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ग्रेट गोल्डेन जिम और ब्यूटी पार्लर

संकर्न और हिन्दी फान्ट – jaunpur

र्ेखक: हद ग्रेट वाररयर

***** *****20 मार्च 2011


दोस्तों, सब से पहले यह बता दूँ की मेरी कहानी के सारे नाम, धमच, जातत, उम्र, घटनायें वगैरा-वगैरा सब नकली
और काल्पतनक हैं। इनका ककसी भी वास्तववकता से कोई भी तालक
ु नहीीं है और यह कहानी ससर्च मजे के सलए
सलखी गई है । इस कहानी के साथ सम्ममसलत ककए गये र्ोटो में से ककसी भी लड़की को मैं पसचनली नहीीं जानता
और यह र्ोटो कहानी में जान डालने के सलए नेट से सलए गये हैं। कोई सादृश्य परी तरह सींयोगगक हैं। आप
कहानी पढ़िए और मजा कीम्जए बस। यह एक वयश्क कहानी है अगर आपकी उमर 18 साल से कम है तो
प्लीज इसे ना पिे । धन्यवाद।

दोस्तों, मेरे पास इतना समय नहीीं था की मैं इसकी स्पेसलींग र्ेक करता। आप लोग खुद ही कहीीं सध
ु ार हो तो
उसको सही करके पि लेना, क्योंकी माइक्रोसाफ्ट वडच डाक्यम
ु ें ट थोड़े शब्दों को अपने आप सही कर लेता है
इींम्ललश के शब्द के ढ़हसाब से, उदाहरण के सलये मैं सलखना र्ाहता हूँ (की थी) इसको वडच अपने आप सही कर
दे गा (कीट ही)। अगर आपको कहीीं ऐसा कोई गलत शब्द समले तो प्लीज सही करके पि लेना। कृपया आप इस
कहानी की तरह कैसे मझ
ु े वापस र्ीड करने के सलए बना नहीीं है । पिने के सलए धन्यवाद।

दोस्तों, मींदी की मारकर बाद यह नई कहानी सलखी है । आशा करता हूँ की यह कहानी आप सबको पसींद आएगी।
अपनी प्रततकक्रया मझ
ु े सलखना प्लीज। एक और बात मैं आपको बताना र्ाहूँगा की यह मेरी अम्न्तम कहानी है ।
इसके बाद मैं अब और कोई कहानी नहीीं सलखींगा। यह मैंने तनश्र्य कर सलया है । यह कहानी सलखने में मझ
ु े
र्ार महीने लग गये।

***** ***** पात्र (ककरदार) पररर्य-


01॰ जावेद राजा- उर्च राजा या राज, उम्र 24 साल, क़द 5’8” इींर्, 9” लमबा और 2½” इींर् मोटा रीं ग बहुत
गोरा, हल्के भरे रीं ग की आूँखें, लण्ड।

02॰ दीपा राय- राय बहादरु की पत्नी, उम्र 35 साल, बहुत खबसरत।

03॰ रूपा राय- दीपा राय की जुड़वा, उम्र 35 साल, बहुत खबसरत।

04॰ अनी- परा नाम अनीता राय, दीपा राय की बेटी, उम्र 18 साल, क़द 5’3” इींर्, बहुत खबसरत।

05॰ सोनी- परा नाम सन


ु ीता राय, रूपा राय की बेटी, उम्र 18 साल, क़द 5’3” इींर्, बहुत खबसरत।

06॰ वप्रया- अनी और सोनी के कालेज में टीर्र, उम्र 25 साल, बेइींतह
े ा गोरी, बहुत खबसरत।

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***** *****कहानी इस तरह है :
पहले मैं आप सबको अपना पररर्य दे दीं । मेरा नाम जावेद राजा है । मैं अपने दोस्तो में, जानने वालो में राजा
या राज के नाम से जाना जाता हूँ। मेरी र्ेसमली वाले मझ
ु े राजा ही कहते हैं।

मैं लखनऊूँ का रहने वाला हूँ और मेरे माूँ और वपताजी का दे हाींत हो र्ुका है । मझ
ु े मेरे र्ार्ा-र्ार्ी ने पाल पोस
कर बड़ा ककया। मेरा बर्पन मेरे र्ार्ा और र्ार्ी के साथ गज
ु रा। मेरे र्ार्ा ने ही मझ
ु े पिाया-सलखाया और मझ
ु े
अपने बेटे जैसा प्यार ढ़दया। मेरे र्ार्ा-र्ार्ी की कोई सींतान नहीीं है , इसीसलए मैं ही उनका बेटा हूँ और अब तो
उन्होंने अपना घर भी मेरे ही नाम कर ढ़दया है । घर में मैं अकेला ही रहता हूँ। घर उतना बड़ा भी नहीीं और
बबल्कुल छोटा भी नहीीं। मध्यम पररवार का घर है, पर उन्होंने उसको बहुत ही अच्छा बनाए रखा हुआ है । घर के
पीछे एक छोटा सा पररवार उद्यान भी है, जहाीं कभी-कभी शाम के समय पे मैं हल्की वाककीं ग या व्यायाम करता
हूँ या र्ेयर डालकर बैठ जाता हूँ और अकेले ही मौसम का मजा लेते हुए समय पास करता हूँ।

मेरे र्ार्ा की एक और प्रापटी भी है, जहाीं उन्होंने एक म्जम खोला था। तब मैं अभी कालेज में ही पिता था। यह
बता दीं की मैं अच्छा खासा सद ुीं र भी हूँ। मेरी हाइट 5’8” है रीं ग बहुत गोरा है , हल्के भरे रीं ग की आूँखें और भरे
रीं ग शेडडींग के ही बाल हैं। मेरे हाथों पे, टाींगों पे और सीने पे बाल हैं, जो मेरे बदन पे बहुत ही अच्छे और सेक्सी
लगते हैं। र्ौड़ा सीना है, र्ौड़े कींधे हैं।

लण्ड का साइज लगभग 9” इींर् है और 2½” इींर् मोटा भी है । खतने से अनावश्यक सरु क्षा र्मड़ी हट जाने से
लण्ड का सप
ु ाड़ा एकदम से गर्कना और ककसी र्ौजी के हे ल्मेट की तरह है , जो र्मकता रहता है । लण्ड का
उत्थान इतना जोरदार होता है कक वो लगभग पेट से टकराता रहता है । जब अकड़ता है तो लोहे जैसा सख़्त हो
जाता है और ककसी आग के सलए तैयार समजाइल की तरह लगता है । लण्ड का तनर्ला भाग ऊपर के भाग से
थोड़ा मोटा है । एकदम से दीवार में लगाने की खींटी की तरह। जब र्त के अींदर जाता है तो बस ऐसे कर्ट बैठता
है जैसे बोतल के ऊपर काकच।

मेरा लण्ड जब र्त के परा अींदर तक घसु जाता है तो र्त भी बहुत र्ौड़ी हो जाती है , और ऐसा लगता है जैसे
बोतल पे काकच कर्ट बैठा हो और कर्र परी तरह से खलु जाती है । र्ुदाई करके जब र्त के बाहर तनकलता है तो
र्त की परी माींसपेसशयाीं खल
ु जाती है और र्त का छे द ककसी अींग्रेजी के वडच “ओ” की तरह से खुल जाता है
और र्त के बहुत अींदर तक का ढ़हस्सा ढ़दखाई दे ने लगता है ।

मझ
ु े बर्पन से ही व्यायाम का शौक था, तो शायद इसीसलए मेरे र्ार्ा ने म्जम बनाया होगा। मैंने वपछले साल
ही अपना बी॰काम॰ परा ककया हुआ है । कालेज में तो मैं हीरो के नाम से ही जाना जाता था। लड़ककयाीं मझ ु े हीरो
या सद
ुीं र ही कहकर पक
ु ारती थी। मेरे र्ार्ा-र्ार्ी मझ
ु से बेइींतहा प्यार करते हैं। उन्होंने कभी मझ
ु े मेरे मममी और
डैडी की कमी महसस नहीीं होने दी, बबल्कुल अपना बेटा समझा और मेरी एक-एक आवश्यकता को उन्होंने परा
ककया।

मैं उनका बहुत एहसान मानता हूँ और ढ़दल से उनकी इज़्ज़त करता हूँ। र्ार्ा के ककसी दोस्त ने उनको य॰एस॰ए॰
बल
ु ाया तो वो र्ले गये, और थोड़े ही ढ़दनों के बाद र्ार्ी को भी ले गये और वहीीं जाकर बस गये। जाते समय
अपनी प्रापटी मेरे नाम कर गये। अब मैं वो ग्रेट गोल्डेन म्जम का अकेला मासलक हूँ। ग्रेट गोल्डेन म्जम अलग-
अलग स्वतींत्र अक्षरों में सलखा हुआ है म्जसका कोई बोडच नहीीं है और इसके अींदर जलती नीयान लाइट रात में
बहुत ही अच्छी लगती है । लगता है की बनाने वाले ने खास हमारे सलए ही शब्द डडजाइन ककए हैं। ग्रेट गोल्डेन
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म्जम का जो भाग परु
ु षों का है , उसमें कोई भी स्पेशल सवु वधा नहीीं है । ससर्च सदस्यता है वो भी ऐसे कक अगग्रम
भग
ु तान दे ने पर उनको छट ढ़दया जाता है । परु
ु षों के भाग में बहुत सारे उपकरण पड़े हैं, जहाीं वो वकच-आउट
करते हैं।

ग्रेट गोल्डेन म्जम एक दो स्टोरी टाइप की बबम्ल्डींग है, जो की ककसी गोडाउन की शकल की है, लींबी और र्ौड़ी।
नीर्े के भाग में परू
ु षों का म्जम र्लता है , और अब लगभग एक साल से ऊपर के भाग को कर्र से तैयार करके
मैंने एक मढ़हलाओीं के सलए स्पेशल म्जम कम ब्यटी पालचर भी शरू
ु कर ढ़दया है, जहाीं बाडी मसाज की सवु वधा भी
है । ब्यटी पालचर में भी मढ़हलाओीं के सलए म्जम जैसी सवु वधायें है । जहाीं डडर्रें ट टाइप के ट्रे ड समल्स और दसरे
उपकरण रखे हुए हैं। अक्सर लड़ककयाीं और औरतें अपना र्ेसशयल, मेकअप, हे यर कट, र्त की वैम्क्सींग, ब्लैक
हे ड्स, मेतनक्यर और पेडीक्योर, वजन कम करने के सलए और दसरी कसरतें करने के सलए मेरे म्जम की सदस्य
बनी हुई हैं।

ससल्वर और गोल्ड काडच मेंबर मढ़हलाओीं के सलए एक बहुत ही स्पेशल मसाज भी है , जहाीं सामान्य सदस्य का
प्रवेश प्रततबींगधत है । मढ़हलाओीं के भाग में सौना और भाप स्नान भी है , वो भी ससर्च ससल्वर और गोल्ड काडच
सदस्य के सलए ही है । सींक्षप
े में सामान्य सदस्य को ससर्च म्जम उपकरण ही उपयोग करने की अनम
ु तत है , कोई
दसरी सवु वधायें नहीीं। मेरा इरादा एक इनडोर म्स्वसमींग पल भी बनाने का है पता नहीीं कब तक बन पाएगा?

ससर्च स्त्री सदस्य को ही ववशेष सेवाएीं दी जाती है । औरतों की सवु वधाओीं में 3 तरह की सदस्यता है । सामान्य
सदस्य, ससल्वर काडच सदस्य, गोल्ड काडच सदस्य। सामान्य सदस्य तो वो है जो ससर्च म्जम के समय पे आती है
और समय पे ही वापस र्ली जाती है, कोई ववशेष उपर्ार नहीीं जैसा मेकअप, र्ेसशयल्स, र्त की वैम्क्सींग या
न्यड मसाज इत्याढ़द… इत्याढ़द। इन सब सवु वधायें को उपयोग करने के सलए सामान्य सदस्य को भग
ु तान करना
पड़ता है कर्र भी उनको गोपनीयता के सलये स्पेशल मसाज वाले भाग में नहीीं जाने ढ़दया जाता, जहाीं ससर्च
ससल्वर और गोल्ड काडच सदस्य को ही जाने की अनम
ु तत है ।

वहाीं स्टार् के और स्पेशल सदस्य को छोड़कर कोई भी अींदर नहीीं जा सकता। ससल्वर काडच सदस्य वो मढ़हलायें
हैं म्जनको टाइसमींलस के बाद भी रुकने की अनम
ु तत है और सारी सवु वधायें उपयोग कर सकते हैं, इींक्लडडींग र्त
की वैम्क्सींग और न्यड मसाज इत्याढ़द। ससल्वर काडच सदस्य के घर हमारी कोई कमचर्ारी नहीीं जाती, ककसी भी
सवु वधा के सलए। मेरे पास 5 एक्सपटच लड़ककयाीं ब्यटी ट्रीटमें ट और स्पेशल मसाज के सलए तनयोम्जत हैं, म्जन्हें मैं
बहुत ही अच्छी सेलरी दे ता हूँ और गोपनीयता बींधन भी साइन करवाया हुआ है ताकी वो कहीीं बाहर जाकर हमारे
स्पेशल मसाज और ववशेष उपर्ार के बारे में जनरल पम्ब्लक के सामने र्र्ाच ना करें , और हमारे रहस्य बाहर ना
जाने दे ।

गोल्ड काडच सदस्य मढ़हलाओीं के सलए तो बहुत ही ववशेष उपर्ार होता है एकदम से वी॰वी॰आई॰पी॰ जैसा। उनके
सलए बहुत ही ज़्जयादा सवु वधायें हैं। मसाज पालचर की लड़ककयाीं गोल्ड काडच सदस्य के घर जाकर भी सववचस करती
हैं। मतलब की अगर कोई गोल्ड काडच सदस्य र्ोन करे तो पालचर की लड़ककयाीं उनके घर पर जाकर उनका
मेकअप, मसाज या र्त की वैम्क्सींग वगैरा करती हैं, जो की बहुत ही ववशेष उपर्ार है, म्जनकी पेमेंट लड़ककयों
को अलग से होती है ।

गोल्ड काडच सदस्य को इतनी सवु वधा भी है की वो ककसी छुट्टी के समय पर या जब पालचर बींद हो तब भी र्ोन
करके अपायींटमेंट लेकर आ सकती हैं और जब तक जी र्ाहे सवु वधा का उपयोग कर सकती हैं। जब कोई
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कमचर्ारी गोल्ड काडच सदस्य के घर ककसी भी सवु वधा के सलए जाती है तो एक सश्टार्ार के रूप में हम उनकी
ककसी भी एक या दो फ्रेंड्स को भी अस्थायी वोही सवु वधा दे ते हैं। गोल्ड काडच सदस्य को दसरे माने में खल
ु ी छट
है , वो सवु वधा को जैसे र्ाहे उपयोग कर सकती है । ऐसे तो सदस्य बहुत हैं, पर ससल्वर के 15 और गोल्ड के 12
ही सदस्य हैं।

यह सदस्यता 5 लाख रूपये प्रतत वषच है । इतनी ववलाससता ससर्च बहुत ही पैसे वाले कर सकते हैं। गोल्ड काडच
सदस्यों में उद्योगपतत, बड़े-बड़े ब्यापारी और ज्ययेलसच की पम्त्नयाीं ही हैं। 5 लाख वावषचक अपने ऐश पर खर्च
करना ककसी आम औरत के बस की बात भी तो नहीीं है । इस समय गोल्ड काडच सदस्य ससर्च 12 ही हैं, क्योंकी
अभी मझ ु े ब्यटी कम मसाज पालचर शरू ु ककये एक ही साल हुआ है । अशा करता हूँ की गोल्ड काडच सदस्य कुछ
ढ़दनों में बि जायेंगी, क्योंकी हमारे म्जम और ब्यटी पालचर का बड़ा नाम है और अब अच्छा खासा प्रससद्ध भी हो
गया है । जहाीं पे म्जम है, वो जगह ककसी जमाने में शहर के अींत में थी। लेककन जब से शहर का ववस्तार हुआ
है , अब वो शहर के अींदर आ गई है ।

उसका प्रवेश द्वार ऐसा है की सामने से परु


ु षों के म्जम की प्रवेश है और पीछे से मढ़हलाओीं के म्जम और ब्यटी
पालचर की सीढ़ियाीं हैं। ऐसे पोजीशन में परु
ु ष और मढ़हलायें परी तरह से अलग हैं। परु
ु षों को पता भी नहीीं र्लता
की कब कौन लड़की या औरत ब्यटी पालचर जा रही है और मढ़हलाओीं को पता नहीीं र्लता की नीर्े म्जम में
ककतने लोग हैं, और क्या कर रहे हैं। ऊपर और नीर्े डाकच ररफ्लेम्क्टव ललासेस लगे हुए हैं म्जससे बाहर के लोगों
को ढ़दखाई भी नहीीं दे ता।

बाहर से बहुत ही धीमी रोशनी में बस इतना समझ में आता है की अींदर म्जम है और लोग ववसभन्न मशीनों के
माध्यम से ववसभन्न प्रकार के व्यायाम कर रहे हैं। लेककन ऊपर मढ़हलाओीं वाले पालचर में आउटसाइड ररफ्लेम्क्टव
ललासेस लगे हुए हैं, म्जससे बाहर से ककसी को कुछ भी ढ़दखाई नहीीं दे ता। लेककन अींदर से बाहर का दृश्य सार्
ढ़दखाई दे ता है । आउटसाइड ररफ्लेम्क्टव ललास की यही खबी है की अींदर से बाहर का ढ़दखाई दे ता है , पर बाहर से
अींदर का कुछ भी नहीीं ढ़दखाई दे ता।

सरु क्षा की दृम््ट से मढ़हलाओीं के पालचर में भारी पदे डाल ढ़दए हैं ताकी मढ़हलाओीं को कोई शक ना रहे की बाहर
से उन्हें कोई दे ख सकता है। थोड़े ही ढ़दनों पहले मैंने उसमें पणच पैमाने पर ब्यटी पालचर भी र्ाल कर ढ़दया है ,
जहाीं र्ेसशयल, मेकअप वगैरा के सभी सामान मौजद हैं। तरह-तरह की क्रीमस, पाउडसच और तेल, सौना स्नान,
भाप स्नान और ववशेष सेवाओीं के रूप में र्त की वैम्क्सींग भी है ।

हमारी ब्यटीसशयन गल्सच भी बहुत ही प्रसशक्षक्षत हैं, खबसरत भी हैं और सश्ट भी हैं। उन्हें खास तौर पे ससखाया
गया है की ससल्वर और गोल्ड काडच सदस्य को वो सब दे ना होगा जो वो र्ाहती हैं, यहाीं तक की अगर कभी
ककसी औरत या लड़की को तेल मसाज दे त-े दे ते उसको मास्टरबेट करवाना अच्छा लग रहा है तो वो मास्टरबेट
भी करती हैं, और अगर कोई गोल्ड काडच सदस्य र्ाहे तो हमारी मासलश वाली लड़की नींगी होकर भी मसाज
करती है । या कुछ बड़ी उमर की औरतें हैं जो र्ाहती हैं की लड़की भी नींगी हो जाए तो हमारे पास की मालीसशया
लड़की को उसके आदे श का सममान करना पड़ता है ।

यहाीं यह बताना जरूरी समझता हूँ कक हमारे पास ऐसी बहुत सी औरतें आती हैं, म्जन्हें समलैंगगक कृत्य बहुत
पसींद होता है । हमारी प्रसशक्षक्षत लड़ककयाीं उनके साथ समलैंगगक कृत्य भी करती हैं, अलग-अलग म्स्थतत में । कुछ
औरतें तो हमारी मालीसशया लड़ककयों की र्त भी र्ाट लेती हैं, म्जसकी वजह से हमारे पास यह जरूरी है की हर
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मालीसशया लड़की अपनी र्त को तनयसमत शेव करके एकदम से गर्कनी और रे शमी मल
ु ायम रखे और जब भी
पेशाब को जाए तो र्त को अच्छी तरह से पानी से धो डाले, क्योंकी कुछ औरतों की र्त में से आती पेशाब की
ब अच्छी नहीीं लगती।

वपछले हफ्ते ही मेरे पास जमचनी से स्पेशल मसाज टे बल आए हैं, म्जन्हें मैं स्थापन मैनअ
ु ल को पि-पिकर लगा
रहा हूँ। स्थापन के समय पर मैंने ऊपर छत पर 4–5 अलग-अलग कोण से वीडडयो कैमरे भी कर्ट ककये हैं, ताकी
कभी जरूरत पड़ जाए तो उनको कर्र से इकट्ठा ककया जा सके। मैंने एक छोटा सा माइक भी वहाीं लगा रखा है ।
जब मैं स्थापन करता जाता हूँ तब कमें टरी भी दे ता जाता हूँ ताकी आगे कभी जरूरत पड़े तो वो आडडयो टे प
काम आए।

यह कोई नामचल वाली र्ौकोर टे बल नहीीं है । यह बहुत ही परर्कृत और ववशेष स्पेशल मेज हैं म्जसका एक-एक
ढ़हस्सा अलग से पें र् और कब़्ों से लगा हुआ है और उनको मोड़ा भी जा सकता है , म्जनकी उीं र्ाई समायोम्जत
की जा सकती है , घम
ु ाया जा सकता है और यह ककसी रोबोट की तरह से इसके ढ़हस्से अलग-अलग र्ैलाये जा
सकते हैं। यह अकेले आदमी के सलए है । बस पीठ म्जतना ढ़हस्सा ही स्थायी है उसके आगे जो आमसच है उनको
ऐसे र्ैलाया जा सकता है जैसे कोई बेड पे लेटकर अपने दोनों हाथ इींम्ललश के अक्षर “य” जैसा कर लेता है और
ऐसे ही “य” की शकल का नीर्े पैरों का भाग भी हो जाता है । यह टे बल इतनी ववशेष है की जब ककसी को
इसपर सलटाया जाता है तो टे बल का एक इींर् का ढ़हस्सा भी ढ़दखाई नहीीं दे ता। ऐसे की अगर कोई लड़की ससर
की तरर् से मासलश कर रही हो तो जो लड़की या औरत टे बल पे लेटी है उसके दोनों हाथ “य” की तरह से खल

जाते हैं।

इसी तरह टाूँगें भी ऐसे ही खुल जाती हैं, एकदम से जैसे “स्प्रेड ईगल…” जब टाूँगों की तरर् से मसाज करना हो
तो मालीसशया लड़की दोनों टाूँगों के बीर् में परी अींदर तक र्ली जाती है और मसाज टे बल पे लेटी हुई औरत की
र्त तक पहुूँर् जाती है, ताकी पीठ का या सीने का मसाज आराम से ककया जा सके। ऐसी सरत में अगर
मालीसशया लड़की थोड़ा सा आगे बि जाती है तो शायद टे बल पे लेटी और मालीसशया लड़की की र्तें आपस में
टकरा जाती हैं।

इसी तरह से अगर वो ससर की तरर् से मासलश करने के सलए सामने आ जाए तो र्त और मूँह
ु एक दसरे से
लग जाते हैं। जब हाथ र्ैल जाते हैं तो ककसी भी तरर् से मसाज आसानी से ककया जा सकता है । हाथों वाले
भाग में कोहनी के पास और टाूँगों वाले भाग में घट
ु ने के पास कब़्े लगे हुए हैं, म्जसकी वजह से हाथ और पैरों
को लीवसच से मोड़ा भी जा सकता है । इस टे बल में कुछ ऐसे लीवसच भी लगे हुए हैं की उनके उपयोग से टे बल
सामने से उठ भी जाती है , या टाूँगों की तरर् से उठाई जाती है तो ससर वाला भाग थोड़ा नीर्े हो जाता है , या
वाइस वसाच। हाथों और टाूँगों की अवस्था और र्ैलाव भी तनयींत्रण की जा सकती है ।

हाथों वाली जगह पे, टाूँगों वाली जगह पे, और बीर् में कुछ ऐसे बेल्ट्स भी लगे हुए हैं म्जन्हें कसकर लगा दे ने
से टे बल को ककसी भी कोण में झुकाया जा सकता है और उसपे लेटी औरत नीर्े नहीीं गगरती। ऐसे की अगर
कोई औरत उस टे बल पे लेटी हो और उसके हाथ, पैर और पेट पे अगर बेल्ट्स कस ढ़दए जाएीं और टे बल के
लीवर कींट्रोल्स से उनको सीधा खड़ा भी ककया जा सकता है और ससर के बल भी ककया जा सकता है । म्जतनी
जरूरत हो उतना उठाया जा सकता है या झुकाया जा सकता है । टे बल के र्ारों तरर् मसाज के सलए तेल के या
लोशन की बोतलें भी रखे जाने के सलए पाउर् बने हुए हैं। मैं आशा करता हूँ की यह वववरण और टे बल का
आकार और उसकी सवु वधा आप लोगों की समझ में आ गई होगी। बस यूँ समझ लें की टे बल पे जब कोई लेटता
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है तो ककसी भी तरर् से टे बल ढ़दखाई नहीीं दे ती, बस ऐसे लगता है जैसे कोई टे बल पे लेटा नहीीं है बल्की हवा में
लटका है ।

यह टे बल ववशेष रूप से जमचनी से मूँगवाई गई है । हाूँ तो मैं उस टे बल को अलग कोण से कर्ट कर रहा था और
ऊपर लगे कैमरे से वीडडयो भी बना रहा था और साथ में टे बल के नीर्े स्टील रोड से बहुत ही छोटा सा लेककन
बहुत ही जोरदार माइक भी लगा हुआ था। जैस-े जैसे मैं टे बल कर्ट कर रहा था, साथ में कमेंटरी भी दे रहा था
की कैसे मैं इस टे बल को स्थावपत कर रहा हूँ, म्जससे यह वीडडयो टे प दसरी टे बल पे कर्ट करने के समय पर
आसान हो। ऊपर से जोरदार कैमरा वीडडयो बना रहा था और टे बल के नीर्े छोटा सा जोरदार माइक मेरी आवाजें
टे प कर रहा था।

दोपहर हो र्ली थी। मेरा काम लगभग खतम हो गया था। यह एक टे बल कर्ट करने में कम से कम 4 घींटे लग
गये थे। सब
ु ह 9:00 बजे से स्थापना कर रहा था और अब तकरीबन एक बज रहा था। हाल में सेंट्रल एयर
कींडीशनर तो नहीीं था, बल्की 3 म्स्प्लट यतनट्स लगे हुए थे, म्जसकी वजह से म्जम और ब्यटी पालचर अच्छा ठीं डा
रहता था, खास तौर से गसमचयों में । यह भी गमी के ही ढ़दन थे। मैंने ससर्च एक ही म्स्प्लट यतनट शरू
ु ककया था
उस भाग का जहाीं मैं टे बल कर्ट कर रहा था। अभी ऐसी और 6 टे बल कर्ट करना था, म्जसको मैंने सोर्ा की हर
वीकेंड पर एक-एक टे बल कर्ट करूूँगा।

मैं अपना काम खतम करके शावर लेने र्ला गया और बाथरूम से तनकलते हुए एक हल्का सा तौसलया ही लपेट
कर बाहर आ गया और एक बार कर्र से टे बल का तनरीक्षण करने लगा की ठीक से लगी है की नहीीं? इतने में
मेरी नजर बाहर पड़ी जहाीं से सीढ़ियों से ऊपर आते हैं। मैंने दे खा की एक स्कटी आकर रुकी म्जसपे से दो कम
उमर की लड़ककयाीं उतरी। मेरे गम
ु ान में भी नहीीं था की यह दोनों लड़ककयाीं मेरे म्जम में आने वाली हैं। जैसे ही
स्कटी रुकी उस पर से जो लड़की पीछे बैठी थी वो उतरी और लींगड़ाने लगी। स्कटी र्लाने वाली लड़की ने उसको
सहारा ढ़दया और पालचर की सीढ़ियाीं र्िने लगी। दसरी वाली लड़की उर्क-उर्क कर र्ल रही थी। वो दोनों मस्ती
भी कर रहे थे। एक दसरे को र्ीींटी काट रहे थे, और र्तड़ों पे हल्के से मार भी रहे थे। मैं समझ गया कक यह
दोनों पक्की दोस्त होंगी, जो ऐसे एक दसरे के साथ मजाक कर रही थी।

मैं उनको दे खने लगा और सोर्ने लगा की आखखर यह है कौन? और ऐसे कैसे बबींदास ऊपर र्िकर आ रहे हैं,
जबकी आज म्जम बींद है । मैंने हाल के दरवाजे को अींदर से बींद कर रखा था। पर अींदर से जो लाइट जल रही
थी वो बाहर से ढ़दखाई दे रही थी। दो समनट के अींदर ही बेल बजी तो पहले तो मैंने यह सोर्ा की दरवाजा खोलूँ
या नहीीं? कर्र सोर्ा की यह लड़की लींगड़ा के र्ल रही है , मतलब की इसको कोई तकलीर् है । इसी के र्लते
मैंने दरवाजे खोल ढ़दया और वो दोनों लड़ककयाीं पालचर के अींदर आ गईं।

दोनों के हाथों में कुछ कावपयाीं और ककताबें थीीं, म्जसपे कक्रस्टल कालेज का लेबल लगा हुआ था। कक्रस्टल कालेज
मेरे म्जम के करीब ही था। यह एक को-एजुकेशन हाई स्कल और कालेज था। सन ु ा था की यहाीं के लड़के
लड़ककयाीं बहुत ही अड्वान्स और र्ारवडच हैं। लगता था की यह दोनों लड़ककयाीं कक्रस्टल कालेज के स्टडेंट्स हैं, पर
पता नहीीं र्ला की कौन सी क्लास में पिती हैं।

मैं उन दोनों लड़ककयों को दे खता का दे खता रह गया। ऐसा लग रहा था जैसे दोनों एक दसरे से बिकर खबसरत
हैं। धप की वजह से दोनों के गाल लाल हो रहे थे, जैसे कश्मीरी सेब। जो लड़की लींगड़ा के र्ल रही थी उसकी
हाइट शायद 5’3”-4” इींर् होगी, उसने सर्ेद रीं ग का स्लीवलेश बतनयान जैसा टाप पहना था म्जसमें से उसकी
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गोल्र् बाल के साइज की छोटी-छोटी कड़क र्गर्याीं ढ़दखाई दे रही थीीं। उसने अींदर ब्रा नहीीं पहनी थी। लगता था
की अभी उसकी ब्रा पहनने की उमर नहीीं आई थी, या पहनना नहीीं र्ाहती थी और उसके र्गर्यों के उभार टाप
से ढ़दखाई दे रहे थे।

दोपहर की धप और पशीने की वजह से टाप उसके गोल्र् बाल्स जैसे र्र्े से गर्पक गया था, और र्र्े की
गोलाई सार् नजर आ रही थी। डाकच ब्ल रीं ग का स्पराींद्रेल शाटच पहना था, जो इतना कसा था की उसकी र्त की
दोनों पींखडु ड़यों का उभार भी सार् ढ़दखाई दे रहा था। उसके ससर से लगभग डेि र्ुट की पोनी टे ल लटक रही थी,
म्जसे ककसी जाली वाले बैंड से ससर के ऊपर बाूँधा गया था।

दसरी लड़की ने जो स्कटी र्ला रही थी उसने भी सर्ेद स्लीवलेश टाप ही पहना था और कींधे पे डोररयों के
स्ट्रै प्स जैसा था। उसके र्र्े भी लगभग पहली वाली लड़की म्जतने थे, पर इस लड़की को पशीना पीछे की तरर्
से आया हुआ था, म्जसकी वजह से उसका टाप पीछे से उसके बदन से गर्पका हुआ था और उसने भी ब्रेससयर
नहीीं पहनी थी। इसका टाप ढीला था इसीसलए शायद उसके र्र्े का उभार उतना सार् ढ़दखाई नहीीं दे रहा था।
इसने जीन्स की छोटी र्ड्डी टाइप की शाट्चस पहनी थी, म्जसके पाएींर्े नीर्े से कटे हुए थे म्जन्हें ससला नहीीं गया
था बल्की उसके पाएींर्े से नीले और सर्ेद थ्रेड्स नीर्े लटक रहे थे। उसकी र्ड्डी जीन्स आधी जाींघों तक थी, वो
भी थोड़ी सी ढीली ही थी। इस लड़की के बाल खुले हुए थे और कींधे तक थे।

दोनों की दोनों एकदम से कयामत लग रही थी। इन दोनों का रीं ग बेइींतह


े ा गोरा था। यूँ समझ लो की दध में
थोड़ी सी केसर डाल दी गई हो, और दोनों के होंठ बहुत ही कामक ु थे और बबना सलपम्स्टक लगाए ही लाल थे।
जी कर रहा था की इन्हें मह
ूँु में लेकर र्सना शरू
ु कर दीं । तेज धप के र्लते दोनों के गाल लाल हो गये थे और
माथे पर पशीने की बूँदें र्मक रही थीीं। मझ
ु े दोनों जड़
ु वाीं बहनें लग रही थीीं। एक ही हाइट, एक ही बबल्ट और
दोनों के बाल भी लाइट ब्राउन रीं ग के थे। दोनों ने सन ललासेस लगाए हुए थे इसीसलए र्ौरन ही उनकी आूँखों का
रीं ग ढ़दखाई नहीीं दे रहा था।

मैं तो उनकी खबसरती दे खता का दे खता ही रह गया। कुछ पछ भी नहीीं सका। इतने में जो लड़की स्कटी र्ला
रही थी, उसके मोबाइल की घींटी बजी। उसने र्ोन उठा सलया और हे लो मममी बोला। पता नहीीं दसरी तरर् से
क्या पछा?

उसने बोला- “हाूँ मममी, अरे वहीीं तो रखी है मममी… क्या? नहीीं समल रहे हैं? इतनी जल्दी है क्या मममी?
अच्छा मैं अभी आती हूँ… 15–20 समनट के अींदर पहुूँर्ती हूँ। हाूँ हाूँ कर्कर ना करो मझ
ु े पता है की कहाूँ रखी है ?
मैं आ रही हूँ…” कर्र उसने र्ोन काट ढ़दया।

कर्र अनी की गाण्ड पे हाथ मारते हुए बोली- “अनी मेरे को र्ौरन जाना है । मममी को कुछ बैंक के पेपसच दे ने हैं
अभी। र्ल तेरा काम हो जाए तो र्ोन कर लेना, मैं आ जाऊूँगी तेरे को लेने के सलए…”

अनी बोली- “ओके सोनी, मैं र्ोन कर लूँ गी तब आ जाना…” और कर्र वो जल्दी से उसके गाल पे एक र्म
ु मा
दे कर दौड़ती हुई दरवाजे से बाहर र्ली गई।

मैं उसकी र्ुती दे खकर है रान हो गया। ऐसे छलाूँग लगाई जैसे जींगल की ढ़हरनी हो।

7
अब हाल में ससर्च मैं और अनी ही रह गये। मझ
ु े तो उसका नाम भी नहीीं मालम। बस इस लड़की को अनी
कहकर बल
ु ाया गया था, इसीसलए मैंने समझा की शायद इसका नाम ही अनी होगा और दसरी का सोनी। मैं तो
बस खामोशी से दोनों को दे खता ही रहा।

अनी ने मझ
ु े दे खकर र्ट
ु की बजाई और बोली- “हे समस्टर…”

तब मैं र्ौरन अपने ख़्यालों में से वापस आ गया और बोला- “समस मैं आपके सलये क्या कर सकता हूँ?”

उसने बोला- “मैं अनी, अनीता राय। मझ


ु े घर वाले अनी कहते हैं। मैं राय साहे ब की एकलौती बेटी हूँ…”

राय साहे ब का नाम शहर में कौन नहीीं जानता था। बहुत ही बड़े बब़नेसमैन थे। उनका इमपोटच एक्सपोटच का
बब़नेस था, राय इींडस्ट्रीस के मासलक थे, उनका अपना मेडडकल कालेज था और पता नहीीं ककतनी र्ैररटीस
उनके नाम से र्लती थीीं। राय साहे ब बहुत ही पैसे वाले थे। शहर में उनका बहुत ही आलीशान बींगलो था और
शहर से बाहर उनके 3 या 4 बड़े-बड़े र्ामचहाउस भी थे, जहाीं उन्होंने अरे बबयन घोड़े पाल रखे थे और म्स्वसमींग
पल्स, टे म्न्नस कोट्चस वगैरा थे। उनका प्रोर्ाइल मैंने ककसी मैगजीन में पिा था।

***** *****फ्लैशबैक
अनी की बात सन ु कर मेरा ढ़दमाग एकदम से 3 महीने पहले फ्लैशबैक में र्ला गया। हुआ यूँ था की एक ढ़दन
म्जम की छुट्टी थी और ब्यटी पालचर परा होकर परी सवु वधाओीं के साथ शरू
ु हो र्क
ु ा था। म्जम और पालचर में
मेरा एक छोटा सा आकर्स है , जहाीं मैं बैठता हूँ और मेरे कमरे में कींप्यटर रखा हुआ है और एक स्क्रीन पे म्जम
और ब्यटी पालचर के अींदर रखे हुए कैमरों को मानीटर करता रहता हूँ।

मैं अपने आकर्स में बैठा था। कोई अडल्ट मैगजीन दे ख रहा था की मेरे आकर्स का द्वार खल
ु ा, शायद अभी
मख्
ु य द्वार बींद नहीीं हुआ था। यह शाम का समय था और मैं यह सोर्कर की अकेला घर जाकर क्या करूूँगा,
वहीीं आकर्स में बैठ गया और एक अडल्ट मैगजीन अपने दराज में से तनकालकर दे खने लगा।

मेरे आकर्स का द्वार खुलते ही मैं र्ौंक उठा। मेरे सामने एक बहुत ही खबसरत औरत म्जसकी उमर शायद 35–
36 साल की होगी, गोरा रीं ग, र्ेहरे पे फ्रेमलेस ऐनक थी, लाइट क्रीम रीं ग की ससल्क साड़ी और उसी रीं ग का
स्लीवलेश कसा हुआ ब्लाउ़ पहने हुए थी, म्जसका ककनारा डाकच मरून रीं ग के फ्लावसच का था, बहुत ही खबसरत
लग रहा था। उनके बाल उनकी कमर तक झल रहे थे। माथा बहुत ही लाइट रीं ग की बबींदी से र्मक रहा था।
एक हाथ में सोने की र्डड़याीं और दसरे हाथ में गोल्डेन ररस्ट-वार् थी, म्जसके डायल में हीरे जड़े थे, जो की
ककसी आकाश में र्मकने वाले ससतारों की तरह से र्मक रहे थे। मैं उनको दे खकर अडल्ट मैगजीन भी बींद
करना भल गया और एकटक उनकी खबसरती को दे खने लगा।

मेरे हाथ से अडल्ट मैगजीन छटकर मेरे सामने की टे बल पर गगर पड़ी और सेंटर-स्प्रेड खुल गया, जहाीं एक बहुत
ही सद ींु र लड़की को एक जवान लड़का अपने लींबे मोटे लण्ड से र्ोद रहा था। मझ
ु े खबर भी नहीीं हुई की मैगजीन
मेरे हाथ से गगरकर टे बल पे खुली पड़ी है । यह मैडम बबना मेकप के ही इतनी शानदार लग रही थी की क्या
बताऊूँ… मैं तो जैसे ककसी दसरी दतु नयाीं में खो गया था।

8
पहले उन्होंने वो अडल्ट मैगजीन का पेज गौर से दे खा कर्र मझ
ु े मश्ु कुराकर दे खा और अपना हाथ मेरी ओर
बिाते हुए बोली- “हे लो मैं दीपा राय हूँ, राय बहादरु साहे ब की पत्नी…”

मैं एकदम से हड़बड़ा के अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ। पहले तो उनको दे खते ही मैं इतना इींप्रेस हो गया था की
कुछ बोलना ही भल गया था, और जब पररर्य में उन्होंने कहा- “वो राय साहे ब की पत्नी हैं तो मेरे तो होश ही
उड़ गये। राय साहे ब का नाम सन
ु ा था बस, दे खा कभी नहीीं था। उन्होंने अपना हाथ मेरी तरर् बिाए ही रखा,
म्जसे मैंने थोड़ी दे र के बाद दे खा और शसमिंदा हो गया की मैंने हाथ नहीीं समलाया। कर्र र्ौरन ही मैंने अपने हाथ
को थोड़ा सा बिाया तो दीपा राय ने मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर हाथ समलाया।

मेरा बदन पशीने-पशीने हो गया शायद मैं कुछ ज़्जयादा ही प्रभाववत हो गया था। मैंने कहा- “महोदया प्लीज
आराम से बैढ़ठये प्लीज…”

वो सामने वाली कुसी पे बैठ गई। पर मैं अपने खयालों में खड़ा ही रहा तो उन्होंने मश्ु कुराते हुए बोला- “अरे आप
भी तो बैढ़ठए ना…”

तब मैं र्ौरन ही अपने आप में वापस आ गया और अपनी र्ेयर में बैठ गया।

उन्होंने पछा- आप कैसे हैं?

मैंने बोला- “मैं राज हूँ। यह ब्यटी पालचर और म्जम मेरा ही है …”

उन्होंने कहा- “हाूँ आपका पालचर तो बहुत ही अच्छा लग रहा है …”

मैंने कहा- धन्यबाद मैडम।

पता नहीीं उन्होंने कौन सा खुशब लगाया था की इतनी प्रथम श्रेणी की सग


ु ध
ीं थी की मैं क्या बताऊूँ… मैं तो जैसे
खो गया उस गींध में, सारा कमरा बल्की सारा हाल ही उनकी खुशब की सग
ु ध
ीं से महक उठा था।

वो मझ
ु े बड़े गौर से दे खती रही कर्र बोली- “तम
ु हारा बदन दे खकर लगता है की तम
ु भी वकच-आउट करते हो?”

मैंने हूँसकर कहा- “जी मैडम। ऐसे ही कर लेता हूँ बस शौक है, क्या करूीं?”

उन्होंने कहा- “हाूँ यह बड़ी अच्छी बात है । इससे सेहत बनी रहती है । तम
ु हारी बाडी बहुत ही अच्छी है और
जोरदार भी लगती है…”

मैं हूँसकर खामोश हो गया।

उन्होंने कहा- “मैं तम


ु हारा पालचर दे खना र्ाहती हूँ…”

9
मैंने कहा- “वेलकम मैडम… र्सलए मैं आपको ढ़दखाता हूँ। आज हमारे पालचर की छुट्टी है, इसीसलए कोई लड़की
नहीीं है । मैं ही आपको ढ़दखा दे ता हूँ…”

हम दोनों अपनी-अपनी कुससचयों से उठ गये। वो मेरे साथ र्लने लगी। मैं उनको अपने पालचर के बारे में बताने
लगा- “यह मैनीक्योर और पेडीक्योर का भाग है , यहाीं मेहन्दी के डडजाइन्स लगाए जाते हैं। एक रूम जो अलग
से था, मैंने बताया कक यहाीं ब्राइडल मेकप ककया जाता है , और यह इसमें एक मीडडयम साइज का शावर भी लगा
है ताकी र्ाइनल मेकप से पहले शावर कर ले, और ब्राइडल मेकप के बीर् में ककसी और को भी अींदर आने नहीीं
ढ़दया जाता। क्योंकी एक ही कमरे में सब कुछ होता है…”

उन्होंने पछा- “सब कुछ का क्या मतलब है?”

मैंने बोला- “यहाीं दल्हन की हे यर कढ़टींग की जाती है और कर्र हे यर की सेढ़टींग की जाती है अलग शैली में ,
हमारे पास ववसभन्न प्रकार के बाल शैसलयों के र्ोटो हैं, जो भी ब्राइड पसींद करे उसको वैसे ही शैली में सेट ककया
जाता है । और यहाीं बाडी मासलश ककया जाता है, वैम्क्सींग की जाती है…”

उन्होंने पछा- “यह वैम्क्सींग क्या होती है?”

मैंने बोला- “मैडम बाडी के अनर्ाहे बालों को वैक्स की लेप के थ्र तनकाला जाता है , म्जसकी वजह से म्स्कन बहुत
ही मल ु ायम हो जाती है…”

वो धीरे से मश्ु कुरा दी और मैं उनको दे खकर शमाच गया। सोर्ा की शायद इनको पता है , कर्र भी मझ
ु से पछ रही
है , वैम्क्सींग के बारे में । यहाीं से ब्राइड तैयार होकर सीधे समारोह हाल जाती हैं। ऐसे ही ववसभन्न भागों को दे खते-
दे खते उन्होंने पछा- “आपके ववज्ञापन में दे खा गोल्ड सदस्य और ससल्वर सदस्य के बारे में , तो क्या आप कुछ
बतायेंगे सदस्यता की क्या सवु वधायें हैं?”

मैंने उनको अपने अलग-अलग सदस्यता के बारे में बताया।

उन्होंने पछा- “यह ववशेष मासलश क्या होती है और कहाीं होती है ? क्या यही जहाीं यह टे बल्स पड़े हैं यहीीं होता है
क्या?”

मैंने बोला- “नहीीं मैडम गोल्ड सदस्य को यहाीं इस हाल में आने की जरूरत नहीीं। गोल्ड सदस्य के सलए वो उधर
अलग से भाग है…”

उन्होंने कहा- “ढ़दखाइए, मैं दे खना र्ाहती हूँ की क्या-क्या सवु वधायें हैं?”

तब मैं थोड़ा सा खझझकने लगा।

उन्होंने पछा- “क्या बात है क्या मझ


ु े नहीीं ढ़दखाएींग?
े ”

10
मैंने कहा- “ऐसी बात नहीीं मैडम… मैं सोर् रहा था की आपको वो सवु वधा हमारी कोई लड़की कमचर्ारी ढ़दखाती तो
अच्छा रहता…”

उन्होंने कहा- “ऐसी क्या बात है जो आप नहीीं ढ़दखा सकते?”

मैंने बोला- “नहीीं मैडम ऐसी बात नहीीं… पर वहाीं जो सामान और उपकरण रखे हैं वो मैं आपको ढ़दखाऊूँ तो शायद
आपको शमच आए…”

उन्होंने कहा- “उसकी आप कर्कर ना करें । मझ


ु े आपके पास की हर र्ीज और हर उपकरण दे खना है…”

मैंने कहा- “ठीक है मैडम, जैसा आप र्ाहें । र्सलए उधर की ओर…”

वो मेरे साथ र्लने लगी। मैं उनको एक गप्ु त द्वार की तरर् लेकर आ गया, जहाीं नींबर लाक लगा हुआ था और
वहीीं पर एक उीं गली सेंसर लगा हुआ था। उीं गली सेंसर में तो मेरी उीं गली का इींप्रश
े न तो था ही, मैंने लाक पर
नींबर डाला और सेंसर में अपनी उीं गली डाली तो द्वार हल्की सी म्क्लक की आवाज के साथ खल
ु गया। यहाीं के
एयर कींडीशनरर ज्यादातर र्लते ही रहते हैं, क्योंकी यहाीं ज़्जयादा खखड़ककयाीं नहीीं हैं। अींदर आने के बाद मैंने लाइटें
आन कर दी पर यह लाइट ब्ल रीं ग की लाइटें थीीं, और ज़्जयादा रोशनी भी नहीीं थी।

उन्होंने पछा- “अरे यहाीं पर तो लगभग अींधेरा ही है…”

मैंने बोला- “महोदया वास्तव में यहाीं पे जो सदस्य आती हैं वो ज्यादातर नींगी ही घमती हैं, इसीसलए यहाीं धीमी
पावर के लाइटें हैं…”

उन्होंने कहा- “अच्छा ऐसा क्यों?”

मैंने बोला- “मैडम यह तो अपना-अपना शौक है । यहाीं आकर हमारे सदस्य एकदम से फ्री महसस करते हैं, और
हाूँ ऐसा भी नहीीं कक सारे के सारे सदस्य नींगे ही घमते हैं। बल्की अगर कोई नींगा नहीीं होना र्ाहता तो कोई बात
नहीीं और नींगे सदस्य इस बात को माइींड भी नहीीं करते…”

उन्होंने कहा- “वाउ… यह तो बबल्कुल कोई गप्ु त जगह है …”

मैंने बोला- “हाूँ मैडम। हमने आप लोगों की सहसलयत के सलए ही इतना गप्ु त रखा है । क्योंकी यह भाग जो भी
सदस्य उपयोग करता है, वो नहीीं र्ाहता की यहाीं जो है वो ककसी और को पता र्ले…”

उन्होंने कहा- “आप तो मेरी उत्सक


ु ता और बिा रहे हैं। मैं उत्सक
ु हूँ। मझ
ु े सारी सवु वधाओीं के बारे में डीटे ल में
बताओ…”

मैंने बोला- “ठीक है मैडम…” कर्र मैं उनको उस रूम में लेकर आ गया जहाीं बाडी मासलश की स्पेशल टे बल्स पड़ी
हुई थी और बैठने के सलए सोर्ासेट भी था। दीवार में लगी आम्ल्मराह से अलग-अलग टाइप और अलग-अलग
रीं ग के सग
ु गीं धत तेल और ड्रॉप्स रखे हुए थे, जो आम्ल्मराह के ललास में से ढ़दखाई दे रहे थे। सामने लगे दीवार
11
पर एल॰सी॰डी॰ टीवी था। इस भाग में भी एयर कींडीशनर के म्स्प्लट यतनट लगे हुए थे, जहाीं गमी का एहसास भी
नहीीं होता था। सोर्े के सामने सेंटर टे बल पे बहुत सारी पबत्रकायें सलीके से रखी हुई थीीं।

उन्होंने उत्सक
ु ताबश एक मैगजीन उठा सलया। वो मैगजीन भी अडल्ट मैगजीन थी, म्जसमें ससर्च समलैंगगकों के
र्ोटो थे। वो दे खकर मैगजीन के पन्ने पलटने लगी।

मैं उनके र्ेहरे को दे ख रहा था जो एकदम से लाल हो गया था। पता नहीीं शमच से हुआ था या वासना से।

उन्होंने दसरा मैगजीन उठा सलया, वो भी अडल्ट मैगजीन था म्जसमें लड़कों और लड़ककयों की र्ुदाई के र्ोटो
थी। मैडम उस मैगजीन को बहुत ही गौर से दे ख रही थी, और लगता था की हर एक र्ोटो को बहुत ही गौर से
दे ख रही हैं। क्योंकी एक-एक पेज को कार्ी दे र तक दे ख रही थी।

म्जतनी दे र तक वो मैगजीन दे खती रही, मैं उनके र्ेहरे के उतार र्िाओ को दे खता रहा। उनके र्र्े मस्ती में
ऊपर-नीर्े हो रहे थे। मेरा ढ़दल कर रहा था की अभी उनके र्र्े को पकड़कर मसल डालूँ । पर मैंने अपने ऊपर
काब रखा की बड़े घर की वाइर् है , अगर कुछ गलत हो गया तो पता नहीीं शामत ही ना आ जाए, और पता
नहीीं ककस मश
ु ीबत का सामने करना पड़े, इसीसलए खामोश रहा।

मैगजीन दे खते-दे खते उनकी साूँस बहुत ही तेज र्ल रही थी। इतने में उन्होंने मैगजीन का अींततम पन्ना पलट
ढ़दया, जहाीं एक लींबे और मोटे लण्ड से मलाई की मोटी वपर्कारी तनकलकर लड़की की नींगी गर्कनी र्त पे गगर
रही थी। उन्होंने उसको भी बहुत ही गौर से दे खा।

कर्र जैसे ही उन्होंने मैगजीन नीर्े टे बल पे रखा मैंने बोला- “र्सलए मैडम दसरे कमरे में र्लते हैं…”

तब शायद वो अपने होशो-हवास में वापस आ गई और मझ


ु े घर के दे खने लगी। उन्होंने पछा- “यह पबत्रकायें भी
औरतें दे खती हैं?”

मैंने बोला- “हाूँ मैडम…”

उन्होंने पछा- “यहाीं तो समलैंगगकों की पबत्रकायें भी हैं?”

मैंने बोला- “हाूँ मैडम। इस दतु नयाीं में ऐसी बहुत सी औरतें हैं, म्जन्हें मदों से सख
ु नहीीं समलता और वो
समलैंगगक बन जाती हैं, और उनको वो सख ु जो मदो से नहीीं समलता वो औरतों से समल जाता है और हमारी
लड़ककयाीं इसमें खास तौर पर प्रसशक्षक्षत हैं। जो भी गोल्ड सदस्य समलैंगगक हैं, हमारी लड़ककयाीं उनको वो सख

भी दे ती हैं…”

उनका मूँह
ु है रत से खल
ु गया और पछा- “क्या आप सर् कह रहे हो?”

मैंने बोला- “हाूँ मैडम। मैं एकदम से सर् कह रहा हूँ और अगर आप कभी ऐसे समय पर आएीं जब पालचर खुला
हो तो आप अपनी आूँखों से भी दे ख सकती हैं…”

12
उन्होंने कहा- “अच्छा दे खग
ूँ ी कभी…”

मैंने बोला- “आइए मैडम आपको दसरी सवु वधा ढ़दखाता हूँ…” और वो मेरे साथ उस रूम से बाहर तनकल गई।

मैंने दे खा की रूम से बाहर तनकलते-तनकलते उन्होंने अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी र्त को बहुत जोर से दबा
ढ़दया था। मैं समझ गया की शायद मैडम की र्त गीली हो गई है या हो सकता है की शायद वो झड़ गई हो। मैं
उनको लेकर दसरे रूम में आ गया। यहाीं म्स्वसमींग पल के ककनारे जैसी पड़ी होती है वैसी आराम कुससचयों थीीं, जो
पीछे की तरर् झक
ु ी हुई थीीं और घट
ु ने के पास से थोड़ी सी उभरी हुई थी। उसपे बैठने से पीठ को और पैरों को
बहुत सक
ु न समलता था। यह आराम करने का रूम था। जब सदस्य थक जाते हैं तो यहाीं आराम करते हैं।

उन्होंने पछा- “अरे ऐसे मासलश से तो सशगथलता ही होती है कर्र कैसे थक जाती हैं?”

मैं हूँस पड़ा और बोला- “आइए मैं आपको ढ़दखता हूँ की वो कैसे और क्या करके थक जाती हैं?”

हम दसरे रूम में आए। मैंने बोला- “यह भी एक स्पेशल रूम है जहाीं अलग टाइप के उपकरण रखे थे और इस
वाले भाग में सेक्स के और र्ुदाई के बहुत सारे उपकरण हैं, और ववसभन्न प्रकार के डडल्डो हैं। दो इींर् के डडल्डो
से ले के 10 इींर् के डडल्डो तक, अलग-अलग मोटाई के। थोड़े डडल्डो तो अल्यसमतनयम के हैं, जो बहुत ही
गर्कने और म्स्लपरी होते हैं। कुछ डडल्डो हाडच प्लाम्स्टक के हैं और कुछ मल
ु ायम रबरी प्लाम्स्टक के हैं। कुछ
डडल्डो में तो थरथराने वाले भी लगे हुए हैं जो बबजली से र्लते हैं या बैटरी से र्लते हैं।

मैं सब डडल्डो के बारे में डीटे ल्स में बताने लगा तो उनका मूँह
ु है रत से खुलता र्ला गया, और वो र्ुदाई के
उपकरण को ऐसे दे खने लगीीं जैसे उनको अपनी आूँखों पे यकीन नहीीं आ रहा हो। मैंने उनको एक छोटा सा दो
इींर् वाला वपस्टल की बल
ु ेट जैसा डडल्डो ढ़दखाया म्जसके बेस में से एक एलेम्क्ट्रक की वायर तनकली हुई थी। मैंने
बोला- “इसको अींदर रखकर प्लग आन करने से यह अींदर वाइब्रेट करता है और औरत को बहुत ही मजा आता
है …” मझ
ु े लगा की अब यह मझ
ु से थोड़ा खुलकर बात करना र्ाहती हैं।

उन्होंने पछा- “इतना छोटा सा कैसे मजा दे सकता है ?”

मैंने कहा- “मैडम मैं बाहर र्ला जाता हूँ, अगर आप कोसशश करना र्ाहें तो मझ
ु े कोई प्राब्लम नहीीं है…”

उन्होंने बोला- “अभी नहीीं ककसी और समय मैं आऊूँगी और इसे उपयोग करके दे खग
ूँ ी…”

मैं खामोश हो गया, और दसरे रूम की ओर बिते हुए बोला- “आइए मैडम यह दसरा वाला भी बहुत ही स्पेशल
रूम है …”

वो भी मेरे साथ रूम के अींदर आ गई, जहाीं कमरे में 3 र्द


ु ाई की मशीनें लगी हुई थीीं। यह एक साइकल टाइप
की मशीन थी, म्जसपे लड़की सीधी या उल्टी लेट जाती जैसी जरूरत हो, और उस मशीन में लीवसच लगे हुए थे
और उसके ऊपर एक अल्यसमतनयम का लींबा रोड था म्जसका एक ससरा रोटे टर के साथ लगा हुआ था और दसरे
ससरे पर एक हाडच रब्बर का लींबा मोटा लण्ड लगा हुआ था और सर् में दे खने में एक मोटा लण्ड ही नजर आता
था। यह लण्ड र्मक रहा था।
13
उन्होंने पछा- “यह क्या है ?”

मैंने बताया- “यह मशीन है । यहाीं सदस्य इस सीट पे लेट जाती हैं और अपने आपको ऐसे समायोम्जत करती हैं
की… …”

और कर्र अपने लण्ड पे हाथ र्ेरते हुए बोला- “ऐसे समायोम्जत करने में यह औरत के अींदर मेकैतनकली अींदर-
बाहर होने लगता है और लड़की को म्जतनी अींदर तक लेना हो, वो अपने आप ही समायोम्जत कर लेती है । और
अगर इससे भी मोटा र्ाढ़हए तो इस आम्ल्मरा में स्पेयर डडल्डो रखे हैं, वो अपनी म़ी से म्जतना बड़ा और
म्जतना मोटा लेना है वो लगा लेती है । यह दे खखए यहाीं इसके बेस में थ्रेड्स बने हुए हैं। अगर ककसी को छोटा या
बड़ा लगाना हो तो यहाीं से घम
ु ाकर तनकाल सकते हैं, और अपनी म़ी का मोटा लगा सकते हैं। इसको पहले
यहाीं से घम
ु ाते हुए मैन्यअ
ु ल म्स्थतत समायोम्जत की जाती है और जब म्स्थतत समायोम्जत हो जाती है तो अपनी
म़ी से म्जतनी जोर से अींदर-बाहर करवाना र्ाहते हैं, हो जाता है । और यह जो दसरी मशीन है इसमें डबल
वाला लगा हुआ है । कुछ औरतों को दोनों छे दों में एक साथ र्ाढ़हए होता है तो, यह दे खखए एक सीधा है और
दसरा थोड़ा सा आींगल बनाए हुए है , एक सामने से जाता है और दसरा पीछे से। इसपर लड़की उल्टा लेटती है
और डागी पोजीशन में हो जाती है तो आींगल और पोजीशन सही समलती है । यह मशीन भी कींट्रोल्ड है, म्जतनी
तेज र्लाना र्ाहें र्ला सकते हैं। और यह दे खखए यह जो पाइप में नोजल लगा हुआ है, उसमें से पानी की धार
बहुत तेजी से तनकलती है और यहाीं बेड पे लेटकर औरत अपनी टाूँगें खोलकर उसकी धार को सीधे अपनी
म्क्लटोररस पर लेती है । और कर्र उसको ऐसा मजा आता है कक पतछये मत, और तेज धार के लगातार
म्क्लटोररस पे पड़ते ही वो झड़ जाती है…”

वो है रत से इन मशीनों को दे खने लगी, जैसे की उनको अपनी आूँखों पे यकीन नहीीं आ रहा था की दतु नयाीं में
ऐसी औरतें भी हैं, जो सेक्स की इतनी दीवानी हैं।

मैंने दे खा की वो उस उपकरण के करीब र्ली गई और उसपे लगे लण्ड को अपने हाथों में लेकर प्यार से धीरे -
धीरे आगे-पीछे करके सहलाने लगी। शायद वो यह भल गई थी की मैं भी रूम में हूँ, और कर्र उस रब्बर के
लण्ड को अपने हाथ में पकड़कर उसका मठ मारने लगी।

मैं वहाीं से थोड़ा सा हट गया ताकी वो मजे ले सके। वो अपने खयालों में खोई रही और उनका हाथ उस नकली
लण्ड का मठ मारता रहा। थोड़ी दे र में जब उनको एहसास हुआ की वो क्या कर रही हैं तो वो एकदम से र्ौंक
गई और इधर-उधर दे खने लगी, जैसे कोई उन्हें दे ख तो नहीीं रहा। मैं जानबझ कर दसरी ओर मूँह
ु करके ऐसा
पोज दे रहा था जैसे ककसी मशीन का कोई स्क्र कस रहा हूँ।

मैं ततरछी नजरों से उनको दे ख भी रहा था और तनम्श्र्त रूप से वो लण्ड को मठ मारते-मारते अपनी र्त की भी
मासलश कर रही थी। उनका मूँह
ु मेरी तरर् नहीीं था, लेककन उनके हाथ के र्ाल से पता र्ल रहा था की वो र्त
की मासलश ही कर रही है । हाूँ थोड़ी दे र के बाद उन्होंने इधर-उधर दे खा और मेरी तरर् र्ली आई। अब उनकी
साूँस बहुत ही तेज र्ल रही थी, उनके मूँह
ु से आवाज नहीीं तनकल रही थी।
उन्होंने लड़खड़ाती आवाज में पछा- “राज तम ु भी मासलश करते हो?”

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मैंने कहा- “हाूँ मैडम। मैं भी प्रसशक्षक्षत हूँ, लेककन यहाीं मढ़हलाओीं के भाग में हमारी मासलश ववशेषज्ञ लड़ककयाीं ही
मासलश करती हैं। मैं तो बस ववशेष सेवाओीं के सलए ही लड़ककयों की मासलश करता हूँ…”

उन्होंने बोला- “यह ववशेष सेवायें क्या होती हैं?

