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Óñ Óñ Óñ ÓÑìÓñƒÓÑÇ ÓñòÓÑÇ Óñ Óñ Óññ
Óñ Óñ Óñ ÓÑìÓñƒÓÑÇ ÓñòÓÑÇ Óñ Óñ Óññ
मेरा नाम गौरव कुमार है , मैं नॉएडा में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में ऊँचे पद पर काम
करता हूँ। मेरी दोस्ती तो कई लड़कियों से हुई लेकिन ज्यादा कुछ नहीं हो पाया। एक
लड़की मेरी ही कंपनी में एक इंजिनियर थी, उसका नाम शानू था और शायद वो मेरी
सबसे अच्छी दोस्त थी, वो मेरा बहुत ध्यान रखती थी जिससे मेरी अच्छी दोस्ती हो गई
थी और शायद वो भी मुझे चाहने लगी थी लेकिन पहले तो मेरी उस पर ऐसी कोई नज़र
नहीं थी लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे ही मेरा आकर्षण भी उसकी तरफ
बढ़ता चला गया क्योंकि मैं भी अकेला ही रहता था।
फिर एक दिन मुझे पता चला कि दो दिन बाद कंपनी की होली के त्यौहार की छुट्टी है
और कंपनी में पार्टी है तो मैंने सोचा कि हो सकता है इस दिन का कुछ फायदा मुझे
मिल जाये और वो दिन आ ही गया।
कंपनी की पार्टी रात को दे र से ख़त्म हुई, मैं कंपनी से गाड़ी निकल ही रहा था कि पीछे
से आवाज़ आई। मैंने पीछे मुड़कर दे खा तो शानू मेरे पीछे थी। मेरे तो जैसे दिल की
मुराद ही पूरी हो गई।
वो मेरे पास आई और पछ
ू ा- कहाँ जा रहे हो?
मुझे तो लगा कि जैसे मेरी हर मुराद परू ी हो गई हो। मैं उसे लेकर जैसे ही कंपनी से
निकला और वो मुझे दे ख कर हं सने लगी। मैं उसका इशारा समझ गया। मैंने उससे
पछ
ू ा - तम
ु कहाँ जाओगी?
तो उसने कहा - मेरी एक सहे ली यहाँ नजदीक ही रहती है , मैं वहाँ चली जाऊँगी।
तो मैंने कहा - मुझे कोई परे शानी नहीं है , तुम मेरे साथ रुक सकती हो।
अब ड्रेस बदल कर मैंने उसे ड्रेस बदलने के लिए अपना लोअर और टीशर्ट दे दिया। वो
जैसे ही ड्रेस बदल कर बाहर निकली, मैं उसको दे खता ही रह गया। वो उन कपड़ों में
क्या क़यामत लग रही थी। वो बाल झटक कर बैठ गई। मुझ पर तो जैसे उसका नशा
सा छाने लगा। मैं बस उसे दे खता ही जा रहा था।
मैंने कहा- आज तम
ु बहुत खब
ू सरू त लग रही हो। जैसे कोई परी आसमान से धरती पर
अभी अभी उतरी हो !
वो जैसे ही कपड़े उठाने के लिए आगे बढ़ी मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच
लिया और अपनी बाँहों में दबोच लिया।
वो मझ
ु से छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन नाकामयाब रही। मैंने उसे अपनी तरफ
घम
ु ाया और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। उसने इसका अबकी बार कोई विरोध
नहीं किया। लगभग दस मिनट तक मैं उसके होठों का रसपान करता रहा, वो भी मेरा
पूरा साथ दे रही थी। उसने अपने हाथों की पकड़ मुझ पर बढ़ा दी थी। मैं अब समझ
चक
ु ा था कि दे र करना ठीक नहीं है , लोहा गर्म है और चोट मारना ठीक है ।
फिर धीरे धीरे से उसको सीधा किया और तब मैं उसके गप्ु तांगों को छू रहा था। उसने
मेरा हाथ पकड़ लिया और मझ ु े कहा - आज तक मैं कंु वारी हूँ ! मझ
ु े आज तक किसी ने
छुआ तक नहीं है । आज मैं अपने आप को आप को सौंप रही हूँ क्योंकि मैं आपको प्यार
करती हूँ।
मैंने कहा- प्यार तो मैं भी तम् ु हें करता हूँ इसलिए आज तम् ु हारे साथ हूँ लेकिन जैसे
तम्
ु हें पता है मैं शादी शद
ु ा हूँ, मैं सिर्फ तम
ु से प्यार कर सकता हूँ, तम्
ु हें अपनी जिन्दगी
में कोई जगह नहीं दे सकता, तम
ु सिर्फ मेरे दिल में रहती हो।
उसने कहा- मुझे पता है , मैं आपकी जीवन साथी नहीं बन सकती, इसलिए आज मैं
अपने आप को आपके हवाले कर रही हूँ, अगर जिन्दगी मैं कहीं दब
ु ारा मिले तो हम एक
दस
ू रे को नहीं भूलेंगे।
फिर मैंने उसकी चूत को छुआ, उसकी चूत से पानी निकल रहा था। मैं उसको और गर्म
करना चाहता था। फिर धीरे धीरे उसका लोअर भी उतार दिया और मैं उसकी चूत को
सहला रहा था।
मैंने भी दे र न करते हुए अपने सारे कपड़े उतरवा दिए और अपना लंड उसके हाथ में
थमा दिया।
मैंने उसे सीधा करके लेटा दिया और अपने लंड महाराज को उसकी चूत पर रखा और
हल्का सा अंदर डालने की कोशिश की।
जैसे ही मुझे लगा कि उसका दर्द कुछ कम हुआ, मैंने एक झटका और लगा दिया और
उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे। तब मुझे एहसास हुआ कि वो सच में आज तक
कंु वारी है ।
मैं उसे धीरे से सहला रहा था। फिर मैंने थोड़ी दे र में एक और जोर का झटका लगा
दिया और लंड अन्दर तक चला गया। जैसे ही लण्ड पूरा अन्दर गया।
वो रोने लगी और उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे। फिर मैं थोड़ी दे र तक रुका ताकि
उसका दर्द कम हो जाये और ऐसा ही हुआ।
थोड़ी दे र बाद उसे मज़ा आने लगा और वो भी चूतड़ उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी
और कह रही थी- और जोर से चोदो ! और जोर से ! फिर न जाने कब मौका मिले !
इसलिए मैं आज जी भर के चुदना चाहती हूँ।
मैं उसे जोर जोर से चोद रहा था, परू े कमरे में पच्च-पच्च की आवाज़ आ रही थी।दस
मिनट बाद वो झड़ने वाली थी, उसने कहा- मैं तो गई।
और एक दम से ढीली पड़ गई। मैं जोर जोर से धक्के लगा रहा था और पंद्रह मिनट
बाद भी मैं झड़ने लगा था।मैंने कहा- क्या करूँ? कहाँ छोड़ूँ?
उसने कहा- अंदर ही छोड़ दो जिससे मेरी चूत को शांति मिल जाये।
मैंने अंदर ही सारा माल निकाल दिया, फिर मैंने उसे रात में उसे पांच बार चोदा, फिर
हम थोड़ी दे र सो गए और जैसे ही सुबह उठे तो उसने कहा- आज कंपनी जाने का दिल
नहीं कर रहा।
और मैंने और उसने ऑफिस में फ़ोन कर दिया, फिर नहा-धोकर खाना खाया और फिर
दिन और रात में चद
ु ाई में लगे रहे ।