में घूमते , क्यूँ हम बनके बावरे ॥

जब भी ते रे सामने आते , एक झलक ही पाते है


एक झलक के खातिर ही लाइन में लग जाते है
कितना भी दीदार करे हम , मन नही भरता सां वरे
गली गली में घूमते , क्यूँ हम बनके बावरे ॥

सु बह शाम बस ते री चर्चा , हर पल करते जाते है ,


भूल के सु ध बु ध तन मन की , तु झमें ही रम जाते है ,
ते रे बिना है मन नही लगता , एक पल भी अब सां वरे
गली गली में घूमते , क्यूँ हम बनके बावरे ॥

क्या हस्ती है क्या है मस्ती , नही समझ में आता है


जै सा भी है जो कुछ भी , अच्छा लगता जाता है
इस धु न से ना बहार निकलूँ , ऐसा लगता सां वरे
गली गली में घूमते , क्यूँ हम बनके बावरे ॥

सु नले बे टा बाबा बोले , तु झको में बतलाता हँ ू ।

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सच्चा प्रेम यही है मे रा , सबको ना दे पाता हँ ू
विपिन उन्हें ही मै मिलता , जो बनते मे रे बाबरे
झठू ा प्रेम नही भाये , ऐसा बोले सां वरे
गली गली में घूमते , क्यूँ हम बनके बावरे ॥

तर्ज : हमने अपना नियम निभाया खाटू

ते री से वा मिल जाये जो , जीवन के दिन चार है


तू ही लख-दातार है , बनना से वादार है ॥

काम मिले गा कोई भी, खु शी -2 हम कर लें गे


मानके कृपा ते री हम, सर माथे पर धर लें गे
छोटे बड़े का भे द ना कोई, जानें गे ते रा प्यार है
तू ही लखदातार है , बनना से वादार है ॥

2-
नौकर बनकर ते रे बाबा, रहें गे हरदम साथ है
मालिक मे रा तू होगा, ये किस्मत की बात है
से वा में ते री लगा रहँ ू ये , जीवन की दरकार है
तू ही लखदातार है , बनना से वादार है ॥

3-
बात जो होगी दिल में तो, अर्जी समझ कर कह दें गे
रक्खोगे जिस हाल में , मर्जी समझकर रह लें गे
तू तो बस कह दे ना हम सब, ते रा ही परिवार है
तू ही लखदातार है , बनना से वादार है ॥

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4-
तनख्वाह बस इतनी दे ना , अपना मु झको कह दे ना
नीरस ना मे रा जीवन हो, बस इतनी खु शियाँ दे ना
ते रा "से वक" तु झसे कहता, तू जीवन आधार है
तू ही लखदातार है , बनना से वादार है ॥

तर्ज : बाजा बाजी की ना बाजी

आया बु लावा श्याम धनी का, रहा ना मन काबू


कैसाsss चला दिया, खाटू वालें ने ये जाद ू ...

सोचते थे हम तो कैसी , किस्मत ये पाई है ।


ते रे दर पे क्यूँ ना होती मे री सु नवाई है ॥
झर झर आं स ू बरस रहे , नै नो से बे काबू
कैसाsss चला दिया, खाटू वालें ने ये जाद ू

जाते पड़ोसी सारे , जाते रिश्ते दार है


ते री नजर में क्या हम, इतने बे कार है
हुइ अगर है कोई गलती, हमको समझादों
कैसाsss चला दिया, खाटू वालें ने ये जाद ू

पहले था ना तूने ठाना, जो अब ठाना है


लगता विपिन तू अब तो, हो गया दीवाना है
बार बार अब मु झसे मिलने , आये गा खाटू
ऐसा चला दिया , खाटू वालें ने ये जाद ू

आया बु लावा श्याम धनी का रहा ना मन काबू


ऐसा चला दिया ....