मैंने बोला- “हमारे गोल्ड सदस्य जब डडमाींड करती हैं तो ही मैं उनकी मासलश करता हूँ, और वो भी जब दसरे
सामान्य और ससल्वर सदस्य जा र्क
ु े होते हैं। मैं गोपनीयता की खाततर ऐसा करता हूँ…”

उन्होंने बोला- “मझ


ु े एक मासलश की जरूरत है राज…”

मैंने बोला- “अरे मैडम आज तो हमारी कोई भी लड़की नहीीं है , और अभी तो यहाीं कुछ काम र्ल रहा है इसीसलए
पालचर 3 ढ़दन तक बींद है …”

उन्होंने कहा- “मझ


ु े पता नहीीं है , मझ
ु े अभी एक बहुत ही खास मासलश की जरूरत है …”

मैंने बोला- “दे खखए मैडम, मैं मासलश कर तो दूँ गा पर आपको पता होना र्ाढ़हए की यहाीं मासलश के समय पर जो
कपड़ा डाला जाता है वो नहीीं है । आपके कपड़े खराब हो जायेंगे, अगर आप ऐसे ही मासलश करवाएींगी तो। और
यहाीं मेरे और आपके ससवा और कोई भी नहीीं है …”

उन्होंने कहा- “राज मझ


ु े परवाह नहीीं है की कोई है की नहीीं? बस मझ
ु े अभी और इसी वक़्त ववशेष मासलश
र्ाढ़हये। मैं आपको वोह दूँ गी जो आप र्ाहते हैं…”

मैंने बोला- “अरे मैडम पैसों की ऐसी कोई बात नहीीं, हमारे सदस्य का सींतम्ु ्ट ही हमारा आदशच है …”

उन्होंने अपना पसच खोला और र्ेकबक


ु तनकालकर सामने टे बल पर रखी और पसच से गोल्डेन पेन तनकाला और
र्ेक साइन कर ढ़दया और बोला- “रासश तम
ु सलख लेना। मझ
ु े गोल्ड सदस्यता र्ाढ़हए अभी… और मेरी सदस्यता
इसी समय से शरू
ु हो जाएगी…”

मैंने बोला- “मैडम, आप आज से ही हमारी गोल्ड काडच सदस्य हैं, और आपकी सेवा करना हमारा धमच है । र्सलए
आइए आप जैसा कहें गी मैं वैसा ही करूूँगा…”

वो मेरे साथ मासलश वाले भाग में आ गई।

मैंने मैडम से बोला- “मैडम यहाीं आप अपने कपड़े रख सकती हैं…” मैंने इशारे से उनको एक रूम बताया। वहाीं
एक छोटा सा र्ें म्जींग रूम था, यहाीं सदस्य अपने कपड़े उतारकर हैंगसच में टाूँग दे ते हैं और नींगे ही आराम से
घमते हैं। कर्र मैंने मैडम से बोला- “आप यहाीं जाकर र्ें ज कर लें मैडम, नहीीं तो आपके कपड़े खराब हो जायेंगे।
और हाूँ जैसा की मैं बता र्क
ु ा हूँ की यहाीं कोई र्द्दर नहीीं है …”

उन्होंने बोला- “राज यहाीं इतनी धीमी पावर के बल्ब लगे हैं, इसमें कोई ककसी को क्या दे ख सकता है? कोई बात
नहीीं, यहाीं मेरे और तम
ु हारे ससवा और कोई भी तो नहीीं है ना… र्लो मैं अभी कपड़े उतारकर आती हूँ…”
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मैंने बोला- “मैडम आप वापस आकर इस टे बल पर लेट जाइए। ओह्ह… ओह्ह… ओह्ह… एक समनट रुककये मैडम…
मझ
ु े एक जगह सर्ेद मलमल का कोई कपड़ा और एक छोटा सा तौसलया ढ़दखाई दे रहा था। कर्र मैंने बोला-
“मैडम आप यह ओिनी ओिकर लेट जाइए, शायद ककसी पालचर की लड़की की रह गई होगी। आप इतसमनान से
प्रयोग कर सकती हैं…”

उन्होंने बोला- “अरे पता नहीीं ककस बेर्ारी की होगी? और अगर तेल से खराब हो गई तो मझ
ु े अच्छा नहीीं
लगेगा…”

मैंने बोला- “आपकी म़ी मैडम…” और कहा- “मैं शावर रूम से तौसलया लेकर आता हूँ। मझ
ु े भी तो र्ें ज करना
है , नहीीं तो मेरे भी कपड़े खराब हो जायेंग…
े ”

उन्होंने पछा- “तम


ु क्या र्ें ज करोगे?”

मैंने बोला- “मैं एक तौसलया लपेट लूँ गा और कुछ नहीीं, अगर र्ें ज नहीीं ककया तो मेरे कपड़े तनम्श्र्त ही खराब हो
जायेंगे। क्योंकी हम बहुत ही ववशेष तेल और लोशन्स इश्तेमाल करते हैं, इसीसलए कपड़ों पर दाग धब्बे लगने का
खतरा रहता है, और अगर तौसलया पर कुछ लग भी गया तो मैं उसको र्ें ज कर लूँ गा। यह तौसलया सामान्य
सख
ु ाने का तौसलया जैसा नहीीं था बल्की पतले से काटन के कपड़े का था जैसा की व्यींजन और प्लेट को पोंछने
के सलए होता है ।

उन्होंने कहा- “ठीक है कोई बात नहीीं तम


ु तौसलया लपेट लो…”

मैंने बोला- “मैडम आप जब भी तैयार हो जाएीं तो मझ


ु े पक
ु ार लेना…”

उन्होंने कहा- “ठीक है…”और वो बजाए अींदर र्ें म्जींग रूम में जाने के वहीीं खड़े-खड़े ही अपनी साड़ी, ब्लाउ़,
पेढ़टकोट, ब्रा और पैंटी तनकालकर करीब पड़े सोर्े पर रख ढ़दए और टे बल पर बबना कुछ बदन पर डाले एकदम
से नींगी उल्टी होकर पेट के बल लेट गईं और मझ
ु े अींदर आने को बोला।

मैं जैसे ही अींदर आया उनके नींगे गोरे बदन और दगधया र्तड़ों को दे खकर पागल हो गया। मेरा लण्ड एक झटके
से खड़ा हो गया और तौसलये में तींब बन गया। मैंने पछा- “आप तैयार हैं मैडम?”

उन्होंने बोला- “हाूँ तम


ु शरू
ु करो जल्दी से, और आराम से करना। मझ
ु े घर जाने की कोई जल्दी नहीीं है । मैं
मासलश का भरपर मजा लेना र्ाहती हूँ…”

मैंने कहा- “ओके मैडम… मझ


ु े यकीन है की आप यहाीं से सींत्ु ट होकर ही जाएींगी…”

उन्होंने भी उसी टोने में कहा- “हाूँ बस तम


ु मझ
ु े सींत्ु ट कर दो…”

ये सन
ु कर मेरे कान खड़े हो गये। मैं ढ़दल में सोर्ने लगा की मैं कौन सी सींतम्ु ्ट की बात कर रहा था और यह
मैडम कौन सी सींतम्ु ्ट की बात कर रही हैं। यह सोर्कर ही मेरे लण्ड में एक और झटका लगा और वो कुछ
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ज़्जयादा ही तन गया। मैंने जो तौसलया लपेटा था वो कुछ छोटा सा था। उसको मैंने मोड़ करके एक तरर् से बाींध
सलया था और वो इतना कसा हुआ भी नहीीं था। मैं मैडम की बगल में आ गया और वहाीं रखी कपबोडच से ववशेष
मासलश का सग
ु गीं धत तेल तनकाला, म्जसका ढक्कन खोलने से ही कमरे में खुश्ब र्ैल गई।

तब मैडम ने एक गहरी साूँस सलया और बोली- “राज यह तो बहुत ही खुश्ब वाला तेल है …”

मैंने बोला- “हाूँ मैडम। यह जमचनी से मूँगवाया गया है, अपने ववशेष ग्राहकों के सलए…” कर्र तेल लेकर मैंने
उसको मैडम के दोनों कींधों से लेकर र्तड़ तक “टी” की शकल में तेल टपकाया और बोतल को बींद करके पहल
में रख ढ़दया और कर्र तेल को दोनों कींधों पर र्ैलाया और कर्र पीठ पर र्ैलाया। समायोज्य टे बल था तो मैंने
टे बल की उीं र्ाई को ऐसे सेट ककया की वो मेरे जाींघों तक आ गई।

टे बल ककसी स्कल के बेंर् म्जतना र्ौड़ी थी। इतनी की बस एक आदमी उसपे लेटे तो टे बल का बहुत ही थोड़ा सा
ढ़हस्सा ढ़दखाई दे ता था। ऐसी उीं र्ाई वाले टे बल पर और ऐसी पोजीशन में मासलश करने में आसानी होती है ।
बहुत थोड़ा सा झुकना पड़ता है और इतना झुकने से मासलश भी सही दबाव से होता है । कल्क्यल
ु ट
े े ड दबाव से
मासलश करने से बदन एकदम से हल्का महसस होने लगता है । मासलश करवाने वाले को लगता है की वो हवा में
उड़ रहा है ।

मैडम के ऊपर तेल डालकर जैसे ही र्ैलाना शरू


ु ककया कक मैडम का बदन थोड़ा कस गया।

मैंने बोला- “आराम से मैडम अपने बदन को ढीला छोड़ दीम्जए…”

वो बोली- “नहीीं बहुत ढ़दनों बाद ककसी मदच का हाथ लगा है मेरे बदन पर, इसीसलए थोड़ा सा अकड़ गया था…”

मैंने पछा- “क्यों मैडम राय साहे ब घर में नहीीं हैं क्या?”

उन्होंने एक गहरी साूँस ली और बोली- “वो कहाीं होते हैं, उनको खद


ु ही खबर नहीीं होती। एक ढ़दन भी तो घर में
ठीक से रात गज
ु ारे उन्हें पता नहीीं ककतने साल हो गया। वो आज यहाीं, तो कल लण्डन, तो परसो रूस, फ्रान्स
कर्रते ही रहते हैं। उनके पास कहाीं समय है ककसी के सलए भी…”

मैं- “ओह्ह… कर्र तो आप कार्ी अकेला र्ील करती होंगी। आपको हमारी सदस्यता पसींद आएगी। आप यहाीं डेली
आ सकती हैं, और अपना समय पास कर सकती हैं…”

उन्होंने बोला- “हाूँ अब मैं यहाीं डेली ही आया करूूँगी…”

इसी तरह की बातें करते-करते मैं मासलश कर रहा था। कभी पहल में खड़े होकर करता, तो कभी अपने पैर टे बल
के दोनों तरर् डालकर पीठ पर मासलश करता। मैडम के गोरे -गोरे , गोल-गोल र्तड़ दे खकर जी तो कर रहा था
की यही तेल मैडम की गाण्ड में डालकर अपना लण्ड घस
ु ेड़कर गाण्ड मार दीं उनकी। पर मझ
ु े डर था की कहीीं
मामला बबगड़ ना जाए, इसीसलए मैंने कुछ नहीीं ककया।

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मैं कोई ररस्क नहीीं लेना र्ाहता था। मैं टे बल के दोनों तरर् टाूँगें रखकर मैडम की पीठ की मासलश कर रहा था
और अब कींधों की मासलश करना र्ाहता था। थोड़ी दे र पीठ की मासलश करने के बाद मैंने थोड़ा सा तेल उनके
र्तड़ों पर डाला, और उनके र्तड़ों को ऐसे मासलश ककया या ऐसे मसलने लगा जैसे मढ़हलायें रोटी पकाने से
पहले आूँटा गध
ीं ती हैं। दोनों हाथों से मसल रहा था तो उनकी गाण्ड का गल
ु ाबी छे द ढ़दखाई दे रहा था।

इतना मस्त छे द था की क्या बताऊूँ… दोस्तों, जी कर रहा था की बस अब इस गाण्ड को र्ाड़ ही डाल।ीं पर


अपने ऊपर काब रखना पड़ा। थोड़ी दे र उनकी गाण्ड की मासलश करने के बाद मैंने उनकी टाूँगों पर भी थोड़ा सा
तेल डाला और दोनों टाूँगों को अपने दोनों हाथों को एक दसरे से समलाकर हाथों को नमस्ते के तरीके में बींद
ककया और ऐसे पकड़कर मासलश ककया और उनकी वपींडली के गोश्त को अपने दोनों हाथ खड़े करके ऐसे मारने
लगा जैसे कसाई गोश्त का कीमा बनाने के सलए गोश्त के ऊपर अपना छुरा मारता है ।

जब इस भाग की मासलश हो गई, तब मैं उनके कींधों की मासलश करना र्ाहता था। मैं टे बल से घमकर मैडम के
सामने की तरर् आ गया। क्योंकी मझ
ु े यकीन था की अगर मैं उसी पोजीशन में और वहीीं खड़े-खड़े उनके कींधों
तक झक
ु ता तो मेरा लण्ड तनम्श्र्त ही उनकी गाण्ड से लग जाता, इसीसलए मैं घमकर उनके सामने आ गया।
मैडम अपने दोनों हाथ मोड़ करके अपने दोनों हाथों पर अपनी ठोड़ी ढ़टका कर लेटी थी।

मैडम की आूँखें बींद थी तो मैंने पछा- “मैडम कैसा र्ील कर रही हैं आप?”

उन्होंने अपनी आूँखें खोली और बोली- “राज क्या बताऊूँ… तम


ु हारे हाथों में तो जाद है । मझ
ु े तो ऐसा लग रहा है
की जैसे मेरा बदन बबल्कुल हल्का हो गया है, और मैं हवा में उड़ रही हूँ…”

मैं अब उनके मूँह


ु के सामने खड़ा था और मेरा लण्ड बहुत ही जोर से अकड़ा हुआ था। मेरी समझ में नहीीं आ
रहा था की कैसी पोजीशन ल? ीं क्योंकी अगर मैं ठीक मैडम के मूँह
ु के सामने खड़ा होता तो मेरा लण्ड मैडम के
र्ेहरे से टकरा जाता और पहल में खड़ा होता तो कींधों पर वो दबाव नहीीं बनता, जो मैं करना र्ाहता था।

मैं इन्हीीं खयालों में था की मैडम ने मेरे लण्ड पर हाथ से धीमे से टर् ककया और बोला- “राज यह तो बहुत ही
अन्याय है राज…”

मैंने बोला- “मैडम क्या बात है , मैं कुछ समझा नहीीं?”

मैडम ने बोला- “मैं तो नींगी लेटी हूँ और तम


ु यह तौसलया लपेटे हुए हो…” इतना कहते-कहते उन्होंने तौसलया का
वो भाग जो दसरी तरर् से बाूँधा गया था उसको खीींर्कर तनकल ढ़दया, तो तौसलया नीर्े नहीीं गगरा बल्की मेरे
लण्ड पर ऐसे अटक गया जैसे ककसी खट
ूँ े से टाूँग ढ़दया गया हो, और उममीद में लण्ड झटके खाने लगा।

मैं अब उनके सामने एकदम से अपना लींबा मोटा अकड़ा हुआ लण्ड लेकर उनके मूँह
ु के सामने खड़ा था।

मेरे लण्ड को दे खते ही उनके मूँह


ु से- “वाउ… अरे बाप रे इतना लींबा और इतना मोटा… तम
ु हारे पास तो जबरदस्त
हगथयार है, एकदम से लोहे जैसा सख़्त… लड़ककयाीं तो दीवानी होंगी इसकी?”

मैं कुछ नहीीं बोला।


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अब उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे र्तड़ों को पकड़ सलया और अपने करीब करते हुए बोला- “करीब आकर
मासलश करो ना… उतनी दर से कैसे करोगे?”

जैसे ही उन्होंने मझ
ु े थोड़ा सा अपनी तरर् खीींर्ा, मैं एक कदम आगे आ गया और मेरा लण्ड उनके गाल से
लगने लगा।

उन्होंने मेरे लण्ड को पकड़ सलया और लण्ड को दबाकर बोली- “आह्ह… यह तो बहुत मजबत भी है, एकदम से
लोहे जैसा…”

इससे पहले की मैं कुछ और बोलता या उनके कींधों की मासलश शरू


ु करता, मैडम ने मेरे लण्ड के सप
ु ाड़े को र्म
सलया। बस मैडम के नरम नरम हाथ और कर्र मल
ु ायम होंठों का स्पशच पाते ही मेरे लण्ड से एक मोटी सी
र्मकती हुई प्री-कम की बद ीं तनकलकर सप ु ाड़े के छे द पर र्मकने लगी, तो उन्होंने लण्ड के डींडे को दबाया तो वो
प्री-कम की बद
ीं सपु ाड़े के छे द से टपक के नीर्े गगरने को थी की मैडम ने वो बद ीं को अपनी जीभ पर ले सलया
और मजे से र्ाट गई।

मेरा अकड़ा हुआ लण्ड दे खकर मैडम इतनी उतावली हो गई की उन्होंने एक ही समनट में गप्प से लण्ड को अपने
मूँह
ु में ले सलया और इतनी जोर-जोर से र्सने लगी जैसे की मैं कहीीं भागा जा रहा हूँ।

मझ
ु े यकीन नहीीं आ रहा था की शहर के करोड़पतत की पत्नी के मह
ूँु में मेरा लण्ड है , और वो इसे बड़े मजे से
र्स रही है । मेरा तो मस्ती के मारे बरु ा हाल हो गया था। मैं कींधे पर मासलश करते-करते उनके मूँह
ु को र्ोद
रहा था। उनके दोनों हाथ मेरे बदन को अपने घेरे में ले र्ुके थे और उन्होंने मेरे र्तड़ों को पकड़ा हुआ था। मैं
कींधों की मासलश कर रहा था और उनके मूँह
ु को र्ोद रहा था।

मेरा लण्ड पहले तो उनके मूँह


ु में थोड़ा सा कस गया कर्र उन्होंने अपना मूँह
ु कुछ और खोल सलया और लण्ड
अब आराम से उनके गले तक जा रहा था। तकरीबन 20 या 25 समनट तक मैं उनके कींधों की मासलश करता
रहा और उनके मूँह
ु को र्ोदता रहा। जब मेरा लण्ड उनके गले तक जाता तो मझ ु े बहुत ही मजा आता। कर्र
मझु े लगा की अब मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपना लण्ड उनके मूँह
ु से बाहर खीींर्कर तनकाला, तो उन्होंने कर्र
से मझ
ु े अपनी तरर् खीींर् सलया।

मैंने उनको बोला- “मेरा तनकलने वाला है…”

उन्होंने इशारे से ससगन ढ़दया की मैं उनके मूँह


ु में ही मलाई तनकालूँ । बस कर्र क्या था ग्रीन ससगन समलते ही
मैंने कींधों को छोड़कर उनके बगल में हाथ डाल ढ़दया और जोर-जोर से उनके मूँह
ु को र्ोदने लगा। और कर्र
उनके गले के अींदर तक लण्ड को घस
ु ेड़ ढ़दया और मेरे लण्ड से गरम-गरम मलाई दबाव से तनकलकर सीधे उनके
गले में गगरने लगी।

वो मजे से लण्ड र्स रही थी और मलाई खा रही थी। जब मेरे लण्ड से मलाई तनकलनी बींद हो गई, कर्र भी
उन्होंने मेरे लण्ड को अपने मूँह
ु से बाहर नहीीं तनकाला, बल्की ऐसे ही र्सती रही। म्जससे मेरा लण्ड बजाए

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मल
ु ायम होने के और टाइट होने लगा और दे खते ही दे खते मेरा लण्ड एक बार कर्र से ऐसे अकड़ गया था जैसे
पहले अकड़ा हुआ था।

मेरे अकड़े हुए लण्ड को दे खकर वो बोली- “राज यह तो कमाल का है, दे खो कैसे खड़ा है?”

मैंने बोला- “मैडम अब आप पीठ के बल लेट जाइए सामने से करता हूँ…”

मैडम मश्ु कुराकर बोली- “सामने से क्या करोगे?”

मैं तो एक सेकेंड के सलए शमाच गया कर्र बोला- “अरे मैडम आप भी ना… मैं और क्या करूूँगा मासलश ही तो
करूूँगा ना…”

उन्होंने बोला- “ठीक है…” और पलटकर सीधा पीठ के बल लेट गई। ऐसे लेटने से उनके मस्त र्र्े और उनकी
गल
ु ाबी गर्कनी उभरी हुई र्त ढ़दखाई दे ने लगी।

ऐसी मखमली र्त थी उनकी दोस्तो की क्या बताऊूँ… कहीीं भी एक बाल भी नहीीं था। लगता था की जैसे बेबी
र्त हो। र्त इतनी मल
ु ायम थी की लगता था की उनकी र्त पर नेर्ुरली कभी बाल आए ही ना हों। उनकी र्त
की पींखडु ड़याीं लाल थीीं, और थोड़ी सी मोटी थीीं और एक दसरे से गर्पकी हुई भी थीीं। लगता था की र्त की
पींखुडड़यों को एक दसरे से अलग हुए बहुत समय हो गया हो। र्त का पेड़ भी थोड़ा सा उभरा हुआ था। कुल
समलाकर, उनकी र्त बहुत ही शानदार ढ़दख रही थी।

उनके र्र्े शायद 34” या 36” के होंगे। एकदम से कड़क दगधया रीं ग के म्जस पर गल
ु ाबी रीं ग के मीडडयम साइज
के तनपल्स ढ़दखाई ढ़दए, जो की परे खड़े हो र्क
ु े थे। धीमी रोशनी में उनका बदन र्मक रहा था, ऐसा लग रहा
था जैसे कोई आसमान से उतरी हुई अप्सरा मेरे सामने नींगी लेटी है । मैं और मेरा लण्ड दोनों पागल हो गये ऐसी
सद
ुीं रता को दे खकर। लण्ड ऐसी गर्कनी मस्त र्त के दशचन पाते ही जोश में ढ़हलने लगा।

तब मैडम मश्ु कुराकर बोली- “यह बहुत बेर्ैन लगता है । उसको पछो राज की उसको क्या र्ाढ़हए?”

मैं कुछ नहीीं बोला।

कर्र मैडम ने खद
ु ही बोला- “ठीक है शायद भखा होगा बेर्ारा, उसको बोलो की थोड़ा इींतज
े ार करे , उसको भी
उसकी मन पसींद डडश समल जाएगी…” और मश्ु कुराने लगी।

मैं टे बल के दोनों तरर् अपने पैर डालकर खड़ा हो गया। मैडम मेरे दोनों पैरों के बीर् अपने पैर सीधे करके टे बल
पर सीधी लेटी थी। मैंने उनके पेट पर और थोड़ा सा तेल उनके र्र्े के आस पास और नासभ तक डालकर र्ैला
ढ़दया, और झक ु कर मासलश करने लगा। पेट पर तो बहुत ही धीमी मासलश कर रहा था। थोड़ा और ऊपर उनके
र्र्े के र्ारों तरर् अपनी उीं गसलयाीं घम
ु ा रहा था और मेरे हाथ का अींगठा उनके सीने पर था और बाकी की र्ार
उीं गसलयाीं उनके र्र्ों के दसरी तरर्। मैं उनके र्र्ों की तरर् की मासलश कर रहा था।

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थोड़ी दे र ऐसे ही करने के बाद मैंने उनके र्र्ों को अपने दोनों हाथों में पकड़ सलया तो मैडम के मूँह
ु से एक बड़ी
सी सससकारी सस्स्स्स… तनकल गई। उनके र्र्े कार्ी कड़क थे और दबाने में बहुत ही मजा आ रहा था, ऐसा
लग रहा था जैसे ककसी कूँु वारी लड़की के र्र्े को दबा रहा हूँ। अब मैं बबींदास उनके र्र्ों को मसल रहा था। तेल
की वजह से उनके र्र्े भी गर्कने हो गये थे। उनकी आूँखें बींद थी और वो अपने र्र्ों पर मेरे हाथ का मजा ले
रही थी।

मेरा लण्ड तो एकदम से अकड़ा हुआ था, और ऐसी प्यारी र्त दे खकर जोश में ढ़हल रहा था। अब मैं थोड़ा सा
पीछे हट गया और मैडम की दोनों टाूँगों पर तेल डालकर मासलश करने लगा। बहुत ही मल
ु ायम थी उनके टाूँगें।
मझ
ु े लग रहा था जैसे मेरा हाथ ककसी रे शमी मल
ु ायम कपड़े पर घम रहा है । टाूँगों पर बाल का नाम-ओ-तनशान
भी नहीीं था, ऐसा लग रहा था जैसे अभी-अभी वैम्क्सींग करवा के आई हों। अब मैं टे बल के नीर्े की तरर् खड़ा
हो गया और मैडम को थोड़ा सा सामने की ओर खीींर् सलया, ऐसे की टे बल पर उनके पैर घट
ु नों से नीर्े लटक
रहे थे और गाण्ड टे बल के ककनारे पर आ गई थी।

मैं उनकी दोनों टाूँगों के बीर् में खड़ा था। उनकी जाींघों और र्त के करीब तक तेल को टपका ढ़दया और उनकी
जाींघों की मासलश करने लगा। दोनों हाथों से दोनों जाींघों की मासलश कर रहा था। उनकी जाींघें बहुत ही सड
ु ौल
थीीं, ऐसा लगता था जैसे उनकी जाींघों को ककसी मततचकार ने बहुत ही अच्छी तरह से तराशा हो। उनके पैरों पर
और र्त की तरर् नीले रीं ग की नशें भी ढ़दखाई दे रही थीीं।

मैं उनकी दोनों टाूँगों के बीर् खड़ा दोनों जाींघों की मासलश दोनों हाथों से कर रहा था। ऊपर-नीर्े करते-करते
उनकी र्त की तरर् तक अपने अींगठे को ले गया तो उनकी गाण्ड अपने आप थोड़ी उठ गई। उनकी लटकी हुई
टाूँगें भी थोड़ी सी ऊपर उठ गई और उनका बदन टाइट हो गया। कर्र मैंने उनको थोड़ा सा और टे बल के ककनारे
तक खीींर्ा। ऐसी पोजीशन में उनकी गाण्ड एकदम से टे बल के ककनारे पर आ गई थी और उनकी र्त कुछ और
उठी हुई ढ़दखाई दे रही थी।

अब मैं सीधा उनकी र्त की पींखुडड़यों का मासलश कर रहा था। दोनों अींगठों से नीर्े से ऊपर और दोनों अींगठों
से र्त की पींखुडड़यों को रगड़ रहा था। जैसे ही मेरा हाथ उनकी र्त की पींखडु ड़यों से टकराया, उनकी र्त के
अींदर का समींदर बहकर तनकलना शरू
ु हो गया। उनकी आूँखें बींद थी और वो अपनी र्त पर मेरे हाथों का मजा
ले रही थीीं। उसकी साूँसें गहरी हो गई थी और एक ही समनट के अींदर उनका बदन जोर से अकड़ गया और
कमान की शकल का हो गया और वो सस्स्स्स की आवाज तनकालते हुए झड़ने लगी और मैं लगातार उसी
पोजीशन में र्त की मासलश करता रहा।

अब मेरे लण्ड का बहुत ही बरु ा हाल हो गया था। मेरा खड़ा होना क्टदायक हो गया था। मैं मैडम की र्त के
होंठों को ऊपर से दबाकर मासलश कर रहा था और र्त के होंठ बहुत ही लाल और र्मकीले हो गये थे। मैंने
झुक कर मैडम की र्त पर ककस ककया तो र्ौरन ही मैडम का हाथ मेरे ससर पर आ गया और मेरे ससर को
पकड़कर अपनी र्त में घस ु ा सलया। अपनी लटकी हुई टाूँगों को उठाकर मेरे ऊपर कैं र्ी बनाकर मझ
ु े अपनी ओर
खीींर्ने लगी। उनकी गाण्ड टे बल से उठ गई थी। मैं मैडम की मस्त र्त का स्वाद ले रहा था। जीभ को गोल
करके उनकी र्त के छे द में अींदर-बाहर करने लगा।

तब वो जैसे दीवानी हो गई और उनके मूँह


ु से गासलयाीं तनकलने लगीीं- “र्ल साले र्स जोर-जोर से र्स, कभी
दे खी है ऐसी र्त… र्ल र्ोद मेरी र्त को अपनी जीभ से, अभी अच्छी तरह से र्स…”
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मैंने उनकी र्त को अपने मूँह
ु में भर सलया और अपने दाूँतों से पान जैसे र्बा ढ़दया, तो उनकी गाण्ड टे बल से
एक र्ुट ऊपर उठ गई और मेरे ससर को पकड़कर अपनी र्त में घस
ु ेड़कर कसकर पकड़ सलया। मैं मैडम के मूँह

से गासलयाीं सन
ु कर है रान रह गया। अब मैंने भी सोर्ा की साली की र्त मार-मारकर डबल रोटी की तरह से
सज
ु ा दूँ गा।

मैडम की र्त से अमत


ृ तनकलने लगा और मैंने सोर्ा की यह करोड़पती र्त का अमत
ृ है , इसका एक बद
ीं भी
नीर्े गगरने दे ना पाप होगा। इसीसलए उनकी र्त का सारा अमत ृ पी गया। जैसे ही उनका झड़ना खतम हुआ वो
गहरी-गहरी साूँसें लेती हुई टे बल पर लेट गई। उनकी गाण्ड वापस टे बल पर आ गई। मैडम के झड़ने के बावजद
मैंने उनकी र्त को र्ाटना नहीीं छोड़ा और ऐसे ही र्ाटने लगा।

एक ही समनट के अींदर उनको कर्र से जोश आने लगा। अब वो कर्र से गासलयाीं दे ने लगीीं। उनके मूँह
ु से गासलयाीं
अच्छी भी लग रही थीीं। सन
ु ने में मजा भी आ रहा था। उन्होंने कहा- “साले बहनर्ोद यह लींबा मोटा लण्ड लेकर
क्या कर रहा है? तझ
ु े यह गर्कनी र्त ढ़दखाई नहीीं दे ती क्या? क्या समझता है त? र्ल बहन के लौड़े र्ोद डाल
इसको, मार मेरी र्त। र्ल जल्दी से अींदर डाल दे … मेरी र्त में आग लगी हुई है …”

अब मझ
ु से और सबर नहीीं हो रहा था। मैंने अपने लण्ड को जैसे ही उनकी र्त से सटाया उनका हाथ मेरे लण्ड
पर आ गया और उन्होंने मेरे लण्ड के डींडे को पकड़ सलया और अपनी र्त में रगड़ने लगी, नीर्े से ऊपर और
ऊपर से नीर्े। इसी बीर् लण्ड का टोपा उनकी र्त के छे द में अटक जाता तो उनके मूँह
ु से सस्स्स और
आअह्ह… की सससकारी तनकल जाती। उनकी र्त बहुत ही गीली हो गई थी।

मैं नीर्े खड़ा हुआ उनके ऊपर झुक गया। उनके र्र्े को पकड़कर मसल ढ़दया और उनको ककस करने लगा।
उन्होंने अपना मूँह
ु खोल ढ़दया और मेरी जीभ को र्सने लगी। हम दोनों एक दसरे से ऐसे सलपटे हुए थे, जैसे
बरसों परु ाने आसशक हैं, और आज ही एक दसरे से सलपटने का मौका समला है । ककस करते-करते मैंने थोड़ा दबाव
अपने लण्ड पर डाला।

तब उनके मूँह
ु से- “ऊऊईईई ममममाूँ…” तनकला, और उन्होंने मझ
ु े कसकर पकड़ सलया।

मैं उनके ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा तो उन्होंने मेरे कान में धीमे से कहा- “राज आज र्ोद डाल इस रीं डी की र्त
को… र्ाड़ डाल इसको। यह तेरे राय साहे ब तो र्ोदना ही भल गये हैं। उनको पैसे कमाने से र्ुसचत ही नहीीं
समलती जो मझ
ु े र्ोदें गे। ऐसे र्ोद, ऐसे र्ोद की र्त का भरता बन जाए। मेरे ऊपर कोई दया नहीीं करना र्ाहे मैं
म्जतना गर्ल्लाऊूँ तम
ु मझ
ु े रगड़-रगड़कर र्ोदना। इतनी जोर-जोर से र्ोदना की मैं बेहोश हो जाऊूँ…”

मैंने धीरे से उनके होंठों को र्मते हुए कहा- “त आज से मेरी रीं डी है … अब दे ख मैं तझ
ु े कैसे र्ोदता हूँ?”

उन्होंने कहा- “हाूँ आज से मैं तेरी रीं डी हूँ और अब यह र्त ससर्च तेरे सलए ही है । र्ोद डाल इस बहनर्ोद को इसे
र्ुदे हुए कई बरस हो गये हैं। यह र्त लण्ड का स्वाद ही भल गई है । बरसों की प्यासी र्त है यह, र्ोद डाल
मेरे राजा… र्ोद-र्ोदकर इस र्त का भोसड़ा बना दे …”

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अब मैं समझ गया की यह दीपा राय बहुत बरस से नहीीं र्ुदी है और आज यह मस्ती में र्द ु वायेगी। मैं समझ
गया की यह बड़े घर की औरतें ककतनी तनराश होती हैं, और र्दु वाने को उतावली होती हैं। अभी मेरे लण्ड का
सप
ु ाड़ा उनकी र्त के छे द में ही अटका हुआ था।

मैं थोड़ा सा ऊपर उठ गया तो वो र्ौंक गई और बोली- “क्या हुआ साले… र्ोद डाल यह र्त को बहनर्ोद…”

अभी वो यह सेंटेन्स परा भी नहीीं कर पाई थी की मैंने अपने लण्ड को उनकी र्त से परा बाहर खीींर्ा, अपने
हाथ में लण्ड के डींडे को पकड़ा और परी ताकत से सीधा र्त के अींदर तक घस
ु ेड़ ढ़दया।

उनके मूँह
ु से र्ीख तनकली- “आआह्ह… इस्स्स ममार डाल्ला स्स्साल्ल्ले… ऊऊईई माूँ…” और उन्होंने मझ
ु े कसकर
पकड़ सलया। उनकी आूँखें बाहर को तनकल आईं, उनका र्ेहरा लाल हो गया और पशीने की बूँदें उनकी पेशानी
पर उभार के र्मकने लगीीं।

मझ
ु े ऐसा लग रहा था की मैं ककसी शादीशद
ु ा औरत को नहीीं बल्की ककसी छोटी उमर की कूँु वारी लड़की की र्त
को र्ोद रहा हूँ। उनकी र्त मेरे लण्ड को कसकर पकड़े हुए थी। अब मैंने पछा- “मैडम कैसा र्ील कर रही हो?”

उन्होंने बोला- “राज अब मैं तेरी रीं डी हूँ। मझ


ु े मैडम नहीीं रीं डी बोल, या दीपा बोल लेककन मैडम ना बोल…”

मैंने कहा- “ठीक है दीपा जान…”

तब दीपा ने अपने ससर को थोड़ा ऊपर उठाकर मझ


ु े ककस ककया और बोली- “हाूँ… आज से मैं तम
ु हारी जान हूँ
और तम
ु मेरे जानम हो…” इतनी दे र में दीपा की र्त के माींसपेशी मेरे लण्ड की मोटाई से समायोम्जत हो र्क
ु ी
थी। उनको अब ददच भी नहीीं हो रहा था।

जैसे ही दीपा ने अपनी गाण्ड उर्काई मझ


ु े आइडडया हो गया की अब र्ोदना शरू
ु करना र्ाढ़हए। मैंने अपना
लण्ड उनकी र्त से बाहर खीींर्ा और कर्र एक ही शाट में कर्र से र्त की गहराईयों में पहुूँर्ा ढ़दया। एक बार
कर्र से दीपा का बदन अकड़ गया और वो मझ ु से सलपट गई। मैंने अब उनको र्ोदना शरू ु ककया। उनकी र्त की
पींखडु ड़याीं मेरे लण्ड के डींडे के साथ अींदर जा रही थी और बाहर आ रही थीीं। मैं कस-कस के र्ोद रहा था। मेरे
पैर तो र्शच पर ढ़टके हुए थे, उसकी ही गग्रप लेकर र्ोद रहा था। पोजीशन और उीं र्ाई भी ऐसी समायोम्जत थी
की लण्ड की मार र्त के अींदर बहुत जोर से लग रही थी।

दीपा ने अपनी टाूँगें मेरे पीठ से लपेट ली और मझ


ु े अपनी ओर खीींर्ने लगी। उनके हाथ मेरी पीठ पर थे और
हम एक दसरे की जीभ र्सते हुए ककस कर रहे थे। मेरे एक-एक झटके से दीपा के र्र्े गथरक कर रहे थे। अब
मैंने अपने दोनों हाथ उनकी बगल से तनकालकर उनके कींधों को कसकर पकड़ सलया। ऐसी पोजीशन में र्द ु ाई
बहुत जोरदार और र्त की गहराई तक हो रही थी। मेरा लण्ड भी ककसी वपस्टन की तरह से उनकी र्त के
अींदर-बाहर हो रहा था। मैं दीपा राय को मासलश टे बल पर र्ोद रहा था, और वो मस्ती में र्द
ु वा रही थी।

मस्त र्ुदाई हो रही थी दीपा राय की, जो की एक करोड़पती की पत्नी थी और एक मामली म्जम मासलक के
नीर्े नींगी लेटी सससकाररयाीं लेती मस्ती में और मजे ले लेकर र्द
ु वा रही थी। दीपा का आगगज़्ज
च म आने लगा था

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तो उनकी साूँसें तेजी से र्लने लगी। आूँखें साकेट में ऊपर को र्ि गई और दीपा मेरे बदन से कसकर सलपट
गई। उनका बदन काूँपने लगा और वो झड़ने लगी।

म्जतनी दे र आगगज़्ज
च म र्लता रहा, मैं अपने लण्ड को उनकी र्त की गहराईयों में डाले, बबना मवमें ट के दबाकर
लेटा रहा। उनका आगगज़्ज
च म एक समनट तक र्ला और वो शाींत हो गई, उनके हाथ पैर ढीले हो गये।

तब मैंने मजाक ककया- “अरे दीपा रानी, तम


ु तो झड़ के खामोश लेट गई अब इस लौड़े का क्या होगा? इसकी
मलाई तो अभी तनकली ही नहीीं…”

दीपा बोली- “राज सर् में तमु हारा लण्ड बहुत ही मस्त है , र्ोद डालो इस र्त को, आज से यह र्त भी तम ु हारे
लण्ड की गलु ाम हो गई है । जब र्ाहो, जैसे र्ाहो, जहाीं र्ाहो इसे र्ोद दे ना, मैं उर्फ्र् तक नहीीं करूूँगी…”

मैं दनादन पागलों की तरह से र्ोदने लगा। कमरे में र्ुदाई का मधुर सींगीत बज रहा था। पर्-पर् की आवाज से
कमरा गूँज रहा था। मैं बहुत ही ताकत से और तेजी से र्ोद रहा था। पता ही नहीीं र्ल रहा था की लण्ड र्त से
बाहर कब तनकला और कब अींदर गया।

इतनी दे र में ही दीपा कर्र से गरम हो गई थी और एक बार कर्र से उनके पैर मेरे पीछे लपेट सलए थे और मझ
ु े
कसकर पकड़ सलया था। मेरी स्पीड बहुत तेज हो गई थी। मैं बहुत जोर-जोर से र्ोद रहा था और अब मेरा माल
भी तनकलने को तैयार था। मेरे बाल्स वजनी हो गये थे और र्त के तनर्ले भाग पर पटापट मार रहे थे। मैंने
दीपा को कसकर पकड़ सलया और अपने लण्ड को परा बाहर तक तनकालकर एक बहुत ही जोरदार शाट मारा, तो
मेरा लण्ड उनकी र्त को र्ीरता हुआ र्त की गहराईयों में बच्र्ेदानी से जा टकराया और लण्ड के छे द से मोटी-
मोटी गािी-गािी गरम-गरम धारें ऐसे तनकलने लगी, जैसे वपस्टल से गोली।

मेरी मलाई दीपा की र्त में गगरते ही वो एक बार कर्र मझ


ु से कसकर सलपट गई और मेरे साथ ही झड़ने लगी।
मैंने अपना लण्ड उनकी र्त की गहराईयों में दर्न करके, दीपा को कसकर पकड़कर बबना मवमेंट के लेटा रहा,
उनकी र्त मेरे लण्ड से गर्पकी लण्ड को तनर्ोड़-तनर्ोड़कर मलाई की एक-एक बूँद अपने अींदर ले रही थी। मैं
दीपा के नींगे बदन पर पड़ा रहा।

दीपा ने मझ ु े ककस करते हुए कहा- “धन्यबाद राज… मैं यह र्ुदाई कभी नहीीं भलग
ीं ी। ऐसी शानदार र्ुदाई मेरी
म़्ींदगी में आज तक नहीीं हुई। राय साहे ब तो बस अींदर डालते हैं, और उनका लण्ड र्त की गमी पाते ही उल्टी
कर दे ता है । मझ
ु े आज तक कभी भी उनकी र्द
ु ाई का मजा नहीीं आया। आज मझ
ु े पता र्ला है की सही माने में
र्ुदाई ककसे कहते हैं?” दीपा यह सब कहती जा रही थी और मेरे मूँह
ु पर ककस की बरसात करती जा रही थी।

थोड़ी ही दे र में उनकी आूँखें सींतम्ु ्ट से बींद हो गईं, और वो थोड़ी दे र के सलए सो गई। मैं वहीीं करीब पड़े सोर्े
पर बैठ गया और उसी मैगजीन के पन्ने पलटने लगा, म्जसमें र्द
ु ाई के र्ोटो थे। र्ोटो दे खते-दे खते मेरा लण्ड
एक बार भी से अींगड़ाई लेकर खड़ा हो गया। मैंने दे खा की दीपा गहरी नीींद में सो रही थी। पर मैं क्या करता
मेरा लण्ड तो जाग गया था। मैं सोर्े से उठा और उनकी र्त को ककस करने लगा।

मेरा मूँह
ु उनकी र्त से लगा और उनका हाथ अनायास ही मेरे ससर पर आ गया और अपनी टाूँगें मेरे पीछे से
लपेट ली। मैं उनकी र्त को बड़ी मस्ती से र्ाट रहा था और वो भी अपनी गाण्ड उर्का-उर्का कर मेरी जीभ के
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मजे ले रही थी। थोड़ी ही दे र में वो इतनी उत्तेम्जत हो गई की मेरे बालों को पकड़कर ऊपर की ओर खीींर्ने लगी,
तो मैं समझ गया की अब इस र्त को लण्ड र्ाढ़हए।

मैं उनके ऊपर झुक गया और उनकी बदहाल लाल र्त के छे द में अपने लण्ड का सप
ु ाड़ा अटका ढ़दया और उनके
मूँह
ु में अपनी जीभ डालकर ककस करने लगा, और कर्र एक ही धक्के में उनकी र्त के अींदर लण्ड को परा जड़
तक पेल ढ़दया। ऐसा झटका लगने से उनकी आूँखें परी तरह से खुल गई और मेरे पीठ को अपने हाथों से और
मेरे र्तड़ों को अपनी टाूँगों से अपनी ओर दबाने लगी। मैं घर्ा-घर् र्ोदने लगा और उनकी र्त से रस टपकता
रहा। शायद 20 या 25 समनट की जोरदार र्द
ु ाई के बाद मैं भी उनकी र्त के अींदर ही झड़ गया। और थोड़ी दे र
तक उनके ऊपर ही आूँखें बींद करके गहरी-गहरी साूँसें लेता पड़ा रहा।

***** *****फ्लैशबैक समाप्त


मैं अपने ख्यालों में था की मेरे हाथ पर अनीता ने र्ुटकी ली, तो मैं अपने सपनो से वापस आ गया। दीपा से
मल
ु ाकात और उनकी र्ुदाई का सोर्ते-सोर्ते मैंने जो तौसलया लपेटा था उसमें से मेरा लण्ड टें ट बना र्ुका था।
अनी कभी मझ
ु े दे खती तो कभी मेरे अकड़े हुए लण्ड से बने टें ट को।

मैंने पछा- “क्या हुआ? तम


ु को क्या र्ाढ़हये?”

अनीता ने बोला- “वास्तव में कालेज में मेरा पैर म्स्लप हो गया था, मैं सीढ़ियों से गगर गई थी तो कमर लर्क
गई है , और आगे और पीछे से जाींघों की माींसपेसशयाीं खखींर् रही हैं…”

मैंने बोला- “कहीीं कोई हड्डी ना टटी हुई हो?”

अनीता- “नहीीं। हड्डी में कुछ नहीीं, माींसपेसशयों में ददच है , बस मझ


ु े थोड़ी मासलश कर दो तो ठीक हो जाऊूँगी…”

मझ
ु े उसके सामने वाली जाींघों के पास जो स्पींद्रेल शाटच था वहाीं मझ
ु े रगड़कर तनशान नजर आए तो मैं समझ
गया की जाींघ के सामने के ढ़हस्से में भी मार लगी है । मैंने उसको बोला- “अरे बेबी आप खड़ी क्यों है , बैढ़ठए
ना…”

अनीता- “अरे समस्टर मैं बेबी नहीीं हूँ, 12वीीं क्लास में हूँ, बड़ी हो गई हूँ और तम
ु मझ
ु े अभी भी बेबी समझ रहे
हो…”

मैं हूँस पड़ा और बोला- “ओके समस अनी, आप खड़ी क्यों है , बैढ़ठए ना सोर्े पर…”

अनीता- “मझ
ु े ददच ज़्जयादा हो रहा है प्लीज… जल्दी से मासलश कर दो ना…”

मैंने बोला- “ठीक है प्लीज… इींतज


े ार करें मैं अभी कर दे ता हूँ…” कर्र मैंने पछा- “वो तम
ु हारे साथ कौन थी?”

अनीता- “वो मेरी कम्जन है सन


ु ीता राय। उसको सोनी कहते हैं…”

मैंने पछा- “कौन सी कम्जन र्स्टच या… …”


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अभी मैं वाक्य भी परा नहीीं कर पाया था की उसने बोला- “वो मेरी मौसी (खाला) की बेटी है । मेरी माूँ और
उसकी माूँ सगी बहनें हैं, और हम दोनों के वपताजी एक दसरे के भाई हैं…”

मझ
ु े याद आ गया की उसकी मौसी का नाम रूपा राय था। मैं एक बार कर्र से अपने फ्लैशबैक में र्ला गया।

***** *****फ्लैशबैक शरू



एक बार रात में जब सब सदस्य और मेरी लड़ककयाीं अपने-अपने घर र्ली गईं तो मैं म्जम बींद करने की तैयारी
कर रहा था। अभी अींततम लाइट बींद करके दरवाजा लाक करने ही वाला था की मेरा मोबाइल बजने लगा। मैं
नाम दे खकर मश्ु कुरा ढ़दया। स्क्रीन पर फ्लश हो रहा था दीपा कासलींग।

मैंने जवाब ढ़दया- “एस दीपा डासलिंग…” उस ढ़दन की र्द


ु ाई के बाद दीपा ने कहा था की अब तम
ु मझ
ु े ससर्च दीपा
डासलिंग, माई लोव, मेरी जान, स्वीटहाटच कह सकते हो और कुछ नहीीं, तो मैंने मान सलया था।

दसरी तरर् से आवाज आई- “क्या कर रहे हो?”

मैंने कहा- “कुछ नहीीं। अभी म्जम बींद करके लाक कर रहा हूँ…”

दीपा- “मझु े तम
ु हारी बहुत याद आ रही है , मैं यहाीं अकेली हूँ मेरे पास र्ले आओ। आज मेरे पास कोई नहीीं है ,
मझु े मासलश करवाना है…”

मैं समझ गया की यह तो रूटीन था। मासलश तो क्या खाक होती, मासलश का नाम तो एक बहाना था… बस
र्द
ु ाई होती हर तरीके से। मैंने कहा- “ओके जान अभी आया…”

दीपा- “खाना खा सलया?”

मैंने बोला- “नहीीं…”

दीपा ने पछा- “भख लगी है?”

मैंने बोला- “हाूँ बड़े जोर की लगी है …”

दीपा- “ठीक है जल्दी आओ। मैं तम


ु हें सब कुछ खखला दूँ गी और मैं भी खा लूँ गी…”

मैं समझ गया की अपनी र्त खखलाएगी और मेरा लण्ड खाएगी। मैं मश्ु कुरा ढ़दया और र्ोन कट कर ढ़दया।

मैं जैसे ही वहाीं पहुूँर्ा मेरी आूँखें र्टी की र्टी रह गईं। मैंने उनका घर दे खा जरूर था, लेककन बाहर से ही दे खा
था। वैसे जब कभी उनको मासलश या र्द ु ाई की जरूरत होती तो मझ ु े वो अपने र्ामचहाउस पर ले जाती, जहाीं हम
र्द
ु ाई करते। आज पहली बार घर पर आया था। घर क्या था शानदार हवेली थी। बड़े-बड़े हाल जहाीं बहुत ही
कीमती झाड़ र्ानस लगे हुए थे। घर का बहुत बड़ा लान था जहाीं घास उगी हुई थी। घर में बहुत ही मस्त खुशब
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आ रही थी। रात का समय था इसीसलए धीमे पावर की लाइटें जल रही थीीं। वो मझ
ु े लेकर अींदर ड्राइींग रूम में
आ गई। बहुत ही बड़ा था उनका ड्राइींग रूम था, जहाीं 4 सोर्ासेट पड़े हुए थे। कफ्ऱ भी रखा था। सेन्टर टे बल
पर बड़े सलीके से र्ैशन की पबत्रकायें रखी थीीं, और घर में बड़े-बड़े र्लों के गल
ु दस्ते बहुत ही अच्छे ढीं ग से रखे
हुए थे म्जनमें ताजे र्ल थे।

दीपा ने कहा- “र्लो मैं तम


ु हें अपना बेडरूम ढ़दखाती हूँ…”

तब मैं दीपा डासलिंग के पीछे -पीछे उनके बेडरूम तक आ गया। बेडरूम क्या था लगता था की र्ुटबाल ग्राउीं ड है,
इतना बड़ा था। बेडरूम में भी दो सोर्ासेट पड़े हुए थे, कमरे में कार्ी बड़ा गोल बेड था जो कमरे के बीर्ोबीर्
र्मेली के र्लों की लडड़यों से सजा हुआ था। गलु ाबी रीं ग की रे शमी र्ादर बबछी हुई थी, लेककन र्मेली के र्लों
से ढकी हुई थी। लगता था की र्लों की बेडशीट बबछी हो। सारे कमरे में र्मेली की खुशब र्ैल रही थी।

र्शच तो एकदम से सर्ेद माबचल का था, लगता था की रूई बबछा दी गई हो। कमरे में धीमी आवाज में मयम्जक
बज रहा था। पता ही नहीीं र्लता था की मयम्जक ससस्टम और स्पीकसच कहाीं रखे हैं। गप्ु त मयम्जक ससस्टम था।
बेडरूम के बीर्ोबीर् बेड के ऊपर एक बहुत ही बड़ा कक्रस्टल का झाड़ र्ानस छत से लटक रहा था, लेककन अभी
उसके लाइटें र्ाल नहीीं थीीं। धीमी रोशनी में भी हीरे जैसे उसके कक्रस्टल र्मक रहे थे। मैं तो दे खकर दीं ग रह
गया और मैं इधर-उधर दे खने लगा।

तब दीपा मेरे सामने आ गई और मझ


ु े ककस करने लगी और साथ में मेरे लण्ड को भी सहलाने लगी। मेरे लण्ड
को सोते से जागने में एक समनट भी नहीीं लगा।

दीपा ने कहा- “राज यह वोही बेड है जहाीं मैंने सह


ु ागरात मनाई थी, पर मझ
ु े कोई खास मजा नहीीं आया था।
आज कर्र से इसी बेड पर तम
ु हारे साथ मैं अपनी सह
ु ागरात मनाना र्ाहती हूँ। र्ोद डालो अपनी रीं डी जान को
और र्ोद-र्ोदकर भोसड़ा बना दो साली की र्त का…”

बस कर्र क्या था मैंने र्ौरन ही अपनी दीपा जान को अपनी बाहों में उठा सलया और बेड पर सलटा ढ़दया और
कर्र उसके कपड़े उतार ढ़दए और मैंने भी अपने कपड़े भी उतार ढ़दए। अब हम दोनों उनके बेडरूम में जहाीं दीपा
के साथ उसके पतत सोया करते हैं, वो जगह अब मेरी थी। अब मानो मैं ही दीपा का पतत था। हम थोड़ी दे र 69
में एक दसरे से सलपटे रहे । कर्र दीपा की र्त को र्ाटने के बाद मैं उसकी टाूँगों के बीर् आ गया और अपने
लण्ड को उसकी र्त की पींखुडड़यों के बीर् ऊपर-नीर्े करता रहा, म्जससे लण्ड र्त के अींदर तो नहीीं गया पर
उसकी म्क्लटोररस को रगड़ता रहा। दीपा मस्ती में पागल हो गई थी और कर्र मैंने एक ही झटके में अपना मोटा
खट
ूँ े जैसा लण्ड उसकी र्त में पेल ढ़दया और दनादन र्ोदने लगा।

दीपा गर्ल्ला रही थी- “र्ोदो मझ


ु ,े र्ोदो मझ
ु े आआह्ह… र्ोद डाल आअह्ह… उउउह्ह… आह्ह… र्ोद र्ाड़ डालो…
ऊओइ मममाूँ…” और धक्कों के साथ उसके र्र्े भी गथरक रहे थे। बड़ी मस्त र्ुदाई र्ल रही थी। कमरा पर्-पर्
की आवाज से गूँज रहा था। अब मयम्जक ससस्टम की नहीीं र्द
ु ाई की मयम्जक र्ल रही थी। दीपा अपनी गाण्ड
उठा-उठाकर र्ुदवा रही थी। अभी भी इस उमर में भी उसकी र्त ककसी छोटी कूँु वारी लड़की की तरह से कसी
थी। दीपा 3 बार आलरे डी झड़ र्ुकी थी और मेरा आगगज़्ज
च म भी तैयार था।

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मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी और कर्र एक बहुत ही जोर का झटका मारा और अपने लण्ड को दीपा की र्त में
दबाकर उसको कसकर पकड़ सलया और लण्ड से गरमा गरम लावा तनकलकर दीपा की र्त को भरने लगा। दीपा
की र्त लण्ड के गरम-गरम लावे की गमी से वपघलने लगी और उसकी र्त से समींदर बहने लगा। मैं थोड़ी दे र
तक ऐसे ही अपना लण्ड उसकी र्त में डालकर उसके ऊपर लेटा रहा। दे खा तो बबस्तर में र्मेली के र्ल रगड़े
जा र्ुके थे, और यीं रगड़े जाने से कमरे में कुछ और भी र्मेली की खुशब र्ैल गई।

मैं अपना लण्ड दीपा की र्त में घस


ु ाए थोड़ी दे र ऐसे ही दीपा के ऊपर पड़ा रहा। हम दोनों ने एक दसरे को बहुत
ही कसकर पकड़ा हुआ था, ऐसा लग रहा था जैसे डर हो की कहीीं कोई भाग ना जाए। मेरा लण्ड दीपा की र्त
के अींदर र्ल रहा था और उसकी र्त मेरे लण्ड को तनर्ोड़ रही थी। कर्र जैसे ही मेरा लावा तनकलना बींद हुआ
और दीपा की र्त का तनर्ोड़ना बींद हुआ, मैं एक ही झटके में दीपा के ऊपर 69 की पोजीशन में आ गया। मेरे
लण्ड से हम दोनों की समक्स मलाई टपक रही थी। मैं दीपा के ससर के दोनों तरर् अपने घट
ु ने मोड़कर झक

गया और दीपा की मड़ ु ी हुई टाूँगों के बीर् से उसकी बहती हुई र्त पर मूँह
ु लगा ढ़दया। मेरे लण्ड से मलाई टपक
रही थी। दीपा ने अपना ससर थोड़ा उठाया और मेरे लण्ड से टपकती मलाई को र्ाट सलया और कर्र र्ौरन ही
मेरे लण्ड को र्सने लगी।

मेरा लण्ड तो अभी तक ठीं डा नहीीं हुआ था, वो वैसे का वैसा ही लोहे जैसा सख़्त था, म्जसे दीपा आइसक्रीम की
तरह से र्स रही थी। मैं उसकी र्त से तनकलते रस को र्ाट रहा था। आह्ह… क्या बताऊूँ ककतना मीठा था हम
दोनों का समला जल
ु ा अमत
ृ ।

थोड़ी दे र के अींदर ही दीपा परा मड में आ गई और अपनी गाण्ड उठा-उठाकर मेरे मह


ूँु को र्ोदने लगी। उसने मेरे
ससर को पकड़ा हुआ था और अपनी जाींघों के बीर् दबा ढ़दया था। उसका आगगज़्ज
च म र्ौरन ही हो गया और वो मेरे
ससर को अपनी र्त में दबाए हुए झड़ने लगी। म्जतनी दे र झड़ती रही लण्ड नहीीं र्सा। जैसे ही आगगज़्ज
च म खतम
हुआ उसने कर्र से लण्ड को र्सना शरू
ु कर ढ़दया।

मेरा लण्ड तो बहुत ही सख़्त हो गया था। मेरा थक और उसकी र्त से तनकले अमतृ से उसकी गाण्ड भी गीली
हो गई थी। मैंने उसको घोड़ी बना ढ़दया। वो अपने हाथ और घट
ु ने बेड पर ढ़टकाए घोड़ी बन गई। मैं पीछे से
उसकी र्त में लण्ड डालकर पेलने लगा। आअह्ह… क्या मजा आ रहा था ऐसे र्ोदने में उसको। लण्ड जैसे उसके
पेट तक घस
ु रहा था। हम दोनों की उीं र्ाई में थोड़ा सा र्कच था म्जसके र्लते मेरे लण्ड की और उसकी गाण्ड की
पोजीशन एकदम से कर्ट बैठ रही थी। उसकी गल
ु ाबी गाण्ड का छे द मझ
ु े अपनी ओर आकृ्ट कर रहा था। लण्ड
तो परा गीला ही था और उसकी गाण्ड में भी उसकी र्त का रस जमा हुआ था।

मझ
ु े अब उसकी गाण्ड मारनी थी और मैं उसको बोलना भी नहीीं र्ाहता था, इसीसलए मैं उसकी र्त में ही लण्ड
डालकर र्ोद रहा था। दनादन र्ोद रहा था और कर्र इससे पहले कक वो कुछ समझ पाती मेरा लण्ड उसकी
गाण्ड की गहराईयों में घस
ु र्ुका था। पता ना होने की वजह से गाण्ड की माींसपेसशयाीं आराम से थीीं, इसीसलए
मेरे लण्ड को उसकी गाण्ड र्ाड़कर अींदर घस
ु ने में कोई प्राब्लम नहीीं हुई।

जैसे ही लण्ड उसकी गाण्ड र्ाड़ के अींदर घसु ा उसके मूँह


ु से एक बहुत जोर की र्ीख तनकली- “ऊऊईईई ममाूँ
आअह्ह… सस्स्स्स… अभी क्या गाण्ड में घस ु ा ढ़दया स्साले तेरी माूँ की गण्ड समझा है क्या?” उसका सारा बदन
अकड़ र्क
ु ा था और वो औींधी बेड पर लेट गई थी।

28
मैंने उसको कींधे को कसकर पकड़ा हुआ था, म्जसके र्लते मेरा लण्ड उसकी गाण्ड से बाहर नहीीं तनकला था। मैं
थोड़ी दे र तक ऐसे ही उसके ऊपर उसकी गाण्ड में लण्ड डाले पड़ा रहा। थोड़ी दे र के बाद जब उसके बदन को
थोड़ा आराम हुआ, तब उसकी गाण्ड मारना शरू ु ककया। अपनी दोनों टाूँगें उसकी दोनों टाूँगों के बीर् रखकर दोनों
पैरों को खोल ढ़दया और हाथ उसकी जाींघों के दोनों तरर् रखकर उसको थोड़ा सा ऊपर उठाया और ऐसी
पोजीशन में गाण्ड बहुत अच्छी तरह से मार रहा था। उसकी गाण्ड भी इतनी कसी थी की क्या बताऊूँ… शायद
राय साहे ब को गाण्ड मारने का शौक नहीीं था और अभी तक दीपा की गाण्ड भी कूँु वारी थी।

मैं उसकी कूँु वारी गाण्ड को मार रहा था। मझ


ु े कसी गाण्ड मारने का बहुत ही मजा आ रहा था। दीपा ऐसे बेड पर
उल्टा लेटी थी की उसकी गाण्ड हवा में उठी हुई थी और उसकी र्गर्याीं बेड पर लगी हुई थीीं। मैं नीर्े हाथ
डालकर उसकी र्गर्यों को दबाकर मसल रहा था और गाण्ड मार रहा था। मेरी रफ़्तार बहुत ही बि र्क
ु ी थी।

अब दीपा भी बड़े मजे से गाण्ड मरवा रही थी। मैं इतना जोश में था की कब मेरा लण्ड उसकी गाण्ड के परा
बाहर तनकला और एक बार कर्र परा जोर से उसकी र्त में घस
ु गया। दीपा एक बार कर्र से गर्ल्लाई शायद वो
इस अटै क के सलए तैयार ना थी। अब मैं उसकी र्त को र्ोद रहा था। एकदम से पागलों की तरह से र्ोद रहा
था डागी तरीके में । यह परा डागी तरीका नहीीं था, बल्की लगभग समशनरी ही पोजीशन थी, बस दसरी तरर् से
तरर्। लण्ड उसकी र्त के गहराईयों में घस
ु ा हुआ था और मैं परी ताकत से र्ोद रहा था।

दोनों के बदन पशीने से भर र्क


ु े थे और कर्र मझ
ु े ऐसा लगा की जैसे मैं भी अब छटने वाला हूँ। मैंने उसके
कींधों को कसकर पकड़ सलया और एक र्ाइनल झटका मारकर अपने लण्ड को उसकी र्त के अींदर दबा ढ़दया
और उसको बहुत ही कसकर पकड़ सलया। जैसे ही मेरे लण्ड से गरम-गरम लावा तनकलकर उसकी र्त में
गगरा,वो कर्र से काूँपने लगी और झड़ने लगी।

मझ
ु े अपने लण्ड पर उसकी र्त का गरम अमत
ृ महसस हो रहा था। वाह्ह… क्या बताऊूँ दोस्तो ककतनी
आश्र्यचजनक र्ीसलींग थी वो। मेरे लण्ड से गरम-गरम लावा तनकल रहा है और उसकी र्त से गरम-गरम अमत
ृ ।
लण्ड को बड़ी मस्त र्त की मस्त गमी समल रही थी। मैं दीपा के ऊपर ही ढे र हो गया। मेरा लण्ड उसकी र्त
में घस
ु ा पड़ा था और मैं उसकी पीठ पर पड़ा गहरी-गहरी साूँसें ले रहा था।

जैसे ही मेरे लण्ड से लावा तनकलना बींद हुआ, मैंने दीपा को पलटा सलया और कर्र से उसके ऊपर लेट गया।
दीपा ऐसी मस्त र्ुदाई से बहुत ही मस्ती में आ गई थी। मैं दीपा के ऊपर लेटा हुआ था मेरा लण्ड उसके पेट पर
था और हमारे बदन के बीर् सैंडववर् बना हुआ पड़ा था। दीपा ने मझ
ु े कसकर पकड़ा हुआ था और मझ
ु े र्म रही
थी की इतने में कमरा ऐसे रोशन हो गया जैसे ढ़दन तनकल आया हो।

हम दोनों की आूँखें र्ूँ गु धया गईं। दे खा तो ककसी ने झाड़ र्ानस की लाइटें आन कर दी थी। मैं एक झटके से
दीपा के ऊपर से उठ गया और अपने हाथों से अपने भीगे लण्ड को छुपाते हुए अपने कपड़े दे खने लगा।

“अरे ऐसी भी क्या जल्दी है कुछ मझ


ु े भी तो दे खने दो ना…”

यह आवाज सन
ु ते ही मेरे पशीने छट गये। दे खा तो एक और दीपा खड़ी थी। मेरा ससर र्करा गया। मैं है रानी से
कभी एक दीपा को दे खता तो कभी दसरी दीपा को।

29
दोनों ही एक साथ हूँस पड़ी और बोली- “क्यों क्या हुआ?”

मैं कुछ बोला नहीीं, क्योंकी मेरी समझ में कुछ भी नहीीं आ रहा था की मैं यह क्या दे ख रहा हूँ? और मेरी दीपा
जान कौन है?

