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जय जय जगदं बे | ी अंबे | रे णक ु े क पकदं बे || ध ृ ||

अनपु म व पाची | तझ ु ी घाट | अ य नसे या स ृ ट | तझ ु सम प दस ु रे | परमे ट ॥


क रती झाला क ट | शशी रसरसला | वदनपट ु | द य सल ु ोचन ट | सव ु ण र नां या ॥
शर मकु ु ट लोपती | र वशशी कोट | गजमख ु ी तज ु त वले | हे रंभे मंगल सकलारभे ॥ जय जय
॥ १॥
कुमकुम शर शोभे | मळवट | क तरु तलक ललाट | ना सक अ त सरळ | हनव ु ट ||
चीरामतृ रस ओठ | समान जणू लव या | धनकोट | आकण लोचन क ु ु ट | शशी नत भांग वळी| उपराट ॥
कनाटकाची घाट | भज ु ग
ं नीळरं गा | पर शोभे वे ण ी पाठ वर शोभे ॥जय जय ॥ २ ॥

कंकणे कनकाची | मनगट | द य मंु या | दश बोट बाजब ू दं नगे | बाहुबट ॥


चचनी
ु के शर उट | सगु ं ध प ु पानचे हार कं ठ | बहु मो यां च ी दाट | अंगी नवचोळी | जर काठ ॥
पीत पतांबर तगट | पैजन पदकमल | अ त शोभे | मर धावती लोभे || जय जय ॥३ ॥

सा प तू तजा | तळवट | तज
ु वये जगजेठ | ओवाळीन आरती |द पताट ॥
घेउनी कर समपु ट | क णामतृ हुदयी | संक ट | धावती भ तांसाठ व णू सदा | बहु क ट ॥
दे शील जर नीजभेट | तर मग काय उणे | या लाभे | धाव पाव अ वलंबे ॥जय जय ॥ ४ ॥

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