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भजन तर्ज : मै के बोलू बजरं गी

झाड़ा दे दे श्याम धनी , ये मोरछड़ी ते री प्यारी है


भक्तों के सब सं कट काटे , इस दुनियाँ में न्यारी है

इसने क्या काम किये है , कैसे तु मको बतलाऊँ मै


गम को बदला खु शियों में , किस किस का हाल सु नाऊँ में
रोते कों हं साने वाली , फिकर मिटाती सारी है
भक्तों के सब सं कट कांटे

दरवाजा बं द पड़ा था , एक ताला उसपे जड़ा था


और ताला गिरा जमीं पे , एक वार ही उसपे पड़ा था
श्याम बहादुर जी मु स्काये , लाज रखी जो भारी है
भक्तों के सब सं कट काटे

क्या औरो का हाल बताऊँ , जब इन नै नो ने दे खा है


कैसे है मु झे सं भाला , बदली किस्मत की रे खा है
ये विपिन तो ते रा बाबा , जीवन भर आभारी है
भक्तों के सब सं कट काटे

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तर्ज : दीनानाथ मे री बात

ते रे सिवा कौन इस जग में हमारा है ।


तू ही तो है मालिक मे रा तू ही तो सहारा है ॥

ते रे बिना नाव मे री चल नही पाये गी


थामी ना पतवार तो यें बीच डूब जाये गी
तू ही पतवार मे री तू ही तो किनारा है
तू ही तो है मालिक मे रा तू ही तो सहारा है
गिध्द अजामिल तारे , गणिका को तारा है
नरसी और मीरा को भी पार उतारा है
महिमा सु नी है ते री , दीनो का रखवारा है
तू ही तो है मलिक मे रा

पूजा नही पाठ नही , भक्ति ना जानता


तु झको ही जानू ते री, शक्ति को पहचानता
माही-विपिन का बाबा तू ही खे वनहारा है
तू ही तो है मालिक मे रा

तर्ज : मे रा आपकी कृपा से


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होती कृपा ना ते री , ते रे दर पे मै ना आता
गाता भजन ना ते रे , दर्शन ते रे ना पाता ।

फरियाद ले के अपनी , दर दर भटक रहा था


जिस और ले के जाता वो ही झटक रहा था ,
मिटने से पहले मु झको, तु मसा मिला है दाता
गाता भजन ना ते रे , दर्शन ते रे ना पाता ।

यें ते रा कर्म है मु झपे , जो दर पे है बु लाया


बाहों में भरके मु झको , अपने गले लगाया
होता अगर ना ऎसा , मै ठोकरें ही खाता
गाता भजन ना ते रे , दर्शन ते रे ना पाता ।

वीरों में वीर हो तु म और शीश के हो दानी


करतें कृपा की बारिश , तु मसा ना कोई सानी
ते री दया से मे रा परिवार , फलता जाता
गाता भजन ना ते रे , दर्शन ते रे ना पाता ।

औकात क्या थी मे री , ते रे भजन जो गाता


स्वर को ना साज मिलता, तु झको अगर ना भाता
रहना निभाते हरदम कृष्ण-विपिन से नाता
गाता भजन ना ते रे , दर्शन ते रे ना पाता ।
बाबा कें चरणों में समर्पित एक भक्त की बाबा से दिल की बात और
बाबा का अपने प्रेमी कों बहुत ही प्यारा सा सं देश दे ता हुआ यें
भजन पु ष्प

तर्ज : बे वफा ते रा मासूम चे हरा

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से वक भजन
सार :
ते री कृपा का यें आलम , आज मै सु नाता हँ ू ,
जो दे खा है जलवा ते रा वो, आज मै सु नाता हँ ू ।
भूलें रहें कृपा कों ते री , चलती रही जब नाव मे री
फंसी तो फ़िर क्यूँ बचाई है तूने, आज सब बताता हँ ू ॥

भजन :

ते रे दर का भिखारी हँ ू बाबा , अपने चरणों से मु झको लगालो ।


मैं ने खाई है दर दर से ठोकर , अब तो तु म-ही गले से लगालो ॥

याद आई ना बिल्कुल भी ते री , नाव जब यें चली जा रही थी -2


जब भँ वर में यें आकर फंसी है , कहता आकर तु म्ही अब सं भालो
ते रे दर का भिखारी हँ ू बाबा .......