मझ
ु े ऐसे है रानी से दे खते हुए उस दीपा ने म्जसने झाड़ र्ानस आन ककया था उसने बोला- “हे राज… यार तम
ु हारी
जान तो मैं हूँ यह मेरी बहन है रूपा राय…”

मेरा ससर र्कराने लगा। मैं तो जैसे पागल हो गया। वास्तव में म्जसे मैं अब तक दीपा समझकर र्ोद रहा था,
वो दीपा नहीीं बल्की उसकी जड़
ु वा बहन रूपा थी।

रूपा राय। दीपा राय और रूपा राय में प्रैम्क्टकली कोई र्कच नहीीं था। एक ही उीं र्ाई, एक जैसा रीं ग, एक जैसे
बाल, एक जैसी आूँखें, एक जैसा कर्गर। मझ
ु े लगता था की शायद ककसी के पतत ककसी को भी र्ोदकर समझते
होंगे की उन्होंने अपनी पत्नी को र्ोदा है, और यह भी हो सकता है की यह दोनों बहनें आपस में पततयों की
अदला-बदली भी कर लेती होंगी। दोनों की आवाज भी एक जैसी थी, र्ेस-कट एक जैसा था, दोनों का बदन एक
जैसा था, दोनों के र्र्ों का साइज और शेप भी एक जैसा था… अरे और तो और दोनों की र्तें भी एक जैसी ही
थीीं। सर् में, मैं तो जैसे पागल हो गया।

सर् मानो मझ
ु े यकीन नहीीं आ रहा था की मैंने दीपा को र्ोदा था या रूपा को? इतनी समानता तो शायद ककसी
भी जड़
ु वाीं बच्र्ों में नहीीं होती होगी। यह सोर्ते-सोर्ते मैं कभी एक को दे खता तो कभी दसरे को। मैं कमरे में
नींगा खड़ा था। अब तो मेरा हाथ भी कब मेरे लण्ड से हट गया, खबर ही नहीीं हुई। मैं इस बात को समझ ही
नहीीं सका। कर्र बाद हम तीनों ने समलकर थ्री-सम ककया। मझ
ु े वो उत्तेजना अभी भी याद है कक मैं दो सगी
जड़
ु वा बहनों को एक साथ र्ोद रहा हूँ। इस उत्तेजना में मेरा लण्ड झटके खाने लगा।

अबकी बार र्ुटकी मेरी गाण्ड पर ली गई तो मैं र्ौंक पड़ा और घबराकर इधर-उधर दे खने लगा तो अनी ने
र्ुटकी बजाकर पछा- “हे समस्टर… ककन खयालों में खो जाते हो तम
ु ? मैं कब से खड़ी हूँ और तम
ु को पता है की
मझ
ु े माींसपेसशयों में ददच हो रही है , मैं ठीक से खड़ी भी नहीीं हो सकती और तम
ु बजाए मझ
ु े अटें ड करने के
दीवार को घर-घरकर दे ख रहे हो…” उसकी नजर बार-बार मेरे अकड़े हुए लण्ड पर जा रही थी।

पर मैंने कोई कमें ट नहीीं ककया। मैं अपने खयालों से वापस आ गया था। मेरे सामने अनी खड़ी थी। दीपा राय
की बेटी। दीपा म्जसको मैं इस 3 महीनों में शायद 100 से ज़्जयादा बार र्ोद र्क
ु ा था। कभी-कभी तो मझ
ु े यह भी
धोखा होता की मैं दीपा को र्ोद रहा हूँ या रूपा को?

जैस-े तैसे दीपा और रूपा को मैं इन 3 महीनों में कम से कम 100 बार या उससे भी ज़्जयादा बार र्ोद र्ुका था
और लगातार र्ोद रहा था। दोनों की गाण्ड भी मार र्क
ु ा था। अब तो दोनों ही रीं डडयों की तरह से र्ुदवाती और
जोरदार र्द
ु ाई के मजे लेती। कभी उसके घर में, तो कभी यहीीं उनके र्ामचहाउस में। यहाीं अपने पालचर में एक बार
पहली बार जो र्ोदा था बस उसके बाद वो मझ
ु े अपने र्ामचहाउस पर ही लेजाकर र्ुदने लगी।

कभी तो मैं, दीपा और रूपा थ्री-सम भी करते। मझ


ु े बहुत कीमती उपहार भी दे ती रहती हैं दोनों। इन दोनों को
र्ोदने के बाद मझ
ु े पता र्ला की यह अमीर घर की बीववयाीं ककतनी प्यासी होती हैं? इनके पतत को पैसे कमाने
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से र्ुसचत नहीीं समलती। उन्हें पता ही नहीीं र्लता की उनके घर में एक गरमा गरम र्त उनके लण्ड से र्द
ु वाने
का ककतने बेकरारी से इींतज
े ार कर रही है । पैसा कमाने के र्क्कर में अपनी-अपनी बीववयों की जरूरत को भल
जाते हैं, और उनकी र्त की जरूरत परी नहीीं करते। उनको खबर ही नहीीं होती की उनकी पत्नी अभी जवान है ,
उनकी र्त में भी तर्ान आता है और कर्र जब घर में उनकी र्त का उमड़ता तर्ान ठीं डा नहीीं होता तो कर्र
हम जैसे जवान लड़कों से ही र्ुदवाकर मजे लेती हैं।

और जब र्द
ु वाती हैं तो ककसी रीं डी की तरह से बातें करती हैं और यही औरतें जब समाज में लोगों के सामने
आती हैं तो ककतनी शरीर् लगती हैं। लोग समझते हैं की इनके जैसे शरीर् औरत शायद दतु नयाीं में कही नहीीं
समलेगी। उनको क्या पता की जब यह टाूँगें खोल दे ती हैं तो इनकी र्त से जस का समींदर बह तनकलता है और
मूँह
ु से ऐसी-ऐसी गासलयाीं तनकालती हैं की सन
ु ने वाले है रत से दे खते रह जाएीं।

***** *****फ्लैशबैक समाप्त


हाूँ तो अब मेरे सामने इसी दीपा राय की एकलौती कमससन बेटी अनीता राय (अनी) अपनी परी सद
ुीं रता के साथ
अपनी कमससन जवानी सलए मेरे सामने खड़ी थी, म्जसके माथे का पशीना पालचर के एयर कींडीशनर की ठीं डी हवा
से सख र्क
ु ा था। मैंने उसको ऊपर से नीर्े दे खते हुए कहा- “ऐसे कपड़ों में मासलश करवाओगी तो सारे कपड़े
खराब हो जायेंग…
े ”

अनीता ने पछा- “कर्र क्या करूीं?”

मैंने बोला- “एक तो तम


ु हारा यह शाटच इतना कसा है की इसको तनकाले बबना मासलश नहीीं हो सकती और अगर
तम
ु को यह कीमती टी-शटच खराब करनी है तो पहने रहो, नहीीं तो इसको भी तनकाल दो…”

अनीता- “नहीीं मैं अपनी शटच को खराब नहीीं कर सकती। यह नई शटच है और पापा वपछले हफ्ते ही इसको इटली
से लाए हैं…”

मैंने बोला- “तो तम


ु ऐसा करो की वहाीं उस कमरे में र्ली जाओ और अपने यह कपड़े तनकलकर वहाीं से एक
र्ादर ओि लो और यहाीं आकर लेट जाओ। यह मेरा नया मासलश टे बल है , जो अभी-अभी कर्ट ककया गया है ।
तम
ु पहली कस्टमर होगी इस नई टे बल पर जो अभी-अभी जमचनी से आई है…”

अनीता तो टे बल दे खकर खश
ु हो गई और बोली- “यह टे बल तो कुछ नये तरीके की लगती है ऐसा लग रहा है
की जैसे कोई रोबोट हो…”

मैंने कहा- “हाूँ यह लगभग रोबोट ही है । इसके एक-एक पाटच पर कब़्े लगे हैं, और यह हर जगह से मड़
ु सकती
है , और इस टे बल पर मासलश करने वाला या मासलश कराने वाली लड़की अपनी उीं र्ाई के ढ़हसाब से समायोम्जत
कर सकता है…”

कर्र मैंने उसको नीर्े र्शच के करीब टे बल से जुड़े एक लीवर को ढ़दखाकर बोला- “इस टे बल के बहुत से मवमें ट
यह लीवर तनयींबत्रत करता है और कुछ लेग-रे स्ट के पास और कुछ हे ड-रे स्ट के पास लीवसच है । इस टे बल को परा
90° डडग्री पर सीधा खड़ा भी ककया जा सकता है और उसी तरह से 90° डडग्री पर उल्टा भी ककया जा सकता है ।

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मेरा मतलब है की ससर के बल भी हो जाती है । और यह दे खो यह हे ड-रे स्ट और लेग-रे स्ट के साथ यह बेल्ट
लगे हैं और जब यह बेल्ट लगाकर कस कर ढ़दए जाते हैं तो इसपर लेटी हुई लड़की नीर्े नहीीं गगरती…”

अनीता ढ़दलर्स्प तनगाहों से टे बल को दे ख रही थी।

मैंने कहा- “र्लो बेबी…”

अनीता ने मेरी बात काटते हुए कहा- “हे समस्टर…”

तब मैंने उसकी बात काटते हुए कहा- “राज… मैं राज हूँ…”

अनीता- “ओके राज… यार ककतनी बार बताऊूँ की मैं बेबी नहीीं हूँ, मैं एक जवान लड़की हूँ और 12वीीं क्लास में
पिती हूँ…”

मैंने हूँसते हुए कहा- “अच्छा समस अनी… …”

अभी इतना ही कहा था की उसने कर्र बात काटी और बोली- “नो समस ववस… बस मझ
ु े अनी बल
ु ाओ, मैं इस
नाम से प्यार करती हूँ…”

मैंने बोला- “ओके अनी। अब आप टे बल पर लेट जाओ, मैं मासलश शरू


ु करता हूँ…”

अनीता लींगड़ाती हुई कमरे में जाने लगी तो मैंने उसकी पीठ पर हाथ डालकर उसको सहारा ढ़दया और कमरे में
ले गया। मैंने बोला- “वहाीं सोर्े पर बैठ जाओ और र्ें ज कर लो…”

अनीता ने बोला- “ठीक है…”

मैं कमरे से बाहर आ गया।

दो समनट के अींदर ही अनीता ने मझ


ु े पक
ु ारा- “राज…”

मैं कमरे में र्ला गया। दे खा की उसका ब्ल स्पींद्रेल आधा उतरा हुआ उसके घट ु नों के बीर् र्ूँसा पड़ा है, और वो
कमर के ददच की वजह से उसको तनकालने के सलए झक ु नहीीं पा रही है । उसने मझ ु े हे ल्प के सलए पक
ु ारा। उसकी
गोरी-गोरी नींगी मक्खन जैसी गर्कनी जाींघें दे खकर मेरे लण्ड ने एक और झटका खाया और तौसलया के नीर्े
मर्लने लगा। लण्ड का झटका अनी की नजरों से छुपा नहीीं रह सका। उसके र्ेहरे पर एक हल्की सी मस्
ु कान
आ गई, म्जसे मैंने र्ोर नजरों से दे ख सलया।

मैंने पछा- “क्या बात है ?”

अनीता ने बोला- “राज यह नहीीं तनकल रहा है प्लीज… थोड़ी हे ल्प करो ना…”

32
मैंने बोला- “ओके…” और नीर्े र्शच पर ही उसके सामने घट
ु नों के बल बैठ गया और उसकी टाूँगों को अपने कींधे
पर रख सलया। वाउ… क्या नजारा था। उसकी सर्ेद ससल्की पारदशी पैंटी के अींदर से उसकी गल
ु ाबी र्त की परी
आउटलाइन और उभरी हुई र्त की पींखुडड़याीं मेरी नजरों के सामने ढ़दखाई दे रही थीीं।

शायद अनीता मेरी नजरों को भाप गई और अपने हाथों से अपनी र्त को छुपाने की नाकाम कोसशश करने
लगी। मैं उसके कसे शाटच को धीरे से खीींर्कर तनकालने लगा। स्पींद्रेल शाटच कार्ी कसा था। तनकालने के समय
म्जस तरीके से उसको खीींर्ना पड़ रहा था, उस तरीके से उसकी गाण्ड भी थोड़ी-थोड़ी ऊपर उठ रही थी और जब
भी गाण्ड ऊपर उठती तो उसकी र्त का उभार सार् ढ़दखाई दे ता था। मेरे लौड़े का तो हाल ही ना पछो। अगर
यह अनीता, राय साहे ब की बेटी ना होती तो शायद कब का र्ोद र्क
ु ा होता। मैं बड़ी मम्ु श्कल से अपने आप पर
काब रख रहा था की कहीीं कुछ उल्टा सीधा ना हो जाए, नहीीं तो लेने के दे ने पड़ जायेंगे, बड़े बाप की बेटी जो
है । इससलये मैं उसका शाटच तनकालकर कर्र से बाहर जा रहा था।

तब उसने बोला- “एक समनट राज… मझ


ु े भी सहारा दे कर ले र्लो…” और उसने र्ादर उठाई और अपनी शटच को
दोनों हाथ क्रास करके नीर्े से ऊपर तक उठाया और ससर के ऊपर से तनकाल ढ़दया। बस एक ही सेकेंड के सलए
उसके गोल-गोल र्र्े ढ़दखाई ढ़दए। उर्फ्र् क्या बताऊूँ दोस्तों, ऐसे जानमारू र्र्े थे की बस र्स डालूँ , यही सोर्
आई मेरे ढ़दमाग में । गोल्र् बाल म्जतनी होगी, परी तरह से नहीीं ढ़दखाई दी, बस एक झलक में ही मेरे होश उड़
गये।

मेरा शक सही था। अनीता ने अींदर ब्रेससयर नहीीं पहनी थी। उसने र्ादर ओि ली और खड़ी हो गई तो मैं उसको
कर्र से उसकी कमर में हाथ डालकर सहारा दे कर बाहर ले आया। ऐसी पोजीशन में मेरे हाथों को उसके र्र्े भी
टर् कर रहे थे, म्जसकी वजह से मेरे बदन में बबजसलयाीं कड़कने लगीीं।

अनीता को टे बल के पास खड़ा ककया और लीवर से टे बल को लगभग ऐसी उीं र्ाई पर लाकर रोका की वो
इत्मीनान से उस टे बल पर लेट सके। मैंने उसको सहारा दे कर टे बल पर उल्टा सलटा ढ़दया, क्योंकी कमर पर
ज़्जयादा प्राब्लम थी। उसके टे बल पर सलटाने के बाद मैंने टे बल को अपनी जाींघ के लेवल तक ऊूँर्ा उठाया और
कर्र टाूँगों वाले भाग के लीवर से टाूँगों के भाग को अलग ककया। ऐसी पोजीशन में उसके पैर लगभग 45° डडग्री
तक खुले हुए थे, ऐसे जैसे कुतब
ु नम
ु ा बाक्स का डडवाइडर खुला हुआ हो और उसको सामने से थोड़ा सा ऊपर
उठाया हुआ था। ऐसी पोजीशन में उसके पैर अलग-अलग थे और वो सीधी नहीीं लेटी थी बल्की ससर के पास से
थोड़ा सा ऊपर उठी हुई थी।

दोस्तों टे बल की पोजीशन को कल्पना करें तो समझ में आएगा। उसके पैरों के पास एक र्ुट-रे स्ट था म्जस पर
उसके पैर कर्ट बैठे थे। अब तो नहीीं गगर सकती थी। जैसे एरोप्लेन के टे क-आर् के समय पर पोजीशन होती है ,
या हाम्स्पटल में पेशेंट को खाना खखलाने के समय पर ससर के पास से जो थोड़ा सा बेड उठाया जाता है, बस
वोही पोजीशन अनीता की भी थी। उममीद है कक आपकी समझ में आ गया होगा।

हाूँ तो अनी मेरे सामने टे बल पर लेटी थी। जैसे वो टे बल पर लेटी थी, मैं खल
ु ी टे बल से र्लकर उसकी टाूँगों के
बीर् र्त तक र्ला जा सकता था और उसको जहाीं भी मासलश की जरूरत हो कर सकता था। और अगर मैं
उसकी टाूँगों और र्त तक र्ला जाता तो मेरा लण्ड उसकी र्त से टकरा सकता था, ऐसी उीं र्ाई और पोजीशन
थी टे बल की और उसके लेटने की। टे बल ककसी उल्टे “वाई” की शकल का हो गया था। मम्ु श्कल यह आ गई थी

33
की अनीता ने म्जस तरीके से र्ादर ओिी थी, र्ादर उसके पेट के नीर्े और टाूँगों तक सलपट गई थी। बड़े साइज
का तौसलया जैसा था वो कपड़ा, म्जसे वो ओिकर लेटी थी।
खैर, मैंने वो कपड़ा उसके बदन के नीर्े से हाथ डालकर तनकाल सलया और उसके ऊपर डाल ढ़दया। कपड़े को
उसकी कमर से नीर्े रोल करके उसके र्तड़ों पर रख ढ़दया। वो ऊपर से नींगी थी और उल्टी पेट के बल लेटी
थी। उसका बदन एकदम से मक्खन की तरह से गर्कना और दध की तरह से सर्ेद था। मैं कुछ दे र तक ऐसे
ही उसके बदन को दे खता और तनहारता रहा। मेरा लण्ड मेरे तौसलया के अींदर कब का टें ट बना र्ुका था।

कर्र मैंने टे बल से जुड़ी बोतल के साकेट से तेल की बोतल तनकाली और अनीता की नींगी पीठ पर एक धार लगा
दी, कींधों से नीर्े कमर तक। मैं उसकी दोनों टाूँगों के बीर् इतना करीब खड़ा था की कभी-कभी तो मेरा लण्ड
उसकी खल
ु ी टाूँगों के बीर् उसकी र्त से टकरा रहा था। टे बल के ऐसे जोड़ पर एक “डब्ल्य” के शेप की ट्रे जैसी
थी। अगर पीठ के बल सीधा लेटा जाए तो वो “डब्ल्य” शेप की ट्रे को लीवर के थ्र बाहर तनकाला जा सकता था,
जहाीं पर गाण्ड एकदम से कर्ट बैठती थी। और जब उल्टा लेटते यानी पेट के बल तो र्त जोड़ पर खुली ही
रहती थी।

अनीता के लेट जाने के बाद मैंने दोनों हाथों से तेल को र्ैलाया और कर्र धीरे -धीरे मासलश करने लगा। उसका
गर्कना बदन ककसी मक्खन की याद ढ़दला रहा था। मैं तो जैसे दीवाना हो रहा था। अपने दोनों अींगठों से ऊपर-
नीर्े करके मासलश कर रहा था और उीं गसलयाीं सहारा दे ने का काम दे रही थीीं। उसकी पीठ पर दर तक मासलश
करता तो मेरा हाथ उसके बदन के पहल से उसके र्र्े से भी टकरा जाता, जो की एक नर्रु ल सी बात है । परा
र्र्ा हाथ में नहीीं आ रहा था, बस र्र्े की तरर् का गोल वाला ढ़हस्सा ही उीं गसलयों से लग रहा था। एक-दो बार
जब तेल की वजह से हाथ सरका तो उसके र्र्े पर र्ला गया था, म्जसे मैंने र्ौरन ही तनकाल सलया था।

मैंने पछा- “अनी कुछ आराम लग रहा है ?”

अूँीीता ने हूँसकर और सेक्सी आवाज में जवाब ढ़दया- “हाूँ बहुत अच्छा लग रहा है राज, ऐसे ही करो। थोड़ा और
नीर्े भी करो शायद डडस्क में भी मार लगी है…”

तब मैंने कपड़े को उसके र्तड़ों पर और नीर्े रोल ककया और बोला- “अनी यहाीं तो तम
ु हारी पैंटी है, इसपर तेल
का धब्बा लग जाएगा…”

अनी बोली- “राज उसे तनकाल दो ना प्लीज…” कर्र उसने बोला- “अब यहाीं और कोई है भी तो नहीीं ना और तम

तो एक डाक्टर के समान हो और पता है डाक्टर से पेशेंट की कोई र्ीज ना छुपी रहती है और ना ही छुपाई जा
सकती है …”

मैं धीरे से मश्ु कुराया म्जसे वो दे ख नहीीं सकी और बोला- “ओके अनी…” और कर्र उसकी सर्ेद ससल्की पैंटी
म्जसपे बहुत खबसरत छोटे -छोटे अलग-अलग रीं ग के र्ल बने थे, उसकी र्लों से भरी पैंटी ककसी गाडेन से कम
नहीीं लग रही थी। उसकी पैंटी के एक तरर् से एलाम्स्टक में उीं गसलयाीं डालकर नीर्े खीींर्ने लगा तो उसने अपना
नासभ थोड़ा ऊपर उठा सलया, ताकी मझ
ु े पैंटी तनकालने में आसानी हो। अनीता की पैंटी भी तनकल र्क
ु ी थी और
अब वो मेरे सामने टे बल पर एकदम से नींगी लेटी ककसी सींग–ए–मरमर की तराशी हुई मततच लग रही थी।

34
मैं उसके कींधे को मासलश करते-करते उसके डडस्क के एररया पर और कर्र र्तड़ों के करीब आ गया। दोनों र्तड़ों
के ऊपर तेल डाला और दोनों हाथों की उीं गसलयों को र्ैलाकर अूँगठे से मासलश करने लगा। क्या र्तड़ थे अनी के
मक्खन जैसे गर्कने-गर्कने। इतने गर्कने थे की बबना तेल डाले ही मेरा हाथ कर्सल रहा था। मैं उसके गर्कने
र्तड़ों को दोनों हाथों से मसल रहा था।

ऐसे मसलते-मसलते उसकी गल


ु ाबी गाण्ड का खुल बींद होता छे द बड़ा मस्त ढ़दख रहा था। दोनों हाथों से मसलते-
मसलते एक हाथ उठा सलया और एक हाथ से मसलते हुए मैंने दसरे हाथ से तेल की बोतल उठाई और बहुत
तेजी से उसकी खुली गाण्ड में एक लींबी धार टपका दी। जैसे ही तेल की धार उसकी गाण्ड के अींदर गगरी उसकी
गाण्ड अपने आप बींद हो गई।

अनीता बोली- “यह क्या कर रहे हो राज?”

मैं मश्ु कुराकर बोला म्जसे वो दे ख नहीीं सकी- “मासलश कर रहा हूँ ना यार। तेल डाल रहा था तो थोड़ा सा तम
ु हारे
गल
ु ाबी छे द के अींदर भी र्ला गया। क्यों कोई प्राब्लम है क्या?”

अनी बोली- “नहीीं कोई प्राब्लम तो नहीीं, बस अजीब सा लगा इसीसलए पछा। तम
ु मासलश करो राज मझ
ु े बहुत
आराम समल रहा है…”

मैंने ओके बोला और कर्र से र्तड़ों को मसलना शरू


ु कर ढ़दया। मैं खास तौर पर र्तड़ों को ऐसे मसल रहा था
की मझु े उसकी गाण्ड का छे द खल
ु बींद होता हुआ ढ़दखाई दे रहा था, और अब मेरा जी कर रहा था की ऐसी
मस्त गाण्ड का सशकार करना ही र्ाढ़हए। अब मैं उसकी गाण्ड के बहुत ही करीब मासलश कर रहा था, म्जसकी
वजह से मेरे दोनों अींगठे उसकी गाण्ड के छे द पर थे।

तेल की गर्कनाहट की वजह से मेरा अींगठा उसकी गाण्ड में घस


ु गया तो उसके र्तड़ अपने आप ऊपर उठ गये
और उसके मूँह
ु से एक सससकारी तनकल गई- “सस्स्स्स्स… ऊऊऊऊओ…”

मैंने पछा- “क्या तकलीर् हो रही है ?”

अनी बोली- “नहीीं नहीीं… बहुत अच्छा लग रहा है…”

अब मैं उसकी गाण्ड में अींगठा दे कर अींदर-बाहर भी कर रहा था और अपनी उीं गसलयों को नीर्े करके उसकी र्त
की पींखुडड़यों के पास मासलश करने लगा, म्जससे उसकी र्त के करीब तक मेरी उीं गसलयाीं जा रही थी और
लगभग उसकी गर्कनी र्त से टकरा रही थीीं। मझ
ु े लग रहा था की अब वो परा मस्ती में आ गई है, क्योंकी
उसका बदन टे बल से थोड़ा-थोड़ा ऊपर भी उठ रहा था। उसकी आूँखें बींद थी। वो गहरी-गहरी साूँसें भी ले रही थी
और अब उसने अपने र्तड़ों को ऐसे उठा ढ़दया था की उसकी र्त मझ
ु े सार् ढ़दखाई दे रही थी।

वाह्ह दोस्तों, क्या बताऊूँ मक्खन जैसी गर्कनी और गल


ु ाबी-गल
ु ाबी र्त। मैंने सोर्ा की र्त के अींदर एक उीं गली
डाल दीं , पर डाली नहीीं। वो मस्त हो र्ुकी थी, उसकी साूँसें गहरी हो र्ली थीीं। मैंने टे बल के लीवर को दबाया
और टे बल का “वाई” शेप का भाग बींद हो गया। अब उसकी टाूँगें एक दसरे से समल गईं, और टे बल वापस एक
र्ौकोर की शकल का सामान्य टे बल हो गया।
35
मैंने उसको बोला- “अब सीधा लेट जाओ, सामने से जाींघ पर मासलश कर दूँ गा…”

अनीता टे बल पर पलट गई और पीठ के बल सीधा लेट गई।

मैंने कर्र से टे बल के नीर्े का लीवर प्रेस ककया और टे बल धीरे -धीरे खल


ु ते हुए कर्र से उल्टे “वाई” की शकल की
हो गई और अनी की टाूँगें एक बार कर्र एक 45° डडग्री के कोण में खल ु गई और बीर् में से “डब्ल्य” शेप की
स्टील की प्लेट बाहर तनकल गई जो उसकी गाण्ड के साथ कर्ट बैठ गई और उसकी सीट जैसी बन गई। ऐसे
टाूँगें खुलने से उसकी र्त की पींखुडड़याीं भी थोड़ी सी खुल गईं और अींदर से म्क्लटोररस का छोटा सा दाना और
र्त के अींदर का थोड़ा सा गल
ु ाबी भाग भी ढ़दखाई दे ने लगा। र्त के ऊपर एक भी बाल नहीीं था, एकदम से बेबी
र्त थी उसकी। र्त का पेड़ थोड़ा उठा हुआ था और उसकी पींखडु ड़याीं लाल थीीं और थोड़ी सी मोटी थीीं। वो मेरी
तरर् अजीब नजरों से दे ख रही थी।

मैंने पछा- “क्या हुआ अनी अब कैसा र्ील कर रही हो? तम


ु हें कुछ आराम आया?”

अनी ने अपनी आूँखें बींद कर ली और बोली- “राज तमु हारी उीं गसलयों में तो जाद है । मझ
ु े बहुत ही आराम आया।
मेरा बदन एकदम से हल्का हो गया है , बहुत अच्छा लग रहा है । प्लीज ऐसे ही मासलश करो ना। मेरा तो जी
कर रहा है की तम
ु आज सारा ढ़दन मेरी मासलश ही करते रहो और मैं ऐसे ही तम
ु हारे सामने लेटी रहूँ…”

मैं हूँस ढ़दया और बोला- “ठीक है अनी, जब तक तम


ु हें परा आराम नहीीं आ जाता मैं लगातार मासलश करता
रहीं गा…”

अनीता- “धन्यबाद राज…” बोला और अपनी आूँखें बींद कर ली।

मैं कर्र से टे बल के खुले भाग में उसकी खुली टाूँगों के बीर् में आकर खड़ा हो गया। मैंने उसकी दोनों जाींघों पर
तेल की धार डाली और टाूँगों के बीर् खड़े-खड़े दोनों हाथों से उसकी जाींघों पर तेल र्ैलाकर मासलश करने लगा।
उसकी जाींघ के एक तरर् तो मेरा अींगठा और दसरी तरर् बाकी की र्ारों उीं गसलयाीं, और हथेली उसकी जाींघ के
ऊपर थी और मैं आगे-पीछे करके मासलश कर रहा था।

उसका बदन कभी-कभी मस्ती में अकड़ जाता था तो मैं पछता- “क्या हो रहा है ?”

तब बस उसके मूँह
ु से बहुत ही सेक्सी आवाज में इतना ही तनकलता- “बहुत अच्छा लग रहा है राज, ऐसे ही
करो…” उसकी आूँखें बींद थी और वो मासलश का भरपर मजा ले रही थी। मैंने टे बल की उीं र्ाई को ऐसे
समायोम्जत ककया था की टे बल का टाप भाग मेरी जाींघ के लेवेल तक आ गया था और ऐसी पोजीशन में उसकी
र्त मेरे लण्ड के बहुत करीब थी। अब मैंने अपना हाथ थोड़ा सा उपर की तरर् को बिाया और जाींघों और र्त
के बीर् वाले भाग में मासलश करने लगा। ससर्च अींगठे से रगड़ रहा था।

मेरा हाथ उसकी र्त के करीब आते ही उसकी गाण्ड अपने आप ऊपर उठ गई और बदन थोड़ा अकड़ गया तो
मैंने पछा- “अनी मासलश ठीक से नहीीं हो रही है क्या?”

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अनीता- “नहीीं राज, बहुत अच्छी मासलश कर रहे हो तम
ु । मेरा बदन अपने आप अकड़ा जा रहा है, मझ
ु े बहुत
मजा आ रहा है …”

मेरे दोनों अींगठे उसकी र्त की दोनों पूँखुडड़यों को रगड़ रहे थे, कभी दोनों एक साथ ऊपर, कभी एक ऊपर और
दसरा नीर्े और साथ में अपने अींगठों से उसकी र्त की पींखुडड़यों को मैं ऐसे दबा दे ता की उसकी र्त का दाना
उसकी र्त की पूँखुडड़यों के और मेरे अींगठों के बीर् में आ जाता और मैं दोनों अूँगठों से उसकी र्त के दाने को
रगड़ दे ता। बाडी की मासलश करते-करते जब र्त की मासलश करना हो तो उीं गली और अींगठे की मवमें ट ऐसी ही
होती है ।

कभी तो उसकी र्त की दोनों पींखडु ड़यों को अपनी इींडक्


े स उीं गली और अींगठे से ऊपर ऐसे पकड़ता की उसकी
म्क्लटोररस पूँखुडड़यों के बीर् में होती, और मैं मासलश करता तो वो ककसी मछली की तरह से तड़प जाती। वो
इतनी मस्त हो र्ुकी थी की उसको खबर ही नहीीं हो रही थी की वो क्या कर रही है ? उसका हाथ अपने आप
उसकी र्त पर आ गया था और वो अपनी उीं गसलयों से अपनी र्त के दाने को जोर-जोर से रगड़कर मासलश
करने लगी और इतनी बेखबर हो गई थी की शायद वो यह भी भल गई थी की मैं वहीीं पर उसकी टाूँगों के बीर्
खड़ा हूँ।

बस अनीता तो जोश में अपनी र्त की मासलश कर रही थी। उसका बदन काूँपने लगा। उसकी र्त से लगातार
रस बह रहा था, उसकी आूँखें बींद थी। अब मैं अपने अींगठे को तेजी से र्ला रहा था, उतनी ही तेजी से वो
अपनी र्त की मासलश कर रही थी।

एक ही समनट के अींदर उसका बदन ककसी कमान की तरह से मड़


ु गया था और उसकी गाण्ड “डब्ल्य” शेप की
प्लेट से आधा र्ुट ऊपर उठ गई थी और सस्स्स्स… ऊऊऊऊ… आअह्ह… की आवाजें तनकल रही थीीं, और वो बोल
रही थी- “आअह्ह… राज क्या मजा आ रहा है आह्ह… आईई… ऊईई… ममममाूँ मझ
ु े क्या हो रहा है आह्ह… उईई
राज मेरा पेशाब तनकल रहा है …”

उसका आगगज़्ज
च म र्ल रहा था और मैं उसकी र्त की पींखुडड़यों की ही मासलश कर रहा था, और उसकी उीं गसलयाीं
भी तेजी से र्त के दाने को रगड़ रही थीीं। उसका परा बदन एकदम से अकड़ गया और टे बल से उसकी गाण्ड
ऊपर उठ गई और वो झड़ने लगी। उसकी साूँसें बहुत ही गहरी और तेजी से र्ल रही थी और आूँखें मस्ती में
बींद थीीं। म्जतनी दे र वो झड़ती रही मैं उसकी र्त की पींखडु ड़यों की बगल से मासलश करता रहा। थोड़ी दे र में वो
शाींत हो गई और उसका बदन कर्र से ढीला पड़कर टे बल पर गगर गया। थोड़ी दे र में उसका आगगज़्ज
च म खतम हुआ
उसकी र्त से अमतृ बह रहा था।

तब मैंने पछा- “क्या हुआ अनी?”

अनीता ने टटी हुई साूँसों से जवाब ढ़दया- “आअह्ह… बहुत मजा आया, ऐसा मजा कभी नहीीं आया था। राज तम

बहुत अच्छी मासलश करते हो…”

मैंने धन्यबाद बोला और पछा- “लगातार करूीं या तम


ु थोड़ा रे स्ट लेना र्ाहती हो?”

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अनीता- “हाूँ राज बस 5 समनट दे दो मझ
ु ,े मेरी साूँसें तेजी से र्ल रही हैं…” अनी ने अपनी आूँखें बींद कर ली
थी। उसकी साूँसें तेजी से र्ल रही थी और उसके छोटे -छोटे र्र्े भी ऊपर-नीर्े हो रहे थे। उसकी आूँखें बींद थी।

मैंने उसको ऐसे ही लेटे रहने ढ़दया और इतनी दे र में मेरे लण्ड का भी बहुत ही बरु ा हाल हो र्ुका था, तो मैं
सीधा बाथरूम की ओर र्ला गया और ठीं डा पानी अपने लण्ड पर डाला। पहले तो मैंने सोर्ा की मठ मारनी
र्ाढ़हए, कर्र सोर्ा की अपनी कीमती मलाई को ऐसे बाथरूम में तनकालकर बरबाद नहीीं करना र्ाढ़हए। ठीं डा पानी
डालने से लण्ड के तनाव में थोड़ी कमी आ गई लेककन अभी भी लण्ड अकड़ा हुआ ही था।

मैं वापस आया तो अनी टे बल पर “डब्ल्य” शेप की प्लेट पर बैठी थी उसके टाूँगें 45° डडग्री “वाई” शेप में खुली
हुई थीीं। मैं वापस आया तो उसने मझु े अपने करीब बल
ु ाया तो मैं उसकी टाूँगों के बीर् उसकी र्त के करीब तक
र्ला गया। उसकी खुली टाूँगों की कुछ ऐसी पोजीशन थी की जब मैं उसके करीब तक आ गया तो मेरा लण्ड
उसकी र्त से टर् हो रहा था।

उसने मेरी गदच न को पकड़कर झुकाया और मेरे होंठों पर अपने होंठ लगाकर मझ
ु े ककस करने लगी। मैंने ववरोध
ककया क्योंकी मझ
ु े पता था की ऊपर अभी तक वीडडयो र्ल रहा है और अगर कल के ढ़दन कोई प्राब्लम हो जाए
तो मैं बोल सकता हूँ की मैंने कुछ नहीीं ककया।

इसीसलए मैंने बोला- “अनी यह क्या कर रही हो तम


ु ?”

अनीता- “राज आप बहुत सद


ींु र हैं, आपका शरीर सद
ींु र और प्ु ट है राज। मझ
ु े ककस करने दो ना प्लीज…”

मैंने बोला- “अनी अभी तम


ु छोटी हो प्लीज… ऐसा ना करो। अगर ककसी को पता र्ल गया तो बहुत प्राब्लम
होगी…”

अनीता- “तम
ु ककसी र्ीज की कर्कर ना करो। मैं एक बासलग हूँ और मैं ही तो ककस करना र्ाह रही हूँ तम
ु को,
मैं जो कुछ भी कर रही हूँ अपनी म़ी से कर रही हूँ, तम
ु मेरे साथ कोई जबरदस्ती तो नहीीं कर रहे हो ना।
प्लीज मझ
ु े आप र्मने दो…”

मैंने सोर्ा- “र्लो अब मैं सेर् हूँ…” और करीब आ गया।

कर्र उसने मेरी गदच न में बाहें डालकर ककस करना शरू
ु ककया और थोड़ी ही दे र में हम जीभ र्सते हुये फ्रेंर् ककस
करने लगे। उसके मूँहु का स्वाद बहुत ही मीठा था और वो मेरी जुबान को ऐसे र्स रही थी जैसे फ्रेंर् ककस की
ववशेषज्ञ हो। मेरा हाथ अपने आप उसके र्र्े पर आ गया और मैं उसके छोटे -छोटे र्र्े को दबाने लगा। उसके
र्र्े शायद 28” या 30” के होंगे। अभी तक उसके तनपल्स बाहर नहीीं तनकले थे। उसका वपींक अरोला भी एक
इींर् का ही था, बहुत ही खबसरत लग रहे थे उसके र्र्े। उसके गोल-गोल र्र्े मेरे हाथ में छोटे लग रहे थे, पर
परे र्र्े और उसके आस पास के एररया से मेरा हाथ भर गया था।

उसके र्र्े बहुत ही मस्त और बहुत ही कड़क थे, म्जन्हें दबाने में बहुत ही मजा आ रहा था। मझ ु े ऐसे र्ील हो
रहा था जैसे मैं पहला मदच हूँ म्जसके हाथों में यह र्र्े दब रहे हैं। मझ
ु े पता ही नहीीं र्ला की कब उसने मेरा
तौसलया तनकाल र्ेंका। मझ
ु े तो उस वक़्त याद आया जब उसने मेरे लण्ड को अपने नाजुक हाथ की मट्
ु ठी में
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पकड़ सलया और उसको आगे-पीछे करके मठ मारने लगी। उसके छोटे और नरम हाथ मेरे लण्ड को बहुत मजा दे
रहे थे। ऐसा करने से मेरे लण्ड का सप
ु ाड़ा उसकी र्त की पींखडु ड़यों के अींदर टर् कर रहा था।

मैंने बोला- “अनी यह सब नहीीं प्लीज… अब और कुछ ना करो…”

उसने लण्ड को छोड़ ढ़दया और वापस टे बल पर लेट गई। मैं अपना तौसलया उठाकर लपेटने ही जा रहा था की
उसने बोला- “नहीीं राज प्लीज… ऐसे ही आ जाओ ना… मझ
ु े तम
ु ऐसे ही अच्छे लग रहे हो…”

मैंने हूँसकर पछा- “तम


ु हें मैं नींगा अच्छा लग रहा हूँ?”

अनी ने डीप और सेक्सी आवाज में बोला- “हाूँ ऐसे ही रहो ना प्लीज़्ज़…”

मैंने मश्ु कुराते हुए बोला- “ठीक है । अगर तम


ु ऐसे ही र्ाहती हो तो ऐसे ही सही, क्योंकी तम
ु हारी र्ेसमली तो मेरे
म्जम की गोल्ड काडच सदस्य है , तम ु जो कहोगी मझ
ु े वैसा करना ही पड़ेगा…”

अनीता हूँस दी और बोली- “ठीक है । तम


ु ऐसे समझो की यह मेरा आदे श है की तम
ु ऐसे ही नींगे मेरी मासलश
करोगे…”

मैंने भी हूँसते हुए कहा- “ओके बेबी, जैसी आपकी आज्ञा…”

अनी ने र्ौरन ही मझ
ु े टोका- “अरे यार मैं बच्र्ी नहीीं हूँ। मैं परी वयश्क हूँ…”

मैंने हूँसते हुए कहा- “ओके मैडम…”

अनी हूँसने लगी।

अब हम दोनों एक दसरे से कार्ी फ्री हो गये थे, और हमारे बीर् अच्छी खासी बबींदास बातें होने लगी थी। मैंने
पछा- “अब मासलश सामने से करूीं या पीछे से?”

अनीता- “पहले थोड़ी दे र पीछे से मासलश करो कर्र सामने से…”

मैंने कर्र से टे बल के नीर्े का लीवर दबाया और नीर्े से “वाई” शेप का भाग क्लोज हो गया और अनी वापस
पलटकर पेट के बल उल्टा लेट गई। अब मैंने कर्र से लीवर को दबाया और “डब्ल्य” शेप की प्लेट वापस अींदर
र्ली गई और नीर्े से “वाई” की शकल से उसकी टाूँगें खुल गई। अब अनी उल्टा लेटी हुई थी। थोड़ी दे र तक
उसकी पीछे से मासलश ककया।

कर्र अनी बोला- “इधर सामने आ जाओ और मेरे कींधे की मासलश करो…”

मैंने ओके बोला और सामने की ओर आ गया। मेरा नींगा लण्ड तो इस बरु ी तरह से अकड़ गया था की वो ऊपर
उठकर मेरे नासभ से टर् कर रहा था और लण्ड के मूँह
ु से प्री-कम भी तनकल रहा था। अनी अपने दोनों हाथ
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मोड़कर अपनी ठोड़ी को नीर्े रखे उल्टी लेटी थी। यह एक सामान्य पोजीशन होती है , जब पीठ की मासलश कर
रहे होते हैं तब।

जैसे ही मैं सामने आया अनी के मूँह


ु से- “वाउ राज तनकला…” और थोड़ी दे र तक तो वो मेरे लण्ड को खा जाने
वाली नजरों से दे खती रही। कर्र अपने दोनों हाथ ठोड़ी के नीर्े से तनकाले और अपने हाथ आगे बिाकर मेरे
लण्ड से खेलने लगी।

मैंने बोला- “यह क्या कर रही हो अनी?”

अनीता- “ककतना शानदार है यह राज?”

मैंने बोला- “पता है इसे क्या कहते हैं?”

तब अनी बोली- “हाूँ… रोड, काक या पेतनस…”

मैंने बोला- “अरे नहीीं यार, अपनी ढ़हन्दी भाषा में क्या कहते हैं?”

तब अनी शमाच गई।

मैंने बोला- “यह बड़ी अजीब बात है अनी की हम अपने शरीर के ककसी भी भाग का नाम इींम्ललश में तो बड़ी
आसानी से बोल लेते हैं, पर उसी को ढ़हन्दी में बोलते शमच आती है । ऐसा क्यों होता है ?”

अनीता हूँसने लगी और बोली- “तम


ु ने एकदम से सही बोला राज। शायद ढ़हन्दी में बोलने में शमच आती है…”

मैंने बोला- “अच्छा तो इींम्ललश में बोलने में शमच नहीीं आती?”

अनी हूँसने लगी।

मैंने बोला- “तम


ु हें पता तो है ना की इसे ढ़हन्दी में क्या कहते हैं?”

अनीता ने कुछ बोला नहीीं, पर अपना ससर हाूँ में ढ़हला ढ़दया।

मैंने पछा- “म्जस खखलौने से तम


ु खेल रही हो, उसको ढ़हन्दी में क्या कहते हैं?”

तब अनी ने मझ
ु े और करीब आने को बोला।

तो मैं उसके बहुत करीब र्ला गया तो उसने मेरे लण्ड को पकड़कर उसके सप ु ाड़े पर ककस ककया और उसको
अपने मूँह
ु में डाल सलया और र्टार्ट र्सने लगी। बबल्कुल उसी तरह से र्सने लगी म्जस तरह उसकी माूँ दीपा
ने र्सा था। मैंने उसके मूँह
ु से अपना लण्ड तनकालने की कोसशश की तो उसने अपने दोनों हाथों को मेरे पीछे ले

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जाकर मेरे र्तड़ों को कसकर पकड़ सलया और अपनी ओर खीींर् सलया, और लण्ड को बबना मूँह
ु से बाहर तनकाले
ककसी लालीपोप की तरह से मेरे अकड़े हुए लण्ड को र्सने लगी।

मैं र्ाहता भी यही था, पर उसको बताना नहीीं र्ाहता था की मैं भी तो यही र्ाहता था की वो मेरा लण्ड र्से।
जब उसने खुद ही अपनी म़ी से मेरा लण्ड र्सना शरू
ु कर ढ़दया तो मैं खामोश हो गया और अपने लण्ड पर
उसके गरम-गरम मूँह
ु का मजा लेने लगा। मेरी समझ में नहीीं आ रहा था की क्या करूीं?

मैंने उसके कींधों पर थोड़ा तेल डाला और मासलश करने लगा। अनी के नींगे बदन को और उसकी गल
ु ाबी गाण्ड
और र्त को दे ख-दे खकर मेरा लण्ड कम से कम एक घींटे से ज़्जयादा से अकड़ा हुआ था। अब मेरे सलए और
ववरोध करना मम्ु श्कल हो रहा था, और म्जस उत्तम तरीके से वो मेरा लण्ड र्स रही थी मैं झड़ने के कगार पर
भी आ गया था।

मैंने उसको बोला- “अनी स्टाप प्लीज़्ज़… मेरा तनकलने वाला है …”

अनी ने कुछ बोला नहीीं और जोर-जोर से र्सने लगी। मेरा लण्ड इतना मोटा और बड़ा था की उसके मूँह
ु में
आधा भी नहीीं घस
ु पाया था। अनी मेरे लण्ड के सप
ु ाड़े को और लण्ड के डींडे को 3 या 4 इींर् ही अपने मूँह
ु के
अींदर लेकर र्स रही थी। मेरे सारे बदन में सनसनी दौड़ने लगी तो मैंने अनी के ससर को दबाकर पकड़ सलया
और उसके मूँह
ु के म्जतना अींदर तक अपने लण्ड को घस
ु ेड़ सकता था, घस
ु ेड़ ढ़दया और उसके ससर को कसकर
पकड़ सलया और कर्र मेरे लण्ड से गरम-गरम रस तनकलकर उसके गले में उतरने लगा।

अनी के गले से ग-ूँ गूँ जैसी आवाजें तनकल रही थी। पर मैंने उसके ससर को उस वक़्त तक नहीीं छोड़ा जब तक
कक मेरे लण्ड से रस की एक-एक बूँद नहीीं तनकल गई। लण्ड से तनकली परी मलाई को वो बड़े मजे से खा गई।
कर्र भी वो र्सती ही रही।

मैं झुक के उसके मूँह


ु को ककस ककया और धन्यबाद बोला। उसने मेरे लण्ड को अभी भी पकड़ा हुआ था। मेरा
लण्ड उसके छोटे होंठों में बहुत ही बड़ा और मोटा लग रहा था। लण्ड की मोटाई को उसके नाजुक हाथ परा नहीीं
पकड़ पा रहे थे।

मैंने कर्र उससे पछा- “अनी प्लीज बताओ न इसे ढ़हन्दी में क्या कहते हैं?”

उसने अपना मूँह


ु उठाकर मेरी तरर् दे खा और धीरे से बोला- “लण्ड या लौड़ा…” और कर्र खद
ु ही हूँसने लगी,
और मझ
ु से पछा- “सही बोला ना मैंने?”

मैंने बोला- “हाूँ, बबल्कुल ठीक। अच्छा पस


ु ी को ढ़हन्दी में क्या कहते हैं?”

अनीता धीरे से मश्ु कुरायी और मेरे से पछा- “क्यों तम


ु को नहीीं मालम क्या?”

मैंने बोला- “मझ


ु े तो मालम है , पर मैं तम
ु हारे मूँह
ु से सन
ु ना र्ाहता हूँ…”

उसने पछा- क्यों?


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मैंने बोला- “मझ
ु े लड़ककयों के मूँह
ु से सन
ु ना बहुत अच्छा लगता है…”

अनीता ने बोला- “ठीक है । पस


ु ी को ढ़हन्दी में र्त और योतन कहते हैं…”

मैंने बोला- “राइट और आस को?”

अनीता ने बोला- “गाण्ड…” और कर्र हूँसते हुए पछने लगी- “क्या तम


ु मेरा इींतह
े ान ले रहे हो?”

मैंने बोला- “नहीीं इींतह


े ान नहीीं। बस ऐसे ही जानना र्ाह रहा था की तम
ु को इन बातों की ककतनी नालेज है …”

अनीता हूँसने लगी। वो मेरे लण्ड से लगातार खेल रही थी म्जसकी वजह से वो कर्र से टाइट होने लगा था, और
झटके खाने लगा था। मैं कर्र उसकी टाूँगों के बीर् आ गया और उसकी पीछे की मासलश करने लगा। उसकी
गाण्ड में भी उीं गली ककया तो उसका बदन अकड़ गया।

अनीता ने सस्स्स की आवाज तनकाली और उसने अपनी गाण्ड को थोड़ा उठा सलया। ऐसा करने से उसकी र्त
ऊपर उठ गई थी, तो मैंने उसकी र्त को अपने हाथ में भर सलया और धीरे से दबा ढ़दया तो उसने आआह्ह…
राज कहा। मैंने उसकी र्त को दबा ढ़दया और अपनी बीर् की उीं गली को उसकी र्त के बीर् लाकर एक समनट
के सलए ऊपर-नीर्े ककया तो वो अपने र्तड़ उठा-उठाकर नीर्े पटकने लगी।

कर्र उसने बोला- “राज अब सामने से करो प्लीज…”

मैंने कर्र से टे बल के नीर्े का लीवर सशफ्ट ककया तो टे बल र्ौकोर हो गई और अनी जब वापस पलटकर सीधे
पीठ के बाल लेट गई तो “डब्ल्य” आकार की प्लेट बाहर तनकल गई और उसपे अनी की गाण्ड ढ़टक गई। मैंने
लीवर को दबाया तो उसकी टाूँगें कर्र से 45° डडग्री के “वाई” की शकल में खुल गईं। अब उसकी र्त बहुत ही
मस्त ढ़दख रही थी। र्त की मासलश और अनी की र्त को रगड़ने से उसके पींखडु ड़याीं थोड़ी सी मोटी और थोड़ी
और लाल हो गई थीीं।

जब वो टे बल पर परी तरह समायोम्जत हो गई तो मैंने पछा- “हाूँ तो अनी अब बताओ की मासलश कहाीं करनी
है ?”

अनी बोली- “तम


ु जहाीं से र्ाहो शरू
ु करो…”

मैंने बोला- “नहीीं तम


ु ही सजेस्ट करो तो मैं वहीीं से शरू
ु कर दूँ गा…” वास्तव में मैं दे खना र्ाहता था की वो
ररयली जाींघों की मासलश करवाना र्ाह रही है या र्त का मालीश?

अनीता ने बोला- “अभी जैसा तम


ु कर रहे थे ना राज वैसे ही करो, मझ
ु े बहुत ही अच्छा लग रहा था। तम
ु हारे
मासलश करने से मेरा बदन एकदम से हल्का हो गया है …”

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मैं समझ तो गया था की उसको जाींघ की नहीीं बल्की र्त की मासलश करवानी है , लेककन मैं उसके मूँह
ु से
सन
ु ना र्ाहता था इसीसलए पछा- “जैसा अभी कर रहा था का क्या मतलब? अनी मैं समझा नहीीं…”

उसने गस्
ु से से मेरी तरर् दे खा और अपनी र्त पर अपना हाथ रखा और बोला- “यहाीं की मासलश करो राज…”

मझ
ु े पता था पर कर्र भी मैं ऊपर लगे टीवी कैमरा में उसकी जब
ु ान से कहलवाना र्ाहता था की उसको र्त की
मासलश करवानी है जाींघों की नहीीं, म्जसमें मैं सर्ल रहा। मैंने बोला- “ठीक है, जैसा तम
ु र्ाहो…”

मेरे सामने टे बल पर अनी का खबसरत बदन नींगा पड़ा हुआ था। तेल लगने से उसका बदन र्मक रहा था। मैंने
अपने दोनों हाथों में थोड़ा तेल सलया और सीधा र्त की तरर् मासलश करने लगा। र्त की र्ाींकों की मासलश
कर रहा था और उसकी गाण्ड टे बल से उठ रही थी। मैंने लीवर को पैर से थोड़ा दबाया तो टे बल ऊपर उठती
र्ली गई और उसकी र्त मेरे मूँह
ु के सामने आ गई तो मैंने लीवर को रोक ढ़दया। इससे पहले की वो कुछ
समझ पाती मैंने अपने होंठ उसकी र्त से लगा ढ़दए और ककस करने लगा।

आनी एकदम से टे बल पर उठकर बैठ गई और मेरे ससर को पकड़कर अपनी र्त में दबा ढ़दया।

मैंने बोल- “आराम अनी आराम से…”

अनी बोली- “ऐसे ही करो राज प्लीज…”

मैंने उसकी र्त को कर्र से र्मा और कर्र उसकी र्त के अींदर जीभ डालकर र्सने लगा। मैंने उसको आढ़हस्ता
से पश
ु ककया और टे बल पर वापस सलटा ढ़दया।

अनी टे बल पर लेट तो गई पर ककसी मछली की तरह से तड़प रही थी। उसके पैर अपने आप उठ गये और मेरे
पीछे लपेट सलया और अपना हाथ मेरे ससर के ऊपर रखकर अपनी गाण्ड उठाकर मेरे मूँह
ु में अपनी र्त को
रगड़ने लगी- “आआआह्ह… राज्ज यह कैसा मज़्जज़्ज़ा है राज्ज?”

और थोड़ी दे र ऐसे ही र्सने के बाद जब उसकी परी र्त को अपने मूँह


ु में भरकर दाूँतों से काटा तो वो काूँप
गई। उसके मूँह
ु से- “ऊऊईई ममाूँ उर्फ़्… आआह्ह…” तनकला और उसका बदन थर-थर काूँपने लगा और वो
काूँपते हुए झड़ने लगी।

म्जतनी दे र तक उसकी र्त से अमत


ृ तनकलता रहा मैं उसकी र्त को अपने मूँह
ु में ही दबाकर पकड़े रहा और
उसकी कूँु वारी र्त का कूँु वारा अमत
ृ पीता रहा। मेरे दाूँत उसकी र्त के अींदर लग रहे थे। जैसे ही उसकी र्त से
रस बहना बींद हुआ और उसकी बबगड़ी हुई साूँसें ठीक हुई तो मैंने अपना मूँह
ु उसकी र्त से हटा सलया और टे बल
के लीवर को प्रेस करके थोड़ा नीर्े पहली वाली पोजीशन में कर ढ़दया। टे बल वापस मेरी जाींघों के लेवेल तक आ
गई। मैं अब उसके इतने करीब खड़ा था की मेरा लण्ड उसकी र्त से जोर से टकरा रहा था और उसकी र्त के
अींदर घस
ु ने की कोसशश कर रहा था। उसने अपनी दोनों टाूँगें “वाई” शेप के भाग से उठा ली और मेरी पीछे लपेट
ली और अपनी ओर खीींर्ने लगी।

मैं- “क्या अनी कैसा लग रहा है ?”


43
अनी बोली- “राज तम
ु आश्र्यचजनक हो, तम
ु बेस्ट हो। अब मैं तम
ु हें मेरे अींदर र्ाहती हूँ राज…?

मैंने जानबझ कर बोला- “तम


ु हारा क्या मतलब है ? मैं समझा नहीीं…”

अनी ने अपने हाथ को आगे बिाया और मेरे लण्ड के डींडे को पकड़कर अपनी र्त में ऊपर से नीर्े तक रगड़ने
लगी और बोली- “इसको इसके अींदर डाल दो…”

मैंने बोला- “ककसको ककसके अींदर डालूँ अनी?”

अनी गस्
ु सा हो गई और बोली- “समझ में नहीीं आता क्या तम
ु को? मैं क्या बोल रही हूँ?”

मैंने अींजान बनते हुए कहा- “नहीीं मझ


ु े ढ़हन्दी में सार्-सार् बोलो की तम
ु हें क्या र्ाढ़हए?”

अनी बोली- “राज तम


ु बहुत खराब हो, इतना भी नहीीं समझते?”

मैंने कहा- “नहीीं।

अनी ने गस्
ु से से बोला- “ठीक है सन
ु ो… अपने इस मसल लण्ड को मेरी र्त के अींदर डालो और खब रगड़-रगड़
कर र्ोदो और मेरी र्त के अींदर लगी आग को बझ
ु ा डालो…”

मैंने बोला- “नहीीं अनी तम


ु अभी कमससन हो और ऐसा करने से तम
ु कूँु वारी नहीीं रहोगी…”

अनी बोली- “मैं कुछ नहीीं जानती, मझ


ु े तम
ु अभी और इसी वक़्त र्ोद डालो। अब मझ
ु से और बदाचश्त नहीीं
होता…”

मैंने बोला- “अनी प्लीज… म्जद ना करो। हमने जो कर सलया वो ओरल था, इसको यहीीं तक ही रहने दो। कल के
ढ़दन तम
ु हारी मममी को मालम होगा तो क्या होगा?”

अनी बोली- “मममी की कर्कर ना करो। मझ


ु े तो लगता है की वो भी अच्छी खासी र्ुदासी है…”

मैंने है रत से उसकी ओर दे खा और बोला- “अनी यह क्या बोल रही हो तम


ु ?”

अनी बोली- “हाूँ राज… पापा और मममी 4 या 6 महीने में ही एक दसरे से समलते हैं। पापा अपने बब़नेस के
ससलससले में बबजी रहते हैं, और अभी मममी भी तो जवान हैं, उनकी र्त में भी आग लगती होगी। और कर्र मैं
थोड़े ढ़दनों से दे ख रही हूँ की मेरी मममी बआ
ु के साथ ज़्जयादा समय गज
ु ार रही हैं। दोनों साथ-साथ सोते हैं, साथ
में हूँसी मजाक करते रहते हैं। मझ
ु े दाल में कुछ काला नजर आने लगा तो मैंने उनकी जाससी की। कर्र
तकरीबन 10 ढ़दन पहले मैंने मममी और बआ
ु को नींगी होकर एक दसरे की र्तें र्ाटते, ककस करते, और एक
दसरे के र्र्ों को र्सते दे खा है । मेरी मममी और बआ
ु दोनों ही मझ
ु े र्द
ु ासी लगती हैं…”

44
मैं यह सन ु कर है रान तो हुआ, पर मझ ु े मालम हो गया की मैं उसकी मममी को और उसकी बआ
ु को दोनों को
र्ोद र्क
ु ा हूँ, और मेरे र्ोदने के बाद शायद उन दोनों की खोई हुई जवानी वापस आ गई होगी। और यह मेरी
र्ुदाई का ही नतीजा है की दोनों अब एक दसरे से भी जवानी के मजे ले रही हैं और मझ
ु े तो पता ही था की
दोनों एक दसरे की र्तें भी र्ाटती हैं और र्र्े भी र्सती हैं। दोनों को बहुत ढ़दनों से समलैंगगक की लत भी पड़
र्ुकी है । लेककन मैं बनावटी है रानी से अनी की बातें सन
ु रहा था।

अनी बोली- “दे खो राज प्लीज… मैं तम


ु हारे पैर पड़ती हूँ प्लीज तम
ु जो कहोगे मैं करने को तैयार हूँ। तम
ु जो
माूँगोगे मैं उसके सलए तैयार हूँ, लेककन प्लीज आज तम
ु मझ
ु े र्ोद-र्ोदकर मेरी र्त की जलती आग को बझ
ु ा
डालो और प्लीज मझ
ु े जल्दी से र्ोद डालो, दे र ना करो नहीीं तो मैं मर जाऊूँगी…”

मैं समझ गया की अनी अब वासना की आग में जलते-जलते पागल हो गई है और अगर आज मैंने इसको नहीीं
र्ोदा तो शायद यह पागल हो जाए, या कर्र ककसी ररक्शे या ताूँगे वाले से र्द
ु वा ले।

अनी ने कर्र से बोला- “राज प्लीज… तम


ु जैसा कहोगे मैं करूूँगी। बोलोगे तो मैं तम
ु हारी रीं डी बनकर रहूँगी। तम

जब बल
ु ाओगे र्द
ु वाने र्ली आऊूँगी, पर प्लीज अब मझ
ु से और सहन नहीीं होता, अब तो तम
ु मझ
ु े र्ोद डालो।
मेरा बदन वासना की आग में जल रहा है । मैं मर जाऊूँगी प्लीज… राज अब दे र ना करो। माूँगो जो माूँगना हो,
मैं तम
ु हारी हर शतच मानने को तैयार हूँ। पर तम
ु मझ
ु े र्ोदकर मझ
ु े लड़की से औरत बना दो, अपनी रीं डी बना लो,
अपनी दासी बना लो…”

मैंने बोला- “मैं जो माींगग


ीं ा दोगी?”

अनी ने र्ौरन ही कहा- “हाूँ बोलो राज क्या र्ाढ़हए तम


ु हें ?”

मैंने बोला- “दे खो सोर् लो…”

अनी तड़प उठी और बोली- “राज तम


ु मेरी म़्ींदगी माूँगना र्ाहते हो तो माूँग लो, मैं तम
ु हारे सलए मर जाऊूँगी पर
अब दे र ना करो प्लीज…” वो ऐसे गगड़गगड़ा रही थी जैसे अपने जीवन की भीख माूँग रही हो।

मैंने बोला- “ठीक है अनी। मझ


ु े बहुत ज़्जयादा नहीीं बस दो र्ीजें ही र्ाढ़हए…”

अनी ने तड़प के पछा- “क्या राज बोलो ना प्लीज…”

मैंने बोला- “सोर् लो अनी…”

अनी बोली- “प्लीज राज अब और ज़्जयादा ना तड़पाओ…”

मैंने बोला- “ठीक है सन


ु ो… एक तो यह की मझ
ु े तम
ु हारी गाण्ड भी र्ाढ़हए…”

उसने बबना एक सेकेंड की दे र ककए बोला- “ओके और क्या र्ाढ़हए?”

45
मैंने बोला- “मझ
ु े सोनी र्ाढ़हए…”

तब अनी बोली- “अरे राज तम


ु सोनी की क्या बात करते हो? मैं तम
ु को हमारे क्लास की म्जस लड़की की ओर
इशारा कर दोगे, उसको तम
ु से र्ुदवा दूँ गी। तम
ु बोलोगे तो अपनी क्लास टीर्र और हे ड समस को भी तम
ु से
र्ुदवा दूँ गी। मैंने उन दोनों को स्कल के परु
ु ष टीर्सच से र्ुदवाते रीं गे हाथों पकड़ा है और सोनी को तो मैं अच्छी
तरह से जानती हूँ। वो तो मझ
ु से भी ज़्जयादा गरम है, आूँख बींद करके र्द
ु वा लेगी तम
ु हारे लण्ड से। वो भी अभी
तक कूँु वारी है । मैं उसको ककसी ना ककसी तरह से पटा लूँ गी…”

मैंने कहा- “दे खो सोर् लो अनी, एक बार सील टट जाए तो कर्र जुड़ नहीीं सकती और तम
ु हारी मममी का क्या
होगा जब उन्हें पता र्लेगा?”

अनी बोली- “मममी को पता कैसे र्लेगा? हम लोग सावधान रहें गे ना राज। तम
ु मममी की कर्कर ना करो…”

मैंने भी सोर्ा- “हाूँ… उनको कौन जाकर बताएगा? और कर्र ऊपर तो वीडडयो र्ल ही रहा है । मैं बोल दूँ गा की
मैंने कोई जोर जबरदस्ती नहीीं की, जो कुछ भी हुआ वो अनी की म़ी से हुआ…” कर्र मैं उसकी टाूँगों के बीर्
आकर खड़ा हो गया। झुक के उसकी र्त को र्ाटने लगा।

एक बार कर्र से अनी दीवानी हो गई और मेरे ससर को पकड़कर अपनी र्त में घस
ु ा सलया। मैंने उसकी र्त को
र्ाट-र्ाट के इतना गरम कर ढ़दया की वो पागल हो गई और बोलने लगी- “अब दे र ना करो, र्ोद डालो राज
प्लीज़्ज़…”

मैं उसको अभी थोड़ा और गरम करना र्ाह रहा था।

तब अनी ने एक गाली दी- “साले राज र्ोद दे मझ


ु े बहनर्ोद मार मेरी र्त को। क्या कमी है रे मेरी र्त में?
दे ख कैसे पानी छोड़ रही है । भड़वे ढ़दखता नहीीं की एक र्त तेरे लण्ड की दीवानी हो गई है । तेरे लण्ड को
दे खकर मेरी र्त के मूँह
ु में पानी आ गया दे ख…” कर्र उसने अपनी र्त पर अपना हाथ मारते हुए कहा- “क्या
तेरा लण्ड मेरी र्त को नहीीं र्ोदना र्ाहता रे साले?”

