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गु गोरखनाथ शाबर मं

दोहा

ी गणप त गु गौरी पद मे स हत ध र माथ।


चालीसा वंदन करो ी शव भैरवनाथ॥

ी भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल।


याम वरण वकराल वपु लोचन लाल वशाल॥

जय जय ी काली के लाला। जय त जय त काशी- कुतवाला॥


जय त बटु क- भैरव भय हारी। जय त काल- भैरव बलकारी॥
जय त नाथ- भैरव व याता। जय त सव- भैरव सुखदाता॥
भैरव प कयो शव धारण। भव के भार उतारण कारण॥
भैरव रव सु न हवै भय री। सब व ध होय कामना पूरी॥
शेष महेश आ द गुण गायो। काशी- कोतवाल कहलायो॥
जटा जूट शर चं वराजत। बाला मुकुट बजायठ साजत॥
क ट करधनी घुंघ बाजत। दशन करत सकल भय भाजत॥
जीवन दान दास को द ो। क ो कृपा नाथ तब ची ो॥
व स रसना ब न सारद- काली। द ो वर रा यो मम लाली॥
ध य ध य भैरव भय भंजन। जय मनरंजन खल दल भंजन॥
कर शूल डम शु च कोड़ा। कृपा कटा सुयश न ह थोडा॥

जो भैरव नभय गुण गावत। अ स नव न ध फल पावत॥


प वशाल क ठन ख मोचन। ोध कराल लाल ं लोचन॥
अग णत भूत ेत संग डोलत। बम बम बम शव बम बम बोलत॥
काय काली के लाला। महा काल के हो काला॥
बटु क नाथ हो काल गंभीरा। ेत र अ याम शरीरा॥
करत नीन ं प काशा। भरत सुभ न कहं शुभ आशा॥
र न ज ड़त कंचन सहासन। ा चम शु च नम सुआनन॥
तुम ह जाइ का श ह जन याव ह। व नाथ कहं दशन पाव ह॥
जय भु संहारक सुन द जय। जय उ त हर उमा न द जय॥
भीम लोचन वान साथ जय। वैजनाथ ी जगतनाथ जय॥
महा भीम भीषण शरीर जय। य बक धीर वीर जय॥
अ नाथ जय ेतनाथ जय। वाना ढ़ सयचं नाथ जय॥
न मष दगंबर च नाथ जय। गहत अनाथन नाथ हाथ जय॥
ेशलेश भूतेश चं जय। ोध व स अमरेश न द जय॥
ी वामन नकुलेश च ड जय। कृ याऊ क र त च ड जय॥
बटु क ोधेश कालधर। च तु ड दश पा ण ाल धर॥
क र मद पान श ु गुणगावत। च सठ यो गन संग नचावत॥
करत कृपा जन पर ब ढं गा। काशी कोतवाल अड़बंगा॥

दे यं काल भैरव जब सोटा। नसै पाप मोटा से मोटा॥


जनकर नमल होय शरीरा। मटै सकल संकट भव पीरा॥
ी भैरव भूत के राजा। बाधा हरत करत शुभ काजा॥
ऐलाद के ख नवारयो। सदा कृपाक र काज स हारयो॥
सु दर दास स हत अनुरागा। ी वासा नकट यागा॥
ी भैरव जी क जय ले यो। सकल कामना पूरण दे यो॥

दोहा

जय जय जय भैरव बटु क वामी संकट टार।


कृपा दास पर क जए शंकर के अवतार॥

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