माना नादाँ हँ ू गलती है मे री , अपनी हस्ती में डूबा हुआ था -2


जै सा भी हँ ू मै बालक हँ ू ते रा , आके अब तु म भँ वर से निकालो
ते रे दर का भिखारी हँ ू बाबा ......

बातें सु नकर वो हँ सकर कें बोला , भूल कोई ना दिल में हँ ू रखता -2
दौड़ा आऊँगा सु न मे रे "से वक" , सच्चे दिल से मु झे तु म बु लालो
ते रे दर का भिखारी हँ ू बाबा......

भजन तर्ज : कैसी आई इस दुनियाँ पे , बाबा यें सं कट की घड़ी

दीनबं धु हो हम दीनो के, दीनानाथ कहाते हो ।


बन के मांझी हम दीनो की, तु म ही नाव चलाते हो

मैं मैं करती, खु श हो दुनियां , अपनी मैं में खोती है


सु ख में जो ना याद करे वो, दुःख में अपने रोती है
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से वक भजन
याद करें जो सु ख में तु मको, हरपल साथ निभाते हो

क्या राजा क्या रं क हो प्रेमी , भे द नही तु म करते हो


जिसकी जै सी होती श्रद्धा, वै सी झोली भरते हो
सच्चे मोती को चु नकर के, मिथ्या अहं भगाते हो ।
दीनबं धु हो हम दीनों के......

मतलब के कुछ लोग जहां पर, क्या क्या खे ल रचाते है


मतलब पर वो बनते प्रेमी, बाद में पीठ दिखाते है
से वक के तु म बनते सहारे , झठ
ू ों को बिसराते हो ।
दीनबं धु हो हम दीनो के, दीनानाथ कहाते हो

ये खूब करिश्मा बाबा, तूने कैसा कर डाला


सब काम है किये है तु मने , और नाम मे रा कर डाला

कैसे कर्म है मे रे बाबा, किसको क्या बतलाऊँ


झठू ी दुनियां झठ
ू ा चे हरा किसको क्या दिखलाऊँ
फिर भी मान बढ़ाया मे रा -2 कैसा खे ल निराला
सब काम किये है तूने और नाम मे रा कर डाला....

नाम दाम के फेर में बाबा, जीवन सारा गु ज़ारू

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से वक भजन
पड़े जरूरत शर्म करूँ ना, सबकी खाल उतारू
फिर भी ते रा जाद ू दे खो, (लोग)मु झे कहें दिलवाला...

रहँ ू फंसा चौरासी चक्कर ,चक्कर खूब चलाऊँ


थोड़ा करके ज्यादा का, आडम्बर खूब रचाऊँ
ते री पूजा में भी बाबा, (ते रे कीर्तन में भी बाबा) करता हँ ू घोटाला
सब काम किये है तूने, नाम मे रा

एक बात तो सच है बाबा, जै सा भी हँ ू ते रा
तु झको हरदम मालिक माना, खु द को "से वक" ते रा
इसीलिये खु शियों को तूने, जीवन मे भर डाला
सब काम किये है तूने......

भजन तर्ज : पकड़लो हाथ बनबारी

नाम भज खाटू वाले का, कृपासिं धु ये न्यारे है


नाम भज मु रली वाले का, कृपासिं धु ये न्यारे है ।
लु टाते प्यार वो अपना, जो बनते इनके प्यारे है ।।2।।

आडम्बर है नही भाता, प्रेम के मोल बिकते है -२


लोक अपने लु टा दे ते, है सबकुछ वो लु टा दे ते
लोक अपने लु टा दे ते, दो मु ट्ठी चावल प्यारे है ।।2।।
नाम भज खाटू वाले का ...........................