मैंने बोला- “अरे अरे मेरी रानी आराम से यार… मेरा लण्ड बहुत ही बड़ा और मोटा है और तम ु हारी कमससन र्त
अभी बहुत ही छोटी है । मझ ु े डर है कक कहीीं तम
ु हारी र्त मेरे मोटे लण्ड को बदाचश्त ना कर पाए और र्ट ना
जाए तो बहुत मम्ु श्कल होगी…”

अनी बोली- “डाल साले बहनर्ोद मेरी र्त के अींदर अपने लौड़े को डाल… और दे ख कैसे मजे से खाती है मेरी
र्त तेरे लौड़े को…”:

मैं उसकी जब
ु ान से गासलयाीं सन
ु कर है रान हो गया की अनी भी अपनी माूँ की तरह से र्द
ु क्कड़ है, और गासलयाीं
दे ना जानती है । मैंने कर्र से सावधान ककया।

तब उसने मेरा लण्ड अपने हाथ से पकड़ सलया और अपनी र्त में रगड़ने लगी और बोली- “डाल इसके अींदर
अपने लौड़े को…” और अपनी गाण्ड उठाकर अपनी र्त में मेरे लण्ड को घस
ु ाने की कोसशश करने लगी।
46
मेरा लण्ड सर् में बहुत ही मोटा और लींबा है । लण्ड के सपु ाड़े से प्री-कम की मोटी बूँद तनकलकर लण्ड के मह
ूँु
पर र्मकने लगी। मैंने टे बल के नीर्े के लीवसच को प्रेस ककया तो टे बल उसके ससर की तरर् से थोड़ी ऊपर उठ
गई, ऊपर ततरछी पोजीशन में आ गई। अब अनी अपनी र्त और मेरे लण्ड को आसानी से दे ख सकती थी और
कर्र टे बल की उीं र्ाई को लीवर से ऐसे समायोम्जत ककया की उसकी र्त मेरे लण्ड से 3–4 इींर् नीर्े को हो गई।
ऐसी पोजीशन में, मैं थोड़ा सा घट
ु ने मोड़कर नीर्े से ऊपर जम के जोरदार झटके मार सकता था।

इतनी दे र में मेरे लण्ड का भी बरु ा हाल हो गया था। वो एक बबल्कुल नई, खबसरत, कूँु वारी, गर्कनी र्त को
र्ाड़ने के सलए बेर्ैन हो गया था और ककसी साूँप की तरह से र्नर्ना रहा था। अनी की टाूँगें खुली हुई थीीं। मैंने
अब अपना लण्ड अपने हाथ में पकड़ा और अपने घट ु ने को दो इींर् नीर्े मोड़कर उसकी र्त में रगड़ने लगा।

अनी मर्ल गई और बोली- “राज प्लीज़्ज़… डाल दे मेरी र्त के अींदर अपने लौड़े को मेरे राजा अब दे र ना करो।
मेरी र्त में आग लगी है , उसको बझ
ु ा दो मेरे प्यारे राज…”

मैं र्शच पर खड़ा हुआ था। मेरे पैरों की गग्रप र्शच पर टाइट थी। मझ
ु े बहुत ढ़दनों के बाद ऐसी कमससन और
छोटी र्त समली थी, और मैं आज इस मौके का परा र्ायदा उठना र्ाहता था। मझ ु े कूँु वारी और कच्र्ी कसलयों
की कच्र्ी र्त को र्ाड़ने का अच्छा खासा अनभ
ु व है। जब मैं ककसी कूँु वारी लड़की की छोटी र्त को र्ोदता हूँ
तो तड़पा-तड़पा के र्त में आग लगा दे ता हूँ और उसको परा गीला कर दे ता हूँ और कर्र एक ही झटके में लण्ड
को र्त के अींदर म्जतना जोर से घस
ु ेड़ सकता हूँ, घस
ु ेड़ दे ता हूँ और पक्का एक ही झटके में र्त की सील टट
जाती है , और कच्र्ी कली खखलकर र्ल बन जाती है ।

मैंने अपने लण्ड को अनी की र्त में रगड़ना र्ाल ककया तो वो पागल हो गई, अपने ससर को दाएीं बाएीं पटकने
लगी और अपने पैरों को मेरे पीछे लपेट सलया, अपनी ओर खीींर्ने लगी। ऐसी पोजीशन में उसकी नींगी र्त बड़े
तरीके से मेरे सामने ऐसे आ गई थी जैसे कोई ककसी घर आए मेहमान को ट्रे में रखकर जलपान पेश करता है ।

मैं अपने लण्ड के सप


ु ाड़े से उसकी म्क्लटोररस को मसल रहा था और मस्ती में उसकी गाण्ड ऊपर उठ रही थी।
एक छोटी गर्कनी कूँु वारी नई र्त को र्ोदने के खयाल से ही मेरे लण्ड के मूँह
ु में पानी आ गया था, जो अनी
की गरम और गीली र्त को और गर्कना कर रहा था। अनी पगला रही थी। उसने अपनी टाूँगें टे बल से उठाकर
मेरे पीछे लपेट ली थी, और मझ
ु े अपनी ओर खीींर् रही थी और अपनी र्त को र्ोदने का न्योता दे रही थी।

मैंने अपना लण्ड अपने हाथ में पकड़ रखा था और अपने लण्ड के सप
ु ाड़े को उसकी र्त की सैर करा रहा था।
जैसे ही नीर्े से ऊपर करने लगा तो लण्ड उसकी र्त के छे द में अटक गया ‘सस्स्स्स’ की आवाज आई तो मैंने
अनी को पछा- “अभी भी बोलो समय है अनी…”

अनीता- “दे खो राज, अगर अब तम


ु ने मझ
ु े नहीीं र्ोदा तो मैं यहाीं से र्ली जाऊूँगी और शोर मर्ा दूँ गी की तम
ु ने
मेरी इज़्ज़त लटने की कोसशश की है…”

मैंने बोला- “अरे नहीीं बाबा… ऐसी कोई नौबत नहीीं आएगी। मैं तो बस यह जानना र्ाह रहा था की तम
ु हारी र्त
मेरे इतने बड़े और मोटे लण्ड से र्द
ु ने के सलए तैयार भी है की नहीीं?”

47
अनी बोली- “अबे साले कब से समन्नतें कर रही हूँ र्ुदवाने के सलए बहनर्ोद, और त है की मेरे साथ खेल खेल
रहा है साले बहनर्ोद। र्ोदना है तो र्ोद डाल, डाल दे बस अब और र्ाड़ डाल इस र्त को, बझ
ु ा दे इस र्त की
जलती आग को…”

मैंने बोला- “जैसी तम


ु हारी इच्छा मेरी रानी…” कहकर मैं उसके ऊपर झुक गया और उसको ककस करने लगा। हम
फ़्रेर् ककस कर रहे थे और साथ ही उसके र्र्े भी मसल रहा था।

मेरा लण्ड उसकी र्त के छे द में अटका हुआ था। मैंने उससे पछा- “अनी मजा आ रहा है ?”

अनीता- “हाूँ राज, बहुत अच्छा लग रहा है । मझ


ु े तम
ु हारे तगड़े लण्ड का मोटा सप
ु ाड़ा अपनी र्त में महसस हो
रहा है । ऐसे ही करो प्लीज राज…”

मैंने उसके कान में र्ुसर्ुसा के कहा- “क्या तम


ु तैयार हो जान? तम
ु और तम
ु हारी र्त तैयार है र्द
ु ने के सलए?”

उसने मेरी गदच न पर ककस करते हुए कहा- “हाूँ मेरी जान… मेरे प्यारे राज, मैं और मेरी गरम गीली र्त दोनों
तैयार हैं, और मझु े बहुत ही मजा आ रहा है…”

मैं लण्ड के सप
ु ाड़े को उसकी र्त के छे द में थोड़ा अींदर-बाहर करने लगा तो उसका रोवाीं-रोवाीं मस्ती में भर गया।
अनी मझु े बेतहाशा ककस करने लगी। उसका बदन बहुत ही गरम हो गया था। मेरे लण्ड का सप ु ाड़ा उसकी
गर्कनी गीली छोटी र्त के छे द में धीरे -धीरे अींदर-बाहर हो रहा था। र्त के छे द की ररींग मेरे लण्ड के सप
ु ाड़े पर
टाइट बैठी थी और लण्ड के सप
ु ाड़े के साथ अींदर-बाहर हो रही थी। अनी ने मझ
ु े कसकर पकड़ सलया था और
अपने बदन को मेरे बदन में घस
ु ाने की परी कोसशश कर रही थी।

मैं अनी की आूँखों में आूँखें डाले दे ख रहा था और धीरे से बोला- “अनी मेरी जान, तम
ु कली से र्ल बनने को
तैयार हो ना?”

उसने भी एक सेक्सी मश्ु कुराहट के साथ सेक्सी आवाज में जवाब ढ़दया- “हाूँ मेरे राजा… र्ोद डालो और बना लो
अनी को अपनी रानी…”

मैं उसकी आूँखों में लगातार दे ख रहा था, और ऐसे ही दे खते-दे खते जैसा कक मेरा पसींदीदा तरीका है कूँु वारी र्त
की सील तोड़ने का, अपने हाथ से अपने लण्ड के डींडे को पकड़कर 3–4 बार लण्ड के सप
ु ाड़े को उसकी र्त के
छे द के थोड़ा सा अींदर डालकर बाहर खीींर् सलया और कर्र एक ही झटके में उसकी र्त का तनशाना सलया और
एक ही जबरदस्त और बहुत ही जोरदार शाट परी ताकत से मारा। मेरा लण्ड उसकी र्त में ऐसे घस
ु ा जैसे
मक्खन में गरम र्ाक।

अनीता के मूँह
ु से- “आआह्ह… माूँ ममर गई राज्ज तनकाल लो…” उसका बदन अकड़ गया और वो टे बल से ऊपर
उठ गई और मेरे बदन से ककसी बींदररया की तरह से गर्पक गई। मेरा लण्ड ककसी बबगड़े हुए साींड़ की तरह से
रास्ते में आई हर रुकावट को रौंदता हुआ उसकी छोटी कूँु वारी कसी र्त की परी गहरायी तक अींदर उसकी कूँु वारी
बच्र्ेदानी तक घस
ु र्क
ु ा था।

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मेरी पीठ में उसके नाखन घस
ु गये थे, और खरोंर् से मेरी पीठ से थोड़ा सा खन भी तनकल आया। उसका र्ेहरा
लाल हो गया था, आूँखें ऊपर को र्ि गई थी, नाक के नथन
ु े र्ैल गये थे, गहरी साूँसें ले रही थी और उसकी
आूँखों से आूँस टपक के नीर्े गगरने लगे।

मैंने भी उसको कसकर पकड़ सलया ताकी वो गगर ना जाए। लण्ड आधे से ज़्जयादा उसकी र्त को र्ड़ता हुआ
अींदर घसु र्क
ु ा था। लण्ड के डींडे पर उसकी र्त की नाजुक पींखडु ड़याीं गर्पकी हुई थीीं। थोड़ी दे र तक उसको
समझ में ही नहीीं आया की क्या हुआ है ? उसके ढ़दमाग में एक बबजली कौंधी और जैसे लाखों पटाखे उसके ससर
में र्टने लगे। उसका सारा बदन सन्
ु न हो गया और वो एकदम से बेदम हो गई और उसके हाथ मेरे बदन से
ढीले होकर छटने लगे।

तब मैंने उसको धीरे से टे बल पर सलटा ढ़दया, लेककन अपना लण्ड उसकी र्टी र्त से बाहर नहीीं तनकाला।
क्योंकी मझ
ु े पता था की अगर मैं ऐसे समय पर उसकी र्त से लण्ड बाहर तनकल लूँ गा तो वो अभी यहाीं से
बबना र्ुदवाये ही र्ली जायेगी, और अगली बार वो कभी ककसी से भी नहीीं र्ुदवायेगी।

हाूँ दोस्तों, ऐसा सर् में होता है । अगर लड़की को पहली बार में ही अच्छी तरह से ना र्ोदा जाए और खास तौर
पर अगर लण्ड बहुत मोटा ताजा और लोहे की तरह से सख़्त हो तो कर्र वो लड़की र्ुदाई के नाम से ही डर
जाती है , और कर्र बड़ी ही मम्ु श्कल से र्ुदवाने पर तैयार होती है । इसीसलए बड़े और मोटे लण्ड वाले दोस्तों, इस
बात का खास तौर पर खयाल रखना की जब भी ककसी छोटी और कूँु वारी र्त को र्ोदना, तो परी तरह से
र्ोदना, उसकी र्त र्टने का और लड़की के बेहोश होने की परवाह नहीीं करना। थोड़ी ही दे र में सब कुछ खद
ु -
बा-खद
ु ही ठीक हो जाएगा। यह तो होता ही है पहली बार।

आखखरकार, यह अनीता की पहली र्ुदाई की शरु


ु वात थी, और पहली र्ुदाई सबसे अच्छी र्द
ु ाई होती है, और हर
लड़की को और लड़के को अपनी पहली र्द
ु ाई मारते दम तक याद रहती है । यह एक सर्ाई है ।

मैं थोड़ी दे र तक अपने लण्ड को अनी की र्त में ही र्ूँसाकर उसके ऊपर लगभग लेटा रहा, और उसके र्र्ों को
र्सने लगा और अपने दोनों हाथों से उसके र्ेहरे को सहलाने लगा। अनी के सारे बदन और र्ेहरे पर इतना
ज़्जयादा पशीना तनकल आया था की लगता था की वो पशीना नहीीं शायद शावर लेकर आई है । उसकी साूँसें बहुत
ही गहरी र्ल रही थी और उसके छोटे -छोटे र्र्े ऊपर-नीर्े होते हुये बहुत ही मस्त लग रहे थे। मैं उसके र्र्े को
र्सता रहा और उसके र्ेहरे को प्यार से सहलाता रहा।

थोड़ी ही दे र में उसने अपनी आूँखें खोली और वो मेरी तरर् खाली-खाली नजरों से दे खती रही।

मैं धीरे से मश्ु कुराया और बोला- “मब


ु ारक हो मेरी जान, आज तम
ु कच्र्ी कली से खखलकर र्ल बन गई हो…”

उस वक़्त उसको पता र्ला की मेरा लींबा मोटा लण्ड उसकी र्त में घस
ु ा पड़ा है और कर्र अकश्मात उसको
एकदम से बहुत ही ददच होने लगा तो वो मझ ु े ढकेलने लगी और बोली- “तनकालो इसे राज, बहुत ही ददच हो रहा
है प्लीज… मैं तम
ु हारे पाूँव पड़ती हूँ प्लीज इसको बाहर तनकालो…”

49
मैंने बोला- “अरे मेरी जान से प्यारी जान… अब तो तम
ु हारी र्त मेरे लण्ड से समायोम्जत हो गई है । बस थोड़ा
और बदाचश्त कर लो और कर्र सारी म़्ींदगी मजे ही मजे हैं। आज के बाद तम
ु हें कभी कोई तकलीर् नहीीं होगी
बस मजा ही मजा आएगा…”

लेककन वो मेरे नीर्े ककसी मछली की तरह से तड़प रही थी, पर मेरी गग्रप तो उसके मर्लने से ज़्जयादा जोरदार
थी। इसीसलए मैंने उसको बहुत ही कसकर पकड़ा हुआ था। मैं अपना लण्ड उसकी र्त से बाहर नहीीं तनकलना
र्ाहता था। मैंने उसके मूँह
ु में अपनी जब
ु ान डाल दी और ककस करने लगा। दोनों की जीभ एक दसरे से समली
और एक ही सेकेंड के अींदर हम जीभ र्ुसाई ककस करने लगे।

अनी की र्त का ददच अब कम होने लगा था, और उसने मेरी पीठ पर हाथ र्ेरना शरू
ु कर ढ़दया था तो मझ
ु े
पता र्ल गया की अब उसका ददच खत्म हो र्क
ु ा है ।

मैंने धीरे से उसके कान में पछा- “अब कैसा लग रहा है मेरा लण्ड तम
ु हारी र्त के अींदर?”

अनी मश्ु कुराकर बोली- “अभी ददच तो हो रहा है राज, पर थोड़ा ठीक ढ़दख रहा है । अभी तम
ु प्लीज कुछ ना करो,
थोड़ा रुक जाओ…”

मैंने बोला- “गर्न्ता मत करो डासलिंग, मैं तम


ु को कोई तकलीर् नहीीं दूँ गा। जब तम
ु तैयार हो जाओगी तो उसी
समय शरू
ु करूूँगा…”

उसने पछा- “परा अींदर र्ला गया क्या?”

मझ
ु े कर्र से शरारत सझी, मैंने थोड़ा सा मश्ु कुराकर पछा- “ककसके अींदर क्या र्ला गया है ?”

उसने तकलीर् भरी मश्ु कुराहट से मेरी पीठ पर मारते हुए कहा- “बड़े शैतान हो तम
ु …”

मैंने कर्र पछा- “बोलो ना मेरी रानी?”

तब अनी ने पछा- “तम


ु हारा लण्ड मेरी र्त के परा अींदर तक र्ला गया क्या?” यह बोलते-बोलते वो थोड़ा ऊपर
उठकर दे खने लगी और खद
ु ही बोली- “अरे बाप रे … अभी तो यह इतना लींबा बाकी है …”

कर्र उसने बोला- “नहीीं राज प्लीज… अब और अींदर मत डालो। मझ


ु े बहुत ही ददच हो रहा है । हम बाकी की र्ुदाई
कर्र कभी कर लेंग…े ”

तब मैं मश्ु कुराया और बोला- “आज का काम आज ही कर लेना र्ाढ़हए, कल पर नहीीं छोड़ना र्ाढ़हए…” और कर्र
से उसको जीभ र्स ु ाई ककस करने लगा। कर्र मैंने मश्ु कुराते हुए बोला- “बस 5 समनट और रुक जाओ मेरी जान,
मझु े यकीन है की तमु अभी मझु े बोलोगी की जम के र्ोदो जोर-जोर से र्ोदो। थोड़ा इींतज
े ार करो…”

अनी बोली- “नहीीं राज, सही में बहुत ददच हो रहा है…”

50
मैंने बबना कुछ बोले उसको कर्र से ककस ककया और उसके र्र्ों को र्सने लगा। बस 5 ही समनट के अींदर
उसकी गाण्ड ऊपर उठने लगी और वो र्द
ु वाने के काबबल हो गई।

तब मैंने पछा- “क्या तम


ु तैयार हो अनी?”

अनी ने अपनी आूँखें बींद कर ली और धीरे से शमाचते हुए अपना ससर हाूँ में ढ़हला ढ़दया।

मैं झुक कर उसके कान में र्ुसर्ुसाया- “क्या तम


ु बाकी के सलये तैयार हो मेरी जान?”

अनी ने अपनी आूँखें नहीीं खोली और कर्र वैसे ही हाूँ में अपना ससर ढ़हला ढ़दया।

मैंने अब धीरे से अपना लण्ड उसकी र्त से बाहर खीींर्ा, तो उसकी गाण्ड अपने आप थोड़ा ऊपर उठ गई। मैं
अपना लण्ड उसकी र्त से थोड़ा-थोड़ा अींदर-बाहर करके उसकी र्ुदाई करने लगा। उसकी र्त ददच से और ऐसे
जोरदार धक्के से सख गई थी, इसीसलए लण्ड उसकी सखी र्त में कसा-कसा अींदर-बाहर होने लगा। मैं एक
समनट के सलए रुक गया और उसकी र्त के दाने (म्क्लटोररस) को अपने अींगठे से रगड़ने लगा। उसकी र्त के
दाने को ऐसे रगड़ने से उसकी र्त में जान पड़ने लगी, और उसकी र्त अींदर से गीली होने लगी। अभी मेरा
आधा ही लण्ड उसकी र्त में अींदर-बाहर हो रहा था और मैं धीरे -धीरे दबाव भी दे रहा था। लण्ड उसकी र्त के
एक इींर् और अींदर गया।

तब कर्र वो ददच से गर्ल्लाई- “ऊऊईई मममाूँ… धीरे करो राज्ज ददच हो रहा है…”

मैंने और अींदर नहीीं डाला, बस उतना ही लण्ड अींदर-बाहर करने लगा तो दो ही समनट के अींदर वो परा गमच हो
गई और बोली- “राज प्लीज… अब अींदर डाल दो ना परा लेककन धीरे -धीरे …”

मझ
ु े पता था की म्जतना मैं धीरे -धीरे करूूँगा उसको उतना ही ददच होगा। मैंने उसको बोला- “दे खो मेरी जान… मैं
तम
ु को र्ोट नहीीं पहुूँर्ाऊूँगा। लेककन मैं धीरे -धीरे डालूँ गा तो तम
ु को प्रत्येक इींर् अींदर जाने में ददच होगा। तम

अपने आपको आराम से कर लो और मैं एक ही झटके में काम तमाम कर दे ता हूँ। तम ु को बस एक ही बार ददच
होगा, कर्र मजा ही मजा…”

अनी ने अपना ससर धीरे से ओके में ढ़हलाया।

मैं उसके ऊपर झुक कर उसके र्र्ों को र्सने लगा। मझ


ु े पता था की अभी अनी बहुत ही छोटी है और उसकी
र्त भी बहुत ही छोटी और नाजुक है । बस एक बार ही मेरा लण्ड उसकी र्त में घस
ु जाए तो बस कर्र उसको
कभी भी तकलीर् नहीीं होगी। मैं उसका ध्यान उसकी र्त में धूँसे अपने आधे लण्ड की तरर् से हटाना र्ाहता
था, इसीसलए उसके र्र्ों को र्सता रहा और कर्र उसको ककस ककया और उसके कान में र्ुसर्ुसाया- “तम ु बहुत
ही खबसरत हो अनी, तम ु हारी आूँखें ककसी ढ़हरनी की तरह से बड़ी-बड़ी और र्मकदार हैं, तम
ु हारे होंठ ककसी
गल
ु ाब की पींखुडड़यों जैसे हैं, और तम
ु हारे दाूँत ककसी मोती की तरह से र्मक रहे हैं और तम
ु हारी जवानी की और
र्त की क्या तारीर् करूीं… मैंने तम
ु हारी जैसी खबसरत और कमससन जवान र्त दे खी ही नहीीं…”

51
अनी धीरे से मश्ु कुराकर थोड़ा सा शमाचकर बोली- “राज तम
ु भी तो ककतने खबसरत हो। तम
ु हारा बदन दे खो कैसा
गठीला है, और तम
ु हारे लण्ड की क्या तारीर् करूीं… इतना लींबा, इतना मोटा, इतना गरम और लोहे जैसा सख़्त
है , और दे खो उसने मेरी र्त की क्या हालत बना दी है …”

मैं कर्र उसके कान में र्ुसर्ुसाया- “तो कर्र इस लण्ड को अपनी र्त की गहराईयों की सैर करा दो ना…”

अनी बोली- “तम


ु हें ककसने मना ककया है राज। जो तम
ु हारे मन में आए करो मेरे साथ, मैं परी की परी तम
ु हारी हूँ।
मैं तम
ु हें प्यार करती हूँ राज…” और कर्र इतना कहते-कहते वो मझ
ु े जीभ र्ुसाई ककस करने लगी।

मैंने मौका अच्छा दे खा। इस बार उसका बदन एकदम से आराम से हो गया था और मेरा लण्ड उसकी र्त में
धीरे -धीरे अींदर-बाहर हो रहा था। उसकी र्त के रस से र्त भी गीली हो र्ुकी थी। मैंने कर्र से उसको कसकर
पकड़ सलया और कर्र एक ही र्ाइनल झटका मारा और अपने मसल को उसकी र्त के अींदर पेल ढ़दया।

अनी कर्र से मेरे बदन से गर्पक गई और उसकी र्ीख मेरे और उसके मूँह
ु के अींदर ही दबकर रह गई। उसने
मझ
ु े कसकर पकड़ सलया उसका बदन टाइट हो गया। मेरा लण्ड उसकी र्त की गहरायी में दर्न हो गया। थोड़ी
दे र के बाद उसका बदन कर्र से आराम से हुआ।

तब मैंने पछा- “अब कैसा लग रहा है अनी?”

अनी बोली- “थोड़ा ददच तो है राज, पर मजा आ रहा है । तम


ु हारा लींबा, मोटा, तगड़ा लण्ड मझ
ु े अपनी र्त के
अींदर बहुत ही अच्छा महसस हो रहा है । प्लीज र्ोदो मझ
ु …
े आज र्ोद डालो अपनी अनी रानी को…”

मैं अब धक्के मारने लगा और उसको र्ोदने लगा। अब अनी र्द


ु ाई में परा सहयोग दे रही थी। अपनी गाण्ड
उठा-उठा कर र्ुदवा रही थी। मेरा लण्ड भी उसकी र्त के परा अींदर तक घस
ु रहा था। उसकी र्त से रस
लगातार तनकल रहा था, जो हमारी र्ुदाई में आसानी पैदा कर रहा था। मैं उसको र्ोदता रहा।

उसने बोला- “जोर से राज और जोर से…”

मैं र्ोदते-र्ोदते उसके ऊपर झुका और उसके कान में बोला- “अब बोलो मेरी जान अब कैसा लग रहा है ?”

अनी बोली- “बस तम


ु र्ोदते रहो, बस कुछ बात मत करो राज, बहुत ही मजा आ रहा है…”

मैंने बोला- “अभी-अभी तम


ु को बोला था ना की तम
ु खद
ु बोलोगी की र्ोदो मझ
ु े और जोर से र्ोदो मझ
ु …
े ”

अनी मश्ु कुराकर बोली- “हाूँ राज तम


ु सही थे। र्ोदो मझ
ु े अींदर तक र्ोदो मझ
ु े। र्ोद डालो मझ
ु े आज। रगड़-
रगड़कर र्ोदो आआह्ह… र्ोदो मझ
ु ,े र्ोदो मझ
ु ,े र्ोदो मझ
ु …
े ” और उसकी गाण्ड ऊपर उठ गई और उसका बदन
ककसी कमान की तरह से टे िा हो गया और उसने मझ
ु े कसकर पकड़ सलया, और- “आअह्ह… सस्स्स्स्स… आईई…
सस्स्स्स्स…” जैसी आवाजें तनकालते हुए झड़ने लगी।

52
मेरा लण्ड उसकी र्त के अींदर घस
ु ने के बाद उसकी पहली र्ुदाई का पहला आगगज़्ज
च म शरू
ु हो गया था और वो
मजे से झड़ने लगी। उसकी आूँखें बींद हो गई थी, मझ
ु े कसकर पकड़ सलया था और अपनी जब
ु ान अपने होंठों पर
र्ेर रही थी। मैं अपने लण्ड को उसकी र्त के अींदर डालकर थोड़ी दे र के सलए शाींत हो गया।

उसका आगगज़्ज
च म खतम हुआ तो उसने मझ
ु े झुकाया और जीभ र्ुसाई ककस करने लगी और बोली- “आअह्ह… राज
ऐसा मजा आज तक कभी नहीीं आया था…”

मैंने उसे बधाई दी और कर्र से र्ुदाई शरू


ु कर ढ़दया। अब मेरा लण्ड उसकी र्त में आसानी से अींदर-बाहर हो
रहा था। मैं उसे गहराई तक तेजी से र्ोद रहा था। मेरे लण्ड से एक बार मलाई तनकल र्ुकी थी इसीसलए अभी
मैं झड़ने के करीब नहीीं था और उसको जोर-जोर से र्ोदने लगा।

थोड़ी ही दे र में अनी की र्त कर्र से गमच हो गई और वो एक बार कर्र से बोलने लगी- “र्ोदो मझ
ु े राज, र्ोदो
और जोर-जोर से र्ोदो प्लीज… मेरी र्त र्टने की कर्कर ना करो बस र्ोद डालो आज अपनी अनी की र्त को…
र्ाड़ डालो इस साली र्त को… यह बहनर्ोद रोज रात को सताती है आअह्ह… ऐसे ही आह्ह… राज और जोर से
आह्ह… बहुत मजा आ रहा है राज आईईई माूँ… मैं कर्र छटने वाली हूँ राज, मेरा तनकलने वाला है राज… मझ
ु े
कसकर पकड़ लो आह्ह… मेरा तनकलने वाला है आअह्ह… मैं गई राज्ज…”

इधर अब मैं भी अपनी मींम्जल के करीब पहुूँर् र्क


ु ा था और मेरी स्पीड बिती र्ली गई। मैं बबल्कुल ककसी
मशीन की तरह से र्ोद रहा था। मेरा लण्ड उसकी र्त के अींदर कब जा रहा था और कब बाहर तनकल रहा था
कुछ पता ही नहीीं र्ल रहा था। और कर्र एक और र्ाइनल झटका मारा।

तब अनी के मूँह
ु से- “आह्ह… उर्फ़्…” तनकला और वो मेरे से कसकर सलपट गई।

मैं अपने लण्ड को उसकी र्त के अींदर गाड़कर उसको दबाकर कसकर पकड़ सलया। मेरे लण्ड से मोटी मलाई का
गरम-गरम र्व्वारा छटने लगा। उसकी र्त के अींदर मोटी-मोटी गरम-गरम गािी-गािी धारें गगरने लगीीं। मझ
ु े
लगा जैसे आज अनी की र्त के अींदर मेरे बाल्स में म्जतना भी माल है, वो गगर जाएग।

हम दोनों ने एक दसरे को बहुत ही कसकर पकड़ा हुआ था, और दोनों बहुत ही जोर से झड़ रहे थे। मेरा लण्ड
उसकी र्त के अींदर र्ला नहीीं समा रहा था, और अपनी कामयाबी पर झम रहा था और ऐसी मस्त कूँु वारी र्त
की सील तोड़ने का जश्न उसकी र्त के अींदर नार्-नार् के मना रहा था। मेरा लण्ड अनी की र्त के अींदर ही
था, और उसकी र्त के अींदर ही र्ल-वपर्क रहा था, धीरे -धीरे झटके खा रहा था और मझ
ु े महसस हो रहा था
की हर झटके के साथ थोड़ी मलाई तनकलकर अनी की र्त में गगर रही है ।

हम दोनों ने एक दसरे को बहुत ही कसकर पकड़ा हुआ था और हम दोनों की साूँसें बहुत तेजी से र्ल रही थीीं।
दोनों के बदन पशीने से शराबोर हो गये थे। मझ
ु े लग रहा था की जैसे मेरी टाूँगों में अब जान नहीीं रही और मैं
अपने आपको परा थका महसस कर रहा था। मैं अनी के ढीले ढाले बदन पर तनढाल हो गया। थोड़ी दे र हम दोनों
एक दसरे की बाहों में बाहें डाले एक दसरे से सलपटे रहे।

कर्र अनी ने मेरे ससर में अपनी उीं गसलयाीं डालकर सहलाना शरू
ु ककया और मझ
ु े थोड़ा और अपने ऊपर खीींर्
सलया और मेरे कान में धीरे से बोली- “बहुत-बहुत धन्यबाद राज। मैं तम
ु हें तहे ढ़दल से प्यार करती हूँ मेरी जान।
53
आज तम ु ने मझ
ु े कली से खखलाकर र्ल बना ढ़दया, बहुत-बहुत धन्यबाद राज। मैं इस र्ुदाई को म़्ींदगी भर याद
रखग
ूँ ी…”

मैंने भी उसके कान में धीरे से बोला- “अनी इतनी कमससन र्त भी मैंने कभी नहीीं र्ोदी थी। मझ
ु े अपनी र्ेरी
दे ने के सलए धन्यवाद जान… “आई लोव टु र्क य” जब भी तम
ु र्ाहो। मझ
ु े भी बहुत ही मजा आया। मैं भी यह
र्ुदाई म़्ींदगी भर याद रखग
ूँ ा…”

कर्र हम दोनों मश्ु कुराकर ककस करने लगे। इतनी दे र में हम दोनों अच्छी तरह से अपने होश में आ गये थे।
मैंने महसस ककया की मेरा लण्ड अब उसकी र्त में थोड़ा नरम होने लगा है, तो मैंने अपने लण्ड को उसकी र्त
से बाहर तनकल सलया। उर्फ्र् यह क्या… मेरा लण्ड उसकी र्त से बाहर तनकलते ही उसकी र्त से खन बहना
शरू
ु हो गया। अब तक तो मेरा मोटा लण्ड उसकी र्त पर ककसी ढक्कन की तरह से कर्ट बैठा था और जैसे ही
लण्ड उसकी र्त से बाहर तनकला उसकी र्त से खन बहना शरू
ु हो गया, और दे खा तो मेरा लण्ड भी उसकी
कूँु वारी र्त के कूँु वारे खन से लथर्थ था।

मैंने जल्दी से करीब पड़ी अपनी रूमाल उठाई और उसकी र्त से खन पोंछने लगा और उसकी पैंटी से अपने
लौड़े पर लगे खन को सार् ककया। इतनी दे र में अनी भी अपनी जगह से उठकर बैठ गई थी और तनकले हुए
खन को है रत से दे ख रही थी।

मैंने मश्ु कुराकर बोला- “अनी यह है तम


ु हारी वम्जचतनटी और तम
ु हारी सील टटने का प्रमाण। आज से तम
ु कूँु वारी
नहीीं, बल्की र्द
ु ी र्द
ु ाई लड़की हो…” और कर्र हम दोनों हूँसने लगे।

कर्र मैंने उसको अपनी रूमाल दी और बोला- “इसको तम


ु अपने पास एक स्माररका के रूप में रखो, और मैं
तम
ु हारी पैंटी को अपने पास हमेशा रखग
ूँ ा…”

अनी ने मझु े र्म सलया और बोली- “मेरे राजा तमु बहुत ही अच्छे हो और मझ
ु े गवच है की मैंने अपनी वम्जचतनटी
तम
ु को दी, और तम ु हारे इस मस्त लण्ड से अपनी र्त की…” और वो अपनी र्त की तरर् अपनी उीं गली से
इशारा करते हुए बोली- “इसकी सील तड़
ु वाई। धन्यबाद राज…”

मैं तो ऐसी मस्त र्त को र्ोदने के बाद तनहाल हो गया था, और इस बात पर खुश था की ऊपर लगे वीडडयो
रे काडच करते कैमरे में सेर् था। अनी को र्ोदने के सलए अब मझ
ु े कोई दोष नहीीं दे सकता था। मैंने उसको
जबरदस्ती नहीीं र्ोदा था। उसने मझ
ु े धमकी भी तो दी थी की अगर मैं उसको नहीीं र्ोदूँ गा तो वो शोर मर्ा दे गी
की मैं उसकी इज़्ज़त लटना र्ाहता था। खैर, मझ
ु े उसकी कूँु वारी र्त र्ोदकर बहुत ही मजा आया था। समय
दे खा तो लगभग 3:00 बज रहे थे।

मैंने अनी से पछा- “अब कैसा र्ील कर रही हो?”

अनी बोली- “ऐसे र्ील कर रही हूँ जैसे कोई कबतर खल


ु ी हवा में बहुत ऊूँर्ा उड़ रहा हो, और उसकी आूँखें मस्ती
से बींद हो गई हों…”

54
मैंने उसको टे बल से नीर्े उतारा और बोला- “र्लो फ्रेश हो जाओ। हाट स्टीम बाथ ले लो, तो एकदम से फ्रेश हो
जाओगी…”

उसने बोला- “राज मझ


ु े बहुत भख लगी है…”

तब मझ
ु े याद आया की हाूँ भख तो मझ ु े भी बहुत लगी है । मैंने करीब के वपज़्ज़ा हट से एक लाजच र्ीज वपज़्ज़ा
का आडचर ककया। वपज़्ज़ा हट मेरे म्जम के और कालेज के बीर् में था। मम्ु श्कल से 10 समनट के अींदर वपज़्ज़ा आ
गया। मैंने दरवाजे पर ही ररसीव करके उसकी पेमेंट की और वो डेसलवरी बाय वापस र्ला गया। उसने दे खा ही
नहीीं की अींदर कोई और भी है या ससर्च मैं अकेला ही हूँ।

मैंने और अनी ने म्क्वक हाट स्टीम शावर सलया म्जससे हम दोनों एकदम से फ्रेश हो गये। मैं वपज़्ज़ा का पीस
अपने दाूँतों में पकड़कर अनी के मूँह
ु में दे ता और दोनों समलकर खाते और ककस भी करते जाते। अनी एक पीस
अपने मूँह
ु में रखकर मझ
ु े खखलाती और हम ककस करते-करते वपज़्ज़ा खाने लगे। ऐसी मस्ती छा गई थी दोनों
पर। अभी हमारा वपज़्ज़ा खतम हुआ ही था की अनी के मोबाइल की घींटी बजी। दसरी तरर् सोनी थी। दोस्तों,
अब दोनों की बातर्ीत सतु नए-

अनी- हाय सोनी कहाीं है रे त?

सोनी- त बोल कैसी है तेरी कमर?

अनी- ठीक है यार, बहुत ही मस्त मासलश करता है राज।

सोनी- ओहो तो उस सद
ींु र का नाम राज है?

अनी- “हाूँ… त भी करवा ले अपने बदन की मासलश मजा आएगा…”

सोनी- साली त नींगी होकर करवाई क्या मालीश?

अनी- नहीीं रे उसने मेरे पीछे कपड़ा डाला था, नींगी कैसे होती?

सोनी- वहाीं पर भी की क्या उसने मालीश?

अनी- कहा पे?

सोनी- अरे साली इतना नहीीं समझती? अबे तेरी र्त की भी की क्या मालीश?

अनी- र्ल बहनर्ोद मेरी र्त में ददच था क्या? उसने तो बस पीछे की ही की।

सोनी- कर्र तेरी गाण्ड दे खी होगी उसने?

55
अनी- हाूँ वो तो दे खी है ।

सोनी- अच्छा सन
ु … सर् बता वो सद
ुीं र का लौड़ा दे खा क्या त ने? वो वहीीं है क्या तेरे पास?

अनी- नहीीं वो दसरे रूम में है ।

सोनी- सर् बता तेरी र्त की भी मासलश की ना उसने?

अनी धीरे से मश्ु कुराते हुए- “हाूँ थोड़ी की मजा आया…”

सोनी- मझ
ु े पता था की साली त बड़ी हरामजादी है , ऐसे सद
ुीं र और बबल्ट वाले यींग मैन को दे खकर तेरी र्त में
खुजली होती है…”

अनी- त भी अपनी र्त की खुजली समटा ले साली। रात में मेरी र्त र्ाटती है और मेरे से अपनी र्त र्टवाती
है । एक बार र्द
ु वा ले ना मजा आएगा…”

सोनी- “ना बाबा… त ही र्ुदवा ले, मझ


ु े र्द
ु वाने का कोई शौक नहीीं है …”

अनी- “ओहो कल ही तो बोल रही थी की अगर सरु े श के साथ फ्रेंडसशप बि गई तो उससे र्द
ु वा लेगी…”

सोनी- अच्छा सन
ु … तने उसका लौड़ा दे खा है? कैसा है ?

अनी- “हाूँ। पहले तो उसने जो तौसलया लपेटा हुआ था उसमें से उसका खड़ा होना ढ़दख रहा था। कर्र जब वो
पेशाब कर रहा था तब दे खा। क्या बताऊूँ तेरे को ककतना बड़ा और मोटा है । मझ
ु े तो दे खकर डर लग गया। ऐसा
लण्ड र्त के अींदर घस
ु े तो र्ाड़ ही डाले…”

सोनी- हमम… इसका मतलब है त र्ुद र्ुकी है उससे।

अनी- र्ल साली तेरी र्त में खुजली है तो र्ुदवा ले ना अभी आकर उससे।

सोनी- “अच्छा सन
ु वो सब बाद में सोर्ें गे। मैं अभी नहीीं आ सकती, मममी बैंक गई हैं वहाीं से कुछ डाक्यम
ु ेंट्स
होना होगा तो र्ोन करे गी। शायद दो घींटे और लग जायेंगे, क्या त इींतज
े ार कर सकती है ? नहीीं तो वो तेरे सद
ुीं र
से बोल तझ
ु े र्ोदकर घर छोड़ दे गा…”

अनी- “कोई बात नहीीं। बाहर गमी भी बहुत है यहाूँ ना एयरकींडीशन र्ल रहा है । मैं यहीीं इींतज
े ार कर लेती हूँ, तो
रे स्ट भी समल जाएगा। त 5:00 बजे तक आ जा साथ ही र्लते हैं…”

सोनी- “ओहो… वो सद
ुीं र इतना पसींद आया की और दो घींटे उसके साथ रहना र्ाहती है … र्ल ओके, मैं कर्र काल
करती हूँ, मममी का र्ोन आ रहा है…”

56
अनी ने अपना मोबाइल स्पीकर पर रख ढ़दया था और मैं दोनों की बातर्ीत को एींजाय कर रहा था और कभी-
कभी धीरे से इशारे भी कर रहा था और अनी के र्र्े और र्त को सहला भी रहा था। उसकी र्त कर्र से गीली
होने लगी थी।

मैंने अनी को अपनी बाहों में समेटते और उसके हाथ को अपने खड़े लण्ड पर रखते हुए बोला की- “अभी हमारे
पास दो घींटे और हैं। एक काम तो अभी हुआ ही नहीीं…”

अनी ने ताज्जब
ु से पछा- कौन सा काम राज?

मैंने बोला- “अभी तो तम


ु हारी कूँु वारी गाण्ड की सील भी तो तोड़नी है …”

अनी र्ौरन ही अपने कान पकड़ने लगी और बोली- “ना बाबा… मझ


ु से यह नहीीं होगा…”

तब मैंने उसको उसकी बात याद ढ़दलायी।

उसने बोला- “नहीीं मेरे प्यारे राज, आज नहीीं यार ककसी और ढ़दन मेरी गाण्ड मार लेना। आज तो र्त को र्ोद-
र्ोदकर एक ही शाट में उसका भोसड़ा बना ढ़दया…” कर्र वो अपनी र्त की तरर् दे खते हुए बोली- “दे खो कैसी
सज गई है ?”

मैंने बोला- “तम


ु को अभी भी र्त में ददच हो रहा है क्या?”

उसने अपनी आूँखें बींद करके मस्ती से बोला- “हाूँ थोड़ा-थोड़ा मीठा-मीठा ददच हो रहा है और यह ददच बहुत ही
अच्छा लग रहा है…”

मैंने बोला- “गाण्ड मरवाने के बाद भी ऐसे ही मीठा-मीठा ददच होगा। बस एक बार तम
ु गाण्ड मरवा लो प्लीज…
तम
ु को पता है की जब तक लड़की के तीनों छे दों में लण्ड ना डाला जाए वो लड़की से औरत नहीीं बनती…”

अनी हूँसने लगी और बोली- “अच्छा पटा लेते हो तम


ु लड़ककयों को ऐसी बातें करके…”

मैंने बोला- “र्लो आओ मैं तम


ु को एक टै बलेट खखलाता हूँ। दे खो तम
ु कैसा र्ील करती हो…” टै बलेट पर मझ
ु े याद
आया की मैं अनी की र्त के अींदर ही झड़ गया था, उसको आई-वपल खखलाना जरूरी था। पता नहीीं कल के ढ़दन
कुछ ऊूँर्-नीर् हो गई तो लेने के दे ने पड़ जायेंगे।

मैंने अपनी गर्ींता उसको बतायी तो अनी बोली- “ठीक है राज, खखला दो मझ
ु े वो आई-वपल, मैं भी कोई ररस्क
नहीीं लेना र्ाहती…”

मैं उसके नींगे बदन को अपनी गोदी में उठाकर दसरे रूम में ले जाने लगा तो उसने मेरे गले में अपनी बाहें डाल
दी और मझ ु े नशीली नजरों से दे खते हुए कहा- “मैं तम
ु हें प्यार करती हूँ राज, मैं तम
ु हें तहे ढ़दल से प्यार करती
हूँ…" और मेरे मूँह
ु में अपनी जीभ डालकर फ्रेंर् ककस करने लगी।

57
मैं उसको ऐसे ही उठाए-उठाए दसरे रूम में आया। यहाीं एक कुशन वाली सीट पड़ी थी, म्जसके पीछे रे स्ट नहीीं
था, उस पर उसको सलटा ढ़दया, और दसरे कपबोडच से टै बलेट तनकाली और अनी को खखला दी। टै बलेट खखलाने के
5 ही समनट के अींदर टै बलेट ने जाद का काम ककया और अनी को एकदम से आराम आ गया।

मैंने बोला- “अनी अब तम


ु पलटकर लेट जाओ। मैं तम
ु हारी गाण्ड में एक लोशन लगाऊूँगा म्जससे तम
ु को बबल्कुल
भी तकलीर् नहीीं होगी, बस तम
ु अपने बदन को ढीला छोड़ दे ना। मैं सर् कहता हूँ की तम
ु को रत्ती बराबर भी
तकलीर् नहीीं होगी…” मैंने उसको र्मते हुए कहा।

तब उसने मेरे लण्ड को अपने हाथों में पकड़कर दबाया और बोला- “राज तम
ु हारे इस मसल से मझ
ु े बहुत डर लग
रहा है …”

मैंने बोला- “अनी प्लीज… मेरे ऊपर भरोसा रखो, कशम से तम


ु को तकलीर् तो होगी पर ना होने के बराबर…”

उसने मझु े झुका कर र्मते हुए कहा- “अब यह अनी अपने राजा की रानी है । तम
ु जैसा कहोगे वो मेरे सलए धरम
के बराबर होगा…”

मैंने उसको भी र्मते हुए बोला- “धन्यबाद अनी। मैं अपनी रानी को तकलीर् नहीीं होने दूँ गा…” कहकर मैंने
अलमारी से जालोकेन लोशन तनकाला और अनी को पेट के बल उल्टा सलटाकर उसकी गाण्ड को काउर् से थोड़ा
ऊपर उठाया और उसकी गाण्ड में लोशन भर ढ़दया।

थोड़ी ही दे र में अनी ने बोला- “वाह्ह राज… मेरी गाण्ड मझ


ु े ठीं डी-ठीं डी लग रही है और मझ
ु े लग रहा है की मेरी
गाण्ड में कुछ भी नहीीं है । गाण्ड एकदम से खाली-खाली लग रही है …”

मैं मश्ु कुरा ढ़दया। यह लोशन की सींवेदनाहारी कारच वाई है । इस लोशन ने अनी की गाण्ड को एकदम से सन्
ु न कर
ढ़दया। अब अनी की गाण्ड में लण्ड तो क्या कोई समजाइल भी घस
ु जाए तो भी उसको पता ही नहीीं र्ल सकता।
मैंने सामने रखा टीवी खोल ढ़दया और उसमें ब्ल-कर्ल्म का एक र्ैनेल लगा ढ़दया।

इत्तेर्ाक से वो टीवी र्ैनेल पर भी एक खब तगड़ा आदमी अपने बहुत मोटे और लींबे लण्ड से एक छोटी लड़की
की गाण्ड मार रहा था और वो लड़की मस्ती में अपनी गाण्ड मरवा रही थी और साथ में अपनी र्त की मासलश
भी कर रही थी।

मैंने अनी से बोला- “दे खो वो लड़की भी कैसे मस्ती में अपनी गाण्ड इतने बड़े लौड़े से मरवा रही है और ककतनी
उत्तेम्जत है की गाण्ड मरवाते-मरवाते अपनी र्त की मासलश भी कर रही है …”

अनी ने बोला- “हाूँ तम


ु ठीक कह रहे हो राज, शायद उतना ददच नहीीं होता होगा, म्जतना मैं समझ रही हूँ और
शायद गाण्ड मरवाने में मजा भी आता होगा…”

मैं बोला- “हाूँ आता है , तम


ु को भी आएगा…”

58
मैंने अलमारी से वैसेलीन टाइप की एक क्रीम तनकाला और अपने हाथों में लेकर अनी की गाण्ड को भर ढ़दया।
इतनी दे र में जालोकेन लोशन उसकी गाण्ड के अींदर झ्ब हो गया था और अपना असर ढ़दखा रहा था। अनी की
गाण्ड एकदम से सन्ु न हो गई थी। अब अनी को ऐसा लग रहा था जैसे उसकी गाण्ड है ही नहीीं।

अनी की गाण्ड में क्रीम भरने के बाद मैं वो क्रीम का डडब्बा लेकर अनी के सामने आया और उसके हाथ में क्रीम
का डडब्बा दे ते हुए बोला- “तम
ु खुद ही अपने हाथों से मेरे लण्ड पर क्रीम लगा दो…”

अनी ने क्रीम का डडब्बा ले सलया और क्रीम लगाने से पहले मेरे लण्ड को अच्छी तरह से र्सा और लण्ड के
सप
ु ाड़े को अपने दाूँतों से काटा। मेरा लण्ड तो उसके मह
ूँु का स्पशच पाते ही एकदम से र्लने लगा और ऐसे
ढ़हलने लगा, ऐसे ढ़हलने लगा जैसे ककसी साूँप का र्न हो।

थोड़ी दे र तक लण्ड को र्सने के बाद अनी ने ढे र सारी क्रीम मेरे लण्ड पर मल दी। मैं वापस पलटकर अनी की
गाण्ड की तरर् आ गया। अब पोजीशन ऐसी थी की अनी उस गद्दे दार काउर् पर उल्टी लेटी हुई थी और उसकी
टाूँगें खुली हुई थी, और घट
ु नों से थोड़ी सी मड़
ु ी हुई थी और ऐसी पोजीशन में अनी की गाण्ड थोड़ा और ऊपर
उठ गई थी।

मैं अनी के ऊपर उल्टा लेट गया। उसके घट


ु नों को अपने घट
ु नों से सटा ढ़दया और झुक के उसके कींधों को पकड़
सलया और अब मैं और मेरा लण्ड अनी की गाण्ड पर अटै क करने को तैयार थे। जैसे ही मेरे लण्ड का सप
ु ाड़ा
अनी की गाण्ड में लगा, उसका बदन एक सेकेंड के सलए टाइट हुआ।

मैं धीरे से उसके कान में बोला- “गर्ींता मत करो अनी, तम


ु हें कुछ नहीीं होगा। तम
ु अपना बदन ढीला छोड़ दो बस
और मेरे ऊपर भरोसा रखो…”

अनी ने ओके बोला और हाूँ में अपना ससर ढ़हला ढ़दया। वो टीवी पर ब्ल-कर्ल्म दे खने में बबजी थी।

मेरे लण्ड का खड़ा होना इतना जोरदार था की लण्ड का डींडा मेरे पेट से लगा हुआ था। मैंने अनी के कान में
बोला- “अनी मेरे लौड़े को अपनी गाण्ड का रास्ता ढ़दखाओ…”

अनी ने अपना एक हाथ हमारे बदन के बीर् ककया और मेरे लण्ड के डींडे को पकड़कर पहले तो मस्ती से दबाया
और कर्र अपनी गाण्ड के छे द में लण्ड के सप
ु ाड़े को रगड़ने लगी। लण्ड का सप
ु ाड़ा जब अनी की गाण्ड के छे द
में अटक गया तो कर्र उसने अपना हाथ वहाीं से तनकाल सलया।

मझ
ु े पता था की अब अनी को कुछ भी र्ील नहीीं होगा। मैंने उसको बहुत ही कसकर पकड़ सलया और अपनी
गाण्ड को उठाकर अपने लण्ड को उसकी गाण्ड के छे द में अटका के इतनी जोर से धक्का मारा की मेरा परी
पावर का लण्ड एक ही झटके में उसकी गाण्ड को र्ाड़ता हुआ उसके पेट तक घस
ु गया।

इतना जालोकेन लोशन लगाने के बावजद उसके मूँह


ु से र्ीख तनकल गई- “आअह्ह… राज आह्ह… गाण्ड र्ट गई
राज, मैं मरी आह्ह… तनकालो प्लीज…” और उसका र्ेहरा लाल हो गया, और उसकी गदच न की नसें र्ल गईं।

59
मैं उसके ऊपर लेटा रहा ताकी वो ज़्जयादा मर्ल ना सके। उसको अपनी गग्रप में कसकर पकड़े रखा। एक ही
समनट के अींदर शायद कर्र जालोकेन का लोशन अपना काम करने लगा। कर्र से अनी को उसकी गाण्ड ठीं डी
लगने लगी और खाली-खाली लगने लगी, जबकी उसकी गाण्ड के अींदर मेरा इतना लींबा मोटा लण्ड घस
ु र्ुका
था। मैंने उसकी गाण्ड मारना शरू
ु कर ढ़दया और साथ में उसके र्र्े को भी मसल रहा था।

अब सामने रखे टीवी पर र्द


ु ाई का सीन र्ल रहा था, म्जसे दे खकर उसकी र्त भी गीली हो गई थी और र्ुदवाने
का भत कर्र से उसके ससर पर सवार हो र्क
ु ा था। मैं उसकी कसी गाण्ड को जोर-जोर से मारता रहा और वो भी
अपनी गाण्ड उठा-उठाकर मजे लेती रही। थोड़ी ही दे र के अींदर मेरे लण्ड के छे द से गरम-गरम लावा तनकलकर
उसकी गाण्ड में भरने लगा। 5–6 वपर्काररयाीं मारने के बाद मेरा लण्ड उसकी गाण्ड के अींदर ही शाींत हो गया,
और मैं उसके ऊपर गगर पड़ा।

अनी अपना हाथ पीछे करके मेरे ससर को सहला रही थी और बोल रही थी- “राज तम
ु ने ठीक कहा था। मझ
ु े तो
थोड़ा भी ददच नहीीं हुआ, लेककन अब यह टीवी पर र्लती कर्ल्म दे खते मेरी र्त में र्ीींढ़टयाीं रें गने लगी हैं। हाय
उनका क्या करूीं?”

मैंने बोला- “तम


ु र्त की कर्कर ना करो, उसका इलाज है मेरे पास…”

कहकर मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड से बाहर तनकाला और तौसलया से लण्ड पर लगी क्रीम और मलाई को पोंछ
डाला। अनी को पलटा ढ़दया और उसको पीठ के बाल सलट ढ़दया। उसकी टाूँगों को घट
ु नों से मोड़कर खड़ा कर
ढ़दया और मैं समशनरी पोजीशन में झक
ु कर उसकी र्त को र्ाटने लगा। थोड़ी ही दे र में उसकी र्त समींदर जैसे
गीली हो गई तो मैं अपनी जगह से उठा और उसकी र्त की पींखुडड़यों के बीर् लण्ड का सप
ु ाड़ा रखकर एक ही
धक्का मारा और लण्ड एक बार कर्र से उसकी छोटी सी र्त को र्ीरता हुआ परा अींदर तक घस
ु गया।

अनी मेरे से सलपट गई। मैंने उसको र्ोदना शरू


ु ककया, जोर-जोर से। अपने लण्ड को उसकी र्त से परा बाहर
तक तनकाल-तनकालकर र्ोद रहा था। बड़ा मजा आ रहा था उसकी र्त को र्ोदने में । मझ
ु े पता था की अब
जालोकेन का असर खतम होने वाला है और अब ददच से गर्ल्लाएगी। मैं उससे पहले उसकी र्त में झड़ जाना
र्ाहता था। मैंने र्ुदाई की स्पीड तेज कर ढ़दया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा।

अनी भी अपनी गाण्ड उठा-उठाकर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी। अब इस र्द
ु ाई से अनी को बहुत ही मजा
आ रहा था और मस्ती में बोल रही थी- “आअह्ह… राज बहुत मजा आ रहा है हायईई ऊऊईईई माूँ ऐसे ही
र्ोदो…” मझ
ु े उसने कसकर पकड़ा हुआ था और गाण्ड उठा-उठाकर र्द
ु ाई के मजे ले रही थी। उसकी र्त तो
आलरे डी दो-तीन बार झड़ र्ुकी थी।

अब मैं भी झड़ने के कगार पर आ पहुूँर्ा था और कर्र एक र्ाइनल परी ताकत से शाट मारा और लण्ड को
उसकी र्त की गहराईयों में डालकर उसको कसकर पकड़ सलया और मेरे लण्ड से वीयच का र्व्वारा तनकलने लगा
और उसकी र्त भरने लगी।

अनी की आूँखें मस्ती में बींद हो गई थीीं और वो गहरी-गहरी साूँसें ले रही थी। हम दोनों पशीने में शराबोर थे। मैं
अनी के ऊपर ढे र हो गया। हम दोनों अभी-अभी हुई र्द
ु ाई का भरपर मजा ले रहे थे। अनी ऐसी मस्त र्द
ु ाई के
बाद बेसध
ु हो र्ुकी थी। मैं उसके ऊपर से उठ गया।
60
अनी की गाण्ड में जालोकेन का एर्ेक्ट खतम हो रहा था, और अनी की गाण्ड में ऐसा ददच हो रहा था की दे खते
ही दे खते उसका र्ेहरा लाल होने लगा और आूँखों से आूँस बहने लगे और वो र्ीख पड़ी- “राज मममीऽऽ ऊऊईई
माूँ राज मेरी गाण्ड में आग लगी है राज्ज…” और ना ससर्च वो तकलीर् से छटपटाने लगी बल्की अपने पैर
पटक-पटक के उछल-कद करने लगी और कमरे में इधर से उधर दीवानों की तरह भागने लगी। बबल्कुल ऐसे ही
जैसे कोई छोटा बच्र्ा ककसी बात के सलए म्जद्द करता है । उसकी समझ में नहीीं आ रहा था की क्या हुआ है ?

मैं जल्दी से गया और एक छोटे टब में गरम पानी डाला और उसके अींदर पेन-ककल्लर जो मैंने स्पेशली जमचनी
से मूँगवाई थी, उसके ड्राप्स डाले और अनी को पकड़कर उस टब में बबठा ढ़दया, ऐसे की उसकी गाण्ड और र्त
दवा के गरम पानी में डबी रहे ।

मैं अनी के गालों को सहला रहा था और बोल रहा था- “बस अनी प्लीज… दो समनट ऐसे ही बैठो, तम
ु हें कुछ नहीीं
होगा आई प्रासमस…” बड़ी मम्ु श्कल से उसको पकड़े रखा तो सर् में 5 समनट के अींदर ही उसकी गाण्ड और र्त
को ऐसे आराम आ गया जैसे कभी ना उसकी गाण्ड र्टी थी और ना ही र्त। मैं वहीीं उसके सामने ही घट
ु नों के
बल बैठा रहा और मेरा लण्ड नीर्े लटक के र्शच तक लगने लगा था।

जैसे ही उसकी गाण्ड और र्त को आराम आया, उसने मेरे लण्ड को कर्र से पकड़ सलया और बोली- “राज यह
तम
ु हारा लौड़ा ककल्लर लौड़ा है … ककतना मोटा और सख़्त है ? दे खो कैसे र्ाड़ डाली उसने मेरी गाण्ड और र्त…”

मैंने बोला- “की अनी बस अब तम


ु को कुछ नहीीं होगा। तम
ु हारा ददच भी अब खतम हो जाएगा। मैं तम
ु को एक और
टै बलेट खखलाऊूँगा, कर्र तम
ु को लगेगा की जैसे तम
ु हारी कूँु वारी र्त की सील भी नहीीं टटी है और ना ही तम
ु ने
कभी अपनी गाण्ड मरवाई है …”

अनी को 10 समनट के बाद मैंने हाट वाटर टब से बाहर तनकाला और उसको एक टै बलेट खखलाई। अनी को
एकदम से आराम आ गया था और वो खुद ही टब से बाहर तनकली, अपना स्पींद्रेल और टाप पहना और र्लती
हुई काउर् पर लेट गई और लेटते ही उसकी आूँख लग गई और वो गहरी नीींद सो गई। अनी सोती हुई बहुत ही
खबसरत और मासम लग रही थी। ऐसा लग रहा था की जैसे आज परा सींतम्ु ्ट के बाद गहरी नीींद लगी हो।

मैं भी अपना बरमडा पहन र्ुका था और अनी को थोड़ी दे र तक बहुत प्यार भरी नजरों से दे खता रहा और कर्र
उसके बगल में ही लेट गया और पता नहीीं कब मेरी भी आूँख लग गई और मैं भी बहुत ही गहरी नीींद सो गया।
धोरबेल की लगातार और बहुत तेज आवाज से मैं उठ गया और दरवाजा खोलकर दे खा तो वहाीं सोनी खड़ी थी।
उसने अब शाटच स्कटच और टाप पहना था। उसकी गोरी और गर्कनी जाींघें दे खकर मेरा लण्ड र्ौरन ही मेरे बरमडा
में उठ गया। हम दोनों एक दसरे को एक समनट के सलए आूँखों में आूँखें डालकर दे खते रहे ।

मैंने कर्र र्ौरन कहा- “ओह्ह… सोनी तम


ु । आओ अींदर आओ। मझ
ु े अनी ने पहले ही उसका नाम बता ढ़दया था।
सोनी अींदर आ गई और मैंने उसके पीछे दरवाजा लाक कर ढ़दया।

सोनी अींदर आने के बाद कमरे में रखे टे बल्स और दसरे उपकरण को ढ़दलर्स्पी से दे खती रही, और खास तौर
पर जो नई टे बल स्थावपत की थी उसको बहुत गौर से दे खने लगी, और इसके बारे में डीटे ल जानना र्ाहती थी
तो मैंने उसको परा टे बल के बारे में बताया और कर्र उसके सामने सींर्ासलत करके भी बताया।
61
तब सोनी की जब
ु ान से इतना ही तनकला- “बहुत ढ़दलर्स्प, आई आल्सो शड
ु कम ढ़हयर र्ार आ मालीश…”

मैंने ससर्च इतना बोला- “अगर तम


ु हारी जैसी खबसरत लड़की की मासलश करने का मौका समले तो मैं सममातनत
महसस करूूँगा…”

सोनी खश
ु ी से मझ
ु े दे खने लगी शायद मेरी फ्लैटरी उसको अच्छी लगी थी। उसने बोला- “अवश्य… मैं यहाूँ परी
बाडी मासलश के सलये आऊूँगी…” कर्र पछा- “कौन करता है मालीश?”

मैंने बोला- “मेरे पास मेरी लड़ककयाीं हैं, जो लड़ककयों और औरतों का बाडी मासलश करती है । पर आज छुट्टी थी
और मैं यह मासलश टे बल को स्थावपत कर रहा था, इसीसलए आज मैं अकेला ही था और अनी को एमजेन्सी थी
इसीसलए मैंने ही उसकी मासलश कर ढ़दया। मैं खद
ु भी एक बहुत अच्छा मालीसशया हूँ और मैं भी बहुत ही अच्छा
मासलश करता हूँ…”

सोनी मश्ु कुराकर खामोश हो गई। कर्र उसने बोला- “पहले मैं अनी से पछूँ गी की तम
ु ने कैसे मासलश ककया? कर्र
मैं तय करूूँगी की तम
ु से बाडी मासलश करवाऊूँ या तम
ु हारी लड़ककयों से?”

मैंने बोला- “आपका बहुत-बहुत स्वागत हैं समस… …”

सोनी ने मेरा वाक्य खद


ु ही परा ककया- “सन
ु ीता राय, घर और कालेज में मझ
ु े सोनी कहते हैं…”

मैंने अपना हाथ आगे बिाया और बोला- “मैं जावेद राजा हूँ, जानने वाले और दोस्त मझ
ु े राजा या राज कहते
हैं…”

उसने मेरा हाथ अपने हाथ में सलया और हमने हाथ समलाया।

मैंने बोला- “आपसे समलकर मझ


ु े बहुत ही खुशी हुई है…”

सोनी बोली- “मैं भी आपसे समलकर बहुत ही खश


ु हूँ…”

मैं- “मझ
ु े ववशवास है की भवव्य में मैं आपके बहुत काम आऊूँगा…”

सोनी ने कहा- “दे खते हैं…” कर्र उसने पछा- “अनी कहाीं है ?”

मैंने उसको दसरे वाले भाग की तरर् इशारा ककया जहाीं अनी सो रही थी।

सोनी उधर जाने लगी तो मैं भी उसके पीछे -पीछे र्लने लगा। सोनी उस जगह तक पहुूँर् गई, जहाीं अनी सो रही
थी। उसकी नजर सोती हुई अनी पर पड़ी तो उसने मेरी तरर् घमकर कहा- “तम ु ने क्या ककया है अनी के साथ?