ना भाती अहं की मे वा , विदुर के छिलके खाते है -2

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से वक भजन
मीले जो प्रेम शबरी सा, मीले जो त्याग शबरी सा
मीले जो प्रेम शबरी सा , बे र झठ
ू े भी प्यारे है ।।2।।
नाम भज खाटू वाले का ...........................

ना जप तप है इन्हें भाता, ते रे आँ स ू ही काफी है


ये दौड़े है चले आते , नही ये रुक नही पाते
ये दौड़े है चले आते , जो कहते हम तो हारे है ।।2।।
नाम भज खाटू वाले का ..............................

क्या दोगे तु म जरा सोचो , शीश जो दान में दे ता


भाव रख सच्चे ''से वक'' तू , भाव कर निर्मल अपने तू
भाव रख सच्चे ''से वक'' तू, भाव ही इनको प्यारे है ।।2।।
नाम भज खाटू वाले का .................................

तर्ज : तु झे सूरज कहँ ू या चं दा

तू नीले घोड़े वाला , हम दीनो का रखवाला


हारे का सहारा है तू , कहलाता खाटू वाला
ॐ श्री श्याम दे वाय नमः -2-2

था दर दर मारा फिरता , जब तक ना तु झको पाया


ना आस बची इस मन में , इस जग नें इतना रुलाया
जब हार रहा था जीवन , तब आकर तूने सं भाला
हारे का सहारा है तू कहलाता खाटू वाला

जब तु झसे मे ल हुआ तो , यें जीवन बदला मे रा


जीवन में खु शियाँ आई और छं ट गया दरू अँ धेरा
पालक तू बन गया ऐसा, जै से पिता नें हमको पाला

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से वक भजन
हारे का सहारा है तू कहलाता खाटू वाला

कोई यार कहें तु झे अपना , कोई अपना प्रीतम प्यारा


मे रे तो मात पिता हों , मे रे जीवन का सहारा
से वक यें नै या ते री , तू नाँ व चलाने वाला
हारे का सहारा है तू कहलाता खाटू वाला

तर्ज : मिलती है जिं दगी में . . .

महिमा को क्या मै गाऊँ , महिमा दिखा रहा हँ ू


कोई हुनर नहीं मु झ मै , फ़िर भी मै गा रहा हँ ू
महिमा को क्या मै गाऊँ .........

सु नता नहीं है इस जग में , बातें कोई किसी की


अपने अहं में डूबे है , जरूरत नहीं किसी की
फ़िर भी तु म बै ठे सामने , तु मको सु ना रहा हँ ू
महिमा को क्या मै गाऊँ ......

ज्ञानी है सारे इस जग में , माने ना वो किसी की


अच्छा बु रा मै क्या जानू , समझू मै क्यूँ किसी की
हामी तु म फ़िर भी भरते हों, जो भी बता रहा हँ ू
महिमा को क्या मै गाऊँ........

लड़ते है छोटी मोटी सी , थोड़ी सी बात में

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से वक भजन
गलती किसी की सहते ना , कोई हालात में
से वक को प्रेम दे तें हों , जबकी सता रहा हँ ू
महिमा को क्या मै गाऊँ ....

दो तरह के भक्त होते है भोले भाले , निश्छल भाव के , जो अपनी विनती को बहुत ही सीधे तरीक़े से बाबा को सु ना दे ते है , जै से की
आदरणीय चं दर् शे खर लहरी जी ने लिखा और बहन उमा लहरी जी ने गाया है ....
बाँ ह पकड़ले साँ वरा कही छट
ू ना जाये ,
जग माया के इस दरिया में डू ब ना जाये

या फिर भै या राज मित्तल जी ने लिखा और श्याम जगत की लाडली मे री प्रिय बहन आरती शर्मा जी ने गाया है
हार गया मैं साँ वरा, मु झे तू ही सं भाले
बीच भँ वर में फंसी है नै या, तू ही निकाले

और कुछ चालू टाइप के होते है मे रे जै से जो बाबा को घु मा फिराकर अपनी विनती को विश्वास का नाम दे कर ऐसे सु नाते है कि बाबा को
वो विनती, वो विश्वास अपनी जिम्मे दारी नजर आये ........

तर्ज - बाँ ह पकड़ले सां वरे .......


ना हारने दे गाSSS - है पता, फिर क्यों घबराऊँ
रो रोकर दुनियां के आगे -2 क्यों आँ ख भिगाउँ , ना हारने दे गा है पता.........

रोने से दुनियां के आगे , उड़ती हं सी है


ते रे भरोसे जो हो नै या, वो ना फंसी है
भूल के तु झको अपनी नै या, आप डुबाऊँ
ना हारने दे गाSSS - है पता, फिर क्यों घबराऊँ

द्रोपती अपनी जब पांडव थे , जु ये में हारे


शीश झुकाकर बै ठे थे , सारे के सारे
चीर छोड़कर बोली कन्है या, तु झे बु लाऊँ
ना हारने दे गा है पता, फिर क्यूँ घबराऊँ

गिध्द अजामिल गज और गणिका, कितने सारे


तै र गये ते रे नाम को ले कर, जब वो हारे
कितनों को तूने पार किया है , क्या मैं बताऊँ
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से वक भजन
ना हारने दे गा है पता ........

इस कलियु ग में , इस से वक को, ते रा सहारा


साथ दिया है हरपल तूने, जब भी पु कारा
खु शियां तु झसे सारी मिली है , शु क्र मनाऊँ
ना हारने दे गा है पता..........

एक दों - तीन चार , बाबा ते री जयजयकार


पाँच छः सात आठ , बाबा ते रे कितने ठाठ
नों दस ग्यारह बारह , हम है बाबा ते रे सहारे
ते रह चौदह पं दर् ह सोलह , आओ हम बाबा कें होले
सत्रह अठारह उन्नीस बीस , बाबा हमको दें आशीष ।
इक्की बाई ते ईस चौबी, बाबा ते री कृपा होगी
पच्ची छब्बी सत्ताई अठाइ, बाबा ते री अलख जगाई
उनती तीस इकती बत्ती, बाबा हमको दे ना शक्ति
तैं ती चौंतीस पैं ती छत्ती, ते रे नाम की चढ़ गई मस्ती
सै ती अड़ती उनताली चालिस , मे रे जीवन का तू मालिक

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से वक भजन

हर खु शी मिल रही है , ते रा नाम ले ते ले ते


हर काम हो रहा है , ते रा नाम ले ते ले ते

दे दी तूने सारी जो खु शियां , क्या-क्या में उनको बताऊं


आलम ये ते री कृपा का, क्या-क्या मैं तु मको सु नाऊँ
क्या है दिल मे , तु म्हें क्या कहँ ू
तू है रहता, जहाँ मैं रहँ ू
ते रा साथ मिल रहा है ते रा नाम ले ते ले ते
ते रा सं ग मिल रहा है ते रा नाम ले ते ले ते
हर काम हो रहा है ते रा नाम..................

गु मनाम था मे रा जीवन, पहचान तु मसे मिली


निकला अं धेरो से जब में , जीवन की कलियाँ खिली
जीवन था भटका, नही थी खबर
क्या होता तू मु झसे , ना मिलता अगर
अब सब मिल रहा है , ते रा नाम ले ते ले ते
सब कुछ मिल रहा है
हर काम हो रहा है .......................