62
मझु े तो पता ही था की अनी और सोनी के बीर् र्ोन पर क्या बातर्ीत हुई है । मैंने कहा- “कुछ भी तो नहीीं
ककया, बस मासलश की है, उसके पीछे की, और अब वो बबल्कुल ही ठीक हो गई है और मासलश से इतनी सींत्ु ट
हो गई है की गहरी नीींद सो गई…”

अनी को नीींद से जगाने से पहले सोनी ने घम कर्र कर सारे पालचर को दे खा और बोली- “तम
ु ने बहुत अच्छा
पालचर खोला है राज…”

मैंने बोला “धन्यबाद सोनी। आपकी र्ेसमली मेरी गोल्ड सदस्य है , आप कभी भी ढ़दन हो, रात हो, धप हो,
बरसात हो, कभी भी यहाीं बबींदास आ सकती हैं, और हमारे ब्यटीसशयन और मालीसशया से अपना मन पसींद
मासलश या मेकप करवा सकती हैं…”

सोनी ने कहा- “अच्छा वो कैसे?”

मैंने बोला- “राय साहे ब की पत्नी हमारे म्जम की गोल्ड काडच सदस्य हैं और हम गोल्ड काडच सदस्यों को ववशेष
और वी॰आई॰पी॰ ट्रीटमें ट दे ते हैं…” कर्र उसको समझाया की तम
ु कभी भी यहाीं आ सकती हो, मासलश या मेकप
सब कुछ तम
ु हारे सलये मफ्
ु त है कभी भी।

सोनी मश्ु कुराते हुए बोली- “वाह्ह… यह तो बहुत अच्छी बात है । मझ


ु े पता ही नहीीं था, नहीीं तो मैं कब का आ
र्ुकी होती…”

मैं भी हूँसकर बोला- “मझ


ु े भी तो पता नहीीं था ना की आप राय साहे ब की भतीजी हैं, नहीीं तो मैं आपको कब
का आमींबत्रत कर र्क
ु ा होता…”

यह सन
ु कर सोनी थोड़ा मश्ु कुरायी पर बोली कुछ नहीीं। सोनी घम कर्र के जब परी पालचर को दे ख रही थी तब
उसकी नजर मढ़हला भाग के ववशेष मासलश वाले कमरों में रखी बासलग मैगजीन पर भी पड़ी थी, म्जसके कवर
पेज पर ही एक छोटी लड़की एक बहुत ही लींबे और मोटे लण्ड को अपने हाथों में लेकर लण्ड के सप
ु ाड़े को र्म
रही थी।

जब सोनी उस मैगजीन को दर से दे ख रही थी तो मैं उसकी आूँखों को दे ख रहा था की वो कौन सी ढ़दशा में
दे ख रही है । इससे पहले कक वो मझ
ु े पलटकर दे खती, मैं दसरी तरर् ककसी मशीन को ऐसे दे खने लगा जैसे
उसका कोई स्क्र कस रहा हूँ। सोनी ने भी कुछ नहीीं कहा और मैंने भी कुछ नहीीं कहा।

सोनी अनी के करीब आ गई और उसको उठाने लगी।

थोड़ी कोसशश के बाद अनी ने अपनी आूँखें खोली और सोनी को दे खकर धीरे से बोली- “अरे सोने दे ना रे , क्यों
तींग कर रही है?” अनी शायद यह समझ रही थी की वो अपने बेडरूम में सो रही है ।

सोनी ने कर्र से उसको उठाया और बोला- “तझ


ु े घर नहीीं र्लना है क्या?”

63
तब अनी ने हड़बड़ा के इधर-उधर दे खा। उसको समझने में थोड़ी दे र लगी की वो कहाीं है ? उसने अपने बदन को
दे खा, अपने बदन पर हाथ र्ेरा और बोली- “क्या समय हुआ है?” और कर्र उसकी नजर सामने लगी इतनी बड़ी
दीवाल घड़ी पर र्ली गई और बोली- “अरे बाप रे 6:00 बज गये। त कब आई?”

सोनी बोली- “बस अभी 20–25 समनट ही हुए हैं। मैं थोड़ा पालचर का तनरीक्षण कर रही थी…” यह बात उसने धीरे
से मश्ु कुराते हुए कही थी- “यह तो बहुत ही मस्त पालचर है यार…”

अनी बोली- “हाूँ और राज बहुत ही अच्छा मासलश करता है । मैं तो मासलश करवाते-करवाते ही सो गई थी…”
कहकर अनी काउर् से नीर्े उतरी और अपने सैंडल पहनकर सोनी के साथ नीर्े उतर गई। अपनी ककताबें अनी
तो पहले ही सोनी के साथ भेज र्क
ु ी थी।

मैं उन दो सद
ुीं ररयों को नीर्े उतरने तक दे खता रहा। वो दोनों स्कटी पर बैठ गये। अनी पीछे की सीट पर बैठ
गई और स्कटी र्लाने से पहले दोनों ने अपने हाथ ढ़हलाकर मझ
ु े बाइ कहा। अनी पीछे बैठी थी इसीसलए उसने
अपने हाथ को अपने होंठों से लगाया और मेरी तरर् फ्लाइींग ककस ढ़दया।

मैंने भी उसको जवाबी फ्लाइींग ककस ढ़दया, और दे खते ही दे खते स्कटी मेरी नजरों से दर हो गई। दोनों के जाते
ही मझु े अपना मन बहुत भारी महसस हुआ, ऐसे जैसे कोई अपना बहुत करीबी सर्र पर गया हो। मैं जब सोने
के सलए लेटा तो मेरा मोबाइल बजा।

दसरी तरर् से अनी की आवाज आई- “हाय जान…” बोल रही थी।

मझ
ु े उसकी आवाज में बहुत ही समठास लगी। मैंने भी उसको हे लो जान-ए-मन बोला और कर्र कुछ बात करने से
पहले हमने र्ोन पर एक दसरे को ककस ककया और ककस करते ही र्ले गये। शायद 10 समनट तक हम बबना
कुछ बोले ककस ही करते रहे । कर्र जब हमारी बात शरू
ु हुई तो कर्र र्ोन सेक्स भी हुआ और अनी भी र्त की
मासलश करते-करते झड़ गई और मैं भी लण्ड को मठ मारते-मारते झड़ गया।

मैंने अनी से पछा- “सोनी को कुछ शक तो नहीीं हुआ?”

अनी बोली- “शायद शक हुआ होगा, मैं गारीं टी से तो नहीीं बोल सकती, बस रास्ता भर वो पालचर की और तम
ु हारी
ही बातें कर रही थी…”

मैंने उसको याद ढ़दलाया की मझ


ु े सोनी को र्ोदना है ।

अनी बोली- “हाूँ मझ


ु े याद है , मैं जल्दी ही उसको तम
ु से र्ुदवा दूँ गी। मझ
ु े लगता है की वो तम
ु को पसींद करने
लगी है …”

मैंने एक प्लान बनाया और अनी को अच्छी तरह से समझा ढ़दया की प्लान को कैसे अींजाम दे ना है । वो प्लान
को अच्छी तरह से समझ गई। प्लान अगले रवीवार का था, जब पालचर की छुट्टी होती है । मैं और अनी रात दे र
तक र्ोन सेक्स करते। अनी को मेरा लण्ड बहुत याद आ रहा था। उसने बहुत बार बोला- “प्लीज राज यहाीं आ
जाओ और मझ ु े र्ोद दो…”
64
मैं बोला- “यार वो ररस्की है, और अगर हम लोगों को दीघचकालीन सींबध
ीं रखना है तो हमें सावधानी से काम लेना
होगा और जब भी मौका समलेगा र्ोद लेंग…
े ” वैसे भी वीक में तीन बार अनी क्लास बींक करके मझ
ु से र्ुदवा के
जा र्ुकी थी।

शनीवार को दे र रात अनी का र्ोन आया और उसने गड


ु न्यज दी की सोनी कल यानी रवीवार को अनी के साथ
पालचर आने को तैयार हो गई है । मैंने उसको मासलश करवाने के सलए तैयार कर सलया है ।

मेरा ढ़दल खुशी से उछलने लगा की एक और नई कूँु वारी र्त र्ाड़ने को समलेगी। अनी ने मझ
ु े पहले ही बता
ढ़दया था की उसके और सोनी के बीर् समलैंगगक सींबध
ीं भी हैं, और वो दोनों रात में एक दसरे की र्तें भी र्ाटते
हैं और र्र्े भी र्सते हैं और ककससींग भी करते हैं, और अपने भवव्य में र्ुदवाने की बातें भी करते हैं।

मैं अनी से बोला- “यह गड


ु न्यज सन
ु ते ही मेरा लण्ड झम-झम के उसकी र्त को सलामी दे रहा है…”

अनी हूँसने लगी और बोली- “आज की रात उसको सींभाल के रखो कल काम आएगा…”

मैं अनी से बोला- “सर् मेरी जान जल्दी से आ जाओ मेरी बेर्ैन बाहों में…”

अनी आूँखें बींद करके सेक्सी आवाज में बोली- “ले लो मझ


ु े अपनी बाहो में मेरे राजा और मझ
ु े र्ोद डालो… दे खो
यह र्त कैसे तड़प रही है और तम
ु हारे लण्ड से समलने को रो रही है, परी गीली हो गई है रोते-रोते…”

कर्र हमने र्ोन सेक्स ककया, दोनों झड़ गये और मैं दसरे ढ़दन के इींतज
े ार में सो गया।

रवीवार की सब
ु ह आूँख खुली तो मझ
ु से पहले मेरा लण्ड उठ र्ुका था। मैंने उसको आज एक नई कूँु वारी र्त
र्ोदने का आश्वासन ढ़दया और बड़ी मम्ु श्कल से उसको शाींत ककया। मैं उठकर शेव ककया, शावर सलया और स्नान
करके कैजअ
ु ल पैंट पहना, क्योंकी जीन्स पहनने के बाद उसको उतारने में थोड़ी दे र लग सकती थी,और वैसे भी
मैं जब म्जम में काम करता होता हूँ तो लज बरमडा ही पहनता हूँ। जैसे-तैसे दोस्तों का कहना था की मैं
कैजअ
ु ल्स में ज़्जयादा सद
ींु र लगता हूँ।

मैं तैयार होकर सब


ु ह 10:00 बजे म्जम पहुूँर् गया, और योजनानस
ु ार मैंने उस कमरे का एयरकींडडशन खोल ढ़दया,
जहाीं मझ
ु े अनी और सोनी को बबठाना था। वहाीं पर टीवी भी रखा हुआ था और टीवी को ऐसे सेट ककया कक 3–4
र्ैनेल छोड़ के आगे और 3–4 र्ैनेल पीछे सब के सब र्ुदाई वाले ब्ल-मवीस के र्ैनेल्स समायोम्जत कर ढ़दया
और उस रूम का गप्ु त कैमरा भी र्ाल कर ढ़दया।

अनी और सोनी को आने में अभी एक घींटा और था। मैंने कर्र सोर्ा की क्यों ना मैं तब तक एक और टे बल को
कर्ट करने का काम शरू
ु कर दीं । उन दोनों के आने तक म्जतना भी काम हो जाए ठीक है । कर्र सोनी को
मासलश करने से पहले शावर लेकर हमेशा की तरह तौसलया लपेट लूँ गा। यह सोर्कर मेरे र्ेहरे पर मश्ु कुराहट
दौड़ गई। मैंने र्ें ज ककया, बरमडा और बतनयान पहनकर काम करने लगा।

65
हमेशा की तरह टे बल के ऊपर कैमरा र्ल रहा था और छोटा सा माइक्रोर्ोन टे बल के अींदर गप्ु त था, जहाीं मैं
कर्ढ़टींग के साथ कमें टरी भी दे ता जा रहा था और टे बल भी कर्ट कर रहा था। मैं अपने काम में बबजी हो गया
और ठीक 10:40 बजे अनी के मोबाइल से समस काल आया, तो मैं समझ गया की अब वो दोनों घर से तनकले
हैं, और समय पर ही पहुूँर् जायेंगे। आज रवीवार था मातनिंग में सड़क पर ज़्जयादा रश भी नहीीं रहता था।

मैंने अींदाजा लगा सलया कक 11:00 बजे या उसके आस पास वो दोनों पहुूँर् जाएींगी। मैंने समय दे खा और मेरे
र्ेहरे पर एक बार कर्र से मश्ु कुराहट दौड़ गई। योजना के अनस
ु ार मैं अपने काम में जट
ु गया। तकरीबन 20
समनट के बाद दरवाजे पर बेल हुई। मैंने दरवाजा खोलकर दे खा तो अनी और सोनी दोनों कयामत का रूप धर के
मेरे सामने खड़ी थी।

अनी ने शाट्चस और टी-शटच पहना था और सोनी ने जाींघ तक लमबी स्कटच और शटच पहनी थी। शटच के दो पाकेट
थे और दोनों पाकेट पर र्ल बने हुए थे। दोनों के बाल पोनीटे ल की तरह से बूँधे हुए उनके ससर से झल रहे थे।
लाइट वपींक स्कटच और सर्ेद शटच में सोनी की खबसरती दे खने लायक थी।

दोनों ने लगभग एक साथ ही हे लो राज बोला।

मैंने भी हे लो बोला और दोनों को अींदर आने के सलए बोला। पछा की अनी अब तम


ु हारा ददच कैसा है?

अनी बोली- “अरे एकदम से कर्ट हो गई हूँ। क्या मस्त मासलश की तम


ु ने राज उस ढ़दन। सर् पछ तो मझ
ु े बहुत
ही आराम समला…”

मैंने सोनी की तरर् दे खा तो अनी ने बोला- “सोनी के सामने तम


ु हारे मासलश की तारीर् की तो आज वो भी
तम
ु से मासलश करवाने के सलए आई है…”

मैंने बोला- “आज पालचर की छुट्टी है इसीसलए कोई भी मालीसशया लड़की नहीीं है…”

अनी बोल पड़ी- “तम


ु तो हो ना… तम
ु ही कर दो। सोनी की बाडी में भी कभी-कभी माींसपेसशयों की ऐींठन हो जाती
है …”

कर्र सोनी बोली- “हाूँ राज, पता नहीीं क्या बात है मझ


ु े जाींघों की माींसपेसशयों में ऐींठन हो जाती है कर्र मझ
ु े थोड़ी
दे र के सलए कहीीं भी बैठ जाना पड़ता है , और कर्र जाींघ की मासलश करने के थोड़ी दे र के बाद ही ददच कम होता
है …”

हम यह सब बातें वहाीं कर रहे थे जहाीं मैं टे बल कर्ट कर रहा था, और ऊपर से कैमरा भी र्ल रहा था।

मैंने बोला- “ठीक है । मैं मासलश कर दूँ गा पर थोड़ी दे र तम


ु लोगों को इींतज
े ार करना पड़ेगा…” मैंने टे बल की तरर्
इशारा ककया और बोला- “यह टे बल की कर्ढ़टींग अभी खतम होने वाली है… इतनी दे र तम
ु लोग वहाीं इींतज
े ार कर
लो। मैं बस अभी 10-15 समनट में आता हूँ…” यह कहकर मैं दोनों को उस कमरे में ले गया जहाीं मैं पहले से
सब सेढ़टींग करके रख र्क
ु ा था।

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वहाीं दोनों सोर्े पर बैठ गई और जाते ही अनी ने टीवी का ररमोट उठा सलया। इससे पहले की वो टीवी र्ाल
करती, मैं उस कमरे से बाहर आ गया था और आकर्स में र्ला गया, जहाीं मैं उस कमरे का हाल अपने स्क्रीन
पर दे ख सकता था। म्जतने कैमरे परी म्जम और पालचर में लगे थे, मैं उन सबको अपने आकर्स में रखे एक ही
स्क्रीन पर एक ही समय पर दे ख सकता था, और कर्र म्जस रूम के कैमरे को डीटे ल में दे खना होता मैं उसका
स्क्रीन परा साइज कर दे ता था।

हाूँ तो मैं अपने आकर्स में आ गया और जहाीं अनी और सोनी को छोड़ के आया था वो कमरे का परा स्क्रीन
लाइव दे खने लगा। अनी ने टीवी र्ाल कर ढ़दया, वहाूँ पर एक इींम्ललश कर्ल्म र्ल रही थी। वो दोनों इधर-उधर
की बातें करने लगे। प्लान के मत
ु ाबबक अनी ने थोड़ी दे र में र्ैनेल र्ें ज कर ढ़दया। वो र्ैनेल पर कुछ लड़ककयों
का व्यायाम र्ल रहा था। वो दोनों बड़े गौर से वो दे खने लगे। लड़ककयों के छोटे कपड़े में से उनके र्र्े और र्त
के उभार भी सार् ढ़दखाई दे रहे थे। तकरीबन 5 समनट वो व्यायाम दे खने के बाद र्ैनेल र्ें ज ककया तो वहाीं कोई
र्ाइनीस भाषा में वत्त
ृ गर्त्र र्ल रहा था, म्जसे र्ौरन ही र्ें ज कर ढ़दया गया और अगला र्ैनेल तो बस खतरनाक
ब्ल-कर्ल्म र्ैनेल था।

वो र्ैनेल लगते ही दोनों के मूँह


ु से एक साथ वाव… तनकला। दोनों ही आूँखें र्ाड़-र्ाड़ के बड़े गौर से वो र्ैनल

दे खने लगे। सोनी को तो पता नहीीं था कक यह सब योजना है । उसने कमरे में इधर-उधर दे खना शरू
ु ककया की
कहीीं कोई और तो नहीीं है? जब उसको यकीन हो गया की उस रूम में अनी और सोनी के अलावा और कोई नहीीं
है तो वो दोनों बबींदास ब्ल-कर्ल्म र्ैनेल दे खने लगे।

शायद उन दोनों का ऐसा र्ैनेल दे खने का पहली बार था। दोनों ही एकदम से गरम हो गये, और जैसा की वो
दोनों आलरे डी समलैंगगक गततववगधयों में शासमल थे, एक दसरे की जाींघों पर हाथ रख ढ़दए और एक ही समनट
के अींदर एक दसरे की र्तों को मसल रहे थे। दोनों की टाूँगें खुली हुई थी। सोनी तो स्कटच में थी इसीसलए कोई
प्राब्लम नहीीं हुई, उसके पैर र्ैले थे, और अनी उसकी पैंटी की तरर् से उीं गली डालकर सोनी की र्त की मासलश
कर रही थी। अनी भी शाट्चस में थी और सोनी ने उसकी र्ड्डी के अींदर हाथ डाल ढ़दया और अनी की र्त को
मसलने लगी। दोनों एक दसरे को ककससींग भी कर रहे थे। सींक्षेप में वो दोनों ही बेइींतह
े ा गरम हो गये थे।

टीवी पर र्द
ु ाई का मस्त सीन र्ल रहा था। एक लींबे लण्ड से एक लड़की र्ुदवा रही थी, और कर्र अपनी गाण्ड
में उसका लण्ड ले सलया और र्ोदते-र्ोदते उस लड़के के लण्ड से मलाई की बहुत बड़ी वपर्कारी तनकली म्जसे
उसने लड़की के र्र्ों पर स्प्रे कर ढ़दया।

यह सीन दे खते-दे खते अनी और सोनी के हाथ बड़े तेजी से र्लने लगे और र्ौरन ही दोनों एक साथ झड़ने भी
लगे। दोनों के हाथ एक दसरे की र्तों पर ही थे।

मैं अपनी जगह से उठा और योजना के अनस


ु ार पहले ही शावर ले र्क
ु ा था और बरमडा और बतनयान में उस
रूम में र्ला आया।

मेरे कदमों की आवाज सन


ु ते ही दोनों ने अपने-अपने हाथ एक दसरे की र्ड्डी से बाहर तनकल सलए थे। पर
कमरे में उन दोनों की र्तों से तनकले अमत
ृ की खुसब महक रही थी। मैं रूम में आया और र्त के अमत
ृ की
गींध को डीप ब्रीढ़दींग के साथ सघ
ीं ने लगा, म्जसे शायद वो दोनों ने भी महसस ककया। मैं कमरे में आया तो दे खा

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की दोनों के र्ेहरे एकदम से लाल हो गये थे, और मेरे कदमों की आहट सन
ु ते ही अनी ने र्ैनेल र्ें ज करके
उसको व्यायाम वाले र्ैनेल पर सशफ्ट कर ढ़दया था।

मैंने पछा- “तम


ु लोग ठीक तो हो? क्या बात है ऐसे खामोश-खामोश क्यों हो तम
ु लोग?”

अनी बोली- “नहीीं राज, ऐसी कोई खास बात नहीीं, हम तो बस ऐसे ही टीवी दे खकर समय पास कर रहे थे और
सोनी मासलश का इींतज
े ार कर रही है …”

मझ
ु े तो सब पता था की क्या हुआ है । मैं बोला- “र्लो ठीक है मैं अब फ्री हूँ। सोनी तम
ु तैयार हो ना?”

सोनी बोली- “हाूँ राज मैं तैयार हूँ…” अभी भी उसकी आवाज कुछ असामान्य थी। लगता था की अभी भी वो
आगगज़्ज
च म के नशे में है ।

मैं करीब पड़े एक बेंर् टाइप टे बल, म्जसपे थोड़ा सा र्ोम भी र्िा हुआ था, जो की मेरी जाींघ के लेवेल से थोड़ा
नीर्े था उसकी तरर् इशारा करके बोला- “यहाीं आ जाओ सोनी…”

सोनी उस टे बल पर आकर लेट गई तो मैं हूँसकर बोला- “कपड़ों के साथ मासलश कारवाओगी क्या?”

सोनी भी हूँसने लगी और बोली- “तम


ु बोलो राज की क्या करूीं?”

मैंने सोनी से पछा- “तम


ु ससर्च जाींघों का मसाज करवाना र्ाहती हो या परे बदन का?”

सोनी बोली- “जैसी तम


ु हारी म़ी राज…”

मैं बोला- “नहीीं ऐसी कोई बात नहीीं। अगर तम


ु ससर्च जाींघों की मासलश करवाने वाली हो तो तम
ु को ससर्च स्कटच
ही ऊपर उठना पड़ेगा। मैं तम
ु हारे जाींघों से ऊपर एक कपड़ा डाल दूँ गा…”

इतने में अनी बोल पड़ी- “अरे राज इस साली की परी बदन की मासलश कर दो। तम
ु हारे ववशेषज्ञ हाथ की मासलश
से इसका सारा ददच जाता रहे गा…”

मैं बोला- “दे खो अगर परे बदन की मासलश करवाना हो तो तम


ु को अपना टाप और स्कटच तनकलना होगा और
अगर पैंटी को नहीीं खराब करवाना हो तो उसको भी तनकलना होगा…”

सोनी बोली- “तम


ु हारा मतलब की मझ
ु े नींगी होकर लेटना होगा?”

र्ौरन ही अनी बोली- “अरे यार तनकल दे ना कपड़े, क्यों नखरे कर रही है? तनकाल, यहाीं और कोई भी तो नहीीं
है जो तेरे बदन को नींगा दे ख लेगा…”

सोनी र्ौरन बोली- “साली मझ


ु े नींगी करके खद
ु कपड़े पहने रहे गी? मैं एक ही शतच पर अपने कपड़े उतारूींगी,
अगर त भी अपने कपड़े तनकलेगी तो मैं भी तनकालग
ीं ी…”
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अनी बोली- “अरे यार, मझ
ु े मासलश थोड़े ही करवानी है । अगर मझ
ु े करवानी होती तो मैं भी नींगी ही होकर
करवाती…”

सोनी ने उससे पछा- “मतलब जब तने उस ढ़दन मासलश करवाई थी तो परी नींगी होकर करवाई थी क्या?”

अनी बोली- “हाूँ यार। मैंने स्पींद्रेल पहना था ना और मझ


ु े सारे बदन की मासलश करवानी थी, इसीसलए मझ
ु े राज
के सामने नींगा होना ही पड़ा था…” कर्र अनी बोली- “र्ल ठीक है । तेरे सलए यह भी कर लूँ गी। राज ने मेरा नींगा
बदन तो दे खा ही है, एक बार और नींगी हो जाऊूँगी तो मेरा क्या बबगड़ जाएगा?”

मैं उसको बोला- “मैं उधर पलट जाता हूँ। तम


ु अपने कपड़े उतारकर यह र्ादर ओिकर लेट जाओ…”

अनी कर्र से र्ौरन बोल पड़ी- “अरे यार राज तम


ु भी ना…” कर्र सोनी से बोली- “र्ल तनकाल कपड़े…” और खुद
ही उसकी शटच खोलने लगी।

सोनी ने थोड़ा सा ववरोध ककया कर्र सब कपड़े तनकल ढ़दए। उर्फ्र्… क्या बताऊूँ सोनी का बदन ऐसा लगता था
जैसे कोई ग्रीक दे वी हो। एक-एक इींर् का तराशा हुआ बदन। उसके शींक्वाकार के छोटे -छोटे र्र्े और उसपे बहुत
छोटे से तनपल्स आह्ह… क्या नजाथा दोस्तो क्या बताऊूँ। उसकी र्त आह्ह… ऐसी मस्त उभरी हुई र्ली हुई
गद्दे दार गर्कनी र्त म्जसपे एक भी बाल नहीीं था और र्त की थोड़ी सी मोटी पींखुडड़याीं एक दसरे से समली हुई
थीीं। मैं और मेरा लण्ड उसकी र्त दे खकर पागल ही हो गया।

अनी मझ
ु े दे खकर र्टु की बजाते बोली- “हे राज…” कर्र आूँख मारते हुए बोली- “ऐसे क्या दे ख रहो, कभी ककसी
लड़की को नींगा नहीीं दे खा क्या?”

मेरी नजर अनी की तरर् गई तो दे खा की वो भी नींगी हो र्ुकी है । अनी ने सोनी को अपने से सलपटा सलया और
एक जोरदार र्ुींबन उसके होंठों पर जड़ ढ़दया और उसके मूँह
ु में मूँह
ु भी डालकर र्सा। सोनी पहले तो थोड़ा
ढ़हर्ककर्ाई कर्र उसने भी उसको सलपटा सलया और एक जबरदस्त ककस के साथ अनी से अलग हो गई और बेंर्
पर लेट गई। बेंर् की र्ौड़ाई इतनी थी की मैं उसके दोनों तरर् अपने दोनों पैर डालकर आराम से खड़ा हो
सकता था।

सोनी जैसे ही टे बल-कम-बेंर् पर लेटी तो शमच के मारे एक हाथ से अपनी र्त को छुपा सलया और दसरे हाथ से
दोनों र्र्ों को ढक सलया। अनी ने उसका हाथ उसके र्र्ों पर से हटाया और उसके र्र्ों को मसलने लगी।

सोनी बोली- “हे पागल क्या कर रही है ? र्ल उधर बैठ…”

अनी बोली- “अरे यार, मैं भी थोड़ा राज का साथ दे दे ती हूँ और हम दोनों समलकर तेरी मासलश करें ग…
े ”

मैं धीरे से मश्ु कुरा ढ़दया।

अनी बोली- “अरे राज तम


ु हारे कपड़े भी तो खराब हो जायेंगे, तम
ु भी तो अपने कपड़े तनकल दो ना…”
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सोनी बोली- “नहीीं राज, यह तो पागल है वैसा मत करो…”

मैं बोला- “ठीक है । मैं परा नींगा नहीीं होऊूँगा एक तौसलया लपेट लूँ गा, नहीीं तो मेरे कपड़े खराब हो जायेंगे। वो
वककिंग तौसलया होता है म्जसको बाद में लाींड्री में डाल ढ़दया जाता है …”

सोनी ने ससर के इशारे से हाूँ कहा और मैं दसरे कमरे में जाकर ससर्च एक पतला सा तौसलया ही लपेटकर बाहर
आया। सोनी की मस्त र्त दे खकर तो मेरा लण्ड बेकाब हो रहा था और तौसलया के नीर्े मर्ल रहा था और
उछल-उछल के नार् रहा था। सोनी नींगी लेटी थी। अनी ने सोनी का हाथ उसकी र्त से हटा ढ़दया था। अब
सोनी भी थोड़ी-थोड़ी आराम से हो रही थी। क्योंकी यहाीं हमारे तीनों के ससवा और कोई भी तो नहीीं था।

मैंने सोनी से पछा- “जाींघ के कौन से भाग में मरोड़ होता है ?”

सोनी ने अपने दोनों हाथ दोनों जाींघें के लगभग सेंटर में रख ढ़दए और अींदर तक गोल घम
ु ाकर बोली- “बस इसी
भाग में ही होता है…”

मैं बोला- “ओके ठीक है…” और बगल में दीवार से लगे कपबोडच को खोलकर 4–5 तेल की बोतलें तनकाल लाया।

अनी सोनी के करीब खड़ी उसके नींगे बदन को ललर्ाई नजरों से दे ख रही थी।

अब मैं बेंर् के दोनों तरर् अपने दोनों पैर डालकर खड़ा हो गया। मेरे पैर खुले होने से तौसलया का सामने वाला
भाग भी थोड़ा सा खुल गया था। मैंने ततरछी नजर से सोनी को दे खा, उसकी नजर मेरे लौड़े पर ही ढ़टकी हुई
थी। बस इतना दे खना था की मेरा लौड़ा एक झटका मारा और तन गया।

बेंर् के लीवर को थोड़ा सा दबाया तो वो थोड़ा सा ऊपर उठ गया। सोनी की मस्त, र्ल जैसी नाजुक और रे शमी
मल
ु ायम र्त मेरी नजरों के सामने थी। मेरा बस नहीीं र्ल रहा था की बस इसकी टाूँगें खोल दीं और पहले इस
र्त को र्ोद डालूँ , मासलश वासलश बाद में दे खते हैं। पर मैंने अपने आप पर काब रखा और तेल की धार उसकी
दोनों जाींघों पर डाल ढ़दया। तेल की बोतल को बगल में रखकर दोनों हाथ उसकी गर्कनी रे शमी जाींघों पर र्ेरने
लगा और तेल को र्ैलाने लगा। मेरे हाथ तो उसकी जाींघ पर थे लेककन मेरी नजर उसकी र्ल जैसी र्त पर थी।

मेरा हाथ सोनी की जाींघों पर लगते ही उसका बदन थोड़ा सा अकड़ गया तो मैं बोला- “आराम से सोनी कुछ नहीीं
होगा तम
ु बबलकुल गर्ींता मत करो…”

सोनी मश्ु कुरायी और बोली- “नहीीं राज वैसी बात नहीीं है । मेरे बदन को आज पहली बार ककसी मदच का हाथ लगा
है तो…”

मैं कुछ बोला नहीीं, बस धीरे से मश्ु कुरा ढ़दया। मैं धीरे -धीरे उसकी जाींघों की मासलश करने लगा, 5 समनट मासलश
करने के बाद उसको पछा- “कैसा लग रहा है सोनी?”

सोनी बबना आूँख खोले बोली- “बहुत अच्छा लग रहा है राज…”


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उसकी बींद आूँख दे खकर अनी ने उसके र्र्ों को ककस ककया तो सोनी ने आूँखें खोलकर उसको दे खा और बोली-
“पगली क्या कर रही है?”

अनी बोली- “अरे यार तेरे र्र्े दे खकर रहा नहीीं गया। क्यों तझ
ु े अच्छा नहीीं लगा तो बोल?”

सोनी बोली- “अरे यार ऐसी बात नहीीं, पर शमच आती है ना…”

अनी बोली- “वाह्ह रे तेरी शमच… साली एक मदच के सामने र्त खोलकर नींगी पड़ी है और र्र्े को क्या र्स सलया
तझ
ु े शमच आने लगी…”

सोनी हूँसने लगी- “अच्छा बाबा ले र्स ले अगर तेरी यही इच्छा है तो…”

अनी को और क्या र्ाढ़हए था? वो उसके र्र्ों पर टट पड़ी और र्सने लगी।

इतनी दे र में मेरी उीं गसलयाीं भी उसकी र्त के आस-पास ही अपना कमाल ढ़दखा रही थीीं। र्त की पींखडु ड़यों पर
मेरी उीं गसलयों को महसस करते ही सोनी की गाण्ड टे बल से ऊपर उठ गई और उसके मूँह
ु से ‘सस्स्स्स्स’ की
सससकारी तनकली।

अनी ने पछा- “क्या हुआ?”

सोनी कुछ ना बोली बस आूँखें बींद करके पड़ी मासलश के मजे लेती रही।

मैंने सोनी से पछा- “कैसा र्ील कर रही हो सोनी? यहीीं पर करूीं या जाींघ पे?”

सोनी आूँखें खोले बबना ही बोली- “यहीीं पर करो राज, बहुत ही आराम समल रहा है और बहुत ही अच्छा लग रहा
है …”

अनी ने मेरी तरर् दे खा और आूँख मारकर इशारा ककया तो मैं कर्र सोनी की परी र्त की ही मासलश करने
लगा। इतने में अनी ने अपना मूँह
ु उसके र्र्ों से हटाया और उसी समय मैं अपने दोनों अींगठों से उसकी र्त
की पींखडु ड़यों को नीर्े से ऊपर ककया तो उसने आूँख खोलकर मेरी तरर् दे खा और उसी समय पर अनी ने मेरा
तौसलया खीींर्कर तनकल ढ़दया।

मैं बोला- “अरे अनी यह क्या कर ढ़दया?”

अनी बोली- “यार हम दोनों भी तो नींगे ही हैं, तो तम


ु को क्या प्राब्लम है?”

तौसलया के तनकलते ही मेरा लण्ड ऐसे जोश में ढ़हलने लगा जैसे नाग अपना र्न ढ़हलाता है । सोनी की आूँखें मेरे
लण्ड को दे खते ही परी खल
ु गई और वो है रत से दे खने लगी।

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तब अनी ने पछा- “हे ऐसे क्या दे ख रही है, कभी लण्ड दे खा नहीीं क्या?”

सोनी बोली- “धत्त… त बड़ी गींदी है साली…” और सर् में सोनी आूँखें र्ाड़-र्ाड़ के मेरे लण्ड को एकटक दे ख रही
थी। शायद उसने कभी लण्ड दे खा ही नहीीं था, या दे खा भी होगा तो ऐसा मसल नहीीं दे खा होगा।

अनी ने सोनी से पछा- “क्यों पसींद आया क्या राज का मसल?”

सोनी ने कहा- “त तो ऐसे बोल रही है जैसे त इससे र्ुदवा र्ुकी है…” अब सोनी भी खुल के बात कर रही थी।

अनी बोली- “अरे बहनर्ोद ऐसे मसल को दे खने के बाद कौन सी लड़की की र्त में खज
ु ली नहीीं होती रे ? हाूँ
मझ
ु े गवच है की इस मसल ने मेरी वम्जचतनटी का सशकार ककया है…”

सोनी ने अनी से पछा- “सर् कह रही है त?”

अनी बोली- “और नहीीं तो क्या? मैं अब लड़की से औरत बन र्क ु ी हूँ…” और हूँसते हुए बोली- “र्द
ु वाने में मैं तेरे
से सीतनयर हूँ। अब तेरी बारी है । र्ल अब खामोशी से मासलश करवा…”

म्जतनी दे र सोनी अनी से बात कर रही थी तो उसका ध्यान मासलश की तरर् नहीीं था। जैसे ही उसने मेरे हाथ
को अपनी र्त पर महसस ककया कर्र से उसकी हालत खराब होने लगी।

र्त की मासलश का एक आश्र्यचजनक तरीका यह है की दोनों अींगठों से र्त की दोनों पींखुडड़यों के बगल से
मासलश करते-करते र्त के दाने को भी अींगठों के बीर् में दबाया जाए। मैंने बस इसी तरीके से मासलश शरू

ककया तो सोनी की गाण्ड टे बल से ऊपर उठ गई और उसका बदन अकड़ गया और उसकी र्त ने पानी छोड़
ढ़दया। उसकी आूँखें बींद थी और गहरी-गहरी साूँसें ले रही थी।

अब मैं दोनों अींगठों को उसकी र्त के अींदर डालकर उसकी र्त के दाने की मासलश करने लगा तो वो बहुत ही
गरम हो गई। और कर्र प्लान के मत ु ाबबक मैं टे बल के दोनों तरर् दोनों पैर रखकर थोड़ा आगे बिा और सामने
रखे तेल की बोतल को उठाने जा रहा था की पीछे से अनी आई और सोनी की र्त पर मूँह
ु डाल ढ़दया और
उसकी र्त को र्ाटने लगी।

सोनी की र्त पर अनी का मूँह


ु लगते ही सोनी ने अपने दोनों हाथ मेरी टाूँगों के बीर् से बाहर तनकालकर अनी
के ससर को पकड़कर अपनी र्त में दबा सलया और अपनी दोनों टाूँगें अनी के पीछे लपेट ली और अपनी गाण्ड
उठा-उठाकर उसके मह
ूँु में अपनी र्त को रगड़ने लगी।

अभी सोनी की आूँखें मस्ती में बींद थी और जैसे ही उसने आूँख खोली तो दे खा की मेरा मसल ककसी साूँप की
तरह से उसके र्ेहरे के ऊपर नार् रहा है । सोनी की उत्तेजना इतनी बि गई थी की उसने र्ौरन ही अपने दोनों
हाथों से मेरे लण्ड को पकड़ सलया और आगे-पीछे करके मठ जैसा मारने लगी।

मैं अपने पैरों को थोड़ा सा घट


ु नों के पास से मोड़कर नीर्े को हो गया और उसके दोनों र्र्े पकड़कर बीर् में
अपना लण्ड रखकर आगे-पीछे करके उसके र्र्ों को र्ोदने लगा। तीं सोनी ने मेरे पीछे हाथ रखकर मझ
ु े अपनी
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ओर खीींर्ा और अपने ससर को थोड़ा सा ऊपर उठाकर मेरे लण्ड को अपने मूँह
ु में ले सलया और र्सने लगी।
उसके लाल-लाल होंठों के बीर् मेरा लण्ड बहुत ही मस्त लग रहा था। लण्ड इतना बड़ा और मोटा था की वो
ससर्च लण्ड का सप
ु ाड़ा ही अपने मूँह
ु में ले रही थी और र्स रही थी।

उधर अनी उसकी र्त को र्ाट रही थी। सोनी की हालत दे खने लायक थी वो ऐसे मर्ल रही थी जैसे उसे ककसी
गरम तवे पर बबठा ढ़दया गया हो। अनी ने अपना मूँह
ु उसकी र्त से हटाया और सोनी से पछा- “र्ुदवाना है तो
बोल दे …”

सोनी ने कुछ नहीीं कहा तो अनी ने कर्र से उसकी र्त को र्ाटना शरू
ु कर ढ़दया और इस बार उसने उसकी र्त
में भी एक उीं गली डालकर उसको र्ोदना शरू
ु कर ढ़दया। इधर वो मेरा लण्ड र्स रही थी और साथ ही मैं उसके
र्र्ों को मसल रहा था। सोनी बहुत ही र्ुदासी हो र्ुकी थी।

अनी ने कर्र से पछा- “बोल साली र्ुदवायेगी क्या?”

सोनी ने मूँह
ु से लण्ड तनकाले बबना ही हमममम जैसे आवाज तनकली।

वो तो अच्छा हुआ की मैंने उसके मूँह


ु से अपना लण्ड बाहर तनकाल सलया नहीीं तो मैं उसके मूँह
ु में ही अपना रस
छोड़ने वाला था। मझ
ु े तो उसकी प्यासी र्त को अपने लण्ड का पानी वपलाना था।

अब अनी ने उसकी र्त को र्ाटना बींद कर ढ़दया था।

सोनी बोली- “मझ


ु े डर लग रहा है । यह इतना बड़ा है और मेरी बहुत छोटी है…”

अनी शरारत से बोली- “अरे बोल साली क्या बड़ा है और क्या छोटी?”

सोनी हूँसते हुए बोली- “राज का लण्ड बहुत ही बड़ा और मोटा है और मेरी र्त बहुत छोटी है । यह र्ट जयेगी
और मैं मर जाऊूँगी…”

अनी बोली- “क्या मैं मर गई हूँ साली। मेरी र्त भी तो राज के लण्ड को खा र्क
ु ी है …”

सोनी शरारत से बोली- “साली त तो है ही रीं डी मादरर्ोद, तने र्द


ु वा सलया होगा पर मझ
ु े तो डर लग रहा है…"

मैंने सोनी से पछा- “क्या तम


ु सर् में र्द
ु वाना र्ाहती हो?”

सोनी से पहले अनी ने जवाब ढ़दया- “अरे राज र्ोद डाल साली को, र्ाड़ दे इसकी र्त और गाण्ड दोनों को…”

मैंने कर्र पछा- “सोनी सर् बताओ क्या तम


ु तैयार हो?”

सोनी बोली- “हाूँ राज… जी तो बहुत कर रहा है पर डर भी लग रहा है…”

73
मैं बोला- “डरने की जरूरत नहीीं है । हाूँ एक बार ददच तो जरूर होगा। पर कर्र बाद में मजा ही मजा आएगा…”

सोनी बोली- “ठीक है राज मैं तैयार हूँ…”

मैं बोला- “सन


ु ो अगर तम
ु को इतना ही डर लग रहा है तो मैं नीर्े लेट जाता हूँ। मेरे लण्ड को तम
ु खुद ही
म्जतना अपनी म़ी से अपनी र्त के अींदर लेना र्ाहो ले लो…”

सोनी ने ओके बोला।

अब मैं नीर्े लेट गया और सोनी को अपने मूँह


ु के ऊपर बबठा सलया और उसकी र्त को र्ाटने लगा। सोनी बेंर्
के दोनों तरर् अपनी दोनों टाूँगें रखकर लगभग आधी खड़ी थी। मेरा मूँह
ु उसकी र्त पर लगते ही वो इतनी
उतावली हो गई की मेरे मूँह
ु पर जोर से बैठ गई, और अपनी र्त को रगड़ने लगी। अनी उसके सामने आकर
खड़ी हो गई और उसका ससर पकड़कर अपनी र्त पर रख दी।

अब मैं सोनी की र्त को र्ाट रहा था और सोनी अनी की र्त को र्ाट रही थी। मैं अपनी उीं गली अनी की
गाण्ड में डालकर अींदर-बाहर करने लगा। थ्री-सम र्ल रहा था और मेरे लण्ड का तो बहुत ही बरु ा हाल था। वो
परा खड़ा हो गया था और खड़ा होना ददच भरा था। अब मझ ु े उसको र्ोदना था।

मैंने सोनी को पीछे ककया और उसने अपने हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ा और अपनी र्त में तघसने लगी। उसकी
र्त बेइींतह
े ा गीली हो र्क
ु ी थी। सोनी अपने घट
ु ने उठाकर बेंर् पर रखना र्ाह रही थी, पर बेंर् उतनी ज़्जयादा
र्ौड़ी नहीीं थी तो मैं उसको लेकर करीब पड़े बेड पर ले गया। दोस्तों बता दीं की वहाीं पर एक बेड भी था म्जस
पर कभी-कभी हमारी गेस्ट वी॰आई॰पी॰ आराम भी करते थे। मैं नीर्े बेड पर लेट गया और सोनी अपने दोनों
घट
ु ने मोड़कर मेरे लण्ड की सवारी करने के सलए तैयार हो गई।

अनी सोनी के पीछे खड़ी हो गई और उसके र्र्ों को मसलने लगी।

सोनी मेरी जाींघों के दोनों तरर् अपने दोनों पैर रखकर अपने घट
ु नों के बल थी और मेरे लण्ड को अपनी र्त में
तघसने लगी। उसकी गीली र्त के छे द में मेरे लण्ड का सप
ु ाड़ा अटक गया तो उसने अपना हाथ लण्ड से हटा
सलया और थोड़ा सा दबाव दे ने लगी तो मेरे लण्ड का सप
ु ाड़ा उसकी र्त के अींदर घस
ु गया। लण्ड का सप
ु ाड़ा
अींदर जाते ही उसका बदन थोड़ा सा अकड़ गया।

मैंने सोनी को अपने ऊपर झुका सलया और उसके र्र्ों को र्सने लगा। अनी अब सोनी के पीछे बैठकर सोनी की
र्त को सहला रही थी, म्जसकी वजह से शायद सोनी का ददच कुछ कम हो गया। अब सोनी खद
ु ही थोड़ा पीछे
हटकर मेरे लण्ड को अपनी र्त के अींदर लेने की कोसशश करने लगी, और र्त गीली होने से मेरे लण्ड का थोड़ा
और भाग उसकी र्त में र्ला गया, तो कर्र से उसका बदन अकड़ गया।

मैंने अब उसके मूँह


ु में अपनी जुबान डाल दी और हम फ्रेंर्-ककस करने लगे और साथ में उसके र्र्ों को मसलने
लगा और तनपल्स को वपींर् करने लगा, तो उसका बदन थोड़ा सा आराम हुआ।

74
अनी अब सोनी की पीठ को धीरे -धीरे सहलाने लगी, जैसे उसको ढ़हममत ढ़दला रही हो। मैं कर्र से सोनी के र्र्ों
को र्सने लगा और अपने हाथ से उसके कींधों को कसकर पकड़कर नीर्े से अपनी गाण्ड उठाकर एक झटका
मारा तो मेरा लण्ड उसकी र्त में दो इींर् और अींदर घस
ु गया। लेककन सोनी को इतना ददच हुआ की वो उछल
पड़ी और उसकी र्त मेरे लण्ड से बाहर तनकल गई।

मैं कर्र से सोनी को बोला- “बस एक ही बार ददच होगा। कर्र तम


ु हें कभी भी ददच नहीीं होगा, बस थोड़ा सा सहन
कर लो…”

सोनी बोली- “मझ


ु से नहीीं होता राज। मझ
ु े डर लग रहा है तम
ु खुद ही कुछ करो…”

यह मौका मेरे सलए गोल्डेन र्ान्स से कम नहीीं था। मैं बोला- “ओके… र्लो अब तम
ु लेट जाओ…” और अनी से
बोला- “तम
ु सोनी के मूँह
ु पर बैठ जाओ और उसको अपनी र्त का टे स्ट कराओ…”

सोनी घट
ु ने मोड़कर बेड पर लेटी रही और अनी ने अपने दोनों घट
ु ने सोनी के ससर के दोनों तरर् रख ढ़दए और
सोनी के मूँह
ु पर बैठ गई, बबल्कुल ऐसे ही जैसे थोड़ी दे र पहले सोनी मेरे मूँह
ु पर बैठी थी। अभी तक सब प्रोग्राम
हमारी योजना के मत ु ाबबक र्ल रहा था। मैं सोनी की मड़
ु ी हुई टाूँगों के बीर् लेट गया और सोनी की र्त को
एक बार कर्र से र्ाटने लगा।

अनी की र्त की गींध और मेरी जुबान की र्ीसलींग से सोनी बहुत ही गमच हो गई और झड़ गई। एक बार कर्र से
उसकी र्त बहुत ही गीली हो र्क
ु ी थी। अब अनी की पोजीशन ऐसी थी की उसकी र्त तो सोनी के मह ूँु पर थी
पर उसके हाथ बेड पर ढ़टके हुए थे और अपनी र्त को सोनी के मूँह
ु पर पटक-पटक के सोनी के मूँह
ु से अपनी
र्त को र्ुदवा रही थी।

अब मैं अपनी जगह से उठा और सोनी की टाूँगों के बीर् में ऐसी पोजीशन में आ गया की मेरे पैर तो बेड के
ककनारे से ढ़टके हुए थे और मैं झुक के सोनी के र्र्ों को र्सने लगा। लण्ड सोनी की र्त की पींखडु ड़यों के बीर्
में था। सोनी ने अपना हाथ हमारे बदन के बीर् में ककया और मेरे लण्ड के डींडे को पकड़कर अपनी र्त के छे द
से सटा ढ़दया। मैं समझ गया की अब यह भी परा र्द
ु सी हो गई है ।

लण्ड का सप
ु ाड़ा तो जल्दी ही र्त के अींदर सरक गया, क्योंकी मेरे लास्ट झटके से मेरा लण्ड आलरे डी उसकी
र्त के थोड़ा अींदर घस
ु र्ुका था। मैं अपने लण्ड को 3 इींर् ही उसकी र्त के अींदर डालकर आगे-पीछे करने
लगा, तो सोनी मस्ती में भर गई और उसकी र्त से एक बार कर्र से अमत
ृ बहने लगा, और मेरा लण्ड उसकी
र्त के रस से और भी गीला हो गया।

सोनी मेरे लण्ड को अपनी र्त के अींदर महसस कर रही थी और मजे ले रही थी। उसकी गाण्ड उठने लगी और
मैं समझ गया की इसको अब लण्ड र्त के अींदर र्ाढ़हए। मैं उसके ऊपर लगभग लेट गया। मेरे दोनों घट
ु नों से
उसके घट
ु नों को र्ैलाकर ऐसे रखा था की उसकी टाूँगें मेरी टाूँगों से खल
ु गई थीीं, और उसकी र्त भी खल
ु गई
थी। उसने अपने पैर मेरे पीछे लपेट सलए और मझ
ु े अपनी ओर खीींर्ने लगी। मझ
ु े पता र्ल गया की वो अब
गरम है । मैं सोनी को लण्ड के थोड़े से ही भाग से र्ोद रहा था और वो परा मस्ती में थी।

मैंने सोनी से पछा- “मजा आ रहा है?”


75
सोनी ने अनी की र्त को अपने मूँह
ु से थोड़ा हटाया और बोला- “हाूँ राज बहुत ही मजा आ रहा है … ऐसे ही करो
प्लीज… थोड़ा और अींदर डालो ना राज…”

मैं बोला- “ठीक है तम


ु तैयार तो हो ना? दे खो सोर् लो एक बार वम्जचतनटी र्ली जाती है और सील टट जाती है
तो कर्र वापस पलट कर नहीीं आती…”

सोनी बोली- “यार तम


ु कौन सी जमाने की बात करते हो? कौन लड़की वम्जचन है आजकल? सब अपने-अपने
बायफ्रेंड से र्ुदवा र्ुकी हैं या र्ुदवा लेती हैं, और कौन मेरी वम्जचतनटी र्ेक करने आएगा की मैं वम्जचन हूँ की
नहीीं? बस अब तम
ु र्ाड़ डालो, और अपने मसल से मेरी कूँु वारी र्त की सील तोड़ डालो, जैसे अनी की सील
तोड़ी थी…”

मैं मश्ु कुरा ढ़दया और बोला- “क्या तम


ु को यकीन है सोनी?”

सोनी बोली- “अरे यार अब दे र मत करो, मेरी र्त में र्ीींढ़टयाीं रें ग रही हैं, और मेरी र्त अींदर से भट्टी की तरह
से गरम हो गई है । बस तम
ु घस
ु ेड़ दो अपने मसल को मेरी र्त के अींदर…”

मैं कर्र बोला- “सोनी यह तम


ु हारा आखखरी मौका है, बोलो कर्र से…”

सोनी एकदम से गस्


ु सा हो गई और बोली- “भोसड़ी के तेरे लण्ड में दम नहीीं है क्या? एक लड़की खद
ु बोल रही
है की र्ोद डाल और र्ाड़ डाल उसकी र्त को, और त है की नखरे कर रहा है साला। र्ल अब पेल दे अपने
लण्ड को और मेरी कूँु वारी र्त को र्ोदकर मझ
ु े लड़की से औरत बना दे …”

मैं ढ़दल में मश्ु कुरा ढ़दया की र्लो ऊपर लगे कैमरे में यह तो पता र्ल ही जाएगा की सोनी के कहने पर ही मैंने
उसको र्ोदा है । मैं लण्ड को ऐसे ही उसकी र्त के थोड़ा-थोड़ा अींदर-बाहर भी कर रहा था और थोड़ा-थोड़ा दबाव
भी दे रहा था। उसकी र्त के रस से मेरा लण्ड परा भीग गया था।

अब मझ
ु े और ककसी लबु ब्रकेशन की जरूरत नहीीं थी। मैं अब अपने पैर पीछे करके बेड के कोने से ढ़टका ढ़दया।
सोनी के कींधों को कसकर पकड़ सलया और अनी को इशारा ककया। म्जसे अनी समझ गई और सोनी के मूँह
ु को
अपनी र्त से दबा ढ़दया और इधर मैं अपने लण्ड को सोनी की र्त में अींदर-बाहर करते-करते एक ही झटका
मारा और मेरा लण्ड सोनी की र्त को र्ीरता हुआ ककसी समजाइल की तरह से उसकी र्त के बहुत अींदर तक
घस
ु गया।

सोनी की प्रततकक्रया यह हुई की उसने अनी को अपने मूँह


ु के ऊपर से उठाकर परी ताकत से दसरी तरर् र्ेंक
ढ़दया। अनी दर जा गगरी और सोनी ने मझ ु े बहुत ही कसकर पकड़ सलया और उसके मूँहु से- “ऊऊईईई माूँ
उर्फ़्… मर गई मैं आअह्ह…” तनकला। उसका र्ेहरा टमाटर की तरह से लाल हो गया और उसके सारे बदन पर
पशीने की बूँदें उभर के आ गई थी। उसकी आूँखें अपने साकेट में ऊपर र्ि गईं और उसकी आूँखों से आूँस
बहकर नीर्े बेडशीट पर गगरने लगे। मेरा लण्ड उसकी र्त में र्ूँसा हुआ था। उसकी र्त के माींसपेसशयाीं मेरे लण्ड
के डींडे को कसकर पकड़े हुए थीीं और सोनी गहरी-गहरी साूँसें ले रही थी।

76
अनी उठकर करीब आई और मेरे र्ेहरे को अपने नाजक
ु हाथों में पकड़ सलया और झुक के मझ
ु े ककस ककया।
कर्र कहा- “वाह्ह राज मजा आ गया यार… अब मझ
ु े पता र्ला की उस ढ़दन शायद मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ
हुआ होगा…”

मैं अपना ससर हाूँ में ढ़हलाकर इशारा ढ़दया की हाूँ तम


ु भी ऐसे ही बेहोश हो गई थी।

म्जतनी दे र तक सोनी की साूँसें ठीक नहीीं हुई, अनी मेरे सामने खड़ी हो गई और अपनी र्त को मेरे मूँह
ु में
रगड़ने लगी। मैं भी उसकी गाण्ड पर हाथ रखकर उसकी र्त को दाूँतों से पकड़कर काट सलया, तो वो बस एक
ही समनट के अींदर झड़ गई।

क्या सीन था दोस्तों… मेरा लण्ड सोनी की र्त में र्ूँसा पड़ा था और मैं अनी की र्त को र्ाट रहा था। थोड़ी दे र
सोनी की ऐसे ही गहरी-गहरी साूँसे र्लती रही कर्र उसके बदन में गमी आने लगी, और उसका बदन आराम से
हुआ और उसने अपनी आूँखें खोलकर अपनी तरर् का जायजा सलया, तो दे खा की अनी उसके पास बैठी उसके
र्ेहरे को अपने हाथों से बड़े प्यार से सहला रही है और कर्र जैसे ही उसकी नजर मेरे ऊपर पड़ी की मैं अभी भी
उसके ऊपर झकु ा हुआ हूँ और मेरा मसल लण्ड उसकी र्टी र्त के अींदर र्ूँसा हुआ है तो उसको अकश्मात ददच
महसस होने लगा और उसने मेरे सीने पर मारना शरू
ु कर ढ़दया और मझ ु े अपने ऊपर से धकेलने की कोसशश
करने लगी। पर मैं तो उससे जोरदार था इसीसलए अपनी जगह से एक इींर् भी नहीीं हटा।

मैं उसके ऊपर झुक गया और उसके र्र्ों को र्सने लगा। इतने में अनी एक बार कर्र से पीछे आ गई और
उसकी र्त को सहलाना शरू ु कर ढ़दया। थोड़ी ही दे र में सोनी की जान में जान आई और वो शाींत हुई। मैं एक
बार कर्र अपने लण्ड को उसकी र्त से थोड़ा-थोड़ा बाहर खीींर्कर अींदर डालना शरू
ु ककया और कर्र दे खते ही
दे खते र्ुदाई की रफ़्तार तेज होने लगी।

सोनी अब परा मस्ती में आ गई थी और र्द


ु ाई का मजा ले रही थी। उसकी टाूँगें कभी हवा में होती, तो कभी
मेरी पीछे लपेट लेती। उसने मझ
ु े कसकर पकड़ा हुआ था और बोल रही थी- “आअह्ह… बहुत मजा आ रहा है
आज ऊऊईईई ममाूँ राज आअह्ह… सस्स्स्स्स…” कहकरर उसने मझ ु े एक बार कर्र से कसकर पकड़ सलया और
उसकी र्त का बाूँध टट गया और मेरे लण्ड से र्द
ु ाई का उसका पहला आगगज़्ज
च म शरू
ु हो गया। उसकी आूँखें बींद
हो गई और उसका बदन काूँपने लगा और मझ
ु े कसकर पकड़कर झड़ने लगी।

मैं भी म्जतनी दे र उसका आगगज़्ज


च म र्ल रहा था, र्ुदाई बींद कर ढ़दया था। जैसे ही उसका आगगज़्ज
च म खतम हुवा
उसके हाथ पैर ढीले पड़ गये। मैं भी उसके ऊपर झक ु के उसके र्र्ों को र्सने लगा, म्जससे उसका आनन्द और
बि गया। मैंने एक बार कर्र से सोनी की र्ुदाई शरू
ु कर दी।

सोनी इतना गरम हो गई थी की उसने अनी का हाथ पकड़कर खीींर्ा और अपने मूँह
ु पर उसको कर्र से बबठा
सलया। अनी की र्त उसके मूँह
ु से लगते ही उसने अनी की र्त को र्ाटना शरू
ु कर ढ़दया और हाथ बिाकर
उसकी उछलती मर्लती छोटी-छोटी र्गर्यों को अपने हाथों में पकड़कर मसलना शरू
ु कर ढ़दया।

अनी और सोनी दोनों परा मस्ती में थी और परा आनन्द ले रही थीीं। सोनी एक बार कर्र से झड़ने के कगार पर
आ गई थी और मझ
ु े बोल रही थी- “और जोर से र्ोदो राज आअह्ह… पल्लीज और जोर से र्ोदो… आह्ह… राज
ककतना मज़्जज़्ज़ा है , मझ
ु े मालम ही नही था आह्ह…”
77
मैं भी अब छटने ही वाला था। इसीसलए र्ोदने की रफ़्तार एकदम से तेज हो गई थी। सोनी ने मझ
ु े कसकर
पकड़ सलया था और मेरी डीप और हाडच र्ुदाई के मजे ले रही थी। मैंने अपने लण्ड को सोनी की र्त से एक
सेकेंड के सलए बाहर तनकाला और र्ौरन ही एक और बहुत ही जोरदार झटका मारा तो मेरा लण्ड उसकी र्त के
अींदर तक की गहराईयों में र्ला गया और उसकी बच्र्ेदानी के मह
ूँु में लण्ड का सप
ु ाड़ा र्ला गया और मेरे लण्ड
से गािी-गािी गरम-गरम रस की वपर्काररयाीं ककसी कमान से तनकले तीर की तरह उसकी बच्र्ेदानी के अींदर
घस
ु रही थीीं।

मैं सोनी की र्त के अींदर लण्ड को घस


ु ेड़कर बबना हरकत ककये उसको दबाकर पकड़ सलया और उसकी र्त के
अींदर अपने लण्ड का गािा-गािा रस गगराता रहा। एक बार कर्र सोनी ने मझ
ु े कसकर पकड़ सलया और हम दोनों
मस्त र्ुदाई का मजा लेने लगे। मेरा लण्ड सोनी की र्त में र्ल रहा था और एक और कूँु वारी र्त की सील
तोड़ने का मजा ले रहा था। र्ाइनल झटके में मेरा लण्ड कुछ इतनी तेजी से बाहर तनकला और कर्र उसी तेजी
से उसकी र्त के अींदर घस
ु ा था की उसकी र्त से खन बाहर नहीीं तनकल सका था।

मेरा लण्ड उसकी र्त के अींदर पड़ा था और मैं धीरे से सोनी के कान में पछा- “मजा आया क्या डासलिंग?”

सोनी ने मेरे मूँह


ु पर र्ुींबन की बरसात करते हुए कहा- “ऐसा मजा तो म़्ींदगी में कभी नहीीं समला था मेरे राजा…”

मैंने कर्र उसके कान में बोला- “तम


ु बहुत अच्छी हो सोनी…”

सोनी ने पलटकर बोला- “नहीीं तम ु बहुत अच्छे हो राज। मैं तम


ु हें प्यार करती हूँ राज। तम
ु ने आज जो मजा मझ
ु े
ढ़दया है मैं वो म़्ींदगी भर याद रखग
ूँ ी…”

मैं हूँसकर बोला- “हाूँ यह बात तो सही है की लड़की अपनी पहली र्ुदाई म़्ींदगी भर नहीीं भलती…”

सोनी मेरी बात काटते हुए बोली- “नहीीं ऐसे मस्त लण्ड से र्ुदाई तो कोई भी लड़की कभी नहीीं भल सकती…”
और कर्र हम दोनों हूँस ढ़दए।

अनी मश्ु कुराते हुए बोली- “राज लगता है तम


ु कूँु वारी र्त को र्ोदकर उसकी सील तोड़ने में ववशेषज्ञ हो…”

कर्र मैं और सोनी दोनों हूँसने लगे। मेरा लण्ड तो अभी भी उसकी कसी र्त के अींदर ही पड़ा हुआ था और
शायद थोड़ा सा मल ु ायम भी होने लगा था। मैं उसके दोनों तरर् अपने हाथ रखकर उठ रहा था तो अनी वहीीं पर
रखी सोनी की पैंटी और मेरा एक रूमाल ऐसे सलए खड़ी थी जैसे होटे लों में खाने के और हाथ धोने के बाद वेटर
तौसलया लेकर खड़ा होता है।

मैं उसको दे खकर मश्ु कुरा ढ़दया और जैसे ही अपना लण्ड सोनी की र्त से बाहर तनकाला, उसकी र्त से खन
तनकलना र्ाल हो गया और उसकी र्त के आस पास भी खन लगा हुआ था और मेरा लण्ड तो उसकी कूँु वारी
र्त के खन से लाल हो गया था।

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मैंने अनी की तरर् इशारा ककया तो उसने पैंटी से सोनी की र्त का खन अच्छी तरह से सार् ककया और मेरी
रूमाल से मेरे लण्ड का खन सार् ककया और सोनी की कूँु वारी र्त के खन से भरी पैंटी मझ
ु े दे दी और मेरी खन
से भरी रूमाल सोनी को यह बोलते हुए दी- “यह रख ले तेरी पहले र्ुदाई की स्माररका है…”

हम तीनों हूँसने लगे। हम तीनों नींगे ही थोड़ी दे र ऐसे ही मस्ती करते रहे ।

सोनी की र्त ऐसी जोरदार र्द


ु ाई के बाद र्लकर डबल रोटी की तरह सज गई थी और लाल हो गई थी। अनी
थोड़ी दे र सोनी की र्त को सहलाती और साथ में बोलती जा रही थी- “क्या हालत हो गई है बेर्ारी र्त की,
लगता है ककसी ने बहुत बेददी से इसकी ठुकाई की है …”

मैं अनी की र्त से खेलने लगा जो बहुत ही गीली हो र्ुकी थी। सोनी ने मेरे लण्ड को मूँह
ु में लेकर र्सना शरू

कर ढ़दया, और मेरा मसल दे खते-दे खते ककसी समजाइल की तरह से र्ायररींग के सलए तैयार हो गया। मैंने अनी
को अपने ऊपर खीींर् सलया और वो मेरे ऊपर लेट गई। अपने दोनों पैर मेरी बगल में रखकर, मेरा लण्ड उसकी
र्त की र्ाींकों के बीर् में था और वो मेरे लण्ड पर आगे-पीछे करके कर्सल रही थी। जैसे ही अनी मेरे लण्ड पर
कर्सलती हुई सामने की ओर आई और पीछे की ओर वापस झटका मारा तो मैंने उसको कसकर पकड़ सलया और
उसी झटके में अपने लण्ड को उसकी र्त के अींदर पेल ढ़दया।

अनी ऐसे अटै क के सलए तैयार नहीीं थी, उसके मूँह


ु से- “ऊऊईईई ममममाूँ हाईईई उर्फ़्…” तनकला और मेरा
लण्ड उसकी र्त की गहराईयों में उतर गया।

मैं अनी को अपने ऊपर झक


ु ा सलया और उसकी र्गर्यों को र्सने लगा।

अब सोनी मेरे मूँह


ु पर आकर बैठ गई थी और मेरे मह
ूँु में अपनी र्त को रगड़ रही थी। उसकी र्त में अभी भी
थोड़ी-थोड़ी जलन हो रही थी, शायद अींदर से उसकी र्त तछल गई थी। मैं प्यार से उसकी र्त को धीरे -धीरे
र्ाटने लगा।

इधर मैं अनी को जोर-जोर से र्ोद रहा था और अनी मेरे लण्ड की सवारी कर रही थी। मेरा लण्ड उसकी र्त के
अींदर बच्र्ेदानी के मूँह
ु तक घस
ु रहा था।

सोनी थोड़ी ही दे र में गरम हो गई और परा स्पीड से मेरे मूँह


ु में अपनी र्त को रगड़ने लगी और दे खते ही
दे खते झड़ गई और अपनी र्त का रस मेरे मूँह
ु में डाल ढ़दया म्जसे मैं बड़े मजे से पी गया।

अनी मेरे लण्ड पर उछल-कद कर रही थी। लेककन मैं तो उसको दबाकर जोरदार शाट मारना र्ाह रहा था। मैंने
अनी को नीर्े कर ढ़दया और जो मेरी पसींदीदा पोजीशन है , समशनरी पोजीशन में उसको सलटाकर उसकी र्त के
अींदर अपने लण्ड को एक ही झटके में पेल ढ़दया। उसके पैर कभी हवा में और कभी मेरे पीछे आ रहे थे। जैसे-
जैसे मेरे र्ोदने की रफ़्तार बि रही थी।

अनी ने पैर मेरे पीछे लपेटे हुए थे और वो मझ


ु े अपनी ओर खीींर् रही थी। अनी के मूँह
ु से- “आह्ह… ज्जान
मममरी… राज र्ोदो उर्फ़्… आआह्ह… बहुत मममज़्जज़्ज़ा आ रहा है र्ोदो…”

79
मैं दनादन र्ोद रहा था। उसकी परी र्त मेरे लण्ड के डींडे से गर्पकी हुई थी और लण्ड के साथ ही अींदर-बाहर हो
रही थी। अनी अपनी गाण्ड उठा-उठाकर मजे से र्द ु वा रही थी और सोनी हम दोनों की र्द ु ाई को बहुत मजे से
दे ख रही थी और अपनी र्त को सहला रही थी। अनी तो कम से कम 3 बार झड़ र्ुकी थी। उसकी र्त के रस
से मेरा लण्ड भीग गया था और उसकी र्त में बहुत आराम से अींदर-बाहर हो रहा था। हम दोनों पशीने में नहा
गये थे।

अनी ने मझ
ु े कसकर पकड़ सलया, शायद उसका आगगज़्ज
च म शरू
ु हो गया था और मेरा लण्ड भी उसकी र्त कसकर
र्ोदते-र्ोदते अपनी र्रम सीमा पर पहुूँर् र्ुका था। मैं भी अनी को कसकर पकड़ सलया और उसकी र्त के बहुत
अींदर तक अपने लण्ड को घस ु ेड़कर दबाकर पकड़ सलया और उसकी बच्र्ेदानी को अपने लण्ड के गािे -गािे सर्ेद
रस से भरने लगा।

म्जतनी दे र हम दोनों का आगगज़्जच म र्लता रहा, हम दोनों एक दसरे को बहुत ही कसकर पकड़े गहरी-गहरी साूँसें
लेते रहे । थोड़ी दे र में हम दोनों बहुत अच्छी तरह से झड़ गये थे। मझ
ु े अभी भी अपने लण्ड पर अनी की र्त
की माींसपेसशयाीं कसी महसस हो रही थीीं, जैसे लण्ड के डींडे को कसकर पकड़े हुए हों। मैं अनी के ऊपर ही पड़ा
रहा, उसके र्र्े मेरे और उसके बदन के बीर् में सैंडववर् बने रहे ।

मैंने अनी के कान में पछा- “मजा आया डासलिंग?”

अनी ने मझ
ु े बेतहाशा ककस करते हुए कहा- “मेरे राजा तम
ु हारे मस्त लोहे जैसे लण्ड से र्ुदवाकर मझ
ु े तो जन्नत
का मजा आता है…”

मेरा लण्ड अनी की र्त में मल


ु ायम होने लगा और मैं लि
ु क के अनी के बगल में लेट गया। थोड़ी दे र हम तीनों
ऐसे ही लेटे रहे । कर्र सोनी बाथरूम की तरर् जाने लगी।

तब मैं बोला- “ठहरो हम तीनों समलकर साथ-साथ शावर लेते हैं…”

सोनी भी मेरे साथ ही बेड से उठी और हम तीनों बाथरूम की तरर् जाने लगे। जैसे ही हम बाथरूम के अींदर
गये, मझु े थोड़ी शरारत सझी। मझ ु े बहुत जोर से पेशाब आ रहा था और तनयींत्रण करना मम्ु श्कल हो रहा था तो
मैं बोला- “तम
ु दोनों अपनी टाींगें र्ैलाकर नीर्े र्शच पर बैठ जाओ…”

उन दोनों ने है रत से दे खा। मैंने इशारा ककया तो वो दोनों एक दसरे के करीब अपने-अपने पैर र्ैलाकर बैठ गये।
ऐसे बैठने से उनकी र्तें भी थोड़ी-थोड़ी खुल गई थीीं। मैं दोनों के सामने उनकी र्ैली टाींगों के बीर् में खड़ा हो
गया। पेशाब के दबाव से मेरा लण्ड एक बार कर्र से खड़ा हो गया था, म्जसे दोनों बड़ी मस्तानी नजरों से दे खने
लगीीं। उनको पता ही नहीीं था की मैं क्या करने वाला हूँ और उनके दे खते ही दे खते मेरे लण्ड के मोटे छे द से
पेशाब की गोल्डेन रीं ग की मोटी गरम धार तनकलना शरू
ु हो गई। मैं अपने लण्ड को अपने हाथों से पकड़कर
दोनों के र्र्ों पर पेशाब करने लगा तो वो दोनों उठने लगीीं।

पर मैंने बोला- “बैठो यार, दे खो इसका मजा भी बहुत आता है…”

80
तब दोनों वैसी ही पोजीशन में बैठ गई। मैं अपने लण्ड को अपने हाथ से पकड़कर उन दोनों के र्र्ोम पर और
उनके मूँह
ु पर पेशाब की धार ऐसे मारने लगा जैसे र्ायर बब्रगेड वाले आग बझ
ु ाने के पाइप से पानी की धार
मारते हैं।

मेरी पेशाब की धार उनके बदन को सभगोने लगी तो वो दोनों खखलखखला के हूँस पड़ी।

कर्र मैंने लण्ड से तनकलते पेशाब का ढ़दशा उनकी र्त पर कर ढ़दया और उनकी र्तों पर मतने लगा। दोनों की
र्तों पर दबाव से पड़ती पेशाब की धार से दोनों कर्र से गरम होने लगीीं। उनको बहुत मजा आ रहा था और ऐसे
ही मस्ती में वो अपनी-अपनी र्तों की मासलश भी करने लगीीं। मैं कर्र से अपने मत की धार उनके मह
ूँु की
तरर् कर ढ़दया तो उन दोनों ने र्ौरन ही अपना-अपना मूँह
ु खोल ढ़दया तो मेरा पेशाब सीधा उनके मूँह
ु में गगरने
लगा, म्जसे दोनों बड़े मजे से पी गई। अनी और सोनी के बदन मेरे लण्ड के वीयच से और पेशाब से भर गये थे
और बाथरूम में पेशाब की मीठी गींध आ रही थी।

जैसे ही लण्ड के मूँह


ु से पेशाब तनकलना खतम हुआ, मैंने दोनों का हाथ पकड़कर उठाया और शावर के नीर्े ले
गया। ऊपर से हल्का गरम पानी हम तीनों के बदन पर गगरने लगा। तीनों ने एक दसरे को साबन ु लगाया, बदन
सार् ककए। शावर के अींदर ही मेरे लण्ड को दोनों ने बारी-बारी से र्सा और कर्र लण्ड के रस को भी दोनों ने
शेयर ककया।

दोपहर को कर्र से वपज़्ज़ा का आडचर ककया, सबने समलकर खाया और सारा ढ़दन खब र्द
ु ाई की। सोनी की गाण्ड
का भी उद्घाटन कर ढ़दया। वो बहुत रोई थी जब उसकी गाण्ड में मेरा लण्ड र्ूँस गया था, ना अींदर जा रहा था,
ना वापस बाहर आ रहा था क्योंकी ददच के मारे उसने अपनी गाण्ड की माींसपेसशयों से मेरे लण्ड को कसकर पकड़
सलया था। सोनी को जालोकेन भी नहीीं लगाया था, बस तेल ही लगाकर उसकी गाण्ड में लण्ड पेल ढ़दया था। वो
बहुत गर्ल्लाई और रोई थी।

सोनी के गर्ल्लाने पर और रोने पर अनी हूँस रही थी।

सोनी बोली- “मझ


ु े गाण्ड में बहुत ददच हो रहा है…”

तब मैं उसको पेन ककल्लर टै बलेट ढ़दया तो उसकी गाण्ड का ददच कुछ कम हुआ। शाम होते-होते दोनों खब अच्छी
तरह से र्ुदकर मजे ले र्क
ु ी थी। जाने से पहले दोनों को आई-वपल्स खखलाया और कर्र दोनों ने मझ
ु े कसकर
पकड़ सलया और खब ककस ककए।

और उन दोनों ने पता नहीीं ककतनी बार- “मैं तम


ु हें प्यार करती हूँ राज, मैं तम
ु हें प्यार करती हूँ राज, य आर
ससींपली अमेम़्ींग…” ऐसे शब्द कहे ।

मैं भी अपने घर आ गया। अभी शाम ही थी। मैं बहुत थक गया था इसीसलए थोड़ी दे र तक गहरी नीींद सो गया।
रात के शायद 10:00 बजे मेरी आूँख खुली। शावर सलया तो कुछ फ्रेश महसस हुआ। डडनर सलया और टीवी दे खने
बैठ गया। थोड़ी ही दे र में मझ
ु े नीींद आने लगी और मैं बेडरूम की तरर् र्ला गया।

***** *****
81
मैं बेड में लेटकर सोने की तैयारी कर रहा था की दीपा का र्ोन आया। दीपा बोली- “राज कहाूँ हो तम
ु ? कब से
तम
ु को र्ोन कर रही हूँ, तम
ु र्ोन उठाते ही नहीीं हो…”

मैंने दे खा और बोला- “ओह्ह… खेद सै मेरी जान, पता नहीीं कब मैंने र्ोन साइलेंट पर रख ढ़दया था दे खा ही
नहीीं…”

दीपा बोली- “तम


ु र्टार्ट रूपा के घर आ जाओ, मैं वही जा रही हूँ…”

दीपा की सेक्सी आवाज सन


ु ते ही मेरे लण्ड में नया जोश भर गया और वो मेरे पैंट के अींदर झटके खाने लगा,
तो मैंने अपने लण्ड पर हाथ रखकर उसको सहलाया और बोला- “कर्कर ना कर मेरे यार, र्ल और दो र्तों का
सशकार करना है …” मेरे र्ेहरे पर मश्ु कुराहट दौड़ गई और मैं जल्दी से थोड़ा सा डडनर ककया। अपनी बाइक
तनकाली और रूपा के घर की तरर् र्ल पड़ा।

रूपा और दीपा के बींगलो एक बहुत बड़े कींपाउीं ड में एक दसरे से समले हुए ही थे। दोनों बींगलो के बीर् में एक
छोटा सा उनका अपना एक प्राइवेट गाडेन था, जहाीं शाम को र्ेसमली वाले या उनके फ्रेंड्स गाडेन में घमते रहते
या वहाीं पड़ी गाडेन र्ेयर पर बैठकर शाम की ठीं डी हवा का मजा लेत।े यह उनके कींपाउीं ड के अींदर होने की वजह
से बाहर वाले कोई भी उनको डडस्टबच नहीीं करते थे।

मैं अभी गेट की पास ही था की गाडच ने बोला- “सर, दरवाजा खुला है , आपको मैडम ने याद ककया है…”

मैं जैसे ही दरवाजे के अींदर गया, तो वहाीं कोई ढ़दखाई नहीीं ढ़दया। एक कमरे से आवाजें आ रही थी, तो मैं उसी
कमरे की ओर बि गया। कमरे का दरवाजा खुला था, अींदर दीपा और रूपा नींगे एक दसरे के बदन से गर्पके 69
की पोजीशन में एक दसरे की र्तों को र्ाट रहे थे। मझ
ु े दे खते ही दोनों की आूँखें खश
ु ी से र्मकने लगीीं। यह
सीन दे खते ही मेरा लण्ड एकदम से 90° डडग्री के कोण पर खड़ा हो गया।

एक ही समनट की अींदर मैं नींगा था और दीपा और रूपा के बेड में शासमल हो र्ुका था। बड़ी घमासान र्दु ाई हुई
दोनों की और दोनों की गाण्ड भी मारी और सारी रात हमारी र्ुदाई र्लती रही। जब हम तीनों र्द
ु ाई से थक
गये तो एक ही बेड पर एक दसरे से गर्पक कर सो गये।

जब से दीपा और रूपा को र्ोदा था तो वो दोनों मेरी दीवानी हो गई थीीं और उनकी वासना जो बहुत ढ़दनों से
कोल्ड स्टोरे ज में पड़ी हुई थी कर्र से जाग उठी थी और उनके बदन में जवानी का नशा आ गया था। अब वो
दोनों एक दसरे की र्त को र्ाटकर भी मजे लेती थीीं, और मेरे से र्ुदवा कर भी मजे लेती थीीं। कभी तो दोनों
को अलग-अलग र्ोदना पड़ता था, कभी दोनों को समलाकर थ्री-सम होता था। दोनों बड़ी मस्ती से बबल्कुल रीं डडयों
की तरह से र्द
ु वाती थी, और वो एकदम से गरमा गरम र्ुदक्कड़ बन र्क
ु ी थीीं।

अनी और सोनी भी बहुत ही मस्ती में र्द


ु वाती थी। जब भी मौका समलता कालेज से क्लास बींक करके कभी
दोनों आ जाती और र्ुदवाकर वापस कालेज र्ली जाती, या कर्र कभी अनी तो कभी सोनी। यह दोनों भी अब
परा मस्ती में आ गये थे और दोनों के र्र्े दबाने, मसलने और र्सने से थोड़े बड़े भी हो गये थे। अब वो र्ारों
दीपा, रूपा, अनी और सोनी अपनी-अपनी र्तें एकदम से गर्कनी और अच्छी तरह से सार् रखती थीीं। सबकी
सब मेरे ब्यटी पालचर में आकर वैम्क्सींग करवा लेतीीं या कभी मेरे पास काम करने वासलयों को घर बल
ु ाकर
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वैम्क्सींग करवा लेतीीं। और म्जस ढ़दन दीपा और रूपा की र्तों की वैम्क्सींग होती उस ढ़दन तनम्श्र्त मेरे शेर को
दोनों र्तें खाने का मौका समल जाता था।

एक हफ्ते तक अनी और सोनी को ढ़दन में और दीपा और रूपा को रात में र्ोदता रहा।

एक ढ़दन सोनी जब क्लास बींक करके मेरे पास र्द


ु वाने की सलए आई तो बोली- “राज एक ररक्वेस्ट थी तम
ु से…”

मैं बोला- “अरे मेरी जान ररक्वेस्ट क्या कर रही हो तम


ु हुकुम करो, तम
ु तो मेरी वी॰वी॰आई॰पी॰ सदस्य हो…”

वो दोनों हूँसने लगी और बोली- “वास्तव में हमारी बायलोजी की मैम ने मझ


ु े यहाीं पालचर से उतरते हुए दे ख सलया
था। उनका ख्वाब था की वो यहाीं अपनी मासलश और मेकप करवाएीं, पर वो आगथचक रूप से उतनी साउीं ड नहीीं हैं
तो मेरे से उन्होंने कहा कक उनके सलए कुछ डडसकाउीं ट ढ़दलवाऊूँ…”

मैंने कहा- “अरे मेरी जान, तम


ु ने पछ सलया बस… अब तम
ु तम
ु हारी बायलोजी मैम से बोल दो की मैं उनकी फ्री
में मासलश करवा दूँ गा और अगर वो र्ाहे तो मैं खद
ु उनके घर आकर उनकी मासलश कर दूँ गा, वैसे उनका नाम
क्या है और क्या उमर है?”

सोनी बोली- “मैम की उमर तो पता नहीीं ककतनी होगी, पर अभी हाल ही में शायद 5 या 6 महीने पहले उनकी
शादी हुई है । उनका नाम वप्रया मैम है …”

मैं बोला- “ठीक है तम


ु उनसे बोलो की जब भी वो र्ाहती हैं और जहाीं भी र्ाहती हैं। वो र्ाहे गी तो मैं अपने
पास की ककसी लड़की को भेज दूँ गा या अगर वो खुद आना र्ाहें तो भी स्वागत है …” कर्र सोनी को अपनी बाहों
में भर सलया और उसके कान में पछा- “दे खने में कैसी हैं तम
ु हारी मैम?”

सोनी बोली- “बहुत ही खबसरत हैं। हमारे कालेज की सबसे खबसरत टीर्र है वो…”

मैं सोनी के र्र्ों को दबाता और नीर्े से अपने खड़े लण्ड को उसकी र्त से टकराता उसके कान की लोलकी को
मूँह
ु में लेकर र्सते हुए बहुत ही धीमी आवाज में पछा- “र्द
ु वा लेगी मझ ु से?”
सोनी बोली- “र्ीज तो बड़ी मस्त है । उसकी आूँखों में हमेशा ही गलु ाबी डोरे तैरते रहते हैं। दे खने में भी बहुत ही
सेक्सी है और म्जस तरह से वो तम ु से मासलश करने पर उतावली हो रही है, मझ ु े लगता है की अगर तम ु ने
उसको र्ोदने में दे री की तो वो खद
ु तम
ु को र्ोद दे गी…” और कर्र हम दोनों हूँसने लगे।

उस ढ़दन सोनी को बहुत जोर-जोर से र्ोदा और र्ोदते-र्ोदते वप्रया का नाम भी ले रहा था।

र्ुदाई की बाद सोनी मश्ु कुराते हुए बोली- “तम


ु मझ
ु े र्ोद रहे थे की वप्रया मैम को?”

मैंने पछा- क्यों क्या हुआ?

सोनी बोली- “र्ोद तो तम


ु मझ
ु े रहे थे और नाम वप्रया का ले रहे थे…”

83
मैं हूँसने लगा और बोला- “र्लो कोई बात नहीीं, अनी क्या, सोनी क्या और वप्रया क्या सबके पास र्तें है और
र्तों की सेवा करना हमारा काम है…”

तीसरे ढ़दन सोनी आई और बोली- “राज वप्रया मैम ने तम


ु हारा मोबाइल नींबर माूँगा है और बोल रही है की उन्हें
यहाीं आने में शमच आती है । मैम मझ
ु से बोली की अगर मैं तम ु को उनके घर ले र्लूँ तो उनको बहुत खुशी होगी
और उन्होंने कहा है कक म्जस ढ़दन भी बोलोगे, मैं लींर् या डडनर जो भी समय होगा हम साथ खा लेंग… े ”

मैं बोला- “अरे यार उनको मेरा नींबर दे दो। यह तो मेरा बब़नेस ही है, अगर वो खुद ही मझ
ु से बात करना र्ाहें
तो कोई बात नहीीं और उनसे बोलो की मैं तो हमेशा ही फ्री रहता हूँ उनको जब समय समले बोल दें हम र्लते
हैं…”

सोनी ने कहा- “ठीक है । मैं पछकर बताऊूँगी…”

दसरे ही ढ़दन मेरे मोबाइल पर ररींग हुई। दसरी तरर् से एक बहुत ही प्यारी सी सरु ीली सी मयम्जकल आवाज
आई- “क्या मैं समस्टर राज से बात कर सकती हूँ प्लीज…”

मैं बोला- “हाूँ मैडम। मझ


ु े बतायें की मैं आपके सलए क्या कर सकता हूँ, मैं राज हूँ…”

वप्रया- “डडयर राज, मैं वप्रया हूँ, मैं कक्रस्टल कालेज में जतनयर सशक्षक हूँ। मैं बायलोजी पिाती हूँ। आप मझ
ु े नहीीं
जानते पर मैं आपको जानती भी हूँ और आपको दे खा भी है और मैं आपको पहली नजर में पसींद करती हूँ…”

मैं बोला- “हम आपका स्वागत करते हैं और र्ोन करने के सलए धन्यवाद मैडम। सोनी ने मझ
ु े बताया था आपके
बारे में । बोसलए मैं क्या कर सकता हूँ आपके सलए मैडम?”

वप्रया- वास्तव में मझ


ु े आपका ब्यटी पालचर बहुत ही अच्छा लगता है ।

मैं- धन्यबाद मैडम।

वप्रया- “राज… मैडम नहीीं प्लीज… मझ


ु े वप्रया कहो। मैडम अच्छा नहीीं लगता, कालेज की लड़ककयाीं बोल लेती हैं
बस वोही कार्ी है आप नहीीं बोसलए प्लीज…”

मैं हूँसते हुए- “ओके वप्रया…”

वप्रया- “मैं आपके पालचर में आना र्ाहती हूँ, पर आपका पालचर इतना शानदार है और कर्र कीमती भी है । मैं
आपके शल्
ु क को अर्ोडच नहीीं कर सकती। एक ढ़दन मैंने सोनी को आपके पालचर से उतरते दे खा था अजीब समय
पर। शायद वो क्लास बींक करके गई थी…”

मैं- “हमम… अच्छा मझ


ु े नहीीं पता की बींक ककया था की नहीीं?”

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वप्रया- मझ
ु े लगा की वो शायद आपको जानती है, इसीसलए उससे पछा तो उसने बताया की उनकी र्ेसमली आपके
पालचर की गोल्ड सदस्य है तो बस मैं अपना शौक छुपा ना सकी और आपसे मासलश की ररक्वेस्ट कर ली…”

मैं- “कोई बात नहीीं वप्रया। आप जब बोलोगी मैं आपके सलये तैयार हूँ। अगर आप यहाीं आना र्ाहें तो भी कोई
बात नहीीं। यहाीं मेरे पास काम करने वाली मालीसशया लड़ककयाीं आपकी मालीश, र्ेसशयल और सब कुछ कर
सकती हैं, और मैं तो बस मासलश ही कर सकता हूँ। अगर आपको मासलश से हटकर कोई और सवु वधा का
उपभोग करना हो तो आपको हमारे पालचर पर आना ही पड़ेगा। हाूँ अगर ससर्च मासलश ही करवाना हो तो कर्र
कोई बात नहीीं। मैं हमेशा आप के सलए उपलब्ध हूँ। क्योंकी सोनी की र्ेसमली गोल्ड सदस्य है और हम उनकी
ससर्ाररश पर उनके ककसी भी दोस्त या सींबध
ीं ी को वो सब सवु वधायें दे ते हैं जो हम गोल्ड सदस्य को दे ते हैं…”

वप्रया- “यह तो बहुत अच्छी बात है । अगर आप बरु ा न मानें तो क्या आप मेरे घर पर आ सकते हैं। मैं अभी भी
सींकोर् महसस कर रही हूँ। हो सकता है की कर्र कभी मैं आपके पालचर में आऊूँ, लेककन इस समय अगर आप
ही मेरे घर आ जाए तो बड़ी मेहरबानी होगी आपकी…”

मैं- “अरे इसमें मेहरबानी की क्या बात है, जैसा की मैंने बोला कक गोल्ड सदस्य की सारी सवु वधायें आप उपभोग
कर सकती हैं। आप जब बोलोगी मैं आ जाऊूँगा। आपको कौन सा समय ठीक है मझ
ु े बता दीम्जए तो मैं उसी
समय पर आ जाऊूँगा…”

वप्रया- “पर मैंने सोनी से बोला था की वो आपको ले आए। मझ


ु े उसके सामने भी शमच आएगी तो क्या करें इस
का समाधान? मैं नहीीं र्ाहती की सोनी या अनी यहाीं रहे जब आप मासलश करे तो, क्योंकी मझ
ु े पता है की
मासलश के समय पर बदन पर कम ही कपड़े होते हैं, और मझ
ु े अपने स्टडेंट के सामने ऐसी अवस्था में शमच
आएगी…”

मैं- ठीक है वप्रया उसकी आप कर्कर ना करें । मैं उसकी व्यवस्था कर दूँ गा।

वप्रया- “धन्यबाद राज… या एक काम कर सकते हैं राज की ककसी ढ़दन आपको सोनी मेरे घर ले आएगी आप उस
ढ़दन मेरे साथ लींर् या डडनर कर लेना और उस ढ़दन कोई मासलश नहीीं, केवल मल
ु ाकात। कर्र बाद में मैं समय
सेट कर लूँ गी तब आप आ जाइएगा…”

मैं- “ठीक है, ऐसा भी कर सकते हैं। लेककन आप लींर् या डडनर का क्ट ना करें , वो हम कर्र बाद में कभी कर
लेते हैं। कालेज खतम होने के बाद सोनी मझ
ु े आपके घर ले आएगी। हम र्ाय-कार्ी वगैरा पी लेंगे। कर्र आप
से समलकर र्ले जायेंगे। उसके बाद आपको जो भी समय ठीक लगे मझ
ु े काल करके बता दीम्जएगा…”

वप्रया- “हाूँ ठीक है … हम डडनर ककसी और समय साथ ले लेंगे। अगले सप्ताह मेरे पतत 3 महीने के सलए कींपनी
के काम से मलेसशया जा रहे हैं। उसके बाद कर्र हम प्रोग्राम सेट कर लेते हैं। लेककन मेरे पतत कल रात की ट्रे न
से दे ल्ही से वापस आ रहे हैं। हमारे पास कल की शाम है । मैं कल सोनी से बोलग
ीं ी की वो आपको यहाीं लेकर
आए। वैसे भी कल शनीवार है , कालेज आधा ढ़दन होता है …”

मैं- ठीक है वप्रया ऐसे ही करते हैं।

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वप्रया- मैं बहुत शसमिंदा हूँ राज की आपको तकलीर् दे रही हूँ।

मैं- “अरे वप्रया इसमें खेद की क्या बात यार?” मैं बे-खयाली में वप्रया को यार बोल गया था म्जसे वप्रया ने नोट
ककया या नहीीं पता नहीीं- “हमारे गोल्ड सदस्य की सेवा करना तो हमारा बब़नेस का पहला उसल है । तम
ु गर्ींता
मत करो और ससर्च आराम करो। हम कल समलते हैं…”

वप्रया- ओके राज धन्यबाद।

मैं- “खुशी मेरी है…” और र्ोन बींद हो गया।

मझ
ु े वप्रया से बात शरू
ु करते ही पता र्ल गया था की वो एक गरम और सेक्सी औरत है और बबना ककसी
प्रततरोध की र्द
ु वा लेगी।

दसरे ढ़दन कालेज खतम होने के बाद अनी और सोनी दोनों समलकर मेरे पास पालचर में आए। कर्र हम तीनों
पैदल वप्रया के घर की तरर् र्ल ढ़दए। तनकलने से पहले सोनी ने वप्रया को र्ोन करके बता ढ़दया था की हम
लोग पहुूँर्ने ही वाले हैं। इस समय शाम के 4:00 बज रहे थे। वप्रया का घर पालचर के पीछे की ब्लाक में था।
मम्ु श्कल से 5–7 समनट का र्लना। सोनी ने बेल ढ़दया तो वप्रया ने दरवाजा खोला।

मैं वप्रया को दे खकर पलक झपकाना ही भल गया और एकटक वप्रया की खबसरती को दे खने लगा। वप्रया एक
बहुत ही खबसरत औरत थी। उमर शायद 25 या 26 साल होगी। एकदम से जवान, बेइींतह े ा गोरी, धप में आने
से गाल कश्मीरी सेब जैसे लाल हो गये थे। हल्के गल ु ाबी रीं ग की साड़ी पहने हुए गले में गोल्डेन र्ैन और उसमें
एक र्मकते पत्थर का पें डट
ें , कान में बड़े लींबे झुमके की भाींतत का कुछ था। एक हाथ में सोने का कड़ा और
दसरे हाथ में सन
ु हरी कलाई घड़ी, होंठ बबना सलपम्स्टक के लाल थे और एकदम से कामक
ु , जी कर रहा था की
इनको अभी र्स-र्सकर होंठों का सारा रस पी जाऊूँ। बड़ी-बड़ी हल्के भरे रीं ग की नशीली आूँखें, मस्त और कड़क
र्र्े जो हल्के गल
ु ाबी रीं ग के ब्लाउ़ में से झलक रहे थे।

मैं वप्रया की खबसरती में गम


ु हो गया था तो अनी ने पीछे से मेरी गाण्ड में र्ुटकी काटी तो मैं धीरे से उछल
पड़ा और अपने होश में वापस आ गया।

वप्रया मश्ु कुराकर बोल रही थी- “स्वागत है , प्लीज अींदर आ जाइए…”

हम तीनों वप्रया के घर में अींदर आ गये। घर छोटा सा ही था पर बहुत खबसरती से सजाया हुआ था और
एकदम से सार्-सथ ु रा। मैं घर की तारीर् ककए बबना नहीीं रह सका।

वप्रया ने अपनी पलकें झक


ु ा कर धन्यबाद बोला और बोली- “यह तो बस ऐसे ही है, शायद अनी और सोनी को
यह घर बहुत छोटा लगे, क्योंकी यह लोग बड़ी-बड़ी हवेसलयों में रहने की आदी हैं…”

तब दोनों एक साथ बोली- “अरे नहीीं मैम, यह आप क्या कह रही हैं? म्जस घर में प्यार हो मोहब्बत हो, र्ाहे वो
घर ककतना ही छोटा क्यों ना हो बड़ी-बड़ी हवेसलयों से अच्छा होता है, और आप तो इतनी अच्छी मैम हैं हमारी।
आ के घर में म्जतनी प्यार और मोहब्बत है , शायद उतनी प्यार और मोहब्बत तो हमारे घर में भी नहीीं होगी।
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वप्रया यह सन
ु कर मश्ु कुरा दी और धन्यबाद बोली।

हम सब वहाीं ड्राइींग रूम के सोर्े पर बैठे रहे । थोड़ी दे र तक वप्रया और हम सब इधर-उधर की बातें करते रहे ।
कर्र वप्रया उठकर ककर्न में र्ली गई तो सोनी उनके साथ हे ल्प करने र्ली गई।

अनी मेरे साथ बैठी रही और पछी- “राज कैसी लगी हमारी मैडम?”

मैंने बोला- “एकदम से अद्ववतीय, बहुत ही प्यारी और सद


ुीं र हैं तम
ु हारी मैडम…”

अनी हूँसकर बोली- “हाूँ वो तो मझ


ु े वहीीं दरवाजा में खड़े-खड़े ही मालम हो गया था की तम
ु मैडम को साड़ी के
साथ नहीीं बबना साड़ी के दे ख रहे हो और शायद तम
ु हारा लण्ड भी मैडम की र्त की महक सघ
ीं कर खड़ा हो गया
होगा…”

मैंने उसके कींधे पर हाथ से मारा और बोला- “तम


ु बड़ी शैतान हो अनी…”

अनी मश्ु कुराकर बोली- “मझ


ु े पता है की तम
ु मैडम को जल्दी ही र्ोदने वाले हो। जब र्ोद लेना तो मझ
ु े भी बता
दे ना…”

मैं हूँसकर बोला- “ठीक है बाबा, बता दूँ गा…”

इतने में वप्रया और सोनी कार्ी और बबम्स्कट, केक और समोसे वगैरह लेकर आ गये। हम सबने साथ में नाश्ता
पानी ककया।

सोनी ने पछा- “मैम मासलश कब करवाना है?

वप्रया बोली- “अभी नहीीं सोनी। शायद अगलर हफ्ते। आज तो तम


ु लोगों को कार्ी पर बल
ु ाया था और अब राज
ने भी घर दे ख सलया है तो कोई ढ़दक्कत नहीीं होगी। मैं तम
ु को बता दूँ गी की मैं कब फ्री हूँ कर्र उसके बाद कोई
समय कर्क्स कर लेते हैं…”

सोनी बोली- “कोई बात नहीीं मैमम जब भी आपको ठीक लगे, राज को केवल एक र्ोन करें …”

मैं बोला- “कोई बात नहीीं आप जब बोलोगी या तो मैं खुद आ जाऊूँगा या मेरी कोई मालीसशया लड़की को भेज
दूँ गा। वो आपका मैतनक्योर, पेडीक्योरे और मासलश सब कर दे गी…”

अनी ने पछा- “तम


ु नहीीं करोगे क्या?”

मैं बोला- “अरे बाबा मैं अकेले कैसे करूूँगा? ककसी लड़की को भेज दूँ गा या मैं भी उसके साथ आ जाऊूँगा
सप
ु रवाइज करने की सलए…”

87
वप्रया ने बोला- “की ठीक है राज। आप जैसा ठीक समझो वैसा ही करो…”

कर्र हम थोड़ी दे र इधर-उधर की बातें करते रहे । वप्रया ने बताया की उसकी शादी अभी 5 महीने पहले ही हुई है
और उसके पतत का यहाीं ट्रान्स्र्र हुआ तो वो लोग यहाीं आ गये। पतत ककसी कींपनी में माकेढ़टींग में है इसीसलए
टर पर ज़्जयादा रहते हैं, और वप्रया घर में अकेली बोर ना हो इसीसलए वोह कक्रस्टल कालेज में जतनयर लेक्र्रर के
रूप में आ गई है । वो एम॰एससी॰ बी॰एड॰ थी इसीसलए जाब भी जल्दी ही समल गई। और इत्तेर्ाक से कालेज की
बायलोजी की पहले वाली मैडम के पतत की बदली ककसी दसरे शहर में हो गई थी, तो उन्होंने ररजाइन कर ढ़दया
और र्ली गई। वप्रया को जाब समलने में कोई ढ़दक्कत नहीीं हुई। वो बहुत अच्छे नेर्र की थी और उसकी
योलयता दे खकर जाब आर्र समल गई। क्लास की सारी लड़ककयाीं वप्रया को बहुत र्ाहती हैं और इज़्ज़त भी करती
हैं। वप्रया अपने कालेज में और ववशेष रूप से क्लास में कार्ी पापल
ु र भी है ।

वप्रया से बातें करते-करते दो घींटे ककधर र्ले गये पता ही नहीीं र्ला। हमने वप्रया को कार्ी के सलए धन्यबाद
बोला और वापस पालचर आ गये।

अनी और सोनी भी ऊपर आ गईं। पर दे खा की अभी वहाीं गेस्ट्स और सदस्य और पालचर की लड़ककयाीं हैं तो हम
कुछ कर तो नहीीं सके, बस मौका दे खकर ककस कर सलए और दोनों के र्र्ों को दबा ढ़दया और दोनों ने मेरे
लण्ड को भी पकड़कर मसल ढ़दया। मड तो परा आ गया था पर कर कुछ नहीीं सकते थे, इसीसलए वो दोनों थोड़ी
दे र के बाद अपने-अपने घर को र्ले गये।

मैं रात के 9:00 बजे घर पहुूँर्ा। अभी कपड़े र्ें ज कर ही रहा था की वप्रया का र्ोन आया, और वप्रया धन्यबाद
राज बोली।

मैं बोला- “अरे यार इसमें धन्यबाद की क्या बात है?”

वप्रया बोली- “राज तमु वास्तव में बहुत प्यारे हो। तम


ु सर् में बहुत ही अच्छे इींसान हो। मैं दरवाजे में ही खड़ी
थी जब तम ु यहाीं से वापस अपने घर जा रहे थे…”

मैं बोला- “सोरी यार मैंने तम


ु को दे खा नहीीं…”

वप्रया बोली- “कोई बात नहीीं। खाना खा सलया क्या तम


ु ने?”

मैं बोला- “अरे नहीीं अभी-अभी तो घर आया हूँ। अभी र्ें ज करूूँगा, शावर लूँ गा कर्र खाना खाऊूँगा…”

वप्रया ने पछा- “तम


ु ने बोला की तम
ु अपने पालचर की मालीसशया लड़ककयों को मेरे पास भेजोगे, क्या यह सर् है ?
तम
ु नहीीं आओगे क्या?”

मैं बोला- “अरे ऐसी बात नहीीं है वप्रया, मैं अनी और सोनी के सामने तो नहीीं बोल सकता था ना की मैं ही
आकर मासलश करूूँगा…”

वप्रया हूँस दी और बोली- “ओह्ह… धन्यबाद राज। मैं तो सर् समझी थी इसीसलए थोड़ी उदास हो गई थी…”
88
मैं बोला- “वप्रया तम
ु कर्कर ना करो, मैं ही तम
ु हारी सेवा करूूँगा और जब तक तम
ु कहोगी करता ही रहूँगा और
जब जब तम
ु सेवा की सलए बल
ु ाओगी मैं तम
ु हारे पास अऊूँगा…”

तब वप्रया एकदम से खुश हो गई और बोली- “धन्यबाद राज य आर सो स्वीट। मैं तम


ु से ही मासलश करवाना
पसींद करूूँगी…” और वो बात करते-करते इतनी उत्तेम्जत हो गई की र्ोन पर ही मझ
ु े ककस करने लगी और शायद
खद
ु ही शमाच गई और र्ोन काट ढ़दया।

मैं भी शावर लेकर खाना खाया और टीवी दे खने लगा। थोड़ी ही दे र में वप्रया का कर्र से र्ोन आया की उसके
पतत की ट्रे न लेट हो गई है, अभी और दो घींटे के बाद आएगी। कर्र मझ
ु से पछा की तम
ु मझ
ु से बात करके बोर
तो नहीीं हो रहे हो?”

मैं बोला- “इतनी सरु ीली और मीठी आवाज सन


ु ने से कोई बोर भी होता है…”

वप्रया हूँसने लगी और बोली- “तम


ु हारा तरीका ही सबसे अलग है । तम
ु से बात करने को मन करता है…”

मैं बोला- “आप का स्वागत है वप्रया… यढ़द आप र्ाहती हैं तो ककसी भी समय मझ
ु से बात कर सकती हैं। तम
ु को
जब भी र्ोन करना हो करो, मझ
ु े कोई आपवत्त नहीीं होगी…”

अब वप्रया भी धीरे -धीरे र्ोन पर कुछ खल


ु ने लगी थी। अपने और अपने पतत की ररलेशन्स के बारे में बताया,
अपने घर वालों के बारे में बताया, अपने कालेज के और अपने फ्रेंड्स के बारे में बताया। और जब कालेज की
स्टडेंट्स के बारे में बताया तो मैं दीं ग रह गया। उसने बोला की राज तम
ु को पता है लगभग 75 से 80 प्रततशत
कालेज की लड़ककयाीं कींु वारी नहीीं हैं, वे पहले ही इसे खो र्क
ु ी हैं। कुछ ने अपने फ्रेंड्स से, कुछ ने अपने लेक्र्रर
से, कुछ ने पड़ोससयों से, अरे और तो और कुछ ने तो अपने सगे भाई से करवा कर कींु वारापन खतम ककया है।

वप्रया यह वाक्य बबना सोर्े समझे बोल गई तो मैंने पछा- “क्या करवाकर वम्जचतनटी खतम की है?”

तब वप्रया कुछ दे र की सलए खामोश हो गई, और इतनी खामोश हो गई की मझ


ु े पछना पड़ा की क्या आप वहाूँ
हो वप्रया?

तब कही जाकर उसने बोला- “हाूँ राज मैं यहाीं हूँ…” कर्र उसने बोला- “सोरी राज पता नहीीं मैं कैसी-कैसी बातें
करने लगी…”

मैं बोला- “मझ


ु े बहुत अच्छा लगा। वप्रया तम
ु हारे ऐसे बातें करने से ऐसा लगता है जैसे कोई अपना हो और तम ु
तो बहुत ही अच्छी नेर्र की हो और जब तम ु बात करती हो तो बस मेरा ढ़दल करता है की तम ु बोलती रहो
और मैं सन
ु ता रहूँ…”

वप्रया ने बोला- “धन्यबाद राज…”

89
बात करते-करते वो इतनी खुल र्ुकी थी की अपने और अपने पतत के सींबध
ीं ों के बारे में भी सब कुछ बता ढ़दया।
उसने बताया की वो अपने पतत से सींत्ु ट नहीीं है । पहले तो वो सारे ढ़दन की दौड़-धप की बाद जब घर आते हैं
तो अच्छे खासे थक जाते हैं। खाना खाया और सोने की तैयारी। जैसे ही बेड पर लेटे बस उसी दम से खराचटे
मारने लगते हैं, और अगर कभी कुछ मड हुआ तो उनका खड़ा होना भी कोई इतना खास जोरदार नहीीं होता और
बस ऐसा लगता है की अींदर गये झड़े और बाहर तनकाला, बबल्कुल ऐसे जैसे अपनी ड्यटी परी करके सो गये,
और मैं सारी रात तड़पती रहती हूँ। कभी-कभी तो मन करता है की घर से भाग जाऊूँ।

मैं बोला- “अरे यार ऐसी गलती कभी नहीीं करना। यह दतु नयाीं बहुत ही खराब है, और कर्र तम
ु हारे जैसी खबसरत,
शरीर् और मासम लड़की ककसी गलत आदमी के र्ींगल ु में र्ूँस गई तो समझो की वो तम ु को कोठे की सैर ही
करा दें ग,े और कर्र वहाीं से तम
ु म़्ींदगी भर र्ाहो तो भी नहीीं तनकल सकती…”

यह सन
ु कर वो डर गई और बोली- …”अरे बाप रे … नहीीं बाबा मैं तो अब कभी ख्वाब में भी ऐसा नहीीं सोर्ूँ गी।
कर्र बोली की एक समनट ककसी का र्ोन आ रहा है , और मझ
ु े होल्ड पर रखकर दसरी तरर् बात परी करके
मझ
ु े बोली- “र्लो राज ठीक है । रवव आ गया है और वो बस पहुूँर्ने ही वाला है…”

कर्र हमने एक दसरे को खब ककस ककए।

वप्रया बोली- “की राज र्ोन रखने को जी नहीीं कर रहा, पर क्या करूूँ?”

मैं बोला- “कोई बात नहीीं वप्रया जो काम जरूरी है वो करो। अभी तो तम
ु अपने पतत का इींतज
े ार करो, हम कर्र
बात करें गे बाद में…” और कर्र ककस के साथ र्ोन बींद हो गया।

मैं रातों में जब भी दीपा या रूपा के साथ होता तो अपना र्ोन ही बींद कर दे ता था। वप्रया से इसी तरह से लेट
नाइट इसी तरह से एकदम से खुलकर बात र्लती रही। वो अपने पतत के सो जाने की बाद दे र रात तक बात
करती रहती थी। 4–5 ढ़दन तक यह प्यार भरी बातों का ससलससला र्लता रहा। और कर्र वो ढ़दन भी आ गया
जब उसका पतत शाम की उड़ान से मलेसशया जाने वाला था। इधर उसका पतत बाहर गया, उधर वप्रया का र्ोन
आया की अब वो फ्री है और उसका पतत इींडडया से बाहर जा र्ुका है , तम
ु प्लीज जल्दी से आ जाओ। मैं बस
एक घींटे के अींदर घर पहुूँर्ने वाली हूँ।

मैंने समय दे खा तो शाम के 5:00 बज रहे थे और वप्रया शाम के 6:00 बजे तक घर पहुूँर्ने वाली थी। मेरे पास
एक घींटा था। वास्तव में मैं आज म्जम पर ही था। यहाीं से वप्रया का घर मम्ु श्कल से बाइक से दो समनट दर था।
वप्रया इतनी खुश हो रही थी, क्योंकी आज उसको उसकी मन पसींद मासलश समलने वाली है , म्जसके सलए वो पता
नहीीं कब से तड़प रही थी। उसने रास्ते से शायद 10 बार र्ोन कर ढ़दया की अभी वो उस क्राससींग पर है, और
अब वो वहाीं है । इसी तरह से घर पहुूँर्ने तक उसकी कमें टरी र्लती रही।

कर्र अभी घर पहुूँर्ने वाली ही थी की उसने बोला- “राज प्लीज… जल्दी से आ जाओ, मैं घर आ गई हूँ बस, यह
ताला खोल रही हूँ, यह अींदर आ गई प्लीज जल्दी करो…”

मैं बोला- “ठीक है । मैं बस 10 समनट में आ रहा हूँ…”

90
वप्रया बोली- “ठीक है । मैं भी तब तक शावर ले लेती हूँ, लेककन तम
ु म्जतनी जल्दी हो सके आ जाओ। मैंने
दरवाजा खल
ु ा ही रखा है, तम
ु सीधा अींदर आ जाओ। अगर बाइ र्ान्स मैं बाथरूम में भी रही तो तम
ु अींदर आ
जाना…”

मैं ओके बोला और उसके पास जाने की तैयारी करने लगा। अपने ककट में अलग-अलग सग
ु न्ध का तेल रखा,
नीर्े बबछाने का रे गजीन रखा और बाइक लेकर उसके घर की ओर र्ल पड़ा। मैंने हैंडल र्ेक ककया तो दरवाजा
खल
ु ा पाया और मैं अींदर र्ला आया।

दे खा तो उधर वप्रया बाथरूम से शावर लेकर लाल र्लों से सश


ु ोसभत नाइटी पहने मक
ु ु राते हुए मेरा स्वागत कर
रही थी। वो मझु े दे खकर इतनी उत्तेम्जत हो गई की लगभग भागकर मेरे पास आ गई और शायद मझ ु से सलपट
भी जाती की उसी समय उसका र्ोन बजा। दसरी तरर् से उसका पतत बोल रहा था की वो हवाई जहाज की
तरर् जा रहा है और अब उसका र्ोन बींद होने वाला है , और उसको 3 महीने तक अपना खयाल रखने को बोला
और कर्र शायद उसने र्ोन पर ककस भी सलया, म्जसका जवाबी ककस वप्रया ने भी ढ़दया और र्ोन कट ककया,
और उसको म्स्वर्-आर् करके एक तरर् डाल ढ़दया।

अब वप्रया मझ
ु से बोली- “राज मैं बहुत खुश हूँ की तम
ु मेरे पास आए हो। तम
ु हें पता है राज की मेरे सलए यह
एक सपने की तरह है…” कर्र उसने पछा- र्ाय वपयोगे?

मैं बोला- “नहीीं अभी थोड़ी ही दे र पहले र्ाय पी है…”

वप्रया ककर्न में र्ली गई और दो ललास कोल्ड डड्रींक्स की ले आई, म्जसे हम दोनों ने सोर्े पर बैठकर वपया।

मैं- क्या तम
ु तैयार हो वप्रया?

वप्रया बोली- “राज मैं तो कब की तैयार हूँ। र्लो कैसे करना है बताओ। कुछ र्ाढ़हए क्या तम
ु को?”

मैं बोला- “नहीीं मेरे पास सब कुछ है मेरे ककट में…” उसका कोई फ्लैट जैसा घर नहीीं था, बल्की अकेला और
सबसे अलग-थलग घर था, जहाीं परा एकाींत था।

वप्रया ने पछा- “कौन सी जगह उपयक्


ु त है मासलश के सलए…”

मैं तो आलरे डी घर दे ख ही र्ुका था पहले से, तो मैंने बताया- “बेडरूम से लगा हुआ जो गेस्टरूम है वो ठीक
रहे गा…”

वप्रया ओके बोली और हम दोनों गेस्टरूम की तरर् र्ले गये। मैंने दे खा की रूम में एक ससींगल बेड पड़ा हुआ था
और बाकी की जगह परी खाली थी। मैं बोला- “एक र्ादर नीर्े बबछा दो कर्र मैं उस पर यह रे लजीन बबछा
दूँ गा…”

वप्रया बोली- “एक ससींगल मैट्रेस भी है, तम


ु बोलो तो वो लगा दीं ?”

91
मैं बोला- “ठीक है उसपे मैं यह रे लजीन बबछा दूँ गा, ताकी मैट्रेस तेल से खराब ना हो…”

वप्रया ने ससींगल मैट्रेस बेड से नीर्े डाल दी और उसपे र्ादर बबछा दी। र्ादर के ऊपर मैं अपना रे लजीन का कवर
बबछा ढ़दया।

यह एक ववशेष रे लजीन का पीस था बबल्कुल ऐसा नहीीं लगता था की कोई रब्बर की या प्लाम्स्टक की र्ीज नीर्े
बबछी हुई है , बल्की ऐसा लगता था जैसे काटन की कोई बेडशीट हो, बहुत ही अच्छी क्वासलटी की थी। वैसे भी मैं
अपने म्जम में हाई क्वासलटी की ही र्ीजें प्रयोग करता हूँ। मैंने वप्रया को लेटने का इशारा ककया तो वो नाइटी की
साथ ही लेट गई।

मैं हूँसने लगा, और पछा- “ऐसे ही कपड़ों के ऊपर से कारवाओगी क्या मालीश?”

वप्रया भी हूँसने लगी, कर्र पछा- “तो कर्र क्या करूीं?”

मैं बोला- “अगर अपने कपड़े, ब्रा और पैंटी खराब ना करवाना हो तो बथच-डे सट में आ जाओ…” मैं बरमडा और
टी-शटच में था।

इतना सन
ु ना था की वप्रया का र्ेहरा शमच से टमाटर जैसा लाल हो गया।

मैं बोला- “घबराओ नहीीं… शरू


ु -शरू
ु में सबके साथ ऐसा ही होता है , और कर्र एक बार मासलश करवा लोगी तो
कर्र ऐसे नहीीं शमाचओगी…” कहकर मैंने उसको अपने ककट में से एक बारीक कपड़ा ढ़दया और बोला- “तम
ु यह
ओिकर लेट जाओ। अरे यार मेरे से कैसी शमच? र्लो कम आन और तैयार हो जाओ और र्लो शरू
ु करें …” मैंने
उसके जाींघ पर धीरे से मारते हुए कहा।

वप्रया शमाचत-े शमाचते आखखरकार, नींगी हो ही गई और मैट्रेस पर बैठ गई। उसकी तनगाहों से अभी भी शमच टपक
रही थी। मैंने उसको लेट जाने का इशारा ककया और उसने मेरे हाथ से ओिने के सलए कपड़ा लेना र्ाहा।

तब मैं बोला- “अरे यार जब नींगी हो ही गई हो मेरे सामने तो कर्र अब कपड़े का क्या काम?”

वप्रया हूँसने लगी और बोली- “बहुत शैतान हो तम


ु …”

मैं मश्ु कुरा ढ़दया और बोला- “वप्रया तम


ु बहुत ही खबसरत हो। तम
ु हारा पतत बहुत ही खुशककस्मत है की तम
ु जैसी
खबसरत पत्नी समली है उसको…”

अपनी खबसरती की तारीर् सन


ु कर उसका र्ेहरा कुछ और लाल हो गया और वो धन्यबाद राज बोली। मैंने वप्रया
को लेट जाने को बोला तो वो पीठ की बल लेट गई और अपने हाथों से अपनी र्त को छुपाने लगी।

उसकी र्त बहुत ही मस्त थी और एकदम से गर्कनी और छोटी सी, म्जसकी पींखडु ड़याीं एक दसरे से समली हुई
थीीं। उसकी र्त दे खते ही मैं समझ गया इसकी र्त को ज़्जयादा इश्तेमाल नहीीं ककया गया है , बल्की लगभग
अनछुई ही है । और मेरे ढ़दल में ऐसी मस्त गर्कनी कोरी र्त को दे खकर लड्ड र्टने लगे।
92
मैं वप्रया से बोला- “मासलश पहले पीठ पर की जाती है, अगर तम
ु र्ाहो तो मैं सामने से भी शरू
ु कर सकता हूँ…”

इतना सन
ु ना था की वो र्ौरन ही पलट गई और पेट की बल लेट गई। उसके र्तड़ आह्ह… क्या बताऊूँ दोस्तों,
एकदम से गर्कने मखमली और मस्त कड़क-कड़क थे, म्जसके बीर् में गल
ु ाबी गाण्ड का छे द छुपा हुआ था। मैंने
उसकी पीठ पर और कींधों पर तेल की धार डाला और तेल की लकीर उसकी रीि से लेकर उसकी गाण्ड और
र्तड़ों तक डाल ढ़दया। यहाीं खड़े होने की जगह तो थी नहीीं, मैं उसके दोनों पैरों की बीर् घट
ु नों के बल बैठ गया।
बैठने से पहले अपना टी-शटच तनकाल ढ़दया था, बरमडा नहीीं तनकाला था।

मैं वप्रया के बदन पर झक


ु कर जैसे ही उसके बदन पर हाथ लगाया, तो वप्रया के मूँह
ु से ‘सस्स्स्स्स…’ की
सससकारी तनकल गई।

मैंने पछा- क्या हुआ?

वप्रया बोली- “कुछ नहीीं राज… बहुत ही अच्छा लगा इसीसलए ऐसी आवाज तनकल गई…”

मैं उसके पैरों के बीर् बैठा धीरे -धीरे उसके दोनों कींधों की अपने दोनों हाथों से मासलश करना शरू
ु कर ढ़दया।
उसके दोनों हाथ उसकी ठोड़ी के नीर्े मोड़कर रखे थे। मूँह
ु थोड़ा सा ऊपर को उठा हुआ था। उसका बदन ककसी
कमान की तरह से था। रीि थोड़ी सी नीर्े और र्तड़ उठे हुए।

मैं बरमडा में कुछ असवु वधा महसस कर रहा था म्जसे वप्रया ने महसस कर सलया और पछा- “क्या हुआ राज,
क्या आप आराम से हैं?”

मैंने बोला- “अरे यार यह साला बरमड तींग कर रहा है, मझ


ु े सही पोजीशन नहीीं समल रही है ।

वप्रया बोली- “कर्र तनकाल दो ना उसको…”

मैंने पछा- “क्या यह आप के सलए ठीक होगा वप्रया?”

वप्रया बोली- “अरे यार मैं परी तरह आराम से हूँ, र्लो तनकल दो ना… नहीीं तो यह तेल से खराब भी तो हो
जाएगा…”

मैं बोला- “मैं खुश हो जाऊूँगा यढ़द आप अपने नाजुक हाथों से यह तनकाल दें गी तो…” और उसकी टाूँगों के बीर्
से उठ खड़ा हुआ तो वो भी मैट्रेस से उठ खड़ी हो गई। मैं उसके सामने खड़ा था। उसके दोनों मस्त र्र्े म्जसपर
गल
ु ाबी रीं ग के अरोला के साथ गल
ु ाबी रीं ग के तनपल्स भी थे, मेरे सामने आ गये।

मैं कर्र से बोला- “वप्रया तम


ु बहुत ही खबसरत हो और तम
ु हारा बदन भी बहुत ही शानदार है…”

तो वप्रया शमाच गई।

93
मैंने ऐसे ही पछा- “क्या मैं तम
ु हें र्म सकता हूँ?”

वप्रया ने मझ
ु े कसकर पकड़ सलया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर ककस करने लगी और तरु ीं त यह फ्रेंर्-ककस
हो गई और हम एक दसरे की जुबान को दीवानों की तरह से ऐसे र्सने लगे जैसे इसी ढ़दन के इींतज
े ार में थे।

मैं बोला- “वप्रया मेरे हाथों में तो तेल लगा हुआ है…”

वप्रया बोली- “तो क्या हुआ?”

मैं बोला- “मझ


ु े तम
ु हारे र्र्ों को दबाना है, पर सब तेल लग जाएगा…”

वप्रया बोली- “अरे अब नहीीं लगा तो थोड़ी दे र में तो लगना ही है ना… तो कर्र दे र ककस बात की अभी लगा
लो…”

मैं बोला- “अभी तो ककस कर लेता हूँ…” और झक


ु कर उसके र्र्ों पर ककस ककया और थोड़ा सा उसके र्र्ों को
र्सा तो वो एकदम से गरम हो गई। मैंने सोर्ा की अगर ऐसे ही पोजीशन रही तो मासलश बाद में होगी और
र्ुदाई पहले। लेककन मैं तो मासलश के साथ र्द
ु ाई करने का मड बना र्ुका था। इसीसलए र्र्ों को र्सने के बाद
बोला- “ओके अब बरमडा तनकालो, मेरे तेल के हाथ हैं…”

वप्रया घट
ु नों की बल मैट्रेस पर बैठ गई और बरमडा की बटन खोलने लगी। मेरा लण्ड तो बरमडा के अींदर बहुत
ही जोर से अकड़ गया था। कर्र उसने म्जप खोली और दोनों हाथ बगल में डालकर जैसे ही नीर्े खीींर्ा, तो मेरा
9” इींर् का लींबा मोटा मसल लण्ड झटका खाकर उसके मूँह
ु के सामने लहराने लगा। वो मेरे लण्ड को ऐसे दे खने
लगी जैसे कभी लण्ड ही ना दे खा हो। मेरी र्ड्डी तो नीर्े गगर गई थी और मैं अब वप्रया के सामने नींगा खड़ा
था। वो मेरे लण्ड को है रानी से दे ख रही थी।

मैंने पछा- “अरे यार, तम


ु तो ऐसे दे ख रही हो जैसे पहले कभी लण्ड दे खा ही ना हो…”

वप्रया बोली- “हाूँ राज दे खा है , पर ऐसा शानदार नहीीं दे खा…”

मैंने बोला- “र्लो आज तो दे ख सलया…”

वप्रया बोली- “यह तो बहुत ही प्यारा है राज…”

मैं बोला- “ओके। अगर तम


ु को यह इतना प्यारा है तो कर्र इसे प्यार ही कर लो ना…”

बस इतना बोलने की दे री थी की उसने मेरा लण्ड अपने नाजक


ु मल
ु ायम हाथों में पकड़ सलया और पहले तो दबा
ढ़दया और कर्र उसके सप
ु ाड़े को र्मने लगी। मैं उसके ससर पर हाथ र्ेरने लगा और जैसे ही उसका मूँह
ु थोड़ा
सा खुला अपने लण्ड को उसके मूँह
ु के अींदर घस
ु ेड़ ढ़दया। वो इसक सलए तैयार नहीीं थी और मेरा झटका भी कुछ
इतना तेज था की एक ही झटके में मेरा लण्ड उसके गले तक र्ला गया। उसने लण्ड र्सते-र्सते मेरी तरर्
ऊपर दे खा। एक दो समनट उसने लण्ड र्सा।
94
कर्र मैं बोला- “र्लो वप्रया लेट जाओ…”

वप्रया बोली- “राज, प्लीज थोड़ी दे र और ना…”

मैं बोला- “अरे यार क्यों कर्कर करती हो? इसका र्ान्स भी समलेगा तम
ु हें । पहले मासलश कर दे ता हूँ मेरे हाथों में
तेल लगा हुआ है…”

वप्रया वापस मैट्रेस पर उल्टा लेट गई। मैं अपने खड़े लण्ड से उसकी टाूँगों के बीर् बैठ गया और कर्र से मासलश
करना शरू
ु कर ढ़दया। मेरे पैर उसके दोनों पैरों की बीर् में थे और मैं झक
ु कर मासलश कर रहा था तो मेरा
लण्ड उसके र्तड़ों से लग रहा था और जैसे ही लण्ड र्तड़ से लगता, वो अपनी गाण्ड थोड़ा सा ऊपर उठा दे ती।
कींधे की और कमर की मासलश करने के बाद मैं उसके र्तड़ों को दोनों हाथों से मसलने लगा। उसकी कसी
गल
ु ाबी गाण्ड बहुत ही मस्त ढ़दख रही थी।

जैसा की मैं हर लड़की और औरत के साथ करता हूँ, वैसे ही वप्रया के र्तड़ों पर तेल डालते-डालते एक हाथ से
उसके र्तड़ों को नीर्े से ऐसे ऊपर उठाया की उसकी गाण्ड थोड़ी खुल गई और दसरे हाथ से पकड़ी हुई तेल की
बोतल से एक मोटी धार उसकी गाण्ड में टपका ढ़दया। जैसे ही तेल की धार उसकी गाण्ड में गगरी, उसने र्तड़ों
को थोड़ा ऊपर उठा सलया और उसकी गाण्ड का छे द खल
ु बींद हुआ। बस इतनी ही दे र में मेरे ववशेषज्ञ हाथों ने
उसकी गाण्ड को तेल से भर ढ़दया था।

वप्रया हूँसने लगी और बोली- “आह्ह… बहुत अच्छा लग रहा है राज, गरम-गरम लग रहा है अींदर…”

मैं बोला- “ककसके अींदर?”

वप्रया हूँसने लगी पर कुछ बोली नहीीं।

मैंने कर्र से पछा- “अरे यार बोलो ना… कहाीं पर गरम-गरम लग रहा है?”

वप्रया खामोश ही रही।

मैं उसके र्तड़ों को मसलते हुए कर्र से पछा- “कहाूँ?”

वप्रया बोली- “बस वहीीं…”

तब मैंने अपनी उीं गली उसकी गाण्ड में घस


ु ेड़ दी जो तेल की गर्कनाहट की वजह से उसकी गाण्ड के अींदर बहुत
आराम से र्ली गई।

वप्रया ने बोला- “हाूँ वही पर राज…”

मैं बोला- “अरे यार इसको क्या कहते हैं?”


95
वप्रया बोली- “आस…”

मैं बोला- “मझ


ु े इींम्ललश नहीीं आती। तम
ु बताओ की इसे ढ़हन्दी में क्या कहते हैं?” और उसकी गाण्ड में उीं गली
अींदर-बाहर करने लगा तो शायद उसको मजा भी आ रहा था, उसकी गाण्ड थोड़ा ऊपर उठ गई थी।

वप्रया धीरे से बोली- “गाण्ड…”

मैं बोला- “हाूँ यह सही है । मेरे से खुल कर बात करो यार, तो तम


ु को भी मजा आएगा और मझ
ु े भी…”

वप्रया हूँसने लगी और बोली- “गींदी बातें करवाते हो मझ


ु से, और बोलते हो की मजा आता है …”

मैं बोला- “हाूँ म्जतना खुलकर बात करोगी उतना ही ज़्जयादा मजा आएग…” कहकर उसकी गाण्ड में उीं गली अींदर-
बाहर अींदर-बाहर करते-करते पछा- “अब तम
ु मेरे से खल
ु कर बात करोगी ना?”