शु क्र मनाऊँ मैं ते रा, जो भी तूने मु झको दिया


रखना सदा यूँही हरदम, 'से वक' पे अपनी दया
आनन्द बरसे है मन मे मे रे
रखना सदा ही, सं ग में ते रे
कृपा मिल रही है ते रा नाम ले ते ले ते

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से वक भजन
हर काम हो रहा है ..................
[21:52, 6/12/2020] Clubdeals Realty:

ते रे हाथों में मे री, जिं दगी का पन्ना है


ताउम्र लिखदे से वा, मे री तमन्ना है
ताउम्र लिखदे से वा, दिल की तमन्ना है

अब से वक की किताब दे खिये उसमे क्या क्या है ........


पहला पन्ना मात पिता का, जिसने मु झको पाला
दज ू ा पन्ना गु रुदे व का, ते री शरण मे डाला
ते रे नाम से सब बाकी, जीवन को रं गना है
ताउम्र लिख........
बाबा के हाथों में बाकी के पन्ने सौपने के बाद से वक कहता है .........
कोरी-ना रह जाये मे री, जो ये किताब है
मे रे परिवार का भी, इसमें हिसाब है
ते रे ही भरोसे मे री, नै या को चलना है
ताउम्र लिखदे से वा मे री...........
माता पिता, गु रुदे व और परिवार के बाद , से वक अपने कर्मो की
सफाई कैसे दे ता है .......
पाप पु ण्य की जो ये भाषा, मु झको समझ ना आती
किस्मत जो ते रे हाथों में , सारे खे ल रचाती
लिखदे कलम से अपनी, जो तु झे लिखना है
ताउम्र लिख दे .....
और जब कलम बाबा के हाथ मे हो तो से वक क्या बोल रहा है ........
सु ख चाहे , दुःख है लिखना, सब ते रे हाथ मे
मे री तमन्ना बाबा, रहना तू साथ मे
"से वक" को ते रा बाबा , बस अब बनना है
ताउम्र लिख दे से वा......
[21:56, 6/12/2020] Former GR Vipin: मु झे बु लाले रे श्याम तू,

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मु झे बु लाले रे
रुठया सा कईयां , बै ठ्या है तू मु झे बु लाले रे
मु झे बु लाले रे ...........

कोई जावे वृ न्दावन, और कोई खाटू धाम


कही पे होती राधे राधे , कही पे जय जय श्याम
करुणा के, दोनो धाम, श्याम तू मु झे बु लाले रे ।2।
मु झे बु लाले रे .................

वृ न्दावन में बचपन बीता, खाटू प्रगटाया


चमत्कार कैसा कलियु ग में , तूने दिखलाया
ते री माया, का ना पार है कोई, मु झे बु लाले रे
मु झे बु लाले रे ........

कृष्ण बने द्वापर में तु मने , शीश का दान लिया


कलियु ग में ते रे नाम से पूजा, ये वरदान दिया
रटती है , दुनियां श्याम श्याम, तू मु झे बु लाले रे
मु झे बु लाले रे ..........

वृ न्दावन में राधे श्याम तू, खाटू लखदातार


कही भी जाता कोई प्रेमी, होता बे ड़ा पार
से वक के, तारणहार, श्याम तू मु झे बु लाले रे
मु झे बु लाले रे ..............

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से वक भजन

खु शियों से झोली , ते री भर जाये गी


सोइ हुई तकदीर, ते री जग जाये गी
सच्चे मन से , आते रहना तू दर पे
ना जाने कब कृपा तु झपे हो जाये गी ।
खु शियों से झोली , ते री भर जाये गी ।।

शीश के दानी के जै सा, ना कोई दिलदार


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से वक भजन
खाटू वाला श्याम ही है , कलियु ग का अवतार
बे सहारे दीनदुखियों से करता है प्यार
ऐसे मे रे मालिक का , तु म ले लेना आधार। ।
तार से तार ते री जिस दिन जु ड़ जाये गी
सोइ हुई तकदीर, ते री जु ड़ जाये गी ।।
खु शियों से झोली , ते री भर जाये गी

हो नहीं विश्वास तो , खाटू आकर दे खो


हाले दिल अपना सु नाकर, तु म अपना दे खो
सबका काम बना है ते रा, भी बन जाएगा
ये विशवास ते रे दिल में , जिस दिन जग जाएगा
उस दिन से गिनती शु रू , हो जाये गी।।
खु शियों से झोली , ते री भर जाये गी