वप्रया बोली- “हाूँ बाबा करूींगी तम


ु से खुलकर… क्या तम
ु हारा मतलब है की गींदी-गींदी बातें ना? तो ठीक है, मैं
तम
ु से गींदी-गींदी बातें ही करूूँगी। लेककन कभी ऐसी गींदी बातें की नहीीं ना इसीसलए मझ
ु े शमच आती है …”

मैं बोला- “बोलना शरू


ु कर दो तो शमच भी जाती रहे गी, और तम
ु हें गींदी-गींदी बातें करना भी आ जाएगा…” और
कर्र दोनों हूँसने लगे।

मैंने उसके गाण्ड से उीं गली बाहर तनकाल ली। मेरी उीं गली अींदर-बाहर होने से उसकी गाण्ड का छे द थोड़ा खल

गया था। उसका सारा बदन तेल से भरा हुआ था। मैं एक बार कर्र से उसके कींधों पर और रीि पर और कर्र
र्तड़ों पर और गाण्ड में तेल परा लगा ढ़दया। घट
ु नों के बल बैठकर मझ
ु े उसके कींधों की मासलश करने के सलए
परा सामने को झुकना पड़ रहा था और ऐसी पोजीशन में मेरा लण्ड उसकी गाण्ड के छे द में र्ूँस जाता था तो
उसकी गाण्ड थोड़ा ऊपर उठ जाती थी।

मैंने पछा- “कैसा लग रहा है वप्रया”

वप्रया बोली- “बहुत ही अच्छा लग रहा है । मझ


ु े तो मेरा बदन एकदम से हल्का महसस हो रहा है , ऐसा लग रहा
है जैसे मैं हवा में उड़ी जा रही हूँ…”

“मैं बोला- “बस तम


ु इसी तरह से अपना बदन ढीला और माींसपेसशयों को आराम से रखो और मासलश का मजे
लेती रहो…”

वप्रया की आूँखें बींद हो रही थीीं और वो परी तरह से मासलश का मजा ले रही थी। उसे क्या खबर की मेरा मसल
उसकी गाण्ड के सलए योजना कर रहा है । मैं अपने सामान्य तरीके से एक हाथ से उसके र्तड़ों को मसल रहा
था और दसरे हाथ से अपने लण्ड को तेल के डडब्बे में डालकर तेल से भर ढ़दया। लण्ड के सप
ु ाड़े से तेल टपक
कर उसके र्तड़ों पर पड़ने लगा।

96
अब मैं एकदम से तैयार था। उसको खबर ना हो इसीसलए कर्र से एक हाथ से उसके पीठ की मासलश कर रहा
था और दसरे हाथ से उसके दोनों र्तड़ों को एक ही हाथ से मासलश करने लगा और तेल का डडब्बा बगल में रख
ढ़दया। लण्ड परी तरह से गाण्ड पर हमला करने को तैयार था। अब दोनों हाथों से र्तड़ों की मासलश कर रहा था
और मसल रहा था। वो एकदम से परा आराम से हो गई थी और मासलश का भरपर मजा ले रही थी।

इधर मेरा लण्ड ऐसी मस्त गल


ु ाबी गाण्ड दे खकर मर्ल रहा था। एक हाथ से अपने लण्ड के डींडे को पकड़ा, और
बस आनन-र्ानन दे खते ही दे खते मैंने अपना लण्ड एक ही झटके में वप्रया की मस्त छोटी सी गल
ु ाबी गाण्ड में
घस
ु ेड़ ढ़दया। तेल से भरी गाण्ड, मेरे तेल से भरे लण्ड का ववरोध नहीीं कर पाई, और एक ही झटके में मेरा लण्ड
उसकी गाण्ड के परा अींदर तक घस
ु गया था।

वप्रया के मूँह
ु से एक लींबी र्ीख तनकल गई- “मममर गई राज… यह क्या कर ढ़दया है रे ईई…”

जैसे ही मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में घस


ु गया, मैं वप्रया के ऊपर लेट गया और उसको कसकर पकड़ सलया, ताकी
वो ढ़हल ना सके। वप्रया मेरे नीर्े मर्लने लगी और अपनी गाण्ड से मेरे लण्ड को बाहर तनकालने की परी
कोसशश में लगी रही, पर मैंने उसको कसकर पकड़ हुआ था।

उसका बदन पहले तो एकदम से अकड़ गया, कर्र थोड़ी दे र के बाद वो आराम होने लगी और बोली- “राज
प्लीज… इसे बाहर तनकालो… बहुत ददच हो रहा है…”

तब मैंने पछा- “क्या तनकाल,ीं और कहाीं से तनकाल…


ीं ”

वप्रया एकदम से हूँस दी और बोली- “अपना लण्ड मेरी गाण्ड में से तनकालो, अब तो खुश हो गये ना मेरे मूँह
ु से
यह सन
ु का?” बस इतना बोलना था और ऐसे वप्रया का हूँसना था की वो पर… आराम हो गई।

मैं उसकी गाण्ड मारना शरू


ु कर ढ़दया।

वप्रया बोली- “हे राज, इसकी जगह पीछे नहीीं यार सामने है …”

मैंने पछा- “ककसकी जगह? सामने क्या और पीछे क्या?”

वप्रया कर्र से हूँसने लगी और बोली- “सर् में बहुत शैतान हो तम


ु । मझ
ु े गींदी-गींदी बातें ससखाकर ही दम लोगे…"

मैं बोला- “बोलो ना कर्र…”

वप्रया बोली- “तम


ु हारे लण्ड की जगह मेरी गाण्ड नहीीं, इसकी जगह तो मेरी र्त में है …”

मैं बोला- “हाूँ शाबाश… अब तम


ु कुछ सीखने लगी हो…”

इतनी दे र में उसकी गाण्ड मेरे लण्ड की मोटाई से समायोम्जत हो गई थी। मैंने उसकी गाण्ड मारना शरू
ु कर
ढ़दया। मैं उसकी पीठ पर लेटा था और उसकी पीठ का सारा तेल मेरे पेट पर और सीने पर लग रहा था। दोनों
97
के बदन तेल से भरे गर्कने हो रहे थे और कर्सल रहे थे। मैं उसके ऊपर झुक कर उसको कसकर पकड़ सलया
और उसकी गाण्ड मारने लगा।

अब वप्रया को भी शायद गाण्ड मरवाने में मजा आ रहा था, क्योंकी उसकी गाण्ड अब ऊपर उठने लगी थी। उसके
बदन के नीर्े हाथ डालकर मैं उसकी मस्त कड़क र्गर्यों को मसलने लगा। अब मैं परा स्पीड से उसकी गाण्ड
मार रहा था और वो मजे से गाण्ड मरवा रही थी।

अपने आप उसका एक हाथ उसके बदन के नीर्े से उसकी र्त पर आ गया और वो अपनी र्त की मासलश
करने लग गई। मैं अब बहुत जोर-जोर से उसकी गाण्ड मार रहा था और वो उतनी ही तेजी से अपनी र्त की
मासलश कर रही थी। मैं अपनी मींम्जल पर पहुूँर्ने ही वाला था, और जैसे ही एक र्ाइनल झटका मारा और
अपने लण्ड को उसकी गाण्ड के परा अींदर तक घस ु ेड़कर उसको कसकर पकड़कर उसकी गाण्ड में अपनी क्रीम का
र्व्वारा मारने लगा।

इधर मेरा र्व्वारा उसकी गाण्ड में लगा, उधर उसकी र्त ने उसका साथ छोड़ ढ़दया और वो झड़ने लगी। उसका
बदन ढ़हलने लगा और उसकी आूँखें बींद हो गई थी और अपनी गाण्ड में मेरे गरम-गरम मलाई को महसस करके
परा आनन्द ले रही थी।

मैं थोड़ी दे र तक अपना लण्ड उसकी गाण्ड के अींदर रखे-रखे उसकी पीठ पर ऐसे ही आूँखें बींद करके पड़ा रहा।
मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में ही घस
ु ा हुआ था। वो भी गहरी-गहरी सासें ले रही थी।

मैंने उसके कान में धीरे से पछा- “वप्रया मजा आया क्या?”

वप्रया बोली- “हाए राज… पहले तो बहुत ही ददच हुआ। मैंने आज तक कभी अपनी गाण्ड नहीीं मरवाई थी और रवव
तो ठीक तरह से र्ोद भी नहीीं सकता तो गाण्ड क्या मारे गा। वैसे थोड़ी दे र के बाद मझ
ु े मजा आने लगा और मैं
झड़ भी गई…”

मैं उसकी गदच न को ककस करते हुए बोला- “वप्रया तम


ु बहुत ही प्यारी हो, बेइींतह
े ा हसीन हो, जी करता है की
तम
ु को अपने ढ़दल में बबठा लीं हमेशा की सलए…”

वप्रया बोली- “राज तम


ु हें नहीीं पता की मैं तम
ु से ककतना प्यार करने लगी हूँ। तम
ु तनराले हो राज…”

तब मैं उसके कान में धीरे से धन्यबाद बोला। उसके गालों को, कान को र्मता जा रहा था। कर्र एक बार धीरे
से बोला- “वप्रया इस मासलश को अब छोड़ दो, कर्र कभी करते हैं। आज बस हम एक दसरे के प्यार में खो
जायेंगे।

वप्रया ने पलटकर मझ ु े ककस करते हुए नशीली आूँखों से कहा- “मैं भी कुछ ऐसा ही सोर् रही थी। र्लो अब मेरे
बेडरूम में र्लो। मैं तम ु से जी भर कर मजा लेना र्ाहती हूँ…”

मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड से बाहर तनकाला तो उसकी गाण्ड में से सर्ेद वीयच तनकलकर उसकी र्त की
पींखुडड़यों के बीर् से टपकता हुआ नीर्े बेडशीट पर गगरने लगा। वप्रया को उसकी गाण्ड से तनकलता द्रव महसस
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हो रहा था, इसीसलए उसने अपना हाथ नीर्े से अपनी गाण्ड पर लगाया और वहाीं से मेरी मलाई को अपनी
उीं गसलयों से उठाकर अपनी र्त में मलने लगी।

मैं और वप्रया उसके बेडरूम में आ गये। बेडरूम में सर्ेद बेडशीट बबछी थी, और सर्ेद तककये। उसका बेडरूम
बहुत बड़ा भी नहीीं था, और बहुत छोटा भी नहीीं था। बेड के दोनों तरर् डाकच ब्राउन रीं ग की साइड टे बलें रखी थीीं
और दसरी तरर् उसी रीं ग का ड्रेससींग टे बल थी। ड्रेससींग टे बल पर जो र्ौकोर समरर था उसके दो पहल और ऊपर
की तरर् खबसरत र्लों की लड़ी बनी हुई थी। बहुत ही खबसरत लग रही थी ड्रेससींग टे बल, और टे बल पर उसके
मेकप का सामान और कुछ इत्र भी बड़े सलीके से रखा था।

मैं बोला- “वाह्ह वप्रया, तम


ु हारा बेडरूम तो बहुत ही अच्छा है …”

वप्रया ने मश्ु कुराकर धन्यबाद बोला और कमरे के पदे को गगरा ढ़दया। अब कमरे में बाहर की रोशनी नहीीं आ रही
थी और कमरे में अच्छा खासा अींधेरा हो गया था। हम दोनों नींगे ही थे। उसके अटै र् बाथरूम में हम दोनों घस

गये और हम दोनों के बदन पर लगे तेल को और लण्ड के रस को अच्छी तरह से मलकर साबन
ु से धोया। एक
दसरे को साबन
ु लगाते-लगाते मैंने वप्रया की र्त को सार् ककया और उसने मेरे लण्ड को सार् ककया। इतनी दे र
में मेरा लण्ड एक बार कर्र से ककसी खींबे की तरह से खड़ा हो गया।

वप्रया ने उसको अपने हाथों में लेकर बोला- “वाह क्या शानदार लण्ड है राज तम
ु हारा?”

मैं बोला- “अरे मेरी जान…अब यह मेरा कहाीं है , यह तो आज से तम


ु हारा है…”

वप्रया हूँसने लगी।

मैंने सोर्ा था की उसको वहीीं शावर के नीर्े ही र्ोद डालूँ कर्र सोर्ा की नहीीं, आज वप्रया को पहली बार र्ोदना
है और परा मस्ती की साथ मजे ले-लेकर र्ोदना है , वो मस्ती शावर की नीर्े नहीीं आ सकती और वैसे भी शावर
के नीर्े तो मैं उसको कभी भी र्ोद सकता था। इसीसलए शावर के नीर्े र्ोदने का प्रोग्राम स्थगगत कर ढ़दया और
उसके नींगे बदन को अपने हाथों में उठा सलया और उसके बेडरूम में ले आया।

दोनों ने एक दसरे के बदन को तौसलया से सख


ु ाया। खड़े-खड़े ही मैं उसको ककस करने लगा। उसकी उीं र्ाई मेरे से
उतनी ज़्जयादा छोटी नहीीं थी। मैं बस अपनी गदच न झुका कर ककस करने लगा। मेरा मसल उसकी नासभ से लग
रहा था। मैं उसके दोनों र्र्ों को दोनों हाथों से मसल रहा था। क्या बताऊूँ दोस्तों, ककतने मस्त र्र्े थे उसके,
एकदम से कड़क, म्जनको दबाने में बहुत ही मजा आ रहा था।

वप्रया के हाथ मेरे लण्ड को पकड़े हुए थे और उसने अपनी टाूँगें थोड़ी र्ौड़ी कर ली थी। जैस-े जैसे उसका जोश
बिता जा रहा था वो मेरे लण्ड को अपनी र्त की अींदर रगड़ने लगी थी, और मजे ले रही थी। उसकी र्त बहुत
ही गीली हो र्क
ु ी थी और मेरे लण्ड के प्री-कम से भी उसकी र्त कुछ और ज़्जयादा ही गर्कनी और सींकरी हो गई
थी। वो मेरे लण्ड को पकड़कर मठ जैसा भी मार रही थी और अपनी गर्कनी गल
ु ाबी र्त में रगड़ भी रही थी।

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मझ
ु े भी बहुत मजा आ रहा था। अब मैं झुक कर उसके र्र्ों को र्सने लगा, कभी एक तो कभी दसरा। वप्रया
मजा ले रही थी। अब मैं धीरे -धीरे नीर्े बैठने लगा और साथ में वप्रया के सारे बदन को ककस करता और जब
ु ान
से र्सता भी जा रहा था। उसके पेट पर ककस ककया, उसकी नाभी के अींदर जुबान गोल करके अींदर घम
ु ाया।

मस्ती से वप्रया की आूँखें बींद हो गई थीीं, और वो मेरे ससर को पकड़कर नीर्े की ओर दबा रही थी। मैंने उसकी
नासभ को ककस ककया तो उसने जोर से मेरे ससर को नीर्े की तरर् दबा ढ़दया। इतनी दे र में मैं अपने घट
ु नों के
बल र्शच पर बैठ गया था और मेरा मूँह
ु उसकी र्त के पास आ गया था, पर मैंने र्त को ककस नहीीं ककया। मैं
उसके नासभ के ऊपर जुबान र्ेर रहा था और र्स रहा था। वप्रया की र्त में हलर्ल मर्ने लगी थी और वो मेरे
कींधों को पकड़कर मझ
ु े नीर्े की तरर् दबा दी। वो बहुत ही बेर्ैन हो रही थी।

अब मैं उसकी र्त के र्ारों तरर् ककस कर रहा था, पर र्त से दर ही था। म्जधर मेरी जीभ जाती वो अपनी
र्त को वहीीं लाने की कोसशश करती, पर मैं तो उसको तड़पाना र्ाहता था। इस बीर् वो दो बार झड़ र्ुकी थी।
मझ
ु े उसकी र्त से तनकलते अमत
ृ की सग
ु ध
ीं आ रही थी।

वप्रया गगड़गगड़ाकर बोली- “राज प्लीज… इसे ककस करो ना…”

मैंने बोला- “याद करो हमारा अग्रीमें ट क्या हुआ था की यह, यहाीं, वहाीं सब छोड़ो और सीधा नाम लेकर बोलो की
कहाीं क्या करना है ?”

वप्रया तो परा मस्ती में थी, एक सेकेंड जाया ककये बबना बोली- “राज मेरी र्त को र्ाटो ना प्लीज़्ज़… मेरी र्त में
कुछ हो रहा है जल्दी से र्ाटो प्लीज…” उसकी र्त की पतली नाजुक पींखुडड़याीं एक दसरे से समली हुई थी, लगता
था जैसे र्त नहीीं कोई लकीर हो।

मैंने उसकी र्त पर ककस ककया तो वप्रया अपनी गाण्ड ढ़हलाते हुए अपनी र्त मेरे मूँह
ु में रगड़ने लगी। उसकी
र्त को मैं अपने दोनों हाथों के अींगठों से खोलकर दे खा तो पाया की उसकी र्त एकदम से गल ु ाबी है , और रस
से भरी है । मैं जीभ की नोक र्त के होंठों के बीर् में डालकर ऊपर-नीर्े करने लगा तो वो बेर्ैन हो गई और मेरे
ससर को अपनी र्त में कसकर पकड़कर दबा सलया और अपनी गाण्ड को आगे-पीछे करके जैसे मेरे मूँह
ु को
अपनी र्त से र्ोदने लगी।

और कर्र जैसे ही मैं उसकी परी र्त को अपने मूँह


ु में भरकर पीने जैसा र्बाया तो उसने मेरे ससर को जोर से
पकड़कर अपनी र्त में दबा सलया और काूँपते हुए झड़ने लगी। और वप्रया बोली- “आह्ह… राज इतना मजा कभी
नहीीं आय्या है… क्या कर ढ़दया तम
ु ने राज… मैं तो गई…”

और उसकी र्त उसके र्त रस से समींदर बन गई। जब उसका झड़ना बींद हो गया तो उसने मझ
ु े मेरी बगल में
हाथ डालकर उठा सलया और खुद नीर्े बैठकर मेरे लण्ड को अपने मूँह ु में ले सलया और र्सने लगी, और बहुत
ही मस्ती से र्स रही थी, ऐसा लगता था जैसे लण्ड र्सने में उसने कोई डडग्री हाससल की हो।

मैं भी उसके ससर को पकड़कर जोर-जोर से शाट मारने लगा। मेरा लण्ड उसके गले तक र्ला गया उसके मह
ूँु को
र्ोदने लगा। लण्ड अींदर-बाहर हो रहा था और मझ
ु े बहुत ही मजा आ रहा था। उसने मेरी गाण्ड को पकड़ा हुआ

100
था और अपनी ओर खीींर् रही थी। मैं भी परा जोश में उसके मूँह
ु को खब अींदर तक र्ोद रहा था। मेरा भी अब
तनकलने ही वाला था तो मैं अपना लण्ड उसके गले के अींदर तक घस
ु ेड़ ढ़दया।

वप्रया के मूँह
ु से ग-ूँ गूँ-गूँ जैसी आवाजें तनकलने लगी और उसकी गदच न की रगें र्ल गई, और उसकी आूँखों में
आूँस आ रहे थे। उसको ऐसी हालत में दे खकर मेरे लण्ड को भी उसके ऊपर दया आ गई और मेरे लण्ड से गरम
मलाई का र्व्वारा तनकलकर सीधा उसके गले के अींदर गगरने लगा, म्जसे वो एक बूँद गगराए बबना ही पी गई।
जैसे ही मेरा लण्ड उसके मह
ूँु से बाहर आया, उसने गहरी-गहरी साूँसें ली तो उसकी तबीयत कुछ ठीक हुई।

मेरे लण्ड से मलाई तनकल जाने के बावजद वो वैसे का वैसा ही अकड़ा हुआ था और ढ़हल भी रहा था।

वप्रया ने मेरे लण्ड को बड़े प्यार से दे खा, अपने हाथों से सहलाया और उसके सप ु ाड़े पर ककस करते हुए बोली-
“आह्ह… राज ककतना प्यारा लण्ड है यार तम ु हारा, इसका हे ल्मेट जैसा सप
ु ाड़ा तो दे खो ककतना मस्त और गर्कना
है । दे खो जरा इसको कैसे खड़ा है अभी तक। रवव का लण्ड एक बार झड़ा तो दसरे ढ़दन तक नहीीं उठता और यह
दे खो दो बार झड़ जाने की बाद भी कैसा तैयार है …”

मैं मश्ु कुराकर बोला- “हाूँ यह ऐसा ही है । जब तक यह तीनों छे दों में नहीीं जाएगा, यह आराम से नहीीं बैठने
वाला…”

मैं और वप्रया दोनों बेड पर आ गये और एक दसरे की तरर् करवट लेकर लेट गये। मेरा एक हाथ वप्रया की
गदच न की नीर्े था और वो मेरे हाथ पर लेटी थी। मैंने उसको अपने आप से सलपटा सलया। हम दोनों के बदन
एक दसरे से गर्पके हुए थे। मेरा अकड़ा हुआ लण्ड उसकी र्त से टकरा रहा था। उसने अपनी एक टाूँग उठाकर
मेरी जाींघ पर रख ली। उसकी र्त थोड़ी सी खुल गई। मैं उसके र्र्े को र्सने लगा और वो मेरे लण्ड के डींडे को
अपने हाथ से पकड़कर अपनी र्त के अींदर तघसने लगी, ऊपर से नीर्े।

कर्र वप्रया बोली- “राज यह इतना बड़ा, मोटा और लोहे जैसा सख़्त है , कैसे अींदर जाएगा?”

मैं बोला- “वप्रया मत भलो की तम


ु तम
ु को क्या बोलना है ?”

वप्रया हूँस पड़ी और बोली- “अरे यार क्या करूीं थोड़ी शमच आती है ना…”

मैं बोला- “वाह वाह… मेरे सामने नींगी लेटी हो शमच नहीीं आती, और लण्ड को लण्ड और र्त को र्त बोलने में
शमच आती है…”

वप्रया हूँसते हुए बोली- “ठीक है बाबा। यह बताओ की तम


ु हारा लण्ड इतना बड़ा, मोटा और लोहे जैसा सख़्त है ।
यह मेरी इतनी छोटी सी र्त की अींदर कैसे जाएगा?”

मैं मश्ु कुराकर बोला- “दे ख लो अभी थोड़ी दे र में तम


ु खुद ही गर्ल्लाओगी और अींदर डालो और जोर से र्ोदो…
र्ोदो मझ
ु े कसकर ऐसे बोलोगी। तम
ु थोड़ा रुको…”

101
वप्रया मेरे लण्ड को अपने हाथ से बहुत जोर से दबाते हुये बोली- “हाूँ आई नीड ढ़दस मैम्जकल लण्ड इन माई
कसी र्त, र्ोदो मझ ु े राज… र्क मी…” और जब उसने मेरे लण्ड को इतनी जोर से दबाया तो एक बहुत बड़ी प्री-
कम का बद ीं लण्ड के छे द से उसकी र्त में गगरी और उसकी र्त गर्कनी हो गई।

मैंने उसको इशारा ककया की वो मेरे ऊपर 69 की पोजीशन में आ जाए। वो अपने दोनों पैर मेरे ससर के दोनों
तरर् रखकर मेरे ऊपर झुक गई और मेरे लण्ड को र्सने लगी। मेरी टाूँगें भी घट ु नों से मड़
ु ी हुई थीीं और 69
पोजीशन में थी। वो मेरे लौड़े को पहले तो बहुत दे र तक र्मती रही, लण्ड की पहल में ऊपर से नीर्े तक जीभ
से र्ाटती रही। इधर मैं उसकी गाण्ड पर हाथ रखकर उसकी र्त को अपने मूँह
ु के करीब कर सलया और उसकी
र्त में ककस ककया। इतनी दे र तक उसकी र्त को र्ाटने के बाद और दाींतों से काटने के बाद उसकी र्त की
पींखडु ड़याीं थोड़ी सी खल
ु गई थीीं और र्त अींदर से लाल भी हो गई थी।

वप्रया मेरे लण्ड को ककसी लालीपोप की तरह से र्स रही थी और अपनी र्त मेरे मूँह
ु में रगड़ रही थी। मेरे दाूँत
उसकी र्त के अींदर के भाग में लग रहे थे। उसकी छोटी सी म्क्लटोररस भी मेरे दाींतों से रगड़ी जा रही थी। वप्रया
मेरे मूँह
ु पर अपनी र्त एक बार कर्र से उठा-उठाकर पटकने लगी, जैसे मेरे मूँह
ु को अपनी गाण्ड उठा-उठाकर
र्ोद रही हो।

मैं भी अपनी गाण्ड उठा-उठाकर उसके मूँह


ु में अपने लण्ड को घस
ु ेड़ रहा था और उसकी र्गर्यों को मसल रहा
था, उसके तनपल्स को उीं गली और अूँगठे से मरोड़ रहा था। उसकी स्पीड बि गई और अब वो मेरे मूँह
ु पर अपनी
र्त दबाकर रगड़ रही थी और मेरे लण्ड को भी गले के अींदर तक ले-लेकर र्स रही थी। और कर्र उसने मेरे
लण्ड को र्सना बींद कर ढ़दया और अपनी र्त को मेरे मह
ूँु पर दबाकर रख ढ़दया और उसकी र्त झड़ने लगी
और उसकी र्त से अमत
ृ तनकलने लगा म्जसे मैं बड़े मजे से पी गया। वप्रया थोड़ी दे र और मेरे मूँह
ु पर अपनी
र्त रगड़ती रही।

कर्र मैंने उसको बोला- “ऊपर आ जाओ और लण्ड की सवारी करो…”

वप्रया पलट गई और अपने दोनों पैर मेरी जाींघों के दोनों तरर् रखकर मेरे समजाइल की तरह से खड़े लण्ड को
अपने हाथ से पकड़कर मेरे पेट से लगा ढ़दया, और अपनी र्त की पींखुडड़यों को लण्ड के डींडे के पीछे रखकर
आगे-पीछे करके कर्सलने लगी। उसकी र्त की दोनों पींखडु ड़याीं मेरे लण्ड के डींडे से गर्पक कर थोड़ी सी खल
ु गई
और वो मजे से आगे-पीछे होने लगी। झुक कर मझ
ु े ककस ककया और मैंने उसके र्र्ों को पकड़कर दबाना शरू

कर ढ़दया। कर्र उसको थोड़ा सा सामने खीींर्कर उसके र्र्ों को र्सने लगा।

वप्रया मजे से मेरे लण्ड पर आगे-पीछे कर्सल रही थी। ऐसे ही मस्ती में जब वो परा जोश में थी और जोर से
पीछे की तरर् एक झटके से सरकी तो मेरे मसल का सप
ु ाड़ा उसकी र्त में अटक गया। वप्रया के मूँह
ु से
तनकला- “ऊऊईई मममाूँ आह्ह…” और थोड़ी दे र के सलए उसने ढ़हलना डुलना बींद कर ढ़दया।

लण्ड का सपु ाड़ा उसकी र्त के छे द से समायोम्जत हुआ तो उसने कर्र थोड़ा जोर डालकर पीछे हटना शरू
ु ककया।
गीला लण्ड उसकी र्त में थोड़ा और अींदर तक घस ु गया और उसने कर्र ढ़हलना डुलना बींद कर ढ़दया। उसकी
र्गर्यों को र्सते-र्सते और वो जब मेरे लण्ड को अपनी र्त में लेने की कोसशश कर रही थी तो मैंने अपनी
गाण्ड उठाकर एक और झटका मारा।

102
वप्रया गर्ल्लाई- “उर्फ़् राज सस्स्स्स्स… हाईई ककतना मोटा है तम
ु हारा लण्ड… यह तो मेरी र्त में र्ूँस गया।
राज मझ
ु से नहीीं होगा, तम
ु खद
ु ही कुछ करो। इतना बड़ा, मोटा और लोहे जैसा सख़्त लण्ड तो मैंने कभी ख्वाब
में भी नहीीं दे खा, हाूँ गधे का और घोड़े का दे खा है । लगता है तम
ु हारा लण्ड भी ककसी घोड़े या गधे के लण्ड से
कम नहीीं है …”

मैं हूँसने लगा और बोला- “ठीक है, मैं ही कुछ करता हूँ। र्लो अब पोजीशन र्ें ज कर लो…”

मैंने पोजीशन र्ें ज करके वप्रया को पीठ के बल नीर्े बेड पर सलटा ढ़दया और मैं उसके पैरों के बीर् में आकर
घट
ु नों के बल बैठ गया। उसके पैरों को उठाकर उसके पेट से लगा ढ़दया और झक
ु कर उसकी र्त को र्ाटने
लगा। थोड़ी दे र र्त को र्ाटा और थोड़ा काटा। उसकी म्क्लटोररस को भी जीभ से टर् ककया और दाींतों से काटा।
उसकी र्त परी गीली हो र्क
ु ी थी। ऐसी पोजीशन में उसकी गाण्ड बेड से थोड़ी ऊपर उठ गई थी। मैं अपने लण्ड
को उसकी र्त के छे द में ढ़टकाकर एक जोर से झटका मारा।

वप्रया गर्ल्लाई- “मर गई राज उर्फ़्… माूँ…” और मेरा लण्ड लगभग आधा उसकी र्त की अींदर धूँस गया।

अब मैं उसकी उसकी टाूँगें जो उसके पेट से लगी हुई थी, छोड़ ढ़दया और उसके ऊपर लेट गया तो उसने र्ौरन
ही मझ
ु े कसकर अपनी टाूँगें मेरे र्तड़ों पर कैं र्ी की तरह डालकर पकड़ सलया।

मैंने उसके कान में धीरे से पछा- “कैसा लग रहा है वप्रया?”

वप्रया बोली- “राज सर् में बहुत ही ददच हो रहा है । मझ


ु े लग रहा है की ककसी ने मेरे म्जस्म के दो टुकड़े कर ढ़दए
हों और जैसे लोहे की कोई गरम सलाख मेरी र्त की अींदर घस ु गई हो। मैंने इतना बड़ा और मोटा लण्ड पहले
कभी दे खा ही नहीीं तो र्त में कैसे ले सकती हूँ?”

मैं बोला- “कर्कर ना करो अभी सब ददच गायब हो जाएगा और तम


ु को मजा ही मजा आएगा…”

तब वप्रया मश्ु कुराकर मेरी तरर् प्यार भरी तनगाहों से दे खने लगी।

मैं अपने लण्ड को उसकी र्त के अींदर ऐसे ही छोड़कर उसके र्र्ों को मसलने लगा और उसको फ्रेंर्-ककस करने
लगा। कर्र उसके र्र्ों को र्सने लगा तो उसके हाथ मेरी पीठ पर आ गये और मेरी पीठ को वो अपने हाथों से
सहलाने लगी।

मझ
ु े पता र्ल गया की उसकी र्त अब अगली कारच वाई की सलए तैयार है । अब मैं अपने लण्ड को उसकी र्त में
थोड़ा-थोड़ा अींदर-बाहर करने लगा। एक ही समनट के अींदर उसको मजा आने लगा और उसकी गाण्ड ऊपर उठने
लगी। मैं अींदर ही अींदर मश्ु कुराया और सोर्ा की बस अब यह मस्त गर्कनी छोटी र्त र्टने ही वाली है । मैंने
झक
ु कर उसके कान में पछा- “मजा आ रहा है ना वप्रया?”

वप्रया बोली- “हाूँ राज बहुत अच्छा लग रहा है । ऐसे ही करते रहो, इसे र्त के बाहर मत तनकालो। मझ
ु े तम
ु हारा
लण्ड अपनी र्त के अींदर बहुत ही अच्छा लग रहा है आअह्ह… राज्ज ऐसे करो आअह्ह… बहुत मज़्जज़्ज़ा आ रहा
है ।
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मेरे धक्कों से उसकी आवाज लरज रही थी। मैं अपने र्त र्ाड़ तरीका में आ गया। उसकी बगल से हाथ डालकर
उसके कींधों को पकड़ सलया, और फ्रेंर्-ककस करने लगा।

वप्रया का बदन वासना की आग में जल रहा था और उसकी र्त भट्टी की तरह गरम हो र्ुकी थी। उसकी र्त
की गमी मझ
ु े अपने लण्ड पर महसस हो रही थी। अब हम समशनरी पोजीशन में थे। वप्रया पीठ के बल लेटी थी
और उसके पैर मेरे पीछे सलपटे हुए थे और मेरे पैर वप्रया के पीछे थे। मैंने वप्रया को कसकर पकड़ा हुआ था और
लण्ड उसकी कसी र्त में अींदर-बाहर करके र्ोद रहा था।

वप्रया परा मजा ले रही थी र्द


ु ाई का। कर्र मैंने उसको बहुत ही कसकर पकड़ सलया और अपनी गाण्ड उठाकर
लण्ड को उसकी र्त से परा सप ु ाड़े तक बाहर तनकल सलया और इससे पहले की उसकी र्त को खबर होती मैंने
एक इतनी जोर का झटका मारा की मेरा लण्ड उसकी र्त को र्ाड़ता हुआ उसकी र्त की गहराई में घस
ु गया।

वप्रया के मूँह
ु से एक लींबी र्ीख तनकल गई- “ऊऊईईई माूँ… मैं मर गई रे … हाईई मार डाला रे … उर्फ़्…” उसकी
आूँखें बाहर को तनकल आईं, उसने अपने हाथों और पैरों से मझ
ु े बहुत ही जोर से कसकर पकड़ सलया, उसका
बदन एकदम से अकड़ गया और टाइट हो गया और उसकी आूँखों से आूँस लि ु क कर नीर्े गगरने लगे।

मेरा लण्ड उसकी र्त के परा अींदर तक घस


ु र्क
ु ा था। मैं उसके ऊपर ऐसे ही लेटा रहा और उसके र्ेहरे को
अपने दोनों हाथों में लेकर धीरे -धीरे सहलाने लगा। उसकी बींद आूँखें अब खुल गई थीीं, और मझ
ु े ऐसी नजरों से
दे ख रही थी जैसे मझ
ु े पहर्ानने की कोसशश कर रही हो।

मैं धीरे से मश्ु कुराया और पछा- “क्या तम


ु ठीक हो वप्रया?”

वप्रया बहुत ही धीमी आवाज में बोली- “बहुत ही ददच हो रहा है राज प्लीज… बाहर तनकालो। मैं यह नहीीं ले सकती
प्लीज़्ज़… मझ
ु े लग रहा है की कोई लोहे का खींबा मेरे म्जश्म के अींदर घस
ु गया हो…”

मैं बोला- “आराम से वप्रया, गर्न्ता मत करो यार कुछ नहीीं होगा तम
ु को। थोड़ा आराम करो बस। अब तम
ु को कुछ
नहीीं होगा, जो होना था ना वो तो हो र्क
ु ा है । प्लीज… वप्रया आई प्रासमस की अब तम
ु को कुछ नहीीं होगा। कोई
ददच नहीीं कुछ नहीीं…”

वप्रया बोली- “मैं तो ददच के मारे मरी जा रही हूँ और तम


ु बोल रहे हो की कोई ददच नहीीं होगा…”

मैं बोला- “हाूँ वप्रया अब तम


ु को कभी भी ददच नहीीं होगा। मेरे लण्ड ने तम
ु हारी र्त के अींदर तक सैर कर ली है …”

वप्रया उठकर दे खने लगी और है रत से पछा- “सर् राज तम


ु हारा इतना लींबा मोटा तगड़ लण्ड मेरी इतनी छोटी सी
र्त के अींदर परा का परा समा गया है ?”

मैं बोला “दे ख लो तम


ु खद
ु ही…”

104
जैस-े जैसे हम बातें कर रहे थे उसका बदन कुछ आराम से हो रहा था, और उसके पैर जो मेरे र्तड़ों पर कैं र्ी की
तरह से बने हुए थे, उसने अपने पैरों से मेरे र्तड़ों को दबाया और साथ में मझ
ु े ककस ककया।

मैंने पछा- “अब कैसा लग रहा है वप्रया?”

वप्रया बोली- “ददच तो है राज, पर तम


ु हारा लण्ड र्त के अींदर बहुत अच्छा र्ील हो रहा है । मझ
ु े लग रहा है जैसे
आज मेरी र्त भर गई हो…”

मैं कर्र उसके र्र्ों को र्सने लगा और अपने हाथों से उसके र्ेहरे को भी सहला रहा था।

म्जससे वप्रया का मड जल्दी ही बन गया और वो मेरे कान में आढ़हस्ता से बोली- “र्ोदो मझ
ु े राज… र्ोदो मझ
ु ,े
र्ोदो मझ
ु े राज। र्ोदो मझ
ु े डीप और हाडच, बस र्ोदते रहो जोर-जोर से र्ोदो राज… मेरे ऊपर कोई दया मत करो,
इस साली र्त का भरता बना दो…”

बस इतना सन
ु ना था की मैं शरू
ु हो गया। अपने लण्ड को उसकी र्त से बाहर तनकाला और दना-धदन्न र्ोदने
लगा। कमरे में पर्ा-पर् की आवाजें आ रही थी और उसकी मस्ती भरी आवाज- “आअह्ह… राज बहुत मजा आ
रहा है आह्ह… ऐसे ही र्ोदो राज ऊऊईई माूँ उर्फ़् राज मैं गई… राज र्ोदो र्ोदो मझ
ु े हाडच राज। र्ोदो मझ
ु े
राज जोर-जोर से र्ोदो राज प्लीज़्ज़… और जोर से आह्ह… राज तम
ु बहुत अच्छे हो…”

कर्र वप्रया का बदन काूँपने लगा और उसने मझ


ु े एक बार कर्र से कसकर पकड़ सलया और बोली- “आह्ह… राज
मैं आ रही हूँ… राज मैं ऐसा कभी नहीीं झड़ी… मझ
ु े कसकर पकड़ लो राज, मेरा म्जस्म सन्
ु न हो रहा है… मझ
ु े
कुछ ढ़दखाई नहीीं दे रहा है राज कसकर पकड़ लो…”

मैंने उसको बहुत कसकर पकड़ सलया और र्ोदना बींद कर ढ़दया। वप्रया मेरे से बहुत जोर से सलपटी रही और
काूँपते हुए झड़ने लगी, झड़ने लगी और जोर-जोर से झड़ने लगी। जब उसका आगगज़्ज च म खतम हुआ तो वो गहरी-
गहरी साूँसें लेती रही और उसके हाथ पैर बेजान होकर बेड पर गगर गये। वो कुछ दे र तक ऐसे ही लेटी रही और
मैं उसकी र्त में लण्ड डाले उसके ऊपर बबना ढ़हले-डुले लेटा रहा, उसकी र्गर्यों को र्सता रहा।

जब उसका आगगज़्ज
च म खतम हो गया और वो अपने होश में वापस आ गई तो मैंने उससे पछा- “हाूँ वप्रया अब
बोलो कैसे महसस हो रहा है ?”

वप्रया ने कोई जवाब नहीीं ढ़दया बस मझ


ु े हर तरर् ककस करने लगी। एक समनट के अींदर ही सैकड़ों र्म
ु बन कर
सलए मझु े और बोली- “राज बहुत-बहुत धन्यबाद राज, मझ ु े यह मजा तो मालम ही नहीीं था। आज मझ
ु े पता र्ला
है की लण्ड ककसे कहते है ब, और र्ुदाई ककसे कहते हैं?”

मैं मश्ु कुराकर बोला- “अरे अभी र्द


ु ाई खतम कहाीं हुई है मेरी जान… अभी तो और बाकी है…”

वप्रया बोली- “कर्र दे र क्यों कर रहे हो राज? र्ोद डालो आज अपनी वप्रया रानी को… बना लो इसको आज अपने
लण्ड की दीवानी… बना लो आज अपनी वप्रया को अपनी रीं डी रानी…”

105
अब मैं भी जोश में आ गया था और उसको परा स्पीड से र्ोदने लगा, और वो भी गाण्ड उठा-उठाकर परा मस्ती
में र्द
ु वा रही थी। मेरे लण्ड के डींडे के साथ ही उसकी र्त की पतली र्मड़ी उसकी र्त के अींदर जा रही थी और
लण्ड के डींडे के साथ ही वापस आ रही थी। आई स्टाटे ड र्ककीं ग हर डीप, हाडच और र्ास्ट। परा स्पीड से र्ोद
रहा था।

वप्रया- “र्ोदो मझ
ु े राजक्ष र्ोदो मझ
ु े डीप… राज बहुत मजा आ रहा है । राज्ज र्ोद डालो आअह्ह… र्ोद-र्ोदकर
र्त का भरता बना डालो। यह साली रातों में मझ ु े बहुत सताती थी मार डालो, इसको र्ोद डालो और जोर से
र्ोदो राज परी ताकत से र्ोदो। आअह्ह… राज मैं कर्र से आन्ने वाली हूँ… राज र्क मी राज ऊऊईई माूँ आह्ह…
सस्स्स… ये कैस्सा ममजा हैइ राज? तम
ु हारा लौड़ा तो कमाल्ल का है उर्फ़्… राज र्ोदो मझ
ु ,े राज र्ोदो मझ
ु े
राज…”

मैं अपना परा लण्ड उसकी र्त से बाहर खीींर्-खीींर्कर जोर-जोर से र्ोद रहा था। बहुत ही प्यारी और कसी र्त
थी वप्रया की। मैं वप्रया को पागलों की तरह से र्ोद रहा था, ककसी दीवाने की तरह से र्ोद रहा था और अब तो
मैं खुद भी वप्रया की प्यारी र्त का दीवाना हो गया था। (दे खना दोस्तो वप्रया और प्यारी की अक्षर भी एक ही है
बस शब्दों को इधर-उधर करो तो वप्रया से प्यारी बन जाते हैं) अब मैं और बदाचश्त नहीीं कर सकता था और मझ
ु े
लगा की अब मैं भी झड़ने वाला हूँ तो मैं उसको परी ताकत से र्ोदने लगा। अब मझ
ु े भी मेरे बाल्स में से मलाई
उबलने का एहसास हुआ तो मैंने वप्रया को कर्र से बहुत ही कसकर पकड़ सलया और अपने लण्ड को परा सपु ाड़े
तक बाहर खीींर्कर एक ही झटके में उसकी बच्र्ेदानी के अींदर तक घस
ु ेड़ ढ़दया और उसको दबाकर पकड़ सलया।

वप्रया की भट्टी जैसी गरम र्त के अींदर मेरा लण्ड वपघलने लगा और मेरे लण्ड से गािी-गािी गरम-गरम मलाई
ककसी समजाइल की तरह से तनकलकर उसकी र्त के बहुत अींदर उसकी बच्र्ेदानी को भरने लगी। मेरे र्ाइनल
झटके की साथ ही वप्रया ने मझ
ु े एक बार कर्र से कसकर पकड़ सलया और वो भी झड़ने लगी। हम दोनों साथ-
साथ झड़ रहे थे। वप्रया की र्त के अींदर दोनों का प्रेम रस टपक रहे थे।

वप्रया मझ
ु े बोली- “राज मैं तम
ु हारा बच्र्ा र्ाहती हूँ। राज मझ
ु े एक बच्र्ा दे दो प्लीज़्ज़, राज एक बच्र्ा दे दो ना
प्लीज़्ज़… मैं सारी उमर तम
ु हारी दासी बनकर रहीं गी और तम
ु हारी गल
ु ामी करूूँगी। राज प्लीज मझ
ु े अपना बच्र्ा दे
दो…”

मैं बोला- “हाूँ मेरी जान मैं तम


ु हें अपना बच्र्ा जरूर दूँ गा और मैं तम
ु हें प्यार करता हूँ वप्रया…”

वप्रया भी मझ
ु े ककस करते-करते बोली- “सर् राज, तम
ु म्जसकी कसम बोलो मैं खाने को तैयार हूँ मैं तम
ु हें प्यार
करती हूँ। मैं अपने ढ़दल और आत्मा की गहराई से प्यार करती हूँ। मझ
ु े अपने जीवन में ककसी और की जरूरत
नहीीं है , मझ
ु े केवल आप की जरूरत है…”

मैंने उसको ककस ककया और बोला- “मेरी वप्रया जान मैं परा का परा तम
ु हारा हूँ और मैं भी तम
ु हें प्यार करता हूँ,
और तनम्स्र्त रूप से मैं आपको अपना बच्र्ा दूँ गा…” कहकर मैं वप्रया के बदन पर पड़ा रहा, उसके र्र्े हम दोनों
के सीने से गर्पके हुए थे। मेरा लण्ड उसकी र्त के अींदर ही र्ल रहा था। एक और र्त को र्ोदने की खश
ु ी
मना रहा था।

106
कुछ ही दे र में, मेरा लण्ड उसकी र्त के अींदर ही मल
ु ायम भी होने लगा था। मैं वप्रया को एक भरपर ककस
करके उसके बगल में लि ु क गया, तो उसकी र्त से खब बहुत सारा हम दोनों का समला जल ु ा प्रेम रस तनकलकर
सर्ेद बेडशीट पर गगरने लगा। मैंने दे खा की हमारे गािे सर्ेद रस के साथ खन भी है ।

मैंने वप्रया को बताया की उसकी र्त की सील तो आज टटी है, म्जसका सब


ु त उसकी र्त से तनकला यह खन है ।
मझ
ु े याद आया की मेरे ककट में मेरी रूमाल है तो मैं उठकर खड़ा हो गया और ककट से रूमाल तनकाल कर लाया
और साथ में वप्रया की खल
ु ी कपबोडच से उसकी पैंटी तनकल लाया और अपने तरीके से मैं अपने लण्ड पर लगे
उसकी कूँु वारी र्त के खन को सार् ककया और उसकी र्त से टपक रहे खन को उसकी गल
ु ाबी रीं ग की पैंटी से
सार् ककया।

वप्रया मश्ु कुराते र्ेहरे से मेरी तरर् दे ख रही थी और पछा- “यह क्या कर रहे हो राज?”

मैं उसकी तरर् अपना रूमाल बिाते हुए बोला- “यह लो अपनी पहली र्द
ु ाई की स्माररका और यह तम
ु हारी पैंटी
अब मैं रखींगा…”

वप्रया हूँसने लगी और बोली- “तम


ु पागल हो राज, लेककन बहुत ही प्यारे पागल हो…” कर्र वप्रया उठ गई और
दे खा तो दे खा कक उसकी र्त से खन तनकलकर गाण्ड पर और नीर्े सर्ेद बेडशीट पर पड़ा हुआ है । बेडशीट पर
मलाई का और खन का एक बड़ा सा पल बना हुआ है ।

मैं बोला- “उर्फ़्… वप्रया तम


ु हारी सर्ेद बेडशीट खराब हो गई…”

वप्रया हूँसकर बोली- “अगर तम


ु मझ
ु े ऐसे ही डेली र्ोद-र्ोदकर मेरी र्त से खन तनकालते रहो तो मैं ऐसी सर्ेद
बेडशीट डेली बबछाती रहूँगी…”

वप्रया बोली- “राज मैं इस बेडशीट को कभी भी वाश नहीीं करूूँगी, अब यह मेरे साथ हमेशा ऐसे ही रहे गी और
हमारी पहली र्ुदाई की याद ढ़दलाती रहे गी…”

मैं बोला- “अरे यार तम


ु को अपना रूमाल ढ़दया ना…”

वप्रया हूँसने लगी और बोली- “हाूँ तम


ु हारा रूमाल अब मेरे पसच में हमेशा रहे गा और जब भी हम र्द
ु ाई करें गे यही
बेडशीट बबछाऊूँगी और तम
ु से इतना र्ुदवाऊूँगी, इतना र्ुदवाऊूँगी की यह सर्ेद बेडशीट हमारी क्रीम से भर
जाएगी…”

मैं हूँसकर बोला- “तम


ु भी कुछ कम पागल नहीीं हो मेरी जान…”

कर्र हम दोनों शावर लेने बाथरूम में गये। शावर के नीर्े भी र्द
ु ाई का एक दौर हुआ, समय दे खा तो रात की
9:00 बज र्कु े थे।

वप्रया बोली- “राज तम


ु हें पता है तम
ु मझ
ु े लगभग 4 घींटे से र्ोद रहे हो?”
107
मैं बोला- “अरे यार 4 क्या मैं तो तम
ु हारी मस्त र्त का दीवाना हो गया हूँ, इसको तो मैं 40 घींटे र्ोदूँ गा तब भी
मेरी तबीयत नहीीं भरे गी…” कहकर र्ोन पर करीब के वपज़्ज़ा हट से एक लाजच वपज़्ज़ा का आदे श ढ़दया।

वपज़्ज़ा खाकर दोनों बेड पर नींगे ही लेट गये और एक दसरे से सलपटकर गहरी नीींद सो गये। सब
ु ह 8:00 बजे
आूँख खुली। मेरा सबेरे लण्ड का खड़ा होना भी बहुत ही जोरदार होता है । हमेशा की तरह मेरे उठने से पहले ही
मेरा लण्ड उठ र्क
ु ा था।

वप्रया की आूँख खुली तो दे खा की मेरा लण्ड खड़ा हुआ है तो वो उसे मूँह


ु में लेकर र्सने लगी। उसके र्सने से
मेरी आूँख खल ु ी तो मैंने उसको अपने ऊपर खीींर् सलया और वो मेरे लण्ड पर बैठे गई और उछल-उछलकर
र्ुदवाने लगी। अब उसकी र्त परी तरह से खुल र्क
ु ी थी। एक दौर र्द
ु ाई का हुआ कर्र हम दोनों ने साथ-साथ
शावर सलया।

वप्रया का र्ेहरा ककसी र्ौदहवीीं की र्ाूँद की तरह रोशनी से र्मक रहा था। उसके र्ेहरे पर एक सींतम्ु ्ट ढ़दखाई दे
रहा था। उसको दे खने से ही लग रहा था, जैसे की वो भी एक कूँु वारी लड़की थी और उसकी र्त की सील आज
ही टटी है । वप्रया के र्ेहरे पर एक खुशी की मस्
ु कान थी। इतनी अच्छी र्ुदाई के बाद वप्रया का सारा बदन टट
रहा था। उसको बहुत ही थकान महसस हो रही थी तो उसने कालेज को र्ोन ककया और बतया की उसकी
तबीयत ठीक नहीीं है और आज वो कालेज नहीीं आएगी।

वप्रया ने नाश्ता बनाया और हमने साथ नाश्ता ककया। कर्र मैं वहीीं से म्जम को र्ला गया, और वप्रया अपने
बेडरूम में रात वाली बेडशीट पर ही जाकर नींगी लेट गई और थोड़ी ही दे र में गहरी नीींद सो गई।

डोरबेल बजने पर वप्रया की आूँख खल


ु ी। उसको समय का कोई आइडडया नहीीं हुआ। उसने जल्दी से नाइट गाउन
पहना और दरवाजा खोलने र्ली गई। दरवाजा खोलकर दे खा तो बाहर अनी और सोनी खड़ी मश्ु कुरा रही थी।
उसने जल्दी से बोला- “अरे तम
ु लोग, आ जाओ, अींदर आओ…”

वो दोनों अींदर आ गये। अनी और सोनी ने पछा- “मैम क्या हुआ आपको? हमें पता र्ला की आपकी तबीयत
ठीक नहीीं है…”

वप्रया बोली- “हाूँ कुछ सस्


ु ती महसस हो रही थी, कुछ बदन टटने जैसा हो रहा था इसीसलए कालेज नहीीं आई…”
कर्र वप्रया बोली- “तम
ु लोग बैठो, मैं अभी शावर लेकर आती हूँ…” कहकर वो अपने बेडरूम में पहुूँर्ी ही थी की
पीछे से अनी और सोनी दोनों अींदर आ गये।

अनी और सोनी बोले- “मैम अगर आपको ककसी र्ीज की जरूरत हो तो बताइए…” इतना कहते-कहते तीनों की
नजर खन से और मलाई से लट
ु पट
ु बेडशीट पर पड़ी।

वप्रया तो थोड़ा सा घबरा गई पर अनी और सोनी धीरे से मश्ु कुराते हुए बाहर जाकर सोर्े पर बैठ गये।

वप्रया शावर लेकर आई और बोली- “कल ही मेरा पतत मलेसशया गया है 3 महीने के सलए…” उसने यह इससलए
बोला की अनी और सोनी यह समझें की शायद बेडशीट की यह हालत उसके पतत के साथ हुई है ।
108
अनी ने पछा- “राज आया था क्या मैम?”

वप्रया बोली- “आज या कल बल


ु ाऊूँगी उसको। अभी-अभी तो फ्री हुई हूँ…”

वो दोनों मश्ु कुराकर खामोश हो गये। र्ादर दे खकर वो दोनों समझ गये की यह र्ादर कह रही है रात का
र्साना। थोड़ी दे र वो दोनों वप्रया के पास बैठकर र्ले गये। वहाीं से सीधे म्जम गये लेककन इत्तेर्ाक से वहाीं राज
नहीीं था कहीीं बाहर गया हुआ था, तो वो दोनों अपने घर र्ले गये।

ऐसे ही यह र्द ु ाई का ससलससला र्लता रहा। वप्रया र्द


ु ाई को बहुत ही एींजाय कर रही थी और परी तरह से
सींत्ु ट थी। पहली र्ुदाई के दसरे ही ढ़दन उसको माहवारी शरूु हो गई, म्जसका सब ु त था की वो अपने पतत से
प्रेगनेंट नहीीं है । इधर अनी और सोनी लगातार र्द
ु वा रही थी, कभी अकेले कभी थ्री-सम। अब वप्रया भी मेरे लण्ड
की इतनी दीवानी हो गई थी की उसको तो बस ककसी तरह से मेरा लण्ड र्ाढ़हए था। अब वो म्जम भी आने लगी
थी। एक ढ़दन शाम को वप्रया म्जम में आई हुई थी, मैं वप्रया को मासलश टे बल पर सलटाकर मस्त तरीके में जम
कर र्ोद रहा था।

अनी और सोनी ऐसे समय पर पीछे के दरवाजा से म्जम के अींदर आ गई। जब वप्रया गर्ल्ला रही थी- “र्ोदो राज
आअह्ह… ममस्त मममज़्ज़ा आ रहा है ऊऊईई मममाूँ और जोर-जोर से र्ोदो मेरे राजा, र्ोद-र्ोदकर भोसड़ा बना
दो मेरी र्त का… ऊऊईईई… आआईई… सस्स्स्सीईई हाईई…” मझ
ु े अपने बदन से गर्पकाया हुआ था और अपनी
टाूँगें मेरे पीछे लपेटी हुई र्द
ु वा रही थी।

मैं भी अपने लण्ड को परा बाहर तक तनकाल-तनकालकर परे जोश में उसकी र्त को ककसी जैक-है मर की तरह से
र्ोद रहा था। वप्रया 3-4 बार झड़ र्क
ु ी थी और पर्ा-पर् की आवाज आ रही थी। कर्र मैंने भी वप्रया को दबाकर
कसकर पकड़ सलया और मेरे लण्ड से भी मलाई तनकलकर उसकी र्त को भरने लगी और वप्रया एक बार कर्र
से झड़ने लगी। हम दोनों ही एक दसरे में डबे हुए थे। जैसे ही र्ुदाई खतम हुई, वप्रया का बदन एकदम से ढीला
पड़ गया और वो तनढाल हो गई। मैं नींगी वप्रया के ऊपर नींगा पड़ा हुआ था। दोनों गहरी-गहरी साूँसें ले रहे थे।

इतने में अनी और सोनी ने खींखार कर एक ही आवाज में पछा- “मैं अींदर आ सकती हूँ मैम?”

तब हम दोनों र्ौंक कर उन दोनों की तरर् दे खने लगे।

वप्रया को तो मानो काटो तो खन नहीीं, इतनी डर गई थी वो। एक ही झटके में वो टे बल से नीर्े उतरकर दसरी
बगल से अपने कपड़े उठाकर भाग गई।

अनी और सोनी ने मश्ु कुराकर दे खा और पछा- “वाह राज र्ोद ढ़दया ना आखखर हमारी मैम को?”

मैं हूँसने लगा और बोला- “वो तो कब का र्ोद र्ुका हूँ। यह तो एक हफ्ते से र्ल रहा है । अभी उसका पतत
एयरपोटच पर ही था और मेरा लण्ड उसकी र्त की अींदर था। यार तम
ु हारी वप्रया मैम तो एकदम से मस्त र्ीज
हैं, यार क्या मजा आता है उसको र्ोदने में । कर्र हम तीनों ऐसे ही बातें कर रहे थे। अनी और सोनी कर्र उस
कमरे की ओर र्ले गये म्जसमें वप्रया गई थी।
109
वप्रया ने जैसे ही इन दोनों को अपनी ओर आते दे खा तो उसने अपना मूँह
ु अपने हाथों में छुपा सलया और दोनों
से बोलने लगी- “प्लीज… यह बात ककसी को नहीीं बताना, नहीीं तो मैं ककसी को मूँह
ु ढ़दखाने की काबबल नहीीं
रहीं गी…”

दोनों हूँस कर बोली- “अरे मैम आप कर्कर ना करो, राज के लण्ड की तो हम दोनों भी गल
ु ाम हैं…”

दोनों के मूँह
ु से लण्ड जैसा शब्द सन
ु कर वप्रया एकदम से र्ौंक गई और उनको गौर से दे खने लगी और धीमी
आवाज में पछने लगी- “क्या तम
ु लोग भी?”

“हाूँ मैडम। राज के लण्ड से ही तो हम दोनों की कूँु वारी र्त की सील टटी है । आप ककसी बात की कर्कर ना
करो मैडम। कम आन लेट्स है व र्ोर-सम…”

इतना कहकर मझ
ु े कमरे के अींदर बल
ु ाया और दोनों ने समलकर वप्रया को कर्र से नींगा ककया और कर्र हमने
र्ोरसम र्दु ाई की। बहुत मजा आया। वप्रया पहले तो दोनों के सामने नींगा होने से शमाच रही थी, पर जब एक
बार नींगी हो गई तो कर्र समझो की तीनों परी तरह से नींगी हो गईं, बदन से और जुबान से। तीनों लण्ड, र्त,
र्ुदाई, गाण्ड जैसे शब्द प्रयोग कर रहे थे।

अब मैं वप्रया को तनयसमत रूप से र्ोदने लगा, और डेली उसको ककसी ना ककसी समय पर र्ोदकर ही अपने घर
जाता। कभी उसके घर ही सारी रात रुक जाता। उसको दीपा और रूपा के बारे में भी बताया तो वप्रया हूँसने लगी
और बोली- “तम
ु तो एकदम से र्ोद हो यार… ऐसी ककतनी लड़ककयों को और औरतों को र्ोद रहे हो?”

मैं बोला- “अरे यार क्या करूूँ यह साला र्ोदने का र्क्कर ऐसा है की बस म्जसको र्ोद ढ़दया वो कर्र कहीीं नहीीं
जाती, मेरे पास ही भाग-भागकर आती है …”

वप्रया हूँसकर बोली- “हाूँ मझ


ु े पता है, मेरा भी तो यही हाल है …”

र्द
ु ाई का ससलससला एक महीने तक ऐसे ही र्लता रहा। इस महीने वप्रया की माहवारी समय पर नहीीं हुई तो
उसको कुछ शक पड़ गया। उसने मझ ु से बोला- “राज मझ
ु े इस महीने में माहवारी नहीीं हुई…”

मैं बोला- “अरे ऐसी बात नहीीं यार, कभी-कभी दो हफ्ते भी लग जाते हैं इींतज
े ार करो और दे खो…”

लेककन उसको कहाूँ सबर था। वो अगले ढ़दन ही लेडी डाक्टर के पास र्ली गई और वहाीं टे स्ट से पता र्ल गया
की वो प्रेगनेंट है । वप्रया की खुशी का तो मानो कोई ढ़ठकाना ही नहीीं था। उसने मझ
ु े र्ोन करके जल्दी आने को
बोला तो मैं डर गया की क्या बात है आखखर?

मैं जैसे ही उसके घर पहुूँर्ा, वो मझ


ु से सलपट गई और खुशी से मझ
ु से सलपटकर रोने लगी। एक हजार बार
धन्यबाद राज धन्यबाद राज की ही रट लगाए जा रही थी।

मैंने पछा- “अरे पागल ना बनो क्या बात है, बताओ तो?”
110
वप्रया ने खश
ु ी से झमते हुए और ककस करते हुए बोला- “मैं गभचवती हूँ राज। अब मैं तम
ु हारे बच्र्े की माूँ बनने
वाली हूँ। आज मेरी म़्ींदगी का सबसे बड़ा ढ़दन है, और आज मेरा सपना परा हो गया राज। लाखों धन्यबाद
राज…” वो तो जैसे खुशी से पागल ही हो गई थी।

वप्रया डाक्टर के पास से वापसी में समठाई लेकर आई थी और एक पीस उठाया और आधा मेरे मूँह
ु में रखा और
उसने आध टकड़ा मेरे मूँह
ु से तोड़ कर खाया और एक दसरे को ककस ककया। वो मझ
ु से सलपटी ही रही और
धन्यबाद बोलती ही रही।

मैंने उसको एहततयात रखने को बोला और कहा- “अब र्द


ु ाई बहुत सावधानी के साथ करना होगा। हमें सावधान
रहना होगा…”

तब वप्रया हूँसने लगी और बोली- “राज आई नीड य आल्वेज ववत मी राज। अब तम


ु मेरी म़्ींदगी से कहीीं नहीीं
जाओगे…”

मैं बोला- “अरे तम


ु हारे पेट में मेरा बच्र्ा है और मैं तम
ु से अलग कैसे रह सकता हूँ? तम
ु तो मेरी जान हो…”

वप्रया खश
ु हो गई। मैं वप्रया को अब हमेशा खश
ु रखने की कोसशश करने लगा। मझ
ु े पता था की माूँ अगर खश

रहे गी तो अच्छे स्वस्थ बच्र्े को जन्म दे गी। मझ
ु े भी बाप बनने की बहुत ही खश
ु ी हो रही थी। मैं भी खुशी से
दीवाना हो रहा था।

ढ़दन ऐसे ही गज
ु रते रहे । लेककन में दीपा और रूपा को भी नहीीं छोड़ सकता था, क्योंकी वो मेरे वी॰वी॰आई॰पी॰
सदस्य थे, उनकी र्द
ु ाई भी आन डडमाींड र्लती रही। जब दीपा और रूपा का र्ोन आता तो मझ
ु े सीधे वहाीं र्ला
जाना पड़ता था। अगर मैं वप्रया के घर भी होता तो भी उसको बोल दे ना पड़ता की यार मझ
ु े जाना होगा। वप्रया
भी अब मेरे बब़नेस को और मेरी र्ुदाई को समझ र्ुकी थी और कुछ नहीीं बोलती थी।

एक रवववार की शाम को लगभग 5:00 बजे मैं हमेशा की तरह म्जम में था और लास्ट टे बल कर्ट कर रहा था
और म्जम में अकेला ही था। तभी दीपा और रूपा दोनों म्जम में आ गये। मैंने उनका स्वागत ककया। दोनों अींदर
आए। उनको दे खकर मझ ु े कुछ अजीब सा एहसास हुआ, क्योंकी आज वो दोनों, वो पहले वाली दीपा और रूपा
नहीीं ढ़दख रही थीीं।

मैंने पछा- “क्या बात है मझ


ु े ऐसे क्यों दे ख रहे हो आप लोग?”

तब दीपा मेरे करीब आई और बबना कुछ बोले एक जोर का थप्पड़ मेरे गाल पर मारा।

मैं दीं ग रह गया और पछा- “क्या हुआ? दीपा क्या बात है ? क्या मेरे से कोई गलती हो गई है ?”

इतने में रूपा ने भी एक थप्पड़ मेरे दसरे गाल पर जड़ ढ़दया।

अब तो मैं बहुत ही डर गया की पता नहीीं क्या बात हो गई।


111
दीपा बोली- “तम
ु हारी ढ़हममत कैसे हुई की तम
ु ने अनी और सोनी को र्ोद ढ़दया?”