लाखों की तकदीर को, इसने सं वारा है


हारने ना दे ता , दे ता सदा सहारा हैं
कितनो की नै या की इसने पार उतारा है ,
इस ''से वक'' के जीवन का ये खे वनहारा हैं ।।
जिस दिन से ये सोच ते री बन जाये गी
खु शियों से झोली , ते री भर जाये गी

पम्पासर के घाट घाट पर, शबरी दे खे बाट, राम मे रे आ जाओ ।2।


राम मे रे आ जाओ, राम मे रे आ जाओ ।।2।।
पम्पासर के घाट घाट पर शबरी दे खे बाट, राम मे रे आ जाओ ।।

अपने राम जी को, कहाँ मैं बिठाऊँ, कहाँ मै बिठाऊं ।।२,।।


टू टा फू टा खाट-खाट पर, बिछा पु राना टाट, राम मे रे आ जाओ ।।
२।।
राम मे रे आ जाओ, राम मे रे आ जाओ ।।२।।
पम्पासर के घाट घाट पर शबरी दे खे बाट, राम मे रे आ जाओ ।।

अपने राम जी के, चरण पखारूँ, चरण पखारूं ।।२।।

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से वक भजन
नै नन से बहते नीर, नीर है सु रसर जै से तीर, राम मे रे आ जाओ ।।
२।।
राम मे रे आ जाओ, राम मे रे आ जाओ ।।२।।
पम्पासर के घाट घाट पर शबरी दे खे बाट, राम मे रे आ जाओ ।।

अपने राम जी को, क्या मैं खिलाऊँ, क्या मै खिलाऊं।।२।।


छोटे छोटे पे ड़-पे ड़ पर, लगे सु नहरे बे र, राम मे रे आ जाओ ।।२।।
राम मे रे आ जाओ, राम मे रे आ जाओ ।।२।।
पम्पासर के घाट घाट पर शबरी दे खे बाट, राम मे रे आ जाओ ।।
अपने राम जी को क्या मै पिलाऊं, क्या मै पिलाऊं
माँ कपिला का दुध - दध ू में पड़ी मलाई खूब, राम मे रे आ जाओ ।।
2।।
राम मे रे आ जाओ, राम मे रे आ जाओ ।।2।।
पम्पासर के घाट घाट पर शबरी दे खे बाट, राम मे रे आ जाओ ।।

अपने राम जी को, कहाँ मैं झुलाऊँ, कहाँ मैं झुलाऊँ।।2।।


छोटी डाली आम -आम पर, झल ू े सीता राम, राम मे रे आ जाओ ।।
2।।
राम मे रे आ जाओ, राम मे रे आ जाओ ।।2।।
पम्पासर के घाट घाट पर शबरी दे खे बाट, राम मे रे आ जाओ ।।

अपने राम जी को, कैसे रिझाऊँ, कैसे रिझाऊँ ।।2।।


दीन हीन मोहे जान-जान ना भक्ति कोई ज्ञान, राम मे रे आ जाओ ।।
2।।
राम मे रे आ जाओ, राम मे रे आ जाओ ।।2।।
पम्पासर के घाट घाट पर शबरी दे खे बाट, राम मे रे आ जाओ ।।

टू टा फू टा खाट-खाट पर, बिछा पु राना टाट, राम मे रे आ जाओ ।


नै नन बहते नीर-नीर है सु रसर जै से तीर, राम मे रे आ जाओ ।
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छोटे छोटे पे ड़-पे ड़ पर, लगे सु नहरे बे र, राम मे रे आ जाओ ।
माँ कपिला का दुध - दध ू में पड़ी मलाई खूब, राम मे रे आ जाओ ।
छोटी डाली आम -आम पर, झल ू े सीता राम, राम मे रे आ जाओ ।
दीन हीन मोहे जान-जान ना भक्ति कोई ज्ञान, राम मे रे आ जाओ ।
पम्पासर के घाट घाट पर, शबरी दे खे बाट, राम मे रे आ जाओ ।2।
राम मे रे आ जाओ, राम मे रे आ जाओ ।।2।।

तर्ज : अयोध्या करती है आह्वाहन


अयोध्या की लौटी है शान , बने गा मं दिर आलिशान
हुयी थे जो इस पर बलिदान -२ पु रे हो गए हैं अरमान
अयोध्या की लौटी है शान , बने गा मं दिर आलिशान

राम भक्तों ने अपना फर्ज निभाया है


वादा जो किया था उसे करके दिखाया है
राम के विरोधी करते , आज भी विलाप हैं जय जय राम
राम के विरोधी करते आज भी विलाप हैं
मनाता ख़ु शी है हिन्दुस्तान ,
अयोध्या की लौटी है शान , बने गा मं दिर आलिशान

राम जी ने दे खो , किया कैसा कमाल है


नीचे बने मं दिर , ऊपर रफाल है
दुश्मन पे बनके जो मं डराता काल है जय जय राम
दुश्मन पे बनके जो मं डराता काल है
आज फिर नाचे हनु मान
अयोध्या की लौटी है शान , बने गा मं दिर आलिशान

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से वक भजन
दिन पांच अगस्त का , शु भ कहलाये गा
"से वक" श्री राम का दीप जलाएगा
ध्वजा भगवा , घर घर लहराएगा , जय जय राम
ध्वजा भगवा , घर घर लहराएगा
होगी जय जय जय श्री राम
अयोध्या की लौटी है शान , बने गा मं दिर आलिशान

नगरी हो अयोध्या सी,रघु कुल सा घराना हो


चरन हो राघव के,जहा मे रा ठिकाना हो

लक्ष्मण सा भाई हो,कौशल्या माई हो


स्वामी तु म जै सा मे रा रघु राई हो
नगरी.......

हो त्याग भरत जै सा,सीता सी नारी हो


लव कुश के जै सी सन्तान हमारी हो
नगरी........

श्रद्धा हो श्रवण जै सी,शबरी सी भक्ति हो


हनु मान के जै से निष्ठा और शक्ती हो
नगरी.......

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से वक भजन

याहा पे जन्मे , याहा रहे , मे रे अवध पूरी के राम


आओ मिल के वही करे , भव मं दिर का निर्माण
बोलो राम, जय जय राम, सिया राम, जय जय राम

एक एक पत्थर पे इट पे , राम नाम लिखवाये ,


मं दिर के कोने कोने पे , राम ध्वजा लहराए,
बने अयोध्या नगरी जग, में इक सुं दर सा धाम
आओ मिल के वही करे , भव मं दिर का निर्माण
बोलो राम, जय जय राम, सिया राम, जय जय राम

राम नाम के दीवाने , सब नत मत्सक हो जाए


जनत से भी प्यारा, धरती पे ये , स्वर्ग बनाये
राम नाम के जय कारो से गूंजे, सकल जहान
आओ मिल के वही करे , भव मं दिर का निर्माण
बोलो राम, जय जय राम, सिया राम, जय जय राम

राम नाम का अमृ त ऐसा, जो पिए मु स्काये


राम नाम का पत्थर भी, सागर जल पे तर जाए
केवल यो भी शरण में आये , HO जाता कल्याण,
आओ मिल के वही करे भव मं दिर का निर्माण
बोलो राम जय जय राम सिया राम जय जय राम

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उच्च नीच का भे द न कोई राम ने ये सिखलाया,
भीलने से खाए वे र और खे वट को गले लगाया,
शिकवे गिले मिटा दो केवल विधि का यही विधान
आओ मिल के वही करे भव मं दिर का निर्माण
बोलो राम जय जय राम सिया राम जय जय राम

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