अब मैं समझ गया की शायद उनको ककसी तरह से पता र्ल गया था की मैं अनी और सोनी को र्ोद र्ुका हूँ।
मैं बोला- “जरा एक समनट रुको प्लीज… मेरे साथ आइए…”

वो दोनों इतने गस्


ु से में थी की बोली- “मैं आज पोलीस में कींप्लेंट करूूँगी तम
ु हारी और कर्र दे खना क्या करती हूँ
मैं तम
ु हारे साथ?” तम
ु ने मेरी बम्च्र्यों की म़्ींदगी तबाह और बबाचद कर दी है…”

इतनी दे र में, मैं ऊपर लगे कैमरा की सीडी जो मैं आलरे डी बना र्क
ु ा था उसको टीवी में लगा ढ़दया और बोला-
“इसको दे खें प्लीज, उसके बाद ही हम कुछ बात करते हैं…”

जैस-े जैसे वो सीडी दे खती गई दोनों के र्ेहरे का रीं ग उड़ने लगा। इस सीडी से यह प्रमाखणत हो गया था की मैंने
अनी और सोनी को जबरदस्ती नहीीं र्ोदा, बल्की उनकी ररक्वेस्ट पर र्ोदा और नहीीं र्ोदने पर शोर मर्ाने की
धमकी पर ही र्ोदा है ।

जैसे ही दीपा और रूपा ने अनी की और सोनी की र्द


ु ाई की सीडी दे खी, दोनों के र्ेहरे का रीं ग सर्ेद हो गया,
मानो काटो तो खन नहीीं।

अब मैं बोला- “ठीक है मैडम। अगर आप लोग पोलीस में कींप्लेंट करना र्ाहें , तो मझ
ु े कोई एतराज नहीीं। एक
बात आप दोनों को और बता दे ना र्ाहता हूँ की अनी और सोनी दोनों ने आप दोनों को एक दसरे की र्तें र्ाटते
हुए भी दे खा है, और एक बार नहीीं बहुत बार दे खा है । उनको पता है की आप दोनों समलैंगगक मजा भी करते
हो। एक बात और बताता हूँ की मैंने अपने और आप दोनों के सींबध ीं ों के बारे में उनको ना ही बताया है और ना
ही कभी बताऊूँगा। इस बात की मैं आप दोनों को गारीं टी दे ता हूँ, क्योंकी गोपनीयता हमारा ससद्धाींत है…”

इतना कहने की दे र थी की दोनों की हालत ही बदल गई और दोनों का रवैय्या ही बदल गया और दोनों ने मझ
ु े
अपनी बाहों में ले सलया और मेरे र्हे रे पर ककस की बौछार करते-करते खेद खेद बोलने लगे और साथ में बोले-
“हमें बहुत दख
ु है राज। तमु हारा कोई दोष नहीीं है । वो भी क्या करें गी बेर्ाररयाीं, जवान हो गई हैं ना… तो उनसे
भी अपनी र्तें सींभाली नहीीं जा रही हैं। ठीक है , हमने शादी के बाद मजे सलए और वो शादी से पहले ही मजे ले
रही हैं। यह तो बड़ी अच्छी बात है की दोनों की कूँु वारी र्तें तम
ु हारे इतने शानदार लण्ड से र्ुदी हैं। पता नहीीं
उनकी ककस्मत में उनके पतत के लण्ड कैसे होंगे? कहीीं हमारे जैसे पतत समले और सही तरीके से र्ोद ना सके
तो उनका क्या होगा? यह भी तो हो सकता है की कहीीं बाहर ककसी ऐरे -गैरे से र्द
ु वा लें, उससे तो बेहतर है की
तम
ु से ही र्ुदवा सलया। र्लो हमें खुशी है की मेरे सद
ुीं र और लींबे मोटे लण्ड वाले राजा जानी ने हमारी बम्च्र्यों
की जवान र्तों को र्ोदकर उनको सींत्ु ट ककया और उनकी र्तों की सील तोड़ी। ठीक है राज अब हम कुछ नहीीं
बोलेंगे। तम
ु उन दोनों को सींत्ु ट करते रहो और उनको जवानी के मजे लेने दो, पर इतना खयाल रखना की वो
प्रेगनेंट ना हों…”

मैं बोला- “उसकी आप लोग गर्ींता ना करो। मेरे पास आई-वपल्स का परा स्टाक मौजद है…”

112
हम तीनों हूँसने लगे और माहौल कुछ हल्का और ठीक हो गया। और कर्र तो दोनों के साथ थ्री-सम हुआ उसके
बाद ही वो दोनों हूँसते खश
ु होते अपने-अपने घर वापस गए।

दसरे ही ढ़दन अनी और सोनी क्लास बींक करके मेरे पास आए और बोले- “गजब हो गया राज… कल मैं और
सोनी र्ोन पर अपनी र्ुदाई के बारे में बात कर रहे थे तो मममी ने सन
ु सलया और हम दोनों को खब डाींटा,
और पछा की क्या हमारा कोई इल्लीगल सींबध
ीं हैं तम
ु हारे साथ? हमने पहले तो मना ककया पर उन्होंने हमारी
परी बातर्ीत सन
ु सलया था…”

मैं बोला- “घबराओ नहीीं, सब ठीक हो गया है । अब तो तम


ु लोगों को तम
ु लोगों की मममी कभी भी कुछ नहीीं
बोलेंगी…”

दोनों ने पछा- “वो कैसे?”

मैं बोला- “बस हो गया सब कुछ, मैंने बात को सींभाल सलया। अब तम


ु दोनों ककसी बात की भी कर्कर ना करो
और मेरे मसल से र्द
ु वाते रहे , और कम आन लेट्स एींजाय…” और कर्र दोनों को खब र्ोदकर ही भेजा।

तीसरे ढ़दन दीपा का र्ोन आया, और बोली- “जल्दी से अपना पासपोटच भेजो…”

मैंने हूँसते हुए पछा- “क्या कर्र यरोप का टर है?”

दीपा बोली- “हाूँ ऐसे ही समझ लो…”

मैं बोला- “ठीक है भेज दूँ गा। पर अभी तो मेरे पास कोई भी नहीीं है , समय समला तो शाम को दे जाऊूँगा…”

दीपा बोली- “नहीीं। मैं अभी तम


ु हारे पास अपने ड्राइवर को भेज रही हूँ, तम
ु उसको दे दे ना। अभी मैं एींबस
ै ी जा
रही हूँ…”

मैं बोला- “ठीक है …” और कर्र सोर्ने लगा की दीपा और रूपा इससे पहले भी मझ
ु े एक बार यरोप के टर पर ले
जा र्ुकी थीीं, जहाीं हम तीनों ने ससवाए र्द
ु ाई के कुछ नहीीं ककया था। हाूँ घमना कर्रना तो था ही। जब हम
यरोप के टर से वापस लौटे थे तो वो दोनों बहुत ही खुश थीीं और मेरे सलए ढे र सारी शावपींग भी की थी। मैं वही
सोर्ने लगा की र्लो एक और यरोप की ढ़ट्रप लग जाएगी और र्द ु ाई होगी। यरोप की ठीं डे मौसम में गरम-गरम
र्ुदाई का बहुत ही मजा आता है ।

ड्राइवर आया और मेरा पासपोटच ले गया। शाम तक मेरे पास मेरा पासपोटच शेंगेन का वीसा लगकर आ र्ुका था।
शेंगेन के वीसा में 34 दे श हैं, म्जसमें फ्राींस, म्स्वट़ररलैंड, इटली, जमचनी वगैरा भी शासमल हैं। पहले हम लोग
फ्रान्स और म्स्वट़ररलैंड जा र्क
ु े थे। मैं समझा की शायद कर्र वहीीं जाना होगा।

मैं अपनी सोर् में गम


ु था की अनी और सोनी हूँसते मश्ु कुराते मेरे सामने आ गये।

मैंने पछा- “क्या बात है इतने खुश ककस बात पर हो रहे हो?”
113
वो दोनों बोले- “राज यह लो…” और मेरी तरर् एक सलर्ार्ा बिा ढ़दया।

मैंने खोलकर दे खा तो उसमें एयर ढ़टकेट्स थे म्जसपे मेरा, अनी और सोनी का ररजवेशन था। मैं दे खकर दीं ग रह
गया और बोला- “तम
ु लोग… मेरे साथ?”

दोनों हूँसते हुए बोले- “क्यों क्या हम नहीीं जा सकते तम


ु हारे साथ?”

मैं बोला- “अरे ऐसी बात नहीीं है यार… मैं कुछ और समझा था…”

सोनी आूँख मारकर बोली- “क्या समझे थे तम


ु ? हाूँ की तम
ु हारे साथ मेरी और इसकी मममी जा रही हैं…”

मैं कुछ नहीीं बोला।

वो दोनों बोली- “अगले हफ्ते है हमारी फ्लाइट…”

मैं बोला- “मेरा एक काम करोगी प्लीज…”

दोनों ने एक साथ बोला- “अरे राज प्लीज… क्या कह रहे हो। हमें हुक्म दो तम
ु की हम तम
ु हारे सलए क्या करें ?”

मैं बोला- “अगर मझ


ु े तम
ु दोनों के साथ जाना है तो प्लीज वप्रया को भी ले लेते हैं ना… रवव भी यहाीं नहीीं है वो
अकेली हो जाएगी और रवव के आने में अभी दो महीने बाकी हैं…”

वो दोनों शरारत से बोली- “बड़ी कर्कर है तम


ु हें वप्रया मैम की?”

मैं बोला- “क्यों नहीीं होनी र्ाढ़हए क्या? क्या तम


ु लोगों को वो अच्छी नहीीं लगती या उसका साथ रहना अच्छा
नहीीं लगता?”

वो दोनों बोले- “अरे मेरी जान राज, ऐसी बात नहीीं है । मैं कल ही वप्रया का वीसा लगवा दूँ गी और उसका ढ़टकेट
भी बना दूँ गी…”

मैं खुश हो गया और बोला- “र्लो अब मैं तम


ु हें इस काम का अड्वान्स में ईनाम दे ता हूँ…” और हम दसरे ववशेष
रूम में र्ले गये और खब घमासान र्ुदाई हुई थ्री-सम में । दोनों की र्तों को बहुत र्ोदा और बहुत दे र तक
र्ोदा। कर्र वो दोनों अपने घर र्ले गये।

मैं रात में वप्रया की पास गया तो वो आलरे डी खश


ु थी। मैंने पछा- “क्या बात है इतनी खश
ु ढ़दखाई दे रही हो?”

वप्रया बोली- “अनी और सोनी आए थे और मेरा पासपोटच लेकर गये हैं…”

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मैं समझ गया की उन दोनों ने इसको सब कुछ बता ढ़दया है । मैं बोला- “वप्रया मेरी जान… तम
ु मेरे बच्र्े की माूँ
बनने वाली हो। मैं र्ाहता हूँ की तम
ु बहुत खश
ु रहो। म्जतनी खश
ु रहोगी उतना ही स्वस्थ और प्यारा बच्र्ा पैदा
होगा…”

वप्रया मेरे गले लग गई और मझ


ु को ककस करते बोली- “अब मेरे राजा की तनशानी मैं सारी म़्ींदगी अपने सीने से
लगाकर रखग
ूँ ी…”

अभी वप्रया का प्रेगनेंसी का पहला ही महीना था और डाक्टर ने शरू


ु के 3 महीने बहुत ही ज़्जयादा एहततयात बताई
थी और उसको इशारों में बताया था की अपने पतत को बोलना की बहुत जोर-जोर से ना र्ोदें , अींदर डाले और
धीरे -धीरे करें , या कर्र तम
ु ही ऊपर आ जाना और जो भी करना हो धीरे -धीरे करना।

वप्रया ने रवव से मलेसशया में बात की तो वो भी खश


ु हो गया की वो अपने दो स्टडेंट्स के साथ यरोप जा रही
है । वप्रया ने उसको बताया था की उनकी मममी उसको दोनों बम्च्र्यों की कींपनी के सलए भेज रही हैं।

तीन ढ़दन बाद हमारी फ्लाइट थी।

इधर से मैं और वप्रया एयरपोटच पहुूँर्े और उधर से अनी और सोनी के साथ दीपा और रूपा भी थी। वो दोनों
वप्रया से समलकर बहुत खश
ु हुईं। अनी और सोनी ने बता ढ़दया था की वो उनकी बायलोजी की मैम हैं और दोनों
को बहुत र्ाहती हैं।

पर दीपा और रूपा को पता था की वप्रया ककसको ज़्जयादा र्ाहती है , और वप्रया को कौन र्ाहता है? जब अनी ने
अपनी माूँ को वप्रया को अपने साथ ले जाने की बात बताई तो वो र्ौरन ही समझ गई की मैं वप्रया को भी र्ोद
र्क
ु ा हूँ और अपने साथ ले जाना र्ाहता हूँ। वप्रया थी भी बहुत ही खबसरत। दीपा और रूपा वप्रया से समलकर
बहुत खुश हुईं।

हमारी लफ़्
ु थाींसा एयरवेज की फ्लाइट थी। सबसे पहले हम जमचनी के फ्रगीैीींकर्टच एयरपोटच पर उतरे । ट्राम्न्सट था
उसके बाद आन्वडच फ्लाइट जुरी, म्स्वट़रलैंड की थी। म्स्वट़रलैंड हमारा पहली डेम्स्टनेशन था। वहाीं खब मजे
ककए। एयरपोटच पर ही शेरेटन होटे ल का एक रे प्रेजेंटेढ़टव हमारे नाम का प्लग कडच सलए खड़ा था जो हमको होटे ल ले
गया। कर्र वहीीं से हमारे घमने कर्रने का प्रोग्राम बना। म्स्वट़रलैंड की सर्ेद बर्च से भरी खबसरत वाढ़दयों में
घमे, जहाीं-जहाीं मौका समला र्ुदाई हुई, कभी थ्री-सम कभी र्ोर-सम।

अनी और सोनी को पता र्ल गया था की वप्रया मेरे बच्र्े की माूँ बनने वाली है , तो वो दोनों भी बहुत ही खश

हो गये और हम दोनों को बधाई दे ने लगे। कर्र प्रेगनेंसी सेट होने की एक जबरदस्त पाटी हुई। सारा खर्च
आलरे डी पेड था। ककसी को भी एक पैसा दे ने की जरूरत नहीीं पड़ी। अनी और सोनी ने समलकर मेरे सलए और
वप्रया के सलए ढे र सारी शावपींग की।

कर्र हम म्स्वट़रलैंड से फ्राींस गये। वहाीं कन्स में कर्ल्म र्ेम्स्टवल लगा हुआ था, 3 ढ़दन हम वहाीं रहे और
ववदे शी कर्ल्मों का मजा उठाया। फ्राींस से हम लोग लक्समबगच कर्र बेम्ल्जयम और नीदरलैंड, डेनमाकच से होते हुए
लण्डन गये। वहाीं से वापस इींडडया आ गये। हमारा यह टर लगभग एक महीने का था। बहुत ही एींजाय ककया।
खब र्ोटोग्रर्ी की, खब र्ुदाई की।
115
पेररस में आइर्ल टावर जब घमने गये तो इन लोगों ने रोमातनया की ककसी लड़की से दोस्ती की, जो की वहाीं
साइट सीइींग कर रही थी, उसका नाम कक्रस्टीना था। वो बेइींतह
े ा खबसरत थी। खब गोरी-गोरी, गोल्डेन बाल
म्जसपे वपींक रीं ग का हे यर बैंड बूँधा हुआ था और वो एक बड़े साइज की ब्रेससयर जैसा कोई ड्रेस वपींक रीं ग का
पहने हुए थी, और उसी रीं ग का शाटच लाइतनींग वाला स्कटच था। अपने पैरेंट्स के साथ आई थी पर दोस्ती कुछ
ऐसी हुई की उसको डडनर पर इन्वाइट ककया। वो भी अनी और सोनी की उमर की ही लगती थी पर थी बहुत ही
खबसरत। उसके र्ेहरे पर शरारत और माससमयत का समला जल ु ा एक्सप्रेशन रहता था। और कर्र वहीीं होटे ल में
उसकी भी र्ुदाई हुई। अनी, सोनी और वप्रया ने मझ
ु े उस गोरी लड़की को र्ोदने की सलए बोला और वो लड़की
भी तैयार हो गई।

मैंने कक्रस्टीना को पछा- “वम्जचन हो?”

कक्रस्टीना बोली- “हाूँ अभी तक तो वम्जचन ही हूँ…”

मझु े ताज्जब
ु हुआ की इस उमर की लड़की यरोप में अभी तक कूँु वारी है । पछने पर पता र्ला की उसके बायफ्रेंड
ने र्ोदने की कोसशश तो की, पर सर्ल नहीीं हुआ।

डडनर के बाद कक्रस्टीना ने बोला- “मैं कुछ हाडच डड्रींक लेना र्ाहती हूँ…”

हमने बोला- “तम


ु र्ाहो तो ले सकती हो पर हम नहीीं लेंगे…”

कक्रस्टीना तैयार हो गई। उसके सलए शैमपेन की बोतल मींगाई तो वो बहुत ही खश


ु हो गई की इतनी कीमती
शराब उसने आज तक नहीीं पी थी। शैमपेन की बोतल लेकर हम रूम में आ गये। कक्रस्टीना बहुत हूँस-हूँसकर बातें
कर रही थी और हमारी कींपनी में बहुत खुश ढ़दखाई दे रही थी, एींजाय कर रही थी। उसने शराब पीनी शरू
ु की
और उसको बहुत अच्छी लगी और वो बहुत पीने की मड में थी।

तब हम लोगों ने सोर्ा की अगर यह परा शराब पीकर आउट हो गई तो कर्र सारा मजा ककरककरा हो जाएगा।
इसीसलए अब उसको बोले की थोड़ी दे र बाद पीना तो वो तैयार हो गई। कर्र सब समलकर रूम में बातें करने
लगे। हमारा रूम क्या था एक परा फ्लैट था म्जसमें दो बड़े डबल बेडरूम और एक ससींगल बेड वाला गेस्ट टाइप
का रूम ववत अटै र् बाथरूम था, बहुत नीट और क्लीन। हमारा रूम दे खकर भी कक्रस्टीना बहुत खुश हो गई।
इधर-उधर की बातें करते-करते टावपक सेक्स की आ गई।

अनी ने कक्रस्टीना से पछा- “तम


ु हारी र्त ककस रीं ग की है ?”

कक्रस्टीना बोली- “रोजी (गल


ु ाबी) है…”

सोनी बोली- “ढ़दखाओ…”

कक्रस्टीना बोली- “पहले तम


ु ढ़दखाओ…”

116
बस इतना बोलने की दे र थी की सोनी एकदम से नींगी हो गई और बोली- “र्लो अब तम
ु हारी बारी…”

कक्रस्टीना भी नींगी हो गई।

कर्र वप्रया ने अनी के कपड़े तनकाले और तीनों ने समलकर वप्रया को नींगा ककया। अब यह तीनों का खेल शरू
ु हो
गया। डबल बेड पर एक र्ौकोर जैसा बन गया, जहाीं र्ारों एक दसरे की र्तें र्ाटने में बबजी थे।

मेरा लण्ड तो कक्रस्टीना की र्त दे खते ही परा मस्ती में आ गया था। मैं उन र्ारों के बीर् में नींगा ऐसा लेट
गया की मेरा मसल कक्रस्टीना की तरर् था। जैसे ही उसने मेरा लण्ड दे खा उसके मूँह
ु से वाउ तनकल गया और
अपना मूँह
ु वप्रया की र्त से हटाकर मेरे लण्ड को ककस ककया और उसको जोर से दबाने लगी।

मैं उन तीनों के बीर् से कक्रस्टीना को उठाकर दसरे बेडरूम में ले गया। यह बेडरूम एक दसरे के आमने सामने
थे। बीर् का पाटीशन दरवाजा खोल दो तो दोनों कमरे एक ही बन जाते थे। यह तीनों एक दसरे की र्तों को
र्ाट रहे थे और मैं कक्रस्टीना को दसरे रूम में लेकर आ गया और नीर्े लेटकर उसको अपने ऊपर खीींर् सलया
और हम 69 की पोजीशन में आ गये। मैं उसकी मस्त गोरी गर्कनी र्त को र्ाट रहा था और वो मेरे लण्ड को
अपने मूँह
ु में लेकर र्स रही थी। लण्ड मोटा होने की वजह से परा उसके मूँह
ु में नहीीं आ रहा था कर्र भी वो
कोसशश कर रही थी की म्जतना ज्यादा ले सकती है उतना ले।

कक्रस्टीना घट
ु ने मोड़कर मेरे मूँह
ु पर बैठ गई और अपनी र्त को मेरे मूँह
ु में रगड़ने लगी। शराब की और र्त
र्टवाने की मस्ती में वो परा गरम हो र्क
ु ी थी। मैंने भी अभी तक ककसी गोरी लड़की को नहीीं र्ोदा था और मैं
र्ाह रहा था की कक्रस्टीना की र्ुदाई का एक दौर तो जल्दी ही लगा ल।ीं

कक्रस्टीना मेरे मूँह


ु में अपनी र्त को रगड़ रही थी और मेरे लण्ड को भी परा मस्ती में र्स रही थी। मैंने उसको
अब नीर्े पीठ के बल सलटा ढ़दया और खुद उसकी टाूँगों के बीर् में आ गया और अपने गीले लण्ड को उसकी
र्त में रखा ही था की उसने अपना हाथ बिाकर मेरे लण्ड को पकड़ सलया और लण्ड के सप
ु ाड़े को अपनी र्त
की सख
ु च छे द में र्ूँसा ढ़दया। मैं उसके ऊपर झुक गया और थोड़ा सा दबाव ढ़दया तो उसके मूँह
ु से उह्ह… उह्ह…
उर्फ़्… उर्फ़्… तनकला।

कक्रसटीना ने मझ
ु े कसकर पकड़ सलया। मैं अब उसके र्र्ों को र्सने लगा था। बड़े प्यारे और कड़क र्र्े थे
उसके। एकदम से गलु ाबी तनपल और बहुत ही छोटा सा वपींक अरोला। मैं उसको ककस करने लगा, जीभ र्स
ु ाई
ककस और साथ में उसके कड़क र्र्ों को भी मसल रहा था। इधर नीर्े से लण्ड का दबाव भी बिा रहा था। लण्ड
का थोड़ा सा भाग उसकी र्त के छे द में अटका हुआ था। वो मेरी पीठ और मेरे र्तड़ों को सहला रही थी।

मैं थोड़ी दे र तक लण्ड को कक्रस्टीना की र्त के थोड़ा अींदर थोड़ा बाहर करता रहा और कर्र जैसे ही उसको मजा
आने लगा तो धीरे से उसके कान में र्ुसर्ुसाया- “क्या तम
ु तैयार हो कक्रस्टीना?”

तब कक्रस्टीना ने धीरे से मश्ु कुराकर अपना ससर ढ़हला ढ़दया।

मैं सही वक़्त की इींतज


े ार में था और मेरे ऊपर कूँु वारी र्त की सील तोड़ने का भत सवार हो गया था और मेरी
हवस जाग र्ुकी थी। एक और नई कूँु वारी र्त को र्ोदने के खयाल से ही मेरी आूँखों में एक अींजानी र्मक आ
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गई थी। उसे क्या पता था की मैं कैसे उसकी सील को तोड़ने वाला हूँ। वो तो बस मेरा थोड़ा सा लण्ड ही अपनी
र्त के अींदर महसस करके मश्ु कुरा रही थी। उसके मश्ु कुराते र्ेहरे को दे खते-दे खते मैं अपने लण्ड को उसकी र्त
के अींदर-बाहर, अींदर-बाहर करता रहा और वो मस्ती में मेरी पीठ को प्यार से सहलाती रही। गीला लण्ड उसकी
र्त में अींदर-बाहर हो रहा था।

कर्र मैंने कक्रस्टीना को कसकर पकड़ सलया और एक ही झटका इतनी ताकत से मारा की मेरा परा 9” इींर् का
मसल लण्ड उसकी र्त को र्ीरता हुआ उसकी र्त की गहराईयों में उतर गया।

कक्रसटीना गर्ल्लाई- “ऊओ… मममाई गोड… आअह्ह… उर्फ़्… उईईई… इसस्स्स्स्स… आह्ह…” करते हुये उसने मझ
ु े
बहुत ही कसकर पकड़ सलया था। उसकी आूँखें बाहर को तनकल आई थी और उसमें से आूँस तनकलकर नीर्े
टपकने लगे। उसकी आूँखें बींद हो गईं। उसका गोरा र्ेहरा इतना लाल हो गया की लगता था की सारे बदन का
खन उसके र्ेहरे में ससमट कर आ गया हो।

कक्रसटीना की आवाज सन
ु कर यह तीनों भागकर कमरे में आ गये। दे खा तो कक्रस्टीना की र्त र्ट र्ुकी थी और
उसने मझ ु े बहुत ही कसकर पकड़ा हुआ था। वप्रया उसके करीब आकर बैठ गई और उसके र्ेहरे को अपने हाथों
में लेकर सहालना शरू ु ककया और अनी और सोनी ने भी इधर-उधर उसको सहलाना शरू
ु ककया तो कर्र थोड़ी दे र
के बाद उसने आूँखें खोली और इधर-उधर दे खने लगी।

अनी, सोनी और वप्रया ताली बजाते हुए बोले- “कींग्रगर्ुलश


े न्स कक्रस्टीना… य आर नो मोर आ वम्जचन नाउ। राज
है ज टे केन यव
ु र र्ेरी…”

पहले तो कक्रस्टीना की समझ में कुछ नहीीं आया की उसके साथ क्या हुआ है? कर्र धीरे -धीरे उसके होश काम
करने लगे तो उसको अपनी हालत का पता र्ला तो वो भी मश्ु कुरायी। अब उसका बदन कुछ आराम से हो गया
था। कर्र सोनी उसके मूँह
ु पर बैठ गई और कक्रस्टीना सोनी की र्त को र्ाटने लगी। सोनी के सामने अनी खड़ी
हो गई तो सोनी ने अनी की र्त को र्ाटना शरू
ु ककया और अनी ने वप्रया की र्र्ों को र्सना र्ाल ककया। इसी
तरह से सब के सब बबजी हो गये।

मैं कक्रस्टीना की छोटी र्त को बहुत जोर-जोर से र्ोद रहा था। आज पहली बार कोई गोरी र्त समली थी र्ोदने
की सलए। गोरी कूँु वारी छोटी सी र्त को र्ोदने में बहुत ही मजा आ रहा था। कर्ल्मों और र्ोटो में तो बहुत
दे खी थी, पर आज नींगी मेरे बदन के नीर्े पड़ी एक गोरी लड़की मेरे मसल से र्ुदवा रही थी। मैं भी परा मस्ती
में र्ोद रहा था। थोड़ी ही दे र में उसका ददच कुछ कम हो गया और वो अपनी गाण्ड उर्का-उर्का कर मजे से
र्ुदवाने लगी।

अनी, सोनी और वप्रया अपने-अपने खेल में खोए हुए थे। सोनी की र्त कक्रस्टीना र्ाट रही थी और मेरे मोटे
लण्ड से र्ुदवा रही थी। मैं बहुत तेजी से और परी ताकत से शाट मार रहा था और मेरे ऐसे जोरदार शाट्स का
कक्रस्टीना अपनी गाण्ड उठा-उठाकर जवाब दे रही थी। कक्रस्टीना की गोरी र्त 3 बार आलरे डी झड़ र्क
ु ी थी और
अब मेरा लण्ड उसकी र्त में आराम से अींदर-बाहर हो रहा था। कूँु वारी र्त से तनकला कूँु वारा खन मेरे लण्ड के
डींडे से लगा बाहर आ रहा था और अींदर जा रहा था। मझु े भी अब बहुत ही मजा आ रहा था और मेरा भी अब
तनकालने वाला था। मेरी स्पीड तेज हो गई और कर्र मैं उसको बहुत ही कसकर पकड़कर अपने लण्ड को परा
र्त से बाहर तनकलकर एक और जोरदार शाट मारा।
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कक्रस्टीना की कर्र से र्ीख तनकल गई- “ऊऊऊ ममममाई गोड…” और मेरा लण्ड उसकी र्त के अींदर तक घस
ु कर
उसके बच्र्ेदानी के अींदर तक पहुूँर् गया था और गरम-गरम रस से उसकी र्त भरने लगी। मेरी क्रीम के र्व्वारे
के साथ ही वो एक बार कर्र से झड़ गई। उसने मझ ु े बहुत कसकर पकड़ा हुआ था और वो काूँपते हुए बहुत जोर
से झड़ रही थी। उसका आगैज़्जम बहुत ही जोरदार था। उसका सारा बदन पशीने से भीग गया था। यह उसका
पहला सबसे बड़ा आगगज़्ज
च म था जो दो समनट तक लगातार र्लता रहा। हम दोनों गहरी साूँस ले रहे थे।

मैंने कक्रस्टीना से पछा- “डडड य एींजाय कक्रस्टीना?”

कक्रस्टीना ने मझ
ु े ककस करते हुए कहा- “आई नेवर र्ेल्ट ढ़दस र्ीसलींग बबर्ोर। य सीमस टु बी बेस्ट आींड र्ैंवपयन
इन ओपेतनींग थे सील…” और हम दोनों हूँसने लगे।

इतनी दे र में सोनी और अनी दोनों भी झड़ र्ुकी थी। कक्रस्टीना ने करीब खड़ी वप्रया की र्त में उीं गली डाल दी
और उसकी र्त को उीं गली से र्ोदने लगी। वप्रया भी गमच हो र्ुकी थी और एक समनट के अींदर ही झड़ गई। अब
हम सभी झड़ र्क
ु े थे और सब के र्ेहरों पर सींतम्ु ्ट ढ़दखाई दे रही थी।

सारी रात हमने ग्रप सेक्स ककया। बहुत ही मजा आया। कक्रस्टीना हमारे बबहे ववयर से इतनी इींप्रेस हो गई की
उसने इींडडया आने का वादा ककया है । दे खते हैं कब आती है ? दसरी सब
ु ह तक मैंने कक्रस्टीना को दो बार और
र्ोदा और कर्र उसकी गाण्ड मारने की बाद ही उसको उसके पेरेंट्स की पास जाने ढ़दया। वो हम सबको ककस
करती हुई हमसे जद ु ा होकर अपने होटे ल र्ली गई। जाते समय उसके र्ेहरे पर सींतम्ु ्ट की र्मक थी, पर वो
हम से जुदा होने के ग़म में उदास भी थी।

हम र्ारों इींडडया वापस आ गये। हम सब बहुत ही खश ु थे। कालेज की भी कक्रसमस और नये साल की छुट्ढ़टयाीं
थीीं, तो यह छुट्ढ़टयाीं हमारे सबके सलए एक र्ान्स बन कर आई। हम इींडडया म्जस शाम पहुूँर्,े हमको ररसीव
करने की सलए दीपा और रूपा दोनों आए थे। हमें खुश दे खकर वो भी बहुत ही खश
ु हुए और जाते-जाते दीपा ने
मेरे हाथ को पकड़कर दबाया म्जसे और कोई नहीीं दे ख सका और बोली- “धन्यबाद राज र्ार एवरीगथींग…”

मैं बोला- “हनी इसमें धन्यबाद की क्या बात है?”

दीपा बोली- “हम तो र्ाहते हैं की अनी और सोनी हमेशा खुश रहें …”

मैं बोला- “उसकी आप गर्ींता मत कीम्जए, मैं उन दोनों को हमेशा खश


ु रखग
ूँ ा…” और हूँसते हुए बोला- “शादी के
बाद भी मैं उनकी सववचससींग करूींगा…”

दीपा धीमे लहजे में बोली- “बड़े शैतान हो तम


ु …” और कर्र मेरा हाथ छोड़ ढ़दया, म्जससे ककसी ने भी नोट नहीीं
ककया।

वप्रया ने रवव को पहले ही बता ढ़दया था की वो प्रेगनेंट है तो वो बेइींतह


े ा खश
ु हो गया। उसको क्या पता की
वप्रया को र्ोदने के दसरे ही ढ़दन तो उसकी माहवारी शरू
ु हो गई थी और यह प्रेगनेंसी उसकी तरर् से नहीीं,

119
बल्की राज की मेहरबानी से ठहरी है । वप्रया को मैं बहुत ही एहततयात करवा रहा था। उसको जब र्ोदना होता तो
बहुत ही धीरे से या ससर्च 69 में ही करते और झड़ जाते। मैं नहीीं र्ाहता था की उसकी प्रेगनेंसी को कुछ हो।

अब मैं ज्यादातर वप्रया के घर पर ही सो जाता था और कभी अपने घर को भी र्ला जाता था। वप्रया कभी अपने
घर में रहती और छुट्टी के ढ़दन मेरे घर में रहती। मैं दीपा और रूपा को बराबर र्ोद रहा था। वो दोनों भी मेरी
र्ुदाई से बहुत ही खुश थीीं। ढ़दन ऐसे ही गजु रते रहे । हमको यरोप की टर से वापस आए हुए दो हफ्ते हुए थे।
अनी और सोनी भी जब मौका समलता र्द ु वा जाती थीीं।

एक शाम मैं अपने म्जम में बैठा था की दीपा का र्ोन आया, और पछा- “तम
ु क्या कर रहे हो? फ्री हो क्या?”

मैं बोला- “दीपा डासलिंग, मैं कुछ भी कर रहा हूँ मैं परा की परा तम
ु हारा हूँ। मैं तम
ु हारे सलए म़्ींदगी भर फ्री हूँ। जो
कुछ भी तम
ु कहोगी, वो मेरे सलये आदे श है…”

दीपा हूँसने लगी और बोली- “ठीक है मैं और रूपा आ रहे हैं…”

मैं बोला- “बहुत-बहुत स्वागत है स्वीटहाट्चस…” मैं समझा था की वो यहीीं आकर र्ुदवाएींगी।

आज इत्तेर्ाक से कोई सदस्य भी नहीीं था, तो मैंने अपनी मालीसशया लड़ककयों को छुट्टी दे दी और वो सब र्ले
गये। मैं अकेला दीपा और रूपा का इींतज
े ार करने लगा। वप्रया को र्ोन करके बता ढ़दया था की दीपा और रूपा
आ रही हैं, पता नहीीं क्या प्रोग्राम बनता है , तम
ु खाना खाकर सो जाना मेरा इींतज
े ार नहीीं करना। मैं जब फ्री हुआ
आ जाऊूँगा।

वप्रया ने ठीक है कहा और र्ोन रख ढ़दया।

शाम को 6:00 बजे के आसपास दीपा और रूपा मेरे पास ऊपर आ गये। दोनों ने एक बार कर्र से उनकी
लड़ककयों को एींटरटे न करने का शकु क्रया अदा ककया और बोला- “र्लो राज हमारे साथ…”

मैं बोला- “मोस्ट वेलकम मैडम, आई आम एवर रे डी र्ार य…”

हम तीनों नीर्े उतरे तो दे खा की एक नई डाकच मरून रीं ग की र्मकती लेक्सस जीप खड़ी है । दीपा ने मझ
ु े र्ाबी
दी और बोली- “र्लो ड्राइव करो…”

यह पहला मौका था की मैं लेक्सस जीप र्ला रहा था। बहुत ही शानदार जीप थी। मैं बोला- “काींग्रगर्ुलेशन्स…
बहुत ही बढ़िया जीप है यह तो। शानदार लेदर इींटीररयर। कब खरीदी?”

रूपा बोली- “आज ही शोरूम से आई है तो तम


ु हारे पास लेकर आ गये…”

मैंने मीटर की तरर् दे खा तो उसमें ससर्च 15 ककलोमीटर ढ़दखा रहा था। मैं समझ गया की हाूँ यह आज ही
शोरूम से तनकली है ।

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रूपा ने पछा- “कैसी लगी तम
ु को ये जीप?”

मैं बोला- “वाह क्या बात है इस जीप की… इससे शानदार जीप मैंने कभी र्लाई ही नहीीं…”

तब वो दोनों हूँसने लगीीं। उन दोनों ने मझ


ु े रास्ता बताया की कैसे जाना है । जीप तकरीबन आधे घींटे तक र्लती
रही कर्र शहर से थोड़ी ही दर बाहर तनकले थे की एक बहुत ही बड़े आलीशान बींगलो के सामने जीप को रोकने
की सलए बोला, और रूपा ने नीर्े उतरकर गेट खोला। मैं जीप को अींदर लेजाकर इींतज
े ार ककया तो रूपा वापस
गेट लाक करके जीप में आकर बैठ गई। मैंने जीप र्ला दी। हम अींदर आ गये। इतना आलीशान और शानदार
बींगलो। मेरे मूँह
ु से तो- “वाउ… यह तो शानदार है यार कब खरीदा?”

दीपा बोली- “बस अभी-अभी बनकर तैयार हुआ है …”

इतने बड़े घर को घमकर दे खा। हर कमरा ककसी दल् ु हन की तरह से सजा हुआ था। परा र्तनचश्ड, घर की सारी
सवु वधायें मौजद थी वहाीं पर। बेडरूम, हाल, ड्राइींगरूम, ससढ़टींग रूम वगैरा में सब सोर्ासेट्स, बेडरूम में ककीं ग
साइज बेड्स पड़े हुए थे, और इतने बड़े थे की इस बेड पर कम से कम 5 लोग बहुत आसानी से सो सकते थे,
और हर बेड पर बेहतरीन बेडशीटस बबछी हुई थीीं, और उनके पाएताने पर स्पेतनश मोरा गोल्ड की नरम कमबलें
बहुत सलीके से मोड़कर रखी हुई थीीं। एल॰सी॰डी॰ स्क्रीन वाले बड़े-बड़े वाल माउीं टे ड टी॰वी॰ रखे हुए थे। बेहतरीन
कलर स्कीम इश्तेमाल की गई थी। बाथरूम और शावर भी नई डडजाइन और नई कर्ढ़टींलस के लगे हुए थे, और
एकदम से हाई क़्वासलटी की कर्ढ़टींलस इश्तेमाल ककए गये थे।

बेडरूम और दसरे रूम, हाल वगैरा में रीं गीन पदे लगे हुए थे। सेंट्रल वातानक
ु लन लगा हुआ था। कुल समलाकर
यह एक बहुत ही शानदार बींगलो था, म्जसे मैं दे खता का दे खता ही रह गया। ऐसा लगता था जैसे यह बींगलो
ककसी रहने वाले का इींतज
े ार कर रहा है । कर्र जब मैं बालकनी से बाहर दे खा तो बींगलो के पीछे वाले भाग में
एक अच्छा खासा बड़ा म्स्वसमींग पल भी था। मैं दे खकर सोर्ने लगा की बड़े लोगों की बातें ही बड़ी होती है । मैं
तो कभी ऐसे शानदार बींगलो को खरीदने का सपना भी नहीीं दे ख सकता था। लगता था की ककसी मशहर
इींटीररयर डडजाइनर ने डेकोरे शन ककया है । हर र्ीज बहुत ही आला क्वासलटी की थी। और जैसे ही बाल्कनी से
पलटकर वापस ड्राइींग रूम में आया तो दे खा की दीपा और रूपा दोनों नींगे खड़े मेरा स्वागत कर रहे हैं। मैं दोनों
को दे खकर मश्ु कुरा ढ़दया और मेरा लण्ड र्ौरन ही हरकत में आ गया और कर्र हमने उस रात बहुत ही जमकर
र्ुदाई की। दोनों को अलग-अलग र्ोदा और कर्र थ्री-सम भी हुआ।

र्द
ु ाई का ससलससला सारी रात र्लता रहा। रात के तकरीबन 11:00 बजे रूपा वपज़्ज़ा तनकालकर लाई जो की
ओवन में रखा हुआ था, शायद पहले ही आडचर करके मींगवा सलया गया था। डाइतनींग टे बल परा ललास टाप की
थी। हम तीनों ने वपज़्ज़ा खाना शरू
ु ककया और साथ में मस्ती भी र्ल रही थी। वपज़्ज़ा खाने के बाद कर्र र्द
ु ाई
शरू
ु हुई। दोनों ने मेरे लण्ड को र्स-र्सकर लण्ड का रस वपया। दोनों की गाण्ड भी मारी। सब
ु ह के 4:00 बजे के
आसपास हम तीनों नींगे एक ही बेड पर एक दसरे से सलपटकर गहरी नीींद सो गये।

दसरे ढ़दन दोपहर के 3:00 बजे हमारी आूँख खुली। एक ही बेड पर तीनों नींगे पड़े थे। हम तीनों ने साथ-साथ
शावर सलया और एक दसरे को अच्छी तरह से साबन
ु से रगड़-रगड़ कर धोया। इतने ढ़दनों में दीपा और रूपा
एकदम से र्द
ु क्कड़ बन र्क
ु ी थीीं। ऐसा लगता था की उनकी जवानी पलटकर वापस आ गई है । बबल्कुल ककसी
18–19 साल की जवान लड़ककयों की तरह से र्ुदवाती। झड़ जाती और कर्र एक ही समनट के अींदर कर्र से
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र्ुदवाने को तैयार हो जाती। शावर में भी दोनों को एक-एक दर्ा घोड़ी बनाकर र्ोदा। शावर से बाहर आकर एक
दसरे के बदन को पोंछा। ककर्न और कफ्ऱ भी परा खाने पीने के सामानों से भरा पड़ा था। तीनों ने साथ
ब्रेकर्ास्ट सलया और कर्र कार्ी पीते-पीते इधर-उधर की बातें करने लगे।

यरोप के टर के बारे में पछा तो मैंने उन दोनों को सब कुछ बता ढ़दया की ककस तरह से र्ुदाई हुई और ककस
तरह से एक दसरे की र्तों को र्ाटा और कर्र कक्रस्टीना के बारे में भी बताया।

तब वो दोनों हूँसने लगी और बोली- “की राज मेरी जान तम


ु हारे लौड़े में पता नहीीं क्या जाद है, कक इसे कोई र्त
एक बार दे ख लेती है तो बस इसी की गल
ु म होकर रह जाती है…” उन दोनों ने कर्र मझ
ु े धन्यबाद र्ार
एवरीगथींग बोला।

मैं बोला- “अरे यार तम


ु लोग बार-बार धन्यबाद बोलकर मझ
ु े शसमिंदा कर रहे हो। मैं बोला ना की यह मेरी ड्यटी
है …” कार्ी का एक और दौर र्ला कर्र।

मैंने गौर ही नहीीं ककया, मेरी नजर पड़ी तो वहाीं सेंटर टे बल पर दो ब्राउन रीं ग के बड़े सलर्ार्ा रखे हुए थे। दीपा
और रूपा ने एक-एक सलर्ार्ा उठा सलया और सोर्े से उठकर मझ ु े दे ते हुए बोली- “राज प्लीज… इसे ना
ठुकराना, यह हमारी तरर् से तम
ु को एक छोटा सा गगफ्ट है…”

मैं तो है रान रह गया की सलर्ार्े का गगफ्ट। मझ


ु े क्या पता था, मैंने उन दोनों के हाथों से वो सलर्ार्ा ले सलया
और पहले दीपा का ढ़दया हुआ सलर्ार्ा खोलकर दे खा तो मेरे होश-ओ-हवस उड़ गये, र्ेहरे का रीं ग ही बदल गया,
मेरे हाथ काूँपने लगे। एक सलर्ार्े में इस बींगलो के ररम्जस्ट्री के पेपसच थे, जो मेरे नाम ककए गये थे और दसरे
सलर्ार्े में जो रूपा ने ढ़दया था उसमें लेक्सस जीप की ररम्जस्ट्री बक
ु थी म्जसके मासलक की जगह मेरा नाम
सलखा हुआ था।

मैं बोला- “प्लीज दीपा और रूपा मैं आप दोनों से बहुत ही प्यार करता हूँ और जब तक मैं हूँ आप से प्यार
करता रहीं गा और आपकी सेवा अपने ढ़दल-ओ-जान से करूूँगा। पर मैं यह इतना बड़ा गगफ्ट नहीीं ले सकता…”

दीपा बोली- “राज तम


ु तो हमारी जान हो। अगर तम
ु यह नहीीं आक्सेप्ट करोगे तो हमें बहुत ही बरु ा लगेगा…”

मैं बोला- “मेरी प्यारी प्यारी दीपा और रूपा डासलिंग, अगर आप लोगों को यह शक है की कभी मैं अनी और सोनी
के ताल्लक
ु से आपको ब्लैकमेल करूूँगा तो आप यह बात अपने ढ़दल से तनकल दीम्जए। मैं इतना कमीना इींसान
नहीीं हूँ। मैं आप से कसम खाकर कहता हूँ की मैं ऐसा कभी नहीीं करूूँगा…”

इतना सन ु ना था की उन दोनों ने एक साथ बोला- “नहीीं राज, हमें मालम है की तम


ु बहुत ही अच्छे नेर्र के
इींसान हो, ऐसा कभी नहीीं करोगे। पर प्लीज इसे आक्सेप्ट कर लो…” इतना कहते-कहते उनकी आूँखों में आूँस आ
गये।

उनकी आूँखों में आूँस दे खकर मेरा ढ़दल भी भर आया और मेरी आूँखें भी गीली हो गई। मैं आगे बिकर दोनों को
अपने गले से लगा सलया और वो दोनों मेरे कींधे पर ससर रखकर बहुत धीमी ढ़हर्ककयों के साथ रोने लगीीं, तो
मैंने उनके र्ेहरो को अपने सामने ककया और दोनों की आूँखों की आूँस को अपने होंठों से पी गया। और कर्र हम
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तीनों ने एक दसरे को बहुत कसकर पकड़ सलया जैसे की यह एक अग्रीमेंट है की हम कभी एक दसरे से अलग
नहीीं होंगे। अब मजबरन मझु े वो बींगलो और जीप के पेपसच लेने ही पड़े।

उन दोनों ने कहा- “राज प्लीज हमारी बम्च्र्यों को कभी उदास ना होने दे ना। उनकी शादी हो जाने के बाद भी
उनकी र्द
ु ाई की जरूरतों को परा करते रहना…”

मैं बोला- “उसकी आप कर्कर ना करो। मैं अनी और सोनी से भी बहुत ही प्यार करता हूँ। उन दोनों की र्तों की
सील तोड़ी है ना तो उनसे मझ
ु े एक अलग सा प्यार हो गया है और मैं उन दोनों का दीवाना हूँ। कभी तो मैं
समझता हूँ की मैं ही उनका पतत हूँ…” और कर्र खुद ही हूँसने लगा।

वो मश्ु कुराकर बोली- “नहीीं राज, हमने दोनों की र्ोन पर बात सन


ु ी हैं। वो दोनों तम
ु हारी दीवानी हैं और ववशेष
रूप से तम
ु हारे इस मस्त मसल की दीवानी हैं…” यह कहते-कहते दीपा ने मेरा लण्ड पकड़ सलया।

इतने एमोशन्स की बातों के साथ जैसे ही दीपा का हाथ मेरे लण्ड पर लगा, उसने एक झटका खाया और ककसी
एलेम्क्ट्रक पोल की तरह से खड़ा हो गया।

दीपा ने रूपा से बोला- “दे खो रूपा इसके लण्ड को, बोलो क्या इरादा है तम
ु हारा?”

रूपा हूँसकर बोली- “इसके लण्ड का इलाज तो करना ही पड़ेगा, नहीीं तो यह ऐसे ही खड़ा रहे गा…”

और कर्र हम तीनों हूँसने लगे। दीपा और रूपा मेरे दोनों तरर् आ गये और हम तीनों एक दसरे की कमर में
हाथ डालकर एक दसरे वाले बेडरूम में गये। बेडरूम में जाने के दसरे समनट हम तीनों नींगे थे। मझ
ु े नीर्े बेड पर
पीठ के बल सलटा ढ़दया और दीपा ने मेरी टाूँगों की बीर् में बैठकर मेरे लण्ड को पहले तो पकड़कर जोर से
दबाया तो लण्ड के सप
ु ाड़े के छे द से प्री-कम का एक बड़ा सा डाइमींड तनकल आया, म्जसे दीपा ने अपनी जब
ु ान
की नोक से र्ाट सलया और कर्र लण्ड के सप
ु ाड़े पर अपनी जुबान घम
ु ा-घम
ु ाकर लण्ड को र्सना शरू
ु कर ढ़दया।

इधर रूपा मेरे मूँह


ु पर बैठ गई और अपनी र्त को मेरे मूँह
ु पर रखकर रगड़ने लगी। रूपा अपनी र्त को मेरे
मूँह
ु पर रखकर उल्टा लेट गई और दीपा भी मेरे पैरों के बीर् में उल्टा लेट गई और मेरे लण्ड को जोर-जोर से
र्सने लगी। मझ
ु े डबल आनन्द समल रहा था।

रूपा की र्त से रस तनकल रहा था और वो अपनी र्त मेरे मूँह


ु पर पटक-पटक कर झड़ने लगी। मैंने इशारा
ककया और दीपा मेरे ऊपर 69 की पोजीशन में आ गई और रूपा ऐसे घोड़ी बनकर मेरे ऊपर बैठी की मैं उसकी
र्त में उीं गली कर रहा था और रूपा, दीपा की गाण्ड में उीं गली कर रही थी। दीपा की र्त बेइींतह
े ा गीली हो र्ुकी
थी और अब उससे रहा नहीीं जा रहा था तो वो पलटकर मेरे लण्ड पर एक ही झटके के साथ बैठ गई और उसके
मूँह
ु से एक हल्की सी सस्स्स्स्स की सससकारी तनकली और लण्ड उसकी र्त की गहराईयों को नापने लगा था।

इतना दे खना था की रूपा अपने दोनों पैर मेरे बदन के दोनों तरर् डालकर खड़ी हो गई। ऐसी पोजीशन में उसकी
र्त दीपा के मूँह
ु के सामने थी। दीपा ने रूपा की र्त को अपने मूँह
ु के सामने पाया तो उसने रूपा के र्तड़ों को
पकड़कर उसको अपनी तरर् खीींर् सलया और उसकी र्त र्ाटने लगी। मैं दीपा के र्र्ों को मसल रहा था और

123
वो मेरे लण्ड पर उछल-उछलकर र्ुद रही थी। थोड़ी ही दे र में दीपा का बदन अकड़ गया और वो झड़ गई। कर्र
भी थोड़ी दे र ऐसे ही लण्ड पर उछलती रही।

कर्र दीपा ने रूपा से बोला- “र्लो अब तम


ु यहाीं आ जाओ लेट्स र्ें ज पोम्जशन्स…”

मेरा लण्ड तो दीपा की र्त के रस से अच्छा खासा भीग र्ुका था। रूपा ने जोश में ढ़हलते मेरे लण्ड को एक
हाथ से पकड़ा और र्त के छे द का तनशाना सलया और धमम से बैठ गई और र्ौरन हो उछल भी पड़ी। उसके
मूँह
ु से भी ऊऊर्फ़् तनकला। कर्र वो धीरे -धीरे मेरे लण्ड पर बैठ गई और वो भी उछल-उछलकर र्ुदवाने लगी
और कर्र दीपा ने रूपा की ओररम्जनल पोजीशन ले ली थी और वो मेरे मूँह
ु पर बैठ गई। दीपा की पीठ रूपा की
तरर् थी। अब दीपा मेरे मह
ूँु पर अपनी र्त को रगड़ रही थी।

मैंने रूपा को झुका सलया और उसके मस्त कड़क र्र्ों को मसलने लगा और अपनी गाण्ड उठा-उठाकर उसकी
र्त में अींदर तक पेलने लगा। दीपा और रूपा के मूँह
ु से मस्ती की सससकाररयाीं तनकल रही थीीं।

रूपा बोल रही थी- “र्ोदो मझ


ु े राज… र्क मी… र्ोद डालो अपनी रूपा को। रूपा तम
ु हारे लण्ड की दीवानी हो गई
है । र्ोद-र्ोदकर इसका भोसड़ा बना दो आज…”

मैं और मस्ती में और दबाकर र्ोदने लगा।

दीपा मेरे मह
ूँु में झड़-झड़कर तनढाल हो र्क
ु ी थी इसीसलए मेरे मह
ूँु के ऊपर से लि
ु क कर बगल में लेट गई और
हमारी र्ुदाई को दे खने लगी। मैंने पोजीशन र्ें ज की और रूपा को नीर्े सलटा ढ़दया और उसकी टाूँगों के बीर् में
आ गया। अपने पैर पीछे ककए समशनरी पोजीशन में । ऐसे पोजीशन र्ें ज करने में जब मेरा लण्ड रूपा की र्त से
बाहर तनकला तो रूपा ने र्ौरन ही मेरे लण्ड को पकड़ सलया और अपनी र्त में तघसते हुए अपनी र्त की छे द
में अटका ढ़दया।

इतनी दे र में, मैं भी पोजीशन ले र्ुका था और एक ही जोरदार शाट में अपने लण्ड को रूपा की र्त में अींदर
तक घस
ु ेड़ ढ़दया और परा मस्ती में उसको पागलों की तरह से र्ोदने लगा।

रूपा की आूँखें मस्ती में बींद हो गई थी और वो परा मस्ती में र्द


ु वा रही थी। सससकाररयाीं भर रही थी और बोल
रही थी- “आह्ह… राज बहुत ही मजा आ रहा है ऊइई मममाूँ ऐसा मजा और जोर से आह्ह… राज…”

इधर मैं परा स्पीड से र्ोद रहा था। स्पीड इतनी तेज थी की पता ही नहीीं र्ल रहा था की लण्ड कब र्त के
अींदर जा रहा है और कब बाहर आ रहा है ।

रूपा ने बोला- “राज प्लीज अपने लण्ड की मलाई मेरे मूँह


ु में डालो, मझ
ु े खाना है तम
ु हरी मलाई…”

रूपा तो 4-5 बार आलरे डी झड़ र्ुकी थी। अब मैं भी अपनी मींम्जल पर पहुूँर्ने ही वाला था। दीवानों की तरह से
र्ोद रहा था। मझ
ु े लगा की अब मेरा तनकालने वाला है तो इससे पहले की मैं अपना लण्ड रूपा की र्त से बाहर
तनकालता, लण्ड से मलाई की एक वपर्कारी रूपा की र्त में ही तनकलकर गगरी और इतनी जोरदार तरीके से
उसकी र्त में वपर्कारी मारी की उसकी र्त एक बार कर्र से झड़ने लगी।
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जैसे ही मेरा लण्ड रूपा की र्त से बाहर तनकला, मेरे लण्ड से एक मोटी वपर्कारी उड़ी और ककसी राइर्ल की
गोली की तरह से उड़कर उसके सारे बदन पे, मूँह
ु पर और दर तक दीपा के मूँह
ु तक जा गगरी। और 5–6 मोटी-
मोटी धारें तनकली जो दोनों के बदन पर पड़ीीं। दोनों के बदन पर सर्ेद-सर्ेद क्रीम एक डडजाइन बना र्ुकी थी।
दीपा और रूपा एक दसरे के बदन से सलपट गये और एक दसरे के बदन पर पड़ी मलाई को र्ाटने लगे।

पाूँर् समनट के अींदर दोनों ने एक दसरे को इतना र्ाटा इतना र्ाटा की दोनों कर्र से मड में आ गये और दे खते
ही दे खते दोनों 69 की पोजीशन में एक दसरे की र्तों को र्ाटने लगे। और कर्र थोड़ी दे र ऐसे ही र्ाटने के बाद
कुछ इतनी जोर से झड़े की बेदम होकर एक दसरे के बदन पर गहरी-गहरी साूँसें लेते हुए गगर पड़े।

एक बार कर्र हम तीनों शावर लेने र्ले गये और एक दसरे को रगड़-रगड़कर साबन
ु लगाया और खब नहाए।
शावर लेकर वापस आने के बाद रूपा कार्ी बनाने लगी और मैं और दीपा बातें करने लगे। थोड़ी ही दे र में रूपा
कार्ी लेकर आ गई और हम तीनों गरम-गरम मजेदार कार्ी की र्ुम्स्कयाीं लेने लगे।

रूपा ने वप्रया की बारे में पछा तो मैं बोला- “हाूँ वो अनी और सोनी की बायलोजी लेक्र्रर है और उसको भी
मासलश का शौक हो गया तो मैंने उसकी भी मासलश कर ढ़दया…”

दीपा बोली- “मासलश क्या खाक ककया होगा, उस बेर्ारी की र्त और गाण्ड को र्ाड़ के रख ढ़दया होगा…”

मैं धीरे से मश्ु कुराया तो वो दोनों भी हूँसने लगे। कर्र मैं उनको डडटे ल में बताया की कैसे उसके पतत के
मलेसशया जाने के ढ़दन उसको र्ोदा और इतनी जोर से र्ोदा की दसरे ही ढ़दन उसकी तारीख से दो ढ़दन पहले
ही उसको माहवारी र्ाल हो गई। और कर्र उसके माहवारी म्क्लयर होने की बाद जो र्ुदाई का ससलससला र्ला है ,
उसका नतीजा यह है की अब वो प्रेगनेंट है ।

दोनों के मूँह
ु से- “ओह्ह… सर्…” तनकला।

मैं बोला- “हाूँ मेरी जान सर् है । मैं इसीसलए तो उसको अनी और सोनी के साथ घम
ु ाने ले गया था, क्योंकी
उसका पतत 3 महीने के सलए गया हुआ है और वो अकेली हो जाएगी। कम से कम हमारे साथ रहे गी तो कुछ
एींजाय करे गी और प्रेगनेंसी के दौरान ऐसे खुश रहे गी तो बच्र्ा भी स्वस्थ पैदा होगा…”

दीपा बोली- “राज हमारा एक और काम करोगे?”

मैं बोला- “अरे मेरी जान तम


ु बोल कर तो दे खो, अपनी जान भी दे दूँ गा तम
ु दोनों की सलए…”

दोनों हूँसने लगे और बोले- “तम


ु हारी जान लेकर हमें बेवा थोड़ा ही होना है…”

इस बात पर हम तीनों खखलखखलाकर हूँसने लगे। कर्र मैंने पछा- “र्लो अब बताओ की क्या करना है मझ
ु ?
े ”

तब दीपा एकदम से सीरीयस होकर बोली- “राज मैंने और रूपा ने समलकर सोर्ा है की तम
ु से ररक्वेस्ट करें गे की
अनी और सोनी को भी तम
ु अपना बच्र्ा दोगे…”
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मैं है रान हो गया और बोला- “अरे यह क्या बोल रहे हो आप लोग?”

रूपा बोली- “हाूँ राज हम सीरीयस हैं। हमारे घर में हमें तम


ु हारे बच्र्े र्ाढ़हए। तम
ु हें अनी और सोनी को कम से
कम एक-एक बच्र्ा तो दे ना ही होगा। यह हमारी ररक्वेस्ट है…”

मैं बोला- “मझ


ु े तो कोई प्राब्लम नहीीं है । अगर कहीीं कुछ ऊूँर् नीर् हो गई तो क्या होगा?”

वो दोनों बोले- “उसकी तम


ु कर्कर ना करो, वो हम सींभाल लेंगे। तम
ु को हमारी कसम तम
ु हें अनी और सोनी की
शादी से एक महीना पहले ही उन दोनों को प्रेगनेंट करना होगा…”

मैं बोला- “ठीक है अगर आप दोनों की यही इच्छा है तो मझ


ु े कोई प्राब्लम नहीीं है …”

दीपा बोली- “राज तम


ु जानते हो? यह बात हमने अनी और सोनी को एक दसरे से र्ोन पर बात करते सन
ु ा था
की वो तम
ु हारे बच्र्े को जनम दें गी। इसीसलए अब यह हमारी भी इच्छा हो गई है…”

मैं इस बात की सलए तैयार हो गया और बोला- “कोई बात नहीीं। जैसे आप लोग र्ाहें गे में वैसा ही करूूँगा। आप
दोनों के घर में मेरा ही बच्र्ा जनम लेगा…” कर्र शाम में हम वापस आ गये।

दसरे ढ़दन मैं वप्रया को यह बींगलो ढ़दखाने लाया तो दे खकर बहुत ही खश


ु हो गई। कर्र वहीीं पर एक दौर र्द
ु ाई
का हुआ, और उस रात हम वहीीं बींगलो पर ही रहे, दसरे ढ़दन वापस आए।

रवव का टर 3 महीने और बि गया था। वो वहीीं मलेसशया में ही था। इधर मैं उसकी परी खबर रख रहा था। रवव
परे शान था की वप्रया अकेली है , एक बार उसने जब वप्रया से अपनी परे शानी के बारे में बताया तो वप्रया बोली-
“तम
ु कर्कर ना करो, मैं एकदम से ठीक ठाक हूँ। मेरी दो स्टडेंट्स के एक जानने वाले हैं, अरे तम
ु हें तो पता ही
है ना ग्रेट गोल्डेन म्जम?”

रवव बोला- “हाूँ, वही ना जो हमारे घर की पास में ही है …”

वप्रया बोली- “हाूँ वोही। उसका जो मासलक है वो अनीता राय और सन


ु ीता राय का र्ेसमली फ्रेंड भी है । हम जब
यरोप के टर पर गये थे तो वो भी तो था, हमारे साथ गया था, बताया था ना तम
ु को…”

रवव बोला- “हाूँ याद आया यार, पर यहाीं इतना काम है की मैं भल गया था…”

वप्रया बोली- “हाूँ वही। उसका नाम राज है वो बहुत ही अच्छा आदमी है । वो डेली घर जाने से पहले मझ ु े दे खकर
मेरी खैररयत मालम करके ही घर जाता है और 4 या 5 बार मझ ु े हाम्स्पटल भी ले जा र्क
ु ा है । तम
ु कर्कर ना
करो वो डेली मेरी खबर लेता रहता है …”

रवव बोला- “ओके डासलिंग… मेरी तरर् से भी राज को धन्यबाद बोलना, और मैं वापस आने के बाद उससे समल
कर पसचनली धन्यबाद बोलूँ गा…”
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वप्रया बोली- “ओके रवव, कोई बात नहीीं मैं बोल दूँ गी…”

अभी वप्रया की डेसलवरी को एक महीना रहता था की रवव मलेसशया से वापस आ गया। मझ


ु से समला, समलकर
बहुत खुश हुआ और धन्यबाद बोलते-बोलते उसकी जुबान नहीीं थकती थी।

दोस्तों समय परा हो गया और वप्रया को एक बहुत ही खबसरत और तींदरु ु स्त बेटा पैदा हुआ। रवव बेटे को
दे खकर र्ला नहीीं समा रहा था। उसे क्या पता की म्जस बेटे को वो अपने हाथों में सलए बैठा है , वो उसका बेटा
नहीीं है । वप्रया बेइींतह
े ा खुश हो रही थी। जब भी रवव थोड़ा दर होता तो मझ
ु े धन्यबाद राज बोलती। उसकी आूँखों
में आूँस लगातार आते ही जा रहे थे। यह आूँस खश
ु ी की आूँस थे।

उसको दे खकर मेरी आूँखें भी भर आई थी। कैसे ककसी को बताता की यह मेरा बेटा है ।

अनी और सोनी भी हाम्स्पटल में बहुत लींबे र्ौड़े उपहार लेकर आए। बेटे को दे खकर बहुत खुश हुए, खब प्यार
करते रहे । कर्र मेरे साथ म्जम वापस आए। रास्ते में बोले- “राज तम
ु हारा बेटा तो बहुत ही खबसरत है…”

मैं मश्ु कुरा ढ़दया।

अनी बोली- “मझ


ु े भी र्ाढ़हए एक बेटा। राज बोलो दोगे ना?”

तभी सोनी भी बोल पड़ी- “हाूँ राज मझ


ु े भी र्ाढ़हए तम
ु हारा बेटा…”

मैं बोला- “ठीक है बाबा दे दूँ गा, म्जतने बोलोगी उतने दे दूँ गा। बोलोगी तो कक्रकेट टीम ही पैदा कर रदूँ गा…”

तब वो दोनों हूँसने लगे और मेरे सीने पर मक् ु के मारने लगे, और बोले- “बहुत खराब हो तम
ु राज। कहीीं ककसी
लड़की के इतने बच्र्े होते हैं की कक्रकेट टीम तैयार हो जाती है?”

मैं बोला- “कोसशश करने में कोई हजच तो नहीीं?”

कर्र हम सब हूँसने लगे और म़्ींदगी ऐसी ही हूँसी खुशी गज


ु र रही है । दे खना है की अनी और सोनी की सगाई
कहाीं और कब होती है, और कब मझ
ु े उनको प्रेगनेंट करने का मौका समलता है ।

💐💐💐💐💐 समाप्त 💐💐💐💐💐

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